8/18/2019 Narayan Kwach
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Narayan Kwach
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यासः- सवथम ीगणेश जी तथा भगान
नारायण को नमकार करके नीच ेिख ेकार
से यास कर । अगं-यासः-
ॐ ॐ नमः — पादयोः (दाने ाथ क तजवनी
अंग ठुा — इन दोन को िमाकर दोन पैरका पशव कर )।
ॐ न ंनमः — जान नुोः ( दाने ाथ क
तजवनी अंग ठुा — इन दोन को िमाकर
दोन घ टुन का पशव कर )
ॐ म नमः — ऊः (दाने ाथ क तजवनी
अंग ठुा — इन दोन को िमाकर दोन पैर कजाघ का पशव कर )।
ॐ ना ंनमः — उदरे (दान ेाथ क तजवनी
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तथा अंग ठुा — इन दोन को िमाकर पटे का
पशव करे)
ॐ रा ंनमः — द (मयमा-अनामका-तजवनी
से दय का पशव कर )
ॐ य ंनमः – उरस (मयमा- अनामका-
तजवनी स ेछाती का पशव करे)
ॐ णा ंनमः — म खुे (तजवनी – अग ठेु केसंयोग से म खु का पशव करे)
ॐ य ंनमः — शरस ( तजवनी -मयमा के
सयंोग से सर का पशव करे )
कर-यासः-
ॐ ॐ नमः — दणतजवयाम ्( दाने
अग ठुे स ेदाने तजवनी के सरे का पशव करे)
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ॐ न ंनमः — -दणमयमायाम ्(दाने अग ठेु
से दाने ाथ क मयमा अग िु का ऊपर
िाा पोर पशव करे)
ॐ म नमः — दणानामकायाम ्(दने अग ठुे स ेदाने ाथ क अनामका का
ऊपरिाा पोर पशव करे)
ॐ भं नमः — -दणकनठकायाम ्(दान े अग ठुे स ेाथ क कनठका का ऊपर िाा
पोर पशव करे)
ॐ ग ंनमः — -ामकनठकायाम ्(बाय ेअग ठेु
से बाये ाथ क कनठका का ऊपर िाापोर पशव करे)
ॐ ंनमः — -ामानकायाम ्(बाय ेअग ठुे से
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बाये ाथ क अनामका का ऊपरिाा पोर
पशव करे)
ॐ त नमः — -ाममयमायाम ्( बाय ेअग ठेु
से बाये ाथ क मयमा का ऊपरिाा पोर
पशव करे)
ॐ ा ंनमः — ामतजवयाम ्(बाय ेअग ठुे स ेबाये ाथ क तजवनी का ऊपरिाा पोर पशव
करे)
ॐ स ु ंनमः — -दणाङग ुठोवपवण ( दाने
ाथ क चार अग ुिय स ेदाने ाथ के अग ठुे का ऊपरिाा पोर छ ु ए)
ॐ द नमः —– दणाङग ुठाधः पवण (दाने
ाथ क चार अग ुिय स ेदाने ाथ के
अग ठे का नीच ेिाा पोर छ ए)
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ॐ ा ंनमः —– ामाङग ुठोवपवण (बाये
ाथ क चार अग ुिय स ेबाय ेअग ठेु के
ऊपरिाा पोर छ ु ए)
ॐ य ंनमः —— ामाङग ुठाधः पवण (बायेाथ क चार अग ुिय स ेबाये ाथ के अग ठेु
का नीच ेिाा पोर छ ु ए)
ण ुषडरयासः-
ॐ ॐ नमः — दये ( तजवनी – मयमा ए ं
अनामका से दय का पशव करे )
ॐ ंनमः -म ूनव ( तजवनी मयमा केसयंोग सर का पशव करे )
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ॐ ष ंनमः — ुमवये (तजवनी-मयमा स े
दोन भ का पशव करे)
ॐ ण ंनमः — शखायाम ्(अग ठुे से शखा का
पशव करे)
ॐ नमः — नेयोः (तजवनी -मयमा स ेदोन ने का पशव करे)
ॐ न ंनमः — सवसधष ु( तजवनी – मयमा
और अनामका स ेशरर के सभी जोड़ — जैस े
– कंधा , घ टुना , कोनी आद का पशव करे )
ॐ मः अाय फ — ायाम ्(प ूव क ओर
च ुटक बजाए )
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ॐ मः अाय फ – आनेयाम ्(अनकोण
म च ुटक बजाय )
ॐ मः अाय फ — दणयाम ्(दण
क ओर च टुक बजाए )
ॐ मः अाय फ — नऋैये (नऋैय कोणम च ुटक बजाए)
ॐ मः अाय फ — तीयाम (् पचम क
ओर च टुक बजाए )
ॐ मः अाय फ — ायये ( ाय कुोण म
च ुटक बजाए )
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ॐ मः अाय फ — उदयाम (् उतर क
ओर च टुक बजाए )
ॐ मः अाय फ — ऐशायाम ्(ईशानकोण
म च ुटक बजाए )
ॐ मः अाय फ — ऊावयाम ्( ऊपर क ओर च टुक बजाए )
ॐ मः अाय फ — अधरायाम ्(नीच ेक
ओर च टुक बजाए )
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ी रः
अथ ीनारायणकच
।।राजोाच।। यया ग ुतः साः साान ्रप सुैनकान ।्
डन नजवय िोया ब भु जु े
यम ।्।१ भगंतममाया मव नारायणामकम ।्
यथा ssततायनः श नू ्येन ग ुतो sजयम धृे।।२
राजा परत ने प छूाः भगन ्! देराज इं
ने जससे स रुत ोकर श ु ओ ंक
चत रुङगणी सनेा को िखे-खिे म अनायास जीतकर िोक क राज िमी का उपभोग
कया , आप उस नारायण कच को स नुाइये
और य भी बिताईय ेक उने उसस ेस रुत ोकर रणभ ूम म कस कार
आमणकार श ु ओ ंपर जय ात क ।।१-
२
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।।ीश ुक उाच।।
तृः प रुोतोाो मेायान पु ृछत।े
नारायणाय ंमाव तदैकमनाः श णृ ।ु।३
ीश ुकदेजी न ेकाः परत ्! जब देताओ ं
ने प को प रुोत बना िया , तब देराजइ के न करने पर प ने नारायण
कच का उपदेश दया त मु एकाचत स े
उसका ण करो ।।३
प उाचधौताङपाणराचय सप
उदङ म खुः। क ृ ताङगकरयासो माया ंायतः
श ुचः।।४
नारायणमय ंमव संनहये भय आगत।े पादयोजावन नुोदरे यथोरस।।५
म खुे शरयान पु ूयावदकारादन यसेत ।्
ॐ नमो नारायणायेत पयवयमथाप ा।।६
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प न ेका – देराज इ ! भय का
असर उपथत ोन ेपर नारायण कच धारण
करके अपने शरर क रा कर िेनी चाएउसक ध य ै क पिे ाथ-पैर धोकर
आचमन करे, फर ाथ म क ु श क पी
धारण करके उतर म खु करके बठै जाय इसकेबाद कच धारण पयत और क ु छ न िबोने का
नचय करके पता स े“ॐ नमो
नारायणाय ” और “ॐ नमो भगते ास दुेाय ”इन मं के ारा दयाद अङगयास तथा
अङग ुठाद करयास करे पिे “ॐ नमो
नारायणाय ” इस अटार म के ॐ आद आठ अर का मशः परै , घ टुन , जाघ , पेट ,
दय , ःिथ , म खु और सर म यास करे
अथा प ूत म के यकार सिे ेकर ॐकार तक आठ अर का सर से आरभ कर
उ ंआठ अङग म परत म से यास
करे ।।४-६
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करयास ंततः क ु याव ादशारयया।
णादयकारतमङग लुयङग ुठपवस ।ु।७
तदनतर “ॐ नमो भगत ेास दुेाय ” इस
ादशार -म के ॐ आद बार अर का
दायी ंतजवनी स ेबायी ंतजवनी तक दोन ाथक आठ अग ुिय और दोन अग ठु क दो-दो
गाठ म यास करे।।७
यसे दय ओङकारं कारमन ुम धूवन।
षकारं त ु ुोमवये णकारं शखया दशते ।्।८
ेकारं नेयोय ुवञयानकारं सवसधष ।ु मकारमम ुय मम ूत वभवे ब धुः।।९
ससग फडत ंतत ्सवदु नदवशते ।्
ॐ ण ेनम इत ।।१०
फर “ॐ णे नमः” इस म के पिे के
पिे अर ‘ॐ’ का दय म , ‘ ’ काहमर , म ‘ष ’ का भौ के बीच म , ‘ण ’ का
चोट म , ‘’े का दोन ने और ‘न ’ का शरर
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क सब गाठ म यास करे तदनतर ‘ॐ मः
अाय फ ’ ककर दबध करे इस कर
यास करन ेसे इस ध को जानन ेिााप ुष ममय ो जाता ै ।।८-१०
आमानं परम ंयायेद येय ंषशतभय ुवतम ।् यातजेतपोम ूत वमम ंमम दुारेत ।।११
इसके बाद सम ऐयव, धमव, यश , िमी , ान और ैराय स ेपरप णूव इटदे भगान ्का
यान करे और अपने को भी त प
चतन करे तपचात ्या , तजे , और तपःप इस कच का पाठ करे ।।११
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ॐ रवदयामम सवरा ंयताङपः
पतगेप ृठे।
दरारचमावसगदेष चुापाशान ्
दधानो sटग णुो sटबा ुः ।।१२
भगान ्ीर गड़जी के पीठ पर अपने
चरणकिम रख े ुए , अणमा आद आठ
सया उनक सेा कर र आठ ाथ म
शंख , च , िढा , ितार , गदा , बाण , धन षु , और
पाश (फंदा) धारण कए ुए े ओकंार
प भ ुसब कार से सब ओर से मेर रा
कर ।।१२
िजेष ुमा ंरत ुमयम ूत वयावदोगणेयो
णय पाशात ।् िथेष ुमायाट ुामनो sयात ्मः खेऽत ु
पः ।।१३
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मयम ूत व भगान ्िज के भीतर िजजंत ु ओ ं
से और ण के पाश स ेमेर रा कर माया
से हमचार प धारण करने िाे ामनभगान ्िथ पर और प ी
मभगान ्आकाश म मेर रा कर 13
द गु टयाजम खुादष ुभ ःु
पायान ृसंोऽस रुय थुपारः।
म ञुचतो यय माास ंदशोनेद ुयवपतंच गभावः ।।१४
जनके घोर अास करन ेपर सब दशाए ग ू जउठ थी ंऔर गभवती दैयपनय के गभव गर
गये थ,े े दैयय थुपतय के श ुभगान ्
न ृसं िक,े जिंग , रणभ ूम आद कटथान म मेर रा कर ।।१४
रसौ मान यकलपःदंयोनीतधरो राः।
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रामोऽक ूटेथ ास ेिसमणो sया
भरताजो sमान ्।।१५
अपनी दाढ़ पर प ृी को उठा िेन ेिाे
यम ूत व रा भगान ्मागव म , परश ुराम जी
पवत के शखर और िमणजी के सतभरत के बड़ ेभाई भगान ्रामचं ास के
समय मेर रा कर ।।१५
माम ुधमावदिखात ्मादानारायणः पात ु
नरच ासात ।्
दतयोगादथ योगनाथः पाया ग णुेशःकिपः कमवबधात ्।।१६
भगान ्नारायण मारण – मोन आद भयकंर अभचार और सब कार के माद से मेर
रा कर ऋषेठ नर गव से, योगेर
भगान ्दताये योग के न से औरग णुाधपत भगान ्किप कमवबधन स े
मेर रा कर ।।१६
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सनक ु मारो त ुकामदेायशीषाव मा ंपथ
देिेनात ।्
देषवयवः प ुषाचवनातरात ्क ूम रमा
नरयादशषेात ्।।१७
परमषव सनक ु मार कामदे से, यी भगान ्
मागव म िचत ेसमय देम ूत वय को नमकार
आद न करन ेके अपराध से, देषव नारद
सेापराध से और भगान ्कछप सब कार
के नरक स ेमरे रा कर ।।१७
धतरभवगान ्पापया ा
भयाषभो नजवतामा।
यच िोकादताजनाता िबो गणात ्
ोधशादः ।।१८
भगान ्धतर क ु पय स,े जते भगान ्
ऋषभदे स खु-द ःुख आद भयदायक
स,े य भगान ि् ोकापाद से, िबरामजी
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मन ुयक ृ त कट से और ीशषेजी
ोधशनामक सप के गण से मेर रा कर
।।१८
पैायनो भगानबोधा ब ुत ुपाखडगणात ्
मादात ।् कलकः िके िकािमात ्पात ु
धमावनायोक ृतातारः ।।१९
भगान ्ीक ृ णेपायन यासजी अान स े
तथा ब ुदे पाखडय स े और माद से मरे
रा कर धमव-रा करन ेिाे मान अतारधारण करने िाे भगान ्कलक पाप-ब ुि
कििका के दोष स ेमेर रा कर ।।१९
मां केशो गदया ातरया गोद
आसङगमातेण ुः।
नारायण ाहण उदातशतमवयदनेण ुररपाणः ।।२०
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ातःिका भगान ्केश अपनी गदा िेकर ,
क ु छ दन चढ़ जान ेपर भगान ्गोद अपनी
बासं रु िेकर , दोपर के पिे भगान ्नारायण अपनी तीण शत िेकर और दोपर को
भगान ्ण ुचराज स दुशवन िेकर मेर रा
कर ।।२०
देो sपराहणे मध ुोधा साय ंधामात ु
माधो माम ।् दोष ेषीकेश उताधवरा ेनशीथ एको sत ु
पनाभः ।।२१
तीसरे पर म भगान ्मध सु दून अपना चड
धन षु िेकर मरे रा कर सायंिका म हमा
आद म ूत वधार माध , स यूावत के बादषकेश , अधवरा के प ूव तथा अधव रा के
समय अकेिे भगान ्पनाभ मेर रा कर
।।२१
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ीसधामापररा ईशः य षू ईशोऽसधरो
जनादवनः।
दामोदरोऽयादन सुय ंभात ेेरोभगान ्िकाम ूत वः ।।२२
रा के पिछे र म ीिसाञछन ीर ,उषािका म खगधार भगान ्जनादवन ,
स यूदय से प ूव ीदामोदर और सप णूव
सयाओ ंम िकाम ूत व भगान ्ेर मरेरा कर ।।२२
चं य गुातािनतमनेम मत ्समताभगय ुतम ।्
ददध ददयरसैयमास ुकं यथा
ातसखो ुताशः ।।२३
स दुशवन ! आपका आकार च (रथ के पये)
क तर ै आपके कनारे का भाग ियिकान अन के समान अयत ती ै।
आप भगान ्क ेरणा से सब ओर घ मूत े
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रत े जैसे आग ाय ुक सायता स ेस खूे
घास-फ ूस को िजा िडाती ै, सैे आप
मार श सुेना को शी स ेशी िजा दजये,िजा दजय े।।२३
गदेऽशनपशवनफ ु िङग ेनपढनपयजतयास।
क ूमाडनैायकयरोभ तूांच णूवय
च णूवयारन ्।।२४
कौम दु क गदा ! आपसे छ ूटने िा
चनगारय का पशव के समान असहय ै आप भगान ्अजत क या और म
उनका सेक ू इसिए आप क ूमाड ,
नायक , य , रास , भ तू और ेताद को अभी क ु िच डािये, क ु िच डािये तथा मेरे
श ु ओ ंको च रू – च रू कर दजये ।।२४
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ं
यात धुानमथतेमात ृपशाचघोरटन ।्
दरे ाय क ृ णप ूरतोभीमनोऽरेवदयान कपयन ्।।२५
शङखेठ ! आप भगान ्ीक ृ ण के फ ू कनेसे भयकंर शद करके मेरे श ु ओ ंका िद
दिा दजये एं यात धुान , मथ , ेत , मात कृा ,
पशाच तथा हमरास आद भयान ेाणयको या स ेत रुत भगा दजये ।।२५
ंतमधारासरारसैयमीशय ुतो ममछध छध।
चमवञछतच छादय षामघोना ंर
पापचषुाम ्२६
भगान ्क ेठ ितार ! आपक धार ब ुत
तीण ै आप भगान ्क ेरणा स ेमेरे श ु ओ ंको छन-भन कर दजये। भगान ्क
यार िढा ! आपम सकैड़ चाकार मिड
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आप पापट पापामा श ु ओ ंक आख ेबद
कर दजये और उ सदा के िये अधा
बना दजये ।।२६
यनो भय ंेयो भ तू ्केत ुयो न ृय ए च।
सरस पृेयो दंयो भ तूेयऽोय ए ा।।२७
सावयेतान भगनामपाकतवनात ।् यात ुसंय ंसयो ये नः ेयः तीपकाः
।।२८
स यूव आद , ध मूकेत ु(प ुिछ तारे ) आद
केत ,ु द ुट मन ुय , सपावद र गन ेिाे जत ,ु
दाढ़िाे संक पश ु, भ तू-ेत आद तथा पापी ाणय से म जो-जो भय ो और जो मारे
मङिग के रोधी – े सभी भगाान ्के
नाम , प तथा आय धु का कतवन करने से तिका नट ो जाय ।।२७-२८
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गड़ो भगान ्तोतोभछदोमयः भ ःु।
रशषेक ृ ेयो सेनः नामभः
।।२९
ब ृ , रथतर आद सामेदय तो से
जनक त ुत क जाती ै, ेेदम ूत व भगान ्गड़ और सेनजी अपने नामोचारण के
भा स ेम सब कार क पतय स े
बचाय ।।२९
सावपयो रेनावमपयानाय धुान नः।
ब ुयमनः ाणान ्पात ुपाषवदभ षूणाः ।।३०
ीर के नाम , प , ान , आय धु और ेठ
पाषवद मार ब ु , इय , मन और ाणको सब कार क आपतय से बचाय ।।३०
यथा भगाने त तुः ससच यत ।् सयनानेन नः स यात ुनाशम पुााः ।।३१
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जतना भी कायव अथा कारण प जगत ै,
ात म भगान ् ै इस सय के
भा स ेमारे सारे उप नट ो जाय ।।३१
यथैकायान भुााना ंकलपरतः यम ।् भ षूणाय ुिङगाया धत ेशतीः मायया
।।३२
तनेै सयमानने सवो भगान ्रः।
पात ुसः पनैवः सदा सव सवगः ।।३३
जो िोग हम और आमा क एकता का
अन भु कर च केु , उनक ट म भगान ्का
प समत कलप से रत ै-भेद सेरत फर भी े अपनी माया शत के
ारा भ षूण , आय धु और प नामक शतय
को धारण करते य बात नचत प से सय ै इस कारण सव , सवयापक भगान ्
ीर सदा सव सब प से मार रा
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कर ।।३२-३३
द ुदूवमधः समतादतबवभवगान ्
नारसंः। ापय िलोकभय ंनेन तसमततजेाः
।।३४
जो अपने भयकंर अास स ेसब िोग केभय को भगा देत े और अपने तजे से सबका
तजे स िेत े , े भगान ्न ृसं दशा -
दशा म , नीचे -ऊपर , बार-भीतर – सब ओरसे मार रा कर ।।३४
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मघनदमायात ंमव नारयणामकम ।्
जेययञजसा येन दंशतोऽस रुय थूपान ्।।३५
देराज इ ! मनैे त ु य नारायण कच
स नुा दया ै इस कच स ेत मु अपने को
स रुत कर िो बस , फर त मु अनायास
सब दैय – य थूपतय को जीत कर िोगे ।।३५
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एत धारयमाणत ुयं य ंपयत चुषा।
पदा ा संप शृते ्सयः सासात ्स
म ुयत े।।३६
इस नारायण कच को धारण करने िाा
प ुष जसको भी अपन ेने से देख िेता ै अथा परै स ेछ ू दतेा ै, तिका समत भय
से स ेम ुत ो जाता ै 36
न क ु तचत भय ंतय या ंधारयतो भेत ।्
राजदय ुादयो याादयच कवचत ्
।।३७
जो इस ैणी या को धारण कर िेता ै,
उसे राजा , डाक ू, ेत , पशाच आद और बाघ आद संक जी स ेकभी कसी कार का
भय न ंोता ।।३७
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इमा ंया ंप रुा कचत ्कौशको धारयन ्
जः।
योगधारणया ाङग ंजौ स मधन ।।३८
देराज! ाचीनिका क बात ै, एक कौशक
गोी ाहमण ने इस या को धारण करकेयोगधारणा स ेअपना शरर मभ ूम म याग
दया ।।३८
तयोपर मानने गधवपतरेकदा।
ययौ चरथः ीभव तृो य जयः ।।३९
जा उस ाहमण का शरर पड़ा था , उसके
उपर स ेएक दन गधवराज चरथ अपनी
य के साथ मान पर बैठ कर निके।।३९
गगनायपतत ्सयः समानो हयाक ् शराः।
स िाखलयचनादथीयादाय मतः।
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ाय ाचीसरया ंनाा धाम
मगात ्।।४०
ा आते े नीच ेक ओर सर कये
मान सत आकाश से प ृी पर गर पड़ े
इस घटना स ेउनके आचयव क सीमा न रजब उ िबाखलय म ुनय ने बिताया क
य नारायण कच धारण करने का भा ै,
तब उने उस ाहमण दे क डय को िेजाकर प ूवानी सरती नद म ात
कर दया और फर नान करके ेअपने िोक
को िचे गये ।।४०
।।ीश ुक उाच।।
य इदं श णृ ुयात ्िकाे यो धारयत चातः। त ंनमयत भ तूान म ुयत ेसवतो भयात ्
।।४१
ीश ुकदेजी कत े – परत ्जो प ुष इस
नारायण कच को समय पर स नुता ै और जो
8/18/2019 Narayan Kwach
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