www.azadi.me 1 अयाय पंिह 1991 का सुनहरा मीम सभी सुधारक कुं आरे ह ु ए हɇ। -जॉज मूर इितहास िवडंबनाओं से भरा पड़ा है। नरिसंह राव ारा 1991 मɅ की गई आिथक बांित जवाहर लाल नेहǾ ारा 1947 मɅ की गई राजनीितक बांित की अपेा अिधक महव रखती है। चीन मɅ डɅग जाओपींग की सर के दशक की आिथक बांित व माओ की 1949 की बांित की अपेा अिधक महवपूण है। उस समय, हालांिक राव ने ऐसा यवहार िकया जैसे िक उहɅ अपनी बांित मɅ िवास नहीं था और जनता ने ितिबयाःवǾप उनकी पाटȹ को द ू ध मɅ से मखी की तरह िनकाल फɅ का। 1996 के आम चुनावɉ मɅ कांमेस की हार की कोई याया िकस कार कर सकता है। नबे के दशक के कु छ वष भारतीय अथयवःथा के जीवनकाल थे। सुनहरा समय था तथा िजसमɅ अलग से समिगत अथशाƸ के उकृ पिरणाम देखने को िमले। सुधारɉ ने िवास की उसुकता की समझ हम मɅ जगाई। बह ु त से लोगɉ ने इसी तरह की समझ व संभावनाएं पचास के दशक मɅ भी महसूस की थीं। अथशािƸयɉ ने भारत को कवर ःटोरी मɅ 'आजाद बाघ' कहा। राव न तो अपना कद ही लोगɉ के सम बढ़ा सके और न ही कोई ऐितहािसक उपलिध ही हािसल कर सके । कांमेस पाटȹ ने भी उनकी महान और अभूतपूव उपलिधयɉ को चुनावी मुा नहीं बनाया। यह सही है िक एक औसत मतदाता इन सुधारɉ की याया को