कदाचत्-कालद तटवपन संगीतकरवो मुदाभीरी नारीवदन कमलावादमधुपः । रमा शंभु ामरपत गणेशाचत पदो जगाथः वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 1 ॥ भुजे से वेणुं शरस शखपछं कटतटे कू लं नेांते सहचरकटां वदधते । सदा ीम ंदावनवसतलीलापरचयो जगाथः वामी नयनपथगामी भवतु ने ॥ 2 ॥ महांभोधेतीरे कनकचरे नीलशखरे वसन् ासादांतसहज बलभेण बलना । सुभा मयसकलसुर सेवावसरदो जगाथः वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 3 ॥ कृ पा पारावारासजल जलद ेणचरो रमावाणी रामु रदमल पंकॆ हमुखः । सुरैरारायः ुतगणशखा गीत चरतो जगाथः वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 4 ॥ रथाढो गन् पथ मलत भूदेवपटलैः तुत ाभावं तपदमुपाकय सदयः । दयासधुबधुसकल जगता सधुसुतया जगाथः वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥ 5 ॥ Jagannatha Ashtakam