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Sample Copy. Not For Distribution.
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Sample Copy. Not For Distribution.श्री चचत्रगुप्त ज्ञान-स cग्रह प्राथथना, चालीसा, स्तुचत, व

Jul 30, 2020

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  • Sample Copy. Not For Distribution.

  • i

    श्री चित्रगुप्त ज्ञान - संग्रह प्रार्थना, िालीसा, स्तुतत, वंदना आरती सहहत

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • ii

    Publishing-in-support-of,

    EDUCREATION PUBLISHING

    RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001

    Website: www.educreation.in __________________________________________________

    © Copyright, 2019, Avdhesh Kumar Saxena

    All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer.

    ISBN: 978-93-88719-49-0

    Price: Rs. 110.00

    The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Educreation.

    Printed in India

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  • iii

    श्री चित्रगुप्त ज्ञान-संग्रह प्रार्थना, िालीसा, स्तुतत, वंदना

    आरती सहहत

    अवधेश कुमार सक्सेना

    EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)

    www.educreation.in

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  • iv

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  • v

    महाप्रभु न्याय के देवाचददेव शृ्रचि संिुलन के स्वामी

    श्री चित्रगुप्त ज्ञान-संग्रह प्रार्थना,िालीसा,सु्तचि,वंदना आरिी सचहि॰

    सग्रह-कताथ

    अवधेश कुमार सके्ष्ऱना

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  • vi

    श्री चित्रगुप्त ज्ञान-संग्रह ॰॰प्रस्तावना॰॰

    चित्रगुप्तकेिरणरज,चशरधररकरहूँ प्रणाम्॰

    मोहेअपनासुिजानकर,कररयो पूरणकाम्॰॰

    सबसे पहले में अपने माता-चपता व गुरुओ ंके चरण ंमें नमन् करता

    हूँ॰

    महाप्रभु श्री चचत्रगुप्त भगवान की पे्ररणा से श्रीमिीसुशीला-

    बृजचवहारीसुि यह चचत्रगुप्त "ज्ञान संग्रह" पुस्तक समस्त मानव

    जगत के कल्याण के चलये प्रसु्तत कर रहा हूँ॰ इस पुस्तक में मेरे

    स्वयं के द्वारा कुछ भी नही ंकहा गया है॰ बस यहाूँ-वहाूँ फैले हुए

    साचहत्य में से कुछ अंश संग्रचहत कर सरल शब्दावली में समस्त

    मानव जगत के चलए प्रसु्तत करने का प्रयास है क् चंक महाप्रभु श्री चचत्रगुप्त समस्त प्राचणय ंके जन्म से लेकर मृतु्य तक चकये गये समस्त

    कम् का लेखा-ज खा रखते हैं व मृतु्य के उपरान्त कहाूँ जाना है

    स्वगथ,नरक,या चकसी य नी में चकतने समय के चलये जाना यह भी

    चनधाथररत करते है॰ सभी ल ग प्रभु चित्रगुप्त की कृपा के पात्र बने इस पुस्तक में

    भगवान श्री चचत्रगुप्त जी की प्राथथना, पूजन चवचध,

    कथा,चालीसा,सु्तचत,वंदना,आरती, प्रभु के प्राकट्य से समं्बचधत जानकारी एवं प्रभु की चवचभन्न प्रकार की जानकाररयाूँ, कायस्थ

    वंशावली,चचत्रगुप्त तीथथ आचद का वणथन चमलेगा॰

    यह पुस्तक चनचित ही हमारी युवा पीढ़ी क प्रभु के महत्व क जानने

    में सहायक ह गी॰

    यहाूँ पर मैं समस्त पाठक ंऔर प्रभु के साधक ंसे आग्रह

    करता हूँ चक इसे केवल आस्था व श्रद्धा के साथ स्वीकार करें और

    प्रभु भक्ति में लीन रहें॰ एवं प्रभु का साचनध्य प्राप्त करें ॰ साधना-

    श्रद्धा और भक्ति के चलये तकथ व प्रमाण का क ई स्थान नही ंह ता

    है॰अपने आराध्य क सवथसत्ता मान केवल उसकी भक्ति मे लीन

    रहना ही परम धाम क प्राप्त कराने में सहायक ह ता है॰

    श्री अश क कुमार वमाथ जी की पुस्तक-"कायसर्ो ंकी सामाचजक

    पृष्ठभूचम" मे वचणथत है चक यह भी प्रमाचणक नही है चक पुराण ंकी रचना काल, भाषा, शब्द-चवन्यास और शैली के आधार पर ईसा पूवथ

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  • vii

    पांचवी ंशताब्दी से ईसा पिात् पांचवी ंशताब्दी तक एक हजार वषथ

    ह ते है॰

    सारे पुराण व गं्रथ इसी काल मे चलक्तखत माने जाते है एवं कुछ पुराण ं

    क त १९वी ंशताब्दी तक का चलक्तखत माना जाता है इसके अलावा

    पािात्य लेखक ंमें से हॉग, क्तिनी, चवल्सन, चग्रचफथ, आचद ने वेद ंका

    रचना काल १४०० वषथ ईसा-पूवथ एवं जेक बी ने ४००० वषथ ईसा पूवथ

    माना है एन.बी.पावगी ने ‘फादसथ ऑफ़ ज्योलॉजी’ नामक अपनी

    पुस्तक में वेद ंका रचना-काल द लाख चालीस हजार वषथ माना है॰

    दीनानाथ चचलेट ने वेद ंका रचना काल तीन लाख वषथ पुराना माना

    है॰ आचायथ वैद्यनाथ शास्त्री ने भू-गभथ चवज्ञान, ज्य चतष और वैचदक

    वांग्मय के आधार पर अपनी पुस्तक ‘वैचदक युग और

    आचदमानव’ में वेद ंका रचना काल मानव-शृ्रचि के साथ माना है॰ अपने-अपने मत ंका प्रचतवेदन करने के चलए भी अपने-अपने इि

    के नाम से पुराण रच चदए गए हैं॰ अतः इनकी सामग्री पर सत्य

    ख जना अत्यन्त कचठन कायथ है॰ केवल इतना जानना जरुरी है चक

    भगवान श्री चित्रगुप्त सत्य हैं, परमसत्ता है॰ इसचलये हमने इस

    पुस्तक में क ई "ताचकथ क या प्रमाचणत ह ने की बात नही ंकही है॰"

    हमारे कुछ पूवथज ने प्रभु से समं्बचधत बहुत ज्ञानवधथक पुस्तकें

    चलखी ंहै उनमें से पं.रघुवर चमट्ठूलाल शास्त्री, आचायथ रजनीकान्त

    शास्त्री, डॉ.भगवानदास, श्री कामता प्रसाद श्रीवास्तव आचद ने भी

    प्रभु श्री चचत्रगुप्त के बारे में अपने-अपने चवचार व्यि चकये है॰

    इस पुस्तक क केवल सरल भाव से महाप्रभु में ही सवथसत्ता

    समाचहत मान कर श्रद्धा भाव से साधक ंके समक्ष प्रभु का

    "ज्ञान-संग्रह" प्रसु्तत कर रहा हूँ॰

    मेरा इस पुस्तक क संग्रचहत करने का केवल एक मात्र

    उदे्दश्य है चक प्रभु श्री चित्रगुप्त जी का प्रते्यक पररवार व समस्त

    मानव जगि समय-समय पर पूजन एवं आराधना करिे हुए

    "महाप्रभु श्री चित्रगुप्त" की कृपा का पात्र हो॰ं

    संग्रह-कताथ

    अवधेश सके्ष्ऱना

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  • viii

    ॰॰प्रार्थना॰॰

    नम चचत्रगुप्ताय श्यामल स्वरूप

    नम ईश यमराज सुर ल क भूषण

    नम ब्रह्म इच्छा गुणी ज्ञानी-खानी

    नमाचम समाचार तै्रल क- ज्ञानी

    नम जीव फल कमथ अनुसार दाता

    नम सत्य असत्य पूणथ अपराध ज्ञाता

    नम स्वगथदाता नम लेखकारी

    परम भि चवषु्ण नम बार-बारी

    नमस्कार चवचधकाय उत्पन्न स्वामी

    नम धमथशमाथ व मन बुक्तदद स्वामी

    नम द ष भंजन नम सुख राशी

    नमस्कार करूणा सदन शीलसागर

    नमामी दया चसनु्ध सत् धमथ आगर

    नमस्कार हे पुत्र द्वादश के स्वामी

    नमाचम नमाचम नमाचम नमाचम

    चचत्रगुप्त भगवान की जय

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  • श्री चचत्रगुप्त ज्ञान-संग्रह प्राथथना, चालीसा, सु्तचत, वंदना आरती सचहत

    1

    भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन चवचध

    ★ भगवान चित्रगुप्त पूजन सामग्री:- चंदन, र ली, मौली(कलावा), रुई, पान, सुपारी, अवीर, पीला सरस ,

    हल्दी, गंगाजल, चावल(पीले रंग का),

    दूध,दही,शहद,शक्कर,अदरक,गुड़,कपूर, ऋतु

    फल,पंचपात्र,घी,तामे्ब या कांसे का कट रा,जनेऊ,

    कलम-दवात,

    चमट्टी का पात्र, दौने, माला, फूल, वस्त्र (२ लाल, १ पीला), चौकी

    (लकड़ी का पटा), आसन, नैबैद्य, चम्मच, माचचस,

    तुलसी-दल, कलश, धूप, दीप, आम के पते्त, लौगं, इलाइची, सादे

    कागज॰

    ★ हवन सामग्री:-

    हवन-कुण्ड, धूप,चतल, चावल, घी, (हवन-सामग्री ) आम की

    लकड़ी॰

    ★ पूजन की िैयारी:-

    पूजा स्थान क शुद्ध कर लें॰ पूजा करने के चलये उपक्तस्थत सभी

    साधक स्नान आचद कर शुद्ध ह कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें॰ चौकी पर

    लाल कपड़ा चबछायें और उस पर भगवान श्री चचत्रगुप्त जी की

    तस्वीर या मूती स्थाचपत करें ॰ गणेश जी की मूती या तस्वीर रखें॰

    "यचद गणेश जी की मूती या तस्वीर नही ंत सुपारी पर

    मौली(कलावा) बांध कर गणेश जी बनाकर चौकी पर स्थाचपत करें ॰

    कलश में शुद्ध जल भर लें॰ आम के पत्त क ध लें॰ दूध,दही,घी

    तथा शक्कर का रस चमलाकर पंचामृत तैयार कर लें॰ अदरक का

    रस,गुड़ का रस,चावल, शक्कर चमलाकर प्रसाद के चलये खीर

    बनायें॰ पंच पात्र में जल में थ ड़ा सा गंगाजल चमला कर भर लें॰

    चमट्टी के एक कट रे में शक्कर भर कर रखें॰

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  • श्री चचत्रगुप्त ज्ञान-संग्रह प्राथथना, चालीसा, सु्तचत, वंदना आरती सचहत

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    ★ पचवत्रीकरण:-

    पंच पात्र में से पुष्प अथवा चम्मच से जल लेकर दायें हाथ की

    अंगुचलय ंसे पूजा की सारी सामग्री व समस्त बंधु-बांधव ंके साथ

    स्वयं क पचवत्र ह ने के मंत्र का उच्चारण कर जल चछड़क कर

    पचवत्र कर लें॰

    मंत्र ऊूँ अपाचवत्रः पचवत्र वा सवाथवस्थां गत ऽचपवा॰

    यः स्मरेतः पुण्डरीकाकं्ष सा वाह्याभ्यन्तरः शुचचः॰॰ ★ मुख शुद्धि:-

    पुष्प या चम्मच से तीन बार दाएूँ हाथ में जल लेकर मुख शुक्तद्ध करें ॰

    मंत्र * ऊूँ केशवाय नमः

    * ऊूँ नारायणाय नमः * ऊूँ वाशुदेवाय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए जल क पी लें॰*

    ऊूँ हृचषकेशाय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए दायें हाथ के अंगूठे

    से ह ठ ंक द बार प छं कर ह ठ ंक ध लें॰

    गणेश जी का ध्यान हाथ में पीला चावल व फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें ॰

    सुमुखिैकदंति कचपल गजकणथकः॰ लंब दरि चवकट चवघ्ननाश चवनायकः॰॰ धूम्रकेतुगथणाध्यक्ष भालचंद्र गजाननः॰

    द्वादशैताचन नामाचन यः पठेचृ्छणुयादचप॰॰ चवध्यारमे्भ चववाहे च प्रवेशे चनगथमे तथा॰

    संग्रामे संकटे चैव चवघ्नस्तस्य ना जायते॰॰

    गणेश जी का पूजन आरम्भ करें सवथ प्रथम पंचपात्र से जल लेकर गणेश जी क स्नान कराए उसके

    बाद वस्त्र (पीला कपड़ा) अचपथत करें ॰ अथवा वस्त्र के चलये मौली भी

    अचपथत कर सकते है॰ अब चंदन,र ली लगाकर चावल व पुष्प

    चढ़ायें॰श्री फल भेंट करें , धूप समचपथत करें व नैवैद्य का भ ग लगायें॰

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  • श्री चचत्रगुप्त ज्ञान-संग्रह प्राथथना, चालीसा, सु्तचत, वंदना आरती सचहत

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    कलश पूजन

    कलश में जल भर कर उसमें गंगा जल चमलावें॰ कलश में दूवाथ या

    दूव,सुपारी,हल्दी की गांठ, द्रव्य(१रुपय का चसक्का) डालें॰ चमट्टी के कट रे में शक्कर भरकर कलश पर रखें हाथ में चावल व पुष्प

    लेकर कलश का ध्यान करें ॰

    मंत्र

    कलशस्य मुखे चवषु्णः कणे्ठ रुद्र सभाचश्रता:॰

    मूले तस्य क्तस्थत ब्रह्मा मधे्य मातृगणः क्तस्थता॰॰ अब कलश क गंगाजल व पंचामृत से स्नान करायें॰

    चंदन,चावल,पुष्प तथा नैवैद्य अचपथत करें ॰ धूप तथा दीप चदखावें॰

    नवग्रह की पूजा

    लकड़ी के पटे पर ९ सुपारी अथवा ९ हल्दी की गाठें या चावल के

    पंुज से नवग्रह बनावें॰

    नवग्रह मंत्र

    ऊूँ ब्रह्मा मुरारीचत्रपुरान्तकारी भानुः शशी भूचमसुत बुधि॰

    गुरुि शुक्रः शचनराहु केतवः सवे ग्रहाः शाक्तन्तकरा भवनु्त॰॰

    चावल,पुष्प,क नवग्रह पर छ ड़कर ध्यान करें ॰ चफर गंगाजल से

    स्नान करायें॰ मौली क वस्त्र बनाकर अचपथत करें ॰ चतलक लगायें

    धूप-दीप चदखायें नैवैद्य समचपथत करें ॰

    श्री चित्रगुप्त जी का ध्यान

    हाथ में पुष्प व चावल लेकर भगवान श्री चचत्रगुप्त जी का ध्यान करें ॰

    मंत्र

    चचत्रगुप्त! नमसु्तभं्य लेखकालेखकाक्षरदायकम्॰

    कायस्थजाचतमसाद्य चचत्रगुप्त! नम सु्तते॰॰

    येषां त्वया लेखनस्य जीचवका जीचवकायेन चनचमथता॰

    तेषां च पालक यस्मात्ततः यस्मात्ततः शान्ती प्रयच्छ मे॰॰

    स्नान

    पंचामृत से स्नान करायें॰

    मंि्र

    पय दचध घृतं चैव मधु च शकथ राक्तन्रतम्॰

    पंचामृत मयाऽऽनीतं स्नानाथथ प्रचतगृहृताम्॰॰

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