भाग 1 साधारणम् अयाय 2 �वग �तपित करण लोक (1)- शतायुव� पुष� �वभय कालमयोयानुबं परपरयानुपघातकं �वग सेवेत।। अथ - शांत जीवन �बताने वाला मनुय अपने पूरे जीवन को आम� म� बांटकर धम , अथ , काम इन तीन� का उपयोग इस कार से कर� �क यह तीन� एक-दूसरे से संबं�धत भी रहे तथा आपस म� �वनकार� भी न हो। मनुय क� उ 100 साल क� �नधा�रत क� गई है। अपने इस पूरे जीवन को सुखी और सह� प से चलाने के �लए मचय , गृहथ, वानथ और सयास नाम के चार भाग� म� बांटकर धम , अथ और काम का साधन, संपादन इस कार से करना चा�हए �क धम ,अथ , काम म� आपस म� �वरोध का आभास न हो तथा वे एक-दूसरे के पूरक बनकर मो�ाित के साधन बन सक�। इस संसार के सभी मनुय लंबे जीवन, आदर, �ान, काम, याय, और मो� क� इछा रखते ह�। �सफ वेद� क� �श�ा ह� ऐसी है �क जो मनुय� के लंबे जीवन क� सु�वधा के िटगत सभी यितय� को इन इछाओं म� �ववेक पैदा कराके और बराबर अ�धकार �दलाकर सबको मो� क� ओर असर करती है। आचाय वायायन न� शतायुव� पुष �लखकर इस बात को साफ �कया है �क कामसू का मकसद मनुय को काम-वासनाओं क� आग म� जलाकर रोगी और कम आयु का बनाना नह�ं बिक �नरोगी और �ववेक� बनाकर 100 साल तक क� पूर� उ ात करना है। लंबी िजंदगी जीने के �लए सबसे पहला तर�का सािवक भोजन को माना गया है। सािवक भोजन म� घी, फल, फूल, दूध, दह� आ�द को शा�मल �कया जाता है। अगर कोई मनुय अपने रोजाना के भोजन म� इन चीज� को शा�मल करता है तो वह हमेशा वथ और लंबा जीवन �बता सकता है। सािवक भोजन के बाद मनुय को लंबी िजंदगी जीने के �लए पानी, हवा और शार��रक प�रम भी मतवपूण भू�मका �नभाते है। रोजाना सुबह उठकर ताजी हवा म� घूमना बहुत लाभकार� रहता है। इसके साथ ह� खुले और अछे माहौल म� रहने और शार��रक मेहनत करते रहने से भी वथ और लंबी िजंदगी को िजय़ा जा सकता है। इसके बाद लंबी िजंदगी जीने के �लए थान आता है �दमाग को हरदम तनाव से मुत रखने का। बहुत से लोग होते ह� जो अपनी पूर� िजंदगी �चंता म� ह� घुलकर �बता देते ह�। �चंता और �चता म� �सफ एक �बंदू का ह� फक होता है ले�कन इनम� भी �चंता को ह� �चता से बड़ा माना गया है। य��क �चता तो �सफ मरे हुए इंसान� को जलाती है ले�कन �चंता तो जीते जी इंसान को रोजाना जलाती रहती है। इस�लए अपने आपको िजतना हो सके �चंता मुत रख� तो िजंदगी को काफ� लंबे समय तक िजया जा सकता है। इसके बाद लंबी िजंदगी जीने के �लए मचय का पालन करना भी बहुत जर� होता है। योगशा के अनुसार मचय �तठायां वीयलाभः अथात मचय का पालन करके ह� वीय को बढ़ाया जा सकता है और वीय� बाहुबलम्