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आरबीआइ /2011-12/60 बप व व. स.ं ड आइआर. (ईए सपी).
बीसी.04/04.02.02/2011-12 1 जलुाई 2011 10आषाढ़ 1933(शक) सभी अनुसिूच त
वा ण य बक ( ेऽीय मामीण बको को छोड़कर)
महोदय/महोदया पया / व देशी मिुा िन यात ऋण
तथा िन यातक को माहक सेवा पर माःटर प रपऽ
जसैा क आप जानते ह, भारतीय र ज़व बक ने उपयु व षय पर 1 जलुाई 2010
को एक माःटर प र पऽ बप व व. स.ं ड आइआर. (ईए सपी) स.ं
06/04.02.02/2010-11 जार क या था ता क इस व षय से सबंंिध त सभी वतमान
अनुदेश एक ह जगह उपल ध हो सक। उ माःटर प र पऽ म िन हत अनुदेश को अब 30
जनू 2011 तक अ तन बना द या गया ह। सशंोिध त माःटर प र पऽ क एक ूित सलं
न है। यह नोट क या जाए क जहाँ तक बक ारा िन यातक को िन यात ऋण द ए
जाने का सबंंध है, प र िश म सचूीब प र पऽ म िन ह त सभी अनुदेश को इस
माःटर प र पऽ म समे क त तथा अ तन क या गया है। इस माःटर प र पऽ म बक
/िन यातक / िन यात सःंथाओं को इस वष के दौरान भारतीय र ज़व बक ारा जार
कित पय ःप ीकरण म िन ह त अनुदेश को भी शािम ल क या गया है। यह माःटर प
र पऽ भारतीय र ज़व बक क वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर भी उपल ध कराया
है। सशंोिध त माःटर प र पऽ क ूित सलं न है। भवद य
(पी आर र व मोहन) मु य महाूबंधक
अनुल नक : यथो
बै कंग प रचालन और वकास वभाग, कि य कायालय, 13 माला, शह द भगतिसंह
माग, मु बई 400001
_____________________________________________________________________________________________________
_______________________ Department of Banking Operations and
Development, Central Office, 13th floor, NCOB, Shahid Bhagat Singh
Marg, Mumbai - 400001
Tel No: 91-22-22601000 Fax No: 91-22-22701241 Email
ID:[email protected] हंद आसान है, इसका ूयोग बढ़ाइए
http://www.rbi.org.in/
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माःटर प र पऽ
िन यातक को पए म / व देशी मुिा म िन यात ऋण तथा माहक सेवा
व षयवःतु
ब.सं. व वरण पृ सं. क ूयोजन 3 ख वग करण 3 ग प छले समे क त अनुदेश 3
घ ूयो यता क याि 3 ूःतावना 5 भाग-क - पया िन यात ऋण 6 1 पोतलदानपूव
पया िन यात ऋण 6 2 पोतलदानो र पया िन यात ऋण 17 3 मािन त िन यात - र
यायती पया िन यात ऋण 24 4 पया िन यात ऋण पर याज 25 भाग-ख - व देशी
मिुा म िन यात ऋण 32 5 व देशी मिुा म पोतलदानपूव िन यात ऋण (पीसीएफसी)
32 6 व देशी मिुा म पोतलदानो र िन यात ऋण 42 7 व देशी मिुा म िन यात
ऋण पर याज़ 47 भाग-ग - िन यात ऋण- माहक सेवा, िन यात ऋण द ए जाने
से
सबंंिध त ब या व िध का सरलीकरण और र पोट भेजने सबंंधी अपे ाएं
48
8 माहक सेवा तथा काय व िध का सरलीकरण 48 9 र पोट भेजने सबंंधी अपे
ाएँ 58 10 ह रा िन यातक को लदानपूव ऋण कां फ ल ट डायमडंस ् 59 11
अनुबंध 1 - िन यात ऋण क समी ा के िल ए ग ठ त कायदल क
िस फा र श 60
12 अनुबंध 2 - िन यात ऋण डाटा (सं व तरण /बकाया) 62 13 अनुबंध 3 -
ह रा माहक से ूा क या जानेवाला वचन-पऽ 64 14 प र िश I - पया िन यात ऋण
- प र पऽ 65 15 प र िश II - व देशी मिुा म िन यात ऋण - प र पऽ 80 16 प
र िश III- िन यात ऋण - माहक सेवा - प र पऽ 83
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3
िन यातक को पए म / व देशी मुिा म िन यात ऋण तथा माहक सेवा पर माःटर
प र पऽ
क. ूयोजन
भारतीय र ज़व बक ारा समय-समय पर जार िन यात ऋण और माहक सेवा सबंंधी
िन यम / व िन यम और ःप ीकरण का समेकन
ख. वग करण
बककार व िन यमन अिध िन यम, 1949 क धारा 21 और 35क ारा ूद श य का
ूयोग करते हएु र ज़व बक ारा जार एक सां व िध क िन देश
ग. प छले समे क त अनुदेश
यह माःटर प र पऽ प र िश म सचूीब प र पऽ और वष के दौरान जार क ए गए
ःप ीकरण म िन ह त सभी अनुदेश को समे क त तथा अ तन करता है ।
घ॰ ूयो यता का दायरा
ेऽीय मामीण बक को छोड़कर सभी अनुसिूच त वा ण य बक पर लाग ू।
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4
सरंचना
भाग-क पया िन यात ऋण
1. पोतलदानपूव पया िन यात ऋण
2. पोतलदानो र पया िन यात ऋण
3. मािन त िन यात - र यायती पया िन यात ऋण
4. पया िन यात ऋण पर याज़
भाग-ख व देशी मुिा म िन यात ऋण
5. व देशी मिुा म पोतलदानपूव िन यात ऋण
6. व देशी मिुा म पोतलदानो र िन यात ऋण 7. व देशी मिुा म िन यात ऋण
पर याज़ भाग-ग िन यात ऋण- माहक सेवा, िन यात ऋण द ए जाने से सबंंिध त ब
या व िध का सरलीकरण और र पोट भेजने संबंधी अपे ाएं 8. माहक सेवा तथा ब
या व िध का सरलीकरण 9. र पोट भेजने सबंंधी अपे ाएं 10. ह र के िन यातक
को पोतलदानपूव ऋण - कन ल ट डायमडं 11. अनुबंध 1 िन यात ऋण समी ा हेतु
ग ठ त काय दल क िस फा र श 12. अनुबंध 2 िन यात ऋण के आंकड़े ( व तरण/
बकाया) 13. अनुबंध 3 ह र के माहक से वचनपऽ 14. प र िश I पया िन यात ऋण
-प र पऽ 15. प र िश II व देशी मिुा म िन यात ऋण - प र पऽ 16. प र िश
III िन यात ऋण - माहक सेवा- प र पऽ
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5
ूःतावना
िन यात ऋण योजना
भारतीय र ज़व बक ने 1967 म पहली बार व यात व पोषण क योजना लाग ूक ।
इस योजना का उ ेँय था िन यातक को अतंरा ीय याज दर के अनु प दर पर अ
पाविध कायशील पूँजी व उपल ध कराना। भारतीय र ज़व बक िन यात ऋण के िल ए
केवल याज क उ चतम दर िन धा र त करता है। तथा प, बक भारतीय र ज़व बक ारा
िन धा र त उ चतम दर से कम दर लगा सकते ह। बचमाक मलू उधार दर
(बीपीएलआर) तथा ःूेड द शािन दश को यान म रखते हएु तथा उधारकताओं का प
छला र काड और जो ख म िन धारण को व चार म लेकर बक उ चतम दर के भीतर याज
दर का िन णय कर सकते ह।
बक के ऋण उ पाद के याज-दर िन धारण म पारदिश ता बढ़ाने के िल ए बक को
यह सिूच त क या गया था क वे (i) िन िध य क वाःत व क लागत, (ii) प र
चालन के खच और (iii) ूावधान करने क व िन यामक आवँयकता/पूँजी ूभार और
लाभ का मा ज न कवर करने के िल ए यूनतम मा ज न को यान म रखते हएु बचमाक
मलू उधार दर (बीपीएलआर) िन धा र त कर। तथा प वष 2003 म ूारंभ क गई
बीपीएलआर ूणाली उधार दर म पारदिश ता लाने के अपने मलू उ ेँय को पाने म
असफल रह । इसका मु य कारण यह था क बीपीएलआर ूणाली के अतंगत बक
बीपीएलआर से कम दर पर उधार दे सकते थे। इसी कारण बक क उधार दर म र ज़व
बक क नीित दर के सचंरण का मू यांकन करना भी क ठ न था।
तदनुसार बचमाक मलू उधार दर पर ग ठ त कायदल (अ य : ौी द पक मोहंती)
क िस फा र श के आधार पर बको को सिूच त क या गया क वे 1 जुलाई 2010 से
आधार दर ूणाली म अतं र त हो जाएं।आधार दर ूणाली का उ ेँय है बक क उधार
दर म अिध क पारदिश ता लाना और मौ ि क नीित के सचंरण का बेहतर मू यांकन
करना। 1 जलुाई 2010 से लागू होने वाली आधार दर ूणाली के अतंगत पया िन
यात ऋण अिम म क सभी अविध य पर लाग ूहोने वाली याज दर आधार दर के बराबर
अथवा उससे अिध क ह।
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भाग - क पया िन यात ऋण
1. पोतलदानपूव िन यात ऋण
1.1 पया पोतलदानपूव ऋण /पै कंग ऋण
1.1.1 प र भाषा
पोतलदानपूव /पै कंग ऋण क सी बक ारा क सी िन यातक को मजंरू क या गया
या द या गया ऐसा ऋण या अिम म है जो भारत से बाहर ःथ त क सी आयातक ारा
िन यातक या क सी अ य य के प म खोले गए साख-पऽ के आधार पर या भारत से
वःतुओं/सेवाओं के िन यात के िल ए पु और अप र वतनीय आदेश या िन यातक या
क सी अ य य को भारत से बाहर िन यात करने सबंंधी आदेश के क सी अ य साआय
के आधार पर (बशत िन यात आदेश द ए जाने या बक म साखपऽ खोले जाने से छटू
न दे द गई हो) पोतलदान से पहले वःतुओं के बय, ूसःंकरण, व िन माण या पै
कंग काय / सेवाएं देने के िल ए कायकार पूंजीगत यय के िल ए अपे त व के
प म उपल ध कराया गया हो ।
1.1.2 अिम म क अविध
(i) पै कंग ऋण सबंंधी अिम म क तनी अविध के िल ए द या जाए, यह ू येक
मामले म माल ूा करने/सेवाएं ूदान करने म लगने वाले समय, उसके व िन माण
या ूसःंकरण (जहाँ आवँयक हो) और माल को जहाज पर लादने म लगने वाले समय
पर िन भर करेगा। यह मु यत: बक का दािय व है क वह व िभ न प र ःथ ित य
का यान रखते हएु ःवय ंिन धा र त करे क पै कंग ऋण सबंंधी अिम म क तनी
अविध के िल ए द या जाए ता क िन यातक को इतना समय िम ल सके क वह माल को
जहाज म लाद सके/ सेवाएं ूदान कर सके।
(ii) अिम म क तार ख से 360 द न के भीतर य द िन यात सबंंधी दःतावेज
ूःतुत करके पोतलदानपूव अिम म समायोित नह ं कर द या जाता तो िन यातक को
द ए गए अिम म पर ूारंभ से ह र यायती याज दर क सु व धा नह ं द
जाएगी।
(iii) भारतीय रज़व बक (मौ िक नीित वभाग) के अनुदेश के अनुसार भारतीय
र ज़व बक केवल 180 द न तक क अविध के िल ए ह पुन व उपल ध कराएगा ।
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7
1.1.3 पै कंग ऋण का सं व तरण
(i) सामा यत:, मजंरू क या गया ू येक पै कंग ऋण अलग-अलग खाते के प म
रखा जाना चा ह ए ता क मजंरू क अविध और ऋण के उ उपयोग पर नजर रखी जा
सके ।
(ii) आदेश /साख-पऽ के काया वयन के िल ए बक पै कंग ऋण एक बार म या
आवँयकता के अनुसार कई चरण म उपल ध करा सकते ह ।
(iii) िन यात क जानेवाली वःतुओं के ूकार के आधार पर (जसेै बंधक,
बंधक इ या द) बक ूसःंकरण, व िन माण इ या द व िभ न चरण पर अलग-अलग खाते
रख सकते ह तथा वे यह सिुन त कर क ऐसे खात के बकाया शेष का समायोजन, एक
खाते से दसरेू खाते म अतंरण ारा और अतंतोग वा बय, छटू , इ या द के
उपरांत सबंंिध त िन यात-दःतावेज क आय से, कर िल या जाता है ।
(iv) बक को ऋण क रािश के उ उपयोग पर कड़ नजर रखनी चा ह ए तथा यह
सिुन त करना चा ह ए क कम याज दर पर उपल ध कराये गए ऋण का उपयोग िन यात
सबंंधी वाःत व क आवँयकताओं के िल ए ह क या जा रहा है। बक को िन यात
सबंंधी आदेश के ठ क समय से काया वयन के मामले म िन यातक ारा क जा रह
कारवाई पर भी नजर रखनी चा ह ए ।
1.1.4 पै कंग ऋण का प र समापन
(i) सामा य क सी िन यातक को ःवीकृत क या गया पै कंग ऋण /पोतलदानपूव
ऋण को िन यात क गई वःतुओं क खर द, छटू आ द के बाद बनाए गए ब ल क ूाि य
म से प र समा क या जाए। इस ूकार पोतलदान पूव ऋण को पोतलदानो र ऋण म प
र वित त कर द या जाएगा। इसके साथ ह , िन यातक और बकर के बीच आपसी
सहमित के अधीन इसे, व देशी मिुा अजक व देशी मिुा खाते (ई ई एफ सी
खाते) के शेष तथा िन यातक ारा क ए गए वाःत व क िन यात के बराबर िन
यातक के पय के ससंाधन से भी चुकता/समय से पूव अदा क या जा सकता है। य
द ऋण का इस ूकार प र समापन/ चुकौती न हो सके तो बक पैरा 4.2.3 म दशाए
गए अनुसार अिम म क ित िथ से याज क दर िन धा र त करने के िल ए ःवतंऽ
ह।
(ii) िन यात मू य से अिध क पै कंग ऋण (क) जहाँ उप-उ पाद का िन यात
क या जा सकता हो ज न मामल म काजू इ या द जसेै कृ ष-उ पाद के ूसःंकरण
के कारण होने वाली कमी के चलते िन यातक पै कंग ऋण को समा करने के िल ए
समान मू य का िन यात
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ब ल ूःतुत नह ं कर सकता है, उनम बक िन यातक को, अ य बात के
साथ-साथ, इस बात क अनुमित दे सकते ह क वे काज ूका तेल इ या द जसेै
उप-उ पाद से सबंंिध त आह र त िन यात ब ल ारा अिध क पै कंग ऋण का समापन
कर सक । (ख) जहाँ आंिश क घरेल ू ब ब क जा सकती हो ले क न तंबाकू, काली
िम च, इलायची, काज ूइ या द जसेै कृ ष-आधा र त उ पाद के िन यात के
मामले म, िन यातक उ पाद थोड़ अिध क माऽा म खर दे तथा उसे िन यात यो य व
न िन यात यो य ौे ण य म रखे और केवल िन यात यो य ौणेी क वःतुओं का ह
िन यात करे। न िन यात यो य शेष उ पाद क ःथानीय ब ब अिन वाय है। ज स पै
कंग ऋण म ऐसी न िन यात यो य वःतुएँ शािम ल ह , उनम बको के िल ए आवँयक
है क वे पै कंग ऋण द ए जाने क तार ख से ह , घरेल ूअिम म पर लगाए जाने
वाले याज क दर से वा ण य क दर पर याज ल और पै कंग ऋण के उतने भाग के
िल ए भारतीय र ज़व बक से पुन व क कोई सु व धा ूा नह ं होगी ।
ग) ड ऑय ड/ड फैटेड केक का िन यात
बक िन यातक को एच पी एस मूगँफली तथा ड ऑय ड/ड फैटेड केक के िन यातक
को पै कंग ऋण अिम म मजंरू कर सकते ह ले क न यह रािश अपे त क चे माल के
मू य क सीमा तक होनी चा ह ए, भले ह उसका (क चे माल का) मू य िन यात
आदेश के मू य से अिध क हो। िन यात आदेश से अिध क रािश का अिम म र
यायती याज दर लगाए जाने के िल ए तभी पाऽ होगा जब क उसका समायोजन नकद प
म या शेष उप-उ पाद तेल क ब ब ारा अिम म क तार ख से तीस द न के भीतर कर
द या जाए।
(iii) तथा प, बको को इस बात क प र चालनगत छटू है क वे अ छे शैक र
काड वाले िन यातक को िन निल ख त छटू ूदान कर सक:
(क) िन यात दःतावेज क आय से पै कंग ऋण क चुकौती/का समापन क या जाता
रहेगा। ले क न ऐसा, िन यातक ारा िन यात क गई क सी अ य वःतु या उसी वःत
ुसे सबंंिध त अ य आदेश से सबं िन यात दःतावेज से भी क या जा सकता है।
सं व दा के इस ूकार ूित ःथापन क अनुमित देते समय बको को यह सिुन त
करना चा ह ए क ऐसा करना वा ण य क से आवँयक और अप र हाय है। बक को उन
कारण से सतंु हो लेना चा ह ए क क सी खास वःतु के पोतलदान के िल ए द या
गया पै कंग ऋण सामा य तर के से समा य नह ं क या जा सकता। य द िन यातक
ने सबंंिध त बक म खाता खोल रखा है या य द सहायता सघं ग ठ त क या गया
है और इस सघं के सदःय ने अनुमित दे द है तो सं व दा के ूित ःथापन क
अनुमित यथासभंव द जानी चा ह ए ।
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ख) वतमान पै कंग ऋण का समापन क सी ऐसे िन यात दःतावेज क आय से भी क
या जा सकता है ज सके आधार पर िन यातक ने कोई पै कंग ऋण नह ं िल या है
। फ र भी ऐसा सभंव है क िन यातक क सी एक बक से पै कंग ऋण लेकर सबंंिध
त दःतावेज क सी दसरेू बक म ूःतुत कर दे । इस सभंावना को गत रखते हएु
बक ऐसी सु व धा यह सिुन त करने के बाद उपल ध कराएँ क िन यातक ने ूःतुत
क ए गए दःतावेज के मा यमसे क सी अ य बक से पै कंग ऋण नह ं िल या
है।
(ग) सहयोगी सःंथाओं /अधीनःथ सःंथाओ/ंउसी समहू क अ य सःंथाओं को ऐसी
छटू नह ं ूदान क जानी चा ह ए ।
1.1.5 `चाल ूखाता' सु व धा
(i) जसैा क ऊपर बताया गया है, िन यातक को पोतलदानपवू ऋण सामा यत:
साखपऽ या िन यात सबंंधी प का आदेश ूःतुत क ए जाने के बाद ूदान क या
जाता है । यह पाया गया है क कुछ मामल म क चे माल क उपल धता क सी खास
मौसम म ह होती है, कुछ अ य मामल म िन यात सबंंधी सं व दा के अनुसार
माल के िन यात के िल ए जो समय-सीमा िन त क गयी होती उसक तुलना म उस
माल के व िन माण और उसके पोतलदान म अिध क समय लगता है। कई मामल म व
देशी खर ददार से साख-पऽ /प का िन यात आदेश ूा होने क आशा के आधार पर
भी िन यातक को क चा माल खर दकर िन यात यो य वःतु का िन माण करके
पोतलदान के िल ए तैयार रखना पड़ता है । ऐसे मामल म, पया पोतलदानपूव ऋण
ूा करने म िन यातको को हो रह क ठ नाइय को गत रखते हएु बक को इस बात के
िल ए अिध कृत क या गया है क वे अपने व वेक के आधार पर, साख-पऽ या प का
आदेश के पूव ूःतुतीकरण हेत ुजोर डाले ब ना भी, क सी भी वःत ुके मामले
म पोतलदान पूव ऋण `चाल ूखाता' (रिनगं एकाउंट) सु व धा ूदान कर ले क न
ऐसी ःथ ित म िन निल ख त शत भी लागू ह गी :
(क) बक `चाल ूखाता' सु व धा केवल ऐसे िन यातक को उपल ध कराएँ ज नका
शैक र काड अ छा हो। यह सु व धा िन यात मखु इकाइय /मु यापार ेऽ / िन
यात ूसःंकरण ेऽ म ःथ त इकाइय को भी द जा सकती है।
(ख) ज न मामल म पोतलदानपूव ऋण चाल ूखाता सु व धा ूदान क जाए उन सब
म साखपऽ/प का आदेश उपयु अविध के भीतर ूःतुत क या जाना चा ह ए तथा ऐसी
अविध का िन धारण बक करगे ।
(ग) एक-एक िन यात ब ल जसेै-जसेै बेचान /समंह के िल ए ूा ह बको को
चा ह ए क पहले ऋण का पहले समापन के आधार पर सबसे पहले के बकाया
पोतलदानपूव ऋण का समापन कर। यह कहने क आवँयकता नह ं है क ऊपर बताए गए
तर के से पोतलदानपूव ऋण का समापन करते समय बक को यह
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सिुन त करना चा ह ए क र यायती दर पर ूदान क ए गए क सी भी
पोतलदानपूव ऋण क अविध मजंरू क अविध या 360 द न, दोन म से जो भी पहले
हो, से अिध क न होने पाए ।
(घ) पै कंग ऋण का समापन ऐसे िन यात दःतावेज क आय से भी क या जा
सकता है ज सके आधार पर िन यातक ने कोई पै कंग ऋण नह ं िल या है ।
(ii) य द यह पाया जाए क िन यातक इस सु व धा का द पयोगु कर रहे ह तो
यह सु व धा तुरंत वापस ले ली जाए ।
(iii) ज न मामल म िन यातक शत का पालन नह ं करगे उनम अिम म पर ूारंभ
से ह वा ण य क दर पर याज लगाया जाएगा। ऐसे मामल म सबंंिध त पोतलदानपूव
ऋण के मामल म बक ारा र ज़व बक से िल ए गए पुन व पर उ चतर दर पर याज का
भगुतान क या जाना होगा । ऐसे सभी मामल क र पोट मौ ि क नीित व भाग,
भारतीय र ज़व बक, कि य कायालय, मुबंई - 400 001 को भेजी जानी चा ह ए ता
क वह पुन व पर लगाए जाने वाले याज क दर िन त कर सके ।
(iv) उप-आपूित कताओं को चाल ूखाता सु व धा नह ं ूदान क जानी चा ह ए
।
1.1.6 पै कंग ऋण पर याज
याज दर का व वरण तथा उससे सबंंिध त अनुदेश पैरामाफ 5 म द ए गए ह
।
1.1.7 िन यात सबंंधी अिम म भगुतान वाले बक सा ट इ या द क आय के
आधार पर िन यात ऋण
(i) ज न मामल म िन यातक को िन यात के िल ए भगुतान के प म व देश से
चेक , सा ट इ या द के प म सीधे ूेषण ूा ह , उनम अ छे शैक र काड वाले
िन यातक को बक व देश से ूा चेक , सा ट इ या द क आय क वसलूी तक क अविध
के िल ए र यायती याज दर पर िन यात ऋण मजंरू कर सकते ह परंतु ऐसा, इस
बात से सतंु होने के बाद क या जाना चा ह ए क यह क सी िन यात आदेश पर
आधा र त है, सबंंिध त वःतुओं के मामले म यापा र क ूथाओं के अनु प है
और ूचिल त िन यम के अनुसार िन यात सबंंधी आय क वसलूी का यह अनुमो द त
तर का है ।
(ii) य द उपयु शत पूर न क ए जाने तक क सी िन यातक को सामा य वा ण य
क याज दर पर सहायता मजंरू क गयी है तो उपयु शत बाद म पूर कर िल ए जाने
पर बक पीछे क तार ख
-
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से र यायती दर पर याज लगा सकते ह और िन यातक को याज दर म अतंर क
रािश वापस कर सकते ह ।
1.2 खास ेऽ /खंड को पया पोतलदानपूव ऋण
1.2.1 रा य यापार िन गम /खिन ज और धातु यापार िन गम या अ य िन यात
गहृ , एजे स य इ या द के मा यम से क ए गए िन यात के िल ए िन माता
आपूित कताओं को पया िन यात पै कंग ऋण
(i) बक ऐसे िन माता आपूित कताओं को िन यात पै कंग ऋण मजंूर कर सकते
ह ज नके पास िन यात आदेश साखपऽ नह ं ह और माल का िन यात रा य यापार िन
गम /खिन ज और धातु यापार िन गम या अ य िन यात गहृ , एजे स य इ या द के
मा यम से क या जाता है ।
(ii) ऐसे अिम म पुन व के िल ए पाऽ ह गे, बशत, सामा य शत के अलावा
िन निल ख त शत का भी पालन क या गया हो:
क) बक को िन यात गहृ से एक पऽ ूा करना चा ह ए ज सम िन यात आदेश तथा
उसके उस भाग का व वरण द या गया हो ज से आपूित कता ारा पूरा क या जाना
है तथा ज सम यह ूमाण पऽ द या गया हो क िन यात गहृ ने आदेश के उस भाग
के िल ए, ज से आपूित कता ारा पूरा क या जाना है, कोई पै कंग ऋण सु व
धा न तो ली है और न ह बाद म ऐसी सु व धा लेगा ।
ख) बक को चा ह ए क वह आपसी व चार- व मश करके तथा िन यात गहृ और
आपूित कता (यािन दोन प ) क िन यात सबंंधी आवँयकताओं को यान म रखते हएु
उन दोन - अथात ्िन यात गहृ और आपिूत कता के बीच पै कंग ऋण क इस अविध
को व भा ज त कर देगा ज सके िल ए र यायती दर पर याज लगाया जाना है।
पोतलदानपूव ऋण पर िन धा र त अविध तक र यायती दर पर लगाया जाने वाला
याज िन यात गहृ/एजे सी और आपूित कता दोन को िम लाकर ह िल या
जाएगा।
ग) िन यात साखपऽ या आदेश का अपे त व वरण देते हुए िन यात गहृ को
आपूित कता के प म देशी साखपऽ खोल देना चा ह ए तथा पै कंग ऋण खाते से
सबंंिध त बकाय को, ऐसे देशी साखपऽ के अतंगत ब ल का बेचान करके, समा क
या जाना चा ह ए। य द िन यात गहृ के िल ए आपूित कता के प म देशी साखपऽ
खोलना असु व धाजनक हो तो आपूित कता को चा ह ए क वह िन यात के िल ए
आपूित क ए गए माल के सबंंध म िन यात गहृ पर ब ल का आहरण करे और ऐसे ब
ल से ूा आय से पै कंग ऋण सबंंधी अिम म का समायोजन करे। य द ऐसी
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यवःथा के अतंगत आह र त ब ल के साथ लदान-पऽ या िन यात सबंंधी अ य
दःतावेज न ह तो बक को हर ित माह के अतं म आपूित कता के मा यम से िन
यात गहृ से इस आशय का ूमाणपऽ ूा करना चा ह ए क इस यवःथा के अतंगत
आपूित क गयी वःतुओं का वःतुत: िन यात क या गया है। ूमाण-पऽ म सबंंिध त
ब ल क तार ख, रािश और बक का नाम द या जाना चा ह ए ज सके मा यम से ब ल
का बेचान क या गया है ।
घ) बक को आपूित कता से इस आशय का वचन पऽ ूा करना चा ह ए क सबंंिध त
िन यात आदेश के िल ए िन यात गहृ से य द कोई अिम म भगुतान ूा होगा तो
उसे पै कंग ऋण खाते म जमा कर द या जाएगा ।
1.2.2 उप-आपूित कताओं को पया िन यात पै कंग ऋण
जसैा क िन यात आदेश धारक तथा िन माता आपूित कता के बीच होता है,
उसी ूकार िन यात आदेश धारक तथा िन याित त माल के क चे माल, घटक इ या द
के उप-आपूित कता के बीच भी पै कंग ऋण व भा ज त क या जा सकता है पर तु
इस मामले म िन निल ख त शत लागू ह गी :
(क) योजना के अंतगत चाल ूखाता सु व धा ूदान नह ं क जाएगी। योजना के
अतंगत, िन यात गहृ / यापार गहृ /ःटार यापार गहृ इ या द या िन माता िन
यातक के प म ूा िन यात आदेश या इनसे सबंंिध त साखपऽ ह शािम ल ह गे। िन
यातक के अ छे शैक र काड के आधार पर ह इस योजना का लाभ उसे द या जाना
चा ह ए।
(ख) िन यात आदेशधारक के बकर देशी साखपऽ खोलगे। साखपऽ म उस माल का व
वरण द या जाएगा ज सक आपूित उप-आपूित कता ारा िन यात सबंंधी लेनदेन के
अगं के प म, आदेश धारक को ूा िन यात आदेश या साख-पऽ के आधार पर िन यात
क जानेवाली है । ऐसे साखपऽ के आधार पर उप-आपूित कता का बकर कायशील
पूँजी के प म िन यात पै कंग ऋण मजंरू करेगा ता क उप-आपूित कता ऐसी
वःतुओ ंका िन माण कर सके ज नक आवँयकता िन यात क जाने वाली वःतुओं के
िल ए होती है। माल क आपूित के बाद, साखपऽ खोलनेवाला बक खोले गए देशी
साखपऽ के आधार पर ूा देशी दःतावेज को आधार मानकर उप-आपूित कता के बक
को भगुतान कर देगा। इसके बाद ऐसे भगुतान िन यात आदेश धारक का िन यात
पै कंग ऋण हो जाएँगे ।
(ग) यह िन यात आदेश धारक पर िन भर करता है क वह ूा आदेश या साखपऽ क
समम
सीमा के भीतर, अपने बकर /बक के सहायता सघं के नेता के अनुमोदन से,
अपे त वःतुओं के िल ए क तने साखपऽ खोले। प र चालनगत सु व धा को गत
रखते हएु यह साखपऽ खोलने वाले बक पर िन भर करता है क वह साखपऽ खोले
जाने के िल ए यूनतम रािश क तनी िन धा र त करे। आपूित कता(ओ)ं ारा य गत
या पथृक प से तथा िन यात आदेशधारक ारा िल ए गए पै कंग ऋण क कुल अविध
िन यात क गयी वःतुओं के िल ए अपे त सामा य उ पादन चब के भीतर होनी चा
ह ए । सामा यत:, कुल अविध क
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गणना उप-आपूित कताओं म से क सी एक ारा पै कंग ऋण के ूथम आहरण क तार
ख से िन यात आदेश धारक ारा िन यात दःतावेज के ूःतुतीकरण क तार ख तक क
जाएगी ।
(घ) िन यात आदेश धारक िन यात आदेश या व देश म खोले गए साखपऽ के
अनुसार माल के िन यात के िल ए उ रदायी होगा तथा इस ू ब या म क सी ूकार
के व ल ब के िल ए वह समय-समय पर लागू क ए जा रहे दां ड क ूावधान के
अतंगत कारवाई का पाऽ होगा। उप-आपूित कता ारा देशी साखपऽ क शत के
अनुसार िन यात आदेशधारक को माल उपल ध करा द ए जाने के बाद, इस योजना
के अतंगत उसका दािय व स पा द त मान िल या जाएगा तथा िन यात आदेशधारक य
द क सी ूकार से व ल ब करेगा तो ऐसे व ल ब के िल ए उप-आपूित कता पर कोई
दां ड क ूावधान लाग ूनह ं होगा ।
(ङ) यह योजना िन याित त माल के मामले म, िन यात आदेश धारक तथा िन
माता के बीच पै कंग ऋण क ह ःसेदार क वतमान यवःथा के अलावा एक अित र सु
व धा है, जसैा क उ पैरा 1.2.1 म बताया गया है । इस योजना के अतंगत उ
पादन चब का केवल ूथम चरण ह शािम ल होगा। उदाहरण के िल ए, क सी िन माता
िन यातक को ऐसे सामान के अपने िन कटतम आपूित कता के प म देशी साखपऽ
खोलने क अनुमित द जाएगी जो िन यातयो य वःतुओं के िन माण के िल ए आवँयक
ह । इस योजना का लाभ ऐसे िन कटतम आपूित कताओं को क चे माल/सामान क
आपूित करने वाल को नह ं द या जाएगा। य द िन यात आदेशधारक माऽ यापार
गहृ है तो यह सु व धा उस िन माता से आरंभ करके शु करायी जाएगी ज से
यापार-गहृ ने िन यात आदेश हःतांत र त क या है ।
(च) िन यात के ूयोजन हेतु क सी दसरू िन यातो मखु इकाई /िन यात
ूसःंकरण ेऽ को माल क आपूित करने वाली िन यातो मखु इकाई /िन यात
ूसःंकरण ेऽ/ व शेष आिथ क ेऽ भी इस योजना के अतंगत पया पोतलदानपूव िन
यात ऋण ूा करने का पाऽ ह गे। तथा प िन यातो मखु इकाई /िन यात ूसःंकरण
ेऽ / व शेष आिथ क ेऽ क आपूित कता इकाई क सी पोतलदानो र सु व धा के िल
ए पाऽ नह ं होगी य क इस योजना के अतंगत वःतुओं क उधार ब ब शािम ल नह ं
है ।
(छ) इस योजना के अतंगत अिम म क कुल रािश या अविध म कोई प र वतन
करने का व चार समा ह त नह ं है। तदनुसार, देशी िन यात साखपऽ ूणाली के
अतंगत उप-आपूित कता को अिम म द ए जाने क तार ख से िन यात आदेश धारक
ारा उसे समा क ए जाने क तार ख तक और िन यात आदेशधारक ारा वःतुओ ं के
पोतलदान के मा यम से पै कंग ऋण का प र समापन क ए जाने क तार ख तक इस
यवःथा के अतंगत द या गया ऋण िन यात ऋण माना जाएगा और इसके िल ए सबंंिध
त बक उपयु अविध के िल ए र ज़व बक से पुन व सु व धा ूा करने का पाऽ
होगा। यह सिुन त क या जाना चा ह ए क एक ह चरण के क सी लेनदेन के िल ए
दो बार व पोषण न क या जाए ।
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(ज) िन यात ऋण गारंट िन गम से उपयु बीमा सु व धा ूा करने के िल ए
बक ऐसे अिम म के िल ए िन यात ऋण गारंट िन गम से सपंक कर सकते ह ।
(झ) इस योजना के अतंगत उप-आपूित कता ारा िन यात आदेश धारक /िन माता
को ऋण द ए जाने के सबंंध म कोई बात नह ं कह गयी है। अत: साखपऽ खोलने
वाले बक ारा, भगुतान को िन यात आदेशधारक का िन यात पै कंग ऋण मानकर ह
, दःतावेज के ूःतुतीकरण के आधार पर उप-आपूित कताओंको भगुतान क या जाना
है ।
1.2.3. िन माण ठेकेदार को पया पोतलदानपूव ऋण (i) िन माण ठेकेदार को
व देश म ूा ठेक को पूरा करने के िल ए उनक ूारंिभ क
कायशील पूँजी सबंंधी आवँयकताओं को पूरा करने के िल ए पै कंग ऋण अिम
म, व देश से ूा सिुन त सं व दा के आधार पर, एक अलग खाते म द ए जाने चा
ह ए। ले क न ऐसे अिम म ठेकेदार से इस आशय का वचनपऽ ूा करने के बाद ह द
ए जाने चा ह ए क उ ह सं व दा सबंंधी काय पूरा करने के िल ए ूारंिभ क
यय के प म, अथात व देश म सं व दा पूर करने के ूयोजन हेतु उपभो य
वःतुएँ खर दने और आवँयक तकनीक ःटाफ के आवागमन पर खच इ या द हेतु, उ व
क आवँयकता है ।
(ii) अिम म का समायोजन, सं व दा सबंंधी ब ल का बेचान करके या व देश
म पूर क गयी सं व दा के सबंंध म व देश से ूा ूेषण ारा, अिम म क तार ख
से 180 द न के भीतर क या जाना चा ह ए। खाते म बकाया ज तनी रािश का
समायोजन िन धा र त तर के से नह ं हो पाता है, उतनी रािश के िल ए बक
सामा य दर पर याज लगा सकते ह ।
(iii) सेवाओं के िन यात स ह त प र योजना िन यात सं व दाओं का काम
करने वाले िन यातक को भारतीय र ज़व बक, व देशी मिुा व भाग, के ि य
कायालय, मुबंई ारा समय-समय पर जार क ए गए द शािन दश /अनुदेश का पालन
करना होगा ।
1.2.4 सेवाओं का िनयात
यापार के सामा य करार के अधीन आनेवाली यापार यो य सभी 161 सेवाओं
के िन यातक को पोतलदानपूव तथा पोतलदानो र व उन सेवाओं को ूदान क या
जाए जहां ऐसी सेवाओ ंके िल ए भगुतान 2009-14 क व देश यापार नीित के अ
याय 3 म बताये अनुसार मु व देशी मिुा म ूा होता है । इस प र पऽ के सभी
ूावधान जब तक अ यथा िन द न क या जाए तब तक यथोिच त प र वतन स ह त िन
यात सेवाओं के िन यात पर उसी तरह लागू ह गे जसेै क वःतुओं के िन यात
पर लागू ह गे। सेवाओं क सचूी एचबीपी v1 के प र िश 10 म द गयी है । व
पोषक बक को यह सिुन त करना चा ह ए क कोई देाहरा व पोषण न हो तथा िन
यात ऋण व देश से ूा होनेवाले ूेषण से चुकाया जाता है । िन यात ऋण
मजंरू करते समय बक िन यातक/ व देश ःथ त काउंटर पाट
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के शेक र काड को यान म रख । ऐसे सेवा ूदाताओं से िन यात से ूा य
रािश य के व वरण का व देश ःथ त पाट से ूा देय रािश के व वरण के साथ िम
लान क या जाए।
कारोबार के िभ न-िभ न ःव प और िन यात क जानेवाली सेवाओ ंक ौे ण य क
बड़ सं या तथा ूगामी अ व िन यमन के वातावरण को देखते हएु , जहां य
ूबंधन सबंंधी मामल का अलग-अलग व पोषक बक ारा िन णय करने के िल ए छोड़ द
या गया है, बक अपने ःवय ंके मानदंड बना सकते ह ।
सेवाओं के िन यातक उपभो ा वःतुओं, वेतन आपूित य आ द के िल ए कायकार
पूंजीगत िन यात ऋण (पोतलदान पूव और पोतलदानो र) हेतु पाऽ ह ।
बक यह सिुन त कर क -
• ूःताव सेवाओं के िन यात का वाःत व क मामला है । • सेवा िन यात क
मद एचबीपी v1 के प र िश 10 के अतंगत आती है । • िन यातक यथालाग ू इलै
शॉिन क ए ड सॉ टवेयर ई पी सी अथवा सेवाएं ई पी सी अथवा
भारतीय िन यात सगंठन मडंल म पंजीकृत है । • सेवा के िन यात हेतु िन
यात सं व दा है । • कायशील पूंजीगत यय के प र यय और सेवा उपभो ा या व
देश म उसक मलू सःंथा से
भगुतान क वाःत व क ूाि के बीच अंतराल है । • वैध कायकार पूंजीगत
अतंराल है अथात ्पहले सेवा ूदान क जाती है जब क इ वाइस तैयार
करने के कुछ समय बाद भगुतान ूा क या जाता है । • बक को यह सिुन त
करना चा ह ए क कोई दोहरा/अित र व पोषण न हो । • द या जानेवाला िन यात
ऋण य द कोई मा ज न अपे त हो तो उसे घटराकर अ ज तत व देशी
मिुा, ूा अिम म भगुतान/ऋण से अिध क न हो । • इ वाइस तैयार क जाती ह
। • आवक ूेषण व देशी मिुा म ूा होते ह । • कंपनी वहां सं व दा के
अनुसार इ वाइस तैयार करेगी जहां भगुतान व देश ःथ त पाट से ूा
होता है, सेवा िन यातक बक से िल ये गये िन यात ऋण क चुकौती के िल ए
िन िध य का इःतेमाल करेगा ।
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1.2.5 पुंपो पादन, अगंरू और कृ ष-आधा र त अ य उ पाद के िल ए
पोतलदानपूव ऋण
(i) पुंपो पादन के मामले म, फूल इ या द क खर द तथा फूल तोड़े जाने
के बाद पोतलदान के िल ए क ए गए सभी खच को पूरा करने के िल ए
पोतलदानपूव ऋण द या जाता है ।
(ii) तथा प फूल से सबंंिध त उ पाद , अंगरू और कृ ष-आधा र त अ य उ
पाद का िन यात बढ़ाने के िल ए फूल , अगंरू क खेती, इ या द के िल ए उवरक
, क टनाशक व अ य सामान के बय स ह त सभी कृ ष-आधा र त उ पाद के िन यात
से सबंंिध त गित व िध य के िल ए कायशील पूँजी के ूयोजन हेतु बक र
यायती दर पर ऋण उपल ध करा सकते ह पर तु शत यह होगी क बक इस ःथ ित म ह
क वे ऐसी गित व िध य क पहचान िन यात से सबंंिध त गित व िध के प म कर
सक तथा इनक िन यात सबंंधी सभंा यताओ ंके बारे म ःवयं सतंु हो सक, और
साथ ह ये गित व िध याँ नाबाड या क सी अ य एजसी क ू य /अू य व पोषण
योजना के अतंगत शािम ल न ह । यह ऋण प कंग ऋण के मामले म उसक अविध,
माऽा, प र समापन इ या द से संबंिध त सामा य शत पर द या जा सकता है
।
(iii) िन वेश के िल ए, जसेै व देशी ूौ ोिग क , उपकरण का आयात, भिूम
व कास इ या द, या क सी ऐसी मद के िल ए ज से कायशील पूँजी न माना जा
सके, िन यात ऋण नह ं द या जाना चा ह ए ।
1.2.6 ूसःंकरणकताओं / िन यातक को िन यात ऋण-कृ ष िन यात ेऽ
(i) देश म कृ ष िन यात को बढ़ावा देने के िल ए भारत सरकार ने कृ ष
िन यात जोन बनाए ह। कृ ष िन यातो मखु इकाईयां (ससंाधन) कृ ष िन यात
जोन के भीतर तथा बाहर भी ःथा प त क जाती ह तथा ऐसी इकाईय को बढ़ावा
देने के िल ए उ पादन एवं ूसःंकरण को एक कृत करना होगा । उ पादक को क
सान के साथ कृ ष का अनुबंध करना होगा तथा क सान के उस समहू को गणुकार
बीज, क टनाशक, माइबो यूश एंटस और अ य साममी क उपल धता सिुन त करवानी
होगी ज ससे उ पादक, िन यात के िल ए उ पाद तैयार करने वाले क चे माल के
तौर पर क सान के उ पाद खर दग। उस समहू को अ छ गणुव ा के बीज, क टनाशक
सआूम पोषक तîव तथा अ य सामान क आपूित सिुन त करेगा। इसिल ए सरकार ने
सझुाव द या है क क सान को सबंंिध त सामान क खर द तथा आपूित के िल ए
वतमान द शािन दश के अतंगत ऐसी ूसःंकरणकता इकाइय को पैëकग ऋण द या जाये
ता क क सान को अ छ गणुव ा वाले सामान उपल ध हो सक ज ससे अ छ गणुव ा
वाली फसल को उगाया जाना सिुन त क या जा सके। िन यातकता ऐसे
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सामान थोक म खर द / आयात कर सकगे ज सके चलते माऽा म वृ होने के
कारण वःतुएँ सःती पड़गी।
(ii) िन यातक ारा क सान को आपूित क ये गये सामान को बक िन यात क
जाने वाली वःतुओं से सबंिध त क चा माल समझ और क सान ारा ऐसी फसल उगाये
जाने के िल ये उ ह अपे त सामान क लागत को पूरा करने के िल ये
ूसःंकरणकताओं / िन यातक को ऋण / िन यात ऋण मजंरू करने पर व चार कर ता
क कृ ष सबंंधी उ पाद के िन यात को बढ़ावा िम ल सके । इससे ूसःंकरणकता
इकाइयाँ अपे त सामान थोक म खर द सकगी और पूव-िन त यवःथा के अनुसार क
सान को उनक आपूित कर सकगी ।
(iii) बक को यह सिुन त करना होगा क िन यातक ने खर द जाने वाली फसल
के िल ए क सान से और िन यात क ये जाने वाले उ पाद के िल ए व देशी खर
दार से अपे त समझौता कर रखा है । व ीय सु व धा ूदान करने वाले बक को
कृ ष िन यात ेऽ मे þःथत प र योजनाओं का मू यांकन करना होगा तथा यह
सिुन त करना होगा क बय/ व बय सबंंधी यवःथाएं सभंव ह तथा प र योजनाएँ
उपयु अविध के भीतर कायाþ वत क जा सकगी ।
(iv) िन िध य के उ उपयोग पर अथात ्िन यातक /मु य ूसःंकरणकता इकाई
ारा क गयी यवःथा के अनुसार, फसल उगाने के िल ये िन यातक ारा क सान को
सामान के व तरण पर, बक को नजर रखनी होगी।
(v) बक को यह सिुन त करना होगा क ूचिल त अनुदेश के अनुसार
पोतलदानपूव ऋण के समापन के िल ये मजंरू क शत के अनुसार ूसःंकरणकता /िन
यातकता इकाईयाँ अिंत म उ पाद का िन यात कर रह ं ह।
2. पोतलदानो र पया िन यात ऋण
2.1 प र भाषा
`पोतलदानो र ऋण' क सी सःंथा ारा, भारत से वःतुओं/सेवाओं का िन यात
करने वाले को, मजंरू क या गया ऋण या अिम म या कोई अ य ऋण है जो व देशी
मिुा व भाग ारा व िन द वसलूी क अविध के अनुसार वःतुओं के
पोतलदान/सेवाएं ूदान करने के बाद ऋण उपल ध कराए जाने क तार ख से आरंभ
करके िन यात सबंंधी आय क वसलूी क तार ख तक, के िल ए होता है तथा इसके
अतंगत शु क वापसी के ूित फलःव प या उसक ूित भिूत के आधार पर क सी िन
यातक को मजंरू क या गया कोई ऋण या अिम म या सरकार ारा समय-समय पर द ए
गए ूो साहन के प म िन यातक को क या गया कोई नकद भगुतान शािम ल है। व
देशी मिुा व भाग के मौजदूा अनुदेश के अनुसार िन यात आय क वसलूी के िल
ए व िन द अविध पोतलदान क तार ख से 12 मह ने तक है।
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2.2 पोतलदानो र ऋण के ूकार:
पोतलदानो र अिम म मु यत: िन निल ख त प म हो सकते ह :
(i) खर दे गए/ब टाकृत/बेचे गए िन यात ब ल ।
(ii) वसलूी के िल ए ब ल के आधार पर अिम म ।
(iii) शु क वापसी के बदले अिम म/सरकार से वसलूी यो य कोई नकद ूो
साहन ।
2.3 पोतलदानो र ऋण का समापन:
पोतलदानो र ऋण का समापन िन यात क गयी वःतुओं के िल ए व देश से ूा
िन यात ब ल क आय से क या जाना चा ह ए । इसके साथ ह , िन यातक और बकर
के बीच आपसी सहमित के अधीन इसे, व देशी मिुा अजक व देशी मिुा खाते
(ईईएफसी खाते) के शेष तथा कोई अ य व पोषण न क ये गये (वसलूी) ज ल से
ूा आय से भी चुकता/समय से पूव अदा क या जा सकता है । परंतु इस ूकार से
समायो ज त िन यात ज ल को िन यात से ूा आय क वसलूी के िल ए यान म िल या
जाना जार रहना चा ह ए तथा इ ह ए सओएस व वरण म र पोट क या जाना जार
रहेगा ।
िन यातक क लागत (अथात ्अित देय िन यात ब ल पर याज लागत) को कम करने
के िल ए अित देय िन यात ब ल वाले िन यातक अपने अित देय पोतलदानो र पया
िन यात ऋण क चुकौती अपने पया ससंाधन से भी कर सकते ह । तथा प, सबंंिध
त जीआर फाम बकाया बना रहेगा और ए सओएस व वरण म रािश बकाया दशायी जाएगी
। वसलूी के िल ए िन यातक का दािय व तब तक जार रहेगा जब तक िन यात ब ल
क वसलूी नह ं हो जाती है ।
2.4 पया पोतलदानो र िन यात ऋण
2.4.1 अविध
(i) माँग ब ल के मामले म अिम म क अविध फेडाई ारा िन त सामा य
पारगमन अविध होगी।
(ii) मीयाद ब ल के मामले म पोतलदान क तार ख से 365 द न क अिध कतम
अविध के िल ए ऋण द या जा सकता है । इस अविध म सामा य पारगमन अविध तथा
य द छटू क अविध हो तो वह भी शािम ल होगी। तथा प बक को चा ह ए क वे
पोतलदान ऋण अिध कतम 365 द न क अविध के िल ए द ए जाने क आवँयकता पर
भली-भाँित गौर कर और िन यातक पर इस बात के िल ए दबाव डाल क वे िन यात
से सबंंिध त आय कम से कम अविध म वसलू कर ल ।
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(iii) `सामा य पारगमन अविध' का आशय वह औसत अविध है जो सामा यत: ब ल
के बेचान /बय / ड ःकाउंट क तार ख से सबंंिध त बक के नोॐो खाते म ब ल
से सबंंिध त आय ूा होने तक (जसैा फेडाई ारा समय-समय पर िन त क या जाता
है) लगती है। इस अविध को व देश ःथ त गतं य पर माल के पहँचनेु म लगने
वाला समय नह ं समझना चा ह ए ।
(iv) अित देय ब ल
(क) माँग ब ल के मामले म वह ब ल है ज सका भगुतान सामा य पारगमन
अविध समा होने से पहले नह ं क या गया होता है, और
(ख) मीयाद ब ल के मामले म वह ब ल है ज सका भगुतान िन यत तार ख को
नह ं क या गया होता है ।
2.4.2 याज दर ढाँचा
पोतलदानो र ऋण का याज दर ढाँचा और उससे सबंंिध त अनुदेश पैरा 4 म द
ए गए ह ।
2.4.3 िन यात ब ल पर आह र त न क गयी शेष रािश य के बदले अिम म
कुछ वःतुओ ंके िन यात म िन यातक को सं व दा के पोतपयत िन:शु क मू य
के 90 से 98 ूित शत भाग तक के िल ए व देशी बेता पर ब ल आह र त करने क
आवँयकता पड़ती है तथा `आह र त न क ये गये शेष' क बकाया रािश का भगुतान
व देशी बेता वःतुओ ंक गणुव ा/माऽा के बारे म सतंु होने के बाद करता है
।
आह र त न क ए गए शेष का भगुतान आक ःम क ूकृित का होता है । बक अपने
वा ण य क व वेक और बेता के ॡैक र काड के आधार पर, आह र त न क ए गए शेष
के बदले र यायती याज दर पर अिम म मजंरू करने पर व चार कर सकते ह। तथा
प ऐसे अिम म अिध कतम केवल 90 द न क अविध के िल ए र यायती याज दर के
पाऽ उस सीमा तक के िल ए तब ह गे जब सबंंिध त अिम म क चुकौती व देश से
ूा वाःत व क ूेषण ारा क जाए और ऐसे ूेषण माँग ब ल के मामले म सामा य
पारगमन अविध समा हो जाने के बाद 180 द न के भीतर तथा मीयाद ब ल के
मामले म िन धा र त तार ख को ूा हो गए ह । 90 द न के बाद क अवधी के िल
ए पोतलदानो र ःतर पर 'अ यथा न िन द िन यात ऋण' ौणेी हेतु िन द याज
लगाया जाना चा ह ए ।
2.4.4 ूित धारण धन के बदले अिम म
(i) टन-क प र योजनाओं /िन माण सं व दाओं के मामले म व देशी िन यो ा
सं व दा के सेवा सबंंधी काय के िल ए बिम क भगुतान करता रहता है तथा
बिम क भगुतान का
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थेड़ा ूित शत ूित धारण धन के प म अपने पास रख लेता है ज सका भगुतान
वह, सं व दा के पूरा होने क तार ख के बाद िन धा र त अविध समा हो जाने
पर िन धा र त ूािध का र य से अपे त ूमाण-पऽ ूा करने के बाद करता है
।
(ii) कभी-कभी टन-क प र योजनाओं के मामले म भी आपूित भाग के बदले
ूित धारण धन िन धा र त क या जा सकता है । उसी तरह उप-सं व दाओ ंके
मामले म भी ऐसा क या जा सकता है । ूित धारण धन का भगुतान आक ःम क
ूकृित का है य क यह ड फे ट लाइ ब िल ट है ।
(iii) ूित धारण धन के बदले अिम म क मजंरू के सबंंध म िन निल ख त द
शािन दश का पालन क या जाना चा ह ए :
(क) सं व दा के सेवा भाग से सबंंिध त ूित धारण धन के बदले कोई अिम
म मंजूर नह ं क या जाना चा ह ए ।
(ख) िन यातक से कहा जाना चा ह ए क वे ूित धारण धन के बजाय यथासभंव
उपयु गारंट ूःतुत करने क यवःथा कर ।
(ग) अ य बात के साथ-साथ सिंच त ूित धारण धन के आकार, िन यातक क नकद
-िन िध सबंंधी ःथ ित पर उसके ूभाव और ूित धारण धन के समय से ूा होने
के मामले म प छले कायिन ंपादन को यान म रखते हएु बक कुछ िग ने-चुने
मामल म आपूित भाग से संबंिध त ूित धारण धन के बदले अिम म मंजूर करने
पर व चार कर सकते ह ।
(घ) ूित धारण धन का भगुतान, जहाँ सभंव हो, साखपऽ ारा या बक गारंट
ारा ूित भतू कर िल या जाना चा ह ए ।
(ङ) सं व दा क शत के अनुसार जहाँ ूित धारण धन का भगुतान पोतलदान क
तार ख से एक वष क अविध के भीतर क या जाना होता है, वहाँ बक को अिध कतम
90 द न के िल ए र यायती दर पर याज लगाना चा ह ए। 90 द न से अिध क अविध
के िल ए पोतलदानो र ःतर पर 'अ यथा न िन द िन यात ऋण' ौणेी के िल ए िन
धा र त दर पर याज िल या जाना चा ह ए ।
(च) सं व दा क शत के अनुसार जहाँ ूित धारण धन का भगुतान पोतलदान क
तार ख से एक वष के बाद क या जाना होता है और सम पी अिम म क अविध एक वष
से अिध क के िल ए बढ़ा द जाती है, वहाँ उसे आःथिग त भगुतान क शत पर एक
वष से अिध क समय के िल ए द या गया पोतलदानो र ऋण माना जाएगा और बक के
पास याज दर िन धा र त करने क ःवतंऽता है।
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(छ) ूित धारण धन के बदले द ए गए अिम म केवल उस सीमा तक र यायती याज
दर के पाऽ ह गे ज स सीमा तक ूित धारण घन से सबंंिध त ऐसे अिम म क
चुकौती व देश से ूा ूेषण से क जाती है तथा सं व दा क शत के अनुसार ऐसे
भगुतान ूित धारण धन के भगुतान के िल ए िन यत तार ख से 180 द न के भीतर
ूा हो जाएँ ।
2.4.5 परेषण आधार पर िन यात
(i) सामा य
(क) परेषण आधार पर िन यात क ए जाने पर िन यात सबंंधी आय के ू यावतन
के मामले म कई तरह के द पयोगु क गुजंाइश रहती है।
(ख) इसिल ए परेषण आधार पर िन यात, पोतलदानो र ऋण पर बक ारा लगाए
जाने वाले याज क दर के मामले म, एकमुँ त नकद ब ब के आधार पर क ए जाने
वाले िन यात के सम प होना चा ह ए। इस ूकार परेषण आधार पर क ए जाने
वाले िन यात के मामले म िन यात सबंंधी आय के ू यावतन के िल ए व देशी
मिुा व भाग ारा 365 द न से अिध क क अविध के िल ए मजंरू द ए जाने के
बावजदू बक ( ब ल क अविध के आधार पर) केवल आनुमािन क िन यत तार ख तक ह
उपयु र यायती याज दर लगाएँगे तथा यह अविध भी 365 द न से अिध क नह ं हो
सकती ।
(ii) बहमू यु और अ पमू य र का िन यात
बहमू यु और अ पमू य र का िन यात अिध कांशत: परेषण आधार पर क या
जाता है तथा िन यातक व देश से ूा ूेषण से अिम म क तार ख से 365 द न क
अविध के भीतर पोतलदानपूव ऋण खाते का समापन नह ं कर पाते ह। इसिल ए
परेषण िन यात के मामले म िन यात होते ह एक व शेष (पोतलदानो र) खाते म
बकाया शेष को अतं र त करके बक पै कंग ऋण सबंंधी अिम म का समायोजन कर
ल। परंतु इस व शेष खाते का समायोजन भी व देश से सबंंिध त आय ूा होते ह
यथाशीी कर िल या जाना चा ह ए तथा ऐसा समायोजन िन यात क तार ख से अिध
कतम 365 द न क अविध या र ज़व बक के व देशी मिुा व भाग ारा अनुमो द त
अित र अविध के भीतर कर िल या जाना चा ह ए । व शेष (पोतलदानो र) खाते म
शेषरािश य के सबंंध म र ज़व बक से कोई पुन व ूा नह ं क या जा सकेगा
।
(iii) िन यात से सबंंिध त आय क वसलूी को 12/15 माह तक क अविध तक
बढ़ाना
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सतंोषजनक शैक र काड वाले अलग-अलग िन यातक ारा आवेदन क ए जाने पर
भारतीय र ज़व बक ( व देशी मिुा व भाग)उपयु मामलो म, िन यातक क िन निल ख
त ौे ण य के मामले म पोतलदान क तार ख से 12 मह ने तक क ल बी अविध क
अनुमित देता है ।
क) सीआइएस और पूव यूरोप के देश को परेषण िन यात । ख) पये म रा य ऋण
क चुकौती के बदले स महा सघं को परेषण िन यात ।
ग) ऐसे िन यातक ज ह व देश यापार नीित के अनुसार `ःटेटस हो डर' के प
म ूमा ण त क या गया है ।
घ) 100 ूित शत िन यातो मखु यूिन ट और ऐसे यूिन ट जो इले शॉिन क
हाडवेयर पाक सॉ टवेयर टे नोलॉजी पाक तथा बरायो-टे नोलॉजी पाक योजनाओं
के अधीन ःथा प त क ये गये ह ।
31 माच 2011 के ए॰पी॰(ड आईआरशृंखला)प रपऽ स॰ं 47 ारा व देशी मिुा व
भाग ने िन यात आय क वसलूी और ू यावतन क अविध को एक वष क अित र अविध के
िल ए अथात ् 30 िसतंबर 2011 तक िन यात क तार ख से 6 माह से बढ़ाकर 12
माह कर दया है, जसक बाद म समी ा क जाएगी।
साथ ह , व देश ःथ त `वेयर हाउस-कम- ड ः ले सटर' के मा यम से िन यात
के मामले म िन यात से सबंंिध त आय क वसलूी पोतलदान क तार ख से 15 मह
ने िन त क गयी है ।
बक ऐसे िन यातक को ूारंभ से ह अपे ाकृत लबंी अविध के िल ए पोतलदानो
र ऋण मजंरू कर सकते ह । तदनुसार, अिम म क तार ख से 180 द न तक क याज
दर मीयाद ब ल के िल ए 180 द न तक क अविध हेतु लागू दर होगी। पोतलदान क
तार ख से 180 द न बाद बक याज क दर िन धा र त करने के िल ए ःवतंऽ ह। ले
क न य द उ अविध के भीतर ब ब से सबंंिध त आय क वसलूी नह ं हो पाती है
तो पोतलदान क तार ख से 180 द न से अिध क सपंूण अविध पर `अ यथा न िन द
िन यात ऋण'- पोतलदानो र पर लागू उ चतर याज दर लागू होगी।
तथा प भारतीय र ज़व बक (मौ ि क नीित व भाग) बक को िन यात ऋण के बदले
पुन व त क सु व धा पोतलदानपूव और पोतलदानो र दोनो ःतर पर केवल 180 द न
के िल ए ह उपल ध कराएगा।
2.4.6. ूदशनी और ब ब के िल ए वःतुओं का िन यात
बक व देश म ूदशनी और ब ब के िल ए भेजे गए माल के बदले िन यातक को
पहले व उपल ध करा सकते ह और ब ब पूर हो जाने के बाद ऐसे अिम म पर
पोतलदानपूव और
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पोतलदानो र - दोन ःतर पर िन धा र त अविध तक छटू के प म र यायती
याजदर का लाभ दे सकते ह । ऐसे अिम म अलग खात म द ए जाने चा ह ए।
2.4.7 आःथिग त भगुतान क शत पर पोतलदानो र ऋण
भारतीय र ज़व बक ( व देशी मिुा व भाग) ारा समय-समय पर िन गत अनुदेश
के अनुसार पूँजीगत माल और उ पादक वःतुओं के िन यात के मामले म बक
आःथिग त भगुतान क शत पर एक वष से अिध क क अविध के िल ए पोतलदानो र ऋण
मजंरू कर सकते ह ।
2.5 शु क वापसी क पाऽता के बदले पोतलदानो र अिम म
2.5.1 बक िन यातक को िन यात ऋण गारंट िन गम क गारंट के कवर के
अतंगत तथा शु क वापसी सबंंधी उनक पाऽता के बदले पोतलदान अिम म, अिंत म
मजंरू और भग�