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भारत म� खाया�न वार का मह�व एवं उ�पादन क� उ�नत �ौयो�गक� एस. के.
जैन1* और सु�नल गोमाशे2
1�वार सशंोधन क� �, सरदार कृ ष नगर दांतीवाडा कृ ष व%व व&यालय
डीसा, बनासकांटा, गजुरात-385535
2भारतीय कद/न अनसुंधान स1ंथान, राजे/�नगर, हैदराबाद 500030 *संवाद�
लखेक का ईमेल: [email protected]
व%व म� जहाँ खा&या/न फसलो म� �वार का 1थान पांचवा है वह: भारत
म� चावल एवं गेहंू के बाद यह तीसरे 1थान पर आता है | भारत म� �वार
क> खेती 6.25 @म. हेAटेयर BCे म� क> जाती है तथा 0.957
टन/ हेAटेयर औसत उHपादकता के साथ 5.98 @म. टन उHपादन होता है | देश
का 80% से �यादा �वार
का उHपादन मJुयKप से महाराLM (54%), कनाQटक (18%), राज1थान (8%),
मRयSदेश (6%) तथा
आ/TSदेश (4%) रा�यU म� होता है | इसके अलावा त@मलनाडु, गजुरात,
उतरSदेश, उतराखंड एव ं
हWरयाणा म� भी �वार क> खेती मुJयKप से चारे एव ंदाने के @लए
क> जाती है | सामा/यत: �वार धा/य
लाखU लोगU के @लए Sोट:न, वटा@मन, उजाQ तथा ख�नज का Sमुख Zोत है |
वशेषकर शुLक एव ंअ[Q-
शुLक BCेो म� यह व%व खा&य क> अथQ-\यव1था म� महHवपूणQ भू@मका
�नभा रह: है | इसक> पोषण
संरचना चावल जेसे धा/यU से अ]छ_ है जो`क Sोट:न, ख�नज, रेशे,
कैिbशयम, फो1फोरस, लोहा, ए@मनो
अcल आdद क> अeधकता के कारण अeधकतर लोगU का Sमखु भोजन बनी हुई है
| �वार म� पयाQgत
माCा म� काबhहाइiटे (72%), Sोट:न (11.6%), 1टाचQ (1.9%) होने के
अलावा रेशे एव ं ख�नज भी
अHयeधक माCा म� पाए जाते है | �वार का आटा jलूdटन मुAत होता है तथा
jलूdटन संवेद: लोगU के
@लए उपयोगी होने के साथ-साथ मधमेुह व मोटापे से k1त लोगU के @लए भी
उपयोगी है | वशेषकर
भारत म� �वार एक महHवपणूQ खा&या/न फसल होने के साथ साथ शुLक एव
ंअ[Q शुLक BेC के `कसानो
क> आय का एक महHवपूणQ Zोत भी है | इसक> पोषण सरंचना चावल
जेसे धा/यU से अ]छ_ होने के
कारण अeधकतर लोगU का Sमखु भोजन बनी हुई है | �वार क> अHयeधक
मांग होने के बावजूद यह देखा
जा रहा है `क इसके पौिLटक गणुU के बारे म� शहर: लोगU म� जागKकता
क> कमी, इसके उHपादU के dटकने
क> कम अवeध, सरकार क> S�तकूल नी�तयU के कारण इसका BेCफल एव
ंउHपादन लगातार कम होता
जा रहा है| इसक> खेती बारानी एव ंअ@सeंचत BेCU म� होने के कारण
उHपादकता बहुत कम @मलती है
तथा उ/नत `क1मU तथा उHपादन क> न वन तकनीकU के वकास होने के बाद
भी `कसान जानकार: के
अभाव म� उनका पूर: तरह उपयोग नह:ं करत ेिजससे खचाQ करने के बाद भी
`कसानो को पूरा मनुाफा नह:ं
@मलता है अत: `कसान सं1ततु BेC के dहसाब से उeचत `क1म का चयन करत
ेहुए वैmा�नक तर:के से
इसक> खेती करे �वार क> उHपादकता Bमता म� बढ़ोतर: कर सकते है
|
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वक@सत देशU म� उदर:य रोगU से k1त तथा गेहंू सव�द: लोगU म� jलdूटन
मAुत खा&य क> मांग बढ़ रह:
है| हमारे देश म� खा&य सुरBा के साथ-साथ पोषण सरुBा क> ओर
भी वशेष Rयान देने क> आव%यकता
है | भोजन म� �वार के समावेश से जहां एक ओर शर:र के @लए आव%यक पोषक
तHवU क> कमी पूर:
होती है वह:p दसूर: और �वार को और अeधक आकषQक बनाने के @लए इसके
आटे को गेहंू, सोयाबीन एव ं
चना के साथ @मलाकर (मbट:kेन) बहु धा/य आटे के Kप म� भी उपयोग म�
लाया जा सकता है | इसके
अलावा �वार से �न@मQत तथा 1वा1qय के @लए अHयeधक लाभकार:, रवा, पोहा
आdद भी सेवन `कया जा
सकता है | �वार क> अHयeधक मांग होने के बावजूद भी पछले चार दशकU
म� इसका BCे एव ंउHपादन
1969-70 म� 18.59 @म. हेAटेयर तथा 9.86 @म. टन से eगरकर 2011-12 म�
6.25 @म. हेAटेयर तथा
5.98 @म. टन रह गया है | ले`कन S�त हेAटर उHपादन जहां 1969-70 म�
554 `कलोkाम होता था, वह:
आज 957 `कलोkाम होता है | इसका मJुय कारण अ]छ_ पदैावार देने वाल:
`क1मो का वकास एव ं
`कसानो &वारा वmैा�नक तर:के से खेती करना रहा है | पर/तु `फर
भी अ/य देशU क> तुलना म� हमारे
यहा `क औसत उHपादन Bमता काफ> कम है | लगातार जनसंJया का दबाव
बदने से खेती योjय जमीन
क> कमी होती जा रह: है इस@लए हम� हमार: उHपादन Bमता बढ़ानी होगी
| अत: `कसान अगर स1ंततु
BेC के dहसाब से उeचत `क1म का चयन करे तथा वैmा�नक तर:के से
इसक> खेती करे तो वह अeधक
उHपादन लेने के साथ-साथ अपनी आeथQक ि1थ�त भी सुधार सकते है |
भू#म एव ंखेत क� तैयार� : �वार क> खेती वसेै तो सभी Sकार क>
भ@ूम म� क> जा सकती है पर/तु अ]छे
जल �नकास वाल: दोमट @मrी इसक> खेती के @लय उHतम है | गमs के
मौसम म� एक 10-15 से.मी.
गहर: जतुाई करने के बाद 2-3 जुताई कbट:वेटर से करके जमीन को
भुरभुर: बनाये तथा इसके बाद
जमीन को समतल करे अं�तम जतुाई से पहले खेत म� 8-10 टन गोबर क>
सड़ी हुई खाद अ]छ_ तरह
@मलाद� |
बुआई : खर:फ �वार क> बुआई मानसनू आने के साथ कर� | जनू का आखर:
सgताह अथवा जलुाई का
पहला सgताह खर:फ �वार क> बआुई का सह: समय है | देर: से बुआई
करने से �वार म� Sरोह मAखी
का Sकोप बढ़ जाता है | रबी म� �वार क> बआुई जमीन म� नमी के आधार
पर करे | जbद: बआुई करने
से Sरोह मAखी का Sकोप बढ़ जाता है तथा देर: से बआुई करने पर जमीन म�
नमी क> कमी से उHपादन
म� कमी आती है! @सतcबर के दसूरा सgताह रबी �वार क> बुआई का सह:
समय है! जमीन म� अगर
पयाQgत माCा म� नमी होतो अAटूबर के पहले सgताह तक इसक> बआुई कर
सकते है |
बीज क� मा+ा एव ंपौधे क� दरू� : खा&या/न �वार क> बआुई करने
एव ंअeधक उHपादन लेने के @लए
S�त हेAटेयर पौधो क> सJंया 1.80 लाख से 2.0 लाख रख� | इसके @लए
पौधे से पौधे क> दरू: 10 से 15
से.मी., कतार से कतार क> दरू: 45 से.मी. एव ंबीज क> माCा 10
से 12 क>. kा. S�त हेAटेयर रख�|
उ�नत -क.म�: `कसान अगर सं1ततु BेCो के dहसाब से अ]छ_ `क1मU का चयन
करते हुए वmैा�नक
तर:के से इसक> खेती करे तो S�त हेAटेयर अeधक उHपादन ले सकते है
| भारत म� अ]छ_ पदैावार देने
वाल: �वार क> उ/नत `क1मU का ववरण �नcन Sकार से है |
1. सी. एस. वी. 15: यह `क1म एस. पी. वी. 475 x x एस. पी. वी. 462x
के सकंरण से 1996 म�
लोका पQत हुई तथा यह `क1म S�त हेAटेयर 3.6 टन दाना एव ं12.1 टन
सखेू चारे का उHपादन
देती है तथा संपूणQ भारत के खर:फ उHपादन BेC के @लए सं1तुत क>
गई है | यह 110 से 112
dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 232 सेमी ऊंचाई, दाना पीला, Sरोह
मAखी एवं तना भेदक
क>ट से S�तरोधी है |
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2. सी. एस. वी. 216 आर: यह `क1म भ-ूSजा�त से वरण कर के आं�Sदेश,
गजुरात, कनाQटक,
महाराLM तथा त@मलनाडू के रबी उHपादन BेC क> @लए वषQ 2000 म�
लोका पQत क> गई है इसक>
उHपादन Bमता S�त हेAटेयर 2.2-2.5 टन दाना एव ं5.9 टन चारा है तथा
यह `क1म 120 से 125
dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 240-270 सेमी ऊंचाई, दाना मोती
जैसा सफ़ेद, Sण धzबा
रोग तथा सखुा S�तरोधी है|
3. सी. एस. वी. 17: यह `क1म 2005 म� एस. पी. वी. 946 x एस. पी. वी.
772 के सकंरण से खर:फ
के कम वषाQ एव ंसूखा सभंा वत BेCो के @लय वषQ 2002 म� लोका पQत
क> गई है | इस `क1म क>
उHपादन Bमता S�त हेAटेयर 2.5 टन दाना एव ं6.8 टन चारा है तथा यह
`क1म 97 dदनो म�
पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 133-140 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा
र1ट,पHतीधzबा रोग,
सगुर:रोग एवं चारकोलरॉट से S�तरोधी है |
4. सी. एस. वी. 18: यह `क1म वषQ 2005 म� सी. आर.-4 x आईएस-18370 के
सकंरण से आं�Sदेश,
कनाQटक तथा महाराLM के खर:फ उHपादन BेC के @लए वक@सत क> गई है
िजसक> उHपादन
Bमता S�त हेAटेयर 3.5 से 3.8 टन दाना एव ं8.7 से 9 टन चारा है तथा
यह `क1म 120 से 126
dदनो म� पकने वाल:, आधी ठोस बाल:, 225 से 230 सेमी ऊंचाई, दाना
पीला सफेद तथा ए`फड से
S�तरोधी है |
5. सी. एस. वी. 22 : यह `क1म एस. पी. वी. 1359 x आर. एस. पी. 2 के
संकरण से संपणूQ भारत
के खर:फ उHपादन BेCो के @लए वषQ 2007 म� लोका पQत हुई तथा इसक>
उHपादन Bमता S�त
हेAटेयर 2.3 से 3.8 टन दाना एव ं7.1 टन चारा है | यह `क1म 120 dदनो
म� पकने वाल:, बाल:
आधी ठोस, 180 से 200 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा चारकोलरॉट एवं
Sरोह मAखी से
S�तरोधी है |
6. सी. एस. वी. 23 : यह `क1म एस. पी. वी. 861 x एस. यू. 248 के
संकरण से संपणूQ भारत के
खर:फ उHपादन BCो के @लय वषQ 2007 म� लोका पQत हुई तथा इसक>
उHपादन Bमता S�त हेAटेयर
2.5 से 3.0 टन दाना एव ं15.5 टन चारा है | यह `क1म 110 से 115 dदनो
म� पकने वाल:, बाल:
आधी ठोस, 215 सेमी ऊंचाई, दाना पीला सफेद तथा Sरोह मAखी एवं तना
भेदक क>ट से S�तरोधी
है |
7. सी. एस. वी. 26: यह `क1म वषQ 2012 म� एस. पी. वी. 665 x एस. पी.
वी. 1538 के
संकरण से रबी म� उथल: मदृा वाले BेCो के @लए वक@सत क> गई है तथा
इसक> S�त हेAटेयर
उHपादन Bमता 1.02 टन दाना एव ं4.2 टन चारा है | यह `क1म 110 से 115
dदनो म� पकने
वाल:, आधी ठोस बाल:, 183 सेमी ऊंचाई, दाना मोती जैसा, रोट: के @लए
सवhतम, सफेद तथा Sरोह
मAखी एवं पणQ रोग से S�तरोधी एवं इसके पHते पWरपAवता तक हरे रहते
है |
8. सी. एस. वी. 27: यह `क1म वषQ 2012 म� जी. जे. 38 x इ/दोर
12-1-2-1 के संकरण से
भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BCेो के @लए वक@सत क> गई है तथा
इसक> उHपादन Bमता
2.8 टन दाना एव ं19.3 टन चारा S�त हेAटेयर है | यह `क1म 115 dदनो
म� पकने वाल:, बाल:
आधी ठोस, 235 सेमी ऊंचाई, दाना भूरा पीला तथा kेनमोbड से S�तरोधी
एव ंनमी क> कमी को
सहन करने वाल: है |
9. सी. एस. वी. 28: यह `क1म वषQ 2012 म� आई. ऐ. आर. ट:. 204 x एस.
पी. वी. 11534 के
संकरण से भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लए वक@सत क> गई
है तथा इसक>
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उHपादन Bमता 2.8 टन दाना एव ं17.3 टन चारा है | यह `क1म 120 dदनो
म� पकने वाल:, बाल:
आधी ठोस, 220 सेमी ऊंचाई वाल:, दाना मोती जैसा सफेद तथा kेनमोbड एव
ंपणQ रोग से S�तरोधी
है |
10. सी. एस. वी. 29: यह `क1म (सी. एस. वी. 216 x डी. एस. वी. 5) x
सी. एस. वी. 216 आर के
संकरण से भारत म� आं�Sदेश, गुजरात, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू
के रबी उHपादन BेCो के
@लए वषQ 2012 म� वक@सत क> गई है तथा इसक> उHपादन Bमता 2.5 टन
दाना एव ं6.7 टन
चारा S�त हेAटेयर है| यह `क1म 118 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी
ठोस, 185 सेमी ऊंचाई
वाल:, मोती जसैा सफेद तथा चारकोलरॉट एवं Sरोह मAखी से S�तरोधी है
|
संकर -क.मे
1. सी. एस. एच. 14: यह सकंर `क1म वषQ 1992 म� एस. के. एम. एस. 14
ए. x x ए. के. आर.
150 के सकंरण से संपणूQ भारत के खर:फ उHपादन कBेCो के @लय वषQ 1992
म� वक@सत
क> गई है तथा इसक> उHपादन Bमता 3.7 से 4.0 टन दाना एव ं8.5
से 9.0 टन चारा S�त
हेAटेयर है यह `क1म 105 से 120 dदनो म� पकने वाल:, 170 से 200 सेमी
ऊंचाई, बाल: लcबी
एव ंआधी ठोस, दाना मोती जैसा सफेद, kेनमोbड एव ंपणQ रोग से S�तरोधी
है |
2. सी. एस. एच. 15 आर : इस संकर `क1म का वकास 1995 म� 104 ए. x आर.
एस. 585 के
संकरण से आ�ंSदेश, गजुरात, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू के रबी
उHपादन BेC के @लय
`कया गया है | इस `क1म क> उHपादन Bमता 2.2-2.5 टन दाना एव ं 5.9
टन चारा S�त
हेAटेयर है तथा यह `क1म 120 से 125 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी
ठोस, 240-270 सेमी
ऊंचाई, दाना मोती जेसा सफ़ेद, Sण धzबा रोग तथा सखूा S�तरोधी है
|
3. सी. एस. एच. 16: यह संकर `क1म वषQ 1997 म� मRयSदेश, आं�Sदेश,
उतरSदेश गजुरात,
राज1थान, कनाQटक, महाराLM तथा त@मलनाडू के खर:फ उHपादन BेCx के @लय
27 ए. X सी.
23 के संकरण से तैयार क> गई है | इसक> उHपादन Bमता 4.3 टन
दाना एव ं9.7 टन चारा
S�त हेAटेयर है | यह `क1म 110 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी ढ:ल:,
180 सेमी ऊंचाई,
दाना पीला सफेद तथा र1ट, पHतीधzबा रोग एव ंkेनमोbड रोग से S�तरोधी
है |
4. सी. एस. एच. 17: यह संकर `क1म वषQ 1997 म� मRयSदेश, गुजरात,
राज1थान तथा
त@मलनाडू के खर:फ उHपादन BेCx के @लय वषQ 1998 म� ए. के. एम. एस.
14 ए. x आर. एस.
673 के संकरण से तयैार क> गई है | इसक> उHपादन Bमता S�त
हेAटेयर 4.2 टन दाना एव ं
10.4 टन चारा है | यह `क1म 103 dदनो म� पकने वाल:, 203 सेमी ऊंचाई,
बाल: आधी ढ:ल:,
दाना पीला सफेद तथा Sरोह मAखी एव ंतना भेदक क>ट से S�तरोधी है
|
5. सी. एस. एच. 18: इस सकंर `क1म का वकास आई. एम.् एस. 9 ए. x
इंदौर 12 के सकंरण से
वषQ 1999 म� भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लय `कया गया है
| इसक> उHपादन
Bमता x S�त हेAटेयर 4.3 टन दाना एव ं13.1 टन चारा है तथा यह `क1म
115 से 120 dदनो
म� पकने वाल:, 210 से 225 सेमी ऊंचाई, बाल: आधी ठोस, दाना मोती
जैसा सफेद तथा
kेनमोbड रोग से S�तरोधी है |
6. सी. एस. एच. 19 आर.: इस संकर `क1म का वकास देश के सभी रबी
उHपादन BेCो के @लए
वषQ 2000 म� 104 ए. X ए. के. आर. 354 के सकंरण से `कया गया है |
इसक> उHपादन Bमता
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3.0 टन दाना एव ं6.0 टन चारा है तथा यह `क1म 117 dदनो म� पकने
वाल:, बाल: आधी ठोस,
225 सेमी ऊंचाई, दाना मोती जैसा सफेद तथा चारकोलरॉट से S�तरोधी है
|
7. सी. एस. एच. 25: इस संकर `क1म का वकास मJुय Kप से महाराLM के
खर:फ उHपादन
BेCx के @लए वषQ 2008 म� पी. एम.् एस. 28 ए. X सी. 43 के सकंरण से
`कया गया है |
इसक> उHपादन Bमता 4.3 टन दाना एव ं12.7 टन चारा S�त हेAटेयर है
तथा यह `क1म Sरोह
मAखी से S�तरोधी है तथा 100 से 105 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी
ठोस, 205 सेमी
ऊंचाई, दाना मोती जैसा सफेद है |
8. सी. एस. एच. 27: इस संकर `क1म का वकास वषQ 2011 म� 279 ए. X सी.
बी. 11 के
संकरण से मJुय Kप से आ�ंSदेश, त@मलनाडू उHतरSदेश, उHतर गुजरात एव ं
राज1थान के
खर:फ उHपादन BCेx के @लए `कया गया है तथा इसक> उHपादन Bमता 2.9
टन दाना एव ं13.6
टन चारा S�त हेAटेयर है | यह `क1म 106 dदनो म� पकने वाल:, बाल: आधी
ठोस, 200 सेमी
ऊंचाई वाल:, दाना सफेद तथा kेनमोbड से S�तरोधी है |
9. सी. एस. एच. 30 : यह संकर `क1म वषQ 2012 म� 415 ए. X सी. बी. 33
के सकंरण से
भारत के खर:फ म� वषाQ आधाWरत BेCो के @लए तयैार क> गई ह
िजसक> उHपादन Bमता 2.5
टन दाना एव ं7.5 टन चारा x S�त हेAटेयर है तथा यह `क1म 115 dदनो म�
पकने वाल:, बाल:
आधी ठोस, 235 सेमी ऊंचाई, kेनमोbड एव ंसखेू से S�तरोधी एवं इसका
दाना भरूा पीला है |
सी. एस. वी. 15 सी एस वी 17 सी एस वी 20
सी एस वी 22 आर सी एस वी 23
fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 35
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सी एस एच 14
सी एस एच 16 सी एस एच 25
बीजोपचार : बीज का उपचार करके हा�नकारक बीमाWरयU एवं क>ड़ो का
Sकोप कम कर सकते है तथा
S�त हेAटेयर पौधो क> सJंया सह: रखते हुए �यादा उHपादन ले सकते
है | इसके @लए बीज को
इ@मडाAलोरो Sड 14 मी. ल:. तथा बाव1ट:न अथवा थायो@मथोकजाम 2 kाम S�त
`कलो बीज क> दर से
उपचाWरत करके बआुई कर� |
खाद एव ंउव;रक: अं�तम जतुाई से पहले खेत म� 8-10 टन गोबर क> सड़ी
हुई खाद अ]छ_ तरह @मलाद� |
अeधक उHपादन लेने के @लए सह: माCा म� सह: समय पर रसाय�नक खाद का
उपयोग कर� िजससे फसल
को सह: माCा म� खाद @मल सके एवं उसक> बढवार हो सक� | �वार क>
फसल को 80 क>. kा. नCजन
एव ं40 क>. kा. S�त हेAटेयर फा1फोरस क> आव%यकता होती है |
फसल को नCजन क> आधी माCा एवं
फा1फोरस क> पूर: माCा बुआई के समय देव� तथा बची हुई नCजन फसल 30
से 40 dदवस क> होने पर
यूWरया के Kप म� देव� तथा देत ेसमय Rयान रखे क> खेत म� नमी अव%य
हो |
#सचंाई: खर:फ क> फसल को पानी क> आव%यकता नह:ं होती पर/तु
लcबे अ/तराल से बाWरश हो तो
आव%यकता पड़ने पर फूल बनते समय एवं दाना बनत ेसमय फसल को पानी अव%य
देना चाdहए | रबी
क> फसल म� ां�तक अव1था म� @सचंाई अव%य कर�| अगर पानी क>
\यव1था है तो फसल को 30-35
dदवस पर (बढ़वार के समय), 60 से 65 dदन पर (फूल �नकलने से पहले), 70
से 75 dदन पर (फूल
�नकलते समय) एव ं 90 से 95 dदन पर (दाने बनते समय) पानी अव%य दे |
अगर दो @सचंाई क>
\यव1था है तो फूल बनत ेसमय एवं दाना बनते समय @सचंाई करे | अगर एक
@सचंाई क> \यव1था है
तो फूल बनते समय @सचंाई अव%य करे |
खरपतवार होने
तक खरपतवार मुAत रख�! फसल को खरपतवार मAुत रखने के @लए बआुई के
तुरंत बाद एवं अंकुरण से
पहले एMाजीन 0.75 क>. kा. S�त हेAटेयर स`य तHव क> दर से
�छडकाव कर� | अगर फसल म�
अeगया का परकोप हो तो हाथ से उखाड़ कर उसका नाश कर� | फसल म� दो बार
तीसरे एवं पांचव े
सgताह म� बलैो क> सहायता से अ/Hतराश1य `या कर�! िजससे फसल
खरपतवार मुAत रहेगी एवं उसक>
बढवार अ]छ_ होगी |
क�ट एवं रोग फसल म� मJुय Kप से Sरोह मAखी, तना भेदक, @सrे क>
मAखी (मीज) एवं dटडा का
Sकोप होता है! िजनका �नयंCण करके हम �वार का उHपादन बढ़ा सकते है
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1. �रोह मAखी: यह �वार का अHयतं घातक शC ु है जो फसल क> शुआती
अव1था म� बहुत हा�न पहंुचाता है | जब फसल 30 dदन क> होती है तब तक
इस क>ट से फसल को 80% तक हा�न हो जाती है | यह क>ट रबी एवं खर:फ
दोनU मौसम म� हा�न पहंुचाता है | इस क>ट क> वय1क मAखी गहरे भूरे
रंग क> होती है जो पिHतयU के �नचल: सतह एव ंकोमल तनU पर सफेद रंग
के नल: के
आकर के अंड ेदेती देती है| 2-3 dदनU म� अंडो से इbल: �नकलकर मRय
Sरोह को हा�न पहंुचाती है िजससे Sरोह का अk शीषQ नLट होकर तृक� � का
�नमाQण करता है | यह बादलU से आ]छाdदत मौसम म� तेजी से बढ़ती है तथा
देर: से बोई गई फसल म� बहुत हा�न पहंुचाती है | इसके �नयंCण के @लए
रोग S�तकारक `क1मU का Sयोग कर� तथा बीज को इ@मडाAलोरो Sड 14 मी. ल:.
S�त `कलो बीज क> दर से उपचाWरत करके बआुई कर� | बीज क> माCा 10
से 12 S�तशत �यादा रखनी चाdहए तथा जर: होतो अंकुरण के 7 से 14 dदन म�
सायSमेeन दवा 10 ई.सी. @ 0.02 S�तशत का घोल बना कर �छड़काव करना चाdहए
| फसल काटने के बाद खेत म� गहर: जतुाई कर� तथा फसल के अवशेषU को एकCत
करके जला देना चाdहए |
2. तना भेदक क�ट: तना भेदक क>ट का Sकोप फसल म� 10 से 15 dदन से
शुK होकर फसल के पकने तक रहता है! छोट: फसल म� पौधो क> गोभ सखू
जाती है तथा बड़ ेपौधो म� इसक> सुंडयां तने म� सुराख़ बना कर फसल
क> पैदावार तथा गणुवHता को कम करती है | इसका Sकोप फसल क> गोभ
से शुK होता है तथा जसेै ह: उपर क> पिHतयां �नकलती है उसमे एक कतार
म� 5 से 6 �छ� देखने को @मलते है | इसके �नएंCण के @लए फसल काटने के
बाद खेत म� गहर: जतुाई करनी चाdहए तथा बचे हुए फसल के अवशेषU को एकCत
करके जला देना चाdहए | खेत म� बआुई के समय रसाये�नक खाद के साथ 10
क>. kा. क> दर से फोरेट 10 जी अथवा काबhयुरUन दवा खेत म� अ]छ_
तरह @मला देव� तथा बआुई के 15 से 20 dदन बाद काबhयुरUन 3जी अथवा
युराडॉन 3 जी 8-10 क>. kा. दवा S�त हेAटेयर क> दर से फसल क>
गोभ म� डाल� अथवा इ@मडाAलोरो Sड (200 एस. एल.) 5 मी. ल:. S�त 10 ल:टर
अथवा काबWरल 50 S�तशत घुलनशील पाउडर 2 kा./ल:. पानी म� घोल बना कर 10
dदन के अ/तराल पर दो �छड़काव करना चाdहए |
3. #सBे क� मAखी: यह @सrे �नकलते समय फसल को हा�न पहंुचाती है |
इसक> रोकथाम के @लए जब 50 S�तशत @सrे �नकल आएं तब Sोपेनोफास 40
ई.सी. दवा 25 मी. ल:. S�त 10 ल:टर पानी म� घोल बना कर 10 से 15 dदन के
अ/तराल पर दो �छड़काव करना चाdहए |
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4. माहू : इस क>ट म� @शशु एवं वय1क पौधU का रस चूसते रहत ेह
िजससे पौधे क> पिHतयU के `कनारे पर पल: धाWरयां dदखाई पड़ती है इस
क>ट के Sकोप से तरल �व बनने लगता है िजससे फसल पर फफंूद का आमण
होने लगता है और फसल क> उHपादन Bमता कम
हो जाती है | इसक> रोकथाम के @लए इ@मडाAलोरो Sड (200 एस. एल.) 5
मी. ल:. S�त 10 ल:टर ल:. पानी म� घोल बना कर 10 dदन के अ/तराल पर दो
�छड़काव करना चाdहए |
रोग: �वार म� मJुय Kप से दाने क> फफंूद (kेनमोbड) एव ंचारकोलरोट
का Sकोप होता है अत: इन रोगU क> रोकथाम के @लए Sमाणत बीजU का Sयोग
कर� तथा 2 kाम S�त `कलोkाम बीज क> दर से एkोसन जी. एन. या @सरेसन
से उपचाWरत करके बआुई कर� तथा उeचत तर:के से इनका �नयCंण करके हम �वार
का उHपादन बड़ा सकते है - 1. दाने क� फफंूद (EेनमोFड): फूल आते समय तथा
दाना बनते समय अगर
बाWरश होती है तो इस रोग का Sकोप होता है तथा दाने काले एव
ंसफेद-गलुाबी रंग के हो जाते है तथा उसक> गणुवHता कम हो जाती है |
अत: अगर फसल म� @सrे आने के बाद आसमान म� बादल छाए तथा वातावरण म� नमी
�यादा हो तो मे/कोजेब 75% 2 kाम अथवा काब/डािजम दवा 0.5 kाम. S�त ल:टर
पानी म� घोल बना कर 10 dदन के अ/तराल पर 2 �छडकाव करे |
2. चारकोल रॉट: इस रोग का Sकोप मुJय Kप से महाराLM एव ंकनाQटक के
रबी �वार के सखेू BेCो म� �छछल: मदृा म� होता है | इसका फैलाव जमीन
&वारा होता है | जमीन म� नमी क> कमी एव ंवातावरण म� अeधक गमs
इस रोग के फैलाव के मुJय कारण है | फसल के शुवाती अव1था म� पौधे मर
जाते है | फसल का तना आसानी से टूट जाता है तथा अगर तने को चीर कर
देख� तो अ/दर काले रंग का फफंूद dदखाई देता है | इस रोग क> रोकथाम
के @लए S�तरोधी `क1मU क> बुआई करनी चाdहए तथा नाइMोजन खाद का Sयोग
आव%येकता अनसुार कम से कम करना चाdहए एवं S�त हेAटेयर पौधो क>
सJंया कम रखनी चाdहए | जमीन को बआुई के समय थाईरम क> 4.5 `कलोkाम
S�त हेAटेयर क> दर से उपचाWरत करना चाdहए |
पJKयL से बचाव : �वार पBयU का मुJय भोजन है अत: फसल म� जब दाने
बनने लगते है तो सुबह एव ंशाम के समय इसमे पBयU से बहुत नुकसान होता
है अत: पBयU से बचाव करना बहुत आव%यक है अत: सुबह-शाम पBयU से रखवाल:
आव%यक है | फसल क� कटाई : जब फसल सुख कर पील:-भूर: होने लगे तथा दाने
म� 20 से 25 S�तशत नमी हो तो हं@सये क> सहायता से कटाई कर लेनी
चाdहए तथा 5-7 dदन धूप म� सुखाने के बाद @सrो को हं@सये क> सहायता
काट कर ेसर क> मदद से दाना अलग कर ल� तथा चारे को सूखने के बाद
पलेू बना कर एकCत कर लेना चाdहए |
इस तरह `कसान उeचत `क1म का चयन करत ेहुए वैmा�नक तर:के से इसक>
खेती करे तो वह अeधक उHपादन लेने के साथ-साथ अपनी आeथQक ि1थ�त सुधार
सकते है तथा साथ ह: साथ इसका उपयोग पौिLटक भोजन एव ंचारे के Kप म�
करके मनुLयU एव ंपशुओं म� कुपोषण क> सम1या को कम कर सकते ह |
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