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जो सधारय हरयजन जजसभ रहीॊ। दसर दख दोष बफभर जस दहीॊ।।
खरउ कयहह बर ऩाइ ससॊग। सभटइन भसरन सबाउ अबॊग।।
िॊिाय भ कछ ऐि ऩाखणडी-दषट बी ह, जो िनतो का रि फनाकय िीध-िाद रागो को ठगन का काभ कयत ह। ऐि रोग रसिाबषण औय वमरहाय ि भहान िनत भारभ होत ह, रककन ऐि रोग भख ऩय दधरार परष क घड क िभान(ववष कॊ बॊ ऩमो भखभ) होत ह। धभव को वमाऩाय फनाकय िाभानम रोगो को ठगना औय अऩना सराथव सिदध कयना ही इनका काभ होता ह। ऐि ऩाखणडी रोग बी रि क परबार ि िभाज भ ऩज जात ह औय रोग इनकी धचकनी-चऩडी फातो भ आकय ऩथभरषट हो जात ह। ऐि रोग की चाराकी अधधक हदन नहीॊ चरती ह। एक न एक हदन उनका बद खर जाता ह, तफ र िभाज भ नतयसकत होत ह। गोसराभीजी सरखा ह कक कारनभी, यारण औय याह का बी कऩट िदा न चर िका। उनक अतमाचाय का बी अनत हआ।
रखख सवष जग फॊजक जऊ। फष परताऩ ऩजजअहहॊ तऊ।।
उघयहहॊ अॊत न होइ तनफाह। कारनसभ जजसभ यावन याह।।
गोसराभीजी न कारनभी की कथा का रणवन भानि क रॊका काॊड भ ककमा ह। रह िॊजीरनी फटी रान जा यह हनभान क भागव भ फाधक फनन रारा यारण क दराया बजा गमा भामारी यािि था। हनभानजी न उिका कऩट ऩहचाना औय उि भतमदणड सभरा। रॊका का याजा कऩटी यारण न िाध का रि फनाकय िीता का हयण ककमा। अनत भ उिका रह कऩट ही उिकी भतम का कायण फना।
जीरन कमा ह ? कपरता ही तो ह। कबी इिभ िख-दख का सभधशरत रऩ झरकता ह तो कबी िभम यहत कछ छट जाए तो छट का अहिाि बी कपरता भ इि तयह एकाकीऩन का िफफ फन जाता ह कक कपरता िाॊि की तयह ऩय ियीय भ िॊजीरनी का कामव कयन रगती ह। हभ जिा फोरत ह रिा ही सरख तो िामद असबवमककत की िफि फडी िभसमा का हर उिी रकत हो जाता ह। कपरता भ िॊरदनाओॊ को पऩयोना ही कपर का भर काभ नहीॊ होता, फसरक िच कहा जाए तो तकफॊदी कयत हए राकमाॊिो का िजन कय कछ ऩॊककतमाॉ रोकहहत क नाभ कय दना बी कपरता होती ह। छॊद औय रम को दयककनाय कयत हए कपरता नहीॊ फन िकती औय महद फनती बी ह तो रह जनभत ही कार क गार भ िभा जाएगी। आज जो कहठन रगता ह उि कोइव कयना नहीॊ चाहता। आज मही कपरताइव भ हो यहा ह। छॊदोफदध यचना कयना कोइव नहीॊ चाहता, कमोकक इिभ िभम तो रगता ही ह, िाथ ही रगता ह, जो हभ कहना चाह यह ह रह कहीॊ छट तो नहीॊ जा यहा। आज कपरता क नाभ जो बी सरखा जा यहा ह, महद सरखन रार ि ही ऩछा जाए कक र कावम परधा क दराया अऩन हहॊदी िाहहतम को कमा द यह ह, तो ऩछन रार की खय नहीॊ। जो दख, जो बोग औय जो भहिि ककए, कमा उि अऩन कावम भ बय ? आज बर ही सरखन-ऩढनरारो की जभात फडी हो गइव हो ऩय कपरताइव ऩय िॊबरकय करभ चरान रारो की तदाद फहत कभ ह। हाॉ, इधय क रषो भ लजि परकाय की कपरताएॊ यची जा यही ह, उि आभ ऩाठक ऩढना नहीॊ चाहता। इिका भतरफ कहीॊ मह तो नहीॊ कक जो सरखा जा यहा ह, दयअिर रह कपरता ह ही नहीॊ। महद कपरता भ यि का िॊचाय ही न हो, तो बरा रह कपरता कि हो िकती ह ? भानता हॉ, आज एक रषव भ दोह, गीत, नरगीत आहद उतन नहीॊ सरख जा यह लजतनी कक छॊदभकत कपरताएॊ एक हदन भ सरखी जा यही ह। दखन ि रगता ह कक हभ कपरता की खती नहीॊ कय यह ह फसरक हभ िबदो क अॊफाय बफछा यह ह। फहयहार, जो कछ बी हो रककन हभ उि जभात क होत जा यह ह लजनहोन हदमा हभिा कभ ह औय चचाव भ िफि जमादा यह ह। जया इन ऩॊककतमो ऩय धमान द तो फात औय सऩषट हो जाएॊगी - हभ उि जभात क हलजनहोन हदमा हभिा कभ हिच कह तोठीक खन-ऩिीन क काभ िहभाया रासता नहीॊ यहाअचछ-अचछ िबदो क भाधमभ िहभन िबद कभाम ह सिकक।
फात ह कक रखकोकपरमो की एक फडी शरॊखरा न बी छामारादोततय मग क इि अपरनतभ औय अगरगणम कपर का िौराॉ जनभहदन बी नहीॊ भनामा। िफक िफ हदन-परनतहदन सर की रडाइव भ अऩन धयोहय कपरमो को आणखय कमो बरत जा यह ह ? हभ िफको दोषी कमो ठहयात ह ? ऩहर ऩयी हहनदी ऩटटी को औय कपय उनह जो रखक िॊघ क िॊचारन भ हभिा चचाव का परषम फन यहन भ ही अऩना िरोऩरय कतववम िभझत ह, िफि ऩहर र ही ऐिा कमो कहतकयत ह ? खय, परषमाॊतय होन ि कोइव पामदा नहीॊ। ... तो अऩन िभरमसको भ बारानी बाइव क नाभ ि भिहय औय छोटो भ बरानी दा कहरान रार इि कारजमी कपर का जनभ 29 भाचव, 1913 को भधमपरदि क होिॊगाफाद लजर भ सिथत हटऩरयमा नाभक गाॊर भ हआ। जिा कक गाॊधीराद परचायधाया क कपरमो भधथरीियण गपत औय भाखनरार चतरदी न दि, कार औय िभाज क उतथान क सरए परचय भािा भ कपरताएॊ सरखीॊ तो ऐिा काभ बरानी परिाद सभशर न बी कीॊ ऩयॊत इिक फारजद इन दोनो भ ि ककिी एक की याह नहीॊ ऩकडी। ऩरयणाभत: दपररदी मग की इनतरततातभकता ि र फच यह औय अऩनी एक अरग ऩहचान फनाइव। बरानी परिाद सभशर का यचना िॊिाय परधाता की िपषट की तयह फहत ही खरा, वमाऩक औय िहज यहा ह। उनकी कपरताएॊ जीरन क परपरध यॊगो, बारो औय अनबनतमो की आकषवक धचिदीघाव ह, इनभ कपर का रदम यॊगो औय तसरकाओॊ का काभ कयता ह। फतौय बरानी दा की कपरता सनह-िऩथ की इन ऩॊककतमो ि र-फ-र हआ जाए -
भत कहो कक रह ऐिा ही था, भत कहो कक इिक िौ गराह महद िचभच ही रह कपिर गमामा ऩकडी उिन गरत याहतो िखत फात ि नहीॊॊसनह ि काभ जया रकय दखो अऩन अॊतय का नह जया दकय दखो ! ...., तो मह हय िभम का िाशरत ितम ह। मह हाहदवक अनबनत ि उऩजी हइव कपरता ह। रि तो याषरीम कावमधाया भ फार कषण िभाव नरीन, िबराकभायी चौहान, याभधायी सिॊह हदनकय आहद आत ह ऩय गधऩयक औय ऩधऩयक दोनो रचारयकताएॊ महद ककिी एक कपर भ दखन को सभरती ह तो नन:िॊदह बरानी परिाद सभशर का ही नाभ सरमा जा िकता ह। उनकी कपरताओॊ भ याषरीम आनदोरन की िककरम गनतपरधधमो का उकरख ह तो रहीॊ अनक कपरताएॊ ऐिी बी ह लजनभ िननाटा औय ितऩडा क जॊगर क यहसम बी ह। रह कपर ही कमा, लजिकी कपरताओॊ भ चत-जठ की गभी न हो, िारन-बादो की पहाय न हो, पागन क गीत न हो, झोऩड डमो-ऩहाड डमो की आकरता-वमाकरता न हो, तो रह काह को कपर औय उिकी काह की कपरता ! बरानी दा मॊ ही नहीॊ कहत ह - त उठ क फठ जा य सरखन भ कमा धया ह। बरानी दा का भानना था कक अिरी चीज ल जनदगी ह, कपरता तो दोमभ दज की चीज ह। िही भामन भ ल जदगी क सरए कपरता ह, न कक कपरता क सरए ल जॊदगी। आज लजि तयह ि हजायो रोग परनतहदन हजायो कपरताएॊ सरख जा यह ह, ऩय इनभ कछ दजवन ही कपरताएॊ काभ की हो यही ह, जो जीरन जीन की करा को
उदघाहटत कयती ह। भ मह नहीॊ कहता कक हभाय आज क कपरमो भ परनतबा की कभी ह। हाॉ, आज का कपर सरखता कछ ह औय अऩन जीरन भ कयता कछ औय ह। अपिोि तो तफ होता ह जफ एक अ-कपर को कपर औय एक कपर को अ-कपर कहा जाता ह। बरानी परिाद सभशर जि कावम परनतबा क अपरनतभ हसतािय को जफ िाहहतम क उऩकषितो जिा जीरन जीना ऩडा, तो कि कहा जाए कक आज क परनतबारान कपरमो क िाथ ऐिा नहीॊ हो यहा ह। फहयहार, इि ऩय फहि हो, ऩय फहि होती ही कहाॊ ह ?
कहत ह कक िाहहतम िभाज का दऩवण ह, िाहहतम जीरन की आरोचना ह मा िाहहतम िभाज की धचततरनततमो का परनतबफमफ ह, तो कमा कपरता इिि अरग ह ? रककन लजनन बी भाकरिराद ि अरग होकय मा भाकरिराद क नाभ अऩनी योहटमाॊ िकन का जरयमा कपरता को फनामा, कपरता का अहहत ही ककमा। कपरता क कनर भ जफयदसती कयक िरवहाया, रगव िॊघषव, अथव की धयी ऩय चरत धभव नीनत क चकर इतमाहद को ठॊिा नहीॊ जा िकता। कपर भ म िाय बार सरत: कपरता भ महद धगय औय उिका परबार एक वमाऩक ऩाठक रगव ऩय ऩड, तो मही कपरता जीरन क सरए िचची र ििकत कपरता होती ह। दयअिर कपरताएॊ यागातभक िॊरदना क घनतर को रहन कयती ह। ऩय इि घनतर की िही ऩरयबाषा आणखय ककतन कपर द िकत ह। लजि कपर की कपरता भ बारकता, आतभीमता, परभ-योभाॊच, परभ-सभनत, अकहडता, फनारट की भौसरकता आहद ही न हो, तो कपरता बर ही ककिी खाि रगव क चहत कपर को आज क धचयऩरयधचत आरोचको दराया ियाह दी जाएॊ, ऩय रह कपर एक अदना कपर बी नहीॊ हो िकता। बरानी दा को नकायन रार उन जीपरत आरोचको ि ऩछा जाए कक गीतपयोि भ वमकत वमाऩायी रनतत रार कपर-कराकायो की पररिता औय वमथा का िही रऩ उकयन रारी इन ऩॊककतमो जिी कोइव कपरता कमा औय सरखी गइ -जी हाॉ, हजयभ गीत फचता हॉभ ककसिभ-ककसिभ क गीत फचता हॉजी, भार दणखए-दाभ फताऊॉ गा। ... । आज गीत सरखता कौन ह ? आणखय सरख बी तो छाऩगा कौन ? आज की रोकपपरम ऩबिकाओॊ क सरनाभधनम िॊऩादको भ ककतन ह, जो गीत, नरगीत, गजर क छॊदानिािनो ि ऩरयधचत ह ? उनह फि इतना भारभ ह कक उनक खभ क कौन कपर ह, जो अ-कपरता क नाभ कचया सरख िकत ह। र कमा जान कपर बरानी दा क दारण ददव को ! काि, कपर क ददव को कोइव तो जानता !
बख, फकायी, याजनीनतक उठाऩटक, रट-खिोट आहद ऩय फहत िी कपरताएॊ सरखी गइ औय आज बी परचय भािा भ सरखी बी जा यही ह। रककन बख औय दरयरता ि जजवय ननमनरगीम िभाज की दयारसथा को धचबित कयती बरानी दा की इि कपरताॊि ऩय दपषटऩात कय तो फात औय सऩषट होगी -आज नहीॊ भाॊ क सतन भ दध कक उिका रार परकर !आज ननऩट ननरऩाम कक भाॊ
क जी भ आग, आॊख भ जर ह ! बायत की आजादी क फाद की मह कपरता आणखय कमा फमान कयती ह ? मही न कक एक ओय बख ह, खारी ऩट फजात रोग ह तो दियी ओय ऐशरमवऩणव रोग जो दि को कचय यह ह।
बरानी दा की अनक कपरताएॊ ऐिी ह मथा, चककत ह दख, इदॊ न भभ, बिकार िॊधमा, गाॊधी ऩॊचिती, ऩरयरतवन लजए आहद लजि एकफाय ही नहीॊ फायफाय ऩढन ऩय बी भन नहीॊ बयता। इिी तयह परकनत-परभ ि जडीॊ कपरताएॊ ितऩडा क जॊगर, भॊगर रषाव, पर औय हदनआहद ऩढन ऩय ऐिा बान होता ह कक हभ परकनत क िाथ खद चर यह ह मा फह यह ह। दख कपर की ितऩडा क जॊगर की कछ ऩॊककतमाॊ :-
झाड ऊॉ च औय नीच चऩ खड ह आॊख भीच, घाि चऩ ह, भक रार परकाि चऩ ह। फन िक तो धॊिो इन भ, धॊि न ऩाती हरा लजनभ। तो मह ह बरानी दा की आॊखो दखी ितऩडा क जॊगर की खाॊटी तसरीय। ितऩडा क जॊगर की िनदयता, िघनता औय फीहडता की सऩषट तसरीय लजिि हभ फाहय ननकरना ह। फहयहार, गाॊधी परचायधाया क परफर ऩिधय कपरमो भ िभाय कपररय बरानी परिाद सभशर ऐि कपर हॊ, जो खद भानत ह कक रोक जीरन की परिॊगनतमो को अहहॊिा, आतभऩीडन औय िरावतभराद क िरोदमी सिदधाॊतो ि ही दय ककमा जा िकता ह। तबी तो कपर की करभ चर ऩडती ह -गाॊधी क दि क फटोमह भौका ह, हहॊिा को नॊगा कयोभयी िभझ भ तभ भायो भत, भयो। इि िऩाटफमानी आऩ कह िकत ह, ऩय जो फात कपर को अननरामव रऩ ि ितम रगी, उि कपर न अऩनी कपरता भ कह दी। कपररय बरानी परिाद सभशर न हभिा धचॊतन को अनबनत का परषम भाना। ऩरयणाभत: उनकी कावम-िॊरदना गीतातभक ह।
रम औय तक को हभिा परभखता दन रार कपर की पराम: हय कपरता की मही तो परिषता ह कक कपरता फायफाय ऩढ जान की अऩिा यखती ह। इिी आकषवण क कायण उनकी कपरता आज बी जमो-की-तमो िभकारीन होन का दारा कयती ह। र कहीॊ कपर नजय आत ह तो कहीॊ गीतकाय। कहीॊ परगनतरादी रगत ह, तो कहीॊ नरगीतकाय। ऩय िचचाइव इिि इतय ह। कपर बरानी परिाद सभशर कपर रगत ह, जो कावम की परपरध परधाओॊ भ जीत ह। इिीसरए बरानी परिाद सभशर को फोरी को अऩनी कपरता भ फजान रारा कपर भाना गमा। दख इन ऩॊककतमो भ मह कपर आऩको-हभको कि फरा यहा ह -
रासतपरक आसथा भय िबदो भ ह। िबद कपर का भाधमभ नहीॊ ह, महद कपर िचचा ह तो रह सरमॊ ही िबदो का भाधमभ ह। रककन आज कपरता भ कोइव िबदो का जाभा ऩहना यहा ह तो कोइव कपरता ि अऩना सराथव सिदध कय यहा ह। कपरता ऩय जो वमाऩक रऩ ि चचाव होनी चाहहए नहीॊ हो ऩा यही ह। अनबर कछ हो यहा ह औय कपरता क भाधमभ ि कहा कछ जा यहा ह।
खय, भ तो कपरमो भ िॊत सियोभणण तरिीदाि का शरीयाभचरयत भानि ऩढा हॉ, ननयारा क कइव कावम िॊगरह का ऩाठ ककमा हॉ,, अजञम को जानन की कोसिि ककमा हॉ औय नछटऩट रऩ ि कइव मिसरी कपरमो की कपरताओॊ ि भगध हआ हॉ, औय ऐिो की ही परयणा ि कावम परधा भ िजनयत हॉ, तो भझ आज परगनतिीर अथरा जनरादी कि कहा जा िकता ह ? ठीक इिी तयह बरानी परिाद सभशर जी को बी ऐि खभ चरान रारो न उनह कभतय आॊकन की ऩयजोय कोसिि कीॊ। कपय बी, इि कपर को बायतरासिमो का कपर भाना गमा। बरानी परिाद सभशर जी जनऩद क कपर बी ह औय जनकपर बी। िच कहा जाए तो र हहॊदी ऩटटी क एक ऐि अनठ र इकरौत कपर ह लजनकी परगनतिीर कपरताएॊ, परमोगरादी कपरताएॊ, नइव कपरता, अ-कपरता, न-कपरता, गीत, नरगीत आहद िफ-क-िफ उतकषट नजय आत ह। र अऩन िभम भ परचसरत कावम की हय परधा भ खफ सरख। उनकी रखनी भहज चरी ही नहीॊ फसरक उतकषटता का परभाण ऩि की। नइव कपरता भ अजञम, यघरीय िहाम औय कदायनाथ अगररार आहद क िाथ बरानी बाइव कहीॊ बी उननीि नजय नहीॊ आत। ऐि परयर कपर होग जो ककिी बी चीज क फाय भ फनतमात ह, उि घयर बी फना द। रककन बरानी परिाद सभशर ऐिा कय हदखात ह। घयर बी औय परकनत तक बी। दख - फहत दयदकषिण की तयफनीरी ह ऩहाड की चोहटऔय रोटी-रोटी रग यही हआॊगन क ऩौधो की आतभासतबध इि िाभ कऩाॊरो ऩय। (अॊधयी यात)
फात महीॊ तक नहीॊ ह। ऩसिचभ क आधननक िाहहतम भ आऩका िािदामक अनबर यहा। तबी तो आऩ आयाभ ि बाइव लजॊ दगी नाभक कपरता भ कहत ह -आयाभ ि बाइव लजॊदगीजया आयाभ ितजी तमहाय पमाय की फयदाशत नहीॊ होती अफइतना कि कय हदमा गमा आसरॊगनजया जमादा ह इि जजवय ियीय को। परौढ परभ की कपरताएॊ लजनभ उददाभ शरॊगारयकता क फजाम आतभीम िहजीरन औय उिक िख-दख ही परभ की वमॊजना ह। तो मह कपर इि परकाय कहता ह -कि कहतािफि फडा िखभगय इि िच को कबी भन दख नहीॊ फनन हदमाऔय र सरए इिसरए उि हदन िरार क जराफ भ ियरा क दोनाॊ हाथ हाथो भऔय दखा हभ दोनो न चऩचाऩएक दिय को थोडी दय।
अऩन दि क यिाथव र ककिी बी हद तक जा िकत थ। बर ही ककिी दिय दि को उनकी फात खटटी मा कडरी रग। फात बायत ऩय ऩाककसतान क ऩहर आकरभण की ह। दादा(फार कपर रयागी), भनना मानी बरानी बाइव क आतभीम ऩािो भ िासभर यह, न एक गीत सरखा था लजिकी धरर ऩॊककतमाॊ थीॊ -
जफकक नगाडा फज ही गमा ह, सीभा ऩय शतान का।
(तो) नकश ऩय स नाभ सभटा दो, ऩाऩी ऩाककसतान का।।
दादा(फार कपर रयागी) का मह गीत ऩय दि भ फहत रोकपपरम हआ था औय कपर-िमभरनो भ इि गीत का जनागरह ऐिा औय इतना होता था कक दादा को मह गीत फायफाय ऩढ ना ऩडता था।
इन ऩॊककतमो ऩय हदकरी क कछ िाहहतमकायो न, इनह बायतीम नीनतमो, िॊसकनत औय दिवन क पररदध ठहयात हए, कापी हाउि भ फठ कय आरोचनातभक हटपऩणणमाॊ की थीॊ। मह िभाचाय िामद उन हदनो िापताहहक हहनदसतान भ छऩा था। इि ऩढकय दादा न तननक आरि भ, अऩनी एक भकत छॊद कपरता भ परनतककरमा वमकत कयत हए सरखा था-भय दोसत ! मदध कापी क पमारो ि नहीॊ, रह ि रडा जाता ह। दादा की मह कपरता बी िापताहहक हहनदसतान भ छऩी औय इिक तीिय-चौथ ही हदन भनना मानी बरानी बाइव का एक ऩोसट काडव दादा को सभरा लजिभ उनहोन दादा को फड राड-पमाय ि डाॊटत हए सरखा - आरोचको की ऩयराह भत कयो। आरोचको क सभायक नहीॊ फनत।
रकव -ऩयसभट अनदिो का दढता ि ऩारन कयना। भर न खान रार यिामनो को अरग-अरगग यखना। जहाॉ जररनिीर रसतएॉ एकबित की गइव हो अथरा हरा का िभधचत िॊचाय फनाए यखना,
धमरऩान ननषध कयना, जरारा ि ियकषित परधत क उऩकयण का परमोग कयना। फमजो औय परधत क ननमॊिण फाकिो को िाप तथा फनद यखना। एक ही िाककट भ अनक परधतीम उऩकयण न रगाना। बफजरी की भयमभत किर सभसिी दराया ही कयना। िबी भिीनोउऩकयणो को तर र ऩानी डारकय उधचत अरसथा भ यखना तथा उनको ठीक ि
एरामन कयना ताकक गभी ऩदा ही न हो।
अधगन शभन मोजना :
महद आग कहीॊ रगती ह तो इिका ऩता तयनत रगाना चाहहए औय इि फझा दना चाहहए। आग फझान क उऩकयणो की अचछी हारत भ तथा उन तक ऩहॉचन क यासत बफना फाधा
आग रगन ऩय अराभव फजाइम, अधगन िभन दर को टरीपोन कीलजए, आग फझान क उऩकयणो का परमोग कीलजए, उि िि को खारी कयाइए।
वसरडॊग औय गस कहटॊग क काभ भ सया : उधोगो भ रसरडॊग औय गि कहटॊग का काभ अकिय होता ह। इि काभ क दौयान आग र परसपोट, बफजरी का झटका, जरन, परककयण औय जहयीरी गि र धॊए का खतया यहता ह। अत: काभगायो को िबी ियकषित तौय-तयीको की जानकायी होनी चाहहए।
सयकषत तौय-तयीक :
आकिी-एिीहटरीन रसरडॊगकहटॊग उऩकयणो की जाॉच :
िननसिचत कय र कक टाचव की नोक(हटऩ) ऩय धर न हो। रयिार(रीक) कयन रार आकिीजन र एिीहटरीन सिसरणडय को तयनत हटा द। यगरटयो, यफय नसरमो(होिज) की कपहटॊग क आिऩाि िाफन क ऩानी ि सिर की जाॉच कय