सत्यार्थ प्रकाश के 14वें सम्मुल्लास का यह जवाब है, लेखक हैं सनाउल्लाह अमृतसरी जिन्होंने 50 साल तक आर्य समाजियों के नाक में दम रखा, आर्य प्रचारक गाजी महमूद धर्मपाल आपसे 11 वर्ष तक किताबी जंग लडने के बाद मुसलमान हो गया, धर्मपाल ने 11 वर्ष आर्यों में रहकर फिर इस्लाम की तरफ से उस जमाने की आमजन की भाषा अर्थात उर्दू में किताब 'वेद और स्वामी दयान्नद' लिखी वह भी इस अकाउंट में पढ सकते हैं
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