थक अगेन v3.0 सऩादकीम अऩोजी का तीसया ददन| कभये भ क ु छ रोग जहाॉ सऩन के सभुदय भ गोते रगा यहे ह, वहीॊ उनीॊदी अधभुॊदी आॉख से अऩने रैऩटॉऩ ऩय रगे भेये क ु छ साथी इस कागज़ के टुकड़े को आऩ तक ऩह ु ॊ चाने भ जुटे ह ु ए ह| रग यहा है भानो वणण जमॊती फ का खुभाय अबी तक उतया नहीॊ है| औय उतये बी म? इस ‘फ ऑप द सचुयी’ के साथ -साथ अऩोजी का उसाह औय नए अकादमभक रॉक की खुशी बी तो जुड़ी ह ु ई है| कै ऩस भ ऩहरी फाय कदभ यखते वत भुझे मह मार आमा था कक इस ‘गढे’ का कामाकऩ होने तक तो हभ चौथे-ऩाॉचवे सार भ ऩह ु ॉ च चुके हगे| ऩय आज सफके साभने हभाया वही ‘गढा’ ऩूयी शान से दभक यहा है| वत का पे य देखखमे, जजस ‘गढे’ को देखकय कर तक हभ नाक-ब मसकोड़ते थे, वहाॉ अबी हभ चाह कय बी नहीॊ जा सकते| मह अऩोजी अबी तक कई भामन भ फह ु त ही खास यहा है| फात चाहे वॉटय मुववन के साथ के शानदाय स की हो, जोहाना रैरी के सोशर भीडडमा ऩय हभाये वबाव के ववरेषण की, मा भॊसूय खान की फेजोड़ उऩभाओॊ की, इन सबी ने बफमसमन जनता भ आगे के मरए बी कई उभीद जगा दी ह| मह तो आऩ सभझ ही गए हगे कक अऩोजी जैसे सीखने औय अऩने ऻान को सही ददशा भ रगाने के भौके कभ की मभरते ह| तो आऩ से मही कह ू ॉ गा कक इस फाय अऩोजी भ अधधक से अधधक इवस भ बाग र, मकक हय जगह ऻान बफखया ऩड़ा है| ज़ऱयत है इसको सभेटने की| अपोजी, दिवस 2 : 29 माच, 2014