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कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए
अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय
वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को
नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास
किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म
पर परशन-पतर को धयान स पढ़|
8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|
9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|
10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |
घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|
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खड-क
सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |
1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए
2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|
3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|
4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|
5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|
परशन सखया-1
उदाहरण-1
इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को
सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश
चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता
ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|
परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय
और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|
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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2
उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2
उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2
उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|
परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2
उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2
उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1
उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1
उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |
परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1
उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |
अभयास कायर -2
ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता
क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|
भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान
ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 2
सतरात परा 2015-16 हनद (आधार-अ पाठयकरम)
का-बारहवी बल परट
नधाररत समय-3 घट अधकतम अक-100
परशन-सखया
परशन क परकार
अक वभाजन
अपठत बोध
लखन साहतय वशष टपपणी
1 अत लघततरातमक
1x5=5 अपठत पदयाश
पठन भावबोध व लखन सबधी
2 अलउ एव लउ
2x7=14 +1=15
अपठत गदयाश
पठन भावबोध व लखन सबधी
3 नबधातमक 5 नबध लखन व अभवयिकत
4 पतर-लखन 5 पतर-लखन
5 अलउ 1X5 =5
जनसचार एव पतरकारता
लखन व अभवयिकत
6 नबधातमक 5 आलखपसतक समीा
लखन व अभवयिकत
7 नबधातमक 5 फचर लखन व अभवयिकत
8 लघ उततरातमक
2x4=8 कावय-अथर गरहण
अवबोध पठन एव लखन
9 लघ उततरातमक
2x3=6 कावय- सदयर-बोध
अवबोध पठन एव लखन
10 नबधातमक 3+3=6 कावय वषय-वसत
अवबोध पठन एव लखन
11 लघ उततरातमक
2X4=8 गदय -अथर गरहण
अवबोधन भावगरहण एव लखन
12 नबधातमक 3X4=12 गदय- वषय-वसत
अवबोधन भावगरहण एव लखन
13 लघ उततरातमक
5 परक- वषय वसत
मलय आधारत परशन
14 दघरउततरातमक 5+5=10 परक- वषय वसत
अवबोधन भावगरहण एव लखन
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 3
कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए
अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय
वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को
नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास
किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म
पर परशन-पतर को धयान स पढ़|
8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|
9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|
10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |
घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 4
खड-क
सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |
1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए
2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|
3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|
4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|
5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|
परशन सखया-1
उदाहरण-1
इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को
सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश
चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता
ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|
परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय
और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|
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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2
उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2
उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2
उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|
परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2
उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2
उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1
उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1
उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |
परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1
उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |
अभयास कायर -2
ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता
क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|
भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान
ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9
व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 3
कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए
अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय
वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को
नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास
किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म
पर परशन-पतर को धयान स पढ़|
8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|
9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|
10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |
घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 4
खड-क
सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |
1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए
2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|
3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|
4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|
5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|
परशन सखया-1
उदाहरण-1
इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को
सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश
चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता
ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|
परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय
और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 5
परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2
उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2
उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2
उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|
परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2
उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2
उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1
उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1
उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |
परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1
उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |
अभयास कायर -2
ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता
क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|
भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान
ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
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खड-क
सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |
1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए
2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|
3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|
4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|
5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|
परशन सखया-1
उदाहरण-1
इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को
सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश
चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता
ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|
परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय
और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|
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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2
उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2
उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2
उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|
परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2
उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2
उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1
उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1
उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |
परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1
उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |
अभयास कायर -2
ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता
क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|
भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान
ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 5
परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2
उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2
उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2
उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|
परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2
उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2
उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1
उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1
उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |
परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1
उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |
अभयास कायर -2
ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता
क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|
भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान
ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम
अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को
राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो
जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव
चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक
आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय
सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म
भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत
ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32
जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|
भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|
परशन-
1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2
2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2
3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2
4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2
5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2
6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2
7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1
8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1
9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1
2-
सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत
क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह
कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा
साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती
ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo
डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव
करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9
व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म
कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|
इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन
वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन
मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क
अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म
आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक
भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान
नमारता क रप म जाना जाता रहगा|
परशन-
1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2
2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2
3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2
4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2
5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2
6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2
7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1
8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1
9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1
3-
अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन
सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत
क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स
दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स
पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद
भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार
उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|
अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह
पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-
बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर
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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 8
स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील
नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो
तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म
बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न
िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम
करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास
हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|
परशन-
1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2
2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2
3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2
4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2
5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2
6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1
7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1
8- राजमहल कौन सा समास ह 1
9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1
10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1
4-
सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9
व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9
व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|
परशन-
1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2
2- लोग हसना कय भल गए ह 2
3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2
4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2
5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2
6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2
7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1
8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1
9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1
4
यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|
परशन-
1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2
2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2
3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए
उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
अभयास हत परशन ndash 1
मन समपरततन समपरत
और यह जीवन समपरत
चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत
आय का ण-ण समपरत
चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |
तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|
गाव मर दवारघरआगन मा दो|
दश का जयगान अधर पर सजा ह
दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|
य समन लो य चमन लो
नीड़ का तण ndashतण समपरत|
चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |
1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5
2- मातभम का हम पर कया ऋण ह
3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय
4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह
5- कव कस-कस स मा मागता ह
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
3
एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा
बहन लगता ह
साहब हम छोड़कर जा रह ह
इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|
म बार-बार सामन जाती ह
रोती हगड़गड़ाती ह
करती ह वनती हर बार
साहब जी इधर भी दख लो एक बार|
पर साहब ह क
कभी मझ नीच पटक दत ह |
कभी पीछ सरका दत ह
और कभी-कभी तो
फाइल क ढर तल
दबा दत ह |
अधकार बार-बार
अदर झाक जाता ह
डरत डरत पछ जाता ह
साहब कहा गए
हसतार हो गए
दसर फ़ाइल न
उस पयार स समझाया
जीवन का नया फलसफा सखाया
बहन हम य ह रोत ह
बकार गड़गड़ात ह
लोग आत ह जात ह
हसतार कहा रकत ह
हो ह जात ह|
पर कछ बात ऐसी होती ह
जो दखाई नह दती
और कछ आवाज
सनाई नह दती
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
जस फल खलत ह
और अपनी महक छोड़ जात ह
वस ह कछ लोग
कागज़ पर नह
दल पर हसतार छोड़ जात ह|
1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5
2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह
3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया
4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह
5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |
4
तम नह चाहत थ कया ndash
फल खल
भौर गज
ततलया उड़
नह चाहत थ तम ndash
शरादाकाश
वसत क हवा
मजरय का महोतसव
कोकल क कह हरन क दौड़
तमह तो पसद थ भड़ए
भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी
समची हरयाल क धआ बनात वसफोट
तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा
आकाशगामी हो गए सब
कोलाहल म डब वाणी वहन
अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ
वड मनतर क धयाता
पहचानो अपनी धरती
अपना आकाश
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5
2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात
3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|
भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह
5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|
5
जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन
िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |
गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान
िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|
माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह
हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|
मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत
िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत
मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह
हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|
ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार
उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|
1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5
2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय
का वसतार 3- नषकषर
3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|
4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|
उदाहरण-
जीवन म अनशासन का महततव
अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|
वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|
िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
अभयास कायर-
1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका
परशन सखया-4
पतर-लखन
सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव
पता लखत ह|
3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय
(परषक का नाम)
( पता)
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
पतर का परारप
शकायती पतर
(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर
रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए
|)
सवा म
मखय अधकार
परदषण-नयतरण वभाग
वाराणसी उततर-परदश |
दनाक 26112013
वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|
महोदय
म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स
आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह
पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग
धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद
म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक
इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ
स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई
जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल
सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|
धनयवाद सहत|
भवदय
नीरज कमार
रामनगर कालोनी वाराणसी|
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
अभयास कायर-
1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-
बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क
समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का
सझाव दया गया हो
परशन सखया-5
जनसचार
सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत
समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |
परशन-1 सचार कस कहत ह
उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह
उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए
उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |
परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए
उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह
उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-
1- अशकालक पतरकार
2- पणरकालक पतरकार
3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)
परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह
उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार
कहलाता ह|
परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह
उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर
नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|
परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|
उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|
परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह
उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह
उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज
कहत ह|
परशन- 16 डराई एकर कया होता ह
उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल
जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|
परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह
उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार
दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|
परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|
उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह
उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|
परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह
उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|
परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला
उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|
परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह
उततर- जमरनी क गटनबगर को|
परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह
उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |
परशन-30 डडलाइन कया होती ह
उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय
सीमा डडलाइन कहलाती ह|
परशन- 31 नयजपग कया होता ह
उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक
कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट
फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|
परशन-32 पीत पतरकारता कया ह
उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह
वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|
परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह
उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय
नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|
परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह
उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को
लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|
परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह
उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह
उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|
परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक
उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |
परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह
उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|
परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|
उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|
परशन सखया- 6
सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव
आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|
1
lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo
भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी
मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम
जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा
का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा
नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|
लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स
बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|
दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो
राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99
आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और
25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त
लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|
भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या
अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय
इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी
अवशय बताए|
1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग
लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|
2 पसतक समीा
पसतक गोदान
लखक परमचद
पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|
इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|
परशन सखया- 7
सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी
चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार
क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
फचर
चनावी सभा म नताजी क वायद
भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता
जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता
को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|
इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन
सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब
चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी
थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय
नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का
सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क
लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय
क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह
जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|
अभयास कायर-
1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
खड- ग परशन-8
सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता
1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |
2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|
3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|
उदाहरण -1
ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा
परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह
उततर ndash नमना
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह
परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह
ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना
ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह
आती ह
घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और
सवाभावक ढग स परयोग म लाना
उदाहरण -2
ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8
अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह
उदाहरण-- 3
सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |
3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह
4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
अभयास हत परशन
1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह
परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह
2
ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo
परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय
3
ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह
परशन-9
परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह
1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|
सदयर-बोध सबधी परशन
उदाहरण - 1
lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब
नवीन और दशरनीय ह
ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का
सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह
2
ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए
परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए
परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए
उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद
का सदर परयोग हआ ह
2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका
उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो
lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo
मानवीकरण अलकार का परयोग
3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
3
ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह
परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |
परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |
उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग
2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण
पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत
3- क- अनपरास अलकारndash
कसबी कसान-कल बनक भखार भाट
चाकर चपल नट चोर चार चटक|
ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम
ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क
अभयास हत परशन 1
ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए
2- भाषा सदयर सपषट किजए
3- बमब और अलकार सपषट किजए
2
ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए
3
ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए
परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|
1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |
2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए
उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क
बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत
ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह
कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता
ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह
2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट
किजए
उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव
क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो
कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क
पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा
ह |
परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील
शबद चतर ह
उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक
तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन
काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह
सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ
फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स
काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल
सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह
का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म
नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |
परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत
म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह
बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत
होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा
आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर
सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह
अभयास हत परशन-
1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर
दिजए
2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय
3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय
4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा
गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए
5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए
6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा
खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए
परशन-11
इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|
1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल
स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
उदाहरण-1
बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी
पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना
2+2+2+2=8
परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह
उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |
परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह
उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता
परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह
उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह
परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ
उदाहरण- 2
अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह
बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम
नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत
रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त
थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क
झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी
नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |
परशन - 2+2+2+2=8
1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए
2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह
3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह
उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक
2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर
मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|
3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |
उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो
रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क
सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग
लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा
अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस
दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह
थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा
परशन- 2+2+2+2=8
(क) सफया का गससा कय उतर गया था
(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई
(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह
(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया
उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था
2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल
जान दया जाएगा तो कया होगा
3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी
उधड़बन म पड़ी थी
4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर
म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह
होगा
अभयास हत परशन-1
चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना
पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह
पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता
तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक
आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन
जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो
सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo
चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क
जयादा नजदक ह
क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह
क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह
परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-
1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |
उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था
2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी
2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह
अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध
करत थ कय
2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक
वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और
सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता
रहा
6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया
7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा
बाजार क साथरकता कसम ह
8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न
ऐसा कय कहा होगा
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2
इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|
1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत
उततर द|
परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक
1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत
ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का
महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क
वयवसथा सभय समाज क पहचान ह
परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज
क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए
उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी
उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह
आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह
उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स
खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क
आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क
उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह
2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन
बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क
वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह
पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए
उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह
यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका
मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न
वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन
कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक
बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया
जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क
सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह
परशन-अभयास
1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर
लखए
2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको
अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए
3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच
क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए
4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती
तो कया करतकरती
परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|
1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|
उदाहरण-1
परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह
परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द
उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए
आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए
सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह
उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया
परशन अभयास
परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय
2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए
6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह
7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह
8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए