(स 118१५११ 175 0001८ 18 शवायदछ6 970 पिनि 0 06 [ऽष 0६ ग 1116 [[निशाए कोका, 5चत४। एलापाऽञमौ
(स 118१५११
175 0001८ 18 शवायदछ6 970
पिनि 0 06 [ऽष
0६ ग 1116 [[निशाए
कोका, 5चत४। एलापाऽञमौ
(भ (1
` शरीः
रामायणसकषपसगरसासवादः ८
न
27 ५ प
यषधिदिरयन गोपाडाचायम,
~ वपिरचिवः शछ ९ ॥
द
प
0 ->।५अ
पया, पाण शध पशजप) 8 4 व
[- ५, ५ (९) 2.9 (4
* णप =
कह ~ 2 भण शकण 0 (रापाऽ का परधा
+ स (७: £ <
$ `
ब. प, [५ १ (8 ट. भ
१. ४
+
भव+ मगल ट55 वमव,
एणषएदकका ई
५४ 4 1954 ४
॥ ध +. ऽ 1-58-0
ई ५, नः र
४८९14 तष
ग 6०फा11९71147४ 28 एए 19, पालवाणाःए 0 106 121६ 5 ©०501 एणा 530 दणदाव7३०2८1417 8 5४३ 0056 ९16 प५९१, 2०९८ 2 पप अण €205111005 ० #€ 1र२370352०3 वपत 014€7 52८76त 1259168 20 5} पकर लो ३८१८८ दए णा = 5०5568-~ 3101 01 (€ इद ६ & {पा ६०25 धटडला [त {0 (1€ पएणा15]2 पड 616 फ6 [पणा 11०0५ 0६ 2701930, 8९८8056९ 9 {1६ §प0ल€ 0ौी शा ० }15 दिवव 40871] ९४70051 (05, 16 85 (९~ १५९७॥९१ {0 धा1€ कण! 15 14६85 10) वदहशतव 10 रिवपणयङवाठाा 81०45, € 25 2४10६ #€ फणत पिडा णत16 3 तगणपरशयाथा४ 0१ {€ ऽ प5॥ 31९02 5दहक४ 19 00०-णलाव( तप फा पफ पाणा 861, पर 255६0 ठव एरदाणिह (४95 पण एट पोपप, पतममाणट
, 1४0०५1८ 10 17 २६72४872 510141९5, ¶ कछा01€ [15 (लछपिपोदाणाभ 21101 2 177६0 ग पला 25 70001157164 31211 10 {£ (गपा णा €, ^ ४०0४० 53पथऽपत कणापडा "ल1€ 59113." 91 €} ०४६व १६ 40066210 0 {106 ९२९८5 ण 091 [कपत शपरि८३व वा] ०४६ [० 2. 1९ प 40 2६5 ० 1015 0००6 कप पणीत 1प ६0१३१८८ 370 76८6१८० - 1906 कडा 016850६5 ० 17140 2 5611012 (€. (5 लगता प पपि 15 ०८८5०१६ 10 १6 एपणि९ तः इगय९ ‰ए1)51 101९8 ० ८0४15
06 बपला 709 145 7० € 51१ ००८, 20 पर10 38 पणपटा ८प५३१र८दत 1१ २६€ १९६४८९४5 ६४९ पदणहिद५८८ ० ४६ 1८2 पऽ प एदहमात ८० परा 5191६९8, ती का लन, 5 1071145 ०१८ ५०८९
{1} ऽप 4 पणातवञञषदषटदपवप र, 4, ०४०८5७७ उताऽ ण पोह जणलााापरटण। (गादहल 2 एपवपर (माठ, पए 35 2 पटपणलव एणा ज (6 जणञािएपतया 5षमण धत 1725 {1681६ [णा 15 लधणणजागो$ 9 एवता२४4712. लट, दप फण0 4 पलाकितप पह कणीतणः ण 10८ कणर णा लगादलौगषट 106 ०5.
‰ ऽ एता ४28 3 7037120026037६8 ऽव 10 ५7016 ५ (£ 90४66 ६१९६३६० (१६ € पाट दजला उकष 3 पट २६
7९२५१ {0६ 11६ ए76€55,
‡ § बवय एगाीिवसवाकवणड एदटवा 2. ^. ० गपा सा दणड 9रइधलमा$ ८००९६८१९ ६९ ६८6 २८९१3
7211071 9 116 एए&ा9 ००१६७; 9पप
4 10 1201311 7८58, एपठवपजाभ कफ | 045 णिः 50८ ४८275 एत€ ठ]$ पणणा ऽदषलतवा 0०६5 ग ह पीला 1-5-&4 } यथपि, दल, वदर 4 एपत
`. १0 72100 7 ~ ~ {अणा शा फपााकषा9 =
11 पा 1वीठवपलम (७३९६8 110 4), 106८ पापा वता पा 0100 37११४३०३ 28 76661४6 णा (16 ०४8९1 "एए {€4पा§ वपत 1६द5 0 रवा1005 19065 15 561 ०५६ 1प 507०6 ६1311. (96 51014 पपजटत ठप 1786 पाशाशरपवणवठ, वा 23, ए९हा पाह पराधा] 18712000 परका 51075 1116 ०7० 2001६८90 उत
_ हतका ण {176 068१1165 त धी€ 4४४३ 0४ (पव वत 1.4४ 010 724 प)३७।€7६त 1116 ५८५25 270 ^9६३5 20 &०॥ ४ खाप {१06 €01176 0€फ प 6000 ग 115 ०८६३0 0४ 106 एण, (लिप एञापरत दाटलहव लफ ० अणि 116 ९६012272 पा लाः पतऽ कलाप 10१0 पौल एटा त ४6 0०6, 1106 प एगलाऽ परात [6बपादव 16 एतया किण {06 पप गि{फाऽलौ गलाद शाल 05 61165 णौ एला€ वा सतवा वधत दवणणोदी0ा ठि 17€ 10९॥ 2०१ {176 एणा. ¶0€ ए15718 ३ प 27त दाणपणत एमा ४15 16111266 06270 {96 एषला 5पण ह 09 116 108 0 लाह 99 ए7॥9 0601110} 16 उवएतोया ४२७ एणी । 2180 3वणषट - पोए६। 5९९12 116६ ¶लप. (16 2ऽऽहपणा€ऽ ण (रजपऽ उवाफोाटत एणा [९ एणलया 204 {16 0४9८ ग धह 577६ (06 अणा 106 50610 9 1116 ०६) 709 € 57९61९5१ 00४92105 25 8 730पा6द7 {0 "€ याण, पफए25 116 एद 20707661216 न व८८णणाी! ग +€ 6१ 27१ पराला०५1०1§ 51एदलाइ जा 0 {06 लाला पाला 18 0[ 1176 006 1९८ 15015 पतला १ फला 15 हारट) 10 (76 अणषद
~“ +^4.110 01125४2 क 20िपरा वप) 810 पाको @ी9 ४1568120" 1406 1 तागा धव 116 9101428 276 0वातफग]# उफ९९१, राधा 176€ एिणलग 25 1९611८व 97 ¶ा€ 5 पर [प रव7ा3"6 त0णा, ४८ 876 {01 {721 {६2५ ‰२०४}१३१5 7251675 ०1 [0065४ एला€ 71656711 1२87) 6211604 11 4 31212162 4 274 5214 प एणा) पराव {9६6 015 {4716 87 8110 पर | 25 ह[का10४३. 4.11 &21167€0 17 (€ 20४31 ^.594016412 ~$ 45861४1४ = णपिाप ¶7€ एणा 75311 वणप 5८6। 270 तौरा, १
{9 176 (113721८3144, ए30 ताय 58 १0 7२६०)३, "द परऽ 4 व।- ६३४४६ [5 सना एसी 1, ६८णला९त 19 एठा जात 6णवणपत8 ऊणा हण, रिका) त८ऽला१9६5 10 एदीपा2०१८४॥ 71८ ‰1811,5 €246€ा71683 10 0637 ए7€ (णटपरा ए{८ो रपात वाश5€ पहि
~ एरव ला ०६, *
“~ "82४0 एवतर [.वपरद{210 दरपात १6३८०९5 196 पतला ० 10८ एवतवङका० ०३ एपाषएवता०7४२, 41104585 01604100 ण एणा ९80६5 18 {116 णाप ०7 धल िवरिपपवा059 5 दपण {16 ण 0 | वपरा एवऽ
= 48005 ४3712 71 8112420 षञ पलाना तवतव) (परणता एषट 99 10 015 ०760110 72द2ाद 510४2 (76 वातद तीवा वधा छपा ० छम, 475 परणम एकह पिन ९.
52468 5-15; ऽ161:3 1 ,
छा0०१८ १९25005 376 इषट + अ0ए}0 11121 एवव `,"
20215 एवाप ए त+६. ८15 ववा 9 कपय [कच०282
5502. 73998 18 196 5241272 न एषछ7० [140353 5210 0४ `
पषय (पतय कफल) 0 छाप, व चलप न 111;5 13703.
एवा 1180252 {11 16 00 7237025 15 अधपटमप एपप
50६४6511 ०८ 01 96 14688. एतववयवत 78760 19
25 ` ९२8४८ अणव १० 176 ए^2{723 51745 065071025 9९0271४3
८१३०३ (52019292). 92612, 3१, वत 3025 {97 सापवाद
(116०54 ० पदा१ा३). = "11935, 52409254, 370 212प दलीय
27 शला] पातत 5208035. ४ =
गल ठप 5 ०51३7115 ल&२९<4 17 १२0३5 29त 5प३५॥ ~
2 2 11€ 51519४2 ४०४ 15 2156 २ 1. ४ ध
च०८७४००३ ५0 पपा60५ प 11052"* 170 {116 पोठरहा ग {78 प2073 1141352 १५८७६०75 19 १८ ०णलणाणह मथ४2 €)०-
2291512 7011 {6 11६12353 ०{ (रषाा३ 25 8727131. 03592112
पद 09 पभम २6 [160250० [5319202 88.०१ १378 1० 6212 2 ० & ४०५12 #270 परद ५३5 (२३०
८०१ {1425४ 07) {€ पठण त ल०पाा ~ग १0 08 त 7751.
720 1१०1५६९ 2०0 । ३०५१1३५० ० १३12 (५125. (रिद
{0० 120 * ८0750€2€प पऽ] 3 गाला6 703 पा} २६१३7).
अपा एण पद पणडत 16 छा कीो346९2 छ}10 12 वाद ४९५ क
९४८ १९५४०२७ ०1 1410112 "9119 37) 1} "}105£ 57 12// "णा 1676 12५४९ {= <07ा2'" पपरा {04<व 12१५ ए 21918 ९४० 12 {0 ह€7174 117 11021 € ७35 7681}9 कष273930 300 10९ कठ] 0714 स35 1118 59117301, ए721013"5 ९0051110 ५३5 _ 53117241 ९ 8415178. 44145824 19 २2703, 1८ (०50८ 537, व प ५ 0773-1 31१2-0०२ दो13102.४14#3 ०( रिग; ॥ि पा 60
21९१ ४1९11* ¢) 7337202 ६० दात ५०९ ६ न] ‰) पः पर ८1 #*11015 0९६८0षव 38 2८26161253 पी ‰ [0 शरत#2 ० (04740दय$य 602 पदा ४ ५८5८४ (10 38 10०0११८ &03ा103 29 2४ {८१००१ 1 ८1व#8 | 016 7८०115९5 यदव (0 5 #11681५1 101८5112 111६ ‰ 727१३ ६१३1८ 5 क (0 ठव एदालनोचट$ 7100 लब ५५१ एय ५ ५) 5६८१, 16273 {१२६१३१६ १।९.* 511: 15 0€ऽ८10त 35 ऽ€९12; व) ९ 907 ¶८ 0९ पणि त १५1 {१६ € 3१ ^.5०५३ ४२7} 1 ^ ^. गर कमभतछ न १ ४५१5113 ५43 गाला
णण ज ४74 लणणछा € 4८इताणटप 35 ततार 10 1272 पणदटाणड गि ॥
उप एता८ दा 3पा२४३, [पादहाडलव {9 र; ^ ०१४९९§ 1/6 नीलल ० शपा एः) 2713, 1116 09413
€ 72४एप९व छ व०ात 53073; ४ रः 11 4 0 5६203 एणा, 6, र 3 न 30373 *8 5५६१; 2. 20 = 2 6835023 {प १24 [ए परव} लः ट दता 5१
१९४1६ 0 1१ 1णषदरत २ 06 हा6 कठप 0 6156 वपव ए<८०ा ८ 2४50१1९4 ए
~ „ ४
" (णापातड दवणा 95 सदिका2तठ इशौ०ऽट पाप पऽ 51121 पदपाठ 51343. [०7त 52042 15 € 105 एज 1रवप2 #2० दात 2142४218 1770 ददवावपतञ, 715 एणा], ए313"5 हयण०३5 29 लढा व 06076 वपत का८ णण 25 (10९.द7६2165६ 11\€ {7०5६ ज ए णाण3 87उपाठ च ण ऽ ा2 पपफा212१5 एणा ४2 4 इाणणह 170 पाह ऽधषरदफ. व ताप "14025" 15 2150 70३१३१४८ 2 170€ 12035 0{-पा€ [लाप 9 ध€ य2४२०2, 5112 <82प2 0९5८1064 740८ च पट ऽणातदागउपद3 ३०५ 106 21412038 111€ ० 2111116 10४31 एप८८७ 179, 1.2} 8ए72 ०३, 87121212 ०व 5वएपर॥12 20 ४52 27 1.2 ४व. (16 एलञा ए ग 6 116 गथा {€ णः 7०05 पहल पषापद 19 03024 07 4+०00 ४२ 5 567१ {9 #तत {द 725. {1116 ए वगपालव ॥)€ २३7२४८०३ 811 पए 253 12035४1, #0दहा 01 03८0092 7235 "{ 9€ कणत 00389 * , 7९275 2150 2९९60101एदट {0 & 72312, 5062 2 7€7500 41517658 ‰ पराः ० &0त ¶लालणि€ 20 कएषलौ ण ९0702550. 05025590 {07 छतो पो0&5 37१ ६8६ 100 दणट 0 एयोापवह273 50 पपाफकलो( ३5 10 एहम ०० ए219 276 655€ा1{131 (0101060३ लवा ९ 85 वप17{दद¶गय5 {0 20070460 4 8720 पादा ऽधटा ०८ पप ३74 अण 21 15 ला -37243 ०६5८१9९5 #1 05 पदा € 27०२८०८५ 15 उणा 522 षट पावि, "द 20) {णा ज उजणम 0 26001 ° फाड ४५३115{1९व {91781 ए 8780739 1९व]15210४. 1४ णप, 16 71६ 06 76९1९ {0 ६1०४5००९ ० 64715211 80110." ग€ पदा "एगो" 115 ला 15 एता८०॥१४८ ०४15 पणम गालनव 12925. (116 पत "18025४1/" पऽशत 25 3 -"15687372१* (गल एषा6) णिः वातमा इणड८३1§ १116 एकापठ+#३ 27 5०४७ 600०0 न 1१६ एप9ा1*5 १9 ३०१ लवी ४6 टप 11131 116 ‰२११०३४३२०2 15 171 १९71060 1० € ह3712 एवा ५192. (गण ए€ 402 ८252" 517६5 १16- 7€21 52251४३ 87211702. = 3773 1852 18 ©707पा2 145852#3--31 € 207९४50१ 8९ र 02820 पा 167 12५ 5९66८71 10 [दा शिदाा 70 वललल८८ 10 अभव शीगर एठ5व पप 1०19६ 1०4८०210. ध
22889 .15-21 (61०25 2 १0 3}
€ 0745 णा पषटञा०ा "कर10, पर 0 €16.,* वा€ 1९70621 160 पाऽ भली 15 (16 परपवाएला (कक 25 6५41374 ऽव 70 तातवणद 16 16 4४213725 9 छडषिण. ए५।१19& 1९0 4४९७- {1015 15 बितणाा 16 {0 € वधटञाना वएठण ९9018 ६2127. कोप 276 2159 {746319८ पाल दलोव7४2 उलाऽ6 कण) छोपल " परर पपरटञगाा"§ पा०त 25 01164. 6 [0णणह 106 पपलञा०णड वाट „7805 37 लोगा€ 10 पठण गण, 16 वपटजाकयातह 20011 2015 10 (क ००९ <जदपलातणिम शर एलाञ0प उप 196 पयीताह रणा परण पण 7055685 211 1226 25 92 २2० १४९७९75 19 {9€ ०7दय१६ ग १॥€ 62 -पव) 92 20एतणी शद फा वगिशठण 9 एवा0ण5 णणलामा5 प पट काउ ७०0 2150761216 10 2 ऽ[7शात 111४. € पणतञ षकः कि" 26 (णपणलव इपर ए0८ एण 5202 830 व 25 72165 ०1 ७9 एपप. (एल हा5075 ए 7० 76370 ~ 118€ एवा३४2714 [115१ {प लाप उ5ञटणाणा$ 070णयललत ३८ 10 ४८ ९८037४2" 9८ रिद29202 70087 15 3 ००९ 25 पपी 25
ध # 1
{£ पल०, वणय पतला. 16 ऋणप सहा2.000*" 10 {४6 141
पपटड०य 15 १0160716 25 टला 10 116 21691 पव ०४
एह एदा50१ पाए णप लवण} टाप 5 11110१८९ ९5००5,
72486 26 ; 8101५ 6"
ग€ 5८९ णातड त 116 फा [4 (+|
त1164 पाल हषण क 199 यणत {1205700{९0
पण एलछणातव सणात
धी, 07 2 {कत प0716101:5 29 17 १५ 10 वदठ21० 1८.
€ग56101050८55 {07 > न {311 1१10 {74८९5
©८८2१ ए;51115 १९111१४, 1796 5 ॥>
१3०६ 1; 1 ० 160९2 ११९१ ५. €४९१ परतत दोजवणटष
{21 लए 876९019. € "13५०8 1273187१" 91 {4215 38
एछणलणिय। -300 18 1९319 87556 ए 527021-51212 (७०१५३)
4६०७ 28 ० 35. पकार ०0०६ ०९५८71१९६ ६०१३ 25 (८006 पणय
६1 ९ (५. +€ 611 165 1131 1911081५ वः
६६९ ५15०91९ 0 वप प110 25 ४16 पाशणा९ ०८ 50792 51.
कप 88, 6८8१ पद 17 ए 872*8 ` 5074\/27153, [21181215
८५ 5 ००१४21४9 1056 णाप स33 2150 5 पक 2. एर21112."5
2०6९54० [1८509 ४३४५ 25 ४९ 276०१ 98 [३7३1३ 50110319 २150.
गप2.८२०११ {०464165 (66 25 पण एवष 10 {16 18716
22712. 19 {75 इणपाणाडा 2१713१5 22776 18 {९768160 09 ०८०१४
149 50 1170685. शठ (णयाप गोत पठन 116 १०८७.
श एप ४ 2713 €7०0 99 ५१८ 81०8.
२६० 29
नत पणा) 91९1658 त 16 लाभा5०) ण दरवाा2 फ
पए 31 116 पठः णा 7021419 81115 00010०8 # 1९९05 ९३
पप १०१००. एपणला2 13 791 ००0 ४८ ३ हला€ा००३ &19९८. पट
35 21512 {76256 ३५ १5 ००027९4 १० 2 80५६४ हपञा तरप र
१००९४ 9027085. 021 116 11501 प८व05 {5 परी 25 2 (तव ञपाप
00९6 ९३816 10704178 €ौ\€प०८5 एाणणहोप 0४ 80४ 1767801 पाष
कप ततनः ०0२५ णि 116 0णपला ण प€ गात, 6, पहा,
पप पलय 1106 एता €$ 16 895 28 (116 791९४ 1, 3 {€ ७
16८--152ाय17 1913 ८०७6 --व7 प कल) 1028 ४९९00) १५९ 10 116
172 ९6 ० {16 ८1#€१४९. तरि€ 735 10 (चहतल सप गा कलाः ॥९ 9245
{० १८ नौ €९प०९. प०कटणल छ 1#€ जाल पपादटाणि 06, ` रञगव
17६15 16 70716 1£ 1016045 १० &1४€ 85 ०८610021०& 10 {© पाणः
०1०६2१५ 0 €0फ {१६ 19 {10 39१ हा ९8 १ कीटा सत 1.1
०४५१ 37 ९0०६९ 8वत11066 0 ४०10 एप,
४०६०३ 36-38: 81. 19 9०त 20.
1५५०० ४9 पट इणो] 8८15» ए50 2866131 ति ॥ । 61210), ला195 (25 3 एछप ०९०६ 6005 वलकरा. 1
छा ८०5 5110 1० 106 ९०४2} {उपाए 270 ६0 271710९ ९011976.
एणण तमा परलःव०ड 276 पाटय € 76८6 जज लो100डाणहन ए वतपद
नि ~ ना
इण भपवाव)2 &ीपञलयः (1) [ए लञपव (लोवलडा उका) (9) (पार 5९७१1311 7९21९७६ ०55९8501 ० &८३१ & ०३5) (3) 1#€ 718०ऽप॥€
का एाधपवाो -इपरण)लता5) () 176 पए ऽ जरणिण 26 19 पमि छवध 1127 (1९311४ ४००५) 10 पवा (16 हणप कवा २2.१२ 77 9779 - 98१18१8 १८९७६ 2 ऽप3ध४ ९15{परत०१ एद च€ 2९४28 -20प 51625, (४ प३। फव5 एप {0 035272दठ दता लपटत पणी 118 एषटा ४८ ण]2{ 25 ६00 0 016 5पणा)1९९८।इ, 14171001", {€ [त ० ॥€ लाना फ 51€0 2371315 60707 21100. 106 ऽप शलश०ा 15 1091 -न2 परा" हवा0--*9ल€वा पा 2159 10०6 शण पय ऽ0१९ा6ोह) एप 19 ए 5, परप 511655६5 (35 0 ४६ छला{72 ग (€ 6 ४०पीरठ 12744 "सवजा 120४४१६ शवाः" ~ 1 ५
22865 38-39 (51. 21--22)
42122 5293 एवात) 8 1६ = एटा3णणणऽ {071 ४८६ + [6 गामणप, परि 935 1 परापत (106 पिषटा "1१६३ 20 02066715 866 पाणछणदी) ॥ला 580165१, € * ९.2" एलाशललाो ("21041588 294 ^" 216४1” 51६ 851§ 2150 गपरा 71641085 11021) । {€+ ५९.११२ १२5 (€ ०१८८ ० 9 १४९७१०८ (पल०६३१०.}--25 816 2 {६ 10 पए 1092४49 ऽणाफण) एदा ७१2०१ ? ५६102 2150 15 21०६212 पणव 27 1६ पितपौप८ 1०41८41८5 106 (मापपाहातलपरला 01 20 €ए15046. 176 1120६214 07 {€ 06४25 200 ए § पाणो 15 {11९ 1९1 [0005€ 9 {16 € ५३1३7 7६अ11४ एटा ०5 71९, 21४९४ 8 ९2116 "06४1; 5€ 25 70585९88€व ४४ {06 06४३5 110 ९ व7१९प 1० षवा एण फल एण ०5६ ¶४ णप) #ल,
०६९ 40 (81०1: 23} ड
0232721113 28 0000 ४ 16९ "९३8३7 (70065) ० 01371703, 15 50६६6515 वणा 009792१5 282 35 (07017 वणात 178 7 ध0६, अणा नरस ५6 हण ५, परह 52$8 सन ठा) पत छम ढा पा ४३०५१२१. 9 ४ र
०६९ 49 उण 2४ ॥ ¶116 07 "ए7व11 12, 220011९5 10 (1) रववा2१६ 074
11712" 28 पपर 7124619 ¶€ ०९५१5, (2) 0453172 11215 एव~ {कवा2 10 गव वाप (3) 715 ० एवीहा3 10 ला. {(31- ४6४15 एक ढाप 27 116 विदा 5 ४603] फलान व0वलमट 16 2056०6८ ० {210€7/8 ए ४27, र ५
१2४९ (41-42) 351०2 25 ‰
16 णणात न216श7ा212" | 61008 {१2६ 1.2 52ाव फ पा जपो हवत 56५४३ 1.36 8ात अपाह 0४ 563,
228 43-44 (51०19 2627) < ति
¶96 करणात व गदादः "पण" जतणाठ शा 25421218, 2156, 516 भऽ दा 121212 {214 576 28 परवाद अपणादव कराला ब5 2102 2३ प{8712 ˆ 8 पराणा 20051125.
शा
५४€ 44-48 (81०19 28) ४ ध
€ आणव "६५१०१४१, {०1००8 अता [21:25 5व16६- णदा( 81 एल एवा ४०३१०, "5१5 ५० निकष ऊणप [6 उणणा 3१2०१ 932 [प2" 6702319 003४2". ग पणणकरवााणः जा 2२02101 गिालनयपह धट परजवा ऋणात € वध१ लनालल 19 र ४ १७ १0६ पापा [छपा पल (ठता 1०13 एष एणडण वणि. 5719 8५ [0110190 एदा 17 {705८ फलार 0४6 9217035 पणात 35 2010119 25 ९०110 25 {जात 111& 116 11000 17 ¶1€ 51८४, 146 लाटा इ {970८ रथास वि, एण 04547807 शव 50006 09 ~ 015 (णणडलाका8 ला 16. णा 2 इणा 0ावपतट शनी न8 पा" 271 14)" 2716 171६74९4 0 दा,
९०६५ 4851०198 (30 - 31)
४ ` 7423 18 फलाएणकणडाफ [ललय 1 [तफ 1176 गवलऽ ण 01012५५३} 270 0 ९157018 8100पा (€ लतौतात€रण 3 816 107 9 ०४९{{४६ ८०1८३६९. 10 (€ ए दपवपा ठए {€ इदवतापपव 4016 5116
र 2710 015 एणा [वाजता 2ा2 {56818 ^ ५३187} 76 70, 10 220५ 9दए00)1४. [प 1८ शठपणणर ए1प५३४३7, पा 5४२३ २११ 2812 वता, (5९87व 4 एववा} कत पराणश 7].
०६०७ 50--62 §1०1६४9 (32-33) र
202८218 एठणात परता ९६त पी (त पातकव§ ण 211 8 हपर ५5, िपला, एतदा, एवडडोदौदर ९६८ , छव अललतपरद ज 1115 {८7८ 076851016 १९७१८ 07 28712435 2--8ला र८९ १० निभा फभिलो क३§ परणा जपम ०० इकट6ा 1120 ऽ0रलाहटाष ठणड 8 पाणडवम,
९०६९ 52 ध +
21127418 कट7+ १० 5६८ र27)8 {7 1#£ {01९} [न 8770९25} 0; {72 2203. 1116 णात ` १२ वा3 ९204 ८३५28}दअ}19 9 €$ 78 पति 1९६ ९76 6 06 4७२62 छा 1314 -72त2 ग 461187४ 2-09303, (16 €70765इफण "न ता३ २०२१" {061८2465 6
16४६7९0 ९878 पाणाल 17030 115 {शोष साप 4 तौ9ा४ २,
026९5 52--53 (51०19 35}
3.4
1८ त८इताएपण ग 302 126 25 "13; मि 41004207) रिवर 52192 वादव ता)" (00५८९०8 1६ ०१5 ० 15 दरा (य'उ (300४5 + छवा एतदतो" 5०1८3 17 कणि 76 पट ६1४१९८५] {7021 &7621 50४15 19 676 लादकउहटत 17 {3035 2150 णप
1 ७९ ८ ग) एवावदवावा13. 81212135 रिपराव 172 ६६7 ८2625 63070४८ वर कद ॥€ € %
७६१ 25 ४15४वपणाव ०१, ~ (1
गह छठ "दवय गाङ 30 श; ५६
६2१1788६ प एय दण १23 ।क०
प र
{1} -०*‰०४ 219र€ 96 {11 {० ४€ 2 णह, ०0 1, यण कर गला" (2) "115 200 गमट (13 एणय णात ८८२ पणाणड (टट ,उणव ०१ 2 ६2352 {प {116 {फप८51*१. आ
२2६6 53 (81०४2 36} +~ ॥ ३
एषटा जणःप हा 15 लौाजतापटर ,5धद९८३। ४९. 22 35 नण21130212" १16 पा ६57 पप 19 2102 लठपरात द15005६ ० एिदणवपर, [€ पवा2 ४३५ 25 एणय 2 पत 09 ०९८८द७ण 072 जवाः 11 2१२०8 27056, 21] 15 शतठणदह रणणात कषणट ६००८ प १8११. ~
2286 (53-54) §101:8 ॐ # क
3 561१६ 0114218 25 2 . 02106016 56९४६. {1 00पा 22731218 0211076 25 171011८ ६.००९५१८०८९, 1015 26219 ६472 113 १0 77९58 (€{0€218त1 2१341218 10 लाए) 0 4 $०4४2. {1118 525 १९76 ०१ 0४ 0फिला दध 35 105813*5 80९८7617 १८ १102 रिदा ९112 (106 074611ल€ ग क०ाञी10 णद 106 एप. 1८४5 07 768६ 2०१ ज १6० एञप१दतण ग ताकाणाा फ2ऽ 5147164 0४ 21127213 27 {€ ए ०6८ ॥३5 ८0०6 0 513 ए 0206011४. गा€ दण 1 सपद 0675008 ९66४ ००1 06 १३६९0 2 पवष 210. फता51060 ८४ पला 80216128, एण € 5870315 पठणात ४९. कणणाञा एणड ६१९ 5३११३15 पणात काण दण परागट शदणदालपत {731 (£ पर०ऽा णण ग 10८ 1९६.
२०६९ 54-55 (81०12 38)
¶0€ 1076 9 7९३25 7610701६ 10 € ८८००६ 530५5181760 81047212. पर € हणीलत (नप 2 रा113द€ दवा373. {1176 26 सतता" 07 016 "६1302" प85 2 पराऽपतपलय 1166 116 (450६तण ०३06 [ण "20877" {0 सलौ 51१३ 25 {1580००९ 27 कहा€ 6 25 87960419 ॥हाः 56708731760 तिप [लः 070.
९986 55-56 (51012 .39 -40) ह
एिरटा फण 15 एलदवपञय भो) ऽणदलऽा०5..' “८
22846 57 (51०४2 41}
¶11€ णाऽ ण ६ पाप "729159४2 लीप पा91047471४/9001* ०१9९०1४६ {1 €णत ङ 1० १0€ 037 त3 1८3 91302 एव प2परा 27८ 2०६ €0 ए४ प£ अश$2 25 10९ दाप जतऽ ° 7०1८2०१2. "द ४च [06273 5णदटतऽ{इ ह37३.5 6965 'एषवापाणडट फा 0 07 86८7 {19€ ० ऽदधा 20 ८ #ञ3 तञ 12025915 10 €27)€ 10 एलाल०ह 10) 2१ चणापफागप६ ण 96०5 १००६ 05 0६ अव, "दवय "21311259 पर" 155 1० {४6 [पाणडर फाल ९2150252 ४00४, ग0€ पचछ 0९४ब एणवप एकता 2081 लठणडान
५६८ 60461 (51०12 45}
ग€ णात 540४2६११ ८७८त {0 ३६१८ पटपजल४ पम 116 कणा 5 131८८ € {1101211१ एक ८०णणदर 25 ३1146161 पह 2द६१65- 5975, 7115 ५०७८१ 91०० ० २5018 25 4 1४81292 5142९515 ४८ षज धौला १2025 3710 {०१६०३९०० 130 १16 ए०ण६7 {० ०१55४०४ (€ ६215102528 ५७६ [८6 गल७ एषह एण फर पोल लल म पीट 96518.
०6 61 (8०99 4647)
, ०१३ 1295 6€ाग9515 छप 53021612 27 81167 8705 475 २० 2015 {0८६३ एगफा ० 10 2 3712"5 ^8172. 712. परिद 25 00. 1€ वरटाला151४6 ३१० ततपत पत एणा एमन पप पलप, पर {010४६९त §{६23१5 ए€वप€ऽ१ 7०६ ४० [ध ००ण 4 2६7८55०5.
९०६० 64-65 (७1०1६ 52)
ग6 पठा ^ [3118721१ 7039४ 501एद९ 112१ २३५०६ ८0 0धा 8168} [टाः एप वण णो पाती फव5 015 वाण 2६ 11025516 "वहा ८५ 500 ३0 116 &2१५९6प5 ०० € ०९३८१११ 25 78 €व771651 ए€वप€ऽ॥ 21 पट हव ० वा ३१८३०१३.
9६०७ 65-67 (519६9 63)
1218 प 88 1762160 व$ 1047160४ &० ]बरट1€त 25 अपरो, 51१8. €70126९व १1९ 91660 11 10 115 .1851 १1०८९11७, 716 एठा 1१००२ त 16ा$9ाा २१०१ 16 59521212 9150) ग 5113 लमा भात (१67 एकापम 1 106 1251 गणठताठणऽ अत १८ (णाणटा8210708 = 20वा¶ [10 प लाणोठ इडा गात {४181 ९0110105 8084817) ४१ २३०६४३१३ 12005 [पा] १०२१६ 3
{० 10145087, ॥175 8001 801, 20 ए720 74०१९०1३ 847)513172 11165 २३०१३ १३५ 0 #7709. 4069072 पड लत 3] दपर कय ४८ 24172 तावप३, ॥ धि
94९ 67.68 (81०10 54-55)
वक प25 0४८१ 1, 106 8 ० (९७१५ 6छतणक, 0141727४ 076 ०५1५ 7०६ १९१ ०८ 50८) 3 08का€ शद पजा १०५११९१.
106 पतयत (687१३.५२८७३११ य गलहतप 1० ऽधलणह ८२१२०- एब ऽपदइ6७६5 ९1€ ६८50८[0पऽ1685 ग {€ लणलछघातछ 60014 2027712 20 १43 715 10 एो5 णात एल उवा 716 उव € लाशपहटणा 07 वप 00306 [ष 1903 ( ए21245 दद} 28 1716 0296 त परणापा उपदरव जिः 811 7० 120 पच ४०- 7316] ॐ#1९14९त 10 च ९2९८६ ० 06८6 ३0 0९{61५6 10 २4972, २3 8512164 11) एटदवषट 09 &&25192 10 ९373, 7 11८ एरत2३- 62703, ०५ {०4 पतप वनविपापल# € 51०9 इचछा ऽणहप१३,३ ~
हि) ५ १
२591513766 8०व पछ ए311,5. पर 2150 १०प २473 10 &० 1० 5482. "5 वण ड 0४. पाद गठ 3 1थयह चटातठणाः एणपत एवाफठ 1४1८९. 51 वन एषह (जद(षह 07 20000 33 टा दवपादाणड §प६९॥ {7५15 (व (ल<एपद पलि 1 तभव 51०73 ४ एटा {21025 ' 30 € ए फटा @णा0"5 45922 उदपलापडाङ 10 5€€ एवा12 ४८०7 576 ए! € ०व ४ जातो 25 पलक षठ परलाः 7101873 ९० पद ११ ६२९६४ [11८6 5 दादएकउपह2 वल षहणएट ० ८३४ 11062 १1167 10585 जा) 5203115 फ०ए572 5८९ ' ज) ३१८ एला6 वः21106410प 10 1२203 29 कहलालप [परप ण ३70 गव पप णण एल ८००8१८५८ ५ = दणथारएणड हणणट रला पदाटबषटाः, 0८ 1ला एल लवणडपपातषट इ०ताछनन 200६४ 5112 25
- 1012115 - ऽप पटत पषपणाणषट #15 एऽ१ 10 52एग 5 भादा ` ७६९१६ (£ 10 कद 5202715 28८१ 10 हषणाञा२ पषषप २३0१2 प 01 {फ वणत 2१९ परा गषत 5112 अणलाल,
९०६८९ 72 {5108 57}
* ` वर वलञलएपणण ण रवणव 25 8477504 पाल 9 [065 ऋणा € 165796९1(011४| 207०4८0९ 5 वडा 05 १27३१2१5 वाणा 20 र 072१8 {11006015 = पपपा0० ह| 2२४ {7070 5113 2110६61€ा शण€0 19 52026115 4597273. 07 106 एप ०5९७5 ०7 ७०१§ ^ ४२१२7, 53त0ए एब प३ ए गलला ० 5207105 20५ ऽपएएहइऽणय ग 52४१5 दणलप९ऽ, 19€ गिणत 8 पलाट पएणपवणा, एदतपव० ण 5गफवा 25 कणी पलत 10 एवरदाला८०८८,
९२४ 73 81०91६2 58 ॥ एढणा3 19 एवाह ०४ 06 एणः फएाणषा€ ० 06०३8
1) २४ 6112१६5 ०१३०१९६ ४४ पहा १०९५ दरद णट ए 11९ छ36ीवपरठ ० $€ 01 कन €75005 111६६ (1) 4 € 2516, 10 130वदत श€ 01375, (2) {2720 त}12, € 10592 धदऽणि पातत 221६1282 9पप (3) पतरतरपछप. 776 एद ८1४2१ 10 प८६ञयत ९८ ,
वपधपाठपा ४३९१०३०२ एला205 (0०65 *"ए30204 ण षटा 17९ 1२३73 2८५ 1.415.513 09 प 3००२09*5 50पापलाऽ 19 ऽप ४३१ (ल पहपपतपम “पडो यप३ १८६६१ १८०.
2०६65 74--78; §1०४9 69 ^
¶र€ फोरणपछप ण फट जहा 6005079 7३६ ए६फदटय 2वा114 2०0 ऽत 6००९९४३ ४ ३ पफाालछाणप (४९०) € 47000591 णा 50 ५३115 35512166 0६८8४56 त १06 8016738 {० ०{(39एलरण 05 रा ए १030८ 2 2 फणदणष पतप 96 प25 [हाप ए7215€व ३०१ उतणणालत ४४ 9व०2 प10 25 णत एमा एड छदी इ 5 उतपा पलप प छत ४६ १३१. (06 ०३६ २5 0ठार०१६५ छ 6 दव कप हाव! पलष २६ ३]8९०प {१९4 10 प परपा (२०त२ पराण 25 गिण ऽद 0१ प16 ह72४९५६ १८६२5०१ १०६ ००1 221०951 ए 87५2 ए 056 07४ १- १९-१६-८५ एम; फ38 छजणठद ९० ६, ७४६ 2159 उट ९१०५१ 19१८२, {य फला, 7० 06० परच ऽजला ङ जित पण एण0०5द 4० दएपठणटत छिपा साधा लतावत ऽपटणहा, वऽ पणञठवयणल णन,
श ४ प
पणा ज पऽ [6 पाड वद लादादवरदवाण ल०पद3502 २8 21016 [पाितडपणछ नि शषठाष पष णावा पपााभक
\ हणणणहपठणड- ¢ ड ॥
` 28० 86 &1०1५ 61 ग96 ऽपाणडयङ ० १९ पणत ३।८२०प२ 07675 ३ 05 ७1०४३
कप पोत रणत शोर जपा छठापप त १३४८३ ८376 10 71266 2६ {€ गदापग ए15 5पपठा०४२११२. 06 पण पणापञऽ ण 13129, {एठपादल एणफदयः) जला€ 111€ वाड ९0017४८ 09 57172 पा पाट दावल एणाः, पतर षटण] वस 3118 10 1.व142 का 115 07096753 €3&1€ € ३०१ 25 17९ पद 3९ला 9 ¶02॥ (परण) १२६४३77 116 &०४€ 15 ८९४९०19 ४820652 10 29४1739 25 2 141 एददवा 86१93792. ५
8६65 85-86 31०#>3 62 9
20230 53 5112 {9 2 6८६7 22 {19202 51212. एता5 दणपरपी दा ०5112 12 (णाप १२१6 10 १06 धाद ज का
* 0476878 छप परक ०९€०९8} 9123728, 91 ९2703 95 €} ० ३९ 011... 30८ 928 {7 पर १519162 ९३१1८ एपरा 506 पऽ 00०9818 7ए9 राता€56त प 5०8 पद, पप ध9)0492 फव5 2660ग07031116व १11 50148 पपा ६९ गताव एवा 0४3 छात) 152 वला 1010६ ९८९८15९.
. 2६९8 89-41 51०13 73
एिथलाापषट ० 5112.5 वकणपड उणा पशापकादापि ` कलागद 74४३785 89 छा २२७४३7२ पो ताऽल( 1१ वाडणडड वात परपडिणडरन एदा{€५ €०पण८८ (5873525३) 100६ ४0 व शटाङ णाह ता€. 00018202 (16495 116 771६६ तह ३०१ ६150 12 9 इदलाल
१, [लपलपइ षण छप ए 9112 270 ए3ा1३, ९
02९5 96-97 §10128 77 +
रल १९5८94०१ गा एता 7676 25 "320१3 पि 0.25 71692173" 15 उदया 7221. 0110४} द. ०१8 कतौ€रटा€०१७ काट पवया पणा, 096 तदम 135 ऽद} ५25 211 वता ४९व दकया एरववव च९5८ 10६25 1140० मा पाऽ कवा पलय ४८ पतलागा6प 128 7 णानणि 6४९ कशो 16 कद 15 1665 = "5 वाव" पव 5 (408 तौ ३
26<€ 9५8 51018 79
16 405071909 9८ ऽ पापवव 2242 ३5 धट णपर ज [न ० ५ दण पट फ€ा१ 19 हिपरापठ उणा०४०५९ श 2 7४०0०67 छ [15 पारट5 10 ६005६ चछा ] ॥ भ पणफा9ऽऽ10पर उच ०6२86
॥। 1.11
ए०४९ 99 {७1०४ 80) 4 1& 12712 २392302 2 28 {171157६ 10 ६07८6 ववर8,
८ तणधाति #3¶€ एदल तणडत हरय 60 पठ {षड वदङ ए 0 {87125 [6०1८ हलाला०अ 19 एलापतर पता ० &०0 160 1६ 26 १८71१८व ° ॥18 37715 29 715 112 जद 21 1२272१5 111९1८४, 106 1017 इा17655 ० 16 0157052101 106 6०४६ 15 50 ९६६१९६० ४ 27242 0 परजो पौल एवासमा 07 106 कथा फी 3४212 10115 51018 (80) एड पालापरणणापरह पाह पताक ग एवा.
०४९ 100; 51०12 81 ०५. †
ला 5114 35 16510 "न.2}}3* 100 ए055€55०प ण २370३. € "३१12१' 25 0५९६ {0 ६317 9 परणा०ध75ऽ ४ [दवग माद 87त ए7दलालदाछप एषणा एणया १16 81111६४१ €दए7551०4 त 8५816109 ४ 3 71९27651 65० ०५११ (704९८ {27 21त "4113" द हरवपरद 4. एषा पिट गठटञो फपणड इपलग एलरटणा धट 5" {टण बड ऽपपरितणो 10 8 पर 00615 111०0. इपरटा 0176 ०46९215 ९76 6007000 107 17056 प2%5 85 2 1100 ० §वा८की1 (वा४०८ 1681. पराणा 98 एविप अवइ 2 दा पणञ( ह 015 एपत (णवि ञव 2110 7101 १८९-९८१६३. 19 {2८ ^ णा ऽलो 5३४5 10 5279९, 5114 15 31 त 106 फरण 12192 270 5116 513 110 पल {9५ 25 {16 ¢.णादा$वपा [7 4 ण पव <0फातल§ पप, पठत ए०णात {17 8621116 #ला 19 30४ 29? पर 3प४2१ 512465 0021 8118 दठणीत एषा 2०4 0५९5110 {176. ६ लणणत पतरछय एणी दया,
१2६० 101- 51०1४ 82 ४
(106 € तदाद तिणप 4 हण "इ पाठौ आ25 ४७९ ४४ एतद 001 {0 ८011966 71725829 0 26767 १23 329 १०४1 797 10 60१०0९6 {116 कणाव. त€ ऋणात ००२१४३०१ पराणऽ 0८ वण वप 2 ८३०8521 8९०5€ {611 15 एदा प)1551016 170 ¶€ 12०६५२९6 $ ०५०६९. 116 ९८59० ण वल०१३॥ ० 31703512 पठ रथः {0 106 0५१11८0० 83 ताऽ ०6८65821 10 7८1००४6 {€ एनाणणणा एन 1196 110ए6168519 160 221८5025185 तण ॥0णटी. = इपठौ 2 7011४176 10४ठो) णणात € पटाए८तालव एङ 106 1णणलौ ण 4291. 6 जणात "टगाद5१३"१ त 00फाइ€ वरहि § 3150 ४० 116 7055९ 11 11.31.10
९२३ 00८तदपाह ०१६८1059 ६त लपर 5113 ८206 छा ०, ४६ 0५९२1 पर ¶01€ तडा इनटछण ०८८1272109 9 एणा ए 4 हणा ९४8 201063६1 ०0 १1 € §८९०९ ०९८2४56 76 28 80 व ०४७३ {० 06 7९४71१€॥ भा 5112 2०१ 2१ ११८ 526 द प© {० 3725 ०५८ ६150161098 ता ८०९)2171301€ लााप८5 ए १३९०९ ^ दण €श ०६०८८. ४३1) ४1१5 51०४219 ४ पतत०६२१५०००2 वहडलाएणषट 1278 35 51712 1101 काग1008 8318 लौी चय {060 एहपा१८त को 5113 15 शवला 11४6 1115 519६3 21 {€ €7त ना. 2312162742 पलडवदणिणषट एत2ा2 25 1910६ हाताजधशाङ 0 ४४८ 51135 पाञददटल ०००. 176 पछातड 0117915 101६2 ० विरद 2 278 500 जा शतरलदलताणद 1५४
२ ऋटा6 गारकलव एष एवोपा अन
114
ग 0९४०६ 376 831 10 एह £ हषा कपपा 3७. 4 हप 18 पाला पठण 6८६ प फाठाह व४5 (0217 ०1८ 06 1९९९1१९७ 11 1140 ‡१ 8 206 [१० (ट सव वल रएटाड (पलत चला 1०१12 06५२5 पिर २150 58९३165 1116 ४०८८ त 06४०5 एर हण १६ एणा रलतला ण पराद1 हतत फणाः ० पलप एलो का 06 हलयः 063 72103, 5192 ©८ + कधा6 & 2117660 {766 2.7५ 2611९6९१ शपा०- ९8. अ प३§ १०५८८७5 10 ३2 ३5 52508011 करा एषा2 {१८ ६7९०१९8६ 3710898 ए 41{1075 060 वड [7 0€558व रदद 59 पण} ६३८ € ?९७०००१०८९० "11658 ०८५६ 17 पाट (स! 28 तशीत गनष€ &4 ०८५७३ †प एण कवलत वाह नन अण ए30ा2 उप०१६ वतप भवया. , 54४३ 2155 ५३७ 5० पापठा ,*अ1प८त.
रद ऊद१८०९० 1921 2 302 95 ९101126 एफ 211 70.24 99125 एला दा [2१148 1पतपर१65 2189 02579119 ज }0 फ25 ५९५0 1)०९५ ए 37३ 10 21052198 28 0298 1६512 [0219218 0663056 ण 915 क लपर 018 दिपय,
! 28९5 102.103 (8101६ 83)
न 6 76पा<€ 1676 10 प€ षटफएरव) ० {6 लपर द ०0698106 {16 1०121293. पदा 19 1116 णा ण 116 4 2012973{0720211270 भ8 06 10" {116 0८१३5 068610६0 17 4692 ४९९१8 ५४३६ णा (16 88141६8103 20 ० 106 रि5018 10. 1९ ०लााणद ०८ {0९ 440 ४३1८2742. (70९ 4९5८00४ ० कररवणय ३5 [2009708 २१ {€ € 01 %116 811८३ 15 0५१ 0 एनातपोच {7 (16 कणा गपा) 273 35 {€ 1३8६ सणारतऽ 9 106 5212१8&41 91०2 ४९८०० 5843971,
^ २६&€ 103 51012 84
" 15 353 भटा {106 81०4 16 135 एशटो 57६ 6त ए ह76०१ लोका #25 25 5४हहलञााणट णट 106 10625, 116 (पण पपटवपवक "०० 3150" धह 15 क तषपणाणह ० (€ 4 एभय 12९. 90 #06 50परपट70 अ06 ० {16 524478 द फल पट णा ४८10157272/5 5278278 का 06 लठ पप वला 713१८ ३६.1.2० }९8. = € निल कशाला ४९९१६ 80 26लछाा- 2118180 {३६ पराह) 11 285 पा३१८ 10 016€ €8 कष [तिल लः 11£ 513 #1& ०1 2२३५२१३ 384 ०२€ [,२प1६2 रणदड
^
८५
€ फत १ 4155}135दा वव" 50हद८इ{§ {६५१ 1 913पधतव 25 [26 वपाय णामा 5 गाय फ0ञज इवाका ०णला 1११७1११. 825 {०५81 #€ ३५ ० 7२21८51252 एधा.
[अ 25 ५९४ वराणयपि द 116 ह९३। तप, जा लाजपत साकी 25 पवाद ण 1.311.822 225 7६. 5०1९४९१ 11009, वपो 0णौ+ ०० 7€प०८७॥ फठड पप ४0४ ई एो9 209,
1116 कात "वा" इणटह९ा5 णवि ट उनतलछः पड ॐ 8<४ट धद १६ एवञ ठ लाणलामणाट वथष (ग 03} कीनो एल वकण मरलिः पट 1-वणञ द००ार([२, (दतत ऋणप
॥
अभ
„ ५802१» 0076 2२३72, ऽपए ९515 02 1€ ९८६०८ दगा 2 {०9०४8 272 छणारन पप 7€ ०035० "८8" 0607६ "०८2" 705 {व पट पन 25 इषटा, € ९४ 816५6 ह 2! 1€ लव दता८58८5 पिव 425 ` कणपतवथा ०४९२ 115
762१ (211 ग ९२३१३. ध
7०६५8 104-105 51018 85 ॥ #
81655175 छला८ 1८८९९९ {तण {0९४२।१5 {76८ प पणणा४९१, , - द16 1751 ७25 .०1त 1211406४ क 0 छाकपद१ 30० {96 तटरल€या ९ 0251724102 {7 8 पर पराढद र})0.4५71८6९त {€ 13160 एवा ० + 3113 ब{पए 06 2050101८ षा, 2700६35९ 5112 उत 25६९ [ला 701 10 ७९ ४756१ ए एवा१३१७ 06६04 शतणा, 41 २207215 7८४६5 € {01६०५४९ 131८४ णि. 0253721103 25 ए107४-0८४०६ब 285 {16 86600 ए1९5510 0९८४३1३. (16 (11 ७5 70972 फ 110 पो1६प (9६ 000 25{८त {0 ४४ २2702 10 एह ७३८} 1० 11 211 (€ छवा 5०165 फा0 फलटा€ 7 पल लद) न तलमा वणप 16८51076 176 10७ [05 ग पाव पराट ४३०३788.
व6 ९८550 शठा प€ ४३०३748" आ2% 20 10 14157द १€ ४27273 इनका ऽ 50.72 [गाप 20 (2150 1० ६९६. प गी पो ४202725 77 हलालाग एग 107 {0८ [परदम 9 (7 ४४ 2०६४ ४1703718 {0 06 श &४८३॥5 ०६ {९ (गण &ः21102. ५
"5 (110पप१९१ ८४ {160 45१* 1.215पद2 25 {€ 0719 ५ पण 10 510 1116 एश 72 14270. प 15 710१ €6४८८८५ ए ६१८ 0९8 6पएाणाी ज "इषो", €|) ॥ा€ गीदाऽ काट 57008 2100 1८८#§ €†८., 37 [.3712 21511252 500}6618, = 12712 ६१८२1९व दषा छारा पला ४58 {11500. पत णर पलय € षयि 06861 7101 ज 7570093 28 9 उपा ज गा एणा25 "5 फवदा 831४2 10०0130 (ली2फादा ए 1281 5०४३). (16 छठणठणा 03116 21 पदाति 10 ८ एल रवयाव 12418 ए]0 फटा८ ८३16 25 112१8 {71९०५5. #
०६९5 105 १० 109 (61. 86) * #
176 ए057021६80ः 25 21६व ३१ 50272 प2}425 4572 शठा ऋपा) एोवणणित एषपा०8९5 09 22002 2170४॥ 1६ क2§ ¶€ एवर ५०१ तोः 25 10 एड 0१८ 8९ ए 8027312 णिः एदा" 5 एला), {व7णश क ६0 7€ ४२ ९०७८ 10 ०0६८ 17186] 85 29 00131100 ० 8९. 0 52115 5021212, 76 5८०६ =" पपणर) एशौ0 2५ 2 छाव 71414 म 7० (एपत 2८ ॥८०{6व 25 3प3"5 ०7 ऽद] 3८तणदागरहट 10 6०5 गोदा वतठारलत [शल
` ए (574 19 106 (ऊ, 1 ९3125 22१५४25 फा 17८3104 25 ९३78/5 टा, पशप सत 15 एतणणटछणग सवात 25
* ९9725 {०१ तणणप € {८अ१६व एर (राह उव गी 27213 8170051 35 23प12/5 ऽ पिदणपपासया क25 {116 865६ 1 ० २२३ययद' अणा पराताणड पडला दपणत पऽ टाल७. एवाव एवऽ 0१९८
५1 -* ~ ^ ~
ऋ 61016010 1०# ठ (नि परद १०5 08772410. 106 06048 2 पल एिचप2 ३१ 1.दपाय., (ह दवा 25 07 १6 एाततलातय र ४० 98 ३१ २5115. 0 सिह 367 ता दपयऽ कात१८ १० पक 0१ 4 #०८032. 12792 एणा 24 16251 कलला ०८८ रञ
" एरिणह 7८ हणादाधव तणवो एीडाच१७३]2/5 | उञापाठाा> पठ 7८41651 १० ¢$०प)5 2 ठ\द73त ए2}3 (111 लाता 1090 हागला) दा16ा- एत 27त -ए९९३९५ हवा३ एण दिदाव%5 दा {0/0 10८ 207८515.“ € 89 €०1९121०९१ 9372813 "5 ४०01098 ^ 3777 0» 18 पणता १06 एतकला. षो सफ 1९7 8114173 तणच १5 511१872, 01०१ सवऽ गण. ए022१4 28 072४118 0 106 877068८० णा पएवा१३-507४2=३६ € ४०१2 छी 3724९३12 पणा एडपरर १८ ना पवाक ग ४68 हन € 1061 10 1१२, ७13, 191६ 5070322 2796 १० (06 २०३2 20 २1६51858 41१४, 83782 13 पर १1& ४०० ११२५ 211 196 1665 0 176 70०३६ 1० पप 19 | 270 दएरण 450ता१४2 ऽपरा = एठवपलह {पफपदवाकनकग प णद णोऽ ९1६ (07 (८ एदल ० धात ४804785 616 , 2127124 5312 25 पठा "5 एप). पट ०28 पाह 0८51 लफडा जा समपि" भिः६१ 112171511203 51०18. 1116 5107४ त +€ 1.371६3 67०१5 (०णप 01 ४८ 10 ए ९२३८3 20273 फर312 1105६ा{ ६३१८ 8 ऽपरा अपान ह\47# 0{ १11९ 17299€01025 [व ११९ 12372163 २7त 1.4 77 131 2 05269 5101035 0» 15 ४०६1९ ५16०१ "18 35 ए 0ो८5ोल2 3४१९१ एड षप115 एणा. (06 क०ा5 ०९5दाणिपए हापा 2३ &4१४०ब72६1 3714 {0 0075 8०2 316 (८ 071800९ 01.108 1.801८ब ३१५८ 15 रदा वणका २२८. पऽक ३१७ व८5०तणव ० 2372 11 09572112१8 (णण 25 58198753. 125 0086 गछ परो ११५९. कव21209 ९6110९5 १2६ प९§€ा}एप०० १९९,
६४९8 109.110 51०1६०७ 84, 88
€ 07. (21039* 1एता ००१८७ एवफ2 ५25 50 ८5६ करकना कदी लाव 25 10 पला फ०705 1 0तातप८(1४. 4292 आ (6८ टशितत 10 25 900णा 23091818. "692" 16205 2 50 रयषवा). १२३2 6075 त९ा९त 21127419 ४5 {7६
+ 060 ग रञा729272. पट 357 1.3० 21 237८12१३ 25173 ८13721 10 57631; 2008 १176 18१03 ० 312८414 ५16 2७ 106 14218 01 19४611४3 त08. तट ऋकाप षऽ०१ 88792 15 ए८०९अ८य 116. 1१06680६ लाश 3 दकता हारण> छण ए0म. २.02 38 {06 [६5६ १०. १८०००१९ [2425 पट 3100६ 1३ तदाहाचज०भर ४५ 00ऽकाणठ थाव एताव 2 (2४८९7१5 लणतणदपत, € तलः एण ९ एजतरह 12016 16 [3१द6 ता पलत ठका 511, 1६ 10 1 दा१ ६61९९, ६४6४ पणणात 7€पतणठ 06 [3155 फा मशि ए98, ठ [5 ८०९ग१४पपनव {€ ८७ व० १६ 91 णत धौल ४2 ७ ०९७४ 36312251 धीपथ7 क, दरत करथो 001 [वषट एषटा पाट ददद 67507 16 ज 25, 1 7€ [8त आएजटप #15 णो 10 670४6 पला [2१25 कणा सला भिण. गड शलय परदाण दवता 13 ववाव 09 पधी हभत 0 तटडलतफिपषठ [च 35 41303 लार,
-7०4०5 110 १० 115 : उन 89 {० ५6, 10656 10 5161८25 {णप ए7डागडापद, वट 1031377 कापञ 0६
61400 ला १९५८८४६१ ००१ परणता {76 [दणदा), ऽ0पणा2ा1510द {0 7313 15 001 वणी1€ एाणला. पि37209 १25 10157252 10 पणत 10 [दपा वहडलतएिणड ४८ 04125 {०.१5 इषमा 111.
~, 03721012 18 व7720ग ४4 5470252. 27211 720 ।5 {16 1०163, 73713 छ25 1715611 8720792 1०3. -गफाड {णाल ि८ा१०प 1 वलालपपागतव एष 2 8020 ९०७५. पठ स दणट एनमपि, कणन ८ €णला5 [पाण नि {6 णञएाट एद72004 5१३7002 दाणाणद ध? . 1116 16701271 4550प1९त 12003 002" (16 भणत 21502 111द€ € जगत 5870 १218532 पउ पा€ठप 2 029. [अपपाण 121८5 106 भ01 | 5370921523 25 ता९ठ एह 2 १३४ 10 षटा 10६ 67100 9{ 5372 ४2 ४९०८३11४ १८३८०७९१ 95 53114579 5वपा९३॥- 8272. 1439) 27149272 ८०07160141075 १३४८ १९० ¶115 1९. 76131100 97 1116 भणत ४5113 10 एा27412०03 5 वा&2 18 कला १06 ३5 ०1 2 02 एणा फौत एणलणथणलड वालय 15 हारद 25 5000 ४वा 8१२४,
81012 96" ~ 118 33151673 1६600715 ४१ {9९ ९2 {€ कञनणाम
{707 9 2785 28 ए]1313 पा 11८९ 17६ 113 एाका5{0ह 21 (४८ €णत {€ 87716 3127, ` € 7680107 ० 116 527४5023 रणणात ४८2 ४0407 ४2६०३ 11४८ {€ 1८21० ० 10€ 611९.
81०४४ 97
1४९ णव ढा 1०01८०१९ {४२॥ 587४5९72 ९2४ 6 २९० एफ गा फवणपतपत,. &
81019 98 ~
~ 1115 5 पकलव 83782 0९४2० भा1४ 0९5611012& 1121723 , 28 {€ ९1651 प3516८ ग 3766611, पट एगण56 एलाह 10 {918 . 1251 51०1६3 35 {0131 1८20772 ० 1०१2425 53 0६516703 , 7] 72६६ ¶06 0018 ९ला 79356 ० 8८6१. 70८ तणड 15 1116 ४६- - हापा17कट. 22070195 ° {0०5९ ५३१8 शला 682द८त 211 [116 10 1687217 3 1८ तणड रषण ०३१) 0 010 ० फ. 2 पदधा€ा णा ४2 कठणात ए पडा वट दणञणड कलऽ “पीा] 2{1310 &८९८३११९४३१ वतट 2४७6 णणऽ हला{०३६०.
५
ऽएष
ओ"
1 ४1
रामायणसकचपसगरसासवादः [440 4८0
(न उपोदधातः ।
1 11 +
“तामदता तौ हय कमारौ निवऽय वणीमषिभापिता तदा ।
मघयफो त सममपतनिदा यथाधिनौ भागमनीतिहिताम 1”
शयरशमायण तरिणवनितम सरग रामाशमषयागञाखमणपसमिटित- , महापरिषदि, शवीमािनि गमायणगानपरारम, जासनोवतवोजिधयपय पवपर- परणीतकावयमय रातरौ पनः पनः भावनन सवगरनिःनधसय रसधनतया अहतता
भमतय ससमतय आसवायासवायाममता बचलवामयाम ! शच परभति मदहा-
परिषदि रामादीन मवानमतकामयरसानमविवित समछको तौ रतनि निनयतमताम | रसम रामायणः कासय गायथा परया सदा | शमान च फठानयतर सवादनि पिविधानि च | जातानि परवतगष चामबायाघाच
(1
गीयत ॥ इति कवितादासारदसय यरोरतसासनम { सयसव ˆ
इकत ग कवर वनयवादपरविपय, किनत वालमीकरवदमारविनदगरितरा- पतासवसयतरामायणरसफटयिषयमपि । भिरित वदाः पताः 1 ठर
राायगकवितादाखः । ततन जातानि रामायणरसफरानि । वधोपदद ततौ जगरतसतो समाषटितौः, शरविदिय तमो सट माव समयगरगायताम' इति तयो कविहदयभवव वरणित कविना गरणा नाटकाणडचतरथ । धदोपदहणारथीय तावगराहयत भः" इति वदारभविरादीकरणाय तौ गरणा रामायण पराहितौ 1
तन च रामायणभावाः कविहदयसयाः कविनव -ताभयामपदिटः इति ˆ सभावयित शकयम । सवय च शतौ मषाविनौ वदष परिनिषटितौ" इति ` महरधिणव पितौ । चदवदा इतदरथाचययनाननतर रामायणमधयपिषाताम 1
रामायणसरसवतया तयरदतलानमवः । 'जाशरयमिदमारयान मनिना सपरकीरतितम" इति रामायणपरथमगरोतमहपिपिपदोऽपि तसया अदततवानमवः ।
` शतमह बालक" इति टपणावतारसयव रामायणावतायाहतल 'तामदरा
बाणी" इति वरभितम । दधतमायकगीतिमाध गीतसय रामायणसय माध वा सवत एव समद निरतिशयमभर दति सदयो यदि जयित स उचछियत “जदो गीतसय माधरय शवीकाना त विरवत इति चषि परिपद; गीतादपि साहितयसय गरिदोपतो माघरयानमवकयतन । सरवपरवमि!
इति रामकथारमः पञजमरसरग । सवपरवमिय छतसा वसनधरा आसीत शयारमगाथोकत समदरवत रन दया रामायणफतिमपि सपशत । सरयपरकर. :
रदतमिवमादिकावयम । परवसगनतिमदरोफ रामायणङतिगान पतम । “तो स शधाब काठसयःपवचायविनिरभिताम । यप पाययनातिच गयन
समरकताम इदयतरकाणड रामसवपयतमिनकयऽपलालमः कथयत । शवासमयो रषः दता कौतहटपरोऽमवत' । परवाचायिनिरभिवा रामायण हतिः । शरनगार बशऽलिनपसरिमिः", इति सवशा, श यटमयः
थ द ई र 3
षभयो नमोवाक भसम" शयवररामचरितनाटकारम च निरविधःपरसरयः - पवरवः - एटचररामायणरोकनिरविः -रवाचारयवासमीकिरव } मसरिमिः,
ˆ पवगरमयः" शयमयनरापि पनाया बहवचनम । अशमधयागपरिषदि ` तधा
कावयविदो जनान? इति कनयकाः सादितयदाललकोबिदा भपि मिखति दति
चरणम ¡ न च वति ययर शरोतारः । धासय गय च मधर सरशरति-
` मनोहरम" इति रामायणपय गान विना कनखयपाथनमतरऽपि माधरयमनमव-
सिदधम ॥ † . भआदि कानयमिद राम खयि सव परतिषठितस! - शति अरणा उसर-
काणडानत एतकतानयसयाऽऽदिकानयमिति नामकरण छतम । पतय कावयपय , रामवरहमवियालयपपतिपवकमनपदमव निलपविषयत । यथा मारगवीवरणी विदया परम वयोति आनःवमय बरकषणि परतिषठिता, रव रामावणदरहमविया 'करनधन रामतरदमणि मतिषितहि धवनयत उदाहतवहमयाचा } सतिवद टि “
, शटोकाना,चरवितसहसतकम । उपाखयान चव .मारगवण तपसविना? इति . कशयवाभया कथित रामाय ¡ तपसवी वालमीकिमरगिवः ! पराचतसः सः - वारणोऽपि मवति । मामवो धारणो रामावणकबिः । तदवियामतरामायण- '
~ बिया मारगनीवासणीविया । "कत कावयसय महतः क चासौ यनिपङगवः, इति
एचछता रामणासय कायय महाकावय सयठ गदितम । शरत त परव- मतदधि मया स सरमसह 1 दिवयमह, च ससयवाकयमनातम इति षणा , निदवमरासीनसरघवतिना सरसयतीवलमन पतरभिरपि मदरशतरो वदान सततमभीयानन कमटसमवन रामायणसवासय दविनयलमहतरपलव च
सरवसपररनमतमियकतम । भगवन शरोतमनसो ऋषयो ाहमरौकिकाः, इति . रमण रामायणशरोतणा तरानाचमवरसमाकलसततम । लोकराबदः भनभवा- कः । वदरविचाया शरदमरोकःशबदसय शरकव लोकः दति सथपलयधिकरण-
` ` जययिन करमपारयमाशरिलारया निरणायि ।. अनमयमान नल नदमटोकः 1
| ४ ४
वहमलकमसा रहोकिषठाः चसक वमय भरतिषठ विनदनतो नामरकिकाः। शतमता परमिवयनतमिनरविनयसतरपा वधाः शबदरहदिदः कवः परिणतमरस वाणीमिमाम ॥* इदतररमचसतिनारकानतिमरलोक मवमातिः .
परोदाहत 'तामहभता वाणीमपिमापित इति रोक छरति, समारयति चासमान ¦ कदीखवौ कशलवौ यया तसया निदायामनवभता तथा रषमाभि- रसया निशि चः भोगः जनमाजय इति तसय मावः ॥
परापजयसय रामसय वासमीकिरमगवान ऋपिः] चकार चरित कत विचितरपदमासवान ॥' इति बाकाषठचतरथसरगारम , रमायणपरारभकार
छछः | भरापराजयसय रामसय राकषसाना वय कत । आरगछः परपयससरय
राघव परतिननदितम ॥' शयततकाणडारमरटोकः 1 सरवाभयो दिगभयः सय ददषयोऽगयागचछन महरथीणा सखावह रतछातटोकतरयकणषटकममिननधितम धासमीकिरनागतः । रामायणकावयपरणयनवयमतव ततर फारणममरिति
सभावन सापितमम । कोऽनवसिन साधत यक" इनि वातमीकिपरनः पटा पिपकाननतर ततसननिषटकाल कतः सयात । रामससीतामनपरापय राजय पन-
रवाकषवन" इति नारदकथितसकषप एकोननवतितमः दोकः । धततकथा ततर समािमाप । तत टपरि मविपयदरतानतः सचितः राजयदाम दातगणान
सथापिषयति रापः । चातरवण च लोकऽसिन सव सव ध गियोधयमि॥ -इतयादिदोकः ) कदमरवामया वदवदादघपाटनकार एव रामायगरमणयनमपि परतिगरिस किशचिकिचिदमदिति मवमतवमिगरायससापरतमिव । रामण राजय
मा, लोकय फविराजय ददमधमतया परविदय तदोकतमारम । रामसय रागय-
छममादपि सीततारामादपि रामायणकागयायभोऽभरहित शव
1 दयदानः ॥
तषसछाधयायनिसत तपसी षाणिदा चम । . नारद परिपपरचछ बासमीदिषनिपङगवप ॥ १ ॥
पथम तपससवाधयायदलोकरपाननमवाभ शनदन -सवमरनथसय
परारभ रसय यहमावगरमम । रामवरहमतदरणचसतरिमदिमादिनिकनापता तदधिया शरपरारमयत । -रामनरयानमावनन - ततसासकयपायजयादिफरपापक
, रामायणम । "रामभत जगतसव' इति -निरनतर रामकथारसानमवसय राममय-
परयवसान शप गीत परवमागातरसान उकाणडानत च. "कथयनत मा ,
निय तषयनति च रसनति चः हति मीतागीतरीतया रामरतिरसलषा सरवपा
, पराणिना 'वतरगणरवत नदयसोकादननतर इति वरणितसानतानिकखकष निदयवासोऽभदिदयकछम । बकषमीमापाशचाल राममीपरतदकत रतपरमालय-
शकरहमसतरमापयवयादयापणतमिः । शरामनानि पर पातति शतापनाय- .
समनवयः, इति ततर समनवयाधिकरणनिगमन-कतम । ` तपत रह विनिजञा- ` ससव । तपो नकत इति भवषटी बरदमनिजनासासराधनलन _तपोऽगदातति 1
पसततपोऽतपयत । सतपपतपतया । -आननदो बघनति वयजानात इति तपपतः
आननदतरभमानमवफरपयवसायिल- च .निगदरितम । ' कमत वदानवचनन `
` जरकषणा विबिदिषनति यजञन दानन तपराऽनाशकन' इति वारहदारपयकशलया
तपोवदानकचनयोः बरशचविविदिषावदनसाधनलव शरावितम । .सवपिकषा च
यजञादिशरतः? .इति भगवान बादरायणः तपोवदानवचनयतरहमवियाङगतव- मसतरयत । विविदिषा ~ निजासा 1 (कामान तपः । न (सरवया -अन-
शनम । “न चकानतमनशनतः (योगोऽसति) इति गीता । तप साखोचन ।
पशच सवाधयायपवचन च, सवाधयायपरवचन एवति नाको मदधिसयः ।
तदवितपसवदधि तपः, इति सवाधयायमवचनयोसतपरल शरावयत । -सवाघयाय- सयाममन ` पयमसटोक - खनद. निरदिटलाद तपदचदसय मबचनमादिल- -
6५
सचितमव । 'भरवचन च मननाविनामतम | परवचनानमननदाढरथदिदिः। ,.
सारोचनरपधाचरथोदपि तपसो मननपवचनवाचकतखभः | अतर एप- शानदनोपकरममाणः ऋषिरसय कानयसय, रामजिजञासालरामतरदमलासल धवनयति । नारद शर बारमीकिः शिषयः परिपपरचछःति कथननातय शाखसय राममीमाादाखतय चोतनितम । तदविदधि परणिपतिन परिथिननन सवया ।
उपदकषयनति त जञान जञानिनपततदरदिनः ॥' इति गीतादटोकमदरवितनयाय इह भावयः ! जतरकतः परिशचः तननियतसटचसतपरिणिपातसबोपरकषकः 1
कोऽनवसिन) इतयारभय कः कः, इति पनः "पनः! सवकीरतितवरभयण-
विगिपरपविरयजिजञासा सपषट पभकरीहता मनथाम एव । "फनषित पतति रपित मनः कन पराणः परथमः पति.यकतः । चञचः शरोतर 5 उ दषो यनकति
इति कमोपनिषदारम इवातरापि कावयारयः । शएतदिचछामयर शरोत पर
फौतहर हि मः इति सट कलयाणमणपरणघमानकोिकपरपविरोपनान ततरचछा उकता वाहमीकिना । अह वभनि मासान राम सतयपराकरमम । मसिषठोऽपि महातजाः य चम तपसि सथिताः |" इति विशामितरण सावितरी- मनतर ऋषिणा तपसि सथितिः राममाहालयवदन साघनमिति छटी- छम । “ तपसि सथिताः त राम विदनति महासन" शति दतवयातिगरम- वचनमपरया तपोनिषठा विना रामसय अयनाय नानयः पनथा विदयत इतयव
गमितम । रमः अययत - परापयत खयनति रामायणम । सयोधयाकाणटारभ "नागनिव जिनञाषरिद गचनमननवीत 1 शय चचन यनम राघव पतिमिचछथ । राजानः सयो य म किमिद वरत ततवतः । कथ त मयि पण परथिवी-
मनशासति । भवनतो दरषटमिचछनति भवराज मासरम | इति पितदय-
\ रथसयापि कथयिदरामगणनिननासया तलवयकतम | पषठ लामपदा अनाः .
रागगणानमवपणाः सय सटयोचः } "वदयो रव कताणाः गणाः पएवषय
सनति त ! गणान गणवतो दव दवकतयसय धीमतः । परियानाननदनान
ध । र
` ततन परकषयामोऽयतान शर इति त निकषायरथाय सभयक , सवानमतानाननदनान सदयणानयनतसपचकरमिर ॥ परिवानाननदनान
छतपनान इतीद अननदमयविषय ` शरावित नतसय परियमव रिः, शप दवाननद याति, शस दववाय रधवाननदी मवतिः इतयादिक"
भरमिजञापयति उपदहयति च । परयस शपिणा , शमगणाः विसतरतो वरणिताः ¡ दवितीयसरग जिकञसमानाय रामपितर तऽकथयनत रम- ` गणातमवसमपनरसतवदरचिभिः , परौरजानपदादिमिः 1 रामगणापरोदातमव-
दवितदगणमवचन त शशपव जजास दरया । रावणवयारथ मानष-
भवरसकलय तवता रामण सतयसकरपन सवसय परमाललतव विसदतपराय-
ममत । "आलान मानप मनय राम दयरथासजम! इति सतयवाचा तनोकत
भरादिदवभयः । यदा त सहसतामरणान विपसन भजान परगर, परादि
सथित राघव कता सरवसय टोकसय शरषठो कञानवता वरः ! उपकषस कथ सीता
पतनती हवयवाहन । तरयाणा तव हि कानामादिकतौ शवय परसः। सथिनौ
^
चापि त करणी चनदरसरयौ च चषघषी' इति रामसय पररहयलशराोचन ! ` दषाना वचनः सवमतसवमातषलवदरविचारतिः सवसय बरहतय सयाककिगिति
सशरययाऽणचछदिव । सशचयपरयोजया मीमासा । ताचतिरक सवसवरप जिननास-
मानः "मलान मानष मनय राम दशरथातचन | योऽह यसय यतशवाद
“ मगवान तदरवीत म ॥ इति बरहा परिपमचछ । पराञच रथव सथित इति जिननासो राघवसय परषटः परासि सपटयकतम ॥ इति वरवनतकाकमथ
नदमातरमविदा वर: ॥ इति परशपरतिवकमरोवरमणः तरदममिद यरिषठलमम ! अनवत शरण म राम सवय सतयपराकरमम! इति च गः शरवचनोपकतमः 1
मवान नारायणो दवः शरीमान. चकराययो विस? इति परथममव न तव
“ मलपयः, समादरिदवो विशवयोनिरनारायणः । न सय कदायिदपि. सीतावियतः । शरीमासलम । विषणोः शरीलपाधिनी । सवततवतः सीतायकत एवामवः !
8
खननितयपती सा.। किमरय तसय सनिपरीकषाः इति रपव परवीधयत । , तहफतरमवरहमलोपदत उपतिपतचछया सयसी दयत । "जगतसरव शरीर
त" इयतरानदयामिबाशनणानसारः सटः ५ अनतरयािवराकचण शारीरकतराहमण- मिति वयवहियत शरीधरधरकतवहदारणयकवारतिक ) वारददारणयक भाषय ;
` शीगङकरमगवतपदिः जनतरयामितराहमणमतिपादितः विशवानतरयामी शनारायणासयः, ,
इति' भाषितम । अतर बहमवचन शवानारायणो दवः इति उपतरमशरमतिना
समधयत बहीमिहपपनिभिः 1 , ` "नगससव शररीर तः इति जतर रामसय विशवरीरपयोकतिः तसय
नोरायणलयोपयादिका इति वरसण भदरयः । सौवासानतयामिताहण परहिपरयाय , शव त मासा भनरयमयमतो दिवयो दव एको नारायणः, इति, पचयत 1 भवान मारायणो दषः इतयतर चट.तिमसयमजनाप सम । सौवासानतयामि- नाफीकरसयन रागयणोपशचदणागणयत च शरीशचषरमगदतादिनीरयण- समारय मापितव । सारीरकमीमाा च, सवनामनव शारीरकतराहमणमति- पादितपिधदरीरच शालपतिपयवरणः परयापयति । हतथ च रापसयोप- ` निपदपरपल शवारीरफशासतपरतिपाय चातर निरणीय परोचयत परचछत
निजञासव रामाय । सवोपनिपदरया दोदन गीततामतदोगधा मगवान रामायण- मपि दोषिि सवगीतामतरपण । शदराणाममो सरः, पल यजञसय यपट- कारसवमोकषरः परनतमः?, शवभय निधन वात न विदः फो भवानिति,
व धयति भतानि दधा च सपताम, “न तदसति तवया धिना इतयायतोकत मानयम । दरगधो भीषम .दटवियोगकाल सवसदसनाभसतव
, इभ पतवममसरति । 'शाङतषनवा हषीकशः परयः परयोतमः' इतयादिक
मानयम } सतलयप एव शारीर भाल), दति.तिविरिमिः दिधदारीट-
पगमापमनः आननदपयतच पयत । जानातयव राम वालमीकिः 1 वसय १-
नदत गसखात भिशनात मिगमरमितमदाकागयतिदयासमणयनारमाय !
॥
रामायगसकषपसरमरसासवादः 9
तन कीरठिताः दरमाः बहगणाः दिवयसय परमपरषसयव भवय । परतरव रामघनावतीरण इति गरयखादभिनिगमिषति । सवोदिटकावयनायकसय भमपयसय परतरदमलमपि सयाचत सवकीयकावयसय मोकषञाललवमपि सिदधधदिति
भावः । मनत योगिनोऽननत सयाननद चिदासनिः इति रामनामनिरवचन रामसय सल जञानमननत रहम, “आननदौ तदम शयपनिपयतिपाथतरहमतव
निणीययति ! ^रामो रमयता वर” इति वचन “एप दवाननदयाति' इति
शतिसपदटयतीव । पि दषा; परिमलानाः सपपपारकोरफा" इति
रामविरवयसनकरवितल वरणित दमादीनामपि । तो व सः, रस वाय रठ-वानमदी भवति' । रामरसमव पपीयमाना मोदमाना मासन वकषाः ।
तदविरद तदरसाराममयादतपयनत । दद रामवरहपनटमाविषछतवता तषा
रमण सद सनातनसानतानिशोकपािनयययवति रामायणसय निपणोपददः
ममत जगदमत राम राभय परशासति' इति सरवपा पराणिना राममयतव-
समपिरता ¡ राममयलय च बरहममयतवम । अत एवायोधयकाना सरवा
निघरयसपरातिरसिदधथत । दसय रामायणमय रामवरहमविचादराचलम !
अषयालशाखमिद रामननरसवरपफम । (तपतत बरह मिजिजञासपव, ति बरहम-
जिजञासामि, (तमत वदानवचनन वाणा विविदिषनति यततन दानन तपसाऽनाशकन इति वरमविविदिपाशचति च कावयोपरम
. तपमतवधयायपदाभया परयभिजापयन ऋपिरसय रामायणसय , रामतरहमवियाल वयचयतीव ] अपय वरहनिजासाकागयसय सवाधयतणा बरपमयवसमपादनन निवयरोक तरसायजपाधिषलकलममति । तपदचनद" पटदामविषटनियम-
तरतायलान भरमिदध | (तय. इछरादिकरम च' इति, शप.वटदसहो दानतः हनि चामर. । तपसत. विल भरमिदधम । शतप. क वतत कः च तावक वप '
इति गौरीमतरननाया निधी । पएतसकथानायका चचरतिपना" चतवारोऽपि यौन दवर तपविनोऽमवन.। शवौवन विषयषिणा वारधक सनिरतीनाम" ,
10 गामायणसकषपससगरसासवाद
दखकतविमामो -नतषा तयःशीखना दिवयपरपाणःम । "गरतियकष- , मिकवाकणामिद हि कलवतस इटयकत वदधशवाकधतमारणयक रत वासय एव
चिरीमिरभहालमिरतम 1 "विदधि मा ऋषिमिसलय कवर परममातथिप `इति रमत सवसय बहरपितसयल तथयमव } उपमातरनियोय ` विनापि राम- `
शषसकरतिरषमणः सवय योन तपसत परिभगह । भरतवाटमौ रतय वसनतावपि राजय पाटयनतोवपि रीतरतापसनतमवानवतिषठताम । पतपसवी
` नियताहारः तशीत महीतल", 'तपशयरति धमासा लदववतया भरतः पर! , इति भरतसय तपोनिषठा वरणिता रकषमणन । सीता च यौवन भरतीरमतवन
अगा |` अशोकवनिकाया तया चिति तपः भसिदधम । ' सीतारामपतरौ
बासमीकितिपोवत नात ततव महरषिणा सवरतो. उपनयनादिभिः सछतौ वदान शमायण चाधयापितौ भातपसविनापिति रामणाऽशषयतम । शमौ
ससी पारथिवरषणानविनौ ददीरयौ चव महातपचिनौ' इति रामायणकथा- मानपारमागयवदितप रामवचन भावयम । बाहम किनारदवत रामायणसय परथमाधयताय परथमपयोकतारौ बारौ महातपशिनौ धनी । रामायणमानय भथममरोतारः' भरयमामिननिनो महपयसतपचविनः । तपसा चद रामायण निरमित कविना । 'उपशयदयोदक -समयक मनिः सथला कताजञटिः । परारीनगरप दप धभणानवपत गतिम ॥, नततस धरमयीभण यथावत
सपदयति ।, नतः पदयति धरमासा तसम योगमाधिवितः, इति तप- सतपपयनव दद काय निकनध कविः । दतथमसषिन कावय तपससमबनधभमा } कावयवसतनि कावयनिमणि कायनायकप कायपतन च बहभ! तपपसबरन-
` परच सथगयत नप शति फलयोपङनमणन 1 शवाधयायथवचन पतति नाको
' मौदरलय; ! तदवितपसतदधि तपः, इति शरतिपारणन सषदयनरसय भवचनारयफाव सिवो " भतव जत भकतपरः सदवयय पनि, । अधययनपवनननिपताः मखः । अतर न कवर वदाधययन, कवन यतकोधि-
। समायणसकपसरगरसासादः ` † ,. 11
पविसतरसय तरमपवतितसय दवलोक भचारिरसय रामायणसयाधययनमपि विवकषितम । “पित रघनाथसय दातकोटिपविपतरम! । शरहमरोकयसिदध शत- , कोटिमविसतर रामचरित" इति शीमदरतीरथः । शरहषणा चोदित तच एत- कोटिमविसतरम । मासय नारदनव वासमीकाय निवदितम ¢ इति मासय वचनमदाहत शरीगोविनदराजन । दवरोकमचरितरामायणाधययननिरतलापसय
राममदिमततदषिलम । तन च वादमीकय तदपदषवसामरथयच । भ सव समयसि जातमवविध मरम! दति वकषयत | मय सततवसदधिः" इति
. गीतापोडयाधयायारभपसितिगणप छवाषयायसतप आरजवः इति साधयायतपसी
सहपटयत । तपसवाधयाययोससादचर शतिसमतिपरसिदम। दवसमपनिरयरक- धरममधयपठित त । दवसमपदा ,रविममतो गरवः । ययजदानतपः करमन वयाञय कारयमव पत । यमो दान तपशरव पावनानि मनीषिणाम इति यननदानतयसा वरहविचदभल गीतापरसिदध, यजादि-
शरविसतरमरसिदधच 1 शमदमादीनि विदयासाधनानि वियासदकायङगानि ।
दमदमायपतः सयात तथापि ल तदधिसतदगतया तपामपयवसयानधयतलात'
इति भयाससततम । पकरियावनिप बरमविदा विः इति धतिः । निषपननाया
वियाया तषामदगलमनमयपगचछदधिरपि तषा वियानिषटरकषणदनावदयादरणी-
यतचयत । सवायायदावदन शरोतरियलय, तपददवदन वरहमनिषटवव च गरहीत
उकयम । तया च शरोतरिय तरसननिषठ' दइवयाचारयरकषणपरतिरका, मवति । तपो
विधा च विपरसय निःपरवचकरातमौ । तपसा करमप दनति वियया चनान- ` मदनतः इति मनः 1, सवावयायदबदन ' विचोचयत । शवायायायोममासीत - योमालसवाधयायमावसत । सवाधयायवोगसतमतया यमिषयति परा गतिम इति
सयत ] जञानमय तपो योगः । नितरा रतो निरतः. । तपससवाययोसन रतः } अननासय - कावयसय शानततयरसममावविनरल वयजयत । दिवदिज- सदणाजपचन शौचमारजवम { अदचरपरदिसा च शारीर तप उचयत !
12 ` रामायणसशचपसरमरासवादः
जनदररकर वायय सस पियदित च -यत.‡ सवधयायामयसन वव वामय - तप उचयत । मनरसादः सौमयल मोनमासवििगदः । भावसडदधिरिवत- तपो मानसमचयत" । तपदशवदन तिविथमपि तपरो विवकषिम |` अनादि सिदधान तपोविभोगानव भगवान गायति ! “उचयत, उचयत इति प रकमव -तनावरनयत ! "वाख सपः इदयकताऽनदरयकरवादय दणनतः ^ उदादवियत शरीशकरमापय “यया शानतो भव वतस सवाधयाय चाततिषठतथा त भयौ भविषयति, इति । वदससमपितसय पशणपय रमायणसयाभयसनमगरि
वाजय तपो मवत { ददससाषादामायणासना भासीद! इति समयत ।.
तपःपरविका आदिखषिितिःधरसिदधम । “त तपोऽतपयत । स तप- ` सतपता । इद सरमखजत' इति जगतिः तपपरविकति शरावयत | रामायण-
सपादिकवयघषटिपपि तपरिकति वयणयत तपदानदारममणन । .रोरसय तपःपरिणतया रमायणमकतीरभम ॥
नयामोपा तपसामतिसिमाह, इति नयापतपणरणागतः सप- . भयभयोऽभयदानरपमहाहतचसय परतिपादक रामायणम 1 सषपदनरषदा- भमयदवाननियतरतित भगवतो ितरणोपपाचत रमायणन । तदपि वययत तपःपदसयमनिविदरनन । सीतया तय पातितयतपरसोऽतर पराानयन निरणणमपि सचयत उपमपटिततपःशनदन । भतिशरपाणनिायौसतपो
मामयदविपीयतत" रचयनसया परति सीतावचन, तितरतायसतपसा यन दपोऽदि
म भमो' दति मनदोदरीविलपवयन चद मानयय ¦
(तपससवाधयायनिपत चयसदी नारद वादमीफिः' इति रसदिपययोः
परथमदलयकर सदसमरणमसयनतमचितम । नारायण नमकतय नर चव मरोतमम। इति महामारतारम गरदिपयौ सद नमसयत । गरदिपयोमया- धीनो.विधाभषारः ।-णय िपयमतः शरो यसमत 1 गरनिपयपरमपर
.समायणसदषसरगरसासवादः , , 18
विचाभचरिसय शाशवतिकम । ` दवरषि. पराहविभिषि. वीणापाणिः समयननिव
इति मागवतारभ.उमयोः सहतवमनमतम 1 <सषा भागवी वारणीविया' ` दति
- तपिरीय विचा दवयोरपि “नामभया . सङिता-। . तनोपि.मयरिति रिपयनाम
; रथम 1 वण इति ¡गरनाम ~ चरमम । -तरादिचछखरानयस" [ “अतर
? बामीषिनारदयोः सवपकयनन : रिपयाचारयामयनिवमनिततयमिति ,धोतनाव , वाकयगतवतना बतधवनिः? "हति -गोविदधरजनकत रयम ॥ ।
“अतर तपसवीतयासान निरदिति कविः । मसति ततर मयः :सारसयम। ` (तपसवी ति. सवसय दोचयतवहपदनय, विवकषितम । - "तपसवी तापस - शरोचय' हति भजयनती । सोऽह मगवः शोचामि } त मा; मगवान शोकसय परा
: तारयत “इति यथा नारदो ;मगवनत सनककमार , सवनददव पचछ, तथा ,
, वालमीकि सवसय शोकदीनलव भकाशयन सवगर नारद एचछति । तरहमजञाना- लामात भनपरताथक । तञननो ददनव तसयाः. शच शानतिः 1 «मातम
-, शानामिटापादनपरतचच नारदाय परयकत पराण-सानकमार विरमति वचनम!
ति ममापिकरणसगरहदरोक इट मावय; । 'छगसय तदनादरणशरवणाततदा-
° दरवणाततचयत दि" इति -यारीरकसतरमपि.. भावयम ! ^तरहनानामिखपाया-
सतीवतव तदलामपरयकतयोकोऽपि तवः. सयाद । .'तपसवीःयनन दयगाल-
दनय, जासनः-शयक च वयजयत शति भोपर शरीसौरयनारायणाचारयपादाः । तथगविनननदरन मधनियासमाधिवयजयत । , दय रामवरिचया नपरा,मसविधा ।
धत नानयलदयति नानयदविजानाति स -ममा' , इति, ममवरिधाफटम । "नषा परयति राकषसयः नमानयपयफरदरमान । पकसहदया नन राममवानपदयति ॥' . इति 'सीतानभवो. भमवियाधदरितानमवः । “रामम जगदमत! इति. सरवषा 1 रामतनमयतवम खम । सीताया रामाननयनिडा रमरामम सरवषा समानाऽमवत।
` पममालव इमः समा, रामः । -डखमयी रामचिनता। ' सख - -मवो समाधणानमवः ! - तथापि शनो उयासानपतारथ दव : भरमो"; -दति
4 ,. रामायणसषसभरससवादः . -
भागकतारम नारदः । वयाससय ` शोको सागवतावताखयोनकरोऽमत।
रामायण मागवत च सवनदशिपयनारदानमदपवरवितम । उमाथयः सवदत
शषपन मषिदशमकपणावतारमयोजकनाः ` { एतककवयदयमपि . तचछिषय-
परवरिम । तपसि दिषयकषणम । कामाऽनदानमव तपः, इति भामती । ~ . तषी स विदवातपसननाय समयक परलचानतचितताय शमानविताय | पोवाच ता
ततवतो वरहमविधाम, इति नयत । शानतो दानत उपरतसतितिशचसपमाहिमो भरया" इति वियासाधनानि । शामतो दानतसिनिदचः शरणसपगतः दास-
विशवासदयाटी सिपयः गरः परीकषा छतविदमिमत तततवतः चिकषणीयः ॥
"इति सरवतननपवतननशरीमङटनाथाः । तपसतसय रिषयरकषणतवात विषयसम
सवसय दिपयाभिकारसमपतिः कीरतनीयव । न तनासषटावादोपसनभवः । तदकीतनऽनपिकषारापनिः । धवनिसरयादया दिपयसवरपमतर लोकयोपदिदयत । कथमगर सवतय तपसविलापदवः कयः 1
(वागविदा रम, 1 न फवछ पवाधयायरपवदतदरभमारवित, किनत रोकचितरखकवानिसगरषठः । तथा च उरणवणयनगराहकलसामभय दयोतयत । कविपरथादधतिरादिकीनयि रामायणम } पर कवीनामाधारमिदभ
अय भरवरतकरोरवागिदा वरयमपकषितमय 1 गरनिषठमिदम { अनानखणड-
कशच गरः । दो यवखणठन* 1 नरसमबनधि जकगानम भार - तान, तसय
दाता इयपयथ विवकषितः 1 शनदरचनधङर सथात सदाबदमतनिरोधकः।
अनधकारनिरोपितवात गरियभिधीयत ॥' दति निरवबनदलोफोततयरपति-
यतयत । धीणापाणियनिः 1 टच भय च मधर तनरीटयसभनवितम 1/ इति रामायणदलोकवणन भावयम } नारदमवतित रामायण तव भवच
मारदभररतिनसयासय गानदटायामया कदारवाभया भचारणपचितमय 1 पिचछ" कः कः इति वह: परति विषिय पचछ । शारमीकिः"
मागाय तपोनिषठवपतपसवितय पदयत । जतसतपोनि उतव.चितपशठि-
रमायणसदपसरमरसासवादः ` , 15
विदोषणसयानवसतर इव ¦ ‹निशरतरतपो विषणासय वरमीकटतौ जाया चतसा वणन $तनिरनतरवण पराटमोविऽमदिति यगपतरसवसय परचतसः ` ` पतरय बसमीकापतयतय च सगचछत" इति शरीगोविनदरानः । वनामहमह- - निकसय जनकलामिमती । भारमतरण तपसविना इदयतरकाणडानतिमममि । धदः पराचतसादासीव" इयसय पराचतससननापि परसिदधा ।. ममिसतासीता- चसितिलादरामायणसय ततकवरवधाशरोतरनलमपयविततमव । ` शीतव दवि सहजन कवीशवरण' इति सीनासहजव गीवतऽसय । चितरकट वासमीकिः ममिवादयन! इति वाटमीकिदाचयमतरिण निम छनः । | ।
मनिपङगवम" अनन निदिषयासनकौशटसचयत ¦ राममनबपनिषठो ,: ऽमा किः भनरविदवालि, नासविव” इति नारदः सरनलमार विजञा- `
पयामास । राममनतरसतततजपता बाटमीकिः रससखात -रामशणचरितरमदिमादि-
विनन रामधयाननिषठामागयममिरपति ।
1
म.) कोऽवसमिनसापरत रोक गणवान कथ बीरयवान । ,
धरमतरर कतकन सतयवाकयो चदतरतः ॥ 2
चासिण च को यकतः सरवभतष को दितः विदवान कः कः समथ कथकगनियदशमः ॥ 3
आतमान को जितकरोधो दयतिमान फोऽनदयकः ।
कसय बिभयति दवाशच जातसोपसय सयग ॥ „ 4
एतदिचछामयह शरोत पर कौदहर हि म 1 . मप सव समरथोऽसि जञातमरवविध नरम ॥ 5
अध चतरधियवयकषदगायचयाणवयपरतरदमवियाविदयसषमत रामायण चत- विशतिसदमदलशकार' इति वदनती शरीतीरथतिखकौ रामायणसय परबरहम
6 गमायणसशषपसरमपतासवादः
विवाद सपषटीकरतः । "कः कः' इति ददवः पदधत ` ` जिङातना 1 "कसय विमबति दवाशच" इति. चतरभरलोक .पषयत ।- शकः कः) - इतादिवह-
परकषपदादरतया वससायापतीरल चोचयत । एतदिचछामयह शरीत "पर
कोतरह. टि-म". ति सय सवजिजञासा -कीरतविता सवकौहरपय -काषठ- गततवमावदयति । कफः” इति भयः षचछा शर फौतहर हि भ" इति फौनहदरातिशयोकतिशच तसितविषयपारमरपतव वयजयत; । +घाशरयो वकता
-लाशचरयः शरौता - जरयो. - रवया बशरवानरिषटः, , इति -कखचटी ।
(जीरयवलदयति कशिदन भाधरयवदवदति तव चानयः । सावरवयशनमनयः
मणोति" हति मगवदवान जीवातविषयऽपि । -'नाशरयतिदमालयन मनिना
सपरकीरतितम इतयाचनोकत मानयश । "कनषित पतति परषित मनः कन भाणः परथमः पति यकतः । कनषिता वाचमिमा वदनति चकषः भो -क उ दवो थनकति* इति कनोपनियदारम दवामापि -कःकः' इति ' मभवाचकदनदबह- सयम । "ककः इतयसिनकय वासमीविरयारार मवति । "कः" ` इति भगवननाम । "एको मकः सः वः कः $ यततदरमरतमम. इति विधण" सदशननामस भगवतनामानि परितानि । कः) इति सरवनामदाबयौो मगवननाम ।
ओ ततसदिति रदो मबणविविधः समतः इति गीता । (तदितयनमि-
समधोय फर यजञतपः करियाः } दानकरियाशच विविधाः करियनत मोकषकाधिमिः॥
इति गीताररोकमय मघय “ताः-तरहमरापलपायतया बरमयाचिना तदिति पटन
निररशयाः । स वः कः क यततखदरशरनदम दति तचछपयो हि तरपरतराची-
भतिदधः ॥ इति भगवदरामानचाः 1 भगवततामसदन "यानि नामानि गौणानि
विषयानानि महातमन. इति पकरमात, नागन ~ सहमपिति निमपनानर
» यददादरिरवदाना सपरनामततया वयापिनामपरि पिरोपतः साकषालरतरदमनामतय
परिरिति मातर इति चदवापयठीतर) नादिति शदमणिनरारशणः उपि शीश हरमापयम 1 रवनामदानदाना बरपरणि सवरसत मयो म.पिता शीश
यमाचणसकषयसरगरसससवादः ५
मगववयादः ¡ दरय कः कः" -दति ददाङलः मगवदवाचक शवद पठनन कविः परयम परदधति मत कावयारम मगलमधसतय समपायत । मगवदरवतार-
सया -घादरियत कः पातौ सवतार तरिरोषवरणक कनयारम । “वहवो दखमशचिव यया कीरदिता गणा इति दिपयकीरित चहरखभोम शणानमकाधिकरणलमव 'रवदधिसयम । यपि रनाना बहतमापाततर
परतीयत, ` तथापि :अदरातिदाय एव -पशरवीपसाया कारणम 1 न पिषटिपित
शणाधिकरणवयकतिषथकतवम । भर तय समरयति -चातमव`विष
, नरम" इति दिपयवचननद सयषटतम 1 पषटपरवगणविचिट नरः कः इति घसतसा सपषटीकता ¡ “एतदिदयामयद शरोत” मिति अतरकवचननापि भरशषसयकल वयकतीकतम ! “एतदिवयपरपगण -जात -कपयापतीति धोत- महमिदामि'" इति 'तिटकः । कनोपनिपदशचानामपि एकाधिकरणलगव
भरटमिपरतम । कनोपनिपदमननप कनति परभषपद एव उततरमपिगरभितम
क -अनिनदः, "माननदो वरहम! 1 क! इदयपनिषलसिदध .तरहनाम । - खलम । क बरहम-ख बरहय । भाननदन तरहमणा इपित पतति परषित मनः । “कदवानयाकः परणात, यदष ाकाशच साननदो -न. सयात!
इयाननदवसया -हद परसिदधन आवयत 1 तथातरापि कः कः -इति
परष. कः कः -इतयवोचरधित शकयः । भगवान, भगवान, -इयरमपय- भत -भवति ःसहसनामपठित सथनाममतकःपदरव । <{रमो रापनोःराम इति जनानाम मवनकयाः? हति -राम -जमिपिकत रामनाम सतत साननद सरव जनाः
तनमया अरकीतियन इति गीयत -यदधकाणडानत । सतत -कीपरयनतो परम एपकरमपय.मगवलाम पनः पनः कीरयत । दरमा बहवः -तहणाशच कीरयनत । पदधमिपकाननतर पतसवि काल इमा जनमोगा :मबनति 1
भा नाम जनः यतः? ति ऽसर जनीन ` भरिदधि ततिकचनोपकरम एव
वदन गरःःसवसकषप-राम नाम पव -चतारिदरार -कीरयति । -शतः इति
18 रमायणसकषपलगरसासवादः
वितकथोतक निशतन राममीमारधारमोधोचत । "जिन छक सार इति भय समान फल सभमान छोकवरवि परप विपयतवम 1 सतिन
रोक फो गणवान) इति पनाम । . सपषिम गण विशिषटः परपोमः कः
इति परशनः । सरवाति शायि गण विदिषट परप विदोषः एखयत शगणवरान इति मपषा सणाना परशसततर, भमा, नियोगशच विवकषयनत । सरयगरगण भरा ततसतत समपननः कः इति गरनददयम । "सच सरव.
शणोपतः कौसलयाननदवरषनः^ तमव गण समयत राम" "य रए रणवक इतयादिक परतिवचन दिषय चमतसातसारि । धवहवो दटमाधव चलया .
कीरतिताः गणाः । उन वकषयामयह बदधः शरयता नरः ॥५ इति गरपतनिवचन परथम वाकयनव दरम बहयण विरिषट पलप विदोषः पषट इति खषटीकरियत । ^वमतष फो दित इति कीरचित सवमत सहत, भोकतार यजतपसा सवलोक भदधरम । सहद सरवभताना" जालामा दानतिदचछति ॥" - इटयकसररटोकमदशरव वमततः समभवत । (कशषवीधवान' इति फीरषित सवाति शयित वीयव पम पपसयव मवत । तदद वीरय मगरवदसरापारणपटगणषवकम । भतवाननत
गणसयापि पदव भथम गणाः" इति रयत । शीता भापय ममनिकायाध सीकर भगवयादाः, “ख च मगवान. कनशचय दाकतिबटवीयतजोमिः सदा समपनन; सवमायया दहवानिव जात इव लोकानगरह दरषन रयत 1 सपमणामिमयमान धरम जगतः दिति परिपिशटयिषः स . भोकता
मारायणाछयो विषणः मौमसय बरपनमो तरासय रकषणा दवकया वघद- वाददोन किक सबमद" इसयमपपिपत | एपणविषय मापित ताम विपयपि समानम । शवीयवान” इतयादिभिः सोशातिदायिपादगषय विरिषटः कः शति शषट मवति । वदययः परः पमानव क ददायसमजो यात दति चितरण शिञसयत पिटकर गसमखाद । "वदवपर पि यति
रामायणसनञपसरगरसासवादः ४ 19
-दशसथासन ¦ वदः भाचतसासीतसाकषारामायणालना 1" मोकषद वदव पर पसि जात, परमप -विषय शरौततरहमवियापि रामायण छति -रपण पराचतसादवतरतीति भाचतससय वदसमित जञाल परणयन परवनादि
` ममयमसति । आसतच तदवागयखम खोकोर सरवातिशायि समसत कलयाण . गण समपननो भरोकवती परप एव कि मोकषपरदः परः पमान इतयादिक
जिजापयत ।` एतससरवोमगभः परणः कथित मनपयलोकवती परयशरषठो न परमपरषादमयो मवत । वदव परम- परषसय य गणः शरयनत, `
तः परणो रामः । फ रामः स एव परमः पमान इति भिननासोरविचि कस । भद ल समरथोसि जञातमव वि नरम इति वादमीकि
रकयाकय निगमनन तीनधिय दीनवत. एव गरोः तदशचमतिवचन साम- य समव इति सपषटमबगमितम । मसमातरसय तदणाना चा नारीनदियलम । राम तदणातमवः सरवनन परसिदधः 1 परत रामसय परम परपलमती- नियम । , मदरपीणामव तयवयकषीकरण सामयम | “अजायमानो
बहधा विजायत । -तसयधीराः परिनाननतियोनिम” “यवा घवापाः परि-
वीत आगात ¡1 सड शरयानभवति नायमानः ! त धीरासः कवय
उचयनति सयाधियामनसा दवयनतः" इति मगवदव तार वपय शरयकतथीर-
समिति मावः । धीरो धीशाटी ¡ श“धीरोमनीपिननः भाजः! “म यतः परयकषीकतादोपरभसतव. उकछगणबनत नर दिवयपरपजञातसमरथोसि, सलोकमसिदध सामरयोति, तसमात तवच एव शरोतमिचछामि” इति तिरकः। न शबदः परमालनोपि वाचकः । नरति-सदति परापयति इति नर
यरमासमा । (नतीतिनरः ओरोतः परमासा सनातनः इति मारतवचनयदा-
त तीथगोविनदरानाभयाम । . 'तवकत शरयता नर इति भरतिवचनो- पकरमय नरयबदसयाहयमपि गराहयम | परमासभतोनरः शरयतामिति
यलटदयम 1 नारदीय सकषषणयोतित रामसय पततरावतारसपलव तरहमणान-
20 समायणसकषसरगरसचयादः-
गहीतन दिवय चषठषा - साकषकरिषयत बालमीकिना.} ततश “स दि दवरदीरणसय रावणसय वधारथिभिः । जरभितोमानप रोक जजञ मिपण सभातः ॥ इतयादिक गासयत 1. "समसतसयाण शणालङञोसौ सवशकनिलदौदधस मतवरगः, इति मगवतः समसत कलयाणगण समपननतलयघकत
पराशरण 1 गणवान "“गणशचनदोऽतर भन गणसामानयमातररधकः, गण
विोषोऽविवकषितः । - गणयत इति गणः, अमभथमननीयः अनकरतमतन शीरमीय इतयभः । दातय च सौदीसयसय , गणानतरभयसतमधिकम 1 शद च महतोमनदससह नीरनभ सशष सवमाववतवम । तदतत गह शबरी गोपालादि वतानतप भसिदधम"” इति, “वसी वदानयो गणवान चछलः शिः
शदरादवधरः - सथिरः समः { ` इति -यायनाचायततोतरलशलोकमःपय मापित शीरवटनाथः । -अतर “यदवा यणयत भावयत पतः पनरतरितर- सनधीयत ति गणः सौतयम । “शणसतावरति दावदादियनिया- ` शसयतनतप इति विधः । य हि नाम महतो मनदससद नीरनभण सदकषः । तसयाधिकय सौधीलयम । तान । सौशीलय गण शनयोऽभियकतः परयकतः "“वदीवदानयो गणवान पल: शचि?" इति । कोवा -सौगीलयवानियरथः । इति ओीमोविनदरायनयासयारपया 1 शमसय सौगीचय -परसिदधम । शपरचपय सोरमयमाकदपमाह? । सतमासरसयधरय 'सौशीलयमणो जनताचिचरजजकतमः । शमपिदाराकिति- बादिलमधीयत वः, इति .सतरयन. बादरायणः, निरतिदाम षदसो परणो
निषणवस सामानाधिकपयो कम दिय वयसयति । भनिषादाना नताकपि
कटपतिः कापि रवी -कचटः कवनसा परज यवतयो -मादददिति 1
यमीपा निमन वपगिरिपतरवतिमिपि भमरषसोलोमिः -भसमममकमम समयसि ॥ ` दति मगवतः सौधीतयरपदया शभानमयरणोऽफीतर
मावयः । सौदीय गणरसादः “कः क" इति पन; पनगवरदयतीव
` रामायणसशषपसगरसासवादः ˆ `,
गणयतीव । परमपमानव # असमिन मानष रक नरो. वमवशति विसमयरसाविषकारः । रामावतार परलरामिणापि ,चिपमतमायम !
रमलवमवामिमनयत तन । अतोऽतर रामकथोपोदधात सौदीलयसय परथम पठनसचितमव । “निपादरान सौहद सचित सौशीलय सागर”-- इति रषवीरगचोकतमिह मानयम । सौरीलयसागरतय गणवानिति रनदन
विवकषितम । ` 5८
(कशधवीरयवान को गणवान वीधवाशच । चकारण परषणणानाकापि- करणय सयटीकरियत । वीरवा' नितयतरापि मपा वीधसय काठ जमिमयत । भनिगरतीसा महावीरयः इति परतिवचनाईम महावीरथशबदन वीयवानियतर मतबधः - भरकादयत ¡ शशयकरवदाममवः' -इति मतपयतयनावतरणसम
ˆ सौमय परतिवचनोपतरम एव वयञयत । “रमोनामनन; सत; इतयननापि -यतदसयावधतलारथकतवमभनितय रामसय “रामोरमयता वरः” इति निरवचन सिदधरमथितलोकरपः वरि ननपसाकषादनमत इति वयनननन रामसय सौदीदय परकाशयत शसणा ¡ वीयवा निवयतर वीरबशबदः इतर मगवहण पचचफोपरकषकः । वीरथवान न च वीरयण महता सवन विसतः" इययोधषया
काणडारमदरोकनापि चीयवानिवयतर निरतिशयमहस मतवरथ इति परकादयत ।
असय वीरयसय निरविदयमदलात खय महावीर. इति भणयत किमिः !
मदावीरचसिर" ईति महावीरसजञा राम पठिता भवमतिना । भदावीर
, चदतिः इति शरीविकटनाथीयरधवीरगचसय सजा । "जय जय महाबीर" इति तदरणारमः ! “रामः शमतवर” इदि कषणन रापरसम सरवपिमवीरतव परिगणयत ! यदधकदययना मधय रामो दादारथिरलिरगाकषसकलकषयकरः १रमबीरोऽटमसमि” इति ततर मधसदनसरसवती परमवीरतव वकति । “दिषटया हतमिद करम लया शखमता व, इति मगवता महादवन
% - ` रामायणसकचपसगरसासयादः
कतमभिननदन भादिकानयनिवदध -सछतमिव गीतागायकन भगवता }
रामायणगयककदीखवयोरि गीतागायकपय गोपालसय वाचोदिव रामायणम } भववाममरतिमकरमाणमभतिदनमाहव,' इति .शमःराम साद रम - नामदयः । वीरयवान, (सतसरपि विकारदतए सविङतल वीरय इति शीगोविनदराजः । - "यन सवयमकषतसवन परान जयति
तदीरम" इति पिरकः । सथा सवसयाविकरियमाणतवम ¡ “नियतासा ` हावी?” इति परतिवचन पददवयसममिवयाहारिणद चयत इव-। ।
मज, “रामो विगरहवान धरः ॥* इति मारीचः सतौति रा राषसनिभौ । यतिः सटतिरममवजञ इति भगवदाकञाः शरतिपति विहितधरमाः । . ^चोदनारकषणारयो भरम { कसय नोदना ? मयव । नत सवाञ सववपि, यथपि मसय तततव निदित गहायाम 1 धर निःसशय जनाति, अनतिषठति च । सवाचरणन धरमागठापन पयोजन मवतारपय । चखयनदात अनषठापनच समचचीयत इव ।
(छ@तसशच' विषयदथन दणठ पातयदिविरकाा, “कथविदपकीरण तनकन तपयति । न समरतयपकाराणा दातमपयातकया 1 इति छतकषलमनपदमव निरदियत भयदामनाय 1
सतयवाकयः-- जय रामगणः परसिदधः । तयन लोकान, जयति
दीनान दानन रायवः' । “चतरदशस वयष गतष नरसततम । पनकषयसि
मा पात सनतापोऽय विसचयताम 11 “नवरपयचवरपाणि वनवास विहतय त । -पनः पादौ अहीपयामि भरतिकञानत नराधिप ॥* इति रामसय वाकय सरपित
राममियण मगनता महादषन ददर . सवगौदानायय रामसय तादवनदन ‹ धरया । ५ ध 4
रामायणसदपसरमरसासवादः 28
- ददवतः-- परथमतो बनवासवरतसकलयः सवपरियतमभरतयाशचयापि
न विचारयितमपाथत. । “निरा याचतसतसय वचन न छत मया? ति , दयोकन मठमतपयत } असय शरणागतरकषणवरतमसाधारणम । “षदव
भपतनाय तवासमीति च याचत । मय सरवमतभयो ददामयतदरत मम” इति तदवाकयम ! 'सङसपदनछयाममयदान निखयवरी" इतयतदरतासवादः
सटोकशचरणयसयशरसय करणासागरधय तरतमिदम ¦
शासतरण च कोयकतः--राम चासि दपरतिदधम । रामचसिमव
रोक चासतिम । चारितरसषरण .रामचरितरात जञयम ।
"* सवमतष को हितः-- मय रामगणः हतवानधवाभः कनदनतीमी
राकषसीभिरपि' कीलयत । यदधकाणडपचचनवतितमसग “विधवादतपतराशच
करोगनतयो दवानधवाः । राषसयः सहसगमय दःखारतः पथदवयन?, इति वरथितराकषसीसम परिदवनोपकरम “कथ सपणखा, वदधा कराल विकतोदरी । जापसाद वन राम कनदरषमिवपिणय । ,. सकमार महासततव सरवमतदितरतम” ॥ इति ताता वाकयम 1- ~ राम सरवपा
` प रतिः । रमसय सरवमतहितरतिः । सरवमतहितलमीशरखछणम ।
, मतदितयवशवसडतिससरवापि 1 . शरनाना च हित रतः" इति भतिवचनम ।
, + विदवान कः -- यः सरवः सरववित, वदवदागतचकः सव शालाथततवजः,, सयतिमान भरतिमानवान" इतयादिक परतिवचन
भावयम ।
, कः समरयश--“ समगः-शनननयनिरादकारनिरवहणशकतः ” इति . .तिरकः । “सकः सधकतवयकः' इति परटरमिपायः ॥.
‰४ रामीयणसशरपसमरसासवादः
कथकमियदरयनः--सवदा सपा पियदरदनः ।- “तोमवसिय- दशन” दति भरविवचनम 1 चनदरो सगदाहमदकःः । आहादकतमव तय छसपम { “अतीव परिदयनम 2 शा दिवितापदाणिमण इति वरद सौनदरयम । रमदयरणामिदतो यारी शवमारकसय राभसय परिदरन-
लसत भनोऽमत । ` ल मरायिपतः पतरः भरथितः पियन इति वटपारमवचन परयमवाकयम । ` तसय परियमव तिरः, मोदी दकषिणः
पष, परमोद उषरः पक;, साननद आसा, बरहमचछ परतिषठ ददयकताननद- - मय परमासनः काकथन परियतवमाननदलशच' । सवङकधमदरीतिवत . पर-
अगि सरीदरपि साननदमयलामवः आाननदीतः ।” कथचकपरिय- ` दनः इति विमदसौनदध विषयत पशय । सतसौनदसानमवरसमनो गर “वपछसो महाबाहः” इतयारभय परतिवदति तदविषय 1
“मालवान फो नितकरोध”--आातमवान-मनजहसवपवभावः । आसा-सवमावः । सवमावशच “समी सरवमतष नमरपयोपति कशचन" ` शकत -समतवम । अत एव जितकरोधः । न करोषपय वशच: ।
` कत करोषततसय ह 1 शरोधमाहापयरीगर इति फोधापधाममय रोपरादारयत । पीतरोषि. फोषः जदा एव । समदररान वरिषय 'उतथिपपतीतरतमः कोपः उततकण एव शशाप परपदनन । दद चसद, “पाराबारपयोवरिोषणकरपररीणकासनरनवाटाजारविदादारिविरिखवयापार-
"धोः । सरववसय सषटयपतरननता सरकषणकती परमो वगरहषान परपविरि पयी स तनवी नः” इति रम वियद दवितार सोत कटनायीय।
यतिभान-दीपकननतिमान 1 शोभयन दणडकारणय दिन सवन
तमपन" इति गीत सावयम । मसकरनतार' सवगीरकानया भापयाययन मवाहमयमिव भकार । भअववीतमदममतवादयनती", इति गोगरढ-
माचणसशपसरससोचः == `
'सरविशतया मोपाखवरणन 'मानयम 1
कोऽनसयकः--“को गणवान! , इति" पथमः -पशनः-। --भरानत
+कोऽनमयकः इति पचछयत: । भसयारादितय दरमतमम .। -।सभषपि - दोषारोपः घसया । गणवतामपि" ससयारादितय ` दरकमम। -यःत परदोषानपि करणया वातसलयन -च दोपतवन न परिगिणयति.॥ ,.¢यविभवा रावणः सवयम? इति जसय परतया कलयाणबदधिः । कतभपकारशतमगि
न समरति । -भणमपि “ गण महामलकरोति । परवताकाएपि दोष परमागरकरोति । “रीखानिरजितषणमखात .मगबतः -री -.जामदमनयादत निरविपरतिपलशतबिजयो ` वीरपठ कताः" . ,इति - महावीसवतति
" रबणसय वीरय छात रोम |
सयग जातरोषसय कसय “दवाशच बिभयति इति परभः, । - शो वीरयवानिति दवितीयमरकषः। जतरानत तसय वीयपय कनककानामपि
, मयाबहतवमलकषयत । नरमिदसय दवादीनामपि मोषणलवभरसिदधम । *५सा नोपयाय शिता" इति रणमीदवयपि विमायति वरणित शछकन | कतिपयदिवतमयः. पवमवासददौ घोर रामरावणयदध , इतम '। -अवित तमल इय परषयपसहरति । ` ` ˆ |
शपसवी"- इति मरथमरटोक सवसय तपतवितरणनन "दनय, ` कौप रति शयोदीनि इरित? सचितानीति › योतितम + बससितन
„ "भवय तवराया कोषठागततव भरमवीपसयोपि धोतितम ! एतदह शतमिचछामि । `
मम चयरषा -'वतीव सीव .। ` च महरविः । "कषीणा पलः । "सव तवापरोकषम |" महससितमव विध नर शात तवसामधममसति । नाद वनन लहमससित परति लया चक न शकयम ।' समरथसवम । -वसि' सवम । ,
‰6 एमायगणरससषपसगपतासयावः
कारभिकशच लम |. करणामयाः महरषयः । अद तव बरातः पतरः 1 मम पतिष म । असयो सातमिचछामि, कषणमातविरमबाऽसदिपणः । सरवोसिमनायकविपयक कामय .निमनधमट तीलकामः | “नातवलसतवािन
. रयात!" इति “नियमो न पतरविषय आदरतवय; । अ इति सवप ' माद आत. मयपतरतवसप विशषो विवकषयत 1 गररपि वकषयामयह" इति
, परतिबदन "अह" . इति शसवपय शषरिवतवपातिशममपि विगरकषति ॥
+ अथ नारदसकषावतरणिका ॥ `
(य) शरतवा वतसिरोकञो षारीकनारिदो वचः । “, शरयतामिति चामननप परहटो घाकयमतरवीत ॥ = .8
६ रागमय, उककणठामय मधर खधराकषर को किरङरनितमिव वारमीक-
चो बटमनत यः । ` “टला वतत परदः” , ° सगर मपर वाकयम इतिवत मधघरमधरशिपयपरशषशरवणमतरिणाननदितो भवति राममकतिमगो गरः । “दति सरभ; विपराणा समदरषिः” इति मागवतारम दौनकनदि- विपरसय सतसय “ परदषः परदरधितः | नदवय सर पषटः सवच बादरावणिः ससरासतिननतहतालिलनदियः ।` एचछासनरकवयमदिरि;
शनः भवयाह त मागवतोषमोम" इति मागवत, परीकषिसशनन सशमासति- ननत भगवदणापदछमनाः तदरणाननदातभवमसः छषटीत दानः रनपरहिटरिः पनः, मागकतमवचनमारिभ शचकः इति वरणितम । तदवदतरापि उककणठामथया रिषयमधटवाचा समारितमगवहणरसममनो गरः जाननदपारदयन सधः , विभशपददावकयानि परारवय न कतोतीव । शयता! परिवि पदमातरमासयति
„परथमम । अननतर विरमबमव , पयामः तदवचः | “भपरिवतत
ग चोद ओकणडयः समारितशवरः? इदयदधवविषय उमिटभातयम ।
` यमायणसकपसगरसासयोदः _ 97
"मामनरणसमाजन { जपरचछनमयाननायः - समपरदायः? इतयमरः । .
५माननदनसमाजनः इतयपि पाठः .] - (आमनतरण, मिति .कचियाटः सामचछननमिति जगि सवागतरवरःदिना विदितसयाननदतय ।” शइतयमर- सषा वयारया । अतरामनरणदानदभयोगसयौ नितय रसम । भमरसिहोऽपि इ रामायणो सपमरव । सतर जामनय समदायोषदशः पररमयत । शरदः, इति हरपीधिकयन वोकयोचारणसय मधय ' विरगबिततव ` कथयत । रोपरसण हदरिरल , सचयत । दरपाधिकयन किशिदपरदव वाक । शवाकयमनरदीत' इतयनन प शयतामिपि पदमातरमचासयामाख, न वाकयमिति वयवयत । शरयतामिति मथमयकत पद पनरपयमयतयत शरयता नहः” इति । न वयाव बदा” इति वाकय धदवा इलयकतया भाननद सषमसरलाच परपरमोषोऽमदिति ` वयजयत । भभविताः मदरतमाणाः बोधयनतः परपरम इति 'गीताया मगवणानमवाननद मचछ परसपर दलयोपचारादिमि; गोषयनतः - इतयपयरयो . वरपत } . मयि मपरहदयलवात माणवयापारोपरमरपगतपराणलर परससरसमाशासयनत इवयथः । राम - गणानसनधानयचिवयण न म किशविसतिमाति, कषणात उदवा दकयामीलरभः । जत मधय वाकयानतरमरकाएय । अमयथा वाकयगरभितमिति वाकयदोषः सयात । .जह वकषयामि अह भवा - वकषयामि, न इदानी नारदोऽपि । रामगणशरणदियिलतितवात । शामगणममनोऽय नदीपबाहममर इवावरमबन-
` यषटिक, इति गोिनदराजीरसो रसयः । ` शत चतत "तत शतवा इति वामी किवचसो रसयनतव चोतयत ! ˆ पिरोककः--मनषयलोक को गणवान इति रशच; 1 तरलोकयमपि काकयन जानननारदो ोकनयऽपि
` मानपरामसमो गणवान नासतीति बदधयत इति चोदत } तरिटोकः-- शोकतरय सदा सशचसलपि बासमीकिसचयौ परटरचिय न ठम इतयपि दोधयत ` भनन । - “रामणसमरणाशतपानादपषरिपयटमादवा परदः” इति गोचिनदरानः 1
~
"8 : समोपणसकपसगीरासादः (म) " हयो दमातरद भ तया कीकिता गणा; `
न वकषयामयह बडवा तरयकतः शरयता नरः 1
। गणाना बहत, - एककसय सदरमतय च. विवकषयत 1 परल विशिर सौलभयतवावयनतदौरमबम { कीरतिताः साननद - ोतमनोहारि- ` तया कीरतिताः. । . "सतत -कीरदयनतो मा” इति गीतादरोकठ हव कीरतन , शनदपयारयो आषठः । समरण कीन विषणोः, ] -दटवा वयामि--गर ` बदधवा शबदरचना इति नयायः । ~ कीरतितषःयगषववाय ममः । तसमाद , शणापिकरणभतगणिपरनतमपि न सचो-गनत शकरोति-। भतो बदति सरद
पतदहगणाभय वसत-यदवा यकषयामीति । -जननतर तषटदधथत । बवा-च ` वकति “कतः शरयता नरः, इति. । “ाननदसषठव ममो .मापशयदभय सन. इति नारदन सवसय अहषानमवपरकारो नरणितो मागवतारम ॥
~ ,, 1 अथ रकपासमः ॥
८ ).वादवदपरमवो रामो नाम ` जनः शरतः । . नियतातमा महीयो विमान शतिमाद वशी ॥ ४
- बदधिमान नीिमाव वमी धीमान. सतरनिनरणः । विपासो "महाबाहः कमबगरीवो मदादत; ॥ 9
क, -मरीरसको भदषयासो गडजतरररिनदम, 1
-आनातबहः इषिरः खरराटः छपिकरमः ॥ - . ५0
` ` समः सपविभकताङकः लिगधवणः रतापवाय । । पीनवकषा षिलालाधो रसमीवान शवभलषषणः ॥ 1
-गामायणसकषपसगरसासवादः %9
धरमननसमतयसनधतर परजाना च हित सः ।
यदव हानममपनः शरविरवसयससमाधिमान ॥ . ˆ 12
परजापतिसमः शरीमान घाता छिनिषदनः । |
रकषिता जीवलोकसय धरमसय परिरिधिता ॥ , 18
रकषिता सवसय धरमसय सवजनसय च रकता ! `
वदवदाङगतततरो घर च मिषटितः ॥ ~ 14*
परशाचारथतयजञः सफतिमान परतिमानमान । सपररोकमियः साधरदीनातमा विधषणः 1 ~ "15
सरवदामिगतसमदधिः सयर इ सिनधभिः ।
आरयः सनमघरय सदव परियदधनः ॥ 16
, स.च सयणोपतः फौसलयाननदवरधनः । „ सदर शच गामभीरय रयण हिमवानिव ॥ ध 17
विषणना सदो वीरय मोमयसपरियदरधनः । काठाधरिमदशः करोध मया परथिवीममः ॥ =" 18
धनदन समसतयाग सतय धरम दहमापरः । 19
शनाकदपरमव ' --“पितादमसय जगतत माता धात पितामहः 1 £^ ~, परमव परखयः सथान निधान यीजमनययम”, इति रामादधगवतो
जगटतधत । जनमादि णसय यत इति तटकषणम । अयमिवाङवदो -शरमवनीति अमय सौरभयसौशीलयाटिक परथममवानमयत । “को गणवान?
80 ` _ -रमायणसशचपसभरसासवादः .
दति भकमगतसणरनदसय सौशीयाो- शीतो गरणा । अत" 'खापरत, , मसिन ञकर को त गणवान दति परथम, रभपय वर दीयत 1,"
निरधिकसौीसयगणायिकरण. वसत - कषवाकवरो परभतो रमः वशिकरवशषममयोऽनयो रमसतदानी मानष रोक आसत जमदमयः , सोऽपि भगवदवतारः । तदवयावरदकवशः भरम , कीतयत । "जनकाना क कीरतिमाहरिषयति म घता" इति.जनकः ~) ' . "करमणव हि रतिदिमालिता .
जनकादयः” इति जनकः -छापयत गीतायाम । ` जनकालभव रामोऽपि जानधमसराधयातमरशातमयकतमहागतवशपरसत इति परथममव ` शरत 1 ` दवावशधमवः) ' इति," “म ` "विवसवत "योग - मोकयानहमवययम' 1 विववानमनव माह मनरिकषविकवऽरवीत ॥'” ` इति गरपरमपरामधयसथ-
भरसिदधराजरषिरिशनाकः 1 , रामसय सीतावत परसिदधजानिगराजरषिवशमवलय ` दयोतयतऽनन । . “मररिशवाकव ' खयतरायादिरानायगरवीत" इति शङकर
मापयम । भजआदिराजयितीकवाकोः `सयवशपवकलवन वरिषटयसचयत" इति ततराननदगिरिः । " सादिक{यपिद आदिराजरषिवशममवरामचसिम । इवादरमासपः । मानपवरो शरमतो मानषलामिमनि मानषी तनमाधिततो
रामः [ पनोतीयो यशो यतछमावपतनातीयपतादशसततसवमविः !॥ `
¦ शकवाणामिद तषा रा वो महासनाम । महदतनमासयान रामायण
पिति तम ॥ इति रामायणकथारमपदितशटोकः" एसदनसारी 1 ततर रथो वणयत । जव नायको वरणयत । रमतरहविचासकपारमम
, ` परिदवायासगरनाम कीत । भामो नाम जनः शत, नाभा रमः । ' रगशच रामपदयौणिकाथपौपकलयवान ।. “तिषठतय राम इति सजा सयमनययतो रामः, रमयिवलादियणपमतवारिति राम नाम+नयपददान
` सपसनायधाततिः 1 शतः--जयधतः । शत शासञावतयोः” इतय.
मरः 1? ` इति गोविनदरानः । “मनत योगिनोऽननत सवयन `
, समायणसकषपसनरसासरादः + 31
चिदयासनि 1 इति रामपदनासौ पर 'ङलाऽमिधीयतः, _ इतयगसतय सहि ठा रामनामनव परतरलसिदधिः । राम इति नामना , परसिदधः 1 तसयद
यौगिक नाम । सनत, योगिनोऽपमिन इति" तिटकः । , सरवरपि नरसय रमयितलमनमतमिदयकतया थसय सौदीतव मरतिषटापयत । जतः सः रामनानना शतः । वसतठसत सः रामामिथान विपयनारायणससाकादिति वयजयत । रामामिषानो हरिरवाच इति गायति कालिदासः पषपकविमान- परयाणवरणक घरयोदसरग 1 वसम वरननादिमिः, साकषात नारायण
एव रामनामा मानष इति पराकाशि । "कः इति परशचसय इषठाकवरपरमवो
रामः इयरदीयत 1 ' परथम परशनवाकयोकतगणाशयनयकतििरदिदयत । अननतर तदरणादयो वणयत }! नियतासा महावीयः इति विकारराहितय-
ीयकतिया को वीवान इति भरचवाकयोकतदवितीयगणविवरण करियत । दयतिमान परमावान दीष, तजसवी । वीरयण दीः त तपनतमिवादितयमपपतन
सवतजसा दति दगोकारथषदाहत शरीगो विनदराजन । धतिमान-एष सतरविथरण - एा लोकानामसभदाय इति शयत । ससय गरिधविधरणवीम । धयौः स चदानकषतर खदिदोममदोदधिः । वाघदवसय रवीयिण विधतानि
महालनः 1» इवयतदव परसिदधम । धतशच मदिमनोऽसयासिदपरनयःः› डति दराधिकररणचतरमतनमदविमपरदकषकम 1 वदी वीगणपरसरण
करोधादरिकमादारयत । ससव वरिण सरवमसय वदो तिषठति । कथय वीध- वान. इति परशषसयोवददान दम वीधततसममनधिगणाः परघतयनतऽतर ।
ससयवाकयो हदतः चासतरिण च को यकतः इति भरशचवाकयसयोतचतर दीयत,
उदधिमानीतिमानवामी भीमान रतनिबदणः इतयादिना } वदधिनान परदमतधीः । बदधः भरसय नाम यशा चवण यव अण धारण तया ।
उदागोदाथविचान तचचतनान च धीगणाः 1 इति तिकः 1 नीतिमान धरमो षरमानषटाता तदनषटपयिता च ! वागमी पररमतवाक ।
82 = | ` णमायतरसजञपसगरससवावः
"भनयगकर वाकय -सलय- परियहित ` च यत. सवाधयायाभयसम चव ` बाडमग तप उचयत. सतयवाकय एव "वामी भवत {। शविया "स ` पाति ततर वक इतयादिक तदवकयवणन भावयम । "शरीमोम, : रचः "सामानि यज सा ह शरीरमता सताम” इदयशरौतधीरविकषिता ।" “ इति विटकः । *- पीपानितिपद .सरवतानवययगयम 1 शरीमान रामः
` धीमान महानीरः शरीमान "वागमी मान सरवातिरापितचणकः - वि सरव तासौ”, इति शरीगोनिनदरानः । शयगिहणः --- तिपमन
',जयशलीरलात शरीमतवोपपततिःः । ` निरयोग , मतप । शरीवतसवकषाः
' नितयशः" नितयशरीलातभव ` ,दिनयविगरहदोमाया ।मनति, ° गहः । (कथकमियदरदनः+ इति भशनपय “निखयभरीः कः+ इतयषयो मा; 1 दिवय- पिगरदसय सरवदा -सरविहरतवमपि परम । - “पसो महाबाहः
"\कमबभीवो मदादनः । "महोरसको महषवासो गढजतररिदिमः । 'भाजान- “बाहः पदिराः `खखलाटः , सविकरमः । समः समविभकताङगः सिगपवः
परतापवान | पीनवकषा विशाराकषो ठकषमीवान शमरकषणः. ॥ शरीमत ` सति शनियरण इति वपरवणनमवताशत "टमीवान!ः'मरकषणः' इयप- सयत \ सामगरकोकवशमरकषणसमपतः । शमः समविमकतङगः"
“ इति सषदायशोमा अवयवो च मिरदिदयत । . सतर समोय ` भय वपरपि समकामतम । शवरमजञः सतयवाकयो, टटरतः ¦ विदवान फः, हदि रानायर दीयत धजञः -सपयतनधशच ' यशसवी कानसमपनः वदवदाङग-
तवषः सरवशालारथततवततः सछतिमान परतिमारनवोन इति 1 ` “चासि च को यकतः आसवान को जितकरोधः, इति .पषपयोखर दीयत ` शनिरवदयः समाधिमान, इति 1 रवमतप फो "दितः -इवययोततर दीयत शरनाना च
हित रतः रकषिता जीवलकसय ` परतय , परिरकषित, रकित चछय धमय पवसनपय च रकषिता, सरवरोकपरियः ¦दति ।
रामायणसषपलरमरखासवषदः 88
" कक मियदभनः इतयसय सदवपरियदरनः ति भरतिवयनम । “सवदामिगतःसदविः समदरः दव सिनधमिः--“गीमकानतपसमः-" "" जधपयवामिगमयशच यादोरलरिवाणवः" इति दिर वरणितः ! ततर सयदरदषठनतः उपाततः भीनकनतोमयाकारसाददयाय ¡ “सता शदविपसदगः कथमपि हि पणयन भवति" । षटीरिषाहि ममातख' इति वदन रामः
कथ सधनामनमिगमयो भवत ! सापना कदापि भीमो न मवत । सतीमताना शिनयना शछयमागताना कथ समदरोऽनमिगमयो मवत !
५जसवदारः सवषा दासपरहवरतिनाम" इति वसिषठः | पलया
सरध निगदति यतिः । परतीपरण, मावति वतिषठो वकति अयषया- कणड ॥ “ननानीलालव म मतम" इति मगवदरानम 1 भसि वरति
चदवद सनतमन नतो विदरिति सनतो रविदरो ननिषठाः । त जवतीरण परमासान साकाव दनपलपापरिमिः जनमवित यदाऽऽगचछनति म तषा- मनभिगमयो भवदराम । तपौदारययः सा दथिविरापदारी रामः अतीव परियः साघनाध । सरीणा परियकानत इव तपा तसमिन निरतिशयः
परम । भया नयषसयनदमानाससमदर सत गचछनति नामरप विदाय" दति शरतिषीदय परम परदयवित नदीतदरदनत कतर । यमसय परि- रपिता सवजननय च रहिता शरीमान शननिहणः इतीमानि रामसय भगवदव- त(ररगानि ! शरमससयापनारथाय, पणितराणायसाधना विनाशाय च
दषत” इति गीतायामिमानयनचनत । “षवतवऽमवतसीतारकिमिणी कषणजनमनि । अनयष चावतरिप विपमो; शरीरनपायिनी" इति पराणत
रीतया तर भिया सहावतीरणतयमपि वयगयत इव शरीमान? इति पदसय दवि-
रमपसिनदयकरयम । 'सीठायाः शतकरयौनः? इतिवत शरीमान शतर-
निवरहणः दति पयत । नाऽतर सकषप सीताविवाहः कषठरवभ कथयत 1 परमान रामसय सीता निवययकत शरिवति वदमीव इव ।
34 रामायणसकपसमरसासवादः
शीपान-भरिया निय यकतः भियःपतिः । मदर इव गामभीरय--भकषोमयः कोमाचानतरतभिः 1 “अपरयमाणमचलपतिषठ समदरमापः भविनत यदवत, इति गरीतारलक .भतयः । षविषणना सदो बीर--अत
घननवय परववसानम । मननवयाटकारः' इति तिरकः । सोमवतिय-
, दरवीगःः-चचनकानतानन राममतीव परियददोनम । कोागिसदशः कोष" पकदची यदि काकरथः कि न सागरमखखम । मरह दहति कोपन यगानतागनिरिवोतथितः ॥' इति सीतोकतमनयरथित रामण सागददोपण- सरमभ । शषमया एरथिवीसमः' -- गगादिपणयनदीपतनी सहितसागर
परपदनन सथः कषानत; अपराधः । ` "धनदन समरतयागो---^तयाग सतयपि `
धनदन समः । अनन जषठीणोदतव मशोदारव चोकतम” इति तीरथः । शतयागि सतयपि धनदवदावयः" इति वयाषयान त परकरमविरदधम 1 न दयवयल
कथिदरणः । वयागविपय यनदन कवरण समः । कवरषसय सयागिल शयागन धनदो यथा इति षषयमाणवचमतसितदधम । नच तस
कतधित ठचधत सिदधम । शति शरी गोविनदराजः । दमरसयोवाय म परसिदधम 1 यथा सयागरपमहागण कयरसामय सिदधयत तथा रसवदरभः
कथिदनवटनयः । निपिरकषकः कोशाधिकार नियकतः छवरः । यष यावत पन दितसयत ईशवरण भचिनतयनव अविचारयनव कोदात तावत
धनध ददाति कोशाधयकषायिकारमाक धनदः | घनघवामयमीधरपय न निषयषयकठाविकरारिणः । रजञा करोशाधिकारी राजामातयायनानधरिण आजञात ताकषावदवनानि ददाति रजसवमतकोशात. तभयपतभयः परपभय ।
कोराधिकारिणः' कोरपालकतय का वयथा सवदसतन परमतपनवितरण 1 राजाजञया तससकरपन यत पराकत तन पतपण; यत तदाञनया तपय शवम
सदवाय दाया सवसतम वितरति 1 वितीरयनापन धन गसय तव किनत राजघवम ! यया .कोशरपरः सवनियनतरा सवामिना यावदधन य फसमित
रामायणसशषपसरगरसासवादः =, 35
दातमाजचपयत ततसयः तसम परयचछति सवदपतदतथन सवतवामिमानरहितः तसमिन धन रानाजञावशात गीवसवतववदधिः भमतधनदानऽपि धनवियोग-
निनिकतरशवियकतः तदवदय महोदार मगवान - सवदीयमानपरमतधन सतव नवाभिमनयत परत तसमिन घन सरथिन एव ततसवामिलवदधि करोति । परमतन धननाद वियजय इति न टवमातरमपि वयथत । सयाग रदा
समय विवकषत सयात निधीरोन धनदन । मत च ततः कामान मयव विदितान हितान इति गीतोकतततवमपीह मानयम । “दयाऽनयषा दःख-
भसहनमननयोऽसि सकर दयाछसतव नातः भरणमदपराधानविटषः } कषमात रगनदो भवति नतरा नाय नतमा वौदा यसमातव विमवमरधिसव- ममया; ॥ इति शरी पराशरमदरयाणामहतः इोकः जसितरथ ममाणम । “दनय न सशवति विरमति सकत धत पनः पनरसौ महती धनायाम 1 निदरारस न खमत महता निधीना रकषापिशाच इव समभति राजराजः इति
सकपसरयोदय छोमः परिहसति धनदः ठनय इवि । सवय धप इवापरः- यमो ववसवतः । रामोऽपि यवसवतः । यमः सवसयमनापिकारात यथा- परा दटननिरवनमात सदा चछिनदिमिनदि दइतयपदामिनो नियमन दणडयनव वरत । भीषणः सः । रामसत सदक पियदरईहनः न समरतयपराघाना शतमपयासवतरया । सतयगणमतरि यमसाददयमितववधयम । अरय
सदा सौमयः । सतयधरमनिषठोऽपरौ विरकषणो यमः 1 अपरदबदन यमात वयतिरकोऽपि वयजयत ! “यमो ववसवतो राजा यसतवष वदि सथितः 1 तन चदविवादतत मा भगा मा कखन गमः 1 इति दरोको हदिसथ- रापपरमसपररया वयासयायत ! स च सरदगणोचतः कोसलयाननदवधनः- दगयतरीनासाक कौसलया सपरनलव मथम कीरतयति 1 कौपलयव चिर जीवनती सरवानकतान गणाननवमव । सगणोपततय तथव सानमद- मनवमावि ¦
36 रमायणसधपसौरसासवादः
(म) तमव गणयत राम सतयपराकमम ॥ 19
जय अगणष रिय दशरथः सवम । परशरीमा सि यकत गरहति परियकामयया ॥ . 20
यौवराजयन पयोकतभचयत परीतया महीपतिः ।
शमव यणयत राम" शव च सरवगणोपतः करौसलयाननदवरथनः इति सरमगणसमाहारः परमोकतः पानिननदवधकलनन । अतर पितराननद-
„ वकलन यौवराजयामिषकमनोरयगरगनावसर पनसतदचयत । काषटागत आदर पौनःपमयमरकतिः । मद इति पनरपयसमिनव इरोक पयत ! " र ›---“राम इतयभिरामण वपषः तपयचोदितः । मामधव गरधकर नगलथममङगरष ॥” इति रपश वपपोऽगिरामता
रामनामरकरण मरिकाऽगषियचयत । जतमतन ददशामिरामगणा विषकारसयानवकाशः । गरपरमपराया ततीयगरतन परिगभितन
वसिषठन छत रामनाम विधरञनकगणसमपचयापयनवधीषमिति वयजयत एव गणसमबत राम इति सममिनयाहारण । चतरायोषयाकाणडकयातषषपः परारभयत । सतयपराकभ"-सतय काटञयऽपि कनविदपयवाधयम 1 सपयः भवाधयः -जसय पराकरमः । असय पराकरमय सतयकपरतिनञानन रावणि यदध रकषमणसय पराकरमः सतयोऽवनधयोऽमवत । षय शरषगधतत" ककयराजन ककयीविवाहसमय अनयथा समयः पमकारि । तदधिरो- चनातरपौपरयातताभिपचनविपय . दशसथमनसि सपरनः उपपयः सचयनत 1 वयपतरसय राजय अमिषचन नयाययम १ वध च । ग कवर वयसा पवषठः किनत यधरषि स गयठः 1 मम वततो शष
षठोऽपि भवति । अयमपरो दतरीवराभयाय तदवरण 1 मदासवसय शरः
यमायणरसशचपलरमदखासवादः 87
धय च, शवदधसय च इति पणिनिसतराणयतर कविवदधिसथानि { जयषठकनदः
बयतता। यभशयातिदायनवाचीः गोचरीरवदनयायनातर वयोगयषठमातर आदम 1 जयषठ एव परठोऽपि मवति ¡ "पिय, वयषठपतरः मणगरषटपतः परियतमपपर ।
परियमिति पऽसकोचनयायन निरतिदायपरियतय विवकषयत । अगरयमायनयायशच समरवयः । जयषटगरपदसममिनयाहारिण पियदवदन परषठ विवकषयत | "तषामपि महातजा रामो रतिकरः पित," इति घवोधयाकाणडारमम
गयत । ५न च राम विना दद तछित मम जीवितम” । शरग अतोऽपि परियम । “स त शरषगणरयतः परजाना पारथिासजः । बदिशवर हव पराणः बमव गणतः परियः ॥" इति वकषयत । सतराणयव गरसकषप-
यानि । 'ददारथः सत'-- भममावनपमः सनः गणदशरथोपमः" इति, मासयत करपिणा । धत इतयसङकोचनयायन शतया ममयामनपमचनरल
विवकषयत । छरसनऽपि लोक यमक एव गयषयतशबदसयानततम
मानम । "परकनीना दित यकत परकनितियकामयगरा” -- “यचपयपा मम
भीतिरदितमनयदविचिनतयताम ॥ अनया मधयसथचिनता दि विमरदामययिकोदया ||?
इति पवभीरति पषठतः कतवा शरजादित परजारचि चाशचछत नरपतिः ।
मषटगगकतः परजाना पारथिवासजः । सममतशिष छोकष", तया सरममरजा" कानतः भरीतिपजननः पितः । यरदिरलच रामो दीपिसपयइवाचमिः
अनकः भरजामिशच परजाशचापयनरञचत । रोक रामसय ववघ समियव- मदालनः । जालनशच परजाना च परयस च परियण. च" इतयादिक
` भावयम । अनयययः मनयदत भयः इटयपनिपदि धरमराजः । परजाविपय
रम" पियो दितशचाऽमवत } मरिदितयोमसङगतमतर | रति पियकामयया'--
"इचछामो हि महाबाह रघषीर महावरम 1 गजन महता यानत राम छतरवरताननम" इति परजाना ततरचछा ! अयमपरः भरव दवः परवमयो-
छदन । यवरालवरण परहतीनामिचछानरोषनिरबनधोऽगनि ! भरतिरञरकतव-
न
38 गमाणसशनपसीरसासयादः
मव हि राजयम । भतर परतिशवदोऽभयतयत तसमयहितयोः' परधानदवल-
बदधया । परकतिदावदन सविवा अपि गरादयाः। निधि सनधिता
यमराजममनयतः । पवोवराजयन' -- यवराजसय फरम योराजय, रजयदन- मारण सयोगयितम । “अद पितरा नियकतोऽपि" भनापटनकमणि इषि रामसतयवायोचत । परजापारनसय धरलात यतदरवहन अरमः स एवरामिमचनीयः इतयपरो हतः! “दचछव परीतया महीपतिः~सवमीतिशयरमतः
कीरत हततन । परीया मदीपतिरचछद । महीपतिशदन मपि त परतिमकामयतति वयजयत । “लोकपालोपम नाथमकामयत मदिनी" इति
वकषयमाणनिह भावयम । नारददरत विदरणोति कविः `दिषयः । परहीपति-
शचछदिदक कधिदनयो जन तचछदिति वयजयत । सा च मनथीका।
(म) वसयाभिपकतमायान दषटवा मारया ककयी ॥ 21 प दवा दवी वरमनमयाचत । परिवासन च रामसय मरतसयामभिपनम ॥ - 22
(तसवामिकसमारान दषटवा^-अमिपकरमारान मनथरा परासादमाद
-ददशौ । ककयी तनयखात तद शधाव कवलम । न सा ददय ! मनथरा- करव दयत ककययामारोपयतऽतर नादन मनयवय ककवीचमर. - मचदानीमिति वयजनवितम. । “रम वा मरत वाट तरिरोप नोपरकषय" इति
पवतनिरधिशपदधनमव तसयाशवष; सहनम । इद तातपटिक मनय चकषषः पवचमवपरिति वयजयत । राजानः चाएननप इलचयत । मदिपयपि तथव सयाद ।
भारवाऽय कवयी"-सयवदो नानारयकः । "दगलननतरापम- अशनकालयनवयो अथ 2 भतर पशनयो मङगलारथ रातौ | ककयी रथा छि इतति सातराय चछत । मारया मरणीया । मरता च तसव
रामायणरसशचपसरमरसासवादः 39
मसमीयः 1 मारयी-रयसा पतिधातिनी बभव । नयायय एव ददविषय "टय
मारया कि" इयनयोगः ! खव रामावतारनिरवमङगटकथायाः उपोदधातः । यपरव पौरतयवधङथागीनपपकषिपयत । अयशवदन मदगखमपि धवनिना निवरत । 'कवी'-कयरानसय पतरी । तन च ककयराजन छतः सभयः कयचिसारयत । ६ दरवरा' -- मनन दशरथसय सणतवाप- वादाद तराण करियत । पतराणा नः परमव विरीपतोऽनिरदिकामवरदवय-
~ दान परतिशतम । पपमितयतय पतरननः परवपियवारथः । दचवराऽमत । दवीः इयमिदारन दवराविषटयिखाऽमवत 1 दवमरहमसतहदयाऽमवत । वरमन- मथाचन * विवासन च रामसय मरतसयभिपचन' ~ दौ वरौ परसपराविना- मतौ सदव एको वर शव बरताविति वयजयत एकवचनन । अदतसिदधाविमौ तदयायितवरौ । वरदवयमधय रामभवाजन परथमकरनयलरन धतम । दवा एवातर
ककवीमखन वरपाचितारः । रामपरमाजन परथमकरववयतरन सयः; करवयतन च ता वाचयनति । भयोधयाकाणटारम एव, “गचछता मातरछर भरतन
तदाऽनघ; । तर निलयशतरो नीतः परीतिपरसकतः ।"
इति परथमदगकन सराघघपय मरतसयमावटगहगमन कथितम ।
यदि मतः शरमन सह मातरदर नाऽगमिपयत तदा रामविवासनसीता- हरणदलकणठवधादविक नवामविपयत । .वरतिपयमाणायाः कतयाः
सवतारकरथनिरवहणरथायाः सिदधयरथ उपोदधातो मवति सयोधयाकाणडारम- धपदलोक इति रसोऽनमागयः । "विवासन -कषौमादिवसनानयपाय
राजकमारविरदरवसकलचीरवसनतव तापसतनरततवच यतयत विासनशबदन 1
न यन वसनमार, किनत चीरवसनवसननरतमपि निरवदयम । “मरतसया- मिपचन' -- राञयामिपचन हरभजनकोससषतवयदधिसतसयाः 1 “सकरयवन- मारः सथापितो वतसमरभिः" इति तसय सवपतररिरसि विशधमरणमारनिवशन- मितिसाम विचदति वययत ॥
40 एमायणखशचपखमरसासवादः
(भ) स सरयवचनादराजा घरमपादन सयतः । विकरातयामासर यत राम दशरथः शरिम ॥ . 2
११९.
° स › इति ककयीमखात वरदधयशचवणकषण एव ससय दवसय वयजयत । ` ५ ततः शरतवा महाराजः ककयया दारण वचः ' इतयःरमयायो- धयाकाणडदवादशसरगवरणनमिह माघयम । ‹ सतयवचनात ° -- इदमकमवा- ऽलममत सवपभराणसपरीतिपरलपरीतयादिसषतयागनिशवय । यचि परकतिरनात
यजा राना मवति, सतयवचनवतविरोध तदपि हासयत । ' धरमपरोन सकतः ' -- धरमदानदो भगवनत ववखत धरमरानमपि विपकषति । पराशशबद- सय खारपयमसति, तसय तदरथगरहण । ' धरमबनधन बदधोऽसि नट च मम
यतना ” इति दरारथनिरणयरयक धरमबनथयहतव यतमामाशशथ सह कीरतित । निरणयोऽनतः । निरणयसपानतः तसयानतः अनतकशमवति । ‹ सयतः * -- सयमदावदशच यमरासन परतिदध “ सयमन लनमयत- रषामारोदावरोदयौ तदरमिदरशनात ” इति यादरायणसतरमिद भावयम । स सलयवभनात तरासात धरमबनधन बदधलवान परिगरगषटसतविवासन
निधिसय मदयना धरमबनधन मरतत फतिपयदरिवसमायदष नरकमिषानवमत । यपपदबदधः पयमनमवानवमदिव । ‹ सत विवासयामास ' -- राभ विवासयामास › परिय बिबासतयामास ॥
(भ) सजगाम वन वीरः परतितनामतपरालयन । पितरवचननियात ककययाः परियकारणान ॥ 2
* स लगाम वन वीरः ' -- सरः - परियः पतो रमः} वीरः -न निरमम तषय मनाक विशया सता! घसो जगाम 1 तिामनपरययन *
~-- पिषथना सदो वीरय, । रहयवीतऽय दियखयन शवन दवभयः घना
रागरायणसकषपसरगरसासयावः _ 41
मरठिकामनषाररन वन जगाम । दती शतपतयः । पितपरचननिात,- ककवयाः पियकरःरणात -- मवयाणिनययन ककययाः इति पद , पित-
चयनरदिशः ककययाः कत ', ‹ ककययाः सरवपरियकारणात वन जगाम"
इदयमयमपि चोतयति । ककयीपरियङारण मखयमितयपि चोपयत तसय चरम-
पठनन । ° नन मयि ककयी कचिदाशसत गणम | भदरानानमवोचसत ममशवरतरा सनी ' इति रामवचन मानयम ॥
(म) त बजनत भरियो अतरा रकमणोऽदजगाम ह । मदादिनयसपमः समिवराननदवधनः 1 25
भरातर दयितो परातः तीतरातरमलदगयन ।
परिय.--पियो हि जानिनोयथम स च मम परियः सति
गीतोकतपकरण जानिना परमातमा सवनः परियतमः। जनानयपरि तथव
परमासन, । परसरमदय वाडननसगोचरनिरतिायनिरयामिकपीतिमनतौ । आतव. एकयपितपतरतवोपाधिकरम । भिय निरपाधिक मदरय
निलयमिति परियदाबदः परथम पठितिः ! अरता--ददो दन कखतराणि दरो
दरो च बानधवाः] तद द न पयामि यतर आता सदोदरः ॥५ इति रामण सीनयिकषयापि तरतररीयससय वकषयत । अतर सीताया अनगमन
पशचदधषपरन 1 भरातरनगभन परथ वणयत 1 शषमण.--पएतजपिवापय रामरफकथगमरटमीनियसमपननल परपरापयति । “लकषया .मचच' इति पातादिगममानलरीरिनिभलयथः 1 अकासथनतदिशचः इति नरी-
गोबिनदराकयामया \ लकषशीनिवयसमपननव रकमणखनदाथः । शमी- वान लभणः शरीकः शरीमानरदयमरः । + चलवारि रकषमीवतो नामानि" -ददयमरघधा । शठदमणो खदिमसमपननः वहिः पराण इवामवत?' इति अतर
रदमणनामनोऽनवधलरसोऽमो ऋषिणा । ५नतरिकषगतः शरीमान इवि
॥
42 रामाथणपघरगरसासवादः
विनीपणसय शीनानिति वषनऽयमव रतोऽचगयत । न रामरवरारादयिकरो रतः । “बरयालममति घसनिधो रसमणो उदिधकपनः” इति ददापरालशति
खमणसय समरसविततवपकतम । रमकतवाररिरत विय दरवमपि रमो मजीवत । ““टकलणोऽनजमाम ह" इति ऋोरविछयो चोदत इ शरीगोविनद-
राजः । भयन यन धाता गचछति तन तन सह गचछति," "कामाननी कामरपय
मकर" इति जञानिनो यकताः तरशरानगमनरताः । सनदादरिनयसमपः--
रामसनहादरामवासयवदधः पितविषध भकटिता ययषसा धधणभमोरथ च हितवा तसमिनविनियमबरटमव । सवोधयाकाणड पकरविघरग रकमणकरोभो
वरणितः ] “हनिषय पितर कदध ककयासकतमानपम । शछपप चासथि बाह वदधमविन गरहितम ॥,तपोविरत “मय मऽललपमवसय पमावः भमविपयति रापत क परयतव च ठव भरमो ! इतयादिक रकमणवचन मानयम । रामसनहात ततसानलवचनगौरयात , पितरविषय पनरबिनीतत मज । रम- सीतामया सद पितखधरणौ ववनद वनायाऽऽषचछावसर । “अथ रामशच सीता च लषमण एताजञरिः । उपसग, राजान चकरदीनाः परदधिणम” इति रोको
मानयः । शनितराननदवरभन” ~ सभिताया आननद वरधयन वनमनजग+म 1 सतसय बनगमन ` दधाननदाऽऽसीद । भमतो राम सतत षरारयदिति तसया हषः । रमय सह गचछतः मरवयपि योधया, रामतनिभि विना योधया जटतयववि तसयाः मनीष । दणडकगमन रामय वनवासः,
सशमणपय तवयोधयाबामन एवद रसः । राम परपोठम, सवयापि स, अगन- शनन, सयः तिय, दवताना च दवन च विवद समितरा । "तय क पगणा- दविकन वापययदा पर' इति कोलयामाशरासयति सा । वातर दवितो अतः सोमातरनददषयन, -- पितनियोय विना सवय बाससतयादमाद । यब रामदयितः । रामसय दयिता भावा अननतरोक वकषयत | सौघरतरात- दरननसयादतारतयम ॥ =
॥
समायणसशरपसरमरलाखवादः 49
(म) शमसय दयिता मारया नितय शराणषमा हिता ॥ 26
जनकसय दर जाता दवमायव निरमिता । सरपरकषणसमपनना नारीणापततमा वधः ॥ श
सशय वनानगमनावसर व सीतानिशः करियत । तसयाः वन-
गमनाननतपमवावतारमयोजनसयावकागोऽमत । ,रामय नितय दयिवा!- ` सनिपरवशनियोजनावसरऽपि, विवासनादसरऽपि निय दयिता । नितय पराण-
समा, नितय मारया, हदि सनतत धारया । गिमरत. ऋदनतो णयद इवि णयत? इति गोबिनदरानः । “मनी तदरताना नितय हदि समरपितः” इति नाल- काणडोकत भावयम 1 विष, “भया दवया मनपतपमन तसय वापया भतिषठित 1
तनय स च धरमा यहमपि जीवति" इति सनदरकाणडोकत च मानयम । पतदवतार दिरदसय सतवात अय गगोऽवदय कीरतनीयः । शतरथा किरहसय
पराणवियोनकलयपसचमो मवत । नितय पराणममा--सवतिन शरीरतलददधिः, सीताया ज पराणतबदधी रामसय | “न. जीवय कषणमपि विना तामति- तकणाम५ इति तदकतिः । (नितय दिता?-तसय कोप तिपि त सानवयति
सा| “माधय लान दिकषयदयादिकमानयम । “अनङसव श जाता" (कऽजाता" इतयपि पदचछदोऽभिमतः 1 यजाता इय लातव } “भमान
जातमन कट मनो.” हति माय रामावतारमपितम नारदोकत मानमम 1
अपर वकता नारद एव | सीताया ईशवरीचाविरोषाय, कलऽनाता' इति
पदचछदमििति भकता । करशनदो गहाथकोपि । बर जनपद गति सनारदीयगगपि च 1 पवन च तनौ छव इतयपरः । जनकसय गदऽनाव । बािरमला । षवपयद निरमिता~मागयनयोऽवतवानी । शावा चया मया चषा यनमा परयति नारद । सरवमतयणवकत नव मा रटसि” इति इयकिमदसय मायालकत नाददाय सवनव यन ।
4 समाणससपसरगरससादः
सपरहतितवपि भराफतवदवमानसपाशचयदातिरसति ! अनयथा परतिमान
दकतयाऽपि मायाशवदवाचयतवम । खदततवादपमि तचछबदवाचधलम 1 शराया नगनमोहिनी । दवमाया --विषणोराशरयशकतिरिि पिग ।
“अननसौनदपय पतकषटोकता” इति गोविनदराज । वततो ञानाननदमयतवनाभाकततवात न दशाननरविशतिदतीरपि सदीसम इति
* सतयमपि जञपयत । मपररकषणसममना"-सरवरपलकषगानानिव दयगता । भता निरमिता विशवघना परयत दिकसथसौनदथदिदसषयवः इति दमारतभव पातीवरणनमिह मावयम । ^नारीणायतमा वध” यथा रामः परपोमः, तथय नारीणामदमा । वधरागदः सनपाधकः । "तमाः समषा जना वधयः"
इषयमरः । “वनवा हि रषयाय वासापयामरणानि च । भरमनगचछनय सीति धषरो ददौ इति वनगमनावर सनपमि वलामाणादिदान जपयत
मनदन ॥ ।
(म ) सीवापयदगता रम चिन सोदिणी यथा । पौरसगतो दर पितरा दशरधन च ॥ ` 2
भव परव "लगरपदधयरथकएीतानापरा सीरधवनय दवयमनसगर- पदलायाविरमय मोनिनलयदिक जञापयत । “इदिषरिमतायाः किमसयाः पावनानतरः ¡ “तीनापि राममनगतता' नारीणामचमा, जस पया, दशरथ-
समवरिसतपा सीतापि सवदधया मरतमतगता । धयाम दावया परा दरषट भतराकाशमरपि 1 ताम रीत पदयनति राजमारगगता जनाः” हति परौतणा शोचनमवययम 1 भगिशनदनद वयगयत। शधि तषविणी यथा, 1 रोषिणी जङषटक गगन वदम चदरममगषछति, हय सकषटफ सणयपरगि गचछति । “मपदपत गमिवयामि सषनती छदाकणटकान'
तयसया उकतिमाचया । पाटकायषिरियम । पाटकादिमियषप सीतति
रामायणसकषपसरमरमासवीदः 45
पाटकषदसथदधन । ५जपरतसत गमिपयामि सदनती काकणटकात ! इति पीलपि यदिमियष परणमामि ताम” इति पाटकासहत ! रकातः पनरा- ममन पपपकन गगनमारभ सायाति ¡ “वरहा सवनारीणामषा च दिवि
दवता 1 रोदिणी न विना चनर यहमपि दयत" । “न चासय महती रकमी राजयनाकषोऽपकषति 1 लोककननतसय कानततवात शीतदधमरिव कषपा" इति रपितरिषय उकत सीताविषयपि तलयम । हषटः समखो वन नगाम
रामः। तथव ततलनी । "पौररनगतो दर पितरा दशारभन च भरावा रकषणः पली सीता च राममननमतः । किमतर चितरम । परशच रामोऽनगतः । दरमनगतः । दर-मदर इति दवधापि पदचछद शयत । अदर पितरा दशरथनानगवः । दर पौररगतः । “यपरचछखनरायानत तन दरमन वरजत । इतयमालया महाराजमचददरथ वचः,” सतषा बनससरमगणोपपरच
मलिततथातरः परविपणणलसः । निशमय राजा कपणः समायो गयवसथितस सतमीकषमाण” इति इरोकौ मयौ । "न दरमनतरनव/ इति रातरया नितोऽमत परिता । यथपि सः नयवरतत, तथापि दट व नयकत । शरम मऽनगता दिनाधामि निदत' । रामपियतम पतर पर रह बषठमन परविषटा चि. “अनदचिशयवदात भनादरिः शबदात?" इति वीपसायकत-
निवधवचपीया अनताऽमहिव । दरशच सपतताः म च पनरवप,
एमालानमव सदा परयनति सरयः ! तदवयवयत “शम मऽदगता दि-
रथापि न निवत," इति इलोकन ! “यतर नानयसदयति'' इनि ममविया- शरतिरपि मावया । चितरा ददारयन च' इति ब शाबदन “मागः इति समचय
इषयत ! “अनवीकषमाणो रमत विषणण आनतयठद } राना मासर चव
ददशतपतौ पथि" } रमणः" सीता च रमाभयनका सपा सदनमतौ
पवयमनजमहः ! न तथा पौराः पितरौ चति वयजयत कररियोरग दिवा
करमभि परयोगन ।
४
46 9 रापायणसकषपसषगरसासवादः
. (म) भगिवरपर दत रगार वयसयत ! यहमासाय धरमातमा मिपरादाधिपि परियम ॥ 29
सतन समनवसयानगमन नियोगङतम । पनममिपवनत रथन साएथितवनाजगमरग विदितम । तदननतरमनगमन याचिततन, कित
नाभयनकञातम । अनगनतमिचछनत भयसरमयव रामः। शरपिवपपर शशगिणा शषणसाराणा वराणि-- कतिम शरीराणि, यशवमन सजातीय
मगमरहणारथानि यसिन. तत शरगिवरपरम” ईइति मोपिनदराजः । परममव वशचनादरतियोतकम । “नयसरयत इति णिचा अनिचछतो बराधिसरमन चयोदयत । “गग सत" । सतपद रथमपयपरकषयति । ससमबनधकः
शबदः । शनवरपसवखवाननमतावदधि छत मया 1 परथ विहाय पदरवा गमिषयामो महावनम" इति मायातऽयोषयाकाणड । दमासाय धरमा । शगिमरपरः इति“परनाजव मगववकल सितम । "गह" इति नामागि वशचतपरतवयोतकम । “हति ोपयति वयति सरसमिति गदः” इतिः गोविमदराज" । गगाकरल इतयनन सदहपपपवाखवान पमानिङगदीष-
दपोपयपरकषयत, यतर यरो दरमालञतिभिशच परितो रामरपागतः । शगिवरपर दगदीपादपचछययाया गहन सहितोऽमत । पदगदीपादपः सोय शरगिवरपर परा । """""""""."""" इतयतारभचरित भवमतिः “गदमासाच धमाल" निपादाधिपरति परियम, । “मासाद दतयतरापि विषि- वाचिना (भा) अयानरनधरयमकत इति गोविनदरानोकत रसयम । "तमारत सपरिषवभय गदः” इति सलविगपरयनत मीरनधकरपामयनरजनि वयमयत । ५सापाप' शयतराढा, तो विपादापरति दवा दरादपसथितम । सहसी, तितरिणा राः समागचछदन सः" इतययोधयाकाणड गासयमानरीतया रामो
गदपषमीप सरमणो नगामदयरथो परादयः” । नातया पतन चासयननिदी-
, रमाचणसशचपतारसासवादः „ शा
निरय परसकरणनीदनधसदलपादिमिरसय परमाससव सतरा भकादयत इति नयनयत शगदमासाय धरमाला' इति सममिवयाहारण । भभजामया पीनाभया पीडयन चाकयमनरवीत, इति रामककपरिपवगोऽपि गासयत । "निषादाधिपति परियम?
यननतरपटनन वदमदवयगयत । “निषादो मगघाी सयात! | “निषाद- रानकतोहदतनितसौशीलयसागर"” इति रघवीरगय । सवपादोदतगगाङल सौशीचयसागरो रामो निषादराजन सगतः । ५निषादाना नता कपिकरपतिः , कापि शबरी कचः कजजा सा जरजयवतयो मासयकदिति । भमीषा निननत
दषणिरिपतरलतिमपि भतः सोतोभिः परसममनकमप समयसि" इति दया- शतकदरोको भावयः । "शामसयाससमः सला" इति गासयमान समायत
शरिय मिति । निपादजातयो बलवान सयपतिशचति विशरतः” । भय निपाद-
सथपतिः रमिणाससमसलिलनामिमलय सरिरपयत । “एतया निषादसथपति याजयत" इति-धतिः निषादसथपततदिकमनरयोजनीयलय निनगाद ! अय निपादसथपतिपतलल अनिषयत, का हानिसतयाजन ॥
(मर) गदन सहितो रामः लकषमणन च सीतया । तषनन बन गतवा नदीसतीरतवा बहदकाः ॥ 90
चितरकटमनपरापय भरराजसय शषासनात ।
रमयमावसथ कतवा रममाणा वन तरयः ।
दवगनधरषतकाशाः ततर त नयवसन सखम ॥ 31 "सह सौमिनिमा रामः समागचछहदन सः” इति जयोधयाकाणड 1
सीर सत न तिरि \ रमण निदि, \ उत दयणपद सीतामपयष-
सयति । पषदोएठथा सीतायाः न तथा भाषानयम । गगल ईयदीपा-
दपचछायायमितषा चदा साहय किनि टनीय, हदय च ठखमीयमिति
48 रामायपसशचपसरमरसासवदः
वरारयो वयगयत चतरणामपि सादितयपयकदरोक सदपठनन। मरक एव तदत परिसमापतम ¡ भननतरदरोकारम म". "तर इति गदाद पयर कीलनत इतर गरयोऽपि | त वनन वन गला नदीपतीलौ महदकाः.। तवन--दवम, "तद दवनः । करीया रममाणाः गचछनति नादरनम । यदहदकाः नदीः लीलया तरनति । “तवन फादचारण" ।
हतः पर पदधयामव सरकारयनिमिदणाम यातरा कियत । नत यनन वन गतवा^ “अवदय रकषण काथमचछ मिजन वन । जमरतो गचछ सौमित सीवा सवामनगरचछत 1 तोऽ गमिपयामि तवा च सीता च पाटयन” इति ^भगरतः परययौ रामः सीता मधय धमधयमा । पषठतपतधनपपापिः रकषमणोऽमनगामर ह” इति च वकषयत । सीतारकषणारथ तषयाः मधययायिलयम । ततचयतऽनन । रकषणपरयोजनायगोधत सीता मधयतः कतवा गचछतः । भत तरयः चन रममाणाः, इतयननतदलोकनानवयसतरनदपय । मपनन--
जगदरषणनिमिसम । नदरीतीतया बहदकाः” “नितकटमनमरापय भरदवाजसय
शासनात । भरदवाजसय शवासतनादितयतत "नदरीतीला महदकाः इतमननापय- ` नयति । “जथा त कानद शीपरभोततसमापगाम । ““" “तय अव
छता तरताशमती नदीम" इति नदरीतरणारिक वनादवनगमम चोपदिशयत 1
“फकानत पदम भमवताघरमभयानमचमम । रमत यतर वददी घखारदा जनकाम- जा" इनि वाससय मरदवाजमनिना वरणीयता पररभिता ) "याकता चिब
मरः शरगाणययषत । कलयाणानि समात न पार करत मनः ।॥' इति चितर-
टो करत मरदवानिन । वातमीकिरमगवान ततर वकषति । तरमाणामतिषा तससमीप यास उमितः एव । रामाय ततर परषयत । सपण राभा- यणम 1 अयोधषयाणड एकः शगः 1 ठहाकषणडनापरः। "मय नासो
भववावद सौमय पतमदि ! दत सीता च रश रमणध शनरि, ! अमिामयाधम सव शसीरिममिबदयनः, इति. गासयत । मददराजसय
रमायणसकषपसगरसासतरादः 49
शासनात, सनयादिषटतवन चितकरटवास रतिः । वाससथानवरण रामदचिनयो सकमणः । मदवानरचिनयो रामः । “मटरानरासनपरिगरहीतविनकट- गिछिरकतदरमयावसथ जननयशासनीयः” इति रषवीरगय अय रः रदरदितः । अननयः परमालकपर शासनीय मवति सवरः । "वासमौपमिक मनय त राम महावर ! नानानगगणोपिः "^ गमयता मवा हट शितरहटः स विशवः । """" """" """चरतससीततया साध ननदिपयति
मनसतव” इति भददराजशासनम । इति पनथानमादिदय महरपिः स नयतः” इत तद दशो वणयत । “तषा सवसययन चव महरपिः स चकार ६ । भरसितोशव तान पिता पतरानिवानवगात।" पितव शासति मगवान मदानः पयलविरष वात छर इति। ताटकाताटकयायोधनाथ गमन माता सवसययन कार । इदानी सददपणदराणलादियोघनाय गमनावसर पतिव भददरान- सनिः सवतययन चकार ! माता भर पिता वा तदथ म गचछति रामः इति न वद । मददवानसत तदद । मातापितकरतवय सनि; करोति । “जलपापय “कारिनदीमनगचछता नदी पशानसाभनिताम । कारिनदीतीसमन जगमन। , यापनवन त तयो रमिर । “चरतधनावन” “विहतय त वरदिणपगनादित शचम षन वानएवारणायत" इयादिक माघयम । “रममाणा वन परयः शरमिधन वचछषो कानी च रममाणाशरनति । याघनवन दनदावन षषणः ोपशच रमात । म रमणी ततर सननदिता । जतर यायनवन तरयोपि विनदिर । “रमयमावसथ छतव ।""टकषमणानय दारणि दढानि च वराणि च । करपवावसथ सौमय दास मऽमिरत मनः । तसय तदवन भला सौमिनिरविविषान दरमान । आजहार ततय पगासमरिनदमः। इतयादिक मानयम । रममाणा यन तरयः “तदा विजहः घर जितनियाः” । तापसनतानरोन जिततिनितया रमण दमपोदि । “यच कामघस लोक यच दिवय मदलखसम। दणकषयससयत गतः पोडरसी कलाम 1" यन । “जहौ च दःख परकिवासात 1 दवगनधव-
50 रपरायणसघचपसगरसासवादः
सकाराकतरत नयवसन सम ॥” “मालाना मनय रम ददरथासनम ।" समादवाद घतरास राषदपय निवशन! जानामाटषान भोगान" इटयकतीप
इर माहषानदोऽगदतषम । चतर वन तषा तदविक दवगनधरवाननदोऽम- दितिषचिनयरसो रपयः 1 मरथ चाननदः अकामहतानामाननदः नितनदियाणा
माननदः । वसततः “यतो वाचो निनतनत । अपरापय मनसा सह । आननद
बरहमणो विदवान न बिभति कतशचनति - वरणित निरतिशयतवरहयाननदमान एव
तरयोपि]
म) चिनरकट गत राम पतरयोकातरसतदा ¦ रजा दरथः सवभ जगाम विपच सतम ॥ 42
पटपधारतसग“रमयमासाय त चितरटम इति चितरदटमापिवरणिताः तदननतरसरगादारभय समनतरपयजयोधयापतयातिः दरारथविटापदिफच वरणपतऽयोधयाकाणड } रकषपकरमसय रखानसारि रामायणम । राला ददारथः
सवग जगाम । यथपि द दिकषयपि ददारथपय रथः भावित दाततः थापि तसथकमनरथावातिमगयनासीदिति वयजयत 1 “अतिकरानतमतिकानतमभ- वापय मनोरथम 1 राम रागयमनिदधिपय पिता म विनचिपयति" इति गहसतनिभौ
रकषमणविदयपो मानयः | विरपन सत सरग जमाम । पाणियोगकषणपरनत
सरविरपतवासत । ५अनयावानो विषय । जमतलयए सतः ^» ययपि
दएमताद पव सवगमसहद जगाम, दानी त सरथो न जगाम नापि स~ ` रात नगाम । किनत ममनमनोरथः सत परिरपन जगराम । पतरदोकातरः
नाय दीरवाय राजा कदापि वयापिषीडितोऽमवत । तीनतमासदयपतरोकातर मभिरविययन । “'तसादरोनजः शोकः सनसयापरतिकरमणः । उचछोपयति भ माणान वारि सतोकगिवातपः” इति ददपथदिशनतरगदरोषौ - मावयः |
तदरग “राजा ददयरयः शोचन जीवितानतमपागमदः, इनि शयक भसमन सपपदलोक इव भाजः दारथ" इति पटयत तिपयण ॥
रमायणसशपसरगरसासवादः 51
(म) शत ठ तसमिन मरतः वरिष; । निगजयमानो राजयाय नचछदराजय महावलः ॥ 39
'एजयसय मरणात मरत इति समासया! इति कादयपनोक शकनत । ककयीकिाहालमव, ककवीपतरय' राजयामिषकः का इति समय; तः । पिददवरादपि तय रावयमारमरण पराम । .धमादरदवो भव, सतदवो मव । भाचायदवो भव इति गरतरितयञचासनानवरमितरमनधिष दया भाचाधसन । एतच तिकरमण जतय शररयनिवोगोऽपयमब- वानामिपकविषय । माता परणमनसकतया सतीतरोकतणठमनराशास । सयवनोवधन पितरा तनयोगः कतः । धननतर वसिषमसराचरयरपि नियोजितः | वसिषरदिरनियजयमानः” इतयनन मातापितनियोजनमपयप- रसयत । शरयमियोगोऽपयदषितः। बहकिवाकयपन च। त दवः कवर सवचछामातम । धचछराजय' मियक एव हतः । “निवतविलवा राम च तया दीपतनसः। दासमतो मविपयामि खमधितनानतरासना?” इति तसय रामदासकचछा महापरवनी । "चछत महाबलः, यदपि राजयमारमरणसामरथय महदवासीत, वरवती तसय रामयनदासयचछा। “यावनन राजय राजयाः पित- वतामद सथिः | अमिपकनरशचिननो न म शानतििविषयति 1” इति तसय बरनान मनोरथः । दासमताः सवतव मानः परमासन.” । रामदासय निरतया रतिरमतसय । माघ रतो भरतः । अग माः रामदासयरषमीः 1 तामवापयचछा | तरव सवसय भाः दीषिपियिन बदधि" । रजय चाह च रमय वतमिहातिः” । राजय चाह च रामसय सवम । ततसव कथ- महमपदरयम । “कथ ददयरथाजातो मवव रागयापहारकः"” । तसय राजय- भरण घोर पापमिति निशचय. + \
(म) मजगाम बन वीर रामपादपरमादकः ॥ 34
2 गामरायणसशपसरगरसासयादः
` रणय गरमिरनियकतोऽपि .वन जगाम । किमरथम । मपादपरसद- नाधम } तातपादाः जाचापादाः इति वदयः । भय घ तातपादाना
साचारथपादाना च नियोगसय तवमसादमनपकष, ‹ गर महारणधगत यशसविन भरसादयिषयन इति रधया रागयादान पभसादयिष वषम जगाम ।
मातषखात दशरथमतिशवण शयो म भराता पिता बनः यसय दासोऽलि
वमतः । तसय मा -दीपरमारयादि रामसयदनिटकमणः । पिता हि भवति षय; धपमाषय जानतः तसय पादौ अहीपयामि सर हीदानी गतिरमम" इति मरतोत भावयम । 'रमपादपसादकः' रामसय पादयोः पतिता भिरा
सायन भनोएथः । "यापन चरणौ भादः पारथिवनयजनानवितौ । शिरसा धारयिपयामि न म शानतरमविपयति” इति रामपादयोः धसादन सकलपितम ।
भमारमपादाविपौ मतौ) इति. पाटकयोः पादामितलममिमतम } तम च सकरपतय न मोषीभवनम ॥ ४
(म) गतवा त स मदातमान राम सतयपराकरमम 1 अयाचत भातर राममायमवरषरसकवः ॥ 95
तवमव जा धरम शति राम वचोऽवीन । "अह वनि महासा राम सतयपराफमम” इति विधामिमोकतरीतयः
तपति सथिताः महासा रामर सतयपराकम विदः 1 शरमभकतितपति सथितो भरतो तयव रर वद | ५ तपशचरति परौ मा लदधवतया भरतः पर" इति गायत रणमखन । (भयाएवत परातर राम राजयामिपकगीफारमयाचत । स एवानन यमाणो वटः } माता मरताय राजयदान रामविाततम चऽणत 1
आमावपरसछतः परसछसोरमाथयमायः । णाय वय मावो रकतः कलरसछतः १ सय मततत रि दम, अरवराणमणठ । नासवदनय र. ! दमकतिरिति गय" सति रपवधोकत भावयम । शरा, यवा मरणीयः।
रामयणसचपसरीरसासयादः 54
शय चाह च यमसय भारः तरणीयन । रोम ~ रमयता वरम । -छरिमतमो गरति भरतः अदय रमण सरयितरा रमविरयः 1 (तमव
कषा परम" इति राम वनोऽगरीव । वमव राजा धरमश इति पय ओमभावचः । गतवव राना सवकारौऽनययोगधयवचछदकः सयोगनयव-
चछद । राजव ल, न त तापसो मस । त राना दविपदा कषः । शरयाणामपि रोकानी रीजयमरति राव" ॥ नाह राजयभार वड शमः । दरावार खदनयन रायलणटिद महत । गति सर इवाशत तसयव परतलिणः 1 अनगनत न दाकतिम गति ठव महीपत ॥”
(श) रामोऽपि परमोदारः सखः समहायाः न चचछतपतरदशाद रवय रामो महाबलः ॥ * 98 शमोऽपि ~ सवमावतः सरवरमयिवरचदीरोऽपि। परमोदापऽपि ~
परो मा समादिति परमः । जौदाय नि.समामयपिकोऽपि । यलोऽपि-
भायमरतविषय परमसननोऽपि । ५न दरथिन- ,कारवादपताः काकरय-
यो विमखाः परयानति" इति रघवशोकतदरोक उद हतो गोविनदराजन । समानयारथिवपि न दिसो मवत । समहायशाः ~ सरथिमनोरयपरण
सय समहा । एवमपि राजय न चचछत । ततर रौ दत । ततर परथमः
पितरदशाद इति । गवरमादशो मानयतमः । सचदिदयः नासान
सवपरतिलन करत कतः । पितरमियोगपःरम, पिवसवयनतपाखन च । सपरय
दद. महाबल इति । जामदनयजयनासय यटनिससमाभययिकमिति
भकारितम । धरम महावर विहाय कोऽनयो शलोकतरयकषटकमतदकषट कणटचछदससमथः |
(भ) पादक चासय राजयाय नयास दतवा पनः पनः निवतयामाम वतो' भरत मरतागरनः 1 ५
-) रापरायगसशपसरगसतासवादः
जयाय - राजय फ, राजयपरिपासनाय ।, रघ कम मसो राजयाय । रामः सवसयन सवपाद सवपरतिभरतन ददौ रषयाय ~ राज- करमनिवदाय । राजयमारनिरधहण राम नयसत भरतन । रामण तदवश भरत- दवारी सवपाटकयोनतः | “आना दि मि स नयास. निधिपतः सौहदादयम । समिम पारमिषयामि रापवागमन परति 1" भाभया राजय सथितो धरमः पाटकामया गरोरमम । “भरताय पर नमोऽसत तसम भरथमोदाहरणाय भकतिमाजाम । . यदपरमङोपतः परथिवया परथितो राधपादकापावः!
इयकतरीतया भरतः पादकाऽरचनमागददयचारगोऽभवत 1 मरतोपतत पटका- पमनसपदायततिः पादपजासयान पाटकपना तरियत । (ततो मरतागरजः
भरत पतः पनरनिवपयामास ॥" भरतसयारनलराठ. रामसत सकधित- सवामिपचनमनोरयात निवसयिशकतोऽमत । समरनपातनभयकसवरपलवात तनिगिः शकयाऽमत । दषय परसताचछरायाम” इति परायोपवदौ करत भचछत ॥
(म) स फाममनवापयव रामपादावपरपान ॥ , 9 ननदिरामऽकरोदराजय रमागमनकाकषिपा ॥
यावकत चरणौ आतः शिरसा धारयिपयामि! इवयकः कामः |
"यावच रजय रानयाः पिततामद सथितः} समिपकजरशितिः म भ शानतिरमविपयति 1" इतयपरः दय कामसय काषठा । सा नावाप । शव- चरणयोः दिरसा घारणकमना तवापत 1 रामपदावपसएधाम ~ पादयतय-
, चमामिमतपादकयोः चिरि घारणमामय रनपम 1 पादायपन तदमदण
राजयमकरोत 1 रामागमनफोकषया रागयमकरत । रामागमनाशराससएव
तय पराएपाएकोऽमन 1 "मगमामनधः दधस परायो छहनाना कषः
पाति परणयिहदय विपरयोग रणदधि | 'टामागमनमाकादन भतो मत
४ रामरायणसशनपसरमरसासवादः + 59
कसर ननदिराम ~ माम राजयमकरोद । न नगर, न रानधानयाम।
कसतरतनियमबिदधलाकषगरवाससय । परतिनिदव राम परछरतय ठदमिष-
दतसवसरमपरससरमव राजधानी परविदयत ! मरताशरमस परामसयलमव-
चितम ¦ रामगिरयाशरम इव मरतामः । चलारोऽपि धातः साशरमवासिन
एवामकन । “ननदगरामऽकरोदाजय ट सितो मनतििससद' इति शासयत
रणयकरणसय दःखमयतवम । ननदिाम दःखमयी सथितिः । ननदान!
शति नाममातरम । यथा सदलोकवनिकानाम । शलोकमामः' इति तवम ।
विपरीतलकणा । परोशमतरि लवोवयायाः ननदाम: { “राजयमकरोव” इति
परपदन सवसय पसमन फटसनिदपिरवगमयत इति गोविनदराजनयाएया
रथा । उपन - यह सवानससन' इति तदरयसया। मयादौ ~ भायपदानिमौ मतौ, इमि मरसय रामपादकयो; रामपादनिरविरोषा बह-
मतिः सा मरतमतिः वयजयत “पादौ" इति िरदोन । राजमयन दयकष-
माणो यभिषठिः, “तवसाटक अविरत परि य चरनति धयायनतयमदमन सभियो गणनति । विनदनति त कमरनाम मवापवरगमादासत यदि त भादिष रय नानय । तदषदव मबतशवरणारविनदसवाचमावमिह पठ लोक पमः” `
इति शरहणपाटकातवामदिमानमगायत, मागवतदम दविसकततितमाधयाय ॥
(मर) भ ह मसत शरीमान सतयसनधो जितनदरियः ॥ 38
रामसत पनरालकय नागरसय जनसय च । ततरागमनमकागर दणडकान परविव ह ॥ 40
गतत भस ~ भरतसय चितरकार बहमासरपाभय-
ममकत । भरिया सीतया सदितोऽपि रामः भरतगमन समपनन एव शीमा-
नमकद । यसय भरतसय कषणविरयोऽपि रामसयातिदससदः, तसय मरसय सवः
४ रमायणसशचषतभरलासवादः ,
, सकाशात. जपवाहनमवाकाितयमभवत सवावतारकानिरमहणाय | “निधितपि
-दि म वदधिनयास चदमता । भरपतहसनता वाटिदीकियत पनः ॥".
“कद नव समषयामि मरतन महातना» इति विपति रामः पचववध, ,भरतविरहसनतत"। भरतनिबनतय.ईभयसवऽपि अयोधया पति मनन, भव चिरसा याचमानसय मरतसयाऽयोया परतयागमन सवकरवनयवगवापतत- सवछतराकषसवधपतिकाविरोधिवात य तथकानतनषममत । गत द मसत ' सतयसनधोऽमयत । सथित त तसन सनधायाः चनिथिरीमवनमयम । शरीमान --परतिकञाभगमयजनितविपादविगमात उतनरशमनतिविरोपः । सतय-
" सनधः- मरतनिरवनधगापयविचालयपरतिनः । जितनदरियः ~ 'ातभरतादि- ररयनातयाज सतयपि राणयमोगरौलयरदितः' इति शरीगोविनदरानः । पन- रागमल - छन सट परवमागतय मशतन सदाभिताना पनरागमनम 1 मागरसय जनसय पनरागमनमारोचय ~ वनवासरतनियमसय नागर- जनाना भयससमागमः विरोधीसयमिपरायः । यनवासनत नागरननमय-
ससमिशरणन मगयत 1. जारणयफरसद धतिः समागमशच तरत चितः । एकागरः ~ बनवसतिः नागसमागमः शति थता भवत । वनवयमता नभिरवयभरता च ] एकामरयण सारणयकजनसमाम पव वनवासमतानधी
सयात \ वनवासपरत एकागरः दणटफान गनतमियष । शटद भ मरतो द मातरशय सनागराः । सरा च म, पतिरनवति ताननितयमरोचतः॥ सकनधा-
वारनिवशन तन तसय महासनः । लयहमतिररीयश रपमरदः शतो शदाम ॥
तषमादनयतर गचछामः शति सचिनतय रपवः । भरातिटव सपददा रधमणन च सगतः॥ इति कवय 1 "न तपरारोचणदरास फारणरबटभिपतदा एति फारणवहल दणठकावदो 1 चशबदन शतरकारणसषययः 1. दणडकान
शरशरिदय ~ वन समार भरवियच रषयः मरदमणः परव शवापमषटय! तययोपयाकापडानतिभयक मदारघयमवश चछः । सपरायोषयाकाषडः
58 रोमायणसशचपसगरसासवादः
इतिवदसय कचनम । करमगतीकषणागसततातनमरीन दद ! अगतय-': आतदरशनाननतर अगसयाधरममगमदामः । भतर "सभयत परव मिति नयाप." मनय वपठकमविपरययः । भमगसयममिगचछयममिवादपितौ सनिम +"
मनोरथो महनिषः हदि म परिवतत ॥ यदत सनिवर, शमयमषि : , सवयन” इति कथयन रामः अगकयाशरममा पपरचछ पतीषणहनिम 1*
"जहमालयाति -त बरव यतरागसयो महादनिः” इति तममागमादिशत " सतीकषणनिः । 'हमपयतदव ला वकतकामः सरषमणम । सगसतय-
ममिगचछति सीतया सह रापव । दिषटया लिदानीगरथऽपिन सयमव बरवीषि माम? इति सतीकषणः सवयमवागसतयदरहनविषय राममदषटकामोऽमवत ।
दव एव वयजयतआसयदीनसय सतीपणदरशनाननतसठनन । अगतयभरातर ततथा इति सकषप कावय च रातनाम न निरदिम सदन इति तननामति
गोविनदराज; । भगसयासरमगमनममि मषयमाग सनधयाकायमिवरवनात तदराराथम निशामनयदरामः । रातया वयतीताया विमल सरयमणडल जगसय अततमामनय अगषयाशरम लगाम ॥
(म) अगसतयवचनाचव जनरदनर शरासनम । खदभ च परमपरीतसतणी चकषयसायकौ ॥ 42
अगरतयदशीन तदावदरदन च कीरतितम । यगसतययचनाचयव इति
अतर पठनन मधयनिरदिषागसयरतदरान अगसयददीनाररभमव वपरिति छप चोतयति । मटरपिपरतनततायमरव बदधदविनो रामसय रएनिः !
तदववनदिय कयप । वचनादयदरषिः वचनानिविः । रनध शरासन- धनष परणवम, यत जामदनयदसतान रामहसतगत, रामण च वलदसत निदिषठष } वसभ ३ दनददारा अगमधय निषिषचमिव सगसयातमदपधफ
रद परापयितम '{ इनणागसतय निकषितत यनदमिति करत | सङगः
रामायणखसपसरमरसासवदरः 59
चली च ररिव । द दिवय महाप दमरलविमषितम 1 वषणव परप ऋ निरमित विशवकरमणा ॥' इति काय । “जनन धषा राम हता ससय
रान । आजदार परियदीत परा विमणदिवौकसाम | इति च । शवणसय वधारथििरदवरथितो विपयरमानपलन रामतवन जत । वद रन
हाय ततम महदनदपरवङ दीयत । यन तरसा जघान! इतीर
त रावणः । इनदरो जितसतन । इनरादरिपरारथनयाऽवतारः छतः । नदम
सदगादिमिरव रावणादिवघ इपयत महरथिणा रामण च । परमती-ख-
भि कारणम } जयाय भनिगहीप वन षजनयरो यया" इतयाीः रामाय
पयभयत |
(म) बपतसतसय रामसय वन यनचरससद । ऋषयोऽमयागमनसरव वधायासररकषसाम ॥ 48
. सतषा परतिशभरातर राघसाना तया घन ॥ 4५
शयदा रामः वन वनचरशसद थवातसीत, तदा सव पयः रम-
ममयागनय रावणादिरकघा वय पराथयामाघरः ॥ इतयतावदव कथयत । अपय
दतानतसय जगसयदरगनाननतयनानामिपरयत । शरमगाशनमावसयानपमय
“एव कऋषयोऽमयागमन । शवरमग वि यात इनिसवाः समागताः ।
भमबागचनत का लय राम जवरिततजसम ॥' इति पषटसरगरमः। मदरय
विराणा दरशन परथम मीयत सप । महदरपिसणदरयन, तलारथना, तमयः
भतिशरकधाननतर कथयनत । सय ऋषयः -धलनसाः वारतिचयाः समा
मरीचयः | जदमकदाशच वदवः पतरादाराशच धारमिकाः ॥ दनतोखटिनशव
करोनमकाः पर । गानरायया जदाययाशच तयवारावकतसकाः 1 धनय
सससिदाराः वायमकषापतयापर । चाकायतिरयाशचव तथा पयणडिट-
आयनः ॥ बनोपवातिनो दानता; ारदषटवासतः । सजया तपोनितया
60 ` समायणसशषपलरगरासवादः ,
सतपोनविताः । सव अआहमधा धिया जः दययोयाः समाहिताः । शरभगा-
म रामममिनशध तपसाः.॥ अमिगमय च मजञा; राम धरमया कम ञचः परमधरमषिसधापतमाहिताः 1" इति कानयोकताः वरिविषा मदरिरषाः,
सरवषदन विवकषिताः । परमयरमः ~ शरणागतवाणम 1' तसत दारणारथ च शरणय ससपसथिताः । परिपाखय नो रामवधयमानानिरापिरः इवि तषामययपारथना । राकषसाना यन ~ तषा निवाससयानमत वन पग
तषा वध परतिशचाव । तथः इति महरषिकाकषित परतिजतत ॥
(ग) परसिततातशच रामण वधससयति रसाम । । ऋपीणामपनिकसयाना दणडकारणयवासिनाम ।॥ 45
सथति भतिशराग' इति ऋषिमयो राकषसवधमतिहन सयत पष इोक । “माशरवसगरसनधाः भरतिशवः सवः परतिजञा च" ति हरायषः"
शति फोशमदाहतय "यथा ऋपिभिररथितः तथा शरतिजञ . हतयरथः इति पव- शलोकवयारया गोविनदराजपय । भतिपरवकधासोः परतिजाधकल भतिदधम । परवशलोकनासय दरोकसय पनरकतता परिदरणीया । सपरिहरा च सा । ,
भारणयकाणठपषठ रकषोवयपतिजञान कत मनिसघभयः । मयम सीतया
पविना वर च रौदरता नाविपकरणीया' इति विपतरण समारितम शसमारय खा " न दिषषयः, "विवाय बदधया ब सहारन यदरोचत तर भा चिरण! शति तपया निवदनम । “न कथचन सा कारया गहीतथतपा तववा । वदिर विना हनत रकषाम दणडक चरितान 1 सपर विना हनत लोकान वीर न
नमभ' इति तसयाः यनपदधिराकषघहननानिचछा निवदिता तया } ऋषिभयः
छतायाः पतिायाः सीतावाकयन शधिलयनतिमरसग, वसविजञायाः घकमब- .
मौयतरया ददता दः भतिकलता रमण अपय जीति जय चा वा सीत
सरकमणाम । न त मि सतय बरहषणमधो पिषतः' दति। दद ब
89 रामाणसकषपसभरसासयादः
सयननवासिरादसाननिपय तान हव सवय त जगाम । इद च ततव धसता इतयनन वयजयत । वसतसतसय रामसय इति भनादर पदी । राम~ मनाहसय शपा सीतामपरो दध परारमत । सीतविषय एव सा माततामिनय- भवत | †
~ . विदपिता कामरपिणी- विरपणाननतर न तदवययवा कामः समपादयितराकया । (कामरपिणी' काममविकनिषपणीया कामगवी
ˆ जमवत । ससपतासमि भावन भरतार इति तदवचः । रागणायरना सपर राभव मदनातरा 1 भपिपद निदाधातरी वयारीवम दरमम इति कारिदासः।
(कातराणा न भव न टना!। कोमाविषटलामाव कथ तया सयकामः कथयत)
सीतारकषमणसनिधौ “धिरपितता कामरपिणी, करणनासिकाचटदकयोः तयोः तदननतरमपि काममावमययमचत । छदनामिमतापि काममथयवासीत । तत एव फाममयी सा सवावयवदकौ तौ वयति सोदररावणसननिपौ । करणनासिफा-
चछदन न मनागि तसयाः कामचछदोऽमवदिति वयचयत १ . विरपितवऽपि फाममाविकनिरपणीया सपणखा 1 शरपणला' इति सयव तसयाः धोरलपत धसयापयत । कामिनयापसयाः- नखचछदादिक कषय मरपयानमारवय मवत । शरणखा रषी इति निरदशन तसयाः कामितपरपानाहय वयषयत, यत
" चत विवरियत कविना शिषयण शमसच दरयसी राम" दवयादिररफः । तन विरपिता रामसय ददिणो बाहः उकषमणः । तः रदमणकरटकनिलपरण राम- बहतविरपणमवति गरोरभिभायो वयजयत । \
(म ) सतः शपणखा बाकयादयकतानसरकषसान । खर परिशिस चव दषण य रामम ॥ ,
(म) निजयान र रामः तष व ९ \,
रारायणसकपलरीरसासयादः 68
षन तसिभरिवसता जनसथाननिवापिनाम 1
रसा निहतानयासन सदसाणि चतय । 4
शणलावाकयमातरात स .रारताः राम योदयकताः। सवसयान
शवातीनो रामः ननसयानादागतय सः राकषतरमियकत इति गरः पः पनवरदति।
कन तसमिन निवता जनसथाननिवापिनाम } रवा निहतानयासन सनाभि मापि
कदर इनि इद पनः सपीकरियत । यदपि खयः चरमदतः, तथापि स
प परथम रामोपरि दारान निकषप, तदननतर इतर । (ततः शरसदतण
एमममरतिमौबसम ! सयितवा महानाद ननाद समर खटः । तव
भरीमधनवान शदध निदयाचराः । राम नानाविधः शरमयवनत दजयम”
शति कत कविना } जतः परथम खरः निरदिदयत, पनिकाशच तलदानतनन
रम निरदिशयनत । जसपाचपनारथायिकसदरतन चतदासदसरकषसा दतत
जतर ठदरय न शरमकयननिनयःइतयपयमिसनधि सयात । शपगलाकरामातरता-
मढः, तदपनरावणकमातरतामखय सरराषसवधः । शरपणखावाकयात -
भय कन भयकतोऽय पाय चरति पपः । अनिचछति वारषणय बरादिष
नियोजित” इति, “काम एषः इति कामसय पापकमकारयितचयम ।
मतर कामरपिणयाः कामिनयाः शपणखायाः कामकरोषमलकवाकयगरवण-
मातरात किमपयविचारयनतः चतरदशसदसराशषसाः रामममयययन ।
षायायकतान-तपयाः वारयमाताद उचकतान । सपरावयान-नकोि रि
कव क नयाययमिति विचारयामास ॥
` (भ) ठतो ापिवध शरता रावणः कोधमचछितः 1
महाय वरयामास मारीच नाम राकषसम ॥ 49
बाधमाणः सवहो मारीचन स रावणः ।
64 समायणसषपसरमरतासयादः
न पिरोपो बखववा शमो रावण तन त ॥ . - ५, ^
अनादतय त वदराकय रावणः रारचोदिवः 1 , जगाम दमारीचसतसयाशरमपद तदा 1 =. 81
अकपनात चारात दतवा करोधभरचछितोऽमवत । पशचात शण शवात सीतासौनदथशरवभ काममषितोऽमत 1 करोषमरितः मारी सहायन यरयामास । मारीचाथमसय परयमगमन सहायन वरण छतम। 'ननसथानमवधय तसस यपि निपातितम। तपय म कर साविषय तसय मारयापदारणः इति साहाययपररथना कता । मारीचन वारितः तदवाकयमादतय
तदा निचः । पनरपि शरपणखणखात सीतासीनदरयतरण काममरधितो मला पनरमारीचाशरमममिययी । त च शरणमगनत, “अरतो मम चारय मवान हि परमा गतिः” इति घसय कामभदाल भारीवकगतिकतर अननयगतितव च रवन । तदव सबषखो वारितः परिपिदधो रावभो मारीचन तव पारीचवाकयमनादतय “न चकतरोपि मारीच ' हनमि तामदमघ पर । एततकारममवदय म यलयदमि फसितयति, इति भरपननायकारयत । “जगाम सदमारीचः" दतयनिचछतोऽपि मारीचसय रावणचछमया नयन वयजयत गमन
सहयोगरदिमन 1 “लगाम तसयाशरमपद तदा' ।
(म) वन मायाविना दरमपवादच वरपातमजी जहार भारया रामसय ग कषा अटायषष ॥ 82
तनति ~ तनमायया आशरयदितव जयभयत । माया भपयासदीति . मायावी | अररथ पिनि: । ययपर भनिरवचनया माया समीति वा शरगतीति पर िदहमदरसया सयाट तपि एफीरसय स पत, यरयदरमति } अतोऽव मायायीति वयादिशयत । सव मायव सीना .
66 राायणसशरपरषा सवादः
गध निहव दएवा ~ सलयलयावदिषमाणो निदतमरायः नि . इयचयत । “तमसपनीवित ध छरनत रकषापिः । ददर ममौ पल
समीप राघवाशरमात । सा त ताराधिपमखी रावणन सभय तम । गभराज
विनिहत बिलल घदःलिता› इतयसपविदिषमाण बिनिदतराचद; परयोकषयत । मरणपय सयोमाविलवात तथा वयदहारः । असमदरथ तयकतजीदितोऽयमिहि
सीतारमरकषमणाना शोकतापः । ददारथवयसयऽसिन परवयसि वयप पितरलामिमानो दाशचरयः । यसय प रम पतरतयदधिः सीताया च सतपालबदधिः ! “निपपात हतो गधरः धरणयाभलपजीपितः । त दषटवा पतित ममौ कषतजा जयपम 1 मभयषावत वदही सवबनधमिव दःसिता' इति सीतायाः भकतिन बनधतदधिः, दमपकषिशरगसामानमषवपि बनधतधदिरतसयाः
कि पगदशरथयिरवयपय सवाधमपारक सवकत ददचयलमपि परतिरषय भ ककसय भराणतयग तवति } “धावनति मत कक मद मगपकषिणः 1 अय हि एपया राम मा तरातम सगतः। दत विनिहतो मसौ ममाऽ भगयाहिगमः |” ईति सीतया मगपकषिणा सामानयतो बनधभागः असमिन
विदोपशय उकतः । पराणवियोगकततिपयकषणप असय सीताखपशवरीपरिषवगः रामखपशवपरिपगः तदभयोरतिसिनिषररणवीकषण च सममयत । “भाजञना- सना समपरिपवकतः उतसरजन याति!" इति शरत । पतदविपय सा शतिः
परयकषीकरियत ! मरियमाणाः बनधव; पएरिवनयरन विषषयरन यरिपयशथ
बनधजनः । दशवरमिधनन परयायण साकषात सरवाधिक परिषवकतः स सषि पराप | निहवमषदरीनमथिसया लपि वततम हननसय वतसमकषदतवात \ विटपनदतोपछीताया अपि पसयवात शभर हला नटायष' मिदकतम । तदननत-
दलकऽपमि शभ च शहित दवा यथव दलप, इति वनम सीताया अपि मघरदधजनमविरपनमरथतसचित भवति । शता शल `
राषवविषय वोकहलनतरमचयत 1 -' . `
यमायणसशचपषगरसासवादः 67
पच च योतयत । इता शला इति शरवण गषसखादिति अरथाभयत ।
चकतनतराऽरनदिशत शरला च इति गरसखाचछवणहवचनन निहतमिचयघन
अहपावरिषटीवाधकतव वयञयत | नरायदीनासरवमव सीतानयषणमारगयम | सीतरामनविपयति मगवान । तसय तदविपयततवधावकोय जरायः | चा
सकाऽलोकवनिकनपितता दटवा तसदमपदकमति दनमतऽसय जयषनत सपातिः । नरायमखात थवण सीतानवपिणो रामसय, सपातिसखात शरवण
सीतानवपिणो हमपतः । असमिन इटोक दरदानशरवणयपर शरपिपरसिदधमदो
बिवकषयत । सीताविषयशरवणमातरमधना 1 शरतवा शटायपो वाकयमिति
कतिना वयत । वदन शटसाधयम । चकादधयन शोकटठसमचायकन
शोकसय दविगणीतल चोयत । दिगणीङततापाः' इतीर वकषयत कावय ॥
(म) ततलरव यकन गधर दशवा जदायषम । मागमाणो वन शीता राकष सनददश इ ॥ , 8 कबनध नाम रपण पत घोरददीनम ॥ 1
तनव थोकन इति परवोकतथोकदवमतविपयदवय परमप । मथवा निहतगघदनजनिनयोकमात वा । 'सीतादरणन दख न म सौमय तथा
गतम | यथा विनादो मभरसय मकत च परनतप | ईति गपरवपसयाधिक-
द.खलव वसयत रामण 1 जदायदरहन दोकरपकतानानिरवानखपागिरिति
वयजयत शोकनव दगवा' इति सवधारोकतया ¡ वयाममातर भरासतानिः ।
जटायषो राघककरणागयोतिपा सरपरवकरमाणि भसमसाचछतानि । राम पर द जटायषः करमणयरीयनत । शचछ लोकाननततमान" इति रामसमन-
ञानन "यदतत: पर दिव भयोनिरदपयत सनमष वाव यकर" दति चयोति- रषिकरणविपयघरतिवाययोतः जयोनिमियाः तमोऽनीताः शकतया लोकाः
विवकरितः । यथपि पितचामिमतपितरानाघसषलकारमाम = गषररान-
66 रानायणसशपसगरसासयादः
गध निहत शवा ~ यलयसपावरिणमाणो ` निहतमायः नव इतयचयत ! '"तमदपलीवित गध छछरनत राकषसाधिपः । ददश ममरौ पित ,
समीप रषवामात । स घ ताराषिपमली रावणन समीकषय तम । ग ` विनिहत विललयप सटःलिता" इतयलयावशिषटमाण विनिदतरावदः भयकषयत। मरणसय सचोभावितवात तथा वयवहारः । असमदरथ सकतनीवितोऽयमिति सीतारामरकमणाना होकतापः । ददारथवयसयऽपमिन परवयसि वयति . पितलवामिमानो दाशरथः । ससय घ रम पतरतवदधिः ` सीताया च
सतपालवदधिः । “निपपात हतो गधः धरषयामलयजीवितः । त दषटवा पतित
ममौ कषतनादर जरायम । जभयधावत वददी सवबनधमिव दःलिता" इति
सीतायाः भतिन वनयलबदधि दमपदषिगसामानयपयपि बनतवदधिरतसयाः कि पमदसरथचिरवयसय सवाशरमपाटक सवकत दाणखमपि परतिरषय गध _ विकरमय भाणलयाम कतवति । “धावनति नर कत मद गपरषिः । अय दि एषा राम मा तरातमपि सगतः। रोत विनिहतो भमौ ममाऽ
मागयादविहगमः , इति सीतया मगपकषिणा सामानयतो जनधमागः सन विरोषर उकतः । पराणवियोगकतिपयकषणपव जसय सीतारपशवरीपरिषवगः रामरपधरपरिषवगः तदमयोरतिसनिगयकसणवीकषण च सममदत । धरजना- समना समपरिषवकतः उतसरजन याति” इति शरयत । पतदरिपय सा- शति
रतीकरियत । मियमाणाः बनथवः परिपवययदन विरपरन ससकसिपयरथ जनः । ईशवरमिथनन परयायण साहत सवसादिक परिषवकतः सय सि
पराप ¡ निहतगधददौन मथिलया यपि दततम हननसय ततसमकषकचताव ! विलपनरतोससीताया यपि तसयात धर हता नरायष" मिदयकतम] तदननतर
शकऽसिन ग च निहत दषटवा राघवो विलप, इति वचनन सीताया
अपि गपरवधननमविरपनमथौतयचित भवति । शता शलव च धिम इति राघवविपय शोकटलनतरमचयत । चकादरमनोमयोदतवोसससचय यौग-
रामायणसशचपलतीरसासवादः 67
पथ च चोतयत । दतो रतवा इति शरवण गपरयादिति अरथाडभयत ।
कतरनतराऽनिरदशात शला च इति गभररलाचछवणदतसचनन निदतमियतन अलपावरिषटमीवाधकतववयञयत । नटदरदीनामव सीतानवषणमारनधम ।
ीतामनविपयति भगवान । तसय तदिषयततलशरावकोय लरयः | ता
सकाऽशोकवनिकासथिता दव तसदपदशयति हनमतऽसय पयठमराता ` सपातिः । जरायमखात शरवण सीतानवपिणो रामसय, सपातिसखात अव
सीतानपिणो दनमतः । मलिन इोक दरयनशवणयनि शरतिमतिदधभदो
विवय । सीताविषयशरवणमातरमघना । शला शटयपो बाकयमिति
कविना वकषयत । दोन इचटसाधयम ¡ चकारन शोकदतसमचायकन
छय दिगणीडततव चोतयत । विणीडततापातः” इद वकषयत काय ॥
(ग) ततसतनव लोकन यर दधया जटायषम । मागमाणो यन सीता रप सनददध ह ॥ =, 54 कबनध नाम रपण पिछत घोरदगनम ॥ 55
तनव शोकन इति परवोततयोकहतगतमिषयदव परामदयत । मथवा
निहतगरदरमनजनितदोकमान वा । 'सीतादरणय दःख न म सौमय तथा
महम | यथा विनादर गपरसय मकत च परनतप ॥ इति गधवधसयाधिक-
दःलतववकषयत रमण । जायददन वोकरपकनामिरवावरपागिरिति
वययत शलोकनव दणा' इति सावधारणोतया । वयाजमातर परातामि, ।
मतो राषककरणाजयोतिपा सरपकरणि मसमसाकतानि । रमि परावर
च जायः करमणयकषीयनत ! शचछ रोकाननमान" इति रामसमय-
नन "यदतः परो दिवो उयोनिदीपयत अनमष वाव लोकष इति योदि-
रमिकणविषयभतिवावयोकतःचयोतिमियाः तपोऽतीहाः यकतपरपयाः लोकाः
विवकषिताः ! यपि पितललामिमतपितरानापसाषाससकारमाक = गरान
4 ४४
रमायणममपसगसनासयाद, 69
पदम कथनन, ममिदयपमगय सनदरथनवकयनन, ' इसयाशचधवोतनन' च] कबनध साम~ यदपयमय कवनयमना, नायमकानतन कमनय , किनत
कवनयमटशर ¡ अमय निर रमि गिमिन। इद च यमयत कमनय नाम
मपण तङतम वयनन ! धलदहको वा कम वा कमनयमदरयो कन । बानयनोरमि दिन ममरतदधो पिठत" इति टनमणन पचछयत । कगनय- मिव हनि च वरत | यपययननियोरटरगन समय दरगन सनदनमव ॥
(म) त निदतय महायादः ददाह सरमतशच मः । म चामय कथयामाम बरी पमचारिणीम ॥ 86
शरमणी घमनिपणाममिगचछति रायम । ५
त नितय मदरायादशटाह । माम निनिपय दह इनि राम
मानऽनन ¡ रामदमयो जटायमोन भाप | जपदवरविनामनमान रोान
पराप सवन शधपणामिनिपयतत । अय करनयो रामदगय सवीय पषदिवय- सगि परापय सवीमगमत । मवमममनमापचछन । लायमत कमपि लक न रधयामास । कवररामिचछया भनचममोकषपदवीभपनरवरतिनी सपरा ।
महाबाहः दयन कयनयमाहचछगिदिपण सामिपरायम । भ धकर बाहयोजन-
मानौ । पादरादामय च म करौ वीकषणदषटमकलययत । सोऽट अजाभया दीरषाभया सदपयाममिनयनचगन । मिगरदधिपदगवयाघान मकषयामि समनतत १
दति शवनय योननायनममचचममरादकमदागाह । तमय याहचयद
लो मदाबादना रामण । कमनधमाहषयापि जय महवरवाह" । यथपि
सधमण पकार चिचछद तमय रामटकषिणगाहलात न तमयात धक
करन हनयत । यथानमिकरण तमय भरम भयारतलात तसयाव महा -
बरदकीतत म तरियत । चर यगमपि नयगयत शविना स त मान
#
* 68 रामायणसकपसरमरस सवादः
दहनसरि सीतासाहचयमावदयक, ततसहमावसय दरभताद, रमय सा सतिितवामवत । अतातततसाहचरममपि फथविसस पयित' उमयशोकहत- सचयन ! जयायनामकीरषनन तसय सपरणमात षिनताघततवधोतय । “सतर ख इदनत साषवो धरमचारिणः । शलः रायाः सौमित तिवयोनि- मतपयपि, इति रमणसय साधदावदगयपददयतम | साधना पततण
सवावतीरएयमयोननम । यदपि सपवनपभयो गोषयमाणसय रामानपरहण नन समपतनपय जटायषः हवयकरणत न कोपि रमः, तथापि तततषकरणन
ससकदरव भयो छामः तदतमदाकिणयभकाशचनन । भहरपिकलपम ज
सतः शयय रामङतससका वणयत । मदरविकसन--रजपतरलऽगि तापसतरतत रामण, महरपीणा यः परोकतः ससकारकरपः तदविभिना सत इययरथदय पिगकषितम । सवय दोकन ददमान एव गधरानदह ददाह 1 जरायनामाङया गपरपदवचया च जटायपो भागय रामदाकषिथ च
विषमयाबहमिति वयजयत । सदीरषायपो जटायषः जाय सीतारामारथ , अनत भाप] सीया परियमाणन भटायपा रामसय "जायपमन! इति समोषनन दीरायपयलमारिषटम । सीतासयोगशयानिरमाविलनादिषटः “न च तवया
फाया जनकसय सता भति । वददय रसयत पिपर दा त रकषत रण" शति । शभ लदास दणवा क सीतो ममयन कबनध नाम सप वि पोएदीन रकषत सनदर & । दशचदिश रावणो दित तदवधाय, िरोहीनः कवनषो पोरदनो दषिपथ याति । जटाय सशरय तदविषय एतषरयता रसपाध
तदविपयानमन खाषपयसीतानवपण एकोगरमना अमवदविति वयथत मरमणो पन सीम शयननतरोकतया । तोदकौ तावपि पकषिक परा च बदधि परथिधाय मतः । धपवदव सीताधिगम ततौ मनः वन दरावित विषयवासनौ' इति `फानयदरोकनद धयतीफतम । सीतानयपण-
. खय करय एतदयनयोरहारकलमसतयवति चोतयत सीतानपषणमषय
क ॥ 1
रामायणसदधपलगरतासादः 69
एतदधनसय कथनन, समिदयपसगण सतदरगनलरयनन, £ इतयाशरचोतनन' च! कवनध नाम~ ययपयसय कवनधसजञा, मायमकानतन कबनधः, किनत कवयः 1 जसय दिर; रपि विम । इद च वयजयत कबनध नाम सपण वरिवम दइयनन । शत त को वा किमरथ वा कवनयसददो बन । भयनोरपि दीन मरदरो विवषटस" इति रदमणन शचछयत । कनय पि इति च वरत } यचपययमतिवोरदरनः असय दधन सनदरमनमव ॥
(म) त निहतय महाबाहः ददाद सवरगतथ सः । पत चासय कथयामास शवरी धरमचारिणीम ॥ 56
शरम धरनिपणामभिगनछति धवम । 5
त निहतय महाबाहदाह । मामवट निधिपय दद इगि रामः रामतऽनन । रामदगमो जाद पराप । अपसवरतिनामनतमान लोकान
भरा सवन सयणामिनिपयलः अय कमनधो रामदगयः सवीय पषदिवय-
पव परापय सवगीमगमत । समगमनमातरमचछत । वरायसत कमपि लक य परायामास । कवररामचछया अमचममोकषपदयीमपनरावरतिनी सपराप ।
महावा; इतर कबनयवाहचछतविरोपण सामिरयम । भ शकरो बाहयोजन-
मायौ । परादादासय च म छरौ तीकदमकलपयत । सोऽ सनाभया दीामया सङपयासिनवनचरान । सिदयदिचरगवयापरान मकषयामि समनततः"
इति वनधः योजनायतससचषमाहकमहावाहः । तपय बाहचछदः
नो महावराहना रामण । कवनधगाहयकषयापि सय महचरबराहः । यथपि
सदमगः एकाह चिचछद तसय रामददषिणवाहलात न तसतर धयन
कीन दनतन । अथवासमिनय$रण तसय परथम मयारततात तसयातर महा- बाहतकीतम न करियत । सनन गमा वयगयत कविना स त मान- `
0 तमायणसकषपसरमरसासवादः
"वरवीदिनधो यदा रामः सरकषषणः | ठसयत समर बाह तदा सत , गमिषयति, इति शनरकवन रामः सरपमणः इति ररन। ददाह सवतशच स!~ रमण यसय दहो दयत स सरभिदिवयद परापय सतो मवति । स इति पदन यो दधः सः सगति शरगति परापनोत । कोऽय रामकसमा- महिमति वयगयत । मिहतय ददाह इयत दवषारथोऽगपरियत । स वयादाय सवपितीपयतरव समानकालिकतव हननदहनयोः । असय बाहचछदऽपि नाय
मतः । चिताया हमान कवनधरारीर मतिणडोपमम इति वत । निहतयति पदन बाहनिहननमाशर वा आदयम । यदयपि सव गचछता
कवनधन सरीवदरचानतः तःसरयकरण च विसतरशः कथित भतर स शवरयाशरमगमनमातरोपदशकथनन तसयव पराधानयमिति वयजयत । सगरीव- सय सवमयोननाथम । ायरयोरमगमन त तदिचछापरणारथम । सीतानवपण क उपकरयादिति रकषमणषषटः कमनय; सभरीव पराहतवीत । षषट एव सवय शवधमिगमनमपदिदश । चरमकथितमिममपदशमव परथम रामोऽनवतिषत । खननतरमव शपीवकषमीपमगचछत । पपायाः , -पधिममाग शवरयाधरमः । भरामाग सरीथानमतो ऋदयमकः ! पपा परदकषिणीकतय चदरसथितोऽपि रवरयाशरमः परथम गमयत । सीतानवषणतयरावानपि दावरयाधममव -मथ
गचछति रामलपयाधिरमनोरथ रितम । सीतातोऽपि शगरयातकरषबदधिः। शमरयाशरमरमनपविरपयादिक न गणयतऽपिन सीतानवपणावसरऽपि । स च-सवागमनमिमधयसय एव । असय-सीतानवषणतःय । शवरी -पतिलोमसिय ! नावया शववरीमिति सव वयासयावारः । दवरीमिति लातित एव िददातसयाः जापितः भतयनतनिकपयोवनन राषवसय सौरीतय- .काषठामिनयजनाय । “निषादाना नता कपिकलपतिः कापि धवरी कचलः
` कना सा वरजयवतयो मालयरदिति । अमीषा निल वपमिदिपतहततिमपि पमतसमोतोमिः परसममनकमप समयसि, । निदभि सम बरह निकतान सवासना
=
रामायणसपकीरसासयादः शरा
समतवन मावयितवा तससह नीरमभ सदिकपयति । कथित यकषः इतयनिरदिए
नामकयसनिगवत । धारिणी मवत सा नापितः शवरी कि तन ।
सरपिमधमचरणञषीट सा 1 आचारयोपासन चोततमो घः 1 “यतः पति
मताना यन सधमिद ततम । सवकमणा तमभयचय सिदधि विनदनि मानवः" शनि गीत मगवता । सवकरमणा मगवदरचनधरमण' सिदधिरिति । तसमादासनन पयत मतिकामः, इति सणटकतिः बरजञाचायाचनसय मोरपमति-
दत भरसिदधि निजगाद । लडा च तदरधा वयधतत सिदधशपायतवन । शरमणी सयसगपरियानिनी चतरथाथमवषधराम । अपतययिः सवनातिः
परचिरणसरपयीतः सवनातः सवपि पापयसता परगतिमिति त बराह-
गीतादिसिदधमः इति ततवताकलपोकतमिहमावयम 1 सतयाचयः
सरवसमानयधरमाः । साचापरिचरणधरमशच साधारणः । तसथ सरगोमधमलवात
सिदधिसाधन नि सशयलात तदधमाबमबिनो निपणा इतिवयभयत धरमनिपणा- मिति। “सिदधिमवति वा नति सरायोऽचयतसविनाम । न सदायोऽतर तदभकत
परिवरयारतासनाम? इति मरत । तपत दिवमारढाः यानई पथचारिषम'
पनीनामाशमो यषामह च परिचारिणी इति शरया आचारपरिवरया सवा-
चतितिति कययत । अह चः ति शय निदीनता चोतयत साचारयकसणानिरवपि-
कलगयजञनाय । “कचचित शरशरपा सफला चासमापिणि' इति रामण
शययाचरितः उतमधरमः निरदिदयत । रमणयाशचासमापितव चिरगरपरिचरया-
सिदधम । तदाचानयाशरमः शवया आशरम इति वयपदिदयत । शरमणया
बाथानमाशरमः । सव नियत गरमिः चिरकााननतराभयागनतरामय
जातिथय कम | (रामण तापसी एषठ सा सिदधा सिदधसमता, इति सा रामा
गमनासमव सिदधाऽमवदिति सषटमषयत । कथ सा सिदधाऽमवदिति ध ,
उचयत-सिदधसमलया-माचारयोमिमतयति । आलमनञाचनविधायकणडक-
तिरतन शवरीवचानतवननोपरयत । शवकः वानयिततपः सवय तप ।
=
पर रामायपसकपसगरसासवादः
अधयापतपोधरमसत निरनतराचारथपरिचिया । तसमादसयासतपसो न दोषता ॥
१
(भ) सोऽभयगचछनमदातजाः शबरी यतषदनः । । शया पजितससमयच रामो ददरथातमजः ॥ 51
(सधदाऽमिगतससदधिः समदर इव सिनधमिः' इति अपय सदविससदाऽ
मिगमयतव भणितम । जमिगमनमिति पजयविपय वयवहियत । सदविरपयभि-
गमयो राम ता कवरीममभयगचछत । कवनधोऽपि शवमणीममिगचछ' इयवाच |
शतरदनः स! गाचरीमभयगचछत- दणरददनोवोगपयातिलया पतवयलनिरवनधसदभावपि दमा यावरीमभयगचछत । समरयातिययपरतिरहान- नतर सीतानयपणको वयपरोऽमवत । पमयपलकयोटनतर वयजयत 'दशरथालजः
इति परयरामवरणनन, शरया इति पथिकाया जाया निदरन च । रकप- पीद शलयतया समयक कीलत । समयक- समयकतव च पादपरण- पादयानमनादिततमणन । "रामसय पादौ जगराह 'पादमाचमनीय च सय
भादाचयाविधि, भया त विविध वनय सचित परपम । तवारभ परपनयाघर पमपायासतीरपममवम इतयादिवन मावयम । ययपि पवमवाचाय- पिया सा सिदधि पराना निरमनथा मोकषपिदधथपकषा विनापि कवर मतया
राममपजयन आचाधनियोगन सवय भरयोजनलन च । इदमपि पजायाः समयकवम 1 मोदसिदधमतिवनधक कटवर रामसय परतः अनौ भनषय तयाज । “अनतकालऽपि मामिव समरन वयवलला कठयरम। यः परयाति
स मदभव याति नयतर सदायः ||" इति गीत मगवता । ससया िषय भमन! इतय सयान पदयन इनि पटिततवयम । 'दयनती हति या । गमः रमयना चठ; ॥
रामायणसकषपलगरखासवादः 78
पमपातीर दसमता समतो वानरण इ ।
हनपदचनाचचव सरीवण समागतः 1 88
शयरयाननदगफटमिव हनमससमागमः । इद वयजयत शवया पनितः पपातीर एव दनसता सगत, इति वनन । हनमलगतिफ
पीगखयम । इवयचोततरोरकलयाणपरभयरागतिरचयत । शया यन वापरः सीता नषा हतो दविलः । शीय ममाऽरकषमीरनिदहदपि पावकम! डति नरादयमवरमवित परवम । रावरयातिययमतिगरहाननतरपमपातीर एव
वकष रामिण णम ततकटयाण सयपसथितम । तन तततन ट म मनो रकषमण समपरति | हदय हि नवया धममाविरभविपयति । तदा-
गचछ गमिपयावः पा ता 'परिदरयनाम/ इति । तदवयनयतऽन कलयाग- पररभरापटसरोरपटनन । अतर शवरीशवदः तरिः पठयत नारदन । "कतः स धमातमा वरय शावरीमिदम । राघवः पराह" इतीय रीति-
कियत फानय | दातरथा उकतयोऽपि पनारपाः ।
पमपातीर ~ अनन पटन किषकिनधाकाणटपरारमः सचयत ।
दद पमा शमदकानना अनिकनामाविधपशषिनासकाम' इयारणयकाणडोप-
दारः 1 स ता पषकरिणी गलया पदमोयटापाङलाम! इति च किषकिनधा- काणटारमः । पमपातीरवरणकः परथमसरगः 1 रामसय हनमता सगमः गङगा
यमनयसतीगम इवति वयजयत सगवशबदन । शवरी बनमानषी । अरय
वानरः । नमता, इति दनमततनिव दनसतः पमाबो वयमयत । दइवि
यिमयः 1 दनमससमागमाननतसमव सरवाभयदयमातिः । दमदवनाचव- कवनधवचनात हनमदवचनाच । सकरयष इतरवचनादव रामः परवत 1
गसतयदचनात फर शरान यमाद । शनरदवनाथवः इतर चकारण, बहनसयापि समो चोलयत दनदरयनात हनरदरहनाद च ५, (ततो मदम
# 1
प4 रामायणसकपसरगरसासवादः
सदरम करमण गतवा शरतिदरखयनयनम' इति मदौ सदरारनपरिशरानतौ
राधवौ । हनदषवटनलयमो महालमसतयोः । इनमदचनाचति दनोऽ दसतमापण च सचयत । हनसदवचन विपतरतोऽदतदधिसौवादिगणा रामणव वरणिताः ॥
, सगरीवाय च ततव दसदरामो महाबलः । आदितसतदयथादतत सीताया, विरपतः ॥ ६9
यदयपि महादलतन रावणयदध सहायपकाऽसय न सयात, तथापि
सीतानयपणाय ततसदायपिकषसतवति वयजयत महावर! इतयनन । रामसय
महाबरल नानयपणोपयोगि । जनन आरभय सरवतानतकथनपिकषा सीतायाः
तत रावणहतलादिक वर तदनयवणसयावदयकवयततया विरोपणाकथयदवि दचयत
सीताया िदपतः इति ॥
सगरीवधापि ततस शरया रामसय वानरः । ध चकार पलय रामण परीतधवापनिसाधिकम ॥ 80
वानराणा नराण च कथमासीतसमागमः इति सीततरा सारय
पचछयत । "रामसगरीवयोरकय दवयव समजायत इति टनमता वानरसय सवसय सीतादवया आशरममतसमागम इव रामघगरीवयोरपि समागमोऽभवत इति एरवशवदनोचयत सामिनयम | सखय चातर अगनिसािक मवति । पगरीवण
समतयकरण कयनधन सीवानवपण एकोरयलन कथितम । भफरसय यौरसः
पः घमरीवः शति तपसखयवीनितय च सथितम 1 मिमोबदधरमतय ` सपरीदसय सहायवरणमव करठवयमिति सय कथित दिवयजनानवता दवसपतन।
“कर रपव सतयन वयसय वनचारिणम! इति तदषददाः। सतयन वयसय शरण च समया ऽगगसालिकन मवति । अवागिसाधिक रामघभीरसय-
रमायणसशचपसगरसासवादः 75
क नियत । रामसहायामवधण सवायववन सवपतरनोसादितसय वाहिनः पमव रामदातरणा रमसदाण सीतापहारकराणनागनराकषक सय निवरवितमिति सचयत । योह दमरसतमयमिचछामि हसिपिगव ।
तया सह चिर सययकिगय पावकारतः | दाराः पतरीः पर राषट
मोगरचछादनमोजनम । सशरमवाविमकत नो भविपयति हरीशवर" इति बारि-
गीतमकतन रावणन पावकसय परतः दीधसखयपतिनान परारथितम । यपि वी रामसदहायाथमव बरहनियोगन मदनरण वानरयोनाघतादितः रामजनः
पमव, यदयपि वासिनि महदर दतत तदरथमव, जव सवधरपितन सवनितन राकोन जगनिसाकिफ सलयमवरोत ताधनकषण एवति सविषय वयत
उचकाषठपवतरिरो सगतयन "एवमतसरदत वालिना राणः परमो ।
रिदध छतशचापि आता पावकसनिषोः इति । सवपरथितन भविषयता राम
शणा रममारयापदारकण किमधरमयमगनिसातिक सदय चकार त च अरावर- सन माबयामिसमगतयसय विसमयः । बारकाणडसपददो रामसहायाभ दवः ऋवानरपतरोादन वरणितम । अननतर रामावतार परणिवः। मच म-
मीयत; समादता रामसदायदतोः इति सएददासरगोपसहारः । पिपणो' सदायानधरिनः घजघव कामरपिणः । चनधव हरिलपण पतरसतलयपराक-
मान" इति वरहमणाऽऽदिदनत दवाः 1 धवानरनर मदनराममिनधो वाठिन-
रधतम । सगरी जनयामास तपनसतपता वरः" इतयकसय वानरथामिन-
सयमयातादिताविनो भरातरौ 1 शवधपतर च इव रकत च वारिनम । अरारहपतसयत सध त दतिनथपाः 1 ताध सरवानहावाहरवाटी विषः ,
ककम । जगोप सनवीयण वरषगोपचछवानरानः इति मतविपयति जपहत- , सीतानयपण रामरावणयदध च रामसदायारयमव रामपतत मभानसायलनव
बारिनपमददरादि र दत महनरण । सवपिवरमतनधत रावणः 1 द
जिला यवनध रावणपवः इनदरनित । सवपितः इनदरसय पालनाधमव रामः
¶6 शमायणसशपलगरसासवादः
अवतासतिः रानणवधारथिमिः ! रामतनायिषलयकरणाधमव चषटसय तदधमव दवः गतगदीतपमहदलय वाठः परतिपकषिणा सहामितताकषिफ चिराय सप
रय पातरीकतो दवरातः 1 दवदरो पोना सवसामिमतरामदोषा पवमहचमोऽमवत 1 किपकिनधा परानतमगिषवव भसतः कनदी सीतामप-
जहार रावणः । नदमविदितः सयादवासिनिः । कऋशयमकपरानत रामरकषमणागमना-
दिक ततयोः सीतानवपणोयोगादिक च कथ वाऽविदित भगत। विदनति रावण- पकषपातयवासीत । वानरसना रामसना । यन रामसनाधिपदयाधिकार
निरवोः स एव रामपछिनधी रामदातरणा पावकपरतः बदधससयोऽमवत । सनानयन तसय सवोवधो तयायय एव दषटः । सनाभिपतयानपिकतोगि दणडाः किसत दयितः शकषपाती । नानन यदधकरणसय यदध पातनसय
वा निरबनधः | सरलोकमसिदधन सनानयन कषपचछय एव सनिकाधिकार परिसञथ ततो षटः ] दद वयजनयितमव रापावतारसगपग एव वारिनः महाबरपरपतया राबणदतरणनदरण सवपतरतन सषल वरणितम । दवा माचय- रपण चरनत मदीतल' इति राममतिवचनन यतसतयदवः रावणवयाथ' मतसहायारथपसादितः लदधिकार कतपरतया अतयजः अरिपक पराविश; ह
च तवसितरपमाथनया रावणवध मानपरपण चरामि इति वारिप सचोवधयल दतलथभितः | चाणिनः परतिपकषपविटलवदव कबनधन समरीवस एयमवो षादिदयत ।
समरीवसलयकरण शसीताकपीनकषणदाचराणा वाति नतराणि सम सतत इति दोकन कगीनदराबणयोः सखिल रामपकषविहदवल च वयित तयोः
सहपटनन । कपीनरशनदन इनरपतरतऽपि इनदशदरणा गदधपएय इति वयजयत 1 सवसय सवघरातरा सपरीवण सह रामकथसामाजव -वा फपिगनय-
भोग वा सदतयमागय नरपमिति वययत शयगपदविरित सात न मनय सखमावयोः। सौदा आतयकत दि तदिद तात नानयथा इति परीव परति यारि- वचनन । सवसय सवपितरादिदवः विशम हणा च सीनानयपणरायणयदवादिष
1 रामायणसदरपसरमरासवादः
चर नियमित रामसहायमतवानरसनानायकरलायिकार सववदधिमोदाव परितयजय
शकाकलय च पयनावटमबितमितयनतपय शवकत रामसादाय सवपतरणा-
गदन घछासमतन, सवारा धपरीयण च कारयमितयनगास “शराषवसय चत कारय करदनयमविदकया । सयादधरमो दकरण ला च रिसयादविमानिहः। ए तारासनः शरीमान लया तलयपराकमः । रकषसा त वध तपाममरतसत
भविषयति" इति । “यमाण मविपयय बदधिमोहन भा बलान" इनि वदता
घय सवनियतरामककयामिकारादधयः जापतित , रामकरयोरथमव सवन सद~
छन छरा सपरीवण धर छन, रामपरतिपकषिणा सवितरणा रावणना- निपराषिक पय बदध, तिन, ावलदिय विवरिदिना इति सवाननषो-
ऽमियजित- । सयादधरमो राथवकारयाकरण वि बदरा सवनियतघवकारया-
करण घवदधकपददपातो नयायय एवति सवामिपरायो वयजञितः । “लयादयन-
गहीतन राय हाकयटपातितम 1 लव वरमानन तव. चिचानटिना ।
शकय विव चारजयित वपषा चापि शासितम । लतो वधमाकान वाधमागोपि
तारया । सगरीपण सह तरा दधयदधसपागतः?” इति, राममतिवचनाननतर
वानोत मतयम । लदररो वरतनमव मम चनमनियनम । लकम
लल मया काकषगीयः । जनमनियदमदधमः लतसाहाययकरणसपो
मया परितयकतः । मदरममततदधम ययपयह परतिगोधिवमतारया मदतरागद
बाकयमनगदनता, परव मया रावणाय द ससयपरतजषनपादतया
" दिमयन लनमनियतमतिनियतकरममतलतसनानयन करमानठामयकः-
वानः लदादयलदनकाकरणमयकतमहापरायसय सवामिना लया कषय
दडनव शदधि पायामिति जानन लदाणनिहतः लवदरघनलकतराकाटि
कमनमवन लतः सदवपपमयोऽमय च रवा मोप रमिचछन धतीवसनध-
लतसवाकमणविपयदापतमतासपदश चन परितयजय राना दधऽवातरम।
यदि वदम मननियतघ परितयवय रावणन सखय पव नारिपयत, तवा
॥.1
१8 रामायणसशषपसगरसासवादः
तारोषददच एव मया अयकरिपयत । नषरहपतारावशो मता परियमारथ- तारावशचगो नाऽमदम । "न हि तारामत किशचिदनयथा परिवरतयत इतयघय
वनत तारादयऽपि ससयम । रद महनधोपममीमविकमपसादितपव कषम म
नर दति राघवकषमापराथन भदनदरोपम' इति रामसय पिनतसयल घोतयति । (तदभवान दणडसयोगादसमादिगतकिसिपः । गतः सवा पति
धय धरमदधन वरजना! इति राधववचनन `वमदणडनासय किलविपकषयः, हपरकतिमतसलदधाससवसपाविरमावरपमोकषशच मवतीति सषटीनियत ।
रिमीपणविषयाऽमयपरदानदरोक, मवनिवरचिदान पतिजञात “अमय एमतमो
ददामि" इति । इनरदमारायनायामयपरवानरलोक भद ला सपपिभयो
मोकषयिपयामि भा शयचः” इति दोकनिदरततिदान परतिजञातम ।. जनरकमार- वारिविपय “वयम शोक च मोह च मय च हय सथितम" इतिदोकमोदमय- भयोऽमय दततम 1 घरीवाय किनकिनधाराजय दतत, वारिन त मोकषसपरानय दततम । रावणन निहतो गधराजः रामानमोकषसामराजयमरमत । रमण, हतो
वाटी रामानोकषतिदधिमरमत । शरी मोकषपिदितिनधक रीरमन षिपय सिदधि भाप रामसनिभी राम पदयनतव ^वषपा तव सौमयन पनारिमि रघननदन“ इति वदनती । वाटी सवतिदिपरतिवनधक सवागिदरोद- पिददरोददिरपमहापाव सवधरीर च रामणापनायय परियदरशनन सवकीरतितरामददौममनमयननव रामाभयपरदानन परम निःमयततमवाप । पपपव
धनः भगसतयहदिदवादय रामसत परापित परथम इनदरामदतर वणमि यारिन हनत, जननतर रावण नय च ।
(म) ततो वानरराजन परदखयन परति ।
शमायापिदित षय परणयादःसितन च ॥ 61
सपरायणसकषपसगरसासयादः (|
वानररावो यारी ] वानरराललव बाञनि रामसादाययारथमव दवमिति
अमयत ऋषिणा वानरराधदगदन । वानरराजन वाखिना सह वरततानत-
भरकथयति रामण परम तलभ परति तलतिवचनन । परवत रामय
रमवदितम 1 सरपरणबडन सवालयनतरबावहमवाचय सवमायाषपगान- मवापरिकमपयवदिततमिति चोदयत । लनावहतादश गोपयवरिषयावदन दतय
गर सलित सवायनतदःसितत च । रामाय भणविनीरमाघपणवरदन का
कन । यनत द.खनामिमतसय सलोठवन न चितरम । समाटरचानता-
ददनामाव वापिषय वीनकरोयो न मवत यन वालिवधः परतिायत ।
भोति मायाया लकता धद सनातनम । यसल घमाणसय गरीवसय
महालनः । समाया वोर, फामातनषाया पापकत । तदवयतीसव त
धरमात कामरतसय वानर ¡ परातरमारवावमरदीऽसिन दषडोय परतिपादितः । ,
सरसी मगिनी वापि माया वापयनजसय यः 1 परचरत
महः कामात तपय दणडो वधः सयतः । इति रामकरोषसय भान निमिति
समाया वनमिति रामण कथयत ।
(म) परतिनात च रामण वदा बादिवय परति ।
याङिनश चर ततर कथयामास वानरः ॥ “~ 82
तदा-समाटरचानतादिमदयपरायशरवणऽविरवन वाखविधपरतिननान
शवम । ततर-रामिण वारित परतकात, हनतवय शब जापनीयमव ॥
(य) सरी शदभितासीनितय वीयण राघव । राधवगरसययारथ त दनदभः कायगचमम ॥ 63
दशयामाम सपरीमो महापधतसनिमम 1
80 रामायणसशषपसरगरसासवादः
बालिवर सगरीवसयभवयकषानमतम । रामबर त कवर शतम ।
सतः खपीवः शकापरपत ससीत वासिविीरयोधिकरामवीयविपय । नितयम इयय वीपसापलमातपतरति चर भदित गोविनदराजीय महामापयदा- हरणन । रामददीनादारभय सारमदनपथनत परतिकषण शकातासावनभवतवा- सीत । रिगायतऽप सगरीवसय वारिनरतसय । कषणवहलवाद परतदण
भयसयातशच । नितयशमदो निपण भयकतः । एतसिवनतर एककः कषणः अधय शोकमयरिपय यगदातमिव मवतीति वयगयत निलदनदन । बीयण-` वीयविषय । राभदवनातक वालिवोयग नि दोकगिति एवासीत । रष! इति परथनत पिला तथारथपि दयः । “उदवि- दौङितयापि विहरागि महावन! इति सगरीवण कथयत । रामदरदनादननतर . रावववीरयविषय परतिकषण दीकादित पएवपत । रावयपरतययधम इयोधयम 1 राषतसय बारि- महावरकञापनाधमिति व राघववीधविषयसवमलययनिति वा । पथपरोऽधततिर- कचछः । चरमश वीरगोकिदयगकतः । दवावपय नादहदयसथो ! "वालिनः पौर यतत मच वी धति या । तनययकमनाः धरला विधतय यदननर इतयारभय दनदमिव वरणधिचा, एपोऽसथिनिचगतषय दनदभः सपकष"
इति दनदमिकायासथिट परददयषवालिन निहत मनय दषटया रामसय ~ मिम । हतसय मदिपमयसथिपदिनकन रकषमग । उयमयाय परिचत तरसा द धनदयत ॥' इति रावयसय वारिवरमतयया सवपय रापवरवीरपतययारथ च दमयधयर वरयामासति वकषयत। "कलमन कमणि गिरत शरदय वादिनो वध इति रमणन धट दनदमयसथकरटदरमतरपरपपरीकषाकाशा परोकत ममरीवण । "यदि न परतयवोऽसनाक विकरम तव वानर इति रापव- यचनमपि माभयन। उततमनियसय, उततम राषवपरययपाधरम-पतयायर-
निति क, घ सवपतयवसाधनमिति वः { महत उततमत चारथः
भराषवसय वादिमषटावरस विधापत उवभवरयतयायनोवमसाधनम | इति
रामायणसमरपसगरलासादः 81
टकः । उततम-खतत च इति गोविनदरानः। महापवतनिभ- कय~
मकपवतनिकटऽपरमदापरवतमिव सथितम 1
(म) उतसमयितवा महाबाहः तरय चासथि महावलः ॥ - ५
पादाहटन चिकषप सपण दशायोजनम ।
उरसमयिलया-पदसन । “नितपवमयो रामः" इति वकषयत। खदार-
मीषद ला, इति तीरतिलकौ । महावराहः इतयनन बाहवीयनिशचयपि
भववीीला तवत दवसवानिति चोलत । महाबलः पादाहठन
चिङष-फय मदावरः पादागटमतरिण महाकायदरविपमकत । बारी
दन चितरप, मय त परदाकमनिय । मनद हसन विदप ति री
नायसिन निशति वयजयत । पादा रीरा इवि वदयत । जसय
इमीवसय वादिविपयाकावसषर पादाङगवसदनन सपीवय रलायत ।
मीपगादिरवयपरदपदिोकावस हलयमग तान दनय" इलया
मभीवमरयायन तरियत । । ,
(म) विमद च पनः सालानसकिन मदपा ॥ 8
गिरि ससावर चर जनयनपरतयय उदा ।
पनः परीानतरनिरवहयमरधना इना सपीवण वमसयाधम । शम
च विपः सायः -सशालावटमिनः 1 रफ घटति वारी निषयरवितमोज-
घा । तदवा सम वी मया रम भरकर! । सार त निरभिनया
मदवथरयिसायद" इति एकसालनिभदनमव कात बररीकषय । एकन -
मदाणरण सपत साषयम वहनयनधानि च निरमिनद ॥
8 ॥ रामोथणसशचपसयरसासयादः
(म) वतः परीतमनाः तन विसतः त महाकपिः ॥ (11
किपकिनधा रामसहितो जगाम च गहा तदा ।
तरतो गधदधखिरः सगरीषो हमपिङगलः ॥ 8१ `
धच म विगतः दयोः परीतिरव परा मम । यन सपमहासाटा गिरिमरिथ `
दाता; । पाणिनकन काकसथ सथाता त को रणामः ॥ इति सगरीवण वदयत | रामवालिमररपिपय रामसयातिबललमतयायन सोकसयापि
करियतऽपरकषपरीशदरयन । भरतयय ननयचनिति लोकय - रामवरभरसययकएण-
मपि सचयत । तदा-ततपण एव । परवतानतरवकारो शहावदवधथिता किप । हिबडः सिदवाचयपि । गहाया गरजतययदपिवरः
गहाया सिहः सयात गरजत च । सवपन पिहतववदधिरसय । गहाया तष गननादः कवहनाद इवाभवत । अगरजत सगरीवः दोभनरसोषमा सपरीवसय गरीवा । रहापथसगीवकणयात शखोप इव सिहनादः । हम पिगलः शकय निरयवणयः सवरवत पिगट विरराज इति गोविनद- शनः ॥
(म) तन नादन महता निरजगाम हरीशवरः । अनमानय तदा तार सगरीवण समागतः ॥ 68
आचपमहापोवशरवग एव हरीशवरः सवगहानिरजगाम । हरीधरः सपरीयो हसि, जय त हरीधरः। अनमानय इति भिचा मरसननिरवनधनदाम- मादिमिः परीय न चपरारविमोदयामी, ति वाबदानन च कथनित ठा अनरति दापय इति भावो वयजयत । नन परियनमया ताथा सनधिरप
दितपदिषटोि यपरीवग गदधाधसमरागममव रोचयामास, न सनधिसमागमम ।
राषवसदयय एव यभरीयो योधमागत इति सपषटमकत तारया अगदान
रामायणसशचपसरमरसासयादः 88
शटकनला । 'एयवपदायपरीवण सौहदातानमा मतिरसति त इि ताया
भनयगतिकल च सपषट परतियोथितम । “वरमतससमलदवय तव पथ स
परि, षमो हि त कोसटराजसनना न विगरहः शकरसभानतजसा”
छन ठदकतिमनया । उमाभयामपि आतमया रामपक सथातवय, तदयाधसयाभया,
मितय, रामण विगरहो न नयायय इति वदनला तया बालिपभीवमोरक
समोह रनकरनितनोचिलय च सटतम | सवपरियदिततममारयपत- रधिनामपि सिसधकार वाटी, न कचर सवपतरादिसदवलोकनियोयम ।
पतरफाकविषय उकत “स पितरा च परियकतः' इति । जपय पतरपय रामण
वपमवाचकािदरः पिता । परानोरमधय घपरीव एव सहायतन वरणीयः इति
दवना िदानत एवायदितो दिव गचछता दवसतन कबनधन । (तदव
, लया काः स गदस वरः । जरला हि न त सिदधिद पदयानि
बनदन इति तन सीतापतिमापरणाय रामसय यपरीवाननयगतिकतकतम ॥
(म) निजघान च तवरन शरणकन रघवः ।
ततर-यभीवण समागत सति, परदीयमाणि सगरीव आरतिमापय
टमयानमीकषगाय, कमाण दिरशिव राय च सह इति वधियिपयमाण-
सीसा राषवमाहयय दामधवमनि ।' धरण एकन निजघान सवमाया
हारि रवभ बदधमयमदिन पकन दरण निलापि त न निजयान, शिन
भाचछासनानामी,ति त निवकयामास । सवाधरितवमतरमरयापारिण वारि
एरभमन सयो अयान । सवसनाभिकर इनदिवर तदभिकार परिलभय ततो अषटघय दवसवपिततरणा वरदधसखयपय सथः शीचछद एव
सनानययगः] दटकय राजनः दणठयदणडनाय दणडन न योधननिमनधः।
रषदः उति नाम आतचयसाथारणम । यथपीदानी राजा भरतः, उमावपि
रवौ | राथवशवदन दपमदतमरातल वयजयत । भय घाकरतादशचा
वयम! इति राघवण बकषयत ॥
ामायणसशरपसमरसनासवादः* 85
(म) पत च सरवान समानीय चानरान बानरखमः ॥ 70
दवः परसयापयामाप दिदधररमनकातमजाम ।
स च दति, निरता सिदध परमदामिरत सदा 1 .कीनतमिव दवन ननदनऽपरसा गणः । मनतरिष नयसतका च मनतिणामनवकषकम । उतचगरयसनदश कामरतमवथितम ॥ इति वरणयिपयमाणरीतया मकारय सरय विषयानपि इति चोतयत । हनमततियोनाद, "मानयनत त चन सरिताः ासनानमम ]' शरपरातरादघय यः परायाननद वानरः । दतय. पराणानतिको दणडो नातर कारया विचारणा ॥ इति हनमददरारा शासनन समा~ निनाय । वानरान नीटदरारा समानायय सीतायाः पदानवषणचछया वानरान वा दिः परसयापयामास । दिचछः- सीतायाः पदानयषण- मिचछन । दिः चनवपिपः" दति विटकः 1 जनकामना-सीता ।
शतामयोनिजा सीत दया दारयरि दलचयत जनयन सीतािवाहपकरण। दारारथतियतर षषठीपरयोगो रसयः । परमपि दादसथरव सीता । समपरदान- चतरथक न यथाथमवत । सागदपदधसया दवयजनममिकरण ममः सवयमनधित। मामयवदरात जनकन दषटा चतामिमवया सवरथा आासजामिमति-
वियाऽमत । मविपयतितर जनकाय यथा दवर ढमया दन दौ तया मदमपि दिलतदिति दनसदायादसा । दिचछनकरातमजाम इयन जनकालनति षदनद वयजयत । दसयो पपदयामि रावण जानकी तया! इति समपातिवचन (नानकरी' मिति सीताया िरदयः । “जनकसथानजा
रकयथ भरथिढीम' इति च तदकतिः । शवीतादधीनकाकषिणः', -गचषटम इति मीतरापदमयोमोऽपि, 'सीताषपतव विन
" इनि वयतयनि | दवय च तसथ लनकालनाभ इनि
पयानावचनमवययम ।
1 रामरायणसपसरमरसासवादः
ततः सीवयचनात हतवा वालिनमाहव ॥ ६9
सगरीवमव तदराजय राघवः परतयपादयत ।
सपरीववनात वालिन निजयान । सरमयवचनात, अमयनियोगाद करोति राषवः 1 न सवचछामनिधति पनः पनः -कयत । बचनासतिपरि
राषवातानम । वचन कौरिकपयिति करवयमविदकया' इति ताटकावधावसर
उकतम । “भगसतयवयनाधव जगरान दारासनम' नमदवचनाचव धपरीवण
समागतः” इतयादिक मानयम । घपीववचनात वालिनमाहव हला तठः
सगरीवमव तदराञय राधः परतयपादयदितयनवयः कारय; | शवातोः सयाम शवा
दव घव सनयदायत दति रषवदो कारिदासः । वारिषान घरमवः।
-दतरससरव वािराजयमिव । सव तारा परियतमा मिपी । वाहिमनयः
सतरीयपलयः । चारिपतर एव यवराजः । राजयागमत रासयमातयादिक प"
वदव । सयागिवदाददः । परकतिपलयाः जारिलपययः । परतिपयानापत-
मादश च भतयाः मादिरपयनति! “शरातरनतः पर सौमय भविवश पदावर"
पव च पलीमभिपरता तारा चापि समीपिताम । -विहरनतमहोरतर ताव
विगतघवर इति धकयत । मषटतिवः अदशघचतवत यवानो भवति ।
रामण सवोमिपकास सवामिपक इव मितरामिपको निरवसय । "ममयपिना
सटदः सदलाकषमियमराः । शाखन विधिना महरिविितिन भ । गजो गवाद गवयः शमो गनधभादनः । ननदथ दवििदधयव हनमान, नः वाननरः । समयपिशनत सगरीव परसन सगनधिना । सलठिन सहाई
यवो वासव थथा" इति सपरीवपदचमिधदलकाः भावयाः । यथाल सपठसमदरपणयनयादिवीरयादः हरयः तयव रामाभियकपि 1 भलयपदयदिट
। निचा नग -सवयममविवतव वानरयमनयािभिरकएयविति धोस राजय पितर निवदय सवय मायवति नयवसदमिताया भाडपि ।।
रामायणसनपसमरसासवादः ` 85
(प) प च परवान समानीय वानरान वानरम; ॥ 70
दि भसथापयामातर दिचपरजनफातमनाम ।
म च इति, निदरता सिदधा परमदामिरत सदा । कीटनतमिव
दवन ननदनऽपसरसा गः । मनतरिष नयमतका च मनतिणामनवकषकम । उतसतररवयसनदश कामदतमवसथितम ॥' इति वरणविपयमाणरीतया रामकारय
सरव विपमतवानपि इति चोतयत । हनससरतिमोनात, मानयनत त सनय लरिताः शासनानमम ॥ शिपशचरतराधव यः परायाननद वानरः । तसय परणानतिको दणडो नातर कारया विचारणा 1 इति हनमदटारा शासनन समा-
निनाय } वानरान नीलदारा समानायय सीतायाः पदानवषणचछया
वानरान तरवा दिः परसथापयामास । दिचछः- सीतायाः पदानवषण-
मिचछन 1 "द अजनपिष. इति तिटकः 1 जनकतासना-सीता । भतामयोनिना सीना दया ददाथ इलचयत जनकन सीताविवादकरण।
दाशञसयरिदतर पषठपरयोगो रसय ! पपपि दाशरथरव सीता 1 सममदान-
चतथीकारक न यथारथ मवत । रागलयदधया दवयजनममिकरपण मम सवयमरिथततः मागयवदयात जनकन द सतराभिमया सवरधिता जालजामिमति-
विपयाऽमत । भविपयसितर जनकाय यथा कवर दपया ददन ददौ तया मदममपि दिसमदिति इनसदाचादसा । दिचछननकातमजाम इतयन
जनकातजति षदनववयशयत ! शहसयोह भरपदयामि रावण जानी तथा
{ति पषमपातिवचन "जानकी, मिति सीताया दिशः 1 ननकमबामजा रा पतर दरभयथ भथिरीम' इति च तदकति. । शीताददनककषिणः',
सीताया पदमनवषट' इनि मीापदपयोगोऽपि, शीतङपयव सविनन-
सीवादशनतषमय › इति वयदचयति ¡ दव च दतय जनकासवयि इनि
जमोकवनिसदशनपसरगानत दयमतमाधनायचनमवययम ।
8 -समयणसपषषसरग पसासदादः
ततः सगरीवचनात हतवा बारिनमादव ॥ 89
सपरीवभव तदराजय रघवः परतयपादयद ।
सगरीययचनात याणि निजघान । सरभनयवचनात, नयनियोगाव
करीति राणवः | न सवचछामतरणति यनः पनः करयत । वचनासदतिरिति
राथवातठनम । वचन कौरिकपयति करवयमविरकया' इति ताटकावधावषर
उकतम । (सगसयवचनाचिव अगरानद करासनम' "हनमदवचनाचचव दभरीवण
-समागतः, इतयादिक मानयम । सपरीववचनात वाछनिमाहव हतवा तत
सपरीवव तदराऽय राघवः भवयपादयदितयनययः काथः | "धातोः सयान इगा-
द सभव -सनयनदायत इति रव फाटिदाः । वारिपयान सभरीयः।
दतव वारिराजयमिव । सव तारा परियतमा महिषी । वारिमलयः `
सगरीयपलयः | वारिपतर एव यवराजः । राजयागमत रायमालादिक ष
वदव । सयानिवददिशः । भरकतिमतययाः चादिरययः } परतियानासत
मदिश च परययाः जादिरयनति “ातरनतः पर सौमय भवि महावलः” शवा च पलवीमभिमता तारा चापि सपीमिताम । विहरनतमहरत
विगतनयप” इति षयत । परतिमतः जदिदातत यवराजो मवति
रामण सवोमिपकास सवमिमक इव मिननािपको मिखतयत । नमय
सद सदतकषमिवामराः । शाखटन विधिना महरषिविहितन च । गमो
गवाकषो गवयः शरमो गनथभादनः । मनदश दविविदश हनमान नामय वाननलः । वमयपिनत सगरीव भसननन सगनधिना । सलठिन सदस
असवो वासव यया" इति पपरीवपमियकदलकाः मतयाः । ययल ससलषयनयादिदीयाहराः हरय; सयव रामाभिकपि । परसदिति
णिचा नगर -सययमभविशमव यामरराजयमनतयादिमिरकारयदिति चलत ।
राजय मितर निवशय सवय मालयवति नयवसदभिताया भावि ।
समायणसशषपसमरसासवादः " 85
(भ) स च पवान समानीय वानरान वानसमः ॥ (1
दिशः परसथापयामात दिचछररजनकातमजम । .
स च इति, "निदतका सिदधा परमदामितसदा । नति
दव ननदनऽपसरसा गः । मनिघ नयसतकारय च मनतिामनवकषकम । रसनररावयसनदयौ कामदचमवसथितम 1 इति वरणिपयमाणरीतया रामकारय
सरव विमतानि इनि योतयत । हनपतरतितरोषनात, “मानयनत त सनय रिताः शासनानमम ॥ शलिपशचरातरादषव यः परापरयाननह वानरः । तपय
पराणानतिको दणडो नातर कारया विचारणा ॥' इति दनमदारा शासनन समा- निनाय । वानरान नीरवारा समानायय सीतायाः पदानवपणचछया
वानरान रगा दिः परसथापयामास ! दिचछः- सीतायाः पदानवषण-
निचछन । "दः अनपिष? इति वलकः । अजनकामना-सीता । भतामयोनिना सीर दया दायि" इलचयत जनकन सीतामिवाहपकरण। दायरयशतर पषठीपयोमो रषयः । पमपि दादरथरव सीता । सममदान-
चतरथक न यथारथ मवत । लागलपदधसया दवयननममिकपण ममः सवयमसथित। मागयवयात जनकन दटा छतामिमलया सवरधिता आलनामिमति-
तिषयाऽमत । मविषयसितर जनकाय यथा कवर षया दीन ददौ तथा मघषमपर दिसमदिति हनसदायादसा । दिररजनकातमलाम इवय
जनकमजति षदनद वयजयत । शसयो भपदयामि रावण नानक तथा"
इति समपातिवचन जानकी मिति सीताया रियः । लनकसयासरजा
राजः ततर दरदयय गथिटीम। इति च तदकतिः ! 'सीतादरधनकरियः,
"भीतायाः पदमनवषटम! इति मीरापदपयोगोऽपि, भसीताङकपयव सविव
सीनादनपमवः, इनि वययति । चव च तसय अनकासनाय भनि समोकवनिसदधनपषरमनति दयमसधनावचनमवधयम ।
86 । यमीयणतहषतरगरलासादः
(भ) ततो गधरसय वचनात समपतमानयरी ॥ ष1.
शतयोजनविसतीण पषय कवणारणप ।
अलिदरोक किषकिनयनदरकाणडयोसनथिः । ततः इति, शतो रावणनीतायाः' इति घनदरकाणयामरलोकतचनम ।
' समपाति; सीतापदतवदरदी साकषादटा आचायः । तदववनात हन
मानसीता धयायन तामनविपयन सागरमटधयति । किपकिनथकाणडानतमवसय
आचिसमपातिमचनसय हनदनवपणपरयोजकसय सनदरकणडारमऽगयवधानन दधौ सननिभोनमिपयत। धातयोजननिपतीर पषय रवणारणवमिति पदीरदर- भथग; । गधसय बचनातसमयातः यथाऽनयवचनासमतत गमः तथा तदासो हनमान समपातिवचनातसागर रषयतत सीतोददीनाय | चारणा
चरित पथि, इवयपव सीतापतयदररयाचायसमपातिपोकतमागतयपयः- कथञचित आः । शदसयो परपदयामि रावण जानकी तथा' इति सीता ठका रषवा तसयाः टकायामवसथानपदिददय ¡ मपतिरवचन शरता हदयो राबणकषयम ।
हणससागरमाजगः सीताददीनकोकषिणः' इति वकषयमाणम मानयम । (भवता,
त समरथाना न किचिदपि दषकरम । तदक काकषगन करियता बदधिनिःधयः"
इति समपातिना वानराः पोपसाहिताः ववततिशच । गचसयति पदन गधरराजो
समपातिजायोधय जटायः अरपोपददो ममार 1 शतो विशरवसः साकषत
भाता वशवपणसय च । इसयकता दकमामपाणान ममोच पतोशवरः' इति जदयो
रकतिः । शरदि वरि इति रामसय नवाणसय ताक: । दयकला दरी , गधरसय जगः पराणा विदायम" इति रामसय करणयाचजा धयतरो विशय साकषाद आता वशववणषय च ¡ अधयासत मगरी सका राणो माम रकषः ।
` इतो वीप समदमय समप दोतयोजन । तसमिन रकापरी रमया निरमिता
रामायणसशषपसरगरसासवादः 87
, वधकरमणा । तसया वसति वदही दीना कौशययातिनी । रावणनत एदा राकषसीपिसमातरताः इति वानरानमति समयाठिवचन पतरो विरतः
सकषत भराता वररवणसय च, इति शरातनटायचरमाधवचनमवायच
दकतपवावरिषसय परी. करियत चयम गभरणति वयवयत । सामानयमपरशनदमयोगादमयोरपि ममयोधचनघकनायल वयजयत । “जाचाथ-
सतत गति वकता इटयपकोसरविधाया माचा; जगनिमिरपदिदय परिरोपित
पयति । गधाणा सदरवकतिः परसिदधा । (कवनाससमपात" 1 सत-
रपि महान रसः वचनसमपालोपसममिवयाहर । किमरथ सीताघयानादि-
कथनमातरमोपकारः छतः समपातिना । क तनाकारो समपतय सीता दषटवा
तसय रामवचानतोधोगादिकमावच तामाशवायित न शकयत । दावयमव तय
समयनयोति पतित का रया गरत सीता बर । राकषसयायविननात
यथा तथा सीतासमीष गला तया हनमसतमापणादिक टकाया विकरमणादिक
च पम । सपातिः सवय रका परतिचारणाचरति पथि जदशन पति
छक परा समरभोपि इति परकिरकराटकारः । यथपि सपतनसमथः समपाति;
गपर सः। सपातिवचनात रथयन सागर दनमान सपातिवचनानसरणा-
कोषी | "न हि कष सजनत बदधिमनतो भवदविषाः, इति सपातिवचनमन-
सन ^ हि पीविरदधष बहपयष क । मरषातपि सजनत इदनतो
मदरा ' इति रावण परति वदति । सनत इति शाचदमरथानतर भयत ।
समपतिनमामबरी, बटगानव जटाधजयठः सपातिः । तथापि तदपकषा
दनमान बलवत. । तसमादपि सपासययकषपा हनमतो गमनम । रका गनता
रामपघयन बरिषटतया भागयम । चटीति मलरथीयमतययन यलखतिदाय
उचयत । सपतिरनमासरी एमि समरिणानवयोऽपीषयत । सागररयन
, सद मभएनय बकततम च दनषदपकषया 1 विहायसा पतन समरभतरः
सातिः } व त हनभतोऽधिकम । शदधयता च मया वी रावगनय ~ ६
~
88 ` शमायणसशषपशरसासवादः =?
दशलनः' इतयायपय वचनमपि मावयम । हनमान यली-सपातिवचनशरवणा- , ननतरमव जाबवधषणन हनरतो वलाधिकय सयत । इदमपि गयसयत धरी इति लमदविशषणन । «पिष हरिश शषयसव महारणवम 1 परा हि समताना हतमतया गतिसतव । विषणणा हयससय हसन मसपषत ।
विकमलवमहवगो विषणरीन विकरमानिव, इति महरषीणा शपात प सवीय समयत हनमान जाववता ददतमन । "वाधत यतसमाधरितय बलमसमान वयम ।
तदीनार वचासि नासमाक शापमोहितः । यदा दि सयत कीरतिपतदा त वरत यरम] ततः सहजतधोघमहरपिवचनौजसा' इतयरकाणड रामर भलचयतऽगसयन । परममवत हनमहट महरपिापात । पमप बर जामबवतसाएणन भोय उतथापयत । “उप मढ क रष “उरि नराः दतयादामिवातर “उपिषठ दतछिर" इति पवत इति रसोऽनमानयः \ भपपच
हनभदवरय जमबदता बदधतमन सपरमात पदयत इति रषः। दद सरव गयजयतऽतर समपातिववनाननतर सागरञघनास हनमनयडी इति परठनन । ¶नमानवरी इवयाभया पदाभया पकथपरसथयिन जामबवता कतोतसाह
तददनिरवधिकषरवल च घोतयत इति शरीगोविनदरानः ।
(म) कतर छ समासाच पर रणपारिताम ! दद सीता धापनतीमधोकवनिका गताम ॥ 7
रङ रावणपारिता परी समासाय ततर अरोकवनिका गता सी दद दतयनवयः पदिः । ततर इयसय अगवषठवन-इति नाधः । एक- सितवोसतन । शस रावणपारिकाम इति पनः पनः पषिवयत रका- मनशच दषकषटवयोतनाय । समिदपसरयणः चपरगरमातरवकादमपय-
विदय कततरकायामपयापादमानवषय वययत । सरव प भन समपगवधषय सनमत यनिकरमनियति व पर सका समापाच इति रकपरीददता
०५ ॥
रमायणसशपसरसासयाद 8
सभापतादनमपि भहम | अद दि नगरी रका सवयमव छवगमः {ति तया षय 1 दद सीता -सीतापदन तकछरपयय ददरतति वयजयत, तसया पति जनकाय सवय टटिविपीमततरचानतमाणिन । भयायनती राममव
धयननातपदयनती सीता दद । धयानसय दरधीनसमानाकारलववदानत- रिदधम । मातर सीता धयायन हनमान पया. कपया ता ददी । सा भतदा राममव धयाननानपदयनती सथिता । नमान पपपफलदमान पयति
त राममवानपदयती' ति वकषयत । अयोकनिका गता पयायनती- अशोकवनिका च ददयत या महादरमा" चन नतरमन नत मानादरमलता- कतम! इति वकषयत । जनमनो नयनाहादकाशोकािपपपफरमरितदरम
पडा न परयति, पएकसथहदया राममव धयायनती । परी सा मचि, वनिकामातमननवटम । चनिका-मदपाथ अनकमपारथ च कमतयय । निषठट- वादी परमदाबनम । “भलोक दोकाषनदः शोकोपदतयतसम । लतामान क किम परियासनदनन माम" इति रामाकषनवितम । अगोकबनिकागता खपयानतमपरयनती मयसनपरमपरभरा निपीवयमानाऽऽसीत । नलोककनिकामा शकधयानपरा दीना नितय द खपरायणाऽमवत ।
(य) निवदपितवाऽभिनान परवकति निवद च । समाशवासय च वदद मयामाप तोरणम ॥ 7
सीता दद । तसय अमिङघनि निवदयितवा, राममदपि
च वदरी समौशवासय च, भकोकवनिकागत तोरण मदयामास निराया एकददो भतिलसित बहनि कारयाणि हमवा सािता-
नति धोलत अमिनञानमपपण, रामपरकचिनिवदन सीठाममाशवासन च
हन बहिससौषणत । अमभति मयो भय समाधासन तरियत
| रामपदषिनिगदन च पन पन. कत ।
0 शमायणसकषपकरसासवादः
भपिताननियदम च मयो मयः किथत । समाधासन पकानतकन मनि-
तय, न तसय टोकरोह उचितः । पतर, दनमनत करप वयत मनयत मनयति सा! इति ततया विशवासदादपयाकमपनीयतवन जनिः कथिता । कपरिवाय, न कपिकदनाधरो रावण इति तदा दाद विधासय । भनत
पटतरदसरणरम, सीतापरषययकारणात तससययाथमानीतमङटीयकडपममि
जञान तसम पदकषयामास । (समाधसिदि- भदर त कषीणटःखफरा दिः इति ता समाधासवामास च । एकोनचवारिशसस च, शम स दवि शोकषय पार यासयति भरधिलि । रावण चव रामण निहत दकषयऽचिरात। एवमाशवापय दहौ ` हनमानमारतासजः । गमनाय मति कता वदही पनवीत'
शकतम । समाशवासय च यद इति पकषपोकथा चलारियतसणपनत- मलगमयत । (वा रवा परियवकार-सपरहपयामि वानर । जधननातसयव - बरषटि भाय वसनधरा, इति सवसयाः महान हषःसववरचवौदी सतिः जननतससग ।
वरिशसरगादारभय आचतवािशतसगनतसौतापरयययोतादन, रामधरति- . निवदन च, सीतापोलादन च भयानयमोः हनमतः ! शोभिखासिता प भयसा गमिषयति । ततो लातपरितराा शबद करयनननसविनी | जानाना मा विकषालकषी रावण कामरपिणम इयादिना एययपिचिनतन चतर कण रम 1 (रममङधिटकभाण सबनधमनकीपयन । मनारनधिषयामि
तदनधगतमानसयम ! शकषवषरणा वरिषठसय रामसय विदितासनः । शभानि
धयान यचनानि सयन । ावविपयामि सरवाणि धरौ शष गिरम । यदपवतर यथा टीव तथा स समादय शयाम एवोकत हनमता। ` अभिननान जिपरदयिवा इति न रवरमटीयकसमरण, मनत यत ` रामदतलवपतययनननाय शरावयत सीता दनमता रामकथासकीपनमरति
ससथमपि निरकयत, "विधासय त वदहि भरवहतछा मया गणाः. सचि
शदरापदो दवि लामितो नयिताऽनव । पव विशरिता सीता दतभिः शोक.
+ समायणरसकषपसरमरसासवादः 91
` करिता! उपपतमियानद तमयगचछतिः इति पञ 'अरभिनरिति कहवननभयोगात । गरकतामिजानरवद एव परयजयत छिपयण । जमि- भिरिति बहवचनानततया ` च भरयजयत । समिजञानमिति समपदलक जातावकवचनम । अगटीयकसमणसय धराधानयजञापनाधमकवचनपयोगः । निवदनशनदशच समरपण, चापनशचामिधतत ! निवदयिला, निवच' दति भबोगदयसयापि सल समरथित शरीगोविनदरनः। दरयमपयतर भवय एकसितरथ । यावद शरणय परियसय! इति पीतयोकता तिवत । धरता वरतदतानतः, इति अमरः 1 रामलकषमणयोः वादचानतः, तयोः सीतपरलानयनोचोगङवानतच रपिरावदामिपरितः । ` रामसय दश सीतारिहपयकता तदमनायमानता, सीतानवषणतसतयानयनाघयोगशन कन समाशवासन च मयोमय. करोति । समरणसमाशवासनमव ससय- मदशयम | पपकदरयषय तादरथयात तसथ चरमकीरिनम । एततितवपपि एकागिकदमसरगप समिशरतया वरत । तरयाणामपि सया गरहण कतम 1 रमरि तोरणमदनासतमावीति न तषा करमिक वावानादरः 1
नषाणा पमचरगर । मयामातत तोरणम -तोरण च सोकवनबदिररम।
तोरणन वनमपि रकषयत । नमपि मरदितम । तोरणमरदन च तोरणपरिथ- मादाय परनियोमिरकषसवीराणा मरदन च छतम । चणडमारतन बन भजयत ।
तत भाहतिः कथ तत न मनवयात | हद चौविचय परदरवित छपरिण ततो मासधकदधो माहतिभमविकरमः । उतवगन महता दमान कपमथार-
मन इति वनमजनसग एकचसवादो । षणटमारतिवन बमज। धरो बहमिहाषरः धरिया जरसतोरणमासितः कपिः इति सरगानतदरोकोऽतर वयिः ॥
(म) पतर सनागरगान हया सपतमनविखवानपि।
रमक च निषियपय गरहण सयपागमद ॥ 14
92 रामायणसकषपतरमरषासवादः ^`
एकरातरौ भतितरित शतयदधाना -दनबधाना = वरणन कमानादरण तषा योगपदभायलमिति चोतयत । अथ कराः मपिताः । तष तष परतपनो लमबमाटी । “न वीरसना -गणदोचयवनतः इति दरोक नरस ` इदजिसपण, सनाना परषण गणदो नाच एव भवति, न ताभिरमरगसयाबग
समयत शकत राणन । इनदरिदक एव योदध जगाम । परथमधित एवणिकटणा सशीतिपहसदषहनमता । बहना पपणमरोचयमानः
रदतपतमक समादिदश । शय च रावणमावो वयजयत 'परषिणा, स राकषसाना तिहत महदर निदयमय राजञा पदिवरोचनः । समादिददा- . मतिम पराकरम परहसतपतर `सपरर सदरीयम #" इति दविवलारिरपरगानत ।
तसमिन हत नको मननिपतरः मषणीय इति मनतक परषितम । न सना परषिता तदरा । शरहसतपतर निहत. महाबल अमालयपतरानतिवीम- विकरमान । " 'समादिददाहय निराचरधरः" इति चतशवलारिानतिमशटोकन
राबणमाबो वयजयत.। शननतर सनासहिता;ः पशचसनागरनायकाः भपिता"1
पशववीरपसखाः सनया सह तदा परपिताः ¦ परथमरपिताः सवरगिकराः न सनायकाः । शदतान भनतरमतान बदधवा . वानरण महालना, पचसनापर- नायकान सनदिदश दशीवः' यात सनामरगाससव; महामसपरिहाः' इति
त सनदिटः । अवर सकपदटोक पशच ,सनागरगान हतवा इटयकत नत
कविना । शषनपरग शवद रवियोगशययभावपि . माततौ रवकथामपररिण । ` सपलिपतरदवायद ; भसय वयलम. नरदितऽशि मादविदोषः 1 परथम-
सनादलपबहरिकरसषः पपिः, वनत लमगनायकरदिताः - इति भथमपरव-" कष पिसदवोपमयोरपीमरलररफोरणन कथदिन वयजयत । पसलयोपकमध भावि पशत सफोरयति ! पय वा पष वा मवत वीदयोपपसया, वशरमहमी या मद, पशचलवमव तपा, गतिः । पणाना पञचत, सततान च, भीति
\ सदकपम च वतया वगतः । बहना, नायकसदिदा, महती सना पथ.
शमाचणसशतपसरमरसाखाः, 93
सनागरगपपण एव-पषिता 1 शत तसव उलारमपतमदाकरिमददयीकग मनसो
मषटासनः । यछरको -वहमिरमदावरीः परिया जरसतोरणनासविनः कीः इति वनमरयनोचर तरणारदन- सथितन एकनः बहमियधन वीनकाकिन- मिदकतम । ,धयसरको वहमरमदावडः मदायमसियसय चरिः, णदा- सनाभिः” इति दापयरथो महम पतददयतीनाकाकषा पसनामगवधरपपत । इदमपि सचयत तसथमरनिदयोन } वीरशरिया- जवरनतमषपरिनस जितनदिय नयशरीधरिपयत । पसनानायकसटितपशसनामिससद यद समपयमानमय
जयसय; समहती जाजवलयमानता | मनतिमतष हतष - रागपतरोऽकष;
नरससमतः पपितः । तसय शौय गसणा भासयत । तपय शौर हनमननोऽ रनयत । 'अपशषताकष हमानचछपाः ।, 'गबाखदयारदिषाकरमः फरोतयय
कम महनमहावरः ! न चापय सरवादयकरशोभितः भमापण म मतिर जायत दति दनसतोऽपि तदवररजञितचितसय वीरवारटननमतिः परथन नयवाथत इति" वययत. शरमहञ“ मिति { मनतपतमषणाननतर राजपन- पषणसय भरगमलवात णकषपय रावणदमारलममिधान विनव वयगयम | ययि
तदधिसनाऽरषिः परधम समजनि, अननतर न " सततवम नामिमनदपकषिन पराकरमो हय रण विवधत 1 परमापणनतवय ममासय रोचत न दधमानोगनसपधित
कषमः! इति तदवध तीमरचिसदपयनः। भमबर विचरनत त, सः शरततलय-
विकरमः समतय पादयो अणडजधरो महोरगमिव गहीतवा सहयदाः' समा-
बिषय महीतल वगात ममोच ! स च मारः “सबाहतकरीधचिरोधर
कषरभसदनिरमयितासथिटोचनः भमिननसनधिः परविकीरणवनयनः दतः कषितौ षाय-
घतन रकष." इति तमय निषपीडन, तन मारण च वरणितम ) शरमिति
पवमन, अ -च निषिषय इतयननतरनदरय च, दनमर परथम सय रिण विदवतव तसय यटनतलवदधिलनिः,'खननतर उषय सवहसतनव "समार निषपषण च चतर वयजयत ! निषपिषय ~रणीडसय इति शरीगोदिनदगनः 1
01
9 ` रामायणसकषपसरगरलासवादः` ‡ ^
तसौददिककियाय सवयपितिया, भवयवो वा ददापथीनयवावरिटनि । रहण सपागमद कथनित अहण, रावणसमीपनयन रावणन - सवाद तीतरमकोकषयनत । अय च महाचाः रावणसयापयपदद कत चकष । सीता परतयवाय दततन पपितः सपरीवराथवाभयाम | रावणविषयऽय सवयकत-
दतः 1 रवणपारितिरकानगरी परति गमनाभयनकाया इदमपयममत सयादिति
मतिः । सनमत भवत वा, मा वा,. तदविरदरमवदम। कवि करमणि निरि यो बहनयपि साधयत । पषकारयाविरोपन सकारय कतीति" इति सवनवोच भावयम । कथ न खलवयभवलखागत रसय यदध मम रकषपपसह । तथव खलवालवर च सारवतसमानयनमा च रण दशनाननः ॥ ततससमासाय रण दानम स ममनिव सबरममायिनभ । हदि सथत तहय मत ब च व सखन मतवाहमितः यन ॥' शति रावणायोधनपरयनतमनोरथः शरादर | सवय रावणसयानागरमनन इनरजिदभियोग "त रोचयामास परश बनधन परसदय वीर
रमिनिगरह च । कौतहलानमा यदि राकषसो दषट वयवसयदिति निशिताधः |! इति सवयमव रावणदधनोपायतवन बनधन रोचयामास । शरदण समपागमत इषयनन पपमिनरजिदशरहण वयभयत । “छराणामनतरषवाय नयकत महाकपिः । हसततपयामिरकषयसय मोपयन रकयसगरहम", (ततसत रय
स विहनयमान दरषवमोधष च रसपरस' इति तदलाणा रकयघशपारण फयितय 1 तसय कपः शलावधयता समीकषय त तरापनातण निनमराह }
मनाससयापरि न हनमदरनन शकतिः, तदधनधनमतरि काचित शकतिः साच ः
सहमातरापपिका । “स वीममसय कपिरविचाय पितामहानमदमासनश ।
विमोकषदकति परिचिनतयिला पितामहाञामनति सम, इति शगमयकतिः शदरन राकषतनरसय दरटन तदिद मया ¡ यन राकषसराजसय दरनाध
विनादितम, “हण चापि रभिमान गणदरनः।रकषतनधण सवादसनो ˆ गढनत ा पर, “करत ददय परतियडधा मया रण राजान दर
रापरायणसशषपसरगरसासवदः 95
कामन मयासमनवरतितम' इति सवोकतयशच भवयाः} चकः इणवरछशच
यमवीरथ सद इति राकतनयानतर कत, स बदपतन वदकन विभकतोऽ सरण वीरयवान 1 सलमनधपस चानयरि न वनवमनरदत' शकतरीसा
मषतवधः परवमव बनधात पोकषोऽभवत ¦ (काममनवतिता हममानसववनध, नह वनवानतपमयोननहनमहमधमनततय इतयतसय मगो वययत
शन चनयमनवपतऽसरमनधः" इति } वसकादिबनधनकषभ एव शनपरनयः सवय ममख । रदननतर खयनपसयनरवानि सवयमवानवमवयत हसमता रावण-
दरनसवादादियोजनदरन । द च सषटपाममत इति सएपोप- सरगामया वजयत-। तसयत कथिता दरयः भकादानत महासनः' इति शचता-
-शततोपसहासनतर कथिताः अकथिताः इयमययापि पदचछद पराः 1
शतरोकन भमिषाशयाऽकथितः वयजजनासतया वयजजिताशचारथीः वयकत भनति दिपयसय ॥
(म) अघणोनधकतातमान कषारा पतामशादररत 1 भरपयन राकषसानवीरो यनिणसतान यदचछया ॥ 15
ततो दणवा परी सकामत सीता च रयिम ! सपाय परियमासयात पनरायानमरारकपिः ॥ ˆ 18
यनतिणो राकषतरान वीरो मन यनवरण पवसयवानट लसतवनया-
मोकषपपादनन ! यदचछया-परयल विभव मोकषण रमयत । पता- शत परतीवपिकतय रवयम । यननिमिसत पषमवोनमोचन समपादित
बनधानरथनतरणन ! ततरापि हनमलयल विना शतपरयलनवोनमोचन निम । रमावनधानमोनितोि राकष: शणकादिमिरयनयनमनववकत। तदमरपयव। ततय
गषगनदशमानदटलात ननतर टकादशनायदकरतयच । पततो दनवा
¬+
96 तमायणसशचपखगरसासवादः
ए .छकागत सीता च मथिली ।. ततः इतयतय "अननतर राकषरणात हदि चाः । रषटयनति सम राढ जीरणिः कापौसकः परः इति दहन त यनतरण च गराम । पटन खगनिना सवोजन च वरणितम 1 . "छितवा, परान
सपवतय हनयामहमिमानयनः । किनत.रामस पीदय विपरिपयऽहमीरशप 1
रका चारधितवया व पनरव मवदिति, इटयकत सदन 'च सचछत । मरषयन यचतिण। इति ईकादहनोपकारकयनतणादिकमपि मायम । 'सदसतीवरछटाशच लमः परीता नियाचराः । (स 'मयः सगतः करः राकषरदरिपमः। .निवरद कतवावीरः तकारसदशी मतिम ॥ दटमथीरोपि.मधयामास । परत पीता च मथिलीम-'विन नानी नह न दगधः दशयत. ठकाया किद सवा मपमीठता परी" इति हसमतः निरविदशोकादिकषभधतमसम मथवा वाद सरवोमी रदिता सवन तनसा । न नशिषयति कलयाणी नागिन -वत । न हि धरमीलनपतसय मारयाममिततनसः । सवयालरामिग ता सषटमति पावकः" इति पवनव शमितम । “गपि सा निरदहदिनि न तामगनिः भवकयति' दति च पनसवाच । जथीपीच; चारणानाममतोपमा ' याचम "दव नणरी सया सदपामपतोरणा । जनकी गत दमति. विमयोऽदभत एव नः"
इति । इद सरय सचयत “रन सीता च मयिङी इति । चारणयारय- अवणमगरणाटषः भरयकषतसत पनय दषवा परतिपरयाणाय मनि चकारः परथमदरदान नार रामाय . सीतादवममियमाषयातम 1. ठकाददनननत
पनव श सीत" वयरयात भतियवौ । . सीता एनया रापसतनिषि पनरायात ।
(म) सोऽभमिगरय महातमन छला रम अशधिणम |
नयवदयदमयाता दश सीतति तवतः ॥ 7
रमायणसभपसरमसमासथाः 9
महातमान रामम-'ट यरि महातमान रामः इति महटरपिमा विधाकतरिण, शवरोकदारणयाय राषवाय महासन इतर रणवीर विभीषणन पोकत सपलोकरापिपतयनितपमगाभीयकारयादिक च धोतित महासविदोपणन । समिगमनपरददविणनमसकारादरिमिः पषयो मदाला, भदान-मासा' इयनिपदरमयः । महातमान राम अमयातमा मदाकपि- रभयगचछव । नयवदयत समपयामास षठा सीतति तचवारताम ॥
८म) ततः सगरीबसषितो गतवा तीर महोदधः । समदर कषोभयामास शररदितयसनिमः ॥ ~ 78
सीतादरधनशचणोचरकषण एव रकामियोगरावणगदधमतिः समननि । सीतादनयारवीरवणाननतरकषणमातरविरमवोपि न सदत । वया स कशली रामो परमासा सलयसगरः इवि हनमतोता सीता, शरटी यदि काङतसयः # न . सागरमखलम। मदी दहति कोपन यगानता- ननिरिवोपथिवः" इयषटचछन(। “न लामिहसया जानीत रामः कमटोचनः । तन तव नानया दचीमिव परनदरः 4 शरतव प वचो मद तिपमषयतर रघवः । चम. " भकषनमहठी दरवगणसकटाम ! विषटममयिला बणोध-
रषोमय वराटयम 1 करिपयति , परी छक काकटयः शानतरकषतान शयचरित हनमता । तच निवदित रामाय ¡ तयव कियत । सगरीव सदितः । परीष, इति तसय महती चमरपि रसयत ! ततो बानह- राजन रमणन च पजितः । जगाम रामो धरमातमा सपयो दधिणा दिशम। पकन दनमदवाहनन जमतः आतरौ 1 रामाऽगिनामतो टकमयः । षटमाविनामतो हनान 1 निरदिठिन रामण रकषमणोपि निरद मवति । महोदधः इति पदमव निवधित शरतिशिशय महोदध'रिवि पयोषिपटिन- भरिषयनकणन ! गराः घादितयसनिमाः । सागरयोपणसमरथीः । बहव
५
98 गमायणसकरपरमरसासवादः
सादिता एव सागरनयनतमविषटत सकः शपयनमहोदमिः ] न
समदरसय मादयन ददरयकसपः ॥ कषोमणमर सकलपयामास तनमनिषक
तसौदधतय शमयितमिति । अचाकषोमयमपि करदः कषोमविपयामि पागम 1 महारणव कषोमयिपय इति सकषपानसारि कामयम ॥
८ म) दरयामास चातमान समदरससरिता पतिः । सदरवचनाथव नत सतमकारयत ॥ 1
भगवदागमनावतर एव परलदरमम फाय समदररन । समदधत मासान दशयामास । दवतासहनमददयलमवररमव । करदोभणाननतर-
, मबासान दरययामात । दव खय समदरसय । भराकतसागरशप वादम । ततोऽपयानतर दवतारप दिवयम 1 दिवयरपविशिषः भामा मालना' इति निरदिदयत । पई परात वादयरपमय दयामास । ततो भधयातसमदरषय सागरः सवथमतथितः 1 उदयन हि महाशसनमरोपि दिवाकर, तपरः भरयदसयत । सषिगधवदतकाशः जामबनदविमपितः, इवयादिफ भानयम । कसागरमधय एव वसत सागरापिषठातदवता सागरराजः । आला मधय-
पयः । सवमधयकषयासतवासा सथितः ! सदर: आतमान दशयामास मदरा चाजनरिमदरा | साञजटिरातमानददीयामास । सागरः समपकमय पमामसय षीयवान । जतरवीसाजलिरवषय राधव दारपािनम' इति कावय समदरशनदवयपरयो विरतः ] शसयपकरमय, पमामननयः इतयनन पमापि- लतरतनियमवतो राधवात परमव परथम बमाप सपरापकषापणायहि वयभनिम । शसपाणिन लसनलिपाणिसवाच ¡ शरतयमजञलिरसौ तव निमदति' इतयादि मावयय । माजजटिसमा यदरा निमदसकसपसय सवोऽपनयन । सरिता पतिः सवपीसमादतः लागतय पाञजसवीत । सपवीकः शरम ययी । सरवाः
पणयनथः मतर परयवारयन शषएणवरण ।
रामायणसकपसगरसासयदः ˆ 99
^ मिननाहमामिरीशवरः । गङगसिनयपथानामिरापगामिससमतः" इतयादिक भवयम | (सरिता परति,रिति परयववत, न सरियतिरिति भछगाधीयत पडीनाभविनामावनियम चोतयितम । “सहाधिकार, 'पहतवसधकघ' ।
पी की अर शपोचमभनाय । सरवाः पलयः मतरी सह कदर राषवषप- सथिर । सरिसिरिलकत सरसरिता सादितय नियत न सिदधयत । पलयमाः नगनमङगाः पषयससिः । तासा मादगलयहानौ विशवपय महती मगसयदानिपसयात । “धपा पटः शतरनसहनयनधमनिगहई छप काकपयक
हितमिति हिनरपति स ननः इति दयादातकदरोकवयाखयानऽसय विपरो रयः । 'तसिनदगध तदा करौ समदरसससता पतिः । राव सरमशाघहमिद मचनमवरवीत । जय सौमय नरो नाम तननो विधकणः। एष सत मदोताहः करोत ममि वानर” इति कावयदलोकय एततदपदलोकानसरप रयम । सविधमगम । विधकमणः पतण नलन तति पाभिामास । सपर वचनाचचद- न बलातकारण, किनततसणसमया तदवचननव । एपः नल भयि सत करोत ति समदरवयन काशय निबदधमब मखयननितम । न सत करोत इति वचनमष मणिकरतसणौ इति सतमतखलय नर सदमकार- यत इति भवत । मल णिचा निरदट जगिनिरदिदयत कानय । दप गिवा दशः ॥
तन गतवा परी का हतवा रावणमाहव । रामः सीतामनपरापय परा वरीडाधपागमत ॥ 80
` तन सतना रका शतरा रावणमाहव इति शयकरथिन निदरोन मयहोमाननिरवठकायदधसय नातििरसवयभयत । रका हनमदद परलिमिः पदरधितम ¡ रामरावणयदधमकन पादन दकष । लयपा शशच सीताभापलगतानयजनाय । रामः सीताम इति दमपतयो सह
100 रामायणसकषपखगरसासवादः
निरयो रयः । सीता रापय तदद पर वरीडापपागमत । सीत रामष ,
. भरातता। छत परा नीडा परपत ॥ ~
ताषठवाच ततो रामः परप जनसदि । अमरपयमागा सा सीरा विवश जवलन सती ॥ 8
तरीढया पखिततोऽमदरामः | वरीडा च लनापवादमिया 1 वरीडया सीतारामौ अनतरितौ । तायरपाथव सीतासयोगो रमयः । जनापवदाप- .
मदनन बीडोतसारणः सभवरत । तदपनोदन * च जनपतयायनन भवव
तसतयायन च परतययिताषठतमसाकषयण | समवान चशवानर एव सतीशदधौ
भसययिततमः सकषी । अनसषठदि जपरायासान ललोषयति परपयकता सीता । 'जनससदी' ति सोकमतयायनककषिव परपवदन निमिततमिति चोतयत । “उभ- कषप कथ सीता पतनती हवयवाहन दलयपकमय "सीता दकमीभवानिवषदवः षण; भरजापतिः } वधा रावणसय परवो मानषी ततम" इति बघत
सरपण इतिदापसतयन शपित, "िशदधमावा निषपाप परतिमहीपव राप । शल किथिदमिधातवय जहमाजञापयामि त | इति दवाना खनागनिनाऽऽयप च
सवद तर डोक न सीता पापमति । दीारोपिता दीय रावणानतः पर जमा । वारिदः खल कमासा रामो दशररथासजः 1 ति वषयनति भर
सनतो जानकषीमविदोधय टि । अननयहदया भकता मचिरपपियरतिनीम.। जहमपयवगचछामि भथिरी जनकासजाम परतयया त लोकाना परपाणा सरयशवयः । उपन चापि धददी मविदयनती हतारानम' इति रामोसमवपयम। सा-अनयादीना शषयापदिका । सीता दवमजनसषमवा । जञो ध विषणः वषणममिसमया । जवलन परविशञ-तसवदोन मनौ मधिका शदधिः तजथा- भवत । जवलनाम अनवधममवत । सती-दवियामविपादितसवः पी समयादिसरवासिका धनििदरीरकि सीता | तदासफोऽगनिः। चसयाः
गमायणसकषपसरगरसासाषः 10
ममन; शरीर, या अननौ तिएठनदी ममनावनतरा यमयति, "पि सा निरदददगनिन
तरामगिनःरषकषयति। 'नागिरननौ वरत, इति टकादहन हनमदकतमपि मानयम॥।
(म) ततोऽनिचनात सीता तरासव विगतकटमपाम । बमो रामः सपरहः पनिरत सदवतः ॥ 82
अगनिवचन दोधरपरीकषकवचनम । परयपिततमसाकषिवचनम ।
"अगनिमखा य दवाः, । मरिवचन सदववचनम ।कायकपापिषठरावणाकसप- सपकटमयमधनिसपदन शधयति । आकसमिकसयाहदयसरथकलमपसय विदोध- कोऽमनिदीः । सभनिवचन जनसतसदि परयकतम शरोतरोकमवायकम |
जञातवा-अनतरमवितणिच । जापयिला इलयः ¡ बादयघयदीदोपापनवरन जालति चाधः! ममौ रामः सपरहटः-मपिक वमौ रामः; निरतिरायटय- समनविनोऽमत सीतायाः विदयदधौ कोसय विधासजननन । समतय रमः परियया महावलः सख घखारदोऽनवमव राघवः इति कपसरगानतदरोफो मावयः। समयिवान उततमराजकनयया । अतीव रामः शशम" इति
सीता विगरहा तनभर बारकाणडानतिनदरोक गीतम । सीतरामनवयन अनी
शशयम । ततसमनवयघय विचटदोमत । रावणवधाननतरमपि लनापवादकया
बिदठदः | इदानी पनरपि सीतया समयिवान अतीव वमौ, परहममतर लम सम रामः परिया इतयतसमिततवपर सीतापतिगरद वारकाणडानतिमसी-
इरोकटषटोमामाठिसामध वयवयत । वभौ सपहटः इति सतपलोक च तदव वययत । सीतया दवया इकया समतय मदावलोऽमवत । दवत
पजययटपया; । मगवदवनारदसयपकाशवता सतता दवत सीताकतमत गष शष ीवरसपतप शवद ,» एनितः सदः पटशषरण दिरयाकटमिद करम लया राबमता र" इति पनितः शबमता क" इति महभर- इत रामदावावचनमनगीत इपगन शामः शनमतामहनिति 1. न. पिव-
1
क
102 रामायणरसकपसमरसासवादः
पराम दवत बरपकदधया । पितव परसकष दवत तसय । इतवतानि च
रलकषागि। शवत शर नरःपदमतरदमतमामनः। कय सिनत वरतव सति दवत, इयकत रामण मातर भति भातदवो मव, इति पतपयभयित- तदवन माददवताऽदिषटा, ततः पिदयोग सिरछतयाऽऽयोषयायमिवोषित- वयपिति सवनियोग एवानपरणीय इति वादिनी मार परति । महशवरण महता दवतन पतरा. दशथन सरवोमववतन इतरपसकववययः,। न नन-
सम एव, सवतसटपि करत ॥. ८म ) कमिणा तन. मता पलोकय सचराचरम ।
सदषिगण तषटराषवसय महारमनः ॥ 38
करणा तत, इति वयवसिलपि रोकतकरटकमतरावणमषोपिासः). दविया सदय रोकघ दद दातग. तमः । पव, लया ससय,रप-- रावण भयम" दति मदधरोकत, मानम ।, रावणवधादपि, म सीताः. भिमक, 1, सीत ;विना क, भवछिः रमय । सीताराादावपि। वकः रोकसय । तयो; परदवताल, वयासजयदति 1, सीवादवोगनव कारणयादीना, महागणाना , भरमता, । रपिणी .करणव सा । भरगिपाचपसतना दि भदी. जनङननना, 1, रोकर, सरतरराचप-सदवरषिगणम जतर समन! ोकनयसभादत, निरदिशयत राषदरषय, महारमनः-'पलो करषपराय- गपवाय महासन, इति राघवशररणागतिवचनरीततिः । शरणय - शरण . जमब- सोरियणनामय" इति सय दवाः दारण यय रावणमयनिटपय बाटकाणडारम 1
तिवय -मवता रतयाः, मवदविपयवाछिनः ।° -इतयाएणयकाषठासम ¦ रपरः गणाः . शएण- नटपसठदधयनिदटचय । -दवरपरिगगमयो . ददममयमिदानीमव, सर निररपितम। सदवनिगग तम इदयसवाननतः रवसय मातमनः, ईति. निवहन: धगसयिनय दमय + षठयति "1 सानः
5 6 = ५
गरामायणसकषपसतगरमशवारः 103
निमदानन राघवाय मदयसरन इति शपरोथनाकीविमीपविभमाननत- * कीकपि यदधिसतरिधानाय ॥
अभिषिचय च ठकराया राधसनदर विभीषण । कतछतयसतदा रामो विजवर परमद ह ॥ ४
परो सररोकशयन रण मदासना दतयामयसय परण निषयतिः तन च मलोपयसय सचराचरपय तशच वरणिता । जतर राघवाय महासन निवदयतमा परमिति शरणागतविमीपणाऽमिषकरसनात
रामतिधत । सदवरषिगण तटोकय तषटम । नादयापि रामसतटः । न कवर न तषटः किनध.महता जवरण सञचरिति एवापीत | तजजवनिवरति- सरोचयत । ठकायाममिपिरय-प सागरतीरिऽमिपिकतो टदमणन मदरात नरमानय । तन चन महासानममिषि विमीपणम ।-राजान रदा कम इति रामादशमन । तच तदानी न यथाधग ] सवयरकलपतात परवमावि- तयोकत तत । सागरतीर सकलयमतरिणामिपिचय इदानी ततवतोऽमिषिचय ।
दवन दवराजय इदानी एनरमिपिकत शवामत इनदनिदरावणादिवभन ।
राधसनदरम.इति रावणादौ वयवहर इनरसवदः जौपनारिकः । राकषसधरल- मव रावणसय । बिभीपणसय परतयः जातितो राकषत गाऽरछतयः
ननति दवकत; । दवभकतिराकषसजातीयाना- दरो विभीषणः । मवाकतिमतरकषसाना त रको राजा । ङवञतयसवदा-रटव कतदरतयल-
बदधिः । तदा राम; ~ तडव रमणवानमवत { ततप ववपपीडित पव । इदान विमतजवरोऽभकत । शीतजटशनान नदनिदपरकषकम | विमीपणतय
सापनन रामसय पव नयकमन ¡ शनानी लव म मतम" इति नयायन रामसवाठव -विनी पणः ! विजवर; परषमोद ह-न कवल ~ बरतापनिदिः
| भ -निरतिलयपमोवालमयः, | ` , =
104 ामायणसशपघरमरसासवादः
दवताभयो चर परापय सयतयापय च वानरान | प
अयोधया परसथितो रामः पषपकण सदददतः ॥ ` 85
दवतामय इति वहवचन कपिजञलाधिकरणनयायन तिचष दवताम शरामयति । पटयनयरनः शरीमान -मदधरः, ` पितदवता-दशरथः, सरनायकः इनदर । तिदभयोपयताभयो दवताभयो वराः शचयाः । शरी रामो राम रमिति, कीतियतनव रममाणो मधः पितर दारय सरगादवतीी परिमानघय दशयामात । महानत परषादमकरोनमदादवः । आधचिपशच
दततसतन । महादवसादाच पितराऽय समागमः ति रामणव सनदिदयत
भरताय हनमनयखन 1 शरातरमिपसद राजयभधो दीधमायरवापलदि' शया-
शिपादाशस पिता | “सपतरा सा सयजामीति यदकता फकयी तवा ।
स दपः ककयी षोः सपतर न सत परमो" इति पितर क पराधयमात राम; | महारानः सः (तय ति -कताञचरि राममवाच । महानय परादो
रामसय । करवयो न व वदहि मनयसयागमिम पति । रागण लद कतमतदधिौपिण इति सीतासानलन छत मानयन शरशरण ¦! भरव च महयपरसादो रामसय । तदननतरमिनरण शरदि यनमनतचछति, इकतो रमः
भवदि परीतिषसपततता मयि सवषरधर । वकषयामि क त, सत वचन वदता वर ॥ मम दतो; पराकरानताः य गता यमसादनम । त सष जीवित परापय समतिषनत दानराः' इति वर पराधयत 1 'समतथसयनति हरयः य हता
यधि रकषः । करशच सहगोपचछाः निङवाननवाहवः } नीरनो निरणा- शव सपतथलपौरषाः ] सपतयासयनति हरयः पकषा: निदराकषय यथा
हतीनधण करदानोचौ "ततः समतथिता सपतव हरिपदगवाः इति सवषा समतथानमकतम। सयरथान पदपयोगशच सकपदिवासय पितरः समचिएटनि" इसयादिचछनदोगवचनसपारकः । समतथापय च वानरान इति गरणा परयकतः _ बदः । धतनिव सयतथापय इति गोदिनदराजनयासया रसयाः । भयितोऽयमष
रामायणसशचपखरसासवादः 105
मावः दितः कामय ततः समतथिताः सध शपतव हरिषगवा इति
शवकतामयो वसरापया समवयपय सदतः, । वानराः रादसताशच घटदः । धदसरममताना' इति गीतावचनसफोरितः मगवतसरमावः ! पषपकण अयोधया परसथितः-नरसय पपयक रावणतततिारवहनन मरिनित परितरीकतमिदानी सवरोकानामव पवनसय सपीतसय रामसय तसहसरि- बसय च वदनन ॥
मरदराजाभरम गतवा रामः सतयपराकरमः ¦ भरतसयानतिक रमो हममनत चयपरजयत ॥ 26
मरतकतशरणागतिरकव नायापि फरवरी । महतयोपमवनिषम।
कदा कदा इति रामागमनमाकोछतरसत मनदिरम भरतः । दनदयएणागया
पहतया चतदशरपावपितन विरमबससमननि, दारणागतिदवयपय कवयो- निथतविरदरलात । चतरददोवपतयननतर म विरमबलदोपि सदत भरतन । अयोधयाया भरतसय हताशनमवलो मवत । ययपययोधयव गनता पषपकण मधय विव विना; यथपययोषयामव परसथितः, मधय
मषानाशरममगमदिषयचयत मरदराजाशरम गतवा रामः इति 1 मदानाशरम
णव परथमः करपयारमः सयोधयातो वनपसयनि । सनिरछय स आशम जयोपयायाः-। शातरहनतार महरपणा घलावद" इति महरषीणा घलयव शद-
रावणादिहननम । एफोपि महरषिसय समावनीयः अयोषयपािपषमव । अगसतयायाशमाः विपरङः । किषकिनधाया फशचिदधिरमबः छतः तारादिसव-
अनरलीणामारोदाय । 'सवदारसदिवासस खयोधया यानत सीतया इति
सपजञीका ' एव यानाः जमिवकमहोतसवहमागिनशचिफीरथिता रामण ।
शानाः सीतानवषणरावणयदाथ सवलीमिरविरदिताः । तरपि सपतीकरागनद-
षकम । सहसीत पञयऽमिपकोतसवः। अञतदासथव हनमदवत, एक जयाद ।
106 रमायणसपपग रसासवादः
'दवतियडभनषयय पनामा मगवानदरिः । खीनामनी रकमीतिय नानयोरविवत `
परम" हति भगवान परादा! तिय सीणा रमी जापयति । शाधवतऽभवत सीता' इति च तदरवचनम ¡` अतररपि शीता ठकमौरमबानिवपः इति
रहमादिदवशतम । वानधः आतमान एव सीतायाः | कथ तदातममतातद- भिधकोपसरऽसतििता भवयः । सीततापदयमिषको भविषयतीति रामसय बदधिः|
भरदवाजा पषपका दवरोहण रामसय बहवो भावाः । शवीवतीय चयत , राउरात धरमकाम च कवरम 1 पदाति लकतसरसव पितथचमकारिणम ।
सवमोगः परिलकतसरगचयतमिवामरम । दव त कहणाप ममासीतसमि- ईिजयः इति महतया करणयाऽऽविटोऽगवननिः ] तस पीतिरभनिततया ।
शसामभत घसखरदधाथ समितरगणवानधवम । समीकषय विनितारि तर मम परीति
रतचमा' इयनचमा रीिजनयितवया , तपय तदननमसकाराऽऽतिषयपरहणा- दिभिः. । वालमीकयनतवासी ` मराजः ' । ` रामायणकायपरणयनारम
` अकयममिम तीय मरवान निशामय, शिषय चवानरवीदाकयमिद च सनि- पवः । पदबदधोऽकषरसमसतनतरीखयसमसवितः | शोकाय परवततो म दलोको भवत नानयथा । रिपयसत तय बवतो घननीकयमनमम । परतिजगाद सहणसतपय वोऽमवहहः, भरदवाजसततः शिषयो विनीतः शरतवान. गरोः, (समरविदयाथरमपद चिपयण सह पारथिकः | उपविषटः कथाशचानयाशरकार धयान- माथितः' इतयादिसछोकाः इह भावयाः ॥
ानिपरद'ादिदरोकोचारणावसर सनिहितः रवाः शिषय ] - सच तचछलोकमथमामिननदकः । रहना च दवितीयः | नारदागत ततप
भवचन च सननिहितः शिपयः । बरहमागमन धतत कथय वीरसय यथा त
नारदात शरत" दति तदा दशावसर नदयददमनकमय दवीतीयतरगानत “करप रामायण कमयमीदौः करवाणयहम? इति रामायणनिरमाणतसकरपत, कानय
रामायणसशपसगरसासवादः 107
वतीय रमायणकथायाः घरमवीरणानपण, सतरपतसतकथािभरहण च
सनिहितः शिषय. । शरातराजयसय राममय वादमीकिभगवान ऋषिः । चार टस सम विचिनरपदमासवानः इति पदरमिषकोससयदिनाननतरमव रामायण निम । नारदागमन, नदीसलान, नदीतीरोचानपरटन, मानिषाददनक- परतिमानम, तदवयाहरण, तरदमाममन, इतयनतययममिषकाननतररतम । वह-
दविः कधय रचित सयात । ततकाट च मरदानः सतनिटितः । समिषि- कावयवरितपव रिपयमरदवाजा नम ऽररोडणस चिततमव । रावणन हता मारया
हयारमय, 'समागमशच तरिदः यथा दततशच त वर” इवयनत पचचमिः रोकः मरनतव कथासपपसयावसरससमसत । पचचमया पचमिः दोक
काणडतरयतय गरनारदसतपासधमय चनिपयसन सकनपः । मरतसतरषसतिधौ
हयमसकपमयापयवमरो भवति । नमान. वकता । मरतददरौ भरोनास । घठमयटाभपतयोरलोसमय च । अभय. ओरोवटाम कनयाणमापिणो हनमत 1
वषयदरथनन पराणतयागो यकता सीता शवशच मधर दनमसकीरतनशपराव । चतदययपसिदिन शशर ` टमनमधरकीरवन इताधनपवशोदकतो भरत
षटाणोनयह परीतिकर मम नाथसय कीनम इति । “सदमयपयव त दरि वर
शबरमता वर" इति वरदानोकत असत मरदवानः । अयोधयायाः वहि. मरग-
मधय धगरितररपर गद आपत ! स च भरवयागमनरचनत बोघनीय । महता
वानरराकषसमरमहन सह ततरादरोदण नोचितम । सीवारामाभया सद
गचछनत सभीवतरिमी पणादय. सव ययोषयापरततिः पर मरतादिमिमसादर,
रयतयातवया. । वसततयशच सलजीकरनवाः । भर वतो राम महासा
सचिधिमसह' इति, सताः सतति राणकाः सव वतारिकामतथा । सय वादितर
यशषः मणिकाशचापि सषदा " इनयादिदलकच परयतयान वरत ।
पसिशवनत पररी. कलना दविमशचीतन वारिणा ! ततोमयवङिनदनय ययः पषपशच सरा. । समचटतपताकामत रवाः परवरोऽम ¡ दोमयनतच
॥
108 ˆ रामायणससपलगरसासथाकः
वसमानि सपयोदयन परति । छदामिरकतपषः सगनधः पवरणकः, ॥ इति नयरसपरययवदमायरकारः कारयः ! न सवसयोपचार मनत रामः । सवन सदागचछनतौ बानरराकषपराजौ, सनिका दचयोषचरपतभारनीयाः । अरहसययाना वानराणा. तसियरयदिक रपादनीयमभयवहाराय । मघर-
भधरिाः वानराः । सीतादशीनरपपरियधवणसनतषटाः ` मधवन मरविदय _सगरीवासचामपयहषय मघ पपः । तया परिय मध सषादनीय वकषभय एव परमत-
मधततवः समपादनीयः तत एव वानरपानाय । सहषटो धीमानवरमयाचत । “सकल फरिनो वकषाः सव चापर मधसवाः । फलानयगतकसयामि बहनि विवरिपानि च । -भवनत मरग भगवननयोधया परति गचछतः | इति राम-
पराथना । तथति च मगवता परतिजञात पादपाः ततर सवगपादपसननिमाः मध. सवाः सवतो योजनानि तरीणि वानराणा गचछताममवन ¡ ततः परहाः
छएवगरपमासत बहनि दिवयानि फखनि चव । कमादपामनति सहलदापत - मदानविताः सवगजित यथव, इति बानशणा चदधतफलाशनोधपानजनितः ररवरणिता । सदा फएसनछसमिवानदरकानमापयमधसवान। मरदवानपरसादन मरञमरमादितान । तसय चष वरो दततो वासवन परतप । सनयसय तथा- तियय हत सवगणानवितम. इति हनमदवचनम । शवतया भरतः भीमान
राजयारथी चच सवथ मवत । परश वसधा तना जलिका रयननदनः!
इति रामदधिः । मरतपयाजसो भावः ततवतोऽवगनतवयः ! मरदरानः परथम
रामविपयमरतमाय . दकवानमवत- । षकदिगयसत भरतः भिरवा ˆ
भरदीकषत । -पादक त परतय इति समितपषसवाच रयमषठ' ऋषिः । भरतसय मावशदधसतसमाव शरता । तदननतर भरतसकशच परषितो हनमानपि
` भारतगितानि च ततवन ससरणन दवा वयाभापणन च, इति याथातथयन तनमनोगावररिदान यादिष; । भरददानाशरम मतवा रामः मससयानतिक
हननत वययतः शयनन हनयपणाय भरदरानाशरममयमरदिखपि
रामायणरखदौपसगरसासवादः 109
' यत । “मविननपपययोगन शो रातरः इति हममदवचनम । परव पयगरोग दशरथमनोरथो विषरितः । इदानी पपयवोगः अविः क
करौ मवति ! पपयवोग निानतः पषययोग मागनमदति | रघयोदयत
परतिः इति मरतवचनन रामसय सरयोदयकाठ परतयदरतयौचिल मदयत । शमीमय रमनीमषिला वचनानयनः । भदरानाभयजञ कयघयदव रापवम, इति गहपरति -दनमदवचनम । भरदवानाभयनना- पवक वनवासवरत समापनीयम । अयोधया च परवषटनया | जयोधयावासतनय-
मरतसनातियय छत परवम । इदानी रकाकिपकिनयावापतवयतनातिधय तरियत । मरदवाजाशचमात मरतराथम ससनयो ययौ रामः । भदरादररतमक- मारोपय विमानन तदाथ ययौ । पर वितरटागत मरतरमक सरोपय त चमाप 1 वनवासावसान तथव अकमारोपयति मरतदयाब रामतिहयः ।
मरतपयानतिकः सामीपयमाक राममकत रामदासय च हनमान । भतसव नदीयास ततसद मकत मरतसमीप पपयामास । ततसददसयव ततसमीप- परपणमचितम ॥ 1
(भ) पनराणवपायिकर जलपन सगरीवसदितसतदा । पषपक ततसमाखछ ननदिराम ययौ तदा ॥ 8
पमः शबदन परवमालयायिकाकयम वयगयत । सीताय पषपकण ठकातः भतयततिसमय ततसथरमदरीनपरमक फथा कथिता । भरत भि हतभदिसमनावपर सतषण कथा कथिता रमिणव । थतर पनः कथा कययत । `
जतर मरतफथा कथयत । शमिवरकषवाहनायय मरतसय फथा कर शति रमबरदधया मरत एव कथानायकः 1 मरतकथा रामायणम । न रामकथा, न ` सीनाकथा । मरतकथा जलपति बापरदकगठ महकरवयगतो रामः ।
रामजसमनसयाऽयात "तत ननिवदधमरिव कय । शनिखनः शयत 1
110 ~ रामायणखकषपसरमरसासवादः
भीम-षरहाना वनौकसाम, इति वानरमीमनिसन तलप म सशवमिव ।
ननदिराम. इदानीमितानवभो सवति । मलथीयः इनिः सतिदायन । परव दःसिपरामः। धटरतवा त परमाननद मगमत भत” 1 इद , च ननदिगराम
समययतऽननतरलकारमऽपि ॥
(भ) ननदिगराम जटा हितवा पराठभिससहितोऽनषः । रामससीतामवपरापय शवय पनसतान ॥ =, , 8.
नननदिाम आतमिः सहितः जटा हितवा । चतवारि जयतरत- ` धारि जटिलः । "प ठ भरत सनाति रकमण च महाव । घपरव वानरनध च राकषसन विभीषण । विदोपितजर. सनात” इति भरतादीना
पनानाननतरमव रामसपनौ ! जधाशचोधनपि मरतादिभातणामव पतम । रामसथकसथव नटाषारितवरतमनिटम । भरतादयसत सवचछया जटा घारया-- माघः । 'तदिचछाधरत तदतरतम । भरातणो जराननोधनसय सवपमय स विधाना- भाव रामसय दोष सापतत । आवलयाविदयोधनसय भलकषनीयवाञया
अथमिरयनादव रामसय अनवलसमपततिः । अनधदनदनद वयजयत । आतमिपतजटा हापयितवा अननतर सवय वरा जहाति | अातमिः जरादान
सवघय साहितयचयत । सादितमासचयत न यौगपयम । विशोधितः
आतमिससदितः जरा दिला, सीतामनपरापय सीताराम एवाऽलमयलमः ।
रागयायािन तथा परथाना परव राजय पितरा रामाय दततम | भरताय गता पनरदप न गहीत भरतन । रामपादकामव राणयऽमयपरचदवरतः । राम-
पादकारजय रामराजयमय । द राजयमिद तव, इति वदन भरतः रमसय राजय पनपतसम दततमिति वयञजयति ॥
(स) पहदिम लोकसत पषयषारभिकः । निरामयो कषपगय दरभिशषमयवसितः ॥ , 8
४ रामायणसभनपसगरसासवादः 111'
-रामघय राजयालम न तय तन हषः, यतपतव दरथः * अविकरियः सदकसवरपो रामः । धदपिमिसतसयो रामः समदःखसखः ।'
रमसय राचयपापतौ यको निरतिशयहयसमनवितोऽमयत । परदः मदित सषटः पषटः इति मयोभयः ततषनतोपतिशरयः परदयत । खामयरोगदरभिकषदि-
मयायमावशच निपधविधया कथयत । बारत निरामयः कलय 'उटासो निरगतो गदात" इतयमरः । असग इति रोमायनतामावकथनमिव ¡ निरामय इति
पततदामयाननिगतवभ । पनरकततयपि , ममयासन रतिनञानदादर बोधयत 1
टमिकषादरव-दभिकषमयम । न कवल दरकषवरचितलय, विनत दरमकषा- ,शरकापि न जायत | ददामिः- दछोकः , फट पचयत । फाटसय विपतरदाः
, कथनविषयत । कटसय रननपोऽनवितः । कावय मतरोकत फलाखयान मय- सानरिथत । स भदितमवासीव सरवो धपरोऽमवत, इति सरवमदितलसय सधारभिकलयसय सपटनात गरोरभावो वयजयत । सरव धारमिकाः परपर नोपारनधन,। परपर भतरीमबररमबर । ततर च कारणमचयत शाममवात- पदयनतो नाभयदिसनपरपरम' इति । सवप सवादरथरामपरियतव कथमक- सिकनपि तनम ईिसारचिरदियात । इदमव कारणसकत हादन “परषमतातमक
तात जगननाथ जगनमय । परमासनि गोविनद मितराऽमितरकथा कत” इति । *निरामया विदोकाशच राम राजय भरासति' इति कामय । भासन परन
धपरातताः राम शासति नानताः, "सय धमपरायणाः इति च कवय । न
गयाधि भय चापरीत राम राजय परशासतति' इति च । ॥
)न पतरमरण किचित दरयनत परपा; कचित । नारयाऽतरिधया नितय भवरिपयनति पततिरता; ॥ 90
न चसमचदधा वाटाना पतरकरयोणि कमत" ! शन परयदवनविधवाः इति कनय | - , ४
119. रामायणसशपसरमरसासयादः
न चातरिज मय किचित मपस मजजनति जनतः। . न वातत भय किचित नापि जवसकत तथा ॥ 91
न चापि शदधय ततर न तसकरमरय तथा ।
(निरवसयरमवलोकः नानः फचिदसशत। इति कभय ।
नगरणि च राणि धनधानययतानि घ । निनय शरदिताससव यथा तयग तथा ॥ 92
सरव नम च धानयागारणयमवन । शटहः उषया सवय गमयत । कषप घरहरमहरकतिः च । रामनामोकतापिव कटकथनपि मया-
` नादरः। = त
अशवमषयातरिषवा तथा बदसवरणः 1 , . शवा फोयययत दतरा बिदरदधधो विधिपकम ।॥ ˆ 9
`. अतषयय धन दतवा नाहणमथो मायाः 1
, भादरवति परजनयः परवनादतमवः, यजसय दकषिणा मधानभता ।
नादकषिण यागमामननिति । गोपद दरिणा, सवरण दकषिणा जन व विप" । ` योः रामः य आसान यनत । यषठो रामो रोक याच सभादयति ।
अभव रोकः मरपनयोकः | आलमानमवापनोति । सयदारससविदाय परसो भवति 1 बरव सन बरहन पयति ।
, "रनवन शतयणान सयाययिषयति रषदः ! ` , चादय च उोकऽसन सवसव धरम नियोकषयति ॥ ५4
रामाणसपसभरसासवादः ` 118
पपय सतर धमरयदो परिपालयति ] एय सतरविषण लोका- गामसमदायः } शव सव कणयमिरतः ससिदधि रमत पराम । शरधान पमो विगणः परधरमोतवनठितात' वषम निधन परयः परधमो भयावहः" क गीतोकषयः विगरहवदधममतरामाचसितानरधिनयः 1 नादोमतसति, गीत ॥
ददावपसदसराणि ददावपशतानि च । रामो राजययपासितवा बरहमलोक गमिषयति ॥ 98
(शवरषसदसताणि दशवरपशतानि च | आवमितसदितः शरीमान रामो राजयमकारयत ॥ इति कानय। रामो राजयमपािला' इति ईशवरण रामण
जनासत मजोपासनमचयत । तदपासिकतयम इति गमोपासन विधत शरतिः ।
रामसत छोकमाराययनि । आराधनाय रोकसय मततो नासतिमवयथा"दयषर-
चरितनाठ । किमिद नचयम । किमिद परनपरम ] नव ठो; तरघरोकः । मालानमवाभरोति ! अवतारसपविदहाय पररसो भवति ¡ तरर सन. ` बापयति । वदावपसहलाणि ददावपिरातताणि च । कतवा वपतसय नियति
सवयमवातना परा सतव मनोमयः पतरः परणाचरमानपपवह ।' श पितामह-
नियोगवचन पचितमततरकाणड चतरचरदातततम सग । रामपटामिपफानयव- हितोवसमय सकपः कमयत नारदन ॥
शद पयितर पाप पषय वद समितम । ॥ यः पठत रामचरित. सरवपापः परमचयत ॥ 9४ \
शमराणय भरजाना ससोखयमाकतव ` वरपितम । किनपनानाक- पिदामीनतनानाम ! एतदरामचरिवसशपपटनन सरवपयः भरसचयनत ! सरय-
|
\
114 रामायणसषपसगीरसासयादः `
पः भरमोचन मोकषससिदधयत ! सरवपापभयो मोकषणपतिजञानन गीतोपसहारः " एततयकपपदितारः भव सरवोकरणय राम रारणलनाधयवपययः ।
सधयालमशाखमिद नाखमखगसमि परचर रामवरहममकति रामतनमयतापयव-
, सानामादभयाद । अधयतार रामभत करयात ।
एतमाखयानमायपय पठन रामायण नरः 1 , सपतरपीतरः सगणः पतय सवभ महीयत ॥ . , ण
इदमालयान सकपरपमपि राममरापकम । तत एव रामागणम । सवरदवद शट मोकषाथकः । सतरव चछबदसय योगाधपौपकसयम ] नरः" इति भरसामानयसयातर सकप जधिकात चोतयत । सवषा नराणमितदरामायगाधय- तणा मकषाधिसाधारणयन नियता । तददवधसय मकषावराणि पदिकविदोष- फटानि अननतरदलोक परीलयनत ॥
पठन दविजो चागरपमतरमीयात .
„ सयाद कषतरियो भमिपतितवमीयात !
'वथिक जनः पणयषरतवमीयात जनथ शदरोऽपि महतवमीयाद॥ 98
पदरटोक ददादानयननतरमकमापिसता । मोक सवषा सामयम। म ततर फटयपगयन । इह रोक ततरद: पपय परमतर कीरति । दहयत इति चतरवार पयत । सयादिति परथमपटिति सरमतरायषञचनीयम 1 शवस बरनत चदद सनतन तवो विनः इति गखकरीपया घाननदमयराम-
1
समएयणसशषपसररसासपतः 116
रय कषपपटितः सतीति सदविरयपददयो मयदिति वययत सरयवरणापि- कारिष अनपकतन सयादिति पदन । दविनः यरषटवाक. समपननो मवति । अधययनाधयापनयजनयालनाचाधकरणादिप वागषमलवमपकरयाच । सरमवती-
भियतरो नारदो बागिदा वरः । तदनयपठनन बागदा वरतर रमयत । वागषमतवपरथमदोकोकतवागिदा वरमव । शतयच रपकरमोपसदार-"
दलोकोरामिरपय विदयम । कपपरितणा सरकषतरियाणा ममिपिचसय म मखयतः परािसमवः । कथनिदपचारण कियरिकयदलय वा भरि वा रभयत । यादसति सयाननासतीति सकषमगीवाकय दव सयादिति कय- विदरभ तिडनतपरतिरपकमवययमिति शरीगोविनदराजः । पणयविपय यथ
अगासयत वणिममि; तकर सिदधयद । पणयविपयमनोरयः सफलो मवत ।
पण लाभन पणित भवत । चतधवरगो महान मवत । भदलमीयात! इति मागलिकिः उपसहारः ॥
+ भरम
ॐ)
नगतमा एर855, वनाधादरढ०,
एएएणफए०यणा,
शरीः।
॥ शदधिपतरिका ॥
240 1406 धदयम धयम
1 ¶ ` अदटतता जदतता + 8 मता यमत।
४ 19 रनय रतञावया
8 8 सप ट सरव ,
प 1 जिदरारथाय जिजनासर द 11 9 सपराधयोरसनत ससाधयोययो 12 14 दानसपमहातचचपय . दानयाकतिषप
18 % धोस शोचया 14 19 यलप गखतवप
16 8 रीर ५ श „+ 6 विषयता विपगपयाशरय + ¶ इदारवानशनि वदादयनधि
+ 08 ` जनामिननानदशय कामिानमचारय 17. 8 विषिषटिनरः विरिषटो नरः 18 8 परशनामः परस
+ पर कत - यकत
„ 8 यसया यललया
२९६५ 17०5 अयदधम
18 9 शदधा „, 16 पटव
19 , 5 मलोकत प „ 5 सकवती „ 7 दधौ
, 15 सदशन „ 16 सयापिय मिना
++ 17 मनीपिजञः
क 29 हय, 20 12 भरतो ~
४
+ ` 4 शोदधत मतकीः „ 9 वकी
# -11 पकतः पन + 91 ~ माददादिति 3 28 समदया गणा
28 ` 15 समघय ५ 2] . बर
-24 17 परदरित 20 2 -णडयासा
“81 1 रसदिता
+ 10 . वयत ` „+ 22 परदय
33 8 दारः
शवदम
वदवा तः ५ पडव
भरोकवरतिय लोकवती
दनयो
सरभर
सवया धियादवयनतः.
\ मनीषीनञः
दय अरथितो शोत सतसगीः
वशी
` पः पन ~ ˆ माटयकदिति
शटोकीतररपदयागण """"शोकोऽतर रामसय .
षट परददिरत
णठचातसा सदिता। . -
वणयनत
मादय
दाराः
11
2५९९ 118 अदयदधम
ॐ
३
87
39
49
44
44
8४
53
57
५५
97
88
69
[४ ॥ २4 %
21 16 3
11 18 19 20 2 8
10 2 13
15
23
23
सनय
पितव
वरण
इति तमय
विकरया
मय यो पपपन गातयास
परापिवि
मा (माड)
वयजयत ।
दखराटा
तदा दशो वरणिता
मकता
काकसय
चामनय
जनम
पितरानापत
मा गप
अय
परव कित
~ शदधम
वनय
मितय
चर
~ इनि तत रिकरिया
मावायो
पषपकण गापयत
ननामिवि
नाजा गयवयत-
सयतराटा ।
तदरदिदो वणतिा।
मतत
कठसमध * नामय
नय
च " पितरनापत
मागधर
मद पराव
अनन “कारषी, तिर कथित
~ ४६९ [७९ सदयदधम ~
72
16
77
१
18
80
81
82
88
17 ` सिद
[1 विदितः
20 बदधस
1 . धिकार
18 रद सहय 19 -शतर
1 शतम
11 दपरीवघय
9 ततो गरज रक
6 -चितयचसप
18 नधान `
16 सादयय
6 अरष
17. नदयो 20 करणामाचना 12 शवस ' 18 करम 18 £ भकत 2 समहा
4 हनमघया 8 तषौष £ 14 परसथायन
शदधम
सिदधि
विदित
बदधस
धिकार
तससय .
ठ सतम सीवः ।
ततोऽगरज रकयन . चिस
नयान ` साहायय
" शष ˆ नावो
कसणयाचला 1
हनषदरतस
' न सकरम रकत । समाहा
हनमन या ` तजौष ˆ` परसतावन
१8४९ 777० चटदधम
91
"92 ,
93
97
102
104
104
106
1,
9
10
1,
108
109
111
113
11
16
16
€ @ € # ©
जनव गणशोचयवनत , शनोमितः
कषित
रकषान द
रामण
तरातवन
₹जधवाः
रामो रम
सचरति
नदा दशावसर सरगानत ~
रसति शत यणोभय ह न
परथम
रामललमन
उलासो
छका
दाताणि च
वरसय सकरपपदितः
1
शरम
व ९ गणदोपयवनति"
शोमिनः ,
कि
राकषसाम
रामण मावरदयो तदन
खवयाः
रामराम
सापि
तदाददावसर “ सरगानत चगति छतन
गरणोम परथम
रामनसपन
उषो
एषा सका
दातानि च
वापसन
सशनपपठिता
एप^ ४५.1१8. ८२५४ , #. 1: ज
« गऽ ए०न< णण एरशणदरवनाषणरराष पप ॥.
ग पञपटठ एल 4 न +
0216 ०1158४९ | 0216 9 [ऽप | 0316 ग [58४८ | 0316 ०158६
19118 19४}