GURU JI KE DESHI NUSHKHE 1. आजकल , आपने देखा होगा , नौ-जवान भी म ु रझाये म ु रझाये रहते ह� , वट, उच- रतचाप, मान�सक �चंताएं , कमज़ोर�, अलसायापन, लस, कां�तह�न चेहरा , फ ू ला ह ु आ शर�र परत ु जान नह�ं , पैदल चल नह�ं सकते , और जो �म �ववा �हत ह� , वो शार� �रक कमज़ोर� महस ू स करते ह� , दापय-जीवन का आनंद प ू ण प से नह�ं ले पाते , बस य ू ँ मा�नये �क �कसी तरह से समझौता �कये जा रहे ह� , ये योग उनके �लए राम- बाण है ! आप एक बार योग �कये ! �फर बताइये ! �कसी भी औष�ध �वे ता से आप सौ ाम गोख ले ल�िजये , दस से बीस रपये के बीच �मल जाय�गे , य�द न �मल� तो ये गाँव इया�द म� भरप ू र प से �मलते ह� , बस वो स ु खाने पड़�गे , वैसे औष�ध �वे ता से �मल जाय�गे अवय ह� ! अब आप इन सौ ाम गोख को साफ़ कर ल� , झाड़ ल� कपडे से , ता�क �मी न बचे , आप धो भी सकते ह� , अब इनको पीस ल�िजये , चाहे तो �मसर म� ह� पीस ल�िजये , जब बार�क च ू ण क� तरह से हो जाएँ , तो एक तवे पर चार चमच देसी घी खौला ल�िजये , और इन �पसे ह ु ए गोख म� डाल ल�िजये , जब घी ठं डा हो जाए तो अब इस घी को �मला ल�िजये इस च ू ण म� , और �कसी �डबे म� रख ल�िजये , अब रोज रात को आधा चमच ये ल�िजये , और आधा कप ग ु नग ु ने द ू ध के साथ इसका सेवन कर� , सोने से पहले , एक हते म� अपनी रंगत और ताक़त दे�खये ! दापय जीवन म� जो लह� का होता था, अब दस ग ु ना बढ़ जाएगा! शर�र म� ताक़त, चेहरे म� कां�त, अलसायापन ख़तम, फ ू �त , च ु ती और चहकने लगोगे ! उ भले ह� कोई हो ! करके दे�खये ! ये वाजीकारक का एक अहम ् न ु खा है ! लाभ �मले तो धयवाद क�हये !! 2. कई �म� ने फ़ा�लज़ का उपाय प ू छा है , बताता ह ू ँ ! फ़ा�लज़ के �लए कई उपाय ह� , परत ु आप जानते ह� �क ये उपाय तां�क-उपाय ह� और इसम� मांस आ�द का सेवन होता है , फ़ा�लज़ के �लए, एक माह म� चार बार य�द कछ ु ए के मांस का सेवन �कया जाए, उसक� चब� का तेल बना कर उन अंग� पर मा�लश क� जाए तो चेतना वा�पस लौट आती है ! फ़ा�लज़ समात हो जाता है , द ू सरा उपाय, य�द कब ू तर, देसी कब ू तर का मांस, एक हते म� तीन बार खाया जाए, एक माह तक तो भी चेतना लौट आती है , अब वे जो ये उपाय नह�ं कर सकते , नागफनी पर फ ू ल आते ह� , लाल अथवा संतर� अथवा पीले रंग के , इनको तोड़ ल�िजये , तोड़ने के बाद, दो सौ ाम श ु �सरके (श ु अथात बाज़ार वाला नह�ं , बिक असल� बनाया ह ु आ) म� डाल