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प�रयोजना: औप�नवे�शक अ�भलेखीय नी�त 1858-1947, और
भारत म� पारा�भक क आ�नक क�त�ाह लेखन
हबाहाची भटाचाया, टैगोर नेशनल फेलो, रा�ीय अ�भलेखागार व्ारा।
प�रयोजना काया के प�ले चरर, जून 2012 - नवाबर 2012 पर �रपोटा।
हमी�ा ीन अव� (जून 2012 हे नवाबर 2012) म� 1858 हे 1872 तक क� अव�
के
्सतावेजज क� जााच क� गग �ै। शआरकती �ननक्ा कह पकार �क: कापी�रयल
�रकल ाह ॉवभाग क� �रकलका
श्ाखला रा�ीय अ�भलेखागार म� उपलब �ै, और �ालाा�क वे ॉवभागीय �रकलका
हभी शो कताा् ा के �लल खआले
न��ा �क, कहके �लल कीकगजी, लनलकग क� अनआम�त, क� कवशयकता �ै। य�
अनआम�त मआझे म�ा�न्ेशक
दारा कहानी हे ्� गग ईी और मकने उन अ�भलेखज क� जााच क�। कापी�रयल
�रकल ाह ॉवभाग क� फाकलज
म� हे कोग भी 1890 हे प�ले क� न��ा �ै। कलक�ा म� पि�म बागाल राजय
अ�भलेखागार (कहके बा्
कबलबूीलहल) म� 1891 म� कापी�रयल �रकल ाह सम क� सईापना हे हाबा� त
कआ त �रकलका, हाई �� 1861
(पि�म बागाल राजय अ�भलेखागार हामााय ॉवभाग, हामााय शाखा, मग-�्हाबर
1867) म� ग�ठत �रकल ाह
ह�म�त दारा केाे�य ह�चवालय म� बागाल हरकार के �रकलका हे भारत हरकार
के �रकलका के पई्ृकरर
हे हाबा� त कआ त �रकलका रख� �ै। कहके अलावा, कब्यबूीलहल म� 1810 म�
जनरल �रकल ाह र�फह क�
सईापना हे हाबा� त कआ त 1860-हे पवूा के �रकलका शा�मल �क, जो बागाल
और भारत हरकार के �रकलका ्ोनज
का हाग�सईान ईा। रा�ीय अ�भलेखागार के हाबा म�, हबहे अचता ोत
हावाज�नक ॉवभाग, हावाज�नक
शाखा, के फाकलज क� श्ाखला �ै; ॉवशे् सप हे ग�् (हावाज�नक) �्हाबर
1872, हा. 647 और कही अनआकम
म� �रकलका ह�म�त के हाबा म� भारत हरकार क� कायावा�� का लक अचता
हारााश �ै, िजहक� मकने
�किजटल प�तयाा खर�्� �क (हायोग हे �किजटल प�त�लॉप लनलकग म� म�ागी
�ै)। उपयआा् ्सतावेजज म� जो
ॉवकाह �ो हकता �ै, उह ॉवकाह क� लक सपरेखा �नननानआहार �ै:
गसट का�कया का पनी पशाहन क� हमा�म के बा् भारत हरकार के अ�भलेखज को
कम म� रखने का
पयाह �कया गया ईा। पआराने �रकलका को नन करने के ॉपते मलू पेररा
कलक�ा म� भारत हरकार के
कायाालयज म� �रकलका हार�र पर जग� और वयय को बचाने क� �ै। ॉव� कयोग
और �हॉवल लेखा
पर��क ने (व� बा् के �्नज म� कैग क� तर� ईे, �हवाय कहके �क हाैय
लेखा पर��ा लक अलग लेखा
पर��क दारा क� गग ईी) �हफा�रश क� �ै �क उन फाकलज को जो उपयोगी �ोने
क� हाभावना न��ा �ै तईा
उन पआराने ्सतावेजज को अप�शन कागज के सप म� बेचने �ेतआ उनक� प�चान
करने के �लल फाकलज का
�नपटान �कया जा हकता �ै। कह पकार, िज�ाहापवूाक, अ�भलेखज को नन करने
के पसताव �ेतआ 1858 के
बा् ्सतावेजज को हारर�त करने के �लल हाग�ठत पराल� क� शआरकत क� ईी।
पाराभ म� ॉव� कयोग को
�रकलका हाग� ताटने का काया हसपा गया ईा, और शाय् काया क� माता और
ज�टलता के कारर, कयोग
ने उनक� अ�मता सवीकार क�। कहके बा्, अपलै 1861 म� भारत हरकार ने
धयान हे चयन करने के
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बा्, जो कआ त हार�र के �लल हाािखयक�य या �त�ा�हक रप हे मू् यवान �ो
हकत े �ै, हावाज�नक
कायाालयज म� हभी बेकार �रकलकड को नन करने के �लल कह योजना का
हाचालन करने के उदेशय हे लक
�रकलका कमेट� �नयआ् क� ईी। (ग�् ॉवभाग, हावाज�नक शाखा, �्हाबर
1872, हाखया 647, �रकलका ह�म�त,
परैा 1 लनलकग)। य� �रकलका कमेट� व� हासईा बन गग िजहने अ�भलेखीय
नी�त तयैार क� और उह
हाबा म� हरकार को �हफा�रश� क�।
�रकलका ह�म�त के तीन चरर
वयापक सप हे ह�म�त क� ग�तॉव� याा तीन चररज म� घ�टत �ोती �क: (1)
1861 हे 1865 तक
�रकलका ह�म�त ने ्ो ॉवक्प बनाने के �लल अ�भलेखीय नी�त पर
ॉवचार-ॉवमशा �कया, या तो हरकार को
लक क� े�य 'नय�ूनम�ट सम' यानी �रकलका सम सईाॉपत करना चा��ल, या
ॉव�भान ॉवभागज म� अपने सवया
के �रकलका सम �ोने चा��ल और हार�र के �लल ्सतावेे चयन उनहे हाबा� त
ॉव्य ईे। प�ला ॉवक्प
प�ल� बार जून 1861 म� ह�म�त क� �रपोटा म� अनआशा�हत �कया गया ईा।
्हूरा ॉवक्प अगसत 1861
म� ह�म�त के अधय� दारा अनआशा�हत �कया गया ईा। कआ त �्ृकतज के बा्,
1865 म� बा् के ॉवक्प
को भारत हरकार दारा चआना गया ईा। �रकलका कमेट� दारा अनआमा�नत
अ�भलेखन का काम ब�आत अ� क
ईा, जो �क उनके अनआमान हे केवल मौजू्ा फाकलज के 16,255 हे अ� क
वल्यमू और 16,100 बाकल ईे।
�रकलका कमेट� का काम कह तथय हे बा� त ईा �क �रकाका क�पर और
अ�भलेखीय कमाचा�रयज क� �नयआ�्
करने क� �हफा�रश� लगातार भारत हरकार दारा असवीकार कर ्� ग� कह क ार
पर �क अ�त�र् वयय
हे बचा जाना चा��ल। हरकार दारा सवीक्त लकमात प् जे. ट�. व��लर
ह�म�त के ह�चव के रप म�,
अाशका�लक के सप हे 500 रपये प�त मा� के वेतन के हाई कायारत ईा।
भारत हरकार 1857 के ॉवेो�
के ्ौरान हाैय वयय म� भार� वॉ्ृ के कारर ॉव�ीय हाकट और र बोझ हे
ीरे- ीरे उभर र�� ईी।
कह�लल उा�जने �रकलका कमेट� को ॉव�ीय ह�ायता हे काकार कर �्या।
�रकलका कमेट� को वासतव म� उह
िजनमे्ार� के �नवा�न के हा नज के �बना �� िजनमे्ार� हसपी गग ईी।
(2) 1865 हे 1869 तक क� े�य
�रकलका सम क� कोग और चचाा न��ा �ै। �रकलका कमेट� के ह�चव, जे. ट�.
व��लर, कआ त राजय ्सतावेज के
पकाशन क� तयैार� म� लगे ई ेले�कन 1869 तक वे काया परूा करने म�
अहमईा ई ेतब उा�जने ���टश
बमाा कयोग म� उचच प् म� शा�मल �ोने के �लल ह�म�त तोछ ्� ईी। �रकलका
कमेट� के वेतनभोगी ह�चव
का प् कह पकार खाल� �ो गया और �फर कभी भरा न��ा गया। �रकलका कमेट�
के ह्सयज ने ॉवभागीय
�रकलका सम सईाॉपत करने और पआरानी कागजात को वयविसईत करने क� प�कया
शआस करने के �लल कआ त
ॉवभागज का ्ौरा �कया। चूा�क �नय�मत अ�भलेखीय कमाचा�रयज पर वयय अ� क
खच�ला �ोने का अनआमान
लगाया गया ईा, भारत म� उचच अ� का�रयज और 'ग�् अ� का�रयज' ने चआ�न
ा् ा ्सतावेजज को पका�शत
करने का हसता ॉवक्प पहा् �कया। (1) 1869 हे 1872 तक लक चरर ईा जब
हरकार चआ�न ा् ा �रकलका
और कैल�कर पका�शत करने क� योजना पर काया करने क� िसई�त म� लौट कग
और �नराायक सप हे
क� े�य �रकलका सम के ॉवचार को याग �्या। कह मामले म� हर ॉव�लयम
�ाटर क� हला� �नराायक ईी:
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हावाज�नक �रकलका र�फह क� कवशयकता न��ा ईी ृयज�क वे काइलकक और यरूोप
म� क��ा और मौजू् ई।े
वाकहराय नलईा�आक का मानना ईा �क य� कआ त ्सतावेजज को चआ�न ा् ा सप
हे पका�शत करने के
राजनी�तक उदेशय हे काया करेगा। कह पकार लक अ�भलेखीय नी�त पर
ॉवचार-ॉवमशा कह चरर म� क� े�य
�रकलका सम के �लल योजना को असवीकार करने और कापी�रयल पासट के चआ�न
ा् ा ्सतावेजज के पकाशन
क� पाई�मकता के हाई हमाम �आक। कहके बा् मक उपयआा् �रपोटा के अ� क
म� वपरूा ॉववररज पर
धयान क� �ेत कसा गा।
अ�भलेखीय नी�त बनाने म� म� वपरूा वय�् व
काउन दारा गसट का�कया का पनी हे भारत हरकार का अ� भार ग�र करने के
बा् प�ले ्शक म�
�रकलका के हागठन और हार�र के �लल कहम� र�च रखने वाले और कहक�
िजनमे्ार� लेने वाले लोग कौन
ईे? ृया वे व� वय�् ईे जो �त�ा�हक ��त म� �रकल ाह कमेट� 1861- 1872
के ह्सयज के सप म� काया
करने के �लल �नयआ् �कल गये ई?े लनलकग �रकलका म� फाकलज के नामज को
तोछकर कोग हआराग न��ा �ै,
ले�कन 19वीा शताब्� के भारतीय क�त�ाह हे जो प�र�चत ईे वे �त�ा�हक
अनआहा ान म� �त�ा�हक ��त
और उपलिब यज हे हाबा� त कग ह्सयज क� प�चान कर हकत े�क। ह�म�त के
प�ले ह�चव रेव. जे. लााग
(1814-1887) ई,े जो कलक�ा कन ््कन टाकनह (1852) म� अपने पआराने
�रकलका के पकाशन के �लल
और भारतीय भा्ा्ा के उनके �ान के �लल जाने जात ेईे।(उा�जने अागेजी
का�कगो गलााटहा दारा मलू
�नवाही के शो्र पर पकाश कालने वाले लक बागाल� नाटक नील ्पार हे
अनआवा् �कया)। ह�म�त के
प�ले अधय� कगहीलह के जनेह ही. लरिसकन (1821 - 1891) ईे। िजा�जने
अपने ॉपता ॉव�लयम
लिसका न (1771- 1852) के काया, बाबर और �आमायूा (1852) के अ ीन
भारत का क�त�ाह हापा�्त और
पका�शत �कया; व� कलक�ा ॉव�ॉवदालय के कआ लगआस और बलनबे पेहीक�ही म�
�न्ेशक, हावाज�नक �न द्श
भी ईे। तीहरे ह्सय �रचका टेनपल (1826- 1902) ई ेिजा�जने बा् म�
जनेह ईलमहन (भारत के शाहक
श्ाखला, रृहफोका, 1891) का जीवन �चतर �कया ईा और 1880 (ला् न,
1881) म� भारत के उनके
प�हृ काया म� कआ त �त�ा�हक र�च �्खाग ईी। अगले 10 व्ड म� ह�म�त म�
शा�मल �ोने वालज म� हे,
कआ त हे ई े िजनके पाह उनके नाम पर �त�ा�हक काया ईे। जनेह टैलबलय
व��लर (1824- 1897)
काइलकक म� लक पआसतक ॉवकेता के सप म� लक हा ारर प�्भ�ूम हे कल,
िजा�जने मेाह सपेृपेटर के
हापा्क के सप म� काम �कया, और मेाह कन ््कन टाकनह, 1619- 1748
(मेाह, 1882) के शी्ाक
के त�त पआराने मेाह �रकलका हापा�्त �कल।1862 हे 1870 तक ॉव्ेश
ॉवभाग म� भारत हरकार के
ह�ायक ह�चव के सप म� काया करत े�आल, उा�े �रकलका कमेट� म� लाया गया
ईा। वे 1861 हे 1869 तक
ह�म�त के लकमात वेतनभोगी ह�चव ईे। उनके �त�ा�हक कायड म�, ���टश
शाहन (1886) के त�त
भारत को पाठय पआसतक के सप म� जाना जाता ईा। वे अल� पैवेलहा कन
का�कया (1864 म� पका�शत लह.
पआरचाह और जे.लच.वन �लाहचोटेन पर �चतर), और अल� �रकल ाह रफ ् ���टश
कन का�कया (ला् न,
1878) के लेखक भी ईे।
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जब�क कगहीलह के बा�र हे व��लर या रेव लााग, �रकलका कमेट� के ह�चवज
के सप म� कायारत ई,े
अधय� �मेशा �� लक ॉव�शन �हॉवल हवााट ईे। उनम� हे क�खर� लक
कब्य.ूलह. हेटन-करा ई,े
कगहीलह िजा�जने �हलेृशाह साम कलक�ा गजैटे, 1784- 1821 (तः खाक,
1864- 69) और माृवाह
रफ कलनावा�लह (भारत के शाहक श्ाखला, रृहफोका, 1891) हे हाकलन
हापा�्त �कल। जैहा �क प�ले
उ्लेख �कया गया �ै, लनलकग क� फाकलज म� �रकल ाह कमेट� के वय�्यज के
अधययनशील र�च के हाबा
म� कोग हआराग न��ा �ै। �ालाा�क, �रकल ाह ह�म�त ने हनभवतः कह तर� क�
र�च के हाई लोगज को अपनी
तरफ ककॉ्ात �कया �ो। 1860 के उ�रा ा म� शा�मल ह्सयज म� ल कोि्वन
शा�मल ईे। शाय्
रकलकक कोि्वन िजा�जने उ�र-पि�मी पाातज (बा् म� 1887- 1892 म�
लनकब्यपूी और औ के
लेिफटन�ट गवनार बनने के �लल) म� कगहीलह म� काया �कया ईा और हर
ॉव�लयम �ाटर दारा हापा�्त
क�त�ाह पआसतक श्ाखला म� भारत के शाहक पर लक जीवनी व�्ाात �लखा। कल
मौउत जा��र �ै कल.
साा�हह जे. मौउत (1816- 1897) जो कलक�ा मे�ककल कललेज म� �श�क ईे।
कआ त हमय के �लल जनेह
केव-�ाउन ने �रकलका कमेट� पर काया �कया; व� का�कयन काफक टक�टहाकक,
कटह ्�रजनन पोगेहन लाक
हपेशन (ला् न, 1857) पर लक �त�ा�हक गाई के लेखक ईे।
भारत के उचच अ� का�रयज म� हे, ल. ्. �मू, कगहीलह ने �रकलका कमेट�
के बा�र र�कर लक
म� वपरूा भ�ूमका �नभाग। उा�� मआखय सप हे उन अागेजज म� हे लक के सप
म� जाना जाता �ै िजा�जने
भारतीय रा�ीय काागेह को हमईान �्या, ले�कन उा�� �त�ा�हक ्सतावेज के
पयोजनज के �लल
अ�भलेखन के काया के लक म� वपरूा हमईाक के सप म� भी या् �कया जाना
चा��ल: य� उनका ��
योग्ान ईा �क, भारत हरकार म� ग�् ॉवभाग के ह�चव के सप म� और बा् म�
राजसव और क्ॉ् ॉवभाग
म�, जब �रकलका कमेट� पशाह�नक हमईान को पाम करने के �लल तटपटा र��
ईी। �रकलका कमेट� का लक
अाय �मत वाकहरलय काउा �हल के ॉव� ह्सय हर चा्हा पेवे�लयन ई;े
उा�जने �रकलकार ह�म�त को
वेतनभोगी ह�चव के प् म� व��लर को �नयआ् करने म� म्् क�। �रकलका
कमेट� के बा�र के लोगज म� हे,
हर ॉव�लयम �ाटर अ�भलेखीय नी�त �न ाा�रत करने म� लक म� वपरूा वय�् व
ईे। व� 1862 म� बागाल
पे�हक�ही म� कगहीलह म� शा�मल �ो गल और ज्् �� उा�जने गामीर बागाल
(1868) के वाॉ्ाकव�्ाात
का �नमाार �कया, जो लक �त�ा�हक व�्ाात �ै िजहका अभी भी उ्लेख �कया
जाता �ै। य�ा बागाल के
हाािखयक�य ॉववरर (1875- 77) और कापी�रयल गैे टेर (1881) के 20 खाकज
का पालन �कया गया। वे
लक �नॉवावा् पा� कार� बन गये और ग�् हरकार को 1871- 72 म� �रकलका
रखने पर उनक� हला� पर
�नभार �ोना पछा। �ाटर लक शान्ार लेखक ईे िजा�जने औप�नवे�शक
क�त�ाहलेख हे जआछ ेदॉनकोर का
�नमाार �कया। प�ले उ्लेख �कल गल लिसका न, टेनपल, कोि्वन, क या�्
हभी दारा �लखे गल कग
�त�ा�हक काया, �ाटर दारा हापा�्त भारत के शाहक श्ाखला का ��सहा ईे।
वे अ�भलेखज के हाग� और
���टश भारत के क�त�ाह के वरान को हा ाजयवा्� मोछ ्ेने म� म� वपरूा
भ�ूमका �नभात ेईे। कहके
हाई-हाई जब भारतीय मआहलमान (ला् न, 1871), ् अला रफ मेयो (ला् न,
1876), हाई �� भारतीय
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�श�ा कयोग (कलक�ा, 1881) क� �रपोटा के अधय� के सप म� उनके योग्ान
और उनका अा�तम पमआख
काया माृवाह रफ़ कल�ौही (भारत के शाहक श्ाखला, रृहफोका, 1895) पर
ॉवचार करत े�क, तो उनक�
अका्�मक सवीक्�त और प�त�ा �नॉवावा् ईी।
नी�तगत मआद ेऔर ॉव�भान दॉनकोर
कग नी�तगत मआदज पर 1861- 71 म� �रकलका कमेट� के ह्सयज के हाई-हाई
भारत हरकार म�
प्ा�हन अ� का�रयज और उनके बीच मतभे् उभर कर हामने कये। पाराभ म�
�रकलका कमेट� म� ह�पल
�रकलका सम या 'मआनीम�ट सम' सईाॉपत करने के प� म� लक मजबतू ललबी ईी,
ृयज�क क�त�ाहकार क�
पवॉ्� वाले ह्सयज ने कहे पहा् �कया ईा। कहके अलावा, काइलकक म�
�रकलका पबा न का उ्ा�रर उनके
हामने ईा। अब उहे कम तौर पर भआला �्या जाता �ै ले�कन य� 19वीा
शताब्� के मधय भारत के
अागेजज के �लल य� लक मलकल ईा। उा�जने 1800 क� हाह्�य ह�म�त दारा �न
ाा�रत पटैना को ्ेखा,
िजा�जने राजय ्सतावेजज के हार�र का हवाल उठाया, �रकलका कयोग िजहने
1800 हे 1817 तक काइलकक
म� काया �कया ईान 1818 म� हाह् दारा अ� �नय�मत �रकलका अ� �नयम
(ॉवक. कैप. 94 के 1 और 2)
और मासटर रफ रो्ह के �न द्शज के त�त काइलकक म� राजय ्सतावेजज का
पआनगाठन और हवाशे�
ॉव�ॉवदालयज हे बछ ेपमैाने पर अ�भलेखीय कमाचार�यज क� भत�। कह�लल
भारत म� �रकलका कमेट� ने शआस
म� 1861 म� �हफा�रश क� �क मू् यवान �त�ा�हक ्सतावेज वतामान म�, हभी
कलक�ा म� �बखरे �आल
�ोने के कारर, लक नय�ूनम�ट सम म� हारर�त �कया जाना चा��ल। (राजयपाल
हे पे्र म� उृ्त �रकलका
ह�म�त क� �हफा�रश-राजय ह�चव के जनरल कस�हल, यकू रफ अरगील, हावाज�नक
हा. 95, 11 �्हाबर
1872, लनलकग)। उह हमय �रकलका कमेट� ने अागेज राजय ्सतावेजज हे
हाबा� त मासटर रफ रो्ह
का अनआहरर करने वाले �हसटम क� तजा पर ्सतावेजज के कैल�कहा और
कैल�कर के काकेृ ह क� तपाग क�
भी �हफा�रश क�। अगर य� �हफा�रश लाग ूक� गग ईी तो लक क� े�य �रकलका
सम बनाया गया �ोगा,
यानी कापी�रयल �रकलका ॉवभाग क� तर� लक हाग� िजहे अाततः 1890 म�
सईाॉपत �कया गया ईा, जो
रा�ीय अ�भलेखागार का पवूावत� ईा।
अाततः ॉवपर�त दॉनकोर �� पबल र�ा, यानी य� ॉवचार �क क� े�य �रकलका
कायाालय क� जसरत
न��ा ईी और न �� खचड के मामले म� ये �कफायती ईा। अगसत 1861 म�
�रकलका कमेट� के अधय� ने
भारत हरकार को �लखा �क ह�म�त ने अपना मन ब्ल �्या �ै; य� उचच अ�
का�रयज के ॉवचारज म�
कयी �श�ईलता ईी �क वयय के बारे म� मआदा हबहे जया्ा म� वपरूा ईा। नग
नी�त �हफा�रश ने प येक
ॉवभाग के प ान कायाालय को बनाल रखने क� अनआम�त ्ेने के सवा�म व को
रेखाा�कत �कया ह�म�त
दारा पसताॉवत प�ले क� े�य नय�ूनम�ट सम के बजाय, ईोक म� और अपने
वतामान ककार म� �रकलका
शा�मल �कया �क। कह पकार लक म�ागे क� े�य हाग� का ॉवचार हसत ेॉवक्प
के प� म� तोछ �्या गया
ईा, हाबा� त ॉवभागज क� अ�भर�ा म� �रकलका क� िसई�त को बनाल रखा गया
ईा। (ग�् ॉवभाग, हावाज�नक
शाखा, �्हाबर 1872, हा. 647, परैा 1-6, लनलकग)।
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ग�् अ� का�रयज ने कह नग योजना को सवीकार �कया ले�कन उा�जने भॉवनय
म� क�त�ाहकारज क�
हेवा के �लल क� े�य �रकलका कायाालय क� कवशयकता के बारे म� अ� क
जागसकता �्खाग। राजय ह�चव
हर चा्हा वआक ने क� े�य �रकलका कायाालय के ॉवचार को तोछने के �लल
भारत हरकार के फैहले के जवाब
म� �लखा ईा: �त�ा�हक और पआरातन उदेशयज के �लल अ�भलेखज का हार�र
ब�आत म� वपरूा ईा। और
उा�जने कगे क�ा: �ालाा�क, शाय्, बा् के उदेशयज को क� े�य नय�ूनम�ट
सम के गठन दारा अ य� क
बढ़ावा �्या जालगा, मक परू� तर� हे, �रकलका तोछने के कपके �नराय को
सवीकार करता �ूा, िजा�� कग
कायाालयज म� हारर�त �कया जाना �ै, िजनके वे �क। (राजय ह�चव, हर
चा्हा वआक, गवनार जनरल कन
काउा �हल, हाखया 19, 12 फरवर� 1866, लनलकग)। सपन सप हे राजय ह�चव
ने �रकलका के क� े�य
हाग�सईान को पाई�मकता ्� �ोगी।
हा लगता �ै �क गवनार जनरल काउा �हल के अ� कााश ह्सय अ�भलेखागार पर
अ�त�र् वयय
के ॉवरध् ईे। उनम� हे कआ त, �नसहा् े�, अ�भलेखागार के मलू ॉवचार के
�लल अ य� क हमईान म� ईे।
व्ा ्र व्ा �रकलका �य �ो र�े �क; और जब तक कआ त उपायज को अपनाया
न��ा जाता �ै, कन उपायो को
लाग ूकरने म� ब�आत लाबा हमय लगेगा, य� �ो हकता �ै �क लक �निनकय
कयोग क� तर� र�रकलका
कमेट�, कभी-कभी कहे कयोग क�ा जाता �ै] उनके जााच के ॉव्यज को
उा�ोने खआ् �� हमाम कर �्या
�ै। (ल.्. �मू क� �्हाबर 1872, क� �टगपरी ग�् (हावाज�नक) 31 जआलाग,
1871 क� फाकल हाखया
647, पेज 10 पर, लनलकग)। कह पकार ल.्. �मू, बा् म� भारतीय रा�ीय
काागेह के हासईापक ह्सय
बने, वाकहराय काउा �हल म� अ�भलेखागार के हमईाक के रप म� कह दॉनकोर
का प�त�न� व �कया।
�ालाा�क, 1865 म� क� े�य नय�ूनम�ट सम क� योजना को यागने के �लल
उचचतम सतर पर �नराय �्या
गया ईा, चय�नत ्सतावेजज के पकाशन को मआ�ेत करने का लकमात ॉवक्प
खआला ईा।
य� हाभव �ै �क जनता के �लल खआले क� े�य �रकलका कायाालय के ॉवचार का
ॉवरो का�शक सप हे
राजनी�तक ॉवचार ारा्ा हे पे�रत ईा। मआनीम�ट सम के हवाल पर वाकहराय
काउा �हल के 'ग.ही.बी' क�
फाक�लाग म� वपरूा �ै। हर लकवका ृलाकव बेल� (1821- 1884) के ग�्
ह�चव (1862- 1872) के सप म�
उनका लक लाबा कायाकाल ईा और उा�जने ॉव्ेशी और राजनी�तक ॉवभाग म� भी
काम �कया ईा। उा�जने
शब्ज को कम न��ा �कया: क�खर� शताब्� के �रकलका भी �क जो जनता के
�लल खआले �ोने क� वज� हे
अहआॉव ा का कारर बन हकत े �क। (गबीक, 'ग.ही.बी.', 19 �्हाबर 1871
क� �टगपरी)। कगहीलह
अनआभवी, हर ॉव�लयम �ाटर के अलावा अाय �कही प् म� राजनी�तक उदेशय
कतना सपन न��ा �्खाग ्े
र�ा �ै। वे य� क�कर हातआन ईे �क जनता के �लल खआला �आक लक मआ�नम�ट
सम हे मलू �नवा�हयज को
लालगा िजा�ोने पेह के �लल काम �कया ईा, अगर �कही भी तर� हे मलू
�नवाही �त�ा�हक �रकलका म�
कोग �्लचसपी लेत े�क। भारत म�, व� 1871 म� भारत हरकार हे लक प् के
जवाब म� �लखत े�क, हे
क� े�य कायाालय र�रकल ाह का] का उपयोग करने के �लल िजनके पाह
काया�मता और हमय �ै हा कोग
जनहमआ� न��ा �ै ... िजनम� काफ� �मता के लेखक पाल जात े�क ... ले�कन
वे लक ब�आत तोटा �नकाय
-
7
बनात े�क, और उनक� प�तभा पेह या वतामान हा�� य के अाय सपज को
हमॉपात �क, उन बछ ेअनआहा ान
क� बजाय जो लक यरूोपीय कैॉपटल हबहवा म� लक राजय ्सतावेज कायाालय म�
�ै। ' (गबीक, कबल.ू कब्य.ू
�ाटर हे ल.पी. �लवेल, भारत हरकार, 17 नवाबर 1871, हाखया 649,
लनलकग)। य� यरूोपीय टागप के
क� े�य �रकलका कायाालय के भारत म� खआलने के �खलाफ �ाटर के तका का
लक ��सहा ईा; ्हूरा ��सहा य�
ईा �क भारतीय हरकार को यरूोपीय पटैना के क� े�य �रकलका कायाालय पर
पहैा खचा करने क� कवशयकता
न��ा �ै, िजह पर प�त व्ा तीह �जार पाउा क सट�ल�ग खचा �ोगा। �ाटर क�
राय �नराायक ईी ृयज�क लक
ॉवदान के सप म� उनक� प�त�ा ईी और उनक� राय य� ईी �क शो कताा् ा के
�लल क� े�य �रकलका
र�फह क� कवशयकता के �लल भारत ्ेश अभी ब�आत ॉपतछा ईा, और न �� भारत
कहके खचा का व�न
कर हकता ईा।
हाभाॉवत �ननक्ा: अ�भलेखीय नी�त के वकैि्पक मलकल
य�ाा हवद�र क� गग अव� म� अ�भलेखीय नी�त के हाबा म� ॉवकाह और
ॉवचार-ॉवमशा हे ृया
हाभाॉवत �ननक्ा �नकाले जा हकत े�ै? शाय् 1872 तक क� क�ानी को
�नननानआहार हमझाया जा हकता
�ै: भारत म� ���टश लक अ�भलेखीय नी�त ॉवक�हत कर र�े ई ेजो नी�तगत
सतर क� होच म� अात�ना��त
कआ त धआवीय ॉवरो� यज के बीच क गया ईी। वय�्गत नी�त �नमााता कन
अलग-अलग िसई�तयज को भी
अपना र�े ईे। नी�तगत सतर क� होच म� अात�ना��त वकैि्पक मलकल के बीच
धआवीयताला �नननानआहार ईीा:
(1) हबहे प�ले, 1860 के ्शक म� ्ो ॉवपर�त मलकल ईे - लक ॉवक� े�क्त
ॉवभागीय क ार पर
अ�भलेखीय हागठन का, जो �क क� े�क्त �रकलका र�फह या मआनीम�ट सम क�
अव ाररा के ॉवपर�त ईा।
(2) ्हूरा, भारत म� ���टश शाहन के ्सतावेज बनाने के काया के बारे
म� ्ो अलग-अलग ॉवचार ईे: लक
ॉवचार सईायी सप हे हआलभ अ�भलेखीय म� ्सतावेजज को कक ा करना और
हारर�त करना और कैल�कर
करना ईा, ्हूरा उपलब ्सतावेजज हे हाकलन पका�शत करना ईा और कह
दॉनकोर म� भावी शो के
�लल अ�भलेखीय हाग� बनाने के काया को कम पाई�मकता ्� गग ईी। (1) लक
और मआदा ईा: नौकरशा��
ॉवशे् ा� कार (यानी �हॉवल हेवा म� अागेज) के क ार पर अ� क्त
्सतावेजज तक प�आाच ही�मत करने क�
नी�त, और �त�ा�हक शो कताा्ा ह��त कचतआ क लोगज तक प�आाच क� कजाजत
्ेने के ॉवरो के बीच
चआनाव करना ईा। (4) परसपर ॉवरो ी नी�त ाररा्ा का चौईा �ेत
�ानमीमााहीय सतर पर �कया गया
ईा: अ�भलेखागार का उदेशय �त�ा�हक �ान का अ� ग�र, हार�र और पहार
करने का �ै, या य� उदेशय
कआ त जया्ा �� ही�मत �ै, जैहे पशाहन के हा न के सप म� ्सतावेज का
उपयोग करना? �न��ताईा हे कह
मआदे पर हवाल �ान और श�् के बीच का हाबा ईा।
कन वय�् वज क� पवॉ्� िजहे ल�रक सटोृह ने कठोर-उग हा ाजयवा्� क�ा
�ै, �ननन�ल�खत
का चयन करने क� ईी (क) क� े�य अ�भलेखागार के �बना ॉवभागीय
ॉवकेाे�करर (ख) चआ�न ा् ा पकाशन के
�लल और भावी पीढ़� के �लल �त�ा�हक अ�भलेखज को हारर�त करने का
हावाभौ�मक लज�का न��ा �ै (ग)
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8
नौकरशा�� के बा�र के शो कताा् ा ह��त, जनहामााय को अ�भलेखागार क�
प�आाच हे बा�र रखना �ै (घ)
और हमग नी�त के �लल जो औप�नवे�शक शाहन के �लल मआखय सप हे लक उपकरर
के सप म� हाग��त
करना �ै। �ालाा�क, जैहा �क �मने प�ले ्ेखा �ै, �मने िजह शआरकती चरर
म� अधययन �कया �ै, उहम�
ॉवपर�त दॉनकोर को परू� तर� हे अ�भलेखीय नी�त के ॉवचार-ॉवमशा म�
पसतआत न��ा �कया गया ईा।
1890 के बा् के चररज म� कन नी�त ॉवक्पज को सपन सप हे वय् �कया गया
ईा और नी�त बनाने
क� बोल�भा्ा अ� क सपन �ो गग ृयज�क औप�नवे�शक हरकार का अ�भलेखागार
नी�त के बारे म�
रा�वा्� दॉनकोर ॉवक�हत �आक �ै। कह �रपोटा के अगल� �कसत म� उन मआदज
को अ� क सपन करने क�
कशा करत े�क।
हबाहाची भटाचाया
-
9
हासक्�त अनआहा ान के �लल टैगोर रा�ीय फैलो�शप
(त� मा�हक �रपोटा के �लल टेनपलेट)
1. हासईान : रा�ीय अ�भलेखागार
2. टैगोर रा�ीय फैलो का नाम : हबाहाची भटाचाया
3. फैलो�शप कायाकाल : 4 जून 2012 हे 3 जून 2014 तक
4. अव� के �लल �रपोटा : �्हाबर 2012 हे जून 2013
5. त�-मा�हक �रपोटा : हाखया II
6. प�रयोजना शी्ाक : औप�नवे�शक अ�भलेखागार नी�त, 1858- 1947,
और भारत म� पारा�भक क आ�नक क�त�ाह लेखन
7. अव� के ्ौरान �कल गल अनआहा ान
काया पर हार�म �टगपरी : हालइन �टगपरी / �रपोटा के माधमम हे।
8. कायापराल� : कह �रपोटा के अनआलइनक -।। के माधयम हे
9. कोग न��ा, ृयज�क पकाशन केवल वतामान शो के बा् के चरर म� वयव�ाया
�ोगा।
10. उपयआा् के सप म�; फैलो�शप �नयमज म� �न ाा�रत हावाज�नक वयाखयान
का पाठ तयैार �ै और मकने
पवूा कीजी, लनलकग पोफेहर लम. �हन को �लखा ईा क� जब भी मआझे बआलाया
जालगा वयाखयान ्ेने
के �लल मनेै मेर� तयैार� ्शाायी �ै।
11. �ेत के काया पर �टगपरी : ऊपर म् 8 ्ेख�।
12. प�रयोजना क� मआखय ॉवशे् ताला / पग�त : हापरूा सप हे कालकम के
अनआहारन
क ी शताब्� 1872- 1 911 क� अव� कवर क� �ै
और ���टश शाहन के अा�तम 15 व्ड का पता
लगाना बाक� �ै
13. क�ठनाकयाा, य�् कोग �ो : लनलकग म� काया प�रिसई�तयाा अ�त उ क्न
�क।
-
10
14. अाय अका्�मक काया : रृहफोका य�ूनव�हाट� पेह ने 1920-1947
क�
अव� म� मेर� पााकआ �लॉप पआसतक को पकाशन के
�लल सवीकार कर �लया �ै। मकने 16 माचा 2013 को
हआभा् चाे बोह मेमो�रयल, कलक�ा म� वाॉ्ाक
वयाखयान �्या �ै। कगहीलचकर के सप म�
कायाालय के ॉवघटन के बा् मेरा उनके जनाल
का�कयन ��सटो�रकल �रवय ूको हापा�्त करना जार�
�ै।
फेलो/सकललर का �सता�र और �त�ई:
हासईान के पमआख क� �टगप�रयाा:
�सता�र और तार�ख:
-
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प�रयोजना: औप�नवे�शक अ�भलेखीय नी�त, 1858-1947, और
भारत म� पारा�भक क आ�नक क�त�ाह लेखन
हबाहाची भटाचाया, टैगोर नेशनल फेलो, रा�ीय अ�भलेखागार दारा
प�रयोजना काया, �्हाबर 2012 हे जून 2011 क� ्हूर� �रपोटा
हमी�ा ीन अव� (�्हाबर 2012 हे जून 2011) म� प�रयोजना के काया पर य�
�रपोटा �ननन�ल�खत
भागज म� शा�मल �ै: शआरकत म� लक कायाकार� हारााश के बा् अका्�मक भाग
कता �ै जो कीजी,
लनलकग को 12 �्हाबर, 2012 को पसतआत प�ल� �रपोटा के पटैना का पालन
करता �ै।
कायाकार� हारााश:
1858 हे 1872 के �लल लकत क� गग प�ले के �रपोटा कटेा म� पारा�भक ॉव
े्र के हाई कवर
�कया गया ईा। (तयैार हा् भा के �लल प�ल� �रपोटा हालइन �ै, अनआलइनक
हाखया 1) वतामान �रपोटा म� व्ा
1872 हे 1911 तक क� अव� शा�मल �क। य�ा य�� क�ना �ै �क परू� तर� हे
कालकम के अनआहार,
प�रयोजना म� अधययन के त�त अव� के प�ले 50 व्ड के �लल कटेा हाग�
परूा �ो चआका �ै, और अगले
लक हाल म� 15 हाल कवर �कया जाना बाक� �ै। कहके अलावा, �््ल� म�
लनलकग म� उपलब काकछज
के अलावा, कलक�ा म� अ�भलेखागार के काकछज क� खोज क� गग �ै; उ�रा ाृ
कह �रपोटा म� कायापराल� पर
हालइन �टगपरी म� बताल गल काररज के �लल कलक�ा हे नग �््ल� तक राज
ानी के सईानाातरर हे
प�ले क� अव� पाहा�गक �ै (अनआलइनक II), जून 2011 म� लक व्ा के परूा
�ोने पर मकने कीजी, लनलकग,
कल �हन को लनलकग म� हावाज�नक वयाखयान ्ेने के �लल मेर� तयैार� का
हाकेत ्ेत े�आल �लखा �ै;
वयाखयान का पाठ तयैार �ै और लनलकग �कही भी उ�चत हमय पर वयाखयान
्ेने के �लल मआझे बआला
हकता �ै। कह �रपोटा का अका्�मक ��सहा �ननन�ल�खत �ब ा् आ् ा को
हाबो� त करता �ै। कह प�रयोजना
क� प�ल� �रपोटा ने प�ले चरर, व्ा 1858- 1872 का अधययन �कया और
वतामान �रपोटा म� ्ो बा् के
चररज, व्ा 1872 - 1891 और व्ा 1891 - 1911 का अधययन �कया गया �ै।
व्ा 1872 के चरर म�
शा�� �रकल ाह ॉवभाग के गठन के �लल, 1891 - कज के रा�ीय अ�भलेखागार
के पवूावत�- धयान म� रखने
के �लल मआखय �ब ा् आ �ै (क) 1872 म� �रकलका कमेट� को हमाम करने के
बा् अ�भलेखीय नी�त बनाने म�
अ�नि�तता (ख) 1889-91 म� कापी�रयल �रकल ाह ॉवभाग शआस करने का
�नराय, (ग) ���टश भारतीय
हरकार के उदेशय अ�भलेखागार के गठन क� ्र अगहर �आल। अगले चरर म�,
1891 हे 1911 म�
कलक�ा हे नग �््ल� तक राज ानी के सईानाातरर के �लल, नी�तगत रझान
�क: (क) सईायी सप हे
�नयोिजत अ� कार� को �रकलका के पभार� के रप म� रखने के �लल, अाततः
�रकल ाह क�पर के सप म�
ना�मत �कल गल; (ख) नल ग�ठत �रकलका ॉवभाग के �लल लक अ�भलेखागार
कायाकम का गठन (ग)
अ�भलेखागार के अागेजी मलकल का पभाव, (घ) मलू भारतीय तातज, शो कताा्
ा और जनता को कम तौर
पर हरकार� अ�भलेखज तक प�आाचने म� असवीकार करने क� नी�त।
-
12
चरर II : 1872- 1891
1872 और 1891 के बीच के व्ड म� कापी�रयल �रकलका र�फह के क�त�ाह के
्हूरे चरर का
गठन �आक। व्ा 1891 को कह चरर का अात माना जा हकता ईा, जब
अ�भलेखागार के ॉवकाह के �लल
लक �नराायक मोछ �्या गया ईा- कापी�रयल �रकलका ॉवभाग के प�ले पमआख
क� �नयआ�् क� गग ईी। व्ा
1872- 1891 म� मआखय नी�तगत रझान �नननानआहार ईे:
नी�त बनाने म� अ�नि�तता क� अव� ;
(1) 1870 के ्शक और 1880 के ्शक म� भारत हरकार ने अपनी अ�भलेखीय
नी�त के बारे म�
अ�नि�तता क� कह अव� के ्ौरान �नराश �कया। उह अ�नि�तता का मआखय कारर
1891 तक
क� े�क्त �रकलका ॉवभाग या 'मआनीम�ट सम' शआस करने के हाबा म� �नराय
लेने म� ॉवफलता ईी। कहका
ॉवक्प ॉव�भान ॉवभाग जैहे ॉव्ेशी ॉवभाग, हाैय ॉवभाग, लोक �नमाार
ॉवभाग, ॉव� और वा�रजय
ॉवभाग क या�् म� �रकलका रखने के ॉवकेाे�क्त पराल� को बनाल रखना ईा,
हाई �� हमय-हमय पर
�नयोिजत �श�ा हेवा या शौ�कया ���टश क�त�ाहकारज हे भत� �कल गल
हापा्कज क� ह�ायता हे �रकलका
हे हाकलनज को पका�शत करने क� नी�त ईी। कहके बा् क� योजना का लकमात
प�रराम जे. टैलबलय
व��लर दारा अल� �रकल ाह रफ ���टश का�कया (ला् न, 1878) शी्ाक के
त�त ्सतावेेज के हाकलन का
पकाशन ईा िजहे मेाह पेहीक�ही क� श�ै�रक हेवा हे प�त�नयआ�् क ार पर
कलक�ा लाया गया ईा।
व��लर का मानना ईा �क पशाह�नक अ�भलेखज के ॉवसतीराता म� �त�ा�हक ��त
न��ा ईा और कह�लल,
उन कआ त �रकलकड म� हे हाकलन का पकाशन हाईाक न��ा ईा; उहे हरकार
दारा �रकलका के कगे के
पकाशन को रोक �्या गया। व� ॉवचार राजय ह�चव क� पवूा हला� के
हाई-हाई 1872 म� वाकहरलय
नलईा�आक के अ ीन भारत हरकार के �नराय के �खलाफ ईा। (भारत हरकार के
राजय ह�चव हे पे्र,
हाखया 95, 11 �्हाबर, 1872)। पकाशन पर लगाग गयी रोक 1887 म� राजय
ह�चव ललका कलह के धयान
म� कग और उा�जने �रकलका के पकाशन के हाबा म� हरकार को हला� ्ेने के
�लल काइलकक म� लक ह�म�त
�नयआ् क�; ह�म�त ने हला� ्� �क काइलकक के हावाज�नक �रकलका कायाालय
के परापरा का पालन भारत
हरकार दारा राजय ्सतावेजो के हाबा म� �कया जाना चा��ल। (राजय ह�चव
हे भारत हरकार के �लल
पे्र, हाखया 10, 11 मग 1888)। कह बीच फरवर� 1888 म� वाकहराय कफर�न
के अ ीन भारत हरकार
ने �रकलका पकाशन योजना के पआनर ईान का ॉवरो �कया। कह हायआ् प�ल का
नतीजा ला् न, कलक�ा,
बलनबे और मेाह म� �रकलका क� पेह ह�ूचयाा तयैार करने और उहके बा्
्सतावेजज के कैल�कर शआस करने
क� योजना ईी। य�� व� हमय �ै ज�ाा मामला 1888 म� ठ�र हा गया ईा।
नी�त ॉवक्प और 1891 म� �नराय
(2) ्रू्�शाता म� जब �म कह अव� पर ॉपते ्ेखत े�क तो य� सपन �ोता �ै
�क कह ॉवचार म� लक
झूठा �दभाजन ईा �क �लिसटाग और कैल�क�राग और अ�भलेखज का पकाशन
नय�ूनम�ट कायाालय या क� े�य
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13
�रकलका कायाालय के �नमाार का लक ॉवक्प ईा। �लिसटाग और कैल�क�राग का
काया करने �ेतआ बार-बार
राजय ह�चव (और उनके हला�कार, काइलकक म� मासटर रफ रो्ह) दारा अनआरो
�कया गया ईा और
भारत हरकार दारा सवीकार �कया गया ईा, ले�कन ब�आत कम काया �कया गया
ईा ृयज�क उन कायड को
परूा करने के �लल क� े�य �रकलका कायाालय क� तर� कोग लज�ही न��ा ईी।
�ालाा�क, 1889 तक कह तथय
को बे�तर नी�त �नमााता्ा जैहे राजय ह�चव और वाकहराय और उनक� प�र््
म� उचच रक�का ग �हॉवल
हवााट दारा न��ा माना गया ईा। 1989 म� लगभग हायोग हे भारत हरकार ने
लक हे वय�् क�
प�चान क� िजह पर क� े�य �रकलका कायाालय का नेत ्व करने के �लल या
कहक� ्र अगहर �ोने वाल�
प�कया शआस करने के �लल भरोहा �कया जा हकता �ै। कह पकार �न ाा�रत
�कल गल वय�् जी. कब्य.ू
फोरेसट ई,े जो भॉवनय म� कापी�रयल �रकलका र�फह के पमआख �ोने वाले
ई;े कारावाग क� कह �्शा का
अनक�ा क ार हर ॉव�लयम �ाटर दारा अनआशा�हत नी�त को यागना ईा और क�
े�य �रकलका सम क�
सईापना हे बचने के �लल 1872 म� वाकहराय नलईा�आक क� हरकार दारा
सवीकार �कया गया। फोरेसट
बलनबे लजआकेशनल हॉवाह म� लक सकूल �श�क ईे िजा�जने 1885 म� बलनबे
हरकार के ्सतावेजज के
हाकलन के बा् प�त�ा �ा�हल क� ईी। 1888 म� उा�� बलनबे हरकार ने उनके
�रकलका को उ�चत कम म�
रखने के �लल �नयआ् �कया ईा जो लापरवा�� के कारर लक अवयविसईत िसई�त
म� ईा। 1889 म� बलनबे
हरकार ने नल �रकलका र�फह म� हरकार� �रकलका क� वयवसईा और वग�करर म�
रफोरेसट दारा] �आग
पग�त के मू् यााकन को �रकलका करने का हाक्प �कया। (बलनबे हरकार
हाक्प हाखया 4964, 10 नवाबर
1889, हामााय ॉवभाग, भारत हरकार म�, हावाज�नक, माचा 1891, हाखया
24- 42)। बलनबे पेहीक�ही म� लक
अ ीनसई हरकार दारा नल �रकलका र�फह के �नमाार के हाई-हाई राजय ह�चव
ललका कलह के ्बाव का
जवाब ्ेने क� त काल कवशयकता के कारर हाभवतः भारत हरकार को अपने
सवया के क� े�य �रकलका
र�फह सईाॉपत करने का �न द्शन �कया। फोरेसट, 45 व्ा का अपे�ाक्त
यआवा वय�् (और 750 रपये -
1000 रपये के �ननन गेक म� लक �श�क) को भारतीय हरकार दारा ॉव्ेशी
ॉवभाग के �रकलका को उ�चत
कम म� वयविसईत करने के �लल �नयआ् �कया गया ईा, िजहे बा् म� हबहे म�
वपरूा ॉवभाग माना गया
ईा। उनका काम हातो्जनक पाया गया ईा और भारत हरकार उनके वा्े हे
पभाॉवत ईी �क, य�् उा��
कायाालय और भवन �्या जालगा तो व� भारत हरकार का लक �रकलका र�फह
बनालागे जो यरूोप म�
�कही भी �रकलका र�फह के हाई रकक म� बराबर� करेगा। (ग�्, हावाज�नक,
माचा 1891, हाखया 24-42, प�्
16)। कहके बा् भारत हरकार ने राजय ह�चव को भेजे गल पे्र म� कह तर�
के क� े�य �रकलका
कायाालय क� कवशयकता पर बल �्या, "�रकलका क� ॉवसतीराता पर धयान
ककॉ्ात �कया, िजा�� [हाबा� त
ॉवभागज म�] उ्ाहीनता हे रखा गया �ो िजा�� शाय् �� कभी परामशा �्या
जाता �ै और जो कह
जलवायआ म� नमी और क�छज के हापका मे कने के प�ररामसवसप, तजेी हे �य
अ ीन क� हमसया �क जब
तक ठ�क हे हारर�त न��ा �कल जात े �ै। (गबीक, प�् 98)। नतीजतन, राजय
ह�चव ललका कलह ने भारत
हरकार के �रकल ाह के पभार� अ� कार� प् के �नमाार को माजूर� ्े ्�
और जी.कब्य.ू फलरेसट कह
पकार माचा 1891 म� भारत हरकार के �रकलका र�फह के हासईापक पमआख
बने।
-
14
अ�भलेखीय �रकलका क� उपयो�गता: हरकार के उदशेय
(1) जब तक �म हरकार के लज�का या उदेशयज पर ॉवचार न��ा करत े�क तब
तक अ�भलेखीय नी�त क�
कोग चचाा परू� न��ा �ो हकती �ै। ॉपतले पवूा �नरायज के क ार पर
नी�तयाा और कायापराल�यज का
�नमाार करने क� हरकार को अृहर जसरत म�हआह �ोती �ै, कहके कारर
पआराने �रकलका हरकार के �लल
मू् यवान ईे। पताचार हे य� ्ेखना �्लचसप �ै �क �नचले सतर पर पशाहक
अपने ॉवभागज म�
�त�ा�हक �रकलका के क� ृय हे कह पर काया करने के �लल अ ीर ई,े (ग�्न
हावाज�नक, अृटूबर
1899, हाखया 227-28), कनम� शी्ा पर नी�त �नमााता, उ्ा. वाकहराय
काउा �हल के ह�चव, पआराने �रकलका पर
काया करने के �लल कचतआ क ईे। बा् म� 1889 म� राजय के ह�चव को उनके
पे्र म� �लखा गया ईा:
पआराने �रकलका को लक िसई�त िजहम� वे हमय के ॉवधवाह का प�तरो कर हकत
े�क, और वतामान मामलज
क� चचाा म� हा् भा के �लल अपनी हामगी उपलब कराने के �लल रखा जाना
चा��ल। (ग�्, पिबलक, माचा
1891, हाखया 24 - 42, प�् 98; पभाव हे जोछा गया)। नौकरशा�ज दारा
अृहर पतेू जाने वाले प्, ॉव्ेश
ॉवभाग के उनके �रकलका ई ेृयज�क अफगा�नसतान हे म�रपआर और कशमीर हे
तावरकोर तक हकैछज मलू
�रयाहतज और हर्ारज के हाई हाबा ज को कग हमझौतज और पोटोकलल दारा
�नया�तत �कया गया ईा, जो
18 वीा शताब्� म� गसट का�कया का पनी के �रकलका म� वापह चला गया।
कहके अलावा ���टश भारत के
हीमावत� पछोही राजयज के हाई हाबा हमझौत े के अनआहार �न ाा�रत �कल
गल ईे। (य�ाा तक �क
सवतातता पा�म के बा् के हमय म� भी भारत हरकार को कन हाग��त कटेा को
मकैमो�न लाकन के
कमने-हामने, या ��मालय पर या उहहे बा�र के राजयज के हाई भारत के
हाबा ज म� अपनी िसई�त क�
र�ा करने क� दनी हे कहका मआ�ायना करत े्ेखा गया �ै)।
्हूरे सईान म�, ग�् ॉवभाग म� य� ्सतावेज कात�रक पशाहन के हाबा म�
पवूा �नराय और
हमझौता के �लल लक म� वपरूा ोत ईे। उ�र पि�मी हीमावत� पाात म�
क�्वाही हम�ूज के हाई कैहे
पेश कल? सईानीय कआ ल�न और जमीा्ार कौन ई?े अतीत म� उ्ा�रर के �लल
1857 के ॉवेो� के ्ौरान
जो अागेजज के �लल ॉव�हनीय ह�योगी ईे,? ���टश भारतीय हेना के �लल
जातीय हम�ू कौन हे
ईे?अतीत म� खतरनाक रा�वा्� का् ोलक या हम�ू कौन हे ई?े कन हवालज को
�रकलका के हा् भा म�
हआलझाया गया ईा। कआ त अाय मामलज म� भी पशाहकज दारा �रकलका हे
परामशा �लया गया ईा। कह
कवशयकता का हबहे जबर्सत उ्ा�रर सईायी �नपटारे के बा�र के �ेतज म�
भ�ूम राजसव मााग का
कव� क मू् यााकन ईा; राजसव मााग म� वॉ्ृ के �लल उ पा्न म� वॉ्ृ का
ककलन करने के �लल फहल
काटने या 'काखो हे �कया गया- पाृकलन काया ' क�् जैहे अाय हा न ई,े
ले�कन कम तौर पर अागठेू
का �नयम य� पता लगाने के �लल �कया गया ईा �क 20 हे 10 हाल प�ले
ॉपतले राजसव �नपटारे के
हाचालन म� मू् यााकन ृया ईा, और कहे लक �नि�त प�तशत तक जैक करने के
�लल �कया गया ईा।
कह पकार िजला कलेृटर को पआरानी राजसव �नपटारे के अ�भलेखज तक
प�आाचना लक अ�नवाया कवशयकता
ईी। (बीलच बाकने-पलवेल, ् लकक �हसटम रफ ���टश का�कया, रृहफोका,
1892, वल्यमू I -III; पआनमआाे र
-
15
1972)। कहके अलावा, य� राजसव, वा�रजय, जनहाखया, �श�ा क या�् के
�रकलका और काकछो के अनआर�र
के �लल लक व ैा�नक ्ा�य व ईा। चूा�क काउन पशाहन ने 1858 म� गसट
का�कया का पनी पर कबजा कर
�लया ईा, कह�लल ���टश हाह् म� भारत हरकार को न�ैतक और भौ�तक पग�त
पर हमय-हमय पर
�रपोटा जमा करना अपेर�त ईा, िजहम� �रकलका हे लक�तत कन काकछज को
शा�मल �कया गया ईा।
उपयआा् कारर जो वयाव�ा�रक ई,े के अलावा , अ�भलेखागार के हाभा्र म�
वचैा�रक त व भी ईे।
पवूा �नरायज का हनमान ���टशज क� राजनी�तक हासक्�त क� लक म� वपरूा
ॉवशे् ता ईी। ॉव�भान
पशाह�नक मामलज पर कारावाग के ॉपतले �रकलका के कवशयक हा् भा, पवूा
�नरायज और हमझौत े पर
अपेर�त कारावाग करने के क ार पर �� उनक� होचने क� पवॉ्� का अ� �ान
�कया गया ईा। ्हूरा,
क�त�ाह म� अपनी जग� हआरर�त करने क� कचता और भावी पीढ़� के प�तकूल
फैहले लेने हे खआ् को
बचाने क� कचता म� लक और ॉवचार ारा मक त व ईा। कह �त�ा�हक चेतना को
औप�नवे�शक
क�त�ाहलेखन- ���टश भारत का क�त�ाह जेनह �मल के बा् मौनसटआकटा लि्फा
सटन, जे.ट�.�ेलर, अ्सेक
लाकल और अाय के काय� दारा कगे बढ़ाया गया ईा। हर लच.लच �रसले के
�टगपरी म� �म प�ले ��
���टश शाहन क� रा�वा्� कलोचना के बारे म� जागसकता ्ेखत े�क: उ्ा�रर
के �लल व� लक पमआख
रा�वा्� पतकार लन. लन. घो् के �त�ा�हक काया को हा् �भात करत े�ै
िजा�जने नब�कहेन (नवक्नर)
् ्�वान रफ लाका ृलाकव, पर लक पआसतक म� कआ त पका�शत हरकार� �रकलका
का कसतमेाल �कया;
कह�लल �रसले ने अ�भलेखागार म� �नयम क� अ�भला्ा क� �ै जो बेगमान
तातज को �रकलका के उन
��सहज को चआनने और पका�शत करने हे रोक ्ेगा जो उनके दॉनकोर के प�
म� क�त े�क । (21 जून
1904, लच. लच. �रसले क� �टगपरी, �ोम, पिबलक, �हताबर, 1904, हाखया
98, प�् 12)। कहम� कोग हा् े�
न��ा �ो हकता �ै �क ललका केान जैहे उचच सतर पर नी�त �नमााता, िजहका
�रसले ने कापी�रयल �रकलका म�
बे�् �्लचसपी के सप म� उ्लेख �कया �ै, कह दॉनकोर को हाझा �कया �ै।
कन हभी काररज हे य�
नी�तगत-सतर क� होच के �लल अ�भलेखज का उ�चत हाग�र म� वपरूा �ै और
य�� कारर �ै �क ���टश
राजयकताा् ा ने भारत हरकार को लक म�ान हा ाजय के �लल अ�भलेखीत करने
का उपयआ् तर�का खआ्
को लाग ूकरने का कग बार कग� �कया �ै। हर चा्हा वआक हे ललका कलह तक
राजय ह�चवज क� लक
श्ाखला ने उह उदेशय के गाभीरता और म� व क� भारत हरकार को या्
�्लायी; शाय् वे उहके म� व
के बारे म� अ� क जागरक ईे ृयज�क वे हाह् और कै�बनेट के ह्सय के सप
म�, भारत हरकार म�
औहत नौकरशा�ज के ॉवपर�त राजनी�तक वय�् ईे।
चरर III : 1891-1911
कापी�रयल �रकल ाह ॉवभाग क� सईापना माचा 1891 म� �आग ईी और 1911 म�
�््ल� म� राज ानी के
सईानाातरर के हाई लक यआग हमाम �ो गया ईा। चरर 1891-1904 म� नव
�न�मात कापी�रयल �रकल ाह
-
16
ॉवभाग म� ॉवभाग के पमआख प�तॉ�त अ� का�रयज क� लक श्ाखला ईी: ॉवभाग
के हासईापक जी. कबल.ू
फोरेसट, 1891 -1900 म�; �हराजआद्ला� और गलाही क� लछाग क� अव� का लक
प�तॉ�त क�त�ाहकार,
लह. ही. ��ल 1900 - 1902 म�; और 1902 -1904 म� गसट का�कया का पनी
के पआराताि वक क�त�ाहकार
ही.कर. ॉव्हन। ॉव्हन प�तॉ�त क�त�ाहकार ई ेऔर उा�जने ् लन्ह रफ ्
कािइलश कन बागाल के
�रकलकड का वयापक सप हे पढ़ा गया हाकलन पका�शत �कया। उनके बा् हार�म
अव� के �लल लक
अ� कार� लन.लल. �ललवका, 1904 - 1905 म�, और 1905 - 14 म� लक प�हृ
फारही ॉवशे् � ग. क�ेनह
रलह �नयआ् �कल गल। यदॉप य� चरर 1911 म� कलक�ा हे �््ल� तक राज ानी
के सईानाातरर के
हाई ख म �ो गया, कलक�ा हे �रकलका के वासतॉवक पआन: सईानापान करने म�
काफ� हमय लगा, ृयज�क
ृवीाह वे (जन पई) पर कमारत के �नमाार क� पती�ा क� गग ईी, �नमाार
काया 1926 म� परूा �ो गया
ईा।
�रकलका ॉवभाग के पमआख का प्नाम:
ॉवभाग के पमआख को मलू सप हे 1891 म� '�रकल ाह के पभार� अ� कार� '
क�ा जाता ईा और
�म हमकाल�न फाकलज म� ्ेख हकत े�क और उा�� '्कर' के सप म� हा् �भात
�कया गया �क। (उ्ा�रर
के �लल ग�् (हावाज�नक) म� 1896 के लगभग 50 �ापनज का लक हेट, अृटूबर
1899, हा. 227 - 228)।
ही.कर. ॉव्हन ने केवल लक ह�ायक ह�चव के बराबर रकक म� उह प् पर अ�
भार ग�र कर �लया
ईा। 1904 म� उा�जने ग�् ॉवभाग के ह�चव को लक क� का�रक नोट म� �लखा
ईा: हा लगता �ै �क
भारत हरकार के �रकल ाह के पभार� अ� कार� शी्ाक ब�आत लाबा और बो�झल
�ै ... शी. फोरेसट खआ् को
'कापी�रयल �रकल ाह के �न्ेशक' या कह तर� का कआ त क�त ेईे ... मआझे
हा लगता �ै �क य� अईा��न
�ै। मक कैहे �रकलका �न द्�शत कर हकता �ँू? �रकलका �न द्शज का ृया
मतलब �ै? 'कापी�रयल क�का ॉवसट'
काफ� तोटा �ै ले�कन शब् अजीब और ॉव्ेशी लगता �ै।शाय् हबहे अचता
�खताब 'क�पर रफ
कापी�रयल ककााकवह ' �ोगा..... मकने हरकार का कह �ब ा् आ पर
धयानाकॉ्ात �कया �ै, और वे कआ त तोटे और
हाभाॉवत शी्ाक के बारे म� होच�गे। (कापी�रयल �रकलका र�फह पर ही.कर.
ॉव्हन �टगपरी, 21.5.1904,
�ोम, पिबलक �ााच, �हताबर 1904, हाखया 98)। हरकार ने �कया और 1944
तक प्नाम 'क�पर रफ
�रकल ाह ' के सप म� जाना जाने लगा। (1944 म� उा�� �न्ेशक
अ�भलेखागार के सप म� �फर हे ना�मत
�कया गया, य� तब �आक जब प�हृ क�त�ाहकार कल हआर�े नाई हेन कह
कायाालय म� ईे। 10 अगसत
1947 को ॉवभाग को �फर हे रा�ीय अ�भलेखागार का नाम �्या गया)।
1891 म� �रकलका ॉवभाग क� सईापना व्ड म� म� वपरूा ॉवकाह और नी�तगत
रझान �नननानआहार ईे:
�रकलका ॉवभाग का कायाकम:
(1) ॉवभाग के प�ले पमआख जी.कब्य.ूफलरेसट ने जी्कग को पआराने
्सतावेजज क� अनआहचूी और पेह
ह�ूचयज को तयैार करने के �लल लक कायाकम पसतआत �कया। और अनआमो्न
पा�म पर 'कायावा�� वल्यमू'
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17
और 'मलू हाग�' पर काया शआस �आक। 1 जून 1897 के अपने पे्र म� भारत
के राजय ह�चव ने �न द्श
�्या �क पेह हचूी भारत म� तयैार क� जानी चा��ल, ्सतावेजज के कैल�कर
काइलकक म� तयैार �कल जाने ई;े
कहके अ�त�र्, भारत हरकार कभी-कभी अ�भलेखज के क ार पर क� का�रक
पकाशनज के हाकलन को
माजूर� ्े हकती �ै । (�ोम, पिबलक, अृटूबर 1896, हाखया 200 - 08;
अपलै 1897, हाखया 220 - 28)।
चूा�क क�ठनाकयज का हामना करना पछा ईा, काइलकक म� कैल�क�राग काया
तोछ �्या गया ईा और 1901 हे
कापी�रयल �रकलका ॉवभाग म� भारत म� कैल�क�राग काया शआस �कया गया ईा।
(�ोम पिबलक, अपलै 1901,
हाखया 47-48; 25 मग 1904 क� कर. नलईन क� �टगपरी, �ोम, पिबलक,
�हताबर 1904, हाखया 98)।
अागेजी मलकल
(2) कआ ल �मलाकर हे अागेजी मलकल और प�कया्ा को ्ेखन