मानव समुदाय और पयाावरण अययन के उदेय के लिए उपयोग कर डॉ यशपाि लसह नरवररया 1 इकाई 7 मानव सम ु दाय और पयाावरण • Human population growth: Impacts on environment, human health, and welfare; Carbon foot-print • Resettlement and rehabilitation of developmental project affected persons and communities; relevant case studies • Environmental movements: Chipko movement, Appiko movement, Silent valley movement, Bishnois of Rajasthan, Narmada Bachao Andolan, etc • Environmental justice: National Green Tribunal and its importance • Environmental philosophy: Environmental ethics; Role of various religions and cultural practices in environmental conservation • Environmental communication and public awareness: case studies (e.g., CNG vehicles in Delhi, Swachh Bharat Abhiyan, National Environment Awareness Campaign (NEAC), National Green Corps (NGC) “Eco-club” programme, etc) मानव जनसंया (Human Population): पश ु जनसंया गतिशीलिा की अवधारणाओं को मानव जनसंया व ृ धध पर लाग ू ककया जा सकिा है। मन ु य अपने पयाावरण को बदलने की मिा म अवविीय नहं है। उदाहरण के ललए, बीवर बांध धारा वािावरण म पररविान करिे ह जहां वे तनलमाि होिे ह। हालांकक, मन ु य के पास अपनी वहन मिा को बढाने के ललए अपने पयाावरण को बदलने की मिा है , कभी-कभी अय जातिय के ललए। प ृ वी की मानव आबाद और उनके संसाधन का उपयोग िेजी से बढ रहा है , इस हद िक कक प ृ वी की पयाावरण की मिा के बारे म क ु छ धंिाएं अपनी मानव आबाद को बनाए रखने के ललए ह। लंबे समय िक घािीय व ृ धध इसके साथ अकाल, बीमार और बडे पैमाने पर म ृ य ु के संभाववि जोखखम को वहन करिी है , साथ ह भीड बढने के सामाजजक पररणाम जैसे कक अपराध म व ृ धध होिी है। मानव ौयोधगकी और ववशेष ऱप से जीवाम धन म तनहहि ऊजाा के हमारे दोहन ने प ृ वी के पयाावरण म अभ ू िप ू वा पररविान ककए ह , पाररजथथतिक िंको उस बबंद ु पर बदल हदया है जहां क ु छ पिन का खिरा हो सकिा है। वैजवक थिर पर पररविान सहहि ओजोन परि का ास, मरथथलकरण और टॉपोलसल हातन, और वैजवक जलवाय ु पररविान मानव गतिववधधय के कारण होिे ह। मानव जनसंया व ृ धध (Human population growth): :जनसंया व ृ धध जनसंया म यजतिय की संया म व ृ धध है। वैजवक मानव जनसंया व ृ धध की माा लगभग 83 लमललयन सालाना या 1.1% ति वषा है। वपछले 200 वष म मन ु य के ललए ववकास दर म िेजी का म ू ल कारण सावाजतनक थवाथय और थवछिा म पररविान के कारण म ृ य ु दर कम होना है। थवछ पेयजल और उधि तनपटान सीवेज ने ववकलसि देश म थवाथय म काफी स ु धार ककया है। इसके अलावा, धककसा नवाार जैसे कक एंटबायोहटक दवाओं और टक के उपयोग ने मानव जनसंया व ृ धध को सीलमि करने के ललए संामक रोग की मिा को कम कर हदया है। अिीि म , ौदहवीं शिाद की ब ु बोतनक पहटका जैसी बीमाररय ने य ू रोप की 30 से 60 तिशि आबाद को मार
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मानव समुदाय और पयाावरण अध्ययन के उद्देश्य के लिए उपयोग करें डॉ यशपाि लसिंह नरवररया
1
इकाई 7
मानव समदुाय और पयाावरण
• Human population growth: Impacts on environment, human health, and welfare;
Carbon foot-print
• Resettlement and rehabilitation of developmental project affected persons and
communities; relevant case studies
• Environmental movements: Chipko movement, Appiko movement, Silent valley
movement, Bishnois of Rajasthan, Narmada Bachao Andolan, etc
• Environmental justice: National Green Tribunal and its importance
• Environmental philosophy: Environmental ethics; Role of various religions and
cultural practices in environmental conservation
• Environmental communication and public awareness: case studies (e.g., CNG
vehicles in Delhi, Swachh Bharat Abhiyan, National Environment Awareness
Campaign (NEAC), National Green Corps (NGC) “Eco-club” programme, etc)
मानव जनसंख्या (Human Population):
पश ुजनसंख्या गतिशीलिा की अवधारणाओ ंको मानव जनसंख्या वदृ्धध पर लागू ककया जा सकिा है। मनुष्य अपने पयाावरण को बदलने की क्षमिा में अद्वविीय नह ं है। उदाहरण के ललए, बीवर बांध धारा वािावरण में पररविान करिे हैं जहा ंव ेतनलमाि होिे हैं। हालांकक, मनुष्यों के पास अपनी वहन क्षमिा को बढाने के ललए अपने पयाावरण को बदलने की क्षमिा है, कभी-कभी अन्य प्रजातियों के ललए। पथृ्वी की मानव आबाद और उनके संसाधनों का उपयोग िेजी से बढ रहा है, इस हद िक कक पथृ्वी की पयाावरण
की क्षमिा के बारे में कुछ ध िंाएं अपनी मानव आबाद को बनाए रखने के ललए हैं। लबंे समय िक
घािीय वदृ्धध इसके साथ अकाल, बीमार और बड ेपैमाने पर मतृ्यु के संभाववि जोखखमों को वहन करिी है, साथ ह भीड बढने के सामाजजक पररणामों जैस े कक अपराध में वदृ्धध होिी है। मानव प्रौद्योधगकी और ववशषे रूप से जीवाश्म ईंधन में तनहहि ऊजाा के हमारे दोहन ने पथृ्वी के पयाावरण में अभूिपूवा पररविान ककए हैं, पाररजथथतिक िंत्र को उस बबदं ुपर बदल हदया है जहा ंकुछ पिन का खिरा हो सकिा है। वैजश्वक थिर पर पररविान सहहि ओजोन परि का ह्रास, मरुथथल करण और टॉपोलसल हातन, और
वैजश्वक जलवायु पररविान मानव गतिववधधयों के कारण होिे हैं।
मानव जनसंख्या वदृ्धध (Human population growth):
:जनसंख्या वदृ्धध जनसंख्या में व्यजतियों की संख्या में वदृ्धध है। वैजश्वक मानव जनसंख्या वदृ्धध की मात्रा लगभग 83 लमललयन सालाना या 1.1% प्रति वषा है। वपछले 200 वषों में मनुष्यों के ललए ववकास
दर में िेजी का मूल कारण सावाजतनक थवाथथ्य और थवच्छिा में पररविान के कारण मतृ्यु दर कम होना है। थवच्छ पेयजल और उध ि तनपटान सीवेज ने ववकलसि देशों में थवाथथ्य में काफी सुधार ककया है। इसके अलावा, ध ककत्सा नवा ारों जैस े कक एंट बायोहटक दवाओं और ट कों के उपयोग ने मानव
जनसंख्या वदृ्धध को सीलमि करने के ललए संक्रामक रोग की क्षमिा को कम कर हदया है। अिीि में, ौदहवीं शिाब्द की बुबोतनक पट्हटका जैसी बीमाररयों ने यूरोप की 30 स े60 प्रतिशि आबाद को मार
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डाला और पूर दतुनया की आबाद को एक सौ लमललयन लोगों द्वारा कम कर हदया। थवाभाववक रूप स,े
संक्रामक बीमार का मानव जनसंख्या वदृ्धध पर प्रभाव जार है, ववशषे रूप से गर ब देशों में। उदाहरण के
ललए, उप-सहारा अफ्रीका में जीवन प्रत्याशा, जो 1950 से 1990 िक बढ रह थी, 1985 के बाद बड ेपैमाने पर ए आईवी / एड्स मतृ्यु दर के पररणामथवरूप घटने लगी। ए आईवी / एड्स के कारण जीवन
प्रत्याशा में कमी 2005 के ललए 7 साल होने का अनुमान लगाया गया था।
पयाावरण, मानव थवाथथ्य और कल्याण पर प्रभाव(Impacts on environment, human health, and
welfare):
:जनसंख्या िेजी से बढ रह है, विामान प्रथाओं को देखिे हुए, इसे समथान देने के ललए हमारे ग्रह की क्षमिा को दरू कर रह है। अधधक खेिी, वनों की कटाई और जल प्रदषूण के प्रभाव से लेकर यूट्रोकफकेशन
और ग्लोबल वालमिंग िक नकारात्मक पयाावरणीय और आधथाक पररणामों से जुडा हुआ है। पयाावरण का अथा है हमारा पररवेश जजसमें सभी ीजें, जीववि या तनजीव, जजसमें वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल),
ललथोथफीयर (ठोस पथृ्वी), जीवमंडल (सभी जीववि जीव), और भू-मंडल ( ट्टानें और रेगोललथ्स)
शालमल हैं। कई कारक हमारे पयाावरण को प्रभाववि करिे हैं जजसमें शहर करण, औद्योधगकीकरण, वनों की कटाई, अतिवजृष्ट और जीवाश्म ईंधन के उपयोग जैसी मानवजतनि गतिववधधयााँ शालमल हैं। भूकंप,
ज्वालामुखी, क्रवाि, भूथखलन और बाढ जैसी प्राकृतिक आपदाए ंभी पयाावरण को नकारात्मक रूप स े
प्रभाववि कर सकिी हैं। वायु प्रदषूण, अपलशष्ट का खराब प्रबंधन, बढिे जल की कमी, धगरिे भूजल
िाललकाओं, जल प्रदषूण, वनों के संरक्षण और गुणवत्ता, जैव ववववधिा की हातन, और भूलम / लमट्ट का क्षरण आज भारि के प्रमुख पयाावरणीय मुद्दों में से कुछ हैं। इसका प्रभाव प्राकृतिक वािावरण पर भी महसूस ककया जािा है।
1. अपलशष्ट का सजृन (Generation of Waste):
अपनी ववनाशकार गतिववधधयों के कारण, मनुष्य ने पयाावरण में अधधक से अधधक क रा डपं ककया है। जैस-ेजैस ेमानव तनलमाि क रे को रूपांिररि नह ं ककया जािा है, यह धगरावट का कारण बनिा है और
पयाावरण द्वारा अधधक अपलशष्ट को अवशोवषि करने की क्षमिा कम हो जािी है। इसके अलावा, अपलशष्ट वायु और जल प्रदषूण की ओर जािा है।
2. जैव ववववधता के लिए खतरा (Threat to Biodiversity):
अपनी ववनाशकार गतिववधधयों के कारण, मनुष्य ने पथृ्वी से अधधक से अधधक खतनज तनकाले हैं। जानवरों का लशकार ककया गया है और पौधे गायब हो गए हैं। जैव ववववधिा का नुकसान हुआ है। इनसे पाररजथथतिक असंिुलन पैदा हुआ है।
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3. जिंगिों पर तनाव (Strain on Forests):
मनुष्य ने नए आवास कालोतनयों की थथापना की है। राष्ट्र य राजमागों और जल ववद्युि पररयोजनाओं का तनमााण ककया गया है और जंगलों का सफाया ककया गया है। इन ववनाशकार गतिववधधयों में वदृ्धध
हुई है और पाररजथथतिक असंिुलन पैदा हुआ है।
4. जिवायु पररवतान (Climatic Change):
ग्रीन हाउस गैसों के कारण जलवायु पररविान अतनयलमि हैं। ग्रह को घेरने वाल हवा की पिल त्व ा मानवीय गतिववधधयों से प्रभाववि हो रह है जैसा पहले कभी नह ं हुआ। शहर लोग अभी भी जहर ले
प्रदषूकों के अथवीकाया थिर के संपका में हैं। इसके अलावा, जंगलों के उद्योगों द्वारा उत्पन्न जंगलों से अभी भी जंगलों का क्षय हो रहा है और ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में जमा होिी रहिी हैं।
5. उत्पादकता (Productivity):
पयाावरणीय क्षरण न केवल थवाथथ्य को नुकसान पहुाँ ािा है बजल्क आधथाक उत्पादकिा को भी कम
करिा है। गंदा पानी, अपयााप्ि थवच्छिा, वायु प्रदषूण और भूलम क्षरण भारि जसैे ववकासशील देशों में बड ेपैमाने पर गंभीर बीमाररयों का कारण बनिा है।
6. शहरीकरण (Urbanization):
जनसंख्या के िेजी से बढने से शहर करण हुआ है जजसने पयाावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। जनसंख्या दबाव के कारण शहरों में प्राकृतिक संसाधन जनसंख्या के दबाव के कारण िेजी से कम हो रहे
हैं।
7. भूलम में गगरावट Land Degradation::
सघन खेिी और उवारकों और कीटनाशकों के अत्यधधक उपयोग से भूलम और जल संसाधनों का अत्यधधक दोहन हुआ है। इनसे मदृा अपरदन, जल जमाव और लवण के रूप में भूलम क्षरण हुआ है।
8. औद्योगीकरण (Industrialization):
अववकलसि देश भार औद्योगीकरण की नीति का अनुसरण कर रहे हैं जजसस ेपयाावरणीय धगरावट हो रह है। उवारक, लोहा और इथपाि, रसायन और ररफाइनररयों जैस ेउद्योगों की थथापना से भूलम, वाय ु
और जल प्रदषूण हुआ है।
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कल्याणकारी कायाक्रम (Welfare Programmers):
देश की कुल आबाद में महहलाओं की संख्या 48 फीसद है। वे साहहजत्यक दरों, श्रम भागीदार दर और आय में पुरुषों की िुलना में कई नुकसान उठािे हैं। पहल योजना से महहलाओं के ववकास पर भारि सरकार का ध्यान गया है। लेककन इसे 'कल्याण' के ववषय के रूप में माना गया और तनराधश्रि, ववकलांग, वदृ्ध, आहद जैसे वंध ि समूहों के कल्याण के ललए एक साथ तलब ककया गया। 1953 में, कें द्र य समाज कल्याण बोडा की थथापना की गई जो कें द्र में एक सवोच् तनकाय के रूप में काया करिा है। महहलाओं और बच् ों के ललए कल्याणकार गतिववधधयों को लेने के ललए ववलभन्न थिरों पर, ववशषेकर जमीनी थिर पर थवैजच्छक कारावाई को बढावा देना। भारिीय संववधान के भाग IV में तनहहि राज्य नीति के तनदेशक लसद्धांि दशाािे हैं कक भारि एक कल्याणकार राज्य है। महहला और बाल ववकास मंत्रालय, भारि सरकार की एक शाखा एक महहला और बाल कल्याण है और इस ववषय के संबंध में अन्य मंत्रालयों और संगठन की गतिववधधयों का समन्वय है। थवयं सहायिा समूहों (एसए जी) को ववकलसि करने और जथथर करने और ग्रामीण और शहर महहलाओं के बी जागरूकिा कायाक्रम सं ाललि करने के ललए समथान प्रदान करिा है। भारि सरकार ने देश के समग्र ववकास के ललए कई कल्याणकार कायाक्रम शुरू ककए। कुछ अतं्योदय अन्न योजना, राष्ट्र य ग्रामीण आवास लमशन (पूवा में इंहदरा आवास योजना, भारि तनमााण, आहद) ये सभी कायाक्रम गर बी दरू करन ेऔर रोजगार उत्पन्न करने के ललए शुरू ककए गए हैं िाकक अथाव्यवथथा इस प्रतिथपधी दतुनया में िेजी से ववकलसि हो सके।
भारि में महहला कल्याण कायाक्रम (Women Welfare Programmers in India):
1. थवणाजयंिी ग्राम थवरोजगार योजना (SGSY) 2. जवाहर ग्राम समदृ्धध योजना (JGSY) 3. इंहदरा आवास योजना (IAY) 4. राष्ट्र य सामाजजक सहायिा कायाक्रम (NSAP) 5. त्वररि ग्रामीण जलापतूिा कायाक्रम (ARWSP) के िहि 6. राष्ट्र य महहला कोष (RMK) 7. ग्रामीण क्षेत्रों में महहलाओं और बच् ों का ववकास (DWCRA) 8. बाल ववकास सेवा योजना (CDS) 9. थट्र ट ध ल्रने का कल्याण
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कार्ान फुटवरिंट (Carbon Footprint):
"काबान डाइऑतसाइड की मात्रा वािावरण में जार एक कण व्यजति की गतिववधधयों के पररणामथवरूप, समुदाय की संगठनात्मक"। एक काबान पदध ह्न ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा है मुख्य रूप से काबान डाइऑतसाइड - जो एक ववशषे मानवीय गतिववधध द्वारा वायुमंडल में जार की जािी है। एक काबान पदध ह्न एक व्यापक उपाय हो सकिा है या एक व्यजति, एक पररवार, एक घटना, एक संगठन, या यहां िक कक एक पूरे देश के कायों पर लागू ककया जा सकिा है। काबान फुटवप्रटं का मिलब ककसी एक संथथा, व्यजति या उत्पाद द्वारा ककया जाने वाला कुल काबानउत्सजान होिा है। दसूरे शब्दों में, इसका मिलब काबान डाइऑतसाइडकाबान या ग्रीनहाउस गैसों का उत्सजान भी होिा है। यह पाररजथथतिक फुटवप्रटं का ह एक अशं है। उसस ेअधधक यह जीवन क्र आकलन (एलसीए) का हहथसा है। ग्रीनहाउस गैसों के कारण ग्लोबल वॉलमिंग और तलाइमेट ेंज के खिरे बढिे हैं. िो आपका काबान फुटवप्रटं ये बिािा है कक पयाावरण पर आपकी जीवनशैल कैसे और ककिना असर डालिी है. ऐसे समझें कक अगर आप अपने तनजी वाहन से रोजाना दफ्िर जािे हैं िो आपका काबान फुटवप्रटं उस व्यजति की िुलना में ज़्यादा होगा, जो सावाजतनक वाहन का इथिेमाल करिा है.
कार्ान पदगिह्न के कारण (Causes of Carbon Footprint):
आज, "काबान पदध ह्न" शब्द का उपयोग अतसर काबान की मात्रा के ललए शॉटाहैंड के रूप में ककया जािा है (आमिौर पर टन में) एक गतिववधध या संगठन द्वारा उत्सजजाि ककया जािा है। काबान पदध ह्न भी पाररजथथतिक पदध ह्न का एक महत्वपूणा घटक है, तयोंकक यह जैववक रूप से उत्पादक थथान के ललए एक प्रतिथपधी मांग है। जल उत्सजान जीवाश्म ईंधन से काबान उत्सजान वािावरण में जमा हो जािा है अगर इन उत्सजान को अवशोवषि करने के ललए पयााप्ि जैव-क्षमिा समवपाि न हो। इसललए, जब कुल पाररजथथतिक पदध ह्न के संदभा में काबान पदध ह्न की ररपोटा की जािी है, िो काबान डाइऑतसाइड उत्सजान के टन को उन काबान डाइऑतसाइड उत्सजान के ललए आवश्यक उत्पादक क्षेत्र की मात्रा के रूप में व्यति ककया जािा है। यह हमें बिािा है कक जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्सजान को बेअसर करने के ललए ककिनी जैव-क्षमिा आवश्यक है। काबान युति गैसों काबान डाइऑतसाइड और मीथेन सहहि ग्रीनहाउस गैसों को जीवाश्म ईंधन के जलने, भूलम की तनकासी और खाद्य, ववतनलमाि वथिुओं, सामधग्रयों, लकडी, सडकों, इमारिों, पररवहन और अन्य सेवाओं के उत्पादन और खपि के माध्यम से उत्सजजाि ककया जा सकिा
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है। कोयला बबजल संयंत्र, ावल के पेड और मवेशी उत्सजान के प्रमुख स्रोि हैं, जो लगािार बढ रहे हैं, हालांकक प्रति व्यजति उत्सजान वैजश्वक औसि से काफी नी ेहै। हहमालय के ग्लेलशयरों के वपघलने और मानसनू में बदलाव के कारण भारि भी जलवायु पररविान के प्रति बहुि संवेदनशील है।
अपन ेकार्ान पदगिह्न को कम करें (Reduce Your Carbon Footprint ):
वैज्ञातनकों के अनुसार इंसान की कर ब सभी आदिें, जजनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड ेिक शालमल हैं, काबान फुटवप्रटं का कारण बनिे हैं। दसूरे शब्दों में हर काम के ललए ऊजाा की जरूरि पडिी है और इससे काबान डाइआॅ तसाइड गैस तनकलिी है, जो धरिी को गमा करने वाल सबसे अहम गैस है। हम हदन, मह ने या साल में जजिनी काबान डाइऑतसाइड पैदा करिे हैं, वह हमारा काबान फुटवप्रटं है। इसे कम-से-कम रख कर ह पथृ्वी को जलवायु पररविान के प्रकोप से ब ाया जा सकिा है।
ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कई िर के हैं। सौर, पवन ऊजाा के अधधक इथिेमाल और पौधारोपण आहद से काबान उत्सजान में कमी लाई जा सकिी है। काबान उत्सजान और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का वािावरण में तनकासजीवाश्म ईंधन, कच् ेिेल और कोयले के जलने से होिा है। तयोटो प्रोटोकाॅ ल में काबान उत्सजान और ग्रीनहाउस गैसों पर मसौदा पेश ककया गया। अपने काबान फुटवप्रटं में कमी घर में बबजल इथिेमाल में ककफायि से, फ्लोरेसेंट बल्बों के इथिेमाल से लाई जा सकिी है। अपन ेबिानों को हाथ से धोकर, उन्हें खलेु वािावरण में रखकर सुखाएाँ। ग्लास, धािुओं, प्लाजथटक और कागज को एकाधधक बार इथिेमाल में लाएाँ। अपन ेरेकफ्रजरेटर की रफ्िार धीमी रखें। घर की द वारों पर हल्के रंग का पेंट भी इसमें मददगार होिा है।
आपके कार्ान पदगिह्न को कम करने के तुरिंत तरीके (Instant Ways to Reduce Your Carbon
Footprint):
1. मांस। एकल सबसे प्रभावी कारावाई जजसका आप सामना कर सकिे हैं 2. तलाइमेट ेंज मांस खाना बंद करना है। 3. अपने उपकरणों को अनप्लग करें। 4. राइव कम। 5. "फाथट फैशन" न खर दें 6. एक बाग लगाओ। 7. थथानीय (और जैववक) खाएं। 8. लाइन-राई योर कपड े
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कार्ान के्रडडट Carbon Credit:
“एक परलमट जो ककसी देश या संगठन को काबान उत्सजान की एक तनजश् ि मात्रा का उत्पादन करने की अनुमति देिा है और जजसे पूणा भत्ता का उपयोग नह ं करने पर कारोबार ककया जा सकिा है । " "काबान के्रडडट ककसी भी पारंपररक प्रमाण पत्र के ललए एक सामान्य शब्द है या एक टन काबान डाइऑतसाइड या एक अलग ग्रीनहाउस गैस के बराबर मात्रा का उत्सजान करने के अधधकार का प्रतितनधधत्व करने वाला परलमट है।" इस के्रडडट को हालसल करने वाल कंपतनयााँ अपना सामान उन देशों में बे सकें गी जहााँ काबान का उत्सजान अत्यधधक होिा है। सीधे िौर पर यह ररफाईन िकनीक के इथिेमाल से प्राप्ि बोनस है जजसके िहि दसूरे देशों में व्यवसाय करने का राथिा सरल हो जािा है। पर इसका सबसे बडा लाभ है कक थवच्छ िकनीक के इथिेमाल से देश के भीिर काबान उत्सजान की मात्रा थवि:कम होने लगिी है। काबान उत्सजान मुख्यि: मानवीय गतिववधधयों जैसे औद्योधगकीकरण,
वाहनों से तनकलन ेवाल गैसें, जैव ईंधन को जलाने और जंगलों के काटने के कारण होिा है। सीधे िौर पर वािावरण को दवूषि करन े वाले कारक जो अन्य गैसों के साथ काबान को उत्सजजाि करिे हैं वे इस प्रकक्रया के भागीदार होिे हैं। जजसके पररणामथवरूप पथृ्वी का िापमान बढिा है । तयोटो प्रोटोकॉल के अनुसार ज्यादािर ववकलसि और ववकासशील देशों ने ग्रीन हाउस गैसों जैस ेओजोन, काबान डाईऑतसाइड, नाइट्रस ऑतसाइड के उत्सजान को कम करने की बाि कह है। इसके ललए कुछ मापदंड और मानदंड का तनधाारण भी ककया गया है। इस तनधाारण की देख-रेख के ललए यूनाईटेड नेशन्स फे्रमवका कन्वेंशन ऑन तलाइमेट ेंज
(UNFCCC) को बनाया गया है ।
कार्ान के्रडडट की रक्रक्रया (Carbon credit process):
काबान के्रडडट सह मायने में काबान के उत्सजान पर लगाम लगाने के ललए प्रोत्साहन पुरथकार का दसूरा नाम है। भारि और ीन सहहि अन्य एलशयाई देश जो अभी क्रलमक ववकास की दौड में हैं उन्हें UNFCCC संथथा से जरूर लाभ प्राप्ि होिा है, तयोंकक मानक मापदंडों के िहि काम करने से यह संथथा नाम और प्रोत्साहन थवरूप अधधकिम मदद करिी है। इस संथथा ने काबान के्रडडट को कुछ इस िरह से पररभावषि ककया है कक यहद कोई देश तनधााररि थिर से कम थिर पर जाकर काबान का उत्सजान करिा है िब दोनों अकंों (तनधााररि और ककए गए) के बी का उत्सजान के्रडडट क्रमांक हदलािा है । इस के्रडडट को कमाने के ललए आज इन एलशयाई देशों के औद्योधगक घराने मुथिैद से जुट गए हैं िाकक संथथा उन्हे अधधकिम लाभ के िौर पर काबान
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उत्सजजाि करने वाले देशों में अपना व्यवसाय कराने का पुरथकार दे सके। यह प्रकक्रया यकीनन काबान के तनयंत्रण के साथ-साथ व्यवसातयक रूप में लाभकार साबबि हो रह है।
भारि में अधधकिर धािु और ऊजाा उत्पादन के औद्योधगक घराने के्रडडट में मददगार साबबि हो रहे है। लेककन इसके ललए समुध ि प्र ार-प्रसार की आवश्यकिा है। जजससे तनवेशक जानें कक काबान के्रडडट और टे्रडडगं कैसे व्यवसाय को अिंरााष्ट्र य थिर पर पदापाण कराने का सफलिम माध्यम बन सकेगा। यह एक सुदृढ वव ार आज पयाावरण को ब ाने, प्रकृति संरक्षण करने और पथृ्वी को गरम िाप में झुलसाने से ब ाने का िारणहार बन गया है। वकृ्षों और उनके संरक्षण को मदद लमलेगी और प्रकृति अपने सह मायने के साथ मुनष्य को सुरक्षक्षि भववष्य का उपहार के्रडडट में देगी।
कार्ान टे्रडड िंग (Trading of Carbon Credits):
काबान के्रडडट सह मायने में ककसी देश द्वारा ककये गये काबानउत्सजान को तनयंबत्रि करने का प्रयास है जजसे प्रोत्साहहि करने के ललए मुद्रा से जोड हदया गया है. काबान डाइआतसाइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सजान को कम करने के ललए तयोटो संधध में एक िर का सुझाया गया है जजसे काबान टे्रडडगं कहिे हैं. काबान के्रडडट अिंरााष्ट्र य उद्योग में काबान उत्सजान तनयंत्रण की योजना है. काबान के्रडडट सह मायने में ककसी देश द्वारा ककये गये काबान उत्सजान को तनयंबत्रि करने का प्रयास है जजसे प्रोत्साहहि करने के ललए मुद्रा से जोड हदया गया है. अथााि काबान टे्रडडगं से सीधा मिलब है काबान डाइऑतसाइड का व्यापार.
पुनर्स्ाापन और पुनवाास (Resettlement and Rehabilitation):
ववकासीय पररयोजनाएं जो लोगों को अनजाने में ववथथावपि करिी हैं, आम िौर पर गंभीर आधथाक, सामाजजक और पयाावरणीय समथयाओं को जन्म देिी हैं: उत्पादन प्रणाल ध्वथि हो जािी है; उत्पादक संपवत्त और आय के स्रोि खो गए हैं; लोगों को उन वािावरणों में थथानांिररि ककया जािा है जहां उनके उत्पादक कौशल कम लागू हो सकि े हैं और संसाधनों के ललए प्रतिथपधाा अधधक होिी है; सामुदातयक संर ना और सामाजजक नेटवका कमजोर हो गए हैं; पररजन समूह तछिरे हुए हैं; और सांथकृतिक पह ान, पारंपररक अधधकार और आपसी मदद की संभावना कम हो जािी है । पुनथथाापन एवं पुनवाास कक्रयान्वयन के दौरान पारदलशािा का अनुरक्षण करने के ललए ‘जन सू ना कें द्र (पीआईसी) की थथापना पुनथथाापन एवं पुनवाास संबंधधि सू ना का प्रसार करने िथा लशकायि तनवारण के ललए की जािी है। समाज शाजथत्रयों की तनयुजति पररयोजना प्रभाववि व्यजतियों (पीएपी) के साथ व्यापक अिं:कक्रया हालसल करने के ललए की जािी है।
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पुनथथाापन एवं पुनवाास योजना की पूति ा पर एक ‘सामाजजक प्रभाव मूल्यांकन (एसआईई)’ का सं ालन एक व्यावसातयक अलभकरण के माध्यम से भावी अधधगम हेिु आरएपी कक्रयान्वयन की प्रभावात्मकिा का मूल्यांकन करने के ललए ककया जािा है। इसके अतिररति, पनुथथाापन एव ंपुनवाास योजना के पूणा होने के पश् ाा्ि, आवश्यकिा आधाररि समुदाय ववकास कक्रयाकलापों का ककया जाना है । राज्य सरकार की पुनथथाापन एवं पुनवाास नीति, राज्य ववलशष्टय िथा सरकार नीतिगि तनदेश, जजनमें पयाावरण एवं वन मंत्रालय की शिें शालमल है, पररयोजना ववलशष्ट पुनथथाापन एवं पुनवाास योजना (आर एंड आर योजना) का तनरूपण करिे समय वव ार में ललए जािे हैं।
ववकास पररयोजनाओिं के कारण (Due to Development Projects):
1. बांध और जलाशय 2. औद्योधगक संयंत्र 3. लस ंाई, जल तनकासी 4. भूलम की मंजूर और समिलन; 5. खतनज ववकास 6. बंदरगाह और बंदरगाह ववकास 7. पुनग्राहण और भूलम का नया ववकास 8. पुनवाास और लोगों पर संभाववि प्रमुख प्रभावों के साथ सभी पररयोजनाएं; 9. नद बेलसन ववकास 10. थमाल और जल ववद्युि ववकास 11. कीटनाशकों या अन्य खिरनाक और / या ववषाति पदाथों का तनमााण, पररवहन और उपयोग। ववकास पररयोजनाओिं के कारण (Due to Development Projects):
1. भूकंप 2. खाद्य पदाथा और सूखे 3. भूथखलन 4. ज्वालामुखीय 5. ववथफोट
6. हहमथखलन।
सिंरक्षण पहिों के कारण (Due to conservation initiatives):
1. राष्ट्र य उद्यान 2. अभयारण्य 3. वन भंडार
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4. बायोथफीयर ररजवा
पयाावरणीय आिंदोिन (Environmental movements):
पयाावरण आंदोलन "सामाजजक आंदोलन का एक प्रकार है जजसमें व्यजतियों, समूहों और गठबंधन की एक सरणी शालमल होिी है जो पयाावरण संरक्षण में एक आम रुध का अनुभव करिे हैं और पयाावरण नीतियों और प्रथाओं में बदलाव लाने के ललए काया करिे हैं। (टोंग,
यांकी 2005)। मुख्य पयाावरण आंदोलनों में ध पको आंदोलन, उत्तर प्रदेश में भागीरथी और थटॉप हटहर पररयोजना सलमति, मध्य प्रदेश और गुजराि में नमादा आंदोलन (नमादा ब ाओ आंदोलन), युवा संगठनों और गांधीधमान हहल्स में आहदवासी लोगों को ब ाने की है, जजनके अजथित्व को सीधे खिरा है। भारि में पयाावरण आंदोलन मूल रूप से लोगों के जल,जंगल और जमीन से जुड ेपरम्परागि अधधकारो को पुन: थथावपि करने के संघषा से जुड ेहैं। ये आंदोलन आधतुनक ववकास के मॉडल की आलो ना ह नह ं करिे बजल्क ववकल्प भी पेश करिे हैं। ऐसा ववकल्प जो ववकास के साथ-साथ पयाावरण संरक्षण भी प्रदान करिा है, लोगों के परम्परागि अधधकारों की रक्षा करिा है िथा आम लोगों की ववकास प्रकक्रया में भागीदार सुतनजश् ि करिा है। इन आंदोलनों की एक ओर ववशषेिा यह भी है कक इन्होने जन आंदोलनों का रूप ग्रहण ककया है जजसमें आम जनिा खासकर महहलाओं िथा युवकों ने बढ- ढ कर भाग ललया। भारि में पयाावरण आंदोलन गांधीवाद िकनीकों-अहहसंा और सत्याग्रह के प्रयोग को दशाािे हैं। पयाावरण आंदोलन ववकास ववरोधी आंदोलन नह ं हैं। ये केवल ववकास को पयाावरण संरक्षण आधाररि करने, ववकास पररयोजनाओं को सामाजजक िथा मानवीय मूल्य आधाररि बनाने िथा आम आदमी के परंपरागि अधधकारों के संरक्षण िथा ववकास योजनाओं में उसकी भागीदार का समथान करिे हैं। ये आंदोलन भारिीय राज्य के ववकास की उन नीतियों पर प्रश्नध हं लगािे हैं जो आम आदमी से उसके संसाधनों को छीनकर ववलशष्ट वगा के हहिों को संरक्षक्षि कर रहा है िथा जो अिंि: पयाावरणीय ववनाश को प्रोत्साहहि कर रहा है। अि: पयाावरण आंदोलन पयाावरण ववनाश िथा संसाधनों के असमान वविरण को समाप्ि कर एक पयाावरणीय लोकिंत्र थथावपि करने का प्रयास हैं। ये न केवल भारि बजल्क ववश्व पयाावरण संकट का भी एक थथायी उत्तर प्रदान करिे हैं।
ध पको आंदोलन (Chipko movement):
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ध पको आंदोलन, भारि में एक वन संरक्षण आंदोलन था। यह 1970 के दशक में उत्तराखडं में शुरू हुआ, कफर उत्तर प्रदेश का एक हहथसा दतुनया भर में भववष्य के कई पयाावरणीय आंदोलनों के ललए एक रैल थथल बन गया। 1970 के दशक में, जंगलों के ववनाश का एक संगहठि प्रतिरोध पूरे भारि में फैल गया और इसे ध पको आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा। आंदोलन का नाम 'आललगंन' शब्द से आया है, तयोंकक ग्रामीणों ने पेडों को गले लगाया, और ठेकेदारों को पेड पौधों को कटने से रोका।
बहुि से लोग जानि ेहैं कक वपछल कुछ शिाजब्दयों में भारि में कई समुदायों ने प्रकृति को ब ाने में मदद की है। ऐसा ह एक है राजथथान का बबश्नोई समुदाय। इस समुदाय द्वारा राजथथान में 18 वीं शिाब्द के शुरुआिी भाग में लगभग 260 साल पहले मूल 'ध पको आंदोलन' शुरू ककया गया था। जोधपुर के महाराजा (राजा) के आदेश पर पेडों को धगरने स ेब ाने के प्रयास में अमिृा देवी नामक एक महहला के नेितृ्व में 84 गांवों के एक बड ेसमूह ने अपना जीवन लगा हदया। इस घटना के बाद, महाराजा ने सभी बबश्नोई गावंों में पेडों की कटाई को रोकने के ललए एक मजबूि शाह फरमान हदया। 20 वीं शिाब्द में, यह उन पहाडडयों में शुरू हुआ, जहां जंगल आजीववका का मुख्य स्रोि हैं, तयोंकक कृवष गतिववधधयों को आसानी से नह ं ककया जा सकिा है। 1973 का ध पको आंदोलन इनमें से सबसे प्रलसद्ध था। पहल ध पको की कारावाई अप्रैल 1973 में ऊपर अलकनंदा घाट के मंडल गााँव में हुई और अगले पााँ वषों में उत्तर प्रदेश के हहमालय के कई जजलों में फैल गई। अलकनंदा घाट में एक खेल सामग्री कंपनी को वन क्षेत्र का एक भूखडं आवंहटि करने के सरकार के फैसले से यह तछड गया था। इसन ेग्रामीणों को नाराज कर हदया तयोंकक कृवष उपकरण बनाने के ललए लकडी का उपयोग करने की उनकी समान मांग को पहले नकार हदया गया था। एक थथानीय एनजीओ (गैर-सरकार संगठन), डीजीएसएस (दसोल ग्राम थवराज संघ) से प्रोत्साहन के साथ, क्षते्र की महहलाएं, एक कायाकिाा, डंी प्रसाद भट्ट के नेितृ्व में, जंगल में गईं और पेडों के ारों ओर एक घेरा बनाया।
1974 में कुछ मह ने बाद, सरकार ने उत्तराखडं में रेनी गााँव के पास 2,500 पेडों की नीलामी की घोषणा की, जो अलकनंदा नद की अनदेखी करिे हैं। ग्रामीणों ने पेडों को गले लगाकर सरकार के कायों का ववरोध ककया। 24 मा ा, 1974 को, जजस हदन रेनी में पेडों को काटने के ललए लकडहारे थे, एक थथानीय लडकी ने रेना गााँव की महहला महहला मंगल दल की प्रमुख गौरा देवी को सूध ि ककया। गौरा देवी ने गााँव की 27 महहलाओं को घटना थथल पर पहुाँ ाया और लकडहारे से लभड गईं। टकराव हुआ और दोनों समूहों के बी बाि ीि ववफल रह । लकडहारे महहलाओं को धमकाने और गाल देने लगे, उन्हें बंदकू से धमकाया। महहलाओं न ेशांतिपूणा ववरोध करिे हुए पेडों को धगराने से रोकने के ललए गले लगाने का सहारा ललया। महहलाओं ने कटर से टे्रस की रखवाल करने के ललए राि भर ौकसी की, जब िक उनमें स ेकुछ भी नह ं कर पाई, गांव छोड हदया।
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इस ववरोध द्वारा प्राप्ि सफलिा ने देश के अन्य हहथसों में भी इसी िरह के ववरोध को जन्म हदया। उनके उद्गम के रूप में उत्तर प्रदेश में हहमालय में गाल गलौज के खखलाफ एक सहज ववरोध के रूप में, ध पको आंदोलन के समथाकों, मुख्य रूप से गांव की महहलाओं ने, कई क्षेत्रों में पेडों की कटाई पर सफलिापूवाक प्रतिबंध लगा हदया है और भारि में प्राकृतिक संसाधन नीति को प्रभाववि ककया है। धमू लसहं नेगी, ब नी देवी और कई अन्य गााँव की महहलाओं ने सबस ेपहले पेडों को ब ाकर उन्हें गले लगाया। उन्होंने नारा लगाया: 'जंगलों का तया मिलब है?
लमट्ट , पानी और शुद्ध हवा ’। पहाडडयों में ध पको आंदोलन की सफलिा ने हजारों पेडों को धगरने से ब ा ललया। कुछ अन्य व्यजति भी इस आंदोलन में शालमल हुए हैं और इस ेउध ि हदशा द है। गांधीवाद कायाकिाा और दाशातनक, श्री सुंदरलाल बहुगुणा, जजनकी भारि की ित्काल न प्रधान मंत्री श्रीमिी इंहदरा गांधी से अपील थी, के पररणामथवरूप हरे रंग की कटाई पर प्रतिबंध लगा हदया गया था। श्री बहुगुणा ने ध पको का नारा हदया: 'पाररजथथतिकी थथायी अथाव्यवथथा है'। श्री डंी प्रसाद भट्ट, ध पको आंदोलन के एक अन्य नेिा हैं। उन्होंने थथानीय लाभ के ललए वन संपदा के संरक्षण और थथायी उपयोग के आधार पर थथानीय उद्योगों के ववकास को प्रोत्साहहि ककया। श्री घनश्याम रिूडी, ध पको कवव, जजनके गीि पूरे उत्तर प्रदेश के हहमालय में गूंजिे हैं, न ेएक कवविा ललखी थी, जजसमें वकृ्षों को गले लगाने से ब ाने के ललए गले लगाने की ववधध का वणान ककया गया था: उन्होंने उत्तर प्रदेश में ध पको ववरोध प्रदशानों को 1980 में भारि के ित्काल न प्रधान मंत्री श्रीमिी इंहदरा गांधी के आदेश से उस राज्य के हहमालयी जंगलों में हररयाल पर 15 साल के प्रतिबंध के साथ एक बडी जीि हालसल की। िब से यह आंदोलन देश के कई राज्यों में फैल गया। उत्तर प्रदेश में 15 साल के प्रतिबंध के अलावा, आंदोलन ने पजश् मी घाटों और ववधं्य में बाड लगाना बंद कर हदया है और प्राकृतिक संसाधन नीति के ललए दबाव बनाया है जो लोगों की जरूरिों और पाररजथथतिक आवश्यकिाओं के प्रति अधधक संवेदनशील है।
अप्पपको आिंदोिन (The Appiko Movement):
ध पको आन्दोलन की िरह दक्षक्षण भारि के अजप्पको आन्दोलन को अब िीन दशक से ज्यादा हो गए हैं। दक्षक्षण भारि में पयाावरण के प्रति ेिना जगाने में इसका उल्लेखनीय योगदान है। देशी बीजों से लेकर वनों को ब ाने का आन्दोलन लगािार कई रूपों में फैल रहा है।
हाल ह में मैं 15 लसिम्बर को अजप्पको आन्दोलन के सूत्रधार पांडुरंग हेगड ेसे लमला। लसरसी जथथि अजप्पको आन्दोलन के कायाालय में उनसे मुलाकाि और लम्बी बाि ीि हुई। कर ब 34
साल बीि गए, वे इस लमशन में लगािार सकक्रय हैं। अब वे अलग-अलग िरह से पयाावरण के प्रति िेना जगाने की कोलशश कर रहे हैं। 80 के दशक में उभरे अजप्पको आन्दोलन में पांडुरंग हेगड ेजी की ह प्रमुख भूलमका रह है। एक जमाने में हदल्ल ववश्वववद्यालय से सामाजजक
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काया में गोल्ड मेडललथट रहे हैं। अपनी पढाई के दौरान वे ध पको आन्दोलन में शालमल हुए और कई गााँवों में घूमे, कायाकिााओं से लमले। ध पको के प्रणेिा सुन्दरलाल बहुगुणा से लमले। यह वह मोड था जजसने उनकी जजन्दगी की हदशा बदल द । कुछ समय मध्य प्रदेश के दमोह में लोगों के बी काम ककया और अपने गााँव लौट आये। और जीवन में कुछ साथाक करने की िलाश करने लगे। कुछ साल बाहर रहने के बाद गााँव लौटे िो इलाके की िथवीर बदल -बदल लगी। जंगल कम हो रहे हैं, हरे पेड कट रहे हैं। इससे पांडुरंग व्यधथि हो गए, उन्हें उनका ब पन याद आ गया। उन्होंने अपने ब पन में इस इलाके में बहुि घना जंगल देखा था। हरे पेड, शरे, हहरण, जंगल सअुर, जंगल भैंसा, बहुि से पक्षी और िरह-िरह की ध डडयााँ देखी थीं। पर कुछ सालों के अन्िराल में इसमें कमी आई। इस सबको देखिे हुए उन्होंने काल नद के आसपास पदयात्रा की। उन्होंन ेदेखा कक वहााँ जंगल की कटाई हो रह है। खनन ककया जा रहा है। ग्रामीणों के साथ लमलकर कुछ करने का मन बनाया। सबसे पहले सलकानी गााँव के कर ब डढे सौ थत्री-पुरूषों ने जंगल की पदयात्रा की। वहााँ वन ववभाग के आदेश से पेडों को कुल्हाडी से काटा जा रहा था। लोगों ने उन्हें रोका, पेडों स ेध पक गए और आखखरकार, वे पेडों को ब ाने में सफल हुए। यह आन्दोलन जल्द ह जंगल की िरह फैल गया। सलकानी के आन्दोलन की ाा पडोसी लसद्दापुर िालुका और प्रदेश में दसूरे थथानों िक पहुाँ गई।यह अनूठा आन्दोलन था, यह ध पको की िरह था। कन्नड भाषा में अजप्पको शब्द ध पको का ह पयााय है। पांडुरंग जी ने बिाया- हमारा उद्देश्य जंगल को ब ाना है, जो हमारे जीने के ललये और समथि जीवों के ललये जरूर है। हमें सबका सहयोग ाहहए पर ककसी का एकाधधकार नह ं। हम सरकार की वन नीति में बदलाव ाहिे हैं, जो कृवष में सहायक हो। तयोंकक खेिी ह देश के बहुसंख्यकों की जीववका का आधार है। ध पको आन्दोलन हहमालय में 70 के दशक में उभरा था और देश-दतुनया में इसकी काफी ाा हुई थी। पयाावरण के प्रति िेना जगाने का यह शायद देश में पहला आन्दोलन था। ध पको के प्रणेिा सुन्दरलाल बहुगुणा ने अजप्पको पर बनी कफल्म में ध पको की शुरुआि कैसे हुई, इसकी कहानी सुनाई है। उन्होंने उस महहला से सवाल ककया, जो सबसे पहले पेड को ब ाने के ललये उससे ध पक गई थी, आप को यह वव ार कैसे आया? महहला ने जवाब हदया- कल्पना करें कक मैं अपने बच् ेके साथ जगंल जा रह हूाँ और जंगल स ेभालू और शरे आ जाएाँ। िब मैं उन्हें देखिे ह अपन ेबच् े को सीने लगा लूाँगी और उसे ब ा लूाँगी। इसी प्रकार जब पेडों को काटने के ललये ध जन्हि ककया गया िो मैंने सो ा मैं उसे गले से गला लूाँ, वे मुझ ेनह ं मारेंगे और पेड ब जाएाँगे। इस िरह ध पको का वव ार सभी जगह फैल गया। ध पको से प्रभाववि अजप्पको आन्दोलन भी कनााटक के लसरसी से होिे हुए दक्षक्षण भारि में फैलने लगा। इसके ललये कई यात्राएाँ की गईं, थलाइड शो और नुतकड नाटक ककये गए। सागौन और यूकेललप्टस के वकृ्षारोपण का काफी ववरोध ककया गया। तयोंकक इससे जैव ववववधिा का नुकसान होिा। यहााँ न केवल बहुि समदृ्ध जैवववववधिा है बजल्क सदानीरा पानी के स्रोि भी हैं।
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शुरुआिी दौर में आन्दोलन को दबाने की कोलशश की, पर यह आन्दोलन जनिा में बहुि लोकवप्रय हो कुा था और पूर िरह अहहसंा पर आधाररि था। जगह-जगह लोग पेडों से ध पक गए और उन्हें कटने से ब ाया। इसका पररणाम यह हुआ कक सरकार न ेहरे वकृ्षों की कटाई पर कानूनी रोक लगाई, जो आन्दोलन की बडी सफलिा थी। इसके अलावा, दसूरे दौर में लोगों ने अलग-अलग िरह से पेड लगाए। इस आन्दोलन का ववथिार बड े बााँधों का ववरोध हुआ। इसके दबाव में केन्द्र सरकार ने माधव गाडधगल की अध्यक्षिा में गाडधगल सलमति बनाई। यहााँ हर साल अजप्पको की शुरुआि वाले हदन 8 लसिम्बर को सह्याद्र हदवस मनाया जािा है। कुल लमलाकर, यह कहा जा सकिा है कक जो अजप्पको आन्दोलन कनााटक के पजश् मी घाट में शुरू हुआ था, अब वह फैल गया है। इस आन्दोलन ने एक नारा हदया था उल सू, बेलासू और बालूसू। यानी जंगल ब ाओ, पेड लगाओ और उनका ककफायि से इथिेमाल करो। यह आन्दोलन आम लोगों और उनकी जरूरिों से जुडा है, यह कारण है कक इिने लम्ब ेसमय िक ल रहा है। अजप्पको को इस इलाके में आई कई ववनाशकार पररयोजनाओं को रोकने में सफलिा लमल , कुछ में सफल नह ं भी हुए। लेककन अजप्पको का दक्षक्षण भारि में वनों को ब ाने के साथ पयाावरण िेना जगाने में अमूल्य योगदान हमेशा ह याद ककया जाएगा।
साइलेंट घाट आंदोलन (Silent Valley Movement):
केरल की शांि घाट 89 वगा ककलामीटर क्षेत्र में है जो अपनी घनी जैवववववधिा के ललए मशहूर है। 1980 में यहााँ कंुिीपूंझ नद पर कंुदरेमुख पररयोजना के अिंगाि 200 मेगाबाट बबजल तनमााण हेिु बांध का प्रथिाव रखा गया। केरल सरकार इस पररयोजना के ललए बहुि इच्छुक थी लेककन इस पररयोजना के ववरोध में वैज्ञातनकों, पयाावरण कायाकिााओं िथा क्षेबत्रय लोगों के आवाज गूंजने लगे। इनका मानना था कक इससे इस क्षेत्र के कई ववशषे फूलों, पौधों िथा लुप्ि होने वाल प्रजातियों को खिरा है। इसके अलावा यह पजश् मी घाट की कई सहदयों पुरानी संिुललि पाररजथथतिकी को भार हातन पहुाँ ा सकिा है। लेककन राज्य सरकार इस पररयोजना को ककसी की पररजथथति में संपंन करना ाहिी थी। अिं में ित्काल न प्रधानमंत्री श्रीमिी इजन्दरा गांधी ने इस वववाद में मध्यथथा की और अिंि: राज्य सरकार को इस पररयोजना को थथधगि करना पडा जो घाट के पाररजथथतिकी संिुलन को बनाये रखन ेमें मील का पत्थर साबबि हुआ। वनथपति ववज्ञान के लशक्षक एमके प्रसाद भी साइलेंट वैल में हाइरोपावर प्रोजेतट के खिरों को भांप केु थे। वे केरल शाथत्र साहहत्य पररषद (केएसएसपी) नाम के एक लोक ववज्ञान आंदोलन से जुड ेथे। पररषद की पबत्रका में उन्होंने साइलेंट वैल में बांध तनमााण की योजना के खखलाफ एक लेख ललखा। इस लेख को खबू प्रतिकक्रयाएं लमल ं। जल्द ह एक मुद्दा मीडडया और जन सभाओं में ध ाि हो गया। बॉम्बे ने रुल हहथट्र सोसायट , फ्रें ड्स ऑफ ट्र ज सोसायट और वल्डा वाइल्डलाइफ फंड जैसी संथथाएं ने भी इस अलभयान को समथान देना शुरू कर हदया।
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हालांकक, केरल राज्य ववद्युि मंडल ने इस मुद्दे को अपने पक्ष में मोडने के भरसक प्रयास ककए। िका हदया कक पररयोजना से उत्तर केरल के इलाकों में बबजल पहंु गी, जबकक बांध से जंगल का एक छोटा-सा हहथसा (830 हेतटेयर) ह डूबेगा। लोगों को यहां िक समझाने की कोलशश की गई कक साइलेंट वैल में दरअसल कुछ भी खास नह ं है! लेककन ‘साइलेंट घाट ब ाओ आंदोलन’ के समथाकों ने इन दावों को नकार हदया। िब िक कई प्रोफेसर, वैज्ञातनक और ित्काल न व पूवा नौकरशाह अलभयान से जुड केु थे। प्रसाद बिािे हैं कक ‘हद हहदं’ू और ‘इंडडयन एतसप्रेस’ को छोडकर मंडल पूरे अगें्रजी और मलयाल मीडडया को बांध के पक्ष में करने में कामयाब हो गया था। इन्होंने प्रसाद पर अमेररकी एजेंट होने के आरोप भी लगाए। उन्हें परोक्ष रूप से जान से मारने की धमककयां भी द गईं। इस बी , सरकार ने जलववद्युि पररयोजना से साइलेंट वैल के पयाावरण पर पडने वाले असर को जानने के ललए कई सलमतियों का गठन ककया। ववशषेज्ञों ने पहल बार साइलेंट वैल की समदृ्ध जैव-ववववधिा के सवेक्षण के ललए वहां का दौरा ककया। एक सलमति ने पयाावरण को ब ाने के ललए सुरक्षात्मक उपायों का सुझाव हदया, जजसे केरल सरकार ने िुरंि थवीकार कर ललया। ित्काल न कृवष सध व एमएस थवामीनाथन की अध्यक्षिा वाल एक अन्य सलमति न ेपररयोजना को खाररज करने की लसफाररश की। यह लडाई अदालिों में भी लडी गई। सन 1980
में जब इंहदरा गांधी दसूर बार प्रधानमंत्री बनीं िो उन्होंने केरल सरकार से बांध का काम िब िक रोकने को कहा, जब िक पररयोजना के प्रभाव का पूरा मूल्यांकन नह ं हो जािा। इसका निीजा यह हुआ कक एमजीके मेनन की अध्यक्षिा में कें द्र और राज्य की एक संयुति सलमति बनाई गई। अपनी ररपोटा में सलमति ने कहा कक 830 हैतटेयर का जो क्षेत्र बांध की वजह से डूबेगा, वह प्राकृति द्वारा संजोये गए नदिट य पाररजथथतिकी िंत्र का महत्वपूणा उदाहरण है। बांध बनने से साइलेंट वलै में लोगों की आवाजाह बढेगी और जैव-ववववधिा पर बुरा असर पड सकिा है, जजससे पूरा इको-लसथटम गडबडा जाएगा। आखखर 15 नवंबर, 1984 को साइलेंट वैल को राष्ट्र य उद्यान घोवषि कर हदया गया। देश के पयाावरण इतिहास में यह ऐतिहालसक क्षण था। इससे पहले पयाावरण संरक्षण आमिौर पर वकृ्षारोपण िक सीलमि समझा जािा था, लेककन इस आंदोलन ने देश को एक नई दृजष्ट द । ववकास योजनाओं की मंजूर से पहले पयाावरण पर इसके असर के मूल्यांकन यानी एन्वायरनमेंट इम्पैतट असेथमेंट (ईआईए) का वव ार यह ं स ेजन्मा और जन सुनवाई अतनवाया हो गई। प्रसाद कहिे हैं, मैं बहुि ककथमि वाला हंू कक ऐस ेआंदोलन का हहथसा बन सका।
बबश्नोई आंदोलन (Bishnois of Rajasthan):
ववकास की अधंी दौड में इंसानों ने पयाावरण को िहस-नहस कर हदया है। अपने महत्वाकांक्षी प्रॉजेतट्स के ललए कई बार सरकार ने जंगलों का दोहन ककया, नहदयों को बांधा और लाखों पेड कटवा हदए। लेककन ऐसे में कई बार अपन ेपयाावरण के ललए खदु थथानीय लोगों न ेलडाइया ंलडीं।
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बबश्नोई आंदोलन (Bishnoi Movement) मध्यकाल न राजथथान से हमें पयाावरण िेना का एक सुदरू उदाहरण लमलिा है। ववश्नोई सम्प्रदाय के संथथापक जम्भोजी (1451-1536 ई०) द्वारा अपने अनुयातययों के ललए 29 तनयम हदये गये थे
राजथथान का बबश्नोई समुदाय। इस समुदाय द्वारा राजथथान में 18 वीं शिाब्द के शुरुआिी भाग में लगभग 260 साल पहले मूल 'ध पको आंदोलन' शुरू ककया गया था। जोधपुर के महाराजा (राजा) के आदेश पर पेडों को धगरन ेस ेब ाने के प्रयास में अमिृा देवी नामक एक महहला के नेितृ्व में 84 गांवों के एक बड ेसमूह ने अपना जीवन लगा हदया।
1730 में जोधपुर के राजा अभय लसहं ने महल बनवाने के ललए लकडडयों का इंिजाम करने के ललए अपने सैतनकों को भेजा। महाराज के सैतनक पेड काटने के ललए राजथथान के खेजर गांव में पहंु ेिो वहां की महहलाएं अपनी जान की परवाह ककए बबना पेडों को ब ाने के ललए आ गईं। ववश्नोई समाज के लोग पेडों की पूजा करि ेथे। सबसे पहले अमिृा देवी सामने आईं और एक पेड से ललपट गईं। उन्हें अपनी जान गंवानी पडी। उन्हें देखकर उनकी बेहटयां भी पेडों से ललपट गईं। उनकी भी जान ल गई। यह खबर जब गांव में फैल िो गांव की 300 से ज्यादा महहलाएं पेडों को ब ाने के ललए पहंु गईं और अपने प्राणों का बललदान दे हदया। इस घटना के बाद, महाराजा ने सभी बबश्नोई गांवों में पेडों की कटाई को रोकने के ललए एक मजबूि शाह फरमान हदया।
नमादा ब ाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan):
नमादा ब ाओ आंदोलन भारि में ल रहे पयाावरण आंदोलनों की पररपतविा का उदाहरण है। इसने पहल बार पयाावरण द्वारा ववकास के संघषा को राष्ट्र य थिर पर ाा का ववषय बनाया जजसमें न केवल ववथथावपि लोगों बजल्क वैज्ञातनकों, गैर सरकार संगठनों िथा आम जनिा की भी भागीदार रह । नमादा नद पर सरदार सरोवर बांध पररयोजना का उद्घाटन 1961 में पंडडि जवाहर लाल नेहरू न े ककया था। लेककन िीन राज्यों-गुजराि, मध्य प्रदेश िथा राजथथान के मध्य एक उपयुति जल वविरण नीति पर कोई सहमति नह ं बन पायी। 1969 में, सरकार ने नमादा जल वववाद न्यायाधधकरण का गठन ककया िाकक जल संबंधी वववाद का हल करके पररयोजना का काया शुरु ककया जा सके। 1979 में न्यायाधधकरण सवासम्मति पर पहुाँ ा िथा नमादा घाट पररयोजना ने जन्म ललया जजसमें नमादा नद िथा उसकी 4134 नहदयों पर दो ववशाल बांधों – गुजराि में सरदार सरोवर बांध िथा मध्य प्रदेश में नमादा सागर बांध, 28
मध्यम बांध िथा 3000 जल पररयोजनाओं का तनमााण शालमल था। 1985 में इस पररयोजना के ललए ववश्व बैंक ने 450 करोड डॉलर का लोन देने की घोषणा की सरकार के अनुसार इस पररयोजना से मध्य प्रदेश, गुजराि िथा राजथथान के सूखा ग्रथि क्षेत्रों की 2.27 करोड हेतटेयर भूलम को लस ंाई के ललए जल लमलेगा, बबजल का तनमााण होगा, पीन ेके ललए जल लमलेगा िथा क्षेत्र में बाढ को रोका जा सकेगा। नमादा पररयोजना ने एक गंभीर वववाद को जन्म हदया है। एक ओर इस पररयोजना को समदृ्धध िथा ववकास का सू क माना जा रहा है जजसके पररणाम
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थवरूप लस ंाई, पेयजल की आपूति ा, बाढ पर तनयं9ॅाण, रोजगार के नये अवसर, बबजल िथा सूखे से ब ाव आहद लाभों को प्राप्ि करन ेकी बाि की जा रह है वह ं दसूर ओर अनुमान है कक इससे िीन राज्यों की 37000 हेतटेयर भूलम जलमग्न हो जाएगी जजसमें 13000 हेतटेयर वन भूलम है। यह भी अनुमान है कक इससेॅे 248 गांव के एक लाख से अधधक लोग ववथथावपि होंगे। जजनमें 58 प्रतिशि लोग आहदवासी क्षेत्र के हैं। इस पररयोजना के ववरोध ने अब एक जन आंदोलन का रूप ले ललया है। 1980- 87 के दौरान जन जातियों के अधधकारों की समथाक गैर सरकार संथथा अ ॅाक वाहनी के नेिा अतनल पटेल ने जनजातिय लोगों के पुनावास के अधधकारों को लेकर हाई कोटा व सवोच् न्यायालय में लडाई लडी। सवोच् न्यायालय के आदेशों के पररणाम थवरूप गुजराि सरकार ने हदसम्बर 1987 में एक पुनावास नीति घोवषि की। दसूर ओर 1989 में मेधा पाटेकर द्वारा लाए गये नमादा ब ाओ आंदोलन ने सरदार सरोवर पररयोजना िथा इससे ववथथावपि लोगों के पुनावास की नीतियों के कक्रयांवयन की कलमयों को उजागर ककया है। शुरू में आंदोलन का उद्देश्य बांध को रोककर पयाावरण ववनाश िथा इससे लोगों के ववथथापन को रोकना था। बाद में आंदोलन का उद्देश्य बांध के कारण ववथथावपि लोगों को सरकार द्वारा द जा रह राहि कायों की देख-रेख िथा उनके अधधकारों के ललए न्यायालय में जाना बन गया। आंदोलन की यह भी मांग है कक जजन लोगों की जमीन ल जा रह है उन्हें योजना में भागीदार का अधधकार होना ाहहए, उन्हें अपने ललए न केवल उध ि भुगिान का अधधकार होना ाहहए बजल्क पररयोजना के लाभों में भी भागीदार होनी ाहहए। इस प्रकक्रया में नमादा ब ाओ आंदोलन ने विामान ववकास के मॉडल पर प्रश्नध न्ह लगाया है। नमादा ब ाओ आन्दोलन जो एक जन आन्दोलन के रूप में उभरा, कई समाजसेववयों, पयाावरणववदों, छात्रों, महहलाओं, आहदवालसयों, ककसानों िथा मानव अधधकार कायाकिााओं का एक संगहठि समूह बना। आन्दोलन ने ववरोध के कई िर के अपनाए जैसे- भखू हडिाल, पदयात्राए,ं
समा ार पत्रों के माध्यम से, िथा कफल्मी कलाकारों िथा हजथियों को अपने आंदोलन में शालमल कर अपनी बाि आम लोगों िथा सरकार िक पहुाँ ान ेकी कोलशश की। इसके मुख्य कायाकिाओंॅं में मेधा पाटेकर के अलावा अतनल पटेल, बुकर सम्मान से नवाजी गयी अरुणधिी रॉय, बाबा आम्टे आहद शालमल हैं।
राष्ट्रीय हररत अगधकरण National Green Tribunal (NGT):
राष्ट्र य हररि अधधकरण पयाावरण से संबंधधि ककसी भी कानूनी अधधकार के प्रविान िथा व्यजतियों एवं संपवत्त के नुकसान के ललए सहायिा और क्षतिपूति ा देने या उससे संबंधधि या उससे जुड ेमामलों सहहि, पयाावरण संरक्षण एवं वनों िथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधधि मामलों के प्रभावी और शीघ्रगामी तनपटारे के ललए राष्ट्र य हररि अधधकरण
अधधतनयम 2010 के अिंगाि 18.10.2010 को राष्ट्र य हररि अधधकरण की थथापना की गई यह एक ववलशष्ट तनकाय है जो बहु-अनुशासनात्मक समथयाओं वाले पयाावरणीय वववादों को
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संभालने के ललए आवश्यक ववशषेज्ञिा द्वारा सुसजज्जि है अधधकरण, लसववल प्रकक्रया संहहिा, 1908 के अिंगाि तनधााररि प्रकक्रया द्वारा बाध्य नह ं होगा, लेककन नैसधगाक न्याय के लसद्धांिों द्वारा तनदेलशि ककया जाएगा पयाावरण संबंधी मामलों में अधधकरण का समवपाि क्षेत्राधधकार िीव्र पयाावरणीय न्याय प्रदान करेगा िथा उच् न्यायालयों में मुकदमेबाजी के भार को कम करने में सहायिा करेगा अधधकरण को आवेदनों या अपीलों के प्राप्ि होन ेके ६ मह न ेके अदंर उनके तनपटान का प्रयास करने का काया सौंपा गया है. भी ककए जािे हैं। 02 जून 2010 को भारि राष्ट्र य हररि अधधकरण पयाावरण कानून अजथित्व में आया। 1992 में ररयो में हुई ग्लोबल यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रें स ऑन एन्वॉयरनमेंट एण्ड डवेलपमेन्ट में अन्िरराष्ट्र य सहमिी बनने के बाद से ह देश में इस कानून का तनमााण जरूर हो गया था। भारि की कई संवैधातनक संथथाओं ने भी इसकी संथिुिी की थी। नेशनल ग्रीन ट्र ब्यूनल एक संवैधातनक संथथा है। इसके दायरे में देश में लागू पयाावरण, जल, जंगल, वायु और जैववववधिा के सभी तनयम-कानून आिे हैं।
हट्रब्यूनल यानी एक ववशषे कोटा। इसे न्यायाधधकरण ह कहिे हैं। वह क्षेत्र ववशषे सम्बन्धी मामलों को ह लेिा है। जैसे एनजीट में पयाावरण, रक्षा, वनों के सरंक्षण, इससे जुडी क्षति-पूति ा या लोगों को हुए नुकसान आहद के बारे में ह तनणाय ललए जािे हैं। दसूर ओर अगर कोटा को देखें िो इसमें अनेक मामले आिे हैं, जो ववववध ववषय पर आधाररि होिे हैं। 18 अतटूबर 2010
को एक अधधतनयम के द्वारा पयाावरण से सम्बजन्धि कानूनी अधधकारों को लागू करने एवं व्यजतियों और सम्पवत्तयों के नुकसान के ललए सहायिा और क्षति-पूति ा देने के ललए यह राष्ट्र य हररि अधधकरण पयाावरण बनाया गया।
इसका मुख्य केन्द्र, हदल्ल में है। इसकी ार क्षेत्रीय शाखाएं पुणे, भोपाल, ने्नई और कोलकािा में थथावपि की गई हैं। इसके अलावा जरूरि के हहसाब से इसकी अन्य शाखाएं बनाई जा सकिी हैं। एनजीट के येरमैन सुप्रीम कोटा के सेवातनवतृ्त जज होिे हैं। उनके साथ न्यातयक सदथय के रूप में हाईकोटा के सेवातनवतृ्त जज होिे हैं। एनजीट में लसफा इन कानून से जुडी बािों को नुौिी द जा सकिी है-
राष्ट्रीय हररत अगधकरण (NGT) की शप्ततयााँ: राष्ट्र य हररि अधधकरण के पास पयाावरणीय मुद्दों और सवालों से संबंधधि सभी नागररक मामलों को सुनने की शजति है जो राष्ट्र य हररि अधधकरण अधधतनयम की अनुसू ी 1 में सू ीबद्ध काननूों के कायाान्वयन से जुड ेहैं। इनमें तनम्नललखखि शालमल हैं: 1. जल (प्रदषूण की रोकथाम और तनयंत्रण) अधधतनयम, 1974; 2. द वाटर (रोकथाम और प्रदषूण का तनयंत्रण) उपकर अधधतनयम, 1977; 3. वन (संरक्षण) अधधतनयम, 1980; 4. वायु (रोकथाम और प्रदषूण का तनयंत्रण) अधधतनयम, 1981; 5. पयाावरण (संरक्षण) अधधतनयम, 1986;
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इसका मिलब है कक इन कानूनों से संबंधधि ककसी भी उल्लंघन, या इन कानूनों के िहि सरकार द्वारा ललए गए ककसी भी आदेश / तनणाय को एनजीट के समक्ष नुौिी द जा सकिी है। महत्वपूणा रूप से, एनजीट को वन्यजीव (संरक्षण) अधधतनयम, 1972, भारिीय वन अधधतनयम, 1927 से सबंंधधि ककसी भी मामले को सुनने के ललए शजतियों के साथ तनहहि नह ं ककया गया है और वनों, वकृ्ष संरक्षण आहद से संबंधधि राज्यों द्वारा लागू ककए गए ववलभन्न कानून हैं, इसललए, ववलशष्ट और पयााप्ि। इन कानूनों से संबंधधि मुद्दों को एनजीट के समक्ष नह ं उठाया जा सकिा है। आपको ररट याध का (पीआईएल) के माध्यम से राज्य उच् न्यायालय या उच् िम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा या उस मामले के उपयुति लसववल जज के समक्ष एक मूल मुकदमा दायर करना होगा जहााँ नुौिी देने का इरादा रखने वाल पररयोजना जथथि है। राष्ट्रीय हररत अगधकरण से सिंपका कौन कर सकता है: एनजीट राष्ट्र य हररि अधधकरण अधधतनयम के अनुसार, एक पीडडि व्यजति हट्रब्यूनल के समक्ष मामला दजा कर सकिा है, और एक व्यजति, एक कंपनी, एक फमा, व्यजतियों का एक संघ (एक एनजीओ की िरह) हो सकिा है, भले ह पंजीकृि या तनगलमि न हो, एक ट्रथट , थथानीय प्राधधकरण (एक नगर तनगम की िरह), या एक सरकार तनकाय (राज्य प्रदषूण तनयंत्रण बोडा की िरह)। व्यजति को पररयोजना या ववकास से सीधे प्रभाववि होने की आवश्यकिा नह ं है, लेककन ऐसा कोई भी व्यजति हो सकिा है जो पयाावरण की रक्षा और संरक्षण में रुध रखिा हो। एक समय अवधध है जजसके भीिर मामले को हट्रब्यूनल के सामने लाया जाना है, जो कक केस के प्रकार के अनुसार बदलिा रहिा है।
पयाावरण नैतिकिा (Environmental ethics):
“पयाावरण नैतिकिा मनुष्यों और पयाावरण के बी नैतिक संबंध, और पयाावरण और इसकी गैर-मानव सामग्री के मूल्य और नैतिक जथथति का भी अध्ययन करिी है”।
आप पयाावरण और पयाावरण संबंधी मुद्दों की बुतनयाद अवधारणाओं के बारे में जान केु हैं। आपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकिाओं के बारे में भी जानिे हैं। पथृ्वी एक है लेककन ववश्व नह ं। हमारे जीवन को बनाए रखने के ललये एक जैवमंडल पर हम सबको तनभार रहना होिा है। अभी िक प्रत्येक समुदाय एवं प्रत्येक देश अपनी उत्तरजीवविा के ललये अन्य लोगों पर तनभार रहिा है एवं समदृ्धध के ललये इसके प्रभाव के ललये दसूरों पर तनभार होिे हैं।
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नैतिकिा दशान शाथत्र की एक शाखा है जो मूल्यों एवं आ ारों के बारे में बिािी है। नैतिकिा एक लसद्धान्ि है जजसमें हम िय करिे हैं काया अच्छा है या बुरा, सह है या गलि। एक
सदा ार होने के नािे सह आ रण एवं अच्छे जीवन को अपनाना ाहहए जजससे जीवन का सह उपयोग हो। लेककन हर ककसी को एक बाि याद रखनी ाहहए कक हर एक व्यजति की पयाावरण के प्रति कुछ जजम्मेदार है तयोंकक वह न केवल भोजन एवं अन्य पदाथा प्रदान करिे हैं बजल्क मानव को अच्छा जीवन जीने के ललये सुरुध पूणा ढंग से संिुष्ट भी करिे हैं।
पयाावरणीय नैततकता और उनका महत्त्व:
पयाावरणीय नैतिकिा दशान शाथत्र का वह भाग है जो मानव और प्राकृतिक पयाावरण के बी नैतिक संबंधों को समझािा है। जैसा कक पहले ह बिाया गया है कक यह आवश्यक है कक मनुष्य को प्रकृति के साथ सद्भाव में जीना सीखना ाहहए। आप पहले से ह जानिे हैं कक प्राकृतिक पाररिंत्रों के बी में संिुलन को बनाये रखने के ललये ववलभन्न घटकों के बी ववलभन्न प्रकक्रयाओं जजनमें थवांगीकरण एवं पुनः क्रीकरण शालमल है संिुललि होना ाहहए। लेककन बढिी मानव जनसंख्या के द्वारा संसाधनों के अतिदोहन के कारण प्राकृतिक संिुलन बबगड जािा है। प्रौद्योधगकी के इथिेमाल और आधथाक ववकास के कारण पाररजथथतिकीय समथयाओं की वदृ्धध होिी है। आधथाक उन्नति की प्राजप्ि पयाावरण की कीमि पर लमलिी है। जजसके कारण प्रदषूण में बढोत्तर , जैव ववववधिा में कमी एवं आधारभूि संसाधनों की अत्यधधक कमी हो जािी है। नैतिक मूल्यों या आ ारों की भूलमका महत्त्वपूणा होिी है तयोंकक यह ककसी भी ववकासात्मक प्रकक्रयाओं की, शजति एवं कमजोररयााँ होिी हैं जैसे वनोन्मूलन, बांध का तनमााण, खनन, आद्राभूलम से पानी का तनकास इत्याहद। बहुि से नैतिक तनणाय ललये गये हैं कक मनुष्य को अपने पयाावरण के प्रति सद्भावना बनाए रखने की जरूरि है। उदाहरण के ललये तया ककसी को वनों की कटाई जार रखनी ाहहए? जीवाश्मीय ईंधन का अधधकाधधक प्रयोग कब िक जार रखना ाहहए? तया मानव को ककसी अन्य प्रजाति के ववलोपन का कारण बनना ाहहये? हम कौन स े पयाावरणीय दातयत्वों को मानें जजससे कक हम थवथथ पयाावरण अपनी भावी पीहढयों के ललये बनाए रख सकें ।
पयाावरण का काया (Function of environment):
1. जीवों के ललए एक सहायक माध्यम है 2. यह भोजन, हवा, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रदान करिा है 3. जलवायु पररजथथतियों को तनयंबत्रि करिा है 4. समाज द्वारा अपलशष्ट तनवाहन को ववघहटि करना 5. थवथथ अथाव्यवथथा थवाथथ्य पयाावरण पर तनभार करिी है पयाावरणीय समर्सयाएाँ Environmental problems:
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1. वनों की कटाई 2. जनसंख्या वदृ्धध और शहर करण 3. प्रवाह और धएुाँ के कारण प्रदषूण 4. पानी की कमी 5. भूलम क्षरण पयाावरणीय समर्सयाओिं के समाधान (Solutions to environmental problems):
1. ऊजाा स्रोिों और अपलशष्ट उत्पादन को कम करना 2. अपलशष्ट उत्पादों का पुन ाक्रण और पुन: उपयोग 3. लमट्ट का क्षरण कम से कम होना ाहहए 4. संरक्षण और संसाधनों द्वारा सिि ववकास 5. प्राकृतिक संसाधनों के अति-दोहन को कम करना होगा 6. जैव-ववववधिा का संरक्षण 7. जनसंख्या को कम करने और आधथाक ववकास में वदृ्धध
पयाावरण सिंरक्षण में ववलभन्न धमों और सािंर्सकृततक र्ाओिं की भूलमका (Role of various
religions and cultural practices in environmental conservation):
लगभग सभी धमा ब्रह्मांड, या ब्रह्मांड के तनमााण के मुद्दे को अलग-अलग रूपों में और थपष्टिा या ववथिार की अलग-अलग डडग्री के साथ संबोधधि करिे हैं। हालााँकक, सभी धमा इस बाि से सहमि हैं कक सजृष्ट ईश्वर का काया है और इसे ऐसा ह माना जाना ाहहए। धमा अपनी मान्यिाओं और लशक्षाओं द्वारा पयाावरण संरक्षण और संरक्षण में अपनी भूलमका तनभािा है; यह मनुष्य और प्रकृति के बी संबंधों को तनदेलशि करिा है, यह नैतिक रूपरेखा प्रदान करिा है। प्रमुख धमा; ईसाई धमा, इथलाम, यहूद धमा, बौद्ध धमा और हहदं ू धमा ने पयाावरण संरक्षण के ललए समान दृजष्टकोण या परंपराओं को अपनाया है। ये हैं: प्रभुत्व: सजृष्ट के शीषा पर मनुष्य और आवश्यकिानुसार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना। निेतृ्व: मानव सजृष्ट पर एक प्रतितनधध प्रभुत्व रखिा है और प्राकृतिक संसाधनों, सहानुभूति के उनके उपयोग के ललए जजम्मेदार और जवाबदेह है: प्रकृति मानव दवु्यावहार और भगवान और पूजा से प्रभाववि होिी है: प्रकृति भगवान को महहमा देिी है और प्रकृति पववत्र है। ये दृजष्टकोण परथपर संबद्ध हैं और ये सभी एक दसूरे के पूरक हैं। सभी थिरों पर आध्याजत्मक नेिा पयाावरण और ईश्वर की र ना की रक्षा के ललए एक नैतिक,
नैतिक और आध्याजत्मक प्रतिबद्धिा के ललए वैजश्वक एकजुटिा की सफलिा के ललए महत्वपूणा हैं। ये नेिा पयावेक्षक बन सकिे हैं, सावाजतनक प्रतिबद्धिाएाँ बना सकिे हैं, अपनी प्रतिबद्धिाओं और उन्हें रखने की नुौतियों और खलुशयों की कहानी साझा कर सकिे हैं, और दसूरों को उनसे जुडने के ललए आमंबत्रि कर सकिे हैं। इसके अलावा, वे अपने अनुयातययों और जनिा के ललए रोल मॉडल के रूप में काया करिे हुए, अपने थथायी व्यवहार को प्रदलशाि कर
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सकिे हैं। तनम्नललखखि इस बाि का प्रतिबबबं है कक कैसे धमों ने पयाावरण के प्रति धालमाक प्रतिबद्धिाओं को संबोधधि ककया है।
हहिंद ूधमा (Hinduism):
हहदं ूधमा प्रकृति में गहराई से तनहहि एक धमा है। पववत्र पाठ (वेद, उपतनषद, भगवद गीिा, महाकाव्य) में प्रकृति से संबंधधि देवत्व के कई संदभा हैं, जैसे कक नद , पहाड, पेड, जानवर और पथृ्वी। उनकी रक्षा के ललए, हहदं ू धमा पयाावरण संरक्षण को प्रोत्साहहि करिा है और ऐस ेसंगठन हैं जो सिि ववकास को बढावा देिे हैं और जागरूकिा अलभयानों और कायों (ग्रीनफाइट, 2010) के माध्यम से पयाावरण की सुरक्षा का समथान करिे हैं। हहिंद ू धमा के सिंर्िंध और पयाावरण पर गििंतन (Hinduism Connections and Reflection on
Environment):
“मैं अब ज्ञातनयों को समझाऊंगा, जजसे जानकर िुम शाश्वि का थवाद खोगे। ब्राह्मण, आत्मा, मेरे ललए शुरुआि और अधीनिा, इस भौतिक दतुनया के कारण और प्रभाव से परे है। ” (भगवद् गीिा १३.१३) "भौतिक प्रकृति के ववलभन्न िर कों के अनुसार-अच्छाई का िर का, जुनून की शैल और अंधेरे का िर का-अलग-अलग जीववि प्राणी हैं, जजन्हें तनथसंको , मानव और नारकीय जीववि संथथाओं के रूप में जाना जािा है। हे राजा, यहां िक कक प्रकृति का एक ववशषे मोड, जजसे अन्य दो के साथ लमलाया जा रहा है, को िीन में ववभाजजि ककया गया है, और इस प्रकार प्रत्येक जीववि प्राणी अन्य मोड से प्रभाववि होिा है और अपनी आदिों को भी प्राप्ि करिा है। " (भागवि पुराण २.१०.४१) “मनुष्य और प्रकृति के बी एक अववभाज्य बंधन है। मनुष्य के ललए, प्रकृति से कोई अजथित्व नह ं हटाया जा सकिा है।” (अम्मा, 2011)।
र्हैत ववश्वास (Baha’i Faith):
बहाई ववश्वास ववश्व की नागररकिा पर आधाररि है और यह मानव जाति की एकिा की घोषणा करिा है। वव ार के इस क्रम में, यह पयाावरण का ब ाव करिा है िाकक पूर मानविा (भावी पीढ सहहि) प्रकृति के साथ सद्भाव से रह सके (एआरसी, एन। डी।) ।
र्हाई सिंपका और पयाावरण पर गििंतन (Baha’i Connections and Reflection on
Environment):
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"प्रकृति ईश्वर की इच्छा है और आकजथमक दतुनया में और उसके माध्यम से इसकी अलभव्यजति है।" (बाहु'युएल'ह की गोललयााँ, पषृ्ठ 142) “प्रकृति का अथा उन तनहहि गुणों और आवश्यक संबंधों से है जो ीजों की वाथिववकिाओं स ेप्राप्ि होिे हैं। और ीजों की ये वाथिववकिाएं, हालांकक अत्यंि ववववधिा में हैं, कफर भी एक दसूरे के साथ एक दसूरे से जुडी हुई हैं। ” (बहाई '' और 'अब्द'ुल-बह्, द बहाई रहथयोद्घाटन,
पषृ्ठ 221)
र्ौद्ध धमा (Buddhism):
अकेले कमा की धारणा, बुद्ध के पाठ का एक महत्वपूणा हहथसा होने के नािे, भववष्य के ललए संरक्षण और जजम्मेदार के मूल्यों को बिािी है। यह कहा जािा है कक विामान में हमारे कायों की नैतिकिा भववष्य के ललए हमारे ररत्र को आकार देगी, एक वव ार जो सिि ववकास के कर ब होगा।
र्ौद्ध सिंर्िंध और पयाावरण पर गििंतन (Buddhist Connections and Reflection on
Environment):
"एक मधमुतखी के रूप में-खखलने को नुकसान पहंु ाए बबना, इसका रंग, इसकी सुगंध - इसका अमिृ लेिी है और उड जािी है: इसललए ऋवष को एक गांव से गुजरना ाहहए।" “बूंद से बूंद पानी का घडा भर गया है। इसी िरह, बुद्धधमान व्यजति, इसे थोडा-थोडा करके,
खदु को अच्छे से भर लेिा है। ” (धम्मपद IX, पापवग्गा: ईववल, १२२) “हमारे पूवाजों ने पथृ्वी को समदृ्ध और समदृ्ध के रूप में देखा, जो यह है। अिीि में कई लोगों ने प्रकृति को अटूट रूप से हटकाऊ देखा, जो अब हम जानिे हैं कक अगर हम इसकी देखभाल करिे हैं िो ह ऐसा होिा है।” (दलाई लामा, 1990a)
ईसाई धमा Confucianism:
बाइबबल में लगभग सौ छंद हैं जो पयाावरण की सुरक्षा के बारे में बाि करि े हैं। इसललए ईसाइयों की पयाावरणीय जजम्मेदार है और भववष्य के अच्छे के ललए व्यवहार पररविान को प्रोत्साहहि करें (OpenBible.info।, N.d)। ईसाई सिंर्िंध और पयाावरण पर गििंतन Christian Connections and Reflection on
Environment:
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“आप जहां हैं, उस भूलम को प्रदवूषि न करें। रतिपाि भूलम को प्रदवूषि करिा है, और उस भूलम के ललए प्रायजश् ि नह ं ककया जा सकिा है, जजस पर खनू बहाया गया है, उसे छोडकर रति बहाया गया है। " (श्लोक 35:33) "जब वे सब खान ेके ललए पयााप्ि थे, उन्होंन ेअपने लशष्यों से कहा, had जो टुकड ेब ेहैं उन्हें इकट्ठा करो। कुछ भी बबााद न होने दें। ” (जॉन 6:12) “हमारे आम घर की सुरक्षा के ललए ित्काल नुौिी में पूरे मानव पररवार को एक थथायी और अलभन्न ववकास की िलाश करने के ललए एक ध िंा शालमल है, तयोंकक हम जानिे हैं कक ीजें बदल सकिी हैं। ववधािा हमें त्यागिा नह ं; वह कभी भी अपनी प्रेमपूणा योजना या हमें पैदा करने के पश् ािाप का त्याग नह ंकरिा। मानविा में अभी भी हमारे सामान्य घर के तनमााण में एक साथ काम करने की क्षमिा है।” (पोप फ्रांलसस, 2015)
कन््यूशीवाद (Confucianism):
2500 स ेअधधक वषों के ललए, कन्फ्यूशीवाद न े ीन की संथकृति, समाज, अथाव्यवथथा और राजनीति को मुख्य रूप से प्रभाववि ककया, लेककन जापान, कोररया और ववयिनाम भी। कुछ समाजशाजथत्रयों ने कन्फ्यूशीवाद को एक नागररक धमा या ववसररि धमा के रूप में कहा (सेंटर फॉर ग्लोबल एजुकेशन, 2018)। इसके अलावा, कन्फ्यूशीवाद ीनी सामाजजक िाने-बाने और जीवन जीने का िर का था। कन्फ्यूलशयस के ललए, रोजमराा की जजंदगी धमा का क्षेत्र था। कन्फ्यूलशयस के गुदा में प्रकृति और प्रकृति के संबंध के बारे में बहुि कम है, लेककन कन्फ्यूशीवाद मानविावाद में कुछ लसद्धांिों का पालन प्रकृति संरक्षण और पाररजथथतिकी से संबंधधि है। कन््यूलशयस कनेतशन और पयाावरण पर गििंतन (Confucian Connections and Reflection on
Environment):
"... मानव प्रजातियों और प्रकृति के बी थथायी सामंजथयपूणा संबंध केवल एक अमूिा आदशा नह ं है, बजल्क व्यावहाररक जीवन के ललए एक ठोस मागादशाक है।" (इंटरनेशनल कन्फ्यूलशयस इकोलॉजजकल एलायंस, 2015)।
इर्सिाम (Islam):
कुरआन की सैकडों आयिें पयाावरण की सुरक्षा का समथान करिी हैं। कई इथलामी संगठन इथलाम और जथथरिा के बी संबंध को बढावा देिे हैं। इथलाम भी एक रुख के नजररए स ेपयाावरण का दृजष्टकोण अपनािा है। पथृ्वी ईश्वर की र ना है, और मनुष्य के रूप में, हमें इसे संरक्षक्षि करने के ललए सौंपा गया है जैसा कक हमने पाया। मानविा की जजम्मेदार भगवान की र ना की एकिा (िौह द) की रक्षा करना और सुतनजश् ि करना है। इसके अलावा, इथलाम मानविा को प्रदान ककए जाने वाले संसाधनों की अत्यधधक खपि को प्रतिबंधधि करिा है
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(कुरान 7::३१, ६: १४१, १ 40: २६-२,, ४०:३४)। वाथिव में, कुरआन ने बत्तीसवें सबसे बड ेपाप के रूप में व्यथा उपभोग (इसराफ) का उल्लेख ककया है। 2015 में, इथलामी जलवायु पररविान संगोष्ठी ने वैजश्वक जलवायु पररविान पर इथलामी घोषणा को अपनाया। मुजथलम कनेतशन और पयाावरण पर ध िंन (Muslim Connections and Reflection on
Environment):
“अपने आप को ववश्वास में लेने के ललए अपने आप को समवपाि करो, और इस िरह अल्लाह द्वारा डडजाइन की गई प्रकृति का पालन करो, वह प्रकृति जजसके अनुसार उसने मानव जाति का फैशन ककया है। अल्लाह की र ना में कोई पररविान नह ं हुआ है। ” (कुरान 30:30) “धरिी पर अकड मि पालो। आप कभी भी पथृ्वी को अलग नह ं करेंगे और न ह आप कभी पहाडों के कद को बदल पाएंगे। (कुरान 17: 37) जैन धमा (Jainism):
भारि से उत्पन्न, जैन धमा से मुख्य लशक्षा अहहसंा, अहहसंा, जीवन के सभी हहथसों में है। मौखखक रूप से, शार ररक और मानलसक रूप से, जैन धमा एक शांतिपूणा और अनुशालसि जीवन पर ध्यान कें हद्रि करिा है। जानवरों की दया, शाकाहार और बबााद से ब ने के साथ संयम जैन जीवन के अगं हैं। इसके अलावा, 1990 में, द जैन डडतलेरेशन ऑन ने र को जैन ववश्वास के संरक्षण और धमा पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ नेटवका (द जैन डडतलेरेशन ऑन ने र, 1990) में प्रवेश के ललए ललखा गया था। जैन धमा के सिंर्िंध और पयाावरण पर गििंतन (Jainism Connections and Reflection on
Environment): "ककसी भी प्राणी या जीव की हत्या, अत्या ार, उत्पीडन, दासिा, अपमान, पीडा, यािना न करें और न ह उसे मारें।" (महावीर) “जीवन के एक उच् ववकलसि रूप के रूप में, मनुष्य के आपसी व्यवहार और ब्रह्मांड के बाकी हहथसों के साथ उनके संबंधों में एक बडी नैतिक जजम्मेदार है। यह जीवन और उसकी शाश्वि सामंजथय की अवधारणा है, जजसमें मानव की एक अपररहाया नैतिक जजम्मेदार है,
जजसने जैन परंपरा को पयाावरण संरक्षण और सद्भाव के पंथ के ललए एक पालना बनाया। ”
(जैन डडतलेरेशन ऑन न ेर, 1990)।
यहूदी धमा (Judaism):
परंपरा में, भूलम और पयाावरण भगवान के गुण हैं, और यह मानव जाति का किाव्य है कक वह इसकी देखभाल करे। एक उदाहरण के रूप में उत्पवत्त की पुथिक, प्रथिाव करिी है कक ईडन में उद्यान शुरू में ईश्वर द्वारा मानव के रहने के ललए नुा गया नुा हुआ क्षेत्र था।
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यहूदी सिंर्िंध और पयाावरण पर गििंतन (Jewish Connections and Reflection on
Environment): "और भगवान ने कहा: 'तनहारना, मैंने िुम्हें हर जडी-बूट देने वाला बीज हदया है, जो पूर पथृ्वी पर है, और हर पेड, जजसमें एक पेड का बीज उगिा है - िुम्हारे ललए यह भोजन के ललए होगा। । " (जनरल 1:29) "पथृ्वी भगवान की है और उसके पूणािा है" (भजन २४) "[...] पथृ्वी मेर है, िुम मेरे ककरायेदार हो" (लैव्यव्यवथथा 25:23) लशिंटो (Shinto):
लशटंो कलमस पर आधाररि एक धमा है, जो प्राकृतिक संथथाओं से संबंधधि आत्माएं हैं: हवा, ट्टानें, पानी, आहद। यह आत्माओं के साथ प्रत्येक व्यजति के संबंध को संरक्षक्षि करने के ललए प्रकृति के प्रति वफादार के बहुि कर ब है। ये संबंध पयाावरण के संरक्षण (जापान अनुभव,
2017) को प्रोत्साहहि करिे हैं। कामी से संबंधधि, यह उम्मीद की जािी है कक लशटंो अनुयायी सद्भावपूणा अजथित्व में हैं और प्रकृति और अन्य मनुष्यों (PATHEOS, n.d. [a]) के साथ शांतिपूणा सह-अजथित्व में हैं। परंपरा में, लशटंो पहले से ह पयाावरण के साथ गहराई से प्रतिबद्ध है तयोंकक वन पववत्र हैं। पयाावरण पर लशिंटो कनेतशन और रततबर्िंर् (Shinto Connections and Reflection on
Environment):
"मैं अपने बच् ेको पववत्र बगी ेके ावल-कान दूंगा, जजनमें से मैं उच् थवगा के मैदान में हहथसा लेिा हंू।" (तनहंगी II.23) "यह योजना धालमाक वनों के ललए है जो धालमाक रूप से संगि, पयाावरण के अनुकूल, सामाजजक रूप से लाभकार और आधथाक रूप से अनुकूल है।" (जजंजा होन् ो, २०० ९) लसख धमा (Sikhism):
लसख धमा एक मूल भारिीय धमा है जो 15 वीं शिाब्द के अिं में प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी द्वारा थथावपि ककया गया था। पववत्र ग्रंथ, संथथापक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहहब द्वारा ललखा गया है, जहां पयाावरण पर कई लशक्षाएं हैं। लसख पववत्र थथल का प्रबंधन लशरोमखण गुरुद्वारा
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प्रबंधक सलमति (S.G.P.C.) द्वारा ककया जािा है, और यह संगठन ववशषे रूप से पयाावरण पर वैजश्वक लसख समुदाय के ललए तनणाय लेिा है। लसख कनेतशन और पयाावरण पर गििंतन (Sikh Connections and Reflection on
Environment):
"िुम, अपने आप को ब्रह्मांड बनाया, और िुम प्रसन्न हो िुम, खदु भौंरा, फूल, फल और पेड।" (गुरु ग्रंथ साहहब, मारू सोहेले, पषृ्ठ 1020) "आप, पानी, रेधगथिान, समुद्र और िालाब। आप, खदु बडी मछल , कछुआ और कारणों का कारण हैं। " (गुरु ग्रंथ साहहब, मारू सोहेले, पषृ्ठ 1020)
पयाावरण सिंिार और जन जागरूकता (Environmental communication and public
awareness):
जनसं ार एक ऐसा माध्यम है जजसका उपयोग अतसर जनिा के ललए सू ना प्रसार के ललए ककया जािा है। इसे मदु्दों या संगठन के प्रति सावाजतनक धारणा को आकार देने के एक उपकरण के रूप में भी देखा जािा है। पयाावरण के बारे में सावाजतनक जागरूकिा आसपास की दतुनया को समझने की क्षमिा है, जजसमें पयाावरण में होने वाले सभी पररविानों को समझने, पयाावरण और मानव व्यवहार की गुणवत्ता के बी कारण और प्रभाव सबंंधों की समझ और संरक्षण की जजम्मेदार की भावना शालमल है। मानव मन के ववकास और रखरखाव के ललए थवथथ जागरूकिा पैदा करने और उपयुति वािावरण िैयार करने में पयाावरण लशक्षा की प्रभावी भूलमका है। पयाावरण लशक्षा व्यजति को उसकी महत्वपूणा जरूरिों और प्राकृतिक वािावरण के बी संिुलन बनाने में सक्षम बनािी है जो कई समुदायों को आध्याजत्मक, सौंदया और नैतिक स्रोि प्रदान करिा है। पयाावरण लशक्षा में औप ाररक और अनौप ाररक लशक्षा और प्रलशक्षण दोनों शालमल हैं जो पयाावरण प्रबंधन में भाग लेने और पयाावरणीय संकट और नुौतियों को हल करने के ललए मानव क्षमिा और क्षमिा को बढािे हैं। यह जागरूकिा बढाने और पयाावरण पर व्यजतिगि दृजष्टकोण को प्रभावी ढंग से बदलकर हालसल ककया जा सकिा है। हमें अपने व्यवहार में जागरूकिा की आवश्यकिा है; हमें पयाावरण की रक्षा और संरक्षण और मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार के ललए नैतिक मूल्यों की आवश्यकिा है।
सावाजतनक भागीदारी (Public Participation):
जनभागीदार नागररकों को कारावाई करके राजनीतिक तनणाय लेने को प्रभाववि करिी है। यह कारावाई प्रदशानों, ववरोध सभाओं, प्रकाशनों के संपादक को पत्र और राजनेिाओं को पत्र, या पत्रक,
समा ार पत्र और मीडडया के माध्यम से सू ना प्रसाररि करने के रूप में हो सकिी है। यह
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थथानीय सरकारों के साथ परामशी बैठकों में भाग ले सकिा है और कानून ववकलसि करन ेवाले काया समूहों में भाग ले सकिा है। अिं में, यह वैकजल्पक व्यवहार और प्रथाओं के व्यावहाररक उदाहरणों का प्रदशान करने वाले नागररकों के रूप में हो सकिा है - र साइजतलंग,
कम प्रभाव वाल कृवष िकनीक, और इसी िरह। एक पयाावरणीय संदभा में, इन कायों को जल और वायु प्रदषूण, लुप्िप्राय प्रजातियों की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के शोषण के प्रतिकूल प्रभावों जैसे सावाजतनक नीति को प्रभाववि करने के ललए डडजाइन ककया गया है। इन कायों स ेराजनेिाओं को जनिा की राय को ध्यान में रखने, पयाावरणीय समथयाओं का राजनीतिकरण करने और अिंिः कानूनों और उपायों को पाररि करने के ललए प्रोत्साहहि ककया जा सकिा है जो पयाावरण पर ववकास के नकारात्मक प्रभावों को कम करिे हैं। यह उद्योगों और व्यवसायों को अधधक पयाावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के ललए दबाव डाल सकिा है, जैसे कक वाहन तनकास और औद्योधगक प्रदषूक को कम करना ।
जन जागरूकता के उद्देश्य (Objectives of public awareness):
1. पाररजथथतिक असंिुलन, थथानीय पयाावरण, िकनीकी ववकास और ववलभन्न ववकास संयंत्रों के बारे में ग्रामीण और शहर के लोगों में जागरूकिा पैदा करना। 2. बैठकें आयोजजि करना, ववकास पर समूह ाा, वकृ्षारोपण कायाक्रमों की प्रदशानी। 3. सरल और ईको-फ्रें डल िर के से जीना सीखना।
पयाावरण जागरूकता पैदा करने के तरीके (Methods to create environmental awareness):
1. थकूलों और कॉलेजों में 2. जन माध्यम से - मीडडया 3. गैर - सरकार संगठन 4. ऑडडयो - दृश्य मीडडया 5. थवैजच्छक संगठन 6. पारंपररक िकनीक 7. लसनेमा 8. समा ार पत्र 9. प्रतियोधगिाओं की व्यवथथा करना
हदल्िी में सिंपीड़ित राकृततक गैस (CNG) वाहन (Compressed Natural Gas (CNG) vehicles in
Delhi):
सुप्रीम कोटा ने एक तनदेश प्रकालशि ककया था, जजसमें अप्रैल 2001 की िार ख को सीएनजी के ललए सभी ब्रस, थ्री-व्ह लसा और टैजतसयों को बदलने या बदलने की समय सीमा के रूप में तनहदाष्ट ककया गया था। इसके अलावा, तनदेश में कहा गया है कक 70 सीएनजी ईंधन भरन े
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वाले थटेशनों का एक बुतनयाद ढां ा उपलब्ध कराया जाना है, और वाहन बेड ेके रूपांिरण के ललए ववत्तीय प्रोत्साहन के ललए कहा है। जनवर 1998 में, हदल्ल के राष्ट्र य राजधानी क्षेत्र ने हदल्ल में वायु प्रदषूण समथया पर एक ररपोटा का अध्ययन, लेखन और प्रकाशन के ललए एक आयोग का गठन ककया। सीएसई इस आयोग का सदथय था। 1999 में, सुप्रीम कोटा ने सरकार को आदेश हदया कक सभी नई कार बबक्री के ललए वषा 2000 िक गैसोल न इंजन के ललए EUR II मानक लागू ककया जाए। कोटा के आदेश ने डीजल कार के प्र ार पर हमला ककया, और 30 पीपीएम से नी ेसल्फर के थिर का आदेश हदया, साथ ह डीजल इंजनों के ललए कण कफल्टर भी। इसने सीएनजी पर ाा को कफर से खोल हदया। तल नर डीजल अब उपलब्ध हो गया था, और मोटर वाहन उद्योग और हदल्ल सरकार ने सीएनजी के खखलाफ वैज्ञातनक िका रखे। वाथिव में, सरकार और कार उद्योग डीजल ईंधन की खराब छवव से लड रहे थे। इसके अलावा सावाजतनक पररवहन और तनजी कारों के बी समान अधधकारों का मुद्दा था।
सीमाएिं (Limitations):
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, पेट्रोललयम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MPNG) ने हदल्ल क्षेत्र में CNG की उध ि आपूति ा का आयोजन नह ं ककया, तयोंकक उन्हें ववश्वास नह ं था कक सुप्रीम कोटा का आदेश लागू होगा। निीजिन, देर से वसंि और गलमायों में 2001 में सीएनजी की कमी थी जो कई टैतसी और िीन-पहहया वाहनों को बंद करने के ललए मजबूर कर रह थी। इसने सीएनजी के खखलाफ जनमि को नकारात्मक रूप से प्रभाववि ककया। जबकक यह माना गया कक अल्ट्रा-लो सल्फर डीजल (<50 P) और डीजल की शुरूआि पाहटाकुलेट कफल्टर पारंपररक डसेल्स के ललए बहुि कम पीएम थिर प्राप्ि करना संभव बना सकिा है; इस िरह के ईंधन को 2010 िक हदल्ल में पेश नह ं ककया जाएगा। अज्ञाि स्रोिों के कानाफूसी अलभयान से एक और समथया पैदा हुई कक सीएनजी कैं सर का कारण बनेगी। सीएसई द्वारा ककए गए एक सवेक्षण के अनुसार, हदल्ल के कई हहथसों में पूछे गए आधे से अधधक लोगों ने सुना था कक सीएनजी के कारण कैं सर होिा है, हालांकक पूरे प्रतिभाधगयों में से अधधकांश ने सीएनजी को पसंद ककया और सीएनजी के कधथि नकारात्मक पयाावरणीय पहलू पर ववश्वास नह ं ककया।
रभाव (Impact):
भारिीय सवोच् न्यायालय द्वारा शुरू की गई CNG में बदलाव बहुि मुजश्कल था और इसे लागू करने में अधधक समय लगा, तयोंकक हदल्ल में अन्य सरकार अधधकाररयों द्वारा बहुि सीलमि समथान के कारण इसे करना ाहहए था। लेककन हदन के अिं में, सभी डीजल बसों को समाप्ि कर हदया गया और हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ। लेककन हदल्ल में व्यथििम क्रॉलसगं से जून 1999 से लसिंबर 2003 िक दैतनक पररवेशी वायु गुणवत्ता के आंकड ेप्रदषूण
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के बबदं ु स्रोिों के कारण पररवेश की गुणवत्ता में ौिरफा सुधार का सकेंि नह ं देि े हैं जो एसओ 2 में योगदान दे रहा है और मोबाइल स्रोि NOx सांद्रिा में योगदान दे रहे हैं। रूपांिरण के बाद NOx में िेजी आई है जबकक SPM और PM10 में मामूल धगरावट आई है ।
र्सवच्छ भारत अलभयान (Swachh Bharat Abhiyan):
श्री नरेन्द्र मोद ने थवच्छ भारि लमशन की नई हदल्ल , राजपथ पर शुरूआि करिे हुए कहा था कक “एक थवच्छ भारि के द्वारा ह देश 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंिी पर अपनी सवोत्तम श्रद्धांजलल दे सकिे हैं।” 2 अतटूबर, 2014 को थवच्छ भारि लमशन देश भर में व्यापक िौर पर राष्ट्र य आंदोलन के रूप में शुरू ककया गया था। इस अलभयान के अिंगाि 2 अतटूबर 2019 िक “थवच्छ भारि” की पररकल्पना को साकार करने का लक्ष्य तनधााररि ककया गया है।
थवच्छ भारि अलभयान भारि सरकार द्वारा लाया गया सबसे महत्वपणूा थवच्छिा अलभयान है। श्री नरेन्द्र मोद ने इंडडया गेट पर थवच्छिा के ललए आयोजजि एक प्रतिज्ञा समारोह की अगुआई की थी। जजसमें देश भर से आए हुए लगभग 50 लाख सरकार कमा ाररयों ने भाग ललया। उन्होंने इस अवसर पर राजपथ पर एक पदयात्रा को भी झंडी हदखाई थी और न केवल सांकेतिक रूप से दो ार कदम ले बजल्क भाग लेने वालों के साथ काफी दरू िक लकर लोगों को आश् या ककि कर हदया। लोगों को इस अलभयान में शालमल होने का आह्वान करके थवच्छिा अलभयान एक राष्ट्र य आंदोलन का रूप ले कुा है। थवच्छ भारि अलभयान के संदेश ने लोगों के अदंर उत्तरदातयत्व की एक अनुभूति जगा द है। अब जबकक नागररक पूरे देश में थवच्छिा के कामों में सकक्रय रूप से सजम्मललि हो रहे हैं, महात्मा गांधी द्वारा देखा गया ‘थवच्छ भारि’ का सपना अब साकार होने लगा है। प्रधान मंत्री ने अपनी बािों और अपने कामों से थवच्छ भारि के संदेश को लोगों का प्रयोग करके पूरे भारि और पूर दतुनया में फैला हदया है। उन्होंने वाराणसी में भी थवच्छिा अलभयान लाया। उन्होंने थवच्छ भारि लमशन के िहि गंगा नद के तनकट अथसी घाट पर फावडा लाया। बडी संख्या में उनके साथ शालमल होकर थवच्छिा अलभयान में उनका सहयोग हदया। थवच्छिा के महत्व को समझिे हुए प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोद ने इसके साथ ह साथ थवाथथ्य संबंधी समथयाओं को हल करने की बाि भी उठाई है। ये थवाथथ्य समथयायें लगभग आधे भारिीय पररवारों को घर में उध ि शौ ालय न होने के कारण झलेनी पड रह हैं। समाज के ववलभन्न वगों ने आगे आकर थवच्छिा के इस जन अलभयान में हहथसा ललया है और अपना योगदान हदया है। सरकार कमा ाररयों से लेकर जवानों िक, बाल वुड के अलभनेिाओं से लेकर खखलाडडयों िक, उद्योगपतियों से लेकर अध्याजत्मक गुरुओं िक सभी न ेइस महान काम के ललए अपनी प्रतिबद्धिा जिाई है। देश भर के लाखों लोग सरकार ववभागों द्वारा लाए जा रहे थवच्छिा के इन कामों में आए हदन सजम्मललि होिे रहे हैं, इस काम में
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एनजीओ और थथानीय सामुदातयक केन्द्र भी शालमल हैं, नाटकों और संगीि के माध्यम स ेसफाई-सुथराई और थवाथथ्य के गहरे संबंध के संदेश को लोगों िक पहंु ाने के ललए बड ेपैमाने पर पूरे देश में थवच्छिा अलभयान लाये जा रहे हैं।
र्सवच्छ भारत अलभयान के उद्देश्य।
(1) खलेु में शौ बंद करवाना जजसके िहि हर साल हजारों बच् ों की मौि हो जािी है। (2) लगभग 11 करोड 11 लाख व्यजतिगि, सामूहहक शौ ालयों का तनमााण करवाना जजसमे 1
लाख 34 हजार करोड रुपए ख ा होंगे। (3) लोगों की मानलसकिा को बदलना उध ि थवच्छिा का उपयोग करके। (4) शौ ालय उपयोग को बढावा देना और सावाजतनक जागरूकिा को शुरू करना। (5) गांवो को साफ रखना। (6) 2019 िक सभी घरों में पानी की पूति ा सुतनजश् ि कर के गांवों में पाइपलाइन लगवाना
जजससे थवच्छिा बनी रहे। (7) ग्राम पं ायि के माध्यम से ठोस और िरल अपलशष्ट की अच्छी प्रबंधन व्यवथथा
सुतनजश् ि करना। (8) सडके फुटपाथ ओर बजथियां साफ रखना। (9) साफ सफाई के जररए सभी में थवच्छिा के प्रति जागरूकिा पैदा करना।
राष्ट्रीय पयाावरण जागरूकता अलभयान National Environment Awareness Campaign
(NEAC):
राष्ट्र य पयाावरण जागरूकिा अलभयान (NEAC) पयाावरण और वन मंत्रालय, सरकार द्वारा 1986 के मध्य में शुरू ककया गया था। एनईएसी जैव ववववधिा संरक्षण पर जोर देने के साथ पयाावरण संरक्षण के बारे में जागरूकिा पैदा करने के उद्देश्य से भारि सरकार के वातनकी और पयाावरण और जलवायु पररविान मंत्रालय (MoEF&CC) का एक महत्वपूणा अलभयान है। यह अलभयान शुरू में राष्ट्र य थिर पर पयाावरण जागरूकिा पैदा करने के उद्देश्य से 1986 में आयोजजि ककया गया था और िब से, यह एक वावषाक गतिववधध बन गई है। इस अलभयान में, जागरूकिा बढाने और कारावाई उन्मुख गतिववधधयों के ललए देश भर के गैर-सरकार संगठनों, थकूलों, कॉलेजों, ववश्वववद्यालयों, शोध संथथानों, महहलाओं और युवा संगठनों, सेना इकाइयों, सरकार ववभागों आहद को नाममात्र ववत्तीय सहायिा प्रदान की जािी है। हर साल मंत्रालय एनईएसी के िहि आयोजजि होने वाले वावषाक ववषय पर आधाररि जागरूकिा गतिववधधयों की एक सांकेतिक सू ी प्रदान करिा है, जजसमें कायाशाला, प्रलशक्षण पाठ्यक्रम, लशववर, यात्रा, रैललयां, सावाजतनक बैठकें , प्रदशातनयां, प्रतियोधगिाएं, प्रदशान पररयोजनाएं,
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ऑडडयो िैयार करना और उपयोग शालमल हैं। सीडी-रोम और अन्य मल्ट -मीडडया टूल के अलावा दृश्य सामग्री। लोक मीडडया और थट्र ट धथयेटर को अलभयान के माध्यम के रूप में भी इथिेमाल ककया जा सकिा है।
राष्ट्रीय हररत कोर (NGC) "इको-तिर्" कायाक्रम (National Green Corps (NGC) “Eco-club”
programme):
राष्ट्र य हररि कोर (NGC) जजसे "Eco-Clubs का एक कायाक्रम" के रूप में जाना जािा है, पयाावरण और
वन मंत्रालय, भारि सरकार (अब पयाावरण, वन और जलवाय ुपररविान मंत्रालय) की एक राष्ट्रव्यापी पहल है। यह कायाक्रम वषा 2001-02 में शुरू हुआ, और आज 1,20,000 से अधधक थकूलों का एक नेटवका है, जजसका उद्देश्य अधधक सुरक्षक्षि और हटकाऊ दतुनया के ललए पयाावरण संरक्षण की हदशा में काम
करने वाले युवा छात्रों के कैडर का तनमााण करना है। सभी कें द्र य ववद्यालय, नवोदय ववद्यालय और
अन्य सभी थकूल सीबीएसई और आईसीएसई और थटेट बोडा के िहि 50-60 छात्रों के ईको-तलब का गठन ककया है।
उद्देश्य:
1. थकूल बच् ों को, हाथों के अनुभव के माध्यम से, उनके िात्काललक वािावरण के बारे में, उसके
भीिर की बाि ीि और उसमें मौजूद समथयाओं के बारे में ज्ञान प्रदान करने के ललए। 2. ववलभन्न गतिववधधयों के माध्यम से पयाावरण के संरक्षण के ललए अवलोकन, प्रयोग, सवेक्षण,
ररकॉडडिंग, ववश्लेषण और िका के आवश्यक कौशल ववकलसि करना। 3. सामुदातयक बाि ीि के माध्यम से पयाावरण और उसके संरक्षण के प्रति उध ि दृजष्टकोण को
ववकलसि करना। 4. बच् ों को क्षेत्र के दौरे और प्रदशानों के माध्यम से पयाावरण और ववकास स ेसंबंधधि मुद्दों के
प्रति संवेदनशील बनाना। 5. बच् ों में िाकका क और थवितं्र सो को बढावा देने के ललए िाकक व ेवैज्ञातनक जां की भावना स े
सह नुाव कर सकें । 6. पयाावरण संरक्षण से संबंधधि काया पररयोजनाओं में उन्हें शालमल करके युवा मन को प्रेररि और
प्रोत्साहहि करना।
पद्धतत:
1. सदथय ववद्यालयों में गहठि पयाावरण संबंधी मुद्दों में रुध रखने वाले 50-60 छात्रों के इको-तलबों के माध्यम से योजना सं ाललि की जा रह है।
2. इको तलबों की देखरेख एक लशक्षक प्रभार द्वारा की जािी है, जजस ेपयाावरण स ेसंबंधधि मुद्दों में उसकी रुध के आधार पर सदथय थकूल के लशक्षकों में से नुा जािा है।
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3. प्रभार लशक्षकों के ललए प्रलशक्षण का आयोजन, और समय-समय पर जजला थिर पर योजना के
कायाान्वयन की तनगरानी के ललए जजला कायाान्वयन और तनगरानी सलमति है। 4. योजना के कायाान्वयन की तनगरानी, तनदेशन और तनगरानी के ललए एक राज्य सं ालन
सलमति है। 5. राज्य नोडल एजेंसी राज्य में योजना के कायाान्वयन का समन्वय करिी है और माथटर टे्रनरों को
प्रलशक्षण जैसी संबंधधि गतिववधधयों का आयोजन करिी है। 6. राष्ट्र य सं ालन सलमति कायाक्रम को समग्र हदशा देगी और सभी थिरों पर संपका सुतनजश् ि
करेगी।
इको-तिब्स के लिए गततववगधयााँ:
1. थकूल में पयाावरण संबंधी मुद्दों पर सेलमनार, वाद-वववाद, व्याख्यान और लोकवप्रय वािाा आयोजजि करें।
2. पयाावरण की दृजष्ट से महत्वपूणा थथलों की यात्रा, जजसमें प्रदवूषि और पतिि थथल,
वन्यजीव पाका आहद शालमल हैं। 3. पयाावरण जागरूकिा फैलाने के उद्देश्य स ेसावाजतनक थथानों पर रैललयां, मा ा, मानव
श्रृखंला, और थट्र ट धथयेटर का आयोजन करें। 4. थकूल पररसर के भीिर और बाहर दोनों िरफ वकृ्षारोपण, थवच्छिा अलभयान जसैी कारावाई
आधाररि गतिववधधयााँ। 5. कक न गाडान ववकलसि करें, वमी-कम्पोजथटंग गड्ढों को बनाए रखें, थकूल में वाटर-
हावेजथटंग थट्रत र का तनमााण करें, प्रैजतटस पेपर र -सेटररगं आहद। 6. प्रदषूणकार स्रोिों के आववष्कार िैयार करें और इसे प्रविान एजेंलसयों को अगे्रवषि करें। 7. सावाजतनक थथानों पर शौ के खखलाफ जागरूकिा कायाक्रम आयोजजि करना, सावाजतनक
थथानों पर पोथटर ध पकाना और व्यजतिगि थवच्छिा की आदिों का प्र ार करना जैस े
भोजन से पहले हाथ धोना आहद। 8. थकूल कैं पस के भीिर और बाहर दोनों जगहों जैस ेसावाजतनक थथानों का रखरखाव। 9. अनधधकृि थथानों पर क रा तनपटान, जैस ेकक अथपिाल के क रे का असुरक्षक्षि तनपटान
आहद पयाावरणीय रूप से गैरकानूनी प्रथाओं के खखलाफ कारावाई को बढावा देना।