री-इवशन और ओएसिि जब कभी ककसी यति विशेष के जीिन म, ककसी गाि म, समाज म या किर देश अथिा विि म समय बीिने के साथ-साथ आियक “पररिितन” नह होिे िो नीरसिा और उदासी छा जािी है, मन ऊब जािा है| इिना ह नह, क ु छ समय बाद “ननयम-कायत-जीिनशैल” की एकऱपिा शरर और मन दोन को सुबह नीद खुलने से पहले ह थका देिी है| इसके विपरि क ृ नि का ननयम –‘पररिितन’ भी कई बार समयाओ का कारण बनिा है| ‘पररिितन’ िो होगा ह, परिु यदद आप इस पररिितन के साथ-साथ िय को पररिनिति नह कर पािे िो दै दहक-दैविक और भौनिक िीन िरह की विपदाओ का सामना करना प सकिा है और अििः इन विपदाओ के िशीभूि होने के बाद िो बलपूितक आपकी जीिनशैल म पररिितन हो ह जािे ह, जो ाय: कटदायी होिे ह| िैसे िो पररिितन एक सिि किया है, ककिु इसकी दर समय, थनि और काल के अनुसार बदलिी रहिी है| आज ऐसा लगिा है कक चाहे बबस हो या देश, पररिितन की गनि बह ु ि िेज है और ऐसी पररथनि म थोी असहजिा होना िो लाजमी है| अिः ‘पररिितन’ हमार जदगी को रोचक बनाने के ललए िो आियक है ह, साथ ह साथ क ृ नि और अय बलशाल शतिय के अधीन रहने के कारण हमार मजबूर भी है| क ु छ इसी िरह की पररिितन की लाई हमारा ‘बबस’ भी ल रहा है| रेगगिान म भटक कर पह ु चने िाले जीि की ि ृ णा शाि करने का एकमा साधन “मऱयान अथाति ् ओएलसस” पररिितन की इस लाई का लशकार बनने की थनि की ओर बढ़ रहा था| “बबस वपलानी - इस मैजक” को जीिि बनाए रखने के ललए बबलसयन जनिा को कमर कस कर खे होने का यह उगचि समय था| मानि युग-युग से विपरि पररथनिय का सामना करने के ललए ‘आविकार’ को हगथयार बनाए ह ु ए है; ककिु बबस म ‘ोजेतट- पररिितन’ के आविकार के अपकाललक भाि से “ओएलसस” को बचाने के ललए “पुनराविकार अथाति ् र-इिशन ” की आियकिा पी और इस कार ‘र-इिशन’ का जम ह ु आ | इस विचार के पररणामिरप ह जगह की कमी को इस बार के ओएलसस की िाकि बनाने का यास ककया जा रहा है और इसी िम म शायद पहल बार िकत शॉप से लेकर जम-जी िक की सक पर टॉस लगाए जाएगे जो ककसी मेले जैसी रौनक बबखेरने का कायत करगे| इसी के साथ ह विविधिा की ट से इस ओएलसस को धनी बनाने के यास म सुदूर दिण से लेकर महारार, मय देश, उर देश, उराखड, राजथान, ददल आदद देश से 70 से अगधक महावियालय को ओएलसस के दशतन कराने की िैयार की जा चुकी है| रॉकटेस को पहले से ि ृ ह िर पर भय ऱप देकर िुि ककया जा रहा है और इस बार की पुरकार रालश अभी िक की रालशय म सिातगधक रखी जा रह है| ऐसे ह न जाने ककिने छोटे-बे “र-इिशस” इस ओएलसस को पररिितन की आधी म भी हरा-भरा बनाए रखने के ललए योग म लाए जा रहे ह| खैर! ये िो आने िाला समय ह बिाएगा कक इन यास का ककिना मीठा िल बबस के साथ-साथ बाहर जनिा को खाने को लमलेगा| वाह पिलानी बुधवार बिट ् स म िहती खिर की धारा ओएसिि हदी ेि त ु तत - 31 अट ू बर