1 ᮧथम अ᭟याय : दिलत िवमशᭅ ऐितहािसक सामािजक पᳯरᮧेय 1.1 दिलत िवमशᭅ या है ? 1.2 दिलत िवमशᭅ : ऐितहािसक सामािजक पᳯरᮧेय क) बौ धमᭅ ख) भिᲦ आंदोलन ग) आधुिनक ᳲचतक घ) उᱫर आधुिनक ᳲचतन और दिलत िवमशᭅ
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थम अ याय दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
11 दिलत िवमश या ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
ख) भि आदोलन
ग) आधिनक चतक
घ) उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
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11 दिलत िवमश या ह
हदी म आजकल lsquoिवमशrsquo श द का चलन ब त होन लगा ह पि का
प तक सिमनार बौि क सवाद आ द म यह श द सहज प म आज चिलत हो
चका ह इस श द क योग क सदभ क बात कर तो यह सा कितक अ ययन स
जड़ा आ श द ह जो स ा और ान क िनमाण क ज टल या को प रभािषत
करता ह सधीश पचौरी क श द म lsquolsquoसमकालीन सा कितक अ ययन म
ितिनधान परपरा भाषा योग क वहार क ज रए सा कितक और
ऐितहािसक प स ि थत अथ को िचि नत करन क िलए िवमश का उपयोग होता
ह यह सा कितक अ ययन क म एक अिनवाय पा रभािषक पद ह जो अपन
गत विव य क कारण कसी श दकोश क प रभाषा स बधा न रहकर
िवमशा मक या म ही अथ हण करता ह और इसिलए इसक उपयोग
सामा यीकरण क तरह दखत ए भी िविश होत हrsquorsquo1
िवमश का योग ह दी म आज उसी ऐितहािसक सा कितक मा यता क
पन ा या क म म हो रहा ह िजसम दिलत ी आ दवासी एव इस कार क
तमाम लोग क आवाज आज इसक व प स जड़ी ई ह इस प म आज दिलत
िवमश भी एक जीवत और वलत मदद क प म हमार सामन अपनी मखर
अिभ ि कर रहा ह आज यह भारतीय सािह य का अिनवाय िह सा ह िपछल
20 वष स lsquolsquoदिलत िवमश क क म व सार सवाल ह िजसका सबध भदभाव स ह
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चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर
हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2
सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह
पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय
का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही
का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक
रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह
तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत
ह
दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त
दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध
ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था
िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क
दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन
समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का
यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत
िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत
धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह
इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था
और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था
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इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न
िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी
कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक
िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत
वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो
दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव
था
अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम
सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म
कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर
मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स
किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह
उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क
अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो
दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक
और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय
वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म
आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस
धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4
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इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए
िलख
इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को
िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म
दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह
पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म
जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही
आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य
म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी
ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म
इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक
गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन
इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक
मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म
स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो
वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह
िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह
इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक
समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया
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इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
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मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
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3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
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अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
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क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
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इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
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ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
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जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
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कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
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ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
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और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
2
11 दिलत िवमश या ह
हदी म आजकल lsquoिवमशrsquo श द का चलन ब त होन लगा ह पि का
प तक सिमनार बौि क सवाद आ द म यह श द सहज प म आज चिलत हो
चका ह इस श द क योग क सदभ क बात कर तो यह सा कितक अ ययन स
जड़ा आ श द ह जो स ा और ान क िनमाण क ज टल या को प रभािषत
करता ह सधीश पचौरी क श द म lsquolsquoसमकालीन सा कितक अ ययन म
ितिनधान परपरा भाषा योग क वहार क ज रए सा कितक और
ऐितहािसक प स ि थत अथ को िचि नत करन क िलए िवमश का उपयोग होता
ह यह सा कितक अ ययन क म एक अिनवाय पा रभािषक पद ह जो अपन
गत विव य क कारण कसी श दकोश क प रभाषा स बधा न रहकर
िवमशा मक या म ही अथ हण करता ह और इसिलए इसक उपयोग
सामा यीकरण क तरह दखत ए भी िविश होत हrsquorsquo1
िवमश का योग ह दी म आज उसी ऐितहािसक सा कितक मा यता क
पन ा या क म म हो रहा ह िजसम दिलत ी आ दवासी एव इस कार क
तमाम लोग क आवाज आज इसक व प स जड़ी ई ह इस प म आज दिलत
िवमश भी एक जीवत और वलत मदद क प म हमार सामन अपनी मखर
अिभ ि कर रहा ह आज यह भारतीय सािह य का अिनवाय िह सा ह िपछल
20 वष स lsquolsquoदिलत िवमश क क म व सार सवाल ह िजसका सबध भदभाव स ह
3
चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर
हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2
सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह
पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय
का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही
का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक
रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह
तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत
ह
दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त
दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध
ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था
िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क
दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन
समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का
यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत
िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत
धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह
इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था
और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था
4
इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न
िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी
कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक
िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत
वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो
दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव
था
अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम
सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म
कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर
मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स
किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह
उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क
अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो
दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक
और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय
वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म
आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस
धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4
5
इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए
िलख
इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को
िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म
दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह
पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म
जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही
आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य
म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी
ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म
इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक
गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन
इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक
मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म
स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो
वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह
िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह
इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक
समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया
6
इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
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और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
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इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
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घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
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व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
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उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
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अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
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नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
3
चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर
हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2
सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह
पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय
का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही
का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक
रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह
तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत
ह
दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त
दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध
ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था
िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क
दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन
समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का
यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत
िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत
धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह
इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था
और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था
4
इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न
िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी
कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक
िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत
वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो
दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव
था
अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम
सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म
कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर
मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स
किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह
उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क
अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो
दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक
और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय
वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म
आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस
धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4
5
इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए
िलख
इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को
िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म
दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह
पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म
जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही
आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य
म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी
ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म
इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक
गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन
इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक
मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म
स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो
वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह
िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह
इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक
समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया
6
इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
4
इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न
िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी
कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक
िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत
वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो
दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव
था
अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम
सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म
कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर
मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स
किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह
उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क
अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो
दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक
और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय
वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म
आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस
धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4
5
इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए
िलख
इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को
िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म
दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह
पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म
जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही
आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य
म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी
ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म
इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक
गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन
इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक
मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म
स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो
वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह
िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह
इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक
समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया
6
इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
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जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
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और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
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इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
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घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
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व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
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उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
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अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
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नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
5
इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए
िलख
इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को
िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म
दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह
पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म
जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही
आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य
म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी
ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म
इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक
गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन
इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक
मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म
स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो
वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह
िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह
इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक
समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया
6
इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
6
इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ
जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर
गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल
लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक
वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख
सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को
उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य
चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन
िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा
ह
12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य
क) बौ धम
इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि
कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय
स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण
ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म
जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा
दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
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और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
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तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
7
मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस
धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को
नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक
तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार
क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य
बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई
इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण
क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-
1ससार सख स भरा ह सवमदखम
2दख का कारण ह- (दख समदाय)
3दख का अत ह- (दख िनरोध)
4दख िनरोध का माग ह
िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को
अ ािगक माग कहत ह -
1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन
2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम
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3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
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अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
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क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
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इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
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ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
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जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
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कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
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ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
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और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
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सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
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ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
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इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
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घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
8
3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन
4 आ मिनय ण क स यक आचार
5 स यक मित
6 जीवन क उ य पर स यक यान
7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार
8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8
इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम
िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता
ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क
बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार
चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या
(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य
क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित
तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9
बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन
आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
9
अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स
ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह
थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण
क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता
क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया
जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-
िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह
दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म
िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल
वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ
क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स
lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह
पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी
स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य
बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी
स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही
स दाय हीनयान स जड़ थ
तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क
तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या
िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
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ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
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तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
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जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
10
क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम
मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह
चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म
बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी
स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और
महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा
हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ
बौ धम क िविभ स दाय ndash
हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक
उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत
मो ाि पर बल दया गया ह
महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी
आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना
क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया
व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन
तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी
स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत
ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
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और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
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सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
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ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
11
इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा
भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी
दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया
बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को
चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म
बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य
स िवरत हो गया था
बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क
साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान
योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी
स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक
उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ
म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म
दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी
लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क
रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता
िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी
बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म
िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क
अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
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ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
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और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
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भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
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सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
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ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
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तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
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जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
12
ख) भि आदोलन -
एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान
वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा
यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध
म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह
यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह
जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और
आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण
ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती
ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया
दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य
वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः
ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और
इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा
क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य
को ो सािहत कया
इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन
दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ
अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
13
जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क
पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही
आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और
नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-
पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को
और भी गित िमलीrsquorsquo11
एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त
सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार
आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक
अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था
व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क
आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प
धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क
िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ
रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और
इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स
ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा
ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित
क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क
िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
14
कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल
िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय
स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय
सघष चलान का माग भी श त कया
इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद
क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स
अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना
सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान
कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार
और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई
ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ
धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क
जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी
ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा
अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया
स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल
अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13
भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत
और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
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बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
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तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
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जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
15
ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब
तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और
दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत
तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था
थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा
क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ
य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य
िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद
सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क
मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क
िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक
वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और
मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क
उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को
प रलि त करत थ
इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न
कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय
करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क
तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस
बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म
समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
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41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
16
और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य
को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क
धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य
नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक
आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव
ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर
क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश
साथकता थीrsquorsquo14
िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क
बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह
भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट
ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श
आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन
आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क
िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव
शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो
सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म
मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य
भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म
चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
17
भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी
किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म
नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय
भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक
ऐितहािसक या थीrsquorsquo15
भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म
ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ
मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल
धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क
सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य
और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क
उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क
आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन
को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव
मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए
जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था
व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया
जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित
और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
18
बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन
क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी
ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो
सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी
ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश
म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क
ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित
वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म
भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क
पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो
गया था गितशील थ
इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज
उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को
सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और
कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब
कसान क सघष का नत व भी कया
कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक
ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता
को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई
और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
19
सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और
सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क
िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन
का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क
तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान
ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म
जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद
असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क
नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस
आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव
जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क
िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16
इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक
समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद
और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन
सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म
नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और
द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ
और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
20
ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस
ि टश सा ा य का एक अग बना िलया
ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल
I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह
िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष
क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था
क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह
क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव
क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई
गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली
होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता
जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह
मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स
कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह
होती ह वह अद य मन म होती ह
इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव
धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म
धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
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41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
21
पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी
सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म
अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा
चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क
आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और
समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज
दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और
आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को
सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम
अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य
धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा
उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए
उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए
व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा
नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह
और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास
और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह
कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती
इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग
अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को
आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
22
ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या
ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17
व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह
ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक
म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह
होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक
आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद
को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल
तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल
कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण
बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा
उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर
हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह
तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी
नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श
वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन
करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार
नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क
अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार
पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
23
तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष
समा हो जाएग
II अ बडकर का चतन -
डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह
उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक
तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता
भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म
डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और
ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित
आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह
एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प
म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी
मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा
इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क
सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म
लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता
ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क
उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
24
जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी
छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19
डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स
ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग
और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना
क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म
यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह
ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-
आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी
च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क
िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-
दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई
किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए
तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज
तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क
वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य
जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह
डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह
कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
25
दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश
िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ
क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री
ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क
व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व
जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व
दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी
को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण
समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह
ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार
उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी
और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम
कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क
हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स
िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई
अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा
करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना
क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका
िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
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नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
26
इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना
पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क
उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-
था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक
ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -
य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक
और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज
को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स
सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई
दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व
इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद
सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-
था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस
प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश
आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता
ह
III राममनोहर लोिहया का चतन -
राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक
क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को
िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत
िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
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उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
27
आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क
बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का
िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का
आ वान कया यह आ वान ह-
lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए
2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ
3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ
4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क
िलए
5 िनजी सपि क िव
6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ
7 हिथयार क िव rsquorsquo22
व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन
को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक
ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क
अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
28
स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता
मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ
गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का
वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो
भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन
मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को
इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन
ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन
भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह
इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत
थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी
जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का
यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित
सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का
हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क
lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और
दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित
को पदा करत हrsquorsquo24
इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना
और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
29
चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क
lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका
िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान
बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क
िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह
टक हrsquorsquo25
हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का
यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न
छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम
समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत
वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क
साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और
सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह
वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह
सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान
सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान
सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज
सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा
नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक
जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
30
क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क
छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर
िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26
इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम
विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन
वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को
नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का
िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और
अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना
चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा
गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता
का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ
IV योितबा फल का चतन -
योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न
स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका
कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को
आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता
ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
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घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
31
करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही
मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर
सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार
मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और
असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा
एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क
सोची-समझी दन ह
व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस
करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क
िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना
क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग
क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए
उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस
समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण
परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क
ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक
ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए
गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई
बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न
यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र
ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
32
और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन
गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक
सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर
गए
इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न
( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को
( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली
क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव
वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म
जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क
तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)
होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर
कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो
भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल
हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क
उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी
जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो
शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन
जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
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उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
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सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
33
इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी
सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण
जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर
आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह
और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न
उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य
दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-
पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ
मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार
को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक
माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल
योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो
जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद
ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत
इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण
िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को
सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
34
घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश
िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी
नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह
सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क
चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत
क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ
शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता
बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प
दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और
दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक
ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ
होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख
होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान
बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32
आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ
जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह
आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन
आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन
म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह
lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
35
व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान
शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ
न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह
जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म
जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित
था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश
समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए
ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई
तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी
मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा
ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह
वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह
इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक
खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह
आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह
गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म
िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात
जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी
करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
36
उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म
ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था
पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क
ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर
आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और
परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क
स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क
िलए पकड़ना ज री ह
वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक
समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर
प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प
समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह
इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह
कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण
कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद
खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का
िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा
करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर
उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क
अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
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41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
37
अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत
क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी
अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा
रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को
अनदखा कर रह ह
आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया
जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक
आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन
दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस
स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो
समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का
सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो
पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली
िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन
म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल
सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत
करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36
दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर
करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क
lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
38
नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो
इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम
या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी
पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा
वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37
इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह
इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य
क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-
पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस
भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी
ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क
उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य
क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज
शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को
व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ
और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल
नह क rsquorsquo38
दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा
जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी
नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
39
उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न
ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo
दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और
अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी
ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो
रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य
अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज
सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा
आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह
lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और
घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क
अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह
असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ
धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह
बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश
पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39
इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य
समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह
आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
40
अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता
(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और
समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस
समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर
िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ
और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह
------------------
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
41
सदभ- थ सची
1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन
प227- 228
2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल
िल प 297
3 वही प 249
4 वही प 250
5 वही प 250
6 वही प 250
7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13
8 वही प 13-14
9 वही प 14
10 वही प14
11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)
ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56
12 वही प57
13 वही प58
14 वही प59
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
42
15 वही प59
16 वही प64
17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11
18 वही प13
19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स
2008 प11
20 वही प12
21 वही प13
22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी
िवहार नई द ली-110 063 प21
23 वही प21
24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008
पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105
25 वही प104
26 वही प108 109
27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली
न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27
43
28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208
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28 वही प25- 26
29 वही प27
30 वही प27
31 वही प34
32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101
33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152
34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक
काशन नई द ली-02 स2010 प166
35 वही प166
36 वही प168
37 वही प168
38 वही प170
39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ
धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208