िप अच सोच 4 पर तितया देने के तिए रसरंग दैतनक भासकर 4/54, स कॉमकस, एबी रोड, इंदौर- 452001 के पत पर लख या ई-म कर : [email protected] सकतभाषा के मह को सपष करन के लए इस दाणी कहना अनुलित तो नह। लकसी का म यह इस दश की सामानय वयहार की भाषा रही है। ािीनका स आज तक का भारतीय जीन संसकत भाषा म पूरी तरह स लतलबंलबत हुआ लदखता है। इसीलए यह जानना ज़री है लक द, उपलनषद, दांग, आलद स कर इककीस शताबदी तक के संसकत कलय-सालहतयकार की रिना म के अधयातम और धम ही नह, बलक जीन के हर उस अंग की मौलक और रंजक ििा है, जो सफता और सुख की ओर कदम रख मनुषय को माग बताए, उझन म लदशा द, थका म रंजन कर, लनराशा म आशा द और ोभ म शांलत दान कर। अतः संसकत सालहतय आज भी उलित ए उपयुकत है। इहाद और याद को उजागर करत हुए मनुषय को सफता की ओर जान को ररत करन ा अनलगनत सुभालषत म स एक बहुत ही सर और सुबोध सुभालषत यहां सतुत कर रह ह। अन भेषजं लभं न ारोगं कदाचन । अन नसमभारः ानं लभं तः ॥ सुभालषत का अथ है–हम धन के ारा औषलध पा सकत ह, आरोगय नह। उसी कार, हम धन के ारा बहुत सार ंथ तो ख़रीद सकत ह, लकन ान तो के य के ारा ही पा सकत ह। म मानता हूं लक कुछ सलदय पह लजस लकसी कल न यह सुभालषत रिा, ह बडा ही दूरदश रहा होगा, कयलक उस समय ऐलहक साधन और िीज़-सतुएं इतनी भारी माा म उपबध नह थी लजतनी आज ह। तब जन सामानय उतना संप नह था लजतना आज है। कई बार हम मॉ म शॉलपंग करत हुए कुछ महंगी िीज़ लसर इसलए ख़रीदत ह लक लकसी दूसर के पास ैसी ही िीज़ ह। लकतन ोग के पास महंग मोबाइ रोन रहत ह। पूछन पर कहत ह लक इसम बहुत सार रंकशन और ऐलकेशन ह लकन उनम स लकतन रंकशन और ऐलकेशंस का यथाथ उपयोग होता है? मर एक लम न एक बार कहा लक उसके कमयूर म 600 मूीज़ और 12000 लहंदी गान ह। पूछन पर पता िा लक उनम स 50 मूीज़ भी उसन दखी नह ह और 300-400 स अलधक गान भी नह सुन ह। तो लफर के यह भंडार इका करके कया करना है? अपन सासय को कर भी हम दोहरा रैया अपनात ह, एक ओर जहां अचछ सासय के लए लजम जात या योग करत हंै ही दूसरी ओर सासथ लबगडन की लिंता को कर मलडक इंशयोरंस भी करात ह। यह पर हमारा संसकत कल हम ितानी दता है लक पैस स लसर दाइयां ख़रीदोग, सासय नह। पैस स अख़बार ख़रीदोग, ख़बर नह। पैस स लकताब ख़रीदोग, ान नह। पैस स अनाज ख़रीदोग, साद नह। सासय, ान, साद, आलद पान के लए तो पररम ही करन पडग। अनायास ही इन िीज़ को हम नह पाएंग। कल हमस यह नह कह रहा लक साधन मत ख़रीदो। बस ह हम साधन ख़रीदकर संतुष होन म जो ख़तरा है, उसस साधान कर रहा है। कल की इस बात को समझकर हम यलद योगय लदशा म ि तो आशयक साधन का हम पूरा-पूरा ाभ उठान म सफ रहग। सं सुभषित उवच }सौरभ बाेंे संसकत अधयता, फैकी ाॅइस किर, द एकेडमी, मुमबई टेक कॅरिअि टइम मैनेजमट सुबह स रात हम फोन म अग-अग तरह के एप यूज करत ह। आज हम कुछ ऐस ही एस के बार म बता रह ह। 1 : RED BULL ALERT 2 : FLIPAGRAM 3 : YOVIVO 4 : TOSSUP 5 : ALPHABEAR OS: Android/Android Wear OS : Android/iOS OS : iOS OS : Android/iOS OS : Android/iOS यह पहा ऐसा एप है जो आपको जदी उठन के लए मोल करता है। नौ अग-अग तरह की सपोरस थीम और अाम साउंड इस एप को काफी कू बनात है। आप लकतनी दर तक सोए, लपछ सात लदन म आपके जागन और सोन का ीन कया रहा यह तो एप बताता ही है साथ ही इस अाप शयर करना िाह तो भी एप मदद करता है। फोो स ीलडयो सोरीज बनान के लए लपाम एप डाउनोड लकया जा सकता ह। लसक, लए और शयर के महज तीन सप होन स एप बहद सर गता है। ीलडयो सोरी बनान के लए आपको ीलडयो लकप को लसक करना होता है, उसके बाद मनपसंद मयूलजक, ाइलमंग, लफस और सोरी म योग होन ा कस इनपु करके शयर कर सकत ह। लकसी फोो या फाइ को ाउज म होन ाी परशानी कम करत हुए योलो एप फोन और सर काउड म मौजूद फोो और ीलडयो को एक जगह ान का काम करता है। यो ीो एप स आप आसानी स फोो और ीलडयो स, कॉपी, डाउनोड, अपोड, साइड शो और शयर करन की सुलधा दान करता है। इस एप के जररए समाफोन म लदनभर की गलतललधयां और डी ान बनान के साथ उनम जरत के अनुसार सुधार कर सकत ह। यह एप आपके ान और एलकली को शयर करन की सुलधा भी दता है। यह एप के ान बनान के लए ही नह बलक इस ान पर दूसर की राय न म भी मददगार है। इसके लए एप म पोलंग फीिर भी लदया गया है। अाड ललनंग लप ाउन पज़ गम बनान ाी कंपनी साइ फॉकस हा ही म अफालबयर गम माक म ाई है। इस पज़ गम म आपको अर को वयलसथत करके शबद बनाना होता है। लजसके बाद आपको कयू लबयर लदखाई दग। आप लड म लजतन जयादा अर सुझात ह लबयर साइज उतना बडा होता जाता है। 1. जीवन के टॉप 10 ल िलख : खन म जबरदसत शलकत होती है, यह हमारी याददाशत तज करता है। इसलए अपनी नोबुक और पन लनकालए और उसम अपन जीन के ॉप य लख डालए। इन य को अपन सामन रलखए। ऐसा लतलदन कररए और पह के लख य को पकर मत दलखए। यह काफी मज़दार भी है। 2. िदनभर का पलान िलखे : ाथलमकता के अनुसार लदनभर के उन सभी काय की सूिी बनाकर वयलसथत कर और इस अलधकतम फॉो करन की कोलशश करन। 3. पुरानी ाद खुशी देती ह : दो सा पह लतलदन लखी गई "डी न' बात को दखकर आप पात ह लक यह तो मरा पसंदीदा है। आप ख़ुद की ही पह लखी हुई बात लफर पढ़कर मुसकान और खुशी महसूस करग। 4. "धान' जरी है : कफस करन स पह धयान जर कर यलद आप कभी भूश नह भी कर पात तो लदन म कभी भी धयान कर सकत ह। 5. िनजी जुनन पर का करना : आप लजस काम स यार करत ह उनह अपनी ाथलमकता सूिी म आलखरी सथान पर रख। इसस आप अपन पसंदीदा काय की ओर तजी स बढ़त ह। 6. पररवार के सा गुणवापण सम िबताएं: सुबह अपनी पी घरा के साथ बैठकर कॉफी लपएं और अपनी योजना के बार म ििा भी करं। 7. ेकफसट मीिटंग : सहकलमय, ाहक और दोसत को कॉफी पर बुाएं। मालनग और कफस मीलंग स आप ज़यादा ोडलक होत ह, कयलक उस समय आपका लदमाग ेश रहता है। ोत : www.lifehack.org कॅररअर लबडर इंलडया के स के नतीज बतात ह भारत म 63 फीसदी युा जॉब स संतुष नह ह। }डॉ. धमपाल िसंह लनंग एंड सम ऑलफसर आईआईी रोपर छ एक दशक म दश के कॅररअर ड म जो नाकीय बदा दखा गया है, ह यह है लक पह जहां 27 स 30 सा की उ म शादी करके स हो जान को ाथलमकता दी जाती थी। ह सम की उ 40 तक पहुंि िुकी है। इसस भी िकान ाा तय यह सामन आया है लक 63 लतशत भारतीय युा अपन जॉब स संतुष नह ह। जयादातर जगह पर जॉब या कॅररअर बदन का समय भी 30 स 40 सा के बीि हो िुका है। दश म सामालजक-आलथक सतर पर हुए बदा का ही यह पररणाम हम समाज म लदखाई द रहा है। गुणवाहीन िशा है बड़ा कारण शासकीय नीलतय की जह स उ लशा को ाइ हाथ म सप लदया गया है। जयादा ाभ कमान के उशय स शैलणक संसथान म बहतर इंासकिर न होन, अचछी फैकी न होन, फीस और सडरस की अडस स समझौता लकया गया। इनके भा सप लशा की गुणा पर असर हुआ है। इसस लशा के बाद या तो अपनी योगयता स नीि सतर की नौकरी करनी पडती है या नौकरी लम ही नह पाती है। इस जह स कॅररअर म स होन के बाद फीड बदन म 30-40 सा की उ तक यह लसलसा िता रहता है। बहतर कॅररअर के लए युा का अलधक उ तक पढ़ाई जारी रखना एक जह है। लजंदगी म सम भी लफर ही होता है। माकट से िमले अच ऑफर ेशस के पास दो स तीन सा के अनुभ हो जान के बाद बहुत सार संगठन बाजार म उन पर इनस करन के लए तैयार होत ह। लशण तथा अनुभ के बाद युा के पास अचछ असर होत ह और ह जॉब लसि कर त ह। इंडलसय लनंग के दौरान कई बार दूसरी सीम का भी अनुभ साथ-साथ ही लम जाता है तो अचछ ऑफर लमन पर कॅररअर भी लसि कर त ह। 2 स 3 सा के अनुभ के बाद 30 लतशत ोग जॉब लसि कर त ह जबलक 10 लतशत ोग कॅररअर की लदशा ही बद त ह। आिक सुरा और सटटस के िलए पढ़ाई पूरी करन के बाद लकसी युा को गता है लक ह इसम जयादा अचछी सैरी नह पा सकेगा तो ह कई बार कॅररअर िज कर ता है। लतयोलगता के बढ़त दौर के ित इंजीलनयररंग के साथ-साथ युा मैनजम या अनय कोस भी कर त ह। ऐस म कुछ सा जॉब करन के बाद यलद उनह गता है लक उनह दूसरी सीम म तमान स बहतर लकप लम सकग तो ह कॅररअर लसि कर त ह। कॅररअर लबडर इंलडया के स के मुतालबक भारत म 63 फीसदी युा अपनी जॉब स संतुष नह ह और नए असर की ताश म रहत ह और गातार बहतर लकप की ताश म दूसर कररयर पर भी नजर रखत ह। जॉब म डलकयां भी आग डलकयां पह घर संभाती थी मगर लपछ कुछ दशक म डलकयां भी उ लशा ात करन के बाद घर बैठना नह िाहती ह। ह भी अपना कॅररअर बना रही ह। ऐस म बहुत बडी संखया म नौकररय पर डलकय का अलधकार बढ़ा है। एक साथ रहन की कोलशश अब संयुकत पररार कम और नयूलकयर फेलमी बढ़ रही ह, ऐस म पलत और पी, दोन ही जॉब कर रह होत ह तो उनकी कोलशश होती है लक एक साथ रहन की कोलशश करत ह। ऐस म घर के पास जान की कोलशश म जॉब या कॅररअर तक लसि कर त ह। इसम जॉब ोफाइ दखत हुए लजस भी जॉब बदना हो ो बदन को तैयार हो जाता है। 30-40 की उ तक जॉब और कॅररअर बदलते जाने की वजह से शादी म देरी, पररवार के बढ़ने म देर होने जैसी समसाएं सामने आती ह। ह ढांचा आदश नह है इसिलए इसके िलए वापक सतर पर सुधार करने हगे। इस ससित को देखते हुए गुणवा िशा पर धान देने की ज़रत है। ससकल डवलपमट ोाम पर गंभीरता से धान देने की आवशकता है। 2 से 3 साि के अनुभव के बाद 10 ितशत लोग कॅररर ही बदल लेते ह। 63 % ुवा अपनी जॉब से संतुषट नह ह और नए अवसर की तलाश म रहते ह। 30 ितशत लोग जॉब ससवच कर लेते ह हर सफ वयलकत की कुछ न कुछ खालसयत होती है, सफ ोग स जुडी सात ऐसी बात जो ो कफस स पह करत ह। संपादकी टीम अजय काश, सजना ितुदी, अजय कुमार पÀ िडज़ाइन ीण ठाकुर