Abridged Autobiography Hindi (संक्षिप्त आत्मकथा ......। इन द न प स क क कथ वस क पहल ब र स क षक षप करक

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ग ाधीजी की सकषिपत आतमकथा

लखक

मोहनदास करमचद गाधी

साकषपक र

भारतन कमारपपा

पहली आवतति परति १०००० फरवरी २००७

मदरक और परकाशक

तववक जजिनदर दस ई नवजीवन मरण लय अहमद ब द-३८० ०१४ फोन +91-79-27540635 27542634

ई-मल salesnavajivantrustorg वबस इट wwwnavajivantrustorg

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ततरीनोध

ग ाधीजी की आतमकथा जो अागरजी म परततसदध हई ह उसक असली सवरप म िथ उसम

जो दकषिण अफ़रीका क सतयागरह क इतिह स ह इन दोनो क कल पषट क़रीब एक हज र होि ह

इन दोनो पसिको क कथ वसि को पहली ब र साकषकषपि करक इकटठ करक परसिि करन क

परय स तकय गय ह कयोतक ग ाधीजी की शली ही साकषकषपि म कहन की ह इसततलए यह क यय सरल

नही ह एक ब ि और भी ह तक व सद जजिन उददशपणय िथ और महततव क हो उिन ही कहि

ह अिः उनदहो न जो भी कछ ततलख ह उसम क ट-छ ाट करन स पहल दो ब र सोचन ही पडग

आधतनक प ठक ग ाधीजी की आतमकथा साकषकषपि म म ागि ह उसकी इस म ाग को

मददनजर रखि हए िथ श ल -मह श ल ओ क यव -तवदय रथियो क ततलए यह साकषकषपि आवतति

िय र की गई ह असल गराथ क सथ न िो यह साकषकषपि आवतति कभी नही ल सकगी लतकन ऐसी

आश रखन अवशय अपकषकषि ह तक यह साकषप प ठक म जजजञ स अवशय उतपनदन करग और ब द

म अपनी अनकलि स जब फरसि ममलगी िब वह असली गराथ क अधययन करग

इस साकषप म ग ाधीजी क जीवन म घटी सभी महततवपणय घटन ओ क सम वश हो ऐस

परय स तकय गय ह इसम भी उन घटन ओ क तक जजसक आधय ततमक महततव ह इस क रण

उनदहोन पसिक ततलखी ह ग ाधीजी क अपन ही शबदो को चसिी स पकड रख ह ऐसी भी कई

जगह ह तक जह ा साकषकषपि करि समय शबदो को बदलन की जररि म लम पडी ह वह ा बदल ददय

भी ह लतकन यह ा भी एक ब ि की स वध नी रखी गई ह तक उनदहोन जो अथय दश यय ह उसक

अथय म कोई पररवियन न हो साकषकषपि करि समय मह दवभ ई दस ई दव र िय र तकय गय गराथ

माय अरली रलाईफ तवशष उपयोगी हआ थ

माबई नवमबर १९५१ भारतन कमारपपा

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परकाशक का ननवदन

सतय क परयोग अथवा आतमकथा की िरह उसकी साकषकषपि आवतति की म ाग तनरािर बढिी

ज रही ह शरी मथर द स तिकमजी दव र िय र की गई साकषकषपि आवतति १९५१ म सवय परथम

परक ततशि हई थी िब स ही आज िक उसकी ४५०००० परतिय ा तविररि हो चकी ह

तवदय थी ग ाधीजी क जीवन स पररमचि हो इस उददशय स सवचछछक सासथ ओ क दव र

आयोजजि परीकष ओ म साकषकषपि आवतति अमधक पसाद की ज िी ह ऐसी परीकष एा अब गजर िी

िथ हहिदी क स थ स थ अागरजी म धयम की श ल ओ म भी आयोजजि होिी ह

ग ाधीजी क जीवन क पररचय कर न व ल अागरजी साकषप शरी भ रिन कम रपप न १९५२

म िय र तकय थ उसको िय र करन म उनदहोन आतमकथा क स थ ही स थ उसक परतिरप

सम न गराथ जस दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास को भी उपयोग म ततलय थ इस क रण

स अागरजी साकषप मथर द स तिकमजी क गजर िी साकषप स अमधक म तहिी सभर और समदध

बन प य ह हहिदी म परीकष दन व ल तवदय रथियो को भी यह उपलबध हो ऐसी परीकष आयोजको

की म ाग ह इस दतषट स परररि होकर शरी भ रिन कम रपप क साकषप की यह हहिदी आवतति क

परक शन हो रह ह मल गजर िी गराथो क आध र पर भ रिन कम रपप क अागरजी साकषप क

मि तबक़ गजर िी आवतति िय र करन क क म नवजीवन क ममि सम न शरी अशोकभ ई भ भटट

न तकय थ उसक ही आध र पर यह हहिदी आवतति िय र हई ह इस क म म हम री सह यि की

ह ऐस शरी चनीभ ई ब पटल और शरी लललभ ई रब री क हम आभ री ह

असल पसिक िथ इसस पहल परततसदध हए साकषप की िरह ही इस पसिक को भी प ठको

क अपवय परतिस द पर पि होग ही ऐस तवशव स ह

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परसतावना

आतमकथ ततलखन क मर आशय नही ह मझ िो आतमकथ क बह न सतय क जो

अनक परयोग मन तकय ह उसकी कथ ततलखनी ह उसम मर जीवन ओिपरोि होन क क रण

कथ एक जीवन वि ाि जसी बन ज यगी यह सही ह लतकन उसक हर पनदन पर मर परयोग ही

परकट हो िो म सवया इस कथ को तनदोष म नाग म ऐस म नि हा तक मर सब परयोगो क पर

लख जनि क स मन रह िो वह ल भद यक ततसदध होग अथव यो समजझय तक यह मर मोह

ह र जीनीति क कषि म हए मर परयोगो को िो अब तहनदसि न ज नि ह लतकन मर आधय ततमक

परयोगो क जजनदह म ही ज न सकि हा और जजनक क रण र जनीति क कषि म मरी शतति भी

जनदमी ह उन परयोगो क वणयन करन मझ अवशय ही अछछ लगग अगर य परयोग सचमच

आधय ततमक ह िो इनम गवय करन की गाज इश ही नही इनस िो कवल नमरि की ही वजदध होगी

जयो जयो म अपन भिक ल क जीवन पर दतषट ड लि ज ि हा तयो-तयो अपनी अलपि सपषट ही

दख सकि हा

मझ जो करन ह िीस वषो स म जजसकी आिर भ व स रट लग य हए हा वह िो

आतमदशयन ह ईशवर क स कष तक र ह मोकष ह मर स र क म इसी दतषट स होि ह मर सब लखन

भी इसी दतषट स होि ह और मर र जनीति क कषि म पडन भी इसी वसि क अधीन ह लतकन

ठठ स ही मर यह मि रह ह तक जो एक क ततलए शक य ह वह सबक ततलए भी शक य ह इस

क रण मर परयोग ख नगी नही हए नही रह उनदह सब दख सक िो मझ नही लगि तक उसस

उनकी आधय ततमकि कम होगी ऐसी कछ चीज अवशय ह तक जजनदह आतम ही ज निी ह जो

आतम म ही सम ज िी ह पराि ऐसी वसि दन यह मरी शतति स पर की ब ि ह मर परयोगो म

आधय ततमकि क मिलब ह नतिक धमय क अथय ह नीति आतम की दतषट स प ली गई नीति ही

धमय ह

इसततलए जजन वसिओ क तनणयय ब लक नौजव न और बढ करि ह और कर सकि ह

इस कथ म उनदही वसिओ क सम वश होग अगर ऐसी कथ म िटसथ भ व स तनरकषभम न रहकर

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ततलख सका िो उसम स दसर परयोग करनव लो को कछ स मगरी ममलगी इन परयोगो क ब र म म

तकसी भी परक र की सापणयि क द व नही करि जजस िरह वजञ तनक अपन परयोग अतिशय

तनयमपवयक तवच रपवयक और ब रीकी स करि ह तफर भी उनस उतपनदन पररण मो को वह

अननदिम नही कहि अथव व पररण म सतय ही ह इस ब र म भी वह स शाक नही िो िटसथ अवशय

रहि ह अपन परयोगो क तवषय म मर भी वस ही द व ह मन खब आतम-तनरीकषण तकय ह

एक-एक भ व की ज ाच की ह उसक पथककरण तकय ह तकनदि उसम स तनकल हए पररण म

सबक ततलए अातिम ही ह व सच ह अथव व ही सच ह ऐस द व म कभी करन नही च हि

ह ा यह द व म अवशय करि हा तक मरी दतषट स य सच ह और इस समय िो अातिम जस ही

म लम होि ह अगर न म लम हो िो मझ उनक सह र कोई भी क यय खड नही करन च तहए

लतकन म िो पग-पग पर जजन-जजन वसिओ को दखि हा उनक तय जय और गर हय ऐस दो भ ग

कर लि हा और जजनदह गर हय समझि हा उनक अनस र अपन आचरण बन लि हा और जब

िक इस िरह बन हआ आचरण मझ अथ यि मरी बजदध को और आतम को सािोष दि ह िब

िक मझ उसक शभ पररण मो क ब र म अतवचततलि तवशव स रखन ही च तहए

म िो ततसरय यह च हि हा तक उनम बि य गय परयोगो को दषट नदिरप म नकर सब अपन-

अपन परयोग यथ शतति और यथ मति कर मझ तवशव स ह तक इस साकमचि कषि म आतमकथ क

मर लखो स बहि कछ ममल सकग कयोतक कहन योगय एक भी ब ि म मछप ऊा ग नही मझ

आश ह तक म अपन दोषो क खय ल प ठको को परी िरह द सका ग मझ सतय क श सिीय

परयोगो क वणयन करन ह म तकिन भल हा इसक वणयन करन की मरी ितनक भी इछछ नही

ह जजस गज स सवया म अपन को म पन च हि हा और जजसक उपयोग हम सबको अपन-

अपन तवषय म करन च तहए उसक अनस र िो म अवशय कहाग तक उनस िो अभी भी म दर

हा

आशरम स बरमिी मो क गाधी

२६ वी नवमबर १९२५

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अनकरमकषिका

िािीनोध

परक शक क तनवदन

परसि वन

भाग-१ बचपन और यवावसथा

१ जनदम िथ म ि -तपि

२ प ठश ल म

३ ब ल-तवव ह

४ ःखद परसाग-मिी

५ चोरी और पर यकषिि

६ तपि जी की बीम री मतय और शरम

७ धमय की झ ाकी

८ तवल यि की िय री

९ सटीमर म

भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

१० लाडन म

११ lsquoसभयrsquo पोश क म

१२ फरफ र

१३ लजज शीलि - मरी ढ ल

१४ असतयरपी तवष

१५ धमो क पररचय

भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

१६ व पस तहनदसि न म

१७ सास र-परवश

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१८ पहल आघ ि

भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

१९ दकषकषण अफ़रीक पहाच

२० तपरटोररय ज ि हए

२१ तपरटोररय म पहल ददन

२२ खखसिी साबाधी (ईस इयो स सापकय )

२३ तहनदसि तनयो की परश नी क अधययन

२४ मक़ददम की िय री

२५ को ज न कल की

२६ न ि ल इतनदडयन क ागरस

२७ िीन पौणड क कर

भाग-५ हहिद की मलाकात

२८ तहनदसि न म

भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

२९ दकषकषण अफ़रीक म आगमन और िर न

३० बछचो की ततशकष और सव वतति

३१ स दगी

३२ एक पणयसमरण और पर यकषिि

३३ बोअर-यदध

३४ नगर सर ई-आनददोलन

३५ दश-गमन और कीमिी भटसौग द

भाग-७ दश म

३६ मह सभ (क ागरस) परथम ब र

३७ ल डय क़जयन क दरब र

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३८ बमबई म

भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

३९ पन दकषकषण अफ़रीक म

४० गीि क अभय स

४१ इचणडयन ओपीतनयन

४२ एक पसिक क चमतक री परभ व

४३ रीतनकस की सथ पन

४४ घरो म पररवियन िथ ब लततशकष

४५ lsquoजल-तवरोहrsquo

४६ बरहमचयय

४७ पतनी की दढि

४८ घर म सतय गरह

४९ सायम की ओर

५० वक लि क कछ सासमरण

५१ सतय गरह क जनदम

५२ क़द

५३ हमल

५४ लड ई की पनर वतति

५५ टोलसटोय फ मय

५६ सतसिय ा लडि म श ममल

५७ मजदरो क परव ह

५८ ऐ भवय कच

५९ सतय गरह की तवजय

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भाग-९ नवलायत तथा लडाई

६० लड ई म तहसस

भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

६१ पण म

६२ िीसर दज की तवडमबन

६३ आशरम की सथ पन

भाग-११ चपारन

६४ नील क द ग़

६५ अहहिस दवी क स कष तक र

६६ मक़ददम व पस ततलय गय

६७ गर मपरवश

६८ नील क द ग़ धल गय

भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

६९ मजदरो क समपकय म

७० उपव स

भाग-१३ खडा सतयागरह

७१ खड म सतय गरह

७२ lsquoपय जचोर

७३ खड की लड ई क अनदि

भाग-१४ रगरटो की भरती

७४ रागरटो की भरिी

७५ मतय-शयय पर

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भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

७६ रोलट एकट

७७ वह सपि ह

७८ पह ड-जसी भल

७९ नवजीवन और याग ईतनदडय

८० अमिसर की मह सभ (क ागरस)

भाग-१६ खादी का जनम

८१ ख दी क जनदम

८२ पण यहति

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भाग-१ बचपन और यवावसथा

१ जनम तथा माता-नपता

ऐसा म लम होि ह तक उिमचाद ग ाधी अथव मर द द ओि ग ाधी टक व ल थ र जनीतिक

खटपट क क रण उनदह पोरबादर छोडन पड थ और उनदहोन जन गढ र जय म आशरय ततलय थ

उनदहोन नव ब स हब को ब य ह थ स सल म तकय तकसी न इस परकट अतवनय क क रण पछ

िो जव ब ममल ldquoद तहन ह थ िो पोरबादर को अरपिि हो चक हrdquo

ओि ग ाधी क एक क ब द दसर यो दो तवव ह हए थ पहल तवव ह स उनक च र लडक

थ और दसर स दो इनम प ाचव करमचनदद अथव कब ग ाधी और आखखरी िलसीद स ग ाधी थ

दोनो भ इयो न ब री-ब री स पोरबादर म दीव न क क म तकय कब ग ाधी मर तपि जी थ

कब ग ाधी क भी एक क ब द एक यो च र तवव ह हए थ अननदिम पतनी पिलीब ई स एक

कनदय और िीन पि थ उनम अननदिम म हा

तपि कटमब-परमी सतय-तपरय शर उद र तकनदि करोधी थ र जय क परति व बहि वफ द र

थ एक ब र पर नदि क तकसी स हब न र जकोट क ठ करस हब क अपम न तकय थ तपि जी

न उसक तवरोध तकय स हब न र ज हए कब ग ाधी स म री म ागन क ततलए कह उनदहोन म री

म ागन स इनक र तकय फलसवरप कछ घाटो क ततलए उनदह हव ल ि म भी रहन पड इस पर

भी जब व मडग नही िो अाि म स हब न उनदह छोड दन क हकम ददय

तपि जी न धन बटोरन क लोभ कभी नही तकय इस क रण हम भ इयो क ततलए व बहि

थोडी समपतति छोड गय थ

तपि जी की ततशकष कवल अनभव की थी आजकल जजस हम गजर िी की प ाचवी तकि ब

क जञ न कहि ह उिनी ततशकष उनदह ममली होगी इतिह स-भगोल क जञ न िो तबलकल ही न थ

तफर भी उनक वय वह ररक जञ न इिन ऊा च दज क थ तक ब रीक स ब रीक सव लो को सलझ न

म अथव हज र आदममयो स क म लन म भी उनदह कोई कदठन ई नही होिी थी ध रमिक ततशकष

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नही क बर बर थी पर मजनददरो म ज न स और कथ बगर सनन स जो धमयजञ न असाखय तहनदओ

को सहज भ व स ममलि रहि ह वह उनम थ आखखर क स ल म एक तवदव न बर हमण की

सल ह स जो पररव र क ममि थ उनदहोन गीि -प ठ शर तकय थ और रोज पज क समय व

थोड-बहि शलोक ऊा च सवर स प ठ तकय करि थ

मर मन पर यह छ प रही ह तक म ि स धवी सिी थी व बहि शरदध ल थी तबन पज -प ठ

क कभी भोजन न करिी हमश हवली (वषणव-मजनददर) ज िी जबस मन होश साभ ल िबस

मझ य द नही पडि तक उनदहोन कभी च िम यस क वरि िोड हो व कदठन-स-कदठन वरि शर

करिी और उनदह तनरविधन पर करिी ततलए हए वरिो को बीम र होन पर भी कभी न छोडिी ऐस

एक समय की मझ य द ह तक जब उनदहोन च नदर यण क वरि ततलय थ वरि क ददनो म व बीम र

पडी पर वरि नही छोड च िम यस म एक ब र ख न िो उनक ततलए स म नदय ब ि थी लग ि र

दो-िीन उपव स िो उनक ततलए म मली ब ि थी एक च िम यस म उनदहोन यह वरि ततलय थ तक

सययन र यण क दशयन करक ही भोजन करगी उस चौम स म हम ब लक ब दलो क स मन दख

करि तक कब सरज क दशयन हो और कब म ा भोजन कर यह िो सब ज नि ह तक चौम स म

अकसर सयय क दशयन लयभ हो ज ि ह मझ ऐस ददन य द ह तक जब हम सरज को दखि और

कहि ldquoम ा-म ा सरज दीख rdquo और म ा उि वली होकर आिी इिन म सरज मछप ज ि और म ा

यह कहिी हई लौट ज िी तक ldquoकोई ब ि नही आज भ गय म भोजन नही हrdquo और अपन क म

म डब ज िी

म ि वयवह र-कशल थी र ज-दरब र की सब ब ि व ज निी थी रतनव स म उनकी

बजदध की अछछी कदर होिी थी म ब लक थ कभी-कभी म ि जी मझ भी अपन स थ दरब र

गढ ल ज िी थी ब -म ास हब क स थ होन व ली ब िो म स कछ मझ अभी िक य द ह

इन म ि -तपि क घर म सावि १९२५ की भ दो वदी ब रस क ददन अथ यि २ अिबर

१८६९ को पोरबादर अथव सद म परी म मर जनदम हआ

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२ पाठशाला म

मरा बचपन पोरबादर म ही तबि तकसी प ठश ल म मझ भरिी तकय गय थ ऐस कछ समरण

म ह मतककल स कछ प ड (पह डो को) सीख प य थ उस समय अनदय बछचो क स थ म भी

महि जी को ततसरय ग ली दन ही सीख थ ऐस समरण म ह और दसर कछ भी य द नही ह

इस ब ि स मर यह अनम न ह तक मरी बजदध स ध रण होगी िथ समरणशतति भी कमजोर होगी

पोरबादर स तपि जी र जसथ तनक कोटय क सदसय बनकर र जकोट गय उस समय मरी

उमर लगभग स ि स ल की होगी मझ र जकोट की गर मश ल म भरिी तकय गय इस श ल

क ददन मझ अछछी िरह य द ह ततशकषको क न म-ध म भी य द ह पोरबादर की िरह यह ा की

पढ ई क ब र म भी ज नन ल यक कोई ख स ब ि नही ह म मतककल स स ध रण शरणी क

तवदय थी रह होऊा ग गर मश ल स उपनगर की श ल म और वह ा स ह ईसकल म यह ा िक

पहाचन म मर ब रहव ा वषय बीि गय मझ य द नही पडि तक इस बीच मन तकसी भी समय

ततशकषको को धोख ददय हो न िब िक तकसीको ममि बन न क समरण ह म बहि ही शरमील

लडक थ और तकसीक भी स थी की सागि स भी दर रहि थ मरी तकि ब िथ मर प ठ ही

मर अकल स थी थ घाटी बजन क समय पहाचि और प ठश ल क बनदद होि ही घर भ गि

यह मरी रोज की आदि भ गन शबद म ज न-बझकर ततलख रह हा कयोतक तकसीस ब ि करन

मझ अछछ न लगि थ स थ ही यह डर भी रहि थ तक कोई मर मज क उड यग िो

ह ईसकल क पहल ही वषय की परीकष क समय की एक घटन उललखनीय ह ततशकष -

तवभ ग क इनदसपकटर ज इल स तवदय लय क तनरीकषण करन आय थ उनदहोन पहली ककष क

तवदय रथियो की वियनी की च ाच करन क ततलए पहली ककष क तवदय रथियो को अागरजी क प ाच शबद

ततलख य उनम एक शबद कटलrsquo (kettle) थ मन उसक तहजज ग़लि ततलख थ ततशकषक न

अपन बट की नोक म रकर मझ स वध न तकय लतकन म कयो स वध न होन लग मझ यह

खय ल ही नही हो सक तक ततशकषक मझ प स व ल लडक की पटटी दखकर तहजज सध र लन को

कहि ह मन यह म न थ तक ततशकषक िो यह दख रह ह तक हम एक-दसर की पटटी म दखकर

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चोरी न कर सब लडको क प ाचो शबद सही तनकल और अकल म बवकफ ठहर ततशकषक न

मझ मरी बवकरी ब द म समझ यी लतकन मर मन पर उनक समझ न क कोई असर न हआ

म दसर लडको की पटटी म दखकर चोरी करन कभी सीख न सक

इिन पर भी ततशकषक क परति मर तवनय कभी कम न हआ बडो क दोष न दखन क गण

मझ म सवभ व स ही थ ब द म इन ततशकषक क दसर दोष भी मझ म लम हए थ तफर भी उनक

परति मर आदर िो बन ही रह म यह ज नि थ तक बडो की आजञ क प लन करन च तहए

व जो कह सो करन कर उसक क जी न बनन

इसी समय क दो और परसाग मझ हमश य द रह ह स ध रणिः प ठश ल की पसिको

को छोडकर और कछ पढन क मझ शौक नही थ सबक य द करन च तहए उल हन सह

न ही ज ि ततशकषक को धोख दन ठीक नही इसततलए म प ठ य द करि थ लतकन मन अलस

ज ि इसस अकसर सबक कछच रह ज ि ऐसी ह लि म दसरी कोई चीज पढन की इछछ क यो

कर होिी तकनदि तपि जी की खरीदी हई एक पसिक पर मरी दतषट पडी न म थ lsquoशरवण-

तपिभतति न टकrsquo१ मरी इछछ उस पढन की हई और म उस बड च व क स थ पढ गय उनदही

ददनो शीश म मचि दख न व ल भी घर-घर आि थ उनक प स मन शरवण क वह दकय भी दख

जजसम वह अपन म ि -तपि को क ावर म बठ कर य ि पर ल ज ि ह दोनो चीजो क मझ पर

गहर परभ व पड मन म इछछ होिी तक ldquoमझ भी शरवण क सम न बनन च तहएrdquo शरवण की

मतय पर उसक म ि -तपि क तवल प मझ आज भी य द ह उस हदय को तहल दन व ल सरो

न मर मम को झकझोर ददय उस लततलि छनद द को मन ब ज पर बज न सीख ततलय थ मझ

ब ज सीखन क शौक़ थ और तपि जी न एक ब ज ददल भी ददय थ

दसरी घटन अनदय एक न टक क साबाध म घटी थी

इनदही ददनो कोई न टक-का पनी आयी थी और उसक न टक दखन की इज जि मझ ममली

थी हररिनदर क आखय न२ थ उस न टक को दखि हए म थकि न थ उस ब र-ब र दखन

की इछछ होिी थी लतकन यो ब र-ब र ज न कौन दि पर अपन मन म मन उस न टक को

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सकडो ब र खल होग मझ हररिनदर क सपन आि हररिनदर की िरह सतयव दी सब कयो नही

होिrdquo यह धन बनी रहिी यह परशन म ददनर ि अपन आपको पछि ही रहि थ सतय क प लन

करि रहन यह मर आदशय बन हररिनदर की घटन सही होगी ऐस मन म न ततलय हररिनदर पर

जसी तवपततिय ा पडी वसी तवपततियो को भोगन और सतय क प लन करन ही व सितवक सतय

ह मन यह म न ततलय थ तक उनक समरण करक म खब रोय हा आज मरी बजदध समझिी ह

तक हररिनदर कोई ऐतिह ततसक वयतति नही थ तफर भी मर तवच र म हररिनदर और शरवण आज

भी जीतवि ह म म नि हा तक आज भी उन न टको को पढ ा िो मरी आाखो स आास बह तनकलग

ह ईसकल म मरी तगनिी मनददबजदध तवदय रथियो म नही थी ततशकषको क परम म हमश ही प

सक थ हर स ल म ि -तपि क न म सकल स तवदय थी की पढ ई और उसक आचरण क साबाध

म परम णपि भज ज ि थ उनम मर आचरण य अभय स क खर ब होन की टीक कभी न ही

हई दसरी ककष क ब द मझ इन म भी ममल और प ाचवी िथ छठी ककष म करमशः परतिम ास

च र और दस रपयो की छ िवतति भी ममली थी इसम मरी होततशय री की अपकष भ गय क अाश

अमधक थ य छ िवततिय ा सब तवदय रथियो क ततलए नही थी बचलक सोरठव ततसयो म स सवयपरथम

आन व लो क ततलए थी च लीस-पच स तवदय रथियो की ककष म उस समय सोरठ परदश क तवदय थी

तकिन हो सकि थ

मर अपन खय ल ह तक मझ अपनी होततशय री क कोई गवय नही थ परसक र य

छ िवतति ममलन पर मझ आियय होि थ पर अपन आचरण क तवषय म म बहि सजग थ

आचरण म दोष आन पर मझ रल ई आ ही ज िी थी मर ह थो कोई भी ऐस क म बन जजसस

ततशकषको को मझ ड ाटन पड अथव ततशकषको क वस खय ल बन िो वह मर ततलए असहय हो

ज ि थ मझ य द ह तक एक ब र मझ म र ख नी पडी थी म र क ःख नही थ पर म दणड

क प ि म न गय इसक मझ बड ःख रह म खब रोय यह परसाग पहली य दसरी ककष

क ह दसर एक परसाग स िवी ककष क ह उस समय दोर बजी एदलजी गीमी हडम सटर थ व

तवदय थी-परमी थ कयोतक व तनयमो क प लन करव ि वयवचसथि रीति स क म करि और लि

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और अछछी िरह पढ ि थ उनदहोन उछच ककष क तवदय रथियो क ततलए कसरि-तकरकट अतनव यय

कर ददय थ मझ इनस अरमच थी इनक अतनव यय बनन स पहल म कभी कसरि तकरकट य

फटबॉल म गय ही न थ न ज न म मर शरमील सवभ व ही एकम ि क रण थ अब म दखि

हा तक वह अरमच मरी भल थी उस समय मर यह ग़लि खय ल बन हआ थ तक ततशकष क स थ

कसरि क कोई समबनदध नही ह ब द म म समझ तक तवदय भय स म वय य म क अथ यि श रीररक

ततशकष क म नततसक ततशकष क सम न ही सथ न होन च तहए

तफर भी मझ कहन च तहए तक कसरि म न ज न स मझ नकस न नही हआ उसक

क रण यह रह तक मन पसिको म खली हव म घमन ज न की सल ह पढी थी और वह मझ रची

थी इसक क रण ह ईसकल की उछच ककष स ही मझ हव खोरी की आदि पड गयी थी वह अनदि

िक बनी रही टहलन भी वय य म िो ह ही इसस मर शरीर अपकष कि सगदठि बन

अरमच क दसर क रण थ तपि जी की सव करन की िीवर इछछ सकल की छटटी होि

ही म सीध घर पहाचि और सव म लग ज ि जब कसरि अतनव यय हई िो इस सव म ब ध

पडी मन तबनिी की तक तपि जी की सव क ततलए मझ कसरि स छटटी दी ज य पर गीमी स हब

छटटी कयो दन लग एक शतनव र क ददन सबह क सकल थ श म को च र बज कसरि क ततलए

ज न थ मर प स घडी नही थी आसम न ब दलो स मघर थ इसततलए समय क कोई अनदद ज

नही रह म ब दलो स धोख ख गय जब कसरि क ततलए पहाच िो सब ज चक थ दसर

ददन गीमी स हब न ह जजरी दखी िो म गर-ह जजर प य गय मझस क रण पछ गय मन सही-

सही क रण बि ददय उनदहोन उस सच नही म न और मझ पर एक य दो आन (ठीक रकम क

समरण नही ह) क जम यन तकय म झठ ठहर मझ बहि ःख हआ कस ततसदध करा तक lsquoम

झठ नही हाrsquo कोई उप य न रह मन मसोसकर रह गय रोय समझ तक सच बोलन व ल

और सछच क म करन व ल को ग तरल भी नही रहन च तहए अपनी पढ ई क समय म इस िरह

की मरी यह पहली और आखखरी गरलि थी मझ धाधली-सी य द ह तक आखखर म वह जम यन

म फ कर सक थ

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मन कसरि स िो मतति पर पि कर ही ली तपि जी न हडम सटर को पि ततलख तक सकल

क समय क ब द व मरी उपचसथति क उपयोग अपनी सव क ततलए करन च हि ह इस क रण

मझ मतति ममल गयी

शरीर को वय य म न दन की गलिी क ततलए िो श यद मझ सज नही भोगनी पडी पर

दसरी एक ग़लिी की सज म आज िक भोग रह हा म यही ज नि तक पढ ई म सनददर लखन

आवकयक नही ह यह ग़लि खय ल मझ कस हो गय थ

इस समय क तवदय भय स क दसर दो सासमरण उललखनीय ह बय ह क क रण जो एक

स ल नषट हआ थ उस बच लन की ब ि दसरी ककष क ततशकषक न मर स मन रखी थी उन ददनो

पररशरमी तवदय थी को इसक ततलए अनमति ममलिी थी इस क रण िीसरी ककष म म छह महीन

रह और गरमी की छदटटयो स पहल होन व ली परीकष क ब द मझ चौथी ककष म बठ य गय

इस ककष स थोडी पढ ई अागरजी म धयम स होन लगिी थी मरी समझ म कछ न आि थ

भममति भी चौथी ककष स शर होिी थी म उसम तपछड हआ थ ही तिस पर म उस तबलकल

समझ नही प ि थ भममति-ततशकषक अछछी िरह समझ कर पढ ि थ पर म कछ समझ ही न

सकि थ म अकसर तनर श हो ज ि कभी-कभी यह भी सोचि तक एक स ल म दो ककष य

करन क तवच र छोडकर म िीसरी ककष म लौट ज ऊा पर ऐस करन म मरी ल ज ज िी और

जजन ततशकषक न मरी लगन पर भरोस करक मझ चढ न की ततसर ररश की थी उनकी भी ल ज

ज िी दोहरी ल ज ज न क भय इस भय स नीच ज न क तवच र िो छोड ही ददय जब परयतन

करि-करि म यचकलड क िरहव परमय िक पहाच िो अच नक मझ बोध हआ तक भममति िो

सरल स सरल तवषय ह जजसम कवल बजदध क सीध और सरल परयोग ही करन ह उसम

कदठन ई क य ह उसक ब द िो भममति मर ततलए सद ही एक सरल और सरस तवषय बन रह

भममति की अपकष सासकि न मझ अमधक परश न तकय भममति म रटन की कोई ब ि

थी ही नही जब तक मरी दतषट स सासकि म िो सब रटन ही होि थ यह तवषय भी चौथी ककष

म शर हआ थ छठी ककष म म ह र सासकि-ततशकषक बहि कड ममज ज क थ तवदय रथियो को

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अमधक ततसख न क लोभ रखि थ सासकि वगय और फ रसी वगय क बीच एक परक र की होड

रहिी थी फ रसी ततसख न व ल मौलवी नरम ममज ज क थ तवदय थी आपस म ब ि करि तक

फ रसी िो बहि आस न ह और फ रसी-ततशकषक बहि भल ह तवदय थी जजिन क म करि ह

उिन स व सािोष कर लि ह म भी आस न होन की ब ि सनकर ललच य और एक ददन फ रसी

क वगय म ज कर बठ सासकि-ततशकषक को ःख हआ उनदहोन मझ बल य और कह ldquoयह िो

समझ तक ि तकन क लडक ह कय ि अपन धमय की भ ष नही सीखग िझ जो कदठन ई

हो सो मझ बि म िो सब तवदय रथियो को बदढय सासकि ततसख न च हि हा आग चलकर उसम

रस क घाट पीन को ममलग िझ यो ह रन नही च तहए ि तफर स मर वगय म बठrdquo म शरम य

ततशकषक क परम की अवगणन न कर सक आज मरी आतम कषणशाकर पाडय क उपक र

म निी ह कयोतक जजिनी सासकि म उस समय सीख उिनी भी न सीख होि िो आज सासकि

श सिो म म जजिन रस ल सकि हा उिन न ल प ि मझ िो इस ब ि क पि ि प होि ह तक

म सासकि अमधक न सीख सक कयोतक ब द म म समझ तक तकसी भी तहनदद ब लक को सासकि

क अछछ अभय स तकय तबन रहन ही न च तहए

अब िो म यह म नि हा तक भ रिवषय की उछच ततशकष क प ठयकरम म म िभ ष क

अतिररि र षटरभ ष हहिदी सासकि फ रसी अरबी और अागरजी क सथ न होन च तहए भ ष ओ

की इस साखय स तकसीको डरन नही च तहए भ ष पदधतिपवयक ततसख ई ज य और सब तवषयो

को अागरजी क म धयम स सीखन-सोचन क बोझ हम पर न हो िो ऊपर की भ ष य सीखन ततसरय

बोझरप न होग बचलक उसम बहि ही आननदद आयग और जो वयतति एक भ ष को श सिीय

पदधति स सीख लि ह उसक ततलए दसरी क जञ न सलभ हो ज ि ह

---------------------------------------------------------------------------------------------- १ यव िपसवी शरवण अपन अाध म ि तपि की सव म रि रहि थ एक समय उसन अपनी क ावर म बठ कर य ि करव रह थ िब र सि म र म क तपि दशरथ न अनज न म उसकी हतय कर ड ली थी

२ तहनद धमयगराथो क मि तबक हररिनदर सययवाशी थ अपन द नशवरी सवभ व क ततलए पर म कषणकि िथ दढ सतयतपरयि क क रण खय िन म थ तवशव ममि न र ज की कसौटी करन च ह और कठीण कसौटीय ा दव र उसकी परीकष ली यह ा िक तक अपनी पतनी को ड तकन कही और उसकी हतय करव ड ली र ज अस ध रण हहिमि िथ सतयप लन स स री कसौदटय ा को प र कर गय

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३ बाल-नववाह

यह ततलखि हए मन अकल ि ह तक िरह स ल की उमर म मर तवव ह हआ थ आज मरी आाखो

क स मन ब रह-िरह वषय क ब लक मौजद ह उनदह दखि हा और अपन तवव ह क समरण करि

हा िो मझ अपन ऊपर दय आिी ह और इन ब लको को मरी चसथति म स बचन क ततलए बध ई

दन की इछछ होिी ह िरहव वषय म हए अपन तवव ह क मखयि पणय समथयन म मझ एक भी

नतिक दलील सझ नही सकिी

उस समय मर मन म अछछ-अछछ कपड पहनन ब ज बजन वर-य ि क समय घोड पर

चढन बदढय भोजन ममलन एक नई ब ततलक क स थ तवनोद करन आदद की अकषभल ष क ततसव

दसरी कोई ख स ब ि रही हो इसक मझ समरण नही ह

हम दोनो परसपर एक दसर को आतहसि आतहसि पहच नन लग और तबन साकोच बोलन

लग हम दोनो हमवयसक ह लतकन मन िो दखि ही दखि पतितव क अमधक र जम न शर

कर ददय

यह ब ि िो थी ही नही तक म अपनी पतनी क ततलए आशाक ल ऊा लतकन ईष य कभी कोई

क रण दखिी ह भल

मझ हमश यह ज नन च तहए तक मरी सिी कह ा ज िी ह इसततलए मरी अनमति क तबन

वह कही ज ही नही सकिी यह चीज हम र बीच ःखद झगड की जड बन गयी तबन अनमति

क कही भी न ज सकन िो एक िरह की क़द ही हई पर कसिरब ई ऐसी क़द सहन करन व ली

थी ही नही जह ा इछछ होिी वह ा मझस तबन पछ जरर ज िी म जयो-जयो दब व ड लि तयो-

तयो वह अमधक सविािि स क म लिी और तयो-तयो म अमधक मचढि इसस हम ब ल पति

पतनी ऐस ब लको क बीच बोलच ल क बनदद होन एक म मली चीज बन गयी कसिरब ई न जो

सविािि बरिी उस म तनदोष म नि हा जजस ब ततलक क मन म प प नही ह वह दव-दशयन क

ततलए ज न पर य तकसीस ममलन ज न पर दब व कयो सहन कर अगर म उस पर दब व ड लि

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हा िो वह मझ पर कयो न ड ल ndash यह िो अब समझ म आ रह ह उस समय िो मझ अपन

पतितव ततसदध करन थ

लतकन प ठक यह न म न तक हम र इस गह-जीवन म कही भी ममठ स नही थी मरी

वकरि की जड परम म थी म अपनी पतनी को आदशय सिी बन न च हि थ मरी यह भ वन थी

तक वह सवछछ बन सवछछ रह म सीखा सो सीख म पढा सो पढ और हम दोनो एक-दसर म

ओिपरोि रह ऐसी भ वन थी

कसिरब ई म यह भ वन थी य नही इसक मझ पि नही वह तनरकषर थी सवभ व स

सीधी सविाि महनिी और मर स थ िो कम बोलनव ली थी उस अपन अजञ न क असनदिोष न

थ अपन बचपन म मन कभी उसकी यह इछछ नही ज नी तक मरी िरह वह भी पढ सक िो

अछछ हो

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४ दःखद परसग-मतरी

म कह चक हा तक ह ईसकल म मर थोड ही तवशव सप ि ममि थ कह ज सकि ह तक ऐसी

ममिि रखन व ल दो ममि अलग-अलग समय म रह एक क समबनदध लमब समय िक नही दटक

यदयतप मन उस ममि को छोड नही थ मन दसर की सोहबि की इसततलए पहल न मझ छोड

ददय दसरी सोहबि मर जीवन क एक ःखद परकरण ह यह सोहबि बहि वषो िक रही इस

सोहबि को तनभ न म मरी दतषट सध रक की थी इन भ ई की पहली ममिि मर मझल भ ई क

स थ थी व मर भ ई की ककष म थ म दख सक थ तक उनम कई दोष ह पर मन उनदह वफ द र

म न ततलय थ मरी म ि जी मर जठ भ ई और मरी धमयपतनी िीनो को यह सोहबि कडवी लगिी

थी पतनी की चि वनी को िो म अकषभम नी पति क यो म नन लग म ि की आजञ क उललाघन

म करि ही न थ बड भ ई की ब ि म हमश सनि थ पर उनदह मन यह कहकर श नदि तकय

ldquoउसक जो दोष आप बि ि ह उनदह म ज नि हा उसक गण िो आप ज नि ही नही वह मझ

ग़लि र सि नही ल ज यग कयोतक उसक स थ मर समबनदध उस सध रन क ततलए ही ह मझ यह

तवशव स ह तक अगर वह सधर ज य िो बहि अछछ आदमी तनकलग म च हि हा तक आप मर

तवषय म तनभयय रहrdquo म नही म नि तक मरी इस ब ि स उनदह सािोष हआ पर उनदहोन मझ पर

तवशव स तकय और मझ मर र सि ज न ददय

ब द म म दख सक तक मर अनम न ठीक नही थ सध र करन क ततलए भी मनषय को

गहर प नी म नही पठन च तहए जजस सध रन ह उसक स थ ममिि नही हो सकिी ममिि म

अदवि-भ व होि ह सास र म ऐसी ममिि कवमचि ही प यी ज िी ह ममिि सम न गण व लो

क बीच शोभिी और तनभिी ह ममि एक-दसर को परभ तवि तकय तबन रह ही नही सकि

अिएव ममिि म सध र क ततलए बहि कम अवक श रहि ह मरी र य ह तक घतनषठ ममिि

अतनषट ह कयोतक मनषय दोषो को जलदी गरहण करि ह जो आतम की ईशवर की ममिि च हि

ह उस एक की रहन च तहए अथव समच सास र क स थ ममिि रखनी च तहए ऊपर क तवच र

योगय हो अथव अयोगय घतनषठ ममिि बढ न क मर परयोग तनषफल रह

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जजन ददनो म इन ममि क सापकय म आय उन ददनो र जकोट म सध रपाथ क जोर थ

मझ इन ममि न बि य तक कई तहनदद ततशकषक मछपमछप म ास ह र और मदयप न करि ह उनदहोन

र जकोट क दसर परततसदध गहसथो क न म भी ददय मर स मन ह ईसकल म कछ तवदय रथियो क

न म भी आय मझ िो आियय भी हआ और ःख भी क रण पछन पर यह दलील दी गयी

ldquoहम म ास ह र नही करि इसततलए परज क रप म हम तनवीयय ह अागरज हम पर इसीततलए र जय

करि ह तक व म ास ह री ह म तकिन मजबि हा और तकिन दौड सकि हा सो िो िम ज नि

ही हो इसक क रण भी म ास ह र ही ह म ास ह री को फोड नही होि होन पर झट अछछ हो

ज ि ह हम र ततशकषक म ास ख ि ह इिन परततसदध वयतति ख ि ह सो कय तबन समझ ख ि ह

िमह भी ख न च तहए ख कर दखो िो म लम होग तक िम म तकिनी ि कि आ ज िी हrdquo

य सब दलील तकसी एक ददन नही दी गयी थी अनक उद हरणो स सज कर इस िरह की

दलील कई ब र दी गयी यह उसक स र ाश ह मर मझल भ ई िो भरषट हो चक थ उनदहोन इन

दलीलो की पतषट की अपन भ ई की और इन ममि की िलन म म िो बहि बल थ उनक

शरीर अमधक गठील थ उनक शरीर-बल मझस कही जय द थ व तहममिवर थ इन ममि क

पर करम मझ मगध कर दि थ व मनच ह दौड सकि थ उनकी गति बहि अछछी थी व खब

लमब और ऊा च कद सकि थ म र सहन करन की शतति भी उनम खब थी अपनी इस शतति

क परदशयन भी व मर स मन समय-समय पर करि थ जो शतति अपन म नही होिी उस दसर म

दखकर मनषय को आियय होि ही ह वस मझ भी हआ आियय म स मोह पद हआ मझम

दौडन-कदन की शतति नही क बर बर थी म सोच करि तक म भी इन ममि की िरह बलव न

बन ज ऊा िो तकिन अछछ हो

इसक अल व म बहि डरपोक थ चोर भि स ाप आदद क डर स मघर रहि थ र ि

कही अका ल ज न की तहममि नही थी अाधर म िो कही ज ि ही न थ दीय क तबन सोन

लगभग असाभव थ प स म सोयी हई और अब कछ सय नी बनी हई पतनी स भी अपन इस डर

की ब ि म कस करि म यह समझ चक थ तक वह मझस जय द तहममि व ली ह इिन म

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समझ गय थ और इसततलए म शरम ि थ स ाप-भि आदद स डरन िो वह ज निी ही न थी

अाधर म वह अकली चली ज िी थी मर य ममि मरी इन कमजोररयो को ज नि थ मझस कह

करि थ तक व िो जजनदद स ापो को भी ह थ स पकड लि ह चोर स कभी नही डरि भि को िो

म नि ही नही उनदहोन मझ जाच य तक यह स र परि प म ास ह र क ह

इनदही ददनो नमयद क नीच ततलख पद सकलो म ग य ज ि थ

अागरजो र जय कर दशी रह दब ई

दशी रह दब ई जोन बन ा शरीर भ ई

पलो प ाच ह थ परो परो प ाचसन

इन सब ब िो क मर मन पर पर -पर असर हआ म तपघल म यह म नन लग तक

म ास ह र अछछी चीज ह उसस म बलव न और स हसी बनाग समच दश म ास ह र कर िो

अागरजो को हर य ज सकि ह

म ास ह र शर करन क ददन तनकषिि हआ

म म ि -तपि क परम भि थ व चसि वषणव अि म ास ह र मछपक मछपक करन

थ म म नि थ तक व मर म ास ह र की ब ि ज नग िो तबन मौि क उनकी ितक ल मतय हो

ज यगी ज न-अनज न म सतय क सवक िो थ ही म ऐस नही कह सकि तक उस समय मझ

यह जञ न न थ तक म ास ह र करन म म ि -तपि को धोख दन होग यह जञ न उस समय मझ

नही थ ऐस िो म नही कह सकि

लतकन मझ िो सध र करन थ म ास ह र क शौक़ नही थ यह सोचकर तक उसम सव द

ह म म ास ह र शर नही कर रह थ मझ िो बलव न और स हसी बनन थ दसरो को वस

बनन क ततलए नदयोिन थ और तफर अागरजो को हर कर तहनदसि न को सविाि करन थ सवराजय

शबद उस समय िक मन सन नही थ सध र क इस जोश म होश भल गय लतकन सविािि क

अथय म अछछी िरह समझि थ

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म ि -तपि स क यय को छप न इसम सतय क कोई हर स नही होि तनकषिि ददन आय

व चसि वषणव अिः म ास ह र चपक चपक स करन थ अपनी चसथति क समपणय वणयन करन

मर ततलए कदठन ह एक िरफ सध र क उतस ह थ जीवन म महततव क पररवियन करन क

किहल थ और दसरी िरफ चोर की िरह मछपकर क म करन की शरम थी मझ य द नही

पडि तक इसम मखय वसि कय थी हम नदी की िरफ एक नदि की खोज म चल दर ज कर ऐस

कोन खोज जह ा कोई दख न सक और वह ा मन कभी न दखी हई वसि mdash म ास ndash दखी स थ

म भदटय रख न की ड ल-रोटी थी दोनो म स एक भी चीज मझ भ िी नही थी बकर क म ास

चमड जस लगि थ ख न असमभव हो गय मझ क होन लगी ख न छोड दन पड

मरी वह र ि बहि बरी बीिी नीद नही आई सपन म ऐस भ स होि थ म नो शरीर क

अनददर बकर जजनदद हो और रो रह हो म चौक उठि पछि ि और तफर सोचि तक मझ िो

म ास ह र करन ही ह तहममि नही ह रनी ह ममि भी ह र ख न व ल नही थ उनदहोन अब म ास

को अलग-अलग ढाग स पक न सज न और ढाकन क परबनदध तकय नदीतकन र ल ज न क बदल

तकसी ब वरची क स थ ब िचीि करक मछपमछप एक सरक री ड क-बागल पर ल ज न की

वयवसथ की और वह ा कसी मज बगर स म न क परलोभन म मझ ड ल इसक असर हआ

ड ल-रोटी की नररि कछ कम पडी बकर की म य छटी और म ास क िो कह नही सकि पर

म ास व ल पद थो म सव द आन लग इस िरह एक स ल बीि होग और इस बीच प ाच-छह ब र

म ास ख न को ममल होग कयोतक ड क-बागल सद सलभ न रहि थ और म ास क सव ददषट

म न ज न व ल बदढय पद थय भी सद िय र नही हो सकि थ सध र क ततलए मर प स िो फटी

कौडी भी नही थी इसततलए म कछ द नही सकि थ इस खचय की वयवसथ उन ममिो को ही

करनी होिी थी उनदहोन कह ा स कस वयवसथ की इसक मझ आज िक पि नही ह उनक

इर द िो मझ म ास की आदि लग दन क ndash भरषट करन क ndash थ इसततलए पस व अपन प स स

खचय करि थ पर उनक प स भी कोई अखट खज न नही थ इसततलए ऐसी द वि कभी-कभी

ही हो सकिी थी

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जब-जब ऐस भोजन ममलि िब-िब घर पर िो भोजन हो ही नही सकि थ जब

म ि जी भोजन क ततलए बल िी िब lsquoआज भख नही ह ख न हजम नही हआ ह ऐस बह न

बन न पडि थ ऐस कहि समय हर ब र मझ भ री आघ ि पहाचि थ यह झठ सो भी म ा क

स मन और अगर म ि -तपि को पि चल तक लडक म ास ह री हो गय ह िब िो उन पर तबजली

ही टट पडगी य तवच र मर ददल को करदि रहि थ इसततलए मन तनिय तकय म ास ख न

आवकयक ह उसक परच र करक हम तहनदसि न को सध रग पर म ि -तपि को धोख दन और

झठ बोलन िो म ास न ख न स भी बर ह इसततलए म ि -तपि क जीि-जी म ास नही ख न

च तहए उनकी मतय क ब द सविाि होन पर खल िौर स म ास ख न च तहए और जब िक वह

समय न आय िब िक म ास ह र क तय ग करन च तहए अपन यह तनिय मन ममि को जि

ददय और िबस म ास ह र जो छट सो सद क ततलए छट गय म ि -तपि कभी यह ज न ही न

प य तक उनक दो पि म ास ह र कर चक ह

म ि -तपि को धोख न दन क शभ तवच र स मन म ास ह र छोड पर वह ममिि नही

छोडी म ममि को सध रन चल थ पर खद ही तगर और तगर वट क मझ होश िक न रह

इसी सोहबि क क रण म पतनी की िरफ की वर द री भी चक ज ि िथ वयकषभच र म

भी फा स ज ि एक ब र मर य ममि मझ वकय ओ की बसिी म ल गय वह ा मझ योगय सचन य

दकर एक सिी क मक न म भज तहस ब हो चक थ उस कोठरी म म िो तबलकल अाध बन

गय मझ बोलन क भी होश न रह पर औरि न गसस म आकर मझ दो-च र खरी-खोटी सन यी

और दरव ज की र ह ददख यी

उस समय िो मझ ज न पड तक मरी मद यनगी को बटट लग और मन च ह तक धरिी

जगह द िो म उसम सम ज ऊा पर इस िरह बचन क ततलए मन सद ही भगव न क आभ र

म न ह

हम दमपिी क बीच जो कछ मिभद पद होि य कलह होि उसक एक क रण यह

ममिि भी थी म जस परमी वस ही वहमी पति थ मर वहम को बढ नव ली यह ममिि थी

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कयोतक ममि की सछच ई क ब र म मझ कोई सनददह थ ही नही इन ममि की ब िो म आकर मन

अपनी धमयपतनी को तकिन ही कषट पहाच य ह इस हहिस क ततलए मन अपन को कभी म र नही

तकय ह ऐस ःख तहनदद सिी ही सहन करिी ह और इस क रण मन सिी को सद सहनशीलि

की मरिि क रप म दख ह नौकर पर झठ शक तकय ज य िो वह नौकरी छोड दि ह पि पर

ऐस शक हो िो वह तपि क घर छोड दि ह ममिो क बीच शक पद हो िो ममिि टट ज िी

ह सिी को पति पर शक हो िो वह मन मसोस कर बठी रहिी ह पर अगर पति पतनी पर शक

कर िो पतनी बच री क िो भ गय ही फट ज ि ह वह कह ा ज य तहनदद सिी अद लि म ज कर

बाधी हई ग ाठ को कटव भी नही सकिी इस िरह क नदय य मन ददय इसक ःख को म कभी

नही भल सकि मरी धमयपतनी को इस िरह की चसथति म रखन क ततलए म अपन आपको कभी

भी म र नही कर सकि य नही भल सकि हा इस सनददह की जड िो िभी कटी जब मझ

अहहिस क सकषम जञ न हआ य नी जब म बरहमचयय की मतहम को समझ और यह समझ तक

पतनी पति की द सी नही पर उसकी सहच ररणी ह सहधरमिणी ह दोनो एक-दसर क सख-ःख

क सम न स झद र ह और भल -बर करन की जजिनी सविािि पति को ह उिनी ही पतनी को

ह सनददह क उस क ल को जब म य द करि हा िो मझ अपनी मखयि और तवषय नदध तनदययि

पर करोध आि ह और ममिि -तवषयक अपनी मछछ य पर दय आिी ह

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५ चोरी और परायकषितत

माासाहार क समय क और उसस पहल क कछ दोषो क वणयन अभी रह गय ह य दोष तवव ह

स पहल क अथव उसक िरनदि ब द क ह

अपन एक ररकिद र क स थ मझ बीडी पीन क शौक़ लग हम दोनो म स तकसीक यह

खय ल िो नही थ तक बीडी पीन म कोई फ यद ह अथव उसकी गनदध म आननदद ह पर हम

लग तक ततसरय धआा उड न म ही कछ मज ह मर क क जी को बीडी पीन की आदि थी उनदह

और दसरो को धआा उड ि दखकर हम भी बीडी फा कन की इछछ हई ग ाठ म पस िो थ नही

इसततलए क क जी पीन क ब द बीडी क जो lsquoठा ठrsquo फ क दि हमन उनदह चर न शर तकय

पर बीडी क य ठा ठ हर समय ममल नही सकि थ और उनम स बहि धआा भी नही

तनकलि थ इसततलए नौकर की जब म पड दो-च र पसो म स हमन एक ध पस चर न की

आदि ड ली और हम बीडी खरीदन लग पर सव ल यह पद हआ तक उस साभ ल कर रख

कह ा हम ज नि थ तक बडो क दखि िो बीडी पी ही नही सकि जस-िस दो-च र पस चर कर

कछ हफि क म चल य इस बीच सन तक एक परक र क पौध होि ह (उसक न म िो म भल

गय हा) जजसक डाठल बीडी की िरह जलि ह और फा क ज सकि ह हमन उनदह पर पि तकय

और फा कन लग

पर हम सािोष नही हआ अपनी पर धीनि हम अखरन लगी हम ःख इस ब ि क थ

तक बडो की आजञ क तबन हम कछ भी नही कर सकि थ हम ऊब गय और हमन आतमहतय

करन क तनिय कर ततलय

पर आतमहतय कस कर जहर कौन द हमन सन तक धिर क बीज ख न स मतय होिी

ह हम जागल म ज कर बीज ल आय श म क समय िय तकय कद रन थजी क मजनददर की

दीपम ल म घी चढ य दशयन तकय और एक नदि खोज ततलय पर जहर ख न की तहममि न हई

अगर िरनदि ही मतय न हई िो कय होग मरन स ल भ कय कयो न पर धीनि ही सह ली ज य

तफर भी दो-च र बीज ख य अमधक ख न की तहममि ही न पडी दोनो मौि स डर और यह तनिय

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तकय तक र मजी क मजनददर म ज कर दशयन करक श नदि हो ज एा और आतमहतय की ब ि भल

ज एा

मरी समझ म आय तक आतमहतय क तवच र करन सरल ह आतमहतय करन सरल

नही इसततलए कोई आतमहतय करन की धमकी दि ह िो मझ पर उसक बहि कम असर होि

ह अथव यह कहन ठीक होग तक कोई असर होि ही नही

आतमहतय क इस तवच र क पररण म यह हआ तक हम दोनो जठी बीडी चर कर पीन की

और नौकर क पस चर कर बीडी खरीदन और फा कन की आदि भल गय तफर बडपन म बीडी

पीन की कभी इछछ नही हई मन हमश यह म न ह तक यह आदि जागली गनददी और ह तनक रक

ह तनय म बीडी क इिन जबरदसि शौक़ कयो ह इस म कभी समझ नही सक हा

रलग डी क जजस मडब म बहि बीडी पी ज िी ह वह ा बठन मर ततलए मतककल हो ज ि ह और

उसक धएा स मर दम घटन लगि ह

उपर क दोष क अल व मझस चोरी क दसर जो दोष हआ उस म अमधक गमभीर म नि

हा बीडी क दोष क समय मरी उमर ब रह-लरह स ल की रही होगी श यद इसस कम भी हो

दसरी चोरी क समय मरी उमर पनदरह स ल की रही होगी यह चोरी मर म ास ह री भ ई क सोन

क कड क टकड की थी उन पर म मली-स लगभग पचीस रपय क क़जय हो गय थ मर

भ ई क ह थ म सोन क ठोस कड थ उसम स एक िोल सोन क ट लन मतककल न थ

कड कट क़जय अद हआ पर मर ततलए यह ब ि असहय हो गयी मन तनिय तकय तक

आग कभी चोरी करा ग ही नही मझ लग तक तपि जी क सममख अपन दोष सवीक र भी कर

लन च तहए पर जीभ न खली तपि जी सवया मझ पीटग इसक डर िो थ ही नही मझ य द

नही पडि तक उनदहोन कभी हम म स तकसी भ ई को पीट हो पर खद ःखी होग मन सोच तक

यह जोखखम उठ कर भी दोष क़बल कर ही लन च तहए उसक तबन शजदध नही होगी

आखखर मन िय तकय तक मचटठी ततलखकर दोष सवीक र तकय ज य और कषम म ाग ली

ज य मन मचटठी ततलखकर ह थोह थ दी मचटठी म स र दोष सवीक र तकय और सज च ही

आगरहपवयक तबनिी की तक व अपन को ःख म न ड ल और भतवषय म तफर ऐस अपर ध न

करन की परतिजञ की

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मन क ापि ह थो मचटठी तपि जी क ह थ म दी म उनक िखि क स मन बठ गय उन

ददनो व भगनददर की बीम री स पीमडि थ इस क रण तबसिर पर ही पड रहि थ खदटय क बदल

लकडी क िखि क म म ल ि थ

उनदहोन मचटठी पढी आाखो स मोिी की बाद टपकी मचटठी भीग गयी उनदहोन कषण भर क

ततलए आाख मादी मचटठी फ ड ड ली और सवया पढन क ततलए उठ बठ थ सो व पस लट गय

म भी रोय तपि जी क ःख समझ सक अगर म मचिक र होि िो वह मचि आज

समपणयि स खीच सकि आज भी वह मरी आाखो क स मन इिन सपषट ह

मोिी की बादो क उस परमब ण न मझ बध ड ल म शदध बन इस परम को िो अनभवी

ही ज न सकि ह

र मब ण व गय ा र होय ि ज ण३

मर ततलए यह अहहिस क पद थयप ठ थ उस समय िो मन इसम तपि क परम क ततसव

और कछ नही दख पर आज म इस शदध अहहिस क न म स पहच न सकि हा ऐसी अहहिस क

वय पक रप ध रण कर लन पर उसक सपशय स कौन बच सकि ह ऐसी वय पक अहहिस की

शतति की थ ह लन असमभव ह

इस परक र की श नदि कषम तपि जी क सवभ व क तवरदध थी मन सोच थ तक व करोध

करग कट वचन कहग श यद अपन ततसर पीट लग पर उनदहोन इिनी अप र श ननदि जो ध रण

की मर तवच र म उसक क रण अपर ध की सरल सवीकति थी जो मनषय अमधक री क सममख

सवछछ स और तनषकपट भ व स अपन अपर ध सवीक र कर लि ह और तफर कभी वस अपर ध

न करन की परतिजञ करि ह वह शदधिम पर यकषिि करि ह

म ज नि हा तक मरी इस सवीकति स तपि जी मर तवषय म तनभयय बन और उनक मह न

परम और भी बढ गय

_________________

३ र म की भतति क ब ण जजस लग हो वही ज न सकि ह

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६ नपताजी की बीमारी मतय और शरम

उस समय म सोलह वषय क थ हम ऊपर दख चक ह तक तपि जी भगनददर की बीम री क क रण

तबलकल शयय वश थ उनकी सव म अमधकिर म ि जी घर क एक पर न नौकर और म रहि

थ मर जजमम नसय क क म थ उनक घ व धोन उसम दव ड लन मरहम लग न क समय

मरहम लग न उनदह दव तपल न और जब घर पर दव िय र करनी हो िो िय र करन यह मर

ख स क म थ र ि हमश उनक पर दब न और इज जि दन पर अथव उनक सो ज न पर

सोन यह मर तनयम थ मझ यह सव बहि तपरय थी मझ समरण नही ह तक इसम तकसी भी

ददन चक होऊा ख न-पीन क ब द क मर समय सकल म अथव तपि जी की सव म ही बीिि

थ जजस ददन उनकी आजञ ममलिी और उनकी िबीयि ठीक रहिी उस ददन श म को टहलन

ज ि थ

अवस न की घोर र ति समीप आई र ि क स ढ दस य गय रह बज होग म पर दब रह

थ च च जी न मझस कह ldquoज अब म बठा ग rdquo म खश हआ और सीध शयन-गह म पहाच

पतनी िो बच री गहरी नीद म थी पर म सोन कस दि मन उस जग य प ाच-स ि ममनट बीि

होग नौकर न आकर तकव ड खटखट य ldquoउठो ब प बहि बीम र हrdquo म ज नि थ तक व

बहि बीम र िो थ ही इसततलए यह ा बहि बीम र क तवशष अथय समझ गय एकदम तबसिर स

कद पड

ldquoकह िो सही ब ि क य हrdquo

जव ब ममल ldquoब प गजर गयrdquo

मर पछि न तकस क म आि म बहि शरम य बहि ःखी हआ दौडकर तपि जी

क कमर म पहाच ब ि मरी समझ म आयी तक अगर म तवषय नदध न होि िो इस अननदिम घडी

म यह तवयोग मझ नसीब न होि

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इस क ल द ग़ को म आज िक ममट नही सक भल नही सक और मन हमश म न ह

तक यदयतप म ि -तपि क परति मरी अप र भतति थी उसक ततलए म सब कछ छोड सकि थ

िथ तप सव क समय भी भर मन तवषय को छोड नही सकि थ यह उस सव म रही हई

अकषमय िदट थी इसस मि होन म मझ बहि समय लग और मि होन स पहल कई धमय-साकट

सहन पड

जजन ब ल-दमपिी को चिन हो व इस दषट नदि स चि

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७ धमम की झााकी

म वषणव समपरद य म जनदम थ इसततलए हवली म ज न क परसाग ब र-ब र आि थ पर उसक

परति शरदध उतपनदन नही हई हवली क वभव मझ अछछ नही लग हवली म चलन व ली अनीति

की ब ि सनकर मन उसक परति उद सीन बन गय वह ा स मझ कछ भी न ममल

पर जो हवली स न ममल वह मझ अपनी ध य रमभ स ममल रमभ हम र पररव र की

पर नी नौकर नी थी उसक परम मझ आज भी य द ह म ऊपर कह चक हा तक मझ भि-परि

आदद क डर लगि थ रमभ न मझ समझ य तक इसकी दव र मन म ह मझ िो र मन म स

भी अमधक शरदध रमभ पर थी इसततलए बचपन म भि-परि दद क भय स बचन क ततलए मन र मन म

जपन शर तकय यह जप बहि समय िक नही चल पर बचपन म जो बीज बोय गय वह

नषट नही हआ आज र मन म मर ततलए अमोघ शतति ह म म नि हा तक उसक मल म रमभ ब ई

क बोय हआ बीज ह

तपि जी की बीम री क थोड समय पोरबादर म बीि थ वह ा व र मजी क मनछदर म रोज

र ि क समय र म यण सनि थ सन न व ल र मचनदरजी क परम भि थ ल ध मह र ज क

कणठ मीठ थ व दोह -चौप ई ग ि और अथय समझ ि थ खद उसक रस म िललीन हो ज ि

थ िथ शरोि जनो को भी रस िललीन कर दि थ उस समय मरी उमर िरह स ल की रही होगी

पर य द पडि ह तक उनक प ठ म मझ खब रस आि थ यह र म यण-शरवण र म यण क परति

मर अतयमधक परम की बतनय द ह आज म िलसीद स की र म यण को भततिम गय क सवोततिम

गराथ म नि हा

र जकोट म मझ अन य स ही सब समपरद यो क परति सम न भ व रखन की ततशकष ममली

मन तहनदद धमय क परतयक समपरद य क आदर करन सीख कयोतक म ि -तपि वषणव-मजनददर म

ततशव लय म और र म-मजनददर म भी ज ि और भ इयो को भी स थ ल ज ि य भजि थ

तफर तपि जी क प स जन धम यच यो म स भी कोई न कोई हमश आि रहि थ तपि जी

उनदह कषभकष भी दि थ व तपि जी क स थ धमय और वयवह र की ब ि तकय करि थ इसक ततसव

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तपि जी क मसलम न और प रसी ममि भी थ व अपन-अपन धमय की चच य करि और तपि जी

उनकी ब ि समम नपवयक और अकसर रसपवयक सन करि थ नसय होन क क रण ऐसी चच य

क समय म अकसर ह जजर रहि थ इस स र व ि वरण क परभ व मझ पर यह पड तक मझम

सब धमो क ततलए सम न भ व पद हो गय

एक ईस ई धमय अपव दरप थ उसक परति कछ अरमच थी उसक क रण थ उन ददनो

कछ ईस ई ह ईसकल क कोन पर खड होकर वय खय न ददय करि थ व तहनदद दवि ओ की और

तहनदद धमय को म नन व लो की बर ई करि थ मझ वह असहय म लम हआ म एक ध ब र ही

वय खय न सनन क ततलए खड रह होऊा ग दसरी ब र तफर वह ा खड रहन की इछछ ही न हई

उनदही ददनो एक परततसदध तहनदद क ईस ई बनन की ब ि सनी ग ाव म चच य थी तक उनदह ईस ई धमय

की दीकष दि समय गोम ास खखल य गय और शर ब तपल यी गयी उनकी पोश क भी बदल दी

गयी और ईस ई बनन क ब द व भ ई कोट-पिलन और अागरजी टोपी पहनन लग इन ब िो स

मझ पीड पहाची जजस धमय क क रण गोम ास ख न पड शर ब पीनी पड और अपनी पोश क

बदलनी पड उस धमय कस कह ज य मर मन न यह दलील की तफर यह भी सनन म आय तक

जो भ ई ईस ई बन थ उनदहोन अपन पवयजो क धमय की रीति-ररव जो की और दश की तननद द

करन शर कर ददय थ इन सब ब िो स मर मन म ईस ई धमय क परति अरमच उतपनदन हो गयी

इस िरह यदयतप दसर धमो क परति समभ व ज ग तफर भी यह नही कह ज सकि तक

मझम ईशवर क परति आसथ थी

पर एक चीज न मन म जड जम ली ndash यह सास र नीति पर दटक हआ ह नीतिम ि क

सम वश सतय म ह सतय को िो खोजन ही होग ददन-पर-ददन सतय की मतहम मर तनकट

बढिी गयी सतय की वय खय तवसिि होिी गयी और अभी भी हो रही ह

तफर नीति क एक छपपय ददल म बस गय अपक र क बदल अपक र नही उपक र

ही हो सकि ह यह एक जीवन-सि ही बन गय उसन मझ पर स मर जय चल न शर तकय

इसक अनतगनि परयोग तकय वह चमतक री छपपय यह ह

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प णी आपन प य भला भोजन िो दीज

आवी नम व शीश दाडवि कोड कीज

आपण घ स द म क म महोरोना करीए

आप उग र पर ण ि िण ःखम ा मरीए

गण कड िो गण दश गणो मन व च कम करी

अवगण कड जो ग गण कर ि जगम ा जीतयो सही४

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४ जो हम प नी तपल य उस हम अछछ भोजन कर य जो आकर हम र स मन ततसर नव य उस हम उमाग स

दणडवि परण म कर जो हम र ततलए एक पस खचय कर उसक हम महरो की कीमि क क म कर द जो हम र

पर ण बच व उसक ःख दर करन क ततलए हम अपन पर ण िक तनछ वर कर द जो हम र उपक र कर उसक

िो हम मन बचन और कमय स दस गन उपक र करन ही च तहए लतकन जग म सछच और स थयक जीन उसीक

ह जो अपक र करन व ल क परति भी उपक र करि ह

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८ नवलायत की तयारी

मटरिकयलशन की परीकष म उिीणय हो ज न क उपर नदि बडो की इछछ थी तक प स हो ज न पर

मझ आग कोलज की पढ ई करनी च तहए कोलज बमबई म भी थ और भ वनगर म भी

भ वनगर क खचय कम थ इसततलए भ वनगर क श मलद स कोलज म भरिी होन क तनिय

हआ कोलज म मझ कछ आि न थ सब कछ मतककल म लम होि थ अधय पको क

वय खय नो म न रस आि और न म उनदह समझ प ि इसम दोष अधय पको क नही मरी

कमजोरी क ही थ उस समय क श मलद स कोलज क अधय पक िो परथम पातति क म न ज ि

थ पहल सि पर करक म घर आय

कटमब क पर न ममि और सल हक र एक तवदव न वयवह र-कशल बर हमण म वजी दव थ

तपि जी क सवगयव स क ब द भी उनदहोन कटमब क स थ समबनदध बन य रख थ व छटटी क इन

ददनो म घर आय म ि जी और बड भ ई क स थ ब िचीि करि हए उनदहोन मरी पढ ई क ब र

म पछि छ की जब सन तक म श मलद स कोलज म हा िो बोल ldquoजम न बदल गय ह िम

भ इयो म स कोई कब ग ाधी की गददी साभ लन च ह िो तबन पढ ई क वह नही होग यह लडक

अभी पढ रह ह इसततलए गददी साभ लन को बोझ इसस उठव न च तहए इस च र-प ाच स ल िो

अभी बी० ए० होन म लग ज एाग और इिन समय दन पर भी इस ५०-६० रपय की नौकरी

ममलगी दीव नगीरी नही और अगर उसक ब द इस मर लडक की िरह वकील बन य िो थोड

वषय और लग ज एाग और िब िक िो दीव नगीरी क ततलए वकील भी बहि स िय र हो चक ग

आपको इस तवल यि भजन च तहए नय आय हए ब ररसटरो को दखो व कस ठ ठ स रहि ह

व च ह िो उनदह दीव नगीरी आज ममल सकिी ह मरी िो सल ह ह तक आप मोहनद स को इसी

स ल तवल यि भज दीजजए तवल यि म मर कवलर म क कई दोसि ह वह उनक न म ततसर ररशी

पि द दग िो इस वह ा कोई कदठन ई नही होगीrdquo

जोशीजी न (म वजी दव को हम इसी न म स पक रि थ) मरी िरर दखकर मझस ऐस

लहज म पछ म नो उनकी सल ह क सवीकि होन म उनदह कोई शाक ही न हो

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कयो िझ तवल यि ज न अछछ लगग य यही पढि रहन rdquo मझ जो भ ि थ वही

वदयन बि ददय म कोलज की कदठन इयो स डर िो गय ही थ मन कह ldquoमझ तवल यि भज

िो बहि ही अछछ हrdquo

बड भय सोच म पड गय मझ भजन क ततलए रपयो क बादोबसि परबाध कस तकय ज य

इिन ही नही मझ जस नवयव को तवदश कस भज ज यrdquo

म ि जी कस समझिी उनदहोन सब िरह की पछि छ शर कर दी थी कोई कहि

नौजव न लोग तवल यि ज कर तबगड ज ि ह कोई कहि व म ास ह र करन लगि ह कोई

कहि वह ा शर ब क तबन िो चलि ही नही म ि जी न मझ य स री ब ि सन यी इन स री

ब िो क कय मन कह ldquoपर ि मर तवशव स नही करगी म िझ धोख नही दाग शपथपवयक

कहि हा तक म इन िीनो चीजो स बचाग अगर ऐस खिर होि िो जोशीजी क यो ज न

दिrdquo

म ि जी बोली ldquoमझ िर तवशव स ह पर दर दश म कय होग मरी िो अकल क म नही

करिी म बचरजी सव मी स पछागीrdquo

बचरजी सव मी मोढ बतनयो म स बन हए एक जन स ध थ जोशीजी की िरह व भी हम र

सल हक र थ उनदहोन मदद की व बोल ldquoम इस लडक स इन िीनो चीजो क वरि ततलव ऊा ग

तफर इस ज न दन म कोई ह तन नही होगीrdquo उनदहोन परतिजञ ततलव यी और मन म ास मददर िथ

सिी-साग स दर रहन की परतिजञ की म ि जी न आजञ दी

ह ईसकल म सभ हई र जकोट क एक यवक तवल यि ज रह ह यह आियय क तवषय

बन म जव ब क ततलए कछ ततलखकर ल गय थ जव ब दि समय उस मतककल स पढ प य

मझ इिन य द ह तक मर ततसर घम रह थ और शरीर क ाप रह थ

म ि जी की आजञ और आशीव यद लकर और पतनी क गोद म कछ महीनो क ब लक

छोडकर म उमागो क स थ बमबई पहाच पहाच िो गय पर वह ा ममिो न भ ई को बि य तक जन-

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जल ई म तहनदद मह स गर म िर न आि ह और मरी यह पहली ही समरी य ि ह इसततलए नवमबर

म रव न करन च तहए

इस बीच ज ति म खलबली मची ज ति की सभ बल यी गयी मझस जव ब िलब तकय

ज न च तहए मझ पाच यि म ह जजर रहन क हकम ममल म गय म नही ज नि तक मझम

अच नक तहममि कह ा स आ गयी ह जजर रहन म मझ न िो साकोच हआ न डर लग ज ति क

सरपाच क स थ दर क कछ ररकि भी थ तपि जी क स थ उनक समबनदध अछछ थ उनदहोन

मझस कह

ldquoज ति क खय ल ह तक िन तवल यि ज न क जो तवच र तकय ह वह टीक नही ह

हम र धमय म समर प र करन की मन ही ह तिस पर यह भी सन ज ि ह तक वह ा धमय की रकष

नही हो प िी वह ा स हब लोगो क स थ ख न -पीन पडि हrdquo

मन जव ब ददय ldquoमझ िो लगि ह तक तवल यि ज न म लशम ि भी अधमय नही ह मझ

िो वह ा ज कर तवदय धययन ही करन ह तफर जजन ब िो क आपको डर ह उनस दर रहन की

परतिजञ मन अपनी म ि जी क सममख ली ह इसततलए म उनस दर रह सका ग rdquo

सरपाच बोल ldquoपर हम िझस कहि ह तक वह ा धमय की रकष हो ही नही सकिी ि ज नि

ह तक िर तपि जी क स थ मर कस समबनदध थ िझ मरी ब ि म ननी च तहएrdquo

मन जव ब म कह आपक स थ क समबनदध को म ज नि हा आप तपि क सम न ह

पर इस ब र म म ल च र हा तवल यि ज न क अपन तनिय म बदल नही सकि जो तवदव न

बर हमण मर तपि जी क ममि और सल हक र ह व म नि ह तक मर तवल यि ज न म कोई दोष

नही ह मझ अपनी म ि जी और अपन भ ई की अनमति भी ममल चकी हrdquo

ldquoपर ि ज ति क हकम नही म नग rdquo

ldquoम ल च र हा मर खय ल ह तक इसम ज ति को दखल नही दन च तहएrdquo

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इस जव ब स सरपाच गसस हए मझ दो-च र ब ि सन यी म सवसथ बठ रह सरपाच न

आदश ददय

ldquoयह लडक आज स ज तिछयि म न ज यग जो कोई इसकी मदद करग अथव इस

तबद करन ज यग पाच उसस जव ब िलब करग और उसस सव रपय दणड क ततलय ज यग rdquo

यझ पर इस तनिय क कोई असर नही हआ मन सरपाच स तबद ली अब सोचन यह

थ तक इस तनिय क मर भ ई पर कय असर होग सौभ गय स व दढ रह और मझ ततलख भज

तक ज ति क तनिय क ब वजद व मझ तवल यि ज न स नही रोक ग

ममिो न मर ततलए जगह भी तरयमबकर य मजमद र (जन गढ क वकील क न म) की कोठरी

म ही रखी थी उनस मर तवषय म कह भी ददय थ व िो परौढ उमर क अनभवी सजजन थ म

तनय क अनभव स शनदय अठ रह स ल क नौजव न थ मजमद र न ममिो स कह ldquoआप

इसकी तरकर न करrdquo

इस िरह १८८८ क ततसिमबर महीन की ४ ि रीख को मन बमबई क बनददरग ह छोड

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९ सटीमर म

अगरज़ी म ब ि करन की मझ आदि ही न थी दसर दज क सलन म मजमद र को छोडकर दसर

सब मस तफर अागरज थ म उनक स थ बोल न प ि थ व मझस बोलन क परयतन करि िो म

समझ न प ि और समझ लि िो जव ब कय दन सो सझि न थ बोलन स पहल हरएक

व कय को जम न पडि थ क ाट-चममच स ख न आि न थ और तकस पद थय म म ास नही

ह यह पछन की तहममि नही होिी थी इसततलए म ख न की मज पर िो कभी गय ही नही अपनी

कोठरी म ही ख ि थ अपन स थ ख स करक जो ममठ ई बगर ल य थ उनदही स मन क म

चल य मजमद र की िो कोई साकोच नही थ व सबक स थ घलममल गय थ डक पर भी

आज दी स ज ि थ म स र ददन कोटरी म बठ रहि थ कभी-कद स जब डक पर थोड लोग

होि िो कछ दर वह ा ज कर बठ लि थ मजमद र मझ समझ ि तक सबक स थ घलो-ममलो

आज दी स ब िचीि करो व मझस यह भी कहि तक वकील की जीभ खब चलनी च तहए वकील

क न ि व अपन अनभव सन ि और कहि तक अागरजी हम री भ ष नही ह उसम गलतिय ा िो

होगी ही तफर भी खलकर बोलि रहन च तहए पर म अपनी भीरि छोड न प ि थ

मझ पर दय करक एक भल अागरज न मझस ब िचीि शर की व उमर म बड थ म

कय ख ि हा कौन हा कह ा ज रह हा तकसीस ब िचीि क यो नही करि आदद परशन व पछि

रहि उनदहोन मझ ख न की मज पर ज न की सल ह दी म ास न ख न क मर आगरह की ब ि

सनकर व हास और मझ पर िरस ख कर बोल ldquoयह ा िो (पोटयसईद पहाचन स पहल िक) ठीक

ह पर तबसक की ख डी म पहाचन पर िम अपन तवच र बदल लोग इागलड म िो इिनी ठाड पडिी

ह तक म ास ख य तबन चलि ही नही

मन कह ldquoमन सन ह तक वह ा लोग म ास ह र क तबन रह सकि हrdquo

व बोल ldquoइस ग़लि समझो अपन पररमचिो म म ऐस तकसी आदमी को नही ज नि जो

म ास न ख ि हो सनो म शर ब पीि हा पर िमह पीन क ततलए नही कहि लतकन म समझि

हा तक िमह म ास िो ख न ही च तहएrdquo

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मन कह ldquoइस सल ह क ततलए म आपक आभ र म नि हा पर म ास न ख न क ततलए म

अपनी म ि जी स वचन-बदध हा इस क रण म म ास नही ख सकि अगर उसक तबन क म ही

न चल िो म व पस तहनदसि न चल ज ऊा ग पर म ास िो कभी न ख ऊा ग rdquo

तबसक की ख डी आयी वह ा भी मझ न िो म ास की जररि म लम हई और न मददर

की

हम स उधमपटन बनददरग ह पर पहाच मझ य द ह तक उस ददन शतनव र थ जह ज पर म

क ली पोश क पहनि थ ममिो न मर ततलए सफद फल लन क कोट-पिलन भी बनव ददय थ

उनदह मन तवल यि म उिरि समय पहनन क तवच र कर रख थ यह समझकर तक सफद कपड

अमधक अछछ लगग म फल लन क सट पहनकर उिर ततसिमबर क आखखरी ददन थ मन वह ा

इस पोश क म एक अपन को ही दख मरी पदटय ा और उनकी च तबय ा िो तगरणडल कमपनी क

एजणट ल गय थ सबकी िरह मझ भी करन च तहए यह समझकर मन िो अपनी च तबय ा भी

द दी थी

मर प स च र ततसर ररशी पि थ डोकटर पर णजीवन महि क न म दलपिर म शकल क

न म तपरनदस रणजीिससिहजी क न म और द द भ ई नौरोजी क न म जह ज म तकसीन सल ह दी

थी तक तवकटोररय होटल म ठहरन च तहए इस क रण मजमद र और म उस होटल म पहाच म

िो अपनी सफद पोश क की शरम स ही गड ज रह थ तिस पर होटल म पहाचन पर पि चल

तक अगल ददन रतवव र होन स तगरणडल क यह ा स स म न सोमव र िक नही आयग इसस म

परश न हआ

मन डो महि को स उदमपटन स एक ि र भज थ

स ि-आठ बज डोकटर महि आय उनदहोन परमभर तवनोद तकय मझ फल लीन म

दखकर हास पड मन अनज न रशमी रोओव ली उनकी टोपी दखन क खय ल स उठ यी और

उस पर उलट ह थ फर इसस टोपी क रोएा खड हो गय डोकटर महि न दख मझ िरनदि ही

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रोक पर अपर ध िो हो चक थ उनक रोकन क निीज िो यही तनकल सकि थ तक ब र

वस अपर ध न हो

समजझय तक यही स यरोप क रीति-ररव जो क समबनदध म मरी ततशकष क शरीगणश हआ

डोकटर महि हासि-हासि बहि-सी ब ि समझ ि थ तकसी की चीज छनी नही च तहए तकसीस

ज न-पहच न होन पर जो परशन तहनदसि न म यो ही पछ ज सकि ह व यह ा नही पछ ज सकि

ब ि करि समय ऊा ची आव ज स नही बोल सकि तहनदसि न म अागरजो स ब ि करि समय सर

कहन क जो ररव ज ह वह यह ा अन वकयक ह सर िो नौकर अपन म ततलक स अथव अपन

बड अफसर स कहि ह तफर उनदहोन होटल म रहन क खचय की भी चच य की और सझ य तक

तकसी तनजी कटमब म रहन रहन की जररि पडगी इस तवषय म अमधक तवच र सोमव र पर

छोड गय

होटल म िो हम दोनो को यही लग तक यह ा कह ा आ फा स होटल महाग भी थ म लट

स एक ततसनदधी य िी जह ज पर सव र हए थ मजमद र उनस अछछ घलममल गय गय थ य ततसनदधी

य िी लादन क अछछ ज नक र थ उनदहोन हम र ततलए दो कमर तकर य पर लन की जजममद री

उठ यी हम सहमि हए और सोमव र को जस ही स म न ममल तबल चक कर उि ततसनधी

सजजन दव र ठीक तकय कमरो म हमन परवश तकय

मझ य द ह तक मर तहसस क होटल क तबल लगभग िीन पौड क हआ थ म िो उस

दखकर चतकि ही रह गय िीन पौड दन पर भी भख रह होटल की कोई चीज मझ रचिी

नही थी एक चीज ली और वह नही रची दसरी ली पर द म िो दोनो क ही चक न च तहए

यह कहन ठीक होग तक अभी िो मर क म बमबई स ल य हए प थय स स ही चल रह थ

इस कमर म भी म बहि परश न रह दश की य द खब आिी थी म ि क परम मरििम न

होि थ र ि पडिी और म रोन शर करि घर की अनक समतियो की चढ ई क क रण नीद

िो आ ही कस सकिी थी इस ःख की चच य तकसीस की भी नही ज सकिी थी करन स ल भ

भी कय थ म सवया नही ज नि थ तक तकस उप य स मझ आशव सन ममलग यह ा क लोग

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तवमचि रहन-सहन तवमचि घर भी तवमचि घरो म रहन क ढाग भी तवमचि अागरजी रहनसहन

िथ रीति ररव जो म म नय प ठी थ अिः सिि सिकय रहन पडि थ तिस पर ख न-पीन क

परहज और ख न योगय आह र सख िथ नीरस लगि थ इस क रण मरी दश सरौि क बीच

सप री जसी हो गयी तवल यि म रहन मझ अछछ नही लगि थ और दश को लौट नही ज

सकि थ तवल यि पहाच ज न पर िो िीन स ल वह ा पर करन क ही मर आगरह थ

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भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

१० लडन म

डोकटर महि सोमव र को मझस ममलन तवकटोररय होटल पहाच वह ा उनदह हम र नय पि

ममल इसस व नई जगह आकर ममल डोकटर महि न हम र कमर बगर दख और ततसर तहल य

ldquoयह जगह क म की नही इस दश म आकर पढन की अपकष यह ा क जीवन और रीिी-ररव ज

क अनभव पर पि करन ही अमधक महततव क ह इसक ततलए तकसी पररव र म रहन जररी ह

पर अभी िो मन सोच ह तक िमह कछ ि लीम ममल सक इसक ततलए mdash क घर रहो म िमह

वह ा ल ज ऊा ग rdquo

मन आभ रपवयक उनक सझ व म न ततलय म ममि क घर पहाच उनक सव गि-सतक र

म कोई कमी नही थी उनदहोन मझ अपन सग भ ई की िरह रख अागरजी रीति-ररव ज ततसख य

यह कह सकि हा तक अागरजी म थोडी ब िचीि करन की आदि उनदहीन डलव ई

मर भोजन क परशन बहि तवकट हो गय तबन नमक और मस लो व ली स ग-सबजी

रचिी नही थी घर की म लतकन मर ततलए कछ बन व िो क य बन व सवर िो ओटमील५ की

लपसी बनिी उसस पट कछ भर ज ि पर दोपहर और श म को म हमश भख रहि ममि

मझ रोज म ास ख न क ततलए समझ ि म परतिजञ की आड लकर चप हो ज ि दोपहर को ततसरय

रोटी पिो व ली एक भ जी और मरबब पर गजर करि थ यही खर क श म क ततलए भी थी म

दखि तक रोटी क िो दो-िीन टकड ही लन की रीि ह इसस अमधक म ागि शरम लगिी थी

मझ डटकर ख न की आदि थी भख िज थी और खब खर क च हिी थी दोपहर य श म को

दध नही ममलि थ मरी यह ह लि दखकर एक ददन ममि मचढ गय और बोल ldquoअगर िम मर

सग भ ई होि िो म िमह तनिय ही व पस भज दि यह ा की ह लि ज न तबन तनरकषर म ि क

स मन की गई परतिजञ क मलय ही कय वह िो परतिजञ ही नही कही ज सकिी म िमस कहि

हा तक क़ नन इस परतिजञ नही म नग ऐसी परतिजञ स मचपट रहन िो तनर अाधतवशव स कह

ज एाग और ऐस अाधतवशव स म फा स रहकर िम इस दश स अपन दश म कछ भी न ल ज

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सकोग िम िो कहि हो तक िमन म ास ख य ह िमह वह अछछ भी लग ह जह ा ख न की

जररि नही वह ा ख य और जह ा ख न की ख स जररि ह वह ा यह कस आियय हrdquo

म टस स मस नही हआ

ऐसी बहस रोज हआ करिी मर प स छिीस रोगो को ममट न व ल एक ननद न ही थ

ममि मझ जजिन समझ ि मरी दढि उिनी ही बढिी ज िी म रोज भगव न स रकष की य चन

करि और मझ रकष ममलिी म नही ज नि थ तक ईशवर कौन ह पर रमभ की दी हई शरदध

अपन क म कर रही थी

एक ददन ममि न मर स मन बनदथम क गराथ पढन शर तकय उपयोतगि व द व ल

अधय य पढ म घबर य भ ष ऊा ची थी म मतककल स समझ प ि उनदहोन उसक तववचन

तकय मन उिर ददय

ldquoम आप स म री च हि हा म ऐसी सकषम ब ि समझ नही प ि म सवीक र करि हा

तक म ास ख न च तहए पर म अपनी परतिजञ क बनदधन िोड नही सकि उसक ततलए म कोई

दलील नही द सकि मझ तवशव स ह तक दलील म म आपको कभी जीि नही सकि पर मखय

समझकर अथव हठी समझकर इस म मल म मझ छोड दीजजए म आपक परम को समझि हा

आपक आशय समझि हा आपको म अपन परम तहिषी म नि हा म यह भी दख रह हा तक

आपको ःख होि ह इसीस आप इिन आगरह करि ह पर म ल च र हा मरी परतिजञ नही टट

सकिीrdquo

ममि दखि रह उनदहोन पसिक बनदद कर दी ldquoबस अब म बहस नही करा ग कहकर व

चप हो गय म खश हआ इसक ब द उनदहोन बहस करन छोड ददय

पर मर ब र म उनकी मचनदि दर न हई व बीडी पीि थ शर ब पीि थ लतकन मझस

कभी नही कह तक इनम स एक क भी म सवन करा उलट व मन ही करि रह उनदह मचनदि

यह थी तक म ास ह र क अभ व म म कमजोर हो ज ऊा ग और इागलड म तनकषिनदिि पवयक रह न

सका ग

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इस िरह एक महीन िक मन नौततसखए क रप म उममीदव री की ममि क घर ररचमनदड

म थ इसततलए म हफि म एक य दो ब र ही लनददन ज प ि थ डोकटर महि और भ ई

दलपिर म शकल न सोच तक अब मझ तकसी कटगब म रहन च तहए भ ई शकल न वसट

कतनदसागटन म एक एागलो-इचणडयन क घर खोज तनक ल और मझ वह ा रख घर की म लतकन

एक तवधव थी उसस मन म ास-तय ग की ब ि कही बदढय न मरी स र-साभ ल की जजममद री

ली म वह ा रहन लग

वह ा भी मझ रोज भख रहन पडि थ मन घर स ममठ ई बगर ख न की चीज माग ई

थी पर व अभी आई नही थी सब कछ फीक लगि थ बदढय हमश पछिी पर वह कर

क य तिस पर म अभी िक शरम ि थ जजिन रखिी थी उिन ही ख ि थ बदढय क दो

लडतकय ा थी व आगरह करक थोडी अमधक रोटी दिी पर व बच री कय ज न तक उनकी समची

रोटी ख न पर ही मर पट भर सकि थ

लतकन अब म होततशय री पकडन लग थ अभी पढ ई शर नही हई थी मतककल स

सम च रपि पढन लग थ यह भ ई शकल क परि प थ तहनदसि न म मन सम च रपि कभी

पढ नही थ पर बर बर पढि रहन क अभय स स उनदह पढन क शौक़ म पद कर सक थ डरली

नयज डरली टकषरलगराफ और परलमरल गजट इन पिो को सरसरी तनग ह स दख ज ि थ पर शर-

शर म िो इसम मतककल स एक घाट खचय होि होग

मन घमन शर तकय मझ तनर ममष अथ यि अनदन ह र दन व ल भोजनगह की खोज

करनी थी घर की म लतकन न भी कह थ तक ख स लनददन म ऐस गह मौजद ह म रोज दस-

ब रह मील चलि थ तकसी म मली स भोजन-गह म ज कर पट भर रोटी ख लि थ पर उसस

सािोष न होि थ इस िरह भटकि हआ एक ददन म फररिगडन सरीट पहाच और वह ा

lsquoवजजटररयन रसटर ाrsquo (अनदन ह री भोजन लय) क न म पढ मझ वह आननदद हआ जो ब लक

को मनच ही चीज ममलन स होि ह हषय-तवभोर होकर अनददर घसन स पहल मन दरव ज क प स

की शीश व ली खखडकी म तबकरी की पसिक दखी उनम मझ सोलट की अननाहार की कषहमायि

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न मक पसिक दीखी एक ततशसलिग म मन वह खरीद ली और तफर भोजन करन बठ तवल यि

आन क ब द यह ा पहली ब र भरपट भोजन ममल ईशवर न मरी भख ममट यी

सोलट की पसिक पढी मझ पर उसकी अछछी छ प पडी इस पसिक को पढन क ददन

स म सवछछ पवयक अथ यि तवच र-पवयक अनदन ह र म तवशव स करन लग म ि क तनकट की गई

परतिजञ अब मझ तवशष आननदद दन लगी और जजस िरह अब िक म यह म नि थ तक सब

म ास ह री बन िो अछछ हो और पहल कवल सतय की रकष क ततलए िथ ब द म परतिजञ -प लन

क ततलए ही म म ास-तय ग करि थ और भतवषय म तकसी ददन सवया आज दी स परकट रप म

म ास ख कर दसरो को ख न व लो क दल म ससतममततलि करन की उमाग रखि थ उसी िरह अब

सवया अनदन ह री रहकर दसरो को वस बन न क लोभ मझम ज ग

________________

५ जई क आट

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११ सभय पोशाक म

इस बीच मर उन ममि को िो मरी मचनदि बनी ही रही उनदहोन मझ न टक ददख न क ततलए नदयोि

वह ा ज न स पहल मझ उनक स थ होबनय भोजन-गह म भोजन करन थ मर ममि को ऐस

खय ल थ तक भोजनगह म मय यद क क रण भी म चप रहाग सकडो क बीच हम दो ममि एक

मज क स मन बठ ममि न पहली पलट माग ई वह सप की थी म परश न हआ ममि स कय

पछि मन िो परोसन व ल को अपन प स बल य

ममि समझ गय मचढकर मझस पछ

कय हrdquo

मन धीर स साकोचपवयक कह

ldquoम ज नन च हि हा तक इसम म ास ह य नहीrdquo

ldquoऐस गह म यह जागलीपन नही चल सकि अगर िमह अब भी यही तकच-तकच करनी

हो िो िम ब हर ज कर तकसी छोट स भोजन-गह म ख लो और ब हर ही मरी र ह दखोrdquo

म इस परसि व स खश होकर उठ प स ही एक अनदन ह र व ल भोजन-गह थ पर वह

िो बनदद हो चक थ म भख रह हम न टक दखन गय ममि न उि घटन क ब र म एक भी

शबद माह स न तनक ल मर प स िो कहन को थ ही कय

लतकन यह हम र बीच क अननदिम ममि-यदध थ न हम र समबनदध टट न उसम कटि

आई उनक स र परयतनो क मल म रह हए परम को म पहच न सक थ इस क रण तवच र और

आच र की कषभनदनि क रहि हए भी उनक परति मर आदर बढ गय

पर मन सोच तक मझ उनक डर दर करन च तहए मन तनिय तकय तक म जागली नही

रहाग सभय क लकषण गरहण करा ग और दसर परक र स सम ज म समरस होन योगय बनकर

अनदन ह र की अपनी तवमचिि को मछप लाग

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मन सभयि सीखन क ततलए अपनी स मरथयय स पर क और मछछल र सि पकड

तवल यिी होन पर भी बमबई क कट-ततसल कपड अछछ अागरज सम ज म शोभ नही दग

इस तवच र स मन आमी और नवी सटोर म कपड ततसलव य उनद नीस ततशसलिग की (उस जम न क

ततलह ज स िो यह कीमि बहि ही कही ज एगी) मचमनी टोपी ततसर पर पहनी इिन स सािोष न

हआ िो बोणड सरीट म जह ा शौक़ीन लोगो क कपड ततसलि थ दस पौणड पर बिी रखकर श म

की पोश क ततसलव यी भोल और ब दश ही ददल व ल बड भ ई स मन दोनो जबो म लटक न

ल यक सोन की एक बदढय चन मागव यी और वह ममल भी गयी बाधी-बाध यी ट ई पहनन

ततशषट च र म शम र न थ इसततलए ट ई ब ाधन की कल हसिगि की दश म आईन हज मि क

ददन ही दखन को ममलि थ पर यह ा िो बड आईन क स मन खड रहकर ठीक स ट ई ब ाधन म

और ब लो म पटटी ड लकर सीधी म ाग तनक लन म रोज लगभग दस ममतनट िो बरब द होि ही

थ ब ल मल यम नही थ इसततलए उनदह अछछी िरह मड हए रखन क ततलए बरश (झ ड ही

समजझए) क स थ रोज लड ई चलिी थी और टोपी पहनि िथ तनक लि समय ह थ िो म नो

म ाग को सहजन क ततलए ततसर पर पहाच ही ज ि थ और बीच-बीच म सम ज म बठ-बठ मॉग

पर ह थ तफर कर ब लो को वयवचसथि रखन की एक और सभय तकरय बर बर चलिी ही रहिी

थी

पर इिनी टीमट म ही क री न थी अकली सभय पोश क स सभय थोड ही बन ज सकि

थ मन सभयि क दसर कई ब हरी गण भी ज न ततलए थ और म उनदह सीखन च हि थ सभय

परष को न चन ज नन च तहए उस फर च अछछी िरह ज न लनी च तहए कयोतक फर च इागलणड

क पडोसी फर ास की भ ष थी और स र यरोप की र षटरभ ष भी थी और मझ यरोप म घमन की

इछछ थी इसक अल व सभय परष को लछछद र भ षण करन भी आन च तहए मन नतय

सीखन क तनिय तकय एक ककष म भरिी हआ एक सि क करीब िीन पौणड जम तकए

कोई िीन हफिो म करीब छह सबक सीख होग पर ठीक स ि लबदध पडि न थ तपय नो बजि

थ पर वह क य कह रह ह कछ समझ म न आि थ िो अब कय तकय ज य अब िो ब ब जी

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की तबलली व ल तकसस हआ चहो को भग न क ततलए तबलली तबलली क ततलए ग य और ग य

क ततलए आदमी यो ब ब जी क पररव र बढ उसी िरह मर लोभ क पररव र भी बढ व योततलन

बज न सीख ला िो सर और ि ल क खय ल हो ज य िीन पौणड व योततलन खरीदन म गाव य

और कछ उसकी ततशकष क ततलए भी ददय भ षण करन सीखन क ततलए एक िीसर ततशकषक क

घर खोज उनदह भी एक तगनद नी िो भट की ही बल की सटणडडड एरलोकयशकषिसट पसिक खरीदी

तपट क एक भ षण शर तकय

इन बल स हबन मर क न म घाटी (बल) बज यी म ज ग

मझ कौन इागलणड म जीवन तबि न ह लछछद र भ षण करन सीखकर म कय करा ग

न च-न चकर म सभय कस बनाग व योततलन िो दश म भी सीख ज सकि ह म िो तवदय थी

हा मझ तवदय -धन बढ न च तहए मझ अपन पश स समबनदध रखन व ली िय री करनी च तहए

म अपन सद च र स सभय समझ ज ऊा िो ठीक ह नही िो मझ यह लोभ छोडन च तहए

इन तवच रो की धन म मन उपययि आशय क उदग रोव ल पि भ षण-ततशकषक को भज

ददय उनस मन दो य िीन प ठ पढ थ नतय-ततशकषकषक को भी ऐस ही पि ततलख व योततलन

ततशकषकषक क घर व योततलन लकर पहाच उनदह जजस द म भी वह तबक बच ड लन की इज जि द

दी उनक स थ कछ ममिि क -स समबनदध हो गय थ इस क रण मन उनस अपन मोह की चच य

की न च आदद क जाज ल म स तनकल ज न की मरी ब ि उनदहोन पसनदद की

सभय बनन की मरी यह सनक लगभग िीन महीन िक चली होगी पोश क की टीमट म

िो बरसो चली पर अब म तवदय थी बन

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१२ फरफार

कोई यह न म न तक न च आदद क मर परयोग उस समय की मरी सवछछनददि क सचक ह प ठको

न दख होग तक उनम कछ समझद री थी मोह क इस समय म भी म एक हद िक स वध न

थ प ई-प ई क तहस ब रखि थ खचय क अाद ज रखि थ

अपनी रहन-सहन पर मर कछ अाकश थ इस क रण म दख सक तक मझ तकिन खचय

करन च तहए

अब िक म कटमबो म रहि थ उसक बदल अपन ही कमर लकर रहन क मन तनिय

तकय और यह भी िय तकय तक क म क अनस र और अनभव पर पि करन क ततलए अलग-अलग

महललो म घर बदलि रहाग घर मन ऐसी जगह पर पसनदद तकय तक जह ा स क म की जगह पर

आध घाट म पदल पहाच ज सक और ग डी-भ ड बच इसस पहल जह ा ज न होि वह ा क

ग डी-भ ड हमश चक न पडि और घमन क ततलए अलग स समय तनक लन पडि थ अब

क म पर ज ि हए ही घमन की वयवसथ जम गई और बचि भी हई और इस वयवसथ क क रण

म रोज आठ-दस मील िक आस नी स घम लि थ ख सकर इस एक आदि क क रण म

तवल यि म श यद ही कभी बीम र पड होऊा ग मर शरीर क री कस गय कटमब म रहन

छोडकर मन दो कमर तकर य पर ततलए एक सोन क ततलए और दसर बठक क रप म यह

फरफ र की दसरी माजजल कही ज सकिी ह िीसर फरफ र अभी होन शष थ

इस िरह आध खचय बच लतकन समय क कय हो म ज नि थ तक ब ररसटरी की

परीकष क ततलए बहि पढन जररी नही ह इसततलए मझ बतरकरी थी पर मरी कछची अागरजी मझ

ःख दिी थी मन सोच मझ ब ररसटर बनन क अल व कछ और भी पढन च तहए ओकसफडय

कसतमबरज की पढ ई क पि लग य कई ममिो स ममल मन दख तक वह ा ज न स खचय बहि बढ

ज यग और पढ ई लमबी चलगी म िीन स ल स अमधक रह नही सकि थ तकसी ममि न कह

ldquoअगर िमह कोई कदठन परीकष ही दनी हो िो िम लनददन की मदरकयलशन प स कर लो उसम

महनि क री करनी पडगी और स ध रण जञ न बढग खचय तबलकल नही बढग rdquo मझ यह

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सझ व अछछ लग पर परीकष क तवषय दखकर म चौक लदटन और दसरी एक भ ष अतनव यय

थी लदटन कस सीखी ज य पर ममि न सझ य ः ldquoवकील क ततलए लदटन बहि उपयोगी ह

लदटन ज नन व ल क ततलए क़ ननी तकि ब समझन आस न हो ज ि ह और lsquoरोमन लो की

परीकष म एक परशनपि िो कवल लदटन भ ष म ही होि ह इसक ततसव य लदटन ज नन स अागरजी

भ ष पर परभतव बढि हrdquo इन सब दलीलो क मझ पर असर हआ मन सोच मतककल हो च ह

न हो पर लदटन िो सीख ही लनी ह फर च की शर की हई पढ ई को पर करन ह इसततलए

तनिय तकय तक दसरी भ ष फर च हो मदरकयलशन क एक पर इवहट वगय चलि थ उसम भरिी

हो गय हर छठ महीन परीकष होिी थी मर प स मतककल स प ाच महीन क समय थ यह क म

मर बि क ब हर थ पररण म यह हआ तक सभय बनन की जगह म अतयनदि उदयमी तवदय थी बन

गय समय-पिक बन य एक-एक ममनट क उपयोग तकय पर मरी बजदध य समरण-शतति

ऐसी नही थी तक दसर तवषयो क अतिररि लदटन और फर च की िय री कर सका परीकष म बठ

लदटन म फल हो गय ःख िो हआ पर तहममि नही ह र लदटन म रमच पद हो गयी थी मन

सोच तक दसरी ब र परीकष म बठन स फर च अमधक अछछी हो ज एागी और तवजञ न म नय तवषय

ल लाग परयोगो क अभ व म रस यनश सि मझ रचि ही न थ यदयतप अब दखि हा तक उसम

खब रस आन च तहए थ इसततलए लनददन की मदरक क ततलए भी पहली ब र इसी को पसनदद तकय

थ इस ब र परक श और उषणि (Light और Heat) क तवषय ततलय यह तवषय आस न म न

ज ि थ मझ भी आस न परिीि हआ

पनः परीकष दन की िय री क स थ ही रहन-सहन म अमधक स दगी ल न क परयतन शर

तकय मन अनभव तकय तक अभी मर कटमब की ग़रीबी क अनरप मर जीवन स द नही बन

ह भ ई की िागी क और उनकी उद रि क तवच रो न मझ वय कल बन ददय जररि पडन पर

व पस अवकय भज ही दि थ जो लोग हर महीन १५ पौणड य ८ पौणड खचय करि थ उनदह िो

छ िवततिय ा ममलिी थी म दखि थ तक मझस भी अमधक स दगी स रहन व ल लोग ह म ऐस

ग़रीब तवदय रथियो क सापकय म ठीक-ठीक आय थ एक तवदय थी लनददन की ग़रीब बसिी म हफि

क दो ततशसलिग दकर एक कोठरी म रहि थ और लोक टय की कोको की ससिी क न म दो पनी

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क कोको और रोटी ख कर अपन गज र करि थ उसस सपध य करन की िो मरी शतति नही

थी पर मन अनभव तकय तक म अवकय ही दो क बदल एक कमर म रह सकि हा और आधी

रसोई अपन ह थ स भी बन सकि हा इस परक र म हर महीन च र य प ाच पौणड म अपन

तनव यह कर सकि हा स दी रहन-सहन पर पसिक भी पढ चक थ दो कमर छोड ददय और

हफि क आठ ततशसलिग पर एक कमर तकर य स ततलय एक अागीठी खरीदी और सबह क भोजन

ह थ स बन न शर तकय इसम मतककल स बीस ममनट खचय होि थ ओटमील की लपसी बन न

और कोको क ततलए प नी उब लन म तकिन समय लगि दोपहर क भोजन ब हर कर लि

और श म को तफर कोको बन कर रोटी क स थ ख लि इस िरह म एक स सव ततशसलिग क

अनददर रोज क अपन भोजन की वयवसथ करन सीख गय जीवन स द बन ज न स समय

अमधक बच दसरी ब र परीकष म बठ और प स हआ

पर प ठक यह न म न तक स दगी स मर जीवन नीरस बन होग उलट इन फरफ रो क

क रण मरी आनदिररक और ब हय चसथति क बीच एकि पद हई कौटसतमबक चसथति क स थ मरी

रहन-सहन क मल बठ जीवन अमधक स रमय बन और मर आतम ननदद क प र न रह

घर स ममठ ई-मस ल बगर जो माग य थ सो लन बनदद कर ददय और मनन दसर मोड

पकड इस क रण मस लो क परम कम पड गय और जो सबजी ररचमाड म मस ल क अभ व

म बसव द म लम होिी थी वह अब ततसरय उब ली हई सव ददषट लगन लगी ऐस अनक अनभवो स

मन यह सीख तक सव द क सछच सथ न जीभ नही पर मन ह

आरथिक दतषट िो मर स मन थी ही उन ददनो एक पाथ ऐस थ जो च य-कोफी को

ह तनक रक म नि थ और कोको क समथयन करि थ म यह समझ चक थ तक कवल उनदही

वसिओ क सवन करन योगय ह जो शरीर-वय प र क ततलए आवकयक ह इस क रण मखयिः

मन च य और कोफी क तय ग तकय और कोको को अपन य

परयोगो क स थ उप-परयोग िो बहि हए कभी सट चय व ल आह र छोड कभी ततसरय

ड ल-रोटी और फल पर ही रह और कभी पनीर दध और अाडो क ही सवन तकय

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यह आखखरी परयोग उललखनीय ह यह पनद रह ददन भी नही चल सट चय-रतहि आह र क

समथयन करन व लो न अाडो की खब सिति की थी और यह ततसदध तकय थ तक अाड म ास नही ह

यह िो सपषट ही ह तक अाड ख न म तकसी जीतवि पर णी को ःख नही पहाचि इस दलील क

भल व म आकर मन म ि जी क सममख की हई परतिजञ क रहि भी अाड ख य पर मर वह मोह

कषकषणक थ परतिजञ क नय अथय करन क मझ अमधक र न थ अथय िो परतिजञ कर न व ली

म ि क ही म न ज सकि थ म ास न ख न की परतिजञ कर न व ली म ि को अाडो क िो

खय ल ही नही हो सकि थ इस म ज नि थ इस क रण परतिजञ क रहसय क बोध होि ही

मन अाड छोड और परयोग भी छोड

इस समय िक क मर परयोग आरथिक और आरीगय की दतषट स होि थ तवल यि म उनदहोन

ध रमिक सवरप गरहण नही तकय थ ध रमिक दतषट स मर कदठन परयोग दकषकषण अफ़रीक म हए

जजनकी छ न-बीन आग करनी होगी

मझम नवधमी क जोश आ गय थ इस क रण उस समय म जजस बसिी म रहि थ

उसम मन अनदन ह री मणडल की सथ पन करन क तनिय तकय इस बसिी क न म बजवोटर

थ इसम सर एडतवन आनयलड रहि थ मन उनदह उपसभ पति बनन को तनमातिि तकय व बन

डो ओलडफीलड सभ पति बन म मािी बन यह सासथ कछ समय िक िो अछछी चली पर कछ

महीनो क ब द इसक अनदि हो गय कयोतक मन अमक मददि क ब द अपन ररव ज क अनस र

वह बसिी छोड दी पर इस छोट और अलप अवमध क अनभव स मझ सासथ ओ क तनम यण करन

और उनदह चल न क कछ अनभव पर पि हआ

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१३ लजजाशीलता - मरी ढाल

अननाहारी मणडल की क ययक ररणी म मझ चन िो ततलय गय थ और उसम म हर ब र ह जजर

भी रहि थ पर बोलन क ततलए जीभ खलिी ही न थी

म कह सकि हा तक मर यह शरमील सवभ व दकषकषण अफ़रीक पहाचन पर ही दर हआ

तबलकल दर हो गय ऐस िो आज भी नही कह ज सकि बोलन स बच ज सक िो जरर

बच ज ि हा तबन पवय िय री क बोलन यह मर ततलए असाभव थ अपन इस शरमील सवभ व

क क रण मरी फजीहि िो हई पर मर कोई नक़स न नही हआ बचलक अब िो म दख सकि हा

तक मझ फ यद हआ ह पहल बोलन क यह साकोच मर ततलए ःखकर थ अब वह सखकर हो

गय ह एक बड र यद िो यह हआ तक म शबदो क ममिवयय करन सीख

अनभव न मझ यह भी ततसख य ह तक सतय क परतयक पज री क ततलए मौन क सवन इषट

ह मनषय ज न-अनज न भी पर यः अतिशयोतति करि ह अथव जो कहन योगय ह उस मछप ि

ह य दसर ढाग स कहि ह ऐस साकटो स बचन क ततलए भी ममिभ षी होन आवकयक ह कम

बोलन व ल तबन तबच र नही बोलग वह अपन परतयक शबद को िौलग अकसर मनषय बोलन

क ततलए अधीर हो ज ि ह इन सब लोगो क बोलन स तनय को ल भ होि हो ऐस कवमचि

ही प य ज ि ह पर उिन समय की बरब दी िो सपषट ही दखी ज सकिी ह इसततलए यदयतप

आरमभ म मझ अपनी लजज शीलि ःख दिी थी यह लजज शीलि मरी ढ ल थी उसस मझ

पररपकव बनन क ल भ ममल सतय की अपनी पज म मझ उसस सह यि ममली

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१४ असतयरपी नवष

चालीस स ल पहल तवल यि ज न व ल तहनदसि नी तवदय थी आज की िलन म कम थ सवया

तवव तहि होन पर भी अपन को का आर बि न क उनम ररव ज-स पड गय थ उस दश म सकल

य कोलज म पढन व ल कोई तवदय थी तवव तहि नही होि तवव तहि क ततलए तवदय थी-जीवन नही

होि भ रि क यवको को यह सवीक र करि हए शरम म लम होिी ह तक व तवव तहि ह तवव ह

की ब ि मछप न क दसर एक क रण यह ह तक अगर तवव ह परकट हो ज य िो जजस कटमब म

रहि ह उसकी जव न लडतकयो क स थ घमन-तफरन और हासी-मज क करन क मौक़ नही

ममलि यह हासी-मज क अमधकिर तनदोष होि ह म ि -तपि इस िरह की ममिि पसनदद भी

करि ह वह ा यवक और यवतियो क बीच ऐस सहव स की आवकयकि भी म नी ज िी ह

कयोतक वह ा िो परतयक यवक को अपनी सहधमयच ररणी सवया खोज लनी होिी ह अिएव

तवल यि म जो समबनदध सव भ तवक म न ज ि ह उस तहनदसि न क नवयवक तवल यि पहाचि

ही जोडन शर कर द िो पररण म भयाकर ही होग कई ब र ऐस पररण म परकट भी हए ह

तफर भी हम र नवयवक इस मोतहनी म य म फा स पड थ हम र नवयवको न उस सोहबि क

ततलए असतय चरण पसनदद तकय जो अागरजो की दतषट स तकिनी ही तनदोष होि हए भी हम र ततलए

तय जय ह इस फा द म म भी फा स गय तवव तहि और एक लडक क ब प होि हए भी मन अपन

को का आर बि न म साकोच नही तकय पर इसक सव द मन थोड ही चख

बटनर म जजस पररव र म म रहि थ वस पररव र म घर की बटी हो िो वह सभयि क

तवच र स ही सही मर सम न तवदशी को घमन ल ज िी म लतकन की लडकी मझ बटनर क

आसप स की सनददर पह मडयो पर ल गयी वस मरी च ल कछ धीमी नही थी पर उसकी च ल

मझस भी िज थी इसततलए मझ उसक पीछ पीछ घततसटन पड वह िो र सिभर ब िो क फवव र

उड िी चली जब तक मर माह स कभी ह ा य कभी न की आव ज भर तनकलिी थी बहि

हआ िो तकिन सनददर ह कह ददि इसस जय द बोल न प ि वह िो हव म उडिी ज िी

और म यह सोचि रहि तक व पस घर कब पहाचाग इिन म हम एक पह डी की चोटी पर ज

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खड हए पर अब उिर कस ज य अपन ऊा ची एडी व ल बटो क ब वजद बीस-पचीस स ल की

वह रमणी तबजली की िरह ऊपर स नीच उिर गयी जब तक म शरममिद होकर अभी यही सोच

रह थ तक ढ ल कस उिर ज एा वह नीच खडी हासिी ह मझ तहममि बाध िी ह ऊपर आकर

ह थ क सह र दकर नीच ल ज न को कहिी ह म इिन पसितहममि िो कस बनि मतककल

स पर जम ि हआ कही कछ बठि हआ म नीच उिर उसन मज क म lsquoश बब शrsquo

कहकर मझ शरम य हए को और अमधक शरममिद तकय इस िरह क मज क स मझ शरममिद

करन क उस हक थ

लतकन हर जगह म इस िरह कस बच प ि ईशवर मर अनददर स असतय क तवष तनक लन

च हि थ बटनर की िरह ही बर इटन भी समर-तकन र हव खोरी क मक म ह एक ब र म वह ा

गय थ जजस होटल म म ठहर थ उसम स ध रण खशह ल चसथति की एक तवधव बदढय भी

हव खोरी क ततलए आकर दटकी थी यह मर पहल वषय क समय थ ndash बटनर क पहल क यह ा

सची म ख न की सभी चीजो क न म फर च भ ष म ततलख थ म उनदह समझि न थ म बदढय

व ली मज पर ही बठ थ बदढय न दख तक म अजनबी हा और कछ परश नी म भी हा िरनदि

ही वह सह यि क ततलए आई

ldquoिम अजनबी-स म लम होि हो तकसी परश नी म भी हो अभी िक कछ ख न को भी

नही माग य हrdquo

म भोजन क पद थो की सची पढ रह थ और परोसन व ल स पछन की िय री कर रह

थ इसततलए मन उस भर मतहल को धनदयव द ददय और कह ldquoयह सची मरी समझ म नही आ

रही ह म अनदन ह री हा इसततलए यह ज नन जररी ह तक इनम स कौनसी चीज तनदोष हrdquo

उस मतहल न कह ldquoिो लो म िमह री मदद करिी हा और सची समझ दिी हा िमह र

ख न ल यक चीज म िमह बि सका गीrdquo

मन धनदयव दपवयक उसकी सह यि सवीक र की यह ा स हम र जो समबनदध जड सो मर

तवल यि म रहन िक और उसक ब द भी बरसो िक बन रह उसन मझ लनददन क अपन पि

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ददय और हर रतवव र को अपन घर भोजन क ततलए आन को नदयोि वह दसर अवसरो पर भी

मझ अपन यह ा बल िी थी परयतन करक मर शरमील पन छड िी थी जव न सतसियो स ज न-

पहच न कर िी थी और उनस ब िचीि करन को ललच िी थी उसक घर रहन व ली एक सिी क

स थ बहि ब ि करव िी थी कभी-कभी हम अकल भी छोड दिी थी

आरमभ म मझ यह सब बहि कदठन लग ब ि करन सझि न थ तवनोद भी कय तकय

ज ए पर वह बदढय मझ परवीण बन िी रही म ि लीम प न लग हर रतवव र की र ह दखन

लग उस सिी क स थ ब ि करन भी मझ अछछ लगन लग

बदढय भी मझ लभ िी ज िी उस इस साग म रस आन लग उसन िो हम दोनो क तहि

ही च ह होग

अब म कय करा मन सोच कय यह अछछ होि अगर म इस भर मतहल स अपन

तवव ह की ब ि कह दि उस दश म कय वह च हिी तक तकसी क स थ मर बय ह हो अब भी

दर नही हई ह म सच-सच कह दा िो अमधक साकट स बच ज ऊा ग यह सोचकर मन उस एक

पि ततलख अपनी समति क आध र पर नीच उसक स र दि हा

ldquoजबस हम बर इटन म ममल आप मझ पर परम रखिी रही ह म ा जजस िरह अपन बट की

मचनदि रखिी ह उसी िरह आप मरी मचनदि रखिी ह आप िो यह भी म निी ह तक मझ बय ह

करन च तहए और इसी खय ल स आप मर पररचय यवतियो स कर िी ह ऐस समबनदध क

अमधक आग बढन स पहल ही मझ आपस यह कहन च तहए तक म आपक परम क योगय नही हा

म आपक घर आन लग िभी मझ आप स यह कह दन च तहए थ तक म तवव तहि हा म ज नि

हा तक तहनदसि न क जो तवदय थी तवव तहि होि ह व इस दश म अपन बय ह की ब ि परकट नही

करि इसस मन भी उस ररव ज क अनकरण तकय पर अब म दखि हा तक मझ अपन तवव ह

की ब ि तबलकल मछप नी नही च तहए थी मझ स थ म यह भी कह दन च तहए तक मर बय ह

बचपन म हआ ह और मर एक लडक भी ह आप स इस ब ि को मछप न क अब मझ बहि

ःख होि ह पर अब भगव न न सच कह दन की तहममि दी ह इसस मझ आननदद होि ह कय

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आप मझ म र करगी जजस बहन क स थ आपन मर पररचय कर य ह उसक स थ मन कोई

अनमचि छट नही ली इसक तवशव स म आपको ददल ि हा मझ इस ब ि क पर -पर खय ल

ह तक मझ ऐसी छट नही लनी च तहए पर आप िो सव भ तवक रप स यह च हिी ह तक तकसी

क स थ मर समबनदध जड ज ए आपक मन म यह ब ि आग न बढ इसक ततलए भी मझ आपक

स मन सतय परकट कर दन च तहए

ldquoयदद इस पि क ममलन पर आप मझ अपन यह ा आन क ततलए अयोगय समझगी िो मझ

उसस जर भी बर नही लगग आपकी ममि क ततलए िो म आपक मचरॠणी बन चक हा

मझ सवीक र करन च तहए तक अगर आप मर तय ग न करगी िो मझ खशी होगी यदद अब भी

आप मझ अपन घर आन योगय म नगी िो उस म आपक परम की एक नई तनश नी समझाग और

उस परम क योगय बनन क सद परयतन करि रहाग rdquo

प ठक समझ ल तक यह पि मन कषणभर म नही ततलख ड ल थ न ज न तकिन मसतवद

िय र तकय होग पर यह पि भजकर मन अपन सर क एक बड बोझ उि र ड ल

लगभग लौटिी ड क स मझ उस तवधव बहन क उिर ममल उसन ततलख थ

ldquoखल ददल स ततलख िमह र पि ममल हम दोनो खश हई और खब हसी िमन जजस

असतय स क म ततलय वह िो कषम क योगय ही ह पर िमन अपनी सही चसथति परकट कर दी यह

अछछ ही हआ मर नदयोि क यम ह अगल रतवव र को हम अवकय िमह री र ह दखग िमह र

ब ल-तवव ह की ब ि सनग और िमह र मज क उड न क आननदद भी लटग तवशव स रखो तक

हम री ममिि िो जसी थी वसी ही रहगीrdquo

इस परक र मन अपन अनददर घस हए असतय क तवष को ब हर तनक ल ददय और तफर िो

अपन तवव ह आदद की ब ि करन म मझ कही घबर हट नही हई

बहि करक मर तवल यि-तनव स क आखखरी स ल म य नी १८९० क स ल म पोटयसमथ

म अनदन ह ररयो क एक सामलन हआ थ उसम मझ और एक तहनदसि नी ममि को तनमातिि

तकय गय थ

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पोटयसमथ खल ततसयो क बनददरग ह कहल ि ह वह ा बहिर घर र च ररणी सतसियो क होि

ह व सतसिय ा वकय नही होिी न तनदोष ही होिी ह ऐस ही एक घर म हम लोग दटक थ इसक

यह मिलब नही तक सव गि-सममति न ज न-बझकर ऐस घर ठीक तकय थ

र ि पडी हम सभ स घर लौट भोजन क ब द ि श खलन बठ तवल यि म अछछ भल

घरो म भी इस िरह गतहणी महम नो क स थ ि श खलन बठिी ह ि श खलि हए तनदोष तवनोद

िो सब कोई करि ह लतकन यह ा िो बीभतस तवनोद शर हआ म नही ज नि थ तक मर स थी

इसम तनपण ह मझ इस तवनोद म रस आन लग म भी इसम शरीक हो गय व णी म स तकरय

म उिरन की िय री थी ि श एक िरफ धर ही ज रह थ लतकन मर भल स थी क मन म र म

बस उनदहोन कह ldquoअर िम म यह कततलयग कस िमह र यह क म नही ह िम यह ा स भ गोrdquo

म शरम य स वध न हआ हदय म उन ममि क उपक र म न म ि क सममख की हई

परतिजञ य द आयी म भ ग क ापि -क ापि अपनी कोटरी म पहाच छ िी धडक रही थी

क तिल क ह थ स बचकर तनकल हए ततशक र की जसी दश होिी ह वसी ही मरी हई

उन ददनो म यह तबलकल नही ज नि थ तक धमय कय ह ईशवर कय ह और वह हम म

तकस परक र क क म करि ह उस समय िो लौतकक हतषट स म यह समझ तक ईशवर न मझ बच

ततलय ह मन यह अनभव तकय ह तक जब हम स री आश छोडकर बठ ज ि ह हम र दोनो ह थ

दटक ज ि ह िब कही-न-कही स मदद आ पहाचिी ह सिति उप सन पर थयन वहम नही ह

बचलक हम र ख न -पीन चलन -बठन जजिन सच ह उसस भी अमधक सच यह चीज ह यह

कहन म अतिशयोतति नही तक यही सच ह और सब झठ ह

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१५ धमो का पररचय

नवलायत म रहि मझ कोई एक स ल हआ होग इस बीच दो ततथयोसोतफसट ममिो स मरी पहच न

हई दोनो सग भ ई थ और अतवव तहि थ उनदहोन मझस गीि जी की चच य की व एडतवन आनयलड

क गीि जी क अनव द धी सोग कषसरलशयरल पढ रह थ पर उनदहोन मझ अपन स थ सासकि म

गीि पढन क ततलए नदयोि म शरम य कयोतक मन गीि सासकि म य म िभ ष म (गजर िी

म) पढी ही नही थी मझ उनस कहन पड तक मन गीि पढी ही नही ह पर म उस आपक स थ

पढन को िय र हा सासकि क मर अभय स भी नही क बर बर ही ह म उस इिन ही समझ

प ऊा ग तक अनव द म कोई ग़लि अथय होग िो उस सध र सका ग इस परक र मन उन भ इयो

क स थ गीि पढन शर तकय दसर अधय य क अातिम शलोको म स

धय यिो तवषय नदपासः सागसिषपज यि

साग तसाज यि क मः क म तकरोधोऽकषभज यि

करोध द भवति सममोहः सममोह तसमतितवभरमः

समतिभराश द बजदधन शो बजदधन श तपरणकयति६

इन शलोको क मर मन पर गहर असर पड उनकी भनक मर क न म गाजिी ही रही

उस समय मझ लग तक भगवदगीि अमलय गराथ ह यह म नदयि धीर-धीर बढिी गयी और आज

िततवजञ न क ततलए म उस सवोिम गरनदथ म नि हा तनर श क समय म इस गरनदथ न मरी अमलय

सह यि की ह

इनदही भ इयो न मझ सझ य तक म आनयलड क बदध-चररि धी रलाईट ओफ एकषशया पढ ा

उस समय िक िो मझ सर एडतवन आनयलड क गीि क अनव द क ही पि थ मन बदध-चररि

भगवदगीि स भी अमधक रस-पवयक पढ पसिक ह थ म लन क ब द उस सम पि करक ही छोड

सक

एक ब र य भ ई मझ बलवटसकी लोज म भी ल गय वह ा मडम बलवटसकी क और ममसज

एनी बसट क दशयन कर य ममसज बसट ह ल ही ततथयोसोतफकल सोस यटी म द खखल हई थी

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इसस सम च रपिो म इस समबनदध की जो चच य चलिी थी उस म ददलचसपी क स थ पढ करि

थ इन भ इयो न मझ सोस यटी म द खखल होन क भी सझ व ददय मन नमरि पवयक इनक र

तकय और कह ldquoमर धमयजञ न नही क बर बर ह इसततलए म तकसी भी पाथ म ससतममततलि होन

नही च हि rdquo मर कछ ऐस खय ल ह तक इनदही भ इयो क कहन स मन बलवटसकी की पसिक

की ट कषथयोसोफी (ततथयोसोफी की का जी) पढी थी उसस तहनदद धमय की पसिक पढन की इछछ

पद हई और प दररयो क माह स सन हआ यह खय ल ददल स तनकल गय तक तहनदद धमय

अनदधतवशव सो स ही भर हआ ह

इनदही ददनो एक अनदन ह री छ ि व स म मझ मचसटर क एक ईस ई सजजन ममल उनदहोन

मझस धमय की चच य की मन उनदह र जकोट क अपन सासमरण सन य व सनकर ःखी हए

उनदहोन कह ldquoम सवया अनदन ह री हा मदयप न भी नही करि यह सच ह तक बहि स ईस ई म ास

ख ि ह और शर ब पीि ह पर इस धमय म दो म स एक भी वसि क सवन करन कियवय-रप

नही ह मरी सल ह ह तक आप ब इबल७ पढrdquo मन उनकी यह सल ह म न ली उनदहोन ब इबल

खरीद कर मझ दी मन उस पढन शर तकय पर म परािा इकरार (ओलड टसट मणट) िो पढ

ही न सक जिकषसस ndash सतषट-रचन ndash क परकरण क ब द िो पढि समय मझ नीद ही आ ज िी

मझ य द ह तक lsquoमन ब इबल पढी हrsquo यह कह सकन क ततलए मन तबन रस क और तबन समझ

दसर परकरण बहि कषट-पवयक पढ थ नमबसय न मक परकरण पढि-पढि मर जी उचट गय

पर जब lsquoनय इकर रrsquo८ (नदय टसट मणट) पर आय िो कछ और ही असर हआ ईस क

तगरर-परवचन क मझ पर बहि अछछ परभ व पड उस मन हदय म बस ततलय बजदध न गीि जी

क स थ उसकी िलन की जो िझस कि य म ाग उस अागरख भी द-द जो िर द तहन ग ल पर

िम च म र ब य ा ग ल भी उसक स मन कर दrsquo ndash यह पढकर मझ अप र आननदद हआ श मळ

भटट९ क छपपय की य द आ गयी ldquoजो आपको जल दि ह उसको अछछ भोजन दrdquo आदद मर

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ब लमन न गीिा आनयलड-कि बदध-चररि और ईस क वचनो क एकीकरण तकय मन को यह

ब ि जाच गयी तक तय ग म धमय ह

म धमय क इस पररचय स आग न बढ सक अपनी परीकष की पसिको क अल व दसर

कछ पढन की फरसि म नही तनक ल सक पर मर मनन यह तनिय तकय तक मझ धमय-पसिक

पढनी च तहए और सब मखय धमो क पररचय पर पि कर लन च तहए

____________________________

६ तवषयो क मचनदिन करन व ल परष को उन तवषयो म आसतति पद होिी ह तफर आसतति स क मन पद

होिी ह और क मन स करोध पद होि ह करोध स मढि पद होिी ह मढि स समति-लोप होि ह और समति-

लोप स बजदध नषट होिी ह और जजसकी बजदध नषट हो ज िी ह उसक खद क न श हो ज ि ह

७ ईस ईओ क धमयपसिक यह दो तवभ गो म बाट ndash परथम परािा इकरार lsquoउसम इस खखसि क जनदम स पवय क

समय क कछ गराथो क सम वश तकय गय ह जजसकी शरआि होिी ह जिकषसस ndash सकषिमडि स दसर खाड

ह lsquoनय इकर र क इस खखसि क जनदम क उपर नदि क समय क गराथो क परथम च र गराथो को गोसपलस कह ज ि

ह उसम इसक जीवन िथ परवचनो क सागरह ह

८ इस क परवचन पह ड पर ददय गय थ दख मरथय पर ५ स ७

९ श मळ भटट १८वी सदी म गजर िी क एक परततसदध कतव हो गय ह छपपय पर उनक जो परभतव थ उसक

क रण गजर ि म यह कह वि परचततलि हो गयी ह तक छपपय िो श मळ कrsquo

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भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

१६ वापस नहनदसतान म

परीिाय प स करक म १० जन १८९१ क ददन ब ररसटर कहल य ११ जन को ढ ई ततशसलिग

दकर इागलणड क ह ईकोटय म अपन न म दजय कर य और १२ जन को तहनदसि न क ततलए रव न

हआ

पर मरी तनर श और मर भय की कोई सीम न थी म वक ल ि कर सका ऐस िो मझ

कछ भी नही आि थ ऐस महसस हआ मन अनभव तकय तक क़ नन िो म तनिय ही पढ

चक हा पर ऐसी कोई भी चीज मन सीखी नही ह जजसस म वक लि कर सका

इिन ही नही बचलक तहनद सि न क क़ नन िो म मददल ही नही ज नि थ तहनद श सि

इसल मी क़ नन कस होग यह भी नही ज नि थ न म अरजी द व करन भी सीख म िो बहि

ही परश न हआ वकील की हततसयि स आजीतवक कम न की शतति पर पि करन म भी मझ मह

आशाक उतपनदन हई

एडन स बमबई क बनददर म समर िर नी थ सब लोग बीम र थ अकल म मौज म थ

िर न दखन क ततलए डक पर खड रहि भीग भी ज ि

मर तवच र म ब हर क यह िर न मर अनददर क िर न क मचहनरप थ पर जजस िरह

ब हरी िर न क रहि म श नदि रह सक मझ लगि ह तक अनददर क िर न क ततलए भी वही ब ि

कही ज सकिी ह

म म ा क दशयनो क ततलए अधीर हो रह थ जब हम घ ट पर पहाच मर बड भ ई वह ा

मौजद ही थ

म ि क सवगयव स क मझ कछ पि न थ बड भ ई न म ि क सवगयव स क सम च र

मझ नही ददय थ मझ यह खबर तवल यि म ही ममल सकिी थी पर आघ ि को हलक करन क

तवच र स बमबई पहाचन िक मझ इसकी कोई खबर न दन क तनिय बड भ ई न कर रख थ

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म अपन ःख पर पद य ड लन च हि हा तपि की मतय स मझ जो आघ ि पहाच थ उसकी

िलन म म ि की मतय की खबर स मझ बहि अमधक आघ ि पहाच मर बहिर मनोरथ ममटटी

म ममल गय पर मझ य द ह तक इस मतय क सम च र सनकर म फट-फटकर रोय न थ म अपन

आासओ को भी रोक सक थ और भन अपन रोज क क मक ज इस िरह शर कर ददय थ

म नो म ि की मतय हई ही न हो

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१७ ससार-परवश

मरी समरय ि को लकर ज ति क झगड मौजद ही थ उसम दो िड पड गयी थी एक पकष न

मझ िरनदि ज ति म ल ततलय दसर पकष न लन पर डट रह

ज ति की जजस िड स म बतहषकि रह उसम परवश करन क परयतन मन कभी नही तकय

न मन ज ति क तकसी मखखय क परति मन म कोई रोष रख उनक स थ म नमरि क बरि व

करि थ ज ति क बतहषक र-समबनदधी क़ नन क म समपणय आदर करि थ अपन स स-ससर

क घर अथव अपनी बहन क घर म प नी िक न पीि थ व मछप िौर पर तपल न को िय र भी

होि पर जो क म खल िौर स न तकय ज सक उस मछपकर करन क ततलए मर मन ही िय र न

होि थ

मर इस वयवह र क पररण म यह हआ तक ज ति की ओर स मझ कभी कोई कषट नही

ददय गय यही नही बचलक आज िक म ज ति क एक तवभ ग म तवमधवि बतहषकि म न ज ि

हा उसक ततलए परवश क मन कभी परय स नही तकय िथ ज ति क तकसी भी शठ क तवरदध मन

अपन मन म भी रोष की भ वन न रखी मर परति तिरसक र स दखन व ल भी सम ज म थ उनक

परति म आदर क स थ पश आि थ मझस यह आश िक नही रखी तक ज ति क ततलए म कछ-

न-कछ करा म ऐस म नि हा तक यह मधर फल मर अपरतिक र क ही पररण म ह यदद मन

ज ति म ससतममततलि होन की खटपट की होिी अमधक िड पद करन क परयतन तकय होि ज ति

व लो को छड -मचढ य होि िो व अवकय मर तवरोध करि और म तवल यि स लौटि ही

उद सीन और अततलपि रहन क सथ न पर खटपट क फनदद म फा स ज ि और कवल ममरथय तव क

पोषण करन व ल बन ज ि

र जकोट म िरनदि धनदध शर करि हा िो हासी होिी ह मर प स जञ न िो इिन भी न थ

तक र जकोट म प स हए वकील क मक बल म खड हो सका तिस पर फीस उसस दस गनी लन

क द व कौन मखय मवचककल मझ क म दि अथव कोई ऐस मखय ममल भी ज य िो कय म

अपन जञ न म धषटि और तवशव सघ ि की वजदध करक अपन ऊपर सास र क ऋण और बढ ला

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ममिो की सल ह यह रही तक मझ कछ समय क ततलए बमबई ज कर ह ईकोटय की वक लि

क अनभव पर पि करन और तहनदसि न क क़ नन क अधययन करन च तहए और कोई मक़ददम

ममल सक िो उसक ततलए कोततशश करनी च तहए म बमबई क ततलए रव न हआ

लतकन म च र-प ाच महीन स अमधक बमबई म रह ही न सकि थ कयोतक खचय बढि

ज ि थ और आमदनी कछ भी न थी

इिन म मझ ममीब ई क मक़ददम ममल समोल कोज कोटय (छोटी अद लि) म ज न थ

मझस कह गय ldquoदल ल को कमीशन दन पडग rdquo मन स र इनक र कर ददय

म टस-स-मस न हआ कमीशन मन नही ही ददय तफर भी ममीब ई क मक़ददम िो मझ

ममल मक़ददम आस न थ मझ बरीफ क (महनि न क) र ३० ममल मक़ददम एक ददन स

जय द चलन व ल न थ

मन पहली ब र समोल कोज कोटय म परवश तकय म परतिव दी की िरफ स थ इसततलए

मझ जजरह करनी थी म खड िो हआ पर पर क ापन लग ततसर चकर न लग मझ ऐस लग

म नो अद लि घम रही ह सव ल कछ सझि ही न थ जज हास होग वकीलो को िो मज

आय ही होग पर मरी आाखो क स मन िो अाधर थ ndash म दखि कय

म बठ गय दल ल स कह ldquoमझस यह मक़ददम नही चल सकग आप पटल को

सौतपय मझ दी हई फीस व पस ल लीजजएrdquo

पटल को उसी ददन क ५१ रपय दकर वकील तकय गय उनक ततलए िो वह एक बछचो

क खल थ

म भ ग मझ य द नही तक मवचककल जीि य ह र म शरम य मन तनिय तकय तक

जब िक परी तहममि न आ ज य कोई मक़ददम न लाग

मन सोच तक म ततशकषक क क म िो अवकय ही कर सकि हा मन अागरजी क अभय स

क री तकय थ अिएव मन सोच तक यदद तकसी ह ईसकल म मदरक की ककष म अागरजी ततसख न

क क म ममल ज य िो कर ला खचय क गडढ कछ िो भर

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मन अखब रो म तवजञ पन पढ ldquoआवकयकि ह अागरजी ततशकषक की परतिददन एक घाट

क ततलए विन र० ७५rdquo यह एक परततसदध ह ईसकल क तवजञ पन थ मन पर थयन -पि भज मझ

परतयकष ममलन की आजञ हई म बडी उमागो क स थ ममलन गय पर जब आच यय को पि चल

तक म बी० ए० नही हा िो उनदहोन मझ खदपवयक तबद कर ददय

ldquoपर मन लनददन की मदरकयलशन परीकष प स की ह लदटन मरी दसरी भ ष थीrdquo मन

कह

ldquoसो ठीक ह पर हम िो गरजयएट की ही आवकयकि हrdquo

म ल च र हो गय मरी तहममि छट गयी बड भ ई भी मचननदिि हए हम दोनो न सोच

तक बमबई म अमधक समय तबि न तनरथयक ह मझ र जकोट म ही जमन च तहए

बमबई स तनर श होकर म र जकोट पहाच वह ा अलग दफिर खोल ग डी कछ चली

अरजिय ा ततलखन क क म ममलन लग और हर महीन औसि र ३०० की आमद नी होन लगी

अजी-द व ततलखन क यह क म मझ मरी होततशय री क क रण नही ममलन लग थ क रण थ

वसील बड भ ई क स थ क म करन व ल वकील की वक लि जमी हई थी उनक प स जो

बहि महततव क अजी-द व आि अथव जजनदह व महततव क म नि उनक क म िो बड ब ररसटर

क प स ही ज ि थ उनक ग़रीब मवचककलो क अजी-द व ततलखन क क म मझ ममलि थ

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१८ पहला आघात

पोरबदर क भिपवय र ण स हब को गददी ममलन स पहल मर भ ई उनक मािी और सल हक र थ

उन पर इस आशय क आरोप लग य गय थ तक उन ददनो उनदहोन र ण स हब को ग़लि सल ह

दी थी उस समय क पोततलदटकल एजणट क प स यह ततशक यि पहाची थी और मर भ ई क ब रम

उनक खय ल खर ब हो गय थ इस अमधक री स म तवल यि म ममल थ कह सकि हा तक

वह ा उनदहोन मझस अछछी दोसिी कर ली थी भ ई न सोच तक इस पररचय क ल भ उठ कर मझ

पोततलदटकल एजणट स दो शबद कहन च तहए और उन पर जो खर ब असर पड ह उस ममट न

की कोततशश करनी च तहए मझ ब ि तबलकल अछछी न लगी मन सोच मझको तवल यि क

न-कछ-स पररचय क ल भ नही उठ न च तहए अगर मर भ ई न कोई बर क म तकय ह िो

ततसर ररश स कय होग अगर नही तकय ह िो व तवमधवि पर थयन -पि भज अथव अपनी

तनदोषि पर तवशव स रखकर तनभयय रह यह दलील भ ई क गल न उिरी उनदहोन कह ldquoिम

क दठय व ड को नही ज नि तनय द री अभी िमह सीखनी ह यह ा िो वसील स स र क म

चलि ह िमह र सम न भ ई अपन पररमचि अमधक री स ततसर ररश क दो शबद कहन क मौक़

आन पर दर हट ज य िो यह उमचि नही कह ज एग rdquo

म भ ई की इछछ को ट ल नही सक अपनी मजी क खखल र म गय अरसर क प स

ज न क मझ कोई अमधक र न थ मझ इसक खय ल थ तक ज न म मर सव कषभम न नषट होग

तफर भी मन उसस ममलन क समय म ाग मझ समय ममल और म ममलन गय पर न पररचय

क समरण कर य पर मन िरनदि ही दख तक तवल यि और क दठय व ड म रक़य ह अपनी कसी

पर बठ हए अरसर और छटटी पर गय हए अरसर म भी रक़य होि ह अमधक री न पररचय की

ब ि म न ली पर इसक स थ ही वह अमधक अकड गय मन उसकी अकड म दख और आाखो

म पढ म नो व कह रही हो तक उस पररचय क ल भ उठ न क ततलए िो िम नही आय हो न

यह समझि हए भी मन अपनी ब ि शर की स हब अधीर हो गय बोल ldquoिमह र भ ई परपाची

ह म िमस जय द ब ि सनन नही च हि मझ समय नही ह िमह र भ ई को कछ कहन हो

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िो व तवमधवि पर थयन -पि दrdquo यह उिर पय यपि थ यथ थय थ पर ग़रज िो ब वली होिी ह न

म अपनी ब ि कह ज रह थ स हब उठ ldquoअब िमह ज न च तहएrdquo

मन कह ldquoपर मरी ब ि िो परी सन लीजजएrdquo

स हब खब मचढ गय ldquoचपर सी इस दरव ज ददख ओrdquo

चपर सी न मझ ह थ स धकक दकर दरव ज क ब हर कर ददय

स हब गय चपर सी गय म चल अकल य खीझ मन िरनदि एक पि घसीट

ldquoआपन मर अपम न तकय ह चपर सी क जररय मझ पर हमल तकय ह आप म री नही

म गग िो म आप पर म नह तन क तवमधवि द व करा ग rdquo थोडी ही दर म स हब क सव र

जव ब द गय उसक स र यह थ

ldquoिमन मर स थ असभयि क वयवह र तकय ज न क ततलए कहन पर भी िम नही गय

इसस मन जरर अपन चपर सी को िमह दरव ज ददख न क ततलए कह चपर सी क कहन पर

भी िम दफिर स ब हर नही गय िब उसन िमह दफिर स ब हर कर दन क ततलए आवकयक बल

क उपयोग तकय िमह जो करन हो सो करन क ततलए िम सविनदि होrdquo

यह जब ब जब म ड लकर म माह लटक य घर लौट भ ई को स र ह ल सन य व ःखी

हए पर व मझ कय िसलली दि उनदहोन वकील ममिो स चच य की म कौन द व द यर करन

ज नि थ उन ददनो सर फीरोजश ह महि अपन तकसी मक़ददम क ततसलततसल म बमबई स

र जकोट आय हए थ मर जस नय ब ररसटर उनस कस ममल सकि थ पर उनदह बल न व ल

वकील क दव र पि भजकर मन उनकी सल ह पछव यी उनक उिर थ ldquoग ाधी स कतहय ऐस

अनभव िो सब वकील-ब ररसटरो को हए होग िम अभी नय ही हो तवल यि की खम री अभी

िम पर सव र ह िम अागरज अमधक ररयो को पहच नि नही हो अगर िमह सख स रहन हो और

दो पस कम न हो िो ममली हई मचटठी फ ड ड लो और जो अपम न हआ ह उस पी ज ओ म मल

चल न स िमह एक प ई क भी ल भ न होग उलट िम बरब द हो ज ओग िमह अभी जीवन

क अनभव पर पि करन हrdquo

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मझ यह ततसख वन जहर की िरह कडवी लगी पर उस कडवी घाट को पी ज न क ततसव

और कोई उप य न थ म अपम न को भल िो न सक पर मन उसक सपयोग तकय मन

तनयम बन ततलय ldquoम तफर कभी अपन को ऐसी चसथति म नही पडन दाग इस िरह तकसी की

ततसर ररश न करा ग rdquo इस तनयम क मन कभी उललाघन नही तकय इस आघ ि न मर जीवन

की ददश बदल दी

मर उि अमधक री क यह ा ज न अवकय दोषयि थ पर अमधक री की अधीरि उसक

रोष और उदधिि क स मन मर दोष छोट हो गय दोष क दणड चपर सी क धकक न थ

मर जय द िर क म िो उसी की अद लि म रहि थ खश मद म कर ही नही सकि

थ म इस अमधक री को अनमचि रीि स ररझ न नही च हि थ उस न ततलश की धमकी दकर

म न ततलश न करा और उस कछ भी न ततलखा यह भी मझ अछछ न लग

इस बीच मझ क दठय व ड क ररय सिी षडयािो क भी कछ अनभव हआ क दठय व ड

अनक छोट-छोट र जयो क परदश ह यह ा मतसदददयो क बड सम ज होन सव भ तवक ही थ

र जयो क बीच सकषम षडयाि चलि पदो की पर नपि क ततलए स जजश होिी र ज कछच क न क

और परवश रहि स हबो क अदयततलयो िक की खश मद की ज िी सररकिद र िो स हब स भी

सव य होि सररकिद र की इछछ ही क़ नन थी सररकिद र की आमदनी स हब की आमदनी

स जय द म नी ज िी थी साभव ह इसम अतिशयोतति हो पर सररकिद र क अलप विन की

िलन म उसक खचय अवकय ही अमधक होि थ

यह व ि वरण मझ तवष-स परिीि हआ म अपनी सविािि की रकष कस कर सका ग

इसकी मचनदि बर बर बनी रहिी म उद सीन हो गय भ ई न मरी उद सीनि दखी एक तवच र

यह आय तक कही नौकरी कर ला िो म इन खटपटो स मि रह सकि हा पर तबन खटपट क

दीव न क य नदय य धीश क पद कस ममल सकि थ

वक लि करन म स हब क स थ क झगड ब धक बनि थ

म अकल य

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इसी बीच भ ई क प स पोरबादर की एक ममन फमय क सादश आय ldquoदकषकषण अफ़रीक

म हम र वय प र ह हम री फमय बडी ह वह ा हम र एक बड मक़ददम चल रह ह च लीस हज र

पौड क द व ह म मल बहि लमब समय स चल रह ह हम र प स अछछ-स-अछछ वकील-

ब ररसटर ह अगर आप अपन भ ई को भज िो व हम री मदद कर और उनदह भी कछ मदद ममल

ज एा व हम र म मल हम र वकील को अछछी िरह समझ सक ग इसक ततसव व नय दश

दखग और कई नय लोगो स उनकी ज न-पहच न होगीrdquo

मन पछ ldquoआप मरी सव य तकिन समय क ततलए च हि ह आप मझ विन कय दगrdquo

ldquoहम एक स ल स अमधक आपकी जररि नही रहगी आपको पहल दज क म गयवयय

दग और तनव स िथ भोजन-खचय क अल व १०५ पौड दगrdquo

इस वक लि नही कह सकि यह नौकरी थी पर मझ िो जस भी बन तहनदसि न छोडन

थ नय दश दखन को ममलग और अनभव पर पि होग सो अलग भ ई को १०५ पौड भजाग

िो घर क खचय चल न म कछ मदद होगी यह सोचकर मन विन क ब र म तबन कछ जझक-

जझक तकय ही सठ अबल करीम क परसि व सवीक र कर ततलय और म दकषकषण अफ़रीक ज न क

ततलए िय र हो गय

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भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

१९ दकषिि अफ़रीका पहाचा

नाताल क बनददरग ह को डरबन कहि ह और वह न ि ल बनददर क न म स भी पहच न ज ि ह

मझ लन क ततलए अबलल सठ आय थ सटीमर क घ ट (डक) पर पहाचन पर जब न ि ल क

लोग अपन ममिो को लन सटीमर पर आय िभी म समझ गय तक यह ा तहनदसि तनयो की अमधक

इजजि नही ह अबलल सठ को पहच नन व ल उनक स थ जस बरि व करि थ उसम भी

मझ एक परक र की असभयि ददख यी पडी थी जो मझ वयततथि करिी थी अबलल सठ इस

असभयि को सह लि थ व उसक आदी बन गय थ मझ जो दखि व कछ किहल की दतषट स

दखि थ अपनी पोश क क क रण म दसर तहनदसि तनयो स कछ अलग पड ज ि थ मन उस

समय फरोक कोटrsquo बगर पहन थ और ततसर पर बाग ली ढाग की पगडी पहनी थी

अबलल सठ मझ घर ल गय उनक कमर की बगल म एक कमर थ वह उनदहोन मझ

ददय न व मझ समझि और न म उनदह समझि उनदहोन अपन भ ई क ददय हए पि पढ और व

जय द घबर य उनदह ज न पड तक भ ई न िो उनक घर एक सफद ह थी ही ब ाध ददय ह मरी

स हबी रहन-सहन उनदह खचीली म लम हई उस समय मर ततलए कोई ख स क म न थ उनक

मक़ददम िो र नदसव ल म चल रह थ मझ िरनदि वह ा भजकर कय करि इसक अल व मरी

होततशय री य ईम नद री क तवशव स भी तकस हद िक तकय ज एा तपरटोररय म व मर स थ रह

नही सकि थ परतिव दी तपरटोररय म रहि थ मझ पर उसक अनमचि परभ व पड ज य िो कय

हो यदद व मझ इस मक़ददम क क म न सौप िो दसर क म िो उनक क रकन मझस बहि

अछछ कर सकि थ क रकनो स गलिी हो िो उनदह उल हन ददय ज सकि थ पर म ग़लिी

करा िो अिएव यदद मक़ददम क क म न सौप ज ि िो मझ घर बठ खखल न की नौबि आिी

अबलल सठ बहि कम पढ-ततलख थ पर उनक प स अनभव क जञ न बहि थ उनकी

बजदध िीवर थी और सवया उनदह इसक भ न थ ब िचीि करन ल यक अागरजी क जञ न पर पि कर

ततलय थ पर अपनी इस अागरजी क दव र व अपन सब क म तनक ल लि थ व बक क मनजरो

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स ब िचीि करि थ यरोतपयन वय प ररयो क स थ सौद कर लि थ और वकीलो को अपन म मल

समझ सकि थ तहनदसि नी उनकी बहि इजजि करि थ उन ददनो उनकी फमय तहनदसि तनयो

की फमो म सबस बडी अथव बडी फमो म एक िो थी ही

व दसर य िीसर ददन मझ डरबन की अद लि ददख न ल गय वह ा कछ ज न-पहच न

कर यी अद लि म मझ अपन वकील क प स बठ य मजजसरट मझ ब र-ब र दखि रह उसन

मझ पगडी उि रन क ततलए कह मन इनक र तकय और अद लि छोड दी

मर भ गय म यह ा भी लड ई ही बदी थी

मन पगडी क तकसस को लकर अपन और पगडी क बच व म सम च रपिो क न म एक

पि ततलख अखब रो म मरी पगडी की खब चच य हई अनवलकम तवजजटर ndash अव ामछि अतिततथ

ndash शीषयक स अखब रो म मरी चच य हई और िीन- च र ददन क अादर ही म अन य स दकषकषण

अफ़रीक म परततसजदध प गय तकसीन मर पकष ततलय और तकसीन मरी धषटि की खब तननद द की

मरी पगडी िो लगभग दकषकषण अफ़रीक म अनदि िक बनी रही

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२० नपरटोररया जात हए

इतन म फमय क वकील की िरफ स पि ममल तक मक़ददम की िय री की ज नी च तहए और खद

अबलल सठ को तपरटोररय ज न च तहए अथव तकसीको वह ा भजन च तहए

अबलल सठ न वह पि मझ पढन को ददय और पछ ldquoआप तपरटोररय ज एागrdquo मन

कह ldquoमझ म मल समझ इय िभी कछ कह सका ग अभी िो म नही ज नि तक मझ वह ा कय

करन होग rdquo उनदहोन अपन मनीमो स कह तक व मझ म मल समझ द

म स िव य आठव ददन डरबन स रव न हआ मर ततलए पहल दज क दटकट कट य

गय वह ा रल म सोन की सतवध क ततलए प ाच ततशसलिग की अलग दटकट कट न होि थ

अबलल सठ न उस कट न क आगरह तकय पर मन हठवश अकषभम नवश और प ाच ततशसलिग

बच न क तवच र स तबसिर क दटकट कट न स इनक र कर ददय

अबलल सठ न मझ चि य ldquoदखखय यह दश दसर ह तहनदसि न नही ह खद की

महरब नी ह आप पस की का जसी न कीजजए आवकयक सतवध पर पि कर लीजजएrdquo

मन उनदह धनदयव द ददय और तनकषिनदि रहन को कह

रन लगभग नौ बज न ि ल की र जध नी मररतसबगय पहाची यह ा तबसिर ददय ज ि थ

रलव क तकसी नौकर न आकर पछ ldquoआपको तबसिर की जररि हrdquo

मन कह ldquoमर प स अपन तबसिर हrdquo

वह चल गय इस बीच एक य िी आय उसन मरी िरफ दख मझ कषभनदन वणय क

प कर वह परश न हआ ब हर तनकल और एक-दो अरसरो को लकर आय तकसीन मझ कछ

न कह आखखर एक अरसर आय उसन कह ldquoइधर आओ िमह आखखरी मडब म ज न हrdquo

मन कह ldquoमर प स पहल दज क दटकट हrdquo

उसन जव ब ददय ldquoइसकी कोई ब ि नही म िमस कहि हा तक िमह आखखरी मडब म

ज न ह

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म कहि हा तक मझ इस मडब म डरबन स बठ य गय ह और म इसीम ज न क इर द

रखि हा rdquo

अफसर न कह ldquoयह नही हो सकि िमह उिरन पडग और न उिर िो ततसप ही

उि रग rdquo

मन कह ldquoिो तफर ततसप ही भल उि र म खद िो नही उिरा ग rdquo

ततसप ही आय उसन मर ह थ पकड और मझ धकक दकर नीच उि र मर स म न

उि र ततलय मन दसर मडब म ज न स इनक र कर ददय रन चल दी म वोटटिग रम म बठ गय

अपन ldquoहणड-बगrdquo स थ म रख ब की स म न को ह थ न लग य रलव व लो न उस कही

रख ददय सरदी क मौसम थ दकषकषण अफ़रीक की सरदी ऊा च ई व ल परदशो म बहि िज

होिी ह मररतसबगय इसी परदश म थ इसस ठणड खब लगी मर ओवर-कोट मर स म न म थ

पर स म न म ागन की तहममि न हई तफर अपम न हो िो ठणड स म क ापि रह कमर म

दीय न थ आधी र ि क करीब एक य िी आय ज न पड तक वह कछ ब ि करन च हि ह

पर म ब ि करन की मनःचसथति म न थ

मन अपन धमय क तवच र तकय य िो मझ अपन अमधक रो क ततलए लडन च तहए य

लौट ज न च तहए नही िो जो अपम न हो उनदह सहकर तपरटोररय पहाचन च तहए और मक़ददम

खिम करक दश लौट ज न च तहए मक़ददम अधर छोडकर भ गन िो न मदी होगी मझ जो

कषट सहन पड ह सो िो ऊपरी कषट ह वह गहर ई िक पठ हए मह रोग क लकषण ह यह

मह रोग ह राग-दवष यदद मझम इस गहर रोग को ममट न की शतति हो िो उस शतति क उपयोग

मझ करन च तहए ऐस करि हए सवया जो कषट सहन पड सो सब सहन च तहए और उनक

तवरोध राग-रष को ममट न की दतषट स ही करन च तहए

यह तनिय करक मन दसरी रन म जस भी हो आग ही ज न क रसल तकय

सबर ही सबर मन जनरल मनजर को ततशक यि क लमब ि र भज द द अबलल को

भी खबर भजी अबलल सठ िरनदि जनरल मनजर स ममल जनरल मनजर न अपन आदममयो

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क वयवह र क बच व तकय पर बिल य तक मझ तबन तकसी रक वट क मर सथ न िक पहाच न

क ततलए सटशन-म सटर को कह ददय गय ह अबलल सठ न मररतसबगय क तहनदद वय प ररयो को

भी मझस ममलन और मरी सख-सतवध क खय ल रखन क ि र भज और दसर सटशनो पर भी

इसी आशय क ि र रव न तकय इसस वय प री मझ ममलन सटशन पर आय उनदहोन अपन ऊपर

पडन व ल कषटो की कह नी मझ सन यी और मझस कह तक आप पर जो बीिी ह उसम आियय

की कोई ब ि नही ह जब तहनदसि नी लोग पहल य दसर दज म सरर करि ह िो अमधक ररयो

और य तियो की िरफ स रक वट खडी होिी ही ह ददन ऐसी ही ब ि सनन म बीि र ि पडी

रन आयी मर ततलए जगह िय र ही थी तबसिर क जो दटकट मन डरबन म कट न स इनक र

तकय थ वह मररतसबगय म कट य रन मझ च लसयट उन की ओर ल चली

रन सबह च लसयट उन पहाचिी थी उन ददनो च लसयट उन स जोह तनसबगय पहाचन क ततलए

रन नही थी घोडो की ततसकरम थी और बीच म एक र ि सटणडरटन म रकन पडि थ मर प स

ततसकरम क दटकट थ मर एक ददन दर स पहाचन क क रण वह दटकट रद नही होि थ इसक

ततसव अबलल सठ न ततसकरम व ल क न म च लसयट उन क पि पर ि र भी कर ददय थ पर

एजनदट को िो बह न ही खोजन थ इसततलए मझ तनर अजनबी समझकर उसन कह ldquoआपक

दटकट िो रद हो चक हrdquo मन उमचि उिर ददय पर दटकट रद होन की ब ि िो मझ दसर ही

क रण स कही गयी थी य िी सब ततसकरम क अनददर ही बठि थ लतकन म िो कली की तगनिी

म थ अजनबी ददख ई पडि थ इसततलए ततसकरम व ल की नीयि यह थी तक मझ गोर य तियो

क प स न बठ न पड िो अछछ हो ततसकरम क ब हर अथ यि कोचव न की बगल म द य-ब य

दो बठक थी उनम स एक पर ततसकरम-कमपनी क एक गोर मखखय बठि थ वह अनददर बठ

और मझ कोचव न की बगल म बठ य म समझ गय तक यह तनर अनदय य ह ndash अपम न ह पर

मन इस अपम न को पी ज न उमचि समझ म जोर-जबरदसिी स अनददर बठ सका ऐसी चसथति

थी ही नही अगर िकर र म पड ा िो ततसकरम चली ज य और मर एक ददन और टट ज य और

तफर दसर ददन कय हो सो िो दव ही ज न इसततलए म समझद री स क म लकर ब हर बठ गय

पर मन म िो बहि झाझल य

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लगभग िीन बज ततसकरम प रडीकोप पहाची अब उस गोर मखखय न च ह तक जह ा म

बठ थ वह ा वह बठ उस ततसगरट पीनी थी थोडी हव भी ख नी होगी इसततलए उसन एक मल -

स बोर जो वही कोचव न क प स पड थ उठ ततलय और पर रखन क पदटय पर तबछ कर

मझस कह ldquoस मी ि यह ा बठ मझ कोचव न क प स बठन हrdquo म इस अपम न को सहन म

असमथय थ इसततलए मन डरि-डरि उसस कह ldquoिमन मझ यह ा बठ य और मन वह अपम न

सह ततलय मरी जगह िो अनददर थी पर िम अनददर बठ गय और मझ यह ा बठ य अब िमह ब हर

बठन की इछछ हई ह और ततसगरट पीनी ह इसततलए िम मझ अपन परो क प स बठ न च हि

हो म अनददर ज न को िय र हा पर िमह र परो क प स बठन को िय र नहीrdquo

म मतककल स इिन कह प य थ तक मझ पर िम चो की वष य होन लगी और वह गोर

मरी ब ाह पकडकर मझ नीच खीचन लग बठक क प स ही पीिल क सीखच थ मन भि की

िरह उनदह पकड ततलय और तनिय तकय तक कल ई च ह उखड ज य पर सीखच न छोड ाग मझ

पर जो बीि रही थी उस अनददर बठ हए य िी दख रह थ वह गोर मझ ग ततलय ा द रह थ खीच

रह थ म र भी रह थ पर म चप थ वह बलव न थ और म बलहीन य तियो म स कइयो

को दय आयी और उनम स कछ बोल उठः ldquoअर भ ई उस बच र को वह ा बठ रहन दो उस

न हक म रो मि उसकी ब ि सच ह वह ा नही िो उस हम र प स अनददर बठन दोrdquo गोर न कह

ldquoहरतगज नही पर थोड शरममनदद वह जरर हआ अिएव उसन मझ म रन बनदद कर ददय

और मरी ब ाह छोड दी दो-च र ग ततलय ा िो जय द दी पर एक होटणट ट नौकर दसरी िरफ बठ

थ उस अपन परो क स मन बठ कर खद ब हर बठ य िी अनददर बठ गय सीटी बजी ततसकरम

चली मरी छ िी िो धडक ही रही थी मझ शक हो रह थ तक म जजनदद मक म पर पहाच सका ग

य नही वह गोर मरी ओर बर बर घरि ही रह अागली ददख कर बडबड ि रह ldquoय द रख

सटणडरटन पहाचन द तफर िझ मज चख ऊा ग rdquo म िो गाग ही बठ रह और भगव न स अपनी

रकष क ततलए पर थयन करि रह

र ि हई सटणडरटन पहाच कई तहनदसि नी चहर ददख ई ददय मझ कछ िसलली हई

नीच उिरि ही तहनदसि नी भ इयो न कह ldquoहम आपको ईस सठ की क न पर ल ज न क ततलए

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ही खड ह हम द द अबलल क ि र ममल हrdquo म बहि खश हआ उनक स थ सठ ईस ह जी

सम र की क न पर पहाच सठ और उनक मनीम-गम किो न मझ च रो ओर स घर ततलय मन

अपनी बीिी उनदह सन यी व बहि ःखी हए और अपन कडव अनभवो क वणयन करक उनदहोन

मझ आशवसि तकय म ततसकरम-कमपनी क एजणट को अपन स थ हए वयवह र की ज नक री

दन च हि थ मन एजणट क न म मचटठी ततलखी उस गोर न जो धमकी दी थी उसकी चच य की

और यह आशव सन च ह तक सबह आग की य ि शर होन पर मझ दसर य तियो क प स अनददर

ही जगह दी ज ए मचटठी एजणट को भज दी एजणट न मझ सादश भज ldquoसटणडरटन स बडी

ततसकरम ज िी ह और कोचव न बगर बदल ज ि ह जजस आदमी क खखल र आपन ततशक यि

की ह वह कल नही रहग आपको दसर य तियो क प स ही जगह ममलगीrdquo इस सादश स मझ

थोडी बतरकरी हई मझ म रन व ल उस गोर पर तकसी िरह क कोई मक़ददम चल न क िो मन

तवच र ही नही तकय थ इसततलए म र क यह परकरण यही सम पि हो गय सबर ईस सठ क

लोग मझ ततसकरम पर ल गय मझ मन ततसब जगह ममली और तबन तकसी हर नी क म उस र ि

जोह तनसबगय पहाच गय

सटणडरटन छोट -स ग ाव ह जोह तनसबगय तवश ल नगर ह अबलल सठ न ि र िो वह ा

भी द ही ददय थ मझ महममद क ततसम कमरददीन की क न क न म-पि भी ददय थ उनक

आदमी ततसकरम क पड व पर पहाच थ पर न मन उस दख और न वह मझ पहच न सक मन

होटल म ज न क तवच र तकय दो-च र होटलो क न म ज न ततलए थ ग डी की ग डी व ल स

कह तक गर णड नशनल होटल म ल चलो वह ा पहाचन पर मनजर क प स गय जगह म ागी

मनजर न कषणभर मझ तनह र तफर ततशषट च र की भ ष म कह ldquoमझ खद ह सब कमर भर पड

हrdquo और मझ तबद तकय इसततलए मन ग डी व ल स महममद क ततसम कमरददीन की क न पर

ल चलन को कह वह ा अबलगनी सठ मरी र ह दख रह थ उनदहोन मर सव गि तकय मन

होटल की अपनी बीिी उनदह सन यी व खखलखखल कर हास पड बोल ldquoव हम होटल म कस

उिरन दगrdquo

मन पछ ldquoकयो नहीrdquo

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ldquoसो िो आप कछ ददन रहन क ब द ज न ज एाग इस दश म िो हमी रह सकि ह कयोतक

हम पस कम न ह इसीततलए न न परक र क अपम न सहन करि ह और पड हए हrdquo यो कहकर

उनदहोन र नदसव ल म तहनदसि तनयो पर गजरन व ल कषटो क इतिह स कह सन य

इन अबलगनी सठ क पररचय हम आग और भी करन होग उनदहोन कह ldquoयह दश

आपक सम न लोगो क ततलए नही ह दखखय कल आपको तपरटोररय ज न ह वह ा आपको िीसर

दज म ही जगह ममलगी र नदसव ल म न ि ल स अमधक कषट ह यह ा हम र लोगो को पहल य

दसर दज क दटकट ददय ही नही ज ि rdquo

मन कह ldquoआपन इसक ततलए परी कोततशश नही की होगीrdquo

ldquoहमन पि-वयवह र िो तकय ह पर हम र अमधकिर लोग पहल-दसर दज म बठन भी

कह ा च हि हrdquo

मन रलव क तनयम म ाग उनदह पढ उनम इस ब ि की गाज इश थी र नदसव ल क मल

क़ नन सकषमि पवयक नही बन य ज ि थ रलव क तनयमो क िो पछन ही कय थ मन सठ स

कह ldquoम िो फसटय कल स म ही ज ऊा ग और वस न ज सक िो तपरटोररय यह ा स ३७ मील ही

िो ह म वह ा घोड ग डी करक चल ज ऊा ग rdquo

अबलगनी सठ न उसस लगन व ल खचय और समय की िरफ मर धय न खीच पर मर

तवच र स व सहमि हए मन सटशन-म सटर को पि भज उसम मन अपन ब ररसटर होन की ब ि

ततलखी यह भी समचि तकय तक म हमश पहल दज म ही सरर करि हा तपरटोररय िरनदि पहाचन

की आवकयकि की िरफ भी उनक धय न खीच और उनदह ततलख तक उनक उिर की परिीकष

करन जजिन समय मर प स नही रहग अिएव पि क जव ब प न क ततलए म खद ही सटशन

पर पहाचाग और पहल दज क दटकट प न की आश रखाग

इसम मर मन म थोड पच थ मर यह खय ल थ तक सटशन-म सटर ततलखखि उिर िो

न rsquo क ही दग तफर कली ब ररसटर कस रहि होग इसकी भी वह कोई कलपन न कर

सकग इसततलए अगर म पर स हबी ठ ठ म उसक स मन ज कर खड रहाग और उसस ब द

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करा ग िो वह समझ ज यग और श यद मझ दटकट द दग अिएव म फरोक कोट नकट ई

बगर ड लकर सटशन पहाच सटशन-म सटर क स मन मन तगनद नी तनक लकर रखी और पहल दज

क दटकट म ाग

उसन कह ldquoआपन ही मझ मचठटी ततलखी हrdquo

मन कह ldquoजी ह ा यदद आप मझ दटकट दग िो म आपक एहस न म रनाग मझ आज

तपरटोररय पहाचन ही च तहएrdquo

सटशन-म सटर हास उस दय आयी वह बोल ldquoम र नदसव लर नही हा म होलनदडर हा

आप की भ वन को म समझ सकि हा आपक परति मरी सह नभति ह म आपको दटकट दन

च हि हा पर एक शिय ह - अगर र सि म ग डय आपको उि र द और िीसर दज म बठ य िो आप

मझ फ ाततसय नही य नी आप रलव का पनी पर द व न कीजजए म च हि हा तक आपकी य ि

तनरविधन परी हो आप सजजन ह यह िो म दख ही सकि हाrdquo यो कहकर उसन दटकट क ट

ददय मन उसक उपक र म न और उस तनशििि तकय अबलगनी सठ मझ तबद करन आय

थ यह कौिक दखकर व परसनदन हए उनदह आियय हआ पर मझ चि य ldquoआप भलीभ ाति

तपरटोररय पहाच ज एा िो समझाग तक बड प र हआ मझ डर ह तक ग डय आपको पहल दज म

आर म स बठन नही दग और ग डय न बठन भी ददय िो य िी नही बठन दगrdquo

म िो पहल दज क मडब म बठ रन चली जरमिसटन पहाचन पर ग डय दटकट ज ाचन आय

मझ दखि ही खीझ उठ अागली स इश र करक मझस कह ldquoिीसर दज म ज ओrdquo मन पहल

दज क अपन दटकट ददख य उसन कह ldquoकोई ब ि नही ज ओ िीसर दज मrdquo

इस मडब म एक ही अागरज य िी थ उसन ग डय को आड ह थो ततलय ldquoिम इन भल

आदमी को क यो परश न करि हो दखि नही हो इनक प स पहल दज क दटकट ह मझ इनक

बठन स ितनक भी कषट नही हrdquo

यो कहकर उसन मरी िरफ दख और कह ldquoआप इिमीन न स बठ रतहएrdquo

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ग डय बडबड य ldquoआपको कली क स थ बठन ह िो मर कय तबगडि

हrdquo और चल ददय

र ि क़रीब आठ बज रन तपरटोररय पहाची

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२१ नपरटोररया म पहला टरदन

सन १८९३ क तपरटोररय सटशन सन १९१४ क तपरटोररय सटशन स तबलकल कषभनदन थ धीमी

रोशनी व ली बततिय ा जल रही थी य िी भी अमधक नही थ मन सब य तियो को ज न ददय और

सोच तक दटकट कलकटर को थोडी फरसि होन पर अपन दटकट दाग और यदद वह मझ तकसी

छोट-स होटल क य ऐस मक न क पि दग िो वह ा चल ज ऊा ग य तफर र ि सटशन पर ही

पड रहाग इिन पछन क ततलए भी मन बढि न थ कयोतक अपम न होन क डर थ

सटशन ख ली हआ मन दटकट-कलकटर को दटकट दकर पछि छ शर की उसन सभयि

स उिर ददय पर मन दख तक वह मरी अमधक मदद नही कर सकि थ उसकी बगल म एक

अमररकन हबशी सजजन खड थ उनदहोन मझस ब िचीि शर की

ldquoम दख रह हा तक आप तबलकल अजनबी ह और यह ा आपक कोई ममि नही ह अगर

आप मर स थ चल िो म आपको एक छोट-स होटल म ल चलाग उसक म ततलक अमररकन ह

और म उस अछछी िरह ज नि हा मर खय ल ह तक वह आपको दटक लग rdquo

मझ थोड शक िो हआ पर मन इन सजजन क उपक र म न और उनक स थ ज न

सवीक र तकय व मझ जोनदसटन क फममली होटल म ल गय पहल उनदहोन मम जोनदसटन को एक

ओर ल ज कर थोडी ब ि की मम जोनदसटन न मझ एक र ि क ततलए दटक न क़बल तकय और

वह भी इस शिय पर तक भोजन मर कमर म पहाच दग

मम जोनदसटन न कह ldquoम आपको तवशव स ददल ि हा तक मर मन म िो क ल-गोर क कोई

भद नही ह पर मर गर हक सब गोर ही ह यदद म आपको भोजन-गह म भोजन कर ऊा िो मर

गर हक बर म नग और श यद व चल ज एागrdquo

मन जव ब ददय ldquoआप मझ एक र ि क ततलए रहन द रह ह इस भी म आपक उपक र

म नि हा इस दश की चसथति स म कछ-कछ पररमचि हो चक हा म आपकी कदठन ई को समझ

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सकि हा मझ आप खशी स मर कमर म ख न दीजजए कल िक म दसर परबाध कर लन की

आश रखि हा

मझ कमर ददय गय मन उसम परवश तकय एक नदि ममलन पर भोजन की र ह दखि

हआ म तवच रो म डब गय इस होटल म अमधक य िी नही रहि थ कछ दर ब द भोजन क

स थ वटर को आि दखन क बदल मन मम जोनदसटन को दख उनदहोन कह ldquoमन आपको कमर

म ख न दन की ब ि कही थी पर मन उसम शरम महसस की इसततलए अपन गर हको स आपक

तवषय म ब िचीि करक उनकी र य ज नी आप भोजनगह म बठकर भोजन कर िो उनदह कोई

आपतति नही ह इसक अल व आप यह ा जजिन ददन भी रहन च ह रह उनकी ओर स कोई

रक वट नही होगी इसततलए अब आप च ह िो भोजन-गह म आइय और जब िक जी च ह यह ा

रतहएrdquo

मन तफर उनक उपक र म न और म भोजन-गह म गय तनकषिनदि होकर भोजन तकय

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२२ खखसती सबधी (ईसाइयो स सपकम )

दसर ददन सबर म वकील क घर गय उनक न म थ ए० डलय० बकर उनस ममल अबलल

सठ न मझ उनक ब र म कछ बि ददय थ इसततलए हम री पहली मल क ि स मझ कोई आियय

न हआ व मझस परमपवयक ममल और मर ब र म कछ ब ि पछी जो मन उनदह बिल दी उनदहोन

कह ldquoब ररसटर क न ि िो आपक यह ा कोई उपयोग हो ही न सकग इस मक़ददम क ततलए हमन

अछछ-स-अछछ ब ररसटर कर रख ह मक़ददम लमब ह और गचतथयो स भर हआ ह इसततलए

आपस म आवकयक िरथय आदद पर पि करन क ही क म ल सका ग पर इिन फ यद अवकय

होग तक अपन मवचककल क स थ पि-वयवह र करन म मझ अब आस नी हो ज एगी और

िरथय दद की जो ज नक री मझ पर पि करनी होगी वह म आपक दव र मागव सका ग यह फ यद

ह जरर आपक ततलए अभी िक मन कोई मक न िो िल श नही तकय ह सोच थ तक आपको

दखन क ब द खोज लाग यह ा रागभद बहि ह इसततलए घर ममलन आस न नही ह पर म एक

बहन को ज नि हा वह ग़रीब ह भदटय र की सिी ह मर खय ल ह तक वह आपको दटक लगी

उस भी कछ मदद हो ज एागी चततलए हम उसक यह ा चल

यो कहकर व मझ वह ा ल गय मम बकर न उस बहन को एक ओर ल ज कर उसस कछ

ब ि की और उसन मझ दटक न सवीक र तकय हफि क पिीस ततशसलिग दन क तनिय हआ

मम बकर वकील थ और कटटर प दरी भी थ व अभी जीतवि ह और आजकल कवल

प दरी क ही क म करि ह वक लि उनदहोन छोड दी ह रपय-पस स सखी ह उनदहोन मर स थ

अब िक पि-वयवह र ज री रख ह पिो क तवषय एक ही होि ह व अपन पिो म अलग-

अलग ढाग स ईस ई धमय की उिमि की चच य करि ह और इस ब ि क परतिप दन करि ह तक

ईस को ईशवर क एकम ि पि और ि रनह र म न तबन परम श ाति नही ममल सकिी

हम री पहली ही मल क ि म मम बकर न धमय-साबाधी मरी मनःचसथति ज न ली मन उनदह

बि ददय ldquoम जनदम स तहनदद हा इस धमय क भी मझ अमधक जञ न नही ह दसर धमो क जञ न

भी कम ही ह म कह ा हा कय म नि हा मझ कय म नन च तहए यह सब म नही ज नि अपन

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धमय क अधययन म गाभीरि स करन च हि हा दसर धमो क अधययन भी यथ शतति करन क

मर इर द ह

यह सब सनकर मम बकर खश हए और बोल ldquoम सवया स उथ अफ़रीक जनरल ममशन

क एक ड यरकटर हा मन अपन खचय स एक तगरज घर बनव य ह उसम समय-समय पर धमय-

साबाधी वय खय न ददय करि हा म रागभद को नही म नि मर स थ क म करन व ल कछ स थी

भी ह हम परतिददन एक बज कछ ममनट क ततलए ममलि ह और आतम की श ाति िथ परक श

(जञ न क उदय) क ततलए पर थयन करि ह उसम आप आयग िो मझ खशी होगी वह ा म अपन

स ततथयो स भी आपकी पहच न कर दाग व सब आपस ममलकर परसनद न होग और मझ तवशव स

ह तक उनक सम गम आपको भी अछछ लगग

मन मम बकर को धनदयव द ददय और अपन बसभर रोज एक बज उनक माडल म पर थयन

क ततलए पहाचन सवीक र तकय

दसर ददन एक बज म मम बकर क पर थयन -सम ज म गय वह ा ममस हररस ममस गब

मम कोटस आदद स पररचय हआ

ममस हररस और ममस गब दोनो परौढ अवसथ की कम ररक य थी मम कोटस कवकर थ

य दोनो कम ररक य स थ रहिी थी उनदहोन मझ हर रतवव र को च र बज की च य क ततलए अपन

घर आन क तनमािण ददय मम कोटस जब ममलि िो मझ हर रतवव र को उनदह हफिभर की

अपनी ध रमिक ड यरी सन नी पडिी कौन-कौनसी पसिक मन पढी मर मन पर उनक क य

परभ व पड इसकी चच य होिी

मम कोटस एक स र ददल व ल चसि नवजव न कवकर थ उनक स थ मर ग ढ साबाध हो

गय थ हम बहि ब र एकस थ घमन भी ज य करि थ व मझ दसर ईस इयो क घर भी ल

ज ि थ

मम कोटसन मझ पसिको स ल द ददय जस-जस व मझ पहच नि ज ि वस-वस उनदह

अछछी लगन व ली पसिक व मझ पढन को दि रहि मन भी कवल शरदध वश ही उन पसिको को

पढन सवीक र तकय

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सन १८९३ क वषय म मन ऐसी पसिक बहि पढी

पर मम कोटस ह रन व ल आदमी नही थ उनक परम क प र न थ उनदहोन मर गल म

वषणणी कणठी दखी िलसी क मन क की म ल उनदह यह वहम ज न पड और व ःखी हए

बोल ldquoयह वहम िम जसो को शोभ नही दि ल ओ इस िोड दाrdquo

ldquoयह कणठी नही टट सकिी म ि जी की परस दी हrdquo

ldquoपर क य िम इसम तवशव स करि होrdquo

ldquoम इसक गढ थय नही ज नि इस न पहनन स मर अकलय ण होग ऐस मझ परिीि

नही होि पर म ि जी न जो म ल मझ परमपवयक पहन यी ह जजस पहन न म उनदहोन मर

कलय ण म न ह उसक तय ग म तबन क रण नही करा ग समय प कर यह जीणय हो ज एागी

और टट ज एागी िो दसरी पर पि करक पहनन क लोभ मझ नही रहग पर यह कणठी टट नही

सकिीrdquo

मम कोटस मरी इस दलील की कर नही कर सक कयोतक उनदह िो मर धमय क परति ही

अन सथ थी व मझ अजञ न-कप म स उब र लन की आश रखि थ व मझ यह बि न च हि थ

तक दसर धमो म भल ही कछ सतय हो पर पणय सतयरप ईस ई धमय को सवीक र तकय तबन मोकष

ममल ही नही सकि ईस की मधयसथि क तबन प प धल ही नही सकि और स र पणयकमय

तनरथयक हो ज ि ह

मर भतवषय क ब र म मम बकर की मचनदि बढिी ज रही थी व मझ बसलिगटन कनदवनदशन

म ल गय

सममलन िीन ददन चल म सममलन म आन व लो की ध रमिकि को समझ सक उसकी

सर हन कर सक पर मझ अपन तवशव स म ndash अपन धमय म ndash पररवियन करन क क रण न

ममल मझ यह परिीति न हई तक ईस ई बनकर ही म सवगय ज सकि हा अथव मोकष प सकि

हा जब यह ब ि मन अपन भल ईस ई ममिो स कही िो उनको चोट िो पहाची पर म ल च र थ

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ईस की मतय स और उनक रि स सास र क प प धलि ह इस अकषरश सच म नन क

ततलए बजदध िय र नही होिी थी रपक क रप म उसम सतय च ह हो इसक अतिररि ईस इयो

क यह तवशव स ह तक मनषय क ही आतम ह दसर जीवो क नही और दह क न श क स थ उनक

सापणय न श हो ज ि ह जब तक मर तवशव स इसक तवरदध थ म ईस को एक तय गी मह तम

दवी ततशकषक क रप म सवीक र कर सकि थ पर उनदह अतदविीय परष क रप म सवीक र करन

मर ततलए शक य न थ ईस इयो क पतवि जीवन म मझ ऐसी कोई चीज नही ममली जो अनदय

धम यवलसतमबयो क जीवन म न ममली हो उनम होन व ल पररवियनो जस ही पररवियन मन दसरो क

जीवन म भी होि दख थ ततसदध नदि की दतषट स ईस ई ततसदध नदिो म मझ कोई अलौतककि नही

ददख ई पडी तय ग की दतषट स तहनदद धम यवलसतमबयो क तय ग मझ ऊा च म लम हआ म ईस ई

धमय को समपणय अथव सवोपरी धमय क रप म सवीक र न कर सक

पर जजस िरह म ईस ई धमय को सवीक र न कर सक उसी िरह तहनदद धमय की समपणयि

क तवषय म अथव उसकी सवोपररि क तवषय म भी म उस समय तनिय न कर सक तहनदद धमय

की िदटय ा मरी आाखो क स मन िर करिी थी यदद असपकयि तहनदद धमय क अाग ह िो वह

सड हआ और ब द म जड हआ अाग ज न पड अनक समपरद यो की अनक ज ि-प ािो की

हसिी को म समझ न सक अकल वदो क ईशवर-परणीि होन क अथय कय ह यदद वद ईशवर-

परणीि ह िो ब इबल और कर न कयो नही

मन अपनी कदठन इय ा र यचादभ ई क स मन रखी तहनदसि न क दसर धमयश सतसियो क

स थ भी पि-वयवह र शर तकय उनकी ओर स उिर भी ममल र यचादभ ई क पि स मझ बडी

श ाति ममली उनदहोन मझ धीरज रखन और तहनदद धमय क गहर अधययन करन की सल ह दी

उनक एक व कय क भ व थय यह थ ldquoतनषपकष भ व स तवच र करि हए मझ यह परिीति हई ह

तक तहनदद धमय म जो सकषम और गढ तवच र ह आतम क तनरीकषण ह दय ह वह दसर धमो म

नही हrdquo

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जजस िरह स खखसिी ममिो क मझ पर असर ड लन क परय स थ उसी िरह मसलम न

ममिो न भी परय स तकय अबलल सठ मझ इसल म क अधययन करन क ततलए ल ल तयि कर

रह थ

मन सल क कर न खरीद और पढन शर तकय कछ दसरी इसल मी पसिक भी पर पि

की तवल यि म ईस ई ममिो स पि-वयवह र शर तकय उनम स एक न एडवडय मटलणड स मर

पररचय कर य उनक स थ मर पि-वयवह र चलि रह उनदहोन एन हकिगसफडय क स थ ममलकर

परफकट व (उिम म गय) न मक पसिक ततलखी थी वह मझ पढन क ततलए भजी उसम परचततलि

ईस ई धमय क खणडन थ उनदहोन मर न म बाइबरल का िया अथड न मक पसिक भी भजी य

पसिक मझ पसनदद आयी इनस तहनदद मि की पतषट हई टोलसटोय की वकणठ िर हदय म ह

न मक पसिक न मझ अकषभभि कर ततलय मझ पर उसकी बहि गहरी छ प पडी

इस परक र मर अधययन मझ ऐसी ददश म ल गय जो ईस ई ममिो की इछछ क तवपरीि

थी

इस परक र यदयतप मन ईस ई ममिो की ध रण स कषभनद न म गय पकड ततलय थ तफर भी

उनक सम गम न मझम जो धमय-जजजञ स ज गरि की उसक ततलए िो म उनक सद क ततलए ॠणी

बन गय अपन यह साबाध मझ हमश य द रहग

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२३ नहनदसताननयो की परशानी का अधययन

नाताल म जो सथ न द द अबलल क थ तपरटोररय म वही सथ न सठ ियब ह जी ख नमहममद

क थ उनक तबन एक भी स वयजतनक क म चल नही सकि थ उनस मन पहल ही हफि म

ज न-पहच न कर ली मन उनदह बि य तक म तपरटोररय क परतयक तहनदसि नी क समपकय म आन

च हि हा मन तहनदसि तनयो की चसथति क अधययन करन की अपनी इछछ परकट की और इन

स र क मो म उनकी मदद च ही उनदहोन खशी स मदद दन क़बल तकय

मर पहल क़दम िो सब तहनदसि तनयो की एक सभ करक उनक स मन स री चसथति क

मचि खड कर दन थ

अनदि म मन यह सझ य तक एक मणडल की सथ पन करक तहनदसि तनयो क कषटो और

कदठन इयो क इल ज अमधक ररयो स ममलकर और अरजिय ा भजकर करन च तहए और यह

समचि तकय तक मझ जजिन समय ममलग उिन इस क म क ततलए म तबन विन क दाग

तनिय हआ तक ऐसी सभ हर महीन य हर हपि की ज य यह सभ नदयन मधक तनयममि

रप स होिी थी और उसम तवच रो क आद न-परद न होि रहि थ निीज यह हआ तक

तपरटोररय म श यद ही कोई ऐस तहनदसि नी रह होग जजस म पहच नन न लग होऊा अथव

जजसकी चसथति स म पररमचि न हो गय होऊा तहनदसि तनयो की चसथति क ऐस जञ न पर पि करन

क पररण म यह आय तक मझ तपरटोररय म रहन व ल तबरदटश एजणट स पररचय करन की इछछ

हई म मम जकोबस मड-वट स ममल उनकी सह नभति तहनदसि तनयो क स थ थी उनक परभ व

कम थ पर उनदहोन यथ समभव मदद करन और ममलन हो िब आकर ममल ज न क ततलए कह

रलव क अमधक ररयो स मन पि-वयवह र शर तकय और बिल य तक उनदही की क यदो क

अनस र तहनदसि तनयो को ऊा च दज म य ि करन स रोक नही ज सकि इसक पररण म-

सवरप यह पि ममल तक अछछ कपड पहन हए तहनदसि तनयो को ऊा च दज क दटकट ददय ज एाग

इसस परी सतवध नही ममली कयोतक अछछ कपड तकसन पहन ह इसक तनणयय िो सटशन-

म सटर को ही करन थ न

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तबरदटश एजणट न मझ तहनदसि तनयो क ब र म हए पि-वयवह र-साबाधी कई क ग़ज पढन

को ददय ियब सठ न भी ददय थ उनस मझ पि चल तक ओरनदज फरी सटट स तहनदसि तनयो को

तकस तनदययि क स थ तनक ल ब हर तकय गय थ स र ाश यह तक र नदसव ल और ओरनदज फरी

सटट क तहनदसि तनयो की आरथिक स म जजक और र जनीतिक चसथति क गहर अधययन म

तपरटोररय म कर सक इस अधययन क आग चलकर मर ततलए पर उपयोग होन व ल ह इसकी

मझ जर भी कलपन नही थी मझ िो एक स ल क अनदि म अथव मक़ददम पहल सम पि हो

ज ए िो उसस पहल ही सवदश लौट ज न थ

पर ईशवर न कछ और ही सोच रख थ

र नदसव ल और ओरनदज फरी सटट क तहनदसि तनयो की चसथति क पर मचि दन क यह

सथ न नही ह उसकी ज नक री च हन व ल को दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास पढन

च तहए

र नदसव ल म एक कड क़ नन बन उसक फलसवरप यह िय हआ तक हरएक

तहनदसि नी को परवश-फीस क रप म िीन पौड जम कर न च तहए उनक ततलए अलग छोडी गयी

जगह म ही व जमीन-म ततलक हो सकि थ पर वह ा भी उनदह वयवह र म जमीन क सव ममतव नही

ममल उनदह मि मधक र भी नही ददय गय थ य िो ख स एततशय व ततसयो क ततलए बन क़ नन थ

इसक अल व जो क़ नन क ल राग क लोगो को ल ग होि थ व भी एततशय व ततसयो पर ल ग होि

थ उनक अनस र तहनदसि नी लोग पटरी (फटप थ) ) पर अमधक र-पवयक चल नही सकि थ

और र ि नौ बज क ब द परव न क तबन ब हर नही तनकल सकि थ

म अकसर मम कोटस क स थ र ि को घमन ज य करि थ कभी-कभी घर पहाचन म

दस भी बज ज ि थ अिएव पततलस मझ पकड िो यह डर जजिन सवया मझ थ उसस अमधक

मम कोटस को थ अपन हचबशयो को िो व ही परव न दि थ लतकन मझ परव न कस द सकि

थ म ततलक अपन नौकर को ही परव न दन क अमधक री थ म लन च हा और मम कोटस दन

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को िय र हो ज एा िो भी वह नही ददय ज सकि थ कयोतक वस करन तवशव सघ ि म न

ज ि

इसततलए मम कोटस य उनक कोई ममि मझ वह ा क सरक री वकील डो कर उज क प स

ल गय हम दोनो एक ही इन क ब ररसटर तनकल उनदह यह ब ि असहय ज न पडी तक र ि नौ

बज क ब द ब हर तनकलन क ततलए मझ परव न लन च तहए उनदहोन मर परति सह नभति परकट

की मझ परव न दन क बदल उनदहोन अपनी िरफ स एक पि ददय उसक आशय यह थ तक

म च ह जजस समय च ह जह ा ज ऊा पततलस को उसम दखल नही दन च तहए म इस पि को

हमश अपन स थ रखकर घमन तनकलि थ कभी उसक उपयोग नही करन पड लतकन इस

िो कवल सायोग ही समझन च तहए

पटरी पर चलन क परशन मर ततलए कछ गाभीर पररण म व ल ततसदध हआ म हमश

परततसडणड सरीट क र सि एक खल मद न म घमन ज य करि थ इस महलल म परततसडणड करगर

क घर थ यह घर सब िरह क आडाबरो स रतहि थ इसक च रो ओर कोई अह ि भी नही

थ आसप स क दसर घरो म और इसम कोई फरक नही म लम होि थ घर क स मन पहर

दन व ल सािरी को दखकर ही पि चलि थ तक यह तकसी अमधक री क घर ह म पर यः हमश

ही इस ततसप ही क तबलकल प स स होकर तनकलि थ पर वह मझ कछ नही कहि थ ततसप ही

समय-समय पर बदल करि थ एक ब र एक ततसप ही न तबन चि य तबन पटरी पर स उिर

ज न को कह मझ धकक म र ल ि म री और नीच उि र ददय म िो गहर सोच म पड गय

ल ि म रन क क रण पछन स पहल ही मम कोटस न जो उसी समय घोड पर सव र होकर उधर

स गजर रह थ मझ पक र और कह

ldquoग ाधी मन सब दख ह आप मक़ददम चल न च ह िो म गव ही दाग मझ इस ब ि क

बहि खद ह तक आप पर इस िरह हमल तकय गय rdquo

मन कह ldquoइसम खद क कोई क रण नही ततसप ही बच र कय ज न उसक ततलए िो

क ल-क ल सब एक स ही ह वह हचबशयो को इसी िरह पटरी पर स उि रि होग इसततलए

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उसन मझ भी धकक म र मन िो तनयम ही बन ततलय ह तक मझ पर जो बीिगी उसक ततलए म

कभी अद लि म नही ज ऊा ग इसततलए मझ मक़ददम नही चल न हrdquo

ldquoयह िो आपन अपन सवभ व क अनरप ही ब ि कही ह पर आप इस पर तफर स

सोमचय ऐस आदमी को कछ सबक िो दन ही च तहएrdquo

इिन कहकर उनदहोन उस ततसप ही स ब ि की और उस उल हन ददय म स री ब ि िो

समझ नही सक ततसप ही डच थ और उसक स थ उनकी ब ि डच भ ष म हई ततसप ही न

मझस म फी म ागी म िो उस पहल ही म र कर चक थ

लतकन उस ददन स मन वह र सि छोड ददय दसर ततसप तहयो को इस घटन क क य

पि होग म खद होकर तफर ल ि तकसततलए ख ऊा इसततलए मन घमन ज न क ततलए दसर

र सि पसनदद कर ततलय

मन दख तक सव कषभम न की रकष च हन ldquoव ल तहनदसि तनयो क ततलए दकषकषण अफ़रीक

उपयि दश नही ह यह चसथति तकस िरह बदली ज सकिी ह इसक तवच र म मर मन

अमधक मधक वयसि रहन लग तकनदि अभी मर मखय धमय िो द द अबलल क मक़ददम को ही

समभ लन क थ

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२४ मक़ददम की तयारी

अनत म मन द द अबलल क कस म यह दख ततलय तक उनक पकष मजबि ह क़ नन को उनकी

मदद करनी ही च तहए

पर मन दख तक मक़ददम लडन म दोनो पकष जो आपस म ररकिद र ह और एक ही नगर

क तनव सी ह बरब द हो ज एाग कोई कह नही सकि थ तक मक़ददम क अनदि कब होग

अद लि म चलि रह िो उस जजिन च हो उिन लमब तकय ज सकि थ मक़ददम को लमब

करन म दो म स तकसी एक पकष क भी ल भ न होि इसततलए साभव हो िो दोनो पकष मक़ददम

क शीघर अनदि च हि थ

मन ियब सठ स तबनिी की झगड को आपस म ही तनबट लन की सल ह दी उनदह अपन

वकील स ममलन को कह यदद दोनो पकष अपन तवशव स क तकसी वयतति को पाच चन ल िो

म मल झटपट तनबट ज ए वकीलो क खचय इिन अमधक बढि ज रह थ तक उसम उनक

जस बड वय प री भी बरब द हो ज ि दोनो इिनी मचनदि क स थ मक़ददम लड रह थ तक एक

भी तनकषिनदि होकर दसर कोई क म नही कर सकि थ इस बीच आपस म बर भी बढि ही ज

रह थ मझ वकील क धाध स घण हो गयी वकील क न ि िो दोनो क वकीलो को अपन-अपन

मवचककल को जीिन क ततलए क़ नन की ग ततलय ा ही खोज कर दनी थी इस मक़ददम म पहल-

पहल मन यह ज न तक जीिन व ल को पर खचय कभी ममल ही नही सकि दसर पकष स तकिन

खचय वसल तकय ज सकि ह इसकी एक मय यद होिी ह जब तक मवचककल क खचय उसस

कही अमधक होि ह मझ यह सब असहय म लम हआ मन िो अनभव तकय तक मर धमय दोनो

की ममिि स धन और दोनो ररकिद रो म मल कर दन ह मन समझौि क ततलए जी-िोड महनि

की ियब सठ म न गय आखखर पाच तनयि हए उनक स मन मक़ददम चल मक़ददम म द द

अबलल जीि

पर इिन स मझ सािोष नही हआ यदद पाच क फसल पर अमल होि िो ियब ह जी

ख नमहममद इिन रपय एकस थ द ही नही सकि थ दकषकषण अफ़रीक म बस हए पोरबादर क

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ममनो म आपस क ऐस एक अततलखखि तनयम थ तक खद च ह मर ज एा पर ददव ल न तनक ल

ियब सठ सिीस हज र पौणड और मक़ददम क खचय एक मकि द ही नही सकि थ उनदह न िो

एक दमडी कम दनी थी और न ददव ल ही तनक लन थ र सि एक ही थ तक द द अबलल

उनदह क री लमबी मोहलि द द द अबलल न उद रि स क म ततलय और खब लमबी मोहलि

द दी पाच तनयि कर न म मझ जजिनी महनि पडी उसस अमधक महनि यह लमबी अवमध

तनकषिि कर न म पडी दोनो पकषो को परसनदनि हई दोनो की परतिषठ बढी मर सािोष की सीम

न रही म सछची वक लि सीख मनषय क अछछ पहल को खोजन सीख और मनषय-हदय म

परवश करन सीख मन दख तक वकील क कियवय दोनो पकषो क बीच खदी हई ख ई को प टन

ह इस ततशकष न मर मन म ऐसी जड जम यी तक बीस स ल की अपनी वक लि क मर अमधक ाश

समय अपन दफिर म बठकर सकडो अमलो को आपस म सलझ न म ही बीि उसम मन कछ

खोय नही यह भी नही कह ज सकि तक मन पस खोय आतम िो खोयी ही नही

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२५ को जान कल की

मक़ददम क खिम होन पर मर ततलए तपरटोररय म रहन क कोई क रण न रह म डरबन गय

वह ा पहाचकर मन तहनदसि न लौटन की िय री की अबलल सठ मझ तबन म न-समम न क ज न

द यह साभव न थ उनदहोन मर तनममि स ततसडनहम म एक स मतहक भोज क आयोजन तकय

पर ददन वही तबि न थ

मर प स कछ अखब र पड थ म उनदह पढ रह थ एक अखब र क एक कोन म मन एक

छोट -स साव द दख उसक शीषयक थ lsquoइचणडयन फर च इज य नी तहनदसि नी मि मधक र

इस साव द क आशय यह थ तक तहनदसि तनयो को न ि ल की ध र सभ क ततलए सदसय चनन

क जो अमधक र ह वह छीन ततलय ज एा ध र सभ म इसस समबनदध रखन व ल क़ नन पर बहस

चल रही थी म इस क़ नन स अपररमचि थ भोज म ससतममततलि सदसयो म स तकसीको भी

तहनदसि तनयो क अमधक र छीनन व ल इस तबल की कोई खबर न थी

मन अबलल सठ स पछ उनदहोन कह ldquoइन ब िो को हम कय ज न वय प र पर कोई

साकट आव िो हम उसक पि चलि हrdquo

तकनदि मझ िो व पस सवदश ज न थ इसततलए मन उपययि तवच रो को परकट नही तकय

मन अबलल सठ स कह लतकन अगर यह क़ नन इसी िरह प स हो गय िो आप सबको

बडी मतककल म ड ल दग यह िो तहनदसि तनयो की आब दी को ममट न क पहल क़दम ह

इसम हम र सव कषभम न की ह तन हrdquo

दसर महम न इस चच य को धय नपवयक सन रह थ उनम स एकन कह ldquoम आपस सच

ब ि कहा अगर आप इस सटीमर स न ज एा और एक ध महीन रक ज एा िो आप जजस िरह

कहग हम लडगrdquo

दसर सब एकस थ बोल उठ

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मन मन म लड ई की रपरख िय र कर ली मि मधक र तकिनो को पर पि ह सो ज न

ततलय और मन एक महीन रक ज न क तनिय तकय

इस परक र ईशवर न दकषकषण अफ़रीक म मर सथ यी तनव स की नीव ड ली और सव कषभम न

की लड ई क बीज रोप गय

पहल क म िो यह सोच गय तक ध र सभ क अधयकष को ऐस ि र भज ज य तक व

तबल पर अमधक तवच र करन मलिवी कर द इसी आशय क ि र मखयमािी (सर जोन रोतबनदसन)

को भी भज

सब ज नि थ तक यही निीज तनकलग पर कौम म नवजीवन क साच र हआ सब कोई

यह समझ तक हम एक कौम ह कवल वय प र समबनदधी अमधक रो क ततलए ही नही बचलक कौम

क अमधक रो क ततलए भी लडन हम सबक धमय ह

ध र सभ म भजन की अजी िय र की गई और भज दी गई तबल िो प स हो गय

उन ददनो लोडय ररपन उपतनवश-मािी थ उनदह एक बहि बडी अजी भजन क तनिय तकय

गय

अजी ततलखन म मन बहि महनि की जो स तहतय मझ ममल सो सब म

पढ गय

अजी पर दस हज र सतहय ा हई एक पखव ड म अजी भजन ल यक सतहय ा पर पि हो

गयी इिन समय म न ि ल म दस हज र सतहय ा पर पि की गयी इस प ठक छोटी-मोटी ब ि न

समझ सतहय ा समच न ि ल स पर पि करनी थी लोग ऐस क म स अपररमचि थ तनिय यह थ

तक सही करन व ल तकस ब ि पर सही कर रह ह इस जब िक वह समझ न ल िब िक सही

न ली ज य इसततलए ख स िौर पर सवयासवको को भजकर ही सतहय ा पर पि की ज सकिी थी

ग ाव दर-दर थ इसततलए अमधकिर क म करन व ल लगन स क म कर िभी ऐस क म शीघरि -

पवयक हो सकि थ ऐस ही हआ

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अजी गयी उसकी एक हज र परतिय ा छपव यी थी उस अजी क क रण तहनदसि न क

आम लोगो को न ि ल क पहली ब र पररचय हआ म जजिन अखब रो और स वयजतनक नि ओ

क न म ज नि थ उिनो को अजी की परतिय ा भजी

टाइमस ओफ इकषडया न उस पर अगरलख ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग क अछछ

समथयन तकय तवल यि म भी अजी की परतिय ा सब पकषो क नि ओ को भजी गयी थी वह ा

लनददन क टाइमस क समथयन पर पि हआ इसस आश बाधी तक तबल माजर न हो सकग

अब म न ि ल छोड सका ऐसी मरी चसथति नही रही लोगो न मझ च रो जरर स घर ततलय

और न ि ल म ही सथ यी रप स रहन क अतयनदि आगरह तकय और म न ि ल म ठहर गय

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२६ नाताल इननडयन काागरस

भारतीय मि मधक र परतिबाधक क़ नन क तवरदध कवल पर थयन -पि भजकर ही बठ नही ज

सकि थ उसक ब र म आनददोलन चलि रहन स ही उपतनवश-मािी पर उसक असर पड सकि

थ इसक ततलए एक सासथ की सथ पन करन आवकयक म लम हआ इस समबनदध म मन

अबलल सठ स सल ह की दसर स ततथयो स ममल और हमन एक स वयजतनक सासथ खडी करन

क तनिय तकय

सन १८९४ क मई म स की २२ ि रीख को न ि ल इतनदडयन क ागरस क जनदम हआ

न ि ल इचणडयन क ागरस म उपतनवशो म पद हए तहनदसि तनयो न परवश तकय थ और

महररिरो क सम ज उसम द खखल हआ थ तफर भी मजदरो न तगरममदटय सम ज क लोगो न

उसम परवश नही तकय थ क ागरस उनकी नही हई थी व उसम चनदद दकर और द खखल होकर

उस अपन नही सक थ उनक मन म क ागरस क परति परम िो िभी पद हो सकि थ जब क ागरस

उनकी सव कर ऐस परसाग अपन-आप आ गय और वह भी ऐस समय जब तक म सवया अथव

क ागरस उसक ततलए श यद ही िय र थी मझ वक लि शर तकय अभी मतककल स दो-च र महीन

हऐ थ क ागरस क भी बचपन थ इिन म एक ददन ब ल सनददरम न म क एक मर सी तहनदसि नी

ह थ म स फ ततलए रोि -रोि मर स मन आकर खड हो गय उसक कपड फट हए थ वह थर-

थर क ाप रह थ उसक माह स खन बह रह थ और उसक दो द ाि टट हए थ उसक म ततलक न

उस बरी िरह म र थ ि ममल समझन व ल अपन महररिर क दव र मन उसकी चसथति ज न ली

ब ल सनददरम एक परतिमषठि गोर क यह ा मजदरी करि थ म ततलक तकसी वजह स गसस हआ

होग उस होश न रह और उसन ब ल सनददरम की खब जमकर तपट ई की पररण म-सवरप

ब ल सनददरम क दो द ाि टट गय

मन उस डोकटर क यह ा भज उन ददनो गोर डोकटर ही ममलि थ मझ चोट-समबनदधी

परम ण-पि की आवकयकि थी उस पर पि करक म ब ल सनददरम को मजजसरट क प स ल गय

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वह ा ब ल सनददरम क शपथ-पि परसिि तकय उस पढकर मजजसरट म ततलक पर गसस हआ

उसन म ततलक क न म समन ज री करन क हकम ददय

मरी नीयि म ततलक को सज कर न की नही थी मझ िो ब ल सनददरम को उसक पाज स

छड न थ मन तगरममदटयो स साबाध रखन व ल क़ नन की छ नबीन कर ली यदद स ध रण

नौकर नौकरी छोडि िो म ततलक उसक खखल र दीव नी द व द यर कर सकि थ पर उस

रौजद री म नही ल ज सकि थ तगरममट म और स ध रण नौकरी म बहि फरक थ पर ख स

फरक यह थ तक अगर तगरममदटय म ततलक को छोड िो वह फौजद री गन ह म न ज ि थ

और उसक ततलए उस क़द भगिनी होिी थी इसीततलए सर तवततलयम तवलसन हणटर न इस चसथति

को लगभग गल मीकी-सी चसथति म न थ गल म की िरह तगरममदटय म ततलक की ममचलकयि

म न ज ि थ ब ल सनददरम को छड न क कवल दो उप य थ य िो तगरममदटयो क ततलए तनयि

अमधक री जो क़ नन की दतषट स उनक रकषक कह ज ि थ उसक तगरममट रद कर य दसर

क न म ततलखव द अथव म ततलक सवया उस छोडन को िय र हो ज य म म ततलक स ममल

उसस मन कह ldquoम आपको सज नही कर न च हि इस आदमी को सखि म र पडी ह सो िो

आप ज नि ही ह आप इसक तगरममट दसर क न म ततलख न को र जी हो ज एा िो मझ सनद िोष

होग rdquo म ततलक िो यही च हि थ तफर म रकषक स ममल उसन भी सहमि होन सवीक र

तकय पर शिय यह रखी तक म ब ल सनददरम क ततलए नय म ततलक खोज दा

मझ नय म ततलक की खोज करनी थी तहनदसि तनयो को तगरममदटय मजदर रखन की

इज जि नही थी म अभी कछ ही अागरजो को पहच नि थ उनम स एक को ममल उनदहोन

मझ पर महरब नी करक ब ल सनददरम को रखन माजर कर ततलय मन उनकी कप को स भ र

सवीक र तकय मजजसरट न म ततलक को अपर धी ठहर कर यह ततलख ददय तक उसन ब ल सनददरम

क तगरममट दसर क न म ततलख न सवीक र तकय ह

ब ल सनददरम क म मल की ब ि तगरममदटयो म च रो िरफ फल गयी और म उनक बनदध

म न ततलय गय मझ यह ब ि अछछी लगी मर दफिर म तगरममदटयो क ि ाि -स लग गय और

मझ उनक सख-ःख ज नन की बडी सतवध हो गयी

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ब ल सनददरम क म मल की भनक ठठ मर स पर नदि िक पहाची उस पर नदि क जजन-जजन

तहससो स लोग न ि ल क तगरममट म ज ि उनदह तगरममदटय ही इस म मल की ज नक री दि थ

वस यह म मल महततव क नही थ पर लोगो को यह ज नकर आननदद और आियय हआ तक उनक

ततलए परकट रप स क म करनव ल कोई आदमी तनकल आय ह इस ब ि स उनदह आशव सन

ममल

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२७ तीन पौणड का कर

लगभग १८६० म जब न ि ल म बस हए गोरो न दख तक वह ा ईख की फसल अछछी हो सकिी

ह िो उनदहोन मजदरो की खोज शर की मजदर न ममल िो न ईख पद हो सकिी थी और न

चीनी ही बन सकिी थी न ि ल क हबशी यह मजदरी नही कर सकि थ इसततलए न ि ल-तनव सी

गोरो न भ रि-सरक र क स थ तवच र-तवमशय करक तहनदसि नी मजदरो को न ि ल ज न दन की

अनमति पर पि की उनदह यह ल लच ददय गय तक प ाच स ल िक मजदरी करन क बाधन रहग

और प ाच स ल क ब द उनदह सविाि रीति स न ि ल म बसन की छट रहगी उनको जमीन क

म ततलक बनन क पर अमधक र भी ददय गय थ

तहनदसि नी मजदरो न यह ल भ आश स अमधक ददय स ग-सबजी खब बोयी तहनदसि न

की अनक उिम िरक ररय ा पद की जो स ग-सचबजय ा वह ा पहल स पद होिी थी उनक द म

ससि कर ददय तहनदसि न स आम ल कर लग य उसक उदयम ततसरय खिी ही नही रह गय पर

इसक स थ ही उनदहोन वय प र भी शर कर ददय घर बन न क ततलए जमीन खरीद ली और बहिर

लोग मजदर न रहकर अछछ जमीद र और मक न-म ततलक बन गय इस िरह मजदरो म स मक न-

म ततलक बन ज न व लो क पीछ-पीछ वह ा सविाि वय प री भी पहाच सव० सठ अबबकर आमद

उनम सबस पहल पहाचन व ल थ उनदहोन वह ा अपन क रोब र खब जम य

गोर वय प री चौक जब पहल-पहल उनदहोन तहनदसि नी मजदरो क सव गि तकय थ िब

उनदह उनकी वय प र करन की शतति क कोई अनदद ज न थ व तकस न क न ि सविाि रह इस

हद िक िो गोरो को उस समय कोई आपतति न थी पर वय प र म उनकी परतिदवजनददवि उनदह असहय

ज न पडी

तहनदसि तनयो क स थ उनक तवरोध क मल म यह चीज थी

उसम दसरी चीज और ममल गयी-य स री ब ि तवरोध को भडक न व ली ततसदध हई

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यह तवरोध पर पि मि मधक र को छीन लन क रप म और तगरममदटयो पर कर लग न क

क़ नन क रप म परकट हआ क़ नन क ब हर िो अनक परक र स उनदह परश न करन शर हो ही

चक थ

पहल सझ व िो यह थ तक तगरममट पर होन क कछ ददन पहल ही तहनदसि तनयो को

जबरदसिी व पस भज ददय ज ए ि तक उनक इकर रन म की मददि तहनद सि न म परी हो पर

इस सझ व को भ रि-सरक र म नन व ली नही थी इसततलए यह सझ व ददय गय तक

१ मजदरी क इकर र पर हो ज न पर तगरममदटय व पस तहनदसि न चल ज य अथव

२ हर दसर स ल नय तगरममट ततलखव य और उस ह लि म हर ब र उसक विन म कछ बढोिरी की ज य

३ अगर वह व पस न ज य और मजदरी क नय इकर रन म भी न ततलख िो हर स ल २५ पौणड क कर द

इन सझ वो क सवीक र कर न क ततलए सर हनरी बीनद स और मम मसन क डपयटशन

तहनदसि न भज गय िब लोडय एलतवन व इसरोय थ उनदहोन २५ पौणड क कर िो न माजर कर

ददय पर वस हरएक तहनदसि नी स ३ पौणड क कर लन की सवीकति द दी मझ उस समय ऐस

लग थ और अब िक लगि ह तक व इसरोय की यह गाभीर भल थी इस परक र पति-पतनी और

दो बछचोव ल कटगब स जजसम पति को अमधक स अमधक १४ ततशसलिग परतिम स ममलि हो १२

पौणड अथ यि १८० रपय क कर लन भ री जलम म न ज एग तनय म कही भी इस चसथति

क ग़रीब लोगो स ऐस भ री कर नही ततलय ज ि थ

इस करक तवरदध जोरो की लड ई मछडी कोई आव ज ही न उठ ई ज िी िो श यद

व इसरोय २५ पौणड भी माजर कर लि २५ पौणड क बदल ३ पौणड होन भी क ागरस क आनददोलन

क ही परि प हो यह परी िरह साभव ह पर इस कलपन म मरी भल हो सकिी ह समभव ह तक

भ रि-सरक र न २५ पौणड क परसि व को शर स ही असवीक र कर ददय हो और हो सकि ह

तक क ागरस क तवरोध न करन पर भी वह ३ पौणड क कर ही सवीक र करिी िो भी उसम

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तहनदसि न क तहि की ह तन िो थी ही तहनदसि न क तहि-रकषक क न ि ब इसरोय को ऐस

अम नषी कर कभी सवीक र नही करन च तहए थ

२५ स ३ पौणड (३७५ रपय स ४५ रपय) होन म क ागरस क य यश लिी उस िो यही

अखर तक वह तगरममदटयो क तहि की परी रकष न कर सकी और ३ पौणड क कर तकसी-न-

तकसी ददन हटन ही च तहए

अगर कौम ह र म नकर चप हो ज िी क ागरस लड ई को भल ज िी िथ कर को अतनव यय

म नकर शरण सवीक र कर लिी िो यह कर आज िक तगरममदटय हहिदी क प स स ततलय ज ि

होि इिन ही नही मगर इसकी न लशी सथ तनक हहिदीओ को िो होिी ही मगर मसि तहनदसि न

को भी इसक शमयन क असर होि

अब मर तनव स दकषकषण अफ़रीक क िीन स ल क िो हो चक थ लोगो को म भलीभ ाति

पहच नन लग थ िथ व भी मझ पहच न लि थ िथ १८९६ क स ल म छह म स क ततलए दश

ज न की इज जि च ही मन यह भी महसस तकय तक मझ दकषकषण अफ़रीक म रहन च तहए मरी

वक ल ि भी अछछी चल रही थी ऐस म न ज सकि ह स वयजतनक क यय म म उपचसथि रहा

ऐस लोग च हि थ इसी क रण स मन िय तकय तक पररव र क स थ म दकषकषण अफ़रीक म बस

ज ऊा इसी क रण म दश ज कर व पस ज न रसि म न दश म ज न स कछ स वयजतनक क यय

हो प यग ऐस मन म न दश म लोकमि बन कर उस समसय म उसक उपयोग करक इस ब ि

को जय द असरक रक बन ऊा ऐस महसस तकय

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भाग-५ हहिद की मलाकात

२८ नहनदसतान म

बमबई म रक तबन म सीध र जकोट गय और वह ा एक पतसिक ततलखन की िय री म लग

पतसिक ततलखन और छप न म लगभग एक महीन बीि गय उसक आवरण हर थ इसततलए

ब द म वह हरी पकषसिका क न म स परततसदध हई उसम दकषकषण अफ़रीक क तहनदसि तनयो की

चसथति क मचिण मन ज न-बझकर नरम भ ष म तकय थ

हरी पकषसिका की दस हज र परतिय ा छप यी थी और उनदह स र तहनदसि न क अखब रो

और सब पकषो क परततसदध लोगो को भज थ पायोकषियर म उस पर सबस पहल लख तनकल

उसक स र ाश तवल यि गय और उस स र ाश क स र ाश तफर र यटर क दव र न ि ल पहाच वह

ि र िो िीन पाततियो क थ न ि ल म तहनदसि तनयो क स थ होन व ल वयवह र क जो मचि मन

खीच थ उसक वह लघ सासकरण थ वह मर शबदो म नही थ उसक जो असर हआ उस

हम आग दखग धीर-धीर सब परमख पिो म इस परशन की तवसिि चच य हई

इस पतसिक को ड क स भजन क ततलए इसक पकट िय र कर न क क म मतककल थ

और पस दकर कर न खचील थ मन सरल यतति खोज ली महलल क सब लडको को मन

इकठठ तकय और उसन सबर क दो-िीन घणटो म स जजिन समय व द सक उिन दन क ततलए

कह लडको न इिनी सव करन खशी स सवीक र तकय अपनी िरफ स मन उनदह अपन प स

जम होन व ल क म म आय हए ड क क दटकट और आशीव यद दन क़बल तकय लडको न

हासि-खलि मर क म पर कर ददय इस परक र छोट बछचो को सवयासवक बन न क यह मर

पहल परयोग थ इन ब लको म स दो आज मर स थी ह

र जकोट म मर दकषकषण अफ़रीक क क म चल रह थ इसी बीच म बमबई हो आय

ख स-ख स शहरो म सभ य करक तवशष रप स लोकमि िय र करन क मर इर द थ इसी

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खय ल स म वह ा गय थ पहल म नदय यमरिि र नड स ममल उनदहोन मरी ब ि धय न स सनी और

मझ सर फीरोजश ह महि स ममलन की सल ह दी

म सर फीरोजश ह स ममल उनक िज स चक चौध हो ज न को िो म िय र थ ही उनक

ततलए परयि होन व ल तवशषणो को म सन चक थ मझ बमबई क शर और बमबई क बि ज

क ब दश ह स ममलन थ पर ब दश ह न मझ डर य नही तपि जजस परम स अपन नौजव न

बट स ममलि ह उसी िरह व मझस ममल

इस स री ब िचीि म मतककल स दो ममनट लग होग सर फीरोजश ह न मरी ब ि सन ली

नदय यमरिि र नड और ियबजी स ममल चकन की ब ि भी मन उनदह बिल दी उनदहोन कह

ldquoग ाधी िमह र ततलए मझ आम सभ करनी होगी मझ िमह री मदद करनी च तहएrdquo तफर अपन

माशी की ओर मड और उस सभ क ददन तनकषिि करन को कह ददन तनकषिि करक मझ तबद

तकय

फर मजी क वसजी इचनदसटटयट क हॉल म सभ थी मन सन रख थ तक जजस सभ म

सर फीरोजश ह बोलन व ल हो उस सभ म खड रहन को जगह नही ममलिी ऐसी सभ ओ म

तवदय थी-सम ज ख स रस लि थ

ऐसी सभ क मर यह पहल अनभव थ

सर फीरोजश ह को मर भ षण अछछ लग मझ गाग नह न-क -स सनदिोष हआ

सर फीरोजश ह महि न मर म गय सरल कर ददय थ बमबई स म पन गय मझ म लम

थ तक पन म दो दल थ मझ िो सबकी मदद की जररि थी म लोकम नदय तिलक स ममल

उनदहोन कह

ldquoसब पकषो की मदद लन क आपक तवच र तबलकल ठीक ह आपक म मल म कोई

मिभद हो ही नही सकि लतकन आपक ततलए िटसथ सभ पति च तहए आप परो भ णड रकर

स ममततलए व आजकल तकसी आनददोलन म ससतममततलि नही होि पर समभव ह तक इस क म क

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ततलए आग आ ज एा उनस ममलन क ब द मझ पररण म स समचि कीजजए म आपकी परी मदद

करन च हि हा आप परो गोखल स िो ममलग ही मर प स आप जब आन च ह तनःसाकोच

आइएrdquo

लोकम नदय क यह मर परथम दशयन थ म उनकी लोकतपरयि क क रण िरनदि समझ

गय

यह ा स म गोखल क प स गय फगययसन कोलज म थ मझस बड परम स ममल और मझ

अपन बन ततलय उनस भी मर यह पहल ही पररचय थ पर ऐस ज न पड म नो हम पहल

ममल चक हो सर फीरोजश ह मझ तहम लय-जस लोकम नदय समर-जस और गोखल गाग -जस

लग गाग म म नह सकि थ तहम लय पर चढ नही ज सकि थ समर म डबन क डर थ

गाग की गोद म िो खल ज सकि थ उसम डोतगय ा लकर सर की ज सकिी थी गोखल न

ब रीकी स मरी ज ाच की ndash उसी िरह जजस िरह सकल म भरिी होि समय तकसी तवदय थी की

की ज िी ह उनदहोन मझ बि य तक म तकस-तकस स और कस ममला और मर भ षण दखन को

म ाग मझ कोलज की वयवसथ ददख यी जब जररि हो िब तफर ममलन को कह डॉ०

भ णड रकर क जव ब की खबर दन को कह और मझ तबद तकय मरी खशी क कोई दठक न

नही रह

र मकषण भ णड रकर न मर वस ही सव गि तकय जस कोई ब प बट क करि ह

उनक यह ा गय िब पहरी क समय थ ऐस समय म भी म अपन क म कर रह थ वह चीज

ही उस उदयमी श सिजञ को पय री लगी और िटसथ सभ पति क ततलए मर आगरह की ब ि सनकर

lsquoदटस इट दटस इट (यह ठीक ह यह ठीक ह) क उद ग र उनक माह स सहज ही तनकल पड

तबन तकसी हो-हलल और आडमबर क एक स द मक न म पन की इस तवदव न और तय गी

मणडली न सभ की और मझ समपणय परोतस हन क स थ तबद तकय

वह ा स म मर स गय मर स िो प गल हो उठ ब ल सनददरम क तकसस क सभ पर

गहर असर पड मर ततलए मर भ षण अपकष कि लमब थ पर छप हआ थ पर सभ न

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उसक एक-एक शबद धय नपवयक सन सभ क अाि म उस हरी पकषसिका पर लोग टट पड

मर स म साशोधन और पररवधयन क स थ उसकी दसरी आवतति दस हज र की छप यी थी उसक

अमधक ाश तनकल गय

इिन म डरबन स ि र ममल ldquoप रलिय मणट जनवरी म बठगी जलदी लौदटय

द द अबलल न सवया करलणड न म क सटीमर खरीद ततलय थ उनदहोन उसम मझ

और मर पररव र को मफि ल ज न क आगरह तकय मन उस धनदयव द-सतहि सवीक र कर

ततलय और ददसमबर क आराभ म करलणड सटीमर स अपनी धमयपतनी दो लडको और अपन

सव० बहनोई क एकम ि लडक को लकर दसरी ब र दकषकषण अफ़रीक क ततलए रव न हआ इस

सटीमर क स थ ही दसर न दरी सटीमर भी डरबन क ततलए रव न हआ द द अबलल उसक

एजनदट थ दोनो सटीमरो म कल ममल कर क़रीब ८०० तहनदसि नी य िी रह होग उनम आध स

अमधक लोग र नदसव ल ज न व ल थ

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भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

२९ दकषिि अफ़रीका म आगमन और तफ़ान

अठारह ददसमबर क आसप स दोनो सटीमरो न लागर ड ल दकषकषण अफ़रीक क बनददरग हो म

य तियो क सव सरथय की परी ज ाच की ज िी ह यदद र सि म तकसीको कोई छिव ली बीम री हई

हो िो सटीमर को सिक म ndash कव रणटीन म ndash रख ज ि ह हम र बमबई छोडि समय वह ा पलग

की ततशक यि थी इसततलए हम इस ब ि क डर जरर थ तक सिक की कछ ब ध होगी

डोकटर आय ज ाच करक उनदहोन प ाच ददन क सिक घोतषि तकय कयोतक उनकी यह

ध रण थी तक पलग क कीट ण िईस ददन िक जजनदद रह सकि ह इसततलए उनदहोन ऐस आदश

ददय तक बमबई छोडन क ब द िईस ददन की अवमध परी होन िक सटीमरो को सिक म रख

ज ए

पर इस सिक की आजञ क हि कवल सव सरथय-रकष न थ डरबन क गोर न गररक हम

उलट परो लौट दन क जो आनददोलन कर रह थ वह भी इस आजञ क मल म एक क रण थ

द द अबलल की िरफ स हम शहर म चल रह इस आनददोलन की खबर ममलिी रहिी

थी गोर लोग एक क ब द दसरी तवर ट सभ य कर रह थ द द अबलल क न म धमतकय ा भजि

थ उनदह ल लच भी दि थ अगर द द अबलल दोनो सटीमरो को व पस ल ज एा िो गोर नक़स न

को भरप ई करन को िय र थ द द अबलल तकसी की धमकी स डरन व ल न थ इस समय

वह ा सठ अबल करीम ह जी आदम क न पर थ उनदहोन परतिजञ की थी तक तकिन ही नक़स न

कयो न उठ न पड व सटीमरो को बनददर पर ल एाग और य तियो को उि रग मर न म उनक तवसिि

पि बर बर आि रहि थ सौभ गय स इस समय सव० मनसखल ल हीर ल ल न जर मझस ममलन

क ततलए डरबन आ पहाच थ व होततशय र और बह र आदमी थ उनदहोन तहनदसि नी कौम को

नक सल ह दी मम ल टन वकील थ व भी वस ही बह र थ उनदहोन गोरो की करििो की तननदद

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की और इस अवसर पर कौम को जो सल ह दी वह ततसरय वकील क न ि पस लकर नही बचलक

एक सछच ममि क न ि दी

इस परक र डरबन म दवादव-यदध मछड गय एक ओर मटठीभर ग़रीब तहनदसि नी और उनक

इन-तगन अागरज ममि थ दसरी ओर धनबल परतिपकषकषयो को र जय क बल भी पर पि हो गय थ

कयोतक न ि ल की सरक र न खललमखलल उनकी मदद की थी मम हरी एसकमब न जो माति-

माडल म थ और उसक कि यधि य थ इन गोरो की सभ ओ म परकट रप स तहसस ततलय

य तियो क मनोराजन क ततलए सटीमर पर खलो क परबाध तकय गय थ म आनाद म

ससतममततलि हआ थ पर मर ददल िो डरबन म चल रही लड ई म ही लग हआ थ कयोतक इस

हमल म मधयतबनद म थ मझ पर दो आरोप थ

१ मन तहनदसि न म न ि ल-व सी गोरो की अनमचि तननद द की थी

२ म न ि ल को तहनदसि तनयो स भर दन च हि थ और इसततलए ख सकर न ि ल म

बस न क ततलए तहनदसि तनयो को करलणड और न दरी म भर ल य थ

मझ अपनी जजममद री क खय ल थ मर क रण द द अबलल भ री नक़स न म पड

गय थ य तियो क पर ण साकट म थ और अपन पररव र को स थ ल कर मन उस भी ःख म

ड ल ददय थ

पर म सवया तबलकल तनदोष थ मन तकसीको न ि ल आन क ततलए ललच य नही थ

न दरी क य तियो को म पहच नि भी न थ करलणड म अपन दो-िीन ररकिद रो को छोडकर

ब की क सकडो य तियो क न मध म िक म ज नि न थ मन तहनदसि न म न ि ल क अागरजो

क तवषय म ऐस एक भी शबद नही कह जो म न ि ल म कह न चक थ और जो कछ मन

कह थ उसक ततलए मर प स क री परम ण थ

अाि म िईस ददन क ब द सटीमरो को मतति ममली और य तिको को उिरन क आदश

ममल

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जह ज धकक पर लग य िी उिर पर मर ब र म मम एसकमब न कपि न स कहल य थ

ldquoग ाधी को और उनक पररव र को श म क समय उि ररयग उनक तवरदध गोर बहि उिजजि

हो गय ह और उनक पर ण साकट म ह पोटय सपररणटणडणट मम टटम उनदह श म को अपन स थ ल

ज एागrdquo

कपि न न मझ इस सनददश की खबर दी मन िदनस र चलन सवीक र तकय लतकन इस

सनददश को ममल आध घाट भी न हआ थ तक इिन म मम ल टन आय और कपि न स ममलकर

बोल ldquoयदद मम ग ाधी मर स थ चल िो म उनदह अपनी जजममद री पर ल ज न च हि हा सटीमर

क एजणट क वकील क न ि म आपस कहि हा तक मम ग ाधी क ब र म जो सनददश आपको ममल

ह उसक बनदधन स आप मि हrdquo इस परक र कपि न स ब िचीि करक व मर प स आय और

मझस कछ इस मिलब की ब ि कही ldquoआपको जीवन क डर न हो िो म च हि हा तक शरीमिी

ग ाधी और बछच ग डी म रसिमजी सठ क घर ज एा और आप िथ म आम र सि स पदल चल

मझ यह तबलकल अछछ नही लगि तक आप अाधर होन पर चपच प शहर म द खखल हो मर

खय ल ह तक आपक ब ल भी ब ाक न होग अब िो सब कछ श नदि ह गोर सब तििर-तबिर

हो गय ह पर कछ भी कयो न हो मरी र य ह तक आपको मछप िौर पर शहर म कभी न ज न

च तहएrdquo

म सहमि हो गय मरी धमयपतनी और बछच ग डी म बठकर रसिमजी सठ क घर सही-

सल मि पहाच गय कपि न की अनमति लकर म मम ल टन क स थ उिर रसिमजी सठ क

घर वह ा स लगअग दो मील दर थ

जस ही हम जह ज स उिर कछ लडको न मझ पहच न ततलय और व lsquoग ाधी ग ाधी

मचलल न लग िरनदि ही कछ लोग इकटठ हो गय और मचलल हट बढ गयी मम ल टन न दख तक

भीड बढ ज एगी इसततलए उनदहोन ररकश मागव य मझ उसम बठन कभी अछछ न लगि थ

उस पर सव र होन क मझ यह पहल ही अनभव होन ज रह थ पर लडक कयो बठन दि

उनदहोन ररकश व ल को धमक य और वह भ ग खड हआ

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हम आग बढ भीड भी बढिी गयी ख सी भीड जम हो गयी सबस पहल िो भीड व लो

न मझ मम ल टन स अलग कर ददय तफर मझ पर का करो और सड अणडो की वष य शर हई

तकसीन मरी पगडी उछ ल कर फ क दी तफर ल ि शर हई

मझ गश आ गय मन प स क घर की ज ली पकड ली और दम ततलय वह ा खड रहन

िो साभव ही न थ िम च पडन लग

इिन म पततलस अमधक री की सिी जो मझ पहच निी थी उस र सि स गजरी मझ दखि

ही वह मरी बगल म आकर खडी हो गयी और धप क न रहि भी उसन अपनी छिी खोल ली

इसस भीड कछ नरम पडी अब मझ पर परह र करन हो िो ममसज एलकजणडर को बच कर ही

तकय ज सकि थ

इस बीच मझ पर म र पडि दखकर कोई तहनदसि नी नौजव न पततलस थ न पर दौड गय

सपररणटणडणट एलकजणडर न एक टकडी मझ घर कर बच लन क ततलए भजी वह समय पर

पहाची मर र सि पततलस थ न क प स ही होकर ज ि थ सपररणटणडनदट न मझ थ न म आशरय

लन की सल ह दी मन इनक र तकय और कह ldquoजब लोगो को अपनी भल म लम हो ज एगी

िो व श नदि हो ज एाग मझ उनकी नदय यबजदध पर तवशव स हrdquo

पततलस क दसि क स थ म सही-सल मि प रसी रसिमजी क घर पहाच मरी पीठ पर

मछपी म र पडी थी एक जगह थोड खन तनकल आय थ सटीमर क डोकटर द द बरजोर वही

मौजद थ उनदहोन मरी अछछी सव -शशरष की

यो भीिर श ननदि थी पर ब हर गोरो न घर को घर ततलय थ श म हो चकी थी अाधर हो

चल थ ब हर हज रो लोग िीखी आव ज म शोर कर रह थ और ldquoग ाधी को हम सौप दोrdquo की

पक र मच रह थ पररचसथति क खय ल करक सपररणटणडणट एलकजणडर वह ा पहाच गय थ

और भीड को धमकी स नही बचलक उसक मन बहल कर वश म रख रह थ

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तफर भी व तनकषिनदि िो नही थ उनदहोन मझ इस आशय क सादश भज यदद आप अपन

ममि क मक न म ल-असब ब और अपन ब ल-बछचो को बच न च हि हो िो जजस िरह म कहा

उस िरह आपको इस घर स मछप िौर पर तनकल ज न च तहएrdquo

मन तहनदसि नी ततसप ही की वदी पहनी कभी ततसर पर म र पड िो उसस बचन क ततलए

म थ पर पीिल की एक िकिरी रखी और ऊपर स मर सी िजय क बड स फ ब ाध स थ म

खरीय पततलस क दो जव न थ उनम स एक न तहनदसि नी वय प री की पोश क पहनी और

अपन चहर तहनदसि नी की िरह राग ततलय दसर न कय पहन सो म भल गय हा हम बगल

की गली म होकर पडोस की एक क न म पहाच और गोद म म लगी हई बोरो की थनपपयो को

अाधर म ल ागि हए क न क दरव ज स भीड म घस कर आग तनकल गय गली क नककड पर

ग डी खडी थी उसम बठ कर मझ अब उसी थ न म ल गय जजसम आशरय लन की सल ह

सपररणटणडणट एलकजणडर न पहल दी थी मन सपररणटणडणट एलकजणडर को और खरीय

पततलस क अमधक ररयो को धनदयव द ददय

इस परक र जब एक िरफ स मझ ल ज य ज रह थ िब दसरी िरफ सपररणटणडणट

एलकजणडर भीड स ग न गव रह थ उस गीि क अनव द यह ह

चलो हम ग ाधी को फ ासी लटक द

इमली क उस पड पर फ ासी लटक द

जब सपररणटणडणट एलकजणडर को मर सही-सल मि थ न पर पहाच ज न की खबर ममली

िो उनदहोन भीड स कह ldquoआपक ततशक र िो इस क न म स सही-सल मि तनकल भ ग हrdquo

भीड म तकसीको गसस आय कोई हास बहिो न इस ब ि को म नन स इनक र तकय

इस पर सपररणटणडणट एलकजणडर न कह ldquoिो आप लोग अपन म स जजस तनयि कर

द उस म अनददर ल ज ऊा और वह िल श करक दख ल अगर आप ग ाधी को ढाढ तनक ल िो म

उस आपक हव ल कर दाग न ढाढ सक िो आपको तबखर ज न होग मझ यह तवशव स िो ह

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ही तक आप प रसी रसिमजी क मक न हरतगज नही जल यग और न ग ाधी क सिी-बछचो को

कषट पहाच यगrdquo

भीड न परतितनमध तनयि तकय उनदहोन िल श क ब द उस तनर श जनक सम च र सन य

सब सपररणटणडणट एलकजणडर की सझ-बझ और चिर ई की परशास करि हए पर मन-ही-मन

कछ गसस होि हए तबखर गय

उस समय क उपतनवश-मािी सव० मम चमबरलन न जो उस समय सासथ नो क परतितनमध

थ ि र दव र समचि तकय तक मझ पर हमल करन व लो पर मक़ददम चल य ज एा और मझ

नदय य ददल य ज ए मम एसकमब न मझ अपन प स बल य मझ पहाची हई चोट क ततलए खद

परकट करि हए उनदहोन कह ldquoआप यह िो म नग ही तक आपक ब ल भी ब ाक हो िो मझ उसस

कभी खशी नही हो सकिी आपन मम ल टन की सल ह म नकर िरनदि उिर ज न क स हस

तकय आपको ऐस करन क हक थ पर आपन मर सनददश को म न ततलय होि िो यह ःखद

घटन न घटिी अब अगर आप हमल करन व लो को पहच न सक िो म उनदह तगरफि र करव न

और उन पर मक़ददम चल न को िय र हा मम चमबरलन भी यही च हि हrdquo

मन जव ब ददय ldquoमझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह समभव ह हमल करन व लो

म स एक-दो को म पहच न ला पर उनदह सज ददल न स मझ कय ल भ होग तफर म हमल करन

व लो को दोषी भी नही म नि उनदह िो यह कह गय ह तक मन तहनदसि न म अतिशयोततिपणय

ब ि कहकर न ि ल क गोरो को बदन म तकय ह व इस ब ि को म नकर गसस हो िो इसम

आियय कय ह दोष िो बडो क और मझ कहन की इज जि द िो आपक म न ज न च तहए

आप लोगो को सही र सि ददख सकि थ पर आपन भी र यटर क ि र को ठीक म न और यह

कलपन कर ली तक मन अतिशयोतति की होगी मझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह जब

वसिचसथति परकट होगी और लोगो को पि चलग िो व खद पछि यगrdquo

ldquoिो आप मझ यह ब ि ततलखकर द दग मझ मम चमबरलन को इस आशय क ि र

भजन पडग म नही च हि तक आप जलदी म कछ ततलखकर द-द मरी इछछ य ह तक आप

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मम ल टन स और अपन दसर ममिो स सल ह करक जो उमचि ज न पड सो कर ह ा म यह

सवीक र करि हा तक यदद आप हमल करन व लो पर मक़ददम नही चल यग िो सब ओर श ाति

सथ तपि करन म मझ बहि मदद ममलगी और आपकी परतिषठ िो तनिय ही बढगीrdquo

मन जव ब ददय ldquoइस तवषय म मर तवच र पकक हो चक ह यह तनिय समजझय तक मझ

तकसी पर मक़ददम नही चल न ह इसततलए म आपको यही ततलखकर द दन च हि हाrdquo

यह कहकर मन आवकयक पि ततलखकर द ददय

जजस ददन म जह ज स उिर उसी ददन न ि ल एडवरट इजर न मक पि क परतितनमध

मझस ममल गय थ उसन मझ कई परशन पछ थ और उनक उिर म म परतयक आरोप क पर -

पर जव ब द सक थ सर फीरोजश ह महि क परि प स उस समय मन तहनदसि न म एक भी

भ षण तबन ततलख नही तकय थ अपन उन सब भ षणो और लखो क सागरह िो मर प स थ

ही मन वह सब उस ददय और ततसदध कर ददख य तक मन तहनदसि न म ऐसी एक भी ब ि नही

कही जो अमधक िीवर शबदो म दकषकषण अफ़रीक म न कही हो मन यह भी बि ददय तक करलषड

और न दरी क य तियो को ल न म मर ह थ तबलकल न थ उनम अमधकिर िो पर न ही थ

और बहिर न ि ल म रहन व ल नही थ बचलक र नदसव ल ज न व ल थ उन ददनो न ि ल म मनददी

थी र नदसव ल म बहि अमधक कम ई होिी थी इस क रण अमधकिर तहनदसि नी वही ज न

पसनदद करि थ

इस खल स क और हमल वरो पर मक़ददम द यर करन स मर इनक र करन क इिन

जय द असर पड तक गोर शरममनदद हए सम च रपिो न मझ तनदोष ततसदध तकय और हललड

करन व लो की तननद द की इस परक र पररण म म िो मझ ल भ ही हआ और मर ल भ मर क यय

क ही ल भ थ इसस भ रिीय सम ज की परतिषठ बढी और मर म गय अमधक सरल हो गय

िीन य च र ददन ब द म अपन घर गय और कछ ही ददनो म वयवचसथि रीति स अपन

क मक ज करन लग

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३० बचचो की शशिा और सवावशतत

सन १८९७ की जनवरी म म डरबन उिर िब मर स थ िीन ब लक थ मर भ नज लगभग

दस वषय की उमर क मर बड लडक नौ वषय क और दसर लडक प ाच वषय क इन सबको

कह ा पढ य ज एा

म अपन लडको को गोरो क ततलए चलन व ल सकलो म भज सकि थ पर वह कवल

महरब नी और अपव द-रप होि दसर सब तहनदसि नी ब लक वह ा पढ नही सकि थ

तहनदसि नी ब लको को पढ न क ततलए ईस ई ममशन क सकल थ पर उनम म अपन ब लको को

भजन क ततलए िय र न थ वह ा दी ज न व ली ततशकष मझ पसनदद न थी स री ततशकष अागरजी म

ही दी ज िी थी अथव बहि परयतन तकय ज ि िो अशदध ि ममल य तहनददी म दी ज सकिी

थी पर इन और ऐसी अनदय िदटयो को सहन करन मर ततलए समभव न थ

म सवया ब लको को पढ न क थोड परयतन करि थ

म उनदह दश भजन क ततलए िय र न थ उस समय भी मर यह खय ल थ तक छोट बछचो

को म ि -तपि स अलग नही रहन च तहए सवयवचसथि घर म ब लको को जो ततशकष सहज ही

ममल ज िी ह वह छ ि लयो म नही ममल सकिी अिएव अमधकिर व मर स थ ही रह

लडको को म सवया जजिन समय दन च हि थ उिन द नही सक इस क रण और

दसरी अतनव यय पररचसथतियो क क रण म अपनी इछछ क अनस र उनदह अकषर-जञ न नही द सक

इस तवषय म मर सब लडको को नदयन मधक म ि म मझस ततशक यि भी रही ह कयोतक जब-जब

व बी एrsquo एम ए और ldquoमदरकयलट क भी समपकय म आि िब सवया तकसी सकल म न पढ

सकन की कमी क अनभव करि थ

तिस पर भी मरी अपनी र य यह ह तक जो अनभव-जञ न उनदह ममल ह म ि -तपि क जो

सहव स व पर पि कर सक ह सविािि क जो पद थयप ठ नह सीखन को ममल ह वह सब उनदह

न ममलि यदद मन उनको च ह जजस िरह सकल भजन क आगरह रख होि

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व ब लक और मर लडक आज सम न अवसथ क ह म नही म नि तक मनषयि म मर

लडको स आग बढ हए ह अथव उनस मर लडक कछ अमधक सीख सकि ह

तफर भी मर परयोग क अननदिम पररण म िो भतवषय ही बि सकि ह यह ा इस तवषय

की चच य करन क हि िो यह ह तक मनषय-ज ति की उतकर ाति अधययन करन व ल लोग गह-

ततशकष और सकली ततशकष क भद क और म ि -तपि दव र अपन जीवन म तकय हए पररवियनो क

उनक ब लको पर जो परभ व पडि ह उसक कछ अाद ज लग सक

मन सव कषभम न क तय ग तकय होि दसर भ रिीय ब लक जजस न प सक उसकी अपन

ब लको क ततलए इछछ न रखन क तवच र क पोषण न तकय होि िो म अपन ब लको को अकषर-

जञ न अवकय द सकि थ तकनदि उस दश म सविािि और सव कषभम न क जो पद थय-प ठ व

सीख वह न सीख प ि और जह ा सविािि िथ अकषर-जञ न क बीच ही चन व करन हो वह ा

कौन कहग तक सविािि अकषर-जञ न स हज र गनी अमधक अछछी नही ह

सन १९२० म जजन नौजव नो को मन सविािि -घ िक सकलो और कोलजो को छोडन क

ततलए आमातिि तकय थ और जजनस मन कह थ तक सविािि क ततलए तनरकषर रहकर आम र सि

पर तगटटी फोडन गल मी म रहकर अकषर-जञ न पर पि करन स कही अछछ ह व अब मर कथन क

ममय को कद मचि समझ सक ग

मन म हमश यह तवच र बन रहि तक सव -शशरष क ऐस कछ क म म हमश करि

रहा िो तकिन अछछ हो डोकटर बथ सणट एडमस ममशन क मखखय थ व हमश अपन प स

आन व लो को मफि दव ददय करि थ बहि भल और दय ल आदमी थ प रसी रसिमजी की

द नशीलि क क रण डो बथ की दखरख म एक बहि छोट असपि ल खल मरी परबल इछछ

हई तक म इस असपि ल म नसय क क म करा

इस क म स म खी-ददी तहनदसि तनयो क तनकट समपकय म आय उनम स अमधक ाश

ि ममल िलग अथव उिर तहनदसि न क तगरममदटय होि थ

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यह अनभव मर ततलए भतवषय म बहि उपयोगी ततसदध हआ बौअर यदध क समय घ यलो

की सव -शशरष क क म म और दसर बीम रो की पररचय य म मझ इसस बडी मदद ममली

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३१ सादगी

धोबी क खचय भी जय द म लम हआ इसक अल व धोबी तनकषिि समय पर कपड नही लौट ि

थ इसततलए दो-िीन दजयन क़मीजो और उिन ही क लरो स भी मर क म चल नही प ि थ

क लर म रोज बदलि थ क़मीज रोज नही िो एक ददन क अनदिर स बदलि थ इसस दोहर

खचय होि थ मझ यह वयथय परिीि हआ अिएव मन धल ई क स म न जट य धल ई-कल

पर पसिक पढी और धोन सीख पतनी को भी ततसख य क म क कछ बोझ ि बढ ही पर

नय क म होन स उस करन म आननदद आि थ

पहली ब र अपन ह थो धोय हए क लर को िो म कभी भल नही सकि उसम कलफ

अमधक लग गय थ और इसिरी परी गरम नही थी तिस पर क लर क जल ज न क डर स इसिरी

को मन अछछी िरह दब य भी नही थ इसस क लर म कड पन िो आ गय पर उसम स कलफ

झडि रहि थ ऐसी ह लि म म कोटय गय और वह ा ब ररसटरो क ततलए मज क क स धन बन

गय पर इस िरह क मज क सह लन की शतति उस समय भी मझ म क री थी

मन सर ई दि हए कह ldquoअपन ह थो क लर धोन क मर यह पहल परयोग ह इस

क रण इसम स कलफ झडि ह मझ इसस कोई अडचन नही होिी तिस पर आप सब लोगो

क ततलए तवनोद की इिनी स मगरी जट रह हा सो घ ि म

एक ममि न पछ ldquoपर कय धोतबयो क अक ल पड गय हrdquo

ldquoयह ा धोबी क खचय मझ िो असहय म लम होि ह क लर की कीमि क बर बर धल ई

हो ज िी ह और इिनी धल ई दन क ब द भी धोबी की गल गी करनी पडिी ह इसकी अपकष

अपन ह थ स धोन म जय द पसनदद करि हा

जजस िरह म धोबी की गल मी स छट उसी िरह न ई की गल मी स भी छटन क अवसर

आ गय हज मि िो तवल यि ज न व ल सब कोई ह थ स बन न सीख ही लि ह पर कोई ब ल

छ ाटन भी सीखि होग इसक मझ खय ल नही ह एक ब र तपरटोररय म म एक अागरज हजज म

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की क न पर पहाच उसन मरी हज मि बन न स स र इनक र कर ददय और इनक र करि हए

जो तिरसक र परकट तकय सो घ ि म रह मझ ःख हआ म ब ज र पहाच मन ब ल क टन

की मशीन खरीदी और आईन क स मन खड रहकर ब ल क ट ब ल जस-िस कट िो गय पर

पीछ क ब ल क टन म बडी कदठन ई हई सीध िो व कट ही न प य कोटय म खब कहकह लग

िमह र ब ल ऐस कयो हो गय ह ततसर पर चह िो नही चढ गय थrdquo

मन कह ldquoजी नही मर क ल ततसर को गोर हजज म कस छ सकि ह इसततलए कस भी

कयो न हो अपन ह थ स क ट हए ब ल मझ अमधक तपरय हrdquo

इस उिर स ममिो को आियय नही हआ असल म उस हजज म क कोई दोष न थ अगर

वह क ली चमडी व लो क ब ल क टन लगि िो उसकी रोजी म री ज िी हम भी अपन अछिो

क ब ल ऊा ची ज ति क तहनदओ क हजज मो को कह ा क टन दि ह दकषकषण अफ़रीक म मझ

इसक बदल एक नही अनको ब र ममल ह और चातक म यह म नि थ तक यह हम र दोष क

पररण म ह इसततलए मझ इस ब ि स कभी गसस नही आय

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३२ एक पणयसमरि और परायकषितत

मर जीवन म ऐसी घटन य घटिी ही रही ह जजनक क रण म अनक धम यवलसतमबयो क और अनक

ज तियो क ग ढ पररचय म आ सक हा इन सबक अनभवो क आध र पर यह कह ज सकि

ह तक मन अपन और पर य दशी और तवदशी गोर और क ल तहनद और मसलम न अथव ईस ई

प रसी य यहदी क बीच कोई भद नही तकय म कह सकि हा तक मर हदय ऐस भद को पहच न

ही न सक अपन साबाध म म इस चीज को गण नही म नि कयोतक यह मर सवभ व म ही ह

जब म डरबन म वक लि करि थ िब अकसर मर महररिर मर स थ रहि थ उनम तहनदद

और ईस ई थ अथव पर नदि की दतषट स कहा िो गजर िी और मर सी थ मझ समरण नही ह तक

उनक ब र म मर मन म कभी भदभ व पद हआ हो म उनदह अपन कटमबी म नि थ और यदद

पतनी की ओर स इसम कोई ब ध आिी िो म उसस लडि थ एक महररिर ईस ई थ उसक

म ि -तपि पाचम ज ति क थ हम र घर की बन वट पकषिमी ढब की थी उसम कमरो क अनददर

मोररय ा नही होिी ndash म म नि हा तक होनी भी नही च तहए ndash इसस हरएक कमर म मोरी की

जगह पश ब क ततलए ख स बरिन रख ज ि ह उस उठ न क क म नौकर क न थ बचलक हम

पति-पतनी क थ जो महररिर अपन को घरक -स म नन लगि व िो अपन बरिन खद उठ ि

भी थ यह पाचम क ल म उतपनदन महररिर नय थ उसक बरिन हम ही उठ न च तहए थ

कसिरब ई दसर बरिन िो उठ िी थी पर इस बरिन को उठ न उस असहय लग इसस हम र

बीच कलह हआ मर उठ न उसस सह न ज ि थ और खद उठ न उस भ री हो गय थ

आाखो स मोिी की बाद टपक िी ह थ म बरिन उठ िी और अपनी ल ल आाखो स मझ उल हन

दकर सीदढय ा उिरिी हई कसिरब ई क मचि म आज भी खीच सकि हा

पर म िो जजिन परमी उिन ही करर पति थ म अपन को उसक ततशकषक भी म नि थ

इस क रण अपन अाध परम क वश होकर उस खब सि ि थ

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यो उसक ततसरय बरिन उठ कर ल ज न स मझ सािोष न हआ मझ सािोष िभी होि जब

वह उस हासि माह ल ज िी इसततलए मन दो ब ि ऊा ची आव ज म कही म बडबड उठ ldquoयह

कलह मर घर म नही चलग rdquo

यह वचन कसिरब ई को िीर की िरह चभ गय

वह भडक उठी ldquoिो अपन घर अपन प स रखो म यह चलीrdquo

म उस समय भगव न को भल बठ थ मझम दय क लश भी नही रह गय थ मन

उसक ह थ पकड सीदढयो क स मन ही ब हर तनकलन क दरव ज थ म उस असह य अबल

को पकडकर दरव ज िक खीच ल गय दरव ज आध खोल

कसिरब ई की आाखो स गाग -यमन बह रही थी वह बोली

ldquoिमह िो शरम नही ह लतकन मझ ह जर िो शरम ओ म ब हर तनकलकर कह ा ज

सकिी हा यह ा मर म ा-ब प नही ह तक उनक घर चली ज ऊा म िमह री पतनी हा इसततलए मझ

िमह री ड ाट-फटक र सहनी ही होगी अब शरम ओ और दरव ज बनदद करो कोई दखग िो दो

म स एक की भी शोभ नही रहगीrdquo

मन माह िो ल ल रख पर शरममनदद जरर हआ दरव ज बनदद कर ददय यदद पतनी मझ

छोड नही सकिी थी िो म भी उस छोडकर कह ा ज सकि थ हम र बीच झगड िो बहि हए

ह पर पररण म सद शभ ही रह ह पतनी न अपनी अदभि सहनशतति दव र तवजय पर पि की ह

म यह वणयन आज िटसथ भ व स कर सकि हा कयोतक यह घटन हम र बीि यग की ह

आज म मोह नदध पति नही हा ततशकषक नही हा कसिरब ई च ह िो मझ आज धमक सकिी ह

आज हम परख हए ममि ह एक-दसर क परति तनरविक र बनकर रहि ह

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३३ बोअर-यदध

सन १८९७ स १८९९ क बीच क अपन जीवन क दसर अनक अनभवो को छोडकर अब म

बोअर-यदध पर आि हा जब यह यदध हआ िब मरी अपनी सह नभति कवल बोअरो की िरफ

ही थी पर म म नि थ तक ऐस म मलो म वयततिगि तवच रो क अनस र क म करन क अमधक र

मझ अभी पर पि नही हआ ह इस साबाध क मनदथन-मचनदिन क सकषम तनरीकषण मन दकषिण अफ़रीका

क सतयागरह क इतिह स म तकय ह इसततलए यह ा नही करन च हि जजजञ सओ को मरी सल ह

ह तक व उस इतिह स को पढ ज एा यह ा िो इिन ही कहन क री होग तक तबरदटश र जय क

परति मरी वर द री मझ उस यदध म ससतममततलि होन क ततलए जबरदसिी घसीट ल गयी मन अनभव

तकय तक जब म तबरदटश परज जन क न ि अमधक र म ाग रह हा िो उसी न ि तबरदटश र जय की

रकष म ह थ बाट न भी मर धमय ह उस समय मरी यह र य थी तक तहनदसि न की समपणय उनदनति

तबरदटश स मर जय क अनददर रहकर हो सकिी ह

अिएव जजिन स थी ममल उिनो को लकर और अनक कदठन इय ा सहकर हमन घ यलो

की सव -शशरष करन व ली एक टकडी खडी की अब िक स ध रणिय यह ा क अागरजो की

यही ध रण थी तक तहनदसि नी साकट क क मो म नही पडि उनदह सव थय क अतिररि और कछ

नही सझि इसततलए कई अागरज ममिो न मझ तनर श करन व ल उिर ददय थ अकल डोकटर

बथ न मझ बहि परोतस तहि तकय उनदहोन हम घ यल योदध ओ की स र-साभ ल करन ततसख य

अपनी योगयि क तवषय म हमन डोकटरी परम णपि पर पि तकय मम ल टन और सव० मम एसकमब

न भी हम र इस क यय को पसनदद तकय अनदि म लड ई क समय सव करन दन क ततलए हमन

सरक र स तबनिी की

हम री इस टकडी म लगभग गय रह सौ आदमी थ उनम क़रीब च लीस मखखय थ दसर

कोई िीन सौ सविाि तहनदसि नी भी रागरटो म भरिी हए थ ब की क तगरममदटय थ डो बथ

भी हम र स थ थ उस टकडी न अछछ क म तकय यदयतप उस गोल -ब रद की हद क ब हर

ही क म करन होि थ और lsquoरड करोसrsquo१० क सारकषण पर पि थ तफर भी साकट क समय गोल -

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ब रद की सीम क अनददर क म करन क अवसर भी हम ममल ऐस साकट म न पडन क इकर र

सरक र न अपनी इछछ स हम र स थ तकय थ पर तसपय ाकोप की ह र क ब द ह लि बदल

गयी इसततलए जनरल बलर न यह सादश भज तक यदयतप आप लोग जोखखम उठ न क ततलए

वचन-बदध नही ह िो भी यदद आप जोखखम उठ कर घ यल ततसप तहयो और अरसरो को रणकषि

स उठ कर और डोततलयो म ड लकर ल ज न को िय र हो ज एाग िो सरक र आपक उपक र

म नगी हम िो जोखखम उठ न को िय र ही थ अिएव तसपय ाकोप की लड ई क ब द हम गोल -

ब रद की सीम क अनददर क म करन लग

इन ददनो सबको कई ब र ददन म बीस-पचीस मील की माजजल िय करनी पडिी थी और

एक ब र िो घ यलो को डोली म ड लकर इिन मील चलन पड थ जजन घ यल योदध ओ को

हम इस परक र उठ कर ल ज न पड उनम जनरल वडगट बगर भी थ

छह हफिो क ब द हम री टकडी को तबद दी गयी

हम र छोट-स क म की उस समय िो बडी सिति हई इसस तहनदसि तनयो की परतिषठ

बढी वह ा क सम च रपिो म सिति क वय ततलख गय उसकी धरव पातति यह थी ldquoआखखरक र िो

हम सभी एक ही र जय क ब लबछच हrdquo आखखर तहनदसि नी स मर जय क ब ररस िो ह हीrsquo

जनरल बलर न अपन खरीि म हम री टकडी क क म की ि रीर की मखखयो को यदध क पदक

भी ममल

इसस तहनदसि नी कौम अमधक सागदठि हो गयी म तगरममदटय तहनद सि तनयो क बहि

अमधक समपकय म आ सक उनम अमधक ज गति आयी और तहनदद मसलम न ईस ई मर सी

गजर िी ततसनद धी सब तहनदसि नी ह यह भ वन अमधक दढ हई सबन म न तक अब तहनदसि तनयो

क ःख दर होन ही च तहए उस समय िो गोरो क वयवह र म भी सपषट पररवियन ददख यी ददय

लड ई म गोरो क स थ जो समपकय हआ वह मधर थ हम हज रो टोममयोrsquo क स थ रहन

क मौक़ ममल व हम र स थ ममिि क वयवह र करि थ और यह ज नकर तक हम उनकी

सव क ततलए आय ह हम र उपक र म नि थ

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ःख क समय मनषय क सवभ व तकस िरह तपघलि ह इसक एक मधर सासमरण यह ा

ददए तबन म रह नही सकि हम चीवली छ वनी की िरफ ज रह थ यह वही कषि थ जह ा

लोडय रोबटयस क पि लचटटनणट रोबटयस को पर णघ िक चोट लगी थी लचटटनणट रोबटयस क शब

को ल ज न क समम न हम री टकडी को ममल थ अगल ददन धप िज थी हम कच कर रह

थ सब पय स थ प नी पीन क ततलए र सि म एक छोट -स झरन पड पहल प नी कौन पीय

मन सोच तक पहल टोगी प नी पी ल ब द म हम तपयग पर टोममयो न हम दखकर िरनदि हमस

प नी पी लन क आगरह शर तकय और इस िरह बडी दर िक हम र बीच आप पहल हम

पीछ क मीठ झगड चलि रह

__________________________

१० lsquoरड करोस क अथय ह ल ल सवतसिक यदध म शशरष क क म करन व लो क ब य ह थ पर इस मचहनव ली

पटटी ब ाधी ज िी ह तनयम यह ह तक शि भी उनदह चोट नही पहाच सकि अमधक तववरण क ततलए दखखय

दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास ndash भ ग ndash १ परकरण ९

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३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन

समाज क एक भी अाग क तनरपयोगी रहन मझ हमश अखर ह जनि क दोष मछप कर

उसक बच व करन अथव दोष दर तकय तबन अमधक र पर पि करन मझ हमश अरमचकर लग

ह इसततलए दकषकषण अफ़रीक म रहन व ल तहनदसि तनयो पर लग य ज न व ल एक आरोप क

जजसम कछ िरथय थ इल ज करन क क म मन वह ा क अपन तनव सक ल म ही सोच ततलय थ

तहनदसि तनयो पर जब-िब यह आरोप लग य ज ि थ तक व अपन घर-ब र स र नही रखि

और बहि गनदद रहि ह इस आरोप को तनःशष करन क ततलए आरमभ म तहनदसि तनयो क मखखय

म न ज न व ल लोगो क घरो म िो सध र आरमभ हो ही चक थ पर घर-घर घमन क ततसलततसल

िब शर हआ जब डरबन म पलग क परकोप क डर पद हआ इसम मयतनततसपततलटी क

अमधक ररयो क भी सहयोग और सममति थी हम री सह यि ममलन स उनक क म हलक हो

गय और तहनदसि तनयो को कम कषट उठ न पड

मझ कछ कडव अनभव भी हए मन दख तक सथ नीय सरक र स अमधक रो की म ाग

करन म जजिनी सरलि स म अपन सम ज की सह यि प सकि थ उिनी सरलि स लोगो

स उनक कियवय क प लन कर न क क म म सह यि पर पि न कर सक कछ जगहो पर मर

अपम न तकय ज ि कछ जगहो पर तवनय-पवयक उपकष क पररचय ददय ज ि गनददगी स र

करन क ततलए कषट उठ न उनदह बहि अखरि थ िब जस खचय करन की िो ब ि ही कय

लोगो स कछ भी क म कर न हो िो धीरज रखन च तहए यह प ठ मन अछछी िरह सीख ततलय

सध र की ग़रज िो सध रक की अपनी होिी ह जजस सम ज म वह सध र कर न च हि ह

उसस िो उस तवरोध तिरसक र और पर णो क साकट की भी आश रखनी च तहए सध रक जजस

सध र म नि ह सम ज उस तबग ड क यो न म न

इस आनददोलन क पररण म यह हआ तक भ रिीय सम ज म घर-ब र स र रखन क महततव

को नदयन मधक म ि म सवीक र कर ततलय गय अमधक ररयो की दतषट म मरी स ख बढी व समझ

गय तक मर धनद ध कवल ततशक यि करन य अमधक र म ागन क ही नही ह बचलक ततशक यि

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करन य अमधक र म ागन म म जजिन ितपर हा उिन ही उतस ह और दढि भीिरी सध र क

ततलए भी मझ म ह

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३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद

लडाई क क म स मि होन क ब द मन अनभव तकय तक अब मर क म दकषकषण अफ़रीक म

नही बचलक तहनदसि न म ह मन दख तक दकषकषण अफ़रीक म बठ -बठ म कछ सव िो अवकय

कर सका ग

मझ भी लग तक दश ज न स मर उपयोग अमधक हो सकग

मन स ततथयो क स मन मि होन की इछछ परकट की बडी कदठन ई स एक शिय क स थ

वह सवीकि हई शिय यह थी तक यदद एक वषय क अनददर कौम को मरी आवकयकि म लम हई

िो मझ व पस दकषकषण अफ़रीक पहाचन होग मझ यह शिय कडी लगी पर म परमप श म बाध

हआ थ

जगह-जगह म नपि समपयण की सभ य हई और हर जगह स कीमिी भट ममली

भटो म सोनच ादी की चीज िो थी ही पर हीर की चीज भी थी

इन सब चीजो को सवीक र करन क मझ कय अमधक र थ यदद म उनदह सवीक र करि

िो अपन मन को यह कस समझ ि तक कौम की सव म पस लकर नही करि इन भटो म स

मवचककलो की दी हई थोडी चीजो को छोड द िो ब की सब मरी स वयजतनक सव क तनममि स

ही ममली थी तफर मर मन िो मवचककलो और दसर स ततथयो क बीच कोई भद नही थ ख स-

ख स सभी मवचककल स वयजतनक क मो म भी मदद दन व ल थ

स थ ही इन भटो म पच स तगसतनदनयो क एक ह र कसिरब ई क ततलए थ पर वह वसि

भी मरी सव क क रण ही ममली थी इसततलए वह दसरी भटो स अलग नही की ज सकिी थी

जजस श म को इनम स मखय भट ममली थी वह र ि मन प गल की िरह ज गकर तबि यी

म अपन कमर म चककर क टि रह पर उलझन तकसी िरह सलझिी न थी सकडो की कीमि

क उपह रो को छोडन कदठन म लम होि थ रखन उसस भी अमधक कदठन लगि थ

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मन परशन करि म श यद भटो को पच प ऊा पर मर बछचो क कय होग सिी क कय

होग उनदह ततशकष िो सव की ममलिी थी उनदह हमश समझ य ज ि थ तक सव क द म नही

ततलए ज सकि म घर म कीमिी गहन बगर रखि नही थ स दगी बढिी ज रही थी ऐसी

चसथति म सोन की घमडयो क उपयोग कौन करि सोन की जाजीर और हीर की अागदठय ा कौन

पहनि म उस समय भी गहनो-ग ाठो क मोह छोडन क उपदश औरो को ददय करि थ अब

इन गहनो और जव हर ि क म कय करि

म इस तनणयय पर पहाच तक मझ य चीज रखनी ही नही च तहए प रसी रसिमजी आदद

को इन गहनो क रसटी तनयि करक उनक न म ततलख ज न व ल पि क मसतवद मन िय र

तकय और सबर सिी-पि दद स सल ह करक अपन बोझ हलक करन क तनिय तकय

म यह ज नि थ तक धमयपतनी को समझ न कदठन होग बछचो को समझ न म जर भी

कदठन ई नही होगी इसक मझ तवशव स थ अिः उनदह इस म मल म वकील बन न क मन तनिय

तकय

लडक िो िरनदि समझ गय उनदहोन कह ldquoहम इन गहनो की आवकयकि नही ह हम य

सब लौट ही दन च तहए और जीवन म कभी हम इन वसिओ की आवकयकि हई िो कय हम

सवया न खरीद सक गrdquo ऐस उनक कहन थ

म खश हआ मन पछ ldquoिो िम अपनी म ा को समझ ओग नrdquo

ldquoजरर जरर यह क म हम र समजझय उस कौन य गहन पहनन ह वह िो हम र ततलए

ही रखन च हिी ह हम उनकी जररि नही ह तफर वह हठ कयो करगीrdquo

पर क म जजिन सोच थ उसस अमधक कदठन ततसदध हआ

ldquoभल आपको जररि न हो और आपक लडको को भी न हो बछचो को िो जजस र सि

लग दो उसी र सि व लग ज ि ह भल मझ न पहनन द पर मरी बहओ क कय होग उनक

िो य चीज क म आयगी न और कौन ज नि ह कल कय होग इिन परम स दी गयी चीज

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व पस नही की ज सकिीrdquo पतनी की व गध र चली और उसक स थ अशरध र ममल गयी बछच

दढ रह मझ िो मडगन थ ही नही

मन धीर स कह ldquoलडको क बय ह िो होन दो हम कौन उनदह बचपन म बय हन ह

बड होन पर िो य सवया ही जो करन च हग करग और हम कह ा गहनो की शौकीन बहएा खोजनी

ह इिन पर भी कछ कर न ही पड िो म कह ा चल ज ऊा ग rdquo

ldquoज निी हा आपको मर गहन भी िो आपन ही ल ततलए न जजनदहोन मझ सख स न पहनन

ददय वह मरी बहओ क ततलए कय ल यग लडको को आप अभी स बर गी बन रह ह य गहन

व पस नही ददय ज सकि और मर ह र पर आपक कय अमधक र हrdquo

मन पछ ldquoपर यह ह र िमह री सव क बदल म ममल ह य मरी सव कrdquo

ldquoकछ भी हो आपकी सव मरी भी सव हई मझस आपन र ि-ददन जो मजदरी करव यी

वह कय सव म शम र न होगी मझ रल कर भी आपन हर तकसीको घर म ठहर य और उसकी

च करी करव यी उस कय कहगrdquo

य स र ब ण नकील थ इनम स कछ चभि थ पर गहन िो मझ व पस करन ही थ बहि-

सी ब िो म म जस-िस कसिरब की सहमति पर पि कर सक १८९६ म और १९०१ म ममली हई

भट मन लौट दी उनक रसट बन और स वयजतनक क म क ततलए उनक उपयोग मरी अथव

रनसटयो की इछछ क अनस र तकय ज एा इस शिय क स थ व बक म रख दी गयी इन गहनो को

बचन क तनममि स म कई ब र पस इकटठ कर सक हा आज भी आपतति-कोष क रप म यह

धन मौजद ह और उसम वजदध होिी रहिी ह

अपन इस क यय पर मझ कभी पि ि प नही हआ ददन बीिन पर कसिरब को भी इसक

औमचतय की परिीति हो गयी इसस हम बहि स ल लचो स बच गय ह

मर यह मि बन ह तक स वयजतनक सवक क ततलए तनजी भट नही हो सकिी

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भाग-७ दश म

३६ महासभा (काागरस) परथम बार

नहनदसतान पहाचन पर थोड समय मन घमन-तफरन म तबि य यह सन १९०१ क जम न थ

उस स ल की क ागरस कलकि म होन व ली थी दीनश एदलजी व छछ उसक अधयकष थ मझ

क ागरस म िो ज न थ ही क ागरस क यह मर पहल अनभव थ

हम कलकि पहाच अधयकष आदद नि ओ को न गररक धमध म स ल गय मन तकसी

सवयासवक स पछ ldquoमझ कह ा ज न च तहएrdquo

वह मझ ररपन कोलज ल गय वह ा बहि स परतितनमध ठहर य गय थ

सवयासवक एक-दसर स टकर ि रहि थ जो क म जजस सौप ज ि वह सवया उस नही

करि थ वह िरनदि दसर को पक रि थ दसर िीसर को बच र परतितनमध िो न िीन म

होि न िरह म नही छपपन क मल म

गादगी की हद नही थी च रो िरफ प नी ही प नी फल रह थ प ख न कम थ उनकी

गयनद ध की य द आज भी मझ हर न करिी ह मन एक सवयासवक को यह सब ददख य उसन

स र इनक र करि हए कह ldquoयह िो भागी क क म हrdquo मन झ ड म ाग वह मर माह ि कि

रह मन झ ड खोज तनक ल प ख न स र तकय पर यह िो मरी अपनी सतवध क ततलए

हआ भीड इिनी जय द थी और प ख न इिन कम थ तक हर ब र क उपयोग क ब द उनकी

सर ई होनी जररी थी यह मरी शतति क ब हर की ब ि थी

क ागरस क अमधवशन को एक-दो ददन की दर थी मन तनिय तकय थ तक क ागरस क

क य यलय म मरी सव सवीक र की ज य िो सव करा और अनभव ला

शरी भपनदरन थ बस और शरी घोष ल मािी थ म भपनदरब ब क प स पहाच और सव की

म ाग की उनदहोन मरी ओर दख और बोल

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मर प स िो कोई क म नही ह पर श यद मम घोष ल आपको कछ क म द सक ग उनक

प स ज इयrdquo

म घोष लब ब क प स गय उनदहोन मझ धय न स दख और जर हासकर मझस पछ

ldquoमर प स िो कलकय क क म ह आप करगrdquo

मन उिर ददय ldquoअवकय करा ग मरी शतति स ब हर न हो ऐस हर क म करन क ततलए

म आपक प स आय हाrdquo

ldquoनौजव न यही सछची भ वन ह rdquo

और बगल म खड सवयासवको की ओर दखकर बोल

ldquoसनि हो यह यवक कय कह रह हrdquo

तफर मरी ओर मडकर बोल

ldquoिो दखखय यह िो ह पिो क ढर और यह मर स मन कसी ह इस पर आप बदठय

आप दखि ह तक मर प स सकडो आदमी आि रहि ह म उनस ममला य इन बक र पि ततलखन

व लो को उनक पिो क जव ब ततलखा मर प स ऐस कलकय नही ह जजनस यह क म ल सका

इन सब पिो म स बहिो म क म की एक भी ब ि नही होगी पर आप सबको दख ज इय

जजसकी पहाच भजन उमचि समझ उसकी पहाच भज दीजजए जजसक जव ब क ब र म मझस

पछन जररी समझ मझ पछ लीजजएrdquo म िो इस तवशव स स मगध हो गय

शरी घोष ल मझ पहच नि न थ न म-ध म ज नन क क म िो उनदहोन ब द म तकय मर

इतिह स ज नन क ब द िो मझ कलकय क क म सौपन क ततलए व कछ लचजजि हए पर मन उनदह

तनकषिनदि कर ददय

ldquoकह ा आप और कह ा म आप क ागरस क पर न सवक ह मर गरजन ह म एक

अनभवहीन नवयवक हा यह क म सौपकर आपन मझ पर उपक र ही तकय ह कयोतक मझ

क ागरस म क म करन ह उसक क मक ज को समझन क आपन मझ अलभय अवसर ददय हrdquo

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हम र बीच अछछी ममिि हो गयी घोष लब ब क बटन भी बर लग ि थ यह दखकर

lsquoबरrsquo क क म मन ही ल ततलय मझ वह पसनदद थ बडो क परति मर मन म बहि आदर थ जब

व मरी वतति समझ गय िो अपनी तनजी सव क स र क म मझस लन लग

पर ऐसी सव क परति मन म थोडी भी अरमच उतपनदन न हई मझ जो ल भ हआ उसकी

िो कीमि आाकी ही नही ज सकिी

कछ ही ददनो म मझ क ागरस की वयवसथ क जञ न हो गय कई नि ओ स भट हई

गोखल सरनदरन थ आदद योदध आि-ज ि रहि थ म उनकी रीति-नीति दख सक वह ा समय

की जो बरब दी होिी थी उस भी मन अनभव तकय अागरजी भ ष क पर बलय भी दख इसस

उस समय भी मझ ःख हआ थ शतति क बच व की कोई तगनिी ही नही थी मन दख तक एक

आदमी स हो सकन व ल क म म अनक आदमी लग ज ि थ और यह भी दख तक तकिन ही

महततवपणय क म कोई करि ही न थ

मर मन इस स री चसथति की टीक तकय करि थ पर मचि उद र थ इसततलए वह म न

लि थ तक जो हो रह ह उसम अमधक सध र करन साभव न होग फलिः मन म तकसी क

परति अरमच पद न होिी थी

सर फीरोजश ह न दकषकषण अफ़रीक क ब र म मर परसि व लन की सवीकति िो दी थी पर

उस क ागरस की तवषय-तनव यमचनी सममति म कौन परसिि करग कब करग यह सोचि हआ म

सममति म बठ रह हरएक परसि व पर लमब-लगब भ षण होि थ सब अागरजी म हरएक क स थ

परततसदध वयततियो क न म जड होि थ इस नकक रख न म मरी ििी की आव ज कौन सनग

जयो-जयो र ि बीििी ज िी थी तयो-तयो मर ददल धडकि ज ि थ सब कोई भ गन की िय री

म थ र ि क गय रह बज गय थ मझम बोलन की तहममि न थी म गोखल स ममल चक थ और

उनदहोन मर परसि व दख ततलय थ

उनकी कसी क प स ज कर मन धीर स कह

ldquoमर ततलए कछ कीजजएग rdquo

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सर फीरोजश ह बोल ldquoकतहय सब क म तनबट गय नrdquo

गोखल बोल उठ दकषकषण अफ़रीक क परसि व िो ब की ही ह मम ग ाधी कबस बठ र ह

दख रह हrdquo

सर फीरोजश ह न पछ ldquoआप उस परसि व को दख चक हrdquo

ldquoह ा ldquo

ldquoआपको वह पसनदद आय rdquo

ldquoक री अछछ हrdquo

ldquoिो ग ाधी पढोrdquo

मन क ापि हए परसि व पढ सन य

गोखल न उसक समथयन तकय

सब बोल उठ ldquoसवय-सममति स प सrdquo

व छछ बोल ldquoग ाधी िम प ाच ममनट लन rdquo

इस दकय स मझ परसनद नि न हई तकसीन भी परसि व को समझन क कषट नही उठ य

सब जलदी म थ गोखल न परसि व दख ततलय थ इसततलए दसरो को दखन-सनन की आवकयकि

परिीि न हई

सवर हआ

मझ िो अपन भ षण की तरकर थी प ाच ममनट म कय बोलाग मन िय री िो अछछी

कर ली थी पर उपयि शबद सझि न थ जस िस परसि व पढ गय

तकसी कतव न अपनी कतवि छप कर सब परतितनमधयो म ब ाटी थी उसम परदश ज न

की और समर-य ि की सिति थी वह मन पढ सन यी और दकषकषण अफ़रीक क ःखो की थोडी

चच य की इिन म सर मम व छछ दीनश की घाटी बजी मझ तवशव स थ तक मन अभी प ाच ममनट

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पर नही तकय ह मझ पि न थ तक यह घाटी मझ चि न क ततलए दो ममनट पहल ही बज दी गयी

थी मन बहिो को आध-आध पौन-पौन घाट बोलि दख थ और घाटी नही बजी थी मझ ःख

िो हआ घाटी बजि ही म बठ गय

परसि व प स होन क ब र म िो पछन ही कय थ उन ददनो दशयक और परतितनमध क भद

कवमचि ही तकय ज ि थ परसि वो क तवरोध करन क कोई परशन ही नही थ सब ह थ उठ ि

ही थ स र परसि व सवय-सममति स प स होि थ मर परसि व भी इसी िरह प स हआ इसततलए

मझ परसि व क महततव नही ज न पड तफर भी क ागरस म मर परसि व प स हआ यह ब ि ही

मर आननदद क ततलए पय यपि थी जजस पर क ागरस की महर लग गयी उस पर स र भ रि की महर

ह यह जञ न तकसक ततलए पय यपि न होग

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३७ लाडम क़ज़मन का दरबार

काागरस-अधधवशन सम पि हआ पर मझ िो दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए कलकि म

रहकर चमबर ओफ कोमसय इतय दद मणडलो स ममलन थ इसततलए म कलकि म एक महीन

ठहर इस ब र मन होटल म ठहरन क बदल पररचय पर पि करक इचणडय कलब म ठहरन की

वयवसथ की इस कलब म अगरगणय भ रिीय उिर करि थ इसस मर मन म यह लोभ थ तक

उनस मल-जोल बढ कर म उनम दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए ददलचसपी पद कर सका ग

उनदही ददनो ल डय क़जयन क दरब र हआ उसम ज न व ल कोई र ज -मह र ज इस कलब

म ठहर हए थ कलब म िो म उनको हमश सनददर बाग ली धोिी कि य और च दर की पोश क म

दखि थ आज उनदहोन पिलन चोग ख नस मोकी-सी पगडी और चमकील बट पहन थ यह

दखकर मझ ःख हआ और मन इस पररवियन क क रण पछ

जव ब ममल ldquoहम र ःख हम ही ज नि ह अपनी समपतति और अपनी उप मधयो को

सरकषकषि रखन क ततलए हम जो अपम न सहन पडि ह उनदह आप कस ज न सकि हrdquo

ldquoपर यह ख नस म-जसी पगडी और य बट तकसततलएrdquo

ldquoहम म और ख नस मो म आपन कय रकय दख व हम र ख नस म ह िो हम ल डय

क़जयन क ख नस म ह यदद म दरब र म अनपचसथि रहा िो मझको उसक दणड भगिन पड

अपनी स ध रण पोश क पहनकर ज ऊा िो वह अपर ध म न ज एग और वह ा ज कर भी कय

मझ ल डय क़जयन स ब ि करन क अवसर ममलग कद तप नहीrdquo

मझ इस सपषटवि भ ई पर दय आई

ऐस ही परसाग व ल एक और दरब र मझ य द आ रह ह जब क शी क तहनदद तवशवतवदय लय

की नीव ल डय ह रडिग क ह थो रखी गयी िब उनक दरब र हआ थ उसम र ज -मह र ज िो

आय ही थ भ रिभषण म लवीयजी न मझस भी उसम उपचसथि रहन क तवशष आगरह तकय

थ म वह ा गय थ कवल सतसियो को ही शोभ दन व ली र ज -मह र ज ओ की पोश क दखकर

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मझ ःख हआ थ रशमी प ज म रशमी अागरख और गल म हीर-मोिी की म ल य ह थ पर

ब जबनदद और पगडी पर हीर-मोिी की झ लर इन सबक स थ कमर म सोन की मठव ली िलव र

लटकिी थी य चीज उनक र जय मधक र की नही बचलक उनकी गल मी की तनश तनय ा थी म

म नि थ तक ऐस न मदी-सचक आभषण व सवछछ स पहनि होग पर मझ पि चल तक ऐस

सममलनो म अपन सब मलयव न आभषण पहनकर ज न र ज ओ क ततलए अतनव यय थ मझ

यह भी म लम हआ तक कइयो को ऐस आभषण पहनन स घण थी धन सि और म न मनषय

स तकिन प प और अनथय कर ि ह

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३८ बमबई म

गोखल की बडी इछछ थी तक म बमबई म बस ज ऊा वह ा ब ररसटर क धनदध करा और उनक

स थ स वयजतनक सव म ह थ बाट ऊा उस समय स वयजतनक सव क मिलब थ क ागरस की

सव

मरी भी यही इछछ थी पर क म ममलन क ब र म मझ आतम-तवशव स न थ तपछल

अनभवो की य द भली नही थी

इस क रण पहल िो म र जकोट म ही रह वह ा क म शर तकय

एक ददन कवलर म मर प स आय और बोल ldquoग ाधी िमको यह ा नही रहन ददय ज एग

िमह िो बमबई ही ज न होग rdquo

ldquoिम स वयजतनक क म क ततलए ततसरज गय हो िमह हम क दठय व ड म दफन न होन दग

कहो कब रव न होि होrdquo

ldquoन ि ल स मर कछ पस आन ब की ह उनक आन पर चल ज ऊा ग rdquo

पस एक-दो हफिो म आ गय और म बमबई पहाच

मन दख तक मर धाध आरथिक दतषट स मरी अपकष स अमधक अछछ चल तनकल दकषकषण

अफ़रीक क मवचककल मझ कछ-न-कछ क म दि रहि थ मझ लग तक उसस मर खचय सरलि -

पवयक चल ज एग

मन सचसथर होन क तनिय तकय और थोडी चसथरि अनभव की तक अच नक दकषकषण

अफ़रीक क ि र ममल ldquoचमबरलन यह ा आ रह ह आपको आन च तहएrdquo मझ अपन वचन

क समरण िो थ ही मन ि र ददय ldquoमर खचय भजजय म आन को िय र हाrdquo उनदहोन िरनदि

रपय भज ददय और म दफिर समट कर रव न हो गय

मन सोच थ तक मझ एक वषय िो सहज ही लग ज एाग इसततलए बागल रहन ददय और

ब ल-बछचो को वही रखन उमचि समझ

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उस समय म म नि थ तक जो नौजव न दश म कोई कम ई न करि हो और स हसी हो

उनक ततलए परदश चल ज न अछछ ह इसततलए म अपन स थ च र-प ाच नौजव नो को लि

गय उनम मगनल ल ग ाधी भी थ

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भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

३९ पनः दकषिि अफ़रीका म

यह नही कह ज सकि तक म डरबन एक ददन भी पहल पहाच मर ततलए वह ा क म िय र ही

थ मम चमबरलन क प स डपयटशन क ज न की ि रीख तनकषिि हो चकी थी मझ उनक स मन

पढ ज न व ल पर थयन -पि िय र करन थ और डपयटशन क स थ ज न थ

मम चमबरलन दकषकषण अफ़रीक स स ढ िीन करोड पौणड लन आय थ िथ अागरजो क

और हो सक िो बोअरो क मन जीिन आय थ इसततलए भ रिीय परतितनमधयो को नीच ततलख

ठाड जव ब ममल

ldquoआप िो ज नि ह तक उिरद यी उपतनवशो पर स मर जय-सरक र क अाकश न मम ि

क ही ह आपकी ततशक यि िो सछची ज न पडिी ह मझस जो हो सकग म करा ग पर

आपको जजस िरह भी बन यह ा क गोरो को ररझ कर रहन हrdquo

जव ब सनकर परतितनमध ठा ड हो गय म तनश श हो गय जब ज ग िभी सबर म नकर

तफर स शरीगणश करन होग यह ब ि मर धय न म आ गयी और स ततथयो को मन समझ दी

मम चमबरलन की िफ नी दौर करन थ व र नदसव ल क ततलए रव न हए मझ वह ा क

भ रिीयो क कस िय र करक उनक स मन पश करन थ तपरटोररय तकस िरह पहाच ज एा

वह ा म समय पर पहाच सका इसक ततलए अनमति पर पि करन क क म हम र लोगो स हो सकन

जस न थ

यदध क ब द र नदसव ल उज ड जस हो गय थ वह ा न ख न को अनदन थ न पहनन-

ओढन को कपड ममलि थ ख ली और बनदद पडी हई क नो को म ल स भरन और खलव न

थ जस-जस म ल इकटठ होि ज एा वस-वस ही घरब र छोडकर भ ग हए लोगो को व पस

आन ददय ज सकि थ इस क रण परतयक र नद सव लव सी को परव न लन पडि थ गोरो

को िो परव न म ागि ही ममल ज ि थ मसीबि तहनदसि तनयो की थी

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हचबशयो स समबनदध रखन व ल एक अलग तवभ ग पहल स ही थ ऐसी दश म

एततशय व ततसयो क ततलए भी एक तवभ ग कयो न हो तहनदसि तनयो को इस तवभ ग म अजी दनी

पडिी थी

मझस कह गय थ तक तबन वसील क परव न ममलि ही नही और कई ब र िो वसील

य जररय क होि हए भी परति वयतति सौ-सौ पौणड िक खचय हो ज ि ह इसम मर दठक न कह ा

लगि

म अपन पर न ममि डरबन क पततलस सपररणटणडणट क प स पहाच और उनस कह

ldquoआप मर पररचय परव न दन व ल अमधक री स कर दीजजए और मझ परव न ददल दीजजए

आप यह िो ज नि ह तक म र नदसव ल म रह हाrdquo व िरनदि ततसर पर टोप रखकर मर स थ आय

और मझ परव न ददल ददय सपररणटणडणट एलकजणडर क आभ र म नकर म तपरटोररय क

ततलए रव न हो गय

म तपरटोररय पहाच पर थयन -पि िय र तकय डरबन म परतितनमधयो क न म तकसीस पछ

गय हो सो मझ य द नही लतकन यह ा नय तवभ ग क म कर रह थ इसततलए परतितनमधयो क

न म पहल स पछ ततलए गय थ हमन न म ददय मजकर अमधक री क हसि कषर व ल पि आय

उसम यह ततलख गय थ तक मम चमबरलन डरबन म ग ाधी स ममल ह अिः अब उनक न म

परतितनमधयो म स तनक ल दन की जररि ह

स ततथयो को यह पि असहय परिीि हआ ldquoआपक कहन स सम ज न लड ई म तहसस

ततलय पर पररण म िो यही तनकल नrdquo इस िरह ि न म रन व ल भी सम ज म तनकल आय

पर मझ पर इन ि नो क कोई असर नही हआ मन कह ldquoमझ इस सल ह क पछि व नही ह

म अब भी यह म नि हा तक हमन लड ई म भ ग लकर ठीक ही तकय ह वस करक हमन

अपन कियवय क प लन तकय ह हम उसक फल च ह दखन को न ममल पर मर यह दढ तवशव स

ह तक शभ क यय क फल शभ ही होि ह बीिी ब िो क तवच र करन की अपकष अब हम र ततलए

अपन वियम न कियवय क तवच र करन अमधक अछछ होग अिएव हम उसक ब र म सोचrdquo

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दसरो न भी इस ब ि क समथयन तकय

मन कह ldquoसच िो यह ह तक जजस क म क ततलए मझ बल य गय थ वह अब पर हआ

म न ज एाग पर म म नि हा तक आपक मझ छटटी द दन पर भी अपन बसभर मझ र नदसव ल

स हटन नही च तहए मर क म अब न ि ल स नही बचलक यह ा स चलन च तहए एक स ल क

अनददर व पस ज न क तवच र मझ छोड दन च तहए और यह ा की वक ल ि की सनद ह ततसल

करनी च तहए इस नय तवभ ग स तनबट लन की तहममि मझम ह यदद हमन मक बल न तकय

िो सम ज लट ज एग और श यद यह ा स उसक पर भी उखड ज एाग

उस परक र मन चच य चल यी तपरटोररय और जोह तनसबगय म रहन व ल भ रिीय नि ओ

स तवच र तवमशय करक अनदि म जोह तनसबगय म दफिर रखन क तनिय हआ

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४० गीता का अभयास

शथयोसोनफसट ममि मझ अपन मणडल म ससतममततलि करन की इछछ अवकय रखि थ पर उनक

हि तहनदद क न ि मझस कछ पर पि करन थ ततथयोसोफी की पसिको म तहनदद धमय की छ य और

उसक परभ व िो क री ह ही अिएव इन भ इयो न म न ततलय तक म उनकी सह यि कर सका ग

जजजञ स-मणडल क न म स एक छोट -स मणडल भी सथ तपि तकय और तनयममि अभय स होन

लग गीि जी पर मझ परम और शरदध िो थी ही अब उसकी गहर ई म उिरन की आवकयकि

परिीि हई मर प स एक-दो अनव द थ उनकी सह यि स मन मल सासकि समझ लन क परयतन

तकय और तनतय एक-दो शलोक कणठ करन क तनिय तकय

पर ि द िन और सन न क समय क उपयोग गीि क शलोक कणठ करन म तकय द िन

म पनदरह और सन न म बीस ममनट लगि थ खड-खड करि थ स मन की दीव र पर गीि क

शलोक ततलखकर मचपक दि थ और आवकयकि नस र उनदह दखि िथ घोखि ज ि थ य

घोख हए शलोक सन न करन िक पकक हो ज ि थ इस बीच तपछल कणठ तकय हए शलोको को

भी म एक ब र दोहर ज ि थ इस परक र िरह अधय य िक कणठ करन की ब ि मझ य द ह

इस गीि प ठ क परभ व मर सह धय तययो पर क य पड उस व ज न परनदि मर ततलए िो

वह पसिक आच र की एक परौढ म गयदरशिक बन गयी वह मर ततलए ध रमिक कोश क क म दन

लगी उसक अपररगरह समभ व आदद शबदो न मझ पकड ततलय समभ व क तवक स कस हो

उसकी रकष तकस परक र की ज ए घर जल कर िीथय करन ज ऊा िरनदि ही उिर ममल तक घर

जल य तबन िीथय तकय ही नही ज सकि यह ा अागरजी क़ नन न मरी मदद की रसटीrsquo शबद

क अथय तवशष रप स समझ म आय रसटी क प स करोडो रपयो क रहि हए भी उनम की

एक भी प ई उसकी नही होिी ममकष को ऐस ही वरि व करन च तहए यह ब ि मन गीि जी

स समझी मझ यह दीपक की िरह सपषट ददख यी ददय तक अपररगरही बनन म समभ वी होन म

हि क हदय क पररवियन आवकयक ह मन रव शाकरभ ई को इन आशय क पि ततलख भज

तक बीम की पोततलसी बनदद कर द कछ रकम व पस ममल िो ल ल न ममल िो भर हए पसो को

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गय समझ ल बछचो की और सिी की रकष उनदह और हम पद करन व ल ईशवर करग तपििलय

भ ई को ततलख ldquoआज िक िो मर प स जो बच वह मन आपको अपयण तकय अब मरी आश

आप छोड दीजजए अब जो बचग सो यही तहनदसि नी सम ज क तहि म खचय होग rdquo

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४१ इणणडयन ओपीननयन

इसी अरस म शरी मदनजीि न इकषणडयि ओपीकषियि अखब र तनक लन क तवच र तकय उनदहोन

मरी सल ह और सह यि म ागी छ प ख न िो व चल ही रह थ अखब र तनक लन क तवच र

स म सहमि हआ सन १९०४ म इस अखब र क जनदम हआ मनसखल ल न जर इसक साप दक

बन पर साप दन क सछच बोझ िो मझ पर ही पड मर भ गय म पर यः हमश दर स ही अखब र

की वयवसथ साभ लन क योग रह ह

मनसखल ल न जर साप दक क क म न कर सक ऐसी कोई ब ि नही थी उनदहोन दश म

कई अखब रो क ततलए लख ततलख थ पर दकषकषण अफ़रीक क अटपट परशनो पर मर रहि उनदहोन

सविाि लख ततलखन की तहममि नही की उनदह मरी तववक-शतति पर अतयमधक तवशव स थ अिएव

जजन-जजन तवषयो पर कछ ततलखन जररी होि उन पर ततलखकर भजन क बोझ व मझ पर

ड ल दि थ

यह अखब र स पि तहक थ जस तक आज भी ह

मन यह कलपन नही की थी तक इस अखब र म मझ कछ अपन पस लग न पडग लतकन

कछ ही समय म मन दख तक अगर म पस न दा िो अखब र चल ही नही सकि म अखब र

क साप दक नही थ तफर भी तहनदसि नी और गोर दोनो यह ज नन लग गय थ तक उसक लखो

क ततलए म ही जजममद र थ अखब र न तनकलि िो भी कोई ह तन न होिी पर तनक लन क ब द

उसक बनदद होन स तहनदसि तनयो की बदन मी होगी और सम ज को ह तन पहाचगी ऐस मझ

परिीि हआ

म उसम पस उाडलि गय और कह ज सकि ह तक आखखर ऐस भी समय आय जब

मरी परी बचि उसी पर खचय हो ज िी थी मझ ऐस समय की य द ह जब मझ हर महीन ७५

पौणड भजन पडि थ

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तकनदि इिन वषो क ब द मझ लगि ह तक इस अखब र न तहनदसि नी सम ज की अछछी

सव की ह इसस धन कम न क तवच र िो शर स ही तकसी क नही थ

जब िक वह मर अधीन थ उसम तकय गय पररवियन मर जीवन म हए पररवियनो क

दयोिक थ जजस िरह आज यग इकषडया और िवजीवि मर जीवन क कछ अाशो क तनचोड-

रप ह उसी िरह इकषणडयि ओपीकषियि थ उसम म परति सपि ह अपनी आतम उाडलि थ और

जजस म सतय गरह क रप म पहच नि थ उस समझ न क परयतन करि थ जल क समयो को

छोडकर दस वषो क अथ यि सन १९१४ िक क इकषणडयि ओपीकषियि क श यद ही कोई अाक

ऐस होग जजनम मन कछ ततलख न हो

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४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव

म भोजन क ततलए एक तनर ममष भोजनगह म ज ि थ वह ा मझ आलबटय वसट की पहच न

हई हमलोग परतिददन श म को इस गह म ममलि और भोजन करक घमन क ततलए चल ज ि थ

वसट एक छोट छ पख न म तहससद र थ उनदहो न सह यि करन क व द तकय और मन

इकषनडयि ओपीकषियि परस क क रोब र ह थ म लन क ततलए अनरोध तकय वसट को छ पख न

की आरथिक पररचसथति क साबाध म पर थममक ररपोटय मझ डर न व ल थ अिः म न ि ल ज न क

ततलए रव न हआ पोल क तनर ममष ह री भोजनगह म ममल थ और ममि बन गय थ

व मझ छोडन सटशन िक आय और यह कहकर तक ldquoयह पसिक र सि म पढन योगय ह

आप इस पढ ज इय आपको पसाद आएगीrdquo

उनदहोन रसतसकन की अनट कषधस रलासट पसिक मर ह थ म रख दी

इस पसिक को ह थ म लन क ब द म छोड ही न सक इसन मझ पकड ततलय

जोह तनसबगय स न ि ल क र सि लगभग चौबीस घाटो क थ रन श म को डरबन पहाचिी थी

पहाचन क ब द मझ स री र ि नीद न आयी मन पसिक म समचि तवच रो को अमल म ल न क

इर द तकय

मर यह तवशव स ह तक जो चीज मर अनददर गहर ई म मछपी पडी थी रसतसकन क गराथरतन म

मन उसक सपषट परतितबमब दख और इस क रण उसन मझ पर अपन स मर जय जम य और

मझस उसम ददय गय तवच रो पर अमल करव य जो मनषय हम म सोयी हई उिम भ वन ओ

को ज गरि करन की शतति रखि ह वह कतव ह सब कतवयो क सब लोगो पर सम न परभ व

नही पडि कयोतक सबक अनददर स री सदभ वन य सम न म ि म नही होिी

म सवोदय क ततसदध नदिो को इस परक र समझ हा

१ सबकी भल ई म हम री भल ई तनतहि ह

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२ वकील और न ई दोनो क क म की कीमि एकसी होनी च तहए कयोतक आजीतवक

क अमधक र सबको एक सम न ह

३ स द महनि-मजदरी क तकस न क जीवन ही सछच जीवन ह

पहली चीज म ज नि थ दसरी को म धाधल रप म दखि थ िीसरी क मन कभी

तवच र ही नही तकय थ सवोदय न मझ दीय की िरह ददख ददय तक पहली चीज म दसरी

दोनो चीज सम यी हई ह सवर हआ और म इन ततसदध नदिो पर अमल करन क परयतन म लग

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४३ फ़ीननकस की सथापना

सवर सबस पहल िो मन वसट स ब ि की मझ पर सवोदय क जो परभ व पड थ वह मन

उनदह सन य और सझ य तक इकषणडयि ओपीकषियि को एक खि पर ल ज न च तहए वह ा सब

अपन ख न-प न क ततलए आवकयक खचय सम न रप स ल सब अपन-अपन तहसस की खिी कर

और ब की क समय म इकषणडयि ओपीकषियि क क म कर वसट न इस सझ व को सवीक र

तकय हरएक क भोजन आदद क खचय कम स कम िीन पौणड हो ऐस तहस ब बठ य इसम

गोर-क ल क भद नही रख गय थ

िरनदि ही मन सम च रपिो म एक तवजञ पन छपव य तक डरबन क प स तकसी भी सटशन

स लगी हई जमीन क एक टकड की जररि ह जव ब म रीतनकस की जमीन क सादश ममल

स ि ददन क अादर २० एकड जमीन ली उसम एक छोट -स प नी क न ल थ न रागी और

आम क कछ पड थ प स ही ८० एकड क दसर एक टकड थ उसम तवशष रप स फलो

व ल पड और एक झोपड थ थोड ददनो ब द उस भी खरीद ततलय दोनो क ममल कर १०००

पौणड ददय

कछ तहनदसि नी बढई और ततसल वट जो मर स थ (बोअर) लड ई म ससतममततलि हए थ

उनकी मदद स क रख न बन न शर तकय एक महीन म मक न िय र हो गय वह ७५ फट

लाब और ५० फट चौड थ वसट आदद शरीर को साकट म ड लकर र ज और बढई क स थ रहन

लग

रीतनकस म घ स खब थी बसिी तबलकल न थी इसस स ापो क खिर थ आराभ म

िो िमब ग डकर सब उनदही म रह थ

एक हफि क अनददर अमधक ाश स म न बलग मडयो की मदद स रीतनकस ल य गय

डरबन और रीतनकस क बीच िरह मील क फ सल थ रीतनकस सटशन स ढ ई मील दर थ

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मगनल ल ग ाधी अपन पश समटकर मर स थ आय थ िबस व रह ही ह अपन बजदधशतति

स तय गशतति स िथ अननदय भतति भ व स मर आािररक परयोगो क मर असली स ततथयो म आज

परध नपद पर ह

इस परक र सन १९०४ म रीतनकस की सथ पन हई अनक तवडमबन ओ क बीच भी

रीतनकस सासथ िथ इकषनडयि ओपीकषियि दोनो अब िक दटक हए ह

हम सब अपनी महनि स अपन तनव यह करग इस खय ल स मरण लय क आसप स

परतयक तनव सी क ततलए जमीन क िीन-िीन एकड क टकड कर ततलए गय थ इनम एक टकड

मर ततलए भी म प गय थ इन सब टकडो पर हम म स हरएक की इछछ क तवरदध हमन टीन

की चददरो क घर बन य इछछ िो तकस न को शोभ दन व ल घ सफस और ममटटी क अथव ईट

क घर ब ाधन की थी पर वह परी न हो सकी उसम पस अमधक खचय होि थ और समय अमधक

लगि थ सब जलदी स घरब र व ल बनन और क म म जट ज न क ततलए उि वल हो गय थ

अभी यह क म वयवचसथि नही हो प य थ मक न भी िय र न हए थ इिन म अपन इस

नवरमचि पररव र को छोडकर म जोह तनसबगय भ ग गय मरी चसथति ऐसी न थी तक म वह ा क

क म को लमब समय िक छोड सका

जोह तनसबगय पहाचकर मन पोल क स इस महततवपणय पररवियन की ब ि कही अपनी दी

हई पसिक क यह पररण म दखकर उनक आननदद क प र न रह उनदहोन उमाग क स थ पछ

ldquoिो कय म भी इसम तकसी िरह ह थ नही बाट सकि rdquo

ldquoआप अवकय ह थ बाट सकि हrdquo

पोल क न तकरदटक स मतति प न क ततलए अपन म ततलक को एक महीन की नोदटस दी

और अवमध सम पि होन पर व रीतनकस पहाच गय वह ा अपन ममलनस र सवभ व स उनदहोन

सबक ददल जीि ततलए और घर क ही एक आदमी की िरह रहन लग

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पर म ही उनदह लगब समय िक वह ा रख नही सक मर ततलए अकल ह थो समच दफिर

क बोझ उठ न साभव न थ अिएव मन पोल क को आतफस म रहन और वकील बनन की

सल ह दी

पोल क न मझ ततलख ldquoमझ िो यह जीवन ही अछछ लगि ह म यह ा सखी हा यह ा

हम इस सासथ क तवक स कर सक ग तकनदि यदद आप यह म नि हो तक मर वह ा पहाचन स हम र

आदशय शीघर सफल होग िो म आन को िय र हाrdquo

मन उनक इस पि क सव गि तकय पोल क रीतनकस छोडकर जोह तनसबगय आय और

मर दफिर म वकील क माशी की िरह क म करन लग

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४४ घरो म पररवतमन तथा बालशशिा

अब जलदी ही तहनदसि न ज न की अथव वह ा ज कर चसथर होन की आश मन छोड दी थी म

िो पतनी को एक स ल क आशव सन दकर व पस दकषकषण अफ़रीक आय थ स ल िो बीि गय

पर मर व पस लौटन की साभ वन दर चली गई अिएव मन बछचो को बल लन क तनिय तकय

डरबन म मन जो घर बस य थ उसम पररवियन िो तकय ही थ खचय अमधक रख थ

तफर भी झक व स दगी की ओर ही थ तकनदि जोह तनसबगय म lsquoसवोदय क तवच रो न अमधक

पररवियन करव य

ब ररसटर क घर म जजिनी स दगी रखी ज सकिी थी उिनी िो रखनी शर कर ही दी

तफर भी कछ स ज-स म न क तबन क म चल न मतककल थ सछची स दगी िो मन की बढी

हरएक क म अपन ह थो करन क शौक बढ और ब लको को भी उसम शरीक करक कशल

बन न शर तकय

ब ज र की रोटी खरीद न क बदल कन की सझ ई हई तबन खमीर की रोटी ह थ स बन नी

शर की इसम ममल क आट क म नही दि थ ह थ स तपस आट क उपयोग करन म स दगी

आरोगय और पस िीनो की अमधक रकष होिी ह अिएव स ि पौणड खचय करक ह थ स चल न

की एक चककी खरीद ली उसक प ट वजनद र थ दो आदमी उस सरलि स चल सकि थ

इस चककी को चल न म पोल क म और ब लक मखय भ ग लि थ कभी-कभी कसिरब ई भी

आ ज िी थी यदयतप उस समय वह रसोई बन न म लगी रहिी थी ममसज पोल क क आन पर व

भी इसम ससतममततलि हो गयी ब लको क ततलए यह कसरि बहि अछछी ततसदध हई उनस मन

चककी चल न क य दसर कोई क म कभी जबरदसिी नही करव य व सहज ही खल समझकर

चककी चल न आि थ थकन पर छोड दन की उनदह सविािि थी

घर स र रखन क ततलए एक नौकर थ वह घर क आदमी की िरह रहि थ और उसक

क म म ब लक पर ह थ बाट ि थ प ख न स र करन क ततलए मयतनततसपततलटी क नौकर आि

थ पर प ख न क कमर को स र करन और बठक आदद धोन क क म नौकर को नही सौप

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ज ि थ उसस वसी आश भी नही रखी ज िी थी यह क म हम सवया करि थ और इसस भी

ब लको को ि लीम ममली

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४५ जल-नवदरोह

जोहाननसबगम म म कछ चसथर-स होन लग थ तक इसी बीच एक अनसोची घटन घटी अखब रो

म यह खबर पढन को ममली तक न ि ल म जल lsquoतवरोह हआ ह जल लोगो स मरी कोई कमनी

न थी उनदहोन एक भी तहनदसि नी क नक़स न नही तकय थ lsquoतवरोह शबद क औमचतय क

तवषय म भी मझ शाक थी तकनदि उन ददनो म अागरजी सलिनि को सास र क कलय ण करन व ली

सलिनि म नि थ मरी वर द री ह रदिक थी म उस सलिनि क कषय नही च हि थ अिएव

बल-परयोग-समबनदधी नीति-अनीति क तवच र मझ इस क यय को करन स रोक नही सकि थ

न ि ल पर साकट आन पर उसक प स रकष क ततलए सवयासवको की सन थी और साकट क समय

उसम क म क ल यक सतनक भरिी भी हो ज ि थ मन पढ तक सवयासवको की सन इस तवरोह

को दब न क ततलए रव न हो चकी ह

म अपन को न ि लव सी म नि थ और न ि ल क स थ मर तनकट समबनदध िो थ ही

अिएव मन गवनयर को पि ततलख तक यदद आवकयकि हो िो घ यलो की सव -शशरष करन व ल

तहनदसि तनयो की एक टकडी लकर म सव क ततलए ज न को िय र हा िरनदि ही गवनयर क

सवीकति-सचक उिर ममल मन अनकल उिर की अथव इिनी जलदी उिर प न की आश

नही रखी थी तफर भी उि पि ततलखन क पहल मन अपन परबनदध िो कर ही ततलय थ तक यदद

मरी पर थयन सवीकि हो ज य िो जोह तनसबगय क घर उठ दग मम पोल क अलग घर लकर

रहग और कसिरब ई रीतनकस ज कर रहगी इस योजन को कसिरब ई की पणय सममति पर पि

हई

डरबन पहाचन पर मन आदममयो की म ाग की

सव कषभम न की रकष क ततलए और अमधक सतवध क स थ क म कर सकन क ततलए िथ

वसी परथ होन क क रण मचतकतस -तवभ ग क मखय पद मधक री न मझ स जयनदट मजर क

मददिी पद ददय और मरी पसनदद क अनदय िीन स ततथयो को स जयनदट क और एक को कोपररल

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क पद ददय वरदी भी सरक र की ओर स ही ममली म यह कह सकि हा तक इस टकडी न छह

सपि ह िक सिि सव की

lsquoतवरोहrsquo क सथ न पर पहाचकर मन दख तक वह ा तवरोह-जसी कोई चीज नही थी कोई

तवरोध करि हआ भी नजर नही आि थ तवरोह म नन क क रण यह थ तक एक जल सरद र

न जल लोगो पर लग य गय नय कर न दन की उनदह सल ह दी थी और कर की वसली क ततलए

गय हए एक स जयनदट को उसन कतल कर ड ल थ सो जो भी हो मर हदय िो जल लोगो की

िरफ थ और कनदर पर पहाचन क ब द जब हम र तहसस मखयिः जल घ यलो की शशरष करन

क क म आय िो म बहि खश हआ वह ा क डोकटर अमधक री न हम र सव गि तकय उसन

कह ldquoगोरो म स कोई इन घ यलो की सव -शशरष करन क ततलए िय र नही होि म अकल

तकस-तकस की सव करा इनक घ व सड रह ह अब आप आय ह इस म इन तनदोष लोगो पर

ईशवर की कप ही समझि हाrdquo यो कहकर उसन मझ पदटटय ा जाि-न शक प नी आदद स म न

ददय और उन बीम रो क प स ल गय बीम र हम दखकर खश हो गय गोर ततसप ही ज ततलयो म

स झ ाक-झ ाककर हम घ व स र करन स रोकन क परयतन करि हम र न म नन पर खीझि और

जलओ क ब र म जजन गनदद शबदो क उपयोग करि उनस िो क न क कीड झड ज ि थ

धीर-धीर गोर ततसप तहयो क स थ भी मर पररचय हो गय और उनदहोन मझ रोकन बनदद

कर ददय

कोई यह न म न तक जजन बीम रो की सव -शशरष क क म हम सौप गय थ व तकसी

लड ई म घ यल हए थ उनम स एक तहसस उन कददयो क थ जो शक म पकड गय थ जनरल

न उनदह कोडो की सज दी थी इन कोडो की म र स जो घ व पद हए थ व स र-साभ ल क अभ व

म पक गय थ दसर तहसस उन जलओ क थ जी ममि म न ज ि थ इन ममिो को ततसप तहयो

न घ यल तकय थ यदयतप उनदहोन ममिि सचक मचहन ध रण कर रख थ

हम लोगो को अलग-अलग सथ न पर िजी स पहाचिी हई ततसप तहय ा की डकडी क स थ

जोड ददय ज ि थ

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जह ा स साकट क सम च र आि वही दौड ज िी थी उसम बहि स िो घडसव र ही थ

कनदरसथ न स हम री छ वनी उठिी तक हम उसक पीछ-पीछ अपनी डोततलय ा कनदध पर उठ कर

चलन पडि थ दो-िीन मौकौ पर िो एक ही ददन म च लीस मील की माजजल िय करनी पडी

यह ा भी हम िो कवल परभ क ही क म ममल जो जल ममि भल स घ यल हए थ उनदह डोततलयो

म उठ कर छ वनी िक पहाच न थ और वह ा उनकी सव -शशरष करनी थी

जल-तवरोह म मझ बहि स अनभव हए और बहि-कछ सोचन को ममल बोअर-यदध

म मझ लड ई की भयाकरि उिनी परिीि नही हई थी जजिनी यह ा हई यह ा लड ई नही बचलक

मनषय क ततशक र हो रह थ यह कवल मर ही नही बचलक उन कई अागरजो क भी अनभव थ

जजनक स थ मरी चच य होिी रहिी थी सबर-सबर सन ग ाव म ज कर म नो पट ख छोडिी हो

इस परक र उसकी बनददको की आव ज दर रहन व ल हम लोगो क क नो पर पडिी थी इन

आव जो को सनन और इस व ि वरण म रहन मझ बहि मतककल म लम पड लतकन म सब-

कछ कडव घाट की िरह पी गय और मर तहसस जो क म आय सो िो कवल जल लोगो की सव

क ही आय म य समझ गय तक अगर हम सवयासवक-दल म ससतममततलि न हए होि िो दसर

कोई यह सव न करि इस तवच र स मन अपनी अनदिर तम को श नदि तकय

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४६ बरहमचयम

मीलो िक तबन आब दी व ल भवय परदश म हम लोग तकसी घ यल को लकर य ऐस ही चल

ज ि थ िब म सोच म डब ज ि थ

यह ा बरहमचयय क ब र म मर तवच र पररपकव हए मन अपन स ततथयो स भी इसकी थोडी

चच य की मझ अभी इस ब ि क स कष तक र िो नही हआ थ तक ईशवर-दशयन क ततलए बरहमचयय

अतनव यय वसि ह तकनदि म यह सपषट दख सक थ तक सव क ततलए बरहमचयय आवकयक ह मझ

लग तक इस परक र की सव को मर तहसस अमधक मधक आिी ही रहगी और यदद म भोग-तवल स

म साि नोतपतति म और सािति क प लन-पोषण म लग रह िो मझस समपणय सव नही हो

सकगी म दो घोडो पर सव री नही कर सकि यदद पतनी सगभ य हो िो म तनशििि भ व स इस

सव म परवि हो ही नही सकि बरहमचयय क प लन तकय तबन पररव र की वजदध करि रहन

सम ज क अभयदय क ततलए तकय ज न व ल मनषय क परयतन क तवरोध करन व ली वसि बन

ज िी ह

म मन-ही-मन इस तवच रो को पकक कर रह थ और शरीर को कस रह थ तक इिन म

कोई यह अरव ह ल य तक तवरोह श नदि होन ज रह ह और अब हम छटटी ममल ज एगी दसर

ददन हम घर ज न की इज जि ममली और ब द म कछ ही ददनो क अादर सब अपन-अपन घर

पहाच गय इसक कछ ही ददनो ब द गवनयर न उि सव क ततलए मर न म आभ र-परदशयन क एक

तवशष पि भज

रीतनकस पहाचकर मन वरि ल ततलय तक अबस आग जीवन-भर बरहमचयय क प लन

करा ग उस समय म इस वरि क महततव और इसकी कदठन इयो को परी िरह समझ न सक थ

इसकी कदठन इयो क अनभव िो म आज भी करि रहि हा इसक महततव को म ददन-ददन

अमधक मधक समझि ज ि हा बरहमचयय-रतहि जीवन मझ शषक और पशओ-जस परिीि होि

ह पश सवभ व स तनराकश ह मनषय क मनषयतव सवछछ स अाकश म रहन म ह धमयगराथो म

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प यी ज नव ली बरहमचयय की परशास म पहल मझ अतिशयोतति म लम होिी थी उसक बदल अब

ददन-ददन यह अमधक सपषट होि ज ि ह तक वह उमचि ह और अनभव-पवयक ततलखी गयी ह

जजस बरहमचयय क ऐस पररण म आ सकि ह वह सरल नही हो सकि वह कवल श रीररक

भी नही हो सकि श रीररक अाकश स बरहमचयय क आराभ होि ह परनदि शदध बरहमचयय म तवच र

की मततलनि भी न होनी च तहए सापणय बरहमच री को िो सवपन म भी तवक री तवच र नही आि

और जब िक तवक र-यि सवपन आि रहि ह िब िक यह समझन च तहए तक बरहमचयय बहि

अपणय ह

इस परक र जजस बरहमचयय क प लन म इछछ य अतनछछ स सन १९०० स करि ज रह

थ वरि क रप म उसक आराभ १९०६ क मधय स हआ

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४७ पतनी की दढता

कसतरबाई पर रोग क िीन घ िक हमल हए और िीनो म वह कवल घरल उपच रो स बच गई

उनम पहली घटन उस समय घटी जब सतय गरह क यदध चल रह थ उस ब र-ब र रिसर व

हआ करि थ एक डोकटर ममि न शसितकरय कर लन की सल ह दी थी उसक शरीर बहि

ही कषीण हो गय थ डोकटर न तबन कलोरोफ मय क शसितकरय की शसितकरय क समय पीड

बहि हो रही थी पर जजस धीरज स कसिरब ई न उस सहन तकय उसस म आिययचतकि हो

गय शसितकरय तनरविधन परी हो गयी डोकटर न और उनकी पतनी न कसिरब ई की अछछी स र-

साभ ल की

यह घटन डरबन म हई थी दो य िीन ददन क ब द डोकटर न मझ तनकषिनदि होकर

जोह तनसबगय ज न की अनमति द दी कछ ही ददन ब द खबर ममली तक कसिरब ई क शरीर

तबलकल सधर नही रह ह और वह तबछौन छोडकर उठ-बठ भी नही सकिी एक ब र बहोश

भी हो चकी थी डोकटर ज नि थ तक मझस पछ तबन औषमध य अनदन क रप म कसिरब ई को

शर ब अथव म ास नही ददय ज सकि डोकटर न मझ जोह तनसबगय म टलीफोन तकय ldquoम

आपकी पतनी को बीफ-टी दन की जररि समझि हा मझ इज जि ममलनी च तहएrdquo

मन उिर ददय ldquoम यह इज जि नही द सकि तकनदि कसिरब ई सविाि ह उसस पछन-

जसी चसथति हो िो पमछय और वह लन च ह िो जरर दीजजए rdquo

ldquoऐस म मलो म म बीम र स कछ पछन पसाद नही करि सवया आपक यह ा आन

जररी ह यदद आप म जो च हा सो खखल न की छट मझ न द िो म आपकी सिी क ततलए जजममद र

नहीrdquo

मन उसी ददन डरबन की रन पकडी डरबन पहाच डोकटर न मझस कह ldquoमन िो

शोरव तपल न क ब द ही आपको टलीफोन तकय थ rdquo

मन कह ldquoडोकटर म इस दग समझि हाrdquo

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डोकटर न दढि -पवयक उिर ददय ldquoदव करि समय म दग -वग नही समझि हम

डोकटर लोग ऐस समय रोगी को अथव उसक साबामधयो को धोख दन म पणय समझि ह हम र

धमय िो तकसी भी िरह रोगी को बच न हrdquo

मझ बहि ःख हआ पर म श नदि रह डोकटर ममि थ सजजन थ उनदहोन और उनकी

पतनी न मझ पर उपक र तकय थ पर म उि वयवह र सहन करन क ततलए िय र न थ

ldquoडोकटर स हब अब चसथति सपषट कर लीजजए कतहए आप कय करन च हि ह म

अपनी पतनी को उसकी इछछ क तबन म ास नही खखल न दाग म ास न लन क क रण उनकी मतय

हो ज य िो म उस सहन क ततलए िय र हाrdquo

डोकटर बोल ldquoआपकी तफल सफी मर घर म िो हरतगज नही चलगी म आपस कहि हा

तक जब िक अपनी पतनी को आप मर घर म रहन दग िब िक म उस अवकय ही म ास अथव

जो कछ भी दन उमचि होग दाग यदद यह सवीक र न हो िो आप अपनी पतनी को ल ज इए

म अपन ही घर म ज न-बझकर उसकी मतय नही होन दाग rdquo

ldquoिो कय आप यह कहि ह तक म अपनी पतनी को इसी समय ल ज ऊा rdquo

ldquoम कब कहि हा तक ल ज इय म िो यह कहि हा तक मझ पर तकसी परक र क अाकश

न रखखय उस दश म हम दोनो उसकी जजिनी हो सकगी उिनी स र-साभ ल करग और आप

तनकषिनदि होकर ज सक ग यदद यह सीधी-सी ब ि आप न समझ सक िो मझ तववश होकर

कहन होग तक आप अपनी पतनी को मर घर स ल ज इएrdquo

मर खय ल ह तक उस समय मर एक लडक मर स थ थ मन उसस पछ उसन कह

ldquoआपकी ब ि मझ माजर ह ब को म ास िो ददय ही नही ज सकि rdquo

तफर म कसिरब ई क प स गय वह बहि अशि थी उसस कछ भी पछन मर ततलए

ःखद यी थ तकनदि धमय समझकर मन उस थोड म उपर की ब ि कह सन ई उसन दढि -पवयक

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उिर ददय ldquoम म ास क शोरव नही लागी मनषय की दह ब र-ब र नही ममलिी च ह आपकी

गोद म म मर ज ऊा पर अपनी इस दह को भरषट िो नही होन दागीrdquo

जजिन म समझ सकि थ मन समझ य और कह ldquoिम मर तवच रो क अनसरण

करन क ततलए बाधी हई नही होrdquo

हम री ज न-पहच न क कई तहनदद दव क ततलए म ास और मदय लि थ इसकी भी मन ब ि

की पर वह टस-स-मस न हई और बोली ldquoमझ यह ा स ल चततलएrdquo

म बहि परसनद न हआ ल ज न क तवच र स घबर गय पर मन तनिय कर ततलय डोकटर

को पतनी क तनिय सन ददय डोकटर गसस हए और बोल

ldquoआप िो बड तनदयय पति म लम पडि ह ऐसी बीम री म उस बच री स इस िरह की ब ि

करन म आपको शरम भी नही आयी म आपस कहि हा तक आपकी सिी यह ा स ल ज न ल यक

नही ह उसक शरीर इस योगय नही ह तक वह थोड भी धकक सहन कर र सि म ही उसकी

ज न तनकल ज ए िो मझ आियय न होग तफर भी आप अपन हठ क क रण तबलकल न म न

िो आप ल ज न क ततलए सविाि ह यदद म उस शोरव न द सका िो अपन घर म एक र ि रखन

क भी खिर म नही उठ सकि rdquo अिः वह ा स तनकल ज न क तनणयय कर ततलय

ररमजझम-ररमजझम मह बरस रह थ सटशन दर थ डरबन स रीतनकस िक रल क और

रीतनकस स लगभग ढ ई मील क पदल र सि थ खिर क री थ पर मन म न तक भगव न

मदद करग एक आदमी को पहल स रीतनकस भज ददय रीतनकस म हम र प स हमक थ

ज लीद र कपड की झोली य प लन को हमक कहि ह मन वसट को खबर भजी थी तक व हमक

एक बोिल गरम दध एक बोिल गरम प नी और छह आदममयो क स थ लकर सटशन पर आ

ज एा

दसरी रन क छटन क समय होन पर मन ररकश मागव य और उसम इस खिरन क

ह लि म पतनी को बठ कर म रव न हो गय

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मझ पतनी को तहममि नही बाध नी पडी उलट उसीन मझ तहममि बाध ि हए कह ldquoमझ

कछ नही होग आप मचनदि न कीजजएrdquo

हमियो क इस ढ ाच म वजन िो कछ रह ही नही गय थ ख य तबलकल नही ज ि थ

रन क मडब िक पहाचन म सटशन क लाब-चौड पलटफ मय पर दर िक चलकर ज न पडि थ

वह ा िक ररकश नही ज सकि थ म उस उठ कर मडब िक ल गय रीतनकस पहाचन पर िो

वह झोली आ गयी थी उसम बीम र को आर म स ल गय वह ा कवल प नी क उपच र स धीर-

धीर कसिरब ई क शरीर पषट होन लग

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४८ घर म सतयागरह

मझ जल क पहल अनभव सन १९०८ म हआ उस समय मन दख तक जल म क़दी स जो

कछ तनयम पलव य ज ि ह सायमी अथव बरहमच री को उनक प लन सवछछ पवयक करन च तहए

जस क़दी को सय यसि स पहल प ाच बज िक ख लन होि ह उनदह ndash तहनदसि नी और हबशी

क़दी को ndash च य य कोफी नही दी ज िी नमक ख न हो िो अलग स लन होि ह सव द क

ततलए िो कछ ख य ही नही ज सकि

जब मन जल क डोकटर स तहनदसि तनयो क ततलए करी प उडर म ाग और नमक बनिी

हई रसोई म ही ड लन की ब ि कही िो व बोल ldquoयह ा आप लोग सव द क आननदद लटन क

ततलए नही आय ह आरोगय की दतषट स करी प उडरrdquo की कोई आवकयकि नही ह आरोगय क

तवच र स नमक ऊपर स ल य पक ि समय रसोई म ड ल दोनो एक ही ब ि हrdquo

वह ा िो बडी महनि क ब द हम आखखर जररी पररवियन कर सक थ पर कवल सायम

की दतषट स दख िो दोनो परतिबाध अछछ ही थ ऐस परतिबनदध जब जबरदसिी लग य ज ि ह

िो वह सफल नही होि पर सवछछ स प लन करन पर ऐस परतिबनदध बहि उपयोगी ततसदध होि

ह अिएव जल स छटन क ब द मन य पररवियन भोजन म िरनदि तकय भरसक च य पीन बनदद

तकय और श म को जलदी ख न की आदि ड ली जो आज सव भ तवक हो गयी ह

तकनदि एक ऐसी घटन घटी जजसक क रण मन नमक क तय ग-तकय जो लगभग दस

वषय िक अखाड रप स क यम रह अनदन ह र-साबाधी कछ पसिको म मन पढ थ तक मनषय क

ततलए नमक ख न आवकयक नही ह और न ख न व ल को आरोगय की दतषट स ल भ ही होि ह

यह िो मझ सझ ही थ तक नमक न ख न स बरहमच री को ल भ होि ह मन यह भी पढ और

अनभव तकय थ तक कमजोर शरीर व ल को द ल न ख नी च तहए तकनदि म उनदह िरनदि छोड न

सक थ दोनो चीज मझ तपरय थी

यदयतप उि शसितकरय क ब द कसिरब ई क रिसर व थोड समय क ततलए बनदद हो गय

थ पर अब वह तफर शर हो गय और तकसी परक र बनदद ही न होि थ अकल प नी क उपच र

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वयथय ततसदध हए यदयतप पतनी को मर उपच रो पर तवशष ldquoशरदध नही थी िथ तप उनक ततलए

तिरसक र भी नही थ दसरी दव करन क आगरह न थ मन उस नमक और द ल छोडन क ततलए

मन न शर तकय बहि मन न पर भी अपन कथन क समथयन म कछ-न-कछ पढकर सन न

पर भी वह म नी नही आखखर उसन कह ldquoद ल और नमक छोडन को िो कोई आपस कह

िो आप भी न छोडगrdquo मझ ःख हआ और हषय भी हआ मझ अपन परम उाडलन क अवसर

ममल उसक हषय म मन िरनदि ही कह ldquoिमह र यह खय ल ग़लि ह मझ बीम री हो और वदय

इस चीज को य दसरी तकसी चीज को छोडन क ततलए कह िो म अवकय छोड दा लतकन ज ओ

मन िो एक स ल क ततलए द ल और नमक दोनो छोड िम छोडो य न छोडो यह अलग ब ि

हrdquo

पतनी को बहि पि ि प हआ वह कह उठी ldquoमझ म र कीजजए आपक सवभ व ज नि

हए भी म कहि कह गयी अब म द ल और नमक नही ख ऊा गी लतकन आप अपनी ब ि लौट

ल यह िो मर ततलए बहि बडी सज हो ज एागीrdquo

मन कह ldquoअगर िम द ल और नमक छोडोगी िो अछछ ही होग मझ तवशव स ह तक

उसस िमह ल भ होग पर म ली हई परतिजञ व पस नही ल सका ग मझ िो इसस ल भ ही ह

मनषय तकसी भी तनममि स सायम क यो न प ल उसम उस ल भ ही ह अिएव िम मझस आगरह

न करो तफर मर ततलए भी यह एक परीकष हो ज एगी और इन दो पद थो को छोडन क जो तनिय

िमन तकय ह उस पर दढ रहन म िमह मदद ममलगीrdquo इसक ब द मझ उस मन न की जररि

िो रही ही नही ldquoआप बहि हठील ह तकसी की ब ि म नि ही नहीrdquo कहकर और अाजततल-भर

आास बह कर वह श नदि हो गयी

म इस सतय गरह क न म दन च हि हा और इसको अपन जीवन की मधर समतियो म स

एक म नि हा

इसक ब द कसिरब ई की िबीयि खब साभली

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नमक और द ल छड न क परयोग मन दसर स ततथयो पर भी क री तकय ह और दकषकषण

अफ़रीक म िो उनक पररण म अछछ ही आय ह वदयक दतषट स दोनो चीजो क तय ग क तवषय म

दो मि हो सकि ह पर इसम मझ कोई शाक ही नही तक सायम की दतषट स िो इन दोनो चीजो क

तय ग म ल भ ही ह भोगी और सायमी क आह र कषभनद न होन च तहए उनक म गय कषभनद न होन च तहए

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४९ सयम की ओर

आग चलकर बरहमचयय की दतषट स आह र म पररवियन होन लग

टोलसटोय फ मय पर दध क तय ग तकय यह घटन सन १९१२ म घटी

इिन तय ग स मझ श ननदि न हई दध छोडन क कछ ही समय ब द कवल फल ह र क

परयोग क भी हमन तनिय तकय फल ह र म भी जो ससि स ससि फल ममल उनस ही अपन

तनव यह करन क हम र तनिय थ

जजन ददनो मन दध और अन ज छोडकर फल ह र क परयोग शर तकय उनदही ददनो सायम

क हि स उपव स भी शर तकय

दसर उपव सो और एक शनो म भी आशरमव सी ससतममततलि होन लग और म म नि हा

तक इसक पररण म शभ तनकल सबक हदयो पर सायम क तकिन परभ व पड सबक तवषयो

को सायि करन म उपव स आददन तकिन ह थ बाट य यह म तनिय-पवयक नही कह सकि पर

मर अनभव यह ह तक उपव स आदद स मझ पर िो आरोगय और तवषय-तनयमन की दतषट स बहि

अछछ परभ व पड इजनदरयदमन क हि स तकय गय उपव स स ही तवषयो को सायि करन क

पररण म तनकल सकि ह कछ ममिो क यह अनभव भी ह तक उपव स की सम नपि पर

तवषयछछ और सव द िीवर हो ज ि ह मिलब यह तक उपव स क ददनो म तवषय को सायि करन

और सव द को जीिन की सिि भ वन बनी रहन पर ही उसक शभ पररण म तनकल सकि ह

गीि जी क दसर अधय य क यह शलोक यह ा बहि तवच रणीय ह

तवषय तवतनवियनदि तनर ह रसय दतहनः

रसवज रसोऽपयसय परा दषटव तनवियि

उपव सी क तवषय (उपव स क ददनो म) श नदि होि ह पर उसक रस नही ज ि रस िो

ईशवर-दशयन स ही ndash ईशवर-परस द स ही श नदि होि ह

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ि तपयय यह तक सायमी क म गय म उपव स आदद एक स धन क रप म ह तकनदि य ही सब

कछ नही ह और यदद शरीर क उपव स क स थ मन क उपव स न हो िो उसकी पररणति दाभ

म होिी ह और वह ह तनक रक ततसदध होि ह

आतम की ततशकष एक तबलकल कषभनद न तवभ ग ह इस म टोलसटोय आशरम क ब लको को

ततसख न लग उसक पहल ही ज न चक थ आतम क तवक स करन क अथय ह चररि क

तनम यण करन ईशवर क जञ न प न आतमजञ न पर पि करन इस जञ न को पर पि करन म ब लको

को बहि जय द मदद की जररि होिी ह और इसक तबन दसर जञ न वयथय ह ह तनक रक भी

हो सकि ह ऐस मर तवशव स थ

आततमक ततशकष तकस परक र दी ज ए म ब लको स भजन गव ि उनदह नीति की पसिक

पढकर सन ि तकनदि इसस मझ सािोष न होि थ जस-जस म उनक सापकय म आि गय मन

यह अनभव तकय तक यह जञ न पसिको दव र िो ददय ही नही ज सकि शरीर की ततशकष जजस

परक र श रीररक कसरि दव र दी ज िी ह और बजदध की बौजदधक कसरि दव र उसी परक र आतम

की ततशकष आततमक कसरि दव र ही दी ज सकिी ह आतम की कसरि ततशकषक क आचरण

दव र ही पर पि की ज सकिी ह अिएव यवक ह जजर हो च ह न हो ततशकषक को स वध न रहन

च तहए लाक म बठ हआ ततशकषक भी अपन आचरण दव र अपन ततशषयो की आतम को तहल

सकि ह म सवया झठ बोला और अपन ततशषयो को सछच बन न क परयतन करा िो वह वयथय ही

होग डरपोक ततशकषक ततशषयो को वीरि नही सीख सकि वयकषभच री ततशकषक ततशषयो को सायम

तकस परक र ततसख यग मन दख तक मझ अपन प स रहन व ल यवको और यवतियो क सममख

पद थयप ठ-स बनकर रहन च तहए इस क रण मर ततशषय मर ततशकषक बन म यह समझ तक मझ

अपन ततलए नही बचलक उनक ततलए अछछ बनन और रहन च तहए अिएव कह ज सकि ह

तक टोलसटोय आशरम क मर अमधकिर सायम इन यवको और यवतियो की बदौलि थ

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५० वकालत क कछ ससमरि

वकालत क धाध झठ बोल तबन चल ही नही सकि ऐस म जब तवदय थी थ िब स सनि

आय हाजठ बोलकर म न िो कोई पद लन च हि थ और न पस कम न च हि थ इसततलए

इन ब िो क मझ पर कोई परभ व नही पडि थ

मवचककल को म शर स ही कह दि थ ldquoम मल झठ हो िो मर प स मि आन स कषी

को ततसख न-पढ न क क म करन की मझस कोई आश न रखन rdquo आखखर मरी स ख िो यही

क यम हई थी तक झठ मक़ददम मर प स आि ही नही

एक अवसर ऐस भी आय

जब चलि मक़ददम क दौर न म मन दख तक मर मवचककल न मझ ठग ततलय ह मक़ददम

जोह तनसबगय की मजजसरट की कोटय म चलि थ उसक मक़ददम झठ थ वह कठहर म खड

इस िरह क ाप रह थ म नो अभी तगर पडग अिएव मन मजजसरट को मवचककल क तवरदध

फसल दन को कह और मवचककल बठ गय परतिपकषी क वकील आिययचतकि हो गय

मजजसरट खश हआ मवचककल को मन उल हन ददय वह ज नि थ तक म झठ मक़ददम नही

लि थ उसन यह ब ि सवीक र की और म म नि हा तक मन उसक खखल र रसल म ाग

इसक ततलए वह गसस न हआ जो भी हो पर मर इस बरि व क कोई बर परभ व मर धाध पर

नही पड और अद लि म मर क म सरल हो गय मन यह भी दख तक सतय की मरी इस पज

स वकील-बाधओ म भी मरी परतिषठ बढ गयी थी और तवमचि पररचसथतियो क रहि हए भी उनम

स कछ की परीति म पर पि कर सक थ

वक लि करि हए मन एक ऐसी आदि भी ड ली थी तक अपन अजञ न न म मवचककलो

स मछप ि थ और न वकीलो स जह ा-जह ा मझ कछ सझ न पडि वह ा-वह ा म मवचककल स

दसर वकील क प स ज न को कहि अथव मझ वकील करि िो म उसस कहि तक अपन स

अमधक अनभवी वकील की सल ह लकर म उसक क म करा ग अपन इस शदध वयवह र क

क रण म मवचककलो क अटट परम और तवशव स साप दन कर सक थ

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मर मवचककल स थी िथ ममि प रसी रसिमजी एक ब र बडी मतककल म फा स गय

अपन वय प र की भी बहि सी ब ि व मझस तकय करि थ लतकन एक ब ि उनदहोन मझस मछप

रखी थी प रसी रसिमजी चागी की चोरी तकय करि थ व बमबई-कलकि स जो म ल माग ि

थ सब अमधक ररयो स उनक अछछ मलजोल थ इस क रण कोई उन पर शक करि ही न थ

व जो बीजक पश करि उसी पर चागी ल ली ज िी थी ऐस भी अमधक री रह होग जो उनकी

चोरी की ओर स आाख माद लि होग

व दौड-दौड मर प स आय आाखो स आास बह रह थ और व कह रह थ ldquoभ ई मन

आपस कपट तकय ह मर प प आज परकट हो गय ह मन चागी की चोरी की ह अब मर भ गय

म िो जल ही हो सकिी ह म बरब द होन व ल हा इस आरि स आप ही मझ बच सकि ह

मन धीरज दकर कह ldquoमरी रीति स िो आप पररमचि ही ह छड न न छड न खद क

ह थ ह अपर ध सवीक र करक छड य ज सक िो ही म छड सकि हाrdquo

इन भल प रसी क चहर उिर गय

रसिमजी सठ बोल ldquoलतकन आपक स मन मर अपर ध सवीक र कर लन कय क री

नही हrdquo

मन धीर स जव ब ददय ldquoआपन अपर ध िो सरक र क तकय ह और सवीक र मर स मन

करि ह इसस क य होि हrdquo

मन उनदह समझ य ldquoम इस म मल को अद लि म ज न ल यक नही म नि मक़ददम

चल न न चल न चागी-अमधक री क ह थ म ह उस भी सरक र क मखय वकील की सल ह क

अनस र चलन पडग म दोनो स ममलन को िय र हा म सोचि हा तक जो दणड व ठहर य उस

सवीक र कर लन च तहए बहि करक िो व म न ज एाग पर कद मचि न म न िो आपको जल

क ततलए िय र रहन होग मर िो यह मि ह तक लजज जल ज न म नही बचलक चोरी करन म

ह लजज क क म िो हो चक ह जल ज न पड िो उस पर यकषिि समजझय सछच पर यकषिि

िो भतवषय म तफर कभी चागी की चोरी न करन की परतिजञ म हrdquo

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म नही कह सकि तक रसिमजी सठ इन स री ब िो को भलीभ ािी समझ गय थ व

बह र आदमी थ पर इस ब र तहममि ह र गय थ उनकी परतिषठ नषट होन क समय आ गय

थ और परशन यह थ तक कही उनकी अपनी महनि स बन यी हई इम रि ढह न ज य

मन इस म मल म तवनय की अपनी स री शतति लग दी म अमधक री स ममल और स री

चोरी की ब ि उसस तनभययि -पवयक कह दी सब बहीख ि ददख दन को कह और प रसी

रसिमजी क पि ि प की ब ि भी कही

मन कह ldquoप रसी रसिमजी को अद लि म घसीटन पर जोर न ददय ज ए िो मझ

सािोष हो ज एाग rdquo

इस अमधक री स अभय-द न पर पि करक मन सरक री वकील स पिवयवह र शर तकय

उनस ममल मझ कहन च तहए तक मरी सतयतपरयि उनक धय न म आ गयी म उनक स मन यह

ततसदध कर सक तक म उनस कछ मछप नही रह हा

रसिमजी पर मक़ददम नही चल उनक दव र कबल की गयी चागी की चोरी क दन रपय

लकर मक़ददम उठ लन क हकम ज री हआ

रसिमजी न अपनी चागी चोरी की कह नी ततलखकर शीश म मढव ली और उस अपन

दफिर म ट ागकर अपन व ररसो और स थी वय प रयो को चि वनी दी

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५१ सतयागरह का जनम

झल बाड की नौकरी पणय करक म ममिो क ममलन रीतनकस पहाच रीतनकस क सब ममिो स

ममल कर म िरनदि जोह तनसबगय पहाच गय वह ा ओतफस म मन ऊपर बि य एततशय दटक तबल

क मसौद पढ २२ अगसि १९०६ को परक ततशि हआ र नदसव ल सरक र क वह अस ध रण

गजट जजसम तबल क मसौद छप थ

इस तबल क आध र पर र नदसव ल म रहन क अमधक र रखन व ल परतयक तहनदसि नी

परष सिी और आठ वषय क अथव आठ वषय स ऊपर क ब लक-ब ततलक ओ को एततशय दटक

तवभ ग क दफिर म न म ततलख कर परव न ल लन च तहए य परव न लि समय अपन पर न

परव न वह ा क अमधक ररयो को सोप दन च तहए अरजी म हर तहनदसि नी को अपन न म पि

ज ति उमर बगर ततलखन च तहए न म दजय करन व ल अमधक री (रजजसर र) को अजयद र क

शरीर पर कोई ख स तनश तनय ा हो िो उनदह ततलख लन च तहए और अजयद र की सब अागततलयो

और अागठ की छ प लनी च तहए तनकषिि की हई अवमध क भीिर जो तहनदसि नी सिी-परष इस

िरह अरजी न कर उनक र नदसव ल म रहन क अमधक र रद हो ज एाग अरजी न करन क़ नन

क अनस र अपर ध म न ज एग इस अपर ध क ततलए जम यन तकय ज सकि ह जल की

सज हो सकिी ह और कोई उमचि समझ िो अपर धी को दशतनक ल की सज भी द सकिी ह

इस परव न की म ाग र सि चलि य िी स भी की ज सकिी ह परव नो की ज ाच करन क ततलए

पततलस अमधक री लोगो क घरो म भी परवश कर सकि ह

जह ा िक म ज नि हा इस परक र क क़ नन तनय क तकसी भी तहसस म सविाि म नवो

क ततलए नही बन य गय होग

दसर ददन अगरगणय तहनदसि तनयो को एकि करक मन उनदह यह तबल अकषरशः समझ य

इसक फलसवरप उन लोगो पर तबल क वही असर हआ जो मझ पर हआ थ सब कोई तबल

की गाभीरि को समझ गय यह तनणयय तकय गय एक स वयजतनक सभ की ज एा

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११ ततसिमबर १९०६ को तहनदसि तनयो की सभ हई सभ म जजिन परसि व प स हए थ

उसम चौथ परसि व बहि ही महततवपणय थ

lsquoइस तबल क तवरोध म स र उप य तकय ज न क ब वजद यदद वह ध र सभ म प स हो ही

ज एा िो तहनदसि नी उसक स मन ह र न म न और ह र न म नन क फलसवरप जो जो ःख

भोगन पड उन सबको बह री स सहन कर

हम म स कोई यह ज नि नही थ तक इस तनिय को अथव आादोलन को कय न म ददय

ज सकि ह

शरी मगनल ल ग ाधी न सद गरहrsquo न म भज क रण बि ि हए उनदहोन ततलख तक

तहनदसि तनयो क यह आनददोलन एक मह न lsquoआगरहrsquo ह और यह आगरह lsquoसदrsquo अथ यि शभ ह

इसीततलए उनदहोन यह न म चन ह परनदि जजस वसि क सम वश म सझ य हए न म म करन

च हि थ वह इसम नही आिी थी इसीततलए मन lsquoदrsquo क ि करक उसम य जोड ददय और

सतय गरहrsquo न म बन ददय सतय क भीिर श ाति क सम वश म नकर और तकसी भी वसि क

आगरह करन स उसम बल उतपनदन होि ह इसततलए आगरह म बल क सम वश करक मन भ रिीयो

क इस आनददोलन को सतय गरहrsquo अथ यि सतय और श ाति स उतपनदन होनव ल बल ndash क न म ददय

और उसी न म स इसक पररचय कर य और िबस पततसव रजजसटनदस शबद क उपयोग इस

आनददोलन क ततलए बनदद कर ददय

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५२ क़द

१९०७ की पहली जल ई आई परव न दन व ल सरक री दफिर खल कौम क आदश थ तक

हरएक दफिर क स मन खल आम तपकटटिग तकय ज य ndash अथ यि दफिर ज न क म गो पर

सवयासवक रख ज एा और व दफिर म ज न व ल लोगो को वह ा तबछ य गय ज ल स स वध न

कर

अथक पररशरम करन क ब द भी जब एततशय दटक ओतफस को ५०० स अमधक न म नही

ममल सक िो एततशय दटक तवभ ग क अमधक री इस तनणयय पर आय तक तकसी न तकसी तहनदसि नी

को तगरफि र करन च तहए जरमिसट म बहि स तहनदसि नी रहि थ उनम स एक र मसनददर

पामडि तहनदसि नी भी थ उसन जगह-जगह भ षण ददय अपन भ षणो को वह खब जोशील

बन सकि थ जरमिसटन क कछ तवधन-सािोषी तहनदसि तनयो न एततशय दटक ओतफस स कह

तक यदद र मसनददर पामडि को तगरफि र कर ततलय ज य िो जरमिसटन क बहि स तहनदसि नी

एततशय दटक ओतफस स परव न ल लग उस ओतफस क अमधक री र मसनददर पामडि को पकडन

क परलोभन स अपन को रोक नही सक र मसनददर पामडि तगरफि र कर ततलय गय इस िरह

क यह पहल ही मक़ददम होन स सरक र और तहनद सि नी कौम म बडी खलबली मच गई

जजस ददन उस जल की सज ममली वह ददन कौम न बडी धमध म स मन य कौम क

एक भी आदमी उसक जल ज न स तनर श नही हआ बचलक स री कौम क उतस ह और जोश

बढ गय सकडो तहनदसि नी जल ज न को िय र हो गय एततशय दटक ओतफस की आश परी

नही हई जरमिसटन क तहनदसि नी भी परव न लन नही गय कौम को ही ल भ हआ

लतकन र मसनददर पामडि खोट ततसकक तनकल तफर भी सवछछनदद घमन व ल और स थ

ही वयसनी आदमी जल क एक ािव स को िथ अनक परक र क भोजन ममलन पर भी जल क

सायम को सहन नही कर सकि यही चसथति र मसनददर पामडि की हई कौम क लोगो क और

जल क अमधक ररयो क इिन समम न ममलन पर भी जल उस कडव लग और वह र नदसव ल

िथ सतय गरह की लड ई को अातिम नमसक र करक र िोर ि भ ग खड हआ

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परनदि र मसनददर क पर इतिह स मन उसक दोष ददख न क ततलए यह ा नही ददय ह यह

इतिह स मन इस घटन क भीिर मछप गढ अथय को परकट करन क ततलए ही ददय ह परतयक शदध

आनददोलन क नि ओ क यह कियवय ह तक व शदध आनददोलन म शदध आदममयो को ही भरिी कर

एततशय दटक ओतफस क अमधक ररयो न सोच तक कौम क अमक नि ओ को तगरफि र

नही तकय ज यग िब िक लड ई क बल कभी टट नही सकग इसक फलसवरप ददसमबर

१९०७ क अातिम सपि ह म कछ नि ओ को अद लि म ह जजर होन की नोदटस ममली

तनकषिि तकय हए ददन ndash शतनव र

ि ० २८-१२-१९०७ को ndash अद लि म जो नि ह जजर रह थ उनदह इस िरह की नोदटस क

उिर दन थ क़ नन क अनस र आप लोगो को परव न पर पि कर लन च तहए थ तफर भी आपन

पर पि नही तकय इसततलए आपको ऐस हकम कयो न ददय ज य तक अमक समय क भीिर आप

र नदसव ल की सीम छोड दrsquo

लतकन सबक कस अलग-अलग चल य गय थ मजजसरट न कछ लोगो को ४८ घाटो क

भीिर और ब की को ७ य १४ ददन म र नदसव ल छोड दन क आदश ददय इस आदश की अवमध

१० जनवरी १९०८ को परी होिी थी उसी ददन हम सज सनन क ततलए अद लि म उपचसथि

होन क आदश ममल थ

हम म स तकसीको अपन बच व िो करन ही नही थ क़ नन क अनस र परव न न लन

क क रण तनकषिि अवमध म र नदसव ल की सीम छोड दन क मजजसरट न जो आदश ददय थ

उसक सतवनय अन दर करन क अपर ध हम सबको सवीक र करन थ

मन अद लि स एक छोट स विवय दन की इज जि म ागी वह इज जि मझ ममली मन

इस आशय क विवय ददय मर मक़ददम म और मर ब द आन व ल लोगो क मक़ददम म भद

तकय ज न च तहए मझ अभी-अभी तपरटोररय स य सम च र ममल ह तक वह ा मर दशबनदधओ

को िीन म स की कडी क़द की सज और भ री जम यन हआ ह और जम यन न दन पर िीन म स

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की कडी क़द की सज दी गई ह अगर उन लोगो न अपर ध तकय ह िो मन उनस कही बड

अपर ध तकय ह इसततलए मजजसरट स मरी पर थयन ह तक व मझ कडी स कडी सज द

दसर अथव िीसर ददन स सतय गरही क़दी बडी साखय म आन लग थ व ज न-बझकर

तगरफि र होि थ उनम स अमधकिर लोग फरी लग न व ल ही थ फरीव ल लोग इसम सबस

आग रह उनक ततलए तगरफि र होन आस न भी थ उनदह कवल परव न बि न स इनक र करन

होि थ उसक ब द उनक तगरफि र होन तनकषिि थ एक हफि म इस िरह तगरफि र होन

व ल सतय गरही क़दी की साखय १०० स अमधक हो गई और थोड-बहि क़दी िो रोज ही आि

थ इसततलए हम बगर अखब र क ही स र सम च र ममल ज ि थ जब बडी साखय म सतय गरही

तगरफि र तकय ज न लग िब सरक र की ओर स मजजसरटो को सचन की गई तक कडी क़द की

सज ही दी ज य

जोहतनसबगय की जल म स दी क़द की सज व ल क़दी को भोजन म सबर मकक क आट

की लपसी य क ाजी ममलिी थी उसम नमक ड ल नही ज ि थ परनदि हर क़दी को अलग स

थोड नमक ददय ज ि थ दोपहर ब रह बज च र औस भ ि ऊपर स नमक और एक औस घी

और च र औस ड ल-रोटी दी ज िी थी श म को मकक क आट की क ाजी और उसक स थ थोड

स ग स ग म भी मखयिः आल ददय ज ि थ आल छोट होि िो दो ददय ज ि और बड होि िो

एक ददय ज ि थ इिन भोजन स तकसीक भी पट नही भरि थ च वल मचकन और गील

पक य ज ि थ हमन जल क डोकटर स थोड मस ल की म ाग की और कह तक तहनदसि न की

जलो म क़ददयो को मस ल ममलि ह डोकटर न कड उिर ददय ldquoयह तहनदसि न नही ह क़दी

क ततलए सव द नही होि इसततलए मस ल भी नही हो सकि rdquo हमन द ल की म ाग की और

क रण म यह बि य तक जल क भोजन म सन यओ को पषट करन व ल कोई िततव नही ह इस

पर डोकटर न कह ldquoक़ददयो को डोकटरी दलील नही करनी च तहए आपको सन य-पोषक

भोजन ददय ज ि ह कयोतक सपि ह म दो ब र आपको मकक क बदल म श म क भोजन म

उबली हई मटर दी ज िी हrdquo यदद मनषय क पट एक हफि य पखब र म अलग-अलग समय

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पर ममलन व ल अलग-अलग िततवो स यि भोजन म स शरीर क ततलए आवकयक िततव खीच लन

की शतति रखन हो िब िो डोकटर क यह िकय सही थ

इस िरह जल म हम लगभग १५ ददन रह होग तक ब हर स आन व ल नय लोग यह

सम च र ल न लग तक सरक र क स थ समझौि करन की कोई ब िचीि चल रही ह

उस मसौद क आशय इस परक र थ तहनदसि तनयो को सवछछ स अपन परव न बदल

लन च तहए और यदद तहनदसि नी कौम क मखय भ ग सवछछ स परव न ल लग िो सरक र

खनी क़ नन रद कर दगी और सवछछ स ततलए गय परव नो को क़ ननी म नदयि दन क ततलए नय

क़ नन प स करगी समझौि क इस मसौद म खनी क़ नन रद करन की ब ि सपषट नही थी अपनी

दतषट स यह ब ि सपषट करन जजिन पररवियन मन मसौद म सझ य

जनरल समटस को ममलन क ततलए मझ तपरटोररय ल ज य गय ब िचीि क उपर नदि म

जो पररवियन सझ य थ इसक साबाध म जररी समझौि क मसौदी को उनदहोन सवीक र ततलय

क़ददयो को छोड ददय गय मन अपन दशव ततसयो को मसौद को समझ न शर तकय

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५३ हमला

मन िो दस अागततलयो की छ प दन की सवीकति दी इसस कछक पठ नभ ई मझ पर खर हए

ि ० १०-२-१९०८ क सबर हम म स कछ लोग परव न लन क ततलए एततशय दटक ओतफस

म ज न को िय र हो गय कौम क लोगो को अछछी िरह समझ ददय गय थ तक परव न लन

क क म यथ साभव जलदी स जलदी पर कर दन च तहए और सल ह-मशतवर क ब द यह ब ि

भी िय हो गई थी तक पहल ददन कौम क नि ही सबस पहल परव न लन ज एाग इसक पीछ

उददकय लोगो क साकोच दर करन एततशय दटक तवभ ग क अमधक री अपन क म ततशषटि स करि

ह य नही यह ज नन और अनदय परक र स उस क म की स री वयवसथ पर दखरख रखन थ

मर ओतफस सतय गरह-माडल क भी ओतफस थ वह ा पहाचि ही मन ओतफस की दीव ल क

ब हर मीर आलम और उसक स ततथयो को खड दख

मीर आलम मर पर न मवचककल थ अपन हर क म म वह मरी सल ह लि थ उसकी

ऊा च ई ६ फट स अमधक थी वह क़दद वर और दोहर शरीर क आदमी थ आज पहली ही ब र

मन मीर आलम को ओतफस क अनददर न दखकर ब हर खड दख और हम दोनो की आाख ममलन

पर भी उसन पहली ही ब र मझ सल म नही तकय लतकन मन उस सल म तकय इसततलए उसन

भी मझ सल म तकय अपनी आदि क अनस र मन उसस पछ ldquoकस होrdquo मर ऐस खय ल

ह तक उसन जव ब म कह थ ldquoअछछ हाrdquo परनदि आज उसक चहर पर हमश की मसक न

नही थी मन दख तक उसकी आाखो म गसस भर ह यह ब ि मन मन म ततलख ली मझ यह भी

लग तक आज कछ न कछ होन व ल ह मन ओतफस म परवश तकय अधयकष ईसप ममय ा और

दसर ममि भी आ पहाच और हम एततशय दटक ओतफस की ओर चल पड मीर आलम और उसक

स थी भी हम र पीछ-पीछ आय

एततशय दटक ओतफस की इम रि वोन बरतनदडस सकवअर म थी वोन बरतनदडस सरीट म चलि-

चलि हमन मससय आरनोट और तगबसन की सीम छोडी वह ा स एततशय दटक ओतफस िीनक

ममनट क र सल पर रह होग तक मीर आलम मरी बगल म आ गय उसन मझस पछ ldquoकह ा

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ज ि होrdquo मन उिर ददय ldquoम दस अागततलयो की छ प दकर रजजसटर (परव न ) तनकलव न

च हि हा अगर िम भी चलोग िो िमह दस अागततलयो की छ प दन की जररि नही ह िमह र

परव न (ततसरय दो अागठो की छ प क स थ) पहल तनकलव न क ब द म अागततलयो की छ प दकर

अपन तनकलव ऊा ग rdquo

अातिम व कय मन मतककल स पर तकय होग तक मरी खोपडी पर पीछ स ल ठी क एक

व र हआ म ह र म बोलि-बोलि बहोश होकर जमीन पर लढक गय ब द म कय हआ इसक

मझ कोई भ न नही थ लतकन मीर आलम न और उसक स ततथयो न मझ पर ल दठयो क अमधक

व र तकय और ल ि भी म री उनम स कछ ईसप ममय ा और थाबी न यड न झली इस क रण स

ईसप ममय ा और थाबी न यड पर भी थोडी म र पडी इिन म शोरगल मच आन-ज न व ल गोर

इकटठ हो गय मीर आलम और उसक स थी भ ग लतकन गोरोन उनदह पकड ततलय इस बीच

पततलस भी आ पहाची उसन पठ नो को तहर सि म ल ततलय

प स ही शरी ज० सी० तगबसन क ओतफस थ मझ उठ कर वह ा ल ज य गय कछ दर

ब द मझ होश आय िब मन रवरड डोक को अपन चहर पर झक हए दख उनदहोन मझस पछ

ldquoआपको कस लगि हrdquo

मन हासकर जव ब ददय ldquoअब ठीक हा लतकन मर द ािो म और पसततलयो म ददय होि

हrdquo तफर मन पछ ldquoमीर आलम कह ा हrdquo

डोक बोल ldquoउस और उसक स ततथयो को तगरफि र कर ततलय गय ह

मन कह ldquoव छटन च तहएrdquo

डोक ldquoवह सब िो होि रहग लतकन आप यह ा एक अपररमचि क ओतफस म पड ह

आपक होठ फट गय ह पततलस आपको असपि ल ल ज न को िय र ह लतकन अगर आप मर

यह ा चल िो म और शरीमिी डोक आपकी यथ शतति स र-साभ ल करगrdquo

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मन कह ldquoमझ आपक ही घर ल चततलए पततलस क परसि व क ततलए उस धनदयव द दीजजए

लतकन उसस कतहए तक मझ आपक यह ा ज न जय द पसाद हrdquo

इिन म एततशय दटक तवभ ग क अमधक री शरी चमनी भी आ पहाच मझ एक ग डी म ततलट

कर भल प दरी शरी डोक क तसमट सरीट चसथि तनव स-सथ न पर ल ज य गय मरी ज ाच क ततलए

एक डोकटर को बल य गय इस बीच मन शरी चमनी स कह ldquoमरी आश िो यह थी तक आपक

ओतफस म आकर और दस अागततलयो की छ प दकर पहल परव न म लाग लतकन ईशवर को

यह सवीक र नही थ अब मरी आपस पर थयन ह तक आप इसी समय ज कर जररी क़ गज ि ल

आइय और पहल परव न मझ दीजजए म आश रखि हा तक मर पहल आप दसर तकसीको

परव न नही दग rdquo

उनदहोन कह ldquoऐसी कय जलदी ह अभी डोकटर आयग आप आर म कर ब द म सब

कछ हो ज एाग दसरो को परव न दाग िो भी आपक न म सबस पहल रखाग rdquo

म बोल ldquoऐस नही मरी यह परतिजञ ह तक यदद म जजनदद रहा और ईशवर को माजर हो

िो सबस पहल म ही परव न लाग इसततलए मर आगरह ह तक आप क़ गज ि ल आइयrdquo

इस पर शरी चमनी क़ गज ि ल न क ततलए ओतफस गय

मर दसर क म एटनी-जनरल अथ यि सरक री वकील को यह ि र करन थ तक मीर

आलम और उसक स ततथयो न मझ पर जो हमल तकय उसक ततलए म उन लोगो को दोषी म नि

ही नही जो भी हो लतकन म नही च हि तक उन पर रौजद री मक़ददम चल म आश करि हा

तक मर ख तिर आप उनदह छोड दग rdquo

लतकन जोह तनसबगय क गोरो न एटनी-जनरल को इस आशय क एक कड पि ततलख

ldquoअपर धी को सज दन क ब र म ग ाधी क च ह जो तवच र हो लतकन इस दश म उन पर अमल

नही तकय ज सकि ग ाधी को जो म र पडी ह उसक ब र म व भल ही कछ न कर लतकन

हमल करन व ल लोगो न यह म र उनदह तकसी तनजी मक न म नही म री ह यह अपर ध पठ नो

न आम र सि पर तकय ह इसततलए यह एक स वयजतनक अपर ध म न ज एग कछ अागरज भी

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इस अपर ध की गव ही दन की चसथति म ह अपर मधयो को पकडन ही च तहएrdquo इस आनददोलन

क क रण एटनी-जनरल न तफर मीर आलम और उसक एक स थी को तगरफि र कर ततलय और

उनदह िीन-िीन महीन की कडी क़द की सज दी कवल मझ गव ह क रप म नही बल य गय

कौम क परति परमख क दव र मन एक साकषकषपि गजर िी म पि ततलख और परक ततशि करन

हि भज ददय

ldquoमरी िबीयि अछछी ह शरी डोक और शरीमिी डोक हदय क स र परम उाडल कर मरी

सव -शशरष कर रह ह म कछ ही ददनो म अपन क म साभ ल लाग जजन लोगो न मझ म र ह

उन पर मर मन म जर भी गसस नही ह उनदहोन बसमझी स यह क म तकय ह उन पर मक़ददम

चल न की कोई जररि नही अगर दसर लोग श ाि रहग िो इस घटन स भी हम ल भ ही होग

ldquoतहनदओ को च तहए तक व मन म जर भी रोष न रख म च हि हा तक इस घटन स

तहनदओ और मसलम नो क बीच खट स पद होन क बदल ममठ स पद हो खद स ndash ईशवर स

म यही य चन करि हा

ldquoम ईशवर स पर थयन करि हा तक वह कौम क भल कर उस सतय क म गय पर लग य और

तहनदओ िथ मसलम नो क ददलो को मर खन की पटटी स जोड दrdquo

शरी चमनी क़ गज ि लकर आय बडी कदठन ई स और जस-िस मन अपनी दस अागततलयो

की छ प उनदह दी उस समय मन उनकी आाखो म आास दख उनक खखल फ मझ अकसर कडी

ब ि ततलखनी पडिी थी लतकन इस घटन स मर स मन इस ब ि क परतयकष मचि खड हआ तक

मौक़ आन पर म नव क हदय तकिन कोमल बन सकि ह

यह तवमध परी करन म कछ ममनट स जय द समय नही लग होग शरी डोक और उनकी

भली पतनी मझ पणय श ाि और सवसथ दखन क ततलए अतयनदि उतसक थ हमल स घ यल होन क

ब द मर म नततसक क यय को दखकर दोनो को ःख होि थ उनदह भय थ तक इसक बर असर

कही मरी िबीयि पर न पड इसततलए साकि दकर और दसरी िरकीब क म म लकर व सब लोगो

को मर पलाग स दर हट ल गय और मझ ततलखन की य और कछ करन की मन ही कर दी मन

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उनस तवनिी की (और ततलख कर की) तक म तबलकल श ाति स सो ज ऊा इसस पहल और इसक

ततलए उनकी लडकी ओततलव ndash जो उस समय छोटी ब ततलक ही थी ndashमझ अपन तपरय अागरजी

भजन लोडय क इाडली ल इट (परमल जयोति ि रो द खवी मझ जीवनपाथ उज ढ) ग कर सन य

शरी डोक को मरी यह तवनिी बहि पसाद आई वह ब ि अपन मधर ह सय दव र उनदहोन मझ समझ

दी और ओततलव को इश र स बल कर दरव ज क ब हर खड-खड धीम सवर म वह भजन ग न क

ततलए कह यह ततलख ि समय वह सापणय दकय मरी आाखो क स मन िर रह ह और ओततलव क

ददवय सवर की गाज अभी भी मर क नो म गाज रही ह

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५४ लडाई की पनरावशतत

नहनदसतानीओन सवचछछक परव न तनकलव ततलए अब सरक र को खनी क़ नन हट दन

च तहए लतकन खनी क़ नन रद करन क बज य जनरल समटस न नय ही क़दम उठ य उनदहोन

तवध नसभ म जो नय तबल पश तकय उसक दव र खनी क़ नन को बह ल रख और सवछछ स

ततलए गय परव नो को क़ ननी कर र ददय स थ ही उस तबल म यह ध र भी जोडी तक जजन

तहनदसि तनयो न सवछछ स परव न ल ततलए ह उन पर खनी क़ नन ल ग नही तकय ज सकि

इस नय तबल को पढकर म िो हकक -बकक हो गय

सरक र को सतय गरतहयो क असतलटमटम अथव तनिय-पि की भजन की अवमध परी

होिी थी अवमध बीिन क दो-एक घाट ब द परव न जल न की स वयजतनक तवमध परी करन क

ततलए एक सभ बल ई गई थी सतय गरह-सममति न यह म न थ तक आश क तवपरीि कही सरक र

क अनकल उिर ममल ज ए िो भी सभ बल न वयथय नही होग कयोतक उस चसथति म सभ क

उपयोग सरक र क अनकल तनणयय कौम को सन न म कर ततलय ज एग

सभ शर होन ही व ली थी तक एक सवयासवक स इकल पर आ पहाच उसक ह थ म

ि र थ उसम सरक र क उिर थ उिर म तहनदसि नी कौम क तनिय क ततलए खद परकट तकय

गय थ और यह भी कह गय थ तक सरक र अपन तनिय बदलन म असमथय ह ि र पढकर

सभ म सबको सन ददय गय सभ न उसक सव गि तकय म नो सभ क लोगो को इस ब ि

क हषय हआ तक सरक र दव र तनिय-पि की म ाग सवीक र कर ततलए ज न स परव नो की होली

जल न क जो शभ अवसर उनक ह थ स चल ज ि वह चल नही गय

इस सभ म मीर आलम भी ह जजर थ उसन सभ म यह घोषण की तक मझ पर हमल

करन म उसस भल हई थी और अपन असल परव न भी उसन मझ जल न क ततलए द ददय

नय परव न िो उसन सवछछ स ततलय ही नही थ मन मीर आलम क ह थ पकड और हषय स

उस दब य मन ब र मीर आलम स कह तक मर मन म िो उसक परति कभी रोष थ ही नही

इसस सभ की खशी क प र न रह

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कमटी क प स जल न क ततलए २००० स ऊपर परव न आ चक थ परव नो क ढर कड ही

म ड ल गय ऊपर स घ सलट ऊा डल गय और मन उस ददय सल ई ददख ई स री सभ खडी

हो गई और जब िक परव न जलि रह िब िक उसकी ि ततलयो स मद न गाजि रह जजन कछ

लोगो न अभी िक परव न अपन प स रख छोड थ उनक परव नो की भी अब माच पर वष य होन

लगी व परव न भी कड ही म ड ल ददय गय

इस सभ म अागरजी अखब रो क साव दद ि आय थ उन पर भी सभ क सापणय दकय क

बड गहर असर पड उनदहोन अपन अखब रो म सभ क हबह वणयन तकय

र नद सव ल तवध न-सभ की जजस बठक म एततशय दटक क़ नन (दसर ) प स हआ थ उसी

बठक म जनरल समटस न एक दसर तबल भी पश तकय थ उसक न म थ इममगरनदटस

रनसरकशन एकट (१९०७ क पनदरहव ा एकट) ndash परोकष रप म ऐसी यतति तनतहि थी जजसस एक

भी नय तहनदसि नी र नदसव ल म द खखल न हो सक इसक तवरोध करन कौम क ततलए तनि नदि

आवकयक थ अि कछक सतय गरहीओ न ज न बझकर र नदसव ल म परवश तकय उनको

तगरफि र कर ततलए गय मझ भी दसरी ब र तगरफि र तकय गय थ एक ब र वोकसरसट की जल

म हम लगभग ७५ सतय गरही क़दी इकठठ हो गय थ सरक र सोच म पड गई आखखर जल म

तकिन तहनदसि तनयो को क़द म रख ज सकि ह खचय बढग अब कय तकय ज य सरक र न

पररचसथति को हल करन क ततलए एक नई परयतति खोज ड ली पकड गय हहिदीओ को सरहद प र

करक तहनदसि न भज दन शर कर ददय

मगर हआ ऐस तक बहि स तहनदसि नी िो अटल रह और मककमि पवयक अपनी लडि

ज री रखी थी थोड बहि ढील पड गय थ

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५५ टोलससटोय फामम

आज िक (१९१०) िक जल ज नव ल सतय गरतहयो क पररव रो क भरण-पोषण उनदह हर महीन

पस दकर होि थ सबको उनकी आवकयकि क अनस र पस ददय ज ि थ चीटी को कन

और ह थी को मन लतकन यह वयवसथ सािोष परद नही थी कोश पर भ री बोझ आन शर हो

गय थ यह कदठन ई एक ही िरह स हल हो सकिी थी ndash स र पररव रो को एक सथ न पर रख

ज य और वह ा सब स थ ममलकर क म कर

मर ममि शरी कलनबक क पररचय म पहल कर चक हा उनदहोन ११०० एकड जमीन

खरीदी और कोई पस ततलए तबन सतय गरतहयो क उपयोग क ततलए तबन तकर य द दी (३० मई

१९१०) उस जमीन पर करीब १००० फल क झ ड थ जमीन की ऊा च ई पर एक छोटी स टील

थ और एक छोट स मक न थ जजसम प ाच स ि आदमी रह सकि थ प नी क ततलए दो कएा

और एक झरन थ तनकटिम रलव सटशन लोल वह ा स एक मील दर थ जोह तनसबगय वह ा स

२३ मील पर थ इसी जमीन पर मक न बनव न और सतय गरतहयो क पररव रो को बस न क

हमन तनिय तकय

इस सथ न म हमन यह आगरह रख थ तक नौकरो स कोई भी घरल क म न कर य ज य

इसततलए प ख न -सर ई स लकर रसोई बन न िक क स र क म हम अपन ही ह थो स करन

हमन पहल स ही यह तनिय कर ततलय थ तक सतसियो और परषो को अलग अलग रख

ज य इसततलए दोनो क मक न अलग और एक-दसर स थोडी दरी पर बन न की ब ि िय हई

दस सतसिय ा और स ठ परष रह सक इिन मक न िरनदि बन न क तनणयय हआ शरी कलनबक क

रहन क भी एक मक न बनव य थ और उसक प स श ल क एक मक न खड करन थ

इसक ततसव एक क रख न भी बढई-क म और मोची-क म क ततलए बनव न थ

जो लोग इस सथ न पर रहन आनव ल थ व गजर ि क मर स क आाधर दश क और उिर

भ रि क थ धमय स व तहनदद मसलम न प रसी और ईस ई थ उनम लगभग च लीस नौजव न

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थ दो-िीन वयोवदध थ प ाच सतसिय ा थी और बीस स िीस की साखय म ब लक थ इन ब लको म

च र-प ाच लडतकय ा थी

टोलसटोय फ मय म आकर तनबयल लोग बलव न बन गय और पररशरम सबक ततलए शततिद यी

ततसदध हआ

फ मय क हर तनव सी को तकसी न तकसी क म स जोह तनसबगय ज न पडि थ ब लक

वह ा सर क ततलए ज न च हि थ मझ भी क मक ज क ततसलततसल म जोह तनसबगय ज न पडि

थ तनणयय यह तकय गय थ तक जो फ मय क स म जजक क म स ज य उसीको रल स मस तफरी

करन की इज जि दी ज ए और रल की मस तफरी भी िीसर दज म ही की ज ए और जजस सर

क ततलए ज न हो वह चलकर ज ए उसक स थ ख न क ततलए न कि द ददय ज ए शहर ज कर

कोई ख न-पीन म एक पस भी खचय न कर ऐस कड तनयम न बन य गय होि िो जो पस बच न

क ततलए हमन जागल म रहन पसाद तकय थ वह पस रल-तकर य म और शहर क ब ज र म तकय

ज न व ल न कि म उड ज ि घर क बन हआ न कि भी स द ही होि थ न कि म घर क

पीस और तबन छन मोट आट की ड ल-रोटी उस पर मागफली क घर म बन य हआ मकखन

और घर म ही बन हआ न रागी क मछलको क मरबब होि थ आट पीसन क ततलए ह थ स

चलन व ली लोह की चककी खरीदी गई थी मागफली को भन कर पीसन स उसक मकखन बन

ज ि थ उसकी कीमि दध क मकखन स चौगनी ससिी पडिी थी न रागी िो फ मय म ही खब

होिी

थी फ मय म हम ग य क दध श यद ही कभी लि थ स म नदयिः मडब क दध क ही उपयोग

करि थ

लतकन हम तफर मस तफरी की ब ि पर आय जजन लोगो को जोह तनसबगय ज न क शौक

होि व सपि ह म एक य दो ब र चलकर ज ि थ और उसी ददन लोट आि थ म पहल कह

चक हा तक यह र सि २१ मील क थ पदल ज न क इस एक तनयम स हम र सकडो रपय बच

गय और चलकर ज न व लो को बड ल भ ल भ हआ कछ लोगो को चलन की नई आदि पडी

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स म नदय तनयम यह थ तक इस िरह जोह तनसबगय ज न व ल र ि म दो बज उठ ज एा और ढ ई

बज तनकल पड सब कोई छह स स ि घाटो क भीिर जोह तनसबगय पहाच सकि थ हम स कम

समय लन व ल लोग ४ घाट और १८ ममनट म पहाच ज ि थ

हम र क म सतय गरही पररव रो को उदयमशील रखन पस बच न और अाि म सव वलमबी

बनन थ यह धयय ततसदध कर लन क ब द िो हम च ह जजिनी अवमध िक र नदसव ल सरक र स

लड सकि थ जिो पर हम पस खचय करन पडि थ क ाटो पतथरो बगर स परो को बच न क

ततलए तकसी रकषण की आवकयकि को हमन सवीक र तकय थ इसततलए हमन चपपल य सडल

बन न क धनदध सीखन क तनिय तकय

इस िरह अनक नौजव न चपपल बन न सीख गय और हम अपन ममिो को आशरम म बन

हए चपपल बचन भी लग यह कहन िो मर ततलए जररी नही होन च तहए तक मर अनक ततशषय

इस कल म मझस आस नी स आग बढ गय दसर उदयोग हमन सि री क शर तकय एक ग ाव

जस बस कर हम वह ा रह इसततलए प ट स लकर पटी िक की स री छोटी-मोटी चीजो की हम

जररि पडिी थी हम अपन ह थ स ही बन ि थ

उपययि यवको ब लको और ब ततलक ओ क ततलए एक श ल क होन अतनव यय थ यह

क म हम सबस कदठन लग और इसम पणयि िो हम अाि िक भी पर पि नही कर सक पढ न

क ख स बोज शरी कलनबक और मझ पर थ श ल दोपहर को ही चल ई ज सकिी थी हम

दोनो सबर क श रीररक शरम स खब थक ज ि थ तवदय थी भी सब थक हए ही रहि थ इसततलए

अकसर तवदय थी भी ऊा घन लगि थ और हम ततशकषक भी ऊा घन लगि थ हम अपनी आाखो पर

प नी मछडकि थ ब लको क स थ खल खलि थ और उनक िथ अपन आलसय दर करन क

परयतन करि थ पराि कभी-कभी हम र परयतन वयथय ज ि थ जजिन आर म शरीर क ततलए

जररी होि थ उिन िो वह लकर ही रहि थ यह िो मन एक और छोट स छोट तवधन की

ब ि कही कयोतक ऊा घि ऊा घि भी हम र वगय िो चलि ही थ परनदि समसय यह थी तक ि ममल

िलग और गजर िी िीन भ ष एा बोलन व ल तवदय रथियो को कय और कस ततसख य ज य

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म िभ ष दव र ब लको को पढ न क लोभ िो मर मन म थ ही ि ममल म थोडी-बहि ज नि

थ परनदि िलग क िो एक अकषर भी नही ज नि थ ऐसी चसथति म एक ततशकषक भल कय कर

सकि थ

परनदि आशरम म तकय हआ ततशकष क यह परयोग वयथय नही गय इसक फलसवरप

ब लको म कभी असतहषणि की भ वन पद नही हई व एक-दसर क धमय क परति और एक-

दसर क रीि-ररव जो क परति उद रि रखन सीख सब कोई सग भ इयो की िरह रहन सीख

एक-दसर की सव करन सीख सभयि सीख उदयमी बन और आज भी उन ब लको म स

जजन-जजन क क यो की थोडी भी ज नक री मझ ह उनक ब र म म यह कह सकि हा तक

टोलसटोय फ मय म उनदहोन जो कछ प य वह बक र नही गय भल ही वह परयोग अधर थ तफर

भी वह एक तवच रपणय और ध रमिक परयोग थ और टोलसटोय फ मय क जो अतयनदि मीठ सासमरण

ह उनम ततशकषण क परयोग क सासमरण कम मीठ नही ह

फ मय पर आह र िथ दरद की शशरष साबाध म बहि स परयोग तकय गय

श क ह ररयो क न ि हम दध लन क अमधक र ह य नही इस परशन पर मन बहि सोच

थ और उसक ब र म खब पढ भी थ लतकन फ मय म रहि रहि मर ह थ म कोइ पसिक य

अखब र आय थ उसम मन पढ थ तक कलकि म ग यो और भसो क स थ करर वयवह र करक

दध की एक एक बाद उनक थनो स तनक ल ली ज िी ह उसम मन फा क की तनदयय और भयाकर

तकरय क भी वणयन पढ थ उसी ददन मन दध छोड ददय

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५६ णसतरयाा लडत म शाधमत

गौखल २२ अिबर १९१२ को दकषकषण आतफरक पध र सतय गरतहय ा िथ सरक र क तबच

समझौि कर न क आशय थ गोखल को तवशव स हआ थ तक जनरल बोथ अपन वचन क

मि तबक एक स ल म ही क ल क़ नन रद कर दग िथ िीन प उनदड क कर भी हट यग लतकन

जनरल बोथ न वचनभाग तकय

सरक र क वचन भाग की ब ि मन गोखल को ततलखी उनदह अतिशय ःख हआ मन उनदह

ततलख तक आप सवयथ तनभयय रह हम मरण-पयि लडग और िीन प उाड क कर रद करव यग

र नदसव ल की सरक र की न मरजी होि हए भी कर रद करव यग जल लाबी अवमध िक

चलगी ऐस हमलोग म नि थ अिः टोलसटोय फ मय बाद करन क तनणयय तकय गय िथ कनदर

रीतनकस तकय ज ए ऐस तनणयय भी तकय गय

लड ई छडन की हम री िय ररय ा अभी चल ही रही थी तक इिन म एक नय तवघन खड

हो गय जजसकी वजह स सतसियो को भी लड ई म भ ग लन क अवसर ममल गय पराि उस

समय तवदश म सतसियो को जल भजन हम सबको अनमचि लग

पराि इस समय अद लि म एक मक़ददम ऐस आय तक जजस म सतपरम कोटय क नदय य धीश

न तनणयय ददय तक दकषकषण अफ़रीक क क़ नन म ईस ई धमय क अनस र हए तवव ह क ततसव ndash

तवव ह-अमधक री क ओतफस म रजजसटर कर य हए तवव ह क ततसव ndash दसर तकसी तवव ह क ततलए

सथ न नही ह इसक अथय यह हआ तक तहनदद मचसलम प रसी आदद धमो की तवमध क अनस र

हए तवव ह नदय य धीश क उपययि भयाकर तनणयय स दकषकषण अफ़रीक म रद म न गय और इसततलए

उस क़ नन क अनस र दकषकषण अफ़रीक म असाखय तवव तहि तहनदसि नी सतसियो क दरज अपन

पतियो की धमयपतनी क न रहकर उपपसततनयो क हो गय िथ उन सतसियो की सनद ि न को अपन

तपि की तवर सि प न क भी अमधक र नही रह गय इस चसथति को न िो सतसिय ा सहन कर

सकिी थी न परष सहन कर सकि थ

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सतसिय ा क अपम न होन क ब द धयय कस रख ज ि कम य अमधक जजिन भी सतय गरही

ममल उनदही क स थ हमन िीवर सतय गरह करन क तनिय तकय अब सतसिय ा को लड ई म भ ग

लन स रोक नही ज सकि थ यही नही हमन सतसिय ा को लड ई म भरिी होन क तनमािण दन

क तनिय तकय सबस पहल उन बहनो को तनमािण ददय जो टोलसटोय फ मय म रह चकी थी

व िो लड ई म शरीक होन क ततलए अतयनदि उतसक थी मन उनदह सतय गरह की लड ई म भ ग लन

क स र खिरो स पररमचि कर य मन उनदह समझ य तक लड ई म ससतममततलि होन क ब द उनक

ख न-पीन पोश क सोन-बठन सब पर तनयािण लग ज एाग मन उनदह यह चि वनी भी दी तक

जल म उनदह कडी महनि क क म सौप ज सकि ह उनस कपड धलव य ज सकि ह जल-

अमधक री उनक अपम न भी कर सकि ह लतकन व सब बहन बह र थी व मरी बि ई एक

भी ब ि स भयभीि नही हई एक िो गभयविी थी छह बहनो की गोद म छोट बछच थ ऐसी

बहनो न भी लड ई म भ ग लन क आगरह तकय इनम स तकसी भी बहन को रोकन की शतति

मझम नही थी इनम छह बहन दध पीि छोट बछचो व ली थी

इन बहनो क परथम परयतन तनषफल गय उनदहोन र नदसव ल क वरीतनजजिग न मक सथ न

म तबन परव न क परवश करक फरी लग ई लतकन पततलस न उनदह पकडन स इनक र कर ददय

जब रीतनकस क दल र नदसव ल म परवश कर उसी समय व १६ बहन ndash जजनदहोन र नदसव ल

म तगरफि र होन क तवफल परयतन तकय थ ndash न ि ल म परवश करन व ली थी जजस परक र

न ि ल स र नदसव ल म तबन परव न क परवश करन अपर ध थ उसी परक र र नदसव ल स न ि ल

म तबन परव न क परवश करन भी अपर ध थ इस िरह यदद पततलस तगरफि र कर िो इन बहनो

को न ि ल म तगरफि र होन थ और यदद न कर िो उनदह न ि ल की कोयल की खद नो क कनदर

नदयकसल िक ज कर उनम क म करन व ल तगरममदटय मजदरो को खद न छोडकर ब हर तनकल

ज न की ब ि समझ नी थी यदद मजदर इन बहनो की ब ि म नकर अपन क म छोड दि िो

मजदरो क स थ उनद ह भी सरक र अवकय ही तगरफि र करिी और बहनो की तगरफि री स इन

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मजदरो क उतस ह अमधक बढन की परी साभ वन थी इस िरह की वयह-रचन मन म िय र

करक मन र नदसव ल की बहनो को अछछी िरह समझ दी

इसक ब द म रीतनकस गय वह ा रहन व ली बहनो को िथ अनदयो को उठ य गय क़दमो

क ब र म होन व ली भयाकरि िथ जो कषट उठ न पडग इसक ब र म ब ि बि ई उनदहोन

र नदसव ल की बहनो की िरह बीड उठ ततलय उसम कसिरब ई भी थी और व जलय ि करन

क ततलए िय र हो गई उनदहोन मझ तवशव स ददल य तक हर िरह क ःख सहन करक भी व जल

की सज परी करगी

सतय गरतहयो क यह दल सीम ल ाग कर बगर परव न क र नदसव ल म परवश हई इस दल

को तगरफि र कर ततलय उस पर अद लि म मक़ददम चल हर सतय गरही को िीन-िीन महीन

की सखि क़द की सज ममली

जो बहन र नदसव ल म तगरफि र होन क परयतन म तनर श हई थी उनदहोन अब न ि ल म

परवश तकय उनदह बगर परव न क न ि ल म परवश करन क अपर ध म पततलस न तगरफि र नही

तकय यह तनिय तकय गय थ तक पततलस यदद उनदह तगरफि र न कर िो नदयकसल म छ वनी

ड ल कर बहनो न अपन क म आराभ कर ददय उनक परभ व तबजली की िरह फल गय िीन

पौड क कर की करण कह नी न मजदरो क हदय को तपघल ददय उनदहोन अपन क म छोड

ददय

अब सरक र इन बह र बहनो को कस छोडिी उनदह तगरफि र कर ततलय गय परतयक

को िीन महीन की क़द की सज ममली

सतसिय ा की वीरि क वणयन भल तकन शबदो म तकय ज एा सभी को न ि ल की र जध नी

मररतसबगय क जल म रख गय थ वह ा उनदह क री कषट ददय गय उनक भोजन क ब र म जर

भी धय न नही रख गय महनि म उनद ह धोबी क क म सोप गय सरक र न लगभग सज

खिम होन िक ब हर स भोजन पहाच न पर कड परतिबनदध लग रख थ एक बहन क एक

तवशष परक र क भोजन करन क वरि थ बडी कदठन ई क ब द जल-अमधक ररयो न उस तवशष

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भोजन की इज जि दी लतकन जो भोजन ददय ज ि थ वह इिन खर ब होि थ तक ख य

नही ज ि थ जिन क िल की उस बहन को बडी जररि थी पहल िो वह नही ददय गय

कछ ददन ब द ददय गय लतकन वह पर न थ और उिर हआ थ जब उस बहन न अपन पस

स यह िल माग न की पर थयन की िो उिर म कह गय ldquoयह कोई होटल नही ह जो भोजन

ददय ज ए वही िमह ख न होग rdquo वह बहन जब जल स ब हर तनकली िब ह ड-हपिजर म ि रह

गई थी बड परयतन स ही वह बची

दसरी एक बहन ज नलव बख र लकर जल स ररह हई उसक इस बख र न उस जल म

ररह होन क कछ ही ददन ब द भगव न क प स पहाच ददय (२२ फरवरी १९१४) उस म कस

भल सकि हा उसक न म व ततलय मम आर मनसव मी मदततलय र वह १८ वषय की ब ल थी म

उस ममलन गय िब वह रोग-शयय पर पडी थी वह कद म ऊा ची थी इसीततलए उसक लकडी

जस कश शरीर भयाकर ददख ई दि थ

मन पछ ldquoव ततलय मम जल ज न क िमह पि ि प िो नही हrdquo

ldquoपि ि प कयो होग मझ तफर स पकड ज ए िो म तफर जल ज न को िय र हाrdquo

ldquoलतकन इसक पररण म िमह री मौि म आय िोrdquo मन पछ

ldquoभल आय दश क ख तिर मरन कौन पसाद न करग rdquo

हम री इस ब िचीि क ब द कछ ही ददनो म व ततलय मम मर गई परनदि वह ब ल अपन

न म अमर कर गई इन बहनो क बततलद न तवशदध थ शदध हि स ददय गय बततलद न सफल

होि ह ईशवर भ वन क भख ह भतति स अथ यि तनःसव थय बजदध स अपयण तकय गय पि पषप

य जल भी ईशवर परम स सवीक र करि ह और उसक करोड गन फल दि ह सतय गरहीओ क

इिन समझ लन ही ह तक उसम स एक भी शदध ह िो उसक यजञ फल दन क ततलए पय यपि ह

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परथवी सतय क बल पर दटकी हई ह - असि - असतय - क अथय ह lsquoनहीrsquo सि -सतय-क

अथय ह lsquoहrsquo असि क जब कोई अतसितव ही नही ह िो उसकी सफलि कस हो सकिी ह

और जो lsquoहrsquo उसक न श कौन कर सकि ह इिन म सतय गरह क सापणयश सि सम ज ि ह

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५७ मज़दरो का परवाह

नयकसल क प स की कोयल की खद नो क तहनदसि नी मजदरो पर बहनो क इस तय ग क अदभि

असर पड उनदहोन अपन औज र छोड ददय और उनक परव ह शहर की ओर बहन लग इसक

पि चलि ही मन रीतनकस छोड और म नदयकसल ज पहाच

ऐस मजदरो क अपन मक न नही होि खद नो क म ततलक ही उनक ततलए घर बन ि ह

और म ततलक ही उनक र सिो पर बततिय ा लग ि ह म ततलक ही उनदह प नी भी दि ह इसततलए

मजदर हर िरह स म ततलको क अधीन रहि ह

य हडि ली मर प स िरह-िरह की ततशक यि ल न लग कोई कहि तक म ततलक र सिो की

बततिय ा बाद कर दि ह कोई कहि तक म ततलक हम र प नी बाद कर दि ह िीसर कहि तक

म ततलक हडि ततलयो को गहसथी क स म न कोठररयो स ब हर फ क दि ह मन सझ व ददय एक

म ि म गय यही रह ज ि थ तक मजदर म ततलको की कोठररय ा छोड द ndash अथ यि व तहजरि कर

मजदर कोई प ाच-पचीस नही थ बचलक सकडो थ और उनक हज रो होन म भी कोई दर

नही लगिी उन सबक ततलए मक न म कह ा स ल ऊा ख न कह ा स ल ऊा लोगो की भ री भीड

जम गई इिन अमधक और तनरनदिर बढि रहन व ल मजदरो को एक ही सथ न पर बगर क म-

धनदध क रखन यदद असाभव नही िो भयाकर क म अवकय थ मझ अपनी समसय क हल ममल

गय इस समह को मझ र नदसव ल ल ल न च तहए और जजस परक र रीतनकस क १६ सतय गरही

तगरफि र हो गय उसी परक र इस समह को भी जल म बठ दन च तहए

मर प स लगभग प ाच हज र आदमी एकि हो गय थ इिन लोगो को रन स ल ज न

साभव नही थ इिन पस म कह ा स ल ि और रन स ल ज न म उन सबकी परीकष नही हो

सकिी थी नदयकसल स र नद सव ल की सीम ३६ मील दर थी न ि ल क सरहदी ग ाव च लसयट उन

और र नद सव ल क वोकसरसट थ अाि म मन पदल य ि करन क तनिय तकय मजदरो क

स थ मन चच य की उनक स थ उनकी पसततनय ा और ब लक भी थ कछ लोगो न आन क नी की

लतकन हदय को कड बन न क ततसव मर प स दसर इल ज ही नही थ मन उनस कह ददय तक

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जजनदह व पस खद नो पर ज न हो व ज सकि ह लतकन कोई व पस ज न को िय र नही थ

जो लोग अपाग थ उनदह रन स भजन क हमन तनणयय तकय ब की सब लोगो न पदल च लसयट उन

ज न की िय री बि ई यह माजजल दो ददन म िय करनी थी

एक ददन श म को मन उन लोगो स कह ददय तक कल पर िःक ल हम अपन कच आरमभ

करन ह र सि पर चलन क तनयम मन उनक स मन पढ सन य प ाच-छह हज र आदममयो क

समद य को सभ लन कोई खल नही थ उनकी तनकषिि साखय िो मर प स थी ही नही न मर

प स उनक न म और पि ही थ जजिन आदमी मर स थ रहन च हि थ उिनो ही स मझ सािोष

थ परतयक हडि ली को डढ पौड ड ल-रोटी और ढ ई िोल शककर क ततसव अनदय कोई भोजन

दन की शतति मझम नही थी मन उनस कह थ तक र सि म अगर कोई तहनदसि नी वय प री कछ

दग िो उस हम सवीक र करग लतकन कछ नही ममल िो सबको ड ल-रोटी और शककर स ही

सािोष करन होग बोअर-यदध और जल-तवरोह क समय जो अनभव मझ पर पि हए थ व इस

समय मर ततलए बड उपयोगी ततसदध हए एक शिय यह भी थी तक स थ म कोई जररि स जय द

कपड न रख र सि म तकसी की कोई चीज नही ली ज सकिी अमधक री य कोई अागरज र सि

म ममल और व ग ली द अथव म र म र िो वह भी सहन कर ततलय ज य पततलस तगरफि र कर

िो तगरफि र हो ज न च तहए म तगरफि र हो ज ऊा िो भी कच उनदह ज री रखन च तहए ndash आदद-

आदद ब ि मन हडि ततलयो को समझ ई मरी तगरफि री क ब द एक क ब द एक कौन वयतति

नि क रप म तनयि होग उनक न म भी मन सबको बि ददय

सब लोग मरी सचन ओ को समझ गय हम र क तरल सहीसल मि च लसयट उन पहाच

गय च लसयट उन म तहनदसि नी वय प ररयो न खब मदद दी उनदहोन अपन मक नो क उपयोग

हम करन ददय मचसजद क मद न म ख न बन न की इज जि दी कच क समय जो ख न ददय

ज ि थ वह सथ यी छ वनी म नही रहि थ इसततलए वह ा रसोई बन न क ततलए बरिनो की

जररि पडिी थी य बरिन भी वय प री हम खशी स दि थ च वल बगर िो मर प स बडी म ि

म जम हो गय थ उसम भी वय प ररयो न अपन तहसस ददय थ

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च लसयट उन एक छोट स ग ाव थ उसकी आब दी उस समय मतककल स च र-प ाच हज र

आदममयो की थी उनम इन कई हज र हडि ततलयो क सम वश करन कदठन थ ततसरय सतसिय ा

और बछचो को ही हमन मक नो म ठहर य ब की क सब लोगो न मद न म ही पड व ड ल

मर स थी और म झ ड लग न मल उठ न और ऐस ही दसर क मो म जर भी नही

तहचतकच ि थ इसततलए दसर लोग भी बड उतस ह स य क म करि थ यदद हम य क म न करि

िो तकस हकम दि यदद सब कोई सरद र बनकर दसरो को हकम द िो अाि म कोई क म पर

ही न हो परनदि जह ा सरद र खद सवक बन ज ि ह वह ा दसर लोग सरद री क द व कर ही

कस सकि ह

रसोई बन न व लो म गखय म ही थ कभी द ल म प नी जय द पड ज ि थ िो कभी

कछची रह ज िी थी कभी ऐस भी होि थ तक सबजी कछची रह ज िी थी िो कभी च वल

कछच रह ज ि थ ऐस भोजन हासि-हासि ल लन व ल म न सास र म तवरल ही प य ह

ख न बन न क बज य ख न परोसन क क म अमधक कदठन थ और यह क म कवल

मर ही ह थ म रहि थ कछच-पकक ख न क तहस ब िो मझ ही लोगो को दन होि थ ख न

कम हो और ख न व ल बढ ज एा िब सबको कम ख न दकर सनदिषट करन क क म भी मझ ही

करन होि थ जब म बहनो को कम ख न दि िो व एक कषण क ततलए मर स मन उल हन की

नजर स दखिी और तफर मरी चसथति को समझ कर हासिी-हासिी चल दिी थी उन दकयो को म

जीवन म कभी भल नही सका ग म उनस कहि ldquoकय करा म ल च र हो गय हा मर प स

बन हआ ख न कम ह और ख न व ल लोग जय द ह इसततलए मझ सबक तहसस म जजिन आ

सकि ह उिन ही दन होग rdquo इिन स व चसथति को समझ लिी थी और सािोषम कहकर

हासिी हई चली ज िी थी

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५८ ऐ भवय कच

मन र नदसव ल सरक र को पि ततलख थ तक हम र नदसव ल म बसन क उददकय स परवश नही करन

च हि हम र यह परवश सरक र क वचनभाग क तवरदध उठ ई ज न व ली हम री परभ वश ली

आव ज ह और हम र सव कषभम न क भाग स हम जो ःख हो रह ह उसकी शदध तनश नी ह यदद

आप हम यही ndash च लसयट उन म ही ndash पकड लग िो हम सब तनकषिनदि हो ज एाग यदद आप ऐस

न कर और हम र दल म स कोई मछप िौर पर र नदसव ल म द खखल हो ज ए िो उसक ततलए हम

जजममद र नही रहग हम री इस लड ई म गपि कछ ह ही नही तकसीको अपन वयततिगि सव थय

नही स धन ह हम म स कोई आदमी मछप िौर पर र नदसव ल म परवश कर यह हम पसाद नही

ह लतकन जह ा हज रो अपररमचि और अनज न लोगो स क म लन ह और जह ा परम क ततसव

दसर कोई बाधन नही ह वह ा तकसी क क म क ततलए हम जजममद र नही हो सकि इसक ततसव

आप यह भी ज न ल की अगर आप िीन पौड क कर रद कर दग िो तगरममदटय मजदर तफर स

क म पर लग ज एाग और हडि ल बाद हो ज एगी हम र दसर ःखो को दर कर न क ततलए हम

इन मजदरो को सतय गरह म शरीक नही करग

लतकन ऐसी चसथति म सरक र क उिर की परिीकष अमधक ददन िक नही की ज सकिी

थी अगर पकड नही ज एाग िो हमन तनिय तकय तक सरक र तगरफि र न कर िो िरनदि

च लसयट उन छोडकर र नदसव ल म परवश करन च तहए अगर सरक र र सि म तगरफि र न कर

िो क तरल को परतिददन २० स २४ मील की य ि आठ ददन िक करनी थी आठ ददन म हम र

इर द टोलसटॉय फ मय पहाचन क थ हमन सोच थ तक लड ई परी होन िक सब सतय गरही वही

रहग और फ मय पर क म करक अपनी जीतवक उतपनदन करग

क तरल क कच की दसरी िय ररय ा भी हमन की च लसयट उन क भल अागरज डोकटर

तबरसको न हम र ततलए दव इयो की एक छोटीसी पटी िय र कर दी और अपन कछ ऐस औज र भी

द ददय जजनक उपयोग मर जस स म नदय आदमी कर सक

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खर क म ड ल-रोटी और शककर क ततसव दसर कछ नही थ परनदि ड ल-रोटी आठ

ददन क कच म महय कस की ज ए तफर रोटी रोज क तरल क लोगो म ब ाटन जररी थ

इसक एकम ि उप य यह थ तक हर माजजल पर हम ड ल-रोटी पहाच न की जजममद री कोई ल

लतकन यह क म कौन कर वोकसरसट (च लसयट उन क नजदीक र नदसव ल क सरहदी कनदर)

च लसयट उन स लगभग गन बड थ वह ा गोर भदठय र की एक बडी क न थी उसन परतयक

सथ न पर ड ल-रोटी पहाच न क कर र हम र स थ तकय उसन समय स रल पर ड ल-रोटी भजी

और रल-कमयच ररयो न (य भी गोर ही थ) ईम नद री स ड ल-रोटी हम िक पहाच ई यही नही

उन लोगो न ड ल-रोटी हम िक पहाच न म परी स वध नी बरिी और हम र ततलए कछ ख स

सतवध या कर दी व ज नि थ तक हम री तकसीस कमनी नही थी

जब हम र कच की स री िय ररय ा हो गई िब मन तफर एक ब र सरक र क स थ समझौि

क परयतन तकय पि और ि र िो मन भज ही थ अब मन यह तनणयय तकय तक सरक र को

टततलफोन भी तकय ज ए भल वह मर अपम न ही क यो न कर

आध ममनट म मझ इसक उिर ममल गय ldquoजनरल समटस आपक स थ कोई साबाध नही

रखन च हि आप जो च ह सो करrdquo और टततलफोन बनदद हो गय

मन इसी उिर की आश र खी थी कवल अततशषटि की आश नही रखी थी

मझ अपन स मन सपषट ददख ई दि थ दसर ददन (६ नवमबर १९१३) तनकषिि समय पर

(पर िः स ढ छह बज) हमन पर थयन को और ईशवर क न म पर अपन कच आराभ तकय हम र

इस क तरल म २०३७ परष १२७ सतसिय ा और ५७ ब लक थ

च लसयट उन स एक मील दर वोकसरसट क छोट स न ल पडि थ उस न ल को प र

तकय तक वोक सरसट म य कतहय र नदसव ल म परवश तकय ऐस म न ज ि थ उस न ल क

छोर पर घडसव र पततलस पहर पर खडी थी सबस पहल म उसक प स गय ज ि समय क तरल

क लोगो स कह गय थ तक म आन क साकि करा िब व सीम म परवश कर लतकन म पततलस

स ब ि कर ही रह थ तक लोग िजी स आग बढ और उनदहोन न ल प र कर ददय व र नदसव ल

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की सीम म पहाच गय घडसव रो न उनदह घर ततलय परनदि यह क तरल इस िरह पततलस क रोक

रकन व ल नही थ पततलस क इर द हम पकडन क िो थ ही नही मन सब लोगो को श ाि

तकय और कि रो म वयवचसथि होकर चलन की ब ि समझ ई प ाच-स ि ममनट म ही िब कछ

ठीक हो गय और हम र कच र नदसव ल म आराभ हआ

वोकसरसट क लोगो न दो ददन पहल ही एक सभ की थी और उसम अनक िरह की

धमतकय ा हम दी थी कछ लोगो न कह थ तक यदद तहनदसि नी र नदसव ल म परवश करग िो हम

उन पर गोततलय ा बरस यग उस सभ म शरी कलनबक गोरो को समझ न गय थ लतकन कोई

उनकी ब ि सनन को िय र नही थ

हम र जलस िो श ाति स आग बढ गय मझ य द नही आि तक तकसी गोर न मझ हम र

स थ जर भी शर रि की हो व सब यह अनोख दकय दखन क ततलए ब हर तनकल आय उनम

स कछ लोगो की आाखो म ममिि क भ व भी ददख ई दि थ

पहल ददन हम र पड व वोकसरसट स क़रीब आठ मील दर क एक सटशन प सफोडय पर

थ वह ा हम श म क कोई ५-६ बज पहाच होग लोगो न ड ल-रोटी और शककर ख ई और सब

खली हव म मद न म लट गय कोई भजन ग ि थ िो कोई ब ि करि थ र सि म कछ सतसिय ा

थक गई अपन बछचो को गोद म लकर चलन की तहममि िो उनदहोन की थी लतकन आग चलन

उनकी शतति स ब हर थ इसततलए मरी चि वनी क अनस र मन उनदह एक भल तहनदसि नी की

क न म छोड ददय और उसस कह तक हम टोलसटोय फ मय पर पहाच ज य िो इन बहनो को वह ा

पहाच दन और यदद तगरफि र हो ज ए िो इनदह इनक घर भज दन तहनदसि नी वय प री न मरी

यह पर थयन सवीक र कर ली

र ि बढिी गई तयो-तयो शोरगल श ाि होि गय म भी सोन की वय री म ही थ तक मझ

तकसी क जिो की खट-खट सन ई दी मन एक गोर को ह थ म ल लटन ततलए आि दख मझ

िय री िो कछ करनी ही नही थी पततलस-अमधक री न मझस कह

ldquoआपक ततलए मर प स व राट ह मझ आपको तगरफि र करन हrdquo

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ldquoकब मन पछ

ldquoइसी समयrdquo उिर ममल

ldquoआप मझ कह ा ल ज एागrdquo

ldquoइस समय िो प स क रलव सटशन पर और जब ग डी आएगी िब उस पर बठ कर

वॉक सरसटrdquo

म बोल ldquoिो म तकसीको जग य तबन आपक स थ आि हा लतकन मर एक स थी को

थोडी सचन य द दा rdquo

ldquoजरर द दrdquo

प स ही सोय हए पी० क० न यड को मन जग य उनदह अपनी तगरफि री की ब ि बि ई

और कह तक सबह होन स पहल व लोगो को न जग य सबर होन पर तनयम नस र कच करन

की सचन उनदह कर दी स थ ही यह भी कह तक कच सयोदय स पहल आराभ हो जह ा तवशर म

करन और खर क ब ाटन क समय हो ज य वह ा लोगो स मरी तगरफि री की ब ि कही ज ए इस

बीच जो कोई पछ उस यह ब ि कहि ज एा क तरल को पततलस पकड िो वह तगरफि र हो ज य

और न पकड िो तनकषिि क ययकरम क अनस र अपन कच ज री रख न यड को कोई डर िो थ

ही नही व तगरफि र कर ततलए ज एा िो कय तकय ज य यह भी मन उनस कह ददय

शरी कलनबक िो वोकसरसट म मौजद थ ही

म पततलस अमधक री क स थ गय सबर हआ हम दोनो वोकसरसट की रन म बठ

वोकसरसट की अद लि म मझ पर मक़ददम चल पचबलक परोततसकयटर न सवया म ाग की तक कस

मलिवी रख ज य कयोतक उसक प स सबि िय र नही थ कस मलिवी रह मन जम नि पर

छटन की अरजी दी और क रण म बि य तक मर स थ १२२ सतसियो ५० ब लको िथ २०००

परषो स अमधक लोग ह मक़ददम की ि रीख लगन िक म उनदह तनकषिि सथ न पर रखकर व तपस

आ सकि हा और मक़ददम क समय ह जजर हो सकि हा सरक री वकील न जम नि की मरी

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अरजी क तवरोध तकय लतकन मजजसरट ल च र थ मझ पर जो आरोप लग य गय थ वह

ऐस नही थ जजसम जम नि पर छटक र प न की ब ि भी मजजसरट की सि पर तनभयर हो

इसततलए मजजसरट न मझ ५० पौड की जम नि पर छोड ददय शरी कलनबक न मर ततलए मोटर

िय र ही रखी थी उसम बठ कर उनदहोन मझ अपन क तरल क प स पहाच ददय दद टरानसवारल

रलीडर क तवशष साव दद ि हम र स थ आन च हि थ हमन उस क र म बठन की इज जि

द दी उसन क र की इस य ि क मर मक़ददम क और क तरल क स थ हए मर ममल प क

सनददर मचिण अपन अखब र म उस समय तकय थ लोगो न मर ह रदिक सव गि तकय उनक

उतस ह और जोश क कोई प र न रह इसक ब द कलनबक िराि वोकसरसट लौट गय उनक

जजमम च लसय-ट उन म रक हए और नय आन व ल तहनदसि तनयो की दखभ ल करन क क म

हमन अपन कच ज री रख परनदि मझ सविाि रखन सरक र को अनकल नही लग

इसततलए उसन दसर ददन ८वी को सटनदडरटन म दसरी ब र मझ तगरफि र कर ततलय सटनदडरटन

िलन म बड ग ाव थ वह ा मझ तवमचि िरीक स पकड गय म क तरल क लोगो को ड ल-

रोटी ब ाट रह थ वह ा क तहनदसि नी वय प ररयो न मरबब क मडब भट तकय थ इसततलए बाटव र

क क म म जय द दर लगिी थी मजजसरट मर प स आकर खड हो गय उनदहोन खर क ब ाटन क

क म मझ पर कर लन ददय उसक ब द उनदहोन मझ एक ओर बल य म उनदह पहच नि थ

इसततलए म समझ तक व मझस कोई ब ि करन च हि होग लतकन उनदहोन हास कर मझस कह

ldquoआप मर क़दी हrdquo

मन कह ldquoमर दरज बढ गय ह पततलस क बदल मजजसरट सवया पकडन आय ह

लतकन आप मझ पर इसी समय मक़ददम चल यग नrdquo

व बोल ldquoमर स थ ही आप चततलए कोटय बठी ही हrdquo

क तरल क लोगो को कच ज री रखन की सल ह दकर म उनस अलग हआ कोटय म

पहाचि ही मन दख तक मर कछ स थी भी तगरफि र कर ततलए गय ह व प ाच थ

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मझ िरनदि कोटय क स मन खड तकय गय मन वोकसरसट म जम नि पर छटन क जो

क रण बि य थ व ही क रण यह ा भी बि ि हए जम नि पर छटन की अरजी दी यह ा भी सरक री

वकील न मरी अरजी क तवरोध तकय लतकन यह ा भी मजजसरट न २१ नवमबर १९१३ िक

मक़ददम मलिवी कर ददय तहनदसि नी वय प ररयो न मर ततलए इकक िय र ही रख थ उसम

बठ कर मझ क तरल क प स पहाच ददय जो अभी िीन मील क फ सल भी िय नही कर प य

थ अब क तरल क लोगो न और मन भी सोच तक श यद टोलसटोय फ मय िक सब पहाच ज एाग

परनदि हम री यह ध रण ग़लि तनकली तफर भी क तरल क लोग मरी तगरफि री क आदी हो

गय यह कोई म मली पररण म नही थ मर स थी िो जल म ही रह

हम कच करि-करि अब जोह तनसबगय क तनकट आ पहाच थ सापणय य ि को हमन आठ

ददन की आठ माजजलो म ब ाट ददय थ अभी िक हम तनकषिि की हई माजजल परी करि चल आ

रह थ इसततलए अब हम र स मन कल च र माजजल िय करन ब की थ परनदि जयो-जयो हम र

उतस ह बढि ज रह थ तयो-तयो सरक र की ज गति भी बढिी ज रही थी सरक र हम अपनी

माजजल परी कर लन दिी और उसक ब द हम पकडिी िब िो वह उसकी कमजोरी और

अकशलि म नी ज िी इसततलए यदद उस हम पकडन हो िो माजजल परी होन क पहल ही

पकडन च तहए

गोखल न समरी ि र दव र यह इछछ परकट की थी तक शरी पोल क तहनदसि न आकर

उनकी सह यि कर इसततलए उनदह तहनदसि न भजन की िय री चल रही थी मन उनदह ततलख

भज थ तक व तहनदसि न ज सकि ह लतकन मझस ममल तबन और परी तहद यि ततलए तबन

ज न की उनकी इछछ नही थी इसततलए हम र कच क दौर न ही मझस ममल ज न की उनदहोन म ाग

की मन ि र तकय तक तगरफि री क खिर उठ कर आप आन च ह िो आ सकि ह शरी पोल क

न तगरफि री क खिर उठ कर भी मर प स आन पसाद तकय

९वी क रोज सटनदडरटन िथ गर सलिगसटड क तबच टीकवथय सथ न पर आकर हमस ममल

हम री ब ि चल रही थी लगभग परी होन को आई थी उस समय दोपहर क क़रीब ३ बज होग

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हम दोनो क तरल क आग चल रह थ दसर स थी भी हम री ब ि सन रह थ श म को शरी पोल क

को डरबन ज न व ली ग डी पकडनी थी परनदि जब र मचनदरजी जस को भी र ज-तिलक क ही

समय वनव स ममल िो पोल क भल तकस तगनिी म थ हम ब ि कर रह थ इिन म एक

घोड ग डी हम र स मन आकर खडी हो गई उसम एततशय ई तवभ ग क अमधक री शरी चमनी और

पततलस क एक अमधक री थ दोनो नीच उिर मझ जर दर ल ज कर उनम स एक न कह

ldquoम आपको तगरफि र करि हाrdquo इस परक र म च र ददनम िीन ब र तगरफि र तकय गय

मन पछ ldquoक तरल क क य होग rdquo

ldquoसब हो ज यग rdquo

म कछ न बोल पततलस अमधक री न मझ कवल अपनी तगरफि री की ही खबर लोगो को

सन न दी मन पोल क स कह ददय तक व क तरल क स थ ज एा जब म लोगो को श ाति रखन

आदद की ब ि समझ न लग िो अमधक री महोदय न कह

ldquoअब आप क़दी ह आप कोई भ षण नही द सकिrdquo

मझ गरीसलिग सटनदड और वह ा स बलफ र होकर हडलबगय क थ न म ल गय र ि मरी वही

बीिी

क तरल को लकर पोल क आग बढ सब हडलबगय पहाच मर स थ आय हए पर क तरल

को भी तगरफि र करन की वयवसथ हो चकी थी

वह ा दो सपततशयल रन सटशन पर क तरल क लोगो को क़द करक न ि ल पहाच दन क

ततलए खडी थी लतकन लोगो न कछ जजद पकड ली व बोल ldquoग ाधी को बल इय व कहग िो

हम तगरफि र हो ज एाग और रन म बठ ज एागrdquo शरी पोल क और क छततलय सठ की मदद ली

दोनो बडी कदठन ई स क तरल को समझ सक अाि म सब लोग समझ गय और श ाति स रन म

बठ गय

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५९ सतयागरह की नवजय

दसरी ओर मझ तफर कोटय म मजजसरट क स मन खड तकय गय इस ब र डाडी स तगरफि री

क वोराट तनकल थ तगरममदटय ओ को न ि ल छोडन क ततलए ल लच दन क आरोप मझ पर

रख गय

उसी ददन मझ रन स डाडी ल ज य गय

इधर शरी पोल क को हडलबगय म तगरफि र नही तकय गय बचलक अमधक ररयो न उनकी

मदद क ततलए उनक आभ र भी म न लतकन जब व च लसयट उन म रन क इनदिज र म खड थ

िब पकड ततलए गय शरी कलनबक भी तगरफि र कर ततलए गय दोनो को वोकसरसट की जल म

रख गय

मझ पर ११ नवमबर १९१३ को डाडी म मक़ददम चल और ९ महीन सखि क़द की सज

ममली अभी तनतषदध लोगो को र नदसव ल क भीिर परवश करन म मदद दन क अकषभयोग म मझ

पर वोकसरसट म मक़ददम चलन ब की थ इसततलए डाडी स मझ १३ नवमबर को वोकसरसट ल

ज य गय वह ा मन शरी कलनबक और शरी पोल क को दख इसस हम अप र आनाद हआ हम

लोग कछक ददन सखपवयक वोकसरसट की जल म रह पराि सरक र न हम िीनो को अलग-अलग

जलो म भज ददय

क तरल क य तियो को सरक र तवशष रनो म बठ कर न ि ल ल गय सरक र न कोयल

की खद नो क च रो िरफ ि र की ज ली ब ाध दी और डाडी िथ नदय कसल की सीम म ब हरी

जल बन ली और खद नो क यरोतपयन नौकरो को उन जलो क व डयर तनयि कर ददय ऐस

करक मजदरो न जजस क म को सवछछ स छोड थ वह क म सरक र न उनस जबरदसिी करव य

अि अब मजदर सापणय रप म गल म बनकर रह गय

उनदहोन खद नो म क म करन स स र इनक र कर ददय इसक फलसवरप उनदह कोडो

की म र सहनी पडी उनदहोन इन मजदरो को ल ि म री ग ततलय ा दी और दसर भी अनक अतय च र

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सहन तकय ऐस अतय च र क ि र तहनदसि न आय उसक पररण म यह हआ तक समच

तहनदसि न भडक उठ और दकषकषण अफ़रीक क परशन तहनदसि न क परमख परशन बन गय

यही वह अवसर थ जब (ददसाबर १९१३) व इसरोय लोडय ह रडिग न अपन मर स क

परततसदध भ षण तकय थ जजसन दकषकषण अफ़रीक म और इागलणड म खलबली मच दी थी

व इसरोय दसर उपतनवशो की अथव तबरदटश स मर जय क अागभि दशो की स वयजतनक रप म

टीक नही कर सकि थ परनदि लोडय ह रडिग न न कवल यतनयन सरक र की कडी टीक की

बचलक दकषकषण अफ़रीक क सतय गरतहयो क पर बच व भी तकय और उनक दव र तकय ज न व ल

सतवनय क़ नन भाग क समथयन तकय लोडय ह रडिग की इस दढि क बड अछछ असर हआ

हज रो तनदोष मनषयो की जल म बाद रखन की शतति दकषकषण अफ़रीक की सरक र म नही

थी भ रि क व इसरोय भी इस ब ि को सहन करन व ल नही थ स री तनय दख रही थी तक

जनरल समटस अब कय करि ह दकषकषण अफ़रीक की सरक र न वही तकय जो ऐस समय

स म नदयिः दसरी सरक र करिी ह

परज मि स डर कर चलन व ल र जय एक कमीशन तनयि करक ऐसी तवषम चसथति स

ब हर तनकल ज ि ह यह कमीशन न म की ज ाच करि ह कयोतक ऐस कमीशन की ज ाच क

पररण म पहल स ही ज न हआ रहि ह और कमीशन जो ततसफ ररश करि ह उन पर अतनव यय

रप म अमल करन की स म नदय परथ होिी ह इसततलए ऐस ततसर ररशो क आशरय लकर र जय

वही नदय य करि ह जजनक ततलए व पहल इनक र कर चक होि ह जनरल समटस क इस कमीशन

म िीन सदसय तनयि तकय गय थ सवया कमीशन न सरक र स ततसर ररश की थी तक उसक क म

सरल बन न क ततलए शरी कलनबक को शरी पोल क को और मझ तबन शिय क छोड ददय ज य

सरक र न उसकी यह सल ह म न ली और हम िीनो को एकस थ (१८ ददसाबर १९९३) छोड

ददय हमन मतककल स दो म स की क़द भोगी होगी

कमीशन म तहनददीओ की ओर स कोई भी एक परतितनमधरप आदमी हो यह जररी म लम

पड मन जनरल समटस क पि इस साबाध म ततलख

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जनरल समटस न कमीशन क सदसय बढ न स इनक र कर ददय हमन जल ज न की

िय री करक यह घोषण कर दी तक १ जनवरी १९१४ क ददन डरबन स जल ज न व ल

तहनदसि तनयो क एक कच आराभ होग

इसी समय यतनयन रलव म गोर कमयच ररयो की बहि बडी हडि ल हई उस हडि ल

यतनयन सरक र की चसथति न जक हो गई मझस कह गय तक ऐस समय म तहनदसि तनयो क

कच आराभ कर दा पर मन घोतषि तकय तक म हडि ली गोरो की इस िरह मदद नही कर सकि

हम र उददकय सरक र को परश न करन नही ह हम री लड ई गोरो की लड ई स अलग ह और

कषभनद न परक र की ह हम कच करन भी होग िो हम दसर समय करग जब रलव क उपरव श ाि

हो ज एग हम र इस तनिय क गहर परभ व हआ इसकी सचन र यटर न ि र स इागलणड

भजी लोडय एमपटतहल न हम इागलणड स धनदयव द क ि र भज दकषकषण अफ़रीक क अागरज ममिो

न भी हम धनदयव द ददय जनरल समटस क एक समचव न मझस तवनोद म कह ldquoमझ आपक

लोग तबलकल अछछ नही लगि म उनकी जर भी मदद नही करन च हि लतकन हम उनक

कय कर आप लोग साकट की चसथति म हम री सह यि करि ह आपको कस म र ज ए म

िो बहि ब र च हि हा तक आप भी इन अागरज हडि ततलयो की िरह हललड कर वसी चसथति म

िो हम िरनदि आप लोगो को सीध कर सकि ह लतकन आप िो कमनो को भी ःखी नही करन

च हि आप सवया ही ःख सहन करक जीिन च हि ह आप ततशषटि की मय यद कभी छोडि

नही इसस हम आपक स मन ल च र हो ज ि ह rdquo

इसी परक र क उदग र जनरल समटस न भी परकट तकय थ

तहनदसि तनयो क सौजनदय क ऐस अनक उद हरणो क जो अदकय परभ व च रो ओर पडि

ही रहि थ उस म दख सकि थ इस परभ व क फलसवरप तहनदसि तनयो की परतिषठ म वजदध

होिी रहिी थी और समझौि क ततलए अनकल हव बनिी रहिी थी

कमीशन क क म क साबाध म जनरल समटस क स थ मन पिवयवह र तकय पर थममक

समझौि हआ कमीशन न ररपोटय म कौम की जो-जो म ाग थी उन सबको पर करन की

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ततसर ररश की िथ िराि ब द सरक र न यतनयन गजट म तहनददी को र हि दन व ल क़ नन घोतषि

कर ददय जजसक अािगयि िीन पौड क कर अवकय ही रद कर ददय ज न जो तवव ह तहनदसि न

म क़ नन म न ज ि य स र तवव ह दकषकषण अफ़रीक म भी क़ ननन समझ गय जजन लोगो को

दकषकषण अफ़रीक म रहन क ततलए परम णपि ममलि थ उन परम णपिो स दकषकषण अफ़रीक म तनव स

क अमधक र पर पि हो गय

इस परक र आठ वषय क अाि म सतय गरह की यह मह न लड ई परी हई और यह म न गय

तक सापणय दकषकषण अफ़रीक म बस हए तहनदसि तनयो को श ननदि ममली १८ जल ई १९१४ को

ःख और हषय क स थ म इगलणड म गोखल स ममलकर वह ा स तहनदसि न ज न क ततलए दकषकषण

अफ़रीक स रव न हो गय जजस दकषकषण अफ़रीक म मन २१ वषय तनव स तकय और असाखय

कडव और मीठ अनभव पर पि तकय िथ जह ा म अपन जीवन क लकषय को समझ सक उस दश

को छोडन मझ बहि कदठन म लम हआ

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भाग-९ नवलायत तथा लडाई

६० लडाई म नहससा

१९१४ की ४ अगसि को यदध घोतषि तकय गय ६ अगसि को हम तवल यि पहाच

मझ लग तक तवल यि म रहन व ल तहनदसि तनयो को लड ई म अपन तहसस अद करन

च तहए अागरज तवदय रथियो न लड ई म सव करन क अपन तनिय घोतषि तकय थ तहनदसि नी

इसस कम नही कर सकि थ इन दलीलो क तवरोध म इस सभ म बहि दलील दी गयी

जब जनि की म ाग को दढि -पवयक परकट करन च तहए और श सन-पदधति म सध र

कर लन क आगरह रखन च तहए मन अागरजो की इस आपतति क समय अपनी म ाग पश करन

ठीक न समझ और लड ई क समय अमधक रो की म ाग को मलिवी रखन क सायम म सभयि

और दरदतषट क दशयन तकय इसततलए म अपनी सल ह पर दढ रह और मन लोगो स कह तक

जजनदह सवयासवको की भरिी म न म ततलख न हो व ततलख व क री साखय म न म ततलख य गय

उनम लगभग सभी पर नदिो और सभी धमो क लोगो क न म थ

मन इस तवषय म ल डय कर को पि ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग को सवीक र करन क

ततलए घ यल सतनको की सव की ि लीम लन आवकयक म न ज य िो वसी ि लीम लन की

इछछ और िय री परकट की थोड तवच र-तवमशय क ब द ल डय कर न तहनदसि तनयो की म ाग सवीक र

कर ली और साकट क समय म स मर जय की सह यि करन की िय री ददख न क ततलए आभ र

परदरशिि तकय

यदध म ससतममततलि होन क अहहिस क स थ कोई मल नही बठ सकि तकनदि कियवय क

बोध हम दीपक की भ ाति सपषट नही होि

मझ अागरजी र जय क दव र अपनी अथ यि अपन र षटर की चसथति सध रनी थी म तवल यि

म बठ हआ अागरजो क जागी बड स सरकषकषि थ उस बल क इस परक र उपयोग करक म उसम

तवदयम न हहिस म सीधी िरह स झद र बनि थ अिएव यदद आखखरक र मझ उस र जय क

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स थ वयवह र बन य रखन हो उस र जय क झाड क नीच रहन हो िो य िो मझ परकट रप स

यदध क तवरोध करक उसक सतय गरह क श सि क अनस र उस समय िक बतहषक र करन

च तहए जब िक उस र जय की यदधनीति म पररवियन न हो अथव उसक जो क़ नन भाग करन

योगय हो उनक सतवनय भाग करक जल की र ह पकडनी च तहए अथव उसक यदधक यय म

ससतममततलि होकर उसक मक बल करन की शतति और अमधक र पर पि करन च तहए मझम ऐसी

शतति नही थी इसततलए मन म न तक मर प स यदध म ससतममततलि होन क ही म गय बच थ

मन बनददकध री म और उसकी मदद करन व ल म अहहिस की दतषट स कोई भद नही म न

जो मनषय लटरो की टोली म उनकी आवकयक सव करन उनक बोझ ढोन लट क समय पहर

दन िथ घ यल होन पर उनकी सव करन म ससतममततलि होि ह वह लट क साबाध म लटरो जजिन

ही जजममद र ह इस िरह सोचन पर रौज म कवल घ यलो की ही स र-साभ ल करन क क म म

लग हआ वयतति भी यदध क दोषो स मि नही हो सकि

पोल क क ि र ममलन स पहल ही मन यह सब सोच ततलय थ उनक ि र ममलन पर

मन कछ ममिो स उसकी चच य की यदध म ससतममततलि होन म मन धमय म न और आज भी इस

परशन पर सोचि हा िो मझ उपययि तवच रध र म कोई दोष नजर नही आि तबरदटश स मर जय

क तवषय म उस समय मर जो तवच र थ उनक अनस र मन यदध-क यय म तहसस ततलय थ अिएव

मझ उसक पि ि प भी नही ह

तवल यि म इस दरममय न मझ पसली की वरम की ततशक यि हई मझ सल ह ममली तक

म झ ड क ददनो स पहल ही दश म पहाच ज ऊा मन इस सल ह क सवीक र तकय अनक वषो

क तनव स क उपर नदि सवदश गमन स मझ अतयाि खशी हई

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भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

६१ पि म

म बमबई क बनददरग ह पर उिर िभी मझ पि चल तक उस समय यह पररव र श ननदितनकिन म

थ इसततलए गोखल स ममलन क ब द म वह ा ज न को अधीर हो गय

गोखल न और सोस यटी (भ रि-सवक-सम ज) क सदसयो न मझ अपन परम स नहल

ददय जह ा िक मझ य द ह उनदहोन सब सदसयो को पन बल य थ सबक स थ कई तवषयो पर

मन ददल खोलकर ब िचीि की गोखल की िीवर इछछ थी तक म भी सोस यटी म ससतममततलि हो

ज ऊा मरी इछछ िो थी ही तकनदि सोस यटी क सदसयो को ऐस लग तक सोस यटी क आदशय

और क म करन की रीति मझस कषभनद न ह इसततलए मझ सदसय बनन च तहए य नही इस ब र म

उनक मन म शाक थी

मन अपन तवच र गोखल को बि ददय थ ldquoम सोस यटी क सदसय बना च ह न बना िो

भी मझ एक आशरम खोलकर उसम रीतनकस क स ततथयो को रखन और खद वह ा बठ ज न ह

इस तवशव स क क रण तक गजर िी होन स मर प स गजर ि की सव क जररय दश की सव करन

की पाजी अमधक होनी च तहए म गजर ि म ही कही चसथर होन च हि हाrdquo गोखल को य तवच र

पसनदद पड थ इसततलए उनदहोन कह ldquoआप अवकय ऐस कर सदसयो क स थ की ब िचीि क

जो भी पररण म आय पर यह तनकषिि ह तक आपको आशरम क ततलए पस मझीस लन ह उस म

अपन ही आशरम समझाग rdquo

मर हदय फल उठ म यह सोचकर बहि खश हआ तक मझ पस उग हन क धनदध स

मतति ममल गयी और यह तक अब मझ अपनी जव बद री पर नही चलन पडग बचलक हर परश नी

क समय मझ र सि ददख न व ल कोई होग इस तवशव स क क रण मझ ऐस लग म नो मर

ततसर क बड बोझ उिर गय हो

गोखल न मझस परतिजञ करव यी ह तक मझ एक वषय िक दश म भरमण करन ह तकसी

स वयजतनक परशन पर अपन तवच र न िो बन न ह न परकट करन ह

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६२ तीसर दज की नवडमबना

दकषिि अफ़रीक म सतय गरह की लड ई क ततसलततसल म मन अपनी पोश क जजस हद िक

तगरममदटय मजदरो स ममलिी-जलिी की ज सकिी थी कर ली थी तवल यि म भी घर म म

यही पोश क पहनि थ तहनदसि न आकर मझ क दठय व डी पोश क पहननी थी दकषकषण

अफ़रीक म मन उस अपन स थ रख थ अिएव बमबई म म उसी पोश क म उिर सक थ इस

पोश क म कि य अागरख धोिी और सफद स फ क सम वश होि थ य सब दशी ममल क ही

कपड क बन हए थ बमबई स क दटय व ड मझ िीसर दज म ही ज न थ उसम स फ और

अागरख मझ झाझट म लम हए अिएव मन कवल कि य धोििी और आठ-दस आन की

क कमीरी टोपी क उपयोग तकय ऐसी पोश क पहनन व ल की तगनिी ग़रीब आदमी म होिी

थी

श ातितनकिन स व पस लौटि समय हम िीसर दज क दटकट लन थ उस लन म

परश नी हई जव ब ममल ldquoिीसर दज क य िी को दटकट पहल स नही ददय ज ि rdquo म सटशन-

म सटर स ममलन गय उनक प स मझ कौन ज न दि तकसीन दय करक सटशन-म सटर को

ददख ददय म वह ा पहाच उनस भी उपययि उिर ही ममल खखडकी खलन पर दटकट लन

गय पर दटकट आस नी स ममलन व ल न थ बलव न य िी एक क ब द एक घसि ज ि और

मझ-जसो को पीछ हट ि ज ि आखखर दटकट ममल

ग डी आयी उसम भी जो बलव न थ व घस गय बठ हओ और चढन व लो की बीच

ग ली-गलौज और धकक -मककी शर हई इसम तहसस लन मर ततलए साभव न थ हम िीनो

इधर स उधर चककर क टि रह सब ओर स एक ही जव ब ममलि थ ldquoयह ा जगह नही हrdquo

म ग डय क प स गय उसन कह ldquoजगह ममल िो बठो नही िो दसरी रन म ज न rdquo

मन नमरि -पवयक कह ldquoलतकन मझ जररी क म ह rdquo यह सनन क ततलए ग डय क प स

समय नही थ म ह र मगनल ल स कह ldquoजह ा जगह ममल बठ ज ओrdquo पतनी को लकर म

िीसर दज क दटकट स डयोढ दज म घस ग डय न मझ उसम ज ि दख ततलय थ

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आसनसोल सटशन पर ग डय जय द तकर य क पस लन आय मन कह ldquoमझ जगह

बि न आपक धमय थ जगह न ममलन क क रण म इसम बठ हा आप मझ िीसर दज म जगह

ददल इय म उसम ज न को िय र हाrdquo

ग डय स हब बोल ldquoमझस बहस मि कीजजए मर प स जगह नही ह पस न दन हो िो

ग डी स उिरन पडग rdquo

मझ िो तकसी भी िरह पन पहाचन थ ग डय स लडन की मरी तहममि नही थी मन पस

चक ददय उसन ठठ पन िक क डयोढ भ ड ततलय यह अनदय य मझ अखर गय

सबर मगलसर य सटशन आय मगनल ल न िीसर दज म जगह कर ली थी मगलसर य

म म िीसर दज म गय दटकट कलकटर को मन वसिचसथति की ज नक री दी और उसस इस ब ि

क परम ण-पि म ाग तक म िीसर दज म चल आय हा उसन दन स इनक र तकय मन अमधक

तकर य व पस पर पि करन क ततलए रलव क उछच अमधक री को पि ततलख

उनकी ओर स इस आशय क उिर ममल ldquoपरम ण-पि क तबन अति तकर य लौट न

क हम र यह ा ररव ज नही ह पर आपक म मल म हम लौट य द रह ह बदयव न स मगलसर य

िक क डयोढ तकर य व पस नही तकय ज सकि rdquo

िीसर दज की य ि म अमधक ररयो की मनम नी स उतपनदन होन व ली तवडमबन िो रहिी

ही ह पर िीसर दज म बठन व ल कई य तियो क उजिपन उनकी गादगी उनकी सव थयबजदध

और उनक अजञ न भी कछ कम नही होि ःख िो यह ह तक अकसर य िी यह ज नि ही नही

ह तक व अततशषटि कर रह ह व जो करि ह वह उनदह सव भ तवक म लम होि ह हम सभय और

पढ-ततलख लोगो न उनकी कभी मचनदि ही नही की

पर रल की भीड की िक़लीफ क मझ ल हौर स ददलली क बीच कडव स कडव अनभव

हआ कर ची स कलकि मझ ल हौर क र सि ज न थ ल हौर म रन बदलनी थी वह ा की रन

म मरी कही द ल ग़लिी नही थी य िी जबरदसिी अपन र सि बन लि थ दरव ज बनदद होि

िो खखडकी म स अादर घस ज ि थ मझ कलकि तनकषिि ि रीख पर पहाचन थ यह रन खो

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दि िो म कलकि पहाच न प ि म जगह ममलन की आश छोड बठ थ कोई मझ अपन मडब

म आन न दि थ आखखर एक मजदर न मझ जगह ढाढि दखकर कह ldquoमझ ब रह आन दो

िो जगह ददल दाrdquo मन कह मझ जगह ददल दो िो जरर ब रह आन दाग rdquo बच र मजदर

य तियो स तगडतगड कर कह रह थ पर कोई मझ लन को िय र न होि थ रन छटन ही व ली

थी तक एक मडब क कछ य तियो न कह ldquoयह ा जगह नही ह लतकन इसक भीिर घस सकि

हो िो घस दो खड रहन होग rdquo मजदर मरी ओर दखकर बोल ldquoकयो जीrdquo मन ह ा कह

और उसन मझ उठ कर खखडकी म स अनददर ड ल ददय म अनददर घस और उस मजदर न ब रह

आन कम ततलए

मरी यह र ि मतककल स बीिी दसर य िी जयो-तयो करक बठ गय म ऊपरव ली बठक

की जाजीर पकडकर दो घाट खड ही रह इस बीच कछ य िी मझ धमक ि ही रहि थ ldquoअजी

अब िक कयो नही बठि हो मन बहिर समझ य तक कही जगह नही ह पर उनदह िो मर खड

रहन भी सहन नही हो रह थ यदयतप व ऊपर की बठको पर आर म स लाब होकर पड थ ब र-

ब र मझ परश न करि थ व जजिन मझ परश न करि थ उिनी ही श ाति स म उनदह जव ब दि

थ इसस व कछ श ाि हए मर न म-ध म पछ जब मझ न म बिल न पड िब व शरम य

मझस म री म ागी और मर ततलए अपनी बगल म जगह कर दी सबर क फल मीठ होि हrsquo

कह वि मझ य द आयी म बहि थक गय थ मर ततसर घम रह थ बठन क ततलए जगह की

जब सचमच जररि थी िब ईशवर न ददल दी

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६३ आशरम की सथापना

सन १९१५ क मई महीन की २५ ि रीख क ददन सतय गरह-आशरम की सथ पन हई

अहमद ब द पर मरी नजर दटकी थी गजर िी होन क क रण म म नि थ तक गजर िी

भ ष दव र म दश की अमधक-स-अमधक सव कर सका ग यह भी ध रण थी तक चातक

अहमद ब द पहल ह थ की बन ई क कनदर थ इसततलए चरख क क म यही अमधक अछछी िरह

हो सकग स थ ही यह आश भी थी तक गजर ि क मखय नगर होन क क रण यह ा क धनी

लोग धन की अमधक मदद कर सक ग

मक नो की िल श करि हए कोचरब म शरी जीवणल ल ब ररसटर क मक न तकर य पर

लन क तनिय हआ शरी जीवणल ल मझ अहमद ब द म बस न व लो म अगरगणय थ

िरनदि ही परशन उठ तक आशरम क न म क य रख ज य हम िो सतय की पज सतय की

शोध करनी थी उसी क आगरह रखन थ और दकषकषण अफ़रीक म मन जजस पदधति क उपयोग

तकय थ उसक पररचय भ रिवषय को कर न थ िथ यह दखन थ तक उसकी शतति कह ा िक

वय पक हो सकिी ह इसततलए मन और स ततथयो न सतय गरह-आशरम न म पसनदद तकय इस न म

स सव क और सव की पदधति क भ व सहज ही परकट होि थ

आशरम चल न क ततलए तनयम वततल की आवकयकि थी अिएव मन तनयम वततल क

मसतवद िय र करक उस पर ममिो की र य म ागी

लगभग पचीस सिी-परषो स आशरम क आराभ हआ थ सब एक रसोई म भोजन करि

थ और इस िरह रहन की कोततशश करि थ म नो एक ही कटमब क हो

आशरम को क यम हए अभी कछ ही महीन बीि थ तक इिन म जसी कसौटी की मझ

आश नही थी वसी कसौटी हम री हई भ ई अमिल ल ठक कर क पि ममल ldquoएक ग़रीब और

पर म कषणक अनदतयज पररव र ह वह आपक आशरम म रहन च हि ह क य उस भरिी करगrdquo

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उनदहोन उसक सव गि तकय भ ई अमिल ल ठककर को ततलख गय तक यदद वह पररव र

आशरम क तनयमो क प लन करन को िय र हो िो हम उस भरिी करन क ततलए िय र ह

दद भ ई उनकी पतनी द नीबहन और दध-पीिी िथ घटनो चलिी बछची लकषमी िीनो

आय दद भ ई बाबई म ततशकषक क क म करि थ तनयमो क प लन करन को व िय र थ उनदह

आशरम म रख ततलय

सह यक ममि-माडल म खलबली मच गयी जजस कएा म बागल क म ततलक क तहसस थ

उस कएा स प नी भरन म हम अडचन होन लगी चरस व ल पर हम र प नी क छीट पड ज ि

िो वह भरषट हो ज ि उसन ग ततलय ा दन और दद भ ई को सि न शर तकय मन सबस कह

ददय तक ग ततलय ा सहि ज ओ और दढि -पवयक प नी भरि रहो हम चपच प ग ततलय ा सनि

दखकर चरस व ल शरममनदद हआ और उसन ग ततलय ा दन बनदद कर ददय पर पस की मदद बनदद

हो गयी पस की मदद बनदद होन क स थ बतहषक र की अरव ह मर क नो िक आन लगी मन

स ततथयो स चच य करक िय कर रख थ ः ldquoयदद हम र बतहषक र तकय ज य और हम कही स

कोई मदद न ममल िो भी अब हम अहमद ब द नही छोडग अनदतयजो की बसिी म ज कर उनक

स थ रहग और जो कछ ममलग उसस अथव मजदरी करक अपन तनव यह करग rdquo

आखखर मगनल ल न मझ नोदटस दी ldquoअगल महीन आशरम क खचय चल न क ततलए हम र

प स पस नही हrdquo मन धीरज स जव ब ददय ldquoिो हम अनदतयजो की बसिी म रहन ज एागrdquo

मझ पर ऐस साकट पहली ही ब र नही आय थ हर ब र अातिम घडी म परभ न मदद

भजी ह

मगनल ल क नोदटस दन क ब द िरनदि ही एक ददन सबर तकसी लडक न आकर खबर दी

ldquoब हर मोटर खडी ह और एक सठ आपको बल रह हrdquo म मोटर क प स गय सठ न मझस

पछ ldquoमरी इछछ आशरम को कछ मदद दन की ह आप लगrdquo

मन जव ब ददय ldquoअगर आप कछ दग िो म जरर लाग मझ क़बल करन च तहए तक

इस समय म आरथिक साकट म भी हाrdquo

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ldquoम कल इसी समय आऊा ग िब आप आशरम म होगrdquo

मन ह ा कह और सठ चल गय दसर ददन तनयि समय पर मोटर क भोप बोल लडको

न खबर दी सठ अनददर नही आय म उनस ममलन गय व मर ह थ पर िरह हज र क नोट

रखकर तबद हो गय

मन इस मदद की कभी आश नही रखी थी मदद दन की यह रीति भी नई दखी उनदहोन

आशरम म पहल कभी क़दम नही रख थ मझ य द आि ह तक म उनस एक ही ब र ममल थ

न आशरम म आन न कछ पछन ब हर ही ब हर पस दकर लौट ज न ऐस यह मर पहल ही

अनभव थ इस सह यि क क रण अनदतयजो की बसिी म ज न रक गय मझ लगभग एक

स ल क खचय ममल गय

पर जजस िरह ब हर खलबली मची उसी िरह आशरम म भी मची यदयतप दकषकषण अफ़रीक

म मर यह ा अनदतयज आदद आि रहि और भोजन करि थ िथ तप यह नही कह ज सकि तक

यह ा अनदतयज कटमब क आन मरी पतनी को और आशरम की दसरी सतसिय ा को पसनदद आय

द नीबहन क परति घण नही िो उनकी उद सीनि ऐसी थी जजस मरी अतयनदि सकषम आाख दख

लिी थी और िज क न सन लि थ आरथिक सह यि क अभ व क डरन मझ जर भी मचननदिि

नही तकय थ पर यह आनदिररक कषोभ कदठन ततसदध हआ द नीबहन स ध रण सिी थी दद भ ई

की ततशकष भी स ध रण थी पर उनकी बजदध अछछी थी उनक धीरज मझ पसनदद आय थ उनदह

कभी-कभी गसस आि थ पर कल ममल कर उनकी सहन-शतति की मझ पर अछछी छ प पडी

थी म दद भ ई को समझ ि थ तक व छोट-मोट अपम न पी ततलय कर व समझ ज ि थ और

द नीबहन स भी सहन करव ि थ

इस पररव र को आशरम म रखकर आशरम न बहिर प ठ सीख ह और पर राकषभक क ल म

ही इस ब ि क तबलकल सपषट हो ज न स तक आशरम म असपकयि क ततलए कोई सथ न नही ह

आशरम की मय यद तनकषिि हो गयी और इस ददश म उसक क म बहि सरल हो गय इसक

ब वजद आशरम क खचय बर बर बढि रहन पर भी मखयिः कटटर म न ज न व ल तहनदओ की

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िरफ स ही ममलि रह ह कद मचि यह इस ब ि क सपषट सचक ह तक असपकयि की जड

अछछी िरह तहल गयी ह इसक दसर परम ण िो अनको ह परनदि जह ा अनदतयज क स थ रोटी

िक क वयवह र रख ज ि हो वह ा भी अपन को सन िनी म नन व ल तहनदद मदद द यह कोई

नगणय परम ण नही म न ज एग

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भाग-११ चपारन

६४ नील का दाग़

चपारन जनक र ज की भमम ह जजस िरह चाप रन म आम क वन ह उसी िरह सन १९१७ म

वह ा नील क खि थ चाप रन क तकस न अपनी ही जमीन क ३२० भ ग म नील की खिी उसक

असल म ततलको क ततलए करन को क़ नन स बाध हए थ इस वह ा िीन कदठय कह ज ि थ

बीस कटठ क वह ा एक एकड थ और उसम स िीन कटठ जमीन म नील बोन की परथ को lsquoिीन

कदठय कहि थ

र जकम र शकल न मक चाप रन क एक तकस न थ उन पर ःख पड थ यह ःख उनदह

अखरि थ लतकन अपन इस ःख क क रण उनम नील क इस द ग़ को सबक ततलए धो ड लन

की िीवर लगन पद हो गयी थी

व िो खद मझ चाप रन क तकस नो क ःख बि न च हि थ मन कह ldquoअपन भरमण म

म चाप रन को भी ससतममततलि कर लाग और एक-दो ददन वह ा ही ठहरा ग rdquo

उनदहोन कह ldquoएक ददन क री होग नजरो स दखखय िो सहीrdquo

सन १९१७ क आराभ म कलकि स हम दो वयतति रव न हए दोनो की एकसी जोडी थी

दोनो तकस न-जस ही लगि थ कौनसी ग डी लनी थी यह भी मझ िो पि नही थ र जकम र

शकल जजस ग डी म ल गय उस पर हम दोनो सव र हए सबर पटन उिर

मझ व र जनदरब ब क घर ल गय र जनदरब ब परी अथव और कही गय थ बागल पर

एक-दो नौकर थ मर स थ ख न की कछ स मगरी थी मझ थोडी खजर की जररि थी बच र

र जकम र शकल ब ज र स ल आय

पर तबह र म िो छआछि क बहि कड ररव ज थ मरी ब लटी क प नी क छीट नौकर

को भरषट करि थ नौकर को कय पि तक म तकस ज ति क हा र जकम र शकल न अनददर क

प ख न क उपयोग करन को कह नौकर न ब हर क प ख न की ओर इश र तकय मर ततलए

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इसम परश न य गसस होन क कोई क रण न थ इस परक र क अनभव कर-कर क म बहि

पकक

गय थ नौकर िो अपन धमय क प लन कर रह थ और र जनदरब ब क परति अपन कियवय पर

कर रह थ

मझ पहली ब र मजटफरपर ज न क िय हआ आच यय कप ल नी व मजटफरपर

कोततलज म परोफसर थ इस समय परोफसरी छोड चक थ मन उनदह ि र तकय रन आधी र ि को

मजटफरपर पहाचिी थी व अपन ततशषय-माडल क स थ सटशन पर आय थ

कप ल नी जी न तबह र की और उसम भी तिरहि तवभ ग की दीन दश की ब ि की और

मर क म की कदठन ई की कलपन दी कप ल नी जी न तबह र व लो क स थ घतनषठ साबाध जोड

ततलय थ उनदहोन उन लोगो स मर क म क जजकर कर रख थ सबर वकीलो क -एक छोट -स

दल मर प स आय

बरजतकशोरब ब दरभाग स आय रोजनदरब ब परी स आय

इस मणडल क और मर बीच जीवनभर की ग ाठ बाध गयी

बरजतकशोरब ब न मझ स री हकीक़िो की ज नक री दी व ग़रीब तकस नो क ततलए मक़ददम

लडि थ ऐस दो मक़ददम चल रह थ इस िरह क मक़ददमो की परवी करक व थोड वयततिगि

आशव सन पर पि कर ततलय करि थ

मन कह ldquoइन मक़ददमो को पढ ज न क ब द मरी र य िो यह बनी ह तक अब हम य

मक़ददम लडन ही बनदद कर दन च तहए ऐस मक़ददमो स ल भ बहि कम होि ह जह ा रयि

इिनी कचली गई ह जह ा सब इिन भयभीि रहि ह वह ा कचहररयो की म ररि थोड ही इल ज

हो सकि ह लोगो क ततलए सछची दव िो उनक डर को भग न ह जब िक यह िीन कदठय

परथ रद न हो िब िक हम चन स बठ ही नही सकि म िो दो ददन म जजिन दख ज सक

उिन दखन आय हा लतकन अब दख रह हा तक यह क म िो दो वषय भी ल सकि ह इिन

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समय भी लग िो म दन को िय र हा मझ यह िो सझ रह ह तक इस क म क ततलए कय करन

च तहए लतकन इसम आपकी मदद जररी हrdquo

बरजतकशोरब ब को मन बहि ठा ड ददम ग क प य उनदहोन श ाति स उिर ददय ldquoहमस

जो मदद बनगी हम दग लतकन हम समझ इय तक आप तकस परक र की मदद च हि हldquo

इस बीिचीि म हमन स री र ि तबि दी मन कह ldquoमझ आपकी वक लि की शतति क

कम ही उपयोग होग आपक सम न लोगो स िो म लखक और भ तषय क क म लन च हाग

म दखि हा तक इसम जल भी ज न पड सकि ह म इस पसनदद करा ग तक आप यह जोखखम

उठ य पर आप उस उठ न न च ह िो भल न उठ य वक लि छोडकर लखक बनन और अपन

धाध को अतनकषिि अवमध क ततलए बाद करन की म ाग करक म आप लोगो स कछ कम नही म ाग

रह हा यह ा की तहनददी बोली समझन म मझ कदठन ई होिी ह क गज-पि सब कथी म य उदय म

ततलख होि ह जजनदह म पढ नही सकि इनक िरजम की म आप स आश रखि हा यह क म

पस दकर कर न हम र बस क नही ह यह सब सव भ व स और तबन पस क होन च तहएrdquo

बरजतकशोरब ब समझ गय तकनदि उनदहोन मझस और अपन स ततथयो स जजरह शर की

अनदि म उनदहोन अपन यह तनिय परकट तकय ldquoहम इिन लोग आप जो क म हम सौपग

वह कर दन क ततलए िय र रहग इनम स जजिनो को आप जजस समय च हग उिन आपक प स

रहग जल ज न की ब ि नई ह उसक ततलए हम शतति-साचय करन की कोततशश करगrdquo

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६५ अहहिसा दवी का सािातकार

मझ िो तकस नो की ह लि की ज ाच करनी थी नील क म ततलको क तवरदध जो ततशक यि थी

उनम तकिनी सच ई ह यह दखन थ इस क म क ततलए हज रो तकस नो स ममलन की जररि

थी तकनदि उनक सापकय म आन स पहल मझ यह आवकयक म लम हआ तक म नील क म ततलको

की ब ि सन ला और कमीशनर स ममल ला मन दोनो को मचटठी ततलखी

म ततलको क मािी क स थ मरी जो मल क ि हई उसम उसन स र कह ददय तक आपकी

तगनिी परदशी म होिी ह आपको हम र और तकस नो क बीच दखल नही दन च तहए तफर भी

अगर आपको कछ कहन हो िो मझ ततलखकर समचि कीजजए मन मािी स नमरि पवयक कह

तक म अपन को परदशी नही म नि और तकस न च ह िो उनकी चसथति की ज ाच करन क मझ

पर अमधक र ह म कमीशनर स हब स ममल उनदहोन िो धमक न ही शर कर ददय और मझ

सल ह दी तक म आग बढ तबन तिरहि छोड दा

मन स री ब ि स ततथयो को सन कर कह तक साभव ह सरक र मझ ज ाच करन स रोक

और जल ज न क समय मरी अपकष स भी पहल आ ज एा अगर तगरफि री होनी ही ह िो मझ

मोिोह री म और साभव हो िो बतिय म तगरफि र होन च तहए और इसक ततलए वह ा जलदी स

जलदी पहाच ज न च तहए

चाप रन तिरहि तवभ ग क एक जजल ह और मोिीह री उसक मखय शहर बतिय क

आसप स र जकम र शकल क घर थ और उसक आसप स की कोदटयो क तकस न जय द -स-

जय द का ग ल थ र जकम र शकल को उनकी दश ददख न क लोभ थ और मझ अब उस दखन

की इछछ थी

अिएव म उसी ददन स ततथयो को लकर मोिीह री क ततलए रव न हो गय मोिीह री म

गोरखब ब न आशरय ददय और उनक घर धमयश ल बन गय हम सब मतककल स उसम सम

सकि थ जजस ददन हम पहाच उसी ददन सन तक मोिीह री स कोई प ाच मील दर रहन व ल एक

तकस न पर अतय च र तकय गय ह मन तनिय तकय तक धरणीधरपरस द वकील को स थ लकर

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म दसर ददन सवर उस दखन ज ऊा ग सवर ह थी पर सव र होकर हम चल पड चाप रन म ह थी

क उपयोग लगभग उसी िरह होि ह जजस िरह गजर ि म बलग मडयो क आध र सि पहाच

होग तक इिन म पततलस सपररणटणडणट क आदमी आ पहाच और मझस बोल ldquoसपररणटणडणट

स हब न आपको सल म भज हrdquo म समझ गय धरणीधरब ब स मन आग ज न को कह म

उस ज सस क स थ उसकी भ ड की ग डी म सव र हआ उसन मझ चाप रन छोडकर चल ज न

की नोदटस दी वह मझ घर ल गय और मरी सही म ागी मन जव ब ददय तक म चाप रन छोडन

नही च हि मझ िो आग बढन ह और ज ाच करनी ह तनव यसन की आजञ क अन दर करन क

ततलए मझ दसर ही ददन कोटय म ह जजर रहन क समन ममल

मन स री र ि ज गकर जो पि मझ ततलखन थ ततलख और बरजतकशोरब ब को सब परक र

की आवकयक सचन य दी

समन की ब ि एकदम च रो ओर फल गयी लोग कहि थ तक उस ददन मोिीह री म जस

दकय दख गय वस पहल कभी न दख गय थ गोरखब ब क घर और दफिर पर लोगो की

भीड उमड पडी सौभ गय स मन अपन स र क म र ि को तनबट ततलय थ इसततलए म इस

भीड को साभ ल सक स ततथयो क मलय मझ पर -पर म लम हआ व लोगो को सायि रखन म

जट गय कचहरी म जह ा ज ि वह ा दल क दल लोग मर पीछ आि कलकटर मजजसरट

सपररणटणडणट आदद क स थ भी मर एक परक र क साबाध सथ तपि हो गय सरक री नोदटसो

बगर क खखल र क़ ननी तवरोध करन च हि िो म कर सकि थ इसक बदल मन उनकी

सब नोदटसो को सवीक र कर ततलय और अमधक ररयो क स थ तनजी वयवह र म ममठ स स क म

ततलय इसस व समझ गय तक मझ उनक तवरोध नही करन ह बचलक उनकी आजञ क तवनय-

पवयक तवरोध करन ह इसस उनम एक परक र की तनभयगि आ गयी मझ िाग करन क बदल

उनदहोन लोगो को क ब म रखन म मरी और मर स ततथयो की सह यि क परसनद नि -पवयक उपयोग

तकय तकनदि स थ ही व समझ गय तक उनकी सि आज स लपि हई लोग कषणभर को दणड

क भय छोडकर अपन नय ममि क परम की सि क अधीन हो गय

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य द रह तक चाप रन म मझ कोई पहच नि न थ तकस न-वगय तबलकल अनपढ थ

चाप रन गाग क उस प र ठठ तहम लय की िर ई म नप ल क समीपविी परदश ह अथ यि नई

तनय ह वह ा न कही क ागरस क न म सन यी दि थ न क ागरस क कोई सदसय ददख यी पडि

थ जजनदहोन न म सन थ व क ागरस क न म लन म अथव उसम ससतममततलि होन म डरि थ

अिएव क ागरस की ओर स तकनदही गपि य परकट दिो दव र कोई भममक िय र नही कर यी

गयी थी र जकम र शकल म हज रो लोगो म परवश करन की शतति नही थी उनक बीच तकसीन

आज िक र जनीति क क म तकय ही नही थ चाप रन क ब हर की तनय को व ज नि नही

थ तफर भी उनक और मर ममल प पर न ममिो-जस लग अिएव यह कहन म अतिशयोतति

नही बचलक अकषरशः सतय ह तक इस क रण मन वह ा ईशवर क अहहिस क और सतय क

स कष तक र तकय जब म इस स कष तक र क अपन अमधक र की ज ाच करि हा िो मझ लोगो क

परति अपन परम क ततसव और कछ भी नही ममलि इस परम क अथय ह परम अथव अहहिस क

परति मरी अतवचल शरदध

चाप रन क यह ददन मर जीवन म कभी न भलन-जस थ मर ततलए और तकस नो क ततलए

यह एक उतसव क ददन थ सरक री क़ नन क अनस र मझ पर मक़ददम चल य ज न व ल थ

पर सच पछ ज य िो मक़ददम सरक र क तवरदध थ कमीशनर न मर तवरदध जो ज ल तबछ य

थ उसम उसन सरक र को ही फा स ददय

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६६ मक़ददमा वापस शलया गया

मक़ददमा चल सरक री वकील मजजसरट आदद घबर य हए थ उनदह सझ नही पड रह थ तक

तकय क य ज य सरक री वकील सनव ई मलिवी रखन की म ाग कर रह थ म बीच म पड

और तबनिी की तक सनव ई मलिवी रखन की कोई जररि नही ह कयोतक मझ चाप रन छोडन

की नोदटस क अन दर करन क अपर ध सवीक र करन ह

अब मक़ददम की सनव ई को मलिवी रख की जररि न रही थी तकनदि चातक मजजसरट

और वकील न इस पररण म की आश नही की थी इसततलए सज सन न क ततलए अद लि न कस

मलिवी रख मन व इसरोय को स री चसथति ि र दव र समचि कर दी थी पटन भी ि र भज

थ भ रिभषण पामडि म लवीयजी आदद को भी वसिचसथति की ज नक री ि र स भज दी थी

सज सनन क ततलए कोटय म ज न क समय हआ उसस कछ पहल मर न म मजजसरट क हकम

आय तक गवनयर स हब की आजञ स मक़ददम व पस ल ततलय गय ह स थ ही कलकटर क पि

ममल तक मझ जो ज ाच करनी हो म करा और उसम अमधक ररयो की ओर स जो मदद आवकयक

हो सो म ाग ला ऐस ि तक ततलक और शभ पररण म की आश हम म स तकसीन नही रखी थी

म कलकटर मम हक ाक स ममल मझ वह सवया भल और नदय य करन म ितपर ज न पड

उसन कह तक आपको जो क़ गज-पि य कछ और दखन हो सो आप म ाग ल और मझस जब

भी ममलन च ह ममल ततलय कर

दसरी ओर स र तहनदसि न को सतय गरह क क़ नन क सतवनय भाग क पहल सथ नीय

पद थय-प ठ ममल अखब रो म इसकी खब चच य हई और चाप रन को िथ मरी ज ाच को

अनपकषकषि रीति स परततसजदध ममल गयी

चसथति ऐसी नही थी तक हम तबलकल तबन पस क अपन क म चल सक आज िक की

परथ स वयजतनक क म क ततलए जनि स धन पर पि करन की नही थी बरजतकशोरब ब क मणडल

मखयिः वकीलो क मणडल थ अिएव व जररि पडन पर अपनी जब स खचय कर लि थ और

कछ ममिो स भी म ाग लि थ उनकी भ वन यह थी तक जो लोग सवया पस-टक स सखी हो व

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लोगो स रवय की कषभकष कयो म ाग मर यह दढ तनिय थ तक चाप रन की रयि स एक कौडी भी

न ली ज य यदद ली ज िी िो उसक ग़लि अथय लग य ज ि यह भी तनिय थ तक इस ज ाच क

ततलए तहनदसि न म स वयजतनक चनदद न तकय ज य वस करन पर यह ज ाच र षटरीय और

र जनीतिक रप ध रण कर लिी गरीबी-स कम-स-कम खचय करि हए लड ई चल नी थी

अिएव अमधक रवय की आवकयकि पडन की साभ वन न थी असल म पडी भी नही मर

खय ल ह तक कल ममल कर दो य िीन हज र स अमधक खचय नही हआ थ जो रवय इकठठ

तकय गय थ उसम प ाच सौ य एक हज र रपय बच गय थ ऐस मझ य द ह

तकस नो क दल-क-दल अपनी कह नी ततलख न क ततलए आन लग थ कह नी ततलख न

व लो क स थ सन भी िो रहिी ही थी इसस मक न क अह ि और बगीच सहज ही भर ज ि

कह नी ततलखन व लो को कछ तनयमो क प लन करन पडि थ जस हरएक तकस न

स जजरह की ज य जजरह म जो उखड ज य उसक बय न न ततलय ज य जजसकी ब ि मल म

ही बबतनय द म लम हो उसक बय न न ततलख ज एा इस िरह तनयमो क प लन स यदयतप थोड

अमधक समय खचय होि थ तफर भी बय न बहि सछच और स तबि हो सकन व ल ममलि थ

इन बय नो क लि समय खतरय पततलस क कोई-न-कोई अमधक री ह जजर रहि ही थ

इन अमधक ररयो को आन स रोक ज सकि थ पर हमन शर स ही तनिय कर ततलय थ

तक उनदह ततसरय हम आन स नही रोक ग बचलक उनक परति तवनय क बरि व करग और द सकन

योगय खबर भी उनदह दि रहग

म तनलहो को खखझ न नही च हि थ बचलक मझ िो उनदह तवनय दव र जीिन क परयतन

करन थ इसततलए जजसक तवरदध तवशष ततशक यि आिी उस म पि ततलखि और उसस ममलन

क परयतन भी करि थ तनलहो क मणडल स भी म ममल थ और रयि की ततशक यि उनक

स मन रखकर मन उनकी ब ि भी सन ली थी उनम स कछ मर तिरसक र करि थ कछ उद सीन

रहि थ और कोई कोई मर स थ सभयि ओर नमरि क वयवह र करि थ

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६७ गरामपरवश

जस-जस मझ अनभव पर पि होि गय वस-वस दख तक चाप रन म ठीक स क म करन हो िो

ग ावो म ततशकष क परवश होन च तहए लोगो क अजञ न दयनीय थ ग ावो क बछच म र-म र तफरि

थ अथव म ि -तपि दो य िीन पस की आमदनी क ततलए उनस स र ददन नील क खिो म मजदरी

करव ि थ उन ददनो वह ा परषो की मजदरी दस पस स अमधक नही थी सतसिय ा की छह पस

और ब लको की िीन पस थी च र आन की मजदरी प न व ल तकस न भ गयश ली समझ ज ि

स ततथयो स सल ह करक पहल िो छह ग ावो म ब लको क ततलए प ठश ल एा खोलन क

तनिय तकय शिय यह थी तक उन ग ावो क मखखय मक न और ततशकषक क भोजन वयय द उसक

दसर खचय की वयवसथ हम कर यह ा क ग ावो म पस की तवपलि नही थी यह अन ज बगर दन

की शतति लोगो म थी उसततलए लोग कछच अन ज दन को िय र हो गय थ

पर यः परतयक प ठश ल म एक परष और एक सिी की वयवसथ की गयी थी उनदही क

दव र दव और सर ई क क म करन थ सतसिय ा की म ररि सिी- सम ज म परवश करन थ दव

क क म बहि सरल बन ततलय थ अाडी क िल कनन और एक मरहम mdash इिनी ही चीज

परतयक प ठश ल म रखी ज िी थी ज ाचन पर चीज मली ददख ई द और कबज की ततशक यि हो

िो अाडी क िल तपल दन बख र की ततशक यि हो िो अाडी क िल दन क ब द आन व ल को

कनन तपल दन और अगर फोड हो िो उनदह धौकर उन पर मरहम लग दन ख न की दव

अथव मरहम स थ ल ज न क ततलए श यद ही ददय ज ि थ कही कोई खिरन क य समझ म

न आन व ली बीम री होिी िो वह डो दव को ददख न क ततलए छोड दी ज िी डो दव अलग-

अलग जगहो म तनयि समय पर हो आि थ ऐसी स दी सतवध क ल भ लोग ठीक म ि म

उठ न लग थ आम िौर स होन व ली बीम ररय ा थोडी ही ह और उनक ततलए बड-बड तवश रदो

की आवकयकि नही होिी इस धय न म रख ज य िो उपययि रीति स की गयी वयवसथ तकसीको

ह सयजनक परिीि नही होगी लोगो को िो नही ही हई

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सर ई क क म कदठन थ लोग गादगी दर करन को िय र नही थ जो लोग रोज खिो

की मजदरी करि थ व भी अपन ह थ स मल स र करन क ततलए िय र न थ डो दव झट ह र

म न लन व ल आदमी न थ उनदहोन और सवयासवको न अपन ह थ स एक ग ाव क र सिो की

सर ई की लोगो क आागनो स कचर स र तकय कओ क आसप स क गडढ भर कीचड

तनक ल और ग ाव व लो को सवयासवक दन की ब ि परमपवयक समझ ि रह कछ सथ नो म लोगो

न शरम म पडकर क म करन शर तकय और कही-कही िो लोगो न मरी मोटर क आन-ज न

क ततलए अपनी महनि स सडक भी िय र कर दी ऐस मीठ अनभवो क स थ ही लोगो की

ल परव ही क कडव अनभव भी होि रहि थ मझ य द ह तक सर ई की ब ि सनकर कछ जगहो

म लोगो न अपनी न र जी भी परकट की थी

इन अनभवो म स एक जजसक वणयन मन सतसिय ा की कई सभ ओ म तकय ह यह ा दन

अनमचि न होग भीतिहरव एक छोट -स ग ाव थ उसक प स उसस भी छोट एक ग ाव थ

वह ा कछ बहनो क कपड बहि मल ददख यी ददय इन बहनो को कपड धोन बदलन क ब र म

समझ न क ततलए मन कसिरब ई स कह उसन उन बहनो स ब ि की उनम स एक बहन

कसिरब ई को अपनी झोपडी म ल गयी और बोली ldquoआप दखखय यह ा कोई पटी य अलम री

नही ह तक जजसम कपड बनदद हो मर प स यही एक स डी ह जो मन पहन रखी ह इस म कस

धो सकिी हा मह तम जी स कतहय तक व कपड ददलव य उस दश म म रोज नह न और कपड

बदलन को िय र रहागीrdquo तहनदसि न म ऐस झोपड अपव दरप नही ह असाखय झोपडो म स ज-

स म न सादक-पटी कपड-लि कछ नही होि और असाखय लोग कवल पहन हए कपडो पर ही

अपन तनव यह करि ह

एक दसर अनभव भी बि न-जस ह चाप रन म ब ास य घ स की कमी नही रहिी लोगो

न भीतिहरव म प ठश ल क जो छपपर बन य थ वह ब ास और घ स क थ तकसीन उस

र ि को जल ददय सनददह िो आसप स क तनलहो क आदममयो पर हआ थ तफर स ब ास और

घ स क मक न बन न मन ततसब म लम नही हआ यह प ठश ल शरी सोमण और कसिरब ई क

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जजमम थी शरी सोमण न ईटो क पकक मक न बन न क तनिय तकय और उनक सवपररशरम की

छि दसरो को लगी जजसस दखि-दखि ईटो क मक न बन कर िय र हो गय और तफर स

मक न क जल ज न क डर न रह

इस परक र प ठश ल सर ई और औषधोपच र क क मो स लोगो म सवयासवको क परति

तवशव स और आदर की वजदध हई और उन पर अछछ परभ व पड

पर मझ खद क स थ कहन पडि ह तक इस क म को सथ यी रप दन क मर मनोरथ

सरल न हो सक जो सवयासवक ममल थ व एक तनकषिि अवमध क ततलए ही ममल थ दसर नय

सवयासवको क ममलन म कदठन ई हई और तबह र स इस क म क ततलए योगय सथ यी सवक न ममल

सक मझ भी चाप रन क क म पर होि-होि एक दसर क म जो िय र हो रह थ घसीट ल

गय इिन पर भी छह महीनो िक हए इस क मन इिनी जड पकड ली तक एक नही िो दसर

सवरप म उसक परभ व आज िक बन हआ ह

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६८ नील का दाग़ धल गया

जस जस मर पड व पर लोगो की आमद-रफि बढिी गयी वस-वस तनलहो क करोध बढि गय

उनकी ओर स मरी ज ाच को बनदद कर न क परयतन बढि गय

एक ददन मझ तबह र-सरक र क पि ममल उसक आशय इस परक र थ ldquoआपकी

ज ाच क री लाब समय िक चल चकी ह और अब आपको उस बनदद करक तबह र छोड दन

च तहएrdquo पि तवनय-पवयक ततलख गय थ पर उसक अथय सपषट थ मन ततलख तक ज ाच क

क म िो अभी दर िक चलग और सम पि होन पर भी जब िक लोगो क ःख दर न होग मर

इर द तबह र छोडकर ज न क नही ह

मरी ज ाच बनदद कर न क ततलए सरक र क प स एक सममचि उप य यही थ तक वह लोगो

की ततशक यि को सच म नकर उनदह दर कर अथव ततशक यिो को धय न म लकर अपनी ज ाच-

सममति तनयि कर गवनयर सर एडवडय गट न मझ बल य और कह तक व सवया एक ज ाच-सममति

तनयि करन च हि ह उनदहोन मझ उसक सदसय बनन क ततलए आमातिि तकय सममति क

दसर न म दखन क ब द मन स ततथयो स सल ह की और इस शिय क स थ सदसय बनन क़बल

तकय तक मझ अपन स ततथयो स सल ह-मशतवर करन की सविािि रहनी च तहए और सरक र

को यह समझ लन च तहए तक सदसय बन ज न स म तकस नो की तहम यि करन छोड न दाग

िथ ज ाच परी-परी हो ज न पर यदद मझ सािोष न हआ िो तकस नो क म गयदशयन करन की

अपनी सविािि को म ह थ स ज न न दाग

सर एडवडय गट न इन शिो को उमचि म नकर उनदह माजर तकय सव सर फर क स ल ई

सममति क अधयकष तनयि तकय गय थ ज ाच-सममति न तकस नो की स री ततशक यिो को सही

ठहर य और तनलह गोरो न उनस जो रकम अनमचि रीति स वसल की थी उसक कछ अाश

लौट न और िीन कदठय क क़ नन को रद करन की ततसर ररश की

इस ररपोटय क स ागोप ाग िय र होन और अनदि म क़ नन क प स होन म सर एडवडय गट

क बहि बड ह थ थ यदद व दढ न रह होि अथव उनदहोन अपनी कशलि क पर उपयोग न

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तकय होि िो जो सवयसममि ररपोटय िय र हो सकी वह न हो प िी और आखखर म जो क़ नन

प स हआ वह भी न हो प ि तनलहो की सि बहि परबल थी ररपोटय क पश हो ज न पर भी

उनम स कछन तबल क कड तवरोध तकय थ पर सर एडवडय गट अनदि िक दढ रह और उनदहोन

सममति की ततसर ररशो पर पर -पर अमल तकय

इस परक र सौ स ल स चल आन व ल िीन कदठय क क़ नन क रद होि ही तनलह गोरो

क र जय क असि हआ जनि क जो समद य बर बर दब ही रहि थ उस अपनी शतति क

कछ भ न हआ और लोगो क यह वहम दर हआ तक नील क द ग़ धोय धल ही नही सकि

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भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

६९ मज़दरो क समपकम म

दसरी ओर स शरी अनसय ब ई क पि उनक मजदर-साघ क ब र म आय थ मजदरो की

िनखव ह कम थी िनखव ह बढ न की उनकी म ाग बहि पर नी थी इस म मल म उनकी रहनम ई

करन क उतस ह मझम थ लतकन मझम यह कषमि न थी तक इस अपकष कि छोट परिीि होन

व ल क म को भी म दर बठकर कर सका इसततलए मौक ममलि ही म पहल अहमद व द पहाच

मरी चसथति बहि ही न जक थी मजदरो क म मल मझ मजबि म लम हआ शरी

अनसय ब ई को अपन सग भ ई क स थ लडन थ मजदरो और म ततलको क बीच क इस द रण

यदध म शरी अाब ल ल स र भ ई न मखय रप स तहसस ततलय थ ममल-म ततलको क स थ मर

मीठ साबाध थ उनक तवरदध लडन क क म तवकट थ उनस चच यय करक मन पर थयन की तक

व मजदरो की म ाग क साबाध म पाच तनयि कर तकनदि म ततलको न अपन और मजदरो क बीच

पाच क हसिकषप की आवकयकि को सवीक र न तकय

मन मजदरो को हडि ल करन की सल ह दी यह सल ह दन स पहल म मजदरो क और

मजदर-नि ओ क समपकय म अछछी िरह आय उनदह हडि ल की शि समझ यी

१ तकसी भी दश म श ाति भाग न होन दी ज य

२ जो मजदर क म पर ज न च ह उसक स थ जोर-जबरदसिी न की ज य

३ मजदर कषभकष क अनदन न ख य

४ हडि ल तकिनी ही लमबी क यो न चल व दढ रह और अपन प स पस न रह िो दसरी

मजदरी करक ख न योगय कम ल

मजदर-नि ओ न य शि समझ ली और सवीक र कर ली मजदरो की आम सभ हई और

उसम उनदहोन तनिय तकय तक जब िक उनकी म ाग माजर न की ज य अथव उसकी योगयि -

अयोगयि की ज ाच क ततलए पाच की तनयतति न हो िब िक व क म पर नही ज एाग

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यह हडि ल इककीस ददन िक चली इस बीच समय-समय पर म म ततलको स ब िचीि

तकय करि थ और उनदह इनदस र करन क ततलए मन ि थ मझ यह जव ब ममलि ldquoहम री

भी िो टक ह न हम म और हम र मजदरो म ब प-बट क समबनदध ह उसक बीच म कोई दखल

द िो हम कस सहन कर हम र बीच पाच कसrdquo यह परतयिर मझ ममलि थ

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७० उपवास

मज़दरो न शर क दो हफिो म खब तहममि ददख यी श ाति भी खब रखी परतिददन की सभ ओ

म व बडी साखय म ह जजर भी रह परतिजञ क समरण म रोज उनदह कर ि ही थ व रोज पक र-

पक र कर कहि थ ldquoहम मर ममटग पर अपनी टक कभी न छोडगrdquo

लतकन आखखर व कमजोर पडि ज न पड और जजस परक र कमजोर आदमी हहिसक

होि ह उसी परक र उनम जो कमजोर पड व ममल म ज न व लो क दवष करन लग और मझ डर

म लम हआ तक कही व तकसी क स थ जबरदसिी न कर बठ रोज की सभ म लोगो की उपचसथति

कम पडन लगी आन व लो क चहरो पर उद सीनि छ यी रहिी थी मझ खबर ममली तक मजदर

डगमग न लग ह म परश न हआ यह सोचन लग तक ऐस समय म मर धमय कय हो सकि ह

सबर क समय थ म सभ म बठ थ मरी समझ म नही आ रह थ तक मझ कय करन

च तहए तकनदि सभ म ही मर माह स तनकल गय ldquoयदद मजदर तफर स दढ न बन और रसल

होन िक हडि ल को चल न सक िो म िब िक क ततलए उपव स करा ग rdquo

जो मजदर ह जजर थ व सब हकक-बकक रह गय अनसय बहन की आाखो स आास की

ध र बह चली मजदर बोल उठ ldquoआप नही हम उपव स करग आपको उपव स नही करन

च तहए हम म र कीजजए हम अपनी परतिजञ क प लन करगrdquo

मन कह ldquoआपको उपव स करन की जररि नही ह आपक ततलए िो यही बस ह तक

आप अपनी परतिजञ क प लन कर हम र प स पस नही ह हम मजदरो को भीख क अनदन

खखल कर हडि ल चल न नही च हि आप कछ मजदरी कीजजए और उसस अपनी रोज की

रोटी क ल यक पस कम लीजजए ऐस करग िो तफर हडि ल तकिन ही ददन कयो न चल आप

तनकषिनदि रह सक ग मर उपव स िो अब फसल स पहल न छटग rdquo

वललभभ ई पटल मजदरो क ततलए मयतनततसपततलटी म क म खोज रह थ पर वह ा कछ क म

ममलन की साभ वन न थी आशरम की बन ई-श ल म रि क भर व करन की जररि थी

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मगनल ल ग ाधी न सझ य तक इस क म म बहि स मजदर लग य ज सकि ह मजदर इस करन

को िय र हो गय अनसय बहन न पहली टोकरी उठ यी और नदी म स रि की टोकररय ा ढोन

व ल मजदरो की एक कि र खडी हो गयी मजदरो म नय बल आ गय उनदह पस चक न व ल

चक ि-चक ि थक गय

इस उपव स म एक दोष थ म ऊपर ततलख चक हा तक म ततलको क स थ मर मीठ

समबनदध थ इसततलए उन पर उपव स क परभ व पड तबन रह ही नही सकि थ म िो ज नि

थ तक सतय गरही क न ि म उनक तवरदध उपव स कर ही नही सकि उन पर कोई परभ व पड

िो वह मजदरो की हडि ल क ही पडन च तहए मर पर यकषिि उनक दोषो क ततलए नही थ

मजदरो क दोष क तनममि स थ म मजदरो क परतितनमध थ इसततलए उनक दोष स म दोतषि

होि थ म ततलको स िो म कवल तबनिी ही कर सकि थ उनक तवरदध उपव स करन उन पर

जय दिी करन क सम न थ तफर भी म ज नि थ तक मर उपव स क परभ व उन पर पड तबन

रहग ही नही परभ व पड भी तकनदि म अपन उपव स को रोक नही सकि थ मन सपषट दख

तक ऐस दोषमय उपव स करन मर धमय ह

मन म ततलको को समझ य ldquoमर उपव स क क रण आपको अपन म गय छोडन की

ितनक भी जररि नहीrdquo उनदहोन मझ कडव-मीठ ि न भी ददय उनदह वस करन क अमधक र

सठ अाब ल ल इस हडि ल क तवरदध दढ रहन व लो म अगरगणय थ उनकी दढि

आिययजनक थी उनकी तनषकपटि भी मझ उिनी ही पसनदद आयी उनस लडन मझ तपरय

लग उनक जस अगव जजस तवरोधी दल म थ उस पर उपव स क पडन व ल अपरतयकष परभ व

मझ अखर तफर उनकी धमयपतनी शरीमिी सरल दवी क मर परति सगी बहन जस परम थ मर

उपव स स उनदह जो घबर हट होिी थी वह मझस दखी नही ज िी थी

मर पहल उपव स म अनसय बहन दसर कई ममि और मजदर स थी बन उनदह अमधक

उपव स न करन क ततलए म मतककल स समझ सक इस परक र च रो ओर परममय व ि वरण बन

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गय म ततलक कवल दय वश होकर समझौि क र सि खोजन लग अनसय बहन क यह ा उनकी

चच यय चलन लगी शरी आननददशाकर धरव भी बीच म पड आखखर व पाच तनयि हए और हडि ल

टटी मझ कवल िीन उपव स करन पड म ततलको न मजदरो को ममठ ई ब ाटी इककीसव ददन

समझौि हआ

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भाग-१३ खडा सतयागरह

७१ खडा म सतयागरह

मज़दरो की हडि ल सम पि होन क ब द दम लन को भी समय न ममल और मझ खड जजल क

सतय गरह क क म ह थ म लन पड खड जजल म अक ल की-सी चसथति होन क क रण खड

क प टीद र लोग लग न म र कर न की कोततशश कर रह थ

लोगो की म ाग इिनी स र और इिनी स ध रण थी तक उसक ततलए लड ई लडन की

जररि ही न होनी च तहए थी क़ नन यह थ तक अगर रसल च र ही आन य उसस कम आव

िो उस स ल क लग न म र तकय ज न च तहए पर सरक री अमधक ररयो क अाद ज च र आन

स अमधक थ लोगो दव र यह ततसदध तकय ज रह थ तक उपज च र आन स कम किी ज नी

च तहए पर सरक र कयो म नन लगी लोगो की ओर स पाच बठ न की म ाग की गयी सरक र को

वह असहय म लम हई जजिन अननय-तवनय हो सकि थ सो सब कर चकन क ब द और

स ततथयो स पर मशय करन क पि ि मन सतय गरह करन की सल ह दी

स ततथयो म खड जजल क सवको क अतिररि मखयिः शरी वललभभ ई पटल शरी

शाकरल ल बकर शरी अनसय बहन शरी इनदल ल कनदहय ल ल य ततजञक शरी मह दव दस ई आदद

थ शरी वललभभ ई अपनी बडी और बढिी हई वक लि की बततल दकर आय थ ऐस कह ज

सकि ह तक इसक ब द व तनकषिनदि होकर वक लि कर ही न सक

हम नमडय द क अन थ शरम म ठहर थ अन थ शरम म ठहरन को कोई तवशषि न समझ

नमडय द म उसक जस कोई सविाि मक न नही थ जजसम इिन स र लोग सम सक अनदि म

नीच ततलखी परतिजञ पर हसि कषर ततलए गय

ldquoहम ज नि ह तक हम र ग ावो की रसल च र आन स कम हई ह इस क रण हमन सरक र

स पर थयन की तक वह लग न-वसली क क म अगल वषय िक मलिवी रख तफर भी वह मलिवी

नही तकय गय अिएव हम नीच सही करन व ल लोग यह परतिजञ करि ह तक हम इस स ल क

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पर य ब की रह सरक री लग न नही दग पर उस वसल करन क ततलए सरक र जो भी क़ ननी

क रयव ई करन च हगी हम करन दग और उसस होन व ल ःख सहन करग यदद हम री जमीन

ख लस की गयी िो हम उस ख लस भी होन दग पर अपन ह थो पस जम करक हम झठ नही

ठहरग और सव कषभम न नही खोएाग अगर सरक र ब की बची हई सब जगहो म दसरी तकसि की

वसली मलिवी रख िो हम म स जो लोग जम कर सकि ह व पर अथव ब की रह हआ

लग न जम कर न को िय र ह हम म स जो जम कर सकि ह उनक लग न जम न कर न क

क रण यह ह तक अगर समथय लोग जम कर द िो असमथय लोग घबर हट म पडकर अपनी कोई

भी चीज बचकर य कजय करक लग न जम कर दग और ःख उठ एाग हम री यह म नदयि ह

तक ऐसी चसथति म ग़रीबो की रकष करन समथय लोगो क कियवय हrdquo

इस लड ई क ततलए म अमधक परकरण नही द सकि अिएव अनक मीठ समरण छोड दन

पडग जो इस महततवपणय लड ई क गहर अधययन करन च ह उनदह शरी शाकलल ल परीख दव र

ततलखखि खड की लड ई क तवसिि पर म कषणक इतिह स पढ ज न की म ततसर ररश करि हा

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७२ पयाज़चोर

गजरानतयो को इस नई वसि म तवशष रस आन लग थ व पस लट न को जय र थ सतय गरह

की लड ई पस स नही चल सकिी उस पस की कम-स-कम आवकयकि रहिी ह यह ब ि

जलदी उनकी समझ म नही आ रही थी मन करन पर भी बमबई क सठो न आवकयकि स

अमधक पस ददय थ और लड ई क अनदि म उसम स कछ रकम बच गयी थी

सरक री अमधक री जनि क म ततलक नही बचलक नौकर ह जनि क पस स उनदह

िनखव ह ममलिी ह ndash यह सब समझ कर उनक भय दर करन क क म मखय थ और तनभयय

होन पर भी तवनय क प लन क उप य बि न और उस गल उि रन लगभग असाभव-स परिीि

होि थ अमधक ररयो क डर छोडन क ब द उनक दव र तकय गय अपम नो क बदल चक न

की इछछ तकस नही होिी तफर भी यदद सतय गरही अतवनयी बनि ह िो वह दध म जहर ममलन

क सम न ह प टीद र तवनय क प ठ परी िरह पढ नही प य इस म ब द म अमधक समझ सक

अनभव स म इस पररण म पर पहाच हा तक तवनय सतय गरह क कदठन-स-कदठन अाश ह यह ा

तवनय क अथय कवल समम न-पवयक वचन कहन ही नही ह तवनय स ि तपयय ह तवरोधी क परति

भी मन म आदर सरल भ व उसक तहि की इछछ और िदनस र वयवह र

शर क ददनो म लोगो म खब तहममि ददख यी दिी थी शर शर म सरक री क रयव ई भी

कछ ढीली ही थी लतकन जस-जस लोगो की दढि बढिी म लम हई वस-वस सरक र को भी

अमधक उगर क रयव ई करन की इछछ हई ककी करन व लो न लोगो क पश बच ड ल घर म स

जो च ह सो म ल उठ कर ल गय चौथ ई जम यन की नोदटस तनकली तकसी-तकसी ग ाव की स री

रसल जबि कर ली गयी लोगो म घबर हट फली कछन लग न जम कर ददय दसर मन-ही-

मन यह च हन लग तक सरक री अमधक री उनक स म न जबि करक लग न वसल कर ल िो भर

प य कछ लोग मर-ममटन व ल भी तनकल

इसी बीच शाकरल ल परीख की जमीन क लग न उनकी जमीन पर रहन व ल आदमी न

जम कर ददय इसस ह ह क र मच गय शाकरल ल परीख न वह जमीन जनि को दकर अपन

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आदमी स हई भल क पर यकषिि तकय इसस उनकी परतिषठ की रकष हई और दसरो क ततलए एक

उद हरण परसिि हो गय

भयभीि लोगो को परोतस तहि करन क ततलए मोहनल ल पाडय क नितव म मन एक ऐस

खि म खडी पय ज की िय र रसल को उि र लन की सल ह दी जो अनमचि रीति स जबि तकय

गय थ मरी दतषट म इसस क़ नन क भाग नही होि थ लतकन अगर क़ नन टटि हो िो भी

मन यह सझ य तक म मली-स लग न क ततलए समची िय र रसल को जबि करन क़ ननन ठीक

होि हए भी नीति क तवरदध ह और सपषट लट ह अिएव इस परक र की जबिी क अन दर करन

हम र धमय ह लोगो को सपषट रप स समझ ददय थ तक ऐस करन म जल ज न और जम यन

होन क खिर ह मोहनल ल पाडय िो यही च हि थ सतय गरह क अनरप तकसी रीति स तकसी

सतय गरही क जल गय तबन खड की लड ई सम पि हो ज य यह चीज उनदह अछछी नही लग रही

थी उनदहोन इस खि क पय ज खदव न क बीड उठ य स ि-आठ आदममयो न उनक स थ

ददय

सरक र उनदह पकड तबन भल कस रहिी मोहनल ल और उनक स थी पकड गय इसस

लोगो क उतस ह बढ गय जह ा लोग जल इतय दद क तवषय म तनभयय बन ज ि ह वह ा र जदणड

लोगो को दब न क बदल उनम शरवीरि उतपनदन करि ह अद लि म लोगो क दल-क-दल

मक़ददम दखन को उमड पड मोहनल ल पाडय को और उनक स ततथयो को थोड-थोड ददनो की

क़द की सज दी गयी म म नि हा तक अद लि क रसल ग़लि थ पय ज उख डन क क म

चोरी की क़ ननी वय खय की सीम म नही आि थ पर अपील करन की तकसी की वतति ही न

थी

जल ज न व लो को पहाच न क ततलए एक जलस उनक स थ हो गय और उस ददन स

मोहनल ल पाडय को लोगो की ओर स पय जचोर की समम तनि पदवी पर पि हई जजसक

उपभोग व आज िक कर रह ह

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७३ खडा की लडाई का अनत

यह िो स र थ तक लोग थक चक थ जो दढ रह थ उनदह परी िरह बरब द होन दन म साकोच

हो रह थ मर झक व इस ओर थ तक सतय गरही क अनरप इसकी सम नपि क कोई शोभ सपद

म गय तनकल आय िो उस अपन न ठीक होग ऐस एक अनसोच उप य स मन आ गय

नमडय द ि लक क िहसीलद र न सादश भज तक अगर अछछी चसथति व ल प टीद र लग न

अद कर द िो ग़रीबो क लग न मलिवी रहग इस तवषय म मन ततलखखि सवीकति म ागी और

वह ममल गयी िहसीलद र अपनी िहसील की ही जजममद री ल सकि थ स र जजल की

जजममद री िो कलकटर ही ल सकि थ इसततलए मन कलकटर स पछ उनक जव ब ममल तक

िहसीलद र न जो कह ह उसक अनस र िो हकम तनकल ही चक ह मझ इसक पि नही थ

लतकन यदद ऐस हकम तनकल चक हो िो म न ज सकि ह तक लोगो की परतिजञ क प लन

हआ परतिजञ म यही वसि थी अिएव इस हकम स हमन सािोष म न

तफर भी इस परक र की सम नपि स हम परसनद न न हो सक सतय गरह की लड ई क पीछ जो

एक ममठ स होिी ह वह इसम नही थी कलकटर म नि थ तक उसन कछ तकय ही नही

ग़रीब लोगो को छोडन की ब ि कही ज िी थी तकनदि व श यद ही छट प य जनि यह कहन

क अमधक र आजम न सकी तक ग़रीब म तकसकी तगनिी की ज य मझ इस ब ि क ःख थ

तक जनि म इस परक र की शतति रह नही गयी थी अिएव लड ई की सम नपि क उतसव िो

मन य गय पर इस दतषट स मझ वह तनसिज लग

तफर भी यह लड ई क जो अददकय पररण म आय उसक फ यद आज भी दख ज सकि

ह और उठ य भी ज रह ह खड सतय गरह स

इसस गजर ि क लोक-जीवन म नय िज आय नय उतस ह उतपनदन हआ प टीद रो को

अपनी शतति क जो जञ न हआ उस व कभी न भल सब कोई समझ गय तक जनि की मतति

क आध र सवया जनि पर उसकी तय गशतति पर ह सतय गरह न खड क दव र गजर ि म अपनी

जड जम ली

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भाग-१४ रगरटो की भरती

७४ रगरटो की भरती

जजन ददनो खड क आनददोलन चल रह थ उन ददनो यरोप क मह यदध भी ज री ही थ

व इसरोय न उसक ततसलततसल म नि ओ को ददलली बल य थ मझस आगरह तकय गय थ तक

म भी उसम ह जजर होऊा

मन तनमािण सवीक र तकय और म ददल ली गय तकनदि इस सभ म ससतममततलि होि समय

मर मन म एक साकोच थ मखय क रण िो यह थ तक इस सभ म अलीभ इयो को लोकम नदय

को और दसर नि ओ को तनमातिि नही तकय गय थ

इस ब ि को िो म दकषकषण अफ़रीक म ही समझ चक थ तक तहनदद-मसलम नो क बीच

सछच ममिभ व नही ह म वह ा ऐस एक भी उप य को ह थ स ज न न दि थ जजसस दोनो क

बीच की अनबन दर हो झठी खश मद करक अथव सव कषभम न खोकर उनको अथव तकसी और

को ररझ न मर सवभ व म न थ लतकन वही स मर ददल म यह ब ि जमी हई थी तक मरी अहहिस

की कसौटी और उसक तवश ल परयोग इस एकि क ततसलततसल म ही होग

इस परक र क तवच र लकर म बमबई बनददर पर उिर थ इसततलए मझ इन दोनो

अलीभ इयो स ममलकर परसनदनि हई हम र सनह बढि गय हम री ज न-पहच न होन क ब द

िरनदि ही अलीभ इयो को सरक र न जीि-जी दरन ददय मौल न महममदअली को जब

इज जि ममलिी िब व बिल य मछिदव ड जल स मझ लमब-लमब पि ततलख करि थ मन उनस

ममलन की इज जि सरक र स म ागी थी पर वह ममल न सकी

चातक मन खखल रि क म मल म मसलम नो क स थ ददय थ इसततलए इस समबनदध म

ममिो और आलोचको न मरी क री आलोचन की ह उन सब पर तवच र करन क ब द जो र य

मन बन यी और जो मदद दी य ददल यी उसक ब र म मझ कोई पि ि प नही ह न उसम मझ

कोई सध र ही करन ह मझ लगि ह तक आज भी ऐस सव ल उठ िो मर वयवह र पहल की

िरह ही होग

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इस परक र क तवच र लकर म ददल ली गय मसलम नो क ःख की चच य मझ व इसरोय

स करनी थी खखल रि क परशन न अभी पणय सवरप ध रण नही तकय थ

ददलली पहाचि ही दीनबनदध एणडज न एक नतिक परशन खड कर ददय उनदही ददनो इटली

और इागलणड क बीच गपि सामध होन की जो चच य अागरजी अखब रो म मछडी थी उसकी ब ि

कहकर दीनबनदध न मझस कह ldquoयदद इागलणड न इस परक र की गपि सामध तकसी र षटर क स थ

की हो िो आप इस सभ म सह यक की िरह कस भ ग ल सकि हrdquo म इस सामधयो क तवषय

म कछ ज नि नही थ दीनबनदध क शबद मर ततलए पय यपि थ इस क रण को तनममि बन कर

मन ल डय चमसफडय को पि ततलख तक सभ म ससतममततलि होि हए मझ साकोच हो रह ह उनदहोन

मझ चच य क ततलए बल य उनक स थ और ब द म मम मफी क स थ मरी लमबी चच य हई उसक

पररण म यह हआ तक मन सभ म ससतममततलि होन सवीक र तकय थोड म व इसरोय की दलील

यह थी ldquoआप यह िो नही म नि तक तबरदटश मािी-माडल जो कछ कर उसकी ज नक री

व इसरोय को होनी ही च तहए म यह द व नही करि तक तबरदटश सरक र कभी भल करिी ही

नही कोई भी ऐस द व नही करि तकनदि यदद आप यह सवीक र करि ह तक उसक अतसितव

सास र क ततलए कलय णक री ह यदद आप यह म नि ह तक उसक क यो स इस दश को कल

ममल कर कछ ल भ हआ ह िो कय आप यह सवीक र नही करग तक उसकी तवपतति क समय

उस मदद पहाच न परतयक न गररक क धमय ह गपि सामध क तवषय म आपन सम च रपिो म जो

दख ह वही मन भी दख ह इसस अमधक म कछ नही ज नि यह म आपस तवशव स-पवयक कह

सकि हा अखब रो म कसी-कसी गपप आिी ह यह िो आप ज नि ही ह कय अखब रो म

आयी हई एक तननद द सचक ब ि पर आप ऐस समय र जय क तय ग कर सकि ह लड ई सम पि

होन पर आपको जजिन नतिक परशन उठ न हो उिन उठ सकि ह और जजिनी िकर र करनी हो

उिनी कर सकि हrdquo

यह दलील नई नही थी लतकन जजस अवसर पर और जजस रीति स यह पश की गयी

उसस मझ नई-जसी लगी और मन सभ म ज न सवीक र कर ततलय खखल रि क ब र म यह

तनिय हआ तक म व इसरोय को पि ततलखकर भजा

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म सभ म ह जजर हआ व इसरोय की िीवर इछछ थी तक म ततसप तहयो की मदद व ल

परसि व क समथयन करा मन तहनददी-तहनदसि नी म बोलन की इज जि च ही व इसरोय न

इज जि िो दी तकनदि स थ ही अागरजी म भी बोलन को कह मझ भ षण िो करन ही नही थ

मन वह ा जो कह सो इिन ही थ ldquoमझ अपनी जजममद री क पर खय ल ह और उस जजममद री

को समझि हए म इस परसि व क समथयन करि हाrdquo

मरी दसरी जजममद री रागरट भरिी करन की थी इसकी य चन म खड म न करि िो

और कह ा करि पहल अपन स ततथयो को न नद योिि िो तकस नदयोिि खड पहाचि ही

वललभभ ई इतय दद क स थ मन सल ह की उनम स कछ क गल ब ि िरनदि उिरी नही जजनक

गल उिरी उनदहोन क यय की सफलि क तवषय म शाक परकट की जजन लोगो म स रागरटो की

भरिी करनी थी उन लोगो म सरक र क परति तकसी परक र क अनर ग न थ सरक री अरसरो

क उनदह जो कडव अनभव हआ थ वह भी ि ज ही थ

तफर भी सब इस पकष म हो गय तक क म शर कर ददय ज य शर करि ही मरी आाख

खली मर आश व द भी कछ ततशततथल पड खड की लड ई म लोग अपनी बलग डी मफि म

दि थ जह ा एक सवयासवक की ह जजरी की जररि थी वह ा िीन-च र ममल ज ि थ अब पस

दन पर भी ग डी लयभ हो गयी लतकन हम यो तनर श होन व ल नही थ ग डी क बदल हमन

पदल य ि करन क तनिय तकय रोज बीस मील की माजजल िय करनी थी जह ा ग डी न

ममलिी वह ा ख न िो ममलि ही कस म ागन भी उमचि नही ज न पड अिएव यह तनिय

तकय तक परतयक सवयासवक अपन ख न क ततलए पय यपि स मगरी अपनी थली म लकर तनकल

गमी क ददन थ इसततलए स थ म ओढन क ततलए िो कछ रखन की आवकयकि न थी

हम जजस ग ाव म ज ि उस ग ाव म सभ करि लोग आि लतकन भरिी क ततलए न म िो

मतककल स एक य दो ही ममलि आप अहहिस व दी होकर हम हततथय र उठ न क ततलए कयो कहि

हrsquo सरक र न तहनद सि न क कय भल तकय ह तक आप हम उसकी मदद करन को कहि हrsquo

ऐस अनक परक र क परशन मर स मन रख ज ि थ

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यह सब होि हए भी धीर-धीर हम र सिि क यय क परभ व लोगो पर पडन लग थ न म

भी क री साखय म दजय होन लग थ और हम यह म नन लग थ तक अगर पहली टकडी तनकल

पड िो दसरो क ततलए र सि खल ज एग यदद रागरट तनकल िो उनदह कह ा रख ज य इतय दद

परशनो की चच य म कमीशनर स करन लग थ कमीशनर ददलली क ढाग पर जगह-जगह सभ य

करन लग थ गजर ि म भी वसी सभ हई उसम मझ और स ततथयो को तनमातिि तकय गय थ

म उसम भी ससतममततलि हआ थ पर यदद ददलली की सभ म मर ततलए कम सथ न थ िो यह ा की

सभ म िो उसस भी कम सथ न मझ अपन ततलए म लम हआ जी-हजरीrsquo क व ि वरण म मझ

चन न पडि थ यह ा म कछ अमधक बोल थ मरी ब ि म खश मद-जसी िो कोई चीज थी ही

नही बचलक दो कडव शबद भी थ

रागरटो की भरिी क ततसलततसल म मन जो पहििक परक ततशि की थी उसम भरिी क ततलए

लोगो को तनमातिि करि हए जो एक दलील दी गयी थी वह कमीशनर को बरी लगी थी उसक

आशय यह थ ldquoतबरदटश र जय क अनक नक षकतयो म समची परज को तनःशसि बन न व ल

क़ नन को इतिह स उसक क ल स क ल क म म नग इस क़ नन को रद कर न हो और शसिो

क उपयोग सीखन हो िो उसक ततलए यह एक सवणय अवसर ह साकट क समय म मधयमशरणी

क लोग सवछछ स श सन की सह यि करग िो अतवशव स दर होग और जो वयतति शसि ध रण

करन च हग वह आस नी स वस कर सकग rdquo इसको लकषय म रखकर कमीशनर को कहन

पड थ तक उनक और मर बीच मिभद क रहि हए भी सभ म मरी उपचसथति उनदह तपरय थी

मझ भी अपन मि क समथयन यथ साभव मीठ शबदो म करन पड थ

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७५ मतय-शयया पर

रगरटो की भरिी क क म म मर शरीर क री कषीण हो गय उन ददनो मर आह र म मखयिः

ततसकी हई और कटी हई मागफली दो-िीन नीब क प नी इिनी चीज रह करिी थी म ज नि

थ तक अमधक म ि म ख न स मागफली नक़स न करिी ह तफर भी वह अमधक ख ली गयी

उसक क रण पट म कछ पमचश रहन लगी म समय-समय पर आशरम म िो आि ही थ मझ

यह पमचश बहि धय न दन योगय परिीि न हई र ि आशरम पहाच उन ददनो म दव कवमचि ही

लि थ तवशव स यह थ तक एक ब र क ख न छोड दन स ददय ममट ज एग दसर ददन सबर

कछ भी न ख य थ इसस ददय लगभग बाद हो चक थ पर म ज नि थ तक मझ उपव स च ल

रखन च तहए अथव ख न ही हो िो फल क रस जसी कोई चीज लनी च तहए

उस ददन कोई तयौह र थ मझ य द पडि ह तक मन कसिरब ई स कह ददय थ तक म

दोपहर को भी नही ख ऊा ग लतकन उसन मझ ललच य और म ल लच म फा स गय उन ददनो

म तकसी पश क दध नही लि थ इसस घी-छ छ क भी मन तय ग कर ददय थ इसततलए उसन

मझस कह तक आपक ततलए दल हए गहा को िल म भनकर लपसी बन यी गयी ह और ख स िौर

पर आपक ततलए ही पर माग भी बन य गय ह म सव द क वश होकर तपघल तपघलि हए भी

इछछ िो यह रखी थी तक कसिरब ई को खश रखन क ततलए थोड ख लाग सव द भी ल लाग

और शरीर की रकष भी कर लाग पर शि न अपन तनश न ि क कर ही बठ थ ख न बठ िो

थोड ख न क बदल पट भर कर ख गय इस परक र सव द िो मन पर ततलय पर स थ ही यमर ज

को नदयोि भी भज ददय ख न क ब द एक घाट भी न बीि थ तक जोर की पमचश शर हो गयी

मचनदि िर होकर स ततथयो न मझ च रो ओर स घर ततलय उनदहोन मझ अपन परम स नहल

ददय पर व बच र मर ःख म तकस परक र ह थ बाट सकि थ मर हठ क प र न थ मन डोकटर

को बल न स इनक र कर ददय दव िो लनी ही न थी सोच तकय हए प प की सज भोगाग

स ततथयो न यह सब माह लटक कर सहन तकय चौबीस घाटो म िीस-च लीस ब र प ख न की

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ह जि हइ होगी ख न म बनदद कर ही चक थ और शर क ददनो म िो मन फल क रस भी

नही ततलय थ लन की तबलकल रमच न थी

आज िक जजस शरीर को म पतथर क सम न म नि थ वह अब गीली ममटटी-जस बन

गय शतति कषीण हो गयी डोकटर क नग आय दव लन क ततलए समझ य मन इनक र तकय

उनदहोन तपचक री लगव न की सल ह दी मन उसक ततलए भी इनक र कर ददय उस समय क

तपचक री-तवषयक मर अजञ न ह सय सपद थ म यह म नि थ तक तपचक री म तकसी-न-तकसी

परक र की लसी होगी ब द म मझ म लम हआ तक वह िो तनदोष वनसपति स बनी औषमध की

तपचक री थी पर जब समझ आयी िब अवसर बीि चक थ ह जि िो ज री ही थी अतिशय

पररशरम क क रण बख र आ गय और बहोशी भी आ गयी ममि अमधक घबर य दसर डोकटर

भी आय पर जो रोगी उनकी ब ि म न नही उसक ततलए व कय कर सकि थ

वदय ममि और डोकटर ममि अनक परक र की सल ह दि थ पर म तकसी िरह दव पीन

को िय र नही हआ दो-िीन ममिो न सल ह दी तक दध लन म आपतति हो िो म ास क शोरव

लन च तहए और औषमध क रप म म ास दद च ह जो वसि ली ज सकिी ह इसक समथयन म

उनदहोन आयवद क परम ण ददय एक न अणड लन की ततसर ररश की लतकन म इनम स तकसी

भी सल ह को सवीक र न कर सक मर उिर एक ही थ ndash नही

ख दय ख दय क तनणयय मर ततलए कवल श सिो क शलोको पर अवलातबि नही थ बचलक

मर जीवन क स थ वह सविाि रीति स जड हआ थ च ह जो चीज ख कर और च ह जस

उपच र करक जीन क मझ ितनक भी लोभ न थ जजस धमय क आचरण मन अपन पिो क

ततलए तकय सिी क ततलए तकय सनतहयो क ततलए तकय उस धमय क तय ग म अपन ततलए कस

करि

इस परक र मझ अपनी इस बहि लमबी और जीवन की सबस पहली इिनी बडी बीम री म

धमय क तनरीकषण करन और उस कसौटी पर चढ न क अलभय ल भ ममल एक र ि िो मन

तबलकल ही आश छोड दी थी मझ ऐस भ स हआ तक अब मतय समीप ही ह

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यो म मौि की र ह दखि बठ थ इिन म डो िलवलकर एक तवमचि पर णी को लकर

आय व मह र षटरी ह तहनद सि न उनदह पहच नि नही म उनदह दखकर समझ सक थ तक व मरी

ही िरह चकरम ह व अपन उपच र क परयोग मझ पर करन क ततलए आय थ

सो भी बरफ क अथ यि प नी क अिएव उनदहोन मर स र शरीर पर बरर मघसनी शर

की इस इल ज स जजिन पररण म की आश व लग य हए थ उिन पररण म िो मर समबनदध म

नही तनकल तफर भी म जो रोज मौि की र ह दख करि थ अब मरन क बदल कछ जीन

की आश रखन लग मझम कछ उतस ह पद हआ मन क उतस ह क स थ मन शरीर म भी

उतस ह क अनभव तकय म कछ अमधक ख न लग और म आसप स क क मो म थोड -थोड

रस लन लग

मरी िबीयि की तहर जि क जजमम शाकरल ल बकर न अपन ह थ म ततलय थ उनदहोन

डो दल ल स सल ह लन क आगरह तकय डो दल ल आय उनकी ितक ल तनणयय करन की

शतति न मझ मगध कर ततलय व बोल

ldquoजब िक आप दध न लग म आपक शरीर को तफर स हषट-पषट न बन सका ग उस पषट

बन न क ततलए आपको दध लन च तहए और लोह िथ आसतनक की तपचक ररय ा लनी च तहए

यदद आप इिन कर िो आपक शरीर को पनः पषट करन की ग रणटी म दि हाrdquo

मन जव ब ददय ldquoतपचक री लग इय लतकन दध म न लाग rdquo

डोकटर न पछ ldquoदध क समबनदध म आपकी परतिजञ कय हrdquo

ldquoयह ज नकर तक ग य-भस पर फा क की तकरय की ज िी ह मझ दध स नररि हो गयी

ह और यह िो म सद स म नि रह हा तक दध मनषय क आह र नही ह इसततलए मन दध छोड

ददय हrdquo

यह सनकर कसिरब ई जो मरी खदटय क प स ही खडी थी बोल उठी ldquoिब िो बकरी

क दध आप ल सकि हrdquo

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डोकटर बीच म बोल ldquoआप बकरी क दध ल िो मर क म बन ज यrdquo

म तगर सतय गरह की लड ई क मोह न मर अनददर जीन क लोभ पद कर ददय और मन

परतिजञ क अकषर थय क प लन स सािोष म नकर उसकी आतम क हनन तकय यदयतप दध की

परतिजञ लि समय मर स मन ग य- भस ही थी तफर भी मरी परतिजञ दधम ि की म नी ज नी

च तहए और जब िक म पश क दधम ि को मनषय क आह र क रप म तनतषदध म नि हा िब

िक मझ उस लन क अमधक र नही इस ब ि को ज नि हए भी म बकरी क दध लन को िय र

हो गय सतय क पज रीन सतय गरह की लड ई क ततलए जीन की इछछ रखकर अपन सतय को

ल ामछि तकय

मर इस क यय क डाक अभी िक ममट नही ह और बकरी क दध छोडन क तवषय म मर

मचनदिन िो चल ही रह ह तकनदि सव करन क मह सकषम मोह जो मर पीछ पड ह मझ छोडि

नही

बकरी क दध शर करन क कछ ददन ब द डो दल ल न गद दव र की दर रो क आपरशन

तकय और वह बहि सफल हआ

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भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

७६ रोलट एकट

शरीर बन और जीन की आश बनन लगी ईशवर न मर ततलए क म िय र ही रख थ

तबछौन छोडकर उठन की कछ आश बाध रही थी और अखब र बगर पढन लग ही थ

तक इिन म रौलट कमटी की ररपोटय मर ह थ म आयी उसकी ततसर ररश पढकर म चौक भ ई

उमर सोब नी और शाकरल ल बकर न च ह तक कोई तनकषिि क़दम उठ न च तहए एक ध महीन

म म अहमद ब द गय वललभभ ई पर यः परतिददन मझ दखन आि थ मन उनस ब ि की और

सझ य तक इस तवषय म हम कछ करन च तहए ldquoकय तकय ज सकि हrdquo इसक उिर म मन

कह ldquoयदद थोड लोग भी इस समबनदध म परतिजञ करन व ल ममल ज एा िो और कमटी की

ततसर ररश क अनस र क़ नन बन िो हम सतय गरह शर करन च तहए यदद म तबछौन पर पड

न होि िो अकल भी इसम जझि और यह आश रखि तक दसर लोग ब द म आ ममलग

तकनदि अपनी ल च र चसथति म अकल जझन की मझम तबलकल शतति नही हrdquo

इस ब िचीि क पररण म-सवरप ऐस कछ लोगो की एक छोटी सभ बल न क तनिय

हआ

कोई भी चलिी हई सासथ सतय गरह-जस नय शसि को सवया उठ ल इस मन असमभव

म न इस क रण सतय गरह-सभ की सथ पन हई

लतकन मन शर म ही दख ततलय तक यह सभ लमब समय िक दटक नही सकगी इसक

अल व सतय और अहहिस पर जो जोर म दि थ वह कछ लोगो को अतपरय म लम हआ तफर

भी शर क ददनो म यह नय क म धडलल क स थ आग बढ

अभी तबल गजट म नही छप थ मर शरीर कमजोर थ तकनदि मर स स आय हए

तनमािण को सवीक र करन च तहए ऐस मझ लग तफर भी मन लमबी य ि क खिर उठ य

र जगोप ल च यय सलम छोडकर अभी-अभी ही मर स म वक लि करन क ततलए आय थ

सभ ओ क ततसव मझ और कछ सझि ही न थ यदद रौलट तबल क़ नन बन ज ए िो उसकी

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सतवनय अवजञ तकस परक र की ज एा उसकी सतवनय अवजञ करन क अवसर िो सरक र द

िभी ममल सकि ह दसर क ननो की सतवनय अवजञ की ज सकिी ह उसकी मय यद कय हो

आदद परशनो की चच य होिी थी

इस परक र मनदथन-मचनदिन चल रह थ तक इिन म सम च र ममल तक तबल क़ नन क रप

म गजट म छप गय ह इस खबर क ब द की र ि को म तवच र करि-करि सो गय सवर जलदी

ज ग उठ अधयतनर की दश रही होगी ऐस म मझ सपन म एक तवच र सझ मन सवर ही सवर

र जगोप ल च यय को बल य और कह

ldquoमझ र ि सवपन वसथ म यह तवच र सझ तक इस क़ नन क जव ब म हम स र दश को

हडि ल करन की सचन द सतय गरह आतमशजदध की लड ई ह वह ध रमिक यदध ह धमयक यय क

आराभ शजदध स करन ठीक म लम होि ह उस ददन सब उपव स कर और क म-धाध बनदद रख

मसलम न भ ई रोज स अमधक उपव स न करग इसततलए चौबीस घाटो क उपव स करन की

ततसर ररश की ज ए इसम सब पर नदि ससतममततलि होग य नही यह िो कह नही ज सकि पर

बमबई मर स तबह र और ततसनदध की आश िो मझ ह ही यदद इिन सथ नो पर भी ठीक स

हडि ल रह िो हम सािोष म नन च तहएrdquo

र जगोप ल च यय को यह सचन बहि अछछी लगी ब द म दसर ममिो को िरनदि इसकी

ज नक री दी गयी सबन इसक सव गि तकय मन एक छोटी-सी तवजञनपि िय र कर ली पहल

१९१९ क म चय की ३० वी ि रीख रखी गयी थी ब द म ६ अपरल रखी गयी लोगो को बहि ही

थोड ददन की मददि दी गयी थी चाकी क म िरनदि करन जररी समझ गय थ अिएव िय री

क ततलए लाबी मददि दन क समय ही न थ

लतकन न ज न कस स री वयवसथ हो गयी समच तहनदसि न म ndash शहरो म और ग ावो म

ndash हडि ल हई वह दकय भवय थ

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७७ वह सपताह

दकषिि म थोडी य ि करक म बमबई पहाच बमबई की हडि ल सापणय थी

यह ा क़ नन की सतवनय अवजञ की िय री कर रखी थी जजनकी अवजञ की ज सक ऐसी

दो-िीन चीज थी जो क़ नन रद तकय ज न ल यक थ और जजनकी अवजञ सब सरलि स कर

सकि थ उनम स एक क ही उपयोग करन क तनिय थ नमक-कर क क़ नन सबको अतपरय

थ उस कर को रद कर न क ततलए बहि कोततशश हो रही थी अिएव मन एक सझ व यह रख

थ तक सब लोग तबन परव न क अपन घर म नमक बन य दसर सझ व सरक र दव र जबि की

हई पसिक छप न और बचन क थ ऐसी दो पसिक मरी ही थी कषहनद सवराजय और सवोदय

इन पसिको क छप न और बचन सबस सरल सतवनय अवजञ म लम हई इसततलए य पसिक

छप यी गयी और श म को उपव स छटन क ब द और चौप टी की तवर ट सभ क तवसरजिि होन

क ब द इनदह बचन क परबाध तकय गय

ददन ाक ६ क श म को कई सवयासवक य पसिक बचन तनकल पड इनकी जो कीमि

वसल होिी वह लड ई क क म म ही खचय की ज न व ली थी एक परति क मलय च र आन रख

गय थ पर मर ह थ पर श यद ही तकसीन च र आन रख होग अपनी जब म जो थ सो सब

दकर तकि ब खरीदन व ल बहिर तनकल आय कोई-कोई दस और प ाच क नोट भी दि थ मझ

समरण ह तक एक परति क ततलए ५० रपय क नोट भी ममल थ लोगो को समझ ददय गय थ तक

खरीदन व ल क ततलए भी जल क खिर ह लतकन कषणभर क ततलए लोगो न जल क भय छोड

ददय थ

७ ि रीख को पि चल तक जजन तकि बो क बचन पर सरक र न रोक लग यी थी सरक र

की दतषट स व बची नही गयी ह जो पसिक तबकी ह व िो उनकी दसरी आवतति म नी ज एागी

जबि की हई पसिको म उनकी तगनिी नही हो सकिी सरक र की ओर स यह कह गय थ तक

नई आवतति छप न बचन और खरीदन म कोई गन ह नही ह यह खबर सनकर लोग तनर श हए

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७ अपरल की र ि को म ददल ली-अमिसर ज न क ततलए रव न हआ ८ को मथर पहाचन

पर कछ ऐसी भनक क न िक आई तक श यद मझ तगरफि र करग मथर क ब द एक सटशन

पर ग डी रकिी थी वह ा आच यय तगडव नी ममल उनदहोन मर पकड ज न क ब र म पककी खबर

दी और जररि हो िो अपनी सव अपयण करन क ततलए कह

पलवल सटशन आन क पहल ही पततलस अमधक री न मर ह थ पर आदश-पि रख आदश

इस परक र क थ ldquoआपक पाज ब म परवश करन स अश ाति बढन क डर ह अिएव आप पाज ब

की सीम म परवश न करrdquo आदश-पि दकर पततलस न मझ उिर ज न को कह मन उिरन स

इनक र तकय और कह ldquoम अश ाति बढ न नही बचलक तनमािण प कर अश ाति घट न क ततलए

ज न च हि हा इसततलए खद ह तक मझस इस आदश क प लन नही हो सकग rdquo

मझ पलवल सटशन पर उि र ततलय गय और पततलस क हव ल तकय गय तफर ददलली

स आन व ली तकसी रन क िीसर दज क मडब म मझ बठ य गय और स थ म पततलस क दल

भी बठ मथर पहाचन पर मझ पततलस की ब रक म ल गय मर कय होग और मझ कह ा ल

ज न ह सो कोई पततलस अमधक री मझ बि न सक सबह ४ बज मझ जग य गय और बमबई

की ओर ज न व ली म लग डी म बठ ददय गय

सरि पहाचन पर तकसी दसर अमधक री न मझ अपन क़बज म ततलय उसन मझ र सि म

कह ldquoआप ररह कर ददय गय ह लतकन आपक ततलए म रन को मरीन ल इनदस सटशन क प स

रकव ऊा ग आप वह ा उिर ज एाग िो जय द अछछ होग कोल ब सटशन पर बडी भीड होन

की साभ वन हrdquo मन उसस कह तक आपक कह करन म मझ परसनद नि होगी वह खश हआ

और उसन मझ धनदयव द ददय म मरीन ल इनदस पर उिर वह ा तकसी पररमचि की घोड ग डी

ददख यी दी व मझ रव शाकर झवरी क घर छोड गय उनदहोन मझ खबर दी ldquoआपक पकड ज न

की खबर प कर लोग करदध हो गय ह और प गल-स बन गय ह प यधनी क प स दाग क खिर

ह मजजसरट और पततलस वह ा पहाच गयी हrdquo

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म घर पहाच ही थ तक इिन म उमर सोब नी और अनसय बहन मोटर म आय और उनदहोन

मझ प यधनी चलन को कह उनदहोन बि य ldquoलोग अधीर हो गय ह और बड उिजजि ह हम

म स तकसी क तकय श ाि नही हो सकि आपको दखग िभी श ाि होगrdquo

म मोटर म बठ गय प यधनी पहाचि ही र सि म भ री भीड ददख यी दी लोग मझ

दखकर हषोनदमि हो उठ अब जलस बन वनदद म िरम और अलल हो अकबर क न रो स

आक श गाज उठ प यधनी पर घडसव र ददख यी ददय ऊपर स ईटो की वष य हो रही थी म

ह थ जोडकर लोगो स पर थयन कर रह थ तक व श ाि रह पर ज न पड तक हम भी ईटो की इस

बौछ र स बच नही प यग

अबरयहम न गली म स कर फडय म रकट की ओर ज ि हए जलस को रोकन क ततलए

घडसव रो की एक टकडी स मन स आ पहाची व जलस को तकल की ओर ज न स रोकन की

कोततशश कर रह थ लोग वह ा सम नही रह थ लोगो न पततलस की प ाि को चीरकर आग बढन

क ततलए जोर लग य वह ा ह लि ऐसी नही थी तक मरी आव ज सन यी पड सक यह दखकर

घडसव रो की टकडी क अरसर न भीड को तििर-तबिर करन क हकम ददय और अपन भ लो

को घम ि हए इस टकडी न एकदम घोड दौड न क शर कर ददय मझ डर लग तक उनक भ ल

हम र क म िम म कर द िो आियय नही पर मर वह डर तनर ध र थ बगल स होकर स र भ ल

रलग डी की गति स सनसन ि हए दर तनकल ज ि थ लोगो की भीड म दर र पडी भगदड मच

गई कोई कचल गय कोई घ यल हए घडसव रो को तनकलन क ततलए र सि नही थ लोगो क

ततलए आसप स तबखरन क र सि नही थ व पीछ लौट िो उधर भी हज रो लोग ठस ठस भर

हए थ स र दकय भयाकर परिीि हआ घडसव र और जनि दोनो प गल-जस म लम हए

घडसव र कछ दखि ही नही थ अथव दख नही सकि थ व िो टढ होकर घोडो को दौड न म

लग थ मन दख तक जजिन समय इन हज रो क दल को चीरन म लग उिन समय िक व कछ

दख ही नही सकि थ

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इस िरह लोगो को तििर-तबिर तकय गय और आग बढन स रोक गय हम री मोटर

को आग ज न ददय गय मन कमीशनर क क य यलय क स मन मोटर रकव ई और म उसस

पततलस क वयवह र की ततशक यि करन क ततलए उिर

इस िरह हम री दलील होिी रही हम र मि क मल ममलन व ल न थ म यह कहकर

तबद हआ तक चौप टी पर सभ करन और लोगो को श ाति रखन क ततलए समझ न क मर इर द

चौप टी पर सभ हई मन लोगो को श ाति और सतय गरह की मय यद क तवषय म समझ य

और बिल य ldquoसतय गरह सछच क हततथय र ह यदद लोग श ाति न रखग िो म सतय गरह की

लड ई कभी लड न सका ग rdquo

अहमद ब द स शरी अनसय बहन को भी खबर ममल चकी थी तक वह ा उपरव हआ ह

तकसीन अरव ह फल दी थी तक व भी पकडी गयी ह इसस मजदर प गल हो उठ थ उनदहोन

हडि ल कर दी थी उपरव भी मच य थ और एक ततसप ही क खन भी हो गय थ

म अहमद ब द गय मझ पि चल तक नमडय द क प स रल की पटरी उख डन की

कोततशश भी हई थी वीरमग म म एक सरक री कमयच री क खन हो गय थ अहमद ब द पहाच

िब वह ा म शयल लो ज री थ लोगो म आिाक फल हआ थ लोगो न जस तकय वस प य

और उसक बय ज भी प य

मझ कमीशनर मम परट क प स ल ज न क ततलए एक आदमी सटशन पर ह जजर थ म

उनक प स गय व बहि गसस म थ मन उनदह श ननदि स उिर ददय जो हतय हई थी उसक ततलए

मन खद परकट तकय यह भी सझ य तक म शयल लो की आवकयकि नही ह और पनः श ननदि

सथ तपि करन क ततलए जो उप य करन जररी हो सो करन की अपनी िय री बि यी मन आम

सभ बल न की म ाग की यह सभ आशरम की भमम पर करन की अपनी इछछ परकट की उनदह

यह ब ि अछछी लगी जह ा िक मझ य द ह मन रतवव र ि १३ अपरल को सभ की थी म शयल

लो भी उसी ददन अथव दसर ददन रदद हआ थ इस सभ म मन लोगो को उनक अपन दोष

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ददख न क परयतन तकय मन पर यकषिि क रप म िीन ददन क उपव स तकय और लोगो को एक

ददन क उपव स करन की सल ह दी जजनदहोन हतय बगर म तहसस ततलय हो उनदह मन सझ य

तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल

मन अपन धमय सपषट दख जजन मजदरो आदद क बीच मन इिन समय तबि य थ

जजनकी मन सव की थी और जजनक तवषय म म अछछ वयवह र की आश रखि थ उनदहोन

उपरव म तहसस ततलय यह मझ असहय म लम हआ और मन अपन को उनक दोष म तहससद र

म न

जजस िरह मन लोगो को समझ य तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल उसी िरह

सरक र को भी गन ह म र करन की सल ह दी दोनो म स तकसी एकन भी मरी ब ि नही सनी

सव० रमणभ ई आदद न गररक मर प स आय और मझ सतय गरह मलिवी करन क ततलए

मन न लग पर मझ मन न की आवकयकि ही नही रही थी मन सवया तनिय कर ततलय थ तक

जब िक लोग श ाति क प ठ न सीख ल िब िक सतय गरह मलिवी रख ज य इसस व परसनद न

हए

कछ ममि न र ज भी हए उनक खय ल यह थ तक अगर म सब कही श ाति की आश

रखा और सतय गरह की यही शिय रह िो बड पम न पर सतय गरह कभी चल ही नही सकि मन

अपन मिभद परकट तकय जजन लोगो म क म तकय गय ह जजनक दव र सतय गरह करन की

आश रखी ज िी ह व यदद श ननदि क प लन न कर िो अवकय ही सतय गरह कभी चल नही

सकि मरी दलील यह थी तक सतय गरही नि ओ को इस परक र की मय यददि श ननदि बन य रखन

की शतति पर पि करनी च तहए अपन इन तवच रो को म आज भी बदल नही सक हा

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७८ पहाड-जसी भल

अहमदाबाद की सभ क ब द म िरनदि ही नमडय द गय पह ड-जसी भलrsquo न मक जो शबद-

परयोग परततसदध हआ ह उसक उपयोग मन पहली ब र नमडय द म तकय अहमद ब द म ही मझ

अपनी भल म लम पडन लगी थी पर नमडय द म वह ा की चसथति क तवच र करक और यह

सनकर तक खड जजल क बहि स लोग पकड गय ह जजस सभ म म घदटि घटन ओ पर भ षण

कर रह थ उसम मझ अच नक यह खय ल आय तक खड जजल क और ऐस दसर लोगो को

क़ नन क सतवनय भाग करन क ततलए तनमातिि करन म मन जलदब जी की भल की और वह भल

मझ पह ड-जसी म लम हई

इस परक र अपनी भल क़बल करन क ततलए मरी खब हासी उड ई गयी तफर भी अपनी

इस सवीकति क ततलए मझ कभी पि ि प नही हआ मन हमश यह म न ह तक जब हम दसरो

क गज-जस दोषो को रजवि म नकर दखि ह और अपन रजवि परिीि होन व ल दोषो को

पह ड-जस दखन सीखि ह िभी हम अपन और पर य दोषो क ठीक-ठीक अाद ज हो प ि

ह मन यह भी म न ह तक सतय गरही बनन की इछछ रखन व ल को िो इस स ध रण तनयम क

प लन बहि अमधक सकषमि क स थ करन च तहए

अब हम यह दख क पह ड-जसी परिीि होन व ली वह भल कय थी क़ नन क सतवनय

भाग उनदही लोगो दव र तकय ज सकि ह जजनदहोन तवनयपवयक और सवछछ स क़ नन क समम न

तकय हो

जजसन इस परक र सम ज क तनयमो क तवच र-पवयक प लन तकय ह उसीको सम ज क

तनयमो म नीति-अनीति क भद करन की शतति पर पि होिी ह और उसीको मय यददि पररचसथतियो

म अमक तनयमो को िोडन क अमधक र पर पि होि ह लोगो क इस िरह क अमधक र पर पि

करन स पहल मन उनदह सतवनय क़ ननभाग क ततलए तनमातिि तकय अपनी यह भल मझ पह ड-

जसी लगी और खड जजल म परवश करन पर मझ खड की लड ई क समरण हआ और लग

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तक म तबलकल ग़लि र सि पर चल पड हा मझ लग तक लोग सतवनय क़ नन-भाग करन योगय

बन इसस पहल उनदह उसक गाभीर रहसय क जञ न होन च तहए

तकनदि यदद ब ि ऐसी ह िो सतवनय क़ नन-भाग कर न स पहल शदध सवयासवको क एक

ऐस दल खड होन च तहए जो लोगो को य स री ब ि समझ य और परतिकषण उनक म गयदशयन

कर और ऐस दल को सतवनय क़ नन-भाग क िथ उसकी मय यद क पर -पर जञ न होन च तहए

इन तवच रो स भर हआ म बमबई पहाच और सतय गरह-सभ क दव र सतय गरही सवयासवको

क एक दल खड तकय लोगो को सतवनय क़ नन-भाग क ममय समझ न क ततलए जजस ि लीम

की जररि थी वह इस दल क जररय दनी शर की और इस चीज को समझ न व ली पतिक य

तनक ली

यह क म चल िो सही लतकन मन दख तक म इसम जय द ददलचसपी पद नही कर

सक सवयासवको की ब ढ नही आयी यह नही कह ज सकि तक जो लोग भरिी हए उन

सबन तनयममि ि लीम ली भरिी म न म ततलख न व ल भी जस-जस ददन बीिि गय वस-वस

दढ बनन क बदल खखसकन लग म समझ गय तक सतवनय क़ नन-भाग की ग डी मन सोच थ

उसस धीमी चलगी

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७९ नवजीवन और यग ईननडया

इन पिो क दव र मन जनि को यथ शतति सतय गरह की ततशकष दन शर तकय पहल दोनो पिो

की थोडी ही परतिय ा खपिी थी लतकन बढि-बढि व च लीस हज र क आसप स पहाच गयी

िवजीवि क गर हक एकदम बढ जब तक यग इकषनडया क धीर-धीर बढ मर जल ज न क ब द

इसम कमी हई और आज दोनो की गर हक-साखय ८००० स नीच चली गयी ह

इन पिो म तवजञ पन न लन क मर आगरह शर स ही थ म म नि हा तक इसस कोई

ह तन नही हई और इस परथ क क रण पिो क तवच र-सव िािय की रकष करन म बहि मदद ममली

इन पिो दव र म अपनी श ननदि पर पि कर सक कयोतक यदयतप म सतवनय क़ नन-भाग

िरनदि ही शर नही कर सक तफर भी म अपन तवच र सविािि पवयक परकट कर सक जो लोग

सल ह और सझ व क ततलए मरी ओर दख रह थ उनदह म आशव सन द सक

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८० अमतसर की महासभा (काागरस)

नय सध रो क समबनदध म समर ट की घोषण परकट हो चकी थी वह मझ पणय सािोष दन व ली

नही थी और तकसीको िो वह तबलकल पसनदद ही नही थी लतकन उस समय मन यह म न थ

तक उि घोषण म समचि सध र िदटपणय होि हए भी सवीक र तकय ज सकि ह

मचिराजन द स क दढ मि थ तक सध रो को तबलकल असािोषजनक और अधर म नकर

उनकी उपकष करनी च तहए लोकम नदय कछ िटसथ थ तकनदि दशबाध जजस परसि व को पसनदद

कर उसक पकष म अपन वजन ड लन क उनदहोन तनिय कर ततलय थ

ऐस पर न अनभवी और कस हअ सवयम नदय लोकन यको क स थ अपन मिभद मझ सवया

असहय म लम हआ दसरी ओर मर अनदिन यद सपषट थ मन क ागरस की बठक म स भ गन क

परयतन तकय पा मोिील ल नहर और म लवीयजी को मन यह सझ य तक मझ अनपचसथि रहन

दन स सब क म बन ज एाग और म मह न नि ओ क स थ मिभद परकट करन क साकट स बच

ज ऊा ग

यह सझ व इन दोनो बजगो क गल न उिर

मन अपन परसि व िय र तकय बड साकोच स मन उस पश करन क़बल तकय मम

जजनद न और म लवीयजी उसक समथयन करन व ल थ भ षण हए म दख रह थ तक यदयतप

हम र मिभद म कही कटि नही थी भ षणो म भी दलीलो क ततसव और कछ नही थ तफर भी

सभ जर -स भी मिभद सहन नही कर सकिी थी और नि ओ क मिभद स उस ःख हो रह

थ सभ को िो एकमि च तहए थ

जब भ षण हो रह थ उस समय भी माच पर मिभद ममट न की कोततशश चल रही थी एक-

दसर क बीच मचदठय ा आ-ज रही थी म लवीयजी जस भी बन समझौि कर न क परयतन कर

रह थ इिन म जयर मद स न मर ह थ पर अपन सझ व रख और सदसयो को मि दन क साकट

स उब र लन क ततलए बहि मीठ शबदो म मझस पर थयन की मझ उनक सझ व पसनदद आय

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म लवीयजी की दतषट िो च रो ओर आश की खोज म घम ही रही थी मन कह ldquoयह सझ व

दोनो पकषो को पसनदद आन ल यक म लम होि हrdquo मन उस लोकम नदय को ददख य उनदहोन

कह ldquoद स को पसनदद आ ज य िो मझ कोई आपतति नहीrdquo दशबाध तपघल उनदहोन तवतपनचार

प ल की िरफ दख म लवीयजी को परी आश बाध गयी उनदहोन परची ह थ स छीन ली अभी

दशबाध क माह स ह ा क शबद पर तनकल भी नही प य थ तक व बोल उठ ldquoसजजनो आपको

यह ज नकर खशी होगी तक समझौि हो गय हrdquo तफर कय थ ि ततलयो की गडगड हट स

माडप गाज उठ और लोगो क चहरो पर जो गाभीरि थी उसक बदल खशी चमक उठी

मझ क ागरस क क मक ज म तहसस लन पड इस म क ागरस म अपन परवश नही म नि

अमिसर क अनभव न बिल य तक मरी एक-दो शततिय ा क ागरस क ततलए उपयोगी ह

अगल स ल करन योगय क मो म स दो क मो म मझ ददलचसपी थी कयोतक उनम म कछ

दखल रखि थ

एक थ जततलय ाव ल ब ग क हतय क ाड क सम रक इसक ब र म क ागरस न बडी श न क

स थ परसि व प स तकय थ सम रक क ततलए करीब प ाच ल ख रपय की रकम इकटठी करनी थी

उसक रकषको (रनसटयो) म मर न म थ दश म जनि क क म क ततलए कषभकष म ागन की जबरदसि

शतति रखन व लो म पहल पद म लवीयजी क थ और ह म ज नि थ तक मर दज य उनस

बहि दर नही रहग अपनी यह शतति मन दकषकषण अफ़रीक म दख ली थी

मरी दसरी शतति लखक और माशी क क म करन की थी जजसक उपयोग क ागरस कर

सकिी थी नि गण यह समझ चक थ तक लमब समय क अभय स क क रण कह ा कय और

तकिन कम शबदो म व अतवनय-रतहि भ ष म ततलखन च तहए सो म ज नि हा उस समय क ागरस

क जो तवध न थ वह गोखल की छोडी हई पाजी थी उनदहोन कछ तनयम बन ददय थ उनक

सह र क ागरस क क म चलि थ व तनयम कस बन य गय इसक मधर इतिह स मन उनदही क

माह स सन थ पर अब सब कोई यह अनभव कर रह थ तक क ागरस क क म उिन ही तनयमो स

नही चल सकध उसक तवध न बन न की चच यय हर स ल उठिी थी तवध न िय र करन क

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भ र उठ न की जजममद री मन अपन ततसर ली मरी एक शिय थी जनि पर दो नि ओ क परभतव

म दख रह थ इसस मन च ह तक उनक परतितनमध मर स थ रह म समझि थ तक व सवया

श ाति स बठकर तवध न बन न क क म नही कर सकि इसततलए लोकम नदय और दशबाध स उनक

तवशव स क दो न म मन म ाग मन यह सझ व रख तक इनक ततसव तवध न-सममति म और कोई न

होन च तहए वह सझ व म न ततलय गय लोकम नदय न शरी कलकर क और दशबाध न शरी आई०

बी० सन क न म ददय यह तवध न-सममति एक ददन भी कही ममलकर नही बठी तफर भी हमन

अपन क म एकमि स पर तकय पि-वयवह र दव र अपन क म चल ततलय इस तवध न क

ततलए मझ थोड अकषभम न ह म म नि हा तक इसक अनसरण करक क म तकय ज य िो हम र

बड प र हो सकि ह यह िो जब होग िब होग परनदि मरी यह म नदयि ह तक इस जजममद री

को लकर मन क ागरस म सछच परवश तकय

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भाग-१६ खादी का जनम

८१ खादी का जनम

मझ य द नही पडि तक सन १९०८ िक मन चरख य करघ कही दख हो तफर भी मन तहनदद

सवर जय म यह म न थ तक चरख क जररय तहनदसि न की का ग ततलयि ममट सकिी ह और यह

िो सबक समझ सकन जसी ब ि ह तक जजस र सि भखमरी ममटगी उसी र सि सवर जय ममलग

सन १९१५ म म दकषकषण अफ़रीक स तहनदसि न व पस आय िब भी मन चरख क दशयन नही तकय

थ आशरम क खलि ही उसम करघ शर तकय थ करघ शर करन म भी मझ बडी मतककल

क स मन करन पड हम सब अनज न थ अिएव करघ क ममल ज न भर स िो करघ चल

नही सकि थ आशरम म हम सब कलम चल न व ल य वय प र करन ज नन व ल लोग इकटठ

हए थ हम म कोई क रीगर नही थ इसततलए करघ पर पि करन क ब द बनन ततसख न व ल की

आवकयकि पडी प लनपर स एक ततसख न व ल आय उसन अपन पर हनर नही बि य

परनदि मगनल ल ग ाधी शर तकय हए क म को जलदी छोडन व ल न थ उनक ह थ म क रीगरी

िो थी ही इसततलए उनदहोन बनन की कल परी िरह समझ ली और तफर आशरम म एक क ब द

एक नय-नय बनन व ल िय र हए

हम िो अब अपन कपड िय र करक पहनन थ इसततलए आशरमव ततसयो न ममल क कपड

पहनन बाद तकय और यह तनिय तकय तक व ह थ-करघ पर दशी ममल क सि क बन हआ

कपड पहनग ऐस करन स हम बहि कछ सीखन को ममल तहनदसि न क बनकरो क जीवन

की उनकी आमदनी की सि पर पि करन म होन व ली उनकी कदठन ई की इसम व तकस परक र

ठग ज ि थ और आखखर तकस परक र ददन-ददन क़जयद र होि ज ि थ इस सबकी ज नक री हम

ममली हम सवया अपन सब कपड िरनदि बन सक ऐसी चसथति िो थी ही नही इस क रण स

ब हर क बनकरो स हम अपनी आवकयकि क कपड बनव लन पडि थ दशी ममल क सि

क ह थ स बन कपड झट ममलि नही थ बनकर स र अछछ कपड तवल यिी सि क ही

बनि थ कयोतक हम री ममल सि क ििी नही थी आज भी व महीन सि अपकष कि कम ही

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क ििी ह बहि महीन िो क ि ही नही सकिी बड परयतन क ब द कछ बनकर ह थ लग जजनदहोन

दशी सि क कपड बन दन की महरब नी की इन बनकरो को आशरम की िरफ स यह ग रणटी

दनी पडी थी तक दशी सि क बन हआ कपड खरीद ततलय ज एग इस परक र तवशष रप स

िय र कर य हआ कपड बनव कर हमन पहन और ममिो म उसक परच र तकय यो हम क िन

व ली ममलो क अवितनक एजणट बन ममलो क समपकय म आन पर उनकी वयवसथ की और

उनकी ल च री की ज नक री हम ममली हमन दख तक ममलो क धयय खद क िकर खद ही

बनन थ व ह थ-करघो की सह यि सवछछ स नही बचलक अतनछछ स करिी थी

यह सब दखकर हम ह थ स क िन क ततलए अधीर हो उठ हमन दख तक जब िक ह थ

स क िग नही िब िक हम री पर धीनि बनी रहगी ममलो क एजणट बनकर हम दशसव करि

ह ऐस हम परिीि नही हआ

हम री मतककलो क कोई अाि नही थ लतकन न िो कही चरख ममलि थ और न कोई

चरख क चल न व ल ममलि थ ककमडय ा आदद भरन क चरख िो हम र प स थ पर उन पर

क ि ज सकि ह इसक िो हम खय ल ही नही थ एक ब र क लीद स वकील एक बहन को

खोजकर ल य उनदहोन कह तक यह बहन सि क िकर ददख यगी उसक प स एक आशरमव सी

को भज जो नय क म सीख लन म बड होततशय र थ पर हनर उनक ह थ न लग

ददन िो बीि ज रह थ म अधीर हो उठ थ आशरम म आन व ल हर ऐस आदमी स जो

इस तवषय म कछ बि सकि थ म पछि छ तकय करि थ पर क िन क इज र िो सिी क

ही थ अिएव ओन-कोन म पडी हई क िन ज नन व ली सिी िो तकसी सिी को ही ममल सकिी

थी

सन १९१७ म मर गजर िी ममि मझ भडौच ततशकष -पररषद म घसीट ल गय थ वह ा

मह स हसी तवधव बहन गाग ब ई मझ ममली व पढी-ततलखी अमधक नही थी पर उनम तहममि

और समझद री स ध रणिय जजिनी ततशकषकषि बहनो म होिी ह उसस अमधक थी उनदहोन अपन

जीवन म असपकयि की जड क ट ड ली थी व बधडक अातयजो म ममलिी और उनकी सव

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करिी थी उनक प स पस थ पर उनकी अपनी आवकयकि य बहि कम थी उनक शरीर

कस हआ थ और च ह जह ा अकल ज न म उनदह जर भी जझझक नही होिी थी व घोड की

सव री क ततलए भी िय र रहिी थी इन बहन क तवशष पररचय गोधर की पररषद म पर पि हआ

अपन ःख मन उनक स मन रख और दमयािी जजस परक र नल की खोज म भटकी थी उसी

परक र चरख की खोज म भटकन की परतिजञ करक उनदहोन मर बोझ हलक कर ददय

गजर ि म अछछी िरह भटक चकन क ब द ग यकव ड क वीज पर ग ाव म गाग बहन को

चरख ममल वह ा बहि स कटमबो क प स चरख थ जजस उठ कर उनदहोन छि पर चढ ददय

थ पर यदद कोई उनक सि खरीद ल और उनदह पनी महय कर द िो व क िन को िय र थ

गाग बहन न मझ खबर भजी मर हषय क कोई प र न रह पनी महय करन क क म मतककल

म लम हआ सव० भ ई उमर सोब नी स चच य करन पर उनदहोन अपनी ममल स पनी की गछततलय ा

भजन क जजमम ततलय मन व गछततलय ा गाग बहन क प स भजी और सि इिनी िजी स किन

लग तक म ह र गय

भ ई उमर सोब नी की उद रि तवश ल थी तफर भी उसकी हद थी द म दकर पतनय ा लन

क तनिय करन म मझ साकोच हआ इसक ततसव ममल की पतनयो स सि किव न मझ बहि

दोषपणय म लम हआ अगर ममल की पतनय ा हम लि ह िो तफर ममल क सि लन म कय दोष

ह हम र पवयजो क प स ममल की पतनय ा कह ा थी व तकस िरह पतनय ा िय र करि होग मन

गाग बहन को ततलख और एक हपिज र को खोज तनक ल उस ३५ रपय य इसस अमधक विन

पर रख गय मझ अमधक विन दन क कोई साकोच नही हआ ब लको को पनी बन न ततसख य

गय मन रई की कषभकष म ागी भ ई यशवािपरस द दस ई न रई की ग ाठ दन क जजमम ततलय

गाग बहन न क म एकदम बढ ददय बनकरो को ल कर बस य और कि हआ सि बनव न

शर तकय वीज पर की ख दी मशहर हो गयी

दसरी िरफ आशरम म अब चरख क परवश होन म दर न लगी मगनल ल ग ाधी की शोधक

शतति न चरख म सध र तकय और चरख िथ िकए आशरम म बन आशरम की ख दी क पहल

थ न की ल गि फी गज सिरह आन आई

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मन ममिो स मोटी और कछच सि की ख दी क द म सिरह आन फी गज क तहस ब स ततलए जो

उनदहोन खशी-खशी ददय

म बमबई म रोगशयय पर पड हआ थ पर सबस पछि रहि थ म ख दीश सि म अभी

तनपट अन डी थ मझ ह थकि सि की जररि थी कततिनो की जररि थी गाग बहन जो भ व

दिी थी उसस िलन करन पर म लम हआ तक म ठग रह हा लतकन व बहन कम लन को िय र

न थी अिएव उनदह छोड दन पड पर उनदहोन अपन क म तकय उनदहोन शरी अवननदिक ब ई शरी

रमीब ई क मद र शरी शाकरल ल बकर की म ि जी और शरी वसमिीबहन को क िन ततसख ददय

और मर कमर म चरख गाजन लग यह कहन म अतिशयोतति न होगी तक इस यािन मझ बीम र

को चाग करन म मदद की बशक यह एक म नततसक असर थ पर मनषय को सवसथ य असवसथ

करन म मन क तहसस कौन कम होि ह चरख पर मन भी ह थ आजम य तकनदि इसस आग

म इस समय ज नही सक

बमबई म ह थ की पतनय ा कस परौपि की ज एा शरी रव शाकर झवरी क बागल क प स स

रोज एक धतनय ि ाि बज ि हआ तनकल करि थ मन उस बल य वह गददो क ततलए रई

धन करि थ उसन पतनय ा िय र करक दन सवीक र तकय भ व ऊा च म ाग जो मन ददय

इस िरह िय र हआ सि मन वषणवो क ह थ ठ करजी की म ल क ततलए द म लकर बच भ ई

ततशवजी न बमबई म चरख ततसख न क वगय शर तकय इन परयोगो म पस क री खचय हआ

शरदध ळ दशभिो न पस ददय और मन खचय तकय मर नमर तवच र म यह खचय वयथय नही गय

उसस बहि-कछ सीखन को ममल चरख की मय यद क म प ममल गय

अब म कवल ख दीमय बनन क ततलए अधीर हो उठ मरी धोिी दशी ममल क कपड की

थी वीज पर म और आशरम म जो ख दी बनिी थी वह बहि मोटी और ३० इाच अजय की होिी

थी मन गाग बहन को चि वनी दी तक अगर व एक महीन क अनददर ४४ इाच अजयव ली ख दी की

धोिी िय र करक न दगी िो मझ मोटी ख दी की घटनो िक की धोिी पहनकर अपन क म

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चल न पडग गाग बहन अकल यी मददि कम म लम हई पर व ह री नही उनदहोन एक महीन

क अनददर मर ततलए ५० इाच अजय क धोिीजोड महय कर ददय और मर द रररय ममट य

इसी बीच भ ई लकषमीद स ल ठी ग ाव स एक अनदतयज भ ई र मजी और उनकी पतनी

गाग बहन को आशरम म ल य और उनक दव र बड अजय की ख दी बनव ई ख दी-परच र म इस

दमपिी क तहसस ऐस -वस नही कह ज सकि उनदहोन गजर ि म और गजर ि क ब हर ह थ

क सि बनन की कल दसरो को ततसख यी ह

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८२ पिामहनत

अब इन परकरणो को सम पि करन क समय आ पहाच ह

इसस आग क मर जीवन इिन अमधक स वयजतनक हो गय ह तक श यद ही कोई चीज

ऐसी हो जजस जनि ज निी न हो

यह कहन ग़लि नही होग तक इसक आग मरी कलम ही चलन स इनक र करिी ह

प ठको स तबद लि हए मझ ःख होि ह मर तनकट अपन इन परयोगो की बडी कीमि

ह म नही ज नि तक म उनक यथ थय वणयन कर सक हा य नही यथ थय वणयन करन म मन कोई

कसर नही रखी ह सतय को मन जजस रप म दख ह जजस म गय स दख ह उस उसी िरह परकट

करन क मन सिि परयतन तकय ह और प ठको क ततलए उसक वणयन करक मचि म श ाति क

अनभव तकय ह कयोतक मन आश यह रखी ह तक इसस प ठको म सतय और अहहिस क परति

अमधक आसथ उतपनदन होगी

सतय स कषभनद न कोई परमशवर ह ऐस मन कभी अनभव नही तकय यदद इन परकरणो क

पनद न-पनद न स यह परिीति न हई हो तक सतयमय बनन क एकम ि म गय अहहिस ही ह िो म इस

परयतन को वयथय समझि हा परयतन च ह वयथय हो तकनदि वचन वयथय नही ह मरी अहहिस सछची

होन पर भी कछची ह अपणय ह अिएव हज रो सयो को इकटठ करन स भी जजस सतयरपी सयय

क िज क पर म प नही तनकल सकि सतय की मरी झ ाकी ऐस सयय की कवल एक तकरण क

दशयन क सम न ही ह आज िक क अपन परयोगो क अनदि म म इिन िो अवकय कह सकि हा

तक सतय क सापणय दशयन सापणय अहहिस क तबन असाभव ह

ऐस वय पक सतय-न र यण क परतयकष दशयन क ततलए जीवम ि क परति आतमवि परम की

परम आवकयकि ह और जो मनषय ऐस करन च हि ह वह जीवन क तकसी भी कषि स ब हर

नही रह सकि यही क रण ह तक सतय की मरी पज मझ र जनीति म खीच ल यी ह धमय क

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र जनीति क स थ कोई साबाध नही ह वह धमय को नही ज नि ऐस कहन म मझ साकोच नही

होि और न ऐस कहन म म अतवनय करि हा

तबन आतमशजदध क जीवम ि क स थ ऐकय सध ही नही सकि आतमशजदध क तबन

अहहिस -धमय क प लन सवयथ असाभव ह अशदध आतम परम तम क दशयन करन म असमथय ह

अिएव जीवन-म गय क सभी कषिो म शजदध की आवकयकि ह यह शजदध स धय ह कयोतक वयतषट

और समतषट क बीच ऐस तनकट क साबाध ह तक एक की शजदध अनको की शजदध क बर बर हो

ज िी ह

लतकन म परतिकषण यह अनभव करि हा तक शजदध क यह म गय तवकट ह शदध बनन क

अथय ह मन स बचन स और क य स तनरविक र बनन र ग-दवष दद स रतहि होन इस तनरविक रि

िक पहाचन क परतिकषण परयतन करि हए भी म पहाच नही प य हा इसततलए लोगो की सिति मझ

भल व म नही ड ल सकिी उलट यह सिति पर यः िीवर वदन पहाच िी ह मन क तवक रो को

जीिन सास र को शसि-यदध स जीिन की अपकष मझ अमधक कदठन म लम होि ह तहनदसि न

आन क ब द भी म अपन भीिर मछप हए तवक रो को दख सक हा शरममनदद हआ हा तकनदि ह र

नही हा सतय क परयोग करि हए मन आननदद लट ह और आज भी लट रह हा लतकन म ज नि

हा तक अभी मझ तवकट म गय िय करन ह इसक ततलए मझ शनदयवि बनन ह मनषय जब िक

सवछछ स अपन को सबस नीच नही रखि िब िक उस मतति नही ममलिी अहहिस नमरि की

पर क षठ ह ऐसी नमरि क ततलए पर थयन करि हए और उसक ततलए सास र की सह यि की य चन

करि हए इस समय िो म इन परकरणो को बनदद करि हा

  • Cover Page13
  • सकषिपत आतमकथा
    • ततरीनोध
    • परकाशक का निवदन
    • परसतावना
    • अनकरमाणिका
    • भाग-१ बचपन और यवावसथा
      • १ जनम तथा माता-पिता
      • २ पाठशाला म
      • ३ बाल-विवाह
      • ४ दःखद परसग-मतरी
      • ५ चोरी और परायकषितत
      • ६ पिताजी की बीमारी मतय और शरम
      • ७ धरम की झाकी
      • ८ विलायत की तयारी
      • ९ सटीमर म
        • भाग-२ लडन म विदयारथी क रप म
          • १० लडन म
          • ११ सभय पोशाक म
          • १२ फरफार
          • १३ लजजाशीलता - मरी ढाल
          • १४ असतयरपी विष
          • १५ धरमो का परिचय
            • भाग-३ भारत म बारिसटर क रप म
              • १६ वापस हिदसतान म
              • १७ ससार-परवश
              • १८ पहला आघात
                • भाग-४ दकषिण अफ़रीका म
                  • १९ दकषिण अफ़रीका पहचा
                  • २० परिटोरिया जात हए
                  • २१ परिटोरिया म पहला दिन
                  • २२ खरिसती सबधी (ईसाइयो स सपरक)
                  • २३ हिनदसतानियो की परशानी का अधययन
                  • २४ मक़ददम की तयारी
                  • २५ को जान कल की
                  • २६ नाताल इनडियन कागरस
                  • २७ तीन पौणड का कर
                    • भाग-५ हिद की मलाकात
                      • २८ हिनदसतान म
                        • भाग-६ वापस दकषिण अफ़रीका
                          • २९ दकषिण अफ़रीका म आगमन और तफ़ान
                          • ३० बचचो की शिकषा और सवावतति
                          • ३१ सादगी
                          • ३२ एक पणयसमरण और परायशचितत
                          • ३३ बोअर-यदध
                          • ३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन
                          • ३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद
                            • भाग-७ दश म
                              • ३६ महासभा (कागरस) परथम बार
                              • ३७ लारड करजन का दरबार
                              • ३८ बमबई म
                                • भाग-८ दकषिण अफ़रीका म
                                  • ३९ पनः दकषिण अफ़रीका म
                                  • ४० गीता का अभयास
                                  • ४१ इणडियन ओपिनियन
                                  • ४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव
                                  • ४३ फ़ीनिकस की सथापना
                                  • ४४ घरो म परिवरतन तथा बालशिकषा
                                  • ४५ जल-विदरोह
                                  • ४६ बरहमचरय
                                  • ४७ पतनी की दढता
                                  • ४८ घर म सतयागरह
                                  • ४९ सयम की ओर
                                  • ५० वकालत क कछ ससमरण
                                  • ५१ सतयागरह का जनम
                                  • ५२ क़द
                                  • ५३ हमला
                                  • ५४ लडाई की पनरावतति
                                  • ५५ टोलससटोय फारम
                                  • ५६ सतरिया लड़त म शामिल
                                  • ५७ मज़दरो का परवाह
                                  • ५८ ए भवय कच
                                  • ५९ सतयागरह की विजय
                                    • भाग-९ विलायत तथा लडाई
                                      • ६० लडाई म हिससा
                                        • भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना
                                          • ६१ पन म
                                          • ६२ तीसर दज की विडमबना
                                          • ६३ आशरम की सथापना
                                            • भाग-११ चपारन
                                              • ६४ नील का दाग़
                                              • ६५ अहिसा दवी का साकषातकार
                                              • ६६ मक़ददमा वापस लिया गया
                                              • ६७ गरामपरवश
                                              • ६८ नील का दाग़ धल गया
                                                • भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर
                                                  • ६९ मज़दरो क समपरक म
                                                  • ७० उपवास
                                                    • भाग-१३ खडा सतयागरह
                                                      • ७१ खडा म सतयागरह
                                                      • ७२ पयाज़चोर
                                                      • ७३ खडा की लडाई का अनत
                                                        • भाग-१४ रगरटो की भरती
                                                          • ७४ रगरटो की भरती
                                                          • ७५ मतय-शयया पर
                                                            • भाग-१५ रोलट एकट और राजनीति म परवश
                                                              • ७६ रोलट एकट
                                                              • ७७ वह सपताह
                                                              • ७८ पहाड-जसी भल
                                                              • ७९ नवजीवन और यग इनडिया
                                                              • ८० अमतसर की महासभा (कागरस)
                                                                • भाग-१६ खादी का जनम
                                                                  • ८१ खादी का जनम
                                                                  • ८२ परणाहति

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    ततरीनोध

    ग ाधीजी की आतमकथा जो अागरजी म परततसदध हई ह उसक असली सवरप म िथ उसम

    जो दकषिण अफ़रीका क सतयागरह क इतिह स ह इन दोनो क कल पषट क़रीब एक हज र होि ह

    इन दोनो पसिको क कथ वसि को पहली ब र साकषकषपि करक इकटठ करक परसिि करन क

    परय स तकय गय ह कयोतक ग ाधीजी की शली ही साकषकषपि म कहन की ह इसततलए यह क यय सरल

    नही ह एक ब ि और भी ह तक व सद जजिन उददशपणय िथ और महततव क हो उिन ही कहि

    ह अिः उनदहो न जो भी कछ ततलख ह उसम क ट-छ ाट करन स पहल दो ब र सोचन ही पडग

    आधतनक प ठक ग ाधीजी की आतमकथा साकषकषपि म म ागि ह उसकी इस म ाग को

    मददनजर रखि हए िथ श ल -मह श ल ओ क यव -तवदय रथियो क ततलए यह साकषकषपि आवतति

    िय र की गई ह असल गराथ क सथ न िो यह साकषकषपि आवतति कभी नही ल सकगी लतकन ऐसी

    आश रखन अवशय अपकषकषि ह तक यह साकषप प ठक म जजजञ स अवशय उतपनदन करग और ब द

    म अपनी अनकलि स जब फरसि ममलगी िब वह असली गराथ क अधययन करग

    इस साकषप म ग ाधीजी क जीवन म घटी सभी महततवपणय घटन ओ क सम वश हो ऐस

    परय स तकय गय ह इसम भी उन घटन ओ क तक जजसक आधय ततमक महततव ह इस क रण

    उनदहोन पसिक ततलखी ह ग ाधीजी क अपन ही शबदो को चसिी स पकड रख ह ऐसी भी कई

    जगह ह तक जह ा साकषकषपि करि समय शबदो को बदलन की जररि म लम पडी ह वह ा बदल ददय

    भी ह लतकन यह ा भी एक ब ि की स वध नी रखी गई ह तक उनदहोन जो अथय दश यय ह उसक

    अथय म कोई पररवियन न हो साकषकषपि करि समय मह दवभ ई दस ई दव र िय र तकय गय गराथ

    माय अरली रलाईफ तवशष उपयोगी हआ थ

    माबई नवमबर १९५१ भारतन कमारपपा

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    परकाशक का ननवदन

    सतय क परयोग अथवा आतमकथा की िरह उसकी साकषकषपि आवतति की म ाग तनरािर बढिी

    ज रही ह शरी मथर द स तिकमजी दव र िय र की गई साकषकषपि आवतति १९५१ म सवय परथम

    परक ततशि हई थी िब स ही आज िक उसकी ४५०००० परतिय ा तविररि हो चकी ह

    तवदय थी ग ाधीजी क जीवन स पररमचि हो इस उददशय स सवचछछक सासथ ओ क दव र

    आयोजजि परीकष ओ म साकषकषपि आवतति अमधक पसाद की ज िी ह ऐसी परीकष एा अब गजर िी

    िथ हहिदी क स थ स थ अागरजी म धयम की श ल ओ म भी आयोजजि होिी ह

    ग ाधीजी क जीवन क पररचय कर न व ल अागरजी साकषप शरी भ रिन कम रपप न १९५२

    म िय र तकय थ उसको िय र करन म उनदहोन आतमकथा क स थ ही स थ उसक परतिरप

    सम न गराथ जस दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास को भी उपयोग म ततलय थ इस क रण

    स अागरजी साकषप मथर द स तिकमजी क गजर िी साकषप स अमधक म तहिी सभर और समदध

    बन प य ह हहिदी म परीकष दन व ल तवदय रथियो को भी यह उपलबध हो ऐसी परीकष आयोजको

    की म ाग ह इस दतषट स परररि होकर शरी भ रिन कम रपप क साकषप की यह हहिदी आवतति क

    परक शन हो रह ह मल गजर िी गराथो क आध र पर भ रिन कम रपप क अागरजी साकषप क

    मि तबक़ गजर िी आवतति िय र करन क क म नवजीवन क ममि सम न शरी अशोकभ ई भ भटट

    न तकय थ उसक ही आध र पर यह हहिदी आवतति िय र हई ह इस क म म हम री सह यि की

    ह ऐस शरी चनीभ ई ब पटल और शरी लललभ ई रब री क हम आभ री ह

    असल पसिक िथ इसस पहल परततसदध हए साकषप की िरह ही इस पसिक को भी प ठको

    क अपवय परतिस द पर पि होग ही ऐस तवशव स ह

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    परसतावना

    आतमकथ ततलखन क मर आशय नही ह मझ िो आतमकथ क बह न सतय क जो

    अनक परयोग मन तकय ह उसकी कथ ततलखनी ह उसम मर जीवन ओिपरोि होन क क रण

    कथ एक जीवन वि ाि जसी बन ज यगी यह सही ह लतकन उसक हर पनदन पर मर परयोग ही

    परकट हो िो म सवया इस कथ को तनदोष म नाग म ऐस म नि हा तक मर सब परयोगो क पर

    लख जनि क स मन रह िो वह ल भद यक ततसदध होग अथव यो समजझय तक यह मर मोह

    ह र जीनीति क कषि म हए मर परयोगो को िो अब तहनदसि न ज नि ह लतकन मर आधय ततमक

    परयोगो क जजनदह म ही ज न सकि हा और जजनक क रण र जनीति क कषि म मरी शतति भी

    जनदमी ह उन परयोगो क वणयन करन मझ अवशय ही अछछ लगग अगर य परयोग सचमच

    आधय ततमक ह िो इनम गवय करन की गाज इश ही नही इनस िो कवल नमरि की ही वजदध होगी

    जयो जयो म अपन भिक ल क जीवन पर दतषट ड लि ज ि हा तयो-तयो अपनी अलपि सपषट ही

    दख सकि हा

    मझ जो करन ह िीस वषो स म जजसकी आिर भ व स रट लग य हए हा वह िो

    आतमदशयन ह ईशवर क स कष तक र ह मोकष ह मर स र क म इसी दतषट स होि ह मर सब लखन

    भी इसी दतषट स होि ह और मर र जनीति क कषि म पडन भी इसी वसि क अधीन ह लतकन

    ठठ स ही मर यह मि रह ह तक जो एक क ततलए शक य ह वह सबक ततलए भी शक य ह इस

    क रण मर परयोग ख नगी नही हए नही रह उनदह सब दख सक िो मझ नही लगि तक उसस

    उनकी आधय ततमकि कम होगी ऐसी कछ चीज अवशय ह तक जजनदह आतम ही ज निी ह जो

    आतम म ही सम ज िी ह पराि ऐसी वसि दन यह मरी शतति स पर की ब ि ह मर परयोगो म

    आधय ततमकि क मिलब ह नतिक धमय क अथय ह नीति आतम की दतषट स प ली गई नीति ही

    धमय ह

    इसततलए जजन वसिओ क तनणयय ब लक नौजव न और बढ करि ह और कर सकि ह

    इस कथ म उनदही वसिओ क सम वश होग अगर ऐसी कथ म िटसथ भ व स तनरकषभम न रहकर

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    ततलख सका िो उसम स दसर परयोग करनव लो को कछ स मगरी ममलगी इन परयोगो क ब र म म

    तकसी भी परक र की सापणयि क द व नही करि जजस िरह वजञ तनक अपन परयोग अतिशय

    तनयमपवयक तवच रपवयक और ब रीकी स करि ह तफर भी उनस उतपनदन पररण मो को वह

    अननदिम नही कहि अथव व पररण म सतय ही ह इस ब र म भी वह स शाक नही िो िटसथ अवशय

    रहि ह अपन परयोगो क तवषय म मर भी वस ही द व ह मन खब आतम-तनरीकषण तकय ह

    एक-एक भ व की ज ाच की ह उसक पथककरण तकय ह तकनदि उसम स तनकल हए पररण म

    सबक ततलए अातिम ही ह व सच ह अथव व ही सच ह ऐस द व म कभी करन नही च हि

    ह ा यह द व म अवशय करि हा तक मरी दतषट स य सच ह और इस समय िो अातिम जस ही

    म लम होि ह अगर न म लम हो िो मझ उनक सह र कोई भी क यय खड नही करन च तहए

    लतकन म िो पग-पग पर जजन-जजन वसिओ को दखि हा उनक तय जय और गर हय ऐस दो भ ग

    कर लि हा और जजनदह गर हय समझि हा उनक अनस र अपन आचरण बन लि हा और जब

    िक इस िरह बन हआ आचरण मझ अथ यि मरी बजदध को और आतम को सािोष दि ह िब

    िक मझ उसक शभ पररण मो क ब र म अतवचततलि तवशव स रखन ही च तहए

    म िो ततसरय यह च हि हा तक उनम बि य गय परयोगो को दषट नदिरप म नकर सब अपन-

    अपन परयोग यथ शतति और यथ मति कर मझ तवशव स ह तक इस साकमचि कषि म आतमकथ क

    मर लखो स बहि कछ ममल सकग कयोतक कहन योगय एक भी ब ि म मछप ऊा ग नही मझ

    आश ह तक म अपन दोषो क खय ल प ठको को परी िरह द सका ग मझ सतय क श सिीय

    परयोगो क वणयन करन ह म तकिन भल हा इसक वणयन करन की मरी ितनक भी इछछ नही

    ह जजस गज स सवया म अपन को म पन च हि हा और जजसक उपयोग हम सबको अपन-

    अपन तवषय म करन च तहए उसक अनस र िो म अवशय कहाग तक उनस िो अभी भी म दर

    हा

    आशरम स बरमिी मो क गाधी

    २६ वी नवमबर १९२५

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    अनकरमकषिका

    िािीनोध

    परक शक क तनवदन

    परसि वन

    भाग-१ बचपन और यवावसथा

    १ जनदम िथ म ि -तपि

    २ प ठश ल म

    ३ ब ल-तवव ह

    ४ ःखद परसाग-मिी

    ५ चोरी और पर यकषिि

    ६ तपि जी की बीम री मतय और शरम

    ७ धमय की झ ाकी

    ८ तवल यि की िय री

    ९ सटीमर म

    भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

    १० लाडन म

    ११ lsquoसभयrsquo पोश क म

    १२ फरफ र

    १३ लजज शीलि - मरी ढ ल

    १४ असतयरपी तवष

    १५ धमो क पररचय

    भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

    १६ व पस तहनदसि न म

    १७ सास र-परवश

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    १८ पहल आघ ि

    भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

    १९ दकषकषण अफ़रीक पहाच

    २० तपरटोररय ज ि हए

    २१ तपरटोररय म पहल ददन

    २२ खखसिी साबाधी (ईस इयो स सापकय )

    २३ तहनदसि तनयो की परश नी क अधययन

    २४ मक़ददम की िय री

    २५ को ज न कल की

    २६ न ि ल इतनदडयन क ागरस

    २७ िीन पौणड क कर

    भाग-५ हहिद की मलाकात

    २८ तहनदसि न म

    भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

    २९ दकषकषण अफ़रीक म आगमन और िर न

    ३० बछचो की ततशकष और सव वतति

    ३१ स दगी

    ३२ एक पणयसमरण और पर यकषिि

    ३३ बोअर-यदध

    ३४ नगर सर ई-आनददोलन

    ३५ दश-गमन और कीमिी भटसौग द

    भाग-७ दश म

    ३६ मह सभ (क ागरस) परथम ब र

    ३७ ल डय क़जयन क दरब र

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    ३८ बमबई म

    भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

    ३९ पन दकषकषण अफ़रीक म

    ४० गीि क अभय स

    ४१ इचणडयन ओपीतनयन

    ४२ एक पसिक क चमतक री परभ व

    ४३ रीतनकस की सथ पन

    ४४ घरो म पररवियन िथ ब लततशकष

    ४५ lsquoजल-तवरोहrsquo

    ४६ बरहमचयय

    ४७ पतनी की दढि

    ४८ घर म सतय गरह

    ४९ सायम की ओर

    ५० वक लि क कछ सासमरण

    ५१ सतय गरह क जनदम

    ५२ क़द

    ५३ हमल

    ५४ लड ई की पनर वतति

    ५५ टोलसटोय फ मय

    ५६ सतसिय ा लडि म श ममल

    ५७ मजदरो क परव ह

    ५८ ऐ भवय कच

    ५९ सतय गरह की तवजय

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    भाग-९ नवलायत तथा लडाई

    ६० लड ई म तहसस

    भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

    ६१ पण म

    ६२ िीसर दज की तवडमबन

    ६३ आशरम की सथ पन

    भाग-११ चपारन

    ६४ नील क द ग़

    ६५ अहहिस दवी क स कष तक र

    ६६ मक़ददम व पस ततलय गय

    ६७ गर मपरवश

    ६८ नील क द ग़ धल गय

    भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

    ६९ मजदरो क समपकय म

    ७० उपव स

    भाग-१३ खडा सतयागरह

    ७१ खड म सतय गरह

    ७२ lsquoपय जचोर

    ७३ खड की लड ई क अनदि

    भाग-१४ रगरटो की भरती

    ७४ रागरटो की भरिी

    ७५ मतय-शयय पर

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    भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

    ७६ रोलट एकट

    ७७ वह सपि ह

    ७८ पह ड-जसी भल

    ७९ नवजीवन और याग ईतनदडय

    ८० अमिसर की मह सभ (क ागरस)

    भाग-१६ खादी का जनम

    ८१ ख दी क जनदम

    ८२ पण यहति

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    भाग-१ बचपन और यवावसथा

    १ जनम तथा माता-नपता

    ऐसा म लम होि ह तक उिमचाद ग ाधी अथव मर द द ओि ग ाधी टक व ल थ र जनीतिक

    खटपट क क रण उनदह पोरबादर छोडन पड थ और उनदहोन जन गढ र जय म आशरय ततलय थ

    उनदहोन नव ब स हब को ब य ह थ स सल म तकय तकसी न इस परकट अतवनय क क रण पछ

    िो जव ब ममल ldquoद तहन ह थ िो पोरबादर को अरपिि हो चक हrdquo

    ओि ग ाधी क एक क ब द दसर यो दो तवव ह हए थ पहल तवव ह स उनक च र लडक

    थ और दसर स दो इनम प ाचव करमचनदद अथव कब ग ाधी और आखखरी िलसीद स ग ाधी थ

    दोनो भ इयो न ब री-ब री स पोरबादर म दीव न क क म तकय कब ग ाधी मर तपि जी थ

    कब ग ाधी क भी एक क ब द एक यो च र तवव ह हए थ अननदिम पतनी पिलीब ई स एक

    कनदय और िीन पि थ उनम अननदिम म हा

    तपि कटमब-परमी सतय-तपरय शर उद र तकनदि करोधी थ र जय क परति व बहि वफ द र

    थ एक ब र पर नदि क तकसी स हब न र जकोट क ठ करस हब क अपम न तकय थ तपि जी

    न उसक तवरोध तकय स हब न र ज हए कब ग ाधी स म री म ागन क ततलए कह उनदहोन म री

    म ागन स इनक र तकय फलसवरप कछ घाटो क ततलए उनदह हव ल ि म भी रहन पड इस पर

    भी जब व मडग नही िो अाि म स हब न उनदह छोड दन क हकम ददय

    तपि जी न धन बटोरन क लोभ कभी नही तकय इस क रण हम भ इयो क ततलए व बहि

    थोडी समपतति छोड गय थ

    तपि जी की ततशकष कवल अनभव की थी आजकल जजस हम गजर िी की प ाचवी तकि ब

    क जञ न कहि ह उिनी ततशकष उनदह ममली होगी इतिह स-भगोल क जञ न िो तबलकल ही न थ

    तफर भी उनक वय वह ररक जञ न इिन ऊा च दज क थ तक ब रीक स ब रीक सव लो को सलझ न

    म अथव हज र आदममयो स क म लन म भी उनदह कोई कदठन ई नही होिी थी ध रमिक ततशकष

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    नही क बर बर थी पर मजनददरो म ज न स और कथ बगर सनन स जो धमयजञ न असाखय तहनदओ

    को सहज भ व स ममलि रहि ह वह उनम थ आखखर क स ल म एक तवदव न बर हमण की

    सल ह स जो पररव र क ममि थ उनदहोन गीि -प ठ शर तकय थ और रोज पज क समय व

    थोड-बहि शलोक ऊा च सवर स प ठ तकय करि थ

    मर मन पर यह छ प रही ह तक म ि स धवी सिी थी व बहि शरदध ल थी तबन पज -प ठ

    क कभी भोजन न करिी हमश हवली (वषणव-मजनददर) ज िी जबस मन होश साभ ल िबस

    मझ य द नही पडि तक उनदहोन कभी च िम यस क वरि िोड हो व कदठन-स-कदठन वरि शर

    करिी और उनदह तनरविधन पर करिी ततलए हए वरिो को बीम र होन पर भी कभी न छोडिी ऐस

    एक समय की मझ य द ह तक जब उनदहोन च नदर यण क वरि ततलय थ वरि क ददनो म व बीम र

    पडी पर वरि नही छोड च िम यस म एक ब र ख न िो उनक ततलए स म नदय ब ि थी लग ि र

    दो-िीन उपव स िो उनक ततलए म मली ब ि थी एक च िम यस म उनदहोन यह वरि ततलय थ तक

    सययन र यण क दशयन करक ही भोजन करगी उस चौम स म हम ब लक ब दलो क स मन दख

    करि तक कब सरज क दशयन हो और कब म ा भोजन कर यह िो सब ज नि ह तक चौम स म

    अकसर सयय क दशयन लयभ हो ज ि ह मझ ऐस ददन य द ह तक जब हम सरज को दखि और

    कहि ldquoम ा-म ा सरज दीख rdquo और म ा उि वली होकर आिी इिन म सरज मछप ज ि और म ा

    यह कहिी हई लौट ज िी तक ldquoकोई ब ि नही आज भ गय म भोजन नही हrdquo और अपन क म

    म डब ज िी

    म ि वयवह र-कशल थी र ज-दरब र की सब ब ि व ज निी थी रतनव स म उनकी

    बजदध की अछछी कदर होिी थी म ब लक थ कभी-कभी म ि जी मझ भी अपन स थ दरब र

    गढ ल ज िी थी ब -म ास हब क स थ होन व ली ब िो म स कछ मझ अभी िक य द ह

    इन म ि -तपि क घर म सावि १९२५ की भ दो वदी ब रस क ददन अथ यि २ अिबर

    १८६९ को पोरबादर अथव सद म परी म मर जनदम हआ

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    २ पाठशाला म

    मरा बचपन पोरबादर म ही तबि तकसी प ठश ल म मझ भरिी तकय गय थ ऐस कछ समरण

    म ह मतककल स कछ प ड (पह डो को) सीख प य थ उस समय अनदय बछचो क स थ म भी

    महि जी को ततसरय ग ली दन ही सीख थ ऐस समरण म ह और दसर कछ भी य द नही ह

    इस ब ि स मर यह अनम न ह तक मरी बजदध स ध रण होगी िथ समरणशतति भी कमजोर होगी

    पोरबादर स तपि जी र जसथ तनक कोटय क सदसय बनकर र जकोट गय उस समय मरी

    उमर लगभग स ि स ल की होगी मझ र जकोट की गर मश ल म भरिी तकय गय इस श ल

    क ददन मझ अछछी िरह य द ह ततशकषको क न म-ध म भी य द ह पोरबादर की िरह यह ा की

    पढ ई क ब र म भी ज नन ल यक कोई ख स ब ि नही ह म मतककल स स ध रण शरणी क

    तवदय थी रह होऊा ग गर मश ल स उपनगर की श ल म और वह ा स ह ईसकल म यह ा िक

    पहाचन म मर ब रहव ा वषय बीि गय मझ य द नही पडि तक इस बीच मन तकसी भी समय

    ततशकषको को धोख ददय हो न िब िक तकसीको ममि बन न क समरण ह म बहि ही शरमील

    लडक थ और तकसीक भी स थी की सागि स भी दर रहि थ मरी तकि ब िथ मर प ठ ही

    मर अकल स थी थ घाटी बजन क समय पहाचि और प ठश ल क बनदद होि ही घर भ गि

    यह मरी रोज की आदि भ गन शबद म ज न-बझकर ततलख रह हा कयोतक तकसीस ब ि करन

    मझ अछछ न लगि थ स थ ही यह डर भी रहि थ तक कोई मर मज क उड यग िो

    ह ईसकल क पहल ही वषय की परीकष क समय की एक घटन उललखनीय ह ततशकष -

    तवभ ग क इनदसपकटर ज इल स तवदय लय क तनरीकषण करन आय थ उनदहोन पहली ककष क

    तवदय रथियो की वियनी की च ाच करन क ततलए पहली ककष क तवदय रथियो को अागरजी क प ाच शबद

    ततलख य उनम एक शबद कटलrsquo (kettle) थ मन उसक तहजज ग़लि ततलख थ ततशकषक न

    अपन बट की नोक म रकर मझ स वध न तकय लतकन म कयो स वध न होन लग मझ यह

    खय ल ही नही हो सक तक ततशकषक मझ प स व ल लडक की पटटी दखकर तहजज सध र लन को

    कहि ह मन यह म न थ तक ततशकषक िो यह दख रह ह तक हम एक-दसर की पटटी म दखकर

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    चोरी न कर सब लडको क प ाचो शबद सही तनकल और अकल म बवकफ ठहर ततशकषक न

    मझ मरी बवकरी ब द म समझ यी लतकन मर मन पर उनक समझ न क कोई असर न हआ

    म दसर लडको की पटटी म दखकर चोरी करन कभी सीख न सक

    इिन पर भी ततशकषक क परति मर तवनय कभी कम न हआ बडो क दोष न दखन क गण

    मझ म सवभ व स ही थ ब द म इन ततशकषक क दसर दोष भी मझ म लम हए थ तफर भी उनक

    परति मर आदर िो बन ही रह म यह ज नि थ तक बडो की आजञ क प लन करन च तहए

    व जो कह सो करन कर उसक क जी न बनन

    इसी समय क दो और परसाग मझ हमश य द रह ह स ध रणिः प ठश ल की पसिको

    को छोडकर और कछ पढन क मझ शौक नही थ सबक य द करन च तहए उल हन सह

    न ही ज ि ततशकषक को धोख दन ठीक नही इसततलए म प ठ य द करि थ लतकन मन अलस

    ज ि इसस अकसर सबक कछच रह ज ि ऐसी ह लि म दसरी कोई चीज पढन की इछछ क यो

    कर होिी तकनदि तपि जी की खरीदी हई एक पसिक पर मरी दतषट पडी न म थ lsquoशरवण-

    तपिभतति न टकrsquo१ मरी इछछ उस पढन की हई और म उस बड च व क स थ पढ गय उनदही

    ददनो शीश म मचि दख न व ल भी घर-घर आि थ उनक प स मन शरवण क वह दकय भी दख

    जजसम वह अपन म ि -तपि को क ावर म बठ कर य ि पर ल ज ि ह दोनो चीजो क मझ पर

    गहर परभ व पड मन म इछछ होिी तक ldquoमझ भी शरवण क सम न बनन च तहएrdquo शरवण की

    मतय पर उसक म ि -तपि क तवल प मझ आज भी य द ह उस हदय को तहल दन व ल सरो

    न मर मम को झकझोर ददय उस लततलि छनद द को मन ब ज पर बज न सीख ततलय थ मझ

    ब ज सीखन क शौक़ थ और तपि जी न एक ब ज ददल भी ददय थ

    दसरी घटन अनदय एक न टक क साबाध म घटी थी

    इनदही ददनो कोई न टक-का पनी आयी थी और उसक न टक दखन की इज जि मझ ममली

    थी हररिनदर क आखय न२ थ उस न टक को दखि हए म थकि न थ उस ब र-ब र दखन

    की इछछ होिी थी लतकन यो ब र-ब र ज न कौन दि पर अपन मन म मन उस न टक को

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    सकडो ब र खल होग मझ हररिनदर क सपन आि हररिनदर की िरह सतयव दी सब कयो नही

    होिrdquo यह धन बनी रहिी यह परशन म ददनर ि अपन आपको पछि ही रहि थ सतय क प लन

    करि रहन यह मर आदशय बन हररिनदर की घटन सही होगी ऐस मन म न ततलय हररिनदर पर

    जसी तवपततिय ा पडी वसी तवपततियो को भोगन और सतय क प लन करन ही व सितवक सतय

    ह मन यह म न ततलय थ तक उनक समरण करक म खब रोय हा आज मरी बजदध समझिी ह

    तक हररिनदर कोई ऐतिह ततसक वयतति नही थ तफर भी मर तवच र म हररिनदर और शरवण आज

    भी जीतवि ह म म नि हा तक आज भी उन न टको को पढ ा िो मरी आाखो स आास बह तनकलग

    ह ईसकल म मरी तगनिी मनददबजदध तवदय रथियो म नही थी ततशकषको क परम म हमश ही प

    सक थ हर स ल म ि -तपि क न म सकल स तवदय थी की पढ ई और उसक आचरण क साबाध

    म परम णपि भज ज ि थ उनम मर आचरण य अभय स क खर ब होन की टीक कभी न ही

    हई दसरी ककष क ब द मझ इन म भी ममल और प ाचवी िथ छठी ककष म करमशः परतिम ास

    च र और दस रपयो की छ िवतति भी ममली थी इसम मरी होततशय री की अपकष भ गय क अाश

    अमधक थ य छ िवततिय ा सब तवदय रथियो क ततलए नही थी बचलक सोरठव ततसयो म स सवयपरथम

    आन व लो क ततलए थी च लीस-पच स तवदय रथियो की ककष म उस समय सोरठ परदश क तवदय थी

    तकिन हो सकि थ

    मर अपन खय ल ह तक मझ अपनी होततशय री क कोई गवय नही थ परसक र य

    छ िवतति ममलन पर मझ आियय होि थ पर अपन आचरण क तवषय म म बहि सजग थ

    आचरण म दोष आन पर मझ रल ई आ ही ज िी थी मर ह थो कोई भी ऐस क म बन जजसस

    ततशकषको को मझ ड ाटन पड अथव ततशकषको क वस खय ल बन िो वह मर ततलए असहय हो

    ज ि थ मझ य द ह तक एक ब र मझ म र ख नी पडी थी म र क ःख नही थ पर म दणड

    क प ि म न गय इसक मझ बड ःख रह म खब रोय यह परसाग पहली य दसरी ककष

    क ह दसर एक परसाग स िवी ककष क ह उस समय दोर बजी एदलजी गीमी हडम सटर थ व

    तवदय थी-परमी थ कयोतक व तनयमो क प लन करव ि वयवचसथि रीति स क म करि और लि

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    और अछछी िरह पढ ि थ उनदहोन उछच ककष क तवदय रथियो क ततलए कसरि-तकरकट अतनव यय

    कर ददय थ मझ इनस अरमच थी इनक अतनव यय बनन स पहल म कभी कसरि तकरकट य

    फटबॉल म गय ही न थ न ज न म मर शरमील सवभ व ही एकम ि क रण थ अब म दखि

    हा तक वह अरमच मरी भल थी उस समय मर यह ग़लि खय ल बन हआ थ तक ततशकष क स थ

    कसरि क कोई समबनदध नही ह ब द म म समझ तक तवदय भय स म वय य म क अथ यि श रीररक

    ततशकष क म नततसक ततशकष क सम न ही सथ न होन च तहए

    तफर भी मझ कहन च तहए तक कसरि म न ज न स मझ नकस न नही हआ उसक

    क रण यह रह तक मन पसिको म खली हव म घमन ज न की सल ह पढी थी और वह मझ रची

    थी इसक क रण ह ईसकल की उछच ककष स ही मझ हव खोरी की आदि पड गयी थी वह अनदि

    िक बनी रही टहलन भी वय य म िो ह ही इसस मर शरीर अपकष कि सगदठि बन

    अरमच क दसर क रण थ तपि जी की सव करन की िीवर इछछ सकल की छटटी होि

    ही म सीध घर पहाचि और सव म लग ज ि जब कसरि अतनव यय हई िो इस सव म ब ध

    पडी मन तबनिी की तक तपि जी की सव क ततलए मझ कसरि स छटटी दी ज य पर गीमी स हब

    छटटी कयो दन लग एक शतनव र क ददन सबह क सकल थ श म को च र बज कसरि क ततलए

    ज न थ मर प स घडी नही थी आसम न ब दलो स मघर थ इसततलए समय क कोई अनदद ज

    नही रह म ब दलो स धोख ख गय जब कसरि क ततलए पहाच िो सब ज चक थ दसर

    ददन गीमी स हब न ह जजरी दखी िो म गर-ह जजर प य गय मझस क रण पछ गय मन सही-

    सही क रण बि ददय उनदहोन उस सच नही म न और मझ पर एक य दो आन (ठीक रकम क

    समरण नही ह) क जम यन तकय म झठ ठहर मझ बहि ःख हआ कस ततसदध करा तक lsquoम

    झठ नही हाrsquo कोई उप य न रह मन मसोसकर रह गय रोय समझ तक सच बोलन व ल

    और सछच क म करन व ल को ग तरल भी नही रहन च तहए अपनी पढ ई क समय म इस िरह

    की मरी यह पहली और आखखरी गरलि थी मझ धाधली-सी य द ह तक आखखर म वह जम यन

    म फ कर सक थ

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    मन कसरि स िो मतति पर पि कर ही ली तपि जी न हडम सटर को पि ततलख तक सकल

    क समय क ब द व मरी उपचसथति क उपयोग अपनी सव क ततलए करन च हि ह इस क रण

    मझ मतति ममल गयी

    शरीर को वय य म न दन की गलिी क ततलए िो श यद मझ सज नही भोगनी पडी पर

    दसरी एक ग़लिी की सज म आज िक भोग रह हा म यही ज नि तक पढ ई म सनददर लखन

    आवकयक नही ह यह ग़लि खय ल मझ कस हो गय थ

    इस समय क तवदय भय स क दसर दो सासमरण उललखनीय ह बय ह क क रण जो एक

    स ल नषट हआ थ उस बच लन की ब ि दसरी ककष क ततशकषक न मर स मन रखी थी उन ददनो

    पररशरमी तवदय थी को इसक ततलए अनमति ममलिी थी इस क रण िीसरी ककष म म छह महीन

    रह और गरमी की छदटटयो स पहल होन व ली परीकष क ब द मझ चौथी ककष म बठ य गय

    इस ककष स थोडी पढ ई अागरजी म धयम स होन लगिी थी मरी समझ म कछ न आि थ

    भममति भी चौथी ककष स शर होिी थी म उसम तपछड हआ थ ही तिस पर म उस तबलकल

    समझ नही प ि थ भममति-ततशकषक अछछी िरह समझ कर पढ ि थ पर म कछ समझ ही न

    सकि थ म अकसर तनर श हो ज ि कभी-कभी यह भी सोचि तक एक स ल म दो ककष य

    करन क तवच र छोडकर म िीसरी ककष म लौट ज ऊा पर ऐस करन म मरी ल ज ज िी और

    जजन ततशकषक न मरी लगन पर भरोस करक मझ चढ न की ततसर ररश की थी उनकी भी ल ज

    ज िी दोहरी ल ज ज न क भय इस भय स नीच ज न क तवच र िो छोड ही ददय जब परयतन

    करि-करि म यचकलड क िरहव परमय िक पहाच िो अच नक मझ बोध हआ तक भममति िो

    सरल स सरल तवषय ह जजसम कवल बजदध क सीध और सरल परयोग ही करन ह उसम

    कदठन ई क य ह उसक ब द िो भममति मर ततलए सद ही एक सरल और सरस तवषय बन रह

    भममति की अपकष सासकि न मझ अमधक परश न तकय भममति म रटन की कोई ब ि

    थी ही नही जब तक मरी दतषट स सासकि म िो सब रटन ही होि थ यह तवषय भी चौथी ककष

    म शर हआ थ छठी ककष म म ह र सासकि-ततशकषक बहि कड ममज ज क थ तवदय रथियो को

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    अमधक ततसख न क लोभ रखि थ सासकि वगय और फ रसी वगय क बीच एक परक र की होड

    रहिी थी फ रसी ततसख न व ल मौलवी नरम ममज ज क थ तवदय थी आपस म ब ि करि तक

    फ रसी िो बहि आस न ह और फ रसी-ततशकषक बहि भल ह तवदय थी जजिन क म करि ह

    उिन स व सािोष कर लि ह म भी आस न होन की ब ि सनकर ललच य और एक ददन फ रसी

    क वगय म ज कर बठ सासकि-ततशकषक को ःख हआ उनदहोन मझ बल य और कह ldquoयह िो

    समझ तक ि तकन क लडक ह कय ि अपन धमय की भ ष नही सीखग िझ जो कदठन ई

    हो सो मझ बि म िो सब तवदय रथियो को बदढय सासकि ततसख न च हि हा आग चलकर उसम

    रस क घाट पीन को ममलग िझ यो ह रन नही च तहए ि तफर स मर वगय म बठrdquo म शरम य

    ततशकषक क परम की अवगणन न कर सक आज मरी आतम कषणशाकर पाडय क उपक र

    म निी ह कयोतक जजिनी सासकि म उस समय सीख उिनी भी न सीख होि िो आज सासकि

    श सिो म म जजिन रस ल सकि हा उिन न ल प ि मझ िो इस ब ि क पि ि प होि ह तक

    म सासकि अमधक न सीख सक कयोतक ब द म म समझ तक तकसी भी तहनदद ब लक को सासकि

    क अछछ अभय स तकय तबन रहन ही न च तहए

    अब िो म यह म नि हा तक भ रिवषय की उछच ततशकष क प ठयकरम म म िभ ष क

    अतिररि र षटरभ ष हहिदी सासकि फ रसी अरबी और अागरजी क सथ न होन च तहए भ ष ओ

    की इस साखय स तकसीको डरन नही च तहए भ ष पदधतिपवयक ततसख ई ज य और सब तवषयो

    को अागरजी क म धयम स सीखन-सोचन क बोझ हम पर न हो िो ऊपर की भ ष य सीखन ततसरय

    बोझरप न होग बचलक उसम बहि ही आननदद आयग और जो वयतति एक भ ष को श सिीय

    पदधति स सीख लि ह उसक ततलए दसरी क जञ न सलभ हो ज ि ह

    ---------------------------------------------------------------------------------------------- १ यव िपसवी शरवण अपन अाध म ि तपि की सव म रि रहि थ एक समय उसन अपनी क ावर म बठ कर य ि करव रह थ िब र सि म र म क तपि दशरथ न अनज न म उसकी हतय कर ड ली थी

    २ तहनद धमयगराथो क मि तबक हररिनदर सययवाशी थ अपन द नशवरी सवभ व क ततलए पर म कषणकि िथ दढ सतयतपरयि क क रण खय िन म थ तवशव ममि न र ज की कसौटी करन च ह और कठीण कसौटीय ा दव र उसकी परीकष ली यह ा िक तक अपनी पतनी को ड तकन कही और उसकी हतय करव ड ली र ज अस ध रण हहिमि िथ सतयप लन स स री कसौदटय ा को प र कर गय

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    ३ बाल-नववाह

    यह ततलखि हए मन अकल ि ह तक िरह स ल की उमर म मर तवव ह हआ थ आज मरी आाखो

    क स मन ब रह-िरह वषय क ब लक मौजद ह उनदह दखि हा और अपन तवव ह क समरण करि

    हा िो मझ अपन ऊपर दय आिी ह और इन ब लको को मरी चसथति म स बचन क ततलए बध ई

    दन की इछछ होिी ह िरहव वषय म हए अपन तवव ह क मखयि पणय समथयन म मझ एक भी

    नतिक दलील सझ नही सकिी

    उस समय मर मन म अछछ-अछछ कपड पहनन ब ज बजन वर-य ि क समय घोड पर

    चढन बदढय भोजन ममलन एक नई ब ततलक क स थ तवनोद करन आदद की अकषभल ष क ततसव

    दसरी कोई ख स ब ि रही हो इसक मझ समरण नही ह

    हम दोनो परसपर एक दसर को आतहसि आतहसि पहच नन लग और तबन साकोच बोलन

    लग हम दोनो हमवयसक ह लतकन मन िो दखि ही दखि पतितव क अमधक र जम न शर

    कर ददय

    यह ब ि िो थी ही नही तक म अपनी पतनी क ततलए आशाक ल ऊा लतकन ईष य कभी कोई

    क रण दखिी ह भल

    मझ हमश यह ज नन च तहए तक मरी सिी कह ा ज िी ह इसततलए मरी अनमति क तबन

    वह कही ज ही नही सकिी यह चीज हम र बीच ःखद झगड की जड बन गयी तबन अनमति

    क कही भी न ज सकन िो एक िरह की क़द ही हई पर कसिरब ई ऐसी क़द सहन करन व ली

    थी ही नही जह ा इछछ होिी वह ा मझस तबन पछ जरर ज िी म जयो-जयो दब व ड लि तयो-

    तयो वह अमधक सविािि स क म लिी और तयो-तयो म अमधक मचढि इसस हम ब ल पति

    पतनी ऐस ब लको क बीच बोलच ल क बनदद होन एक म मली चीज बन गयी कसिरब ई न जो

    सविािि बरिी उस म तनदोष म नि हा जजस ब ततलक क मन म प प नही ह वह दव-दशयन क

    ततलए ज न पर य तकसीस ममलन ज न पर दब व कयो सहन कर अगर म उस पर दब व ड लि

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    हा िो वह मझ पर कयो न ड ल ndash यह िो अब समझ म आ रह ह उस समय िो मझ अपन

    पतितव ततसदध करन थ

    लतकन प ठक यह न म न तक हम र इस गह-जीवन म कही भी ममठ स नही थी मरी

    वकरि की जड परम म थी म अपनी पतनी को आदशय सिी बन न च हि थ मरी यह भ वन थी

    तक वह सवछछ बन सवछछ रह म सीखा सो सीख म पढा सो पढ और हम दोनो एक-दसर म

    ओिपरोि रह ऐसी भ वन थी

    कसिरब ई म यह भ वन थी य नही इसक मझ पि नही वह तनरकषर थी सवभ व स

    सीधी सविाि महनिी और मर स थ िो कम बोलनव ली थी उस अपन अजञ न क असनदिोष न

    थ अपन बचपन म मन कभी उसकी यह इछछ नही ज नी तक मरी िरह वह भी पढ सक िो

    अछछ हो

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    ४ दःखद परसग-मतरी

    म कह चक हा तक ह ईसकल म मर थोड ही तवशव सप ि ममि थ कह ज सकि ह तक ऐसी

    ममिि रखन व ल दो ममि अलग-अलग समय म रह एक क समबनदध लमब समय िक नही दटक

    यदयतप मन उस ममि को छोड नही थ मन दसर की सोहबि की इसततलए पहल न मझ छोड

    ददय दसरी सोहबि मर जीवन क एक ःखद परकरण ह यह सोहबि बहि वषो िक रही इस

    सोहबि को तनभ न म मरी दतषट सध रक की थी इन भ ई की पहली ममिि मर मझल भ ई क

    स थ थी व मर भ ई की ककष म थ म दख सक थ तक उनम कई दोष ह पर मन उनदह वफ द र

    म न ततलय थ मरी म ि जी मर जठ भ ई और मरी धमयपतनी िीनो को यह सोहबि कडवी लगिी

    थी पतनी की चि वनी को िो म अकषभम नी पति क यो म नन लग म ि की आजञ क उललाघन

    म करि ही न थ बड भ ई की ब ि म हमश सनि थ पर उनदह मन यह कहकर श नदि तकय

    ldquoउसक जो दोष आप बि ि ह उनदह म ज नि हा उसक गण िो आप ज नि ही नही वह मझ

    ग़लि र सि नही ल ज यग कयोतक उसक स थ मर समबनदध उस सध रन क ततलए ही ह मझ यह

    तवशव स ह तक अगर वह सधर ज य िो बहि अछछ आदमी तनकलग म च हि हा तक आप मर

    तवषय म तनभयय रहrdquo म नही म नि तक मरी इस ब ि स उनदह सािोष हआ पर उनदहोन मझ पर

    तवशव स तकय और मझ मर र सि ज न ददय

    ब द म म दख सक तक मर अनम न ठीक नही थ सध र करन क ततलए भी मनषय को

    गहर प नी म नही पठन च तहए जजस सध रन ह उसक स थ ममिि नही हो सकिी ममिि म

    अदवि-भ व होि ह सास र म ऐसी ममिि कवमचि ही प यी ज िी ह ममिि सम न गण व लो

    क बीच शोभिी और तनभिी ह ममि एक-दसर को परभ तवि तकय तबन रह ही नही सकि

    अिएव ममिि म सध र क ततलए बहि कम अवक श रहि ह मरी र य ह तक घतनषठ ममिि

    अतनषट ह कयोतक मनषय दोषो को जलदी गरहण करि ह जो आतम की ईशवर की ममिि च हि

    ह उस एक की रहन च तहए अथव समच सास र क स थ ममिि रखनी च तहए ऊपर क तवच र

    योगय हो अथव अयोगय घतनषठ ममिि बढ न क मर परयोग तनषफल रह

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    जजन ददनो म इन ममि क सापकय म आय उन ददनो र जकोट म सध रपाथ क जोर थ

    मझ इन ममि न बि य तक कई तहनदद ततशकषक मछपमछप म ास ह र और मदयप न करि ह उनदहोन

    र जकोट क दसर परततसदध गहसथो क न म भी ददय मर स मन ह ईसकल म कछ तवदय रथियो क

    न म भी आय मझ िो आियय भी हआ और ःख भी क रण पछन पर यह दलील दी गयी

    ldquoहम म ास ह र नही करि इसततलए परज क रप म हम तनवीयय ह अागरज हम पर इसीततलए र जय

    करि ह तक व म ास ह री ह म तकिन मजबि हा और तकिन दौड सकि हा सो िो िम ज नि

    ही हो इसक क रण भी म ास ह र ही ह म ास ह री को फोड नही होि होन पर झट अछछ हो

    ज ि ह हम र ततशकषक म ास ख ि ह इिन परततसदध वयतति ख ि ह सो कय तबन समझ ख ि ह

    िमह भी ख न च तहए ख कर दखो िो म लम होग तक िम म तकिनी ि कि आ ज िी हrdquo

    य सब दलील तकसी एक ददन नही दी गयी थी अनक उद हरणो स सज कर इस िरह की

    दलील कई ब र दी गयी यह उसक स र ाश ह मर मझल भ ई िो भरषट हो चक थ उनदहोन इन

    दलीलो की पतषट की अपन भ ई की और इन ममि की िलन म म िो बहि बल थ उनक

    शरीर अमधक गठील थ उनक शरीर-बल मझस कही जय द थ व तहममिवर थ इन ममि क

    पर करम मझ मगध कर दि थ व मनच ह दौड सकि थ उनकी गति बहि अछछी थी व खब

    लमब और ऊा च कद सकि थ म र सहन करन की शतति भी उनम खब थी अपनी इस शतति

    क परदशयन भी व मर स मन समय-समय पर करि थ जो शतति अपन म नही होिी उस दसर म

    दखकर मनषय को आियय होि ही ह वस मझ भी हआ आियय म स मोह पद हआ मझम

    दौडन-कदन की शतति नही क बर बर थी म सोच करि तक म भी इन ममि की िरह बलव न

    बन ज ऊा िो तकिन अछछ हो

    इसक अल व म बहि डरपोक थ चोर भि स ाप आदद क डर स मघर रहि थ र ि

    कही अका ल ज न की तहममि नही थी अाधर म िो कही ज ि ही न थ दीय क तबन सोन

    लगभग असाभव थ प स म सोयी हई और अब कछ सय नी बनी हई पतनी स भी अपन इस डर

    की ब ि म कस करि म यह समझ चक थ तक वह मझस जय द तहममि व ली ह इिन म

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    समझ गय थ और इसततलए म शरम ि थ स ाप-भि आदद स डरन िो वह ज निी ही न थी

    अाधर म वह अकली चली ज िी थी मर य ममि मरी इन कमजोररयो को ज नि थ मझस कह

    करि थ तक व िो जजनदद स ापो को भी ह थ स पकड लि ह चोर स कभी नही डरि भि को िो

    म नि ही नही उनदहोन मझ जाच य तक यह स र परि प म ास ह र क ह

    इनदही ददनो नमयद क नीच ततलख पद सकलो म ग य ज ि थ

    अागरजो र जय कर दशी रह दब ई

    दशी रह दब ई जोन बन ा शरीर भ ई

    पलो प ाच ह थ परो परो प ाचसन

    इन सब ब िो क मर मन पर पर -पर असर हआ म तपघल म यह म नन लग तक

    म ास ह र अछछी चीज ह उसस म बलव न और स हसी बनाग समच दश म ास ह र कर िो

    अागरजो को हर य ज सकि ह

    म ास ह र शर करन क ददन तनकषिि हआ

    म म ि -तपि क परम भि थ व चसि वषणव अि म ास ह र मछपक मछपक करन

    थ म म नि थ तक व मर म ास ह र की ब ि ज नग िो तबन मौि क उनकी ितक ल मतय हो

    ज यगी ज न-अनज न म सतय क सवक िो थ ही म ऐस नही कह सकि तक उस समय मझ

    यह जञ न न थ तक म ास ह र करन म म ि -तपि को धोख दन होग यह जञ न उस समय मझ

    नही थ ऐस िो म नही कह सकि

    लतकन मझ िो सध र करन थ म ास ह र क शौक़ नही थ यह सोचकर तक उसम सव द

    ह म म ास ह र शर नही कर रह थ मझ िो बलव न और स हसी बनन थ दसरो को वस

    बनन क ततलए नदयोिन थ और तफर अागरजो को हर कर तहनदसि न को सविाि करन थ सवराजय

    शबद उस समय िक मन सन नही थ सध र क इस जोश म होश भल गय लतकन सविािि क

    अथय म अछछी िरह समझि थ

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    म ि -तपि स क यय को छप न इसम सतय क कोई हर स नही होि तनकषिि ददन आय

    व चसि वषणव अिः म ास ह र चपक चपक स करन थ अपनी चसथति क समपणय वणयन करन

    मर ततलए कदठन ह एक िरफ सध र क उतस ह थ जीवन म महततव क पररवियन करन क

    किहल थ और दसरी िरफ चोर की िरह मछपकर क म करन की शरम थी मझ य द नही

    पडि तक इसम मखय वसि कय थी हम नदी की िरफ एक नदि की खोज म चल दर ज कर ऐस

    कोन खोज जह ा कोई दख न सक और वह ा मन कभी न दखी हई वसि mdash म ास ndash दखी स थ

    म भदटय रख न की ड ल-रोटी थी दोनो म स एक भी चीज मझ भ िी नही थी बकर क म ास

    चमड जस लगि थ ख न असमभव हो गय मझ क होन लगी ख न छोड दन पड

    मरी वह र ि बहि बरी बीिी नीद नही आई सपन म ऐस भ स होि थ म नो शरीर क

    अनददर बकर जजनदद हो और रो रह हो म चौक उठि पछि ि और तफर सोचि तक मझ िो

    म ास ह र करन ही ह तहममि नही ह रनी ह ममि भी ह र ख न व ल नही थ उनदहोन अब म ास

    को अलग-अलग ढाग स पक न सज न और ढाकन क परबनदध तकय नदीतकन र ल ज न क बदल

    तकसी ब वरची क स थ ब िचीि करक मछपमछप एक सरक री ड क-बागल पर ल ज न की

    वयवसथ की और वह ा कसी मज बगर स म न क परलोभन म मझ ड ल इसक असर हआ

    ड ल-रोटी की नररि कछ कम पडी बकर की म य छटी और म ास क िो कह नही सकि पर

    म ास व ल पद थो म सव द आन लग इस िरह एक स ल बीि होग और इस बीच प ाच-छह ब र

    म ास ख न को ममल होग कयोतक ड क-बागल सद सलभ न रहि थ और म ास क सव ददषट

    म न ज न व ल बदढय पद थय भी सद िय र नही हो सकि थ सध र क ततलए मर प स िो फटी

    कौडी भी नही थी इसततलए म कछ द नही सकि थ इस खचय की वयवसथ उन ममिो को ही

    करनी होिी थी उनदहोन कह ा स कस वयवसथ की इसक मझ आज िक पि नही ह उनक

    इर द िो मझ म ास की आदि लग दन क ndash भरषट करन क ndash थ इसततलए पस व अपन प स स

    खचय करि थ पर उनक प स भी कोई अखट खज न नही थ इसततलए ऐसी द वि कभी-कभी

    ही हो सकिी थी

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    जब-जब ऐस भोजन ममलि िब-िब घर पर िो भोजन हो ही नही सकि थ जब

    म ि जी भोजन क ततलए बल िी िब lsquoआज भख नही ह ख न हजम नही हआ ह ऐस बह न

    बन न पडि थ ऐस कहि समय हर ब र मझ भ री आघ ि पहाचि थ यह झठ सो भी म ा क

    स मन और अगर म ि -तपि को पि चल तक लडक म ास ह री हो गय ह िब िो उन पर तबजली

    ही टट पडगी य तवच र मर ददल को करदि रहि थ इसततलए मन तनिय तकय म ास ख न

    आवकयक ह उसक परच र करक हम तहनदसि न को सध रग पर म ि -तपि को धोख दन और

    झठ बोलन िो म ास न ख न स भी बर ह इसततलए म ि -तपि क जीि-जी म ास नही ख न

    च तहए उनकी मतय क ब द सविाि होन पर खल िौर स म ास ख न च तहए और जब िक वह

    समय न आय िब िक म ास ह र क तय ग करन च तहए अपन यह तनिय मन ममि को जि

    ददय और िबस म ास ह र जो छट सो सद क ततलए छट गय म ि -तपि कभी यह ज न ही न

    प य तक उनक दो पि म ास ह र कर चक ह

    म ि -तपि को धोख न दन क शभ तवच र स मन म ास ह र छोड पर वह ममिि नही

    छोडी म ममि को सध रन चल थ पर खद ही तगर और तगर वट क मझ होश िक न रह

    इसी सोहबि क क रण म पतनी की िरफ की वर द री भी चक ज ि िथ वयकषभच र म

    भी फा स ज ि एक ब र मर य ममि मझ वकय ओ की बसिी म ल गय वह ा मझ योगय सचन य

    दकर एक सिी क मक न म भज तहस ब हो चक थ उस कोठरी म म िो तबलकल अाध बन

    गय मझ बोलन क भी होश न रह पर औरि न गसस म आकर मझ दो-च र खरी-खोटी सन यी

    और दरव ज की र ह ददख यी

    उस समय िो मझ ज न पड तक मरी मद यनगी को बटट लग और मन च ह तक धरिी

    जगह द िो म उसम सम ज ऊा पर इस िरह बचन क ततलए मन सद ही भगव न क आभ र

    म न ह

    हम दमपिी क बीच जो कछ मिभद पद होि य कलह होि उसक एक क रण यह

    ममिि भी थी म जस परमी वस ही वहमी पति थ मर वहम को बढ नव ली यह ममिि थी

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    कयोतक ममि की सछच ई क ब र म मझ कोई सनददह थ ही नही इन ममि की ब िो म आकर मन

    अपनी धमयपतनी को तकिन ही कषट पहाच य ह इस हहिस क ततलए मन अपन को कभी म र नही

    तकय ह ऐस ःख तहनदद सिी ही सहन करिी ह और इस क रण मन सिी को सद सहनशीलि

    की मरिि क रप म दख ह नौकर पर झठ शक तकय ज य िो वह नौकरी छोड दि ह पि पर

    ऐस शक हो िो वह तपि क घर छोड दि ह ममिो क बीच शक पद हो िो ममिि टट ज िी

    ह सिी को पति पर शक हो िो वह मन मसोस कर बठी रहिी ह पर अगर पति पतनी पर शक

    कर िो पतनी बच री क िो भ गय ही फट ज ि ह वह कह ा ज य तहनदद सिी अद लि म ज कर

    बाधी हई ग ाठ को कटव भी नही सकिी इस िरह क नदय य मन ददय इसक ःख को म कभी

    नही भल सकि मरी धमयपतनी को इस िरह की चसथति म रखन क ततलए म अपन आपको कभी

    भी म र नही कर सकि य नही भल सकि हा इस सनददह की जड िो िभी कटी जब मझ

    अहहिस क सकषम जञ न हआ य नी जब म बरहमचयय की मतहम को समझ और यह समझ तक

    पतनी पति की द सी नही पर उसकी सहच ररणी ह सहधरमिणी ह दोनो एक-दसर क सख-ःख

    क सम न स झद र ह और भल -बर करन की जजिनी सविािि पति को ह उिनी ही पतनी को

    ह सनददह क उस क ल को जब म य द करि हा िो मझ अपनी मखयि और तवषय नदध तनदययि

    पर करोध आि ह और ममिि -तवषयक अपनी मछछ य पर दय आिी ह

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    ५ चोरी और परायकषितत

    माासाहार क समय क और उसस पहल क कछ दोषो क वणयन अभी रह गय ह य दोष तवव ह

    स पहल क अथव उसक िरनदि ब द क ह

    अपन एक ररकिद र क स थ मझ बीडी पीन क शौक़ लग हम दोनो म स तकसीक यह

    खय ल िो नही थ तक बीडी पीन म कोई फ यद ह अथव उसकी गनदध म आननदद ह पर हम

    लग तक ततसरय धआा उड न म ही कछ मज ह मर क क जी को बीडी पीन की आदि थी उनदह

    और दसरो को धआा उड ि दखकर हम भी बीडी फा कन की इछछ हई ग ाठ म पस िो थ नही

    इसततलए क क जी पीन क ब द बीडी क जो lsquoठा ठrsquo फ क दि हमन उनदह चर न शर तकय

    पर बीडी क य ठा ठ हर समय ममल नही सकि थ और उनम स बहि धआा भी नही

    तनकलि थ इसततलए नौकर की जब म पड दो-च र पसो म स हमन एक ध पस चर न की

    आदि ड ली और हम बीडी खरीदन लग पर सव ल यह पद हआ तक उस साभ ल कर रख

    कह ा हम ज नि थ तक बडो क दखि िो बीडी पी ही नही सकि जस-िस दो-च र पस चर कर

    कछ हफि क म चल य इस बीच सन तक एक परक र क पौध होि ह (उसक न म िो म भल

    गय हा) जजसक डाठल बीडी की िरह जलि ह और फा क ज सकि ह हमन उनदह पर पि तकय

    और फा कन लग

    पर हम सािोष नही हआ अपनी पर धीनि हम अखरन लगी हम ःख इस ब ि क थ

    तक बडो की आजञ क तबन हम कछ भी नही कर सकि थ हम ऊब गय और हमन आतमहतय

    करन क तनिय कर ततलय

    पर आतमहतय कस कर जहर कौन द हमन सन तक धिर क बीज ख न स मतय होिी

    ह हम जागल म ज कर बीज ल आय श म क समय िय तकय कद रन थजी क मजनददर की

    दीपम ल म घी चढ य दशयन तकय और एक नदि खोज ततलय पर जहर ख न की तहममि न हई

    अगर िरनदि ही मतय न हई िो कय होग मरन स ल भ कय कयो न पर धीनि ही सह ली ज य

    तफर भी दो-च र बीज ख य अमधक ख न की तहममि ही न पडी दोनो मौि स डर और यह तनिय

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    तकय तक र मजी क मजनददर म ज कर दशयन करक श नदि हो ज एा और आतमहतय की ब ि भल

    ज एा

    मरी समझ म आय तक आतमहतय क तवच र करन सरल ह आतमहतय करन सरल

    नही इसततलए कोई आतमहतय करन की धमकी दि ह िो मझ पर उसक बहि कम असर होि

    ह अथव यह कहन ठीक होग तक कोई असर होि ही नही

    आतमहतय क इस तवच र क पररण म यह हआ तक हम दोनो जठी बीडी चर कर पीन की

    और नौकर क पस चर कर बीडी खरीदन और फा कन की आदि भल गय तफर बडपन म बीडी

    पीन की कभी इछछ नही हई मन हमश यह म न ह तक यह आदि जागली गनददी और ह तनक रक

    ह तनय म बीडी क इिन जबरदसि शौक़ कयो ह इस म कभी समझ नही सक हा

    रलग डी क जजस मडब म बहि बीडी पी ज िी ह वह ा बठन मर ततलए मतककल हो ज ि ह और

    उसक धएा स मर दम घटन लगि ह

    उपर क दोष क अल व मझस चोरी क दसर जो दोष हआ उस म अमधक गमभीर म नि

    हा बीडी क दोष क समय मरी उमर ब रह-लरह स ल की रही होगी श यद इसस कम भी हो

    दसरी चोरी क समय मरी उमर पनदरह स ल की रही होगी यह चोरी मर म ास ह री भ ई क सोन

    क कड क टकड की थी उन पर म मली-स लगभग पचीस रपय क क़जय हो गय थ मर

    भ ई क ह थ म सोन क ठोस कड थ उसम स एक िोल सोन क ट लन मतककल न थ

    कड कट क़जय अद हआ पर मर ततलए यह ब ि असहय हो गयी मन तनिय तकय तक

    आग कभी चोरी करा ग ही नही मझ लग तक तपि जी क सममख अपन दोष सवीक र भी कर

    लन च तहए पर जीभ न खली तपि जी सवया मझ पीटग इसक डर िो थ ही नही मझ य द

    नही पडि तक उनदहोन कभी हम म स तकसी भ ई को पीट हो पर खद ःखी होग मन सोच तक

    यह जोखखम उठ कर भी दोष क़बल कर ही लन च तहए उसक तबन शजदध नही होगी

    आखखर मन िय तकय तक मचटठी ततलखकर दोष सवीक र तकय ज य और कषम म ाग ली

    ज य मन मचटठी ततलखकर ह थोह थ दी मचटठी म स र दोष सवीक र तकय और सज च ही

    आगरहपवयक तबनिी की तक व अपन को ःख म न ड ल और भतवषय म तफर ऐस अपर ध न

    करन की परतिजञ की

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    मन क ापि ह थो मचटठी तपि जी क ह थ म दी म उनक िखि क स मन बठ गय उन

    ददनो व भगनददर की बीम री स पीमडि थ इस क रण तबसिर पर ही पड रहि थ खदटय क बदल

    लकडी क िखि क म म ल ि थ

    उनदहोन मचटठी पढी आाखो स मोिी की बाद टपकी मचटठी भीग गयी उनदहोन कषण भर क

    ततलए आाख मादी मचटठी फ ड ड ली और सवया पढन क ततलए उठ बठ थ सो व पस लट गय

    म भी रोय तपि जी क ःख समझ सक अगर म मचिक र होि िो वह मचि आज

    समपणयि स खीच सकि आज भी वह मरी आाखो क स मन इिन सपषट ह

    मोिी की बादो क उस परमब ण न मझ बध ड ल म शदध बन इस परम को िो अनभवी

    ही ज न सकि ह

    र मब ण व गय ा र होय ि ज ण३

    मर ततलए यह अहहिस क पद थयप ठ थ उस समय िो मन इसम तपि क परम क ततसव

    और कछ नही दख पर आज म इस शदध अहहिस क न म स पहच न सकि हा ऐसी अहहिस क

    वय पक रप ध रण कर लन पर उसक सपशय स कौन बच सकि ह ऐसी वय पक अहहिस की

    शतति की थ ह लन असमभव ह

    इस परक र की श नदि कषम तपि जी क सवभ व क तवरदध थी मन सोच थ तक व करोध

    करग कट वचन कहग श यद अपन ततसर पीट लग पर उनदहोन इिनी अप र श ननदि जो ध रण

    की मर तवच र म उसक क रण अपर ध की सरल सवीकति थी जो मनषय अमधक री क सममख

    सवछछ स और तनषकपट भ व स अपन अपर ध सवीक र कर लि ह और तफर कभी वस अपर ध

    न करन की परतिजञ करि ह वह शदधिम पर यकषिि करि ह

    म ज नि हा तक मरी इस सवीकति स तपि जी मर तवषय म तनभयय बन और उनक मह न

    परम और भी बढ गय

    _________________

    ३ र म की भतति क ब ण जजस लग हो वही ज न सकि ह

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    ६ नपताजी की बीमारी मतय और शरम

    उस समय म सोलह वषय क थ हम ऊपर दख चक ह तक तपि जी भगनददर की बीम री क क रण

    तबलकल शयय वश थ उनकी सव म अमधकिर म ि जी घर क एक पर न नौकर और म रहि

    थ मर जजमम नसय क क म थ उनक घ व धोन उसम दव ड लन मरहम लग न क समय

    मरहम लग न उनदह दव तपल न और जब घर पर दव िय र करनी हो िो िय र करन यह मर

    ख स क म थ र ि हमश उनक पर दब न और इज जि दन पर अथव उनक सो ज न पर

    सोन यह मर तनयम थ मझ यह सव बहि तपरय थी मझ समरण नही ह तक इसम तकसी भी

    ददन चक होऊा ख न-पीन क ब द क मर समय सकल म अथव तपि जी की सव म ही बीिि

    थ जजस ददन उनकी आजञ ममलिी और उनकी िबीयि ठीक रहिी उस ददन श म को टहलन

    ज ि थ

    अवस न की घोर र ति समीप आई र ि क स ढ दस य गय रह बज होग म पर दब रह

    थ च च जी न मझस कह ldquoज अब म बठा ग rdquo म खश हआ और सीध शयन-गह म पहाच

    पतनी िो बच री गहरी नीद म थी पर म सोन कस दि मन उस जग य प ाच-स ि ममनट बीि

    होग नौकर न आकर तकव ड खटखट य ldquoउठो ब प बहि बीम र हrdquo म ज नि थ तक व

    बहि बीम र िो थ ही इसततलए यह ा बहि बीम र क तवशष अथय समझ गय एकदम तबसिर स

    कद पड

    ldquoकह िो सही ब ि क य हrdquo

    जव ब ममल ldquoब प गजर गयrdquo

    मर पछि न तकस क म आि म बहि शरम य बहि ःखी हआ दौडकर तपि जी

    क कमर म पहाच ब ि मरी समझ म आयी तक अगर म तवषय नदध न होि िो इस अननदिम घडी

    म यह तवयोग मझ नसीब न होि

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    इस क ल द ग़ को म आज िक ममट नही सक भल नही सक और मन हमश म न ह

    तक यदयतप म ि -तपि क परति मरी अप र भतति थी उसक ततलए म सब कछ छोड सकि थ

    िथ तप सव क समय भी भर मन तवषय को छोड नही सकि थ यह उस सव म रही हई

    अकषमय िदट थी इसस मि होन म मझ बहि समय लग और मि होन स पहल कई धमय-साकट

    सहन पड

    जजन ब ल-दमपिी को चिन हो व इस दषट नदि स चि

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    ७ धमम की झााकी

    म वषणव समपरद य म जनदम थ इसततलए हवली म ज न क परसाग ब र-ब र आि थ पर उसक

    परति शरदध उतपनदन नही हई हवली क वभव मझ अछछ नही लग हवली म चलन व ली अनीति

    की ब ि सनकर मन उसक परति उद सीन बन गय वह ा स मझ कछ भी न ममल

    पर जो हवली स न ममल वह मझ अपनी ध य रमभ स ममल रमभ हम र पररव र की

    पर नी नौकर नी थी उसक परम मझ आज भी य द ह म ऊपर कह चक हा तक मझ भि-परि

    आदद क डर लगि थ रमभ न मझ समझ य तक इसकी दव र मन म ह मझ िो र मन म स

    भी अमधक शरदध रमभ पर थी इसततलए बचपन म भि-परि दद क भय स बचन क ततलए मन र मन म

    जपन शर तकय यह जप बहि समय िक नही चल पर बचपन म जो बीज बोय गय वह

    नषट नही हआ आज र मन म मर ततलए अमोघ शतति ह म म नि हा तक उसक मल म रमभ ब ई

    क बोय हआ बीज ह

    तपि जी की बीम री क थोड समय पोरबादर म बीि थ वह ा व र मजी क मनछदर म रोज

    र ि क समय र म यण सनि थ सन न व ल र मचनदरजी क परम भि थ ल ध मह र ज क

    कणठ मीठ थ व दोह -चौप ई ग ि और अथय समझ ि थ खद उसक रस म िललीन हो ज ि

    थ िथ शरोि जनो को भी रस िललीन कर दि थ उस समय मरी उमर िरह स ल की रही होगी

    पर य द पडि ह तक उनक प ठ म मझ खब रस आि थ यह र म यण-शरवण र म यण क परति

    मर अतयमधक परम की बतनय द ह आज म िलसीद स की र म यण को भततिम गय क सवोततिम

    गराथ म नि हा

    र जकोट म मझ अन य स ही सब समपरद यो क परति सम न भ व रखन की ततशकष ममली

    मन तहनदद धमय क परतयक समपरद य क आदर करन सीख कयोतक म ि -तपि वषणव-मजनददर म

    ततशव लय म और र म-मजनददर म भी ज ि और भ इयो को भी स थ ल ज ि य भजि थ

    तफर तपि जी क प स जन धम यच यो म स भी कोई न कोई हमश आि रहि थ तपि जी

    उनदह कषभकष भी दि थ व तपि जी क स थ धमय और वयवह र की ब ि तकय करि थ इसक ततसव

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    तपि जी क मसलम न और प रसी ममि भी थ व अपन-अपन धमय की चच य करि और तपि जी

    उनकी ब ि समम नपवयक और अकसर रसपवयक सन करि थ नसय होन क क रण ऐसी चच य

    क समय म अकसर ह जजर रहि थ इस स र व ि वरण क परभ व मझ पर यह पड तक मझम

    सब धमो क ततलए सम न भ व पद हो गय

    एक ईस ई धमय अपव दरप थ उसक परति कछ अरमच थी उसक क रण थ उन ददनो

    कछ ईस ई ह ईसकल क कोन पर खड होकर वय खय न ददय करि थ व तहनदद दवि ओ की और

    तहनदद धमय को म नन व लो की बर ई करि थ मझ वह असहय म लम हआ म एक ध ब र ही

    वय खय न सनन क ततलए खड रह होऊा ग दसरी ब र तफर वह ा खड रहन की इछछ ही न हई

    उनदही ददनो एक परततसदध तहनदद क ईस ई बनन की ब ि सनी ग ाव म चच य थी तक उनदह ईस ई धमय

    की दीकष दि समय गोम ास खखल य गय और शर ब तपल यी गयी उनकी पोश क भी बदल दी

    गयी और ईस ई बनन क ब द व भ ई कोट-पिलन और अागरजी टोपी पहनन लग इन ब िो स

    मझ पीड पहाची जजस धमय क क रण गोम ास ख न पड शर ब पीनी पड और अपनी पोश क

    बदलनी पड उस धमय कस कह ज य मर मन न यह दलील की तफर यह भी सनन म आय तक

    जो भ ई ईस ई बन थ उनदहोन अपन पवयजो क धमय की रीति-ररव जो की और दश की तननद द

    करन शर कर ददय थ इन सब ब िो स मर मन म ईस ई धमय क परति अरमच उतपनदन हो गयी

    इस िरह यदयतप दसर धमो क परति समभ व ज ग तफर भी यह नही कह ज सकि तक

    मझम ईशवर क परति आसथ थी

    पर एक चीज न मन म जड जम ली ndash यह सास र नीति पर दटक हआ ह नीतिम ि क

    सम वश सतय म ह सतय को िो खोजन ही होग ददन-पर-ददन सतय की मतहम मर तनकट

    बढिी गयी सतय की वय खय तवसिि होिी गयी और अभी भी हो रही ह

    तफर नीति क एक छपपय ददल म बस गय अपक र क बदल अपक र नही उपक र

    ही हो सकि ह यह एक जीवन-सि ही बन गय उसन मझ पर स मर जय चल न शर तकय

    इसक अनतगनि परयोग तकय वह चमतक री छपपय यह ह

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    प णी आपन प य भला भोजन िो दीज

    आवी नम व शीश दाडवि कोड कीज

    आपण घ स द म क म महोरोना करीए

    आप उग र पर ण ि िण ःखम ा मरीए

    गण कड िो गण दश गणो मन व च कम करी

    अवगण कड जो ग गण कर ि जगम ा जीतयो सही४

    _______________________

    ४ जो हम प नी तपल य उस हम अछछ भोजन कर य जो आकर हम र स मन ततसर नव य उस हम उमाग स

    दणडवि परण म कर जो हम र ततलए एक पस खचय कर उसक हम महरो की कीमि क क म कर द जो हम र

    पर ण बच व उसक ःख दर करन क ततलए हम अपन पर ण िक तनछ वर कर द जो हम र उपक र कर उसक

    िो हम मन बचन और कमय स दस गन उपक र करन ही च तहए लतकन जग म सछच और स थयक जीन उसीक

    ह जो अपक र करन व ल क परति भी उपक र करि ह

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    ८ नवलायत की तयारी

    मटरिकयलशन की परीकष म उिीणय हो ज न क उपर नदि बडो की इछछ थी तक प स हो ज न पर

    मझ आग कोलज की पढ ई करनी च तहए कोलज बमबई म भी थ और भ वनगर म भी

    भ वनगर क खचय कम थ इसततलए भ वनगर क श मलद स कोलज म भरिी होन क तनिय

    हआ कोलज म मझ कछ आि न थ सब कछ मतककल म लम होि थ अधय पको क

    वय खय नो म न रस आि और न म उनदह समझ प ि इसम दोष अधय पको क नही मरी

    कमजोरी क ही थ उस समय क श मलद स कोलज क अधय पक िो परथम पातति क म न ज ि

    थ पहल सि पर करक म घर आय

    कटमब क पर न ममि और सल हक र एक तवदव न वयवह र-कशल बर हमण म वजी दव थ

    तपि जी क सवगयव स क ब द भी उनदहोन कटमब क स थ समबनदध बन य रख थ व छटटी क इन

    ददनो म घर आय म ि जी और बड भ ई क स थ ब िचीि करि हए उनदहोन मरी पढ ई क ब र

    म पछि छ की जब सन तक म श मलद स कोलज म हा िो बोल ldquoजम न बदल गय ह िम

    भ इयो म स कोई कब ग ाधी की गददी साभ लन च ह िो तबन पढ ई क वह नही होग यह लडक

    अभी पढ रह ह इसततलए गददी साभ लन को बोझ इसस उठव न च तहए इस च र-प ाच स ल िो

    अभी बी० ए० होन म लग ज एाग और इिन समय दन पर भी इस ५०-६० रपय की नौकरी

    ममलगी दीव नगीरी नही और अगर उसक ब द इस मर लडक की िरह वकील बन य िो थोड

    वषय और लग ज एाग और िब िक िो दीव नगीरी क ततलए वकील भी बहि स िय र हो चक ग

    आपको इस तवल यि भजन च तहए नय आय हए ब ररसटरो को दखो व कस ठ ठ स रहि ह

    व च ह िो उनदह दीव नगीरी आज ममल सकिी ह मरी िो सल ह ह तक आप मोहनद स को इसी

    स ल तवल यि भज दीजजए तवल यि म मर कवलर म क कई दोसि ह वह उनक न म ततसर ररशी

    पि द दग िो इस वह ा कोई कदठन ई नही होगीrdquo

    जोशीजी न (म वजी दव को हम इसी न म स पक रि थ) मरी िरर दखकर मझस ऐस

    लहज म पछ म नो उनकी सल ह क सवीकि होन म उनदह कोई शाक ही न हो

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    कयो िझ तवल यि ज न अछछ लगग य यही पढि रहन rdquo मझ जो भ ि थ वही

    वदयन बि ददय म कोलज की कदठन इयो स डर िो गय ही थ मन कह ldquoमझ तवल यि भज

    िो बहि ही अछछ हrdquo

    बड भय सोच म पड गय मझ भजन क ततलए रपयो क बादोबसि परबाध कस तकय ज य

    इिन ही नही मझ जस नवयव को तवदश कस भज ज यrdquo

    म ि जी कस समझिी उनदहोन सब िरह की पछि छ शर कर दी थी कोई कहि

    नौजव न लोग तवल यि ज कर तबगड ज ि ह कोई कहि व म ास ह र करन लगि ह कोई

    कहि वह ा शर ब क तबन िो चलि ही नही म ि जी न मझ य स री ब ि सन यी इन स री

    ब िो क कय मन कह ldquoपर ि मर तवशव स नही करगी म िझ धोख नही दाग शपथपवयक

    कहि हा तक म इन िीनो चीजो स बचाग अगर ऐस खिर होि िो जोशीजी क यो ज न

    दिrdquo

    म ि जी बोली ldquoमझ िर तवशव स ह पर दर दश म कय होग मरी िो अकल क म नही

    करिी म बचरजी सव मी स पछागीrdquo

    बचरजी सव मी मोढ बतनयो म स बन हए एक जन स ध थ जोशीजी की िरह व भी हम र

    सल हक र थ उनदहोन मदद की व बोल ldquoम इस लडक स इन िीनो चीजो क वरि ततलव ऊा ग

    तफर इस ज न दन म कोई ह तन नही होगीrdquo उनदहोन परतिजञ ततलव यी और मन म ास मददर िथ

    सिी-साग स दर रहन की परतिजञ की म ि जी न आजञ दी

    ह ईसकल म सभ हई र जकोट क एक यवक तवल यि ज रह ह यह आियय क तवषय

    बन म जव ब क ततलए कछ ततलखकर ल गय थ जव ब दि समय उस मतककल स पढ प य

    मझ इिन य द ह तक मर ततसर घम रह थ और शरीर क ाप रह थ

    म ि जी की आजञ और आशीव यद लकर और पतनी क गोद म कछ महीनो क ब लक

    छोडकर म उमागो क स थ बमबई पहाच पहाच िो गय पर वह ा ममिो न भ ई को बि य तक जन-

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    जल ई म तहनदद मह स गर म िर न आि ह और मरी यह पहली ही समरी य ि ह इसततलए नवमबर

    म रव न करन च तहए

    इस बीच ज ति म खलबली मची ज ति की सभ बल यी गयी मझस जव ब िलब तकय

    ज न च तहए मझ पाच यि म ह जजर रहन क हकम ममल म गय म नही ज नि तक मझम

    अच नक तहममि कह ा स आ गयी ह जजर रहन म मझ न िो साकोच हआ न डर लग ज ति क

    सरपाच क स थ दर क कछ ररकि भी थ तपि जी क स थ उनक समबनदध अछछ थ उनदहोन

    मझस कह

    ldquoज ति क खय ल ह तक िन तवल यि ज न क जो तवच र तकय ह वह टीक नही ह

    हम र धमय म समर प र करन की मन ही ह तिस पर यह भी सन ज ि ह तक वह ा धमय की रकष

    नही हो प िी वह ा स हब लोगो क स थ ख न -पीन पडि हrdquo

    मन जव ब ददय ldquoमझ िो लगि ह तक तवल यि ज न म लशम ि भी अधमय नही ह मझ

    िो वह ा ज कर तवदय धययन ही करन ह तफर जजन ब िो क आपको डर ह उनस दर रहन की

    परतिजञ मन अपनी म ि जी क सममख ली ह इसततलए म उनस दर रह सका ग rdquo

    सरपाच बोल ldquoपर हम िझस कहि ह तक वह ा धमय की रकष हो ही नही सकिी ि ज नि

    ह तक िर तपि जी क स थ मर कस समबनदध थ िझ मरी ब ि म ननी च तहएrdquo

    मन जव ब म कह आपक स थ क समबनदध को म ज नि हा आप तपि क सम न ह

    पर इस ब र म म ल च र हा तवल यि ज न क अपन तनिय म बदल नही सकि जो तवदव न

    बर हमण मर तपि जी क ममि और सल हक र ह व म नि ह तक मर तवल यि ज न म कोई दोष

    नही ह मझ अपनी म ि जी और अपन भ ई की अनमति भी ममल चकी हrdquo

    ldquoपर ि ज ति क हकम नही म नग rdquo

    ldquoम ल च र हा मर खय ल ह तक इसम ज ति को दखल नही दन च तहएrdquo

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    इस जव ब स सरपाच गसस हए मझ दो-च र ब ि सन यी म सवसथ बठ रह सरपाच न

    आदश ददय

    ldquoयह लडक आज स ज तिछयि म न ज यग जो कोई इसकी मदद करग अथव इस

    तबद करन ज यग पाच उसस जव ब िलब करग और उसस सव रपय दणड क ततलय ज यग rdquo

    यझ पर इस तनिय क कोई असर नही हआ मन सरपाच स तबद ली अब सोचन यह

    थ तक इस तनिय क मर भ ई पर कय असर होग सौभ गय स व दढ रह और मझ ततलख भज

    तक ज ति क तनिय क ब वजद व मझ तवल यि ज न स नही रोक ग

    ममिो न मर ततलए जगह भी तरयमबकर य मजमद र (जन गढ क वकील क न म) की कोठरी

    म ही रखी थी उनस मर तवषय म कह भी ददय थ व िो परौढ उमर क अनभवी सजजन थ म

    तनय क अनभव स शनदय अठ रह स ल क नौजव न थ मजमद र न ममिो स कह ldquoआप

    इसकी तरकर न करrdquo

    इस िरह १८८८ क ततसिमबर महीन की ४ ि रीख को मन बमबई क बनददरग ह छोड

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    ९ सटीमर म

    अगरज़ी म ब ि करन की मझ आदि ही न थी दसर दज क सलन म मजमद र को छोडकर दसर

    सब मस तफर अागरज थ म उनक स थ बोल न प ि थ व मझस बोलन क परयतन करि िो म

    समझ न प ि और समझ लि िो जव ब कय दन सो सझि न थ बोलन स पहल हरएक

    व कय को जम न पडि थ क ाट-चममच स ख न आि न थ और तकस पद थय म म ास नही

    ह यह पछन की तहममि नही होिी थी इसततलए म ख न की मज पर िो कभी गय ही नही अपनी

    कोठरी म ही ख ि थ अपन स थ ख स करक जो ममठ ई बगर ल य थ उनदही स मन क म

    चल य मजमद र की िो कोई साकोच नही थ व सबक स थ घलममल गय थ डक पर भी

    आज दी स ज ि थ म स र ददन कोटरी म बठ रहि थ कभी-कद स जब डक पर थोड लोग

    होि िो कछ दर वह ा ज कर बठ लि थ मजमद र मझ समझ ि तक सबक स थ घलो-ममलो

    आज दी स ब िचीि करो व मझस यह भी कहि तक वकील की जीभ खब चलनी च तहए वकील

    क न ि व अपन अनभव सन ि और कहि तक अागरजी हम री भ ष नही ह उसम गलतिय ा िो

    होगी ही तफर भी खलकर बोलि रहन च तहए पर म अपनी भीरि छोड न प ि थ

    मझ पर दय करक एक भल अागरज न मझस ब िचीि शर की व उमर म बड थ म

    कय ख ि हा कौन हा कह ा ज रह हा तकसीस ब िचीि क यो नही करि आदद परशन व पछि

    रहि उनदहोन मझ ख न की मज पर ज न की सल ह दी म ास न ख न क मर आगरह की ब ि

    सनकर व हास और मझ पर िरस ख कर बोल ldquoयह ा िो (पोटयसईद पहाचन स पहल िक) ठीक

    ह पर तबसक की ख डी म पहाचन पर िम अपन तवच र बदल लोग इागलड म िो इिनी ठाड पडिी

    ह तक म ास ख य तबन चलि ही नही

    मन कह ldquoमन सन ह तक वह ा लोग म ास ह र क तबन रह सकि हrdquo

    व बोल ldquoइस ग़लि समझो अपन पररमचिो म म ऐस तकसी आदमी को नही ज नि जो

    म ास न ख ि हो सनो म शर ब पीि हा पर िमह पीन क ततलए नही कहि लतकन म समझि

    हा तक िमह म ास िो ख न ही च तहएrdquo

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    मन कह ldquoइस सल ह क ततलए म आपक आभ र म नि हा पर म ास न ख न क ततलए म

    अपनी म ि जी स वचन-बदध हा इस क रण म म ास नही ख सकि अगर उसक तबन क म ही

    न चल िो म व पस तहनदसि न चल ज ऊा ग पर म ास िो कभी न ख ऊा ग rdquo

    तबसक की ख डी आयी वह ा भी मझ न िो म ास की जररि म लम हई और न मददर

    की

    हम स उधमपटन बनददरग ह पर पहाच मझ य द ह तक उस ददन शतनव र थ जह ज पर म

    क ली पोश क पहनि थ ममिो न मर ततलए सफद फल लन क कोट-पिलन भी बनव ददय थ

    उनदह मन तवल यि म उिरि समय पहनन क तवच र कर रख थ यह समझकर तक सफद कपड

    अमधक अछछ लगग म फल लन क सट पहनकर उिर ततसिमबर क आखखरी ददन थ मन वह ा

    इस पोश क म एक अपन को ही दख मरी पदटय ा और उनकी च तबय ा िो तगरणडल कमपनी क

    एजणट ल गय थ सबकी िरह मझ भी करन च तहए यह समझकर मन िो अपनी च तबय ा भी

    द दी थी

    मर प स च र ततसर ररशी पि थ डोकटर पर णजीवन महि क न म दलपिर म शकल क

    न म तपरनदस रणजीिससिहजी क न म और द द भ ई नौरोजी क न म जह ज म तकसीन सल ह दी

    थी तक तवकटोररय होटल म ठहरन च तहए इस क रण मजमद र और म उस होटल म पहाच म

    िो अपनी सफद पोश क की शरम स ही गड ज रह थ तिस पर होटल म पहाचन पर पि चल

    तक अगल ददन रतवव र होन स तगरणडल क यह ा स स म न सोमव र िक नही आयग इसस म

    परश न हआ

    मन डो महि को स उदमपटन स एक ि र भज थ

    स ि-आठ बज डोकटर महि आय उनदहोन परमभर तवनोद तकय मझ फल लीन म

    दखकर हास पड मन अनज न रशमी रोओव ली उनकी टोपी दखन क खय ल स उठ यी और

    उस पर उलट ह थ फर इसस टोपी क रोएा खड हो गय डोकटर महि न दख मझ िरनदि ही

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    रोक पर अपर ध िो हो चक थ उनक रोकन क निीज िो यही तनकल सकि थ तक ब र

    वस अपर ध न हो

    समजझय तक यही स यरोप क रीति-ररव जो क समबनदध म मरी ततशकष क शरीगणश हआ

    डोकटर महि हासि-हासि बहि-सी ब ि समझ ि थ तकसी की चीज छनी नही च तहए तकसीस

    ज न-पहच न होन पर जो परशन तहनदसि न म यो ही पछ ज सकि ह व यह ा नही पछ ज सकि

    ब ि करि समय ऊा ची आव ज स नही बोल सकि तहनदसि न म अागरजो स ब ि करि समय सर

    कहन क जो ररव ज ह वह यह ा अन वकयक ह सर िो नौकर अपन म ततलक स अथव अपन

    बड अफसर स कहि ह तफर उनदहोन होटल म रहन क खचय की भी चच य की और सझ य तक

    तकसी तनजी कटमब म रहन रहन की जररि पडगी इस तवषय म अमधक तवच र सोमव र पर

    छोड गय

    होटल म िो हम दोनो को यही लग तक यह ा कह ा आ फा स होटल महाग भी थ म लट

    स एक ततसनदधी य िी जह ज पर सव र हए थ मजमद र उनस अछछ घलममल गय गय थ य ततसनदधी

    य िी लादन क अछछ ज नक र थ उनदहोन हम र ततलए दो कमर तकर य पर लन की जजममद री

    उठ यी हम सहमि हए और सोमव र को जस ही स म न ममल तबल चक कर उि ततसनधी

    सजजन दव र ठीक तकय कमरो म हमन परवश तकय

    मझ य द ह तक मर तहसस क होटल क तबल लगभग िीन पौड क हआ थ म िो उस

    दखकर चतकि ही रह गय िीन पौड दन पर भी भख रह होटल की कोई चीज मझ रचिी

    नही थी एक चीज ली और वह नही रची दसरी ली पर द म िो दोनो क ही चक न च तहए

    यह कहन ठीक होग तक अभी िो मर क म बमबई स ल य हए प थय स स ही चल रह थ

    इस कमर म भी म बहि परश न रह दश की य द खब आिी थी म ि क परम मरििम न

    होि थ र ि पडिी और म रोन शर करि घर की अनक समतियो की चढ ई क क रण नीद

    िो आ ही कस सकिी थी इस ःख की चच य तकसीस की भी नही ज सकिी थी करन स ल भ

    भी कय थ म सवया नही ज नि थ तक तकस उप य स मझ आशव सन ममलग यह ा क लोग

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    तवमचि रहन-सहन तवमचि घर भी तवमचि घरो म रहन क ढाग भी तवमचि अागरजी रहनसहन

    िथ रीति ररव जो म म नय प ठी थ अिः सिि सिकय रहन पडि थ तिस पर ख न-पीन क

    परहज और ख न योगय आह र सख िथ नीरस लगि थ इस क रण मरी दश सरौि क बीच

    सप री जसी हो गयी तवल यि म रहन मझ अछछ नही लगि थ और दश को लौट नही ज

    सकि थ तवल यि पहाच ज न पर िो िीन स ल वह ा पर करन क ही मर आगरह थ

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    भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

    १० लडन म

    डोकटर महि सोमव र को मझस ममलन तवकटोररय होटल पहाच वह ा उनदह हम र नय पि

    ममल इसस व नई जगह आकर ममल डोकटर महि न हम र कमर बगर दख और ततसर तहल य

    ldquoयह जगह क म की नही इस दश म आकर पढन की अपकष यह ा क जीवन और रीिी-ररव ज

    क अनभव पर पि करन ही अमधक महततव क ह इसक ततलए तकसी पररव र म रहन जररी ह

    पर अभी िो मन सोच ह तक िमह कछ ि लीम ममल सक इसक ततलए mdash क घर रहो म िमह

    वह ा ल ज ऊा ग rdquo

    मन आभ रपवयक उनक सझ व म न ततलय म ममि क घर पहाच उनक सव गि-सतक र

    म कोई कमी नही थी उनदहोन मझ अपन सग भ ई की िरह रख अागरजी रीति-ररव ज ततसख य

    यह कह सकि हा तक अागरजी म थोडी ब िचीि करन की आदि उनदहीन डलव ई

    मर भोजन क परशन बहि तवकट हो गय तबन नमक और मस लो व ली स ग-सबजी

    रचिी नही थी घर की म लतकन मर ततलए कछ बन व िो क य बन व सवर िो ओटमील५ की

    लपसी बनिी उसस पट कछ भर ज ि पर दोपहर और श म को म हमश भख रहि ममि

    मझ रोज म ास ख न क ततलए समझ ि म परतिजञ की आड लकर चप हो ज ि दोपहर को ततसरय

    रोटी पिो व ली एक भ जी और मरबब पर गजर करि थ यही खर क श म क ततलए भी थी म

    दखि तक रोटी क िो दो-िीन टकड ही लन की रीि ह इसस अमधक म ागि शरम लगिी थी

    मझ डटकर ख न की आदि थी भख िज थी और खब खर क च हिी थी दोपहर य श म को

    दध नही ममलि थ मरी यह ह लि दखकर एक ददन ममि मचढ गय और बोल ldquoअगर िम मर

    सग भ ई होि िो म िमह तनिय ही व पस भज दि यह ा की ह लि ज न तबन तनरकषर म ि क

    स मन की गई परतिजञ क मलय ही कय वह िो परतिजञ ही नही कही ज सकिी म िमस कहि

    हा तक क़ नन इस परतिजञ नही म नग ऐसी परतिजञ स मचपट रहन िो तनर अाधतवशव स कह

    ज एाग और ऐस अाधतवशव स म फा स रहकर िम इस दश स अपन दश म कछ भी न ल ज

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    सकोग िम िो कहि हो तक िमन म ास ख य ह िमह वह अछछ भी लग ह जह ा ख न की

    जररि नही वह ा ख य और जह ा ख न की ख स जररि ह वह ा यह कस आियय हrdquo

    म टस स मस नही हआ

    ऐसी बहस रोज हआ करिी मर प स छिीस रोगो को ममट न व ल एक ननद न ही थ

    ममि मझ जजिन समझ ि मरी दढि उिनी ही बढिी ज िी म रोज भगव न स रकष की य चन

    करि और मझ रकष ममलिी म नही ज नि थ तक ईशवर कौन ह पर रमभ की दी हई शरदध

    अपन क म कर रही थी

    एक ददन ममि न मर स मन बनदथम क गराथ पढन शर तकय उपयोतगि व द व ल

    अधय य पढ म घबर य भ ष ऊा ची थी म मतककल स समझ प ि उनदहोन उसक तववचन

    तकय मन उिर ददय

    ldquoम आप स म री च हि हा म ऐसी सकषम ब ि समझ नही प ि म सवीक र करि हा

    तक म ास ख न च तहए पर म अपनी परतिजञ क बनदधन िोड नही सकि उसक ततलए म कोई

    दलील नही द सकि मझ तवशव स ह तक दलील म म आपको कभी जीि नही सकि पर मखय

    समझकर अथव हठी समझकर इस म मल म मझ छोड दीजजए म आपक परम को समझि हा

    आपक आशय समझि हा आपको म अपन परम तहिषी म नि हा म यह भी दख रह हा तक

    आपको ःख होि ह इसीस आप इिन आगरह करि ह पर म ल च र हा मरी परतिजञ नही टट

    सकिीrdquo

    ममि दखि रह उनदहोन पसिक बनदद कर दी ldquoबस अब म बहस नही करा ग कहकर व

    चप हो गय म खश हआ इसक ब द उनदहोन बहस करन छोड ददय

    पर मर ब र म उनकी मचनदि दर न हई व बीडी पीि थ शर ब पीि थ लतकन मझस

    कभी नही कह तक इनम स एक क भी म सवन करा उलट व मन ही करि रह उनदह मचनदि

    यह थी तक म ास ह र क अभ व म म कमजोर हो ज ऊा ग और इागलड म तनकषिनदिि पवयक रह न

    सका ग

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    इस िरह एक महीन िक मन नौततसखए क रप म उममीदव री की ममि क घर ररचमनदड

    म थ इसततलए म हफि म एक य दो ब र ही लनददन ज प ि थ डोकटर महि और भ ई

    दलपिर म शकल न सोच तक अब मझ तकसी कटगब म रहन च तहए भ ई शकल न वसट

    कतनदसागटन म एक एागलो-इचणडयन क घर खोज तनक ल और मझ वह ा रख घर की म लतकन

    एक तवधव थी उसस मन म ास-तय ग की ब ि कही बदढय न मरी स र-साभ ल की जजममद री

    ली म वह ा रहन लग

    वह ा भी मझ रोज भख रहन पडि थ मन घर स ममठ ई बगर ख न की चीज माग ई

    थी पर व अभी आई नही थी सब कछ फीक लगि थ बदढय हमश पछिी पर वह कर

    क य तिस पर म अभी िक शरम ि थ जजिन रखिी थी उिन ही ख ि थ बदढय क दो

    लडतकय ा थी व आगरह करक थोडी अमधक रोटी दिी पर व बच री कय ज न तक उनकी समची

    रोटी ख न पर ही मर पट भर सकि थ

    लतकन अब म होततशय री पकडन लग थ अभी पढ ई शर नही हई थी मतककल स

    सम च रपि पढन लग थ यह भ ई शकल क परि प थ तहनदसि न म मन सम च रपि कभी

    पढ नही थ पर बर बर पढि रहन क अभय स स उनदह पढन क शौक़ म पद कर सक थ डरली

    नयज डरली टकषरलगराफ और परलमरल गजट इन पिो को सरसरी तनग ह स दख ज ि थ पर शर-

    शर म िो इसम मतककल स एक घाट खचय होि होग

    मन घमन शर तकय मझ तनर ममष अथ यि अनदन ह र दन व ल भोजनगह की खोज

    करनी थी घर की म लतकन न भी कह थ तक ख स लनददन म ऐस गह मौजद ह म रोज दस-

    ब रह मील चलि थ तकसी म मली स भोजन-गह म ज कर पट भर रोटी ख लि थ पर उसस

    सािोष न होि थ इस िरह भटकि हआ एक ददन म फररिगडन सरीट पहाच और वह ा

    lsquoवजजटररयन रसटर ाrsquo (अनदन ह री भोजन लय) क न म पढ मझ वह आननदद हआ जो ब लक

    को मनच ही चीज ममलन स होि ह हषय-तवभोर होकर अनददर घसन स पहल मन दरव ज क प स

    की शीश व ली खखडकी म तबकरी की पसिक दखी उनम मझ सोलट की अननाहार की कषहमायि

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    न मक पसिक दीखी एक ततशसलिग म मन वह खरीद ली और तफर भोजन करन बठ तवल यि

    आन क ब द यह ा पहली ब र भरपट भोजन ममल ईशवर न मरी भख ममट यी

    सोलट की पसिक पढी मझ पर उसकी अछछी छ प पडी इस पसिक को पढन क ददन

    स म सवछछ पवयक अथ यि तवच र-पवयक अनदन ह र म तवशव स करन लग म ि क तनकट की गई

    परतिजञ अब मझ तवशष आननदद दन लगी और जजस िरह अब िक म यह म नि थ तक सब

    म ास ह री बन िो अछछ हो और पहल कवल सतय की रकष क ततलए िथ ब द म परतिजञ -प लन

    क ततलए ही म म ास-तय ग करि थ और भतवषय म तकसी ददन सवया आज दी स परकट रप म

    म ास ख कर दसरो को ख न व लो क दल म ससतममततलि करन की उमाग रखि थ उसी िरह अब

    सवया अनदन ह री रहकर दसरो को वस बन न क लोभ मझम ज ग

    ________________

    ५ जई क आट

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    ११ सभय पोशाक म

    इस बीच मर उन ममि को िो मरी मचनदि बनी ही रही उनदहोन मझ न टक ददख न क ततलए नदयोि

    वह ा ज न स पहल मझ उनक स थ होबनय भोजन-गह म भोजन करन थ मर ममि को ऐस

    खय ल थ तक भोजनगह म मय यद क क रण भी म चप रहाग सकडो क बीच हम दो ममि एक

    मज क स मन बठ ममि न पहली पलट माग ई वह सप की थी म परश न हआ ममि स कय

    पछि मन िो परोसन व ल को अपन प स बल य

    ममि समझ गय मचढकर मझस पछ

    कय हrdquo

    मन धीर स साकोचपवयक कह

    ldquoम ज नन च हि हा तक इसम म ास ह य नहीrdquo

    ldquoऐस गह म यह जागलीपन नही चल सकि अगर िमह अब भी यही तकच-तकच करनी

    हो िो िम ब हर ज कर तकसी छोट स भोजन-गह म ख लो और ब हर ही मरी र ह दखोrdquo

    म इस परसि व स खश होकर उठ प स ही एक अनदन ह र व ल भोजन-गह थ पर वह

    िो बनदद हो चक थ म भख रह हम न टक दखन गय ममि न उि घटन क ब र म एक भी

    शबद माह स न तनक ल मर प स िो कहन को थ ही कय

    लतकन यह हम र बीच क अननदिम ममि-यदध थ न हम र समबनदध टट न उसम कटि

    आई उनक स र परयतनो क मल म रह हए परम को म पहच न सक थ इस क रण तवच र और

    आच र की कषभनदनि क रहि हए भी उनक परति मर आदर बढ गय

    पर मन सोच तक मझ उनक डर दर करन च तहए मन तनिय तकय तक म जागली नही

    रहाग सभय क लकषण गरहण करा ग और दसर परक र स सम ज म समरस होन योगय बनकर

    अनदन ह र की अपनी तवमचिि को मछप लाग

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    मन सभयि सीखन क ततलए अपनी स मरथयय स पर क और मछछल र सि पकड

    तवल यिी होन पर भी बमबई क कट-ततसल कपड अछछ अागरज सम ज म शोभ नही दग

    इस तवच र स मन आमी और नवी सटोर म कपड ततसलव य उनद नीस ततशसलिग की (उस जम न क

    ततलह ज स िो यह कीमि बहि ही कही ज एगी) मचमनी टोपी ततसर पर पहनी इिन स सािोष न

    हआ िो बोणड सरीट म जह ा शौक़ीन लोगो क कपड ततसलि थ दस पौणड पर बिी रखकर श म

    की पोश क ततसलव यी भोल और ब दश ही ददल व ल बड भ ई स मन दोनो जबो म लटक न

    ल यक सोन की एक बदढय चन मागव यी और वह ममल भी गयी बाधी-बाध यी ट ई पहनन

    ततशषट च र म शम र न थ इसततलए ट ई ब ाधन की कल हसिगि की दश म आईन हज मि क

    ददन ही दखन को ममलि थ पर यह ा िो बड आईन क स मन खड रहकर ठीक स ट ई ब ाधन म

    और ब लो म पटटी ड लकर सीधी म ाग तनक लन म रोज लगभग दस ममतनट िो बरब द होि ही

    थ ब ल मल यम नही थ इसततलए उनदह अछछी िरह मड हए रखन क ततलए बरश (झ ड ही

    समजझए) क स थ रोज लड ई चलिी थी और टोपी पहनि िथ तनक लि समय ह थ िो म नो

    म ाग को सहजन क ततलए ततसर पर पहाच ही ज ि थ और बीच-बीच म सम ज म बठ-बठ मॉग

    पर ह थ तफर कर ब लो को वयवचसथि रखन की एक और सभय तकरय बर बर चलिी ही रहिी

    थी

    पर इिनी टीमट म ही क री न थी अकली सभय पोश क स सभय थोड ही बन ज सकि

    थ मन सभयि क दसर कई ब हरी गण भी ज न ततलए थ और म उनदह सीखन च हि थ सभय

    परष को न चन ज नन च तहए उस फर च अछछी िरह ज न लनी च तहए कयोतक फर च इागलणड

    क पडोसी फर ास की भ ष थी और स र यरोप की र षटरभ ष भी थी और मझ यरोप म घमन की

    इछछ थी इसक अल व सभय परष को लछछद र भ षण करन भी आन च तहए मन नतय

    सीखन क तनिय तकय एक ककष म भरिी हआ एक सि क करीब िीन पौणड जम तकए

    कोई िीन हफिो म करीब छह सबक सीख होग पर ठीक स ि लबदध पडि न थ तपय नो बजि

    थ पर वह क य कह रह ह कछ समझ म न आि थ िो अब कय तकय ज य अब िो ब ब जी

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    की तबलली व ल तकसस हआ चहो को भग न क ततलए तबलली तबलली क ततलए ग य और ग य

    क ततलए आदमी यो ब ब जी क पररव र बढ उसी िरह मर लोभ क पररव र भी बढ व योततलन

    बज न सीख ला िो सर और ि ल क खय ल हो ज य िीन पौणड व योततलन खरीदन म गाव य

    और कछ उसकी ततशकष क ततलए भी ददय भ षण करन सीखन क ततलए एक िीसर ततशकषक क

    घर खोज उनदह भी एक तगनद नी िो भट की ही बल की सटणडडड एरलोकयशकषिसट पसिक खरीदी

    तपट क एक भ षण शर तकय

    इन बल स हबन मर क न म घाटी (बल) बज यी म ज ग

    मझ कौन इागलणड म जीवन तबि न ह लछछद र भ षण करन सीखकर म कय करा ग

    न च-न चकर म सभय कस बनाग व योततलन िो दश म भी सीख ज सकि ह म िो तवदय थी

    हा मझ तवदय -धन बढ न च तहए मझ अपन पश स समबनदध रखन व ली िय री करनी च तहए

    म अपन सद च र स सभय समझ ज ऊा िो ठीक ह नही िो मझ यह लोभ छोडन च तहए

    इन तवच रो की धन म मन उपययि आशय क उदग रोव ल पि भ षण-ततशकषक को भज

    ददय उनस मन दो य िीन प ठ पढ थ नतय-ततशकषकषक को भी ऐस ही पि ततलख व योततलन

    ततशकषकषक क घर व योततलन लकर पहाच उनदह जजस द म भी वह तबक बच ड लन की इज जि द

    दी उनक स थ कछ ममिि क -स समबनदध हो गय थ इस क रण मन उनस अपन मोह की चच य

    की न च आदद क जाज ल म स तनकल ज न की मरी ब ि उनदहोन पसनदद की

    सभय बनन की मरी यह सनक लगभग िीन महीन िक चली होगी पोश क की टीमट म

    िो बरसो चली पर अब म तवदय थी बन

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    १२ फरफार

    कोई यह न म न तक न च आदद क मर परयोग उस समय की मरी सवछछनददि क सचक ह प ठको

    न दख होग तक उनम कछ समझद री थी मोह क इस समय म भी म एक हद िक स वध न

    थ प ई-प ई क तहस ब रखि थ खचय क अाद ज रखि थ

    अपनी रहन-सहन पर मर कछ अाकश थ इस क रण म दख सक तक मझ तकिन खचय

    करन च तहए

    अब िक म कटमबो म रहि थ उसक बदल अपन ही कमर लकर रहन क मन तनिय

    तकय और यह भी िय तकय तक क म क अनस र और अनभव पर पि करन क ततलए अलग-अलग

    महललो म घर बदलि रहाग घर मन ऐसी जगह पर पसनदद तकय तक जह ा स क म की जगह पर

    आध घाट म पदल पहाच ज सक और ग डी-भ ड बच इसस पहल जह ा ज न होि वह ा क

    ग डी-भ ड हमश चक न पडि और घमन क ततलए अलग स समय तनक लन पडि थ अब

    क म पर ज ि हए ही घमन की वयवसथ जम गई और बचि भी हई और इस वयवसथ क क रण

    म रोज आठ-दस मील िक आस नी स घम लि थ ख सकर इस एक आदि क क रण म

    तवल यि म श यद ही कभी बीम र पड होऊा ग मर शरीर क री कस गय कटमब म रहन

    छोडकर मन दो कमर तकर य पर ततलए एक सोन क ततलए और दसर बठक क रप म यह

    फरफ र की दसरी माजजल कही ज सकिी ह िीसर फरफ र अभी होन शष थ

    इस िरह आध खचय बच लतकन समय क कय हो म ज नि थ तक ब ररसटरी की

    परीकष क ततलए बहि पढन जररी नही ह इसततलए मझ बतरकरी थी पर मरी कछची अागरजी मझ

    ःख दिी थी मन सोच मझ ब ररसटर बनन क अल व कछ और भी पढन च तहए ओकसफडय

    कसतमबरज की पढ ई क पि लग य कई ममिो स ममल मन दख तक वह ा ज न स खचय बहि बढ

    ज यग और पढ ई लमबी चलगी म िीन स ल स अमधक रह नही सकि थ तकसी ममि न कह

    ldquoअगर िमह कोई कदठन परीकष ही दनी हो िो िम लनददन की मदरकयलशन प स कर लो उसम

    महनि क री करनी पडगी और स ध रण जञ न बढग खचय तबलकल नही बढग rdquo मझ यह

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    सझ व अछछ लग पर परीकष क तवषय दखकर म चौक लदटन और दसरी एक भ ष अतनव यय

    थी लदटन कस सीखी ज य पर ममि न सझ य ः ldquoवकील क ततलए लदटन बहि उपयोगी ह

    लदटन ज नन व ल क ततलए क़ ननी तकि ब समझन आस न हो ज ि ह और lsquoरोमन लो की

    परीकष म एक परशनपि िो कवल लदटन भ ष म ही होि ह इसक ततसव य लदटन ज नन स अागरजी

    भ ष पर परभतव बढि हrdquo इन सब दलीलो क मझ पर असर हआ मन सोच मतककल हो च ह

    न हो पर लदटन िो सीख ही लनी ह फर च की शर की हई पढ ई को पर करन ह इसततलए

    तनिय तकय तक दसरी भ ष फर च हो मदरकयलशन क एक पर इवहट वगय चलि थ उसम भरिी

    हो गय हर छठ महीन परीकष होिी थी मर प स मतककल स प ाच महीन क समय थ यह क म

    मर बि क ब हर थ पररण म यह हआ तक सभय बनन की जगह म अतयनदि उदयमी तवदय थी बन

    गय समय-पिक बन य एक-एक ममनट क उपयोग तकय पर मरी बजदध य समरण-शतति

    ऐसी नही थी तक दसर तवषयो क अतिररि लदटन और फर च की िय री कर सका परीकष म बठ

    लदटन म फल हो गय ःख िो हआ पर तहममि नही ह र लदटन म रमच पद हो गयी थी मन

    सोच तक दसरी ब र परीकष म बठन स फर च अमधक अछछी हो ज एागी और तवजञ न म नय तवषय

    ल लाग परयोगो क अभ व म रस यनश सि मझ रचि ही न थ यदयतप अब दखि हा तक उसम

    खब रस आन च तहए थ इसततलए लनददन की मदरक क ततलए भी पहली ब र इसी को पसनदद तकय

    थ इस ब र परक श और उषणि (Light और Heat) क तवषय ततलय यह तवषय आस न म न

    ज ि थ मझ भी आस न परिीि हआ

    पनः परीकष दन की िय री क स थ ही रहन-सहन म अमधक स दगी ल न क परयतन शर

    तकय मन अनभव तकय तक अभी मर कटमब की ग़रीबी क अनरप मर जीवन स द नही बन

    ह भ ई की िागी क और उनकी उद रि क तवच रो न मझ वय कल बन ददय जररि पडन पर

    व पस अवकय भज ही दि थ जो लोग हर महीन १५ पौणड य ८ पौणड खचय करि थ उनदह िो

    छ िवततिय ा ममलिी थी म दखि थ तक मझस भी अमधक स दगी स रहन व ल लोग ह म ऐस

    ग़रीब तवदय रथियो क सापकय म ठीक-ठीक आय थ एक तवदय थी लनददन की ग़रीब बसिी म हफि

    क दो ततशसलिग दकर एक कोठरी म रहि थ और लोक टय की कोको की ससिी क न म दो पनी

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    क कोको और रोटी ख कर अपन गज र करि थ उसस सपध य करन की िो मरी शतति नही

    थी पर मन अनभव तकय तक म अवकय ही दो क बदल एक कमर म रह सकि हा और आधी

    रसोई अपन ह थ स भी बन सकि हा इस परक र म हर महीन च र य प ाच पौणड म अपन

    तनव यह कर सकि हा स दी रहन-सहन पर पसिक भी पढ चक थ दो कमर छोड ददय और

    हफि क आठ ततशसलिग पर एक कमर तकर य स ततलय एक अागीठी खरीदी और सबह क भोजन

    ह थ स बन न शर तकय इसम मतककल स बीस ममनट खचय होि थ ओटमील की लपसी बन न

    और कोको क ततलए प नी उब लन म तकिन समय लगि दोपहर क भोजन ब हर कर लि

    और श म को तफर कोको बन कर रोटी क स थ ख लि इस िरह म एक स सव ततशसलिग क

    अनददर रोज क अपन भोजन की वयवसथ करन सीख गय जीवन स द बन ज न स समय

    अमधक बच दसरी ब र परीकष म बठ और प स हआ

    पर प ठक यह न म न तक स दगी स मर जीवन नीरस बन होग उलट इन फरफ रो क

    क रण मरी आनदिररक और ब हय चसथति क बीच एकि पद हई कौटसतमबक चसथति क स थ मरी

    रहन-सहन क मल बठ जीवन अमधक स रमय बन और मर आतम ननदद क प र न रह

    घर स ममठ ई-मस ल बगर जो माग य थ सो लन बनदद कर ददय और मनन दसर मोड

    पकड इस क रण मस लो क परम कम पड गय और जो सबजी ररचमाड म मस ल क अभ व

    म बसव द म लम होिी थी वह अब ततसरय उब ली हई सव ददषट लगन लगी ऐस अनक अनभवो स

    मन यह सीख तक सव द क सछच सथ न जीभ नही पर मन ह

    आरथिक दतषट िो मर स मन थी ही उन ददनो एक पाथ ऐस थ जो च य-कोफी को

    ह तनक रक म नि थ और कोको क समथयन करि थ म यह समझ चक थ तक कवल उनदही

    वसिओ क सवन करन योगय ह जो शरीर-वय प र क ततलए आवकयक ह इस क रण मखयिः

    मन च य और कोफी क तय ग तकय और कोको को अपन य

    परयोगो क स थ उप-परयोग िो बहि हए कभी सट चय व ल आह र छोड कभी ततसरय

    ड ल-रोटी और फल पर ही रह और कभी पनीर दध और अाडो क ही सवन तकय

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    यह आखखरी परयोग उललखनीय ह यह पनद रह ददन भी नही चल सट चय-रतहि आह र क

    समथयन करन व लो न अाडो की खब सिति की थी और यह ततसदध तकय थ तक अाड म ास नही ह

    यह िो सपषट ही ह तक अाड ख न म तकसी जीतवि पर णी को ःख नही पहाचि इस दलील क

    भल व म आकर मन म ि जी क सममख की हई परतिजञ क रहि भी अाड ख य पर मर वह मोह

    कषकषणक थ परतिजञ क नय अथय करन क मझ अमधक र न थ अथय िो परतिजञ कर न व ली

    म ि क ही म न ज सकि थ म ास न ख न की परतिजञ कर न व ली म ि को अाडो क िो

    खय ल ही नही हो सकि थ इस म ज नि थ इस क रण परतिजञ क रहसय क बोध होि ही

    मन अाड छोड और परयोग भी छोड

    इस समय िक क मर परयोग आरथिक और आरीगय की दतषट स होि थ तवल यि म उनदहोन

    ध रमिक सवरप गरहण नही तकय थ ध रमिक दतषट स मर कदठन परयोग दकषकषण अफ़रीक म हए

    जजनकी छ न-बीन आग करनी होगी

    मझम नवधमी क जोश आ गय थ इस क रण उस समय म जजस बसिी म रहि थ

    उसम मन अनदन ह री मणडल की सथ पन करन क तनिय तकय इस बसिी क न म बजवोटर

    थ इसम सर एडतवन आनयलड रहि थ मन उनदह उपसभ पति बनन को तनमातिि तकय व बन

    डो ओलडफीलड सभ पति बन म मािी बन यह सासथ कछ समय िक िो अछछी चली पर कछ

    महीनो क ब द इसक अनदि हो गय कयोतक मन अमक मददि क ब द अपन ररव ज क अनस र

    वह बसिी छोड दी पर इस छोट और अलप अवमध क अनभव स मझ सासथ ओ क तनम यण करन

    और उनदह चल न क कछ अनभव पर पि हआ

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    १३ लजजाशीलता - मरी ढाल

    अननाहारी मणडल की क ययक ररणी म मझ चन िो ततलय गय थ और उसम म हर ब र ह जजर

    भी रहि थ पर बोलन क ततलए जीभ खलिी ही न थी

    म कह सकि हा तक मर यह शरमील सवभ व दकषकषण अफ़रीक पहाचन पर ही दर हआ

    तबलकल दर हो गय ऐस िो आज भी नही कह ज सकि बोलन स बच ज सक िो जरर

    बच ज ि हा तबन पवय िय री क बोलन यह मर ततलए असाभव थ अपन इस शरमील सवभ व

    क क रण मरी फजीहि िो हई पर मर कोई नक़स न नही हआ बचलक अब िो म दख सकि हा

    तक मझ फ यद हआ ह पहल बोलन क यह साकोच मर ततलए ःखकर थ अब वह सखकर हो

    गय ह एक बड र यद िो यह हआ तक म शबदो क ममिवयय करन सीख

    अनभव न मझ यह भी ततसख य ह तक सतय क परतयक पज री क ततलए मौन क सवन इषट

    ह मनषय ज न-अनज न भी पर यः अतिशयोतति करि ह अथव जो कहन योगय ह उस मछप ि

    ह य दसर ढाग स कहि ह ऐस साकटो स बचन क ततलए भी ममिभ षी होन आवकयक ह कम

    बोलन व ल तबन तबच र नही बोलग वह अपन परतयक शबद को िौलग अकसर मनषय बोलन

    क ततलए अधीर हो ज ि ह इन सब लोगो क बोलन स तनय को ल भ होि हो ऐस कवमचि

    ही प य ज ि ह पर उिन समय की बरब दी िो सपषट ही दखी ज सकिी ह इसततलए यदयतप

    आरमभ म मझ अपनी लजज शीलि ःख दिी थी यह लजज शीलि मरी ढ ल थी उसस मझ

    पररपकव बनन क ल भ ममल सतय की अपनी पज म मझ उसस सह यि ममली

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    १४ असतयरपी नवष

    चालीस स ल पहल तवल यि ज न व ल तहनदसि नी तवदय थी आज की िलन म कम थ सवया

    तवव तहि होन पर भी अपन को का आर बि न क उनम ररव ज-स पड गय थ उस दश म सकल

    य कोलज म पढन व ल कोई तवदय थी तवव तहि नही होि तवव तहि क ततलए तवदय थी-जीवन नही

    होि भ रि क यवको को यह सवीक र करि हए शरम म लम होिी ह तक व तवव तहि ह तवव ह

    की ब ि मछप न क दसर एक क रण यह ह तक अगर तवव ह परकट हो ज य िो जजस कटमब म

    रहि ह उसकी जव न लडतकयो क स थ घमन-तफरन और हासी-मज क करन क मौक़ नही

    ममलि यह हासी-मज क अमधकिर तनदोष होि ह म ि -तपि इस िरह की ममिि पसनदद भी

    करि ह वह ा यवक और यवतियो क बीच ऐस सहव स की आवकयकि भी म नी ज िी ह

    कयोतक वह ा िो परतयक यवक को अपनी सहधमयच ररणी सवया खोज लनी होिी ह अिएव

    तवल यि म जो समबनदध सव भ तवक म न ज ि ह उस तहनदसि न क नवयवक तवल यि पहाचि

    ही जोडन शर कर द िो पररण म भयाकर ही होग कई ब र ऐस पररण म परकट भी हए ह

    तफर भी हम र नवयवक इस मोतहनी म य म फा स पड थ हम र नवयवको न उस सोहबि क

    ततलए असतय चरण पसनदद तकय जो अागरजो की दतषट स तकिनी ही तनदोष होि हए भी हम र ततलए

    तय जय ह इस फा द म म भी फा स गय तवव तहि और एक लडक क ब प होि हए भी मन अपन

    को का आर बि न म साकोच नही तकय पर इसक सव द मन थोड ही चख

    बटनर म जजस पररव र म म रहि थ वस पररव र म घर की बटी हो िो वह सभयि क

    तवच र स ही सही मर सम न तवदशी को घमन ल ज िी म लतकन की लडकी मझ बटनर क

    आसप स की सनददर पह मडयो पर ल गयी वस मरी च ल कछ धीमी नही थी पर उसकी च ल

    मझस भी िज थी इसततलए मझ उसक पीछ पीछ घततसटन पड वह िो र सिभर ब िो क फवव र

    उड िी चली जब तक मर माह स कभी ह ा य कभी न की आव ज भर तनकलिी थी बहि

    हआ िो तकिन सनददर ह कह ददि इसस जय द बोल न प ि वह िो हव म उडिी ज िी

    और म यह सोचि रहि तक व पस घर कब पहाचाग इिन म हम एक पह डी की चोटी पर ज

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    खड हए पर अब उिर कस ज य अपन ऊा ची एडी व ल बटो क ब वजद बीस-पचीस स ल की

    वह रमणी तबजली की िरह ऊपर स नीच उिर गयी जब तक म शरममिद होकर अभी यही सोच

    रह थ तक ढ ल कस उिर ज एा वह नीच खडी हासिी ह मझ तहममि बाध िी ह ऊपर आकर

    ह थ क सह र दकर नीच ल ज न को कहिी ह म इिन पसितहममि िो कस बनि मतककल

    स पर जम ि हआ कही कछ बठि हआ म नीच उिर उसन मज क म lsquoश बब शrsquo

    कहकर मझ शरम य हए को और अमधक शरममिद तकय इस िरह क मज क स मझ शरममिद

    करन क उस हक थ

    लतकन हर जगह म इस िरह कस बच प ि ईशवर मर अनददर स असतय क तवष तनक लन

    च हि थ बटनर की िरह ही बर इटन भी समर-तकन र हव खोरी क मक म ह एक ब र म वह ा

    गय थ जजस होटल म म ठहर थ उसम स ध रण खशह ल चसथति की एक तवधव बदढय भी

    हव खोरी क ततलए आकर दटकी थी यह मर पहल वषय क समय थ ndash बटनर क पहल क यह ा

    सची म ख न की सभी चीजो क न म फर च भ ष म ततलख थ म उनदह समझि न थ म बदढय

    व ली मज पर ही बठ थ बदढय न दख तक म अजनबी हा और कछ परश नी म भी हा िरनदि

    ही वह सह यि क ततलए आई

    ldquoिम अजनबी-स म लम होि हो तकसी परश नी म भी हो अभी िक कछ ख न को भी

    नही माग य हrdquo

    म भोजन क पद थो की सची पढ रह थ और परोसन व ल स पछन की िय री कर रह

    थ इसततलए मन उस भर मतहल को धनदयव द ददय और कह ldquoयह सची मरी समझ म नही आ

    रही ह म अनदन ह री हा इसततलए यह ज नन जररी ह तक इनम स कौनसी चीज तनदोष हrdquo

    उस मतहल न कह ldquoिो लो म िमह री मदद करिी हा और सची समझ दिी हा िमह र

    ख न ल यक चीज म िमह बि सका गीrdquo

    मन धनदयव दपवयक उसकी सह यि सवीक र की यह ा स हम र जो समबनदध जड सो मर

    तवल यि म रहन िक और उसक ब द भी बरसो िक बन रह उसन मझ लनददन क अपन पि

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    ददय और हर रतवव र को अपन घर भोजन क ततलए आन को नदयोि वह दसर अवसरो पर भी

    मझ अपन यह ा बल िी थी परयतन करक मर शरमील पन छड िी थी जव न सतसियो स ज न-

    पहच न कर िी थी और उनस ब िचीि करन को ललच िी थी उसक घर रहन व ली एक सिी क

    स थ बहि ब ि करव िी थी कभी-कभी हम अकल भी छोड दिी थी

    आरमभ म मझ यह सब बहि कदठन लग ब ि करन सझि न थ तवनोद भी कय तकय

    ज ए पर वह बदढय मझ परवीण बन िी रही म ि लीम प न लग हर रतवव र की र ह दखन

    लग उस सिी क स थ ब ि करन भी मझ अछछ लगन लग

    बदढय भी मझ लभ िी ज िी उस इस साग म रस आन लग उसन िो हम दोनो क तहि

    ही च ह होग

    अब म कय करा मन सोच कय यह अछछ होि अगर म इस भर मतहल स अपन

    तवव ह की ब ि कह दि उस दश म कय वह च हिी तक तकसी क स थ मर बय ह हो अब भी

    दर नही हई ह म सच-सच कह दा िो अमधक साकट स बच ज ऊा ग यह सोचकर मन उस एक

    पि ततलख अपनी समति क आध र पर नीच उसक स र दि हा

    ldquoजबस हम बर इटन म ममल आप मझ पर परम रखिी रही ह म ा जजस िरह अपन बट की

    मचनदि रखिी ह उसी िरह आप मरी मचनदि रखिी ह आप िो यह भी म निी ह तक मझ बय ह

    करन च तहए और इसी खय ल स आप मर पररचय यवतियो स कर िी ह ऐस समबनदध क

    अमधक आग बढन स पहल ही मझ आपस यह कहन च तहए तक म आपक परम क योगय नही हा

    म आपक घर आन लग िभी मझ आप स यह कह दन च तहए थ तक म तवव तहि हा म ज नि

    हा तक तहनदसि न क जो तवदय थी तवव तहि होि ह व इस दश म अपन बय ह की ब ि परकट नही

    करि इसस मन भी उस ररव ज क अनकरण तकय पर अब म दखि हा तक मझ अपन तवव ह

    की ब ि तबलकल मछप नी नही च तहए थी मझ स थ म यह भी कह दन च तहए तक मर बय ह

    बचपन म हआ ह और मर एक लडक भी ह आप स इस ब ि को मछप न क अब मझ बहि

    ःख होि ह पर अब भगव न न सच कह दन की तहममि दी ह इसस मझ आननदद होि ह कय

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    आप मझ म र करगी जजस बहन क स थ आपन मर पररचय कर य ह उसक स थ मन कोई

    अनमचि छट नही ली इसक तवशव स म आपको ददल ि हा मझ इस ब ि क पर -पर खय ल

    ह तक मझ ऐसी छट नही लनी च तहए पर आप िो सव भ तवक रप स यह च हिी ह तक तकसी

    क स थ मर समबनदध जड ज ए आपक मन म यह ब ि आग न बढ इसक ततलए भी मझ आपक

    स मन सतय परकट कर दन च तहए

    ldquoयदद इस पि क ममलन पर आप मझ अपन यह ा आन क ततलए अयोगय समझगी िो मझ

    उसस जर भी बर नही लगग आपकी ममि क ततलए िो म आपक मचरॠणी बन चक हा

    मझ सवीक र करन च तहए तक अगर आप मर तय ग न करगी िो मझ खशी होगी यदद अब भी

    आप मझ अपन घर आन योगय म नगी िो उस म आपक परम की एक नई तनश नी समझाग और

    उस परम क योगय बनन क सद परयतन करि रहाग rdquo

    प ठक समझ ल तक यह पि मन कषणभर म नही ततलख ड ल थ न ज न तकिन मसतवद

    िय र तकय होग पर यह पि भजकर मन अपन सर क एक बड बोझ उि र ड ल

    लगभग लौटिी ड क स मझ उस तवधव बहन क उिर ममल उसन ततलख थ

    ldquoखल ददल स ततलख िमह र पि ममल हम दोनो खश हई और खब हसी िमन जजस

    असतय स क म ततलय वह िो कषम क योगय ही ह पर िमन अपनी सही चसथति परकट कर दी यह

    अछछ ही हआ मर नदयोि क यम ह अगल रतवव र को हम अवकय िमह री र ह दखग िमह र

    ब ल-तवव ह की ब ि सनग और िमह र मज क उड न क आननदद भी लटग तवशव स रखो तक

    हम री ममिि िो जसी थी वसी ही रहगीrdquo

    इस परक र मन अपन अनददर घस हए असतय क तवष को ब हर तनक ल ददय और तफर िो

    अपन तवव ह आदद की ब ि करन म मझ कही घबर हट नही हई

    बहि करक मर तवल यि-तनव स क आखखरी स ल म य नी १८९० क स ल म पोटयसमथ

    म अनदन ह ररयो क एक सामलन हआ थ उसम मझ और एक तहनदसि नी ममि को तनमातिि

    तकय गय थ

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    पोटयसमथ खल ततसयो क बनददरग ह कहल ि ह वह ा बहिर घर र च ररणी सतसियो क होि

    ह व सतसिय ा वकय नही होिी न तनदोष ही होिी ह ऐस ही एक घर म हम लोग दटक थ इसक

    यह मिलब नही तक सव गि-सममति न ज न-बझकर ऐस घर ठीक तकय थ

    र ि पडी हम सभ स घर लौट भोजन क ब द ि श खलन बठ तवल यि म अछछ भल

    घरो म भी इस िरह गतहणी महम नो क स थ ि श खलन बठिी ह ि श खलि हए तनदोष तवनोद

    िो सब कोई करि ह लतकन यह ा िो बीभतस तवनोद शर हआ म नही ज नि थ तक मर स थी

    इसम तनपण ह मझ इस तवनोद म रस आन लग म भी इसम शरीक हो गय व णी म स तकरय

    म उिरन की िय री थी ि श एक िरफ धर ही ज रह थ लतकन मर भल स थी क मन म र म

    बस उनदहोन कह ldquoअर िम म यह कततलयग कस िमह र यह क म नही ह िम यह ा स भ गोrdquo

    म शरम य स वध न हआ हदय म उन ममि क उपक र म न म ि क सममख की हई

    परतिजञ य द आयी म भ ग क ापि -क ापि अपनी कोटरी म पहाच छ िी धडक रही थी

    क तिल क ह थ स बचकर तनकल हए ततशक र की जसी दश होिी ह वसी ही मरी हई

    उन ददनो म यह तबलकल नही ज नि थ तक धमय कय ह ईशवर कय ह और वह हम म

    तकस परक र क क म करि ह उस समय िो लौतकक हतषट स म यह समझ तक ईशवर न मझ बच

    ततलय ह मन यह अनभव तकय ह तक जब हम स री आश छोडकर बठ ज ि ह हम र दोनो ह थ

    दटक ज ि ह िब कही-न-कही स मदद आ पहाचिी ह सिति उप सन पर थयन वहम नही ह

    बचलक हम र ख न -पीन चलन -बठन जजिन सच ह उसस भी अमधक सच यह चीज ह यह

    कहन म अतिशयोतति नही तक यही सच ह और सब झठ ह

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    १५ धमो का पररचय

    नवलायत म रहि मझ कोई एक स ल हआ होग इस बीच दो ततथयोसोतफसट ममिो स मरी पहच न

    हई दोनो सग भ ई थ और अतवव तहि थ उनदहोन मझस गीि जी की चच य की व एडतवन आनयलड

    क गीि जी क अनव द धी सोग कषसरलशयरल पढ रह थ पर उनदहोन मझ अपन स थ सासकि म

    गीि पढन क ततलए नदयोि म शरम य कयोतक मन गीि सासकि म य म िभ ष म (गजर िी

    म) पढी ही नही थी मझ उनस कहन पड तक मन गीि पढी ही नही ह पर म उस आपक स थ

    पढन को िय र हा सासकि क मर अभय स भी नही क बर बर ही ह म उस इिन ही समझ

    प ऊा ग तक अनव द म कोई ग़लि अथय होग िो उस सध र सका ग इस परक र मन उन भ इयो

    क स थ गीि पढन शर तकय दसर अधय य क अातिम शलोको म स

    धय यिो तवषय नदपासः सागसिषपज यि

    साग तसाज यि क मः क म तकरोधोऽकषभज यि

    करोध द भवति सममोहः सममोह तसमतितवभरमः

    समतिभराश द बजदधन शो बजदधन श तपरणकयति६

    इन शलोको क मर मन पर गहर असर पड उनकी भनक मर क न म गाजिी ही रही

    उस समय मझ लग तक भगवदगीि अमलय गराथ ह यह म नदयि धीर-धीर बढिी गयी और आज

    िततवजञ न क ततलए म उस सवोिम गरनदथ म नि हा तनर श क समय म इस गरनदथ न मरी अमलय

    सह यि की ह

    इनदही भ इयो न मझ सझ य तक म आनयलड क बदध-चररि धी रलाईट ओफ एकषशया पढ ा

    उस समय िक िो मझ सर एडतवन आनयलड क गीि क अनव द क ही पि थ मन बदध-चररि

    भगवदगीि स भी अमधक रस-पवयक पढ पसिक ह थ म लन क ब द उस सम पि करक ही छोड

    सक

    एक ब र य भ ई मझ बलवटसकी लोज म भी ल गय वह ा मडम बलवटसकी क और ममसज

    एनी बसट क दशयन कर य ममसज बसट ह ल ही ततथयोसोतफकल सोस यटी म द खखल हई थी

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    इसस सम च रपिो म इस समबनदध की जो चच य चलिी थी उस म ददलचसपी क स थ पढ करि

    थ इन भ इयो न मझ सोस यटी म द खखल होन क भी सझ व ददय मन नमरि पवयक इनक र

    तकय और कह ldquoमर धमयजञ न नही क बर बर ह इसततलए म तकसी भी पाथ म ससतममततलि होन

    नही च हि rdquo मर कछ ऐस खय ल ह तक इनदही भ इयो क कहन स मन बलवटसकी की पसिक

    की ट कषथयोसोफी (ततथयोसोफी की का जी) पढी थी उसस तहनदद धमय की पसिक पढन की इछछ

    पद हई और प दररयो क माह स सन हआ यह खय ल ददल स तनकल गय तक तहनदद धमय

    अनदधतवशव सो स ही भर हआ ह

    इनदही ददनो एक अनदन ह री छ ि व स म मझ मचसटर क एक ईस ई सजजन ममल उनदहोन

    मझस धमय की चच य की मन उनदह र जकोट क अपन सासमरण सन य व सनकर ःखी हए

    उनदहोन कह ldquoम सवया अनदन ह री हा मदयप न भी नही करि यह सच ह तक बहि स ईस ई म ास

    ख ि ह और शर ब पीि ह पर इस धमय म दो म स एक भी वसि क सवन करन कियवय-रप

    नही ह मरी सल ह ह तक आप ब इबल७ पढrdquo मन उनकी यह सल ह म न ली उनदहोन ब इबल

    खरीद कर मझ दी मन उस पढन शर तकय पर म परािा इकरार (ओलड टसट मणट) िो पढ

    ही न सक जिकषसस ndash सतषट-रचन ndash क परकरण क ब द िो पढि समय मझ नीद ही आ ज िी

    मझ य द ह तक lsquoमन ब इबल पढी हrsquo यह कह सकन क ततलए मन तबन रस क और तबन समझ

    दसर परकरण बहि कषट-पवयक पढ थ नमबसय न मक परकरण पढि-पढि मर जी उचट गय

    पर जब lsquoनय इकर रrsquo८ (नदय टसट मणट) पर आय िो कछ और ही असर हआ ईस क

    तगरर-परवचन क मझ पर बहि अछछ परभ व पड उस मन हदय म बस ततलय बजदध न गीि जी

    क स थ उसकी िलन की जो िझस कि य म ाग उस अागरख भी द-द जो िर द तहन ग ल पर

    िम च म र ब य ा ग ल भी उसक स मन कर दrsquo ndash यह पढकर मझ अप र आननदद हआ श मळ

    भटट९ क छपपय की य द आ गयी ldquoजो आपको जल दि ह उसको अछछ भोजन दrdquo आदद मर

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    ब लमन न गीिा आनयलड-कि बदध-चररि और ईस क वचनो क एकीकरण तकय मन को यह

    ब ि जाच गयी तक तय ग म धमय ह

    म धमय क इस पररचय स आग न बढ सक अपनी परीकष की पसिको क अल व दसर

    कछ पढन की फरसि म नही तनक ल सक पर मर मनन यह तनिय तकय तक मझ धमय-पसिक

    पढनी च तहए और सब मखय धमो क पररचय पर पि कर लन च तहए

    ____________________________

    ६ तवषयो क मचनदिन करन व ल परष को उन तवषयो म आसतति पद होिी ह तफर आसतति स क मन पद

    होिी ह और क मन स करोध पद होि ह करोध स मढि पद होिी ह मढि स समति-लोप होि ह और समति-

    लोप स बजदध नषट होिी ह और जजसकी बजदध नषट हो ज िी ह उसक खद क न श हो ज ि ह

    ७ ईस ईओ क धमयपसिक यह दो तवभ गो म बाट ndash परथम परािा इकरार lsquoउसम इस खखसि क जनदम स पवय क

    समय क कछ गराथो क सम वश तकय गय ह जजसकी शरआि होिी ह जिकषसस ndash सकषिमडि स दसर खाड

    ह lsquoनय इकर र क इस खखसि क जनदम क उपर नदि क समय क गराथो क परथम च र गराथो को गोसपलस कह ज ि

    ह उसम इसक जीवन िथ परवचनो क सागरह ह

    ८ इस क परवचन पह ड पर ददय गय थ दख मरथय पर ५ स ७

    ९ श मळ भटट १८वी सदी म गजर िी क एक परततसदध कतव हो गय ह छपपय पर उनक जो परभतव थ उसक

    क रण गजर ि म यह कह वि परचततलि हो गयी ह तक छपपय िो श मळ कrsquo

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    भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

    १६ वापस नहनदसतान म

    परीिाय प स करक म १० जन १८९१ क ददन ब ररसटर कहल य ११ जन को ढ ई ततशसलिग

    दकर इागलणड क ह ईकोटय म अपन न म दजय कर य और १२ जन को तहनदसि न क ततलए रव न

    हआ

    पर मरी तनर श और मर भय की कोई सीम न थी म वक ल ि कर सका ऐस िो मझ

    कछ भी नही आि थ ऐस महसस हआ मन अनभव तकय तक क़ नन िो म तनिय ही पढ

    चक हा पर ऐसी कोई भी चीज मन सीखी नही ह जजसस म वक लि कर सका

    इिन ही नही बचलक तहनद सि न क क़ नन िो म मददल ही नही ज नि थ तहनद श सि

    इसल मी क़ नन कस होग यह भी नही ज नि थ न म अरजी द व करन भी सीख म िो बहि

    ही परश न हआ वकील की हततसयि स आजीतवक कम न की शतति पर पि करन म भी मझ मह

    आशाक उतपनदन हई

    एडन स बमबई क बनददर म समर िर नी थ सब लोग बीम र थ अकल म मौज म थ

    िर न दखन क ततलए डक पर खड रहि भीग भी ज ि

    मर तवच र म ब हर क यह िर न मर अनददर क िर न क मचहनरप थ पर जजस िरह

    ब हरी िर न क रहि म श नदि रह सक मझ लगि ह तक अनददर क िर न क ततलए भी वही ब ि

    कही ज सकिी ह

    म म ा क दशयनो क ततलए अधीर हो रह थ जब हम घ ट पर पहाच मर बड भ ई वह ा

    मौजद ही थ

    म ि क सवगयव स क मझ कछ पि न थ बड भ ई न म ि क सवगयव स क सम च र

    मझ नही ददय थ मझ यह खबर तवल यि म ही ममल सकिी थी पर आघ ि को हलक करन क

    तवच र स बमबई पहाचन िक मझ इसकी कोई खबर न दन क तनिय बड भ ई न कर रख थ

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    म अपन ःख पर पद य ड लन च हि हा तपि की मतय स मझ जो आघ ि पहाच थ उसकी

    िलन म म ि की मतय की खबर स मझ बहि अमधक आघ ि पहाच मर बहिर मनोरथ ममटटी

    म ममल गय पर मझ य द ह तक इस मतय क सम च र सनकर म फट-फटकर रोय न थ म अपन

    आासओ को भी रोक सक थ और भन अपन रोज क क मक ज इस िरह शर कर ददय थ

    म नो म ि की मतय हई ही न हो

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    १७ ससार-परवश

    मरी समरय ि को लकर ज ति क झगड मौजद ही थ उसम दो िड पड गयी थी एक पकष न

    मझ िरनदि ज ति म ल ततलय दसर पकष न लन पर डट रह

    ज ति की जजस िड स म बतहषकि रह उसम परवश करन क परयतन मन कभी नही तकय

    न मन ज ति क तकसी मखखय क परति मन म कोई रोष रख उनक स थ म नमरि क बरि व

    करि थ ज ति क बतहषक र-समबनदधी क़ नन क म समपणय आदर करि थ अपन स स-ससर

    क घर अथव अपनी बहन क घर म प नी िक न पीि थ व मछप िौर पर तपल न को िय र भी

    होि पर जो क म खल िौर स न तकय ज सक उस मछपकर करन क ततलए मर मन ही िय र न

    होि थ

    मर इस वयवह र क पररण म यह हआ तक ज ति की ओर स मझ कभी कोई कषट नही

    ददय गय यही नही बचलक आज िक म ज ति क एक तवभ ग म तवमधवि बतहषकि म न ज ि

    हा उसक ततलए परवश क मन कभी परय स नही तकय िथ ज ति क तकसी भी शठ क तवरदध मन

    अपन मन म भी रोष की भ वन न रखी मर परति तिरसक र स दखन व ल भी सम ज म थ उनक

    परति म आदर क स थ पश आि थ मझस यह आश िक नही रखी तक ज ति क ततलए म कछ-

    न-कछ करा म ऐस म नि हा तक यह मधर फल मर अपरतिक र क ही पररण म ह यदद मन

    ज ति म ससतममततलि होन की खटपट की होिी अमधक िड पद करन क परयतन तकय होि ज ति

    व लो को छड -मचढ य होि िो व अवकय मर तवरोध करि और म तवल यि स लौटि ही

    उद सीन और अततलपि रहन क सथ न पर खटपट क फनदद म फा स ज ि और कवल ममरथय तव क

    पोषण करन व ल बन ज ि

    र जकोट म िरनदि धनदध शर करि हा िो हासी होिी ह मर प स जञ न िो इिन भी न थ

    तक र जकोट म प स हए वकील क मक बल म खड हो सका तिस पर फीस उसस दस गनी लन

    क द व कौन मखय मवचककल मझ क म दि अथव कोई ऐस मखय ममल भी ज य िो कय म

    अपन जञ न म धषटि और तवशव सघ ि की वजदध करक अपन ऊपर सास र क ऋण और बढ ला

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    ममिो की सल ह यह रही तक मझ कछ समय क ततलए बमबई ज कर ह ईकोटय की वक लि

    क अनभव पर पि करन और तहनदसि न क क़ नन क अधययन करन च तहए और कोई मक़ददम

    ममल सक िो उसक ततलए कोततशश करनी च तहए म बमबई क ततलए रव न हआ

    लतकन म च र-प ाच महीन स अमधक बमबई म रह ही न सकि थ कयोतक खचय बढि

    ज ि थ और आमदनी कछ भी न थी

    इिन म मझ ममीब ई क मक़ददम ममल समोल कोज कोटय (छोटी अद लि) म ज न थ

    मझस कह गय ldquoदल ल को कमीशन दन पडग rdquo मन स र इनक र कर ददय

    म टस-स-मस न हआ कमीशन मन नही ही ददय तफर भी ममीब ई क मक़ददम िो मझ

    ममल मक़ददम आस न थ मझ बरीफ क (महनि न क) र ३० ममल मक़ददम एक ददन स

    जय द चलन व ल न थ

    मन पहली ब र समोल कोज कोटय म परवश तकय म परतिव दी की िरफ स थ इसततलए

    मझ जजरह करनी थी म खड िो हआ पर पर क ापन लग ततसर चकर न लग मझ ऐस लग

    म नो अद लि घम रही ह सव ल कछ सझि ही न थ जज हास होग वकीलो को िो मज

    आय ही होग पर मरी आाखो क स मन िो अाधर थ ndash म दखि कय

    म बठ गय दल ल स कह ldquoमझस यह मक़ददम नही चल सकग आप पटल को

    सौतपय मझ दी हई फीस व पस ल लीजजएrdquo

    पटल को उसी ददन क ५१ रपय दकर वकील तकय गय उनक ततलए िो वह एक बछचो

    क खल थ

    म भ ग मझ य द नही तक मवचककल जीि य ह र म शरम य मन तनिय तकय तक

    जब िक परी तहममि न आ ज य कोई मक़ददम न लाग

    मन सोच तक म ततशकषक क क म िो अवकय ही कर सकि हा मन अागरजी क अभय स

    क री तकय थ अिएव मन सोच तक यदद तकसी ह ईसकल म मदरक की ककष म अागरजी ततसख न

    क क म ममल ज य िो कर ला खचय क गडढ कछ िो भर

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    मन अखब रो म तवजञ पन पढ ldquoआवकयकि ह अागरजी ततशकषक की परतिददन एक घाट

    क ततलए विन र० ७५rdquo यह एक परततसदध ह ईसकल क तवजञ पन थ मन पर थयन -पि भज मझ

    परतयकष ममलन की आजञ हई म बडी उमागो क स थ ममलन गय पर जब आच यय को पि चल

    तक म बी० ए० नही हा िो उनदहोन मझ खदपवयक तबद कर ददय

    ldquoपर मन लनददन की मदरकयलशन परीकष प स की ह लदटन मरी दसरी भ ष थीrdquo मन

    कह

    ldquoसो ठीक ह पर हम िो गरजयएट की ही आवकयकि हrdquo

    म ल च र हो गय मरी तहममि छट गयी बड भ ई भी मचननदिि हए हम दोनो न सोच

    तक बमबई म अमधक समय तबि न तनरथयक ह मझ र जकोट म ही जमन च तहए

    बमबई स तनर श होकर म र जकोट पहाच वह ा अलग दफिर खोल ग डी कछ चली

    अरजिय ा ततलखन क क म ममलन लग और हर महीन औसि र ३०० की आमद नी होन लगी

    अजी-द व ततलखन क यह क म मझ मरी होततशय री क क रण नही ममलन लग थ क रण थ

    वसील बड भ ई क स थ क म करन व ल वकील की वक लि जमी हई थी उनक प स जो

    बहि महततव क अजी-द व आि अथव जजनदह व महततव क म नि उनक क म िो बड ब ररसटर

    क प स ही ज ि थ उनक ग़रीब मवचककलो क अजी-द व ततलखन क क म मझ ममलि थ

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    १८ पहला आघात

    पोरबदर क भिपवय र ण स हब को गददी ममलन स पहल मर भ ई उनक मािी और सल हक र थ

    उन पर इस आशय क आरोप लग य गय थ तक उन ददनो उनदहोन र ण स हब को ग़लि सल ह

    दी थी उस समय क पोततलदटकल एजणट क प स यह ततशक यि पहाची थी और मर भ ई क ब रम

    उनक खय ल खर ब हो गय थ इस अमधक री स म तवल यि म ममल थ कह सकि हा तक

    वह ा उनदहोन मझस अछछी दोसिी कर ली थी भ ई न सोच तक इस पररचय क ल भ उठ कर मझ

    पोततलदटकल एजणट स दो शबद कहन च तहए और उन पर जो खर ब असर पड ह उस ममट न

    की कोततशश करनी च तहए मझ ब ि तबलकल अछछी न लगी मन सोच मझको तवल यि क

    न-कछ-स पररचय क ल भ नही उठ न च तहए अगर मर भ ई न कोई बर क म तकय ह िो

    ततसर ररश स कय होग अगर नही तकय ह िो व तवमधवि पर थयन -पि भज अथव अपनी

    तनदोषि पर तवशव स रखकर तनभयय रह यह दलील भ ई क गल न उिरी उनदहोन कह ldquoिम

    क दठय व ड को नही ज नि तनय द री अभी िमह सीखनी ह यह ा िो वसील स स र क म

    चलि ह िमह र सम न भ ई अपन पररमचि अमधक री स ततसर ररश क दो शबद कहन क मौक़

    आन पर दर हट ज य िो यह उमचि नही कह ज एग rdquo

    म भ ई की इछछ को ट ल नही सक अपनी मजी क खखल र म गय अरसर क प स

    ज न क मझ कोई अमधक र न थ मझ इसक खय ल थ तक ज न म मर सव कषभम न नषट होग

    तफर भी मन उसस ममलन क समय म ाग मझ समय ममल और म ममलन गय पर न पररचय

    क समरण कर य पर मन िरनदि ही दख तक तवल यि और क दठय व ड म रक़य ह अपनी कसी

    पर बठ हए अरसर और छटटी पर गय हए अरसर म भी रक़य होि ह अमधक री न पररचय की

    ब ि म न ली पर इसक स थ ही वह अमधक अकड गय मन उसकी अकड म दख और आाखो

    म पढ म नो व कह रही हो तक उस पररचय क ल भ उठ न क ततलए िो िम नही आय हो न

    यह समझि हए भी मन अपनी ब ि शर की स हब अधीर हो गय बोल ldquoिमह र भ ई परपाची

    ह म िमस जय द ब ि सनन नही च हि मझ समय नही ह िमह र भ ई को कछ कहन हो

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    िो व तवमधवि पर थयन -पि दrdquo यह उिर पय यपि थ यथ थय थ पर ग़रज िो ब वली होिी ह न

    म अपनी ब ि कह ज रह थ स हब उठ ldquoअब िमह ज न च तहएrdquo

    मन कह ldquoपर मरी ब ि िो परी सन लीजजएrdquo

    स हब खब मचढ गय ldquoचपर सी इस दरव ज ददख ओrdquo

    चपर सी न मझ ह थ स धकक दकर दरव ज क ब हर कर ददय

    स हब गय चपर सी गय म चल अकल य खीझ मन िरनदि एक पि घसीट

    ldquoआपन मर अपम न तकय ह चपर सी क जररय मझ पर हमल तकय ह आप म री नही

    म गग िो म आप पर म नह तन क तवमधवि द व करा ग rdquo थोडी ही दर म स हब क सव र

    जव ब द गय उसक स र यह थ

    ldquoिमन मर स थ असभयि क वयवह र तकय ज न क ततलए कहन पर भी िम नही गय

    इसस मन जरर अपन चपर सी को िमह दरव ज ददख न क ततलए कह चपर सी क कहन पर

    भी िम दफिर स ब हर नही गय िब उसन िमह दफिर स ब हर कर दन क ततलए आवकयक बल

    क उपयोग तकय िमह जो करन हो सो करन क ततलए िम सविनदि होrdquo

    यह जब ब जब म ड लकर म माह लटक य घर लौट भ ई को स र ह ल सन य व ःखी

    हए पर व मझ कय िसलली दि उनदहोन वकील ममिो स चच य की म कौन द व द यर करन

    ज नि थ उन ददनो सर फीरोजश ह महि अपन तकसी मक़ददम क ततसलततसल म बमबई स

    र जकोट आय हए थ मर जस नय ब ररसटर उनस कस ममल सकि थ पर उनदह बल न व ल

    वकील क दव र पि भजकर मन उनकी सल ह पछव यी उनक उिर थ ldquoग ाधी स कतहय ऐस

    अनभव िो सब वकील-ब ररसटरो को हए होग िम अभी नय ही हो तवल यि की खम री अभी

    िम पर सव र ह िम अागरज अमधक ररयो को पहच नि नही हो अगर िमह सख स रहन हो और

    दो पस कम न हो िो ममली हई मचटठी फ ड ड लो और जो अपम न हआ ह उस पी ज ओ म मल

    चल न स िमह एक प ई क भी ल भ न होग उलट िम बरब द हो ज ओग िमह अभी जीवन

    क अनभव पर पि करन हrdquo

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    मझ यह ततसख वन जहर की िरह कडवी लगी पर उस कडवी घाट को पी ज न क ततसव

    और कोई उप य न थ म अपम न को भल िो न सक पर मन उसक सपयोग तकय मन

    तनयम बन ततलय ldquoम तफर कभी अपन को ऐसी चसथति म नही पडन दाग इस िरह तकसी की

    ततसर ररश न करा ग rdquo इस तनयम क मन कभी उललाघन नही तकय इस आघ ि न मर जीवन

    की ददश बदल दी

    मर उि अमधक री क यह ा ज न अवकय दोषयि थ पर अमधक री की अधीरि उसक

    रोष और उदधिि क स मन मर दोष छोट हो गय दोष क दणड चपर सी क धकक न थ

    मर जय द िर क म िो उसी की अद लि म रहि थ खश मद म कर ही नही सकि

    थ म इस अमधक री को अनमचि रीि स ररझ न नही च हि थ उस न ततलश की धमकी दकर

    म न ततलश न करा और उस कछ भी न ततलखा यह भी मझ अछछ न लग

    इस बीच मझ क दठय व ड क ररय सिी षडयािो क भी कछ अनभव हआ क दठय व ड

    अनक छोट-छोट र जयो क परदश ह यह ा मतसदददयो क बड सम ज होन सव भ तवक ही थ

    र जयो क बीच सकषम षडयाि चलि पदो की पर नपि क ततलए स जजश होिी र ज कछच क न क

    और परवश रहि स हबो क अदयततलयो िक की खश मद की ज िी सररकिद र िो स हब स भी

    सव य होि सररकिद र की इछछ ही क़ नन थी सररकिद र की आमदनी स हब की आमदनी

    स जय द म नी ज िी थी साभव ह इसम अतिशयोतति हो पर सररकिद र क अलप विन की

    िलन म उसक खचय अवकय ही अमधक होि थ

    यह व ि वरण मझ तवष-स परिीि हआ म अपनी सविािि की रकष कस कर सका ग

    इसकी मचनदि बर बर बनी रहिी म उद सीन हो गय भ ई न मरी उद सीनि दखी एक तवच र

    यह आय तक कही नौकरी कर ला िो म इन खटपटो स मि रह सकि हा पर तबन खटपट क

    दीव न क य नदय य धीश क पद कस ममल सकि थ

    वक लि करन म स हब क स थ क झगड ब धक बनि थ

    म अकल य

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    इसी बीच भ ई क प स पोरबादर की एक ममन फमय क सादश आय ldquoदकषकषण अफ़रीक

    म हम र वय प र ह हम री फमय बडी ह वह ा हम र एक बड मक़ददम चल रह ह च लीस हज र

    पौड क द व ह म मल बहि लमब समय स चल रह ह हम र प स अछछ-स-अछछ वकील-

    ब ररसटर ह अगर आप अपन भ ई को भज िो व हम री मदद कर और उनदह भी कछ मदद ममल

    ज एा व हम र म मल हम र वकील को अछछी िरह समझ सक ग इसक ततसव व नय दश

    दखग और कई नय लोगो स उनकी ज न-पहच न होगीrdquo

    मन पछ ldquoआप मरी सव य तकिन समय क ततलए च हि ह आप मझ विन कय दगrdquo

    ldquoहम एक स ल स अमधक आपकी जररि नही रहगी आपको पहल दज क म गयवयय

    दग और तनव स िथ भोजन-खचय क अल व १०५ पौड दगrdquo

    इस वक लि नही कह सकि यह नौकरी थी पर मझ िो जस भी बन तहनदसि न छोडन

    थ नय दश दखन को ममलग और अनभव पर पि होग सो अलग भ ई को १०५ पौड भजाग

    िो घर क खचय चल न म कछ मदद होगी यह सोचकर मन विन क ब र म तबन कछ जझक-

    जझक तकय ही सठ अबल करीम क परसि व सवीक र कर ततलय और म दकषकषण अफ़रीक ज न क

    ततलए िय र हो गय

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    भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

    १९ दकषिि अफ़रीका पहाचा

    नाताल क बनददरग ह को डरबन कहि ह और वह न ि ल बनददर क न म स भी पहच न ज ि ह

    मझ लन क ततलए अबलल सठ आय थ सटीमर क घ ट (डक) पर पहाचन पर जब न ि ल क

    लोग अपन ममिो को लन सटीमर पर आय िभी म समझ गय तक यह ा तहनदसि तनयो की अमधक

    इजजि नही ह अबलल सठ को पहच नन व ल उनक स थ जस बरि व करि थ उसम भी

    मझ एक परक र की असभयि ददख यी पडी थी जो मझ वयततथि करिी थी अबलल सठ इस

    असभयि को सह लि थ व उसक आदी बन गय थ मझ जो दखि व कछ किहल की दतषट स

    दखि थ अपनी पोश क क क रण म दसर तहनदसि तनयो स कछ अलग पड ज ि थ मन उस

    समय फरोक कोटrsquo बगर पहन थ और ततसर पर बाग ली ढाग की पगडी पहनी थी

    अबलल सठ मझ घर ल गय उनक कमर की बगल म एक कमर थ वह उनदहोन मझ

    ददय न व मझ समझि और न म उनदह समझि उनदहोन अपन भ ई क ददय हए पि पढ और व

    जय द घबर य उनदह ज न पड तक भ ई न िो उनक घर एक सफद ह थी ही ब ाध ददय ह मरी

    स हबी रहन-सहन उनदह खचीली म लम हई उस समय मर ततलए कोई ख स क म न थ उनक

    मक़ददम िो र नदसव ल म चल रह थ मझ िरनदि वह ा भजकर कय करि इसक अल व मरी

    होततशय री य ईम नद री क तवशव स भी तकस हद िक तकय ज एा तपरटोररय म व मर स थ रह

    नही सकि थ परतिव दी तपरटोररय म रहि थ मझ पर उसक अनमचि परभ व पड ज य िो कय

    हो यदद व मझ इस मक़ददम क क म न सौप िो दसर क म िो उनक क रकन मझस बहि

    अछछ कर सकि थ क रकनो स गलिी हो िो उनदह उल हन ददय ज सकि थ पर म ग़लिी

    करा िो अिएव यदद मक़ददम क क म न सौप ज ि िो मझ घर बठ खखल न की नौबि आिी

    अबलल सठ बहि कम पढ-ततलख थ पर उनक प स अनभव क जञ न बहि थ उनकी

    बजदध िीवर थी और सवया उनदह इसक भ न थ ब िचीि करन ल यक अागरजी क जञ न पर पि कर

    ततलय थ पर अपनी इस अागरजी क दव र व अपन सब क म तनक ल लि थ व बक क मनजरो

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    स ब िचीि करि थ यरोतपयन वय प ररयो क स थ सौद कर लि थ और वकीलो को अपन म मल

    समझ सकि थ तहनदसि नी उनकी बहि इजजि करि थ उन ददनो उनकी फमय तहनदसि तनयो

    की फमो म सबस बडी अथव बडी फमो म एक िो थी ही

    व दसर य िीसर ददन मझ डरबन की अद लि ददख न ल गय वह ा कछ ज न-पहच न

    कर यी अद लि म मझ अपन वकील क प स बठ य मजजसरट मझ ब र-ब र दखि रह उसन

    मझ पगडी उि रन क ततलए कह मन इनक र तकय और अद लि छोड दी

    मर भ गय म यह ा भी लड ई ही बदी थी

    मन पगडी क तकसस को लकर अपन और पगडी क बच व म सम च रपिो क न म एक

    पि ततलख अखब रो म मरी पगडी की खब चच य हई अनवलकम तवजजटर ndash अव ामछि अतिततथ

    ndash शीषयक स अखब रो म मरी चच य हई और िीन- च र ददन क अादर ही म अन य स दकषकषण

    अफ़रीक म परततसजदध प गय तकसीन मर पकष ततलय और तकसीन मरी धषटि की खब तननद द की

    मरी पगडी िो लगभग दकषकषण अफ़रीक म अनदि िक बनी रही

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    २० नपरटोररया जात हए

    इतन म फमय क वकील की िरफ स पि ममल तक मक़ददम की िय री की ज नी च तहए और खद

    अबलल सठ को तपरटोररय ज न च तहए अथव तकसीको वह ा भजन च तहए

    अबलल सठ न वह पि मझ पढन को ददय और पछ ldquoआप तपरटोररय ज एागrdquo मन

    कह ldquoमझ म मल समझ इय िभी कछ कह सका ग अभी िो म नही ज नि तक मझ वह ा कय

    करन होग rdquo उनदहोन अपन मनीमो स कह तक व मझ म मल समझ द

    म स िव य आठव ददन डरबन स रव न हआ मर ततलए पहल दज क दटकट कट य

    गय वह ा रल म सोन की सतवध क ततलए प ाच ततशसलिग की अलग दटकट कट न होि थ

    अबलल सठ न उस कट न क आगरह तकय पर मन हठवश अकषभम नवश और प ाच ततशसलिग

    बच न क तवच र स तबसिर क दटकट कट न स इनक र कर ददय

    अबलल सठ न मझ चि य ldquoदखखय यह दश दसर ह तहनदसि न नही ह खद की

    महरब नी ह आप पस की का जसी न कीजजए आवकयक सतवध पर पि कर लीजजएrdquo

    मन उनदह धनदयव द ददय और तनकषिनदि रहन को कह

    रन लगभग नौ बज न ि ल की र जध नी मररतसबगय पहाची यह ा तबसिर ददय ज ि थ

    रलव क तकसी नौकर न आकर पछ ldquoआपको तबसिर की जररि हrdquo

    मन कह ldquoमर प स अपन तबसिर हrdquo

    वह चल गय इस बीच एक य िी आय उसन मरी िरफ दख मझ कषभनदन वणय क

    प कर वह परश न हआ ब हर तनकल और एक-दो अरसरो को लकर आय तकसीन मझ कछ

    न कह आखखर एक अरसर आय उसन कह ldquoइधर आओ िमह आखखरी मडब म ज न हrdquo

    मन कह ldquoमर प स पहल दज क दटकट हrdquo

    उसन जव ब ददय ldquoइसकी कोई ब ि नही म िमस कहि हा तक िमह आखखरी मडब म

    ज न ह

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    म कहि हा तक मझ इस मडब म डरबन स बठ य गय ह और म इसीम ज न क इर द

    रखि हा rdquo

    अफसर न कह ldquoयह नही हो सकि िमह उिरन पडग और न उिर िो ततसप ही

    उि रग rdquo

    मन कह ldquoिो तफर ततसप ही भल उि र म खद िो नही उिरा ग rdquo

    ततसप ही आय उसन मर ह थ पकड और मझ धकक दकर नीच उि र मर स म न

    उि र ततलय मन दसर मडब म ज न स इनक र कर ददय रन चल दी म वोटटिग रम म बठ गय

    अपन ldquoहणड-बगrdquo स थ म रख ब की स म न को ह थ न लग य रलव व लो न उस कही

    रख ददय सरदी क मौसम थ दकषकषण अफ़रीक की सरदी ऊा च ई व ल परदशो म बहि िज

    होिी ह मररतसबगय इसी परदश म थ इसस ठणड खब लगी मर ओवर-कोट मर स म न म थ

    पर स म न म ागन की तहममि न हई तफर अपम न हो िो ठणड स म क ापि रह कमर म

    दीय न थ आधी र ि क करीब एक य िी आय ज न पड तक वह कछ ब ि करन च हि ह

    पर म ब ि करन की मनःचसथति म न थ

    मन अपन धमय क तवच र तकय य िो मझ अपन अमधक रो क ततलए लडन च तहए य

    लौट ज न च तहए नही िो जो अपम न हो उनदह सहकर तपरटोररय पहाचन च तहए और मक़ददम

    खिम करक दश लौट ज न च तहए मक़ददम अधर छोडकर भ गन िो न मदी होगी मझ जो

    कषट सहन पड ह सो िो ऊपरी कषट ह वह गहर ई िक पठ हए मह रोग क लकषण ह यह

    मह रोग ह राग-दवष यदद मझम इस गहर रोग को ममट न की शतति हो िो उस शतति क उपयोग

    मझ करन च तहए ऐस करि हए सवया जो कषट सहन पड सो सब सहन च तहए और उनक

    तवरोध राग-रष को ममट न की दतषट स ही करन च तहए

    यह तनिय करक मन दसरी रन म जस भी हो आग ही ज न क रसल तकय

    सबर ही सबर मन जनरल मनजर को ततशक यि क लमब ि र भज द द अबलल को

    भी खबर भजी अबलल सठ िरनदि जनरल मनजर स ममल जनरल मनजर न अपन आदममयो

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    क वयवह र क बच व तकय पर बिल य तक मझ तबन तकसी रक वट क मर सथ न िक पहाच न

    क ततलए सटशन-म सटर को कह ददय गय ह अबलल सठ न मररतसबगय क तहनदद वय प ररयो को

    भी मझस ममलन और मरी सख-सतवध क खय ल रखन क ि र भज और दसर सटशनो पर भी

    इसी आशय क ि र रव न तकय इसस वय प री मझ ममलन सटशन पर आय उनदहोन अपन ऊपर

    पडन व ल कषटो की कह नी मझ सन यी और मझस कह तक आप पर जो बीिी ह उसम आियय

    की कोई ब ि नही ह जब तहनदसि नी लोग पहल य दसर दज म सरर करि ह िो अमधक ररयो

    और य तियो की िरफ स रक वट खडी होिी ही ह ददन ऐसी ही ब ि सनन म बीि र ि पडी

    रन आयी मर ततलए जगह िय र ही थी तबसिर क जो दटकट मन डरबन म कट न स इनक र

    तकय थ वह मररतसबगय म कट य रन मझ च लसयट उन की ओर ल चली

    रन सबह च लसयट उन पहाचिी थी उन ददनो च लसयट उन स जोह तनसबगय पहाचन क ततलए

    रन नही थी घोडो की ततसकरम थी और बीच म एक र ि सटणडरटन म रकन पडि थ मर प स

    ततसकरम क दटकट थ मर एक ददन दर स पहाचन क क रण वह दटकट रद नही होि थ इसक

    ततसव अबलल सठ न ततसकरम व ल क न म च लसयट उन क पि पर ि र भी कर ददय थ पर

    एजनदट को िो बह न ही खोजन थ इसततलए मझ तनर अजनबी समझकर उसन कह ldquoआपक

    दटकट िो रद हो चक हrdquo मन उमचि उिर ददय पर दटकट रद होन की ब ि िो मझ दसर ही

    क रण स कही गयी थी य िी सब ततसकरम क अनददर ही बठि थ लतकन म िो कली की तगनिी

    म थ अजनबी ददख ई पडि थ इसततलए ततसकरम व ल की नीयि यह थी तक मझ गोर य तियो

    क प स न बठ न पड िो अछछ हो ततसकरम क ब हर अथ यि कोचव न की बगल म द य-ब य

    दो बठक थी उनम स एक पर ततसकरम-कमपनी क एक गोर मखखय बठि थ वह अनददर बठ

    और मझ कोचव न की बगल म बठ य म समझ गय तक यह तनर अनदय य ह ndash अपम न ह पर

    मन इस अपम न को पी ज न उमचि समझ म जोर-जबरदसिी स अनददर बठ सका ऐसी चसथति

    थी ही नही अगर िकर र म पड ा िो ततसकरम चली ज य और मर एक ददन और टट ज य और

    तफर दसर ददन कय हो सो िो दव ही ज न इसततलए म समझद री स क म लकर ब हर बठ गय

    पर मन म िो बहि झाझल य

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    लगभग िीन बज ततसकरम प रडीकोप पहाची अब उस गोर मखखय न च ह तक जह ा म

    बठ थ वह ा वह बठ उस ततसगरट पीनी थी थोडी हव भी ख नी होगी इसततलए उसन एक मल -

    स बोर जो वही कोचव न क प स पड थ उठ ततलय और पर रखन क पदटय पर तबछ कर

    मझस कह ldquoस मी ि यह ा बठ मझ कोचव न क प स बठन हrdquo म इस अपम न को सहन म

    असमथय थ इसततलए मन डरि-डरि उसस कह ldquoिमन मझ यह ा बठ य और मन वह अपम न

    सह ततलय मरी जगह िो अनददर थी पर िम अनददर बठ गय और मझ यह ा बठ य अब िमह ब हर

    बठन की इछछ हई ह और ततसगरट पीनी ह इसततलए िम मझ अपन परो क प स बठ न च हि

    हो म अनददर ज न को िय र हा पर िमह र परो क प स बठन को िय र नहीrdquo

    म मतककल स इिन कह प य थ तक मझ पर िम चो की वष य होन लगी और वह गोर

    मरी ब ाह पकडकर मझ नीच खीचन लग बठक क प स ही पीिल क सीखच थ मन भि की

    िरह उनदह पकड ततलय और तनिय तकय तक कल ई च ह उखड ज य पर सीखच न छोड ाग मझ

    पर जो बीि रही थी उस अनददर बठ हए य िी दख रह थ वह गोर मझ ग ततलय ा द रह थ खीच

    रह थ म र भी रह थ पर म चप थ वह बलव न थ और म बलहीन य तियो म स कइयो

    को दय आयी और उनम स कछ बोल उठः ldquoअर भ ई उस बच र को वह ा बठ रहन दो उस

    न हक म रो मि उसकी ब ि सच ह वह ा नही िो उस हम र प स अनददर बठन दोrdquo गोर न कह

    ldquoहरतगज नही पर थोड शरममनदद वह जरर हआ अिएव उसन मझ म रन बनदद कर ददय

    और मरी ब ाह छोड दी दो-च र ग ततलय ा िो जय द दी पर एक होटणट ट नौकर दसरी िरफ बठ

    थ उस अपन परो क स मन बठ कर खद ब हर बठ य िी अनददर बठ गय सीटी बजी ततसकरम

    चली मरी छ िी िो धडक ही रही थी मझ शक हो रह थ तक म जजनदद मक म पर पहाच सका ग

    य नही वह गोर मरी ओर बर बर घरि ही रह अागली ददख कर बडबड ि रह ldquoय द रख

    सटणडरटन पहाचन द तफर िझ मज चख ऊा ग rdquo म िो गाग ही बठ रह और भगव न स अपनी

    रकष क ततलए पर थयन करि रह

    र ि हई सटणडरटन पहाच कई तहनदसि नी चहर ददख ई ददय मझ कछ िसलली हई

    नीच उिरि ही तहनदसि नी भ इयो न कह ldquoहम आपको ईस सठ की क न पर ल ज न क ततलए

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    ही खड ह हम द द अबलल क ि र ममल हrdquo म बहि खश हआ उनक स थ सठ ईस ह जी

    सम र की क न पर पहाच सठ और उनक मनीम-गम किो न मझ च रो ओर स घर ततलय मन

    अपनी बीिी उनदह सन यी व बहि ःखी हए और अपन कडव अनभवो क वणयन करक उनदहोन

    मझ आशवसि तकय म ततसकरम-कमपनी क एजणट को अपन स थ हए वयवह र की ज नक री

    दन च हि थ मन एजणट क न म मचटठी ततलखी उस गोर न जो धमकी दी थी उसकी चच य की

    और यह आशव सन च ह तक सबह आग की य ि शर होन पर मझ दसर य तियो क प स अनददर

    ही जगह दी ज ए मचटठी एजणट को भज दी एजणट न मझ सादश भज ldquoसटणडरटन स बडी

    ततसकरम ज िी ह और कोचव न बगर बदल ज ि ह जजस आदमी क खखल र आपन ततशक यि

    की ह वह कल नही रहग आपको दसर य तियो क प स ही जगह ममलगीrdquo इस सादश स मझ

    थोडी बतरकरी हई मझ म रन व ल उस गोर पर तकसी िरह क कोई मक़ददम चल न क िो मन

    तवच र ही नही तकय थ इसततलए म र क यह परकरण यही सम पि हो गय सबर ईस सठ क

    लोग मझ ततसकरम पर ल गय मझ मन ततसब जगह ममली और तबन तकसी हर नी क म उस र ि

    जोह तनसबगय पहाच गय

    सटणडरटन छोट -स ग ाव ह जोह तनसबगय तवश ल नगर ह अबलल सठ न ि र िो वह ा

    भी द ही ददय थ मझ महममद क ततसम कमरददीन की क न क न म-पि भी ददय थ उनक

    आदमी ततसकरम क पड व पर पहाच थ पर न मन उस दख और न वह मझ पहच न सक मन

    होटल म ज न क तवच र तकय दो-च र होटलो क न म ज न ततलए थ ग डी की ग डी व ल स

    कह तक गर णड नशनल होटल म ल चलो वह ा पहाचन पर मनजर क प स गय जगह म ागी

    मनजर न कषणभर मझ तनह र तफर ततशषट च र की भ ष म कह ldquoमझ खद ह सब कमर भर पड

    हrdquo और मझ तबद तकय इसततलए मन ग डी व ल स महममद क ततसम कमरददीन की क न पर

    ल चलन को कह वह ा अबलगनी सठ मरी र ह दख रह थ उनदहोन मर सव गि तकय मन

    होटल की अपनी बीिी उनदह सन यी व खखलखखल कर हास पड बोल ldquoव हम होटल म कस

    उिरन दगrdquo

    मन पछ ldquoकयो नहीrdquo

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    ldquoसो िो आप कछ ददन रहन क ब द ज न ज एाग इस दश म िो हमी रह सकि ह कयोतक

    हम पस कम न ह इसीततलए न न परक र क अपम न सहन करि ह और पड हए हrdquo यो कहकर

    उनदहोन र नदसव ल म तहनदसि तनयो पर गजरन व ल कषटो क इतिह स कह सन य

    इन अबलगनी सठ क पररचय हम आग और भी करन होग उनदहोन कह ldquoयह दश

    आपक सम न लोगो क ततलए नही ह दखखय कल आपको तपरटोररय ज न ह वह ा आपको िीसर

    दज म ही जगह ममलगी र नदसव ल म न ि ल स अमधक कषट ह यह ा हम र लोगो को पहल य

    दसर दज क दटकट ददय ही नही ज ि rdquo

    मन कह ldquoआपन इसक ततलए परी कोततशश नही की होगीrdquo

    ldquoहमन पि-वयवह र िो तकय ह पर हम र अमधकिर लोग पहल-दसर दज म बठन भी

    कह ा च हि हrdquo

    मन रलव क तनयम म ाग उनदह पढ उनम इस ब ि की गाज इश थी र नदसव ल क मल

    क़ नन सकषमि पवयक नही बन य ज ि थ रलव क तनयमो क िो पछन ही कय थ मन सठ स

    कह ldquoम िो फसटय कल स म ही ज ऊा ग और वस न ज सक िो तपरटोररय यह ा स ३७ मील ही

    िो ह म वह ा घोड ग डी करक चल ज ऊा ग rdquo

    अबलगनी सठ न उसस लगन व ल खचय और समय की िरफ मर धय न खीच पर मर

    तवच र स व सहमि हए मन सटशन-म सटर को पि भज उसम मन अपन ब ररसटर होन की ब ि

    ततलखी यह भी समचि तकय तक म हमश पहल दज म ही सरर करि हा तपरटोररय िरनदि पहाचन

    की आवकयकि की िरफ भी उनक धय न खीच और उनदह ततलख तक उनक उिर की परिीकष

    करन जजिन समय मर प स नही रहग अिएव पि क जव ब प न क ततलए म खद ही सटशन

    पर पहाचाग और पहल दज क दटकट प न की आश रखाग

    इसम मर मन म थोड पच थ मर यह खय ल थ तक सटशन-म सटर ततलखखि उिर िो

    न rsquo क ही दग तफर कली ब ररसटर कस रहि होग इसकी भी वह कोई कलपन न कर

    सकग इसततलए अगर म पर स हबी ठ ठ म उसक स मन ज कर खड रहाग और उसस ब द

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    करा ग िो वह समझ ज यग और श यद मझ दटकट द दग अिएव म फरोक कोट नकट ई

    बगर ड लकर सटशन पहाच सटशन-म सटर क स मन मन तगनद नी तनक लकर रखी और पहल दज

    क दटकट म ाग

    उसन कह ldquoआपन ही मझ मचठटी ततलखी हrdquo

    मन कह ldquoजी ह ा यदद आप मझ दटकट दग िो म आपक एहस न म रनाग मझ आज

    तपरटोररय पहाचन ही च तहएrdquo

    सटशन-म सटर हास उस दय आयी वह बोल ldquoम र नदसव लर नही हा म होलनदडर हा

    आप की भ वन को म समझ सकि हा आपक परति मरी सह नभति ह म आपको दटकट दन

    च हि हा पर एक शिय ह - अगर र सि म ग डय आपको उि र द और िीसर दज म बठ य िो आप

    मझ फ ाततसय नही य नी आप रलव का पनी पर द व न कीजजए म च हि हा तक आपकी य ि

    तनरविधन परी हो आप सजजन ह यह िो म दख ही सकि हाrdquo यो कहकर उसन दटकट क ट

    ददय मन उसक उपक र म न और उस तनशििि तकय अबलगनी सठ मझ तबद करन आय

    थ यह कौिक दखकर व परसनदन हए उनदह आियय हआ पर मझ चि य ldquoआप भलीभ ाति

    तपरटोररय पहाच ज एा िो समझाग तक बड प र हआ मझ डर ह तक ग डय आपको पहल दज म

    आर म स बठन नही दग और ग डय न बठन भी ददय िो य िी नही बठन दगrdquo

    म िो पहल दज क मडब म बठ रन चली जरमिसटन पहाचन पर ग डय दटकट ज ाचन आय

    मझ दखि ही खीझ उठ अागली स इश र करक मझस कह ldquoिीसर दज म ज ओrdquo मन पहल

    दज क अपन दटकट ददख य उसन कह ldquoकोई ब ि नही ज ओ िीसर दज मrdquo

    इस मडब म एक ही अागरज य िी थ उसन ग डय को आड ह थो ततलय ldquoिम इन भल

    आदमी को क यो परश न करि हो दखि नही हो इनक प स पहल दज क दटकट ह मझ इनक

    बठन स ितनक भी कषट नही हrdquo

    यो कहकर उसन मरी िरफ दख और कह ldquoआप इिमीन न स बठ रतहएrdquo

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    ग डय बडबड य ldquoआपको कली क स थ बठन ह िो मर कय तबगडि

    हrdquo और चल ददय

    र ि क़रीब आठ बज रन तपरटोररय पहाची

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    २१ नपरटोररया म पहला टरदन

    सन १८९३ क तपरटोररय सटशन सन १९१४ क तपरटोररय सटशन स तबलकल कषभनदन थ धीमी

    रोशनी व ली बततिय ा जल रही थी य िी भी अमधक नही थ मन सब य तियो को ज न ददय और

    सोच तक दटकट कलकटर को थोडी फरसि होन पर अपन दटकट दाग और यदद वह मझ तकसी

    छोट-स होटल क य ऐस मक न क पि दग िो वह ा चल ज ऊा ग य तफर र ि सटशन पर ही

    पड रहाग इिन पछन क ततलए भी मन बढि न थ कयोतक अपम न होन क डर थ

    सटशन ख ली हआ मन दटकट-कलकटर को दटकट दकर पछि छ शर की उसन सभयि

    स उिर ददय पर मन दख तक वह मरी अमधक मदद नही कर सकि थ उसकी बगल म एक

    अमररकन हबशी सजजन खड थ उनदहोन मझस ब िचीि शर की

    ldquoम दख रह हा तक आप तबलकल अजनबी ह और यह ा आपक कोई ममि नही ह अगर

    आप मर स थ चल िो म आपको एक छोट-स होटल म ल चलाग उसक म ततलक अमररकन ह

    और म उस अछछी िरह ज नि हा मर खय ल ह तक वह आपको दटक लग rdquo

    मझ थोड शक िो हआ पर मन इन सजजन क उपक र म न और उनक स थ ज न

    सवीक र तकय व मझ जोनदसटन क फममली होटल म ल गय पहल उनदहोन मम जोनदसटन को एक

    ओर ल ज कर थोडी ब ि की मम जोनदसटन न मझ एक र ि क ततलए दटक न क़बल तकय और

    वह भी इस शिय पर तक भोजन मर कमर म पहाच दग

    मम जोनदसटन न कह ldquoम आपको तवशव स ददल ि हा तक मर मन म िो क ल-गोर क कोई

    भद नही ह पर मर गर हक सब गोर ही ह यदद म आपको भोजन-गह म भोजन कर ऊा िो मर

    गर हक बर म नग और श यद व चल ज एागrdquo

    मन जव ब ददय ldquoआप मझ एक र ि क ततलए रहन द रह ह इस भी म आपक उपक र

    म नि हा इस दश की चसथति स म कछ-कछ पररमचि हो चक हा म आपकी कदठन ई को समझ

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    सकि हा मझ आप खशी स मर कमर म ख न दीजजए कल िक म दसर परबाध कर लन की

    आश रखि हा

    मझ कमर ददय गय मन उसम परवश तकय एक नदि ममलन पर भोजन की र ह दखि

    हआ म तवच रो म डब गय इस होटल म अमधक य िी नही रहि थ कछ दर ब द भोजन क

    स थ वटर को आि दखन क बदल मन मम जोनदसटन को दख उनदहोन कह ldquoमन आपको कमर

    म ख न दन की ब ि कही थी पर मन उसम शरम महसस की इसततलए अपन गर हको स आपक

    तवषय म ब िचीि करक उनकी र य ज नी आप भोजनगह म बठकर भोजन कर िो उनदह कोई

    आपतति नही ह इसक अल व आप यह ा जजिन ददन भी रहन च ह रह उनकी ओर स कोई

    रक वट नही होगी इसततलए अब आप च ह िो भोजन-गह म आइय और जब िक जी च ह यह ा

    रतहएrdquo

    मन तफर उनक उपक र म न और म भोजन-गह म गय तनकषिनदि होकर भोजन तकय

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    २२ खखसती सबधी (ईसाइयो स सपकम )

    दसर ददन सबर म वकील क घर गय उनक न म थ ए० डलय० बकर उनस ममल अबलल

    सठ न मझ उनक ब र म कछ बि ददय थ इसततलए हम री पहली मल क ि स मझ कोई आियय

    न हआ व मझस परमपवयक ममल और मर ब र म कछ ब ि पछी जो मन उनदह बिल दी उनदहोन

    कह ldquoब ररसटर क न ि िो आपक यह ा कोई उपयोग हो ही न सकग इस मक़ददम क ततलए हमन

    अछछ-स-अछछ ब ररसटर कर रख ह मक़ददम लमब ह और गचतथयो स भर हआ ह इसततलए

    आपस म आवकयक िरथय आदद पर पि करन क ही क म ल सका ग पर इिन फ यद अवकय

    होग तक अपन मवचककल क स थ पि-वयवह र करन म मझ अब आस नी हो ज एगी और

    िरथय दद की जो ज नक री मझ पर पि करनी होगी वह म आपक दव र मागव सका ग यह फ यद

    ह जरर आपक ततलए अभी िक मन कोई मक न िो िल श नही तकय ह सोच थ तक आपको

    दखन क ब द खोज लाग यह ा रागभद बहि ह इसततलए घर ममलन आस न नही ह पर म एक

    बहन को ज नि हा वह ग़रीब ह भदटय र की सिी ह मर खय ल ह तक वह आपको दटक लगी

    उस भी कछ मदद हो ज एागी चततलए हम उसक यह ा चल

    यो कहकर व मझ वह ा ल गय मम बकर न उस बहन को एक ओर ल ज कर उसस कछ

    ब ि की और उसन मझ दटक न सवीक र तकय हफि क पिीस ततशसलिग दन क तनिय हआ

    मम बकर वकील थ और कटटर प दरी भी थ व अभी जीतवि ह और आजकल कवल

    प दरी क ही क म करि ह वक लि उनदहोन छोड दी ह रपय-पस स सखी ह उनदहोन मर स थ

    अब िक पि-वयवह र ज री रख ह पिो क तवषय एक ही होि ह व अपन पिो म अलग-

    अलग ढाग स ईस ई धमय की उिमि की चच य करि ह और इस ब ि क परतिप दन करि ह तक

    ईस को ईशवर क एकम ि पि और ि रनह र म न तबन परम श ाति नही ममल सकिी

    हम री पहली ही मल क ि म मम बकर न धमय-साबाधी मरी मनःचसथति ज न ली मन उनदह

    बि ददय ldquoम जनदम स तहनदद हा इस धमय क भी मझ अमधक जञ न नही ह दसर धमो क जञ न

    भी कम ही ह म कह ा हा कय म नि हा मझ कय म नन च तहए यह सब म नही ज नि अपन

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    धमय क अधययन म गाभीरि स करन च हि हा दसर धमो क अधययन भी यथ शतति करन क

    मर इर द ह

    यह सब सनकर मम बकर खश हए और बोल ldquoम सवया स उथ अफ़रीक जनरल ममशन

    क एक ड यरकटर हा मन अपन खचय स एक तगरज घर बनव य ह उसम समय-समय पर धमय-

    साबाधी वय खय न ददय करि हा म रागभद को नही म नि मर स थ क म करन व ल कछ स थी

    भी ह हम परतिददन एक बज कछ ममनट क ततलए ममलि ह और आतम की श ाति िथ परक श

    (जञ न क उदय) क ततलए पर थयन करि ह उसम आप आयग िो मझ खशी होगी वह ा म अपन

    स ततथयो स भी आपकी पहच न कर दाग व सब आपस ममलकर परसनद न होग और मझ तवशव स

    ह तक उनक सम गम आपको भी अछछ लगग

    मन मम बकर को धनदयव द ददय और अपन बसभर रोज एक बज उनक माडल म पर थयन

    क ततलए पहाचन सवीक र तकय

    दसर ददन एक बज म मम बकर क पर थयन -सम ज म गय वह ा ममस हररस ममस गब

    मम कोटस आदद स पररचय हआ

    ममस हररस और ममस गब दोनो परौढ अवसथ की कम ररक य थी मम कोटस कवकर थ

    य दोनो कम ररक य स थ रहिी थी उनदहोन मझ हर रतवव र को च र बज की च य क ततलए अपन

    घर आन क तनमािण ददय मम कोटस जब ममलि िो मझ हर रतवव र को उनदह हफिभर की

    अपनी ध रमिक ड यरी सन नी पडिी कौन-कौनसी पसिक मन पढी मर मन पर उनक क य

    परभ व पड इसकी चच य होिी

    मम कोटस एक स र ददल व ल चसि नवजव न कवकर थ उनक स थ मर ग ढ साबाध हो

    गय थ हम बहि ब र एकस थ घमन भी ज य करि थ व मझ दसर ईस इयो क घर भी ल

    ज ि थ

    मम कोटसन मझ पसिको स ल द ददय जस-जस व मझ पहच नि ज ि वस-वस उनदह

    अछछी लगन व ली पसिक व मझ पढन को दि रहि मन भी कवल शरदध वश ही उन पसिको को

    पढन सवीक र तकय

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    सन १८९३ क वषय म मन ऐसी पसिक बहि पढी

    पर मम कोटस ह रन व ल आदमी नही थ उनक परम क प र न थ उनदहोन मर गल म

    वषणणी कणठी दखी िलसी क मन क की म ल उनदह यह वहम ज न पड और व ःखी हए

    बोल ldquoयह वहम िम जसो को शोभ नही दि ल ओ इस िोड दाrdquo

    ldquoयह कणठी नही टट सकिी म ि जी की परस दी हrdquo

    ldquoपर क य िम इसम तवशव स करि होrdquo

    ldquoम इसक गढ थय नही ज नि इस न पहनन स मर अकलय ण होग ऐस मझ परिीि

    नही होि पर म ि जी न जो म ल मझ परमपवयक पहन यी ह जजस पहन न म उनदहोन मर

    कलय ण म न ह उसक तय ग म तबन क रण नही करा ग समय प कर यह जीणय हो ज एागी

    और टट ज एागी िो दसरी पर पि करक पहनन क लोभ मझ नही रहग पर यह कणठी टट नही

    सकिीrdquo

    मम कोटस मरी इस दलील की कर नही कर सक कयोतक उनदह िो मर धमय क परति ही

    अन सथ थी व मझ अजञ न-कप म स उब र लन की आश रखि थ व मझ यह बि न च हि थ

    तक दसर धमो म भल ही कछ सतय हो पर पणय सतयरप ईस ई धमय को सवीक र तकय तबन मोकष

    ममल ही नही सकि ईस की मधयसथि क तबन प प धल ही नही सकि और स र पणयकमय

    तनरथयक हो ज ि ह

    मर भतवषय क ब र म मम बकर की मचनदि बढिी ज रही थी व मझ बसलिगटन कनदवनदशन

    म ल गय

    सममलन िीन ददन चल म सममलन म आन व लो की ध रमिकि को समझ सक उसकी

    सर हन कर सक पर मझ अपन तवशव स म ndash अपन धमय म ndash पररवियन करन क क रण न

    ममल मझ यह परिीति न हई तक ईस ई बनकर ही म सवगय ज सकि हा अथव मोकष प सकि

    हा जब यह ब ि मन अपन भल ईस ई ममिो स कही िो उनको चोट िो पहाची पर म ल च र थ

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    ईस की मतय स और उनक रि स सास र क प प धलि ह इस अकषरश सच म नन क

    ततलए बजदध िय र नही होिी थी रपक क रप म उसम सतय च ह हो इसक अतिररि ईस इयो

    क यह तवशव स ह तक मनषय क ही आतम ह दसर जीवो क नही और दह क न श क स थ उनक

    सापणय न श हो ज ि ह जब तक मर तवशव स इसक तवरदध थ म ईस को एक तय गी मह तम

    दवी ततशकषक क रप म सवीक र कर सकि थ पर उनदह अतदविीय परष क रप म सवीक र करन

    मर ततलए शक य न थ ईस इयो क पतवि जीवन म मझ ऐसी कोई चीज नही ममली जो अनदय

    धम यवलसतमबयो क जीवन म न ममली हो उनम होन व ल पररवियनो जस ही पररवियन मन दसरो क

    जीवन म भी होि दख थ ततसदध नदि की दतषट स ईस ई ततसदध नदिो म मझ कोई अलौतककि नही

    ददख ई पडी तय ग की दतषट स तहनदद धम यवलसतमबयो क तय ग मझ ऊा च म लम हआ म ईस ई

    धमय को समपणय अथव सवोपरी धमय क रप म सवीक र न कर सक

    पर जजस िरह म ईस ई धमय को सवीक र न कर सक उसी िरह तहनदद धमय की समपणयि

    क तवषय म अथव उसकी सवोपररि क तवषय म भी म उस समय तनिय न कर सक तहनदद धमय

    की िदटय ा मरी आाखो क स मन िर करिी थी यदद असपकयि तहनदद धमय क अाग ह िो वह

    सड हआ और ब द म जड हआ अाग ज न पड अनक समपरद यो की अनक ज ि-प ािो की

    हसिी को म समझ न सक अकल वदो क ईशवर-परणीि होन क अथय कय ह यदद वद ईशवर-

    परणीि ह िो ब इबल और कर न कयो नही

    मन अपनी कदठन इय ा र यचादभ ई क स मन रखी तहनदसि न क दसर धमयश सतसियो क

    स थ भी पि-वयवह र शर तकय उनकी ओर स उिर भी ममल र यचादभ ई क पि स मझ बडी

    श ाति ममली उनदहोन मझ धीरज रखन और तहनदद धमय क गहर अधययन करन की सल ह दी

    उनक एक व कय क भ व थय यह थ ldquoतनषपकष भ व स तवच र करि हए मझ यह परिीति हई ह

    तक तहनदद धमय म जो सकषम और गढ तवच र ह आतम क तनरीकषण ह दय ह वह दसर धमो म

    नही हrdquo

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    जजस िरह स खखसिी ममिो क मझ पर असर ड लन क परय स थ उसी िरह मसलम न

    ममिो न भी परय स तकय अबलल सठ मझ इसल म क अधययन करन क ततलए ल ल तयि कर

    रह थ

    मन सल क कर न खरीद और पढन शर तकय कछ दसरी इसल मी पसिक भी पर पि

    की तवल यि म ईस ई ममिो स पि-वयवह र शर तकय उनम स एक न एडवडय मटलणड स मर

    पररचय कर य उनक स थ मर पि-वयवह र चलि रह उनदहोन एन हकिगसफडय क स थ ममलकर

    परफकट व (उिम म गय) न मक पसिक ततलखी थी वह मझ पढन क ततलए भजी उसम परचततलि

    ईस ई धमय क खणडन थ उनदहोन मर न म बाइबरल का िया अथड न मक पसिक भी भजी य

    पसिक मझ पसनदद आयी इनस तहनदद मि की पतषट हई टोलसटोय की वकणठ िर हदय म ह

    न मक पसिक न मझ अकषभभि कर ततलय मझ पर उसकी बहि गहरी छ प पडी

    इस परक र मर अधययन मझ ऐसी ददश म ल गय जो ईस ई ममिो की इछछ क तवपरीि

    थी

    इस परक र यदयतप मन ईस ई ममिो की ध रण स कषभनद न म गय पकड ततलय थ तफर भी

    उनक सम गम न मझम जो धमय-जजजञ स ज गरि की उसक ततलए िो म उनक सद क ततलए ॠणी

    बन गय अपन यह साबाध मझ हमश य द रहग

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    २३ नहनदसताननयो की परशानी का अधययन

    नाताल म जो सथ न द द अबलल क थ तपरटोररय म वही सथ न सठ ियब ह जी ख नमहममद

    क थ उनक तबन एक भी स वयजतनक क म चल नही सकि थ उनस मन पहल ही हफि म

    ज न-पहच न कर ली मन उनदह बि य तक म तपरटोररय क परतयक तहनदसि नी क समपकय म आन

    च हि हा मन तहनदसि तनयो की चसथति क अधययन करन की अपनी इछछ परकट की और इन

    स र क मो म उनकी मदद च ही उनदहोन खशी स मदद दन क़बल तकय

    मर पहल क़दम िो सब तहनदसि तनयो की एक सभ करक उनक स मन स री चसथति क

    मचि खड कर दन थ

    अनदि म मन यह सझ य तक एक मणडल की सथ पन करक तहनदसि तनयो क कषटो और

    कदठन इयो क इल ज अमधक ररयो स ममलकर और अरजिय ा भजकर करन च तहए और यह

    समचि तकय तक मझ जजिन समय ममलग उिन इस क म क ततलए म तबन विन क दाग

    तनिय हआ तक ऐसी सभ हर महीन य हर हपि की ज य यह सभ नदयन मधक तनयममि

    रप स होिी थी और उसम तवच रो क आद न-परद न होि रहि थ निीज यह हआ तक

    तपरटोररय म श यद ही कोई ऐस तहनदसि नी रह होग जजस म पहच नन न लग होऊा अथव

    जजसकी चसथति स म पररमचि न हो गय होऊा तहनदसि तनयो की चसथति क ऐस जञ न पर पि करन

    क पररण म यह आय तक मझ तपरटोररय म रहन व ल तबरदटश एजणट स पररचय करन की इछछ

    हई म मम जकोबस मड-वट स ममल उनकी सह नभति तहनदसि तनयो क स थ थी उनक परभ व

    कम थ पर उनदहोन यथ समभव मदद करन और ममलन हो िब आकर ममल ज न क ततलए कह

    रलव क अमधक ररयो स मन पि-वयवह र शर तकय और बिल य तक उनदही की क यदो क

    अनस र तहनदसि तनयो को ऊा च दज म य ि करन स रोक नही ज सकि इसक पररण म-

    सवरप यह पि ममल तक अछछ कपड पहन हए तहनदसि तनयो को ऊा च दज क दटकट ददय ज एाग

    इसस परी सतवध नही ममली कयोतक अछछ कपड तकसन पहन ह इसक तनणयय िो सटशन-

    म सटर को ही करन थ न

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    तबरदटश एजणट न मझ तहनदसि तनयो क ब र म हए पि-वयवह र-साबाधी कई क ग़ज पढन

    को ददय ियब सठ न भी ददय थ उनस मझ पि चल तक ओरनदज फरी सटट स तहनदसि तनयो को

    तकस तनदययि क स थ तनक ल ब हर तकय गय थ स र ाश यह तक र नदसव ल और ओरनदज फरी

    सटट क तहनदसि तनयो की आरथिक स म जजक और र जनीतिक चसथति क गहर अधययन म

    तपरटोररय म कर सक इस अधययन क आग चलकर मर ततलए पर उपयोग होन व ल ह इसकी

    मझ जर भी कलपन नही थी मझ िो एक स ल क अनदि म अथव मक़ददम पहल सम पि हो

    ज ए िो उसस पहल ही सवदश लौट ज न थ

    पर ईशवर न कछ और ही सोच रख थ

    र नदसव ल और ओरनदज फरी सटट क तहनदसि तनयो की चसथति क पर मचि दन क यह

    सथ न नही ह उसकी ज नक री च हन व ल को दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास पढन

    च तहए

    र नदसव ल म एक कड क़ नन बन उसक फलसवरप यह िय हआ तक हरएक

    तहनदसि नी को परवश-फीस क रप म िीन पौड जम कर न च तहए उनक ततलए अलग छोडी गयी

    जगह म ही व जमीन-म ततलक हो सकि थ पर वह ा भी उनदह वयवह र म जमीन क सव ममतव नही

    ममल उनदह मि मधक र भी नही ददय गय थ य िो ख स एततशय व ततसयो क ततलए बन क़ नन थ

    इसक अल व जो क़ नन क ल राग क लोगो को ल ग होि थ व भी एततशय व ततसयो पर ल ग होि

    थ उनक अनस र तहनदसि नी लोग पटरी (फटप थ) ) पर अमधक र-पवयक चल नही सकि थ

    और र ि नौ बज क ब द परव न क तबन ब हर नही तनकल सकि थ

    म अकसर मम कोटस क स थ र ि को घमन ज य करि थ कभी-कभी घर पहाचन म

    दस भी बज ज ि थ अिएव पततलस मझ पकड िो यह डर जजिन सवया मझ थ उसस अमधक

    मम कोटस को थ अपन हचबशयो को िो व ही परव न दि थ लतकन मझ परव न कस द सकि

    थ म ततलक अपन नौकर को ही परव न दन क अमधक री थ म लन च हा और मम कोटस दन

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    को िय र हो ज एा िो भी वह नही ददय ज सकि थ कयोतक वस करन तवशव सघ ि म न

    ज ि

    इसततलए मम कोटस य उनक कोई ममि मझ वह ा क सरक री वकील डो कर उज क प स

    ल गय हम दोनो एक ही इन क ब ररसटर तनकल उनदह यह ब ि असहय ज न पडी तक र ि नौ

    बज क ब द ब हर तनकलन क ततलए मझ परव न लन च तहए उनदहोन मर परति सह नभति परकट

    की मझ परव न दन क बदल उनदहोन अपनी िरफ स एक पि ददय उसक आशय यह थ तक

    म च ह जजस समय च ह जह ा ज ऊा पततलस को उसम दखल नही दन च तहए म इस पि को

    हमश अपन स थ रखकर घमन तनकलि थ कभी उसक उपयोग नही करन पड लतकन इस

    िो कवल सायोग ही समझन च तहए

    पटरी पर चलन क परशन मर ततलए कछ गाभीर पररण म व ल ततसदध हआ म हमश

    परततसडणड सरीट क र सि एक खल मद न म घमन ज य करि थ इस महलल म परततसडणड करगर

    क घर थ यह घर सब िरह क आडाबरो स रतहि थ इसक च रो ओर कोई अह ि भी नही

    थ आसप स क दसर घरो म और इसम कोई फरक नही म लम होि थ घर क स मन पहर

    दन व ल सािरी को दखकर ही पि चलि थ तक यह तकसी अमधक री क घर ह म पर यः हमश

    ही इस ततसप ही क तबलकल प स स होकर तनकलि थ पर वह मझ कछ नही कहि थ ततसप ही

    समय-समय पर बदल करि थ एक ब र एक ततसप ही न तबन चि य तबन पटरी पर स उिर

    ज न को कह मझ धकक म र ल ि म री और नीच उि र ददय म िो गहर सोच म पड गय

    ल ि म रन क क रण पछन स पहल ही मम कोटस न जो उसी समय घोड पर सव र होकर उधर

    स गजर रह थ मझ पक र और कह

    ldquoग ाधी मन सब दख ह आप मक़ददम चल न च ह िो म गव ही दाग मझ इस ब ि क

    बहि खद ह तक आप पर इस िरह हमल तकय गय rdquo

    मन कह ldquoइसम खद क कोई क रण नही ततसप ही बच र कय ज न उसक ततलए िो

    क ल-क ल सब एक स ही ह वह हचबशयो को इसी िरह पटरी पर स उि रि होग इसततलए

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    उसन मझ भी धकक म र मन िो तनयम ही बन ततलय ह तक मझ पर जो बीिगी उसक ततलए म

    कभी अद लि म नही ज ऊा ग इसततलए मझ मक़ददम नही चल न हrdquo

    ldquoयह िो आपन अपन सवभ व क अनरप ही ब ि कही ह पर आप इस पर तफर स

    सोमचय ऐस आदमी को कछ सबक िो दन ही च तहएrdquo

    इिन कहकर उनदहोन उस ततसप ही स ब ि की और उस उल हन ददय म स री ब ि िो

    समझ नही सक ततसप ही डच थ और उसक स थ उनकी ब ि डच भ ष म हई ततसप ही न

    मझस म फी म ागी म िो उस पहल ही म र कर चक थ

    लतकन उस ददन स मन वह र सि छोड ददय दसर ततसप तहयो को इस घटन क क य

    पि होग म खद होकर तफर ल ि तकसततलए ख ऊा इसततलए मन घमन ज न क ततलए दसर

    र सि पसनदद कर ततलय

    मन दख तक सव कषभम न की रकष च हन ldquoव ल तहनदसि तनयो क ततलए दकषकषण अफ़रीक

    उपयि दश नही ह यह चसथति तकस िरह बदली ज सकिी ह इसक तवच र म मर मन

    अमधक मधक वयसि रहन लग तकनदि अभी मर मखय धमय िो द द अबलल क मक़ददम को ही

    समभ लन क थ

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    २४ मक़ददम की तयारी

    अनत म मन द द अबलल क कस म यह दख ततलय तक उनक पकष मजबि ह क़ नन को उनकी

    मदद करनी ही च तहए

    पर मन दख तक मक़ददम लडन म दोनो पकष जो आपस म ररकिद र ह और एक ही नगर

    क तनव सी ह बरब द हो ज एाग कोई कह नही सकि थ तक मक़ददम क अनदि कब होग

    अद लि म चलि रह िो उस जजिन च हो उिन लमब तकय ज सकि थ मक़ददम को लमब

    करन म दो म स तकसी एक पकष क भी ल भ न होि इसततलए साभव हो िो दोनो पकष मक़ददम

    क शीघर अनदि च हि थ

    मन ियब सठ स तबनिी की झगड को आपस म ही तनबट लन की सल ह दी उनदह अपन

    वकील स ममलन को कह यदद दोनो पकष अपन तवशव स क तकसी वयतति को पाच चन ल िो

    म मल झटपट तनबट ज ए वकीलो क खचय इिन अमधक बढि ज रह थ तक उसम उनक

    जस बड वय प री भी बरब द हो ज ि दोनो इिनी मचनदि क स थ मक़ददम लड रह थ तक एक

    भी तनकषिनदि होकर दसर कोई क म नही कर सकि थ इस बीच आपस म बर भी बढि ही ज

    रह थ मझ वकील क धाध स घण हो गयी वकील क न ि िो दोनो क वकीलो को अपन-अपन

    मवचककल को जीिन क ततलए क़ नन की ग ततलय ा ही खोज कर दनी थी इस मक़ददम म पहल-

    पहल मन यह ज न तक जीिन व ल को पर खचय कभी ममल ही नही सकि दसर पकष स तकिन

    खचय वसल तकय ज सकि ह इसकी एक मय यद होिी ह जब तक मवचककल क खचय उसस

    कही अमधक होि ह मझ यह सब असहय म लम हआ मन िो अनभव तकय तक मर धमय दोनो

    की ममिि स धन और दोनो ररकिद रो म मल कर दन ह मन समझौि क ततलए जी-िोड महनि

    की ियब सठ म न गय आखखर पाच तनयि हए उनक स मन मक़ददम चल मक़ददम म द द

    अबलल जीि

    पर इिन स मझ सािोष नही हआ यदद पाच क फसल पर अमल होि िो ियब ह जी

    ख नमहममद इिन रपय एकस थ द ही नही सकि थ दकषकषण अफ़रीक म बस हए पोरबादर क

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    ममनो म आपस क ऐस एक अततलखखि तनयम थ तक खद च ह मर ज एा पर ददव ल न तनक ल

    ियब सठ सिीस हज र पौणड और मक़ददम क खचय एक मकि द ही नही सकि थ उनदह न िो

    एक दमडी कम दनी थी और न ददव ल ही तनक लन थ र सि एक ही थ तक द द अबलल

    उनदह क री लमबी मोहलि द द द अबलल न उद रि स क म ततलय और खब लमबी मोहलि

    द दी पाच तनयि कर न म मझ जजिनी महनि पडी उसस अमधक महनि यह लमबी अवमध

    तनकषिि कर न म पडी दोनो पकषो को परसनदनि हई दोनो की परतिषठ बढी मर सािोष की सीम

    न रही म सछची वक लि सीख मनषय क अछछ पहल को खोजन सीख और मनषय-हदय म

    परवश करन सीख मन दख तक वकील क कियवय दोनो पकषो क बीच खदी हई ख ई को प टन

    ह इस ततशकष न मर मन म ऐसी जड जम यी तक बीस स ल की अपनी वक लि क मर अमधक ाश

    समय अपन दफिर म बठकर सकडो अमलो को आपस म सलझ न म ही बीि उसम मन कछ

    खोय नही यह भी नही कह ज सकि तक मन पस खोय आतम िो खोयी ही नही

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    २५ को जान कल की

    मक़ददम क खिम होन पर मर ततलए तपरटोररय म रहन क कोई क रण न रह म डरबन गय

    वह ा पहाचकर मन तहनदसि न लौटन की िय री की अबलल सठ मझ तबन म न-समम न क ज न

    द यह साभव न थ उनदहोन मर तनममि स ततसडनहम म एक स मतहक भोज क आयोजन तकय

    पर ददन वही तबि न थ

    मर प स कछ अखब र पड थ म उनदह पढ रह थ एक अखब र क एक कोन म मन एक

    छोट -स साव द दख उसक शीषयक थ lsquoइचणडयन फर च इज य नी तहनदसि नी मि मधक र

    इस साव द क आशय यह थ तक तहनदसि तनयो को न ि ल की ध र सभ क ततलए सदसय चनन

    क जो अमधक र ह वह छीन ततलय ज एा ध र सभ म इसस समबनदध रखन व ल क़ नन पर बहस

    चल रही थी म इस क़ नन स अपररमचि थ भोज म ससतममततलि सदसयो म स तकसीको भी

    तहनदसि तनयो क अमधक र छीनन व ल इस तबल की कोई खबर न थी

    मन अबलल सठ स पछ उनदहोन कह ldquoइन ब िो को हम कय ज न वय प र पर कोई

    साकट आव िो हम उसक पि चलि हrdquo

    तकनदि मझ िो व पस सवदश ज न थ इसततलए मन उपययि तवच रो को परकट नही तकय

    मन अबलल सठ स कह लतकन अगर यह क़ नन इसी िरह प स हो गय िो आप सबको

    बडी मतककल म ड ल दग यह िो तहनदसि तनयो की आब दी को ममट न क पहल क़दम ह

    इसम हम र सव कषभम न की ह तन हrdquo

    दसर महम न इस चच य को धय नपवयक सन रह थ उनम स एकन कह ldquoम आपस सच

    ब ि कहा अगर आप इस सटीमर स न ज एा और एक ध महीन रक ज एा िो आप जजस िरह

    कहग हम लडगrdquo

    दसर सब एकस थ बोल उठ

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    मन मन म लड ई की रपरख िय र कर ली मि मधक र तकिनो को पर पि ह सो ज न

    ततलय और मन एक महीन रक ज न क तनिय तकय

    इस परक र ईशवर न दकषकषण अफ़रीक म मर सथ यी तनव स की नीव ड ली और सव कषभम न

    की लड ई क बीज रोप गय

    पहल क म िो यह सोच गय तक ध र सभ क अधयकष को ऐस ि र भज ज य तक व

    तबल पर अमधक तवच र करन मलिवी कर द इसी आशय क ि र मखयमािी (सर जोन रोतबनदसन)

    को भी भज

    सब ज नि थ तक यही निीज तनकलग पर कौम म नवजीवन क साच र हआ सब कोई

    यह समझ तक हम एक कौम ह कवल वय प र समबनदधी अमधक रो क ततलए ही नही बचलक कौम

    क अमधक रो क ततलए भी लडन हम सबक धमय ह

    ध र सभ म भजन की अजी िय र की गई और भज दी गई तबल िो प स हो गय

    उन ददनो लोडय ररपन उपतनवश-मािी थ उनदह एक बहि बडी अजी भजन क तनिय तकय

    गय

    अजी ततलखन म मन बहि महनि की जो स तहतय मझ ममल सो सब म

    पढ गय

    अजी पर दस हज र सतहय ा हई एक पखव ड म अजी भजन ल यक सतहय ा पर पि हो

    गयी इिन समय म न ि ल म दस हज र सतहय ा पर पि की गयी इस प ठक छोटी-मोटी ब ि न

    समझ सतहय ा समच न ि ल स पर पि करनी थी लोग ऐस क म स अपररमचि थ तनिय यह थ

    तक सही करन व ल तकस ब ि पर सही कर रह ह इस जब िक वह समझ न ल िब िक सही

    न ली ज य इसततलए ख स िौर पर सवयासवको को भजकर ही सतहय ा पर पि की ज सकिी थी

    ग ाव दर-दर थ इसततलए अमधकिर क म करन व ल लगन स क म कर िभी ऐस क म शीघरि -

    पवयक हो सकि थ ऐस ही हआ

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    अजी गयी उसकी एक हज र परतिय ा छपव यी थी उस अजी क क रण तहनदसि न क

    आम लोगो को न ि ल क पहली ब र पररचय हआ म जजिन अखब रो और स वयजतनक नि ओ

    क न म ज नि थ उिनो को अजी की परतिय ा भजी

    टाइमस ओफ इकषडया न उस पर अगरलख ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग क अछछ

    समथयन तकय तवल यि म भी अजी की परतिय ा सब पकषो क नि ओ को भजी गयी थी वह ा

    लनददन क टाइमस क समथयन पर पि हआ इसस आश बाधी तक तबल माजर न हो सकग

    अब म न ि ल छोड सका ऐसी मरी चसथति नही रही लोगो न मझ च रो जरर स घर ततलय

    और न ि ल म ही सथ यी रप स रहन क अतयनदि आगरह तकय और म न ि ल म ठहर गय

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    २६ नाताल इननडयन काागरस

    भारतीय मि मधक र परतिबाधक क़ नन क तवरदध कवल पर थयन -पि भजकर ही बठ नही ज

    सकि थ उसक ब र म आनददोलन चलि रहन स ही उपतनवश-मािी पर उसक असर पड सकि

    थ इसक ततलए एक सासथ की सथ पन करन आवकयक म लम हआ इस समबनदध म मन

    अबलल सठ स सल ह की दसर स ततथयो स ममल और हमन एक स वयजतनक सासथ खडी करन

    क तनिय तकय

    सन १८९४ क मई म स की २२ ि रीख को न ि ल इतनदडयन क ागरस क जनदम हआ

    न ि ल इचणडयन क ागरस म उपतनवशो म पद हए तहनदसि तनयो न परवश तकय थ और

    महररिरो क सम ज उसम द खखल हआ थ तफर भी मजदरो न तगरममदटय सम ज क लोगो न

    उसम परवश नही तकय थ क ागरस उनकी नही हई थी व उसम चनदद दकर और द खखल होकर

    उस अपन नही सक थ उनक मन म क ागरस क परति परम िो िभी पद हो सकि थ जब क ागरस

    उनकी सव कर ऐस परसाग अपन-आप आ गय और वह भी ऐस समय जब तक म सवया अथव

    क ागरस उसक ततलए श यद ही िय र थी मझ वक लि शर तकय अभी मतककल स दो-च र महीन

    हऐ थ क ागरस क भी बचपन थ इिन म एक ददन ब ल सनददरम न म क एक मर सी तहनदसि नी

    ह थ म स फ ततलए रोि -रोि मर स मन आकर खड हो गय उसक कपड फट हए थ वह थर-

    थर क ाप रह थ उसक माह स खन बह रह थ और उसक दो द ाि टट हए थ उसक म ततलक न

    उस बरी िरह म र थ ि ममल समझन व ल अपन महररिर क दव र मन उसकी चसथति ज न ली

    ब ल सनददरम एक परतिमषठि गोर क यह ा मजदरी करि थ म ततलक तकसी वजह स गसस हआ

    होग उस होश न रह और उसन ब ल सनददरम की खब जमकर तपट ई की पररण म-सवरप

    ब ल सनददरम क दो द ाि टट गय

    मन उस डोकटर क यह ा भज उन ददनो गोर डोकटर ही ममलि थ मझ चोट-समबनदधी

    परम ण-पि की आवकयकि थी उस पर पि करक म ब ल सनददरम को मजजसरट क प स ल गय

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    वह ा ब ल सनददरम क शपथ-पि परसिि तकय उस पढकर मजजसरट म ततलक पर गसस हआ

    उसन म ततलक क न म समन ज री करन क हकम ददय

    मरी नीयि म ततलक को सज कर न की नही थी मझ िो ब ल सनददरम को उसक पाज स

    छड न थ मन तगरममदटयो स साबाध रखन व ल क़ नन की छ नबीन कर ली यदद स ध रण

    नौकर नौकरी छोडि िो म ततलक उसक खखल र दीव नी द व द यर कर सकि थ पर उस

    रौजद री म नही ल ज सकि थ तगरममट म और स ध रण नौकरी म बहि फरक थ पर ख स

    फरक यह थ तक अगर तगरममदटय म ततलक को छोड िो वह फौजद री गन ह म न ज ि थ

    और उसक ततलए उस क़द भगिनी होिी थी इसीततलए सर तवततलयम तवलसन हणटर न इस चसथति

    को लगभग गल मीकी-सी चसथति म न थ गल म की िरह तगरममदटय म ततलक की ममचलकयि

    म न ज ि थ ब ल सनददरम को छड न क कवल दो उप य थ य िो तगरममदटयो क ततलए तनयि

    अमधक री जो क़ नन की दतषट स उनक रकषक कह ज ि थ उसक तगरममट रद कर य दसर

    क न म ततलखव द अथव म ततलक सवया उस छोडन को िय र हो ज य म म ततलक स ममल

    उसस मन कह ldquoम आपको सज नही कर न च हि इस आदमी को सखि म र पडी ह सो िो

    आप ज नि ही ह आप इसक तगरममट दसर क न म ततलख न को र जी हो ज एा िो मझ सनद िोष

    होग rdquo म ततलक िो यही च हि थ तफर म रकषक स ममल उसन भी सहमि होन सवीक र

    तकय पर शिय यह रखी तक म ब ल सनददरम क ततलए नय म ततलक खोज दा

    मझ नय म ततलक की खोज करनी थी तहनदसि तनयो को तगरममदटय मजदर रखन की

    इज जि नही थी म अभी कछ ही अागरजो को पहच नि थ उनम स एक को ममल उनदहोन

    मझ पर महरब नी करक ब ल सनददरम को रखन माजर कर ततलय मन उनकी कप को स भ र

    सवीक र तकय मजजसरट न म ततलक को अपर धी ठहर कर यह ततलख ददय तक उसन ब ल सनददरम

    क तगरममट दसर क न म ततलख न सवीक र तकय ह

    ब ल सनददरम क म मल की ब ि तगरममदटयो म च रो िरफ फल गयी और म उनक बनदध

    म न ततलय गय मझ यह ब ि अछछी लगी मर दफिर म तगरममदटयो क ि ाि -स लग गय और

    मझ उनक सख-ःख ज नन की बडी सतवध हो गयी

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    ब ल सनददरम क म मल की भनक ठठ मर स पर नदि िक पहाची उस पर नदि क जजन-जजन

    तहससो स लोग न ि ल क तगरममट म ज ि उनदह तगरममदटय ही इस म मल की ज नक री दि थ

    वस यह म मल महततव क नही थ पर लोगो को यह ज नकर आननदद और आियय हआ तक उनक

    ततलए परकट रप स क म करनव ल कोई आदमी तनकल आय ह इस ब ि स उनदह आशव सन

    ममल

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    २७ तीन पौणड का कर

    लगभग १८६० म जब न ि ल म बस हए गोरो न दख तक वह ा ईख की फसल अछछी हो सकिी

    ह िो उनदहोन मजदरो की खोज शर की मजदर न ममल िो न ईख पद हो सकिी थी और न

    चीनी ही बन सकिी थी न ि ल क हबशी यह मजदरी नही कर सकि थ इसततलए न ि ल-तनव सी

    गोरो न भ रि-सरक र क स थ तवच र-तवमशय करक तहनदसि नी मजदरो को न ि ल ज न दन की

    अनमति पर पि की उनदह यह ल लच ददय गय तक प ाच स ल िक मजदरी करन क बाधन रहग

    और प ाच स ल क ब द उनदह सविाि रीति स न ि ल म बसन की छट रहगी उनको जमीन क

    म ततलक बनन क पर अमधक र भी ददय गय थ

    तहनदसि नी मजदरो न यह ल भ आश स अमधक ददय स ग-सबजी खब बोयी तहनदसि न

    की अनक उिम िरक ररय ा पद की जो स ग-सचबजय ा वह ा पहल स पद होिी थी उनक द म

    ससि कर ददय तहनदसि न स आम ल कर लग य उसक उदयम ततसरय खिी ही नही रह गय पर

    इसक स थ ही उनदहोन वय प र भी शर कर ददय घर बन न क ततलए जमीन खरीद ली और बहिर

    लोग मजदर न रहकर अछछ जमीद र और मक न-म ततलक बन गय इस िरह मजदरो म स मक न-

    म ततलक बन ज न व लो क पीछ-पीछ वह ा सविाि वय प री भी पहाच सव० सठ अबबकर आमद

    उनम सबस पहल पहाचन व ल थ उनदहोन वह ा अपन क रोब र खब जम य

    गोर वय प री चौक जब पहल-पहल उनदहोन तहनदसि नी मजदरो क सव गि तकय थ िब

    उनदह उनकी वय प र करन की शतति क कोई अनदद ज न थ व तकस न क न ि सविाि रह इस

    हद िक िो गोरो को उस समय कोई आपतति न थी पर वय प र म उनकी परतिदवजनददवि उनदह असहय

    ज न पडी

    तहनदसि तनयो क स थ उनक तवरोध क मल म यह चीज थी

    उसम दसरी चीज और ममल गयी-य स री ब ि तवरोध को भडक न व ली ततसदध हई

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    यह तवरोध पर पि मि मधक र को छीन लन क रप म और तगरममदटयो पर कर लग न क

    क़ नन क रप म परकट हआ क़ नन क ब हर िो अनक परक र स उनदह परश न करन शर हो ही

    चक थ

    पहल सझ व िो यह थ तक तगरममट पर होन क कछ ददन पहल ही तहनदसि तनयो को

    जबरदसिी व पस भज ददय ज ए ि तक उनक इकर रन म की मददि तहनद सि न म परी हो पर

    इस सझ व को भ रि-सरक र म नन व ली नही थी इसततलए यह सझ व ददय गय तक

    १ मजदरी क इकर र पर हो ज न पर तगरममदटय व पस तहनदसि न चल ज य अथव

    २ हर दसर स ल नय तगरममट ततलखव य और उस ह लि म हर ब र उसक विन म कछ बढोिरी की ज य

    ३ अगर वह व पस न ज य और मजदरी क नय इकर रन म भी न ततलख िो हर स ल २५ पौणड क कर द

    इन सझ वो क सवीक र कर न क ततलए सर हनरी बीनद स और मम मसन क डपयटशन

    तहनदसि न भज गय िब लोडय एलतवन व इसरोय थ उनदहोन २५ पौणड क कर िो न माजर कर

    ददय पर वस हरएक तहनदसि नी स ३ पौणड क कर लन की सवीकति द दी मझ उस समय ऐस

    लग थ और अब िक लगि ह तक व इसरोय की यह गाभीर भल थी इस परक र पति-पतनी और

    दो बछचोव ल कटगब स जजसम पति को अमधक स अमधक १४ ततशसलिग परतिम स ममलि हो १२

    पौणड अथ यि १८० रपय क कर लन भ री जलम म न ज एग तनय म कही भी इस चसथति

    क ग़रीब लोगो स ऐस भ री कर नही ततलय ज ि थ

    इस करक तवरदध जोरो की लड ई मछडी कोई आव ज ही न उठ ई ज िी िो श यद

    व इसरोय २५ पौणड भी माजर कर लि २५ पौणड क बदल ३ पौणड होन भी क ागरस क आनददोलन

    क ही परि प हो यह परी िरह साभव ह पर इस कलपन म मरी भल हो सकिी ह समभव ह तक

    भ रि-सरक र न २५ पौणड क परसि व को शर स ही असवीक र कर ददय हो और हो सकि ह

    तक क ागरस क तवरोध न करन पर भी वह ३ पौणड क कर ही सवीक र करिी िो भी उसम

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    तहनदसि न क तहि की ह तन िो थी ही तहनदसि न क तहि-रकषक क न ि ब इसरोय को ऐस

    अम नषी कर कभी सवीक र नही करन च तहए थ

    २५ स ३ पौणड (३७५ रपय स ४५ रपय) होन म क ागरस क य यश लिी उस िो यही

    अखर तक वह तगरममदटयो क तहि की परी रकष न कर सकी और ३ पौणड क कर तकसी-न-

    तकसी ददन हटन ही च तहए

    अगर कौम ह र म नकर चप हो ज िी क ागरस लड ई को भल ज िी िथ कर को अतनव यय

    म नकर शरण सवीक र कर लिी िो यह कर आज िक तगरममदटय हहिदी क प स स ततलय ज ि

    होि इिन ही नही मगर इसकी न लशी सथ तनक हहिदीओ को िो होिी ही मगर मसि तहनदसि न

    को भी इसक शमयन क असर होि

    अब मर तनव स दकषकषण अफ़रीक क िीन स ल क िो हो चक थ लोगो को म भलीभ ाति

    पहच नन लग थ िथ व भी मझ पहच न लि थ िथ १८९६ क स ल म छह म स क ततलए दश

    ज न की इज जि च ही मन यह भी महसस तकय तक मझ दकषकषण अफ़रीक म रहन च तहए मरी

    वक ल ि भी अछछी चल रही थी ऐस म न ज सकि ह स वयजतनक क यय म म उपचसथि रहा

    ऐस लोग च हि थ इसी क रण स मन िय तकय तक पररव र क स थ म दकषकषण अफ़रीक म बस

    ज ऊा इसी क रण म दश ज कर व पस ज न रसि म न दश म ज न स कछ स वयजतनक क यय

    हो प यग ऐस मन म न दश म लोकमि बन कर उस समसय म उसक उपयोग करक इस ब ि

    को जय द असरक रक बन ऊा ऐस महसस तकय

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    भाग-५ हहिद की मलाकात

    २८ नहनदसतान म

    बमबई म रक तबन म सीध र जकोट गय और वह ा एक पतसिक ततलखन की िय री म लग

    पतसिक ततलखन और छप न म लगभग एक महीन बीि गय उसक आवरण हर थ इसततलए

    ब द म वह हरी पकषसिका क न म स परततसदध हई उसम दकषकषण अफ़रीक क तहनदसि तनयो की

    चसथति क मचिण मन ज न-बझकर नरम भ ष म तकय थ

    हरी पकषसिका की दस हज र परतिय ा छप यी थी और उनदह स र तहनदसि न क अखब रो

    और सब पकषो क परततसदध लोगो को भज थ पायोकषियर म उस पर सबस पहल लख तनकल

    उसक स र ाश तवल यि गय और उस स र ाश क स र ाश तफर र यटर क दव र न ि ल पहाच वह

    ि र िो िीन पाततियो क थ न ि ल म तहनदसि तनयो क स थ होन व ल वयवह र क जो मचि मन

    खीच थ उसक वह लघ सासकरण थ वह मर शबदो म नही थ उसक जो असर हआ उस

    हम आग दखग धीर-धीर सब परमख पिो म इस परशन की तवसिि चच य हई

    इस पतसिक को ड क स भजन क ततलए इसक पकट िय र कर न क क म मतककल थ

    और पस दकर कर न खचील थ मन सरल यतति खोज ली महलल क सब लडको को मन

    इकठठ तकय और उसन सबर क दो-िीन घणटो म स जजिन समय व द सक उिन दन क ततलए

    कह लडको न इिनी सव करन खशी स सवीक र तकय अपनी िरफ स मन उनदह अपन प स

    जम होन व ल क म म आय हए ड क क दटकट और आशीव यद दन क़बल तकय लडको न

    हासि-खलि मर क म पर कर ददय इस परक र छोट बछचो को सवयासवक बन न क यह मर

    पहल परयोग थ इन ब लको म स दो आज मर स थी ह

    र जकोट म मर दकषकषण अफ़रीक क क म चल रह थ इसी बीच म बमबई हो आय

    ख स-ख स शहरो म सभ य करक तवशष रप स लोकमि िय र करन क मर इर द थ इसी

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    खय ल स म वह ा गय थ पहल म नदय यमरिि र नड स ममल उनदहोन मरी ब ि धय न स सनी और

    मझ सर फीरोजश ह महि स ममलन की सल ह दी

    म सर फीरोजश ह स ममल उनक िज स चक चौध हो ज न को िो म िय र थ ही उनक

    ततलए परयि होन व ल तवशषणो को म सन चक थ मझ बमबई क शर और बमबई क बि ज

    क ब दश ह स ममलन थ पर ब दश ह न मझ डर य नही तपि जजस परम स अपन नौजव न

    बट स ममलि ह उसी िरह व मझस ममल

    इस स री ब िचीि म मतककल स दो ममनट लग होग सर फीरोजश ह न मरी ब ि सन ली

    नदय यमरिि र नड और ियबजी स ममल चकन की ब ि भी मन उनदह बिल दी उनदहोन कह

    ldquoग ाधी िमह र ततलए मझ आम सभ करनी होगी मझ िमह री मदद करनी च तहएrdquo तफर अपन

    माशी की ओर मड और उस सभ क ददन तनकषिि करन को कह ददन तनकषिि करक मझ तबद

    तकय

    फर मजी क वसजी इचनदसटटयट क हॉल म सभ थी मन सन रख थ तक जजस सभ म

    सर फीरोजश ह बोलन व ल हो उस सभ म खड रहन को जगह नही ममलिी ऐसी सभ ओ म

    तवदय थी-सम ज ख स रस लि थ

    ऐसी सभ क मर यह पहल अनभव थ

    सर फीरोजश ह को मर भ षण अछछ लग मझ गाग नह न-क -स सनदिोष हआ

    सर फीरोजश ह महि न मर म गय सरल कर ददय थ बमबई स म पन गय मझ म लम

    थ तक पन म दो दल थ मझ िो सबकी मदद की जररि थी म लोकम नदय तिलक स ममल

    उनदहोन कह

    ldquoसब पकषो की मदद लन क आपक तवच र तबलकल ठीक ह आपक म मल म कोई

    मिभद हो ही नही सकि लतकन आपक ततलए िटसथ सभ पति च तहए आप परो भ णड रकर

    स ममततलए व आजकल तकसी आनददोलन म ससतममततलि नही होि पर समभव ह तक इस क म क

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    ततलए आग आ ज एा उनस ममलन क ब द मझ पररण म स समचि कीजजए म आपकी परी मदद

    करन च हि हा आप परो गोखल स िो ममलग ही मर प स आप जब आन च ह तनःसाकोच

    आइएrdquo

    लोकम नदय क यह मर परथम दशयन थ म उनकी लोकतपरयि क क रण िरनदि समझ

    गय

    यह ा स म गोखल क प स गय फगययसन कोलज म थ मझस बड परम स ममल और मझ

    अपन बन ततलय उनस भी मर यह पहल ही पररचय थ पर ऐस ज न पड म नो हम पहल

    ममल चक हो सर फीरोजश ह मझ तहम लय-जस लोकम नदय समर-जस और गोखल गाग -जस

    लग गाग म म नह सकि थ तहम लय पर चढ नही ज सकि थ समर म डबन क डर थ

    गाग की गोद म िो खल ज सकि थ उसम डोतगय ा लकर सर की ज सकिी थी गोखल न

    ब रीकी स मरी ज ाच की ndash उसी िरह जजस िरह सकल म भरिी होि समय तकसी तवदय थी की

    की ज िी ह उनदहोन मझ बि य तक म तकस-तकस स और कस ममला और मर भ षण दखन को

    म ाग मझ कोलज की वयवसथ ददख यी जब जररि हो िब तफर ममलन को कह डॉ०

    भ णड रकर क जव ब की खबर दन को कह और मझ तबद तकय मरी खशी क कोई दठक न

    नही रह

    र मकषण भ णड रकर न मर वस ही सव गि तकय जस कोई ब प बट क करि ह

    उनक यह ा गय िब पहरी क समय थ ऐस समय म भी म अपन क म कर रह थ वह चीज

    ही उस उदयमी श सिजञ को पय री लगी और िटसथ सभ पति क ततलए मर आगरह की ब ि सनकर

    lsquoदटस इट दटस इट (यह ठीक ह यह ठीक ह) क उद ग र उनक माह स सहज ही तनकल पड

    तबन तकसी हो-हलल और आडमबर क एक स द मक न म पन की इस तवदव न और तय गी

    मणडली न सभ की और मझ समपणय परोतस हन क स थ तबद तकय

    वह ा स म मर स गय मर स िो प गल हो उठ ब ल सनददरम क तकसस क सभ पर

    गहर असर पड मर ततलए मर भ षण अपकष कि लमब थ पर छप हआ थ पर सभ न

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    उसक एक-एक शबद धय नपवयक सन सभ क अाि म उस हरी पकषसिका पर लोग टट पड

    मर स म साशोधन और पररवधयन क स थ उसकी दसरी आवतति दस हज र की छप यी थी उसक

    अमधक ाश तनकल गय

    इिन म डरबन स ि र ममल ldquoप रलिय मणट जनवरी म बठगी जलदी लौदटय

    द द अबलल न सवया करलणड न म क सटीमर खरीद ततलय थ उनदहोन उसम मझ

    और मर पररव र को मफि ल ज न क आगरह तकय मन उस धनदयव द-सतहि सवीक र कर

    ततलय और ददसमबर क आराभ म करलणड सटीमर स अपनी धमयपतनी दो लडको और अपन

    सव० बहनोई क एकम ि लडक को लकर दसरी ब र दकषकषण अफ़रीक क ततलए रव न हआ इस

    सटीमर क स थ ही दसर न दरी सटीमर भी डरबन क ततलए रव न हआ द द अबलल उसक

    एजनदट थ दोनो सटीमरो म कल ममल कर क़रीब ८०० तहनदसि नी य िी रह होग उनम आध स

    अमधक लोग र नदसव ल ज न व ल थ

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    भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

    २९ दकषिि अफ़रीका म आगमन और तफ़ान

    अठारह ददसमबर क आसप स दोनो सटीमरो न लागर ड ल दकषकषण अफ़रीक क बनददरग हो म

    य तियो क सव सरथय की परी ज ाच की ज िी ह यदद र सि म तकसीको कोई छिव ली बीम री हई

    हो िो सटीमर को सिक म ndash कव रणटीन म ndash रख ज ि ह हम र बमबई छोडि समय वह ा पलग

    की ततशक यि थी इसततलए हम इस ब ि क डर जरर थ तक सिक की कछ ब ध होगी

    डोकटर आय ज ाच करक उनदहोन प ाच ददन क सिक घोतषि तकय कयोतक उनकी यह

    ध रण थी तक पलग क कीट ण िईस ददन िक जजनदद रह सकि ह इसततलए उनदहोन ऐस आदश

    ददय तक बमबई छोडन क ब द िईस ददन की अवमध परी होन िक सटीमरो को सिक म रख

    ज ए

    पर इस सिक की आजञ क हि कवल सव सरथय-रकष न थ डरबन क गोर न गररक हम

    उलट परो लौट दन क जो आनददोलन कर रह थ वह भी इस आजञ क मल म एक क रण थ

    द द अबलल की िरफ स हम शहर म चल रह इस आनददोलन की खबर ममलिी रहिी

    थी गोर लोग एक क ब द दसरी तवर ट सभ य कर रह थ द द अबलल क न म धमतकय ा भजि

    थ उनदह ल लच भी दि थ अगर द द अबलल दोनो सटीमरो को व पस ल ज एा िो गोर नक़स न

    को भरप ई करन को िय र थ द द अबलल तकसी की धमकी स डरन व ल न थ इस समय

    वह ा सठ अबल करीम ह जी आदम क न पर थ उनदहोन परतिजञ की थी तक तकिन ही नक़स न

    कयो न उठ न पड व सटीमरो को बनददर पर ल एाग और य तियो को उि रग मर न म उनक तवसिि

    पि बर बर आि रहि थ सौभ गय स इस समय सव० मनसखल ल हीर ल ल न जर मझस ममलन

    क ततलए डरबन आ पहाच थ व होततशय र और बह र आदमी थ उनदहोन तहनदसि नी कौम को

    नक सल ह दी मम ल टन वकील थ व भी वस ही बह र थ उनदहोन गोरो की करििो की तननदद

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    की और इस अवसर पर कौम को जो सल ह दी वह ततसरय वकील क न ि पस लकर नही बचलक

    एक सछच ममि क न ि दी

    इस परक र डरबन म दवादव-यदध मछड गय एक ओर मटठीभर ग़रीब तहनदसि नी और उनक

    इन-तगन अागरज ममि थ दसरी ओर धनबल परतिपकषकषयो को र जय क बल भी पर पि हो गय थ

    कयोतक न ि ल की सरक र न खललमखलल उनकी मदद की थी मम हरी एसकमब न जो माति-

    माडल म थ और उसक कि यधि य थ इन गोरो की सभ ओ म परकट रप स तहसस ततलय

    य तियो क मनोराजन क ततलए सटीमर पर खलो क परबाध तकय गय थ म आनाद म

    ससतममततलि हआ थ पर मर ददल िो डरबन म चल रही लड ई म ही लग हआ थ कयोतक इस

    हमल म मधयतबनद म थ मझ पर दो आरोप थ

    १ मन तहनदसि न म न ि ल-व सी गोरो की अनमचि तननद द की थी

    २ म न ि ल को तहनदसि तनयो स भर दन च हि थ और इसततलए ख सकर न ि ल म

    बस न क ततलए तहनदसि तनयो को करलणड और न दरी म भर ल य थ

    मझ अपनी जजममद री क खय ल थ मर क रण द द अबलल भ री नक़स न म पड

    गय थ य तियो क पर ण साकट म थ और अपन पररव र को स थ ल कर मन उस भी ःख म

    ड ल ददय थ

    पर म सवया तबलकल तनदोष थ मन तकसीको न ि ल आन क ततलए ललच य नही थ

    न दरी क य तियो को म पहच नि भी न थ करलणड म अपन दो-िीन ररकिद रो को छोडकर

    ब की क सकडो य तियो क न मध म िक म ज नि न थ मन तहनदसि न म न ि ल क अागरजो

    क तवषय म ऐस एक भी शबद नही कह जो म न ि ल म कह न चक थ और जो कछ मन

    कह थ उसक ततलए मर प स क री परम ण थ

    अाि म िईस ददन क ब द सटीमरो को मतति ममली और य तिको को उिरन क आदश

    ममल

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    जह ज धकक पर लग य िी उिर पर मर ब र म मम एसकमब न कपि न स कहल य थ

    ldquoग ाधी को और उनक पररव र को श म क समय उि ररयग उनक तवरदध गोर बहि उिजजि

    हो गय ह और उनक पर ण साकट म ह पोटय सपररणटणडणट मम टटम उनदह श म को अपन स थ ल

    ज एागrdquo

    कपि न न मझ इस सनददश की खबर दी मन िदनस र चलन सवीक र तकय लतकन इस

    सनददश को ममल आध घाट भी न हआ थ तक इिन म मम ल टन आय और कपि न स ममलकर

    बोल ldquoयदद मम ग ाधी मर स थ चल िो म उनदह अपनी जजममद री पर ल ज न च हि हा सटीमर

    क एजणट क वकील क न ि म आपस कहि हा तक मम ग ाधी क ब र म जो सनददश आपको ममल

    ह उसक बनदधन स आप मि हrdquo इस परक र कपि न स ब िचीि करक व मर प स आय और

    मझस कछ इस मिलब की ब ि कही ldquoआपको जीवन क डर न हो िो म च हि हा तक शरीमिी

    ग ाधी और बछच ग डी म रसिमजी सठ क घर ज एा और आप िथ म आम र सि स पदल चल

    मझ यह तबलकल अछछ नही लगि तक आप अाधर होन पर चपच प शहर म द खखल हो मर

    खय ल ह तक आपक ब ल भी ब ाक न होग अब िो सब कछ श नदि ह गोर सब तििर-तबिर

    हो गय ह पर कछ भी कयो न हो मरी र य ह तक आपको मछप िौर पर शहर म कभी न ज न

    च तहएrdquo

    म सहमि हो गय मरी धमयपतनी और बछच ग डी म बठकर रसिमजी सठ क घर सही-

    सल मि पहाच गय कपि न की अनमति लकर म मम ल टन क स थ उिर रसिमजी सठ क

    घर वह ा स लगअग दो मील दर थ

    जस ही हम जह ज स उिर कछ लडको न मझ पहच न ततलय और व lsquoग ाधी ग ाधी

    मचलल न लग िरनदि ही कछ लोग इकटठ हो गय और मचलल हट बढ गयी मम ल टन न दख तक

    भीड बढ ज एगी इसततलए उनदहोन ररकश मागव य मझ उसम बठन कभी अछछ न लगि थ

    उस पर सव र होन क मझ यह पहल ही अनभव होन ज रह थ पर लडक कयो बठन दि

    उनदहोन ररकश व ल को धमक य और वह भ ग खड हआ

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    हम आग बढ भीड भी बढिी गयी ख सी भीड जम हो गयी सबस पहल िो भीड व लो

    न मझ मम ल टन स अलग कर ददय तफर मझ पर का करो और सड अणडो की वष य शर हई

    तकसीन मरी पगडी उछ ल कर फ क दी तफर ल ि शर हई

    मझ गश आ गय मन प स क घर की ज ली पकड ली और दम ततलय वह ा खड रहन

    िो साभव ही न थ िम च पडन लग

    इिन म पततलस अमधक री की सिी जो मझ पहच निी थी उस र सि स गजरी मझ दखि

    ही वह मरी बगल म आकर खडी हो गयी और धप क न रहि भी उसन अपनी छिी खोल ली

    इसस भीड कछ नरम पडी अब मझ पर परह र करन हो िो ममसज एलकजणडर को बच कर ही

    तकय ज सकि थ

    इस बीच मझ पर म र पडि दखकर कोई तहनदसि नी नौजव न पततलस थ न पर दौड गय

    सपररणटणडणट एलकजणडर न एक टकडी मझ घर कर बच लन क ततलए भजी वह समय पर

    पहाची मर र सि पततलस थ न क प स ही होकर ज ि थ सपररणटणडनदट न मझ थ न म आशरय

    लन की सल ह दी मन इनक र तकय और कह ldquoजब लोगो को अपनी भल म लम हो ज एगी

    िो व श नदि हो ज एाग मझ उनकी नदय यबजदध पर तवशव स हrdquo

    पततलस क दसि क स थ म सही-सल मि प रसी रसिमजी क घर पहाच मरी पीठ पर

    मछपी म र पडी थी एक जगह थोड खन तनकल आय थ सटीमर क डोकटर द द बरजोर वही

    मौजद थ उनदहोन मरी अछछी सव -शशरष की

    यो भीिर श ननदि थी पर ब हर गोरो न घर को घर ततलय थ श म हो चकी थी अाधर हो

    चल थ ब हर हज रो लोग िीखी आव ज म शोर कर रह थ और ldquoग ाधी को हम सौप दोrdquo की

    पक र मच रह थ पररचसथति क खय ल करक सपररणटणडणट एलकजणडर वह ा पहाच गय थ

    और भीड को धमकी स नही बचलक उसक मन बहल कर वश म रख रह थ

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    तफर भी व तनकषिनदि िो नही थ उनदहोन मझ इस आशय क सादश भज यदद आप अपन

    ममि क मक न म ल-असब ब और अपन ब ल-बछचो को बच न च हि हो िो जजस िरह म कहा

    उस िरह आपको इस घर स मछप िौर पर तनकल ज न च तहएrdquo

    मन तहनदसि नी ततसप ही की वदी पहनी कभी ततसर पर म र पड िो उसस बचन क ततलए

    म थ पर पीिल की एक िकिरी रखी और ऊपर स मर सी िजय क बड स फ ब ाध स थ म

    खरीय पततलस क दो जव न थ उनम स एक न तहनदसि नी वय प री की पोश क पहनी और

    अपन चहर तहनदसि नी की िरह राग ततलय दसर न कय पहन सो म भल गय हा हम बगल

    की गली म होकर पडोस की एक क न म पहाच और गोद म म लगी हई बोरो की थनपपयो को

    अाधर म ल ागि हए क न क दरव ज स भीड म घस कर आग तनकल गय गली क नककड पर

    ग डी खडी थी उसम बठ कर मझ अब उसी थ न म ल गय जजसम आशरय लन की सल ह

    सपररणटणडणट एलकजणडर न पहल दी थी मन सपररणटणडणट एलकजणडर को और खरीय

    पततलस क अमधक ररयो को धनदयव द ददय

    इस परक र जब एक िरफ स मझ ल ज य ज रह थ िब दसरी िरफ सपररणटणडणट

    एलकजणडर भीड स ग न गव रह थ उस गीि क अनव द यह ह

    चलो हम ग ाधी को फ ासी लटक द

    इमली क उस पड पर फ ासी लटक द

    जब सपररणटणडणट एलकजणडर को मर सही-सल मि थ न पर पहाच ज न की खबर ममली

    िो उनदहोन भीड स कह ldquoआपक ततशक र िो इस क न म स सही-सल मि तनकल भ ग हrdquo

    भीड म तकसीको गसस आय कोई हास बहिो न इस ब ि को म नन स इनक र तकय

    इस पर सपररणटणडणट एलकजणडर न कह ldquoिो आप लोग अपन म स जजस तनयि कर

    द उस म अनददर ल ज ऊा और वह िल श करक दख ल अगर आप ग ाधी को ढाढ तनक ल िो म

    उस आपक हव ल कर दाग न ढाढ सक िो आपको तबखर ज न होग मझ यह तवशव स िो ह

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    ही तक आप प रसी रसिमजी क मक न हरतगज नही जल यग और न ग ाधी क सिी-बछचो को

    कषट पहाच यगrdquo

    भीड न परतितनमध तनयि तकय उनदहोन िल श क ब द उस तनर श जनक सम च र सन य

    सब सपररणटणडणट एलकजणडर की सझ-बझ और चिर ई की परशास करि हए पर मन-ही-मन

    कछ गसस होि हए तबखर गय

    उस समय क उपतनवश-मािी सव० मम चमबरलन न जो उस समय सासथ नो क परतितनमध

    थ ि र दव र समचि तकय तक मझ पर हमल करन व लो पर मक़ददम चल य ज एा और मझ

    नदय य ददल य ज ए मम एसकमब न मझ अपन प स बल य मझ पहाची हई चोट क ततलए खद

    परकट करि हए उनदहोन कह ldquoआप यह िो म नग ही तक आपक ब ल भी ब ाक हो िो मझ उसस

    कभी खशी नही हो सकिी आपन मम ल टन की सल ह म नकर िरनदि उिर ज न क स हस

    तकय आपको ऐस करन क हक थ पर आपन मर सनददश को म न ततलय होि िो यह ःखद

    घटन न घटिी अब अगर आप हमल करन व लो को पहच न सक िो म उनदह तगरफि र करव न

    और उन पर मक़ददम चल न को िय र हा मम चमबरलन भी यही च हि हrdquo

    मन जव ब ददय ldquoमझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह समभव ह हमल करन व लो

    म स एक-दो को म पहच न ला पर उनदह सज ददल न स मझ कय ल भ होग तफर म हमल करन

    व लो को दोषी भी नही म नि उनदह िो यह कह गय ह तक मन तहनदसि न म अतिशयोततिपणय

    ब ि कहकर न ि ल क गोरो को बदन म तकय ह व इस ब ि को म नकर गसस हो िो इसम

    आियय कय ह दोष िो बडो क और मझ कहन की इज जि द िो आपक म न ज न च तहए

    आप लोगो को सही र सि ददख सकि थ पर आपन भी र यटर क ि र को ठीक म न और यह

    कलपन कर ली तक मन अतिशयोतति की होगी मझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह जब

    वसिचसथति परकट होगी और लोगो को पि चलग िो व खद पछि यगrdquo

    ldquoिो आप मझ यह ब ि ततलखकर द दग मझ मम चमबरलन को इस आशय क ि र

    भजन पडग म नही च हि तक आप जलदी म कछ ततलखकर द-द मरी इछछ य ह तक आप

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    मम ल टन स और अपन दसर ममिो स सल ह करक जो उमचि ज न पड सो कर ह ा म यह

    सवीक र करि हा तक यदद आप हमल करन व लो पर मक़ददम नही चल यग िो सब ओर श ाति

    सथ तपि करन म मझ बहि मदद ममलगी और आपकी परतिषठ िो तनिय ही बढगीrdquo

    मन जव ब ददय ldquoइस तवषय म मर तवच र पकक हो चक ह यह तनिय समजझय तक मझ

    तकसी पर मक़ददम नही चल न ह इसततलए म आपको यही ततलखकर द दन च हि हाrdquo

    यह कहकर मन आवकयक पि ततलखकर द ददय

    जजस ददन म जह ज स उिर उसी ददन न ि ल एडवरट इजर न मक पि क परतितनमध

    मझस ममल गय थ उसन मझ कई परशन पछ थ और उनक उिर म म परतयक आरोप क पर -

    पर जव ब द सक थ सर फीरोजश ह महि क परि प स उस समय मन तहनदसि न म एक भी

    भ षण तबन ततलख नही तकय थ अपन उन सब भ षणो और लखो क सागरह िो मर प स थ

    ही मन वह सब उस ददय और ततसदध कर ददख य तक मन तहनदसि न म ऐसी एक भी ब ि नही

    कही जो अमधक िीवर शबदो म दकषकषण अफ़रीक म न कही हो मन यह भी बि ददय तक करलषड

    और न दरी क य तियो को ल न म मर ह थ तबलकल न थ उनम अमधकिर िो पर न ही थ

    और बहिर न ि ल म रहन व ल नही थ बचलक र नदसव ल ज न व ल थ उन ददनो न ि ल म मनददी

    थी र नदसव ल म बहि अमधक कम ई होिी थी इस क रण अमधकिर तहनदसि नी वही ज न

    पसनदद करि थ

    इस खल स क और हमल वरो पर मक़ददम द यर करन स मर इनक र करन क इिन

    जय द असर पड तक गोर शरममनदद हए सम च रपिो न मझ तनदोष ततसदध तकय और हललड

    करन व लो की तननद द की इस परक र पररण म म िो मझ ल भ ही हआ और मर ल भ मर क यय

    क ही ल भ थ इसस भ रिीय सम ज की परतिषठ बढी और मर म गय अमधक सरल हो गय

    िीन य च र ददन ब द म अपन घर गय और कछ ही ददनो म वयवचसथि रीति स अपन

    क मक ज करन लग

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    ३० बचचो की शशिा और सवावशतत

    सन १८९७ की जनवरी म म डरबन उिर िब मर स थ िीन ब लक थ मर भ नज लगभग

    दस वषय की उमर क मर बड लडक नौ वषय क और दसर लडक प ाच वषय क इन सबको

    कह ा पढ य ज एा

    म अपन लडको को गोरो क ततलए चलन व ल सकलो म भज सकि थ पर वह कवल

    महरब नी और अपव द-रप होि दसर सब तहनदसि नी ब लक वह ा पढ नही सकि थ

    तहनदसि नी ब लको को पढ न क ततलए ईस ई ममशन क सकल थ पर उनम म अपन ब लको को

    भजन क ततलए िय र न थ वह ा दी ज न व ली ततशकष मझ पसनदद न थी स री ततशकष अागरजी म

    ही दी ज िी थी अथव बहि परयतन तकय ज ि िो अशदध ि ममल य तहनददी म दी ज सकिी

    थी पर इन और ऐसी अनदय िदटयो को सहन करन मर ततलए समभव न थ

    म सवया ब लको को पढ न क थोड परयतन करि थ

    म उनदह दश भजन क ततलए िय र न थ उस समय भी मर यह खय ल थ तक छोट बछचो

    को म ि -तपि स अलग नही रहन च तहए सवयवचसथि घर म ब लको को जो ततशकष सहज ही

    ममल ज िी ह वह छ ि लयो म नही ममल सकिी अिएव अमधकिर व मर स थ ही रह

    लडको को म सवया जजिन समय दन च हि थ उिन द नही सक इस क रण और

    दसरी अतनव यय पररचसथतियो क क रण म अपनी इछछ क अनस र उनदह अकषर-जञ न नही द सक

    इस तवषय म मर सब लडको को नदयन मधक म ि म मझस ततशक यि भी रही ह कयोतक जब-जब

    व बी एrsquo एम ए और ldquoमदरकयलट क भी समपकय म आि िब सवया तकसी सकल म न पढ

    सकन की कमी क अनभव करि थ

    तिस पर भी मरी अपनी र य यह ह तक जो अनभव-जञ न उनदह ममल ह म ि -तपि क जो

    सहव स व पर पि कर सक ह सविािि क जो पद थयप ठ नह सीखन को ममल ह वह सब उनदह

    न ममलि यदद मन उनको च ह जजस िरह सकल भजन क आगरह रख होि

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    व ब लक और मर लडक आज सम न अवसथ क ह म नही म नि तक मनषयि म मर

    लडको स आग बढ हए ह अथव उनस मर लडक कछ अमधक सीख सकि ह

    तफर भी मर परयोग क अननदिम पररण म िो भतवषय ही बि सकि ह यह ा इस तवषय

    की चच य करन क हि िो यह ह तक मनषय-ज ति की उतकर ाति अधययन करन व ल लोग गह-

    ततशकष और सकली ततशकष क भद क और म ि -तपि दव र अपन जीवन म तकय हए पररवियनो क

    उनक ब लको पर जो परभ व पडि ह उसक कछ अाद ज लग सक

    मन सव कषभम न क तय ग तकय होि दसर भ रिीय ब लक जजस न प सक उसकी अपन

    ब लको क ततलए इछछ न रखन क तवच र क पोषण न तकय होि िो म अपन ब लको को अकषर-

    जञ न अवकय द सकि थ तकनदि उस दश म सविािि और सव कषभम न क जो पद थय-प ठ व

    सीख वह न सीख प ि और जह ा सविािि िथ अकषर-जञ न क बीच ही चन व करन हो वह ा

    कौन कहग तक सविािि अकषर-जञ न स हज र गनी अमधक अछछी नही ह

    सन १९२० म जजन नौजव नो को मन सविािि -घ िक सकलो और कोलजो को छोडन क

    ततलए आमातिि तकय थ और जजनस मन कह थ तक सविािि क ततलए तनरकषर रहकर आम र सि

    पर तगटटी फोडन गल मी म रहकर अकषर-जञ न पर पि करन स कही अछछ ह व अब मर कथन क

    ममय को कद मचि समझ सक ग

    मन म हमश यह तवच र बन रहि तक सव -शशरष क ऐस कछ क म म हमश करि

    रहा िो तकिन अछछ हो डोकटर बथ सणट एडमस ममशन क मखखय थ व हमश अपन प स

    आन व लो को मफि दव ददय करि थ बहि भल और दय ल आदमी थ प रसी रसिमजी की

    द नशीलि क क रण डो बथ की दखरख म एक बहि छोट असपि ल खल मरी परबल इछछ

    हई तक म इस असपि ल म नसय क क म करा

    इस क म स म खी-ददी तहनदसि तनयो क तनकट समपकय म आय उनम स अमधक ाश

    ि ममल िलग अथव उिर तहनदसि न क तगरममदटय होि थ

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    यह अनभव मर ततलए भतवषय म बहि उपयोगी ततसदध हआ बौअर यदध क समय घ यलो

    की सव -शशरष क क म म और दसर बीम रो की पररचय य म मझ इसस बडी मदद ममली

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    ३१ सादगी

    धोबी क खचय भी जय द म लम हआ इसक अल व धोबी तनकषिि समय पर कपड नही लौट ि

    थ इसततलए दो-िीन दजयन क़मीजो और उिन ही क लरो स भी मर क म चल नही प ि थ

    क लर म रोज बदलि थ क़मीज रोज नही िो एक ददन क अनदिर स बदलि थ इसस दोहर

    खचय होि थ मझ यह वयथय परिीि हआ अिएव मन धल ई क स म न जट य धल ई-कल

    पर पसिक पढी और धोन सीख पतनी को भी ततसख य क म क कछ बोझ ि बढ ही पर

    नय क म होन स उस करन म आननदद आि थ

    पहली ब र अपन ह थो धोय हए क लर को िो म कभी भल नही सकि उसम कलफ

    अमधक लग गय थ और इसिरी परी गरम नही थी तिस पर क लर क जल ज न क डर स इसिरी

    को मन अछछी िरह दब य भी नही थ इसस क लर म कड पन िो आ गय पर उसम स कलफ

    झडि रहि थ ऐसी ह लि म म कोटय गय और वह ा ब ररसटरो क ततलए मज क क स धन बन

    गय पर इस िरह क मज क सह लन की शतति उस समय भी मझ म क री थी

    मन सर ई दि हए कह ldquoअपन ह थो क लर धोन क मर यह पहल परयोग ह इस

    क रण इसम स कलफ झडि ह मझ इसस कोई अडचन नही होिी तिस पर आप सब लोगो

    क ततलए तवनोद की इिनी स मगरी जट रह हा सो घ ि म

    एक ममि न पछ ldquoपर कय धोतबयो क अक ल पड गय हrdquo

    ldquoयह ा धोबी क खचय मझ िो असहय म लम होि ह क लर की कीमि क बर बर धल ई

    हो ज िी ह और इिनी धल ई दन क ब द भी धोबी की गल गी करनी पडिी ह इसकी अपकष

    अपन ह थ स धोन म जय द पसनदद करि हा

    जजस िरह म धोबी की गल मी स छट उसी िरह न ई की गल मी स भी छटन क अवसर

    आ गय हज मि िो तवल यि ज न व ल सब कोई ह थ स बन न सीख ही लि ह पर कोई ब ल

    छ ाटन भी सीखि होग इसक मझ खय ल नही ह एक ब र तपरटोररय म म एक अागरज हजज म

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    की क न पर पहाच उसन मरी हज मि बन न स स र इनक र कर ददय और इनक र करि हए

    जो तिरसक र परकट तकय सो घ ि म रह मझ ःख हआ म ब ज र पहाच मन ब ल क टन

    की मशीन खरीदी और आईन क स मन खड रहकर ब ल क ट ब ल जस-िस कट िो गय पर

    पीछ क ब ल क टन म बडी कदठन ई हई सीध िो व कट ही न प य कोटय म खब कहकह लग

    िमह र ब ल ऐस कयो हो गय ह ततसर पर चह िो नही चढ गय थrdquo

    मन कह ldquoजी नही मर क ल ततसर को गोर हजज म कस छ सकि ह इसततलए कस भी

    कयो न हो अपन ह थ स क ट हए ब ल मझ अमधक तपरय हrdquo

    इस उिर स ममिो को आियय नही हआ असल म उस हजज म क कोई दोष न थ अगर

    वह क ली चमडी व लो क ब ल क टन लगि िो उसकी रोजी म री ज िी हम भी अपन अछिो

    क ब ल ऊा ची ज ति क तहनदओ क हजज मो को कह ा क टन दि ह दकषकषण अफ़रीक म मझ

    इसक बदल एक नही अनको ब र ममल ह और चातक म यह म नि थ तक यह हम र दोष क

    पररण म ह इसततलए मझ इस ब ि स कभी गसस नही आय

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    ३२ एक पणयसमरि और परायकषितत

    मर जीवन म ऐसी घटन य घटिी ही रही ह जजनक क रण म अनक धम यवलसतमबयो क और अनक

    ज तियो क ग ढ पररचय म आ सक हा इन सबक अनभवो क आध र पर यह कह ज सकि

    ह तक मन अपन और पर य दशी और तवदशी गोर और क ल तहनद और मसलम न अथव ईस ई

    प रसी य यहदी क बीच कोई भद नही तकय म कह सकि हा तक मर हदय ऐस भद को पहच न

    ही न सक अपन साबाध म म इस चीज को गण नही म नि कयोतक यह मर सवभ व म ही ह

    जब म डरबन म वक लि करि थ िब अकसर मर महररिर मर स थ रहि थ उनम तहनदद

    और ईस ई थ अथव पर नदि की दतषट स कहा िो गजर िी और मर सी थ मझ समरण नही ह तक

    उनक ब र म मर मन म कभी भदभ व पद हआ हो म उनदह अपन कटमबी म नि थ और यदद

    पतनी की ओर स इसम कोई ब ध आिी िो म उसस लडि थ एक महररिर ईस ई थ उसक

    म ि -तपि पाचम ज ति क थ हम र घर की बन वट पकषिमी ढब की थी उसम कमरो क अनददर

    मोररय ा नही होिी ndash म म नि हा तक होनी भी नही च तहए ndash इसस हरएक कमर म मोरी की

    जगह पश ब क ततलए ख स बरिन रख ज ि ह उस उठ न क क म नौकर क न थ बचलक हम

    पति-पतनी क थ जो महररिर अपन को घरक -स म नन लगि व िो अपन बरिन खद उठ ि

    भी थ यह पाचम क ल म उतपनदन महररिर नय थ उसक बरिन हम ही उठ न च तहए थ

    कसिरब ई दसर बरिन िो उठ िी थी पर इस बरिन को उठ न उस असहय लग इसस हम र

    बीच कलह हआ मर उठ न उसस सह न ज ि थ और खद उठ न उस भ री हो गय थ

    आाखो स मोिी की बाद टपक िी ह थ म बरिन उठ िी और अपनी ल ल आाखो स मझ उल हन

    दकर सीदढय ा उिरिी हई कसिरब ई क मचि म आज भी खीच सकि हा

    पर म िो जजिन परमी उिन ही करर पति थ म अपन को उसक ततशकषक भी म नि थ

    इस क रण अपन अाध परम क वश होकर उस खब सि ि थ

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    यो उसक ततसरय बरिन उठ कर ल ज न स मझ सािोष न हआ मझ सािोष िभी होि जब

    वह उस हासि माह ल ज िी इसततलए मन दो ब ि ऊा ची आव ज म कही म बडबड उठ ldquoयह

    कलह मर घर म नही चलग rdquo

    यह वचन कसिरब ई को िीर की िरह चभ गय

    वह भडक उठी ldquoिो अपन घर अपन प स रखो म यह चलीrdquo

    म उस समय भगव न को भल बठ थ मझम दय क लश भी नही रह गय थ मन

    उसक ह थ पकड सीदढयो क स मन ही ब हर तनकलन क दरव ज थ म उस असह य अबल

    को पकडकर दरव ज िक खीच ल गय दरव ज आध खोल

    कसिरब ई की आाखो स गाग -यमन बह रही थी वह बोली

    ldquoिमह िो शरम नही ह लतकन मझ ह जर िो शरम ओ म ब हर तनकलकर कह ा ज

    सकिी हा यह ा मर म ा-ब प नही ह तक उनक घर चली ज ऊा म िमह री पतनी हा इसततलए मझ

    िमह री ड ाट-फटक र सहनी ही होगी अब शरम ओ और दरव ज बनदद करो कोई दखग िो दो

    म स एक की भी शोभ नही रहगीrdquo

    मन माह िो ल ल रख पर शरममनदद जरर हआ दरव ज बनदद कर ददय यदद पतनी मझ

    छोड नही सकिी थी िो म भी उस छोडकर कह ा ज सकि थ हम र बीच झगड िो बहि हए

    ह पर पररण म सद शभ ही रह ह पतनी न अपनी अदभि सहनशतति दव र तवजय पर पि की ह

    म यह वणयन आज िटसथ भ व स कर सकि हा कयोतक यह घटन हम र बीि यग की ह

    आज म मोह नदध पति नही हा ततशकषक नही हा कसिरब ई च ह िो मझ आज धमक सकिी ह

    आज हम परख हए ममि ह एक-दसर क परति तनरविक र बनकर रहि ह

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    ३३ बोअर-यदध

    सन १८९७ स १८९९ क बीच क अपन जीवन क दसर अनक अनभवो को छोडकर अब म

    बोअर-यदध पर आि हा जब यह यदध हआ िब मरी अपनी सह नभति कवल बोअरो की िरफ

    ही थी पर म म नि थ तक ऐस म मलो म वयततिगि तवच रो क अनस र क म करन क अमधक र

    मझ अभी पर पि नही हआ ह इस साबाध क मनदथन-मचनदिन क सकषम तनरीकषण मन दकषिण अफ़रीका

    क सतयागरह क इतिह स म तकय ह इसततलए यह ा नही करन च हि जजजञ सओ को मरी सल ह

    ह तक व उस इतिह स को पढ ज एा यह ा िो इिन ही कहन क री होग तक तबरदटश र जय क

    परति मरी वर द री मझ उस यदध म ससतममततलि होन क ततलए जबरदसिी घसीट ल गयी मन अनभव

    तकय तक जब म तबरदटश परज जन क न ि अमधक र म ाग रह हा िो उसी न ि तबरदटश र जय की

    रकष म ह थ बाट न भी मर धमय ह उस समय मरी यह र य थी तक तहनदसि न की समपणय उनदनति

    तबरदटश स मर जय क अनददर रहकर हो सकिी ह

    अिएव जजिन स थी ममल उिनो को लकर और अनक कदठन इय ा सहकर हमन घ यलो

    की सव -शशरष करन व ली एक टकडी खडी की अब िक स ध रणिय यह ा क अागरजो की

    यही ध रण थी तक तहनदसि नी साकट क क मो म नही पडि उनदह सव थय क अतिररि और कछ

    नही सझि इसततलए कई अागरज ममिो न मझ तनर श करन व ल उिर ददय थ अकल डोकटर

    बथ न मझ बहि परोतस तहि तकय उनदहोन हम घ यल योदध ओ की स र-साभ ल करन ततसख य

    अपनी योगयि क तवषय म हमन डोकटरी परम णपि पर पि तकय मम ल टन और सव० मम एसकमब

    न भी हम र इस क यय को पसनदद तकय अनदि म लड ई क समय सव करन दन क ततलए हमन

    सरक र स तबनिी की

    हम री इस टकडी म लगभग गय रह सौ आदमी थ उनम क़रीब च लीस मखखय थ दसर

    कोई िीन सौ सविाि तहनदसि नी भी रागरटो म भरिी हए थ ब की क तगरममदटय थ डो बथ

    भी हम र स थ थ उस टकडी न अछछ क म तकय यदयतप उस गोल -ब रद की हद क ब हर

    ही क म करन होि थ और lsquoरड करोसrsquo१० क सारकषण पर पि थ तफर भी साकट क समय गोल -

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    ब रद की सीम क अनददर क म करन क अवसर भी हम ममल ऐस साकट म न पडन क इकर र

    सरक र न अपनी इछछ स हम र स थ तकय थ पर तसपय ाकोप की ह र क ब द ह लि बदल

    गयी इसततलए जनरल बलर न यह सादश भज तक यदयतप आप लोग जोखखम उठ न क ततलए

    वचन-बदध नही ह िो भी यदद आप जोखखम उठ कर घ यल ततसप तहयो और अरसरो को रणकषि

    स उठ कर और डोततलयो म ड लकर ल ज न को िय र हो ज एाग िो सरक र आपक उपक र

    म नगी हम िो जोखखम उठ न को िय र ही थ अिएव तसपय ाकोप की लड ई क ब द हम गोल -

    ब रद की सीम क अनददर क म करन लग

    इन ददनो सबको कई ब र ददन म बीस-पचीस मील की माजजल िय करनी पडिी थी और

    एक ब र िो घ यलो को डोली म ड लकर इिन मील चलन पड थ जजन घ यल योदध ओ को

    हम इस परक र उठ कर ल ज न पड उनम जनरल वडगट बगर भी थ

    छह हफिो क ब द हम री टकडी को तबद दी गयी

    हम र छोट-स क म की उस समय िो बडी सिति हई इसस तहनदसि तनयो की परतिषठ

    बढी वह ा क सम च रपिो म सिति क वय ततलख गय उसकी धरव पातति यह थी ldquoआखखरक र िो

    हम सभी एक ही र जय क ब लबछच हrdquo आखखर तहनदसि नी स मर जय क ब ररस िो ह हीrsquo

    जनरल बलर न अपन खरीि म हम री टकडी क क म की ि रीर की मखखयो को यदध क पदक

    भी ममल

    इसस तहनदसि नी कौम अमधक सागदठि हो गयी म तगरममदटय तहनद सि तनयो क बहि

    अमधक समपकय म आ सक उनम अमधक ज गति आयी और तहनदद मसलम न ईस ई मर सी

    गजर िी ततसनद धी सब तहनदसि नी ह यह भ वन अमधक दढ हई सबन म न तक अब तहनदसि तनयो

    क ःख दर होन ही च तहए उस समय िो गोरो क वयवह र म भी सपषट पररवियन ददख यी ददय

    लड ई म गोरो क स थ जो समपकय हआ वह मधर थ हम हज रो टोममयोrsquo क स थ रहन

    क मौक़ ममल व हम र स थ ममिि क वयवह र करि थ और यह ज नकर तक हम उनकी

    सव क ततलए आय ह हम र उपक र म नि थ

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    ःख क समय मनषय क सवभ व तकस िरह तपघलि ह इसक एक मधर सासमरण यह ा

    ददए तबन म रह नही सकि हम चीवली छ वनी की िरफ ज रह थ यह वही कषि थ जह ा

    लोडय रोबटयस क पि लचटटनणट रोबटयस को पर णघ िक चोट लगी थी लचटटनणट रोबटयस क शब

    को ल ज न क समम न हम री टकडी को ममल थ अगल ददन धप िज थी हम कच कर रह

    थ सब पय स थ प नी पीन क ततलए र सि म एक छोट -स झरन पड पहल प नी कौन पीय

    मन सोच तक पहल टोगी प नी पी ल ब द म हम तपयग पर टोममयो न हम दखकर िरनदि हमस

    प नी पी लन क आगरह शर तकय और इस िरह बडी दर िक हम र बीच आप पहल हम

    पीछ क मीठ झगड चलि रह

    __________________________

    १० lsquoरड करोस क अथय ह ल ल सवतसिक यदध म शशरष क क म करन व लो क ब य ह थ पर इस मचहनव ली

    पटटी ब ाधी ज िी ह तनयम यह ह तक शि भी उनदह चोट नही पहाच सकि अमधक तववरण क ततलए दखखय

    दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास ndash भ ग ndash १ परकरण ९

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    ३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन

    समाज क एक भी अाग क तनरपयोगी रहन मझ हमश अखर ह जनि क दोष मछप कर

    उसक बच व करन अथव दोष दर तकय तबन अमधक र पर पि करन मझ हमश अरमचकर लग

    ह इसततलए दकषकषण अफ़रीक म रहन व ल तहनदसि तनयो पर लग य ज न व ल एक आरोप क

    जजसम कछ िरथय थ इल ज करन क क म मन वह ा क अपन तनव सक ल म ही सोच ततलय थ

    तहनदसि तनयो पर जब-िब यह आरोप लग य ज ि थ तक व अपन घर-ब र स र नही रखि

    और बहि गनदद रहि ह इस आरोप को तनःशष करन क ततलए आरमभ म तहनदसि तनयो क मखखय

    म न ज न व ल लोगो क घरो म िो सध र आरमभ हो ही चक थ पर घर-घर घमन क ततसलततसल

    िब शर हआ जब डरबन म पलग क परकोप क डर पद हआ इसम मयतनततसपततलटी क

    अमधक ररयो क भी सहयोग और सममति थी हम री सह यि ममलन स उनक क म हलक हो

    गय और तहनदसि तनयो को कम कषट उठ न पड

    मझ कछ कडव अनभव भी हए मन दख तक सथ नीय सरक र स अमधक रो की म ाग

    करन म जजिनी सरलि स म अपन सम ज की सह यि प सकि थ उिनी सरलि स लोगो

    स उनक कियवय क प लन कर न क क म म सह यि पर पि न कर सक कछ जगहो पर मर

    अपम न तकय ज ि कछ जगहो पर तवनय-पवयक उपकष क पररचय ददय ज ि गनददगी स र

    करन क ततलए कषट उठ न उनदह बहि अखरि थ िब जस खचय करन की िो ब ि ही कय

    लोगो स कछ भी क म कर न हो िो धीरज रखन च तहए यह प ठ मन अछछी िरह सीख ततलय

    सध र की ग़रज िो सध रक की अपनी होिी ह जजस सम ज म वह सध र कर न च हि ह

    उसस िो उस तवरोध तिरसक र और पर णो क साकट की भी आश रखनी च तहए सध रक जजस

    सध र म नि ह सम ज उस तबग ड क यो न म न

    इस आनददोलन क पररण म यह हआ तक भ रिीय सम ज म घर-ब र स र रखन क महततव

    को नदयन मधक म ि म सवीक र कर ततलय गय अमधक ररयो की दतषट म मरी स ख बढी व समझ

    गय तक मर धनद ध कवल ततशक यि करन य अमधक र म ागन क ही नही ह बचलक ततशक यि

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    करन य अमधक र म ागन म म जजिन ितपर हा उिन ही उतस ह और दढि भीिरी सध र क

    ततलए भी मझ म ह

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    ३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद

    लडाई क क म स मि होन क ब द मन अनभव तकय तक अब मर क म दकषकषण अफ़रीक म

    नही बचलक तहनदसि न म ह मन दख तक दकषकषण अफ़रीक म बठ -बठ म कछ सव िो अवकय

    कर सका ग

    मझ भी लग तक दश ज न स मर उपयोग अमधक हो सकग

    मन स ततथयो क स मन मि होन की इछछ परकट की बडी कदठन ई स एक शिय क स थ

    वह सवीकि हई शिय यह थी तक यदद एक वषय क अनददर कौम को मरी आवकयकि म लम हई

    िो मझ व पस दकषकषण अफ़रीक पहाचन होग मझ यह शिय कडी लगी पर म परमप श म बाध

    हआ थ

    जगह-जगह म नपि समपयण की सभ य हई और हर जगह स कीमिी भट ममली

    भटो म सोनच ादी की चीज िो थी ही पर हीर की चीज भी थी

    इन सब चीजो को सवीक र करन क मझ कय अमधक र थ यदद म उनदह सवीक र करि

    िो अपन मन को यह कस समझ ि तक कौम की सव म पस लकर नही करि इन भटो म स

    मवचककलो की दी हई थोडी चीजो को छोड द िो ब की सब मरी स वयजतनक सव क तनममि स

    ही ममली थी तफर मर मन िो मवचककलो और दसर स ततथयो क बीच कोई भद नही थ ख स-

    ख स सभी मवचककल स वयजतनक क मो म भी मदद दन व ल थ

    स थ ही इन भटो म पच स तगसतनदनयो क एक ह र कसिरब ई क ततलए थ पर वह वसि

    भी मरी सव क क रण ही ममली थी इसततलए वह दसरी भटो स अलग नही की ज सकिी थी

    जजस श म को इनम स मखय भट ममली थी वह र ि मन प गल की िरह ज गकर तबि यी

    म अपन कमर म चककर क टि रह पर उलझन तकसी िरह सलझिी न थी सकडो की कीमि

    क उपह रो को छोडन कदठन म लम होि थ रखन उसस भी अमधक कदठन लगि थ

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    मन परशन करि म श यद भटो को पच प ऊा पर मर बछचो क कय होग सिी क कय

    होग उनदह ततशकष िो सव की ममलिी थी उनदह हमश समझ य ज ि थ तक सव क द म नही

    ततलए ज सकि म घर म कीमिी गहन बगर रखि नही थ स दगी बढिी ज रही थी ऐसी

    चसथति म सोन की घमडयो क उपयोग कौन करि सोन की जाजीर और हीर की अागदठय ा कौन

    पहनि म उस समय भी गहनो-ग ाठो क मोह छोडन क उपदश औरो को ददय करि थ अब

    इन गहनो और जव हर ि क म कय करि

    म इस तनणयय पर पहाच तक मझ य चीज रखनी ही नही च तहए प रसी रसिमजी आदद

    को इन गहनो क रसटी तनयि करक उनक न म ततलख ज न व ल पि क मसतवद मन िय र

    तकय और सबर सिी-पि दद स सल ह करक अपन बोझ हलक करन क तनिय तकय

    म यह ज नि थ तक धमयपतनी को समझ न कदठन होग बछचो को समझ न म जर भी

    कदठन ई नही होगी इसक मझ तवशव स थ अिः उनदह इस म मल म वकील बन न क मन तनिय

    तकय

    लडक िो िरनदि समझ गय उनदहोन कह ldquoहम इन गहनो की आवकयकि नही ह हम य

    सब लौट ही दन च तहए और जीवन म कभी हम इन वसिओ की आवकयकि हई िो कय हम

    सवया न खरीद सक गrdquo ऐस उनक कहन थ

    म खश हआ मन पछ ldquoिो िम अपनी म ा को समझ ओग नrdquo

    ldquoजरर जरर यह क म हम र समजझय उस कौन य गहन पहनन ह वह िो हम र ततलए

    ही रखन च हिी ह हम उनकी जररि नही ह तफर वह हठ कयो करगीrdquo

    पर क म जजिन सोच थ उसस अमधक कदठन ततसदध हआ

    ldquoभल आपको जररि न हो और आपक लडको को भी न हो बछचो को िो जजस र सि

    लग दो उसी र सि व लग ज ि ह भल मझ न पहनन द पर मरी बहओ क कय होग उनक

    िो य चीज क म आयगी न और कौन ज नि ह कल कय होग इिन परम स दी गयी चीज

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    व पस नही की ज सकिीrdquo पतनी की व गध र चली और उसक स थ अशरध र ममल गयी बछच

    दढ रह मझ िो मडगन थ ही नही

    मन धीर स कह ldquoलडको क बय ह िो होन दो हम कौन उनदह बचपन म बय हन ह

    बड होन पर िो य सवया ही जो करन च हग करग और हम कह ा गहनो की शौकीन बहएा खोजनी

    ह इिन पर भी कछ कर न ही पड िो म कह ा चल ज ऊा ग rdquo

    ldquoज निी हा आपको मर गहन भी िो आपन ही ल ततलए न जजनदहोन मझ सख स न पहनन

    ददय वह मरी बहओ क ततलए कय ल यग लडको को आप अभी स बर गी बन रह ह य गहन

    व पस नही ददय ज सकि और मर ह र पर आपक कय अमधक र हrdquo

    मन पछ ldquoपर यह ह र िमह री सव क बदल म ममल ह य मरी सव कrdquo

    ldquoकछ भी हो आपकी सव मरी भी सव हई मझस आपन र ि-ददन जो मजदरी करव यी

    वह कय सव म शम र न होगी मझ रल कर भी आपन हर तकसीको घर म ठहर य और उसकी

    च करी करव यी उस कय कहगrdquo

    य स र ब ण नकील थ इनम स कछ चभि थ पर गहन िो मझ व पस करन ही थ बहि-

    सी ब िो म म जस-िस कसिरब की सहमति पर पि कर सक १८९६ म और १९०१ म ममली हई

    भट मन लौट दी उनक रसट बन और स वयजतनक क म क ततलए उनक उपयोग मरी अथव

    रनसटयो की इछछ क अनस र तकय ज एा इस शिय क स थ व बक म रख दी गयी इन गहनो को

    बचन क तनममि स म कई ब र पस इकटठ कर सक हा आज भी आपतति-कोष क रप म यह

    धन मौजद ह और उसम वजदध होिी रहिी ह

    अपन इस क यय पर मझ कभी पि ि प नही हआ ददन बीिन पर कसिरब को भी इसक

    औमचतय की परिीति हो गयी इसस हम बहि स ल लचो स बच गय ह

    मर यह मि बन ह तक स वयजतनक सवक क ततलए तनजी भट नही हो सकिी

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    भाग-७ दश म

    ३६ महासभा (काागरस) परथम बार

    नहनदसतान पहाचन पर थोड समय मन घमन-तफरन म तबि य यह सन १९०१ क जम न थ

    उस स ल की क ागरस कलकि म होन व ली थी दीनश एदलजी व छछ उसक अधयकष थ मझ

    क ागरस म िो ज न थ ही क ागरस क यह मर पहल अनभव थ

    हम कलकि पहाच अधयकष आदद नि ओ को न गररक धमध म स ल गय मन तकसी

    सवयासवक स पछ ldquoमझ कह ा ज न च तहएrdquo

    वह मझ ररपन कोलज ल गय वह ा बहि स परतितनमध ठहर य गय थ

    सवयासवक एक-दसर स टकर ि रहि थ जो क म जजस सौप ज ि वह सवया उस नही

    करि थ वह िरनदि दसर को पक रि थ दसर िीसर को बच र परतितनमध िो न िीन म

    होि न िरह म नही छपपन क मल म

    गादगी की हद नही थी च रो िरफ प नी ही प नी फल रह थ प ख न कम थ उनकी

    गयनद ध की य द आज भी मझ हर न करिी ह मन एक सवयासवक को यह सब ददख य उसन

    स र इनक र करि हए कह ldquoयह िो भागी क क म हrdquo मन झ ड म ाग वह मर माह ि कि

    रह मन झ ड खोज तनक ल प ख न स र तकय पर यह िो मरी अपनी सतवध क ततलए

    हआ भीड इिनी जय द थी और प ख न इिन कम थ तक हर ब र क उपयोग क ब द उनकी

    सर ई होनी जररी थी यह मरी शतति क ब हर की ब ि थी

    क ागरस क अमधवशन को एक-दो ददन की दर थी मन तनिय तकय थ तक क ागरस क

    क य यलय म मरी सव सवीक र की ज य िो सव करा और अनभव ला

    शरी भपनदरन थ बस और शरी घोष ल मािी थ म भपनदरब ब क प स पहाच और सव की

    म ाग की उनदहोन मरी ओर दख और बोल

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    मर प स िो कोई क म नही ह पर श यद मम घोष ल आपको कछ क म द सक ग उनक

    प स ज इयrdquo

    म घोष लब ब क प स गय उनदहोन मझ धय न स दख और जर हासकर मझस पछ

    ldquoमर प स िो कलकय क क म ह आप करगrdquo

    मन उिर ददय ldquoअवकय करा ग मरी शतति स ब हर न हो ऐस हर क म करन क ततलए

    म आपक प स आय हाrdquo

    ldquoनौजव न यही सछची भ वन ह rdquo

    और बगल म खड सवयासवको की ओर दखकर बोल

    ldquoसनि हो यह यवक कय कह रह हrdquo

    तफर मरी ओर मडकर बोल

    ldquoिो दखखय यह िो ह पिो क ढर और यह मर स मन कसी ह इस पर आप बदठय

    आप दखि ह तक मर प स सकडो आदमी आि रहि ह म उनस ममला य इन बक र पि ततलखन

    व लो को उनक पिो क जव ब ततलखा मर प स ऐस कलकय नही ह जजनस यह क म ल सका

    इन सब पिो म स बहिो म क म की एक भी ब ि नही होगी पर आप सबको दख ज इय

    जजसकी पहाच भजन उमचि समझ उसकी पहाच भज दीजजए जजसक जव ब क ब र म मझस

    पछन जररी समझ मझ पछ लीजजएrdquo म िो इस तवशव स स मगध हो गय

    शरी घोष ल मझ पहच नि न थ न म-ध म ज नन क क म िो उनदहोन ब द म तकय मर

    इतिह स ज नन क ब द िो मझ कलकय क क म सौपन क ततलए व कछ लचजजि हए पर मन उनदह

    तनकषिनदि कर ददय

    ldquoकह ा आप और कह ा म आप क ागरस क पर न सवक ह मर गरजन ह म एक

    अनभवहीन नवयवक हा यह क म सौपकर आपन मझ पर उपक र ही तकय ह कयोतक मझ

    क ागरस म क म करन ह उसक क मक ज को समझन क आपन मझ अलभय अवसर ददय हrdquo

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    हम र बीच अछछी ममिि हो गयी घोष लब ब क बटन भी बर लग ि थ यह दखकर

    lsquoबरrsquo क क म मन ही ल ततलय मझ वह पसनदद थ बडो क परति मर मन म बहि आदर थ जब

    व मरी वतति समझ गय िो अपनी तनजी सव क स र क म मझस लन लग

    पर ऐसी सव क परति मन म थोडी भी अरमच उतपनदन न हई मझ जो ल भ हआ उसकी

    िो कीमि आाकी ही नही ज सकिी

    कछ ही ददनो म मझ क ागरस की वयवसथ क जञ न हो गय कई नि ओ स भट हई

    गोखल सरनदरन थ आदद योदध आि-ज ि रहि थ म उनकी रीति-नीति दख सक वह ा समय

    की जो बरब दी होिी थी उस भी मन अनभव तकय अागरजी भ ष क पर बलय भी दख इसस

    उस समय भी मझ ःख हआ थ शतति क बच व की कोई तगनिी ही नही थी मन दख तक एक

    आदमी स हो सकन व ल क म म अनक आदमी लग ज ि थ और यह भी दख तक तकिन ही

    महततवपणय क म कोई करि ही न थ

    मर मन इस स री चसथति की टीक तकय करि थ पर मचि उद र थ इसततलए वह म न

    लि थ तक जो हो रह ह उसम अमधक सध र करन साभव न होग फलिः मन म तकसी क

    परति अरमच पद न होिी थी

    सर फीरोजश ह न दकषकषण अफ़रीक क ब र म मर परसि व लन की सवीकति िो दी थी पर

    उस क ागरस की तवषय-तनव यमचनी सममति म कौन परसिि करग कब करग यह सोचि हआ म

    सममति म बठ रह हरएक परसि व पर लमब-लगब भ षण होि थ सब अागरजी म हरएक क स थ

    परततसदध वयततियो क न म जड होि थ इस नकक रख न म मरी ििी की आव ज कौन सनग

    जयो-जयो र ि बीििी ज िी थी तयो-तयो मर ददल धडकि ज ि थ सब कोई भ गन की िय री

    म थ र ि क गय रह बज गय थ मझम बोलन की तहममि न थी म गोखल स ममल चक थ और

    उनदहोन मर परसि व दख ततलय थ

    उनकी कसी क प स ज कर मन धीर स कह

    ldquoमर ततलए कछ कीजजएग rdquo

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    सर फीरोजश ह बोल ldquoकतहय सब क म तनबट गय नrdquo

    गोखल बोल उठ दकषकषण अफ़रीक क परसि व िो ब की ही ह मम ग ाधी कबस बठ र ह

    दख रह हrdquo

    सर फीरोजश ह न पछ ldquoआप उस परसि व को दख चक हrdquo

    ldquoह ा ldquo

    ldquoआपको वह पसनदद आय rdquo

    ldquoक री अछछ हrdquo

    ldquoिो ग ाधी पढोrdquo

    मन क ापि हए परसि व पढ सन य

    गोखल न उसक समथयन तकय

    सब बोल उठ ldquoसवय-सममति स प सrdquo

    व छछ बोल ldquoग ाधी िम प ाच ममनट लन rdquo

    इस दकय स मझ परसनद नि न हई तकसीन भी परसि व को समझन क कषट नही उठ य

    सब जलदी म थ गोखल न परसि व दख ततलय थ इसततलए दसरो को दखन-सनन की आवकयकि

    परिीि न हई

    सवर हआ

    मझ िो अपन भ षण की तरकर थी प ाच ममनट म कय बोलाग मन िय री िो अछछी

    कर ली थी पर उपयि शबद सझि न थ जस िस परसि व पढ गय

    तकसी कतव न अपनी कतवि छप कर सब परतितनमधयो म ब ाटी थी उसम परदश ज न

    की और समर-य ि की सिति थी वह मन पढ सन यी और दकषकषण अफ़रीक क ःखो की थोडी

    चच य की इिन म सर मम व छछ दीनश की घाटी बजी मझ तवशव स थ तक मन अभी प ाच ममनट

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    पर नही तकय ह मझ पि न थ तक यह घाटी मझ चि न क ततलए दो ममनट पहल ही बज दी गयी

    थी मन बहिो को आध-आध पौन-पौन घाट बोलि दख थ और घाटी नही बजी थी मझ ःख

    िो हआ घाटी बजि ही म बठ गय

    परसि व प स होन क ब र म िो पछन ही कय थ उन ददनो दशयक और परतितनमध क भद

    कवमचि ही तकय ज ि थ परसि वो क तवरोध करन क कोई परशन ही नही थ सब ह थ उठ ि

    ही थ स र परसि व सवय-सममति स प स होि थ मर परसि व भी इसी िरह प स हआ इसततलए

    मझ परसि व क महततव नही ज न पड तफर भी क ागरस म मर परसि व प स हआ यह ब ि ही

    मर आननदद क ततलए पय यपि थी जजस पर क ागरस की महर लग गयी उस पर स र भ रि की महर

    ह यह जञ न तकसक ततलए पय यपि न होग

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    ३७ लाडम क़ज़मन का दरबार

    काागरस-अधधवशन सम पि हआ पर मझ िो दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए कलकि म

    रहकर चमबर ओफ कोमसय इतय दद मणडलो स ममलन थ इसततलए म कलकि म एक महीन

    ठहर इस ब र मन होटल म ठहरन क बदल पररचय पर पि करक इचणडय कलब म ठहरन की

    वयवसथ की इस कलब म अगरगणय भ रिीय उिर करि थ इसस मर मन म यह लोभ थ तक

    उनस मल-जोल बढ कर म उनम दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए ददलचसपी पद कर सका ग

    उनदही ददनो ल डय क़जयन क दरब र हआ उसम ज न व ल कोई र ज -मह र ज इस कलब

    म ठहर हए थ कलब म िो म उनको हमश सनददर बाग ली धोिी कि य और च दर की पोश क म

    दखि थ आज उनदहोन पिलन चोग ख नस मोकी-सी पगडी और चमकील बट पहन थ यह

    दखकर मझ ःख हआ और मन इस पररवियन क क रण पछ

    जव ब ममल ldquoहम र ःख हम ही ज नि ह अपनी समपतति और अपनी उप मधयो को

    सरकषकषि रखन क ततलए हम जो अपम न सहन पडि ह उनदह आप कस ज न सकि हrdquo

    ldquoपर यह ख नस म-जसी पगडी और य बट तकसततलएrdquo

    ldquoहम म और ख नस मो म आपन कय रकय दख व हम र ख नस म ह िो हम ल डय

    क़जयन क ख नस म ह यदद म दरब र म अनपचसथि रहा िो मझको उसक दणड भगिन पड

    अपनी स ध रण पोश क पहनकर ज ऊा िो वह अपर ध म न ज एग और वह ा ज कर भी कय

    मझ ल डय क़जयन स ब ि करन क अवसर ममलग कद तप नहीrdquo

    मझ इस सपषटवि भ ई पर दय आई

    ऐस ही परसाग व ल एक और दरब र मझ य द आ रह ह जब क शी क तहनदद तवशवतवदय लय

    की नीव ल डय ह रडिग क ह थो रखी गयी िब उनक दरब र हआ थ उसम र ज -मह र ज िो

    आय ही थ भ रिभषण म लवीयजी न मझस भी उसम उपचसथि रहन क तवशष आगरह तकय

    थ म वह ा गय थ कवल सतसियो को ही शोभ दन व ली र ज -मह र ज ओ की पोश क दखकर

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    मझ ःख हआ थ रशमी प ज म रशमी अागरख और गल म हीर-मोिी की म ल य ह थ पर

    ब जबनदद और पगडी पर हीर-मोिी की झ लर इन सबक स थ कमर म सोन की मठव ली िलव र

    लटकिी थी य चीज उनक र जय मधक र की नही बचलक उनकी गल मी की तनश तनय ा थी म

    म नि थ तक ऐस न मदी-सचक आभषण व सवछछ स पहनि होग पर मझ पि चल तक ऐस

    सममलनो म अपन सब मलयव न आभषण पहनकर ज न र ज ओ क ततलए अतनव यय थ मझ

    यह भी म लम हआ तक कइयो को ऐस आभषण पहनन स घण थी धन सि और म न मनषय

    स तकिन प प और अनथय कर ि ह

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    ३८ बमबई म

    गोखल की बडी इछछ थी तक म बमबई म बस ज ऊा वह ा ब ररसटर क धनदध करा और उनक

    स थ स वयजतनक सव म ह थ बाट ऊा उस समय स वयजतनक सव क मिलब थ क ागरस की

    सव

    मरी भी यही इछछ थी पर क म ममलन क ब र म मझ आतम-तवशव स न थ तपछल

    अनभवो की य द भली नही थी

    इस क रण पहल िो म र जकोट म ही रह वह ा क म शर तकय

    एक ददन कवलर म मर प स आय और बोल ldquoग ाधी िमको यह ा नही रहन ददय ज एग

    िमह िो बमबई ही ज न होग rdquo

    ldquoिम स वयजतनक क म क ततलए ततसरज गय हो िमह हम क दठय व ड म दफन न होन दग

    कहो कब रव न होि होrdquo

    ldquoन ि ल स मर कछ पस आन ब की ह उनक आन पर चल ज ऊा ग rdquo

    पस एक-दो हफिो म आ गय और म बमबई पहाच

    मन दख तक मर धाध आरथिक दतषट स मरी अपकष स अमधक अछछ चल तनकल दकषकषण

    अफ़रीक क मवचककल मझ कछ-न-कछ क म दि रहि थ मझ लग तक उसस मर खचय सरलि -

    पवयक चल ज एग

    मन सचसथर होन क तनिय तकय और थोडी चसथरि अनभव की तक अच नक दकषकषण

    अफ़रीक क ि र ममल ldquoचमबरलन यह ा आ रह ह आपको आन च तहएrdquo मझ अपन वचन

    क समरण िो थ ही मन ि र ददय ldquoमर खचय भजजय म आन को िय र हाrdquo उनदहोन िरनदि

    रपय भज ददय और म दफिर समट कर रव न हो गय

    मन सोच थ तक मझ एक वषय िो सहज ही लग ज एाग इसततलए बागल रहन ददय और

    ब ल-बछचो को वही रखन उमचि समझ

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    उस समय म म नि थ तक जो नौजव न दश म कोई कम ई न करि हो और स हसी हो

    उनक ततलए परदश चल ज न अछछ ह इसततलए म अपन स थ च र-प ाच नौजव नो को लि

    गय उनम मगनल ल ग ाधी भी थ

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    भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

    ३९ पनः दकषिि अफ़रीका म

    यह नही कह ज सकि तक म डरबन एक ददन भी पहल पहाच मर ततलए वह ा क म िय र ही

    थ मम चमबरलन क प स डपयटशन क ज न की ि रीख तनकषिि हो चकी थी मझ उनक स मन

    पढ ज न व ल पर थयन -पि िय र करन थ और डपयटशन क स थ ज न थ

    मम चमबरलन दकषकषण अफ़रीक स स ढ िीन करोड पौणड लन आय थ िथ अागरजो क

    और हो सक िो बोअरो क मन जीिन आय थ इसततलए भ रिीय परतितनमधयो को नीच ततलख

    ठाड जव ब ममल

    ldquoआप िो ज नि ह तक उिरद यी उपतनवशो पर स मर जय-सरक र क अाकश न मम ि

    क ही ह आपकी ततशक यि िो सछची ज न पडिी ह मझस जो हो सकग म करा ग पर

    आपको जजस िरह भी बन यह ा क गोरो को ररझ कर रहन हrdquo

    जव ब सनकर परतितनमध ठा ड हो गय म तनश श हो गय जब ज ग िभी सबर म नकर

    तफर स शरीगणश करन होग यह ब ि मर धय न म आ गयी और स ततथयो को मन समझ दी

    मम चमबरलन की िफ नी दौर करन थ व र नदसव ल क ततलए रव न हए मझ वह ा क

    भ रिीयो क कस िय र करक उनक स मन पश करन थ तपरटोररय तकस िरह पहाच ज एा

    वह ा म समय पर पहाच सका इसक ततलए अनमति पर पि करन क क म हम र लोगो स हो सकन

    जस न थ

    यदध क ब द र नदसव ल उज ड जस हो गय थ वह ा न ख न को अनदन थ न पहनन-

    ओढन को कपड ममलि थ ख ली और बनदद पडी हई क नो को म ल स भरन और खलव न

    थ जस-जस म ल इकटठ होि ज एा वस-वस ही घरब र छोडकर भ ग हए लोगो को व पस

    आन ददय ज सकि थ इस क रण परतयक र नद सव लव सी को परव न लन पडि थ गोरो

    को िो परव न म ागि ही ममल ज ि थ मसीबि तहनदसि तनयो की थी

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    हचबशयो स समबनदध रखन व ल एक अलग तवभ ग पहल स ही थ ऐसी दश म

    एततशय व ततसयो क ततलए भी एक तवभ ग कयो न हो तहनदसि तनयो को इस तवभ ग म अजी दनी

    पडिी थी

    मझस कह गय थ तक तबन वसील क परव न ममलि ही नही और कई ब र िो वसील

    य जररय क होि हए भी परति वयतति सौ-सौ पौणड िक खचय हो ज ि ह इसम मर दठक न कह ा

    लगि

    म अपन पर न ममि डरबन क पततलस सपररणटणडणट क प स पहाच और उनस कह

    ldquoआप मर पररचय परव न दन व ल अमधक री स कर दीजजए और मझ परव न ददल दीजजए

    आप यह िो ज नि ह तक म र नदसव ल म रह हाrdquo व िरनदि ततसर पर टोप रखकर मर स थ आय

    और मझ परव न ददल ददय सपररणटणडणट एलकजणडर क आभ र म नकर म तपरटोररय क

    ततलए रव न हो गय

    म तपरटोररय पहाच पर थयन -पि िय र तकय डरबन म परतितनमधयो क न म तकसीस पछ

    गय हो सो मझ य द नही लतकन यह ा नय तवभ ग क म कर रह थ इसततलए परतितनमधयो क

    न म पहल स पछ ततलए गय थ हमन न म ददय मजकर अमधक री क हसि कषर व ल पि आय

    उसम यह ततलख गय थ तक मम चमबरलन डरबन म ग ाधी स ममल ह अिः अब उनक न म

    परतितनमधयो म स तनक ल दन की जररि ह

    स ततथयो को यह पि असहय परिीि हआ ldquoआपक कहन स सम ज न लड ई म तहसस

    ततलय पर पररण म िो यही तनकल नrdquo इस िरह ि न म रन व ल भी सम ज म तनकल आय

    पर मझ पर इन ि नो क कोई असर नही हआ मन कह ldquoमझ इस सल ह क पछि व नही ह

    म अब भी यह म नि हा तक हमन लड ई म भ ग लकर ठीक ही तकय ह वस करक हमन

    अपन कियवय क प लन तकय ह हम उसक फल च ह दखन को न ममल पर मर यह दढ तवशव स

    ह तक शभ क यय क फल शभ ही होि ह बीिी ब िो क तवच र करन की अपकष अब हम र ततलए

    अपन वियम न कियवय क तवच र करन अमधक अछछ होग अिएव हम उसक ब र म सोचrdquo

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    दसरो न भी इस ब ि क समथयन तकय

    मन कह ldquoसच िो यह ह तक जजस क म क ततलए मझ बल य गय थ वह अब पर हआ

    म न ज एाग पर म म नि हा तक आपक मझ छटटी द दन पर भी अपन बसभर मझ र नदसव ल

    स हटन नही च तहए मर क म अब न ि ल स नही बचलक यह ा स चलन च तहए एक स ल क

    अनददर व पस ज न क तवच र मझ छोड दन च तहए और यह ा की वक ल ि की सनद ह ततसल

    करनी च तहए इस नय तवभ ग स तनबट लन की तहममि मझम ह यदद हमन मक बल न तकय

    िो सम ज लट ज एग और श यद यह ा स उसक पर भी उखड ज एाग

    उस परक र मन चच य चल यी तपरटोररय और जोह तनसबगय म रहन व ल भ रिीय नि ओ

    स तवच र तवमशय करक अनदि म जोह तनसबगय म दफिर रखन क तनिय हआ

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    ४० गीता का अभयास

    शथयोसोनफसट ममि मझ अपन मणडल म ससतममततलि करन की इछछ अवकय रखि थ पर उनक

    हि तहनदद क न ि मझस कछ पर पि करन थ ततथयोसोफी की पसिको म तहनदद धमय की छ य और

    उसक परभ व िो क री ह ही अिएव इन भ इयो न म न ततलय तक म उनकी सह यि कर सका ग

    जजजञ स-मणडल क न म स एक छोट -स मणडल भी सथ तपि तकय और तनयममि अभय स होन

    लग गीि जी पर मझ परम और शरदध िो थी ही अब उसकी गहर ई म उिरन की आवकयकि

    परिीि हई मर प स एक-दो अनव द थ उनकी सह यि स मन मल सासकि समझ लन क परयतन

    तकय और तनतय एक-दो शलोक कणठ करन क तनिय तकय

    पर ि द िन और सन न क समय क उपयोग गीि क शलोक कणठ करन म तकय द िन

    म पनदरह और सन न म बीस ममनट लगि थ खड-खड करि थ स मन की दीव र पर गीि क

    शलोक ततलखकर मचपक दि थ और आवकयकि नस र उनदह दखि िथ घोखि ज ि थ य

    घोख हए शलोक सन न करन िक पकक हो ज ि थ इस बीच तपछल कणठ तकय हए शलोको को

    भी म एक ब र दोहर ज ि थ इस परक र िरह अधय य िक कणठ करन की ब ि मझ य द ह

    इस गीि प ठ क परभ व मर सह धय तययो पर क य पड उस व ज न परनदि मर ततलए िो

    वह पसिक आच र की एक परौढ म गयदरशिक बन गयी वह मर ततलए ध रमिक कोश क क म दन

    लगी उसक अपररगरह समभ व आदद शबदो न मझ पकड ततलय समभ व क तवक स कस हो

    उसकी रकष तकस परक र की ज ए घर जल कर िीथय करन ज ऊा िरनदि ही उिर ममल तक घर

    जल य तबन िीथय तकय ही नही ज सकि यह ा अागरजी क़ नन न मरी मदद की रसटीrsquo शबद

    क अथय तवशष रप स समझ म आय रसटी क प स करोडो रपयो क रहि हए भी उनम की

    एक भी प ई उसकी नही होिी ममकष को ऐस ही वरि व करन च तहए यह ब ि मन गीि जी

    स समझी मझ यह दीपक की िरह सपषट ददख यी ददय तक अपररगरही बनन म समभ वी होन म

    हि क हदय क पररवियन आवकयक ह मन रव शाकरभ ई को इन आशय क पि ततलख भज

    तक बीम की पोततलसी बनदद कर द कछ रकम व पस ममल िो ल ल न ममल िो भर हए पसो को

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    गय समझ ल बछचो की और सिी की रकष उनदह और हम पद करन व ल ईशवर करग तपििलय

    भ ई को ततलख ldquoआज िक िो मर प स जो बच वह मन आपको अपयण तकय अब मरी आश

    आप छोड दीजजए अब जो बचग सो यही तहनदसि नी सम ज क तहि म खचय होग rdquo

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    ४१ इणणडयन ओपीननयन

    इसी अरस म शरी मदनजीि न इकषणडयि ओपीकषियि अखब र तनक लन क तवच र तकय उनदहोन

    मरी सल ह और सह यि म ागी छ प ख न िो व चल ही रह थ अखब र तनक लन क तवच र

    स म सहमि हआ सन १९०४ म इस अखब र क जनदम हआ मनसखल ल न जर इसक साप दक

    बन पर साप दन क सछच बोझ िो मझ पर ही पड मर भ गय म पर यः हमश दर स ही अखब र

    की वयवसथ साभ लन क योग रह ह

    मनसखल ल न जर साप दक क क म न कर सक ऐसी कोई ब ि नही थी उनदहोन दश म

    कई अखब रो क ततलए लख ततलख थ पर दकषकषण अफ़रीक क अटपट परशनो पर मर रहि उनदहोन

    सविाि लख ततलखन की तहममि नही की उनदह मरी तववक-शतति पर अतयमधक तवशव स थ अिएव

    जजन-जजन तवषयो पर कछ ततलखन जररी होि उन पर ततलखकर भजन क बोझ व मझ पर

    ड ल दि थ

    यह अखब र स पि तहक थ जस तक आज भी ह

    मन यह कलपन नही की थी तक इस अखब र म मझ कछ अपन पस लग न पडग लतकन

    कछ ही समय म मन दख तक अगर म पस न दा िो अखब र चल ही नही सकि म अखब र

    क साप दक नही थ तफर भी तहनदसि नी और गोर दोनो यह ज नन लग गय थ तक उसक लखो

    क ततलए म ही जजममद र थ अखब र न तनकलि िो भी कोई ह तन न होिी पर तनक लन क ब द

    उसक बनदद होन स तहनदसि तनयो की बदन मी होगी और सम ज को ह तन पहाचगी ऐस मझ

    परिीि हआ

    म उसम पस उाडलि गय और कह ज सकि ह तक आखखर ऐस भी समय आय जब

    मरी परी बचि उसी पर खचय हो ज िी थी मझ ऐस समय की य द ह जब मझ हर महीन ७५

    पौणड भजन पडि थ

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    तकनदि इिन वषो क ब द मझ लगि ह तक इस अखब र न तहनदसि नी सम ज की अछछी

    सव की ह इसस धन कम न क तवच र िो शर स ही तकसी क नही थ

    जब िक वह मर अधीन थ उसम तकय गय पररवियन मर जीवन म हए पररवियनो क

    दयोिक थ जजस िरह आज यग इकषडया और िवजीवि मर जीवन क कछ अाशो क तनचोड-

    रप ह उसी िरह इकषणडयि ओपीकषियि थ उसम म परति सपि ह अपनी आतम उाडलि थ और

    जजस म सतय गरह क रप म पहच नि थ उस समझ न क परयतन करि थ जल क समयो को

    छोडकर दस वषो क अथ यि सन १९१४ िक क इकषणडयि ओपीकषियि क श यद ही कोई अाक

    ऐस होग जजनम मन कछ ततलख न हो

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    ४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव

    म भोजन क ततलए एक तनर ममष भोजनगह म ज ि थ वह ा मझ आलबटय वसट की पहच न

    हई हमलोग परतिददन श म को इस गह म ममलि और भोजन करक घमन क ततलए चल ज ि थ

    वसट एक छोट छ पख न म तहससद र थ उनदहो न सह यि करन क व द तकय और मन

    इकषनडयि ओपीकषियि परस क क रोब र ह थ म लन क ततलए अनरोध तकय वसट को छ पख न

    की आरथिक पररचसथति क साबाध म पर थममक ररपोटय मझ डर न व ल थ अिः म न ि ल ज न क

    ततलए रव न हआ पोल क तनर ममष ह री भोजनगह म ममल थ और ममि बन गय थ

    व मझ छोडन सटशन िक आय और यह कहकर तक ldquoयह पसिक र सि म पढन योगय ह

    आप इस पढ ज इय आपको पसाद आएगीrdquo

    उनदहोन रसतसकन की अनट कषधस रलासट पसिक मर ह थ म रख दी

    इस पसिक को ह थ म लन क ब द म छोड ही न सक इसन मझ पकड ततलय

    जोह तनसबगय स न ि ल क र सि लगभग चौबीस घाटो क थ रन श म को डरबन पहाचिी थी

    पहाचन क ब द मझ स री र ि नीद न आयी मन पसिक म समचि तवच रो को अमल म ल न क

    इर द तकय

    मर यह तवशव स ह तक जो चीज मर अनददर गहर ई म मछपी पडी थी रसतसकन क गराथरतन म

    मन उसक सपषट परतितबमब दख और इस क रण उसन मझ पर अपन स मर जय जम य और

    मझस उसम ददय गय तवच रो पर अमल करव य जो मनषय हम म सोयी हई उिम भ वन ओ

    को ज गरि करन की शतति रखि ह वह कतव ह सब कतवयो क सब लोगो पर सम न परभ व

    नही पडि कयोतक सबक अनददर स री सदभ वन य सम न म ि म नही होिी

    म सवोदय क ततसदध नदिो को इस परक र समझ हा

    १ सबकी भल ई म हम री भल ई तनतहि ह

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    २ वकील और न ई दोनो क क म की कीमि एकसी होनी च तहए कयोतक आजीतवक

    क अमधक र सबको एक सम न ह

    ३ स द महनि-मजदरी क तकस न क जीवन ही सछच जीवन ह

    पहली चीज म ज नि थ दसरी को म धाधल रप म दखि थ िीसरी क मन कभी

    तवच र ही नही तकय थ सवोदय न मझ दीय की िरह ददख ददय तक पहली चीज म दसरी

    दोनो चीज सम यी हई ह सवर हआ और म इन ततसदध नदिो पर अमल करन क परयतन म लग

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    ४३ फ़ीननकस की सथापना

    सवर सबस पहल िो मन वसट स ब ि की मझ पर सवोदय क जो परभ व पड थ वह मन

    उनदह सन य और सझ य तक इकषणडयि ओपीकषियि को एक खि पर ल ज न च तहए वह ा सब

    अपन ख न-प न क ततलए आवकयक खचय सम न रप स ल सब अपन-अपन तहसस की खिी कर

    और ब की क समय म इकषणडयि ओपीकषियि क क म कर वसट न इस सझ व को सवीक र

    तकय हरएक क भोजन आदद क खचय कम स कम िीन पौणड हो ऐस तहस ब बठ य इसम

    गोर-क ल क भद नही रख गय थ

    िरनदि ही मन सम च रपिो म एक तवजञ पन छपव य तक डरबन क प स तकसी भी सटशन

    स लगी हई जमीन क एक टकड की जररि ह जव ब म रीतनकस की जमीन क सादश ममल

    स ि ददन क अादर २० एकड जमीन ली उसम एक छोट -स प नी क न ल थ न रागी और

    आम क कछ पड थ प स ही ८० एकड क दसर एक टकड थ उसम तवशष रप स फलो

    व ल पड और एक झोपड थ थोड ददनो ब द उस भी खरीद ततलय दोनो क ममल कर १०००

    पौणड ददय

    कछ तहनदसि नी बढई और ततसल वट जो मर स थ (बोअर) लड ई म ससतममततलि हए थ

    उनकी मदद स क रख न बन न शर तकय एक महीन म मक न िय र हो गय वह ७५ फट

    लाब और ५० फट चौड थ वसट आदद शरीर को साकट म ड लकर र ज और बढई क स थ रहन

    लग

    रीतनकस म घ स खब थी बसिी तबलकल न थी इसस स ापो क खिर थ आराभ म

    िो िमब ग डकर सब उनदही म रह थ

    एक हफि क अनददर अमधक ाश स म न बलग मडयो की मदद स रीतनकस ल य गय

    डरबन और रीतनकस क बीच िरह मील क फ सल थ रीतनकस सटशन स ढ ई मील दर थ

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    मगनल ल ग ाधी अपन पश समटकर मर स थ आय थ िबस व रह ही ह अपन बजदधशतति

    स तय गशतति स िथ अननदय भतति भ व स मर आािररक परयोगो क मर असली स ततथयो म आज

    परध नपद पर ह

    इस परक र सन १९०४ म रीतनकस की सथ पन हई अनक तवडमबन ओ क बीच भी

    रीतनकस सासथ िथ इकषनडयि ओपीकषियि दोनो अब िक दटक हए ह

    हम सब अपनी महनि स अपन तनव यह करग इस खय ल स मरण लय क आसप स

    परतयक तनव सी क ततलए जमीन क िीन-िीन एकड क टकड कर ततलए गय थ इनम एक टकड

    मर ततलए भी म प गय थ इन सब टकडो पर हम म स हरएक की इछछ क तवरदध हमन टीन

    की चददरो क घर बन य इछछ िो तकस न को शोभ दन व ल घ सफस और ममटटी क अथव ईट

    क घर ब ाधन की थी पर वह परी न हो सकी उसम पस अमधक खचय होि थ और समय अमधक

    लगि थ सब जलदी स घरब र व ल बनन और क म म जट ज न क ततलए उि वल हो गय थ

    अभी यह क म वयवचसथि नही हो प य थ मक न भी िय र न हए थ इिन म अपन इस

    नवरमचि पररव र को छोडकर म जोह तनसबगय भ ग गय मरी चसथति ऐसी न थी तक म वह ा क

    क म को लमब समय िक छोड सका

    जोह तनसबगय पहाचकर मन पोल क स इस महततवपणय पररवियन की ब ि कही अपनी दी

    हई पसिक क यह पररण म दखकर उनक आननदद क प र न रह उनदहोन उमाग क स थ पछ

    ldquoिो कय म भी इसम तकसी िरह ह थ नही बाट सकि rdquo

    ldquoआप अवकय ह थ बाट सकि हrdquo

    पोल क न तकरदटक स मतति प न क ततलए अपन म ततलक को एक महीन की नोदटस दी

    और अवमध सम पि होन पर व रीतनकस पहाच गय वह ा अपन ममलनस र सवभ व स उनदहोन

    सबक ददल जीि ततलए और घर क ही एक आदमी की िरह रहन लग

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    पर म ही उनदह लगब समय िक वह ा रख नही सक मर ततलए अकल ह थो समच दफिर

    क बोझ उठ न साभव न थ अिएव मन पोल क को आतफस म रहन और वकील बनन की

    सल ह दी

    पोल क न मझ ततलख ldquoमझ िो यह जीवन ही अछछ लगि ह म यह ा सखी हा यह ा

    हम इस सासथ क तवक स कर सक ग तकनदि यदद आप यह म नि हो तक मर वह ा पहाचन स हम र

    आदशय शीघर सफल होग िो म आन को िय र हाrdquo

    मन उनक इस पि क सव गि तकय पोल क रीतनकस छोडकर जोह तनसबगय आय और

    मर दफिर म वकील क माशी की िरह क म करन लग

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    ४४ घरो म पररवतमन तथा बालशशिा

    अब जलदी ही तहनदसि न ज न की अथव वह ा ज कर चसथर होन की आश मन छोड दी थी म

    िो पतनी को एक स ल क आशव सन दकर व पस दकषकषण अफ़रीक आय थ स ल िो बीि गय

    पर मर व पस लौटन की साभ वन दर चली गई अिएव मन बछचो को बल लन क तनिय तकय

    डरबन म मन जो घर बस य थ उसम पररवियन िो तकय ही थ खचय अमधक रख थ

    तफर भी झक व स दगी की ओर ही थ तकनदि जोह तनसबगय म lsquoसवोदय क तवच रो न अमधक

    पररवियन करव य

    ब ररसटर क घर म जजिनी स दगी रखी ज सकिी थी उिनी िो रखनी शर कर ही दी

    तफर भी कछ स ज-स म न क तबन क म चल न मतककल थ सछची स दगी िो मन की बढी

    हरएक क म अपन ह थो करन क शौक बढ और ब लको को भी उसम शरीक करक कशल

    बन न शर तकय

    ब ज र की रोटी खरीद न क बदल कन की सझ ई हई तबन खमीर की रोटी ह थ स बन नी

    शर की इसम ममल क आट क म नही दि थ ह थ स तपस आट क उपयोग करन म स दगी

    आरोगय और पस िीनो की अमधक रकष होिी ह अिएव स ि पौणड खचय करक ह थ स चल न

    की एक चककी खरीद ली उसक प ट वजनद र थ दो आदमी उस सरलि स चल सकि थ

    इस चककी को चल न म पोल क म और ब लक मखय भ ग लि थ कभी-कभी कसिरब ई भी

    आ ज िी थी यदयतप उस समय वह रसोई बन न म लगी रहिी थी ममसज पोल क क आन पर व

    भी इसम ससतममततलि हो गयी ब लको क ततलए यह कसरि बहि अछछी ततसदध हई उनस मन

    चककी चल न क य दसर कोई क म कभी जबरदसिी नही करव य व सहज ही खल समझकर

    चककी चल न आि थ थकन पर छोड दन की उनदह सविािि थी

    घर स र रखन क ततलए एक नौकर थ वह घर क आदमी की िरह रहि थ और उसक

    क म म ब लक पर ह थ बाट ि थ प ख न स र करन क ततलए मयतनततसपततलटी क नौकर आि

    थ पर प ख न क कमर को स र करन और बठक आदद धोन क क म नौकर को नही सौप

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    ज ि थ उसस वसी आश भी नही रखी ज िी थी यह क म हम सवया करि थ और इसस भी

    ब लको को ि लीम ममली

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    ४५ जल-नवदरोह

    जोहाननसबगम म म कछ चसथर-स होन लग थ तक इसी बीच एक अनसोची घटन घटी अखब रो

    म यह खबर पढन को ममली तक न ि ल म जल lsquoतवरोह हआ ह जल लोगो स मरी कोई कमनी

    न थी उनदहोन एक भी तहनदसि नी क नक़स न नही तकय थ lsquoतवरोह शबद क औमचतय क

    तवषय म भी मझ शाक थी तकनदि उन ददनो म अागरजी सलिनि को सास र क कलय ण करन व ली

    सलिनि म नि थ मरी वर द री ह रदिक थी म उस सलिनि क कषय नही च हि थ अिएव

    बल-परयोग-समबनदधी नीति-अनीति क तवच र मझ इस क यय को करन स रोक नही सकि थ

    न ि ल पर साकट आन पर उसक प स रकष क ततलए सवयासवको की सन थी और साकट क समय

    उसम क म क ल यक सतनक भरिी भी हो ज ि थ मन पढ तक सवयासवको की सन इस तवरोह

    को दब न क ततलए रव न हो चकी ह

    म अपन को न ि लव सी म नि थ और न ि ल क स थ मर तनकट समबनदध िो थ ही

    अिएव मन गवनयर को पि ततलख तक यदद आवकयकि हो िो घ यलो की सव -शशरष करन व ल

    तहनदसि तनयो की एक टकडी लकर म सव क ततलए ज न को िय र हा िरनदि ही गवनयर क

    सवीकति-सचक उिर ममल मन अनकल उिर की अथव इिनी जलदी उिर प न की आश

    नही रखी थी तफर भी उि पि ततलखन क पहल मन अपन परबनदध िो कर ही ततलय थ तक यदद

    मरी पर थयन सवीकि हो ज य िो जोह तनसबगय क घर उठ दग मम पोल क अलग घर लकर

    रहग और कसिरब ई रीतनकस ज कर रहगी इस योजन को कसिरब ई की पणय सममति पर पि

    हई

    डरबन पहाचन पर मन आदममयो की म ाग की

    सव कषभम न की रकष क ततलए और अमधक सतवध क स थ क म कर सकन क ततलए िथ

    वसी परथ होन क क रण मचतकतस -तवभ ग क मखय पद मधक री न मझ स जयनदट मजर क

    मददिी पद ददय और मरी पसनदद क अनदय िीन स ततथयो को स जयनदट क और एक को कोपररल

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    क पद ददय वरदी भी सरक र की ओर स ही ममली म यह कह सकि हा तक इस टकडी न छह

    सपि ह िक सिि सव की

    lsquoतवरोहrsquo क सथ न पर पहाचकर मन दख तक वह ा तवरोह-जसी कोई चीज नही थी कोई

    तवरोध करि हआ भी नजर नही आि थ तवरोह म नन क क रण यह थ तक एक जल सरद र

    न जल लोगो पर लग य गय नय कर न दन की उनदह सल ह दी थी और कर की वसली क ततलए

    गय हए एक स जयनदट को उसन कतल कर ड ल थ सो जो भी हो मर हदय िो जल लोगो की

    िरफ थ और कनदर पर पहाचन क ब द जब हम र तहसस मखयिः जल घ यलो की शशरष करन

    क क म आय िो म बहि खश हआ वह ा क डोकटर अमधक री न हम र सव गि तकय उसन

    कह ldquoगोरो म स कोई इन घ यलो की सव -शशरष करन क ततलए िय र नही होि म अकल

    तकस-तकस की सव करा इनक घ व सड रह ह अब आप आय ह इस म इन तनदोष लोगो पर

    ईशवर की कप ही समझि हाrdquo यो कहकर उसन मझ पदटटय ा जाि-न शक प नी आदद स म न

    ददय और उन बीम रो क प स ल गय बीम र हम दखकर खश हो गय गोर ततसप ही ज ततलयो म

    स झ ाक-झ ाककर हम घ व स र करन स रोकन क परयतन करि हम र न म नन पर खीझि और

    जलओ क ब र म जजन गनदद शबदो क उपयोग करि उनस िो क न क कीड झड ज ि थ

    धीर-धीर गोर ततसप तहयो क स थ भी मर पररचय हो गय और उनदहोन मझ रोकन बनदद

    कर ददय

    कोई यह न म न तक जजन बीम रो की सव -शशरष क क म हम सौप गय थ व तकसी

    लड ई म घ यल हए थ उनम स एक तहसस उन कददयो क थ जो शक म पकड गय थ जनरल

    न उनदह कोडो की सज दी थी इन कोडो की म र स जो घ व पद हए थ व स र-साभ ल क अभ व

    म पक गय थ दसर तहसस उन जलओ क थ जी ममि म न ज ि थ इन ममिो को ततसप तहयो

    न घ यल तकय थ यदयतप उनदहोन ममिि सचक मचहन ध रण कर रख थ

    हम लोगो को अलग-अलग सथ न पर िजी स पहाचिी हई ततसप तहय ा की डकडी क स थ

    जोड ददय ज ि थ

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    जह ा स साकट क सम च र आि वही दौड ज िी थी उसम बहि स िो घडसव र ही थ

    कनदरसथ न स हम री छ वनी उठिी तक हम उसक पीछ-पीछ अपनी डोततलय ा कनदध पर उठ कर

    चलन पडि थ दो-िीन मौकौ पर िो एक ही ददन म च लीस मील की माजजल िय करनी पडी

    यह ा भी हम िो कवल परभ क ही क म ममल जो जल ममि भल स घ यल हए थ उनदह डोततलयो

    म उठ कर छ वनी िक पहाच न थ और वह ा उनकी सव -शशरष करनी थी

    जल-तवरोह म मझ बहि स अनभव हए और बहि-कछ सोचन को ममल बोअर-यदध

    म मझ लड ई की भयाकरि उिनी परिीि नही हई थी जजिनी यह ा हई यह ा लड ई नही बचलक

    मनषय क ततशक र हो रह थ यह कवल मर ही नही बचलक उन कई अागरजो क भी अनभव थ

    जजनक स थ मरी चच य होिी रहिी थी सबर-सबर सन ग ाव म ज कर म नो पट ख छोडिी हो

    इस परक र उसकी बनददको की आव ज दर रहन व ल हम लोगो क क नो पर पडिी थी इन

    आव जो को सनन और इस व ि वरण म रहन मझ बहि मतककल म लम पड लतकन म सब-

    कछ कडव घाट की िरह पी गय और मर तहसस जो क म आय सो िो कवल जल लोगो की सव

    क ही आय म य समझ गय तक अगर हम सवयासवक-दल म ससतममततलि न हए होि िो दसर

    कोई यह सव न करि इस तवच र स मन अपनी अनदिर तम को श नदि तकय

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    ४६ बरहमचयम

    मीलो िक तबन आब दी व ल भवय परदश म हम लोग तकसी घ यल को लकर य ऐस ही चल

    ज ि थ िब म सोच म डब ज ि थ

    यह ा बरहमचयय क ब र म मर तवच र पररपकव हए मन अपन स ततथयो स भी इसकी थोडी

    चच य की मझ अभी इस ब ि क स कष तक र िो नही हआ थ तक ईशवर-दशयन क ततलए बरहमचयय

    अतनव यय वसि ह तकनदि म यह सपषट दख सक थ तक सव क ततलए बरहमचयय आवकयक ह मझ

    लग तक इस परक र की सव को मर तहसस अमधक मधक आिी ही रहगी और यदद म भोग-तवल स

    म साि नोतपतति म और सािति क प लन-पोषण म लग रह िो मझस समपणय सव नही हो

    सकगी म दो घोडो पर सव री नही कर सकि यदद पतनी सगभ य हो िो म तनशििि भ व स इस

    सव म परवि हो ही नही सकि बरहमचयय क प लन तकय तबन पररव र की वजदध करि रहन

    सम ज क अभयदय क ततलए तकय ज न व ल मनषय क परयतन क तवरोध करन व ली वसि बन

    ज िी ह

    म मन-ही-मन इस तवच रो को पकक कर रह थ और शरीर को कस रह थ तक इिन म

    कोई यह अरव ह ल य तक तवरोह श नदि होन ज रह ह और अब हम छटटी ममल ज एगी दसर

    ददन हम घर ज न की इज जि ममली और ब द म कछ ही ददनो क अादर सब अपन-अपन घर

    पहाच गय इसक कछ ही ददनो ब द गवनयर न उि सव क ततलए मर न म आभ र-परदशयन क एक

    तवशष पि भज

    रीतनकस पहाचकर मन वरि ल ततलय तक अबस आग जीवन-भर बरहमचयय क प लन

    करा ग उस समय म इस वरि क महततव और इसकी कदठन इयो को परी िरह समझ न सक थ

    इसकी कदठन इयो क अनभव िो म आज भी करि रहि हा इसक महततव को म ददन-ददन

    अमधक मधक समझि ज ि हा बरहमचयय-रतहि जीवन मझ शषक और पशओ-जस परिीि होि

    ह पश सवभ व स तनराकश ह मनषय क मनषयतव सवछछ स अाकश म रहन म ह धमयगराथो म

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    प यी ज नव ली बरहमचयय की परशास म पहल मझ अतिशयोतति म लम होिी थी उसक बदल अब

    ददन-ददन यह अमधक सपषट होि ज ि ह तक वह उमचि ह और अनभव-पवयक ततलखी गयी ह

    जजस बरहमचयय क ऐस पररण म आ सकि ह वह सरल नही हो सकि वह कवल श रीररक

    भी नही हो सकि श रीररक अाकश स बरहमचयय क आराभ होि ह परनदि शदध बरहमचयय म तवच र

    की मततलनि भी न होनी च तहए सापणय बरहमच री को िो सवपन म भी तवक री तवच र नही आि

    और जब िक तवक र-यि सवपन आि रहि ह िब िक यह समझन च तहए तक बरहमचयय बहि

    अपणय ह

    इस परक र जजस बरहमचयय क प लन म इछछ य अतनछछ स सन १९०० स करि ज रह

    थ वरि क रप म उसक आराभ १९०६ क मधय स हआ

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    ४७ पतनी की दढता

    कसतरबाई पर रोग क िीन घ िक हमल हए और िीनो म वह कवल घरल उपच रो स बच गई

    उनम पहली घटन उस समय घटी जब सतय गरह क यदध चल रह थ उस ब र-ब र रिसर व

    हआ करि थ एक डोकटर ममि न शसितकरय कर लन की सल ह दी थी उसक शरीर बहि

    ही कषीण हो गय थ डोकटर न तबन कलोरोफ मय क शसितकरय की शसितकरय क समय पीड

    बहि हो रही थी पर जजस धीरज स कसिरब ई न उस सहन तकय उसस म आिययचतकि हो

    गय शसितकरय तनरविधन परी हो गयी डोकटर न और उनकी पतनी न कसिरब ई की अछछी स र-

    साभ ल की

    यह घटन डरबन म हई थी दो य िीन ददन क ब द डोकटर न मझ तनकषिनदि होकर

    जोह तनसबगय ज न की अनमति द दी कछ ही ददन ब द खबर ममली तक कसिरब ई क शरीर

    तबलकल सधर नही रह ह और वह तबछौन छोडकर उठ-बठ भी नही सकिी एक ब र बहोश

    भी हो चकी थी डोकटर ज नि थ तक मझस पछ तबन औषमध य अनदन क रप म कसिरब ई को

    शर ब अथव म ास नही ददय ज सकि डोकटर न मझ जोह तनसबगय म टलीफोन तकय ldquoम

    आपकी पतनी को बीफ-टी दन की जररि समझि हा मझ इज जि ममलनी च तहएrdquo

    मन उिर ददय ldquoम यह इज जि नही द सकि तकनदि कसिरब ई सविाि ह उसस पछन-

    जसी चसथति हो िो पमछय और वह लन च ह िो जरर दीजजए rdquo

    ldquoऐस म मलो म म बीम र स कछ पछन पसाद नही करि सवया आपक यह ा आन

    जररी ह यदद आप म जो च हा सो खखल न की छट मझ न द िो म आपकी सिी क ततलए जजममद र

    नहीrdquo

    मन उसी ददन डरबन की रन पकडी डरबन पहाच डोकटर न मझस कह ldquoमन िो

    शोरव तपल न क ब द ही आपको टलीफोन तकय थ rdquo

    मन कह ldquoडोकटर म इस दग समझि हाrdquo

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    डोकटर न दढि -पवयक उिर ददय ldquoदव करि समय म दग -वग नही समझि हम

    डोकटर लोग ऐस समय रोगी को अथव उसक साबामधयो को धोख दन म पणय समझि ह हम र

    धमय िो तकसी भी िरह रोगी को बच न हrdquo

    मझ बहि ःख हआ पर म श नदि रह डोकटर ममि थ सजजन थ उनदहोन और उनकी

    पतनी न मझ पर उपक र तकय थ पर म उि वयवह र सहन करन क ततलए िय र न थ

    ldquoडोकटर स हब अब चसथति सपषट कर लीजजए कतहए आप कय करन च हि ह म

    अपनी पतनी को उसकी इछछ क तबन म ास नही खखल न दाग म ास न लन क क रण उनकी मतय

    हो ज य िो म उस सहन क ततलए िय र हाrdquo

    डोकटर बोल ldquoआपकी तफल सफी मर घर म िो हरतगज नही चलगी म आपस कहि हा

    तक जब िक अपनी पतनी को आप मर घर म रहन दग िब िक म उस अवकय ही म ास अथव

    जो कछ भी दन उमचि होग दाग यदद यह सवीक र न हो िो आप अपनी पतनी को ल ज इए

    म अपन ही घर म ज न-बझकर उसकी मतय नही होन दाग rdquo

    ldquoिो कय आप यह कहि ह तक म अपनी पतनी को इसी समय ल ज ऊा rdquo

    ldquoम कब कहि हा तक ल ज इय म िो यह कहि हा तक मझ पर तकसी परक र क अाकश

    न रखखय उस दश म हम दोनो उसकी जजिनी हो सकगी उिनी स र-साभ ल करग और आप

    तनकषिनदि होकर ज सक ग यदद यह सीधी-सी ब ि आप न समझ सक िो मझ तववश होकर

    कहन होग तक आप अपनी पतनी को मर घर स ल ज इएrdquo

    मर खय ल ह तक उस समय मर एक लडक मर स थ थ मन उसस पछ उसन कह

    ldquoआपकी ब ि मझ माजर ह ब को म ास िो ददय ही नही ज सकि rdquo

    तफर म कसिरब ई क प स गय वह बहि अशि थी उसस कछ भी पछन मर ततलए

    ःखद यी थ तकनदि धमय समझकर मन उस थोड म उपर की ब ि कह सन ई उसन दढि -पवयक

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    उिर ददय ldquoम म ास क शोरव नही लागी मनषय की दह ब र-ब र नही ममलिी च ह आपकी

    गोद म म मर ज ऊा पर अपनी इस दह को भरषट िो नही होन दागीrdquo

    जजिन म समझ सकि थ मन समझ य और कह ldquoिम मर तवच रो क अनसरण

    करन क ततलए बाधी हई नही होrdquo

    हम री ज न-पहच न क कई तहनदद दव क ततलए म ास और मदय लि थ इसकी भी मन ब ि

    की पर वह टस-स-मस न हई और बोली ldquoमझ यह ा स ल चततलएrdquo

    म बहि परसनद न हआ ल ज न क तवच र स घबर गय पर मन तनिय कर ततलय डोकटर

    को पतनी क तनिय सन ददय डोकटर गसस हए और बोल

    ldquoआप िो बड तनदयय पति म लम पडि ह ऐसी बीम री म उस बच री स इस िरह की ब ि

    करन म आपको शरम भी नही आयी म आपस कहि हा तक आपकी सिी यह ा स ल ज न ल यक

    नही ह उसक शरीर इस योगय नही ह तक वह थोड भी धकक सहन कर र सि म ही उसकी

    ज न तनकल ज ए िो मझ आियय न होग तफर भी आप अपन हठ क क रण तबलकल न म न

    िो आप ल ज न क ततलए सविाि ह यदद म उस शोरव न द सका िो अपन घर म एक र ि रखन

    क भी खिर म नही उठ सकि rdquo अिः वह ा स तनकल ज न क तनणयय कर ततलय

    ररमजझम-ररमजझम मह बरस रह थ सटशन दर थ डरबन स रीतनकस िक रल क और

    रीतनकस स लगभग ढ ई मील क पदल र सि थ खिर क री थ पर मन म न तक भगव न

    मदद करग एक आदमी को पहल स रीतनकस भज ददय रीतनकस म हम र प स हमक थ

    ज लीद र कपड की झोली य प लन को हमक कहि ह मन वसट को खबर भजी थी तक व हमक

    एक बोिल गरम दध एक बोिल गरम प नी और छह आदममयो क स थ लकर सटशन पर आ

    ज एा

    दसरी रन क छटन क समय होन पर मन ररकश मागव य और उसम इस खिरन क

    ह लि म पतनी को बठ कर म रव न हो गय

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    मझ पतनी को तहममि नही बाध नी पडी उलट उसीन मझ तहममि बाध ि हए कह ldquoमझ

    कछ नही होग आप मचनदि न कीजजएrdquo

    हमियो क इस ढ ाच म वजन िो कछ रह ही नही गय थ ख य तबलकल नही ज ि थ

    रन क मडब िक पहाचन म सटशन क लाब-चौड पलटफ मय पर दर िक चलकर ज न पडि थ

    वह ा िक ररकश नही ज सकि थ म उस उठ कर मडब िक ल गय रीतनकस पहाचन पर िो

    वह झोली आ गयी थी उसम बीम र को आर म स ल गय वह ा कवल प नी क उपच र स धीर-

    धीर कसिरब ई क शरीर पषट होन लग

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    ४८ घर म सतयागरह

    मझ जल क पहल अनभव सन १९०८ म हआ उस समय मन दख तक जल म क़दी स जो

    कछ तनयम पलव य ज ि ह सायमी अथव बरहमच री को उनक प लन सवछछ पवयक करन च तहए

    जस क़दी को सय यसि स पहल प ाच बज िक ख लन होि ह उनदह ndash तहनदसि नी और हबशी

    क़दी को ndash च य य कोफी नही दी ज िी नमक ख न हो िो अलग स लन होि ह सव द क

    ततलए िो कछ ख य ही नही ज सकि

    जब मन जल क डोकटर स तहनदसि तनयो क ततलए करी प उडर म ाग और नमक बनिी

    हई रसोई म ही ड लन की ब ि कही िो व बोल ldquoयह ा आप लोग सव द क आननदद लटन क

    ततलए नही आय ह आरोगय की दतषट स करी प उडरrdquo की कोई आवकयकि नही ह आरोगय क

    तवच र स नमक ऊपर स ल य पक ि समय रसोई म ड ल दोनो एक ही ब ि हrdquo

    वह ा िो बडी महनि क ब द हम आखखर जररी पररवियन कर सक थ पर कवल सायम

    की दतषट स दख िो दोनो परतिबाध अछछ ही थ ऐस परतिबनदध जब जबरदसिी लग य ज ि ह

    िो वह सफल नही होि पर सवछछ स प लन करन पर ऐस परतिबनदध बहि उपयोगी ततसदध होि

    ह अिएव जल स छटन क ब द मन य पररवियन भोजन म िरनदि तकय भरसक च य पीन बनदद

    तकय और श म को जलदी ख न की आदि ड ली जो आज सव भ तवक हो गयी ह

    तकनदि एक ऐसी घटन घटी जजसक क रण मन नमक क तय ग-तकय जो लगभग दस

    वषय िक अखाड रप स क यम रह अनदन ह र-साबाधी कछ पसिको म मन पढ थ तक मनषय क

    ततलए नमक ख न आवकयक नही ह और न ख न व ल को आरोगय की दतषट स ल भ ही होि ह

    यह िो मझ सझ ही थ तक नमक न ख न स बरहमच री को ल भ होि ह मन यह भी पढ और

    अनभव तकय थ तक कमजोर शरीर व ल को द ल न ख नी च तहए तकनदि म उनदह िरनदि छोड न

    सक थ दोनो चीज मझ तपरय थी

    यदयतप उि शसितकरय क ब द कसिरब ई क रिसर व थोड समय क ततलए बनदद हो गय

    थ पर अब वह तफर शर हो गय और तकसी परक र बनदद ही न होि थ अकल प नी क उपच र

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    वयथय ततसदध हए यदयतप पतनी को मर उपच रो पर तवशष ldquoशरदध नही थी िथ तप उनक ततलए

    तिरसक र भी नही थ दसरी दव करन क आगरह न थ मन उस नमक और द ल छोडन क ततलए

    मन न शर तकय बहि मन न पर भी अपन कथन क समथयन म कछ-न-कछ पढकर सन न

    पर भी वह म नी नही आखखर उसन कह ldquoद ल और नमक छोडन को िो कोई आपस कह

    िो आप भी न छोडगrdquo मझ ःख हआ और हषय भी हआ मझ अपन परम उाडलन क अवसर

    ममल उसक हषय म मन िरनदि ही कह ldquoिमह र यह खय ल ग़लि ह मझ बीम री हो और वदय

    इस चीज को य दसरी तकसी चीज को छोडन क ततलए कह िो म अवकय छोड दा लतकन ज ओ

    मन िो एक स ल क ततलए द ल और नमक दोनो छोड िम छोडो य न छोडो यह अलग ब ि

    हrdquo

    पतनी को बहि पि ि प हआ वह कह उठी ldquoमझ म र कीजजए आपक सवभ व ज नि

    हए भी म कहि कह गयी अब म द ल और नमक नही ख ऊा गी लतकन आप अपनी ब ि लौट

    ल यह िो मर ततलए बहि बडी सज हो ज एागीrdquo

    मन कह ldquoअगर िम द ल और नमक छोडोगी िो अछछ ही होग मझ तवशव स ह तक

    उसस िमह ल भ होग पर म ली हई परतिजञ व पस नही ल सका ग मझ िो इसस ल भ ही ह

    मनषय तकसी भी तनममि स सायम क यो न प ल उसम उस ल भ ही ह अिएव िम मझस आगरह

    न करो तफर मर ततलए भी यह एक परीकष हो ज एगी और इन दो पद थो को छोडन क जो तनिय

    िमन तकय ह उस पर दढ रहन म िमह मदद ममलगीrdquo इसक ब द मझ उस मन न की जररि

    िो रही ही नही ldquoआप बहि हठील ह तकसी की ब ि म नि ही नहीrdquo कहकर और अाजततल-भर

    आास बह कर वह श नदि हो गयी

    म इस सतय गरह क न म दन च हि हा और इसको अपन जीवन की मधर समतियो म स

    एक म नि हा

    इसक ब द कसिरब ई की िबीयि खब साभली

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    नमक और द ल छड न क परयोग मन दसर स ततथयो पर भी क री तकय ह और दकषकषण

    अफ़रीक म िो उनक पररण म अछछ ही आय ह वदयक दतषट स दोनो चीजो क तय ग क तवषय म

    दो मि हो सकि ह पर इसम मझ कोई शाक ही नही तक सायम की दतषट स िो इन दोनो चीजो क

    तय ग म ल भ ही ह भोगी और सायमी क आह र कषभनद न होन च तहए उनक म गय कषभनद न होन च तहए

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    ४९ सयम की ओर

    आग चलकर बरहमचयय की दतषट स आह र म पररवियन होन लग

    टोलसटोय फ मय पर दध क तय ग तकय यह घटन सन १९१२ म घटी

    इिन तय ग स मझ श ननदि न हई दध छोडन क कछ ही समय ब द कवल फल ह र क

    परयोग क भी हमन तनिय तकय फल ह र म भी जो ससि स ससि फल ममल उनस ही अपन

    तनव यह करन क हम र तनिय थ

    जजन ददनो मन दध और अन ज छोडकर फल ह र क परयोग शर तकय उनदही ददनो सायम

    क हि स उपव स भी शर तकय

    दसर उपव सो और एक शनो म भी आशरमव सी ससतममततलि होन लग और म म नि हा

    तक इसक पररण म शभ तनकल सबक हदयो पर सायम क तकिन परभ व पड सबक तवषयो

    को सायि करन म उपव स आददन तकिन ह थ बाट य यह म तनिय-पवयक नही कह सकि पर

    मर अनभव यह ह तक उपव स आदद स मझ पर िो आरोगय और तवषय-तनयमन की दतषट स बहि

    अछछ परभ व पड इजनदरयदमन क हि स तकय गय उपव स स ही तवषयो को सायि करन क

    पररण म तनकल सकि ह कछ ममिो क यह अनभव भी ह तक उपव स की सम नपि पर

    तवषयछछ और सव द िीवर हो ज ि ह मिलब यह तक उपव स क ददनो म तवषय को सायि करन

    और सव द को जीिन की सिि भ वन बनी रहन पर ही उसक शभ पररण म तनकल सकि ह

    गीि जी क दसर अधय य क यह शलोक यह ा बहि तवच रणीय ह

    तवषय तवतनवियनदि तनर ह रसय दतहनः

    रसवज रसोऽपयसय परा दषटव तनवियि

    उपव सी क तवषय (उपव स क ददनो म) श नदि होि ह पर उसक रस नही ज ि रस िो

    ईशवर-दशयन स ही ndash ईशवर-परस द स ही श नदि होि ह

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    ि तपयय यह तक सायमी क म गय म उपव स आदद एक स धन क रप म ह तकनदि य ही सब

    कछ नही ह और यदद शरीर क उपव स क स थ मन क उपव स न हो िो उसकी पररणति दाभ

    म होिी ह और वह ह तनक रक ततसदध होि ह

    आतम की ततशकष एक तबलकल कषभनद न तवभ ग ह इस म टोलसटोय आशरम क ब लको को

    ततसख न लग उसक पहल ही ज न चक थ आतम क तवक स करन क अथय ह चररि क

    तनम यण करन ईशवर क जञ न प न आतमजञ न पर पि करन इस जञ न को पर पि करन म ब लको

    को बहि जय द मदद की जररि होिी ह और इसक तबन दसर जञ न वयथय ह ह तनक रक भी

    हो सकि ह ऐस मर तवशव स थ

    आततमक ततशकष तकस परक र दी ज ए म ब लको स भजन गव ि उनदह नीति की पसिक

    पढकर सन ि तकनदि इसस मझ सािोष न होि थ जस-जस म उनक सापकय म आि गय मन

    यह अनभव तकय तक यह जञ न पसिको दव र िो ददय ही नही ज सकि शरीर की ततशकष जजस

    परक र श रीररक कसरि दव र दी ज िी ह और बजदध की बौजदधक कसरि दव र उसी परक र आतम

    की ततशकष आततमक कसरि दव र ही दी ज सकिी ह आतम की कसरि ततशकषक क आचरण

    दव र ही पर पि की ज सकिी ह अिएव यवक ह जजर हो च ह न हो ततशकषक को स वध न रहन

    च तहए लाक म बठ हआ ततशकषक भी अपन आचरण दव र अपन ततशषयो की आतम को तहल

    सकि ह म सवया झठ बोला और अपन ततशषयो को सछच बन न क परयतन करा िो वह वयथय ही

    होग डरपोक ततशकषक ततशषयो को वीरि नही सीख सकि वयकषभच री ततशकषक ततशषयो को सायम

    तकस परक र ततसख यग मन दख तक मझ अपन प स रहन व ल यवको और यवतियो क सममख

    पद थयप ठ-स बनकर रहन च तहए इस क रण मर ततशषय मर ततशकषक बन म यह समझ तक मझ

    अपन ततलए नही बचलक उनक ततलए अछछ बनन और रहन च तहए अिएव कह ज सकि ह

    तक टोलसटोय आशरम क मर अमधकिर सायम इन यवको और यवतियो की बदौलि थ

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    ५० वकालत क कछ ससमरि

    वकालत क धाध झठ बोल तबन चल ही नही सकि ऐस म जब तवदय थी थ िब स सनि

    आय हाजठ बोलकर म न िो कोई पद लन च हि थ और न पस कम न च हि थ इसततलए

    इन ब िो क मझ पर कोई परभ व नही पडि थ

    मवचककल को म शर स ही कह दि थ ldquoम मल झठ हो िो मर प स मि आन स कषी

    को ततसख न-पढ न क क म करन की मझस कोई आश न रखन rdquo आखखर मरी स ख िो यही

    क यम हई थी तक झठ मक़ददम मर प स आि ही नही

    एक अवसर ऐस भी आय

    जब चलि मक़ददम क दौर न म मन दख तक मर मवचककल न मझ ठग ततलय ह मक़ददम

    जोह तनसबगय की मजजसरट की कोटय म चलि थ उसक मक़ददम झठ थ वह कठहर म खड

    इस िरह क ाप रह थ म नो अभी तगर पडग अिएव मन मजजसरट को मवचककल क तवरदध

    फसल दन को कह और मवचककल बठ गय परतिपकषी क वकील आिययचतकि हो गय

    मजजसरट खश हआ मवचककल को मन उल हन ददय वह ज नि थ तक म झठ मक़ददम नही

    लि थ उसन यह ब ि सवीक र की और म म नि हा तक मन उसक खखल र रसल म ाग

    इसक ततलए वह गसस न हआ जो भी हो पर मर इस बरि व क कोई बर परभ व मर धाध पर

    नही पड और अद लि म मर क म सरल हो गय मन यह भी दख तक सतय की मरी इस पज

    स वकील-बाधओ म भी मरी परतिषठ बढ गयी थी और तवमचि पररचसथतियो क रहि हए भी उनम

    स कछ की परीति म पर पि कर सक थ

    वक लि करि हए मन एक ऐसी आदि भी ड ली थी तक अपन अजञ न न म मवचककलो

    स मछप ि थ और न वकीलो स जह ा-जह ा मझ कछ सझ न पडि वह ा-वह ा म मवचककल स

    दसर वकील क प स ज न को कहि अथव मझ वकील करि िो म उसस कहि तक अपन स

    अमधक अनभवी वकील की सल ह लकर म उसक क म करा ग अपन इस शदध वयवह र क

    क रण म मवचककलो क अटट परम और तवशव स साप दन कर सक थ

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    मर मवचककल स थी िथ ममि प रसी रसिमजी एक ब र बडी मतककल म फा स गय

    अपन वय प र की भी बहि सी ब ि व मझस तकय करि थ लतकन एक ब ि उनदहोन मझस मछप

    रखी थी प रसी रसिमजी चागी की चोरी तकय करि थ व बमबई-कलकि स जो म ल माग ि

    थ सब अमधक ररयो स उनक अछछ मलजोल थ इस क रण कोई उन पर शक करि ही न थ

    व जो बीजक पश करि उसी पर चागी ल ली ज िी थी ऐस भी अमधक री रह होग जो उनकी

    चोरी की ओर स आाख माद लि होग

    व दौड-दौड मर प स आय आाखो स आास बह रह थ और व कह रह थ ldquoभ ई मन

    आपस कपट तकय ह मर प प आज परकट हो गय ह मन चागी की चोरी की ह अब मर भ गय

    म िो जल ही हो सकिी ह म बरब द होन व ल हा इस आरि स आप ही मझ बच सकि ह

    मन धीरज दकर कह ldquoमरी रीति स िो आप पररमचि ही ह छड न न छड न खद क

    ह थ ह अपर ध सवीक र करक छड य ज सक िो ही म छड सकि हाrdquo

    इन भल प रसी क चहर उिर गय

    रसिमजी सठ बोल ldquoलतकन आपक स मन मर अपर ध सवीक र कर लन कय क री

    नही हrdquo

    मन धीर स जव ब ददय ldquoआपन अपर ध िो सरक र क तकय ह और सवीक र मर स मन

    करि ह इसस क य होि हrdquo

    मन उनदह समझ य ldquoम इस म मल को अद लि म ज न ल यक नही म नि मक़ददम

    चल न न चल न चागी-अमधक री क ह थ म ह उस भी सरक र क मखय वकील की सल ह क

    अनस र चलन पडग म दोनो स ममलन को िय र हा म सोचि हा तक जो दणड व ठहर य उस

    सवीक र कर लन च तहए बहि करक िो व म न ज एाग पर कद मचि न म न िो आपको जल

    क ततलए िय र रहन होग मर िो यह मि ह तक लजज जल ज न म नही बचलक चोरी करन म

    ह लजज क क म िो हो चक ह जल ज न पड िो उस पर यकषिि समजझय सछच पर यकषिि

    िो भतवषय म तफर कभी चागी की चोरी न करन की परतिजञ म हrdquo

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    म नही कह सकि तक रसिमजी सठ इन स री ब िो को भलीभ ािी समझ गय थ व

    बह र आदमी थ पर इस ब र तहममि ह र गय थ उनकी परतिषठ नषट होन क समय आ गय

    थ और परशन यह थ तक कही उनकी अपनी महनि स बन यी हई इम रि ढह न ज य

    मन इस म मल म तवनय की अपनी स री शतति लग दी म अमधक री स ममल और स री

    चोरी की ब ि उसस तनभययि -पवयक कह दी सब बहीख ि ददख दन को कह और प रसी

    रसिमजी क पि ि प की ब ि भी कही

    मन कह ldquoप रसी रसिमजी को अद लि म घसीटन पर जोर न ददय ज ए िो मझ

    सािोष हो ज एाग rdquo

    इस अमधक री स अभय-द न पर पि करक मन सरक री वकील स पिवयवह र शर तकय

    उनस ममल मझ कहन च तहए तक मरी सतयतपरयि उनक धय न म आ गयी म उनक स मन यह

    ततसदध कर सक तक म उनस कछ मछप नही रह हा

    रसिमजी पर मक़ददम नही चल उनक दव र कबल की गयी चागी की चोरी क दन रपय

    लकर मक़ददम उठ लन क हकम ज री हआ

    रसिमजी न अपनी चागी चोरी की कह नी ततलखकर शीश म मढव ली और उस अपन

    दफिर म ट ागकर अपन व ररसो और स थी वय प रयो को चि वनी दी

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    ५१ सतयागरह का जनम

    झल बाड की नौकरी पणय करक म ममिो क ममलन रीतनकस पहाच रीतनकस क सब ममिो स

    ममल कर म िरनदि जोह तनसबगय पहाच गय वह ा ओतफस म मन ऊपर बि य एततशय दटक तबल

    क मसौद पढ २२ अगसि १९०६ को परक ततशि हआ र नदसव ल सरक र क वह अस ध रण

    गजट जजसम तबल क मसौद छप थ

    इस तबल क आध र पर र नदसव ल म रहन क अमधक र रखन व ल परतयक तहनदसि नी

    परष सिी और आठ वषय क अथव आठ वषय स ऊपर क ब लक-ब ततलक ओ को एततशय दटक

    तवभ ग क दफिर म न म ततलख कर परव न ल लन च तहए य परव न लि समय अपन पर न

    परव न वह ा क अमधक ररयो को सोप दन च तहए अरजी म हर तहनदसि नी को अपन न म पि

    ज ति उमर बगर ततलखन च तहए न म दजय करन व ल अमधक री (रजजसर र) को अजयद र क

    शरीर पर कोई ख स तनश तनय ा हो िो उनदह ततलख लन च तहए और अजयद र की सब अागततलयो

    और अागठ की छ प लनी च तहए तनकषिि की हई अवमध क भीिर जो तहनदसि नी सिी-परष इस

    िरह अरजी न कर उनक र नदसव ल म रहन क अमधक र रद हो ज एाग अरजी न करन क़ नन

    क अनस र अपर ध म न ज एग इस अपर ध क ततलए जम यन तकय ज सकि ह जल की

    सज हो सकिी ह और कोई उमचि समझ िो अपर धी को दशतनक ल की सज भी द सकिी ह

    इस परव न की म ाग र सि चलि य िी स भी की ज सकिी ह परव नो की ज ाच करन क ततलए

    पततलस अमधक री लोगो क घरो म भी परवश कर सकि ह

    जह ा िक म ज नि हा इस परक र क क़ नन तनय क तकसी भी तहसस म सविाि म नवो

    क ततलए नही बन य गय होग

    दसर ददन अगरगणय तहनदसि तनयो को एकि करक मन उनदह यह तबल अकषरशः समझ य

    इसक फलसवरप उन लोगो पर तबल क वही असर हआ जो मझ पर हआ थ सब कोई तबल

    की गाभीरि को समझ गय यह तनणयय तकय गय एक स वयजतनक सभ की ज एा

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    ११ ततसिमबर १९०६ को तहनदसि तनयो की सभ हई सभ म जजिन परसि व प स हए थ

    उसम चौथ परसि व बहि ही महततवपणय थ

    lsquoइस तबल क तवरोध म स र उप य तकय ज न क ब वजद यदद वह ध र सभ म प स हो ही

    ज एा िो तहनदसि नी उसक स मन ह र न म न और ह र न म नन क फलसवरप जो जो ःख

    भोगन पड उन सबको बह री स सहन कर

    हम म स कोई यह ज नि नही थ तक इस तनिय को अथव आादोलन को कय न म ददय

    ज सकि ह

    शरी मगनल ल ग ाधी न सद गरहrsquo न म भज क रण बि ि हए उनदहोन ततलख तक

    तहनदसि तनयो क यह आनददोलन एक मह न lsquoआगरहrsquo ह और यह आगरह lsquoसदrsquo अथ यि शभ ह

    इसीततलए उनदहोन यह न म चन ह परनदि जजस वसि क सम वश म सझ य हए न म म करन

    च हि थ वह इसम नही आिी थी इसीततलए मन lsquoदrsquo क ि करक उसम य जोड ददय और

    सतय गरहrsquo न म बन ददय सतय क भीिर श ाति क सम वश म नकर और तकसी भी वसि क

    आगरह करन स उसम बल उतपनदन होि ह इसततलए आगरह म बल क सम वश करक मन भ रिीयो

    क इस आनददोलन को सतय गरहrsquo अथ यि सतय और श ाति स उतपनदन होनव ल बल ndash क न म ददय

    और उसी न म स इसक पररचय कर य और िबस पततसव रजजसटनदस शबद क उपयोग इस

    आनददोलन क ततलए बनदद कर ददय

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    ५२ क़द

    १९०७ की पहली जल ई आई परव न दन व ल सरक री दफिर खल कौम क आदश थ तक

    हरएक दफिर क स मन खल आम तपकटटिग तकय ज य ndash अथ यि दफिर ज न क म गो पर

    सवयासवक रख ज एा और व दफिर म ज न व ल लोगो को वह ा तबछ य गय ज ल स स वध न

    कर

    अथक पररशरम करन क ब द भी जब एततशय दटक ओतफस को ५०० स अमधक न म नही

    ममल सक िो एततशय दटक तवभ ग क अमधक री इस तनणयय पर आय तक तकसी न तकसी तहनदसि नी

    को तगरफि र करन च तहए जरमिसट म बहि स तहनदसि नी रहि थ उनम स एक र मसनददर

    पामडि तहनदसि नी भी थ उसन जगह-जगह भ षण ददय अपन भ षणो को वह खब जोशील

    बन सकि थ जरमिसटन क कछ तवधन-सािोषी तहनदसि तनयो न एततशय दटक ओतफस स कह

    तक यदद र मसनददर पामडि को तगरफि र कर ततलय ज य िो जरमिसटन क बहि स तहनदसि नी

    एततशय दटक ओतफस स परव न ल लग उस ओतफस क अमधक री र मसनददर पामडि को पकडन

    क परलोभन स अपन को रोक नही सक र मसनददर पामडि तगरफि र कर ततलय गय इस िरह

    क यह पहल ही मक़ददम होन स सरक र और तहनद सि नी कौम म बडी खलबली मच गई

    जजस ददन उस जल की सज ममली वह ददन कौम न बडी धमध म स मन य कौम क

    एक भी आदमी उसक जल ज न स तनर श नही हआ बचलक स री कौम क उतस ह और जोश

    बढ गय सकडो तहनदसि नी जल ज न को िय र हो गय एततशय दटक ओतफस की आश परी

    नही हई जरमिसटन क तहनदसि नी भी परव न लन नही गय कौम को ही ल भ हआ

    लतकन र मसनददर पामडि खोट ततसकक तनकल तफर भी सवछछनदद घमन व ल और स थ

    ही वयसनी आदमी जल क एक ािव स को िथ अनक परक र क भोजन ममलन पर भी जल क

    सायम को सहन नही कर सकि यही चसथति र मसनददर पामडि की हई कौम क लोगो क और

    जल क अमधक ररयो क इिन समम न ममलन पर भी जल उस कडव लग और वह र नदसव ल

    िथ सतय गरह की लड ई को अातिम नमसक र करक र िोर ि भ ग खड हआ

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    परनदि र मसनददर क पर इतिह स मन उसक दोष ददख न क ततलए यह ा नही ददय ह यह

    इतिह स मन इस घटन क भीिर मछप गढ अथय को परकट करन क ततलए ही ददय ह परतयक शदध

    आनददोलन क नि ओ क यह कियवय ह तक व शदध आनददोलन म शदध आदममयो को ही भरिी कर

    एततशय दटक ओतफस क अमधक ररयो न सोच तक कौम क अमक नि ओ को तगरफि र

    नही तकय ज यग िब िक लड ई क बल कभी टट नही सकग इसक फलसवरप ददसमबर

    १९०७ क अातिम सपि ह म कछ नि ओ को अद लि म ह जजर होन की नोदटस ममली

    तनकषिि तकय हए ददन ndash शतनव र

    ि ० २८-१२-१९०७ को ndash अद लि म जो नि ह जजर रह थ उनदह इस िरह की नोदटस क

    उिर दन थ क़ नन क अनस र आप लोगो को परव न पर पि कर लन च तहए थ तफर भी आपन

    पर पि नही तकय इसततलए आपको ऐस हकम कयो न ददय ज य तक अमक समय क भीिर आप

    र नदसव ल की सीम छोड दrsquo

    लतकन सबक कस अलग-अलग चल य गय थ मजजसरट न कछ लोगो को ४८ घाटो क

    भीिर और ब की को ७ य १४ ददन म र नदसव ल छोड दन क आदश ददय इस आदश की अवमध

    १० जनवरी १९०८ को परी होिी थी उसी ददन हम सज सनन क ततलए अद लि म उपचसथि

    होन क आदश ममल थ

    हम म स तकसीको अपन बच व िो करन ही नही थ क़ नन क अनस र परव न न लन

    क क रण तनकषिि अवमध म र नदसव ल की सीम छोड दन क मजजसरट न जो आदश ददय थ

    उसक सतवनय अन दर करन क अपर ध हम सबको सवीक र करन थ

    मन अद लि स एक छोट स विवय दन की इज जि म ागी वह इज जि मझ ममली मन

    इस आशय क विवय ददय मर मक़ददम म और मर ब द आन व ल लोगो क मक़ददम म भद

    तकय ज न च तहए मझ अभी-अभी तपरटोररय स य सम च र ममल ह तक वह ा मर दशबनदधओ

    को िीन म स की कडी क़द की सज और भ री जम यन हआ ह और जम यन न दन पर िीन म स

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    की कडी क़द की सज दी गई ह अगर उन लोगो न अपर ध तकय ह िो मन उनस कही बड

    अपर ध तकय ह इसततलए मजजसरट स मरी पर थयन ह तक व मझ कडी स कडी सज द

    दसर अथव िीसर ददन स सतय गरही क़दी बडी साखय म आन लग थ व ज न-बझकर

    तगरफि र होि थ उनम स अमधकिर लोग फरी लग न व ल ही थ फरीव ल लोग इसम सबस

    आग रह उनक ततलए तगरफि र होन आस न भी थ उनदह कवल परव न बि न स इनक र करन

    होि थ उसक ब द उनक तगरफि र होन तनकषिि थ एक हफि म इस िरह तगरफि र होन

    व ल सतय गरही क़दी की साखय १०० स अमधक हो गई और थोड-बहि क़दी िो रोज ही आि

    थ इसततलए हम बगर अखब र क ही स र सम च र ममल ज ि थ जब बडी साखय म सतय गरही

    तगरफि र तकय ज न लग िब सरक र की ओर स मजजसरटो को सचन की गई तक कडी क़द की

    सज ही दी ज य

    जोहतनसबगय की जल म स दी क़द की सज व ल क़दी को भोजन म सबर मकक क आट

    की लपसी य क ाजी ममलिी थी उसम नमक ड ल नही ज ि थ परनदि हर क़दी को अलग स

    थोड नमक ददय ज ि थ दोपहर ब रह बज च र औस भ ि ऊपर स नमक और एक औस घी

    और च र औस ड ल-रोटी दी ज िी थी श म को मकक क आट की क ाजी और उसक स थ थोड

    स ग स ग म भी मखयिः आल ददय ज ि थ आल छोट होि िो दो ददय ज ि और बड होि िो

    एक ददय ज ि थ इिन भोजन स तकसीक भी पट नही भरि थ च वल मचकन और गील

    पक य ज ि थ हमन जल क डोकटर स थोड मस ल की म ाग की और कह तक तहनदसि न की

    जलो म क़ददयो को मस ल ममलि ह डोकटर न कड उिर ददय ldquoयह तहनदसि न नही ह क़दी

    क ततलए सव द नही होि इसततलए मस ल भी नही हो सकि rdquo हमन द ल की म ाग की और

    क रण म यह बि य तक जल क भोजन म सन यओ को पषट करन व ल कोई िततव नही ह इस

    पर डोकटर न कह ldquoक़ददयो को डोकटरी दलील नही करनी च तहए आपको सन य-पोषक

    भोजन ददय ज ि ह कयोतक सपि ह म दो ब र आपको मकक क बदल म श म क भोजन म

    उबली हई मटर दी ज िी हrdquo यदद मनषय क पट एक हफि य पखब र म अलग-अलग समय

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    पर ममलन व ल अलग-अलग िततवो स यि भोजन म स शरीर क ततलए आवकयक िततव खीच लन

    की शतति रखन हो िब िो डोकटर क यह िकय सही थ

    इस िरह जल म हम लगभग १५ ददन रह होग तक ब हर स आन व ल नय लोग यह

    सम च र ल न लग तक सरक र क स थ समझौि करन की कोई ब िचीि चल रही ह

    उस मसौद क आशय इस परक र थ तहनदसि तनयो को सवछछ स अपन परव न बदल

    लन च तहए और यदद तहनदसि नी कौम क मखय भ ग सवछछ स परव न ल लग िो सरक र

    खनी क़ नन रद कर दगी और सवछछ स ततलए गय परव नो को क़ ननी म नदयि दन क ततलए नय

    क़ नन प स करगी समझौि क इस मसौद म खनी क़ नन रद करन की ब ि सपषट नही थी अपनी

    दतषट स यह ब ि सपषट करन जजिन पररवियन मन मसौद म सझ य

    जनरल समटस को ममलन क ततलए मझ तपरटोररय ल ज य गय ब िचीि क उपर नदि म

    जो पररवियन सझ य थ इसक साबाध म जररी समझौि क मसौदी को उनदहोन सवीक र ततलय

    क़ददयो को छोड ददय गय मन अपन दशव ततसयो को मसौद को समझ न शर तकय

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    ५३ हमला

    मन िो दस अागततलयो की छ प दन की सवीकति दी इसस कछक पठ नभ ई मझ पर खर हए

    ि ० १०-२-१९०८ क सबर हम म स कछ लोग परव न लन क ततलए एततशय दटक ओतफस

    म ज न को िय र हो गय कौम क लोगो को अछछी िरह समझ ददय गय थ तक परव न लन

    क क म यथ साभव जलदी स जलदी पर कर दन च तहए और सल ह-मशतवर क ब द यह ब ि

    भी िय हो गई थी तक पहल ददन कौम क नि ही सबस पहल परव न लन ज एाग इसक पीछ

    उददकय लोगो क साकोच दर करन एततशय दटक तवभ ग क अमधक री अपन क म ततशषटि स करि

    ह य नही यह ज नन और अनदय परक र स उस क म की स री वयवसथ पर दखरख रखन थ

    मर ओतफस सतय गरह-माडल क भी ओतफस थ वह ा पहाचि ही मन ओतफस की दीव ल क

    ब हर मीर आलम और उसक स ततथयो को खड दख

    मीर आलम मर पर न मवचककल थ अपन हर क म म वह मरी सल ह लि थ उसकी

    ऊा च ई ६ फट स अमधक थी वह क़दद वर और दोहर शरीर क आदमी थ आज पहली ही ब र

    मन मीर आलम को ओतफस क अनददर न दखकर ब हर खड दख और हम दोनो की आाख ममलन

    पर भी उसन पहली ही ब र मझ सल म नही तकय लतकन मन उस सल म तकय इसततलए उसन

    भी मझ सल म तकय अपनी आदि क अनस र मन उसस पछ ldquoकस होrdquo मर ऐस खय ल

    ह तक उसन जव ब म कह थ ldquoअछछ हाrdquo परनदि आज उसक चहर पर हमश की मसक न

    नही थी मन दख तक उसकी आाखो म गसस भर ह यह ब ि मन मन म ततलख ली मझ यह भी

    लग तक आज कछ न कछ होन व ल ह मन ओतफस म परवश तकय अधयकष ईसप ममय ा और

    दसर ममि भी आ पहाच और हम एततशय दटक ओतफस की ओर चल पड मीर आलम और उसक

    स थी भी हम र पीछ-पीछ आय

    एततशय दटक ओतफस की इम रि वोन बरतनदडस सकवअर म थी वोन बरतनदडस सरीट म चलि-

    चलि हमन मससय आरनोट और तगबसन की सीम छोडी वह ा स एततशय दटक ओतफस िीनक

    ममनट क र सल पर रह होग तक मीर आलम मरी बगल म आ गय उसन मझस पछ ldquoकह ा

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    ज ि होrdquo मन उिर ददय ldquoम दस अागततलयो की छ प दकर रजजसटर (परव न ) तनकलव न

    च हि हा अगर िम भी चलोग िो िमह दस अागततलयो की छ प दन की जररि नही ह िमह र

    परव न (ततसरय दो अागठो की छ प क स थ) पहल तनकलव न क ब द म अागततलयो की छ प दकर

    अपन तनकलव ऊा ग rdquo

    अातिम व कय मन मतककल स पर तकय होग तक मरी खोपडी पर पीछ स ल ठी क एक

    व र हआ म ह र म बोलि-बोलि बहोश होकर जमीन पर लढक गय ब द म कय हआ इसक

    मझ कोई भ न नही थ लतकन मीर आलम न और उसक स ततथयो न मझ पर ल दठयो क अमधक

    व र तकय और ल ि भी म री उनम स कछ ईसप ममय ा और थाबी न यड न झली इस क रण स

    ईसप ममय ा और थाबी न यड पर भी थोडी म र पडी इिन म शोरगल मच आन-ज न व ल गोर

    इकटठ हो गय मीर आलम और उसक स थी भ ग लतकन गोरोन उनदह पकड ततलय इस बीच

    पततलस भी आ पहाची उसन पठ नो को तहर सि म ल ततलय

    प स ही शरी ज० सी० तगबसन क ओतफस थ मझ उठ कर वह ा ल ज य गय कछ दर

    ब द मझ होश आय िब मन रवरड डोक को अपन चहर पर झक हए दख उनदहोन मझस पछ

    ldquoआपको कस लगि हrdquo

    मन हासकर जव ब ददय ldquoअब ठीक हा लतकन मर द ािो म और पसततलयो म ददय होि

    हrdquo तफर मन पछ ldquoमीर आलम कह ा हrdquo

    डोक बोल ldquoउस और उसक स ततथयो को तगरफि र कर ततलय गय ह

    मन कह ldquoव छटन च तहएrdquo

    डोक ldquoवह सब िो होि रहग लतकन आप यह ा एक अपररमचि क ओतफस म पड ह

    आपक होठ फट गय ह पततलस आपको असपि ल ल ज न को िय र ह लतकन अगर आप मर

    यह ा चल िो म और शरीमिी डोक आपकी यथ शतति स र-साभ ल करगrdquo

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    मन कह ldquoमझ आपक ही घर ल चततलए पततलस क परसि व क ततलए उस धनदयव द दीजजए

    लतकन उसस कतहए तक मझ आपक यह ा ज न जय द पसाद हrdquo

    इिन म एततशय दटक तवभ ग क अमधक री शरी चमनी भी आ पहाच मझ एक ग डी म ततलट

    कर भल प दरी शरी डोक क तसमट सरीट चसथि तनव स-सथ न पर ल ज य गय मरी ज ाच क ततलए

    एक डोकटर को बल य गय इस बीच मन शरी चमनी स कह ldquoमरी आश िो यह थी तक आपक

    ओतफस म आकर और दस अागततलयो की छ प दकर पहल परव न म लाग लतकन ईशवर को

    यह सवीक र नही थ अब मरी आपस पर थयन ह तक आप इसी समय ज कर जररी क़ गज ि ल

    आइय और पहल परव न मझ दीजजए म आश रखि हा तक मर पहल आप दसर तकसीको

    परव न नही दग rdquo

    उनदहोन कह ldquoऐसी कय जलदी ह अभी डोकटर आयग आप आर म कर ब द म सब

    कछ हो ज एाग दसरो को परव न दाग िो भी आपक न म सबस पहल रखाग rdquo

    म बोल ldquoऐस नही मरी यह परतिजञ ह तक यदद म जजनदद रहा और ईशवर को माजर हो

    िो सबस पहल म ही परव न लाग इसततलए मर आगरह ह तक आप क़ गज ि ल आइयrdquo

    इस पर शरी चमनी क़ गज ि ल न क ततलए ओतफस गय

    मर दसर क म एटनी-जनरल अथ यि सरक री वकील को यह ि र करन थ तक मीर

    आलम और उसक स ततथयो न मझ पर जो हमल तकय उसक ततलए म उन लोगो को दोषी म नि

    ही नही जो भी हो लतकन म नही च हि तक उन पर रौजद री मक़ददम चल म आश करि हा

    तक मर ख तिर आप उनदह छोड दग rdquo

    लतकन जोह तनसबगय क गोरो न एटनी-जनरल को इस आशय क एक कड पि ततलख

    ldquoअपर धी को सज दन क ब र म ग ाधी क च ह जो तवच र हो लतकन इस दश म उन पर अमल

    नही तकय ज सकि ग ाधी को जो म र पडी ह उसक ब र म व भल ही कछ न कर लतकन

    हमल करन व ल लोगो न यह म र उनदह तकसी तनजी मक न म नही म री ह यह अपर ध पठ नो

    न आम र सि पर तकय ह इसततलए यह एक स वयजतनक अपर ध म न ज एग कछ अागरज भी

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    इस अपर ध की गव ही दन की चसथति म ह अपर मधयो को पकडन ही च तहएrdquo इस आनददोलन

    क क रण एटनी-जनरल न तफर मीर आलम और उसक एक स थी को तगरफि र कर ततलय और

    उनदह िीन-िीन महीन की कडी क़द की सज दी कवल मझ गव ह क रप म नही बल य गय

    कौम क परति परमख क दव र मन एक साकषकषपि गजर िी म पि ततलख और परक ततशि करन

    हि भज ददय

    ldquoमरी िबीयि अछछी ह शरी डोक और शरीमिी डोक हदय क स र परम उाडल कर मरी

    सव -शशरष कर रह ह म कछ ही ददनो म अपन क म साभ ल लाग जजन लोगो न मझ म र ह

    उन पर मर मन म जर भी गसस नही ह उनदहोन बसमझी स यह क म तकय ह उन पर मक़ददम

    चल न की कोई जररि नही अगर दसर लोग श ाि रहग िो इस घटन स भी हम ल भ ही होग

    ldquoतहनदओ को च तहए तक व मन म जर भी रोष न रख म च हि हा तक इस घटन स

    तहनदओ और मसलम नो क बीच खट स पद होन क बदल ममठ स पद हो खद स ndash ईशवर स

    म यही य चन करि हा

    ldquoम ईशवर स पर थयन करि हा तक वह कौम क भल कर उस सतय क म गय पर लग य और

    तहनदओ िथ मसलम नो क ददलो को मर खन की पटटी स जोड दrdquo

    शरी चमनी क़ गज ि लकर आय बडी कदठन ई स और जस-िस मन अपनी दस अागततलयो

    की छ प उनदह दी उस समय मन उनकी आाखो म आास दख उनक खखल फ मझ अकसर कडी

    ब ि ततलखनी पडिी थी लतकन इस घटन स मर स मन इस ब ि क परतयकष मचि खड हआ तक

    मौक़ आन पर म नव क हदय तकिन कोमल बन सकि ह

    यह तवमध परी करन म कछ ममनट स जय द समय नही लग होग शरी डोक और उनकी

    भली पतनी मझ पणय श ाि और सवसथ दखन क ततलए अतयनदि उतसक थ हमल स घ यल होन क

    ब द मर म नततसक क यय को दखकर दोनो को ःख होि थ उनदह भय थ तक इसक बर असर

    कही मरी िबीयि पर न पड इसततलए साकि दकर और दसरी िरकीब क म म लकर व सब लोगो

    को मर पलाग स दर हट ल गय और मझ ततलखन की य और कछ करन की मन ही कर दी मन

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    उनस तवनिी की (और ततलख कर की) तक म तबलकल श ाति स सो ज ऊा इसस पहल और इसक

    ततलए उनकी लडकी ओततलव ndash जो उस समय छोटी ब ततलक ही थी ndashमझ अपन तपरय अागरजी

    भजन लोडय क इाडली ल इट (परमल जयोति ि रो द खवी मझ जीवनपाथ उज ढ) ग कर सन य

    शरी डोक को मरी यह तवनिी बहि पसाद आई वह ब ि अपन मधर ह सय दव र उनदहोन मझ समझ

    दी और ओततलव को इश र स बल कर दरव ज क ब हर खड-खड धीम सवर म वह भजन ग न क

    ततलए कह यह ततलख ि समय वह सापणय दकय मरी आाखो क स मन िर रह ह और ओततलव क

    ददवय सवर की गाज अभी भी मर क नो म गाज रही ह

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    ५४ लडाई की पनरावशतत

    नहनदसतानीओन सवचछछक परव न तनकलव ततलए अब सरक र को खनी क़ नन हट दन

    च तहए लतकन खनी क़ नन रद करन क बज य जनरल समटस न नय ही क़दम उठ य उनदहोन

    तवध नसभ म जो नय तबल पश तकय उसक दव र खनी क़ नन को बह ल रख और सवछछ स

    ततलए गय परव नो को क़ ननी कर र ददय स थ ही उस तबल म यह ध र भी जोडी तक जजन

    तहनदसि तनयो न सवछछ स परव न ल ततलए ह उन पर खनी क़ नन ल ग नही तकय ज सकि

    इस नय तबल को पढकर म िो हकक -बकक हो गय

    सरक र को सतय गरतहयो क असतलटमटम अथव तनिय-पि की भजन की अवमध परी

    होिी थी अवमध बीिन क दो-एक घाट ब द परव न जल न की स वयजतनक तवमध परी करन क

    ततलए एक सभ बल ई गई थी सतय गरह-सममति न यह म न थ तक आश क तवपरीि कही सरक र

    क अनकल उिर ममल ज ए िो भी सभ बल न वयथय नही होग कयोतक उस चसथति म सभ क

    उपयोग सरक र क अनकल तनणयय कौम को सन न म कर ततलय ज एग

    सभ शर होन ही व ली थी तक एक सवयासवक स इकल पर आ पहाच उसक ह थ म

    ि र थ उसम सरक र क उिर थ उिर म तहनदसि नी कौम क तनिय क ततलए खद परकट तकय

    गय थ और यह भी कह गय थ तक सरक र अपन तनिय बदलन म असमथय ह ि र पढकर

    सभ म सबको सन ददय गय सभ न उसक सव गि तकय म नो सभ क लोगो को इस ब ि

    क हषय हआ तक सरक र दव र तनिय-पि की म ाग सवीक र कर ततलए ज न स परव नो की होली

    जल न क जो शभ अवसर उनक ह थ स चल ज ि वह चल नही गय

    इस सभ म मीर आलम भी ह जजर थ उसन सभ म यह घोषण की तक मझ पर हमल

    करन म उसस भल हई थी और अपन असल परव न भी उसन मझ जल न क ततलए द ददय

    नय परव न िो उसन सवछछ स ततलय ही नही थ मन मीर आलम क ह थ पकड और हषय स

    उस दब य मन ब र मीर आलम स कह तक मर मन म िो उसक परति कभी रोष थ ही नही

    इसस सभ की खशी क प र न रह

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    कमटी क प स जल न क ततलए २००० स ऊपर परव न आ चक थ परव नो क ढर कड ही

    म ड ल गय ऊपर स घ सलट ऊा डल गय और मन उस ददय सल ई ददख ई स री सभ खडी

    हो गई और जब िक परव न जलि रह िब िक उसकी ि ततलयो स मद न गाजि रह जजन कछ

    लोगो न अभी िक परव न अपन प स रख छोड थ उनक परव नो की भी अब माच पर वष य होन

    लगी व परव न भी कड ही म ड ल ददय गय

    इस सभ म अागरजी अखब रो क साव दद ि आय थ उन पर भी सभ क सापणय दकय क

    बड गहर असर पड उनदहोन अपन अखब रो म सभ क हबह वणयन तकय

    र नद सव ल तवध न-सभ की जजस बठक म एततशय दटक क़ नन (दसर ) प स हआ थ उसी

    बठक म जनरल समटस न एक दसर तबल भी पश तकय थ उसक न म थ इममगरनदटस

    रनसरकशन एकट (१९०७ क पनदरहव ा एकट) ndash परोकष रप म ऐसी यतति तनतहि थी जजसस एक

    भी नय तहनदसि नी र नदसव ल म द खखल न हो सक इसक तवरोध करन कौम क ततलए तनि नदि

    आवकयक थ अि कछक सतय गरहीओ न ज न बझकर र नदसव ल म परवश तकय उनको

    तगरफि र कर ततलए गय मझ भी दसरी ब र तगरफि र तकय गय थ एक ब र वोकसरसट की जल

    म हम लगभग ७५ सतय गरही क़दी इकठठ हो गय थ सरक र सोच म पड गई आखखर जल म

    तकिन तहनदसि तनयो को क़द म रख ज सकि ह खचय बढग अब कय तकय ज य सरक र न

    पररचसथति को हल करन क ततलए एक नई परयतति खोज ड ली पकड गय हहिदीओ को सरहद प र

    करक तहनदसि न भज दन शर कर ददय

    मगर हआ ऐस तक बहि स तहनदसि नी िो अटल रह और मककमि पवयक अपनी लडि

    ज री रखी थी थोड बहि ढील पड गय थ

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    ५५ टोलससटोय फामम

    आज िक (१९१०) िक जल ज नव ल सतय गरतहयो क पररव रो क भरण-पोषण उनदह हर महीन

    पस दकर होि थ सबको उनकी आवकयकि क अनस र पस ददय ज ि थ चीटी को कन

    और ह थी को मन लतकन यह वयवसथ सािोष परद नही थी कोश पर भ री बोझ आन शर हो

    गय थ यह कदठन ई एक ही िरह स हल हो सकिी थी ndash स र पररव रो को एक सथ न पर रख

    ज य और वह ा सब स थ ममलकर क म कर

    मर ममि शरी कलनबक क पररचय म पहल कर चक हा उनदहोन ११०० एकड जमीन

    खरीदी और कोई पस ततलए तबन सतय गरतहयो क उपयोग क ततलए तबन तकर य द दी (३० मई

    १९१०) उस जमीन पर करीब १००० फल क झ ड थ जमीन की ऊा च ई पर एक छोटी स टील

    थ और एक छोट स मक न थ जजसम प ाच स ि आदमी रह सकि थ प नी क ततलए दो कएा

    और एक झरन थ तनकटिम रलव सटशन लोल वह ा स एक मील दर थ जोह तनसबगय वह ा स

    २३ मील पर थ इसी जमीन पर मक न बनव न और सतय गरतहयो क पररव रो को बस न क

    हमन तनिय तकय

    इस सथ न म हमन यह आगरह रख थ तक नौकरो स कोई भी घरल क म न कर य ज य

    इसततलए प ख न -सर ई स लकर रसोई बन न िक क स र क म हम अपन ही ह थो स करन

    हमन पहल स ही यह तनिय कर ततलय थ तक सतसियो और परषो को अलग अलग रख

    ज य इसततलए दोनो क मक न अलग और एक-दसर स थोडी दरी पर बन न की ब ि िय हई

    दस सतसिय ा और स ठ परष रह सक इिन मक न िरनदि बन न क तनणयय हआ शरी कलनबक क

    रहन क भी एक मक न बनव य थ और उसक प स श ल क एक मक न खड करन थ

    इसक ततसव एक क रख न भी बढई-क म और मोची-क म क ततलए बनव न थ

    जो लोग इस सथ न पर रहन आनव ल थ व गजर ि क मर स क आाधर दश क और उिर

    भ रि क थ धमय स व तहनदद मसलम न प रसी और ईस ई थ उनम लगभग च लीस नौजव न

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    थ दो-िीन वयोवदध थ प ाच सतसिय ा थी और बीस स िीस की साखय म ब लक थ इन ब लको म

    च र-प ाच लडतकय ा थी

    टोलसटोय फ मय म आकर तनबयल लोग बलव न बन गय और पररशरम सबक ततलए शततिद यी

    ततसदध हआ

    फ मय क हर तनव सी को तकसी न तकसी क म स जोह तनसबगय ज न पडि थ ब लक

    वह ा सर क ततलए ज न च हि थ मझ भी क मक ज क ततसलततसल म जोह तनसबगय ज न पडि

    थ तनणयय यह तकय गय थ तक जो फ मय क स म जजक क म स ज य उसीको रल स मस तफरी

    करन की इज जि दी ज ए और रल की मस तफरी भी िीसर दज म ही की ज ए और जजस सर

    क ततलए ज न हो वह चलकर ज ए उसक स थ ख न क ततलए न कि द ददय ज ए शहर ज कर

    कोई ख न-पीन म एक पस भी खचय न कर ऐस कड तनयम न बन य गय होि िो जो पस बच न

    क ततलए हमन जागल म रहन पसाद तकय थ वह पस रल-तकर य म और शहर क ब ज र म तकय

    ज न व ल न कि म उड ज ि घर क बन हआ न कि भी स द ही होि थ न कि म घर क

    पीस और तबन छन मोट आट की ड ल-रोटी उस पर मागफली क घर म बन य हआ मकखन

    और घर म ही बन हआ न रागी क मछलको क मरबब होि थ आट पीसन क ततलए ह थ स

    चलन व ली लोह की चककी खरीदी गई थी मागफली को भन कर पीसन स उसक मकखन बन

    ज ि थ उसकी कीमि दध क मकखन स चौगनी ससिी पडिी थी न रागी िो फ मय म ही खब

    होिी

    थी फ मय म हम ग य क दध श यद ही कभी लि थ स म नदयिः मडब क दध क ही उपयोग

    करि थ

    लतकन हम तफर मस तफरी की ब ि पर आय जजन लोगो को जोह तनसबगय ज न क शौक

    होि व सपि ह म एक य दो ब र चलकर ज ि थ और उसी ददन लोट आि थ म पहल कह

    चक हा तक यह र सि २१ मील क थ पदल ज न क इस एक तनयम स हम र सकडो रपय बच

    गय और चलकर ज न व लो को बड ल भ ल भ हआ कछ लोगो को चलन की नई आदि पडी

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    स म नदय तनयम यह थ तक इस िरह जोह तनसबगय ज न व ल र ि म दो बज उठ ज एा और ढ ई

    बज तनकल पड सब कोई छह स स ि घाटो क भीिर जोह तनसबगय पहाच सकि थ हम स कम

    समय लन व ल लोग ४ घाट और १८ ममनट म पहाच ज ि थ

    हम र क म सतय गरही पररव रो को उदयमशील रखन पस बच न और अाि म सव वलमबी

    बनन थ यह धयय ततसदध कर लन क ब द िो हम च ह जजिनी अवमध िक र नदसव ल सरक र स

    लड सकि थ जिो पर हम पस खचय करन पडि थ क ाटो पतथरो बगर स परो को बच न क

    ततलए तकसी रकषण की आवकयकि को हमन सवीक र तकय थ इसततलए हमन चपपल य सडल

    बन न क धनदध सीखन क तनिय तकय

    इस िरह अनक नौजव न चपपल बन न सीख गय और हम अपन ममिो को आशरम म बन

    हए चपपल बचन भी लग यह कहन िो मर ततलए जररी नही होन च तहए तक मर अनक ततशषय

    इस कल म मझस आस नी स आग बढ गय दसर उदयोग हमन सि री क शर तकय एक ग ाव

    जस बस कर हम वह ा रह इसततलए प ट स लकर पटी िक की स री छोटी-मोटी चीजो की हम

    जररि पडिी थी हम अपन ह थ स ही बन ि थ

    उपययि यवको ब लको और ब ततलक ओ क ततलए एक श ल क होन अतनव यय थ यह

    क म हम सबस कदठन लग और इसम पणयि िो हम अाि िक भी पर पि नही कर सक पढ न

    क ख स बोज शरी कलनबक और मझ पर थ श ल दोपहर को ही चल ई ज सकिी थी हम

    दोनो सबर क श रीररक शरम स खब थक ज ि थ तवदय थी भी सब थक हए ही रहि थ इसततलए

    अकसर तवदय थी भी ऊा घन लगि थ और हम ततशकषक भी ऊा घन लगि थ हम अपनी आाखो पर

    प नी मछडकि थ ब लको क स थ खल खलि थ और उनक िथ अपन आलसय दर करन क

    परयतन करि थ पराि कभी-कभी हम र परयतन वयथय ज ि थ जजिन आर म शरीर क ततलए

    जररी होि थ उिन िो वह लकर ही रहि थ यह िो मन एक और छोट स छोट तवधन की

    ब ि कही कयोतक ऊा घि ऊा घि भी हम र वगय िो चलि ही थ परनदि समसय यह थी तक ि ममल

    िलग और गजर िी िीन भ ष एा बोलन व ल तवदय रथियो को कय और कस ततसख य ज य

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    म िभ ष दव र ब लको को पढ न क लोभ िो मर मन म थ ही ि ममल म थोडी-बहि ज नि

    थ परनदि िलग क िो एक अकषर भी नही ज नि थ ऐसी चसथति म एक ततशकषक भल कय कर

    सकि थ

    परनदि आशरम म तकय हआ ततशकष क यह परयोग वयथय नही गय इसक फलसवरप

    ब लको म कभी असतहषणि की भ वन पद नही हई व एक-दसर क धमय क परति और एक-

    दसर क रीि-ररव जो क परति उद रि रखन सीख सब कोई सग भ इयो की िरह रहन सीख

    एक-दसर की सव करन सीख सभयि सीख उदयमी बन और आज भी उन ब लको म स

    जजन-जजन क क यो की थोडी भी ज नक री मझ ह उनक ब र म म यह कह सकि हा तक

    टोलसटोय फ मय म उनदहोन जो कछ प य वह बक र नही गय भल ही वह परयोग अधर थ तफर

    भी वह एक तवच रपणय और ध रमिक परयोग थ और टोलसटोय फ मय क जो अतयनदि मीठ सासमरण

    ह उनम ततशकषण क परयोग क सासमरण कम मीठ नही ह

    फ मय पर आह र िथ दरद की शशरष साबाध म बहि स परयोग तकय गय

    श क ह ररयो क न ि हम दध लन क अमधक र ह य नही इस परशन पर मन बहि सोच

    थ और उसक ब र म खब पढ भी थ लतकन फ मय म रहि रहि मर ह थ म कोइ पसिक य

    अखब र आय थ उसम मन पढ थ तक कलकि म ग यो और भसो क स थ करर वयवह र करक

    दध की एक एक बाद उनक थनो स तनक ल ली ज िी ह उसम मन फा क की तनदयय और भयाकर

    तकरय क भी वणयन पढ थ उसी ददन मन दध छोड ददय

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    ५६ णसतरयाा लडत म शाधमत

    गौखल २२ अिबर १९१२ को दकषकषण आतफरक पध र सतय गरतहय ा िथ सरक र क तबच

    समझौि कर न क आशय थ गोखल को तवशव स हआ थ तक जनरल बोथ अपन वचन क

    मि तबक एक स ल म ही क ल क़ नन रद कर दग िथ िीन प उनदड क कर भी हट यग लतकन

    जनरल बोथ न वचनभाग तकय

    सरक र क वचन भाग की ब ि मन गोखल को ततलखी उनदह अतिशय ःख हआ मन उनदह

    ततलख तक आप सवयथ तनभयय रह हम मरण-पयि लडग और िीन प उाड क कर रद करव यग

    र नदसव ल की सरक र की न मरजी होि हए भी कर रद करव यग जल लाबी अवमध िक

    चलगी ऐस हमलोग म नि थ अिः टोलसटोय फ मय बाद करन क तनणयय तकय गय िथ कनदर

    रीतनकस तकय ज ए ऐस तनणयय भी तकय गय

    लड ई छडन की हम री िय ररय ा अभी चल ही रही थी तक इिन म एक नय तवघन खड

    हो गय जजसकी वजह स सतसियो को भी लड ई म भ ग लन क अवसर ममल गय पराि उस

    समय तवदश म सतसियो को जल भजन हम सबको अनमचि लग

    पराि इस समय अद लि म एक मक़ददम ऐस आय तक जजस म सतपरम कोटय क नदय य धीश

    न तनणयय ददय तक दकषकषण अफ़रीक क क़ नन म ईस ई धमय क अनस र हए तवव ह क ततसव ndash

    तवव ह-अमधक री क ओतफस म रजजसटर कर य हए तवव ह क ततसव ndash दसर तकसी तवव ह क ततलए

    सथ न नही ह इसक अथय यह हआ तक तहनदद मचसलम प रसी आदद धमो की तवमध क अनस र

    हए तवव ह नदय य धीश क उपययि भयाकर तनणयय स दकषकषण अफ़रीक म रद म न गय और इसततलए

    उस क़ नन क अनस र दकषकषण अफ़रीक म असाखय तवव तहि तहनदसि नी सतसियो क दरज अपन

    पतियो की धमयपतनी क न रहकर उपपसततनयो क हो गय िथ उन सतसियो की सनद ि न को अपन

    तपि की तवर सि प न क भी अमधक र नही रह गय इस चसथति को न िो सतसिय ा सहन कर

    सकिी थी न परष सहन कर सकि थ

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    सतसिय ा क अपम न होन क ब द धयय कस रख ज ि कम य अमधक जजिन भी सतय गरही

    ममल उनदही क स थ हमन िीवर सतय गरह करन क तनिय तकय अब सतसिय ा को लड ई म भ ग

    लन स रोक नही ज सकि थ यही नही हमन सतसिय ा को लड ई म भरिी होन क तनमािण दन

    क तनिय तकय सबस पहल उन बहनो को तनमािण ददय जो टोलसटोय फ मय म रह चकी थी

    व िो लड ई म शरीक होन क ततलए अतयनदि उतसक थी मन उनदह सतय गरह की लड ई म भ ग लन

    क स र खिरो स पररमचि कर य मन उनदह समझ य तक लड ई म ससतममततलि होन क ब द उनक

    ख न-पीन पोश क सोन-बठन सब पर तनयािण लग ज एाग मन उनदह यह चि वनी भी दी तक

    जल म उनदह कडी महनि क क म सौप ज सकि ह उनस कपड धलव य ज सकि ह जल-

    अमधक री उनक अपम न भी कर सकि ह लतकन व सब बहन बह र थी व मरी बि ई एक

    भी ब ि स भयभीि नही हई एक िो गभयविी थी छह बहनो की गोद म छोट बछच थ ऐसी

    बहनो न भी लड ई म भ ग लन क आगरह तकय इनम स तकसी भी बहन को रोकन की शतति

    मझम नही थी इनम छह बहन दध पीि छोट बछचो व ली थी

    इन बहनो क परथम परयतन तनषफल गय उनदहोन र नदसव ल क वरीतनजजिग न मक सथ न

    म तबन परव न क परवश करक फरी लग ई लतकन पततलस न उनदह पकडन स इनक र कर ददय

    जब रीतनकस क दल र नदसव ल म परवश कर उसी समय व १६ बहन ndash जजनदहोन र नदसव ल

    म तगरफि र होन क तवफल परयतन तकय थ ndash न ि ल म परवश करन व ली थी जजस परक र

    न ि ल स र नदसव ल म तबन परव न क परवश करन अपर ध थ उसी परक र र नदसव ल स न ि ल

    म तबन परव न क परवश करन भी अपर ध थ इस िरह यदद पततलस तगरफि र कर िो इन बहनो

    को न ि ल म तगरफि र होन थ और यदद न कर िो उनदह न ि ल की कोयल की खद नो क कनदर

    नदयकसल िक ज कर उनम क म करन व ल तगरममदटय मजदरो को खद न छोडकर ब हर तनकल

    ज न की ब ि समझ नी थी यदद मजदर इन बहनो की ब ि म नकर अपन क म छोड दि िो

    मजदरो क स थ उनद ह भी सरक र अवकय ही तगरफि र करिी और बहनो की तगरफि री स इन

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    मजदरो क उतस ह अमधक बढन की परी साभ वन थी इस िरह की वयह-रचन मन म िय र

    करक मन र नदसव ल की बहनो को अछछी िरह समझ दी

    इसक ब द म रीतनकस गय वह ा रहन व ली बहनो को िथ अनदयो को उठ य गय क़दमो

    क ब र म होन व ली भयाकरि िथ जो कषट उठ न पडग इसक ब र म ब ि बि ई उनदहोन

    र नदसव ल की बहनो की िरह बीड उठ ततलय उसम कसिरब ई भी थी और व जलय ि करन

    क ततलए िय र हो गई उनदहोन मझ तवशव स ददल य तक हर िरह क ःख सहन करक भी व जल

    की सज परी करगी

    सतय गरतहयो क यह दल सीम ल ाग कर बगर परव न क र नदसव ल म परवश हई इस दल

    को तगरफि र कर ततलय उस पर अद लि म मक़ददम चल हर सतय गरही को िीन-िीन महीन

    की सखि क़द की सज ममली

    जो बहन र नदसव ल म तगरफि र होन क परयतन म तनर श हई थी उनदहोन अब न ि ल म

    परवश तकय उनदह बगर परव न क न ि ल म परवश करन क अपर ध म पततलस न तगरफि र नही

    तकय यह तनिय तकय गय थ तक पततलस यदद उनदह तगरफि र न कर िो नदयकसल म छ वनी

    ड ल कर बहनो न अपन क म आराभ कर ददय उनक परभ व तबजली की िरह फल गय िीन

    पौड क कर की करण कह नी न मजदरो क हदय को तपघल ददय उनदहोन अपन क म छोड

    ददय

    अब सरक र इन बह र बहनो को कस छोडिी उनदह तगरफि र कर ततलय गय परतयक

    को िीन महीन की क़द की सज ममली

    सतसिय ा की वीरि क वणयन भल तकन शबदो म तकय ज एा सभी को न ि ल की र जध नी

    मररतसबगय क जल म रख गय थ वह ा उनदह क री कषट ददय गय उनक भोजन क ब र म जर

    भी धय न नही रख गय महनि म उनद ह धोबी क क म सोप गय सरक र न लगभग सज

    खिम होन िक ब हर स भोजन पहाच न पर कड परतिबनदध लग रख थ एक बहन क एक

    तवशष परक र क भोजन करन क वरि थ बडी कदठन ई क ब द जल-अमधक ररयो न उस तवशष

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    भोजन की इज जि दी लतकन जो भोजन ददय ज ि थ वह इिन खर ब होि थ तक ख य

    नही ज ि थ जिन क िल की उस बहन को बडी जररि थी पहल िो वह नही ददय गय

    कछ ददन ब द ददय गय लतकन वह पर न थ और उिर हआ थ जब उस बहन न अपन पस

    स यह िल माग न की पर थयन की िो उिर म कह गय ldquoयह कोई होटल नही ह जो भोजन

    ददय ज ए वही िमह ख न होग rdquo वह बहन जब जल स ब हर तनकली िब ह ड-हपिजर म ि रह

    गई थी बड परयतन स ही वह बची

    दसरी एक बहन ज नलव बख र लकर जल स ररह हई उसक इस बख र न उस जल म

    ररह होन क कछ ही ददन ब द भगव न क प स पहाच ददय (२२ फरवरी १९१४) उस म कस

    भल सकि हा उसक न म व ततलय मम आर मनसव मी मदततलय र वह १८ वषय की ब ल थी म

    उस ममलन गय िब वह रोग-शयय पर पडी थी वह कद म ऊा ची थी इसीततलए उसक लकडी

    जस कश शरीर भयाकर ददख ई दि थ

    मन पछ ldquoव ततलय मम जल ज न क िमह पि ि प िो नही हrdquo

    ldquoपि ि प कयो होग मझ तफर स पकड ज ए िो म तफर जल ज न को िय र हाrdquo

    ldquoलतकन इसक पररण म िमह री मौि म आय िोrdquo मन पछ

    ldquoभल आय दश क ख तिर मरन कौन पसाद न करग rdquo

    हम री इस ब िचीि क ब द कछ ही ददनो म व ततलय मम मर गई परनदि वह ब ल अपन

    न म अमर कर गई इन बहनो क बततलद न तवशदध थ शदध हि स ददय गय बततलद न सफल

    होि ह ईशवर भ वन क भख ह भतति स अथ यि तनःसव थय बजदध स अपयण तकय गय पि पषप

    य जल भी ईशवर परम स सवीक र करि ह और उसक करोड गन फल दि ह सतय गरहीओ क

    इिन समझ लन ही ह तक उसम स एक भी शदध ह िो उसक यजञ फल दन क ततलए पय यपि ह

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    परथवी सतय क बल पर दटकी हई ह - असि - असतय - क अथय ह lsquoनहीrsquo सि -सतय-क

    अथय ह lsquoहrsquo असि क जब कोई अतसितव ही नही ह िो उसकी सफलि कस हो सकिी ह

    और जो lsquoहrsquo उसक न श कौन कर सकि ह इिन म सतय गरह क सापणयश सि सम ज ि ह

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    ५७ मज़दरो का परवाह

    नयकसल क प स की कोयल की खद नो क तहनदसि नी मजदरो पर बहनो क इस तय ग क अदभि

    असर पड उनदहोन अपन औज र छोड ददय और उनक परव ह शहर की ओर बहन लग इसक

    पि चलि ही मन रीतनकस छोड और म नदयकसल ज पहाच

    ऐस मजदरो क अपन मक न नही होि खद नो क म ततलक ही उनक ततलए घर बन ि ह

    और म ततलक ही उनक र सिो पर बततिय ा लग ि ह म ततलक ही उनदह प नी भी दि ह इसततलए

    मजदर हर िरह स म ततलको क अधीन रहि ह

    य हडि ली मर प स िरह-िरह की ततशक यि ल न लग कोई कहि तक म ततलक र सिो की

    बततिय ा बाद कर दि ह कोई कहि तक म ततलक हम र प नी बाद कर दि ह िीसर कहि तक

    म ततलक हडि ततलयो को गहसथी क स म न कोठररयो स ब हर फ क दि ह मन सझ व ददय एक

    म ि म गय यही रह ज ि थ तक मजदर म ततलको की कोठररय ा छोड द ndash अथ यि व तहजरि कर

    मजदर कोई प ाच-पचीस नही थ बचलक सकडो थ और उनक हज रो होन म भी कोई दर

    नही लगिी उन सबक ततलए मक न म कह ा स ल ऊा ख न कह ा स ल ऊा लोगो की भ री भीड

    जम गई इिन अमधक और तनरनदिर बढि रहन व ल मजदरो को एक ही सथ न पर बगर क म-

    धनदध क रखन यदद असाभव नही िो भयाकर क म अवकय थ मझ अपनी समसय क हल ममल

    गय इस समह को मझ र नदसव ल ल ल न च तहए और जजस परक र रीतनकस क १६ सतय गरही

    तगरफि र हो गय उसी परक र इस समह को भी जल म बठ दन च तहए

    मर प स लगभग प ाच हज र आदमी एकि हो गय थ इिन लोगो को रन स ल ज न

    साभव नही थ इिन पस म कह ा स ल ि और रन स ल ज न म उन सबकी परीकष नही हो

    सकिी थी नदयकसल स र नद सव ल की सीम ३६ मील दर थी न ि ल क सरहदी ग ाव च लसयट उन

    और र नद सव ल क वोकसरसट थ अाि म मन पदल य ि करन क तनिय तकय मजदरो क

    स थ मन चच य की उनक स थ उनकी पसततनय ा और ब लक भी थ कछ लोगो न आन क नी की

    लतकन हदय को कड बन न क ततसव मर प स दसर इल ज ही नही थ मन उनस कह ददय तक

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    जजनदह व पस खद नो पर ज न हो व ज सकि ह लतकन कोई व पस ज न को िय र नही थ

    जो लोग अपाग थ उनदह रन स भजन क हमन तनणयय तकय ब की सब लोगो न पदल च लसयट उन

    ज न की िय री बि ई यह माजजल दो ददन म िय करनी थी

    एक ददन श म को मन उन लोगो स कह ददय तक कल पर िःक ल हम अपन कच आरमभ

    करन ह र सि पर चलन क तनयम मन उनक स मन पढ सन य प ाच-छह हज र आदममयो क

    समद य को सभ लन कोई खल नही थ उनकी तनकषिि साखय िो मर प स थी ही नही न मर

    प स उनक न म और पि ही थ जजिन आदमी मर स थ रहन च हि थ उिनो ही स मझ सािोष

    थ परतयक हडि ली को डढ पौड ड ल-रोटी और ढ ई िोल शककर क ततसव अनदय कोई भोजन

    दन की शतति मझम नही थी मन उनस कह थ तक र सि म अगर कोई तहनदसि नी वय प री कछ

    दग िो उस हम सवीक र करग लतकन कछ नही ममल िो सबको ड ल-रोटी और शककर स ही

    सािोष करन होग बोअर-यदध और जल-तवरोह क समय जो अनभव मझ पर पि हए थ व इस

    समय मर ततलए बड उपयोगी ततसदध हए एक शिय यह भी थी तक स थ म कोई जररि स जय द

    कपड न रख र सि म तकसी की कोई चीज नही ली ज सकिी अमधक री य कोई अागरज र सि

    म ममल और व ग ली द अथव म र म र िो वह भी सहन कर ततलय ज य पततलस तगरफि र कर

    िो तगरफि र हो ज न च तहए म तगरफि र हो ज ऊा िो भी कच उनदह ज री रखन च तहए ndash आदद-

    आदद ब ि मन हडि ततलयो को समझ ई मरी तगरफि री क ब द एक क ब द एक कौन वयतति

    नि क रप म तनयि होग उनक न म भी मन सबको बि ददय

    सब लोग मरी सचन ओ को समझ गय हम र क तरल सहीसल मि च लसयट उन पहाच

    गय च लसयट उन म तहनदसि नी वय प ररयो न खब मदद दी उनदहोन अपन मक नो क उपयोग

    हम करन ददय मचसजद क मद न म ख न बन न की इज जि दी कच क समय जो ख न ददय

    ज ि थ वह सथ यी छ वनी म नही रहि थ इसततलए वह ा रसोई बन न क ततलए बरिनो की

    जररि पडिी थी य बरिन भी वय प री हम खशी स दि थ च वल बगर िो मर प स बडी म ि

    म जम हो गय थ उसम भी वय प ररयो न अपन तहसस ददय थ

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    च लसयट उन एक छोट स ग ाव थ उसकी आब दी उस समय मतककल स च र-प ाच हज र

    आदममयो की थी उनम इन कई हज र हडि ततलयो क सम वश करन कदठन थ ततसरय सतसिय ा

    और बछचो को ही हमन मक नो म ठहर य ब की क सब लोगो न मद न म ही पड व ड ल

    मर स थी और म झ ड लग न मल उठ न और ऐस ही दसर क मो म जर भी नही

    तहचतकच ि थ इसततलए दसर लोग भी बड उतस ह स य क म करि थ यदद हम य क म न करि

    िो तकस हकम दि यदद सब कोई सरद र बनकर दसरो को हकम द िो अाि म कोई क म पर

    ही न हो परनदि जह ा सरद र खद सवक बन ज ि ह वह ा दसर लोग सरद री क द व कर ही

    कस सकि ह

    रसोई बन न व लो म गखय म ही थ कभी द ल म प नी जय द पड ज ि थ िो कभी

    कछची रह ज िी थी कभी ऐस भी होि थ तक सबजी कछची रह ज िी थी िो कभी च वल

    कछच रह ज ि थ ऐस भोजन हासि-हासि ल लन व ल म न सास र म तवरल ही प य ह

    ख न बन न क बज य ख न परोसन क क म अमधक कदठन थ और यह क म कवल

    मर ही ह थ म रहि थ कछच-पकक ख न क तहस ब िो मझ ही लोगो को दन होि थ ख न

    कम हो और ख न व ल बढ ज एा िब सबको कम ख न दकर सनदिषट करन क क म भी मझ ही

    करन होि थ जब म बहनो को कम ख न दि िो व एक कषण क ततलए मर स मन उल हन की

    नजर स दखिी और तफर मरी चसथति को समझ कर हासिी-हासिी चल दिी थी उन दकयो को म

    जीवन म कभी भल नही सका ग म उनस कहि ldquoकय करा म ल च र हो गय हा मर प स

    बन हआ ख न कम ह और ख न व ल लोग जय द ह इसततलए मझ सबक तहसस म जजिन आ

    सकि ह उिन ही दन होग rdquo इिन स व चसथति को समझ लिी थी और सािोषम कहकर

    हासिी हई चली ज िी थी

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    ५८ ऐ भवय कच

    मन र नदसव ल सरक र को पि ततलख थ तक हम र नदसव ल म बसन क उददकय स परवश नही करन

    च हि हम र यह परवश सरक र क वचनभाग क तवरदध उठ ई ज न व ली हम री परभ वश ली

    आव ज ह और हम र सव कषभम न क भाग स हम जो ःख हो रह ह उसकी शदध तनश नी ह यदद

    आप हम यही ndash च लसयट उन म ही ndash पकड लग िो हम सब तनकषिनदि हो ज एाग यदद आप ऐस

    न कर और हम र दल म स कोई मछप िौर पर र नदसव ल म द खखल हो ज ए िो उसक ततलए हम

    जजममद र नही रहग हम री इस लड ई म गपि कछ ह ही नही तकसीको अपन वयततिगि सव थय

    नही स धन ह हम म स कोई आदमी मछप िौर पर र नदसव ल म परवश कर यह हम पसाद नही

    ह लतकन जह ा हज रो अपररमचि और अनज न लोगो स क म लन ह और जह ा परम क ततसव

    दसर कोई बाधन नही ह वह ा तकसी क क म क ततलए हम जजममद र नही हो सकि इसक ततसव

    आप यह भी ज न ल की अगर आप िीन पौड क कर रद कर दग िो तगरममदटय मजदर तफर स

    क म पर लग ज एाग और हडि ल बाद हो ज एगी हम र दसर ःखो को दर कर न क ततलए हम

    इन मजदरो को सतय गरह म शरीक नही करग

    लतकन ऐसी चसथति म सरक र क उिर की परिीकष अमधक ददन िक नही की ज सकिी

    थी अगर पकड नही ज एाग िो हमन तनिय तकय तक सरक र तगरफि र न कर िो िरनदि

    च लसयट उन छोडकर र नदसव ल म परवश करन च तहए अगर सरक र र सि म तगरफि र न कर

    िो क तरल को परतिददन २० स २४ मील की य ि आठ ददन िक करनी थी आठ ददन म हम र

    इर द टोलसटॉय फ मय पहाचन क थ हमन सोच थ तक लड ई परी होन िक सब सतय गरही वही

    रहग और फ मय पर क म करक अपनी जीतवक उतपनदन करग

    क तरल क कच की दसरी िय ररय ा भी हमन की च लसयट उन क भल अागरज डोकटर

    तबरसको न हम र ततलए दव इयो की एक छोटीसी पटी िय र कर दी और अपन कछ ऐस औज र भी

    द ददय जजनक उपयोग मर जस स म नदय आदमी कर सक

    सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

    खर क म ड ल-रोटी और शककर क ततसव दसर कछ नही थ परनदि ड ल-रोटी आठ

    ददन क कच म महय कस की ज ए तफर रोटी रोज क तरल क लोगो म ब ाटन जररी थ

    इसक एकम ि उप य यह थ तक हर माजजल पर हम ड ल-रोटी पहाच न की जजममद री कोई ल

    लतकन यह क म कौन कर वोकसरसट (च लसयट उन क नजदीक र नदसव ल क सरहदी कनदर)

    च लसयट उन स लगभग गन बड थ वह ा गोर भदठय र की एक बडी क न थी उसन परतयक

    सथ न पर ड ल-रोटी पहाच न क कर र हम र स थ तकय उसन समय स रल पर ड ल-रोटी भजी

    और रल-कमयच ररयो न (य भी गोर ही थ) ईम नद री स ड ल-रोटी हम िक पहाच ई यही नही

    उन लोगो न ड ल-रोटी हम िक पहाच न म परी स वध नी बरिी और हम र ततलए कछ ख स

    सतवध या कर दी व ज नि थ तक हम री तकसीस कमनी नही थी

    जब हम र कच की स री िय ररय ा हो गई िब मन तफर एक ब र सरक र क स थ समझौि

    क परयतन तकय पि और ि र िो मन भज ही थ अब मन यह तनणयय तकय तक सरक र को

    टततलफोन भी तकय ज ए भल वह मर अपम न ही क यो न कर

    आध ममनट म मझ इसक उिर ममल गय ldquoजनरल समटस आपक स थ कोई साबाध नही

    रखन च हि आप जो च ह सो करrdquo और टततलफोन बनदद हो गय

    मन इसी उिर की आश र खी थी कवल अततशषटि की आश नही रखी थी

    मझ अपन स मन सपषट ददख ई दि थ दसर ददन (६ नवमबर १९१३) तनकषिि समय पर

    (पर िः स ढ छह बज) हमन पर थयन को और ईशवर क न म पर अपन कच आराभ तकय हम र

    इस क तरल म २०३७ परष १२७ सतसिय ा और ५७ ब लक थ

    च लसयट उन स एक मील दर वोकसरसट क छोट स न ल पडि थ उस न ल को प र

    तकय तक वोक सरसट म य कतहय र नदसव ल म परवश तकय ऐस म न ज ि थ उस न ल क

    छोर पर घडसव र पततलस पहर पर खडी थी सबस पहल म उसक प स गय ज ि समय क तरल

    क लोगो स कह गय थ तक म आन क साकि करा िब व सीम म परवश कर लतकन म पततलस

    स ब ि कर ही रह थ तक लोग िजी स आग बढ और उनदहोन न ल प र कर ददय व र नदसव ल

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    की सीम म पहाच गय घडसव रो न उनदह घर ततलय परनदि यह क तरल इस िरह पततलस क रोक

    रकन व ल नही थ पततलस क इर द हम पकडन क िो थ ही नही मन सब लोगो को श ाि

    तकय और कि रो म वयवचसथि होकर चलन की ब ि समझ ई प ाच-स ि ममनट म ही िब कछ

    ठीक हो गय और हम र कच र नदसव ल म आराभ हआ

    वोकसरसट क लोगो न दो ददन पहल ही एक सभ की थी और उसम अनक िरह की

    धमतकय ा हम दी थी कछ लोगो न कह थ तक यदद तहनदसि नी र नदसव ल म परवश करग िो हम

    उन पर गोततलय ा बरस यग उस सभ म शरी कलनबक गोरो को समझ न गय थ लतकन कोई

    उनकी ब ि सनन को िय र नही थ

    हम र जलस िो श ाति स आग बढ गय मझ य द नही आि तक तकसी गोर न मझ हम र

    स थ जर भी शर रि की हो व सब यह अनोख दकय दखन क ततलए ब हर तनकल आय उनम

    स कछ लोगो की आाखो म ममिि क भ व भी ददख ई दि थ

    पहल ददन हम र पड व वोकसरसट स क़रीब आठ मील दर क एक सटशन प सफोडय पर

    थ वह ा हम श म क कोई ५-६ बज पहाच होग लोगो न ड ल-रोटी और शककर ख ई और सब

    खली हव म मद न म लट गय कोई भजन ग ि थ िो कोई ब ि करि थ र सि म कछ सतसिय ा

    थक गई अपन बछचो को गोद म लकर चलन की तहममि िो उनदहोन की थी लतकन आग चलन

    उनकी शतति स ब हर थ इसततलए मरी चि वनी क अनस र मन उनदह एक भल तहनदसि नी की

    क न म छोड ददय और उसस कह तक हम टोलसटोय फ मय पर पहाच ज य िो इन बहनो को वह ा

    पहाच दन और यदद तगरफि र हो ज ए िो इनदह इनक घर भज दन तहनदसि नी वय प री न मरी

    यह पर थयन सवीक र कर ली

    र ि बढिी गई तयो-तयो शोरगल श ाि होि गय म भी सोन की वय री म ही थ तक मझ

    तकसी क जिो की खट-खट सन ई दी मन एक गोर को ह थ म ल लटन ततलए आि दख मझ

    िय री िो कछ करनी ही नही थी पततलस-अमधक री न मझस कह

    ldquoआपक ततलए मर प स व राट ह मझ आपको तगरफि र करन हrdquo

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    ldquoकब मन पछ

    ldquoइसी समयrdquo उिर ममल

    ldquoआप मझ कह ा ल ज एागrdquo

    ldquoइस समय िो प स क रलव सटशन पर और जब ग डी आएगी िब उस पर बठ कर

    वॉक सरसटrdquo

    म बोल ldquoिो म तकसीको जग य तबन आपक स थ आि हा लतकन मर एक स थी को

    थोडी सचन य द दा rdquo

    ldquoजरर द दrdquo

    प स ही सोय हए पी० क० न यड को मन जग य उनदह अपनी तगरफि री की ब ि बि ई

    और कह तक सबह होन स पहल व लोगो को न जग य सबर होन पर तनयम नस र कच करन

    की सचन उनदह कर दी स थ ही यह भी कह तक कच सयोदय स पहल आराभ हो जह ा तवशर म

    करन और खर क ब ाटन क समय हो ज य वह ा लोगो स मरी तगरफि री की ब ि कही ज ए इस

    बीच जो कोई पछ उस यह ब ि कहि ज एा क तरल को पततलस पकड िो वह तगरफि र हो ज य

    और न पकड िो तनकषिि क ययकरम क अनस र अपन कच ज री रख न यड को कोई डर िो थ

    ही नही व तगरफि र कर ततलए ज एा िो कय तकय ज य यह भी मन उनस कह ददय

    शरी कलनबक िो वोकसरसट म मौजद थ ही

    म पततलस अमधक री क स थ गय सबर हआ हम दोनो वोकसरसट की रन म बठ

    वोकसरसट की अद लि म मझ पर मक़ददम चल पचबलक परोततसकयटर न सवया म ाग की तक कस

    मलिवी रख ज य कयोतक उसक प स सबि िय र नही थ कस मलिवी रह मन जम नि पर

    छटन की अरजी दी और क रण म बि य तक मर स थ १२२ सतसियो ५० ब लको िथ २०००

    परषो स अमधक लोग ह मक़ददम की ि रीख लगन िक म उनदह तनकषिि सथ न पर रखकर व तपस

    आ सकि हा और मक़ददम क समय ह जजर हो सकि हा सरक री वकील न जम नि की मरी

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    अरजी क तवरोध तकय लतकन मजजसरट ल च र थ मझ पर जो आरोप लग य गय थ वह

    ऐस नही थ जजसम जम नि पर छटक र प न की ब ि भी मजजसरट की सि पर तनभयर हो

    इसततलए मजजसरट न मझ ५० पौड की जम नि पर छोड ददय शरी कलनबक न मर ततलए मोटर

    िय र ही रखी थी उसम बठ कर उनदहोन मझ अपन क तरल क प स पहाच ददय दद टरानसवारल

    रलीडर क तवशष साव दद ि हम र स थ आन च हि थ हमन उस क र म बठन की इज जि

    द दी उसन क र की इस य ि क मर मक़ददम क और क तरल क स थ हए मर ममल प क

    सनददर मचिण अपन अखब र म उस समय तकय थ लोगो न मर ह रदिक सव गि तकय उनक

    उतस ह और जोश क कोई प र न रह इसक ब द कलनबक िराि वोकसरसट लौट गय उनक

    जजमम च लसय-ट उन म रक हए और नय आन व ल तहनदसि तनयो की दखभ ल करन क क म

    हमन अपन कच ज री रख परनदि मझ सविाि रखन सरक र को अनकल नही लग

    इसततलए उसन दसर ददन ८वी को सटनदडरटन म दसरी ब र मझ तगरफि र कर ततलय सटनदडरटन

    िलन म बड ग ाव थ वह ा मझ तवमचि िरीक स पकड गय म क तरल क लोगो को ड ल-

    रोटी ब ाट रह थ वह ा क तहनदसि नी वय प ररयो न मरबब क मडब भट तकय थ इसततलए बाटव र

    क क म म जय द दर लगिी थी मजजसरट मर प स आकर खड हो गय उनदहोन खर क ब ाटन क

    क म मझ पर कर लन ददय उसक ब द उनदहोन मझ एक ओर बल य म उनदह पहच नि थ

    इसततलए म समझ तक व मझस कोई ब ि करन च हि होग लतकन उनदहोन हास कर मझस कह

    ldquoआप मर क़दी हrdquo

    मन कह ldquoमर दरज बढ गय ह पततलस क बदल मजजसरट सवया पकडन आय ह

    लतकन आप मझ पर इसी समय मक़ददम चल यग नrdquo

    व बोल ldquoमर स थ ही आप चततलए कोटय बठी ही हrdquo

    क तरल क लोगो को कच ज री रखन की सल ह दकर म उनस अलग हआ कोटय म

    पहाचि ही मन दख तक मर कछ स थी भी तगरफि र कर ततलए गय ह व प ाच थ

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    मझ िरनदि कोटय क स मन खड तकय गय मन वोकसरसट म जम नि पर छटन क जो

    क रण बि य थ व ही क रण यह ा भी बि ि हए जम नि पर छटन की अरजी दी यह ा भी सरक री

    वकील न मरी अरजी क तवरोध तकय लतकन यह ा भी मजजसरट न २१ नवमबर १९१३ िक

    मक़ददम मलिवी कर ददय तहनदसि नी वय प ररयो न मर ततलए इकक िय र ही रख थ उसम

    बठ कर मझ क तरल क प स पहाच ददय जो अभी िीन मील क फ सल भी िय नही कर प य

    थ अब क तरल क लोगो न और मन भी सोच तक श यद टोलसटोय फ मय िक सब पहाच ज एाग

    परनदि हम री यह ध रण ग़लि तनकली तफर भी क तरल क लोग मरी तगरफि री क आदी हो

    गय यह कोई म मली पररण म नही थ मर स थी िो जल म ही रह

    हम कच करि-करि अब जोह तनसबगय क तनकट आ पहाच थ सापणय य ि को हमन आठ

    ददन की आठ माजजलो म ब ाट ददय थ अभी िक हम तनकषिि की हई माजजल परी करि चल आ

    रह थ इसततलए अब हम र स मन कल च र माजजल िय करन ब की थ परनदि जयो-जयो हम र

    उतस ह बढि ज रह थ तयो-तयो सरक र की ज गति भी बढिी ज रही थी सरक र हम अपनी

    माजजल परी कर लन दिी और उसक ब द हम पकडिी िब िो वह उसकी कमजोरी और

    अकशलि म नी ज िी इसततलए यदद उस हम पकडन हो िो माजजल परी होन क पहल ही

    पकडन च तहए

    गोखल न समरी ि र दव र यह इछछ परकट की थी तक शरी पोल क तहनदसि न आकर

    उनकी सह यि कर इसततलए उनदह तहनदसि न भजन की िय री चल रही थी मन उनदह ततलख

    भज थ तक व तहनदसि न ज सकि ह लतकन मझस ममल तबन और परी तहद यि ततलए तबन

    ज न की उनकी इछछ नही थी इसततलए हम र कच क दौर न ही मझस ममल ज न की उनदहोन म ाग

    की मन ि र तकय तक तगरफि री क खिर उठ कर आप आन च ह िो आ सकि ह शरी पोल क

    न तगरफि री क खिर उठ कर भी मर प स आन पसाद तकय

    ९वी क रोज सटनदडरटन िथ गर सलिगसटड क तबच टीकवथय सथ न पर आकर हमस ममल

    हम री ब ि चल रही थी लगभग परी होन को आई थी उस समय दोपहर क क़रीब ३ बज होग

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    हम दोनो क तरल क आग चल रह थ दसर स थी भी हम री ब ि सन रह थ श म को शरी पोल क

    को डरबन ज न व ली ग डी पकडनी थी परनदि जब र मचनदरजी जस को भी र ज-तिलक क ही

    समय वनव स ममल िो पोल क भल तकस तगनिी म थ हम ब ि कर रह थ इिन म एक

    घोड ग डी हम र स मन आकर खडी हो गई उसम एततशय ई तवभ ग क अमधक री शरी चमनी और

    पततलस क एक अमधक री थ दोनो नीच उिर मझ जर दर ल ज कर उनम स एक न कह

    ldquoम आपको तगरफि र करि हाrdquo इस परक र म च र ददनम िीन ब र तगरफि र तकय गय

    मन पछ ldquoक तरल क क य होग rdquo

    ldquoसब हो ज यग rdquo

    म कछ न बोल पततलस अमधक री न मझ कवल अपनी तगरफि री की ही खबर लोगो को

    सन न दी मन पोल क स कह ददय तक व क तरल क स थ ज एा जब म लोगो को श ाति रखन

    आदद की ब ि समझ न लग िो अमधक री महोदय न कह

    ldquoअब आप क़दी ह आप कोई भ षण नही द सकिrdquo

    मझ गरीसलिग सटनदड और वह ा स बलफ र होकर हडलबगय क थ न म ल गय र ि मरी वही

    बीिी

    क तरल को लकर पोल क आग बढ सब हडलबगय पहाच मर स थ आय हए पर क तरल

    को भी तगरफि र करन की वयवसथ हो चकी थी

    वह ा दो सपततशयल रन सटशन पर क तरल क लोगो को क़द करक न ि ल पहाच दन क

    ततलए खडी थी लतकन लोगो न कछ जजद पकड ली व बोल ldquoग ाधी को बल इय व कहग िो

    हम तगरफि र हो ज एाग और रन म बठ ज एागrdquo शरी पोल क और क छततलय सठ की मदद ली

    दोनो बडी कदठन ई स क तरल को समझ सक अाि म सब लोग समझ गय और श ाति स रन म

    बठ गय

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    ५९ सतयागरह की नवजय

    दसरी ओर मझ तफर कोटय म मजजसरट क स मन खड तकय गय इस ब र डाडी स तगरफि री

    क वोराट तनकल थ तगरममदटय ओ को न ि ल छोडन क ततलए ल लच दन क आरोप मझ पर

    रख गय

    उसी ददन मझ रन स डाडी ल ज य गय

    इधर शरी पोल क को हडलबगय म तगरफि र नही तकय गय बचलक अमधक ररयो न उनकी

    मदद क ततलए उनक आभ र भी म न लतकन जब व च लसयट उन म रन क इनदिज र म खड थ

    िब पकड ततलए गय शरी कलनबक भी तगरफि र कर ततलए गय दोनो को वोकसरसट की जल म

    रख गय

    मझ पर ११ नवमबर १९१३ को डाडी म मक़ददम चल और ९ महीन सखि क़द की सज

    ममली अभी तनतषदध लोगो को र नदसव ल क भीिर परवश करन म मदद दन क अकषभयोग म मझ

    पर वोकसरसट म मक़ददम चलन ब की थ इसततलए डाडी स मझ १३ नवमबर को वोकसरसट ल

    ज य गय वह ा मन शरी कलनबक और शरी पोल क को दख इसस हम अप र आनाद हआ हम

    लोग कछक ददन सखपवयक वोकसरसट की जल म रह पराि सरक र न हम िीनो को अलग-अलग

    जलो म भज ददय

    क तरल क य तियो को सरक र तवशष रनो म बठ कर न ि ल ल गय सरक र न कोयल

    की खद नो क च रो िरफ ि र की ज ली ब ाध दी और डाडी िथ नदय कसल की सीम म ब हरी

    जल बन ली और खद नो क यरोतपयन नौकरो को उन जलो क व डयर तनयि कर ददय ऐस

    करक मजदरो न जजस क म को सवछछ स छोड थ वह क म सरक र न उनस जबरदसिी करव य

    अि अब मजदर सापणय रप म गल म बनकर रह गय

    उनदहोन खद नो म क म करन स स र इनक र कर ददय इसक फलसवरप उनदह कोडो

    की म र सहनी पडी उनदहोन इन मजदरो को ल ि म री ग ततलय ा दी और दसर भी अनक अतय च र

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    सहन तकय ऐस अतय च र क ि र तहनदसि न आय उसक पररण म यह हआ तक समच

    तहनदसि न भडक उठ और दकषकषण अफ़रीक क परशन तहनदसि न क परमख परशन बन गय

    यही वह अवसर थ जब (ददसाबर १९१३) व इसरोय लोडय ह रडिग न अपन मर स क

    परततसदध भ षण तकय थ जजसन दकषकषण अफ़रीक म और इागलणड म खलबली मच दी थी

    व इसरोय दसर उपतनवशो की अथव तबरदटश स मर जय क अागभि दशो की स वयजतनक रप म

    टीक नही कर सकि थ परनदि लोडय ह रडिग न न कवल यतनयन सरक र की कडी टीक की

    बचलक दकषकषण अफ़रीक क सतय गरतहयो क पर बच व भी तकय और उनक दव र तकय ज न व ल

    सतवनय क़ नन भाग क समथयन तकय लोडय ह रडिग की इस दढि क बड अछछ असर हआ

    हज रो तनदोष मनषयो की जल म बाद रखन की शतति दकषकषण अफ़रीक की सरक र म नही

    थी भ रि क व इसरोय भी इस ब ि को सहन करन व ल नही थ स री तनय दख रही थी तक

    जनरल समटस अब कय करि ह दकषकषण अफ़रीक की सरक र न वही तकय जो ऐस समय

    स म नदयिः दसरी सरक र करिी ह

    परज मि स डर कर चलन व ल र जय एक कमीशन तनयि करक ऐसी तवषम चसथति स

    ब हर तनकल ज ि ह यह कमीशन न म की ज ाच करि ह कयोतक ऐस कमीशन की ज ाच क

    पररण म पहल स ही ज न हआ रहि ह और कमीशन जो ततसफ ररश करि ह उन पर अतनव यय

    रप म अमल करन की स म नदय परथ होिी ह इसततलए ऐस ततसर ररशो क आशरय लकर र जय

    वही नदय य करि ह जजनक ततलए व पहल इनक र कर चक होि ह जनरल समटस क इस कमीशन

    म िीन सदसय तनयि तकय गय थ सवया कमीशन न सरक र स ततसर ररश की थी तक उसक क म

    सरल बन न क ततलए शरी कलनबक को शरी पोल क को और मझ तबन शिय क छोड ददय ज य

    सरक र न उसकी यह सल ह म न ली और हम िीनो को एकस थ (१८ ददसाबर १९९३) छोड

    ददय हमन मतककल स दो म स की क़द भोगी होगी

    कमीशन म तहनददीओ की ओर स कोई भी एक परतितनमधरप आदमी हो यह जररी म लम

    पड मन जनरल समटस क पि इस साबाध म ततलख

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    जनरल समटस न कमीशन क सदसय बढ न स इनक र कर ददय हमन जल ज न की

    िय री करक यह घोषण कर दी तक १ जनवरी १९१४ क ददन डरबन स जल ज न व ल

    तहनदसि तनयो क एक कच आराभ होग

    इसी समय यतनयन रलव म गोर कमयच ररयो की बहि बडी हडि ल हई उस हडि ल

    यतनयन सरक र की चसथति न जक हो गई मझस कह गय तक ऐस समय म तहनदसि तनयो क

    कच आराभ कर दा पर मन घोतषि तकय तक म हडि ली गोरो की इस िरह मदद नही कर सकि

    हम र उददकय सरक र को परश न करन नही ह हम री लड ई गोरो की लड ई स अलग ह और

    कषभनद न परक र की ह हम कच करन भी होग िो हम दसर समय करग जब रलव क उपरव श ाि

    हो ज एग हम र इस तनिय क गहर परभ व हआ इसकी सचन र यटर न ि र स इागलणड

    भजी लोडय एमपटतहल न हम इागलणड स धनदयव द क ि र भज दकषकषण अफ़रीक क अागरज ममिो

    न भी हम धनदयव द ददय जनरल समटस क एक समचव न मझस तवनोद म कह ldquoमझ आपक

    लोग तबलकल अछछ नही लगि म उनकी जर भी मदद नही करन च हि लतकन हम उनक

    कय कर आप लोग साकट की चसथति म हम री सह यि करि ह आपको कस म र ज ए म

    िो बहि ब र च हि हा तक आप भी इन अागरज हडि ततलयो की िरह हललड कर वसी चसथति म

    िो हम िरनदि आप लोगो को सीध कर सकि ह लतकन आप िो कमनो को भी ःखी नही करन

    च हि आप सवया ही ःख सहन करक जीिन च हि ह आप ततशषटि की मय यद कभी छोडि

    नही इसस हम आपक स मन ल च र हो ज ि ह rdquo

    इसी परक र क उदग र जनरल समटस न भी परकट तकय थ

    तहनदसि तनयो क सौजनदय क ऐस अनक उद हरणो क जो अदकय परभ व च रो ओर पडि

    ही रहि थ उस म दख सकि थ इस परभ व क फलसवरप तहनदसि तनयो की परतिषठ म वजदध

    होिी रहिी थी और समझौि क ततलए अनकल हव बनिी रहिी थी

    कमीशन क क म क साबाध म जनरल समटस क स थ मन पिवयवह र तकय पर थममक

    समझौि हआ कमीशन न ररपोटय म कौम की जो-जो म ाग थी उन सबको पर करन की

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    ततसर ररश की िथ िराि ब द सरक र न यतनयन गजट म तहनददी को र हि दन व ल क़ नन घोतषि

    कर ददय जजसक अािगयि िीन पौड क कर अवकय ही रद कर ददय ज न जो तवव ह तहनदसि न

    म क़ नन म न ज ि य स र तवव ह दकषकषण अफ़रीक म भी क़ ननन समझ गय जजन लोगो को

    दकषकषण अफ़रीक म रहन क ततलए परम णपि ममलि थ उन परम णपिो स दकषकषण अफ़रीक म तनव स

    क अमधक र पर पि हो गय

    इस परक र आठ वषय क अाि म सतय गरह की यह मह न लड ई परी हई और यह म न गय

    तक सापणय दकषकषण अफ़रीक म बस हए तहनदसि तनयो को श ननदि ममली १८ जल ई १९१४ को

    ःख और हषय क स थ म इगलणड म गोखल स ममलकर वह ा स तहनदसि न ज न क ततलए दकषकषण

    अफ़रीक स रव न हो गय जजस दकषकषण अफ़रीक म मन २१ वषय तनव स तकय और असाखय

    कडव और मीठ अनभव पर पि तकय िथ जह ा म अपन जीवन क लकषय को समझ सक उस दश

    को छोडन मझ बहि कदठन म लम हआ

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    भाग-९ नवलायत तथा लडाई

    ६० लडाई म नहससा

    १९१४ की ४ अगसि को यदध घोतषि तकय गय ६ अगसि को हम तवल यि पहाच

    मझ लग तक तवल यि म रहन व ल तहनदसि तनयो को लड ई म अपन तहसस अद करन

    च तहए अागरज तवदय रथियो न लड ई म सव करन क अपन तनिय घोतषि तकय थ तहनदसि नी

    इसस कम नही कर सकि थ इन दलीलो क तवरोध म इस सभ म बहि दलील दी गयी

    जब जनि की म ाग को दढि -पवयक परकट करन च तहए और श सन-पदधति म सध र

    कर लन क आगरह रखन च तहए मन अागरजो की इस आपतति क समय अपनी म ाग पश करन

    ठीक न समझ और लड ई क समय अमधक रो की म ाग को मलिवी रखन क सायम म सभयि

    और दरदतषट क दशयन तकय इसततलए म अपनी सल ह पर दढ रह और मन लोगो स कह तक

    जजनदह सवयासवको की भरिी म न म ततलख न हो व ततलख व क री साखय म न म ततलख य गय

    उनम लगभग सभी पर नदिो और सभी धमो क लोगो क न म थ

    मन इस तवषय म ल डय कर को पि ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग को सवीक र करन क

    ततलए घ यल सतनको की सव की ि लीम लन आवकयक म न ज य िो वसी ि लीम लन की

    इछछ और िय री परकट की थोड तवच र-तवमशय क ब द ल डय कर न तहनदसि तनयो की म ाग सवीक र

    कर ली और साकट क समय म स मर जय की सह यि करन की िय री ददख न क ततलए आभ र

    परदरशिि तकय

    यदध म ससतममततलि होन क अहहिस क स थ कोई मल नही बठ सकि तकनदि कियवय क

    बोध हम दीपक की भ ाति सपषट नही होि

    मझ अागरजी र जय क दव र अपनी अथ यि अपन र षटर की चसथति सध रनी थी म तवल यि

    म बठ हआ अागरजो क जागी बड स सरकषकषि थ उस बल क इस परक र उपयोग करक म उसम

    तवदयम न हहिस म सीधी िरह स झद र बनि थ अिएव यदद आखखरक र मझ उस र जय क

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    स थ वयवह र बन य रखन हो उस र जय क झाड क नीच रहन हो िो य िो मझ परकट रप स

    यदध क तवरोध करक उसक सतय गरह क श सि क अनस र उस समय िक बतहषक र करन

    च तहए जब िक उस र जय की यदधनीति म पररवियन न हो अथव उसक जो क़ नन भाग करन

    योगय हो उनक सतवनय भाग करक जल की र ह पकडनी च तहए अथव उसक यदधक यय म

    ससतममततलि होकर उसक मक बल करन की शतति और अमधक र पर पि करन च तहए मझम ऐसी

    शतति नही थी इसततलए मन म न तक मर प स यदध म ससतममततलि होन क ही म गय बच थ

    मन बनददकध री म और उसकी मदद करन व ल म अहहिस की दतषट स कोई भद नही म न

    जो मनषय लटरो की टोली म उनकी आवकयक सव करन उनक बोझ ढोन लट क समय पहर

    दन िथ घ यल होन पर उनकी सव करन म ससतममततलि होि ह वह लट क साबाध म लटरो जजिन

    ही जजममद र ह इस िरह सोचन पर रौज म कवल घ यलो की ही स र-साभ ल करन क क म म

    लग हआ वयतति भी यदध क दोषो स मि नही हो सकि

    पोल क क ि र ममलन स पहल ही मन यह सब सोच ततलय थ उनक ि र ममलन पर

    मन कछ ममिो स उसकी चच य की यदध म ससतममततलि होन म मन धमय म न और आज भी इस

    परशन पर सोचि हा िो मझ उपययि तवच रध र म कोई दोष नजर नही आि तबरदटश स मर जय

    क तवषय म उस समय मर जो तवच र थ उनक अनस र मन यदध-क यय म तहसस ततलय थ अिएव

    मझ उसक पि ि प भी नही ह

    तवल यि म इस दरममय न मझ पसली की वरम की ततशक यि हई मझ सल ह ममली तक

    म झ ड क ददनो स पहल ही दश म पहाच ज ऊा मन इस सल ह क सवीक र तकय अनक वषो

    क तनव स क उपर नदि सवदश गमन स मझ अतयाि खशी हई

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    भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

    ६१ पि म

    म बमबई क बनददरग ह पर उिर िभी मझ पि चल तक उस समय यह पररव र श ननदितनकिन म

    थ इसततलए गोखल स ममलन क ब द म वह ा ज न को अधीर हो गय

    गोखल न और सोस यटी (भ रि-सवक-सम ज) क सदसयो न मझ अपन परम स नहल

    ददय जह ा िक मझ य द ह उनदहोन सब सदसयो को पन बल य थ सबक स थ कई तवषयो पर

    मन ददल खोलकर ब िचीि की गोखल की िीवर इछछ थी तक म भी सोस यटी म ससतममततलि हो

    ज ऊा मरी इछछ िो थी ही तकनदि सोस यटी क सदसयो को ऐस लग तक सोस यटी क आदशय

    और क म करन की रीति मझस कषभनद न ह इसततलए मझ सदसय बनन च तहए य नही इस ब र म

    उनक मन म शाक थी

    मन अपन तवच र गोखल को बि ददय थ ldquoम सोस यटी क सदसय बना च ह न बना िो

    भी मझ एक आशरम खोलकर उसम रीतनकस क स ततथयो को रखन और खद वह ा बठ ज न ह

    इस तवशव स क क रण तक गजर िी होन स मर प स गजर ि की सव क जररय दश की सव करन

    की पाजी अमधक होनी च तहए म गजर ि म ही कही चसथर होन च हि हाrdquo गोखल को य तवच र

    पसनदद पड थ इसततलए उनदहोन कह ldquoआप अवकय ऐस कर सदसयो क स थ की ब िचीि क

    जो भी पररण म आय पर यह तनकषिि ह तक आपको आशरम क ततलए पस मझीस लन ह उस म

    अपन ही आशरम समझाग rdquo

    मर हदय फल उठ म यह सोचकर बहि खश हआ तक मझ पस उग हन क धनदध स

    मतति ममल गयी और यह तक अब मझ अपनी जव बद री पर नही चलन पडग बचलक हर परश नी

    क समय मझ र सि ददख न व ल कोई होग इस तवशव स क क रण मझ ऐस लग म नो मर

    ततसर क बड बोझ उिर गय हो

    गोखल न मझस परतिजञ करव यी ह तक मझ एक वषय िक दश म भरमण करन ह तकसी

    स वयजतनक परशन पर अपन तवच र न िो बन न ह न परकट करन ह

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    ६२ तीसर दज की नवडमबना

    दकषिि अफ़रीक म सतय गरह की लड ई क ततसलततसल म मन अपनी पोश क जजस हद िक

    तगरममदटय मजदरो स ममलिी-जलिी की ज सकिी थी कर ली थी तवल यि म भी घर म म

    यही पोश क पहनि थ तहनदसि न आकर मझ क दठय व डी पोश क पहननी थी दकषकषण

    अफ़रीक म मन उस अपन स थ रख थ अिएव बमबई म म उसी पोश क म उिर सक थ इस

    पोश क म कि य अागरख धोिी और सफद स फ क सम वश होि थ य सब दशी ममल क ही

    कपड क बन हए थ बमबई स क दटय व ड मझ िीसर दज म ही ज न थ उसम स फ और

    अागरख मझ झाझट म लम हए अिएव मन कवल कि य धोििी और आठ-दस आन की

    क कमीरी टोपी क उपयोग तकय ऐसी पोश क पहनन व ल की तगनिी ग़रीब आदमी म होिी

    थी

    श ातितनकिन स व पस लौटि समय हम िीसर दज क दटकट लन थ उस लन म

    परश नी हई जव ब ममल ldquoिीसर दज क य िी को दटकट पहल स नही ददय ज ि rdquo म सटशन-

    म सटर स ममलन गय उनक प स मझ कौन ज न दि तकसीन दय करक सटशन-म सटर को

    ददख ददय म वह ा पहाच उनस भी उपययि उिर ही ममल खखडकी खलन पर दटकट लन

    गय पर दटकट आस नी स ममलन व ल न थ बलव न य िी एक क ब द एक घसि ज ि और

    मझ-जसो को पीछ हट ि ज ि आखखर दटकट ममल

    ग डी आयी उसम भी जो बलव न थ व घस गय बठ हओ और चढन व लो की बीच

    ग ली-गलौज और धकक -मककी शर हई इसम तहसस लन मर ततलए साभव न थ हम िीनो

    इधर स उधर चककर क टि रह सब ओर स एक ही जव ब ममलि थ ldquoयह ा जगह नही हrdquo

    म ग डय क प स गय उसन कह ldquoजगह ममल िो बठो नही िो दसरी रन म ज न rdquo

    मन नमरि -पवयक कह ldquoलतकन मझ जररी क म ह rdquo यह सनन क ततलए ग डय क प स

    समय नही थ म ह र मगनल ल स कह ldquoजह ा जगह ममल बठ ज ओrdquo पतनी को लकर म

    िीसर दज क दटकट स डयोढ दज म घस ग डय न मझ उसम ज ि दख ततलय थ

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    आसनसोल सटशन पर ग डय जय द तकर य क पस लन आय मन कह ldquoमझ जगह

    बि न आपक धमय थ जगह न ममलन क क रण म इसम बठ हा आप मझ िीसर दज म जगह

    ददल इय म उसम ज न को िय र हाrdquo

    ग डय स हब बोल ldquoमझस बहस मि कीजजए मर प स जगह नही ह पस न दन हो िो

    ग डी स उिरन पडग rdquo

    मझ िो तकसी भी िरह पन पहाचन थ ग डय स लडन की मरी तहममि नही थी मन पस

    चक ददय उसन ठठ पन िक क डयोढ भ ड ततलय यह अनदय य मझ अखर गय

    सबर मगलसर य सटशन आय मगनल ल न िीसर दज म जगह कर ली थी मगलसर य

    म म िीसर दज म गय दटकट कलकटर को मन वसिचसथति की ज नक री दी और उसस इस ब ि

    क परम ण-पि म ाग तक म िीसर दज म चल आय हा उसन दन स इनक र तकय मन अमधक

    तकर य व पस पर पि करन क ततलए रलव क उछच अमधक री को पि ततलख

    उनकी ओर स इस आशय क उिर ममल ldquoपरम ण-पि क तबन अति तकर य लौट न

    क हम र यह ा ररव ज नही ह पर आपक म मल म हम लौट य द रह ह बदयव न स मगलसर य

    िक क डयोढ तकर य व पस नही तकय ज सकि rdquo

    िीसर दज की य ि म अमधक ररयो की मनम नी स उतपनदन होन व ली तवडमबन िो रहिी

    ही ह पर िीसर दज म बठन व ल कई य तियो क उजिपन उनकी गादगी उनकी सव थयबजदध

    और उनक अजञ न भी कछ कम नही होि ःख िो यह ह तक अकसर य िी यह ज नि ही नही

    ह तक व अततशषटि कर रह ह व जो करि ह वह उनदह सव भ तवक म लम होि ह हम सभय और

    पढ-ततलख लोगो न उनकी कभी मचनदि ही नही की

    पर रल की भीड की िक़लीफ क मझ ल हौर स ददलली क बीच कडव स कडव अनभव

    हआ कर ची स कलकि मझ ल हौर क र सि ज न थ ल हौर म रन बदलनी थी वह ा की रन

    म मरी कही द ल ग़लिी नही थी य िी जबरदसिी अपन र सि बन लि थ दरव ज बनदद होि

    िो खखडकी म स अादर घस ज ि थ मझ कलकि तनकषिि ि रीख पर पहाचन थ यह रन खो

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    दि िो म कलकि पहाच न प ि म जगह ममलन की आश छोड बठ थ कोई मझ अपन मडब

    म आन न दि थ आखखर एक मजदर न मझ जगह ढाढि दखकर कह ldquoमझ ब रह आन दो

    िो जगह ददल दाrdquo मन कह मझ जगह ददल दो िो जरर ब रह आन दाग rdquo बच र मजदर

    य तियो स तगडतगड कर कह रह थ पर कोई मझ लन को िय र न होि थ रन छटन ही व ली

    थी तक एक मडब क कछ य तियो न कह ldquoयह ा जगह नही ह लतकन इसक भीिर घस सकि

    हो िो घस दो खड रहन होग rdquo मजदर मरी ओर दखकर बोल ldquoकयो जीrdquo मन ह ा कह

    और उसन मझ उठ कर खखडकी म स अनददर ड ल ददय म अनददर घस और उस मजदर न ब रह

    आन कम ततलए

    मरी यह र ि मतककल स बीिी दसर य िी जयो-तयो करक बठ गय म ऊपरव ली बठक

    की जाजीर पकडकर दो घाट खड ही रह इस बीच कछ य िी मझ धमक ि ही रहि थ ldquoअजी

    अब िक कयो नही बठि हो मन बहिर समझ य तक कही जगह नही ह पर उनदह िो मर खड

    रहन भी सहन नही हो रह थ यदयतप व ऊपर की बठको पर आर म स लाब होकर पड थ ब र-

    ब र मझ परश न करि थ व जजिन मझ परश न करि थ उिनी ही श ाति स म उनदह जव ब दि

    थ इसस व कछ श ाि हए मर न म-ध म पछ जब मझ न म बिल न पड िब व शरम य

    मझस म री म ागी और मर ततलए अपनी बगल म जगह कर दी सबर क फल मीठ होि हrsquo

    कह वि मझ य द आयी म बहि थक गय थ मर ततसर घम रह थ बठन क ततलए जगह की

    जब सचमच जररि थी िब ईशवर न ददल दी

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    ६३ आशरम की सथापना

    सन १९१५ क मई महीन की २५ ि रीख क ददन सतय गरह-आशरम की सथ पन हई

    अहमद ब द पर मरी नजर दटकी थी गजर िी होन क क रण म म नि थ तक गजर िी

    भ ष दव र म दश की अमधक-स-अमधक सव कर सका ग यह भी ध रण थी तक चातक

    अहमद ब द पहल ह थ की बन ई क कनदर थ इसततलए चरख क क म यही अमधक अछछी िरह

    हो सकग स थ ही यह आश भी थी तक गजर ि क मखय नगर होन क क रण यह ा क धनी

    लोग धन की अमधक मदद कर सक ग

    मक नो की िल श करि हए कोचरब म शरी जीवणल ल ब ररसटर क मक न तकर य पर

    लन क तनिय हआ शरी जीवणल ल मझ अहमद ब द म बस न व लो म अगरगणय थ

    िरनदि ही परशन उठ तक आशरम क न म क य रख ज य हम िो सतय की पज सतय की

    शोध करनी थी उसी क आगरह रखन थ और दकषकषण अफ़रीक म मन जजस पदधति क उपयोग

    तकय थ उसक पररचय भ रिवषय को कर न थ िथ यह दखन थ तक उसकी शतति कह ा िक

    वय पक हो सकिी ह इसततलए मन और स ततथयो न सतय गरह-आशरम न म पसनदद तकय इस न म

    स सव क और सव की पदधति क भ व सहज ही परकट होि थ

    आशरम चल न क ततलए तनयम वततल की आवकयकि थी अिएव मन तनयम वततल क

    मसतवद िय र करक उस पर ममिो की र य म ागी

    लगभग पचीस सिी-परषो स आशरम क आराभ हआ थ सब एक रसोई म भोजन करि

    थ और इस िरह रहन की कोततशश करि थ म नो एक ही कटमब क हो

    आशरम को क यम हए अभी कछ ही महीन बीि थ तक इिन म जसी कसौटी की मझ

    आश नही थी वसी कसौटी हम री हई भ ई अमिल ल ठक कर क पि ममल ldquoएक ग़रीब और

    पर म कषणक अनदतयज पररव र ह वह आपक आशरम म रहन च हि ह क य उस भरिी करगrdquo

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    उनदहोन उसक सव गि तकय भ ई अमिल ल ठककर को ततलख गय तक यदद वह पररव र

    आशरम क तनयमो क प लन करन को िय र हो िो हम उस भरिी करन क ततलए िय र ह

    दद भ ई उनकी पतनी द नीबहन और दध-पीिी िथ घटनो चलिी बछची लकषमी िीनो

    आय दद भ ई बाबई म ततशकषक क क म करि थ तनयमो क प लन करन को व िय र थ उनदह

    आशरम म रख ततलय

    सह यक ममि-माडल म खलबली मच गयी जजस कएा म बागल क म ततलक क तहसस थ

    उस कएा स प नी भरन म हम अडचन होन लगी चरस व ल पर हम र प नी क छीट पड ज ि

    िो वह भरषट हो ज ि उसन ग ततलय ा दन और दद भ ई को सि न शर तकय मन सबस कह

    ददय तक ग ततलय ा सहि ज ओ और दढि -पवयक प नी भरि रहो हम चपच प ग ततलय ा सनि

    दखकर चरस व ल शरममनदद हआ और उसन ग ततलय ा दन बनदद कर ददय पर पस की मदद बनदद

    हो गयी पस की मदद बनदद होन क स थ बतहषक र की अरव ह मर क नो िक आन लगी मन

    स ततथयो स चच य करक िय कर रख थ ः ldquoयदद हम र बतहषक र तकय ज य और हम कही स

    कोई मदद न ममल िो भी अब हम अहमद ब द नही छोडग अनदतयजो की बसिी म ज कर उनक

    स थ रहग और जो कछ ममलग उसस अथव मजदरी करक अपन तनव यह करग rdquo

    आखखर मगनल ल न मझ नोदटस दी ldquoअगल महीन आशरम क खचय चल न क ततलए हम र

    प स पस नही हrdquo मन धीरज स जव ब ददय ldquoिो हम अनदतयजो की बसिी म रहन ज एागrdquo

    मझ पर ऐस साकट पहली ही ब र नही आय थ हर ब र अातिम घडी म परभ न मदद

    भजी ह

    मगनल ल क नोदटस दन क ब द िरनदि ही एक ददन सबर तकसी लडक न आकर खबर दी

    ldquoब हर मोटर खडी ह और एक सठ आपको बल रह हrdquo म मोटर क प स गय सठ न मझस

    पछ ldquoमरी इछछ आशरम को कछ मदद दन की ह आप लगrdquo

    मन जव ब ददय ldquoअगर आप कछ दग िो म जरर लाग मझ क़बल करन च तहए तक

    इस समय म आरथिक साकट म भी हाrdquo

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    ldquoम कल इसी समय आऊा ग िब आप आशरम म होगrdquo

    मन ह ा कह और सठ चल गय दसर ददन तनयि समय पर मोटर क भोप बोल लडको

    न खबर दी सठ अनददर नही आय म उनस ममलन गय व मर ह थ पर िरह हज र क नोट

    रखकर तबद हो गय

    मन इस मदद की कभी आश नही रखी थी मदद दन की यह रीति भी नई दखी उनदहोन

    आशरम म पहल कभी क़दम नही रख थ मझ य द आि ह तक म उनस एक ही ब र ममल थ

    न आशरम म आन न कछ पछन ब हर ही ब हर पस दकर लौट ज न ऐस यह मर पहल ही

    अनभव थ इस सह यि क क रण अनदतयजो की बसिी म ज न रक गय मझ लगभग एक

    स ल क खचय ममल गय

    पर जजस िरह ब हर खलबली मची उसी िरह आशरम म भी मची यदयतप दकषकषण अफ़रीक

    म मर यह ा अनदतयज आदद आि रहि और भोजन करि थ िथ तप यह नही कह ज सकि तक

    यह ा अनदतयज कटमब क आन मरी पतनी को और आशरम की दसरी सतसिय ा को पसनदद आय

    द नीबहन क परति घण नही िो उनकी उद सीनि ऐसी थी जजस मरी अतयनदि सकषम आाख दख

    लिी थी और िज क न सन लि थ आरथिक सह यि क अभ व क डरन मझ जर भी मचननदिि

    नही तकय थ पर यह आनदिररक कषोभ कदठन ततसदध हआ द नीबहन स ध रण सिी थी दद भ ई

    की ततशकष भी स ध रण थी पर उनकी बजदध अछछी थी उनक धीरज मझ पसनदद आय थ उनदह

    कभी-कभी गसस आि थ पर कल ममल कर उनकी सहन-शतति की मझ पर अछछी छ प पडी

    थी म दद भ ई को समझ ि थ तक व छोट-मोट अपम न पी ततलय कर व समझ ज ि थ और

    द नीबहन स भी सहन करव ि थ

    इस पररव र को आशरम म रखकर आशरम न बहिर प ठ सीख ह और पर राकषभक क ल म

    ही इस ब ि क तबलकल सपषट हो ज न स तक आशरम म असपकयि क ततलए कोई सथ न नही ह

    आशरम की मय यद तनकषिि हो गयी और इस ददश म उसक क म बहि सरल हो गय इसक

    ब वजद आशरम क खचय बर बर बढि रहन पर भी मखयिः कटटर म न ज न व ल तहनदओ की

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    िरफ स ही ममलि रह ह कद मचि यह इस ब ि क सपषट सचक ह तक असपकयि की जड

    अछछी िरह तहल गयी ह इसक दसर परम ण िो अनको ह परनदि जह ा अनदतयज क स थ रोटी

    िक क वयवह र रख ज ि हो वह ा भी अपन को सन िनी म नन व ल तहनदद मदद द यह कोई

    नगणय परम ण नही म न ज एग

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    भाग-११ चपारन

    ६४ नील का दाग़

    चपारन जनक र ज की भमम ह जजस िरह चाप रन म आम क वन ह उसी िरह सन १९१७ म

    वह ा नील क खि थ चाप रन क तकस न अपनी ही जमीन क ३२० भ ग म नील की खिी उसक

    असल म ततलको क ततलए करन को क़ नन स बाध हए थ इस वह ा िीन कदठय कह ज ि थ

    बीस कटठ क वह ा एक एकड थ और उसम स िीन कटठ जमीन म नील बोन की परथ को lsquoिीन

    कदठय कहि थ

    र जकम र शकल न मक चाप रन क एक तकस न थ उन पर ःख पड थ यह ःख उनदह

    अखरि थ लतकन अपन इस ःख क क रण उनम नील क इस द ग़ को सबक ततलए धो ड लन

    की िीवर लगन पद हो गयी थी

    व िो खद मझ चाप रन क तकस नो क ःख बि न च हि थ मन कह ldquoअपन भरमण म

    म चाप रन को भी ससतममततलि कर लाग और एक-दो ददन वह ा ही ठहरा ग rdquo

    उनदहोन कह ldquoएक ददन क री होग नजरो स दखखय िो सहीrdquo

    सन १९१७ क आराभ म कलकि स हम दो वयतति रव न हए दोनो की एकसी जोडी थी

    दोनो तकस न-जस ही लगि थ कौनसी ग डी लनी थी यह भी मझ िो पि नही थ र जकम र

    शकल जजस ग डी म ल गय उस पर हम दोनो सव र हए सबर पटन उिर

    मझ व र जनदरब ब क घर ल गय र जनदरब ब परी अथव और कही गय थ बागल पर

    एक-दो नौकर थ मर स थ ख न की कछ स मगरी थी मझ थोडी खजर की जररि थी बच र

    र जकम र शकल ब ज र स ल आय

    पर तबह र म िो छआछि क बहि कड ररव ज थ मरी ब लटी क प नी क छीट नौकर

    को भरषट करि थ नौकर को कय पि तक म तकस ज ति क हा र जकम र शकल न अनददर क

    प ख न क उपयोग करन को कह नौकर न ब हर क प ख न की ओर इश र तकय मर ततलए

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    इसम परश न य गसस होन क कोई क रण न थ इस परक र क अनभव कर-कर क म बहि

    पकक

    गय थ नौकर िो अपन धमय क प लन कर रह थ और र जनदरब ब क परति अपन कियवय पर

    कर रह थ

    मझ पहली ब र मजटफरपर ज न क िय हआ आच यय कप ल नी व मजटफरपर

    कोततलज म परोफसर थ इस समय परोफसरी छोड चक थ मन उनदह ि र तकय रन आधी र ि को

    मजटफरपर पहाचिी थी व अपन ततशषय-माडल क स थ सटशन पर आय थ

    कप ल नी जी न तबह र की और उसम भी तिरहि तवभ ग की दीन दश की ब ि की और

    मर क म की कदठन ई की कलपन दी कप ल नी जी न तबह र व लो क स थ घतनषठ साबाध जोड

    ततलय थ उनदहोन उन लोगो स मर क म क जजकर कर रख थ सबर वकीलो क -एक छोट -स

    दल मर प स आय

    बरजतकशोरब ब दरभाग स आय रोजनदरब ब परी स आय

    इस मणडल क और मर बीच जीवनभर की ग ाठ बाध गयी

    बरजतकशोरब ब न मझ स री हकीक़िो की ज नक री दी व ग़रीब तकस नो क ततलए मक़ददम

    लडि थ ऐस दो मक़ददम चल रह थ इस िरह क मक़ददमो की परवी करक व थोड वयततिगि

    आशव सन पर पि कर ततलय करि थ

    मन कह ldquoइन मक़ददमो को पढ ज न क ब द मरी र य िो यह बनी ह तक अब हम य

    मक़ददम लडन ही बनदद कर दन च तहए ऐस मक़ददमो स ल भ बहि कम होि ह जह ा रयि

    इिनी कचली गई ह जह ा सब इिन भयभीि रहि ह वह ा कचहररयो की म ररि थोड ही इल ज

    हो सकि ह लोगो क ततलए सछची दव िो उनक डर को भग न ह जब िक यह िीन कदठय

    परथ रद न हो िब िक हम चन स बठ ही नही सकि म िो दो ददन म जजिन दख ज सक

    उिन दखन आय हा लतकन अब दख रह हा तक यह क म िो दो वषय भी ल सकि ह इिन

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    समय भी लग िो म दन को िय र हा मझ यह िो सझ रह ह तक इस क म क ततलए कय करन

    च तहए लतकन इसम आपकी मदद जररी हrdquo

    बरजतकशोरब ब को मन बहि ठा ड ददम ग क प य उनदहोन श ाति स उिर ददय ldquoहमस

    जो मदद बनगी हम दग लतकन हम समझ इय तक आप तकस परक र की मदद च हि हldquo

    इस बीिचीि म हमन स री र ि तबि दी मन कह ldquoमझ आपकी वक लि की शतति क

    कम ही उपयोग होग आपक सम न लोगो स िो म लखक और भ तषय क क म लन च हाग

    म दखि हा तक इसम जल भी ज न पड सकि ह म इस पसनदद करा ग तक आप यह जोखखम

    उठ य पर आप उस उठ न न च ह िो भल न उठ य वक लि छोडकर लखक बनन और अपन

    धाध को अतनकषिि अवमध क ततलए बाद करन की म ाग करक म आप लोगो स कछ कम नही म ाग

    रह हा यह ा की तहनददी बोली समझन म मझ कदठन ई होिी ह क गज-पि सब कथी म य उदय म

    ततलख होि ह जजनदह म पढ नही सकि इनक िरजम की म आप स आश रखि हा यह क म

    पस दकर कर न हम र बस क नही ह यह सब सव भ व स और तबन पस क होन च तहएrdquo

    बरजतकशोरब ब समझ गय तकनदि उनदहोन मझस और अपन स ततथयो स जजरह शर की

    अनदि म उनदहोन अपन यह तनिय परकट तकय ldquoहम इिन लोग आप जो क म हम सौपग

    वह कर दन क ततलए िय र रहग इनम स जजिनो को आप जजस समय च हग उिन आपक प स

    रहग जल ज न की ब ि नई ह उसक ततलए हम शतति-साचय करन की कोततशश करगrdquo

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    ६५ अहहिसा दवी का सािातकार

    मझ िो तकस नो की ह लि की ज ाच करनी थी नील क म ततलको क तवरदध जो ततशक यि थी

    उनम तकिनी सच ई ह यह दखन थ इस क म क ततलए हज रो तकस नो स ममलन की जररि

    थी तकनदि उनक सापकय म आन स पहल मझ यह आवकयक म लम हआ तक म नील क म ततलको

    की ब ि सन ला और कमीशनर स ममल ला मन दोनो को मचटठी ततलखी

    म ततलको क मािी क स थ मरी जो मल क ि हई उसम उसन स र कह ददय तक आपकी

    तगनिी परदशी म होिी ह आपको हम र और तकस नो क बीच दखल नही दन च तहए तफर भी

    अगर आपको कछ कहन हो िो मझ ततलखकर समचि कीजजए मन मािी स नमरि पवयक कह

    तक म अपन को परदशी नही म नि और तकस न च ह िो उनकी चसथति की ज ाच करन क मझ

    पर अमधक र ह म कमीशनर स हब स ममल उनदहोन िो धमक न ही शर कर ददय और मझ

    सल ह दी तक म आग बढ तबन तिरहि छोड दा

    मन स री ब ि स ततथयो को सन कर कह तक साभव ह सरक र मझ ज ाच करन स रोक

    और जल ज न क समय मरी अपकष स भी पहल आ ज एा अगर तगरफि री होनी ही ह िो मझ

    मोिोह री म और साभव हो िो बतिय म तगरफि र होन च तहए और इसक ततलए वह ा जलदी स

    जलदी पहाच ज न च तहए

    चाप रन तिरहि तवभ ग क एक जजल ह और मोिीह री उसक मखय शहर बतिय क

    आसप स र जकम र शकल क घर थ और उसक आसप स की कोदटयो क तकस न जय द -स-

    जय द का ग ल थ र जकम र शकल को उनकी दश ददख न क लोभ थ और मझ अब उस दखन

    की इछछ थी

    अिएव म उसी ददन स ततथयो को लकर मोिीह री क ततलए रव न हो गय मोिीह री म

    गोरखब ब न आशरय ददय और उनक घर धमयश ल बन गय हम सब मतककल स उसम सम

    सकि थ जजस ददन हम पहाच उसी ददन सन तक मोिीह री स कोई प ाच मील दर रहन व ल एक

    तकस न पर अतय च र तकय गय ह मन तनिय तकय तक धरणीधरपरस द वकील को स थ लकर

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    म दसर ददन सवर उस दखन ज ऊा ग सवर ह थी पर सव र होकर हम चल पड चाप रन म ह थी

    क उपयोग लगभग उसी िरह होि ह जजस िरह गजर ि म बलग मडयो क आध र सि पहाच

    होग तक इिन म पततलस सपररणटणडणट क आदमी आ पहाच और मझस बोल ldquoसपररणटणडणट

    स हब न आपको सल म भज हrdquo म समझ गय धरणीधरब ब स मन आग ज न को कह म

    उस ज सस क स थ उसकी भ ड की ग डी म सव र हआ उसन मझ चाप रन छोडकर चल ज न

    की नोदटस दी वह मझ घर ल गय और मरी सही म ागी मन जव ब ददय तक म चाप रन छोडन

    नही च हि मझ िो आग बढन ह और ज ाच करनी ह तनव यसन की आजञ क अन दर करन क

    ततलए मझ दसर ही ददन कोटय म ह जजर रहन क समन ममल

    मन स री र ि ज गकर जो पि मझ ततलखन थ ततलख और बरजतकशोरब ब को सब परक र

    की आवकयक सचन य दी

    समन की ब ि एकदम च रो ओर फल गयी लोग कहि थ तक उस ददन मोिीह री म जस

    दकय दख गय वस पहल कभी न दख गय थ गोरखब ब क घर और दफिर पर लोगो की

    भीड उमड पडी सौभ गय स मन अपन स र क म र ि को तनबट ततलय थ इसततलए म इस

    भीड को साभ ल सक स ततथयो क मलय मझ पर -पर म लम हआ व लोगो को सायि रखन म

    जट गय कचहरी म जह ा ज ि वह ा दल क दल लोग मर पीछ आि कलकटर मजजसरट

    सपररणटणडणट आदद क स थ भी मर एक परक र क साबाध सथ तपि हो गय सरक री नोदटसो

    बगर क खखल र क़ ननी तवरोध करन च हि िो म कर सकि थ इसक बदल मन उनकी

    सब नोदटसो को सवीक र कर ततलय और अमधक ररयो क स थ तनजी वयवह र म ममठ स स क म

    ततलय इसस व समझ गय तक मझ उनक तवरोध नही करन ह बचलक उनकी आजञ क तवनय-

    पवयक तवरोध करन ह इसस उनम एक परक र की तनभयगि आ गयी मझ िाग करन क बदल

    उनदहोन लोगो को क ब म रखन म मरी और मर स ततथयो की सह यि क परसनद नि -पवयक उपयोग

    तकय तकनदि स थ ही व समझ गय तक उनकी सि आज स लपि हई लोग कषणभर को दणड

    क भय छोडकर अपन नय ममि क परम की सि क अधीन हो गय

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    य द रह तक चाप रन म मझ कोई पहच नि न थ तकस न-वगय तबलकल अनपढ थ

    चाप रन गाग क उस प र ठठ तहम लय की िर ई म नप ल क समीपविी परदश ह अथ यि नई

    तनय ह वह ा न कही क ागरस क न म सन यी दि थ न क ागरस क कोई सदसय ददख यी पडि

    थ जजनदहोन न म सन थ व क ागरस क न म लन म अथव उसम ससतममततलि होन म डरि थ

    अिएव क ागरस की ओर स तकनदही गपि य परकट दिो दव र कोई भममक िय र नही कर यी

    गयी थी र जकम र शकल म हज रो लोगो म परवश करन की शतति नही थी उनक बीच तकसीन

    आज िक र जनीति क क म तकय ही नही थ चाप रन क ब हर की तनय को व ज नि नही

    थ तफर भी उनक और मर ममल प पर न ममिो-जस लग अिएव यह कहन म अतिशयोतति

    नही बचलक अकषरशः सतय ह तक इस क रण मन वह ा ईशवर क अहहिस क और सतय क

    स कष तक र तकय जब म इस स कष तक र क अपन अमधक र की ज ाच करि हा िो मझ लोगो क

    परति अपन परम क ततसव और कछ भी नही ममलि इस परम क अथय ह परम अथव अहहिस क

    परति मरी अतवचल शरदध

    चाप रन क यह ददन मर जीवन म कभी न भलन-जस थ मर ततलए और तकस नो क ततलए

    यह एक उतसव क ददन थ सरक री क़ नन क अनस र मझ पर मक़ददम चल य ज न व ल थ

    पर सच पछ ज य िो मक़ददम सरक र क तवरदध थ कमीशनर न मर तवरदध जो ज ल तबछ य

    थ उसम उसन सरक र को ही फा स ददय

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    ६६ मक़ददमा वापस शलया गया

    मक़ददमा चल सरक री वकील मजजसरट आदद घबर य हए थ उनदह सझ नही पड रह थ तक

    तकय क य ज य सरक री वकील सनव ई मलिवी रखन की म ाग कर रह थ म बीच म पड

    और तबनिी की तक सनव ई मलिवी रखन की कोई जररि नही ह कयोतक मझ चाप रन छोडन

    की नोदटस क अन दर करन क अपर ध सवीक र करन ह

    अब मक़ददम की सनव ई को मलिवी रख की जररि न रही थी तकनदि चातक मजजसरट

    और वकील न इस पररण म की आश नही की थी इसततलए सज सन न क ततलए अद लि न कस

    मलिवी रख मन व इसरोय को स री चसथति ि र दव र समचि कर दी थी पटन भी ि र भज

    थ भ रिभषण पामडि म लवीयजी आदद को भी वसिचसथति की ज नक री ि र स भज दी थी

    सज सनन क ततलए कोटय म ज न क समय हआ उसस कछ पहल मर न म मजजसरट क हकम

    आय तक गवनयर स हब की आजञ स मक़ददम व पस ल ततलय गय ह स थ ही कलकटर क पि

    ममल तक मझ जो ज ाच करनी हो म करा और उसम अमधक ररयो की ओर स जो मदद आवकयक

    हो सो म ाग ला ऐस ि तक ततलक और शभ पररण म की आश हम म स तकसीन नही रखी थी

    म कलकटर मम हक ाक स ममल मझ वह सवया भल और नदय य करन म ितपर ज न पड

    उसन कह तक आपको जो क़ गज-पि य कछ और दखन हो सो आप म ाग ल और मझस जब

    भी ममलन च ह ममल ततलय कर

    दसरी ओर स र तहनदसि न को सतय गरह क क़ नन क सतवनय भाग क पहल सथ नीय

    पद थय-प ठ ममल अखब रो म इसकी खब चच य हई और चाप रन को िथ मरी ज ाच को

    अनपकषकषि रीति स परततसजदध ममल गयी

    चसथति ऐसी नही थी तक हम तबलकल तबन पस क अपन क म चल सक आज िक की

    परथ स वयजतनक क म क ततलए जनि स धन पर पि करन की नही थी बरजतकशोरब ब क मणडल

    मखयिः वकीलो क मणडल थ अिएव व जररि पडन पर अपनी जब स खचय कर लि थ और

    कछ ममिो स भी म ाग लि थ उनकी भ वन यह थी तक जो लोग सवया पस-टक स सखी हो व

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    लोगो स रवय की कषभकष कयो म ाग मर यह दढ तनिय थ तक चाप रन की रयि स एक कौडी भी

    न ली ज य यदद ली ज िी िो उसक ग़लि अथय लग य ज ि यह भी तनिय थ तक इस ज ाच क

    ततलए तहनदसि न म स वयजतनक चनदद न तकय ज य वस करन पर यह ज ाच र षटरीय और

    र जनीतिक रप ध रण कर लिी गरीबी-स कम-स-कम खचय करि हए लड ई चल नी थी

    अिएव अमधक रवय की आवकयकि पडन की साभ वन न थी असल म पडी भी नही मर

    खय ल ह तक कल ममल कर दो य िीन हज र स अमधक खचय नही हआ थ जो रवय इकठठ

    तकय गय थ उसम प ाच सौ य एक हज र रपय बच गय थ ऐस मझ य द ह

    तकस नो क दल-क-दल अपनी कह नी ततलख न क ततलए आन लग थ कह नी ततलख न

    व लो क स थ सन भी िो रहिी ही थी इसस मक न क अह ि और बगीच सहज ही भर ज ि

    कह नी ततलखन व लो को कछ तनयमो क प लन करन पडि थ जस हरएक तकस न

    स जजरह की ज य जजरह म जो उखड ज य उसक बय न न ततलय ज य जजसकी ब ि मल म

    ही बबतनय द म लम हो उसक बय न न ततलख ज एा इस िरह तनयमो क प लन स यदयतप थोड

    अमधक समय खचय होि थ तफर भी बय न बहि सछच और स तबि हो सकन व ल ममलि थ

    इन बय नो क लि समय खतरय पततलस क कोई-न-कोई अमधक री ह जजर रहि ही थ

    इन अमधक ररयो को आन स रोक ज सकि थ पर हमन शर स ही तनिय कर ततलय थ

    तक उनदह ततसरय हम आन स नही रोक ग बचलक उनक परति तवनय क बरि व करग और द सकन

    योगय खबर भी उनदह दि रहग

    म तनलहो को खखझ न नही च हि थ बचलक मझ िो उनदह तवनय दव र जीिन क परयतन

    करन थ इसततलए जजसक तवरदध तवशष ततशक यि आिी उस म पि ततलखि और उसस ममलन

    क परयतन भी करि थ तनलहो क मणडल स भी म ममल थ और रयि की ततशक यि उनक

    स मन रखकर मन उनकी ब ि भी सन ली थी उनम स कछ मर तिरसक र करि थ कछ उद सीन

    रहि थ और कोई कोई मर स थ सभयि ओर नमरि क वयवह र करि थ

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    ६७ गरामपरवश

    जस-जस मझ अनभव पर पि होि गय वस-वस दख तक चाप रन म ठीक स क म करन हो िो

    ग ावो म ततशकष क परवश होन च तहए लोगो क अजञ न दयनीय थ ग ावो क बछच म र-म र तफरि

    थ अथव म ि -तपि दो य िीन पस की आमदनी क ततलए उनस स र ददन नील क खिो म मजदरी

    करव ि थ उन ददनो वह ा परषो की मजदरी दस पस स अमधक नही थी सतसिय ा की छह पस

    और ब लको की िीन पस थी च र आन की मजदरी प न व ल तकस न भ गयश ली समझ ज ि

    स ततथयो स सल ह करक पहल िो छह ग ावो म ब लको क ततलए प ठश ल एा खोलन क

    तनिय तकय शिय यह थी तक उन ग ावो क मखखय मक न और ततशकषक क भोजन वयय द उसक

    दसर खचय की वयवसथ हम कर यह ा क ग ावो म पस की तवपलि नही थी यह अन ज बगर दन

    की शतति लोगो म थी उसततलए लोग कछच अन ज दन को िय र हो गय थ

    पर यः परतयक प ठश ल म एक परष और एक सिी की वयवसथ की गयी थी उनदही क

    दव र दव और सर ई क क म करन थ सतसिय ा की म ररि सिी- सम ज म परवश करन थ दव

    क क म बहि सरल बन ततलय थ अाडी क िल कनन और एक मरहम mdash इिनी ही चीज

    परतयक प ठश ल म रखी ज िी थी ज ाचन पर चीज मली ददख ई द और कबज की ततशक यि हो

    िो अाडी क िल तपल दन बख र की ततशक यि हो िो अाडी क िल दन क ब द आन व ल को

    कनन तपल दन और अगर फोड हो िो उनदह धौकर उन पर मरहम लग दन ख न की दव

    अथव मरहम स थ ल ज न क ततलए श यद ही ददय ज ि थ कही कोई खिरन क य समझ म

    न आन व ली बीम री होिी िो वह डो दव को ददख न क ततलए छोड दी ज िी डो दव अलग-

    अलग जगहो म तनयि समय पर हो आि थ ऐसी स दी सतवध क ल भ लोग ठीक म ि म

    उठ न लग थ आम िौर स होन व ली बीम ररय ा थोडी ही ह और उनक ततलए बड-बड तवश रदो

    की आवकयकि नही होिी इस धय न म रख ज य िो उपययि रीति स की गयी वयवसथ तकसीको

    ह सयजनक परिीि नही होगी लोगो को िो नही ही हई

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    सर ई क क म कदठन थ लोग गादगी दर करन को िय र नही थ जो लोग रोज खिो

    की मजदरी करि थ व भी अपन ह थ स मल स र करन क ततलए िय र न थ डो दव झट ह र

    म न लन व ल आदमी न थ उनदहोन और सवयासवको न अपन ह थ स एक ग ाव क र सिो की

    सर ई की लोगो क आागनो स कचर स र तकय कओ क आसप स क गडढ भर कीचड

    तनक ल और ग ाव व लो को सवयासवक दन की ब ि परमपवयक समझ ि रह कछ सथ नो म लोगो

    न शरम म पडकर क म करन शर तकय और कही-कही िो लोगो न मरी मोटर क आन-ज न

    क ततलए अपनी महनि स सडक भी िय र कर दी ऐस मीठ अनभवो क स थ ही लोगो की

    ल परव ही क कडव अनभव भी होि रहि थ मझ य द ह तक सर ई की ब ि सनकर कछ जगहो

    म लोगो न अपनी न र जी भी परकट की थी

    इन अनभवो म स एक जजसक वणयन मन सतसिय ा की कई सभ ओ म तकय ह यह ा दन

    अनमचि न होग भीतिहरव एक छोट -स ग ाव थ उसक प स उसस भी छोट एक ग ाव थ

    वह ा कछ बहनो क कपड बहि मल ददख यी ददय इन बहनो को कपड धोन बदलन क ब र म

    समझ न क ततलए मन कसिरब ई स कह उसन उन बहनो स ब ि की उनम स एक बहन

    कसिरब ई को अपनी झोपडी म ल गयी और बोली ldquoआप दखखय यह ा कोई पटी य अलम री

    नही ह तक जजसम कपड बनदद हो मर प स यही एक स डी ह जो मन पहन रखी ह इस म कस

    धो सकिी हा मह तम जी स कतहय तक व कपड ददलव य उस दश म म रोज नह न और कपड

    बदलन को िय र रहागीrdquo तहनदसि न म ऐस झोपड अपव दरप नही ह असाखय झोपडो म स ज-

    स म न सादक-पटी कपड-लि कछ नही होि और असाखय लोग कवल पहन हए कपडो पर ही

    अपन तनव यह करि ह

    एक दसर अनभव भी बि न-जस ह चाप रन म ब ास य घ स की कमी नही रहिी लोगो

    न भीतिहरव म प ठश ल क जो छपपर बन य थ वह ब ास और घ स क थ तकसीन उस

    र ि को जल ददय सनददह िो आसप स क तनलहो क आदममयो पर हआ थ तफर स ब ास और

    घ स क मक न बन न मन ततसब म लम नही हआ यह प ठश ल शरी सोमण और कसिरब ई क

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    जजमम थी शरी सोमण न ईटो क पकक मक न बन न क तनिय तकय और उनक सवपररशरम की

    छि दसरो को लगी जजसस दखि-दखि ईटो क मक न बन कर िय र हो गय और तफर स

    मक न क जल ज न क डर न रह

    इस परक र प ठश ल सर ई और औषधोपच र क क मो स लोगो म सवयासवको क परति

    तवशव स और आदर की वजदध हई और उन पर अछछ परभ व पड

    पर मझ खद क स थ कहन पडि ह तक इस क म को सथ यी रप दन क मर मनोरथ

    सरल न हो सक जो सवयासवक ममल थ व एक तनकषिि अवमध क ततलए ही ममल थ दसर नय

    सवयासवको क ममलन म कदठन ई हई और तबह र स इस क म क ततलए योगय सथ यी सवक न ममल

    सक मझ भी चाप रन क क म पर होि-होि एक दसर क म जो िय र हो रह थ घसीट ल

    गय इिन पर भी छह महीनो िक हए इस क मन इिनी जड पकड ली तक एक नही िो दसर

    सवरप म उसक परभ व आज िक बन हआ ह

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    ६८ नील का दाग़ धल गया

    जस जस मर पड व पर लोगो की आमद-रफि बढिी गयी वस-वस तनलहो क करोध बढि गय

    उनकी ओर स मरी ज ाच को बनदद कर न क परयतन बढि गय

    एक ददन मझ तबह र-सरक र क पि ममल उसक आशय इस परक र थ ldquoआपकी

    ज ाच क री लाब समय िक चल चकी ह और अब आपको उस बनदद करक तबह र छोड दन

    च तहएrdquo पि तवनय-पवयक ततलख गय थ पर उसक अथय सपषट थ मन ततलख तक ज ाच क

    क म िो अभी दर िक चलग और सम पि होन पर भी जब िक लोगो क ःख दर न होग मर

    इर द तबह र छोडकर ज न क नही ह

    मरी ज ाच बनदद कर न क ततलए सरक र क प स एक सममचि उप य यही थ तक वह लोगो

    की ततशक यि को सच म नकर उनदह दर कर अथव ततशक यिो को धय न म लकर अपनी ज ाच-

    सममति तनयि कर गवनयर सर एडवडय गट न मझ बल य और कह तक व सवया एक ज ाच-सममति

    तनयि करन च हि ह उनदहोन मझ उसक सदसय बनन क ततलए आमातिि तकय सममति क

    दसर न म दखन क ब द मन स ततथयो स सल ह की और इस शिय क स थ सदसय बनन क़बल

    तकय तक मझ अपन स ततथयो स सल ह-मशतवर करन की सविािि रहनी च तहए और सरक र

    को यह समझ लन च तहए तक सदसय बन ज न स म तकस नो की तहम यि करन छोड न दाग

    िथ ज ाच परी-परी हो ज न पर यदद मझ सािोष न हआ िो तकस नो क म गयदशयन करन की

    अपनी सविािि को म ह थ स ज न न दाग

    सर एडवडय गट न इन शिो को उमचि म नकर उनदह माजर तकय सव सर फर क स ल ई

    सममति क अधयकष तनयि तकय गय थ ज ाच-सममति न तकस नो की स री ततशक यिो को सही

    ठहर य और तनलह गोरो न उनस जो रकम अनमचि रीति स वसल की थी उसक कछ अाश

    लौट न और िीन कदठय क क़ नन को रद करन की ततसर ररश की

    इस ररपोटय क स ागोप ाग िय र होन और अनदि म क़ नन क प स होन म सर एडवडय गट

    क बहि बड ह थ थ यदद व दढ न रह होि अथव उनदहोन अपनी कशलि क पर उपयोग न

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    तकय होि िो जो सवयसममि ररपोटय िय र हो सकी वह न हो प िी और आखखर म जो क़ नन

    प स हआ वह भी न हो प ि तनलहो की सि बहि परबल थी ररपोटय क पश हो ज न पर भी

    उनम स कछन तबल क कड तवरोध तकय थ पर सर एडवडय गट अनदि िक दढ रह और उनदहोन

    सममति की ततसर ररशो पर पर -पर अमल तकय

    इस परक र सौ स ल स चल आन व ल िीन कदठय क क़ नन क रद होि ही तनलह गोरो

    क र जय क असि हआ जनि क जो समद य बर बर दब ही रहि थ उस अपनी शतति क

    कछ भ न हआ और लोगो क यह वहम दर हआ तक नील क द ग़ धोय धल ही नही सकि

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    भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

    ६९ मज़दरो क समपकम म

    दसरी ओर स शरी अनसय ब ई क पि उनक मजदर-साघ क ब र म आय थ मजदरो की

    िनखव ह कम थी िनखव ह बढ न की उनकी म ाग बहि पर नी थी इस म मल म उनकी रहनम ई

    करन क उतस ह मझम थ लतकन मझम यह कषमि न थी तक इस अपकष कि छोट परिीि होन

    व ल क म को भी म दर बठकर कर सका इसततलए मौक ममलि ही म पहल अहमद व द पहाच

    मरी चसथति बहि ही न जक थी मजदरो क म मल मझ मजबि म लम हआ शरी

    अनसय ब ई को अपन सग भ ई क स थ लडन थ मजदरो और म ततलको क बीच क इस द रण

    यदध म शरी अाब ल ल स र भ ई न मखय रप स तहसस ततलय थ ममल-म ततलको क स थ मर

    मीठ साबाध थ उनक तवरदध लडन क क म तवकट थ उनस चच यय करक मन पर थयन की तक

    व मजदरो की म ाग क साबाध म पाच तनयि कर तकनदि म ततलको न अपन और मजदरो क बीच

    पाच क हसिकषप की आवकयकि को सवीक र न तकय

    मन मजदरो को हडि ल करन की सल ह दी यह सल ह दन स पहल म मजदरो क और

    मजदर-नि ओ क समपकय म अछछी िरह आय उनदह हडि ल की शि समझ यी

    १ तकसी भी दश म श ाति भाग न होन दी ज य

    २ जो मजदर क म पर ज न च ह उसक स थ जोर-जबरदसिी न की ज य

    ३ मजदर कषभकष क अनदन न ख य

    ४ हडि ल तकिनी ही लमबी क यो न चल व दढ रह और अपन प स पस न रह िो दसरी

    मजदरी करक ख न योगय कम ल

    मजदर-नि ओ न य शि समझ ली और सवीक र कर ली मजदरो की आम सभ हई और

    उसम उनदहोन तनिय तकय तक जब िक उनकी म ाग माजर न की ज य अथव उसकी योगयि -

    अयोगयि की ज ाच क ततलए पाच की तनयतति न हो िब िक व क म पर नही ज एाग

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    यह हडि ल इककीस ददन िक चली इस बीच समय-समय पर म म ततलको स ब िचीि

    तकय करि थ और उनदह इनदस र करन क ततलए मन ि थ मझ यह जव ब ममलि ldquoहम री

    भी िो टक ह न हम म और हम र मजदरो म ब प-बट क समबनदध ह उसक बीच म कोई दखल

    द िो हम कस सहन कर हम र बीच पाच कसrdquo यह परतयिर मझ ममलि थ

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    ७० उपवास

    मज़दरो न शर क दो हफिो म खब तहममि ददख यी श ाति भी खब रखी परतिददन की सभ ओ

    म व बडी साखय म ह जजर भी रह परतिजञ क समरण म रोज उनदह कर ि ही थ व रोज पक र-

    पक र कर कहि थ ldquoहम मर ममटग पर अपनी टक कभी न छोडगrdquo

    लतकन आखखर व कमजोर पडि ज न पड और जजस परक र कमजोर आदमी हहिसक

    होि ह उसी परक र उनम जो कमजोर पड व ममल म ज न व लो क दवष करन लग और मझ डर

    म लम हआ तक कही व तकसी क स थ जबरदसिी न कर बठ रोज की सभ म लोगो की उपचसथति

    कम पडन लगी आन व लो क चहरो पर उद सीनि छ यी रहिी थी मझ खबर ममली तक मजदर

    डगमग न लग ह म परश न हआ यह सोचन लग तक ऐस समय म मर धमय कय हो सकि ह

    सबर क समय थ म सभ म बठ थ मरी समझ म नही आ रह थ तक मझ कय करन

    च तहए तकनदि सभ म ही मर माह स तनकल गय ldquoयदद मजदर तफर स दढ न बन और रसल

    होन िक हडि ल को चल न सक िो म िब िक क ततलए उपव स करा ग rdquo

    जो मजदर ह जजर थ व सब हकक-बकक रह गय अनसय बहन की आाखो स आास की

    ध र बह चली मजदर बोल उठ ldquoआप नही हम उपव स करग आपको उपव स नही करन

    च तहए हम म र कीजजए हम अपनी परतिजञ क प लन करगrdquo

    मन कह ldquoआपको उपव स करन की जररि नही ह आपक ततलए िो यही बस ह तक

    आप अपनी परतिजञ क प लन कर हम र प स पस नही ह हम मजदरो को भीख क अनदन

    खखल कर हडि ल चल न नही च हि आप कछ मजदरी कीजजए और उसस अपनी रोज की

    रोटी क ल यक पस कम लीजजए ऐस करग िो तफर हडि ल तकिन ही ददन कयो न चल आप

    तनकषिनदि रह सक ग मर उपव स िो अब फसल स पहल न छटग rdquo

    वललभभ ई पटल मजदरो क ततलए मयतनततसपततलटी म क म खोज रह थ पर वह ा कछ क म

    ममलन की साभ वन न थी आशरम की बन ई-श ल म रि क भर व करन की जररि थी

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    मगनल ल ग ाधी न सझ य तक इस क म म बहि स मजदर लग य ज सकि ह मजदर इस करन

    को िय र हो गय अनसय बहन न पहली टोकरी उठ यी और नदी म स रि की टोकररय ा ढोन

    व ल मजदरो की एक कि र खडी हो गयी मजदरो म नय बल आ गय उनदह पस चक न व ल

    चक ि-चक ि थक गय

    इस उपव स म एक दोष थ म ऊपर ततलख चक हा तक म ततलको क स थ मर मीठ

    समबनदध थ इसततलए उन पर उपव स क परभ व पड तबन रह ही नही सकि थ म िो ज नि

    थ तक सतय गरही क न ि म उनक तवरदध उपव स कर ही नही सकि उन पर कोई परभ व पड

    िो वह मजदरो की हडि ल क ही पडन च तहए मर पर यकषिि उनक दोषो क ततलए नही थ

    मजदरो क दोष क तनममि स थ म मजदरो क परतितनमध थ इसततलए उनक दोष स म दोतषि

    होि थ म ततलको स िो म कवल तबनिी ही कर सकि थ उनक तवरदध उपव स करन उन पर

    जय दिी करन क सम न थ तफर भी म ज नि थ तक मर उपव स क परभ व उन पर पड तबन

    रहग ही नही परभ व पड भी तकनदि म अपन उपव स को रोक नही सकि थ मन सपषट दख

    तक ऐस दोषमय उपव स करन मर धमय ह

    मन म ततलको को समझ य ldquoमर उपव स क क रण आपको अपन म गय छोडन की

    ितनक भी जररि नहीrdquo उनदहोन मझ कडव-मीठ ि न भी ददय उनदह वस करन क अमधक र

    सठ अाब ल ल इस हडि ल क तवरदध दढ रहन व लो म अगरगणय थ उनकी दढि

    आिययजनक थी उनकी तनषकपटि भी मझ उिनी ही पसनदद आयी उनस लडन मझ तपरय

    लग उनक जस अगव जजस तवरोधी दल म थ उस पर उपव स क पडन व ल अपरतयकष परभ व

    मझ अखर तफर उनकी धमयपतनी शरीमिी सरल दवी क मर परति सगी बहन जस परम थ मर

    उपव स स उनदह जो घबर हट होिी थी वह मझस दखी नही ज िी थी

    मर पहल उपव स म अनसय बहन दसर कई ममि और मजदर स थी बन उनदह अमधक

    उपव स न करन क ततलए म मतककल स समझ सक इस परक र च रो ओर परममय व ि वरण बन

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    गय म ततलक कवल दय वश होकर समझौि क र सि खोजन लग अनसय बहन क यह ा उनकी

    चच यय चलन लगी शरी आननददशाकर धरव भी बीच म पड आखखर व पाच तनयि हए और हडि ल

    टटी मझ कवल िीन उपव स करन पड म ततलको न मजदरो को ममठ ई ब ाटी इककीसव ददन

    समझौि हआ

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    भाग-१३ खडा सतयागरह

    ७१ खडा म सतयागरह

    मज़दरो की हडि ल सम पि होन क ब द दम लन को भी समय न ममल और मझ खड जजल क

    सतय गरह क क म ह थ म लन पड खड जजल म अक ल की-सी चसथति होन क क रण खड

    क प टीद र लोग लग न म र कर न की कोततशश कर रह थ

    लोगो की म ाग इिनी स र और इिनी स ध रण थी तक उसक ततलए लड ई लडन की

    जररि ही न होनी च तहए थी क़ नन यह थ तक अगर रसल च र ही आन य उसस कम आव

    िो उस स ल क लग न म र तकय ज न च तहए पर सरक री अमधक ररयो क अाद ज च र आन

    स अमधक थ लोगो दव र यह ततसदध तकय ज रह थ तक उपज च र आन स कम किी ज नी

    च तहए पर सरक र कयो म नन लगी लोगो की ओर स पाच बठ न की म ाग की गयी सरक र को

    वह असहय म लम हई जजिन अननय-तवनय हो सकि थ सो सब कर चकन क ब द और

    स ततथयो स पर मशय करन क पि ि मन सतय गरह करन की सल ह दी

    स ततथयो म खड जजल क सवको क अतिररि मखयिः शरी वललभभ ई पटल शरी

    शाकरल ल बकर शरी अनसय बहन शरी इनदल ल कनदहय ल ल य ततजञक शरी मह दव दस ई आदद

    थ शरी वललभभ ई अपनी बडी और बढिी हई वक लि की बततल दकर आय थ ऐस कह ज

    सकि ह तक इसक ब द व तनकषिनदि होकर वक लि कर ही न सक

    हम नमडय द क अन थ शरम म ठहर थ अन थ शरम म ठहरन को कोई तवशषि न समझ

    नमडय द म उसक जस कोई सविाि मक न नही थ जजसम इिन स र लोग सम सक अनदि म

    नीच ततलखी परतिजञ पर हसि कषर ततलए गय

    ldquoहम ज नि ह तक हम र ग ावो की रसल च र आन स कम हई ह इस क रण हमन सरक र

    स पर थयन की तक वह लग न-वसली क क म अगल वषय िक मलिवी रख तफर भी वह मलिवी

    नही तकय गय अिएव हम नीच सही करन व ल लोग यह परतिजञ करि ह तक हम इस स ल क

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    पर य ब की रह सरक री लग न नही दग पर उस वसल करन क ततलए सरक र जो भी क़ ननी

    क रयव ई करन च हगी हम करन दग और उसस होन व ल ःख सहन करग यदद हम री जमीन

    ख लस की गयी िो हम उस ख लस भी होन दग पर अपन ह थो पस जम करक हम झठ नही

    ठहरग और सव कषभम न नही खोएाग अगर सरक र ब की बची हई सब जगहो म दसरी तकसि की

    वसली मलिवी रख िो हम म स जो लोग जम कर सकि ह व पर अथव ब की रह हआ

    लग न जम कर न को िय र ह हम म स जो जम कर सकि ह उनक लग न जम न कर न क

    क रण यह ह तक अगर समथय लोग जम कर द िो असमथय लोग घबर हट म पडकर अपनी कोई

    भी चीज बचकर य कजय करक लग न जम कर दग और ःख उठ एाग हम री यह म नदयि ह

    तक ऐसी चसथति म ग़रीबो की रकष करन समथय लोगो क कियवय हrdquo

    इस लड ई क ततलए म अमधक परकरण नही द सकि अिएव अनक मीठ समरण छोड दन

    पडग जो इस महततवपणय लड ई क गहर अधययन करन च ह उनदह शरी शाकलल ल परीख दव र

    ततलखखि खड की लड ई क तवसिि पर म कषणक इतिह स पढ ज न की म ततसर ररश करि हा

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    ७२ पयाज़चोर

    गजरानतयो को इस नई वसि म तवशष रस आन लग थ व पस लट न को जय र थ सतय गरह

    की लड ई पस स नही चल सकिी उस पस की कम-स-कम आवकयकि रहिी ह यह ब ि

    जलदी उनकी समझ म नही आ रही थी मन करन पर भी बमबई क सठो न आवकयकि स

    अमधक पस ददय थ और लड ई क अनदि म उसम स कछ रकम बच गयी थी

    सरक री अमधक री जनि क म ततलक नही बचलक नौकर ह जनि क पस स उनदह

    िनखव ह ममलिी ह ndash यह सब समझ कर उनक भय दर करन क क म मखय थ और तनभयय

    होन पर भी तवनय क प लन क उप य बि न और उस गल उि रन लगभग असाभव-स परिीि

    होि थ अमधक ररयो क डर छोडन क ब द उनक दव र तकय गय अपम नो क बदल चक न

    की इछछ तकस नही होिी तफर भी यदद सतय गरही अतवनयी बनि ह िो वह दध म जहर ममलन

    क सम न ह प टीद र तवनय क प ठ परी िरह पढ नही प य इस म ब द म अमधक समझ सक

    अनभव स म इस पररण म पर पहाच हा तक तवनय सतय गरह क कदठन-स-कदठन अाश ह यह ा

    तवनय क अथय कवल समम न-पवयक वचन कहन ही नही ह तवनय स ि तपयय ह तवरोधी क परति

    भी मन म आदर सरल भ व उसक तहि की इछछ और िदनस र वयवह र

    शर क ददनो म लोगो म खब तहममि ददख यी दिी थी शर शर म सरक री क रयव ई भी

    कछ ढीली ही थी लतकन जस-जस लोगो की दढि बढिी म लम हई वस-वस सरक र को भी

    अमधक उगर क रयव ई करन की इछछ हई ककी करन व लो न लोगो क पश बच ड ल घर म स

    जो च ह सो म ल उठ कर ल गय चौथ ई जम यन की नोदटस तनकली तकसी-तकसी ग ाव की स री

    रसल जबि कर ली गयी लोगो म घबर हट फली कछन लग न जम कर ददय दसर मन-ही-

    मन यह च हन लग तक सरक री अमधक री उनक स म न जबि करक लग न वसल कर ल िो भर

    प य कछ लोग मर-ममटन व ल भी तनकल

    इसी बीच शाकरल ल परीख की जमीन क लग न उनकी जमीन पर रहन व ल आदमी न

    जम कर ददय इसस ह ह क र मच गय शाकरल ल परीख न वह जमीन जनि को दकर अपन

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    आदमी स हई भल क पर यकषिि तकय इसस उनकी परतिषठ की रकष हई और दसरो क ततलए एक

    उद हरण परसिि हो गय

    भयभीि लोगो को परोतस तहि करन क ततलए मोहनल ल पाडय क नितव म मन एक ऐस

    खि म खडी पय ज की िय र रसल को उि र लन की सल ह दी जो अनमचि रीति स जबि तकय

    गय थ मरी दतषट म इसस क़ नन क भाग नही होि थ लतकन अगर क़ नन टटि हो िो भी

    मन यह सझ य तक म मली-स लग न क ततलए समची िय र रसल को जबि करन क़ ननन ठीक

    होि हए भी नीति क तवरदध ह और सपषट लट ह अिएव इस परक र की जबिी क अन दर करन

    हम र धमय ह लोगो को सपषट रप स समझ ददय थ तक ऐस करन म जल ज न और जम यन

    होन क खिर ह मोहनल ल पाडय िो यही च हि थ सतय गरह क अनरप तकसी रीति स तकसी

    सतय गरही क जल गय तबन खड की लड ई सम पि हो ज य यह चीज उनदह अछछी नही लग रही

    थी उनदहोन इस खि क पय ज खदव न क बीड उठ य स ि-आठ आदममयो न उनक स थ

    ददय

    सरक र उनदह पकड तबन भल कस रहिी मोहनल ल और उनक स थी पकड गय इसस

    लोगो क उतस ह बढ गय जह ा लोग जल इतय दद क तवषय म तनभयय बन ज ि ह वह ा र जदणड

    लोगो को दब न क बदल उनम शरवीरि उतपनदन करि ह अद लि म लोगो क दल-क-दल

    मक़ददम दखन को उमड पड मोहनल ल पाडय को और उनक स ततथयो को थोड-थोड ददनो की

    क़द की सज दी गयी म म नि हा तक अद लि क रसल ग़लि थ पय ज उख डन क क म

    चोरी की क़ ननी वय खय की सीम म नही आि थ पर अपील करन की तकसी की वतति ही न

    थी

    जल ज न व लो को पहाच न क ततलए एक जलस उनक स थ हो गय और उस ददन स

    मोहनल ल पाडय को लोगो की ओर स पय जचोर की समम तनि पदवी पर पि हई जजसक

    उपभोग व आज िक कर रह ह

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    ७३ खडा की लडाई का अनत

    यह िो स र थ तक लोग थक चक थ जो दढ रह थ उनदह परी िरह बरब द होन दन म साकोच

    हो रह थ मर झक व इस ओर थ तक सतय गरही क अनरप इसकी सम नपि क कोई शोभ सपद

    म गय तनकल आय िो उस अपन न ठीक होग ऐस एक अनसोच उप य स मन आ गय

    नमडय द ि लक क िहसीलद र न सादश भज तक अगर अछछी चसथति व ल प टीद र लग न

    अद कर द िो ग़रीबो क लग न मलिवी रहग इस तवषय म मन ततलखखि सवीकति म ागी और

    वह ममल गयी िहसीलद र अपनी िहसील की ही जजममद री ल सकि थ स र जजल की

    जजममद री िो कलकटर ही ल सकि थ इसततलए मन कलकटर स पछ उनक जव ब ममल तक

    िहसीलद र न जो कह ह उसक अनस र िो हकम तनकल ही चक ह मझ इसक पि नही थ

    लतकन यदद ऐस हकम तनकल चक हो िो म न ज सकि ह तक लोगो की परतिजञ क प लन

    हआ परतिजञ म यही वसि थी अिएव इस हकम स हमन सािोष म न

    तफर भी इस परक र की सम नपि स हम परसनद न न हो सक सतय गरह की लड ई क पीछ जो

    एक ममठ स होिी ह वह इसम नही थी कलकटर म नि थ तक उसन कछ तकय ही नही

    ग़रीब लोगो को छोडन की ब ि कही ज िी थी तकनदि व श यद ही छट प य जनि यह कहन

    क अमधक र आजम न सकी तक ग़रीब म तकसकी तगनिी की ज य मझ इस ब ि क ःख थ

    तक जनि म इस परक र की शतति रह नही गयी थी अिएव लड ई की सम नपि क उतसव िो

    मन य गय पर इस दतषट स मझ वह तनसिज लग

    तफर भी यह लड ई क जो अददकय पररण म आय उसक फ यद आज भी दख ज सकि

    ह और उठ य भी ज रह ह खड सतय गरह स

    इसस गजर ि क लोक-जीवन म नय िज आय नय उतस ह उतपनदन हआ प टीद रो को

    अपनी शतति क जो जञ न हआ उस व कभी न भल सब कोई समझ गय तक जनि की मतति

    क आध र सवया जनि पर उसकी तय गशतति पर ह सतय गरह न खड क दव र गजर ि म अपनी

    जड जम ली

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    भाग-१४ रगरटो की भरती

    ७४ रगरटो की भरती

    जजन ददनो खड क आनददोलन चल रह थ उन ददनो यरोप क मह यदध भी ज री ही थ

    व इसरोय न उसक ततसलततसल म नि ओ को ददलली बल य थ मझस आगरह तकय गय थ तक

    म भी उसम ह जजर होऊा

    मन तनमािण सवीक र तकय और म ददल ली गय तकनदि इस सभ म ससतममततलि होि समय

    मर मन म एक साकोच थ मखय क रण िो यह थ तक इस सभ म अलीभ इयो को लोकम नदय

    को और दसर नि ओ को तनमातिि नही तकय गय थ

    इस ब ि को िो म दकषकषण अफ़रीक म ही समझ चक थ तक तहनदद-मसलम नो क बीच

    सछच ममिभ व नही ह म वह ा ऐस एक भी उप य को ह थ स ज न न दि थ जजसस दोनो क

    बीच की अनबन दर हो झठी खश मद करक अथव सव कषभम न खोकर उनको अथव तकसी और

    को ररझ न मर सवभ व म न थ लतकन वही स मर ददल म यह ब ि जमी हई थी तक मरी अहहिस

    की कसौटी और उसक तवश ल परयोग इस एकि क ततसलततसल म ही होग

    इस परक र क तवच र लकर म बमबई बनददर पर उिर थ इसततलए मझ इन दोनो

    अलीभ इयो स ममलकर परसनदनि हई हम र सनह बढि गय हम री ज न-पहच न होन क ब द

    िरनदि ही अलीभ इयो को सरक र न जीि-जी दरन ददय मौल न महममदअली को जब

    इज जि ममलिी िब व बिल य मछिदव ड जल स मझ लमब-लमब पि ततलख करि थ मन उनस

    ममलन की इज जि सरक र स म ागी थी पर वह ममल न सकी

    चातक मन खखल रि क म मल म मसलम नो क स थ ददय थ इसततलए इस समबनदध म

    ममिो और आलोचको न मरी क री आलोचन की ह उन सब पर तवच र करन क ब द जो र य

    मन बन यी और जो मदद दी य ददल यी उसक ब र म मझ कोई पि ि प नही ह न उसम मझ

    कोई सध र ही करन ह मझ लगि ह तक आज भी ऐस सव ल उठ िो मर वयवह र पहल की

    िरह ही होग

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    इस परक र क तवच र लकर म ददल ली गय मसलम नो क ःख की चच य मझ व इसरोय

    स करनी थी खखल रि क परशन न अभी पणय सवरप ध रण नही तकय थ

    ददलली पहाचि ही दीनबनदध एणडज न एक नतिक परशन खड कर ददय उनदही ददनो इटली

    और इागलणड क बीच गपि सामध होन की जो चच य अागरजी अखब रो म मछडी थी उसकी ब ि

    कहकर दीनबनदध न मझस कह ldquoयदद इागलणड न इस परक र की गपि सामध तकसी र षटर क स थ

    की हो िो आप इस सभ म सह यक की िरह कस भ ग ल सकि हrdquo म इस सामधयो क तवषय

    म कछ ज नि नही थ दीनबनदध क शबद मर ततलए पय यपि थ इस क रण को तनममि बन कर

    मन ल डय चमसफडय को पि ततलख तक सभ म ससतममततलि होि हए मझ साकोच हो रह ह उनदहोन

    मझ चच य क ततलए बल य उनक स थ और ब द म मम मफी क स थ मरी लमबी चच य हई उसक

    पररण म यह हआ तक मन सभ म ससतममततलि होन सवीक र तकय थोड म व इसरोय की दलील

    यह थी ldquoआप यह िो नही म नि तक तबरदटश मािी-माडल जो कछ कर उसकी ज नक री

    व इसरोय को होनी ही च तहए म यह द व नही करि तक तबरदटश सरक र कभी भल करिी ही

    नही कोई भी ऐस द व नही करि तकनदि यदद आप यह सवीक र करि ह तक उसक अतसितव

    सास र क ततलए कलय णक री ह यदद आप यह म नि ह तक उसक क यो स इस दश को कल

    ममल कर कछ ल भ हआ ह िो कय आप यह सवीक र नही करग तक उसकी तवपतति क समय

    उस मदद पहाच न परतयक न गररक क धमय ह गपि सामध क तवषय म आपन सम च रपिो म जो

    दख ह वही मन भी दख ह इसस अमधक म कछ नही ज नि यह म आपस तवशव स-पवयक कह

    सकि हा अखब रो म कसी-कसी गपप आिी ह यह िो आप ज नि ही ह कय अखब रो म

    आयी हई एक तननद द सचक ब ि पर आप ऐस समय र जय क तय ग कर सकि ह लड ई सम पि

    होन पर आपको जजिन नतिक परशन उठ न हो उिन उठ सकि ह और जजिनी िकर र करनी हो

    उिनी कर सकि हrdquo

    यह दलील नई नही थी लतकन जजस अवसर पर और जजस रीति स यह पश की गयी

    उसस मझ नई-जसी लगी और मन सभ म ज न सवीक र कर ततलय खखल रि क ब र म यह

    तनिय हआ तक म व इसरोय को पि ततलखकर भजा

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    म सभ म ह जजर हआ व इसरोय की िीवर इछछ थी तक म ततसप तहयो की मदद व ल

    परसि व क समथयन करा मन तहनददी-तहनदसि नी म बोलन की इज जि च ही व इसरोय न

    इज जि िो दी तकनदि स थ ही अागरजी म भी बोलन को कह मझ भ षण िो करन ही नही थ

    मन वह ा जो कह सो इिन ही थ ldquoमझ अपनी जजममद री क पर खय ल ह और उस जजममद री

    को समझि हए म इस परसि व क समथयन करि हाrdquo

    मरी दसरी जजममद री रागरट भरिी करन की थी इसकी य चन म खड म न करि िो

    और कह ा करि पहल अपन स ततथयो को न नद योिि िो तकस नदयोिि खड पहाचि ही

    वललभभ ई इतय दद क स थ मन सल ह की उनम स कछ क गल ब ि िरनदि उिरी नही जजनक

    गल उिरी उनदहोन क यय की सफलि क तवषय म शाक परकट की जजन लोगो म स रागरटो की

    भरिी करनी थी उन लोगो म सरक र क परति तकसी परक र क अनर ग न थ सरक री अरसरो

    क उनदह जो कडव अनभव हआ थ वह भी ि ज ही थ

    तफर भी सब इस पकष म हो गय तक क म शर कर ददय ज य शर करि ही मरी आाख

    खली मर आश व द भी कछ ततशततथल पड खड की लड ई म लोग अपनी बलग डी मफि म

    दि थ जह ा एक सवयासवक की ह जजरी की जररि थी वह ा िीन-च र ममल ज ि थ अब पस

    दन पर भी ग डी लयभ हो गयी लतकन हम यो तनर श होन व ल नही थ ग डी क बदल हमन

    पदल य ि करन क तनिय तकय रोज बीस मील की माजजल िय करनी थी जह ा ग डी न

    ममलिी वह ा ख न िो ममलि ही कस म ागन भी उमचि नही ज न पड अिएव यह तनिय

    तकय तक परतयक सवयासवक अपन ख न क ततलए पय यपि स मगरी अपनी थली म लकर तनकल

    गमी क ददन थ इसततलए स थ म ओढन क ततलए िो कछ रखन की आवकयकि न थी

    हम जजस ग ाव म ज ि उस ग ाव म सभ करि लोग आि लतकन भरिी क ततलए न म िो

    मतककल स एक य दो ही ममलि आप अहहिस व दी होकर हम हततथय र उठ न क ततलए कयो कहि

    हrsquo सरक र न तहनद सि न क कय भल तकय ह तक आप हम उसकी मदद करन को कहि हrsquo

    ऐस अनक परक र क परशन मर स मन रख ज ि थ

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    यह सब होि हए भी धीर-धीर हम र सिि क यय क परभ व लोगो पर पडन लग थ न म

    भी क री साखय म दजय होन लग थ और हम यह म नन लग थ तक अगर पहली टकडी तनकल

    पड िो दसरो क ततलए र सि खल ज एग यदद रागरट तनकल िो उनदह कह ा रख ज य इतय दद

    परशनो की चच य म कमीशनर स करन लग थ कमीशनर ददलली क ढाग पर जगह-जगह सभ य

    करन लग थ गजर ि म भी वसी सभ हई उसम मझ और स ततथयो को तनमातिि तकय गय थ

    म उसम भी ससतममततलि हआ थ पर यदद ददलली की सभ म मर ततलए कम सथ न थ िो यह ा की

    सभ म िो उसस भी कम सथ न मझ अपन ततलए म लम हआ जी-हजरीrsquo क व ि वरण म मझ

    चन न पडि थ यह ा म कछ अमधक बोल थ मरी ब ि म खश मद-जसी िो कोई चीज थी ही

    नही बचलक दो कडव शबद भी थ

    रागरटो की भरिी क ततसलततसल म मन जो पहििक परक ततशि की थी उसम भरिी क ततलए

    लोगो को तनमातिि करि हए जो एक दलील दी गयी थी वह कमीशनर को बरी लगी थी उसक

    आशय यह थ ldquoतबरदटश र जय क अनक नक षकतयो म समची परज को तनःशसि बन न व ल

    क़ नन को इतिह स उसक क ल स क ल क म म नग इस क़ नन को रद कर न हो और शसिो

    क उपयोग सीखन हो िो उसक ततलए यह एक सवणय अवसर ह साकट क समय म मधयमशरणी

    क लोग सवछछ स श सन की सह यि करग िो अतवशव स दर होग और जो वयतति शसि ध रण

    करन च हग वह आस नी स वस कर सकग rdquo इसको लकषय म रखकर कमीशनर को कहन

    पड थ तक उनक और मर बीच मिभद क रहि हए भी सभ म मरी उपचसथति उनदह तपरय थी

    मझ भी अपन मि क समथयन यथ साभव मीठ शबदो म करन पड थ

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    ७५ मतय-शयया पर

    रगरटो की भरिी क क म म मर शरीर क री कषीण हो गय उन ददनो मर आह र म मखयिः

    ततसकी हई और कटी हई मागफली दो-िीन नीब क प नी इिनी चीज रह करिी थी म ज नि

    थ तक अमधक म ि म ख न स मागफली नक़स न करिी ह तफर भी वह अमधक ख ली गयी

    उसक क रण पट म कछ पमचश रहन लगी म समय-समय पर आशरम म िो आि ही थ मझ

    यह पमचश बहि धय न दन योगय परिीि न हई र ि आशरम पहाच उन ददनो म दव कवमचि ही

    लि थ तवशव स यह थ तक एक ब र क ख न छोड दन स ददय ममट ज एग दसर ददन सबर

    कछ भी न ख य थ इसस ददय लगभग बाद हो चक थ पर म ज नि थ तक मझ उपव स च ल

    रखन च तहए अथव ख न ही हो िो फल क रस जसी कोई चीज लनी च तहए

    उस ददन कोई तयौह र थ मझ य द पडि ह तक मन कसिरब ई स कह ददय थ तक म

    दोपहर को भी नही ख ऊा ग लतकन उसन मझ ललच य और म ल लच म फा स गय उन ददनो

    म तकसी पश क दध नही लि थ इसस घी-छ छ क भी मन तय ग कर ददय थ इसततलए उसन

    मझस कह तक आपक ततलए दल हए गहा को िल म भनकर लपसी बन यी गयी ह और ख स िौर

    पर आपक ततलए ही पर माग भी बन य गय ह म सव द क वश होकर तपघल तपघलि हए भी

    इछछ िो यह रखी थी तक कसिरब ई को खश रखन क ततलए थोड ख लाग सव द भी ल लाग

    और शरीर की रकष भी कर लाग पर शि न अपन तनश न ि क कर ही बठ थ ख न बठ िो

    थोड ख न क बदल पट भर कर ख गय इस परक र सव द िो मन पर ततलय पर स थ ही यमर ज

    को नदयोि भी भज ददय ख न क ब द एक घाट भी न बीि थ तक जोर की पमचश शर हो गयी

    मचनदि िर होकर स ततथयो न मझ च रो ओर स घर ततलय उनदहोन मझ अपन परम स नहल

    ददय पर व बच र मर ःख म तकस परक र ह थ बाट सकि थ मर हठ क प र न थ मन डोकटर

    को बल न स इनक र कर ददय दव िो लनी ही न थी सोच तकय हए प प की सज भोगाग

    स ततथयो न यह सब माह लटक कर सहन तकय चौबीस घाटो म िीस-च लीस ब र प ख न की

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    ह जि हइ होगी ख न म बनदद कर ही चक थ और शर क ददनो म िो मन फल क रस भी

    नही ततलय थ लन की तबलकल रमच न थी

    आज िक जजस शरीर को म पतथर क सम न म नि थ वह अब गीली ममटटी-जस बन

    गय शतति कषीण हो गयी डोकटर क नग आय दव लन क ततलए समझ य मन इनक र तकय

    उनदहोन तपचक री लगव न की सल ह दी मन उसक ततलए भी इनक र कर ददय उस समय क

    तपचक री-तवषयक मर अजञ न ह सय सपद थ म यह म नि थ तक तपचक री म तकसी-न-तकसी

    परक र की लसी होगी ब द म मझ म लम हआ तक वह िो तनदोष वनसपति स बनी औषमध की

    तपचक री थी पर जब समझ आयी िब अवसर बीि चक थ ह जि िो ज री ही थी अतिशय

    पररशरम क क रण बख र आ गय और बहोशी भी आ गयी ममि अमधक घबर य दसर डोकटर

    भी आय पर जो रोगी उनकी ब ि म न नही उसक ततलए व कय कर सकि थ

    वदय ममि और डोकटर ममि अनक परक र की सल ह दि थ पर म तकसी िरह दव पीन

    को िय र नही हआ दो-िीन ममिो न सल ह दी तक दध लन म आपतति हो िो म ास क शोरव

    लन च तहए और औषमध क रप म म ास दद च ह जो वसि ली ज सकिी ह इसक समथयन म

    उनदहोन आयवद क परम ण ददय एक न अणड लन की ततसर ररश की लतकन म इनम स तकसी

    भी सल ह को सवीक र न कर सक मर उिर एक ही थ ndash नही

    ख दय ख दय क तनणयय मर ततलए कवल श सिो क शलोको पर अवलातबि नही थ बचलक

    मर जीवन क स थ वह सविाि रीति स जड हआ थ च ह जो चीज ख कर और च ह जस

    उपच र करक जीन क मझ ितनक भी लोभ न थ जजस धमय क आचरण मन अपन पिो क

    ततलए तकय सिी क ततलए तकय सनतहयो क ततलए तकय उस धमय क तय ग म अपन ततलए कस

    करि

    इस परक र मझ अपनी इस बहि लमबी और जीवन की सबस पहली इिनी बडी बीम री म

    धमय क तनरीकषण करन और उस कसौटी पर चढ न क अलभय ल भ ममल एक र ि िो मन

    तबलकल ही आश छोड दी थी मझ ऐस भ स हआ तक अब मतय समीप ही ह

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    यो म मौि की र ह दखि बठ थ इिन म डो िलवलकर एक तवमचि पर णी को लकर

    आय व मह र षटरी ह तहनद सि न उनदह पहच नि नही म उनदह दखकर समझ सक थ तक व मरी

    ही िरह चकरम ह व अपन उपच र क परयोग मझ पर करन क ततलए आय थ

    सो भी बरफ क अथ यि प नी क अिएव उनदहोन मर स र शरीर पर बरर मघसनी शर

    की इस इल ज स जजिन पररण म की आश व लग य हए थ उिन पररण म िो मर समबनदध म

    नही तनकल तफर भी म जो रोज मौि की र ह दख करि थ अब मरन क बदल कछ जीन

    की आश रखन लग मझम कछ उतस ह पद हआ मन क उतस ह क स थ मन शरीर म भी

    उतस ह क अनभव तकय म कछ अमधक ख न लग और म आसप स क क मो म थोड -थोड

    रस लन लग

    मरी िबीयि की तहर जि क जजमम शाकरल ल बकर न अपन ह थ म ततलय थ उनदहोन

    डो दल ल स सल ह लन क आगरह तकय डो दल ल आय उनकी ितक ल तनणयय करन की

    शतति न मझ मगध कर ततलय व बोल

    ldquoजब िक आप दध न लग म आपक शरीर को तफर स हषट-पषट न बन सका ग उस पषट

    बन न क ततलए आपको दध लन च तहए और लोह िथ आसतनक की तपचक ररय ा लनी च तहए

    यदद आप इिन कर िो आपक शरीर को पनः पषट करन की ग रणटी म दि हाrdquo

    मन जव ब ददय ldquoतपचक री लग इय लतकन दध म न लाग rdquo

    डोकटर न पछ ldquoदध क समबनदध म आपकी परतिजञ कय हrdquo

    ldquoयह ज नकर तक ग य-भस पर फा क की तकरय की ज िी ह मझ दध स नररि हो गयी

    ह और यह िो म सद स म नि रह हा तक दध मनषय क आह र नही ह इसततलए मन दध छोड

    ददय हrdquo

    यह सनकर कसिरब ई जो मरी खदटय क प स ही खडी थी बोल उठी ldquoिब िो बकरी

    क दध आप ल सकि हrdquo

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    डोकटर बीच म बोल ldquoआप बकरी क दध ल िो मर क म बन ज यrdquo

    म तगर सतय गरह की लड ई क मोह न मर अनददर जीन क लोभ पद कर ददय और मन

    परतिजञ क अकषर थय क प लन स सािोष म नकर उसकी आतम क हनन तकय यदयतप दध की

    परतिजञ लि समय मर स मन ग य- भस ही थी तफर भी मरी परतिजञ दधम ि की म नी ज नी

    च तहए और जब िक म पश क दधम ि को मनषय क आह र क रप म तनतषदध म नि हा िब

    िक मझ उस लन क अमधक र नही इस ब ि को ज नि हए भी म बकरी क दध लन को िय र

    हो गय सतय क पज रीन सतय गरह की लड ई क ततलए जीन की इछछ रखकर अपन सतय को

    ल ामछि तकय

    मर इस क यय क डाक अभी िक ममट नही ह और बकरी क दध छोडन क तवषय म मर

    मचनदिन िो चल ही रह ह तकनदि सव करन क मह सकषम मोह जो मर पीछ पड ह मझ छोडि

    नही

    बकरी क दध शर करन क कछ ददन ब द डो दल ल न गद दव र की दर रो क आपरशन

    तकय और वह बहि सफल हआ

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    भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

    ७६ रोलट एकट

    शरीर बन और जीन की आश बनन लगी ईशवर न मर ततलए क म िय र ही रख थ

    तबछौन छोडकर उठन की कछ आश बाध रही थी और अखब र बगर पढन लग ही थ

    तक इिन म रौलट कमटी की ररपोटय मर ह थ म आयी उसकी ततसर ररश पढकर म चौक भ ई

    उमर सोब नी और शाकरल ल बकर न च ह तक कोई तनकषिि क़दम उठ न च तहए एक ध महीन

    म म अहमद ब द गय वललभभ ई पर यः परतिददन मझ दखन आि थ मन उनस ब ि की और

    सझ य तक इस तवषय म हम कछ करन च तहए ldquoकय तकय ज सकि हrdquo इसक उिर म मन

    कह ldquoयदद थोड लोग भी इस समबनदध म परतिजञ करन व ल ममल ज एा िो और कमटी की

    ततसर ररश क अनस र क़ नन बन िो हम सतय गरह शर करन च तहए यदद म तबछौन पर पड

    न होि िो अकल भी इसम जझि और यह आश रखि तक दसर लोग ब द म आ ममलग

    तकनदि अपनी ल च र चसथति म अकल जझन की मझम तबलकल शतति नही हrdquo

    इस ब िचीि क पररण म-सवरप ऐस कछ लोगो की एक छोटी सभ बल न क तनिय

    हआ

    कोई भी चलिी हई सासथ सतय गरह-जस नय शसि को सवया उठ ल इस मन असमभव

    म न इस क रण सतय गरह-सभ की सथ पन हई

    लतकन मन शर म ही दख ततलय तक यह सभ लमब समय िक दटक नही सकगी इसक

    अल व सतय और अहहिस पर जो जोर म दि थ वह कछ लोगो को अतपरय म लम हआ तफर

    भी शर क ददनो म यह नय क म धडलल क स थ आग बढ

    अभी तबल गजट म नही छप थ मर शरीर कमजोर थ तकनदि मर स स आय हए

    तनमािण को सवीक र करन च तहए ऐस मझ लग तफर भी मन लमबी य ि क खिर उठ य

    र जगोप ल च यय सलम छोडकर अभी-अभी ही मर स म वक लि करन क ततलए आय थ

    सभ ओ क ततसव मझ और कछ सझि ही न थ यदद रौलट तबल क़ नन बन ज ए िो उसकी

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    सतवनय अवजञ तकस परक र की ज एा उसकी सतवनय अवजञ करन क अवसर िो सरक र द

    िभी ममल सकि ह दसर क ननो की सतवनय अवजञ की ज सकिी ह उसकी मय यद कय हो

    आदद परशनो की चच य होिी थी

    इस परक र मनदथन-मचनदिन चल रह थ तक इिन म सम च र ममल तक तबल क़ नन क रप

    म गजट म छप गय ह इस खबर क ब द की र ि को म तवच र करि-करि सो गय सवर जलदी

    ज ग उठ अधयतनर की दश रही होगी ऐस म मझ सपन म एक तवच र सझ मन सवर ही सवर

    र जगोप ल च यय को बल य और कह

    ldquoमझ र ि सवपन वसथ म यह तवच र सझ तक इस क़ नन क जव ब म हम स र दश को

    हडि ल करन की सचन द सतय गरह आतमशजदध की लड ई ह वह ध रमिक यदध ह धमयक यय क

    आराभ शजदध स करन ठीक म लम होि ह उस ददन सब उपव स कर और क म-धाध बनदद रख

    मसलम न भ ई रोज स अमधक उपव स न करग इसततलए चौबीस घाटो क उपव स करन की

    ततसर ररश की ज ए इसम सब पर नदि ससतममततलि होग य नही यह िो कह नही ज सकि पर

    बमबई मर स तबह र और ततसनदध की आश िो मझ ह ही यदद इिन सथ नो पर भी ठीक स

    हडि ल रह िो हम सािोष म नन च तहएrdquo

    र जगोप ल च यय को यह सचन बहि अछछी लगी ब द म दसर ममिो को िरनदि इसकी

    ज नक री दी गयी सबन इसक सव गि तकय मन एक छोटी-सी तवजञनपि िय र कर ली पहल

    १९१९ क म चय की ३० वी ि रीख रखी गयी थी ब द म ६ अपरल रखी गयी लोगो को बहि ही

    थोड ददन की मददि दी गयी थी चाकी क म िरनदि करन जररी समझ गय थ अिएव िय री

    क ततलए लाबी मददि दन क समय ही न थ

    लतकन न ज न कस स री वयवसथ हो गयी समच तहनदसि न म ndash शहरो म और ग ावो म

    ndash हडि ल हई वह दकय भवय थ

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    ७७ वह सपताह

    दकषिि म थोडी य ि करक म बमबई पहाच बमबई की हडि ल सापणय थी

    यह ा क़ नन की सतवनय अवजञ की िय री कर रखी थी जजनकी अवजञ की ज सक ऐसी

    दो-िीन चीज थी जो क़ नन रद तकय ज न ल यक थ और जजनकी अवजञ सब सरलि स कर

    सकि थ उनम स एक क ही उपयोग करन क तनिय थ नमक-कर क क़ नन सबको अतपरय

    थ उस कर को रद कर न क ततलए बहि कोततशश हो रही थी अिएव मन एक सझ व यह रख

    थ तक सब लोग तबन परव न क अपन घर म नमक बन य दसर सझ व सरक र दव र जबि की

    हई पसिक छप न और बचन क थ ऐसी दो पसिक मरी ही थी कषहनद सवराजय और सवोदय

    इन पसिको क छप न और बचन सबस सरल सतवनय अवजञ म लम हई इसततलए य पसिक

    छप यी गयी और श म को उपव स छटन क ब द और चौप टी की तवर ट सभ क तवसरजिि होन

    क ब द इनदह बचन क परबाध तकय गय

    ददन ाक ६ क श म को कई सवयासवक य पसिक बचन तनकल पड इनकी जो कीमि

    वसल होिी वह लड ई क क म म ही खचय की ज न व ली थी एक परति क मलय च र आन रख

    गय थ पर मर ह थ पर श यद ही तकसीन च र आन रख होग अपनी जब म जो थ सो सब

    दकर तकि ब खरीदन व ल बहिर तनकल आय कोई-कोई दस और प ाच क नोट भी दि थ मझ

    समरण ह तक एक परति क ततलए ५० रपय क नोट भी ममल थ लोगो को समझ ददय गय थ तक

    खरीदन व ल क ततलए भी जल क खिर ह लतकन कषणभर क ततलए लोगो न जल क भय छोड

    ददय थ

    ७ ि रीख को पि चल तक जजन तकि बो क बचन पर सरक र न रोक लग यी थी सरक र

    की दतषट स व बची नही गयी ह जो पसिक तबकी ह व िो उनकी दसरी आवतति म नी ज एागी

    जबि की हई पसिको म उनकी तगनिी नही हो सकिी सरक र की ओर स यह कह गय थ तक

    नई आवतति छप न बचन और खरीदन म कोई गन ह नही ह यह खबर सनकर लोग तनर श हए

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    ७ अपरल की र ि को म ददल ली-अमिसर ज न क ततलए रव न हआ ८ को मथर पहाचन

    पर कछ ऐसी भनक क न िक आई तक श यद मझ तगरफि र करग मथर क ब द एक सटशन

    पर ग डी रकिी थी वह ा आच यय तगडव नी ममल उनदहोन मर पकड ज न क ब र म पककी खबर

    दी और जररि हो िो अपनी सव अपयण करन क ततलए कह

    पलवल सटशन आन क पहल ही पततलस अमधक री न मर ह थ पर आदश-पि रख आदश

    इस परक र क थ ldquoआपक पाज ब म परवश करन स अश ाति बढन क डर ह अिएव आप पाज ब

    की सीम म परवश न करrdquo आदश-पि दकर पततलस न मझ उिर ज न को कह मन उिरन स

    इनक र तकय और कह ldquoम अश ाति बढ न नही बचलक तनमािण प कर अश ाति घट न क ततलए

    ज न च हि हा इसततलए खद ह तक मझस इस आदश क प लन नही हो सकग rdquo

    मझ पलवल सटशन पर उि र ततलय गय और पततलस क हव ल तकय गय तफर ददलली

    स आन व ली तकसी रन क िीसर दज क मडब म मझ बठ य गय और स थ म पततलस क दल

    भी बठ मथर पहाचन पर मझ पततलस की ब रक म ल गय मर कय होग और मझ कह ा ल

    ज न ह सो कोई पततलस अमधक री मझ बि न सक सबह ४ बज मझ जग य गय और बमबई

    की ओर ज न व ली म लग डी म बठ ददय गय

    सरि पहाचन पर तकसी दसर अमधक री न मझ अपन क़बज म ततलय उसन मझ र सि म

    कह ldquoआप ररह कर ददय गय ह लतकन आपक ततलए म रन को मरीन ल इनदस सटशन क प स

    रकव ऊा ग आप वह ा उिर ज एाग िो जय द अछछ होग कोल ब सटशन पर बडी भीड होन

    की साभ वन हrdquo मन उसस कह तक आपक कह करन म मझ परसनद नि होगी वह खश हआ

    और उसन मझ धनदयव द ददय म मरीन ल इनदस पर उिर वह ा तकसी पररमचि की घोड ग डी

    ददख यी दी व मझ रव शाकर झवरी क घर छोड गय उनदहोन मझ खबर दी ldquoआपक पकड ज न

    की खबर प कर लोग करदध हो गय ह और प गल-स बन गय ह प यधनी क प स दाग क खिर

    ह मजजसरट और पततलस वह ा पहाच गयी हrdquo

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    म घर पहाच ही थ तक इिन म उमर सोब नी और अनसय बहन मोटर म आय और उनदहोन

    मझ प यधनी चलन को कह उनदहोन बि य ldquoलोग अधीर हो गय ह और बड उिजजि ह हम

    म स तकसी क तकय श ाि नही हो सकि आपको दखग िभी श ाि होगrdquo

    म मोटर म बठ गय प यधनी पहाचि ही र सि म भ री भीड ददख यी दी लोग मझ

    दखकर हषोनदमि हो उठ अब जलस बन वनदद म िरम और अलल हो अकबर क न रो स

    आक श गाज उठ प यधनी पर घडसव र ददख यी ददय ऊपर स ईटो की वष य हो रही थी म

    ह थ जोडकर लोगो स पर थयन कर रह थ तक व श ाि रह पर ज न पड तक हम भी ईटो की इस

    बौछ र स बच नही प यग

    अबरयहम न गली म स कर फडय म रकट की ओर ज ि हए जलस को रोकन क ततलए

    घडसव रो की एक टकडी स मन स आ पहाची व जलस को तकल की ओर ज न स रोकन की

    कोततशश कर रह थ लोग वह ा सम नही रह थ लोगो न पततलस की प ाि को चीरकर आग बढन

    क ततलए जोर लग य वह ा ह लि ऐसी नही थी तक मरी आव ज सन यी पड सक यह दखकर

    घडसव रो की टकडी क अरसर न भीड को तििर-तबिर करन क हकम ददय और अपन भ लो

    को घम ि हए इस टकडी न एकदम घोड दौड न क शर कर ददय मझ डर लग तक उनक भ ल

    हम र क म िम म कर द िो आियय नही पर मर वह डर तनर ध र थ बगल स होकर स र भ ल

    रलग डी की गति स सनसन ि हए दर तनकल ज ि थ लोगो की भीड म दर र पडी भगदड मच

    गई कोई कचल गय कोई घ यल हए घडसव रो को तनकलन क ततलए र सि नही थ लोगो क

    ततलए आसप स तबखरन क र सि नही थ व पीछ लौट िो उधर भी हज रो लोग ठस ठस भर

    हए थ स र दकय भयाकर परिीि हआ घडसव र और जनि दोनो प गल-जस म लम हए

    घडसव र कछ दखि ही नही थ अथव दख नही सकि थ व िो टढ होकर घोडो को दौड न म

    लग थ मन दख तक जजिन समय इन हज रो क दल को चीरन म लग उिन समय िक व कछ

    दख ही नही सकि थ

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    इस िरह लोगो को तििर-तबिर तकय गय और आग बढन स रोक गय हम री मोटर

    को आग ज न ददय गय मन कमीशनर क क य यलय क स मन मोटर रकव ई और म उसस

    पततलस क वयवह र की ततशक यि करन क ततलए उिर

    इस िरह हम री दलील होिी रही हम र मि क मल ममलन व ल न थ म यह कहकर

    तबद हआ तक चौप टी पर सभ करन और लोगो को श ाति रखन क ततलए समझ न क मर इर द

    चौप टी पर सभ हई मन लोगो को श ाति और सतय गरह की मय यद क तवषय म समझ य

    और बिल य ldquoसतय गरह सछच क हततथय र ह यदद लोग श ाति न रखग िो म सतय गरह की

    लड ई कभी लड न सका ग rdquo

    अहमद ब द स शरी अनसय बहन को भी खबर ममल चकी थी तक वह ा उपरव हआ ह

    तकसीन अरव ह फल दी थी तक व भी पकडी गयी ह इसस मजदर प गल हो उठ थ उनदहोन

    हडि ल कर दी थी उपरव भी मच य थ और एक ततसप ही क खन भी हो गय थ

    म अहमद ब द गय मझ पि चल तक नमडय द क प स रल की पटरी उख डन की

    कोततशश भी हई थी वीरमग म म एक सरक री कमयच री क खन हो गय थ अहमद ब द पहाच

    िब वह ा म शयल लो ज री थ लोगो म आिाक फल हआ थ लोगो न जस तकय वस प य

    और उसक बय ज भी प य

    मझ कमीशनर मम परट क प स ल ज न क ततलए एक आदमी सटशन पर ह जजर थ म

    उनक प स गय व बहि गसस म थ मन उनदह श ननदि स उिर ददय जो हतय हई थी उसक ततलए

    मन खद परकट तकय यह भी सझ य तक म शयल लो की आवकयकि नही ह और पनः श ननदि

    सथ तपि करन क ततलए जो उप य करन जररी हो सो करन की अपनी िय री बि यी मन आम

    सभ बल न की म ाग की यह सभ आशरम की भमम पर करन की अपनी इछछ परकट की उनदह

    यह ब ि अछछी लगी जह ा िक मझ य द ह मन रतवव र ि १३ अपरल को सभ की थी म शयल

    लो भी उसी ददन अथव दसर ददन रदद हआ थ इस सभ म मन लोगो को उनक अपन दोष

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    ददख न क परयतन तकय मन पर यकषिि क रप म िीन ददन क उपव स तकय और लोगो को एक

    ददन क उपव स करन की सल ह दी जजनदहोन हतय बगर म तहसस ततलय हो उनदह मन सझ य

    तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल

    मन अपन धमय सपषट दख जजन मजदरो आदद क बीच मन इिन समय तबि य थ

    जजनकी मन सव की थी और जजनक तवषय म म अछछ वयवह र की आश रखि थ उनदहोन

    उपरव म तहसस ततलय यह मझ असहय म लम हआ और मन अपन को उनक दोष म तहससद र

    म न

    जजस िरह मन लोगो को समझ य तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल उसी िरह

    सरक र को भी गन ह म र करन की सल ह दी दोनो म स तकसी एकन भी मरी ब ि नही सनी

    सव० रमणभ ई आदद न गररक मर प स आय और मझ सतय गरह मलिवी करन क ततलए

    मन न लग पर मझ मन न की आवकयकि ही नही रही थी मन सवया तनिय कर ततलय थ तक

    जब िक लोग श ाति क प ठ न सीख ल िब िक सतय गरह मलिवी रख ज य इसस व परसनद न

    हए

    कछ ममि न र ज भी हए उनक खय ल यह थ तक अगर म सब कही श ाति की आश

    रखा और सतय गरह की यही शिय रह िो बड पम न पर सतय गरह कभी चल ही नही सकि मन

    अपन मिभद परकट तकय जजन लोगो म क म तकय गय ह जजनक दव र सतय गरह करन की

    आश रखी ज िी ह व यदद श ननदि क प लन न कर िो अवकय ही सतय गरह कभी चल नही

    सकि मरी दलील यह थी तक सतय गरही नि ओ को इस परक र की मय यददि श ननदि बन य रखन

    की शतति पर पि करनी च तहए अपन इन तवच रो को म आज भी बदल नही सक हा

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    ७८ पहाड-जसी भल

    अहमदाबाद की सभ क ब द म िरनदि ही नमडय द गय पह ड-जसी भलrsquo न मक जो शबद-

    परयोग परततसदध हआ ह उसक उपयोग मन पहली ब र नमडय द म तकय अहमद ब द म ही मझ

    अपनी भल म लम पडन लगी थी पर नमडय द म वह ा की चसथति क तवच र करक और यह

    सनकर तक खड जजल क बहि स लोग पकड गय ह जजस सभ म म घदटि घटन ओ पर भ षण

    कर रह थ उसम मझ अच नक यह खय ल आय तक खड जजल क और ऐस दसर लोगो को

    क़ नन क सतवनय भाग करन क ततलए तनमातिि करन म मन जलदब जी की भल की और वह भल

    मझ पह ड-जसी म लम हई

    इस परक र अपनी भल क़बल करन क ततलए मरी खब हासी उड ई गयी तफर भी अपनी

    इस सवीकति क ततलए मझ कभी पि ि प नही हआ मन हमश यह म न ह तक जब हम दसरो

    क गज-जस दोषो को रजवि म नकर दखि ह और अपन रजवि परिीि होन व ल दोषो को

    पह ड-जस दखन सीखि ह िभी हम अपन और पर य दोषो क ठीक-ठीक अाद ज हो प ि

    ह मन यह भी म न ह तक सतय गरही बनन की इछछ रखन व ल को िो इस स ध रण तनयम क

    प लन बहि अमधक सकषमि क स थ करन च तहए

    अब हम यह दख क पह ड-जसी परिीि होन व ली वह भल कय थी क़ नन क सतवनय

    भाग उनदही लोगो दव र तकय ज सकि ह जजनदहोन तवनयपवयक और सवछछ स क़ नन क समम न

    तकय हो

    जजसन इस परक र सम ज क तनयमो क तवच र-पवयक प लन तकय ह उसीको सम ज क

    तनयमो म नीति-अनीति क भद करन की शतति पर पि होिी ह और उसीको मय यददि पररचसथतियो

    म अमक तनयमो को िोडन क अमधक र पर पि होि ह लोगो क इस िरह क अमधक र पर पि

    करन स पहल मन उनदह सतवनय क़ ननभाग क ततलए तनमातिि तकय अपनी यह भल मझ पह ड-

    जसी लगी और खड जजल म परवश करन पर मझ खड की लड ई क समरण हआ और लग

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    तक म तबलकल ग़लि र सि पर चल पड हा मझ लग तक लोग सतवनय क़ नन-भाग करन योगय

    बन इसस पहल उनदह उसक गाभीर रहसय क जञ न होन च तहए

    तकनदि यदद ब ि ऐसी ह िो सतवनय क़ नन-भाग कर न स पहल शदध सवयासवको क एक

    ऐस दल खड होन च तहए जो लोगो को य स री ब ि समझ य और परतिकषण उनक म गयदशयन

    कर और ऐस दल को सतवनय क़ नन-भाग क िथ उसकी मय यद क पर -पर जञ न होन च तहए

    इन तवच रो स भर हआ म बमबई पहाच और सतय गरह-सभ क दव र सतय गरही सवयासवको

    क एक दल खड तकय लोगो को सतवनय क़ नन-भाग क ममय समझ न क ततलए जजस ि लीम

    की जररि थी वह इस दल क जररय दनी शर की और इस चीज को समझ न व ली पतिक य

    तनक ली

    यह क म चल िो सही लतकन मन दख तक म इसम जय द ददलचसपी पद नही कर

    सक सवयासवको की ब ढ नही आयी यह नही कह ज सकि तक जो लोग भरिी हए उन

    सबन तनयममि ि लीम ली भरिी म न म ततलख न व ल भी जस-जस ददन बीिि गय वस-वस

    दढ बनन क बदल खखसकन लग म समझ गय तक सतवनय क़ नन-भाग की ग डी मन सोच थ

    उसस धीमी चलगी

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    ७९ नवजीवन और यग ईननडया

    इन पिो क दव र मन जनि को यथ शतति सतय गरह की ततशकष दन शर तकय पहल दोनो पिो

    की थोडी ही परतिय ा खपिी थी लतकन बढि-बढि व च लीस हज र क आसप स पहाच गयी

    िवजीवि क गर हक एकदम बढ जब तक यग इकषनडया क धीर-धीर बढ मर जल ज न क ब द

    इसम कमी हई और आज दोनो की गर हक-साखय ८००० स नीच चली गयी ह

    इन पिो म तवजञ पन न लन क मर आगरह शर स ही थ म म नि हा तक इसस कोई

    ह तन नही हई और इस परथ क क रण पिो क तवच र-सव िािय की रकष करन म बहि मदद ममली

    इन पिो दव र म अपनी श ननदि पर पि कर सक कयोतक यदयतप म सतवनय क़ नन-भाग

    िरनदि ही शर नही कर सक तफर भी म अपन तवच र सविािि पवयक परकट कर सक जो लोग

    सल ह और सझ व क ततलए मरी ओर दख रह थ उनदह म आशव सन द सक

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    ८० अमतसर की महासभा (काागरस)

    नय सध रो क समबनदध म समर ट की घोषण परकट हो चकी थी वह मझ पणय सािोष दन व ली

    नही थी और तकसीको िो वह तबलकल पसनदद ही नही थी लतकन उस समय मन यह म न थ

    तक उि घोषण म समचि सध र िदटपणय होि हए भी सवीक र तकय ज सकि ह

    मचिराजन द स क दढ मि थ तक सध रो को तबलकल असािोषजनक और अधर म नकर

    उनकी उपकष करनी च तहए लोकम नदय कछ िटसथ थ तकनदि दशबाध जजस परसि व को पसनदद

    कर उसक पकष म अपन वजन ड लन क उनदहोन तनिय कर ततलय थ

    ऐस पर न अनभवी और कस हअ सवयम नदय लोकन यको क स थ अपन मिभद मझ सवया

    असहय म लम हआ दसरी ओर मर अनदिन यद सपषट थ मन क ागरस की बठक म स भ गन क

    परयतन तकय पा मोिील ल नहर और म लवीयजी को मन यह सझ य तक मझ अनपचसथि रहन

    दन स सब क म बन ज एाग और म मह न नि ओ क स थ मिभद परकट करन क साकट स बच

    ज ऊा ग

    यह सझ व इन दोनो बजगो क गल न उिर

    मन अपन परसि व िय र तकय बड साकोच स मन उस पश करन क़बल तकय मम

    जजनद न और म लवीयजी उसक समथयन करन व ल थ भ षण हए म दख रह थ तक यदयतप

    हम र मिभद म कही कटि नही थी भ षणो म भी दलीलो क ततसव और कछ नही थ तफर भी

    सभ जर -स भी मिभद सहन नही कर सकिी थी और नि ओ क मिभद स उस ःख हो रह

    थ सभ को िो एकमि च तहए थ

    जब भ षण हो रह थ उस समय भी माच पर मिभद ममट न की कोततशश चल रही थी एक-

    दसर क बीच मचदठय ा आ-ज रही थी म लवीयजी जस भी बन समझौि कर न क परयतन कर

    रह थ इिन म जयर मद स न मर ह थ पर अपन सझ व रख और सदसयो को मि दन क साकट

    स उब र लन क ततलए बहि मीठ शबदो म मझस पर थयन की मझ उनक सझ व पसनदद आय

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    म लवीयजी की दतषट िो च रो ओर आश की खोज म घम ही रही थी मन कह ldquoयह सझ व

    दोनो पकषो को पसनदद आन ल यक म लम होि हrdquo मन उस लोकम नदय को ददख य उनदहोन

    कह ldquoद स को पसनदद आ ज य िो मझ कोई आपतति नहीrdquo दशबाध तपघल उनदहोन तवतपनचार

    प ल की िरफ दख म लवीयजी को परी आश बाध गयी उनदहोन परची ह थ स छीन ली अभी

    दशबाध क माह स ह ा क शबद पर तनकल भी नही प य थ तक व बोल उठ ldquoसजजनो आपको

    यह ज नकर खशी होगी तक समझौि हो गय हrdquo तफर कय थ ि ततलयो की गडगड हट स

    माडप गाज उठ और लोगो क चहरो पर जो गाभीरि थी उसक बदल खशी चमक उठी

    मझ क ागरस क क मक ज म तहसस लन पड इस म क ागरस म अपन परवश नही म नि

    अमिसर क अनभव न बिल य तक मरी एक-दो शततिय ा क ागरस क ततलए उपयोगी ह

    अगल स ल करन योगय क मो म स दो क मो म मझ ददलचसपी थी कयोतक उनम म कछ

    दखल रखि थ

    एक थ जततलय ाव ल ब ग क हतय क ाड क सम रक इसक ब र म क ागरस न बडी श न क

    स थ परसि व प स तकय थ सम रक क ततलए करीब प ाच ल ख रपय की रकम इकटठी करनी थी

    उसक रकषको (रनसटयो) म मर न म थ दश म जनि क क म क ततलए कषभकष म ागन की जबरदसि

    शतति रखन व लो म पहल पद म लवीयजी क थ और ह म ज नि थ तक मर दज य उनस

    बहि दर नही रहग अपनी यह शतति मन दकषकषण अफ़रीक म दख ली थी

    मरी दसरी शतति लखक और माशी क क म करन की थी जजसक उपयोग क ागरस कर

    सकिी थी नि गण यह समझ चक थ तक लमब समय क अभय स क क रण कह ा कय और

    तकिन कम शबदो म व अतवनय-रतहि भ ष म ततलखन च तहए सो म ज नि हा उस समय क ागरस

    क जो तवध न थ वह गोखल की छोडी हई पाजी थी उनदहोन कछ तनयम बन ददय थ उनक

    सह र क ागरस क क म चलि थ व तनयम कस बन य गय इसक मधर इतिह स मन उनदही क

    माह स सन थ पर अब सब कोई यह अनभव कर रह थ तक क ागरस क क म उिन ही तनयमो स

    नही चल सकध उसक तवध न बन न की चच यय हर स ल उठिी थी तवध न िय र करन क

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    भ र उठ न की जजममद री मन अपन ततसर ली मरी एक शिय थी जनि पर दो नि ओ क परभतव

    म दख रह थ इसस मन च ह तक उनक परतितनमध मर स थ रह म समझि थ तक व सवया

    श ाति स बठकर तवध न बन न क क म नही कर सकि इसततलए लोकम नदय और दशबाध स उनक

    तवशव स क दो न म मन म ाग मन यह सझ व रख तक इनक ततसव तवध न-सममति म और कोई न

    होन च तहए वह सझ व म न ततलय गय लोकम नदय न शरी कलकर क और दशबाध न शरी आई०

    बी० सन क न म ददय यह तवध न-सममति एक ददन भी कही ममलकर नही बठी तफर भी हमन

    अपन क म एकमि स पर तकय पि-वयवह र दव र अपन क म चल ततलय इस तवध न क

    ततलए मझ थोड अकषभम न ह म म नि हा तक इसक अनसरण करक क म तकय ज य िो हम र

    बड प र हो सकि ह यह िो जब होग िब होग परनदि मरी यह म नदयि ह तक इस जजममद री

    को लकर मन क ागरस म सछच परवश तकय

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    भाग-१६ खादी का जनम

    ८१ खादी का जनम

    मझ य द नही पडि तक सन १९०८ िक मन चरख य करघ कही दख हो तफर भी मन तहनदद

    सवर जय म यह म न थ तक चरख क जररय तहनदसि न की का ग ततलयि ममट सकिी ह और यह

    िो सबक समझ सकन जसी ब ि ह तक जजस र सि भखमरी ममटगी उसी र सि सवर जय ममलग

    सन १९१५ म म दकषकषण अफ़रीक स तहनदसि न व पस आय िब भी मन चरख क दशयन नही तकय

    थ आशरम क खलि ही उसम करघ शर तकय थ करघ शर करन म भी मझ बडी मतककल

    क स मन करन पड हम सब अनज न थ अिएव करघ क ममल ज न भर स िो करघ चल

    नही सकि थ आशरम म हम सब कलम चल न व ल य वय प र करन ज नन व ल लोग इकटठ

    हए थ हम म कोई क रीगर नही थ इसततलए करघ पर पि करन क ब द बनन ततसख न व ल की

    आवकयकि पडी प लनपर स एक ततसख न व ल आय उसन अपन पर हनर नही बि य

    परनदि मगनल ल ग ाधी शर तकय हए क म को जलदी छोडन व ल न थ उनक ह थ म क रीगरी

    िो थी ही इसततलए उनदहोन बनन की कल परी िरह समझ ली और तफर आशरम म एक क ब द

    एक नय-नय बनन व ल िय र हए

    हम िो अब अपन कपड िय र करक पहनन थ इसततलए आशरमव ततसयो न ममल क कपड

    पहनन बाद तकय और यह तनिय तकय तक व ह थ-करघ पर दशी ममल क सि क बन हआ

    कपड पहनग ऐस करन स हम बहि कछ सीखन को ममल तहनदसि न क बनकरो क जीवन

    की उनकी आमदनी की सि पर पि करन म होन व ली उनकी कदठन ई की इसम व तकस परक र

    ठग ज ि थ और आखखर तकस परक र ददन-ददन क़जयद र होि ज ि थ इस सबकी ज नक री हम

    ममली हम सवया अपन सब कपड िरनदि बन सक ऐसी चसथति िो थी ही नही इस क रण स

    ब हर क बनकरो स हम अपनी आवकयकि क कपड बनव लन पडि थ दशी ममल क सि

    क ह थ स बन कपड झट ममलि नही थ बनकर स र अछछ कपड तवल यिी सि क ही

    बनि थ कयोतक हम री ममल सि क ििी नही थी आज भी व महीन सि अपकष कि कम ही

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    क ििी ह बहि महीन िो क ि ही नही सकिी बड परयतन क ब द कछ बनकर ह थ लग जजनदहोन

    दशी सि क कपड बन दन की महरब नी की इन बनकरो को आशरम की िरफ स यह ग रणटी

    दनी पडी थी तक दशी सि क बन हआ कपड खरीद ततलय ज एग इस परक र तवशष रप स

    िय र कर य हआ कपड बनव कर हमन पहन और ममिो म उसक परच र तकय यो हम क िन

    व ली ममलो क अवितनक एजणट बन ममलो क समपकय म आन पर उनकी वयवसथ की और

    उनकी ल च री की ज नक री हम ममली हमन दख तक ममलो क धयय खद क िकर खद ही

    बनन थ व ह थ-करघो की सह यि सवछछ स नही बचलक अतनछछ स करिी थी

    यह सब दखकर हम ह थ स क िन क ततलए अधीर हो उठ हमन दख तक जब िक ह थ

    स क िग नही िब िक हम री पर धीनि बनी रहगी ममलो क एजणट बनकर हम दशसव करि

    ह ऐस हम परिीि नही हआ

    हम री मतककलो क कोई अाि नही थ लतकन न िो कही चरख ममलि थ और न कोई

    चरख क चल न व ल ममलि थ ककमडय ा आदद भरन क चरख िो हम र प स थ पर उन पर

    क ि ज सकि ह इसक िो हम खय ल ही नही थ एक ब र क लीद स वकील एक बहन को

    खोजकर ल य उनदहोन कह तक यह बहन सि क िकर ददख यगी उसक प स एक आशरमव सी

    को भज जो नय क म सीख लन म बड होततशय र थ पर हनर उनक ह थ न लग

    ददन िो बीि ज रह थ म अधीर हो उठ थ आशरम म आन व ल हर ऐस आदमी स जो

    इस तवषय म कछ बि सकि थ म पछि छ तकय करि थ पर क िन क इज र िो सिी क

    ही थ अिएव ओन-कोन म पडी हई क िन ज नन व ली सिी िो तकसी सिी को ही ममल सकिी

    थी

    सन १९१७ म मर गजर िी ममि मझ भडौच ततशकष -पररषद म घसीट ल गय थ वह ा

    मह स हसी तवधव बहन गाग ब ई मझ ममली व पढी-ततलखी अमधक नही थी पर उनम तहममि

    और समझद री स ध रणिय जजिनी ततशकषकषि बहनो म होिी ह उसस अमधक थी उनदहोन अपन

    जीवन म असपकयि की जड क ट ड ली थी व बधडक अातयजो म ममलिी और उनकी सव

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    करिी थी उनक प स पस थ पर उनकी अपनी आवकयकि य बहि कम थी उनक शरीर

    कस हआ थ और च ह जह ा अकल ज न म उनदह जर भी जझझक नही होिी थी व घोड की

    सव री क ततलए भी िय र रहिी थी इन बहन क तवशष पररचय गोधर की पररषद म पर पि हआ

    अपन ःख मन उनक स मन रख और दमयािी जजस परक र नल की खोज म भटकी थी उसी

    परक र चरख की खोज म भटकन की परतिजञ करक उनदहोन मर बोझ हलक कर ददय

    गजर ि म अछछी िरह भटक चकन क ब द ग यकव ड क वीज पर ग ाव म गाग बहन को

    चरख ममल वह ा बहि स कटमबो क प स चरख थ जजस उठ कर उनदहोन छि पर चढ ददय

    थ पर यदद कोई उनक सि खरीद ल और उनदह पनी महय कर द िो व क िन को िय र थ

    गाग बहन न मझ खबर भजी मर हषय क कोई प र न रह पनी महय करन क क म मतककल

    म लम हआ सव० भ ई उमर सोब नी स चच य करन पर उनदहोन अपनी ममल स पनी की गछततलय ा

    भजन क जजमम ततलय मन व गछततलय ा गाग बहन क प स भजी और सि इिनी िजी स किन

    लग तक म ह र गय

    भ ई उमर सोब नी की उद रि तवश ल थी तफर भी उसकी हद थी द म दकर पतनय ा लन

    क तनिय करन म मझ साकोच हआ इसक ततसव ममल की पतनयो स सि किव न मझ बहि

    दोषपणय म लम हआ अगर ममल की पतनय ा हम लि ह िो तफर ममल क सि लन म कय दोष

    ह हम र पवयजो क प स ममल की पतनय ा कह ा थी व तकस िरह पतनय ा िय र करि होग मन

    गाग बहन को ततलख और एक हपिज र को खोज तनक ल उस ३५ रपय य इसस अमधक विन

    पर रख गय मझ अमधक विन दन क कोई साकोच नही हआ ब लको को पनी बन न ततसख य

    गय मन रई की कषभकष म ागी भ ई यशवािपरस द दस ई न रई की ग ाठ दन क जजमम ततलय

    गाग बहन न क म एकदम बढ ददय बनकरो को ल कर बस य और कि हआ सि बनव न

    शर तकय वीज पर की ख दी मशहर हो गयी

    दसरी िरफ आशरम म अब चरख क परवश होन म दर न लगी मगनल ल ग ाधी की शोधक

    शतति न चरख म सध र तकय और चरख िथ िकए आशरम म बन आशरम की ख दी क पहल

    थ न की ल गि फी गज सिरह आन आई

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    मन ममिो स मोटी और कछच सि की ख दी क द म सिरह आन फी गज क तहस ब स ततलए जो

    उनदहोन खशी-खशी ददय

    म बमबई म रोगशयय पर पड हआ थ पर सबस पछि रहि थ म ख दीश सि म अभी

    तनपट अन डी थ मझ ह थकि सि की जररि थी कततिनो की जररि थी गाग बहन जो भ व

    दिी थी उसस िलन करन पर म लम हआ तक म ठग रह हा लतकन व बहन कम लन को िय र

    न थी अिएव उनदह छोड दन पड पर उनदहोन अपन क म तकय उनदहोन शरी अवननदिक ब ई शरी

    रमीब ई क मद र शरी शाकरल ल बकर की म ि जी और शरी वसमिीबहन को क िन ततसख ददय

    और मर कमर म चरख गाजन लग यह कहन म अतिशयोतति न होगी तक इस यािन मझ बीम र

    को चाग करन म मदद की बशक यह एक म नततसक असर थ पर मनषय को सवसथ य असवसथ

    करन म मन क तहसस कौन कम होि ह चरख पर मन भी ह थ आजम य तकनदि इसस आग

    म इस समय ज नही सक

    बमबई म ह थ की पतनय ा कस परौपि की ज एा शरी रव शाकर झवरी क बागल क प स स

    रोज एक धतनय ि ाि बज ि हआ तनकल करि थ मन उस बल य वह गददो क ततलए रई

    धन करि थ उसन पतनय ा िय र करक दन सवीक र तकय भ व ऊा च म ाग जो मन ददय

    इस िरह िय र हआ सि मन वषणवो क ह थ ठ करजी की म ल क ततलए द म लकर बच भ ई

    ततशवजी न बमबई म चरख ततसख न क वगय शर तकय इन परयोगो म पस क री खचय हआ

    शरदध ळ दशभिो न पस ददय और मन खचय तकय मर नमर तवच र म यह खचय वयथय नही गय

    उसस बहि-कछ सीखन को ममल चरख की मय यद क म प ममल गय

    अब म कवल ख दीमय बनन क ततलए अधीर हो उठ मरी धोिी दशी ममल क कपड की

    थी वीज पर म और आशरम म जो ख दी बनिी थी वह बहि मोटी और ३० इाच अजय की होिी

    थी मन गाग बहन को चि वनी दी तक अगर व एक महीन क अनददर ४४ इाच अजयव ली ख दी की

    धोिी िय र करक न दगी िो मझ मोटी ख दी की घटनो िक की धोिी पहनकर अपन क म

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    चल न पडग गाग बहन अकल यी मददि कम म लम हई पर व ह री नही उनदहोन एक महीन

    क अनददर मर ततलए ५० इाच अजय क धोिीजोड महय कर ददय और मर द रररय ममट य

    इसी बीच भ ई लकषमीद स ल ठी ग ाव स एक अनदतयज भ ई र मजी और उनकी पतनी

    गाग बहन को आशरम म ल य और उनक दव र बड अजय की ख दी बनव ई ख दी-परच र म इस

    दमपिी क तहसस ऐस -वस नही कह ज सकि उनदहोन गजर ि म और गजर ि क ब हर ह थ

    क सि बनन की कल दसरो को ततसख यी ह

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    ८२ पिामहनत

    अब इन परकरणो को सम पि करन क समय आ पहाच ह

    इसस आग क मर जीवन इिन अमधक स वयजतनक हो गय ह तक श यद ही कोई चीज

    ऐसी हो जजस जनि ज निी न हो

    यह कहन ग़लि नही होग तक इसक आग मरी कलम ही चलन स इनक र करिी ह

    प ठको स तबद लि हए मझ ःख होि ह मर तनकट अपन इन परयोगो की बडी कीमि

    ह म नही ज नि तक म उनक यथ थय वणयन कर सक हा य नही यथ थय वणयन करन म मन कोई

    कसर नही रखी ह सतय को मन जजस रप म दख ह जजस म गय स दख ह उस उसी िरह परकट

    करन क मन सिि परयतन तकय ह और प ठको क ततलए उसक वणयन करक मचि म श ाति क

    अनभव तकय ह कयोतक मन आश यह रखी ह तक इसस प ठको म सतय और अहहिस क परति

    अमधक आसथ उतपनदन होगी

    सतय स कषभनद न कोई परमशवर ह ऐस मन कभी अनभव नही तकय यदद इन परकरणो क

    पनद न-पनद न स यह परिीति न हई हो तक सतयमय बनन क एकम ि म गय अहहिस ही ह िो म इस

    परयतन को वयथय समझि हा परयतन च ह वयथय हो तकनदि वचन वयथय नही ह मरी अहहिस सछची

    होन पर भी कछची ह अपणय ह अिएव हज रो सयो को इकटठ करन स भी जजस सतयरपी सयय

    क िज क पर म प नही तनकल सकि सतय की मरी झ ाकी ऐस सयय की कवल एक तकरण क

    दशयन क सम न ही ह आज िक क अपन परयोगो क अनदि म म इिन िो अवकय कह सकि हा

    तक सतय क सापणय दशयन सापणय अहहिस क तबन असाभव ह

    ऐस वय पक सतय-न र यण क परतयकष दशयन क ततलए जीवम ि क परति आतमवि परम की

    परम आवकयकि ह और जो मनषय ऐस करन च हि ह वह जीवन क तकसी भी कषि स ब हर

    नही रह सकि यही क रण ह तक सतय की मरी पज मझ र जनीति म खीच ल यी ह धमय क

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    र जनीति क स थ कोई साबाध नही ह वह धमय को नही ज नि ऐस कहन म मझ साकोच नही

    होि और न ऐस कहन म म अतवनय करि हा

    तबन आतमशजदध क जीवम ि क स थ ऐकय सध ही नही सकि आतमशजदध क तबन

    अहहिस -धमय क प लन सवयथ असाभव ह अशदध आतम परम तम क दशयन करन म असमथय ह

    अिएव जीवन-म गय क सभी कषिो म शजदध की आवकयकि ह यह शजदध स धय ह कयोतक वयतषट

    और समतषट क बीच ऐस तनकट क साबाध ह तक एक की शजदध अनको की शजदध क बर बर हो

    ज िी ह

    लतकन म परतिकषण यह अनभव करि हा तक शजदध क यह म गय तवकट ह शदध बनन क

    अथय ह मन स बचन स और क य स तनरविक र बनन र ग-दवष दद स रतहि होन इस तनरविक रि

    िक पहाचन क परतिकषण परयतन करि हए भी म पहाच नही प य हा इसततलए लोगो की सिति मझ

    भल व म नही ड ल सकिी उलट यह सिति पर यः िीवर वदन पहाच िी ह मन क तवक रो को

    जीिन सास र को शसि-यदध स जीिन की अपकष मझ अमधक कदठन म लम होि ह तहनदसि न

    आन क ब द भी म अपन भीिर मछप हए तवक रो को दख सक हा शरममनदद हआ हा तकनदि ह र

    नही हा सतय क परयोग करि हए मन आननदद लट ह और आज भी लट रह हा लतकन म ज नि

    हा तक अभी मझ तवकट म गय िय करन ह इसक ततलए मझ शनदयवि बनन ह मनषय जब िक

    सवछछ स अपन को सबस नीच नही रखि िब िक उस मतति नही ममलिी अहहिस नमरि की

    पर क षठ ह ऐसी नमरि क ततलए पर थयन करि हए और उसक ततलए सास र की सह यि की य चन

    करि हए इस समय िो म इन परकरणो को बनदद करि हा

    • Cover Page13
    • सकषिपत आतमकथा
      • ततरीनोध
      • परकाशक का निवदन
      • परसतावना
      • अनकरमाणिका
      • भाग-१ बचपन और यवावसथा
        • १ जनम तथा माता-पिता
        • २ पाठशाला म
        • ३ बाल-विवाह
        • ४ दःखद परसग-मतरी
        • ५ चोरी और परायकषितत
        • ६ पिताजी की बीमारी मतय और शरम
        • ७ धरम की झाकी
        • ८ विलायत की तयारी
        • ९ सटीमर म
          • भाग-२ लडन म विदयारथी क रप म
            • १० लडन म
            • ११ सभय पोशाक म
            • १२ फरफार
            • १३ लजजाशीलता - मरी ढाल
            • १४ असतयरपी विष
            • १५ धरमो का परिचय
              • भाग-३ भारत म बारिसटर क रप म
                • १६ वापस हिदसतान म
                • १७ ससार-परवश
                • १८ पहला आघात
                  • भाग-४ दकषिण अफ़रीका म
                    • १९ दकषिण अफ़रीका पहचा
                    • २० परिटोरिया जात हए
                    • २१ परिटोरिया म पहला दिन
                    • २२ खरिसती सबधी (ईसाइयो स सपरक)
                    • २३ हिनदसतानियो की परशानी का अधययन
                    • २४ मक़ददम की तयारी
                    • २५ को जान कल की
                    • २६ नाताल इनडियन कागरस
                    • २७ तीन पौणड का कर
                      • भाग-५ हिद की मलाकात
                        • २८ हिनदसतान म
                          • भाग-६ वापस दकषिण अफ़रीका
                            • २९ दकषिण अफ़रीका म आगमन और तफ़ान
                            • ३० बचचो की शिकषा और सवावतति
                            • ३१ सादगी
                            • ३२ एक पणयसमरण और परायशचितत
                            • ३३ बोअर-यदध
                            • ३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन
                            • ३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद
                              • भाग-७ दश म
                                • ३६ महासभा (कागरस) परथम बार
                                • ३७ लारड करजन का दरबार
                                • ३८ बमबई म
                                  • भाग-८ दकषिण अफ़रीका म
                                    • ३९ पनः दकषिण अफ़रीका म
                                    • ४० गीता का अभयास
                                    • ४१ इणडियन ओपिनियन
                                    • ४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव
                                    • ४३ फ़ीनिकस की सथापना
                                    • ४४ घरो म परिवरतन तथा बालशिकषा
                                    • ४५ जल-विदरोह
                                    • ४६ बरहमचरय
                                    • ४७ पतनी की दढता
                                    • ४८ घर म सतयागरह
                                    • ४९ सयम की ओर
                                    • ५० वकालत क कछ ससमरण
                                    • ५१ सतयागरह का जनम
                                    • ५२ क़द
                                    • ५३ हमला
                                    • ५४ लडाई की पनरावतति
                                    • ५५ टोलससटोय फारम
                                    • ५६ सतरिया लड़त म शामिल
                                    • ५७ मज़दरो का परवाह
                                    • ५८ ए भवय कच
                                    • ५९ सतयागरह की विजय
                                      • भाग-९ विलायत तथा लडाई
                                        • ६० लडाई म हिससा
                                          • भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना
                                            • ६१ पन म
                                            • ६२ तीसर दज की विडमबना
                                            • ६३ आशरम की सथापना
                                              • भाग-११ चपारन
                                                • ६४ नील का दाग़
                                                • ६५ अहिसा दवी का साकषातकार
                                                • ६६ मक़ददमा वापस लिया गया
                                                • ६७ गरामपरवश
                                                • ६८ नील का दाग़ धल गया
                                                  • भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर
                                                    • ६९ मज़दरो क समपरक म
                                                    • ७० उपवास
                                                      • भाग-१३ खडा सतयागरह
                                                        • ७१ खडा म सतयागरह
                                                        • ७२ पयाज़चोर
                                                        • ७३ खडा की लडाई का अनत
                                                          • भाग-१४ रगरटो की भरती
                                                            • ७४ रगरटो की भरती
                                                            • ७५ मतय-शयया पर
                                                              • भाग-१५ रोलट एकट और राजनीति म परवश
                                                                • ७६ रोलट एकट
                                                                • ७७ वह सपताह
                                                                • ७८ पहाड-जसी भल
                                                                • ७९ नवजीवन और यग इनडिया
                                                                • ८० अमतसर की महासभा (कागरस)
                                                                  • भाग-१६ खादी का जनम
                                                                    • ८१ खादी का जनम
                                                                    • ८२ परणाहति

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      परकाशक का ननवदन

      सतय क परयोग अथवा आतमकथा की िरह उसकी साकषकषपि आवतति की म ाग तनरािर बढिी

      ज रही ह शरी मथर द स तिकमजी दव र िय र की गई साकषकषपि आवतति १९५१ म सवय परथम

      परक ततशि हई थी िब स ही आज िक उसकी ४५०००० परतिय ा तविररि हो चकी ह

      तवदय थी ग ाधीजी क जीवन स पररमचि हो इस उददशय स सवचछछक सासथ ओ क दव र

      आयोजजि परीकष ओ म साकषकषपि आवतति अमधक पसाद की ज िी ह ऐसी परीकष एा अब गजर िी

      िथ हहिदी क स थ स थ अागरजी म धयम की श ल ओ म भी आयोजजि होिी ह

      ग ाधीजी क जीवन क पररचय कर न व ल अागरजी साकषप शरी भ रिन कम रपप न १९५२

      म िय र तकय थ उसको िय र करन म उनदहोन आतमकथा क स थ ही स थ उसक परतिरप

      सम न गराथ जस दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास को भी उपयोग म ततलय थ इस क रण

      स अागरजी साकषप मथर द स तिकमजी क गजर िी साकषप स अमधक म तहिी सभर और समदध

      बन प य ह हहिदी म परीकष दन व ल तवदय रथियो को भी यह उपलबध हो ऐसी परीकष आयोजको

      की म ाग ह इस दतषट स परररि होकर शरी भ रिन कम रपप क साकषप की यह हहिदी आवतति क

      परक शन हो रह ह मल गजर िी गराथो क आध र पर भ रिन कम रपप क अागरजी साकषप क

      मि तबक़ गजर िी आवतति िय र करन क क म नवजीवन क ममि सम न शरी अशोकभ ई भ भटट

      न तकय थ उसक ही आध र पर यह हहिदी आवतति िय र हई ह इस क म म हम री सह यि की

      ह ऐस शरी चनीभ ई ब पटल और शरी लललभ ई रब री क हम आभ री ह

      असल पसिक िथ इसस पहल परततसदध हए साकषप की िरह ही इस पसिक को भी प ठको

      क अपवय परतिस द पर पि होग ही ऐस तवशव स ह

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      परसतावना

      आतमकथ ततलखन क मर आशय नही ह मझ िो आतमकथ क बह न सतय क जो

      अनक परयोग मन तकय ह उसकी कथ ततलखनी ह उसम मर जीवन ओिपरोि होन क क रण

      कथ एक जीवन वि ाि जसी बन ज यगी यह सही ह लतकन उसक हर पनदन पर मर परयोग ही

      परकट हो िो म सवया इस कथ को तनदोष म नाग म ऐस म नि हा तक मर सब परयोगो क पर

      लख जनि क स मन रह िो वह ल भद यक ततसदध होग अथव यो समजझय तक यह मर मोह

      ह र जीनीति क कषि म हए मर परयोगो को िो अब तहनदसि न ज नि ह लतकन मर आधय ततमक

      परयोगो क जजनदह म ही ज न सकि हा और जजनक क रण र जनीति क कषि म मरी शतति भी

      जनदमी ह उन परयोगो क वणयन करन मझ अवशय ही अछछ लगग अगर य परयोग सचमच

      आधय ततमक ह िो इनम गवय करन की गाज इश ही नही इनस िो कवल नमरि की ही वजदध होगी

      जयो जयो म अपन भिक ल क जीवन पर दतषट ड लि ज ि हा तयो-तयो अपनी अलपि सपषट ही

      दख सकि हा

      मझ जो करन ह िीस वषो स म जजसकी आिर भ व स रट लग य हए हा वह िो

      आतमदशयन ह ईशवर क स कष तक र ह मोकष ह मर स र क म इसी दतषट स होि ह मर सब लखन

      भी इसी दतषट स होि ह और मर र जनीति क कषि म पडन भी इसी वसि क अधीन ह लतकन

      ठठ स ही मर यह मि रह ह तक जो एक क ततलए शक य ह वह सबक ततलए भी शक य ह इस

      क रण मर परयोग ख नगी नही हए नही रह उनदह सब दख सक िो मझ नही लगि तक उसस

      उनकी आधय ततमकि कम होगी ऐसी कछ चीज अवशय ह तक जजनदह आतम ही ज निी ह जो

      आतम म ही सम ज िी ह पराि ऐसी वसि दन यह मरी शतति स पर की ब ि ह मर परयोगो म

      आधय ततमकि क मिलब ह नतिक धमय क अथय ह नीति आतम की दतषट स प ली गई नीति ही

      धमय ह

      इसततलए जजन वसिओ क तनणयय ब लक नौजव न और बढ करि ह और कर सकि ह

      इस कथ म उनदही वसिओ क सम वश होग अगर ऐसी कथ म िटसथ भ व स तनरकषभम न रहकर

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      ततलख सका िो उसम स दसर परयोग करनव लो को कछ स मगरी ममलगी इन परयोगो क ब र म म

      तकसी भी परक र की सापणयि क द व नही करि जजस िरह वजञ तनक अपन परयोग अतिशय

      तनयमपवयक तवच रपवयक और ब रीकी स करि ह तफर भी उनस उतपनदन पररण मो को वह

      अननदिम नही कहि अथव व पररण म सतय ही ह इस ब र म भी वह स शाक नही िो िटसथ अवशय

      रहि ह अपन परयोगो क तवषय म मर भी वस ही द व ह मन खब आतम-तनरीकषण तकय ह

      एक-एक भ व की ज ाच की ह उसक पथककरण तकय ह तकनदि उसम स तनकल हए पररण म

      सबक ततलए अातिम ही ह व सच ह अथव व ही सच ह ऐस द व म कभी करन नही च हि

      ह ा यह द व म अवशय करि हा तक मरी दतषट स य सच ह और इस समय िो अातिम जस ही

      म लम होि ह अगर न म लम हो िो मझ उनक सह र कोई भी क यय खड नही करन च तहए

      लतकन म िो पग-पग पर जजन-जजन वसिओ को दखि हा उनक तय जय और गर हय ऐस दो भ ग

      कर लि हा और जजनदह गर हय समझि हा उनक अनस र अपन आचरण बन लि हा और जब

      िक इस िरह बन हआ आचरण मझ अथ यि मरी बजदध को और आतम को सािोष दि ह िब

      िक मझ उसक शभ पररण मो क ब र म अतवचततलि तवशव स रखन ही च तहए

      म िो ततसरय यह च हि हा तक उनम बि य गय परयोगो को दषट नदिरप म नकर सब अपन-

      अपन परयोग यथ शतति और यथ मति कर मझ तवशव स ह तक इस साकमचि कषि म आतमकथ क

      मर लखो स बहि कछ ममल सकग कयोतक कहन योगय एक भी ब ि म मछप ऊा ग नही मझ

      आश ह तक म अपन दोषो क खय ल प ठको को परी िरह द सका ग मझ सतय क श सिीय

      परयोगो क वणयन करन ह म तकिन भल हा इसक वणयन करन की मरी ितनक भी इछछ नही

      ह जजस गज स सवया म अपन को म पन च हि हा और जजसक उपयोग हम सबको अपन-

      अपन तवषय म करन च तहए उसक अनस र िो म अवशय कहाग तक उनस िो अभी भी म दर

      हा

      आशरम स बरमिी मो क गाधी

      २६ वी नवमबर १९२५

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      अनकरमकषिका

      िािीनोध

      परक शक क तनवदन

      परसि वन

      भाग-१ बचपन और यवावसथा

      १ जनदम िथ म ि -तपि

      २ प ठश ल म

      ३ ब ल-तवव ह

      ४ ःखद परसाग-मिी

      ५ चोरी और पर यकषिि

      ६ तपि जी की बीम री मतय और शरम

      ७ धमय की झ ाकी

      ८ तवल यि की िय री

      ९ सटीमर म

      भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

      १० लाडन म

      ११ lsquoसभयrsquo पोश क म

      १२ फरफ र

      १३ लजज शीलि - मरी ढ ल

      १४ असतयरपी तवष

      १५ धमो क पररचय

      भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

      १६ व पस तहनदसि न म

      १७ सास र-परवश

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      १८ पहल आघ ि

      भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

      १९ दकषकषण अफ़रीक पहाच

      २० तपरटोररय ज ि हए

      २१ तपरटोररय म पहल ददन

      २२ खखसिी साबाधी (ईस इयो स सापकय )

      २३ तहनदसि तनयो की परश नी क अधययन

      २४ मक़ददम की िय री

      २५ को ज न कल की

      २६ न ि ल इतनदडयन क ागरस

      २७ िीन पौणड क कर

      भाग-५ हहिद की मलाकात

      २८ तहनदसि न म

      भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

      २९ दकषकषण अफ़रीक म आगमन और िर न

      ३० बछचो की ततशकष और सव वतति

      ३१ स दगी

      ३२ एक पणयसमरण और पर यकषिि

      ३३ बोअर-यदध

      ३४ नगर सर ई-आनददोलन

      ३५ दश-गमन और कीमिी भटसौग द

      भाग-७ दश म

      ३६ मह सभ (क ागरस) परथम ब र

      ३७ ल डय क़जयन क दरब र

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      ३८ बमबई म

      भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

      ३९ पन दकषकषण अफ़रीक म

      ४० गीि क अभय स

      ४१ इचणडयन ओपीतनयन

      ४२ एक पसिक क चमतक री परभ व

      ४३ रीतनकस की सथ पन

      ४४ घरो म पररवियन िथ ब लततशकष

      ४५ lsquoजल-तवरोहrsquo

      ४६ बरहमचयय

      ४७ पतनी की दढि

      ४८ घर म सतय गरह

      ४९ सायम की ओर

      ५० वक लि क कछ सासमरण

      ५१ सतय गरह क जनदम

      ५२ क़द

      ५३ हमल

      ५४ लड ई की पनर वतति

      ५५ टोलसटोय फ मय

      ५६ सतसिय ा लडि म श ममल

      ५७ मजदरो क परव ह

      ५८ ऐ भवय कच

      ५९ सतय गरह की तवजय

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      भाग-९ नवलायत तथा लडाई

      ६० लड ई म तहसस

      भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

      ६१ पण म

      ६२ िीसर दज की तवडमबन

      ६३ आशरम की सथ पन

      भाग-११ चपारन

      ६४ नील क द ग़

      ६५ अहहिस दवी क स कष तक र

      ६६ मक़ददम व पस ततलय गय

      ६७ गर मपरवश

      ६८ नील क द ग़ धल गय

      भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

      ६९ मजदरो क समपकय म

      ७० उपव स

      भाग-१३ खडा सतयागरह

      ७१ खड म सतय गरह

      ७२ lsquoपय जचोर

      ७३ खड की लड ई क अनदि

      भाग-१४ रगरटो की भरती

      ७४ रागरटो की भरिी

      ७५ मतय-शयय पर

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      भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

      ७६ रोलट एकट

      ७७ वह सपि ह

      ७८ पह ड-जसी भल

      ७९ नवजीवन और याग ईतनदडय

      ८० अमिसर की मह सभ (क ागरस)

      भाग-१६ खादी का जनम

      ८१ ख दी क जनदम

      ८२ पण यहति

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      भाग-१ बचपन और यवावसथा

      १ जनम तथा माता-नपता

      ऐसा म लम होि ह तक उिमचाद ग ाधी अथव मर द द ओि ग ाधी टक व ल थ र जनीतिक

      खटपट क क रण उनदह पोरबादर छोडन पड थ और उनदहोन जन गढ र जय म आशरय ततलय थ

      उनदहोन नव ब स हब को ब य ह थ स सल म तकय तकसी न इस परकट अतवनय क क रण पछ

      िो जव ब ममल ldquoद तहन ह थ िो पोरबादर को अरपिि हो चक हrdquo

      ओि ग ाधी क एक क ब द दसर यो दो तवव ह हए थ पहल तवव ह स उनक च र लडक

      थ और दसर स दो इनम प ाचव करमचनदद अथव कब ग ाधी और आखखरी िलसीद स ग ाधी थ

      दोनो भ इयो न ब री-ब री स पोरबादर म दीव न क क म तकय कब ग ाधी मर तपि जी थ

      कब ग ाधी क भी एक क ब द एक यो च र तवव ह हए थ अननदिम पतनी पिलीब ई स एक

      कनदय और िीन पि थ उनम अननदिम म हा

      तपि कटमब-परमी सतय-तपरय शर उद र तकनदि करोधी थ र जय क परति व बहि वफ द र

      थ एक ब र पर नदि क तकसी स हब न र जकोट क ठ करस हब क अपम न तकय थ तपि जी

      न उसक तवरोध तकय स हब न र ज हए कब ग ाधी स म री म ागन क ततलए कह उनदहोन म री

      म ागन स इनक र तकय फलसवरप कछ घाटो क ततलए उनदह हव ल ि म भी रहन पड इस पर

      भी जब व मडग नही िो अाि म स हब न उनदह छोड दन क हकम ददय

      तपि जी न धन बटोरन क लोभ कभी नही तकय इस क रण हम भ इयो क ततलए व बहि

      थोडी समपतति छोड गय थ

      तपि जी की ततशकष कवल अनभव की थी आजकल जजस हम गजर िी की प ाचवी तकि ब

      क जञ न कहि ह उिनी ततशकष उनदह ममली होगी इतिह स-भगोल क जञ न िो तबलकल ही न थ

      तफर भी उनक वय वह ररक जञ न इिन ऊा च दज क थ तक ब रीक स ब रीक सव लो को सलझ न

      म अथव हज र आदममयो स क म लन म भी उनदह कोई कदठन ई नही होिी थी ध रमिक ततशकष

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      नही क बर बर थी पर मजनददरो म ज न स और कथ बगर सनन स जो धमयजञ न असाखय तहनदओ

      को सहज भ व स ममलि रहि ह वह उनम थ आखखर क स ल म एक तवदव न बर हमण की

      सल ह स जो पररव र क ममि थ उनदहोन गीि -प ठ शर तकय थ और रोज पज क समय व

      थोड-बहि शलोक ऊा च सवर स प ठ तकय करि थ

      मर मन पर यह छ प रही ह तक म ि स धवी सिी थी व बहि शरदध ल थी तबन पज -प ठ

      क कभी भोजन न करिी हमश हवली (वषणव-मजनददर) ज िी जबस मन होश साभ ल िबस

      मझ य द नही पडि तक उनदहोन कभी च िम यस क वरि िोड हो व कदठन-स-कदठन वरि शर

      करिी और उनदह तनरविधन पर करिी ततलए हए वरिो को बीम र होन पर भी कभी न छोडिी ऐस

      एक समय की मझ य द ह तक जब उनदहोन च नदर यण क वरि ततलय थ वरि क ददनो म व बीम र

      पडी पर वरि नही छोड च िम यस म एक ब र ख न िो उनक ततलए स म नदय ब ि थी लग ि र

      दो-िीन उपव स िो उनक ततलए म मली ब ि थी एक च िम यस म उनदहोन यह वरि ततलय थ तक

      सययन र यण क दशयन करक ही भोजन करगी उस चौम स म हम ब लक ब दलो क स मन दख

      करि तक कब सरज क दशयन हो और कब म ा भोजन कर यह िो सब ज नि ह तक चौम स म

      अकसर सयय क दशयन लयभ हो ज ि ह मझ ऐस ददन य द ह तक जब हम सरज को दखि और

      कहि ldquoम ा-म ा सरज दीख rdquo और म ा उि वली होकर आिी इिन म सरज मछप ज ि और म ा

      यह कहिी हई लौट ज िी तक ldquoकोई ब ि नही आज भ गय म भोजन नही हrdquo और अपन क म

      म डब ज िी

      म ि वयवह र-कशल थी र ज-दरब र की सब ब ि व ज निी थी रतनव स म उनकी

      बजदध की अछछी कदर होिी थी म ब लक थ कभी-कभी म ि जी मझ भी अपन स थ दरब र

      गढ ल ज िी थी ब -म ास हब क स थ होन व ली ब िो म स कछ मझ अभी िक य द ह

      इन म ि -तपि क घर म सावि १९२५ की भ दो वदी ब रस क ददन अथ यि २ अिबर

      १८६९ को पोरबादर अथव सद म परी म मर जनदम हआ

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      २ पाठशाला म

      मरा बचपन पोरबादर म ही तबि तकसी प ठश ल म मझ भरिी तकय गय थ ऐस कछ समरण

      म ह मतककल स कछ प ड (पह डो को) सीख प य थ उस समय अनदय बछचो क स थ म भी

      महि जी को ततसरय ग ली दन ही सीख थ ऐस समरण म ह और दसर कछ भी य द नही ह

      इस ब ि स मर यह अनम न ह तक मरी बजदध स ध रण होगी िथ समरणशतति भी कमजोर होगी

      पोरबादर स तपि जी र जसथ तनक कोटय क सदसय बनकर र जकोट गय उस समय मरी

      उमर लगभग स ि स ल की होगी मझ र जकोट की गर मश ल म भरिी तकय गय इस श ल

      क ददन मझ अछछी िरह य द ह ततशकषको क न म-ध म भी य द ह पोरबादर की िरह यह ा की

      पढ ई क ब र म भी ज नन ल यक कोई ख स ब ि नही ह म मतककल स स ध रण शरणी क

      तवदय थी रह होऊा ग गर मश ल स उपनगर की श ल म और वह ा स ह ईसकल म यह ा िक

      पहाचन म मर ब रहव ा वषय बीि गय मझ य द नही पडि तक इस बीच मन तकसी भी समय

      ततशकषको को धोख ददय हो न िब िक तकसीको ममि बन न क समरण ह म बहि ही शरमील

      लडक थ और तकसीक भी स थी की सागि स भी दर रहि थ मरी तकि ब िथ मर प ठ ही

      मर अकल स थी थ घाटी बजन क समय पहाचि और प ठश ल क बनदद होि ही घर भ गि

      यह मरी रोज की आदि भ गन शबद म ज न-बझकर ततलख रह हा कयोतक तकसीस ब ि करन

      मझ अछछ न लगि थ स थ ही यह डर भी रहि थ तक कोई मर मज क उड यग िो

      ह ईसकल क पहल ही वषय की परीकष क समय की एक घटन उललखनीय ह ततशकष -

      तवभ ग क इनदसपकटर ज इल स तवदय लय क तनरीकषण करन आय थ उनदहोन पहली ककष क

      तवदय रथियो की वियनी की च ाच करन क ततलए पहली ककष क तवदय रथियो को अागरजी क प ाच शबद

      ततलख य उनम एक शबद कटलrsquo (kettle) थ मन उसक तहजज ग़लि ततलख थ ततशकषक न

      अपन बट की नोक म रकर मझ स वध न तकय लतकन म कयो स वध न होन लग मझ यह

      खय ल ही नही हो सक तक ततशकषक मझ प स व ल लडक की पटटी दखकर तहजज सध र लन को

      कहि ह मन यह म न थ तक ततशकषक िो यह दख रह ह तक हम एक-दसर की पटटी म दखकर

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      चोरी न कर सब लडको क प ाचो शबद सही तनकल और अकल म बवकफ ठहर ततशकषक न

      मझ मरी बवकरी ब द म समझ यी लतकन मर मन पर उनक समझ न क कोई असर न हआ

      म दसर लडको की पटटी म दखकर चोरी करन कभी सीख न सक

      इिन पर भी ततशकषक क परति मर तवनय कभी कम न हआ बडो क दोष न दखन क गण

      मझ म सवभ व स ही थ ब द म इन ततशकषक क दसर दोष भी मझ म लम हए थ तफर भी उनक

      परति मर आदर िो बन ही रह म यह ज नि थ तक बडो की आजञ क प लन करन च तहए

      व जो कह सो करन कर उसक क जी न बनन

      इसी समय क दो और परसाग मझ हमश य द रह ह स ध रणिः प ठश ल की पसिको

      को छोडकर और कछ पढन क मझ शौक नही थ सबक य द करन च तहए उल हन सह

      न ही ज ि ततशकषक को धोख दन ठीक नही इसततलए म प ठ य द करि थ लतकन मन अलस

      ज ि इसस अकसर सबक कछच रह ज ि ऐसी ह लि म दसरी कोई चीज पढन की इछछ क यो

      कर होिी तकनदि तपि जी की खरीदी हई एक पसिक पर मरी दतषट पडी न म थ lsquoशरवण-

      तपिभतति न टकrsquo१ मरी इछछ उस पढन की हई और म उस बड च व क स थ पढ गय उनदही

      ददनो शीश म मचि दख न व ल भी घर-घर आि थ उनक प स मन शरवण क वह दकय भी दख

      जजसम वह अपन म ि -तपि को क ावर म बठ कर य ि पर ल ज ि ह दोनो चीजो क मझ पर

      गहर परभ व पड मन म इछछ होिी तक ldquoमझ भी शरवण क सम न बनन च तहएrdquo शरवण की

      मतय पर उसक म ि -तपि क तवल प मझ आज भी य द ह उस हदय को तहल दन व ल सरो

      न मर मम को झकझोर ददय उस लततलि छनद द को मन ब ज पर बज न सीख ततलय थ मझ

      ब ज सीखन क शौक़ थ और तपि जी न एक ब ज ददल भी ददय थ

      दसरी घटन अनदय एक न टक क साबाध म घटी थी

      इनदही ददनो कोई न टक-का पनी आयी थी और उसक न टक दखन की इज जि मझ ममली

      थी हररिनदर क आखय न२ थ उस न टक को दखि हए म थकि न थ उस ब र-ब र दखन

      की इछछ होिी थी लतकन यो ब र-ब र ज न कौन दि पर अपन मन म मन उस न टक को

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      सकडो ब र खल होग मझ हररिनदर क सपन आि हररिनदर की िरह सतयव दी सब कयो नही

      होिrdquo यह धन बनी रहिी यह परशन म ददनर ि अपन आपको पछि ही रहि थ सतय क प लन

      करि रहन यह मर आदशय बन हररिनदर की घटन सही होगी ऐस मन म न ततलय हररिनदर पर

      जसी तवपततिय ा पडी वसी तवपततियो को भोगन और सतय क प लन करन ही व सितवक सतय

      ह मन यह म न ततलय थ तक उनक समरण करक म खब रोय हा आज मरी बजदध समझिी ह

      तक हररिनदर कोई ऐतिह ततसक वयतति नही थ तफर भी मर तवच र म हररिनदर और शरवण आज

      भी जीतवि ह म म नि हा तक आज भी उन न टको को पढ ा िो मरी आाखो स आास बह तनकलग

      ह ईसकल म मरी तगनिी मनददबजदध तवदय रथियो म नही थी ततशकषको क परम म हमश ही प

      सक थ हर स ल म ि -तपि क न म सकल स तवदय थी की पढ ई और उसक आचरण क साबाध

      म परम णपि भज ज ि थ उनम मर आचरण य अभय स क खर ब होन की टीक कभी न ही

      हई दसरी ककष क ब द मझ इन म भी ममल और प ाचवी िथ छठी ककष म करमशः परतिम ास

      च र और दस रपयो की छ िवतति भी ममली थी इसम मरी होततशय री की अपकष भ गय क अाश

      अमधक थ य छ िवततिय ा सब तवदय रथियो क ततलए नही थी बचलक सोरठव ततसयो म स सवयपरथम

      आन व लो क ततलए थी च लीस-पच स तवदय रथियो की ककष म उस समय सोरठ परदश क तवदय थी

      तकिन हो सकि थ

      मर अपन खय ल ह तक मझ अपनी होततशय री क कोई गवय नही थ परसक र य

      छ िवतति ममलन पर मझ आियय होि थ पर अपन आचरण क तवषय म म बहि सजग थ

      आचरण म दोष आन पर मझ रल ई आ ही ज िी थी मर ह थो कोई भी ऐस क म बन जजसस

      ततशकषको को मझ ड ाटन पड अथव ततशकषको क वस खय ल बन िो वह मर ततलए असहय हो

      ज ि थ मझ य द ह तक एक ब र मझ म र ख नी पडी थी म र क ःख नही थ पर म दणड

      क प ि म न गय इसक मझ बड ःख रह म खब रोय यह परसाग पहली य दसरी ककष

      क ह दसर एक परसाग स िवी ककष क ह उस समय दोर बजी एदलजी गीमी हडम सटर थ व

      तवदय थी-परमी थ कयोतक व तनयमो क प लन करव ि वयवचसथि रीति स क म करि और लि

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      और अछछी िरह पढ ि थ उनदहोन उछच ककष क तवदय रथियो क ततलए कसरि-तकरकट अतनव यय

      कर ददय थ मझ इनस अरमच थी इनक अतनव यय बनन स पहल म कभी कसरि तकरकट य

      फटबॉल म गय ही न थ न ज न म मर शरमील सवभ व ही एकम ि क रण थ अब म दखि

      हा तक वह अरमच मरी भल थी उस समय मर यह ग़लि खय ल बन हआ थ तक ततशकष क स थ

      कसरि क कोई समबनदध नही ह ब द म म समझ तक तवदय भय स म वय य म क अथ यि श रीररक

      ततशकष क म नततसक ततशकष क सम न ही सथ न होन च तहए

      तफर भी मझ कहन च तहए तक कसरि म न ज न स मझ नकस न नही हआ उसक

      क रण यह रह तक मन पसिको म खली हव म घमन ज न की सल ह पढी थी और वह मझ रची

      थी इसक क रण ह ईसकल की उछच ककष स ही मझ हव खोरी की आदि पड गयी थी वह अनदि

      िक बनी रही टहलन भी वय य म िो ह ही इसस मर शरीर अपकष कि सगदठि बन

      अरमच क दसर क रण थ तपि जी की सव करन की िीवर इछछ सकल की छटटी होि

      ही म सीध घर पहाचि और सव म लग ज ि जब कसरि अतनव यय हई िो इस सव म ब ध

      पडी मन तबनिी की तक तपि जी की सव क ततलए मझ कसरि स छटटी दी ज य पर गीमी स हब

      छटटी कयो दन लग एक शतनव र क ददन सबह क सकल थ श म को च र बज कसरि क ततलए

      ज न थ मर प स घडी नही थी आसम न ब दलो स मघर थ इसततलए समय क कोई अनदद ज

      नही रह म ब दलो स धोख ख गय जब कसरि क ततलए पहाच िो सब ज चक थ दसर

      ददन गीमी स हब न ह जजरी दखी िो म गर-ह जजर प य गय मझस क रण पछ गय मन सही-

      सही क रण बि ददय उनदहोन उस सच नही म न और मझ पर एक य दो आन (ठीक रकम क

      समरण नही ह) क जम यन तकय म झठ ठहर मझ बहि ःख हआ कस ततसदध करा तक lsquoम

      झठ नही हाrsquo कोई उप य न रह मन मसोसकर रह गय रोय समझ तक सच बोलन व ल

      और सछच क म करन व ल को ग तरल भी नही रहन च तहए अपनी पढ ई क समय म इस िरह

      की मरी यह पहली और आखखरी गरलि थी मझ धाधली-सी य द ह तक आखखर म वह जम यन

      म फ कर सक थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मन कसरि स िो मतति पर पि कर ही ली तपि जी न हडम सटर को पि ततलख तक सकल

      क समय क ब द व मरी उपचसथति क उपयोग अपनी सव क ततलए करन च हि ह इस क रण

      मझ मतति ममल गयी

      शरीर को वय य म न दन की गलिी क ततलए िो श यद मझ सज नही भोगनी पडी पर

      दसरी एक ग़लिी की सज म आज िक भोग रह हा म यही ज नि तक पढ ई म सनददर लखन

      आवकयक नही ह यह ग़लि खय ल मझ कस हो गय थ

      इस समय क तवदय भय स क दसर दो सासमरण उललखनीय ह बय ह क क रण जो एक

      स ल नषट हआ थ उस बच लन की ब ि दसरी ककष क ततशकषक न मर स मन रखी थी उन ददनो

      पररशरमी तवदय थी को इसक ततलए अनमति ममलिी थी इस क रण िीसरी ककष म म छह महीन

      रह और गरमी की छदटटयो स पहल होन व ली परीकष क ब द मझ चौथी ककष म बठ य गय

      इस ककष स थोडी पढ ई अागरजी म धयम स होन लगिी थी मरी समझ म कछ न आि थ

      भममति भी चौथी ककष स शर होिी थी म उसम तपछड हआ थ ही तिस पर म उस तबलकल

      समझ नही प ि थ भममति-ततशकषक अछछी िरह समझ कर पढ ि थ पर म कछ समझ ही न

      सकि थ म अकसर तनर श हो ज ि कभी-कभी यह भी सोचि तक एक स ल म दो ककष य

      करन क तवच र छोडकर म िीसरी ककष म लौट ज ऊा पर ऐस करन म मरी ल ज ज िी और

      जजन ततशकषक न मरी लगन पर भरोस करक मझ चढ न की ततसर ररश की थी उनकी भी ल ज

      ज िी दोहरी ल ज ज न क भय इस भय स नीच ज न क तवच र िो छोड ही ददय जब परयतन

      करि-करि म यचकलड क िरहव परमय िक पहाच िो अच नक मझ बोध हआ तक भममति िो

      सरल स सरल तवषय ह जजसम कवल बजदध क सीध और सरल परयोग ही करन ह उसम

      कदठन ई क य ह उसक ब द िो भममति मर ततलए सद ही एक सरल और सरस तवषय बन रह

      भममति की अपकष सासकि न मझ अमधक परश न तकय भममति म रटन की कोई ब ि

      थी ही नही जब तक मरी दतषट स सासकि म िो सब रटन ही होि थ यह तवषय भी चौथी ककष

      म शर हआ थ छठी ककष म म ह र सासकि-ततशकषक बहि कड ममज ज क थ तवदय रथियो को

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      अमधक ततसख न क लोभ रखि थ सासकि वगय और फ रसी वगय क बीच एक परक र की होड

      रहिी थी फ रसी ततसख न व ल मौलवी नरम ममज ज क थ तवदय थी आपस म ब ि करि तक

      फ रसी िो बहि आस न ह और फ रसी-ततशकषक बहि भल ह तवदय थी जजिन क म करि ह

      उिन स व सािोष कर लि ह म भी आस न होन की ब ि सनकर ललच य और एक ददन फ रसी

      क वगय म ज कर बठ सासकि-ततशकषक को ःख हआ उनदहोन मझ बल य और कह ldquoयह िो

      समझ तक ि तकन क लडक ह कय ि अपन धमय की भ ष नही सीखग िझ जो कदठन ई

      हो सो मझ बि म िो सब तवदय रथियो को बदढय सासकि ततसख न च हि हा आग चलकर उसम

      रस क घाट पीन को ममलग िझ यो ह रन नही च तहए ि तफर स मर वगय म बठrdquo म शरम य

      ततशकषक क परम की अवगणन न कर सक आज मरी आतम कषणशाकर पाडय क उपक र

      म निी ह कयोतक जजिनी सासकि म उस समय सीख उिनी भी न सीख होि िो आज सासकि

      श सिो म म जजिन रस ल सकि हा उिन न ल प ि मझ िो इस ब ि क पि ि प होि ह तक

      म सासकि अमधक न सीख सक कयोतक ब द म म समझ तक तकसी भी तहनदद ब लक को सासकि

      क अछछ अभय स तकय तबन रहन ही न च तहए

      अब िो म यह म नि हा तक भ रिवषय की उछच ततशकष क प ठयकरम म म िभ ष क

      अतिररि र षटरभ ष हहिदी सासकि फ रसी अरबी और अागरजी क सथ न होन च तहए भ ष ओ

      की इस साखय स तकसीको डरन नही च तहए भ ष पदधतिपवयक ततसख ई ज य और सब तवषयो

      को अागरजी क म धयम स सीखन-सोचन क बोझ हम पर न हो िो ऊपर की भ ष य सीखन ततसरय

      बोझरप न होग बचलक उसम बहि ही आननदद आयग और जो वयतति एक भ ष को श सिीय

      पदधति स सीख लि ह उसक ततलए दसरी क जञ न सलभ हो ज ि ह

      ---------------------------------------------------------------------------------------------- १ यव िपसवी शरवण अपन अाध म ि तपि की सव म रि रहि थ एक समय उसन अपनी क ावर म बठ कर य ि करव रह थ िब र सि म र म क तपि दशरथ न अनज न म उसकी हतय कर ड ली थी

      २ तहनद धमयगराथो क मि तबक हररिनदर सययवाशी थ अपन द नशवरी सवभ व क ततलए पर म कषणकि िथ दढ सतयतपरयि क क रण खय िन म थ तवशव ममि न र ज की कसौटी करन च ह और कठीण कसौटीय ा दव र उसकी परीकष ली यह ा िक तक अपनी पतनी को ड तकन कही और उसकी हतय करव ड ली र ज अस ध रण हहिमि िथ सतयप लन स स री कसौदटय ा को प र कर गय

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      ३ बाल-नववाह

      यह ततलखि हए मन अकल ि ह तक िरह स ल की उमर म मर तवव ह हआ थ आज मरी आाखो

      क स मन ब रह-िरह वषय क ब लक मौजद ह उनदह दखि हा और अपन तवव ह क समरण करि

      हा िो मझ अपन ऊपर दय आिी ह और इन ब लको को मरी चसथति म स बचन क ततलए बध ई

      दन की इछछ होिी ह िरहव वषय म हए अपन तवव ह क मखयि पणय समथयन म मझ एक भी

      नतिक दलील सझ नही सकिी

      उस समय मर मन म अछछ-अछछ कपड पहनन ब ज बजन वर-य ि क समय घोड पर

      चढन बदढय भोजन ममलन एक नई ब ततलक क स थ तवनोद करन आदद की अकषभल ष क ततसव

      दसरी कोई ख स ब ि रही हो इसक मझ समरण नही ह

      हम दोनो परसपर एक दसर को आतहसि आतहसि पहच नन लग और तबन साकोच बोलन

      लग हम दोनो हमवयसक ह लतकन मन िो दखि ही दखि पतितव क अमधक र जम न शर

      कर ददय

      यह ब ि िो थी ही नही तक म अपनी पतनी क ततलए आशाक ल ऊा लतकन ईष य कभी कोई

      क रण दखिी ह भल

      मझ हमश यह ज नन च तहए तक मरी सिी कह ा ज िी ह इसततलए मरी अनमति क तबन

      वह कही ज ही नही सकिी यह चीज हम र बीच ःखद झगड की जड बन गयी तबन अनमति

      क कही भी न ज सकन िो एक िरह की क़द ही हई पर कसिरब ई ऐसी क़द सहन करन व ली

      थी ही नही जह ा इछछ होिी वह ा मझस तबन पछ जरर ज िी म जयो-जयो दब व ड लि तयो-

      तयो वह अमधक सविािि स क म लिी और तयो-तयो म अमधक मचढि इसस हम ब ल पति

      पतनी ऐस ब लको क बीच बोलच ल क बनदद होन एक म मली चीज बन गयी कसिरब ई न जो

      सविािि बरिी उस म तनदोष म नि हा जजस ब ततलक क मन म प प नही ह वह दव-दशयन क

      ततलए ज न पर य तकसीस ममलन ज न पर दब व कयो सहन कर अगर म उस पर दब व ड लि

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      हा िो वह मझ पर कयो न ड ल ndash यह िो अब समझ म आ रह ह उस समय िो मझ अपन

      पतितव ततसदध करन थ

      लतकन प ठक यह न म न तक हम र इस गह-जीवन म कही भी ममठ स नही थी मरी

      वकरि की जड परम म थी म अपनी पतनी को आदशय सिी बन न च हि थ मरी यह भ वन थी

      तक वह सवछछ बन सवछछ रह म सीखा सो सीख म पढा सो पढ और हम दोनो एक-दसर म

      ओिपरोि रह ऐसी भ वन थी

      कसिरब ई म यह भ वन थी य नही इसक मझ पि नही वह तनरकषर थी सवभ व स

      सीधी सविाि महनिी और मर स थ िो कम बोलनव ली थी उस अपन अजञ न क असनदिोष न

      थ अपन बचपन म मन कभी उसकी यह इछछ नही ज नी तक मरी िरह वह भी पढ सक िो

      अछछ हो

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      ४ दःखद परसग-मतरी

      म कह चक हा तक ह ईसकल म मर थोड ही तवशव सप ि ममि थ कह ज सकि ह तक ऐसी

      ममिि रखन व ल दो ममि अलग-अलग समय म रह एक क समबनदध लमब समय िक नही दटक

      यदयतप मन उस ममि को छोड नही थ मन दसर की सोहबि की इसततलए पहल न मझ छोड

      ददय दसरी सोहबि मर जीवन क एक ःखद परकरण ह यह सोहबि बहि वषो िक रही इस

      सोहबि को तनभ न म मरी दतषट सध रक की थी इन भ ई की पहली ममिि मर मझल भ ई क

      स थ थी व मर भ ई की ककष म थ म दख सक थ तक उनम कई दोष ह पर मन उनदह वफ द र

      म न ततलय थ मरी म ि जी मर जठ भ ई और मरी धमयपतनी िीनो को यह सोहबि कडवी लगिी

      थी पतनी की चि वनी को िो म अकषभम नी पति क यो म नन लग म ि की आजञ क उललाघन

      म करि ही न थ बड भ ई की ब ि म हमश सनि थ पर उनदह मन यह कहकर श नदि तकय

      ldquoउसक जो दोष आप बि ि ह उनदह म ज नि हा उसक गण िो आप ज नि ही नही वह मझ

      ग़लि र सि नही ल ज यग कयोतक उसक स थ मर समबनदध उस सध रन क ततलए ही ह मझ यह

      तवशव स ह तक अगर वह सधर ज य िो बहि अछछ आदमी तनकलग म च हि हा तक आप मर

      तवषय म तनभयय रहrdquo म नही म नि तक मरी इस ब ि स उनदह सािोष हआ पर उनदहोन मझ पर

      तवशव स तकय और मझ मर र सि ज न ददय

      ब द म म दख सक तक मर अनम न ठीक नही थ सध र करन क ततलए भी मनषय को

      गहर प नी म नही पठन च तहए जजस सध रन ह उसक स थ ममिि नही हो सकिी ममिि म

      अदवि-भ व होि ह सास र म ऐसी ममिि कवमचि ही प यी ज िी ह ममिि सम न गण व लो

      क बीच शोभिी और तनभिी ह ममि एक-दसर को परभ तवि तकय तबन रह ही नही सकि

      अिएव ममिि म सध र क ततलए बहि कम अवक श रहि ह मरी र य ह तक घतनषठ ममिि

      अतनषट ह कयोतक मनषय दोषो को जलदी गरहण करि ह जो आतम की ईशवर की ममिि च हि

      ह उस एक की रहन च तहए अथव समच सास र क स थ ममिि रखनी च तहए ऊपर क तवच र

      योगय हो अथव अयोगय घतनषठ ममिि बढ न क मर परयोग तनषफल रह

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      जजन ददनो म इन ममि क सापकय म आय उन ददनो र जकोट म सध रपाथ क जोर थ

      मझ इन ममि न बि य तक कई तहनदद ततशकषक मछपमछप म ास ह र और मदयप न करि ह उनदहोन

      र जकोट क दसर परततसदध गहसथो क न म भी ददय मर स मन ह ईसकल म कछ तवदय रथियो क

      न म भी आय मझ िो आियय भी हआ और ःख भी क रण पछन पर यह दलील दी गयी

      ldquoहम म ास ह र नही करि इसततलए परज क रप म हम तनवीयय ह अागरज हम पर इसीततलए र जय

      करि ह तक व म ास ह री ह म तकिन मजबि हा और तकिन दौड सकि हा सो िो िम ज नि

      ही हो इसक क रण भी म ास ह र ही ह म ास ह री को फोड नही होि होन पर झट अछछ हो

      ज ि ह हम र ततशकषक म ास ख ि ह इिन परततसदध वयतति ख ि ह सो कय तबन समझ ख ि ह

      िमह भी ख न च तहए ख कर दखो िो म लम होग तक िम म तकिनी ि कि आ ज िी हrdquo

      य सब दलील तकसी एक ददन नही दी गयी थी अनक उद हरणो स सज कर इस िरह की

      दलील कई ब र दी गयी यह उसक स र ाश ह मर मझल भ ई िो भरषट हो चक थ उनदहोन इन

      दलीलो की पतषट की अपन भ ई की और इन ममि की िलन म म िो बहि बल थ उनक

      शरीर अमधक गठील थ उनक शरीर-बल मझस कही जय द थ व तहममिवर थ इन ममि क

      पर करम मझ मगध कर दि थ व मनच ह दौड सकि थ उनकी गति बहि अछछी थी व खब

      लमब और ऊा च कद सकि थ म र सहन करन की शतति भी उनम खब थी अपनी इस शतति

      क परदशयन भी व मर स मन समय-समय पर करि थ जो शतति अपन म नही होिी उस दसर म

      दखकर मनषय को आियय होि ही ह वस मझ भी हआ आियय म स मोह पद हआ मझम

      दौडन-कदन की शतति नही क बर बर थी म सोच करि तक म भी इन ममि की िरह बलव न

      बन ज ऊा िो तकिन अछछ हो

      इसक अल व म बहि डरपोक थ चोर भि स ाप आदद क डर स मघर रहि थ र ि

      कही अका ल ज न की तहममि नही थी अाधर म िो कही ज ि ही न थ दीय क तबन सोन

      लगभग असाभव थ प स म सोयी हई और अब कछ सय नी बनी हई पतनी स भी अपन इस डर

      की ब ि म कस करि म यह समझ चक थ तक वह मझस जय द तहममि व ली ह इिन म

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      समझ गय थ और इसततलए म शरम ि थ स ाप-भि आदद स डरन िो वह ज निी ही न थी

      अाधर म वह अकली चली ज िी थी मर य ममि मरी इन कमजोररयो को ज नि थ मझस कह

      करि थ तक व िो जजनदद स ापो को भी ह थ स पकड लि ह चोर स कभी नही डरि भि को िो

      म नि ही नही उनदहोन मझ जाच य तक यह स र परि प म ास ह र क ह

      इनदही ददनो नमयद क नीच ततलख पद सकलो म ग य ज ि थ

      अागरजो र जय कर दशी रह दब ई

      दशी रह दब ई जोन बन ा शरीर भ ई

      पलो प ाच ह थ परो परो प ाचसन

      इन सब ब िो क मर मन पर पर -पर असर हआ म तपघल म यह म नन लग तक

      म ास ह र अछछी चीज ह उसस म बलव न और स हसी बनाग समच दश म ास ह र कर िो

      अागरजो को हर य ज सकि ह

      म ास ह र शर करन क ददन तनकषिि हआ

      म म ि -तपि क परम भि थ व चसि वषणव अि म ास ह र मछपक मछपक करन

      थ म म नि थ तक व मर म ास ह र की ब ि ज नग िो तबन मौि क उनकी ितक ल मतय हो

      ज यगी ज न-अनज न म सतय क सवक िो थ ही म ऐस नही कह सकि तक उस समय मझ

      यह जञ न न थ तक म ास ह र करन म म ि -तपि को धोख दन होग यह जञ न उस समय मझ

      नही थ ऐस िो म नही कह सकि

      लतकन मझ िो सध र करन थ म ास ह र क शौक़ नही थ यह सोचकर तक उसम सव द

      ह म म ास ह र शर नही कर रह थ मझ िो बलव न और स हसी बनन थ दसरो को वस

      बनन क ततलए नदयोिन थ और तफर अागरजो को हर कर तहनदसि न को सविाि करन थ सवराजय

      शबद उस समय िक मन सन नही थ सध र क इस जोश म होश भल गय लतकन सविािि क

      अथय म अछछी िरह समझि थ

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      म ि -तपि स क यय को छप न इसम सतय क कोई हर स नही होि तनकषिि ददन आय

      व चसि वषणव अिः म ास ह र चपक चपक स करन थ अपनी चसथति क समपणय वणयन करन

      मर ततलए कदठन ह एक िरफ सध र क उतस ह थ जीवन म महततव क पररवियन करन क

      किहल थ और दसरी िरफ चोर की िरह मछपकर क म करन की शरम थी मझ य द नही

      पडि तक इसम मखय वसि कय थी हम नदी की िरफ एक नदि की खोज म चल दर ज कर ऐस

      कोन खोज जह ा कोई दख न सक और वह ा मन कभी न दखी हई वसि mdash म ास ndash दखी स थ

      म भदटय रख न की ड ल-रोटी थी दोनो म स एक भी चीज मझ भ िी नही थी बकर क म ास

      चमड जस लगि थ ख न असमभव हो गय मझ क होन लगी ख न छोड दन पड

      मरी वह र ि बहि बरी बीिी नीद नही आई सपन म ऐस भ स होि थ म नो शरीर क

      अनददर बकर जजनदद हो और रो रह हो म चौक उठि पछि ि और तफर सोचि तक मझ िो

      म ास ह र करन ही ह तहममि नही ह रनी ह ममि भी ह र ख न व ल नही थ उनदहोन अब म ास

      को अलग-अलग ढाग स पक न सज न और ढाकन क परबनदध तकय नदीतकन र ल ज न क बदल

      तकसी ब वरची क स थ ब िचीि करक मछपमछप एक सरक री ड क-बागल पर ल ज न की

      वयवसथ की और वह ा कसी मज बगर स म न क परलोभन म मझ ड ल इसक असर हआ

      ड ल-रोटी की नररि कछ कम पडी बकर की म य छटी और म ास क िो कह नही सकि पर

      म ास व ल पद थो म सव द आन लग इस िरह एक स ल बीि होग और इस बीच प ाच-छह ब र

      म ास ख न को ममल होग कयोतक ड क-बागल सद सलभ न रहि थ और म ास क सव ददषट

      म न ज न व ल बदढय पद थय भी सद िय र नही हो सकि थ सध र क ततलए मर प स िो फटी

      कौडी भी नही थी इसततलए म कछ द नही सकि थ इस खचय की वयवसथ उन ममिो को ही

      करनी होिी थी उनदहोन कह ा स कस वयवसथ की इसक मझ आज िक पि नही ह उनक

      इर द िो मझ म ास की आदि लग दन क ndash भरषट करन क ndash थ इसततलए पस व अपन प स स

      खचय करि थ पर उनक प स भी कोई अखट खज न नही थ इसततलए ऐसी द वि कभी-कभी

      ही हो सकिी थी

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      जब-जब ऐस भोजन ममलि िब-िब घर पर िो भोजन हो ही नही सकि थ जब

      म ि जी भोजन क ततलए बल िी िब lsquoआज भख नही ह ख न हजम नही हआ ह ऐस बह न

      बन न पडि थ ऐस कहि समय हर ब र मझ भ री आघ ि पहाचि थ यह झठ सो भी म ा क

      स मन और अगर म ि -तपि को पि चल तक लडक म ास ह री हो गय ह िब िो उन पर तबजली

      ही टट पडगी य तवच र मर ददल को करदि रहि थ इसततलए मन तनिय तकय म ास ख न

      आवकयक ह उसक परच र करक हम तहनदसि न को सध रग पर म ि -तपि को धोख दन और

      झठ बोलन िो म ास न ख न स भी बर ह इसततलए म ि -तपि क जीि-जी म ास नही ख न

      च तहए उनकी मतय क ब द सविाि होन पर खल िौर स म ास ख न च तहए और जब िक वह

      समय न आय िब िक म ास ह र क तय ग करन च तहए अपन यह तनिय मन ममि को जि

      ददय और िबस म ास ह र जो छट सो सद क ततलए छट गय म ि -तपि कभी यह ज न ही न

      प य तक उनक दो पि म ास ह र कर चक ह

      म ि -तपि को धोख न दन क शभ तवच र स मन म ास ह र छोड पर वह ममिि नही

      छोडी म ममि को सध रन चल थ पर खद ही तगर और तगर वट क मझ होश िक न रह

      इसी सोहबि क क रण म पतनी की िरफ की वर द री भी चक ज ि िथ वयकषभच र म

      भी फा स ज ि एक ब र मर य ममि मझ वकय ओ की बसिी म ल गय वह ा मझ योगय सचन य

      दकर एक सिी क मक न म भज तहस ब हो चक थ उस कोठरी म म िो तबलकल अाध बन

      गय मझ बोलन क भी होश न रह पर औरि न गसस म आकर मझ दो-च र खरी-खोटी सन यी

      और दरव ज की र ह ददख यी

      उस समय िो मझ ज न पड तक मरी मद यनगी को बटट लग और मन च ह तक धरिी

      जगह द िो म उसम सम ज ऊा पर इस िरह बचन क ततलए मन सद ही भगव न क आभ र

      म न ह

      हम दमपिी क बीच जो कछ मिभद पद होि य कलह होि उसक एक क रण यह

      ममिि भी थी म जस परमी वस ही वहमी पति थ मर वहम को बढ नव ली यह ममिि थी

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      कयोतक ममि की सछच ई क ब र म मझ कोई सनददह थ ही नही इन ममि की ब िो म आकर मन

      अपनी धमयपतनी को तकिन ही कषट पहाच य ह इस हहिस क ततलए मन अपन को कभी म र नही

      तकय ह ऐस ःख तहनदद सिी ही सहन करिी ह और इस क रण मन सिी को सद सहनशीलि

      की मरिि क रप म दख ह नौकर पर झठ शक तकय ज य िो वह नौकरी छोड दि ह पि पर

      ऐस शक हो िो वह तपि क घर छोड दि ह ममिो क बीच शक पद हो िो ममिि टट ज िी

      ह सिी को पति पर शक हो िो वह मन मसोस कर बठी रहिी ह पर अगर पति पतनी पर शक

      कर िो पतनी बच री क िो भ गय ही फट ज ि ह वह कह ा ज य तहनदद सिी अद लि म ज कर

      बाधी हई ग ाठ को कटव भी नही सकिी इस िरह क नदय य मन ददय इसक ःख को म कभी

      नही भल सकि मरी धमयपतनी को इस िरह की चसथति म रखन क ततलए म अपन आपको कभी

      भी म र नही कर सकि य नही भल सकि हा इस सनददह की जड िो िभी कटी जब मझ

      अहहिस क सकषम जञ न हआ य नी जब म बरहमचयय की मतहम को समझ और यह समझ तक

      पतनी पति की द सी नही पर उसकी सहच ररणी ह सहधरमिणी ह दोनो एक-दसर क सख-ःख

      क सम न स झद र ह और भल -बर करन की जजिनी सविािि पति को ह उिनी ही पतनी को

      ह सनददह क उस क ल को जब म य द करि हा िो मझ अपनी मखयि और तवषय नदध तनदययि

      पर करोध आि ह और ममिि -तवषयक अपनी मछछ य पर दय आिी ह

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      ५ चोरी और परायकषितत

      माासाहार क समय क और उसस पहल क कछ दोषो क वणयन अभी रह गय ह य दोष तवव ह

      स पहल क अथव उसक िरनदि ब द क ह

      अपन एक ररकिद र क स थ मझ बीडी पीन क शौक़ लग हम दोनो म स तकसीक यह

      खय ल िो नही थ तक बीडी पीन म कोई फ यद ह अथव उसकी गनदध म आननदद ह पर हम

      लग तक ततसरय धआा उड न म ही कछ मज ह मर क क जी को बीडी पीन की आदि थी उनदह

      और दसरो को धआा उड ि दखकर हम भी बीडी फा कन की इछछ हई ग ाठ म पस िो थ नही

      इसततलए क क जी पीन क ब द बीडी क जो lsquoठा ठrsquo फ क दि हमन उनदह चर न शर तकय

      पर बीडी क य ठा ठ हर समय ममल नही सकि थ और उनम स बहि धआा भी नही

      तनकलि थ इसततलए नौकर की जब म पड दो-च र पसो म स हमन एक ध पस चर न की

      आदि ड ली और हम बीडी खरीदन लग पर सव ल यह पद हआ तक उस साभ ल कर रख

      कह ा हम ज नि थ तक बडो क दखि िो बीडी पी ही नही सकि जस-िस दो-च र पस चर कर

      कछ हफि क म चल य इस बीच सन तक एक परक र क पौध होि ह (उसक न म िो म भल

      गय हा) जजसक डाठल बीडी की िरह जलि ह और फा क ज सकि ह हमन उनदह पर पि तकय

      और फा कन लग

      पर हम सािोष नही हआ अपनी पर धीनि हम अखरन लगी हम ःख इस ब ि क थ

      तक बडो की आजञ क तबन हम कछ भी नही कर सकि थ हम ऊब गय और हमन आतमहतय

      करन क तनिय कर ततलय

      पर आतमहतय कस कर जहर कौन द हमन सन तक धिर क बीज ख न स मतय होिी

      ह हम जागल म ज कर बीज ल आय श म क समय िय तकय कद रन थजी क मजनददर की

      दीपम ल म घी चढ य दशयन तकय और एक नदि खोज ततलय पर जहर ख न की तहममि न हई

      अगर िरनदि ही मतय न हई िो कय होग मरन स ल भ कय कयो न पर धीनि ही सह ली ज य

      तफर भी दो-च र बीज ख य अमधक ख न की तहममि ही न पडी दोनो मौि स डर और यह तनिय

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      तकय तक र मजी क मजनददर म ज कर दशयन करक श नदि हो ज एा और आतमहतय की ब ि भल

      ज एा

      मरी समझ म आय तक आतमहतय क तवच र करन सरल ह आतमहतय करन सरल

      नही इसततलए कोई आतमहतय करन की धमकी दि ह िो मझ पर उसक बहि कम असर होि

      ह अथव यह कहन ठीक होग तक कोई असर होि ही नही

      आतमहतय क इस तवच र क पररण म यह हआ तक हम दोनो जठी बीडी चर कर पीन की

      और नौकर क पस चर कर बीडी खरीदन और फा कन की आदि भल गय तफर बडपन म बीडी

      पीन की कभी इछछ नही हई मन हमश यह म न ह तक यह आदि जागली गनददी और ह तनक रक

      ह तनय म बीडी क इिन जबरदसि शौक़ कयो ह इस म कभी समझ नही सक हा

      रलग डी क जजस मडब म बहि बीडी पी ज िी ह वह ा बठन मर ततलए मतककल हो ज ि ह और

      उसक धएा स मर दम घटन लगि ह

      उपर क दोष क अल व मझस चोरी क दसर जो दोष हआ उस म अमधक गमभीर म नि

      हा बीडी क दोष क समय मरी उमर ब रह-लरह स ल की रही होगी श यद इसस कम भी हो

      दसरी चोरी क समय मरी उमर पनदरह स ल की रही होगी यह चोरी मर म ास ह री भ ई क सोन

      क कड क टकड की थी उन पर म मली-स लगभग पचीस रपय क क़जय हो गय थ मर

      भ ई क ह थ म सोन क ठोस कड थ उसम स एक िोल सोन क ट लन मतककल न थ

      कड कट क़जय अद हआ पर मर ततलए यह ब ि असहय हो गयी मन तनिय तकय तक

      आग कभी चोरी करा ग ही नही मझ लग तक तपि जी क सममख अपन दोष सवीक र भी कर

      लन च तहए पर जीभ न खली तपि जी सवया मझ पीटग इसक डर िो थ ही नही मझ य द

      नही पडि तक उनदहोन कभी हम म स तकसी भ ई को पीट हो पर खद ःखी होग मन सोच तक

      यह जोखखम उठ कर भी दोष क़बल कर ही लन च तहए उसक तबन शजदध नही होगी

      आखखर मन िय तकय तक मचटठी ततलखकर दोष सवीक र तकय ज य और कषम म ाग ली

      ज य मन मचटठी ततलखकर ह थोह थ दी मचटठी म स र दोष सवीक र तकय और सज च ही

      आगरहपवयक तबनिी की तक व अपन को ःख म न ड ल और भतवषय म तफर ऐस अपर ध न

      करन की परतिजञ की

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      मन क ापि ह थो मचटठी तपि जी क ह थ म दी म उनक िखि क स मन बठ गय उन

      ददनो व भगनददर की बीम री स पीमडि थ इस क रण तबसिर पर ही पड रहि थ खदटय क बदल

      लकडी क िखि क म म ल ि थ

      उनदहोन मचटठी पढी आाखो स मोिी की बाद टपकी मचटठी भीग गयी उनदहोन कषण भर क

      ततलए आाख मादी मचटठी फ ड ड ली और सवया पढन क ततलए उठ बठ थ सो व पस लट गय

      म भी रोय तपि जी क ःख समझ सक अगर म मचिक र होि िो वह मचि आज

      समपणयि स खीच सकि आज भी वह मरी आाखो क स मन इिन सपषट ह

      मोिी की बादो क उस परमब ण न मझ बध ड ल म शदध बन इस परम को िो अनभवी

      ही ज न सकि ह

      र मब ण व गय ा र होय ि ज ण३

      मर ततलए यह अहहिस क पद थयप ठ थ उस समय िो मन इसम तपि क परम क ततसव

      और कछ नही दख पर आज म इस शदध अहहिस क न म स पहच न सकि हा ऐसी अहहिस क

      वय पक रप ध रण कर लन पर उसक सपशय स कौन बच सकि ह ऐसी वय पक अहहिस की

      शतति की थ ह लन असमभव ह

      इस परक र की श नदि कषम तपि जी क सवभ व क तवरदध थी मन सोच थ तक व करोध

      करग कट वचन कहग श यद अपन ततसर पीट लग पर उनदहोन इिनी अप र श ननदि जो ध रण

      की मर तवच र म उसक क रण अपर ध की सरल सवीकति थी जो मनषय अमधक री क सममख

      सवछछ स और तनषकपट भ व स अपन अपर ध सवीक र कर लि ह और तफर कभी वस अपर ध

      न करन की परतिजञ करि ह वह शदधिम पर यकषिि करि ह

      म ज नि हा तक मरी इस सवीकति स तपि जी मर तवषय म तनभयय बन और उनक मह न

      परम और भी बढ गय

      _________________

      ३ र म की भतति क ब ण जजस लग हो वही ज न सकि ह

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      ६ नपताजी की बीमारी मतय और शरम

      उस समय म सोलह वषय क थ हम ऊपर दख चक ह तक तपि जी भगनददर की बीम री क क रण

      तबलकल शयय वश थ उनकी सव म अमधकिर म ि जी घर क एक पर न नौकर और म रहि

      थ मर जजमम नसय क क म थ उनक घ व धोन उसम दव ड लन मरहम लग न क समय

      मरहम लग न उनदह दव तपल न और जब घर पर दव िय र करनी हो िो िय र करन यह मर

      ख स क म थ र ि हमश उनक पर दब न और इज जि दन पर अथव उनक सो ज न पर

      सोन यह मर तनयम थ मझ यह सव बहि तपरय थी मझ समरण नही ह तक इसम तकसी भी

      ददन चक होऊा ख न-पीन क ब द क मर समय सकल म अथव तपि जी की सव म ही बीिि

      थ जजस ददन उनकी आजञ ममलिी और उनकी िबीयि ठीक रहिी उस ददन श म को टहलन

      ज ि थ

      अवस न की घोर र ति समीप आई र ि क स ढ दस य गय रह बज होग म पर दब रह

      थ च च जी न मझस कह ldquoज अब म बठा ग rdquo म खश हआ और सीध शयन-गह म पहाच

      पतनी िो बच री गहरी नीद म थी पर म सोन कस दि मन उस जग य प ाच-स ि ममनट बीि

      होग नौकर न आकर तकव ड खटखट य ldquoउठो ब प बहि बीम र हrdquo म ज नि थ तक व

      बहि बीम र िो थ ही इसततलए यह ा बहि बीम र क तवशष अथय समझ गय एकदम तबसिर स

      कद पड

      ldquoकह िो सही ब ि क य हrdquo

      जव ब ममल ldquoब प गजर गयrdquo

      मर पछि न तकस क म आि म बहि शरम य बहि ःखी हआ दौडकर तपि जी

      क कमर म पहाच ब ि मरी समझ म आयी तक अगर म तवषय नदध न होि िो इस अननदिम घडी

      म यह तवयोग मझ नसीब न होि

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      इस क ल द ग़ को म आज िक ममट नही सक भल नही सक और मन हमश म न ह

      तक यदयतप म ि -तपि क परति मरी अप र भतति थी उसक ततलए म सब कछ छोड सकि थ

      िथ तप सव क समय भी भर मन तवषय को छोड नही सकि थ यह उस सव म रही हई

      अकषमय िदट थी इसस मि होन म मझ बहि समय लग और मि होन स पहल कई धमय-साकट

      सहन पड

      जजन ब ल-दमपिी को चिन हो व इस दषट नदि स चि

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      ७ धमम की झााकी

      म वषणव समपरद य म जनदम थ इसततलए हवली म ज न क परसाग ब र-ब र आि थ पर उसक

      परति शरदध उतपनदन नही हई हवली क वभव मझ अछछ नही लग हवली म चलन व ली अनीति

      की ब ि सनकर मन उसक परति उद सीन बन गय वह ा स मझ कछ भी न ममल

      पर जो हवली स न ममल वह मझ अपनी ध य रमभ स ममल रमभ हम र पररव र की

      पर नी नौकर नी थी उसक परम मझ आज भी य द ह म ऊपर कह चक हा तक मझ भि-परि

      आदद क डर लगि थ रमभ न मझ समझ य तक इसकी दव र मन म ह मझ िो र मन म स

      भी अमधक शरदध रमभ पर थी इसततलए बचपन म भि-परि दद क भय स बचन क ततलए मन र मन म

      जपन शर तकय यह जप बहि समय िक नही चल पर बचपन म जो बीज बोय गय वह

      नषट नही हआ आज र मन म मर ततलए अमोघ शतति ह म म नि हा तक उसक मल म रमभ ब ई

      क बोय हआ बीज ह

      तपि जी की बीम री क थोड समय पोरबादर म बीि थ वह ा व र मजी क मनछदर म रोज

      र ि क समय र म यण सनि थ सन न व ल र मचनदरजी क परम भि थ ल ध मह र ज क

      कणठ मीठ थ व दोह -चौप ई ग ि और अथय समझ ि थ खद उसक रस म िललीन हो ज ि

      थ िथ शरोि जनो को भी रस िललीन कर दि थ उस समय मरी उमर िरह स ल की रही होगी

      पर य द पडि ह तक उनक प ठ म मझ खब रस आि थ यह र म यण-शरवण र म यण क परति

      मर अतयमधक परम की बतनय द ह आज म िलसीद स की र म यण को भततिम गय क सवोततिम

      गराथ म नि हा

      र जकोट म मझ अन य स ही सब समपरद यो क परति सम न भ व रखन की ततशकष ममली

      मन तहनदद धमय क परतयक समपरद य क आदर करन सीख कयोतक म ि -तपि वषणव-मजनददर म

      ततशव लय म और र म-मजनददर म भी ज ि और भ इयो को भी स थ ल ज ि य भजि थ

      तफर तपि जी क प स जन धम यच यो म स भी कोई न कोई हमश आि रहि थ तपि जी

      उनदह कषभकष भी दि थ व तपि जी क स थ धमय और वयवह र की ब ि तकय करि थ इसक ततसव

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      तपि जी क मसलम न और प रसी ममि भी थ व अपन-अपन धमय की चच य करि और तपि जी

      उनकी ब ि समम नपवयक और अकसर रसपवयक सन करि थ नसय होन क क रण ऐसी चच य

      क समय म अकसर ह जजर रहि थ इस स र व ि वरण क परभ व मझ पर यह पड तक मझम

      सब धमो क ततलए सम न भ व पद हो गय

      एक ईस ई धमय अपव दरप थ उसक परति कछ अरमच थी उसक क रण थ उन ददनो

      कछ ईस ई ह ईसकल क कोन पर खड होकर वय खय न ददय करि थ व तहनदद दवि ओ की और

      तहनदद धमय को म नन व लो की बर ई करि थ मझ वह असहय म लम हआ म एक ध ब र ही

      वय खय न सनन क ततलए खड रह होऊा ग दसरी ब र तफर वह ा खड रहन की इछछ ही न हई

      उनदही ददनो एक परततसदध तहनदद क ईस ई बनन की ब ि सनी ग ाव म चच य थी तक उनदह ईस ई धमय

      की दीकष दि समय गोम ास खखल य गय और शर ब तपल यी गयी उनकी पोश क भी बदल दी

      गयी और ईस ई बनन क ब द व भ ई कोट-पिलन और अागरजी टोपी पहनन लग इन ब िो स

      मझ पीड पहाची जजस धमय क क रण गोम ास ख न पड शर ब पीनी पड और अपनी पोश क

      बदलनी पड उस धमय कस कह ज य मर मन न यह दलील की तफर यह भी सनन म आय तक

      जो भ ई ईस ई बन थ उनदहोन अपन पवयजो क धमय की रीति-ररव जो की और दश की तननद द

      करन शर कर ददय थ इन सब ब िो स मर मन म ईस ई धमय क परति अरमच उतपनदन हो गयी

      इस िरह यदयतप दसर धमो क परति समभ व ज ग तफर भी यह नही कह ज सकि तक

      मझम ईशवर क परति आसथ थी

      पर एक चीज न मन म जड जम ली ndash यह सास र नीति पर दटक हआ ह नीतिम ि क

      सम वश सतय म ह सतय को िो खोजन ही होग ददन-पर-ददन सतय की मतहम मर तनकट

      बढिी गयी सतय की वय खय तवसिि होिी गयी और अभी भी हो रही ह

      तफर नीति क एक छपपय ददल म बस गय अपक र क बदल अपक र नही उपक र

      ही हो सकि ह यह एक जीवन-सि ही बन गय उसन मझ पर स मर जय चल न शर तकय

      इसक अनतगनि परयोग तकय वह चमतक री छपपय यह ह

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      प णी आपन प य भला भोजन िो दीज

      आवी नम व शीश दाडवि कोड कीज

      आपण घ स द म क म महोरोना करीए

      आप उग र पर ण ि िण ःखम ा मरीए

      गण कड िो गण दश गणो मन व च कम करी

      अवगण कड जो ग गण कर ि जगम ा जीतयो सही४

      _______________________

      ४ जो हम प नी तपल य उस हम अछछ भोजन कर य जो आकर हम र स मन ततसर नव य उस हम उमाग स

      दणडवि परण म कर जो हम र ततलए एक पस खचय कर उसक हम महरो की कीमि क क म कर द जो हम र

      पर ण बच व उसक ःख दर करन क ततलए हम अपन पर ण िक तनछ वर कर द जो हम र उपक र कर उसक

      िो हम मन बचन और कमय स दस गन उपक र करन ही च तहए लतकन जग म सछच और स थयक जीन उसीक

      ह जो अपक र करन व ल क परति भी उपक र करि ह

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      ८ नवलायत की तयारी

      मटरिकयलशन की परीकष म उिीणय हो ज न क उपर नदि बडो की इछछ थी तक प स हो ज न पर

      मझ आग कोलज की पढ ई करनी च तहए कोलज बमबई म भी थ और भ वनगर म भी

      भ वनगर क खचय कम थ इसततलए भ वनगर क श मलद स कोलज म भरिी होन क तनिय

      हआ कोलज म मझ कछ आि न थ सब कछ मतककल म लम होि थ अधय पको क

      वय खय नो म न रस आि और न म उनदह समझ प ि इसम दोष अधय पको क नही मरी

      कमजोरी क ही थ उस समय क श मलद स कोलज क अधय पक िो परथम पातति क म न ज ि

      थ पहल सि पर करक म घर आय

      कटमब क पर न ममि और सल हक र एक तवदव न वयवह र-कशल बर हमण म वजी दव थ

      तपि जी क सवगयव स क ब द भी उनदहोन कटमब क स थ समबनदध बन य रख थ व छटटी क इन

      ददनो म घर आय म ि जी और बड भ ई क स थ ब िचीि करि हए उनदहोन मरी पढ ई क ब र

      म पछि छ की जब सन तक म श मलद स कोलज म हा िो बोल ldquoजम न बदल गय ह िम

      भ इयो म स कोई कब ग ाधी की गददी साभ लन च ह िो तबन पढ ई क वह नही होग यह लडक

      अभी पढ रह ह इसततलए गददी साभ लन को बोझ इसस उठव न च तहए इस च र-प ाच स ल िो

      अभी बी० ए० होन म लग ज एाग और इिन समय दन पर भी इस ५०-६० रपय की नौकरी

      ममलगी दीव नगीरी नही और अगर उसक ब द इस मर लडक की िरह वकील बन य िो थोड

      वषय और लग ज एाग और िब िक िो दीव नगीरी क ततलए वकील भी बहि स िय र हो चक ग

      आपको इस तवल यि भजन च तहए नय आय हए ब ररसटरो को दखो व कस ठ ठ स रहि ह

      व च ह िो उनदह दीव नगीरी आज ममल सकिी ह मरी िो सल ह ह तक आप मोहनद स को इसी

      स ल तवल यि भज दीजजए तवल यि म मर कवलर म क कई दोसि ह वह उनक न म ततसर ररशी

      पि द दग िो इस वह ा कोई कदठन ई नही होगीrdquo

      जोशीजी न (म वजी दव को हम इसी न म स पक रि थ) मरी िरर दखकर मझस ऐस

      लहज म पछ म नो उनकी सल ह क सवीकि होन म उनदह कोई शाक ही न हो

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      कयो िझ तवल यि ज न अछछ लगग य यही पढि रहन rdquo मझ जो भ ि थ वही

      वदयन बि ददय म कोलज की कदठन इयो स डर िो गय ही थ मन कह ldquoमझ तवल यि भज

      िो बहि ही अछछ हrdquo

      बड भय सोच म पड गय मझ भजन क ततलए रपयो क बादोबसि परबाध कस तकय ज य

      इिन ही नही मझ जस नवयव को तवदश कस भज ज यrdquo

      म ि जी कस समझिी उनदहोन सब िरह की पछि छ शर कर दी थी कोई कहि

      नौजव न लोग तवल यि ज कर तबगड ज ि ह कोई कहि व म ास ह र करन लगि ह कोई

      कहि वह ा शर ब क तबन िो चलि ही नही म ि जी न मझ य स री ब ि सन यी इन स री

      ब िो क कय मन कह ldquoपर ि मर तवशव स नही करगी म िझ धोख नही दाग शपथपवयक

      कहि हा तक म इन िीनो चीजो स बचाग अगर ऐस खिर होि िो जोशीजी क यो ज न

      दिrdquo

      म ि जी बोली ldquoमझ िर तवशव स ह पर दर दश म कय होग मरी िो अकल क म नही

      करिी म बचरजी सव मी स पछागीrdquo

      बचरजी सव मी मोढ बतनयो म स बन हए एक जन स ध थ जोशीजी की िरह व भी हम र

      सल हक र थ उनदहोन मदद की व बोल ldquoम इस लडक स इन िीनो चीजो क वरि ततलव ऊा ग

      तफर इस ज न दन म कोई ह तन नही होगीrdquo उनदहोन परतिजञ ततलव यी और मन म ास मददर िथ

      सिी-साग स दर रहन की परतिजञ की म ि जी न आजञ दी

      ह ईसकल म सभ हई र जकोट क एक यवक तवल यि ज रह ह यह आियय क तवषय

      बन म जव ब क ततलए कछ ततलखकर ल गय थ जव ब दि समय उस मतककल स पढ प य

      मझ इिन य द ह तक मर ततसर घम रह थ और शरीर क ाप रह थ

      म ि जी की आजञ और आशीव यद लकर और पतनी क गोद म कछ महीनो क ब लक

      छोडकर म उमागो क स थ बमबई पहाच पहाच िो गय पर वह ा ममिो न भ ई को बि य तक जन-

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      जल ई म तहनदद मह स गर म िर न आि ह और मरी यह पहली ही समरी य ि ह इसततलए नवमबर

      म रव न करन च तहए

      इस बीच ज ति म खलबली मची ज ति की सभ बल यी गयी मझस जव ब िलब तकय

      ज न च तहए मझ पाच यि म ह जजर रहन क हकम ममल म गय म नही ज नि तक मझम

      अच नक तहममि कह ा स आ गयी ह जजर रहन म मझ न िो साकोच हआ न डर लग ज ति क

      सरपाच क स थ दर क कछ ररकि भी थ तपि जी क स थ उनक समबनदध अछछ थ उनदहोन

      मझस कह

      ldquoज ति क खय ल ह तक िन तवल यि ज न क जो तवच र तकय ह वह टीक नही ह

      हम र धमय म समर प र करन की मन ही ह तिस पर यह भी सन ज ि ह तक वह ा धमय की रकष

      नही हो प िी वह ा स हब लोगो क स थ ख न -पीन पडि हrdquo

      मन जव ब ददय ldquoमझ िो लगि ह तक तवल यि ज न म लशम ि भी अधमय नही ह मझ

      िो वह ा ज कर तवदय धययन ही करन ह तफर जजन ब िो क आपको डर ह उनस दर रहन की

      परतिजञ मन अपनी म ि जी क सममख ली ह इसततलए म उनस दर रह सका ग rdquo

      सरपाच बोल ldquoपर हम िझस कहि ह तक वह ा धमय की रकष हो ही नही सकिी ि ज नि

      ह तक िर तपि जी क स थ मर कस समबनदध थ िझ मरी ब ि म ननी च तहएrdquo

      मन जव ब म कह आपक स थ क समबनदध को म ज नि हा आप तपि क सम न ह

      पर इस ब र म म ल च र हा तवल यि ज न क अपन तनिय म बदल नही सकि जो तवदव न

      बर हमण मर तपि जी क ममि और सल हक र ह व म नि ह तक मर तवल यि ज न म कोई दोष

      नही ह मझ अपनी म ि जी और अपन भ ई की अनमति भी ममल चकी हrdquo

      ldquoपर ि ज ति क हकम नही म नग rdquo

      ldquoम ल च र हा मर खय ल ह तक इसम ज ति को दखल नही दन च तहएrdquo

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      इस जव ब स सरपाच गसस हए मझ दो-च र ब ि सन यी म सवसथ बठ रह सरपाच न

      आदश ददय

      ldquoयह लडक आज स ज तिछयि म न ज यग जो कोई इसकी मदद करग अथव इस

      तबद करन ज यग पाच उसस जव ब िलब करग और उसस सव रपय दणड क ततलय ज यग rdquo

      यझ पर इस तनिय क कोई असर नही हआ मन सरपाच स तबद ली अब सोचन यह

      थ तक इस तनिय क मर भ ई पर कय असर होग सौभ गय स व दढ रह और मझ ततलख भज

      तक ज ति क तनिय क ब वजद व मझ तवल यि ज न स नही रोक ग

      ममिो न मर ततलए जगह भी तरयमबकर य मजमद र (जन गढ क वकील क न म) की कोठरी

      म ही रखी थी उनस मर तवषय म कह भी ददय थ व िो परौढ उमर क अनभवी सजजन थ म

      तनय क अनभव स शनदय अठ रह स ल क नौजव न थ मजमद र न ममिो स कह ldquoआप

      इसकी तरकर न करrdquo

      इस िरह १८८८ क ततसिमबर महीन की ४ ि रीख को मन बमबई क बनददरग ह छोड

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ९ सटीमर म

      अगरज़ी म ब ि करन की मझ आदि ही न थी दसर दज क सलन म मजमद र को छोडकर दसर

      सब मस तफर अागरज थ म उनक स थ बोल न प ि थ व मझस बोलन क परयतन करि िो म

      समझ न प ि और समझ लि िो जव ब कय दन सो सझि न थ बोलन स पहल हरएक

      व कय को जम न पडि थ क ाट-चममच स ख न आि न थ और तकस पद थय म म ास नही

      ह यह पछन की तहममि नही होिी थी इसततलए म ख न की मज पर िो कभी गय ही नही अपनी

      कोठरी म ही ख ि थ अपन स थ ख स करक जो ममठ ई बगर ल य थ उनदही स मन क म

      चल य मजमद र की िो कोई साकोच नही थ व सबक स थ घलममल गय थ डक पर भी

      आज दी स ज ि थ म स र ददन कोटरी म बठ रहि थ कभी-कद स जब डक पर थोड लोग

      होि िो कछ दर वह ा ज कर बठ लि थ मजमद र मझ समझ ि तक सबक स थ घलो-ममलो

      आज दी स ब िचीि करो व मझस यह भी कहि तक वकील की जीभ खब चलनी च तहए वकील

      क न ि व अपन अनभव सन ि और कहि तक अागरजी हम री भ ष नही ह उसम गलतिय ा िो

      होगी ही तफर भी खलकर बोलि रहन च तहए पर म अपनी भीरि छोड न प ि थ

      मझ पर दय करक एक भल अागरज न मझस ब िचीि शर की व उमर म बड थ म

      कय ख ि हा कौन हा कह ा ज रह हा तकसीस ब िचीि क यो नही करि आदद परशन व पछि

      रहि उनदहोन मझ ख न की मज पर ज न की सल ह दी म ास न ख न क मर आगरह की ब ि

      सनकर व हास और मझ पर िरस ख कर बोल ldquoयह ा िो (पोटयसईद पहाचन स पहल िक) ठीक

      ह पर तबसक की ख डी म पहाचन पर िम अपन तवच र बदल लोग इागलड म िो इिनी ठाड पडिी

      ह तक म ास ख य तबन चलि ही नही

      मन कह ldquoमन सन ह तक वह ा लोग म ास ह र क तबन रह सकि हrdquo

      व बोल ldquoइस ग़लि समझो अपन पररमचिो म म ऐस तकसी आदमी को नही ज नि जो

      म ास न ख ि हो सनो म शर ब पीि हा पर िमह पीन क ततलए नही कहि लतकन म समझि

      हा तक िमह म ास िो ख न ही च तहएrdquo

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मन कह ldquoइस सल ह क ततलए म आपक आभ र म नि हा पर म ास न ख न क ततलए म

      अपनी म ि जी स वचन-बदध हा इस क रण म म ास नही ख सकि अगर उसक तबन क म ही

      न चल िो म व पस तहनदसि न चल ज ऊा ग पर म ास िो कभी न ख ऊा ग rdquo

      तबसक की ख डी आयी वह ा भी मझ न िो म ास की जररि म लम हई और न मददर

      की

      हम स उधमपटन बनददरग ह पर पहाच मझ य द ह तक उस ददन शतनव र थ जह ज पर म

      क ली पोश क पहनि थ ममिो न मर ततलए सफद फल लन क कोट-पिलन भी बनव ददय थ

      उनदह मन तवल यि म उिरि समय पहनन क तवच र कर रख थ यह समझकर तक सफद कपड

      अमधक अछछ लगग म फल लन क सट पहनकर उिर ततसिमबर क आखखरी ददन थ मन वह ा

      इस पोश क म एक अपन को ही दख मरी पदटय ा और उनकी च तबय ा िो तगरणडल कमपनी क

      एजणट ल गय थ सबकी िरह मझ भी करन च तहए यह समझकर मन िो अपनी च तबय ा भी

      द दी थी

      मर प स च र ततसर ररशी पि थ डोकटर पर णजीवन महि क न म दलपिर म शकल क

      न म तपरनदस रणजीिससिहजी क न म और द द भ ई नौरोजी क न म जह ज म तकसीन सल ह दी

      थी तक तवकटोररय होटल म ठहरन च तहए इस क रण मजमद र और म उस होटल म पहाच म

      िो अपनी सफद पोश क की शरम स ही गड ज रह थ तिस पर होटल म पहाचन पर पि चल

      तक अगल ददन रतवव र होन स तगरणडल क यह ा स स म न सोमव र िक नही आयग इसस म

      परश न हआ

      मन डो महि को स उदमपटन स एक ि र भज थ

      स ि-आठ बज डोकटर महि आय उनदहोन परमभर तवनोद तकय मझ फल लीन म

      दखकर हास पड मन अनज न रशमी रोओव ली उनकी टोपी दखन क खय ल स उठ यी और

      उस पर उलट ह थ फर इसस टोपी क रोएा खड हो गय डोकटर महि न दख मझ िरनदि ही

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      रोक पर अपर ध िो हो चक थ उनक रोकन क निीज िो यही तनकल सकि थ तक ब र

      वस अपर ध न हो

      समजझय तक यही स यरोप क रीति-ररव जो क समबनदध म मरी ततशकष क शरीगणश हआ

      डोकटर महि हासि-हासि बहि-सी ब ि समझ ि थ तकसी की चीज छनी नही च तहए तकसीस

      ज न-पहच न होन पर जो परशन तहनदसि न म यो ही पछ ज सकि ह व यह ा नही पछ ज सकि

      ब ि करि समय ऊा ची आव ज स नही बोल सकि तहनदसि न म अागरजो स ब ि करि समय सर

      कहन क जो ररव ज ह वह यह ा अन वकयक ह सर िो नौकर अपन म ततलक स अथव अपन

      बड अफसर स कहि ह तफर उनदहोन होटल म रहन क खचय की भी चच य की और सझ य तक

      तकसी तनजी कटमब म रहन रहन की जररि पडगी इस तवषय म अमधक तवच र सोमव र पर

      छोड गय

      होटल म िो हम दोनो को यही लग तक यह ा कह ा आ फा स होटल महाग भी थ म लट

      स एक ततसनदधी य िी जह ज पर सव र हए थ मजमद र उनस अछछ घलममल गय गय थ य ततसनदधी

      य िी लादन क अछछ ज नक र थ उनदहोन हम र ततलए दो कमर तकर य पर लन की जजममद री

      उठ यी हम सहमि हए और सोमव र को जस ही स म न ममल तबल चक कर उि ततसनधी

      सजजन दव र ठीक तकय कमरो म हमन परवश तकय

      मझ य द ह तक मर तहसस क होटल क तबल लगभग िीन पौड क हआ थ म िो उस

      दखकर चतकि ही रह गय िीन पौड दन पर भी भख रह होटल की कोई चीज मझ रचिी

      नही थी एक चीज ली और वह नही रची दसरी ली पर द म िो दोनो क ही चक न च तहए

      यह कहन ठीक होग तक अभी िो मर क म बमबई स ल य हए प थय स स ही चल रह थ

      इस कमर म भी म बहि परश न रह दश की य द खब आिी थी म ि क परम मरििम न

      होि थ र ि पडिी और म रोन शर करि घर की अनक समतियो की चढ ई क क रण नीद

      िो आ ही कस सकिी थी इस ःख की चच य तकसीस की भी नही ज सकिी थी करन स ल भ

      भी कय थ म सवया नही ज नि थ तक तकस उप य स मझ आशव सन ममलग यह ा क लोग

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      तवमचि रहन-सहन तवमचि घर भी तवमचि घरो म रहन क ढाग भी तवमचि अागरजी रहनसहन

      िथ रीति ररव जो म म नय प ठी थ अिः सिि सिकय रहन पडि थ तिस पर ख न-पीन क

      परहज और ख न योगय आह र सख िथ नीरस लगि थ इस क रण मरी दश सरौि क बीच

      सप री जसी हो गयी तवल यि म रहन मझ अछछ नही लगि थ और दश को लौट नही ज

      सकि थ तवल यि पहाच ज न पर िो िीन स ल वह ा पर करन क ही मर आगरह थ

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      भाग-२ लडन म नवदयाथी क रप म

      १० लडन म

      डोकटर महि सोमव र को मझस ममलन तवकटोररय होटल पहाच वह ा उनदह हम र नय पि

      ममल इसस व नई जगह आकर ममल डोकटर महि न हम र कमर बगर दख और ततसर तहल य

      ldquoयह जगह क म की नही इस दश म आकर पढन की अपकष यह ा क जीवन और रीिी-ररव ज

      क अनभव पर पि करन ही अमधक महततव क ह इसक ततलए तकसी पररव र म रहन जररी ह

      पर अभी िो मन सोच ह तक िमह कछ ि लीम ममल सक इसक ततलए mdash क घर रहो म िमह

      वह ा ल ज ऊा ग rdquo

      मन आभ रपवयक उनक सझ व म न ततलय म ममि क घर पहाच उनक सव गि-सतक र

      म कोई कमी नही थी उनदहोन मझ अपन सग भ ई की िरह रख अागरजी रीति-ररव ज ततसख य

      यह कह सकि हा तक अागरजी म थोडी ब िचीि करन की आदि उनदहीन डलव ई

      मर भोजन क परशन बहि तवकट हो गय तबन नमक और मस लो व ली स ग-सबजी

      रचिी नही थी घर की म लतकन मर ततलए कछ बन व िो क य बन व सवर िो ओटमील५ की

      लपसी बनिी उसस पट कछ भर ज ि पर दोपहर और श म को म हमश भख रहि ममि

      मझ रोज म ास ख न क ततलए समझ ि म परतिजञ की आड लकर चप हो ज ि दोपहर को ततसरय

      रोटी पिो व ली एक भ जी और मरबब पर गजर करि थ यही खर क श म क ततलए भी थी म

      दखि तक रोटी क िो दो-िीन टकड ही लन की रीि ह इसस अमधक म ागि शरम लगिी थी

      मझ डटकर ख न की आदि थी भख िज थी और खब खर क च हिी थी दोपहर य श म को

      दध नही ममलि थ मरी यह ह लि दखकर एक ददन ममि मचढ गय और बोल ldquoअगर िम मर

      सग भ ई होि िो म िमह तनिय ही व पस भज दि यह ा की ह लि ज न तबन तनरकषर म ि क

      स मन की गई परतिजञ क मलय ही कय वह िो परतिजञ ही नही कही ज सकिी म िमस कहि

      हा तक क़ नन इस परतिजञ नही म नग ऐसी परतिजञ स मचपट रहन िो तनर अाधतवशव स कह

      ज एाग और ऐस अाधतवशव स म फा स रहकर िम इस दश स अपन दश म कछ भी न ल ज

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      सकोग िम िो कहि हो तक िमन म ास ख य ह िमह वह अछछ भी लग ह जह ा ख न की

      जररि नही वह ा ख य और जह ा ख न की ख स जररि ह वह ा यह कस आियय हrdquo

      म टस स मस नही हआ

      ऐसी बहस रोज हआ करिी मर प स छिीस रोगो को ममट न व ल एक ननद न ही थ

      ममि मझ जजिन समझ ि मरी दढि उिनी ही बढिी ज िी म रोज भगव न स रकष की य चन

      करि और मझ रकष ममलिी म नही ज नि थ तक ईशवर कौन ह पर रमभ की दी हई शरदध

      अपन क म कर रही थी

      एक ददन ममि न मर स मन बनदथम क गराथ पढन शर तकय उपयोतगि व द व ल

      अधय य पढ म घबर य भ ष ऊा ची थी म मतककल स समझ प ि उनदहोन उसक तववचन

      तकय मन उिर ददय

      ldquoम आप स म री च हि हा म ऐसी सकषम ब ि समझ नही प ि म सवीक र करि हा

      तक म ास ख न च तहए पर म अपनी परतिजञ क बनदधन िोड नही सकि उसक ततलए म कोई

      दलील नही द सकि मझ तवशव स ह तक दलील म म आपको कभी जीि नही सकि पर मखय

      समझकर अथव हठी समझकर इस म मल म मझ छोड दीजजए म आपक परम को समझि हा

      आपक आशय समझि हा आपको म अपन परम तहिषी म नि हा म यह भी दख रह हा तक

      आपको ःख होि ह इसीस आप इिन आगरह करि ह पर म ल च र हा मरी परतिजञ नही टट

      सकिीrdquo

      ममि दखि रह उनदहोन पसिक बनदद कर दी ldquoबस अब म बहस नही करा ग कहकर व

      चप हो गय म खश हआ इसक ब द उनदहोन बहस करन छोड ददय

      पर मर ब र म उनकी मचनदि दर न हई व बीडी पीि थ शर ब पीि थ लतकन मझस

      कभी नही कह तक इनम स एक क भी म सवन करा उलट व मन ही करि रह उनदह मचनदि

      यह थी तक म ास ह र क अभ व म म कमजोर हो ज ऊा ग और इागलड म तनकषिनदिि पवयक रह न

      सका ग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      इस िरह एक महीन िक मन नौततसखए क रप म उममीदव री की ममि क घर ररचमनदड

      म थ इसततलए म हफि म एक य दो ब र ही लनददन ज प ि थ डोकटर महि और भ ई

      दलपिर म शकल न सोच तक अब मझ तकसी कटगब म रहन च तहए भ ई शकल न वसट

      कतनदसागटन म एक एागलो-इचणडयन क घर खोज तनक ल और मझ वह ा रख घर की म लतकन

      एक तवधव थी उसस मन म ास-तय ग की ब ि कही बदढय न मरी स र-साभ ल की जजममद री

      ली म वह ा रहन लग

      वह ा भी मझ रोज भख रहन पडि थ मन घर स ममठ ई बगर ख न की चीज माग ई

      थी पर व अभी आई नही थी सब कछ फीक लगि थ बदढय हमश पछिी पर वह कर

      क य तिस पर म अभी िक शरम ि थ जजिन रखिी थी उिन ही ख ि थ बदढय क दो

      लडतकय ा थी व आगरह करक थोडी अमधक रोटी दिी पर व बच री कय ज न तक उनकी समची

      रोटी ख न पर ही मर पट भर सकि थ

      लतकन अब म होततशय री पकडन लग थ अभी पढ ई शर नही हई थी मतककल स

      सम च रपि पढन लग थ यह भ ई शकल क परि प थ तहनदसि न म मन सम च रपि कभी

      पढ नही थ पर बर बर पढि रहन क अभय स स उनदह पढन क शौक़ म पद कर सक थ डरली

      नयज डरली टकषरलगराफ और परलमरल गजट इन पिो को सरसरी तनग ह स दख ज ि थ पर शर-

      शर म िो इसम मतककल स एक घाट खचय होि होग

      मन घमन शर तकय मझ तनर ममष अथ यि अनदन ह र दन व ल भोजनगह की खोज

      करनी थी घर की म लतकन न भी कह थ तक ख स लनददन म ऐस गह मौजद ह म रोज दस-

      ब रह मील चलि थ तकसी म मली स भोजन-गह म ज कर पट भर रोटी ख लि थ पर उसस

      सािोष न होि थ इस िरह भटकि हआ एक ददन म फररिगडन सरीट पहाच और वह ा

      lsquoवजजटररयन रसटर ाrsquo (अनदन ह री भोजन लय) क न म पढ मझ वह आननदद हआ जो ब लक

      को मनच ही चीज ममलन स होि ह हषय-तवभोर होकर अनददर घसन स पहल मन दरव ज क प स

      की शीश व ली खखडकी म तबकरी की पसिक दखी उनम मझ सोलट की अननाहार की कषहमायि

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      न मक पसिक दीखी एक ततशसलिग म मन वह खरीद ली और तफर भोजन करन बठ तवल यि

      आन क ब द यह ा पहली ब र भरपट भोजन ममल ईशवर न मरी भख ममट यी

      सोलट की पसिक पढी मझ पर उसकी अछछी छ प पडी इस पसिक को पढन क ददन

      स म सवछछ पवयक अथ यि तवच र-पवयक अनदन ह र म तवशव स करन लग म ि क तनकट की गई

      परतिजञ अब मझ तवशष आननदद दन लगी और जजस िरह अब िक म यह म नि थ तक सब

      म ास ह री बन िो अछछ हो और पहल कवल सतय की रकष क ततलए िथ ब द म परतिजञ -प लन

      क ततलए ही म म ास-तय ग करि थ और भतवषय म तकसी ददन सवया आज दी स परकट रप म

      म ास ख कर दसरो को ख न व लो क दल म ससतममततलि करन की उमाग रखि थ उसी िरह अब

      सवया अनदन ह री रहकर दसरो को वस बन न क लोभ मझम ज ग

      ________________

      ५ जई क आट

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      ११ सभय पोशाक म

      इस बीच मर उन ममि को िो मरी मचनदि बनी ही रही उनदहोन मझ न टक ददख न क ततलए नदयोि

      वह ा ज न स पहल मझ उनक स थ होबनय भोजन-गह म भोजन करन थ मर ममि को ऐस

      खय ल थ तक भोजनगह म मय यद क क रण भी म चप रहाग सकडो क बीच हम दो ममि एक

      मज क स मन बठ ममि न पहली पलट माग ई वह सप की थी म परश न हआ ममि स कय

      पछि मन िो परोसन व ल को अपन प स बल य

      ममि समझ गय मचढकर मझस पछ

      कय हrdquo

      मन धीर स साकोचपवयक कह

      ldquoम ज नन च हि हा तक इसम म ास ह य नहीrdquo

      ldquoऐस गह म यह जागलीपन नही चल सकि अगर िमह अब भी यही तकच-तकच करनी

      हो िो िम ब हर ज कर तकसी छोट स भोजन-गह म ख लो और ब हर ही मरी र ह दखोrdquo

      म इस परसि व स खश होकर उठ प स ही एक अनदन ह र व ल भोजन-गह थ पर वह

      िो बनदद हो चक थ म भख रह हम न टक दखन गय ममि न उि घटन क ब र म एक भी

      शबद माह स न तनक ल मर प स िो कहन को थ ही कय

      लतकन यह हम र बीच क अननदिम ममि-यदध थ न हम र समबनदध टट न उसम कटि

      आई उनक स र परयतनो क मल म रह हए परम को म पहच न सक थ इस क रण तवच र और

      आच र की कषभनदनि क रहि हए भी उनक परति मर आदर बढ गय

      पर मन सोच तक मझ उनक डर दर करन च तहए मन तनिय तकय तक म जागली नही

      रहाग सभय क लकषण गरहण करा ग और दसर परक र स सम ज म समरस होन योगय बनकर

      अनदन ह र की अपनी तवमचिि को मछप लाग

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      मन सभयि सीखन क ततलए अपनी स मरथयय स पर क और मछछल र सि पकड

      तवल यिी होन पर भी बमबई क कट-ततसल कपड अछछ अागरज सम ज म शोभ नही दग

      इस तवच र स मन आमी और नवी सटोर म कपड ततसलव य उनद नीस ततशसलिग की (उस जम न क

      ततलह ज स िो यह कीमि बहि ही कही ज एगी) मचमनी टोपी ततसर पर पहनी इिन स सािोष न

      हआ िो बोणड सरीट म जह ा शौक़ीन लोगो क कपड ततसलि थ दस पौणड पर बिी रखकर श म

      की पोश क ततसलव यी भोल और ब दश ही ददल व ल बड भ ई स मन दोनो जबो म लटक न

      ल यक सोन की एक बदढय चन मागव यी और वह ममल भी गयी बाधी-बाध यी ट ई पहनन

      ततशषट च र म शम र न थ इसततलए ट ई ब ाधन की कल हसिगि की दश म आईन हज मि क

      ददन ही दखन को ममलि थ पर यह ा िो बड आईन क स मन खड रहकर ठीक स ट ई ब ाधन म

      और ब लो म पटटी ड लकर सीधी म ाग तनक लन म रोज लगभग दस ममतनट िो बरब द होि ही

      थ ब ल मल यम नही थ इसततलए उनदह अछछी िरह मड हए रखन क ततलए बरश (झ ड ही

      समजझए) क स थ रोज लड ई चलिी थी और टोपी पहनि िथ तनक लि समय ह थ िो म नो

      म ाग को सहजन क ततलए ततसर पर पहाच ही ज ि थ और बीच-बीच म सम ज म बठ-बठ मॉग

      पर ह थ तफर कर ब लो को वयवचसथि रखन की एक और सभय तकरय बर बर चलिी ही रहिी

      थी

      पर इिनी टीमट म ही क री न थी अकली सभय पोश क स सभय थोड ही बन ज सकि

      थ मन सभयि क दसर कई ब हरी गण भी ज न ततलए थ और म उनदह सीखन च हि थ सभय

      परष को न चन ज नन च तहए उस फर च अछछी िरह ज न लनी च तहए कयोतक फर च इागलणड

      क पडोसी फर ास की भ ष थी और स र यरोप की र षटरभ ष भी थी और मझ यरोप म घमन की

      इछछ थी इसक अल व सभय परष को लछछद र भ षण करन भी आन च तहए मन नतय

      सीखन क तनिय तकय एक ककष म भरिी हआ एक सि क करीब िीन पौणड जम तकए

      कोई िीन हफिो म करीब छह सबक सीख होग पर ठीक स ि लबदध पडि न थ तपय नो बजि

      थ पर वह क य कह रह ह कछ समझ म न आि थ िो अब कय तकय ज य अब िो ब ब जी

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      की तबलली व ल तकसस हआ चहो को भग न क ततलए तबलली तबलली क ततलए ग य और ग य

      क ततलए आदमी यो ब ब जी क पररव र बढ उसी िरह मर लोभ क पररव र भी बढ व योततलन

      बज न सीख ला िो सर और ि ल क खय ल हो ज य िीन पौणड व योततलन खरीदन म गाव य

      और कछ उसकी ततशकष क ततलए भी ददय भ षण करन सीखन क ततलए एक िीसर ततशकषक क

      घर खोज उनदह भी एक तगनद नी िो भट की ही बल की सटणडडड एरलोकयशकषिसट पसिक खरीदी

      तपट क एक भ षण शर तकय

      इन बल स हबन मर क न म घाटी (बल) बज यी म ज ग

      मझ कौन इागलणड म जीवन तबि न ह लछछद र भ षण करन सीखकर म कय करा ग

      न च-न चकर म सभय कस बनाग व योततलन िो दश म भी सीख ज सकि ह म िो तवदय थी

      हा मझ तवदय -धन बढ न च तहए मझ अपन पश स समबनदध रखन व ली िय री करनी च तहए

      म अपन सद च र स सभय समझ ज ऊा िो ठीक ह नही िो मझ यह लोभ छोडन च तहए

      इन तवच रो की धन म मन उपययि आशय क उदग रोव ल पि भ षण-ततशकषक को भज

      ददय उनस मन दो य िीन प ठ पढ थ नतय-ततशकषकषक को भी ऐस ही पि ततलख व योततलन

      ततशकषकषक क घर व योततलन लकर पहाच उनदह जजस द म भी वह तबक बच ड लन की इज जि द

      दी उनक स थ कछ ममिि क -स समबनदध हो गय थ इस क रण मन उनस अपन मोह की चच य

      की न च आदद क जाज ल म स तनकल ज न की मरी ब ि उनदहोन पसनदद की

      सभय बनन की मरी यह सनक लगभग िीन महीन िक चली होगी पोश क की टीमट म

      िो बरसो चली पर अब म तवदय थी बन

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      १२ फरफार

      कोई यह न म न तक न च आदद क मर परयोग उस समय की मरी सवछछनददि क सचक ह प ठको

      न दख होग तक उनम कछ समझद री थी मोह क इस समय म भी म एक हद िक स वध न

      थ प ई-प ई क तहस ब रखि थ खचय क अाद ज रखि थ

      अपनी रहन-सहन पर मर कछ अाकश थ इस क रण म दख सक तक मझ तकिन खचय

      करन च तहए

      अब िक म कटमबो म रहि थ उसक बदल अपन ही कमर लकर रहन क मन तनिय

      तकय और यह भी िय तकय तक क म क अनस र और अनभव पर पि करन क ततलए अलग-अलग

      महललो म घर बदलि रहाग घर मन ऐसी जगह पर पसनदद तकय तक जह ा स क म की जगह पर

      आध घाट म पदल पहाच ज सक और ग डी-भ ड बच इसस पहल जह ा ज न होि वह ा क

      ग डी-भ ड हमश चक न पडि और घमन क ततलए अलग स समय तनक लन पडि थ अब

      क म पर ज ि हए ही घमन की वयवसथ जम गई और बचि भी हई और इस वयवसथ क क रण

      म रोज आठ-दस मील िक आस नी स घम लि थ ख सकर इस एक आदि क क रण म

      तवल यि म श यद ही कभी बीम र पड होऊा ग मर शरीर क री कस गय कटमब म रहन

      छोडकर मन दो कमर तकर य पर ततलए एक सोन क ततलए और दसर बठक क रप म यह

      फरफ र की दसरी माजजल कही ज सकिी ह िीसर फरफ र अभी होन शष थ

      इस िरह आध खचय बच लतकन समय क कय हो म ज नि थ तक ब ररसटरी की

      परीकष क ततलए बहि पढन जररी नही ह इसततलए मझ बतरकरी थी पर मरी कछची अागरजी मझ

      ःख दिी थी मन सोच मझ ब ररसटर बनन क अल व कछ और भी पढन च तहए ओकसफडय

      कसतमबरज की पढ ई क पि लग य कई ममिो स ममल मन दख तक वह ा ज न स खचय बहि बढ

      ज यग और पढ ई लमबी चलगी म िीन स ल स अमधक रह नही सकि थ तकसी ममि न कह

      ldquoअगर िमह कोई कदठन परीकष ही दनी हो िो िम लनददन की मदरकयलशन प स कर लो उसम

      महनि क री करनी पडगी और स ध रण जञ न बढग खचय तबलकल नही बढग rdquo मझ यह

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      सझ व अछछ लग पर परीकष क तवषय दखकर म चौक लदटन और दसरी एक भ ष अतनव यय

      थी लदटन कस सीखी ज य पर ममि न सझ य ः ldquoवकील क ततलए लदटन बहि उपयोगी ह

      लदटन ज नन व ल क ततलए क़ ननी तकि ब समझन आस न हो ज ि ह और lsquoरोमन लो की

      परीकष म एक परशनपि िो कवल लदटन भ ष म ही होि ह इसक ततसव य लदटन ज नन स अागरजी

      भ ष पर परभतव बढि हrdquo इन सब दलीलो क मझ पर असर हआ मन सोच मतककल हो च ह

      न हो पर लदटन िो सीख ही लनी ह फर च की शर की हई पढ ई को पर करन ह इसततलए

      तनिय तकय तक दसरी भ ष फर च हो मदरकयलशन क एक पर इवहट वगय चलि थ उसम भरिी

      हो गय हर छठ महीन परीकष होिी थी मर प स मतककल स प ाच महीन क समय थ यह क म

      मर बि क ब हर थ पररण म यह हआ तक सभय बनन की जगह म अतयनदि उदयमी तवदय थी बन

      गय समय-पिक बन य एक-एक ममनट क उपयोग तकय पर मरी बजदध य समरण-शतति

      ऐसी नही थी तक दसर तवषयो क अतिररि लदटन और फर च की िय री कर सका परीकष म बठ

      लदटन म फल हो गय ःख िो हआ पर तहममि नही ह र लदटन म रमच पद हो गयी थी मन

      सोच तक दसरी ब र परीकष म बठन स फर च अमधक अछछी हो ज एागी और तवजञ न म नय तवषय

      ल लाग परयोगो क अभ व म रस यनश सि मझ रचि ही न थ यदयतप अब दखि हा तक उसम

      खब रस आन च तहए थ इसततलए लनददन की मदरक क ततलए भी पहली ब र इसी को पसनदद तकय

      थ इस ब र परक श और उषणि (Light और Heat) क तवषय ततलय यह तवषय आस न म न

      ज ि थ मझ भी आस न परिीि हआ

      पनः परीकष दन की िय री क स थ ही रहन-सहन म अमधक स दगी ल न क परयतन शर

      तकय मन अनभव तकय तक अभी मर कटमब की ग़रीबी क अनरप मर जीवन स द नही बन

      ह भ ई की िागी क और उनकी उद रि क तवच रो न मझ वय कल बन ददय जररि पडन पर

      व पस अवकय भज ही दि थ जो लोग हर महीन १५ पौणड य ८ पौणड खचय करि थ उनदह िो

      छ िवततिय ा ममलिी थी म दखि थ तक मझस भी अमधक स दगी स रहन व ल लोग ह म ऐस

      ग़रीब तवदय रथियो क सापकय म ठीक-ठीक आय थ एक तवदय थी लनददन की ग़रीब बसिी म हफि

      क दो ततशसलिग दकर एक कोठरी म रहि थ और लोक टय की कोको की ससिी क न म दो पनी

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      क कोको और रोटी ख कर अपन गज र करि थ उसस सपध य करन की िो मरी शतति नही

      थी पर मन अनभव तकय तक म अवकय ही दो क बदल एक कमर म रह सकि हा और आधी

      रसोई अपन ह थ स भी बन सकि हा इस परक र म हर महीन च र य प ाच पौणड म अपन

      तनव यह कर सकि हा स दी रहन-सहन पर पसिक भी पढ चक थ दो कमर छोड ददय और

      हफि क आठ ततशसलिग पर एक कमर तकर य स ततलय एक अागीठी खरीदी और सबह क भोजन

      ह थ स बन न शर तकय इसम मतककल स बीस ममनट खचय होि थ ओटमील की लपसी बन न

      और कोको क ततलए प नी उब लन म तकिन समय लगि दोपहर क भोजन ब हर कर लि

      और श म को तफर कोको बन कर रोटी क स थ ख लि इस िरह म एक स सव ततशसलिग क

      अनददर रोज क अपन भोजन की वयवसथ करन सीख गय जीवन स द बन ज न स समय

      अमधक बच दसरी ब र परीकष म बठ और प स हआ

      पर प ठक यह न म न तक स दगी स मर जीवन नीरस बन होग उलट इन फरफ रो क

      क रण मरी आनदिररक और ब हय चसथति क बीच एकि पद हई कौटसतमबक चसथति क स थ मरी

      रहन-सहन क मल बठ जीवन अमधक स रमय बन और मर आतम ननदद क प र न रह

      घर स ममठ ई-मस ल बगर जो माग य थ सो लन बनदद कर ददय और मनन दसर मोड

      पकड इस क रण मस लो क परम कम पड गय और जो सबजी ररचमाड म मस ल क अभ व

      म बसव द म लम होिी थी वह अब ततसरय उब ली हई सव ददषट लगन लगी ऐस अनक अनभवो स

      मन यह सीख तक सव द क सछच सथ न जीभ नही पर मन ह

      आरथिक दतषट िो मर स मन थी ही उन ददनो एक पाथ ऐस थ जो च य-कोफी को

      ह तनक रक म नि थ और कोको क समथयन करि थ म यह समझ चक थ तक कवल उनदही

      वसिओ क सवन करन योगय ह जो शरीर-वय प र क ततलए आवकयक ह इस क रण मखयिः

      मन च य और कोफी क तय ग तकय और कोको को अपन य

      परयोगो क स थ उप-परयोग िो बहि हए कभी सट चय व ल आह र छोड कभी ततसरय

      ड ल-रोटी और फल पर ही रह और कभी पनीर दध और अाडो क ही सवन तकय

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      यह आखखरी परयोग उललखनीय ह यह पनद रह ददन भी नही चल सट चय-रतहि आह र क

      समथयन करन व लो न अाडो की खब सिति की थी और यह ततसदध तकय थ तक अाड म ास नही ह

      यह िो सपषट ही ह तक अाड ख न म तकसी जीतवि पर णी को ःख नही पहाचि इस दलील क

      भल व म आकर मन म ि जी क सममख की हई परतिजञ क रहि भी अाड ख य पर मर वह मोह

      कषकषणक थ परतिजञ क नय अथय करन क मझ अमधक र न थ अथय िो परतिजञ कर न व ली

      म ि क ही म न ज सकि थ म ास न ख न की परतिजञ कर न व ली म ि को अाडो क िो

      खय ल ही नही हो सकि थ इस म ज नि थ इस क रण परतिजञ क रहसय क बोध होि ही

      मन अाड छोड और परयोग भी छोड

      इस समय िक क मर परयोग आरथिक और आरीगय की दतषट स होि थ तवल यि म उनदहोन

      ध रमिक सवरप गरहण नही तकय थ ध रमिक दतषट स मर कदठन परयोग दकषकषण अफ़रीक म हए

      जजनकी छ न-बीन आग करनी होगी

      मझम नवधमी क जोश आ गय थ इस क रण उस समय म जजस बसिी म रहि थ

      उसम मन अनदन ह री मणडल की सथ पन करन क तनिय तकय इस बसिी क न म बजवोटर

      थ इसम सर एडतवन आनयलड रहि थ मन उनदह उपसभ पति बनन को तनमातिि तकय व बन

      डो ओलडफीलड सभ पति बन म मािी बन यह सासथ कछ समय िक िो अछछी चली पर कछ

      महीनो क ब द इसक अनदि हो गय कयोतक मन अमक मददि क ब द अपन ररव ज क अनस र

      वह बसिी छोड दी पर इस छोट और अलप अवमध क अनभव स मझ सासथ ओ क तनम यण करन

      और उनदह चल न क कछ अनभव पर पि हआ

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      १३ लजजाशीलता - मरी ढाल

      अननाहारी मणडल की क ययक ररणी म मझ चन िो ततलय गय थ और उसम म हर ब र ह जजर

      भी रहि थ पर बोलन क ततलए जीभ खलिी ही न थी

      म कह सकि हा तक मर यह शरमील सवभ व दकषकषण अफ़रीक पहाचन पर ही दर हआ

      तबलकल दर हो गय ऐस िो आज भी नही कह ज सकि बोलन स बच ज सक िो जरर

      बच ज ि हा तबन पवय िय री क बोलन यह मर ततलए असाभव थ अपन इस शरमील सवभ व

      क क रण मरी फजीहि िो हई पर मर कोई नक़स न नही हआ बचलक अब िो म दख सकि हा

      तक मझ फ यद हआ ह पहल बोलन क यह साकोच मर ततलए ःखकर थ अब वह सखकर हो

      गय ह एक बड र यद िो यह हआ तक म शबदो क ममिवयय करन सीख

      अनभव न मझ यह भी ततसख य ह तक सतय क परतयक पज री क ततलए मौन क सवन इषट

      ह मनषय ज न-अनज न भी पर यः अतिशयोतति करि ह अथव जो कहन योगय ह उस मछप ि

      ह य दसर ढाग स कहि ह ऐस साकटो स बचन क ततलए भी ममिभ षी होन आवकयक ह कम

      बोलन व ल तबन तबच र नही बोलग वह अपन परतयक शबद को िौलग अकसर मनषय बोलन

      क ततलए अधीर हो ज ि ह इन सब लोगो क बोलन स तनय को ल भ होि हो ऐस कवमचि

      ही प य ज ि ह पर उिन समय की बरब दी िो सपषट ही दखी ज सकिी ह इसततलए यदयतप

      आरमभ म मझ अपनी लजज शीलि ःख दिी थी यह लजज शीलि मरी ढ ल थी उसस मझ

      पररपकव बनन क ल भ ममल सतय की अपनी पज म मझ उसस सह यि ममली

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      १४ असतयरपी नवष

      चालीस स ल पहल तवल यि ज न व ल तहनदसि नी तवदय थी आज की िलन म कम थ सवया

      तवव तहि होन पर भी अपन को का आर बि न क उनम ररव ज-स पड गय थ उस दश म सकल

      य कोलज म पढन व ल कोई तवदय थी तवव तहि नही होि तवव तहि क ततलए तवदय थी-जीवन नही

      होि भ रि क यवको को यह सवीक र करि हए शरम म लम होिी ह तक व तवव तहि ह तवव ह

      की ब ि मछप न क दसर एक क रण यह ह तक अगर तवव ह परकट हो ज य िो जजस कटमब म

      रहि ह उसकी जव न लडतकयो क स थ घमन-तफरन और हासी-मज क करन क मौक़ नही

      ममलि यह हासी-मज क अमधकिर तनदोष होि ह म ि -तपि इस िरह की ममिि पसनदद भी

      करि ह वह ा यवक और यवतियो क बीच ऐस सहव स की आवकयकि भी म नी ज िी ह

      कयोतक वह ा िो परतयक यवक को अपनी सहधमयच ररणी सवया खोज लनी होिी ह अिएव

      तवल यि म जो समबनदध सव भ तवक म न ज ि ह उस तहनदसि न क नवयवक तवल यि पहाचि

      ही जोडन शर कर द िो पररण म भयाकर ही होग कई ब र ऐस पररण म परकट भी हए ह

      तफर भी हम र नवयवक इस मोतहनी म य म फा स पड थ हम र नवयवको न उस सोहबि क

      ततलए असतय चरण पसनदद तकय जो अागरजो की दतषट स तकिनी ही तनदोष होि हए भी हम र ततलए

      तय जय ह इस फा द म म भी फा स गय तवव तहि और एक लडक क ब प होि हए भी मन अपन

      को का आर बि न म साकोच नही तकय पर इसक सव द मन थोड ही चख

      बटनर म जजस पररव र म म रहि थ वस पररव र म घर की बटी हो िो वह सभयि क

      तवच र स ही सही मर सम न तवदशी को घमन ल ज िी म लतकन की लडकी मझ बटनर क

      आसप स की सनददर पह मडयो पर ल गयी वस मरी च ल कछ धीमी नही थी पर उसकी च ल

      मझस भी िज थी इसततलए मझ उसक पीछ पीछ घततसटन पड वह िो र सिभर ब िो क फवव र

      उड िी चली जब तक मर माह स कभी ह ा य कभी न की आव ज भर तनकलिी थी बहि

      हआ िो तकिन सनददर ह कह ददि इसस जय द बोल न प ि वह िो हव म उडिी ज िी

      और म यह सोचि रहि तक व पस घर कब पहाचाग इिन म हम एक पह डी की चोटी पर ज

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      खड हए पर अब उिर कस ज य अपन ऊा ची एडी व ल बटो क ब वजद बीस-पचीस स ल की

      वह रमणी तबजली की िरह ऊपर स नीच उिर गयी जब तक म शरममिद होकर अभी यही सोच

      रह थ तक ढ ल कस उिर ज एा वह नीच खडी हासिी ह मझ तहममि बाध िी ह ऊपर आकर

      ह थ क सह र दकर नीच ल ज न को कहिी ह म इिन पसितहममि िो कस बनि मतककल

      स पर जम ि हआ कही कछ बठि हआ म नीच उिर उसन मज क म lsquoश बब शrsquo

      कहकर मझ शरम य हए को और अमधक शरममिद तकय इस िरह क मज क स मझ शरममिद

      करन क उस हक थ

      लतकन हर जगह म इस िरह कस बच प ि ईशवर मर अनददर स असतय क तवष तनक लन

      च हि थ बटनर की िरह ही बर इटन भी समर-तकन र हव खोरी क मक म ह एक ब र म वह ा

      गय थ जजस होटल म म ठहर थ उसम स ध रण खशह ल चसथति की एक तवधव बदढय भी

      हव खोरी क ततलए आकर दटकी थी यह मर पहल वषय क समय थ ndash बटनर क पहल क यह ा

      सची म ख न की सभी चीजो क न म फर च भ ष म ततलख थ म उनदह समझि न थ म बदढय

      व ली मज पर ही बठ थ बदढय न दख तक म अजनबी हा और कछ परश नी म भी हा िरनदि

      ही वह सह यि क ततलए आई

      ldquoिम अजनबी-स म लम होि हो तकसी परश नी म भी हो अभी िक कछ ख न को भी

      नही माग य हrdquo

      म भोजन क पद थो की सची पढ रह थ और परोसन व ल स पछन की िय री कर रह

      थ इसततलए मन उस भर मतहल को धनदयव द ददय और कह ldquoयह सची मरी समझ म नही आ

      रही ह म अनदन ह री हा इसततलए यह ज नन जररी ह तक इनम स कौनसी चीज तनदोष हrdquo

      उस मतहल न कह ldquoिो लो म िमह री मदद करिी हा और सची समझ दिी हा िमह र

      ख न ल यक चीज म िमह बि सका गीrdquo

      मन धनदयव दपवयक उसकी सह यि सवीक र की यह ा स हम र जो समबनदध जड सो मर

      तवल यि म रहन िक और उसक ब द भी बरसो िक बन रह उसन मझ लनददन क अपन पि

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      ददय और हर रतवव र को अपन घर भोजन क ततलए आन को नदयोि वह दसर अवसरो पर भी

      मझ अपन यह ा बल िी थी परयतन करक मर शरमील पन छड िी थी जव न सतसियो स ज न-

      पहच न कर िी थी और उनस ब िचीि करन को ललच िी थी उसक घर रहन व ली एक सिी क

      स थ बहि ब ि करव िी थी कभी-कभी हम अकल भी छोड दिी थी

      आरमभ म मझ यह सब बहि कदठन लग ब ि करन सझि न थ तवनोद भी कय तकय

      ज ए पर वह बदढय मझ परवीण बन िी रही म ि लीम प न लग हर रतवव र की र ह दखन

      लग उस सिी क स थ ब ि करन भी मझ अछछ लगन लग

      बदढय भी मझ लभ िी ज िी उस इस साग म रस आन लग उसन िो हम दोनो क तहि

      ही च ह होग

      अब म कय करा मन सोच कय यह अछछ होि अगर म इस भर मतहल स अपन

      तवव ह की ब ि कह दि उस दश म कय वह च हिी तक तकसी क स थ मर बय ह हो अब भी

      दर नही हई ह म सच-सच कह दा िो अमधक साकट स बच ज ऊा ग यह सोचकर मन उस एक

      पि ततलख अपनी समति क आध र पर नीच उसक स र दि हा

      ldquoजबस हम बर इटन म ममल आप मझ पर परम रखिी रही ह म ा जजस िरह अपन बट की

      मचनदि रखिी ह उसी िरह आप मरी मचनदि रखिी ह आप िो यह भी म निी ह तक मझ बय ह

      करन च तहए और इसी खय ल स आप मर पररचय यवतियो स कर िी ह ऐस समबनदध क

      अमधक आग बढन स पहल ही मझ आपस यह कहन च तहए तक म आपक परम क योगय नही हा

      म आपक घर आन लग िभी मझ आप स यह कह दन च तहए थ तक म तवव तहि हा म ज नि

      हा तक तहनदसि न क जो तवदय थी तवव तहि होि ह व इस दश म अपन बय ह की ब ि परकट नही

      करि इसस मन भी उस ररव ज क अनकरण तकय पर अब म दखि हा तक मझ अपन तवव ह

      की ब ि तबलकल मछप नी नही च तहए थी मझ स थ म यह भी कह दन च तहए तक मर बय ह

      बचपन म हआ ह और मर एक लडक भी ह आप स इस ब ि को मछप न क अब मझ बहि

      ःख होि ह पर अब भगव न न सच कह दन की तहममि दी ह इसस मझ आननदद होि ह कय

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      आप मझ म र करगी जजस बहन क स थ आपन मर पररचय कर य ह उसक स थ मन कोई

      अनमचि छट नही ली इसक तवशव स म आपको ददल ि हा मझ इस ब ि क पर -पर खय ल

      ह तक मझ ऐसी छट नही लनी च तहए पर आप िो सव भ तवक रप स यह च हिी ह तक तकसी

      क स थ मर समबनदध जड ज ए आपक मन म यह ब ि आग न बढ इसक ततलए भी मझ आपक

      स मन सतय परकट कर दन च तहए

      ldquoयदद इस पि क ममलन पर आप मझ अपन यह ा आन क ततलए अयोगय समझगी िो मझ

      उसस जर भी बर नही लगग आपकी ममि क ततलए िो म आपक मचरॠणी बन चक हा

      मझ सवीक र करन च तहए तक अगर आप मर तय ग न करगी िो मझ खशी होगी यदद अब भी

      आप मझ अपन घर आन योगय म नगी िो उस म आपक परम की एक नई तनश नी समझाग और

      उस परम क योगय बनन क सद परयतन करि रहाग rdquo

      प ठक समझ ल तक यह पि मन कषणभर म नही ततलख ड ल थ न ज न तकिन मसतवद

      िय र तकय होग पर यह पि भजकर मन अपन सर क एक बड बोझ उि र ड ल

      लगभग लौटिी ड क स मझ उस तवधव बहन क उिर ममल उसन ततलख थ

      ldquoखल ददल स ततलख िमह र पि ममल हम दोनो खश हई और खब हसी िमन जजस

      असतय स क म ततलय वह िो कषम क योगय ही ह पर िमन अपनी सही चसथति परकट कर दी यह

      अछछ ही हआ मर नदयोि क यम ह अगल रतवव र को हम अवकय िमह री र ह दखग िमह र

      ब ल-तवव ह की ब ि सनग और िमह र मज क उड न क आननदद भी लटग तवशव स रखो तक

      हम री ममिि िो जसी थी वसी ही रहगीrdquo

      इस परक र मन अपन अनददर घस हए असतय क तवष को ब हर तनक ल ददय और तफर िो

      अपन तवव ह आदद की ब ि करन म मझ कही घबर हट नही हई

      बहि करक मर तवल यि-तनव स क आखखरी स ल म य नी १८९० क स ल म पोटयसमथ

      म अनदन ह ररयो क एक सामलन हआ थ उसम मझ और एक तहनदसि नी ममि को तनमातिि

      तकय गय थ

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      पोटयसमथ खल ततसयो क बनददरग ह कहल ि ह वह ा बहिर घर र च ररणी सतसियो क होि

      ह व सतसिय ा वकय नही होिी न तनदोष ही होिी ह ऐस ही एक घर म हम लोग दटक थ इसक

      यह मिलब नही तक सव गि-सममति न ज न-बझकर ऐस घर ठीक तकय थ

      र ि पडी हम सभ स घर लौट भोजन क ब द ि श खलन बठ तवल यि म अछछ भल

      घरो म भी इस िरह गतहणी महम नो क स थ ि श खलन बठिी ह ि श खलि हए तनदोष तवनोद

      िो सब कोई करि ह लतकन यह ा िो बीभतस तवनोद शर हआ म नही ज नि थ तक मर स थी

      इसम तनपण ह मझ इस तवनोद म रस आन लग म भी इसम शरीक हो गय व णी म स तकरय

      म उिरन की िय री थी ि श एक िरफ धर ही ज रह थ लतकन मर भल स थी क मन म र म

      बस उनदहोन कह ldquoअर िम म यह कततलयग कस िमह र यह क म नही ह िम यह ा स भ गोrdquo

      म शरम य स वध न हआ हदय म उन ममि क उपक र म न म ि क सममख की हई

      परतिजञ य द आयी म भ ग क ापि -क ापि अपनी कोटरी म पहाच छ िी धडक रही थी

      क तिल क ह थ स बचकर तनकल हए ततशक र की जसी दश होिी ह वसी ही मरी हई

      उन ददनो म यह तबलकल नही ज नि थ तक धमय कय ह ईशवर कय ह और वह हम म

      तकस परक र क क म करि ह उस समय िो लौतकक हतषट स म यह समझ तक ईशवर न मझ बच

      ततलय ह मन यह अनभव तकय ह तक जब हम स री आश छोडकर बठ ज ि ह हम र दोनो ह थ

      दटक ज ि ह िब कही-न-कही स मदद आ पहाचिी ह सिति उप सन पर थयन वहम नही ह

      बचलक हम र ख न -पीन चलन -बठन जजिन सच ह उसस भी अमधक सच यह चीज ह यह

      कहन म अतिशयोतति नही तक यही सच ह और सब झठ ह

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      १५ धमो का पररचय

      नवलायत म रहि मझ कोई एक स ल हआ होग इस बीच दो ततथयोसोतफसट ममिो स मरी पहच न

      हई दोनो सग भ ई थ और अतवव तहि थ उनदहोन मझस गीि जी की चच य की व एडतवन आनयलड

      क गीि जी क अनव द धी सोग कषसरलशयरल पढ रह थ पर उनदहोन मझ अपन स थ सासकि म

      गीि पढन क ततलए नदयोि म शरम य कयोतक मन गीि सासकि म य म िभ ष म (गजर िी

      म) पढी ही नही थी मझ उनस कहन पड तक मन गीि पढी ही नही ह पर म उस आपक स थ

      पढन को िय र हा सासकि क मर अभय स भी नही क बर बर ही ह म उस इिन ही समझ

      प ऊा ग तक अनव द म कोई ग़लि अथय होग िो उस सध र सका ग इस परक र मन उन भ इयो

      क स थ गीि पढन शर तकय दसर अधय य क अातिम शलोको म स

      धय यिो तवषय नदपासः सागसिषपज यि

      साग तसाज यि क मः क म तकरोधोऽकषभज यि

      करोध द भवति सममोहः सममोह तसमतितवभरमः

      समतिभराश द बजदधन शो बजदधन श तपरणकयति६

      इन शलोको क मर मन पर गहर असर पड उनकी भनक मर क न म गाजिी ही रही

      उस समय मझ लग तक भगवदगीि अमलय गराथ ह यह म नदयि धीर-धीर बढिी गयी और आज

      िततवजञ न क ततलए म उस सवोिम गरनदथ म नि हा तनर श क समय म इस गरनदथ न मरी अमलय

      सह यि की ह

      इनदही भ इयो न मझ सझ य तक म आनयलड क बदध-चररि धी रलाईट ओफ एकषशया पढ ा

      उस समय िक िो मझ सर एडतवन आनयलड क गीि क अनव द क ही पि थ मन बदध-चररि

      भगवदगीि स भी अमधक रस-पवयक पढ पसिक ह थ म लन क ब द उस सम पि करक ही छोड

      सक

      एक ब र य भ ई मझ बलवटसकी लोज म भी ल गय वह ा मडम बलवटसकी क और ममसज

      एनी बसट क दशयन कर य ममसज बसट ह ल ही ततथयोसोतफकल सोस यटी म द खखल हई थी

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      इसस सम च रपिो म इस समबनदध की जो चच य चलिी थी उस म ददलचसपी क स थ पढ करि

      थ इन भ इयो न मझ सोस यटी म द खखल होन क भी सझ व ददय मन नमरि पवयक इनक र

      तकय और कह ldquoमर धमयजञ न नही क बर बर ह इसततलए म तकसी भी पाथ म ससतममततलि होन

      नही च हि rdquo मर कछ ऐस खय ल ह तक इनदही भ इयो क कहन स मन बलवटसकी की पसिक

      की ट कषथयोसोफी (ततथयोसोफी की का जी) पढी थी उसस तहनदद धमय की पसिक पढन की इछछ

      पद हई और प दररयो क माह स सन हआ यह खय ल ददल स तनकल गय तक तहनदद धमय

      अनदधतवशव सो स ही भर हआ ह

      इनदही ददनो एक अनदन ह री छ ि व स म मझ मचसटर क एक ईस ई सजजन ममल उनदहोन

      मझस धमय की चच य की मन उनदह र जकोट क अपन सासमरण सन य व सनकर ःखी हए

      उनदहोन कह ldquoम सवया अनदन ह री हा मदयप न भी नही करि यह सच ह तक बहि स ईस ई म ास

      ख ि ह और शर ब पीि ह पर इस धमय म दो म स एक भी वसि क सवन करन कियवय-रप

      नही ह मरी सल ह ह तक आप ब इबल७ पढrdquo मन उनकी यह सल ह म न ली उनदहोन ब इबल

      खरीद कर मझ दी मन उस पढन शर तकय पर म परािा इकरार (ओलड टसट मणट) िो पढ

      ही न सक जिकषसस ndash सतषट-रचन ndash क परकरण क ब द िो पढि समय मझ नीद ही आ ज िी

      मझ य द ह तक lsquoमन ब इबल पढी हrsquo यह कह सकन क ततलए मन तबन रस क और तबन समझ

      दसर परकरण बहि कषट-पवयक पढ थ नमबसय न मक परकरण पढि-पढि मर जी उचट गय

      पर जब lsquoनय इकर रrsquo८ (नदय टसट मणट) पर आय िो कछ और ही असर हआ ईस क

      तगरर-परवचन क मझ पर बहि अछछ परभ व पड उस मन हदय म बस ततलय बजदध न गीि जी

      क स थ उसकी िलन की जो िझस कि य म ाग उस अागरख भी द-द जो िर द तहन ग ल पर

      िम च म र ब य ा ग ल भी उसक स मन कर दrsquo ndash यह पढकर मझ अप र आननदद हआ श मळ

      भटट९ क छपपय की य द आ गयी ldquoजो आपको जल दि ह उसको अछछ भोजन दrdquo आदद मर

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      ब लमन न गीिा आनयलड-कि बदध-चररि और ईस क वचनो क एकीकरण तकय मन को यह

      ब ि जाच गयी तक तय ग म धमय ह

      म धमय क इस पररचय स आग न बढ सक अपनी परीकष की पसिको क अल व दसर

      कछ पढन की फरसि म नही तनक ल सक पर मर मनन यह तनिय तकय तक मझ धमय-पसिक

      पढनी च तहए और सब मखय धमो क पररचय पर पि कर लन च तहए

      ____________________________

      ६ तवषयो क मचनदिन करन व ल परष को उन तवषयो म आसतति पद होिी ह तफर आसतति स क मन पद

      होिी ह और क मन स करोध पद होि ह करोध स मढि पद होिी ह मढि स समति-लोप होि ह और समति-

      लोप स बजदध नषट होिी ह और जजसकी बजदध नषट हो ज िी ह उसक खद क न श हो ज ि ह

      ७ ईस ईओ क धमयपसिक यह दो तवभ गो म बाट ndash परथम परािा इकरार lsquoउसम इस खखसि क जनदम स पवय क

      समय क कछ गराथो क सम वश तकय गय ह जजसकी शरआि होिी ह जिकषसस ndash सकषिमडि स दसर खाड

      ह lsquoनय इकर र क इस खखसि क जनदम क उपर नदि क समय क गराथो क परथम च र गराथो को गोसपलस कह ज ि

      ह उसम इसक जीवन िथ परवचनो क सागरह ह

      ८ इस क परवचन पह ड पर ददय गय थ दख मरथय पर ५ स ७

      ९ श मळ भटट १८वी सदी म गजर िी क एक परततसदध कतव हो गय ह छपपय पर उनक जो परभतव थ उसक

      क रण गजर ि म यह कह वि परचततलि हो गयी ह तक छपपय िो श मळ कrsquo

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      भाग-३ भारत म बाररसटर क रप म

      १६ वापस नहनदसतान म

      परीिाय प स करक म १० जन १८९१ क ददन ब ररसटर कहल य ११ जन को ढ ई ततशसलिग

      दकर इागलणड क ह ईकोटय म अपन न म दजय कर य और १२ जन को तहनदसि न क ततलए रव न

      हआ

      पर मरी तनर श और मर भय की कोई सीम न थी म वक ल ि कर सका ऐस िो मझ

      कछ भी नही आि थ ऐस महसस हआ मन अनभव तकय तक क़ नन िो म तनिय ही पढ

      चक हा पर ऐसी कोई भी चीज मन सीखी नही ह जजसस म वक लि कर सका

      इिन ही नही बचलक तहनद सि न क क़ नन िो म मददल ही नही ज नि थ तहनद श सि

      इसल मी क़ नन कस होग यह भी नही ज नि थ न म अरजी द व करन भी सीख म िो बहि

      ही परश न हआ वकील की हततसयि स आजीतवक कम न की शतति पर पि करन म भी मझ मह

      आशाक उतपनदन हई

      एडन स बमबई क बनददर म समर िर नी थ सब लोग बीम र थ अकल म मौज म थ

      िर न दखन क ततलए डक पर खड रहि भीग भी ज ि

      मर तवच र म ब हर क यह िर न मर अनददर क िर न क मचहनरप थ पर जजस िरह

      ब हरी िर न क रहि म श नदि रह सक मझ लगि ह तक अनददर क िर न क ततलए भी वही ब ि

      कही ज सकिी ह

      म म ा क दशयनो क ततलए अधीर हो रह थ जब हम घ ट पर पहाच मर बड भ ई वह ा

      मौजद ही थ

      म ि क सवगयव स क मझ कछ पि न थ बड भ ई न म ि क सवगयव स क सम च र

      मझ नही ददय थ मझ यह खबर तवल यि म ही ममल सकिी थी पर आघ ि को हलक करन क

      तवच र स बमबई पहाचन िक मझ इसकी कोई खबर न दन क तनिय बड भ ई न कर रख थ

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      म अपन ःख पर पद य ड लन च हि हा तपि की मतय स मझ जो आघ ि पहाच थ उसकी

      िलन म म ि की मतय की खबर स मझ बहि अमधक आघ ि पहाच मर बहिर मनोरथ ममटटी

      म ममल गय पर मझ य द ह तक इस मतय क सम च र सनकर म फट-फटकर रोय न थ म अपन

      आासओ को भी रोक सक थ और भन अपन रोज क क मक ज इस िरह शर कर ददय थ

      म नो म ि की मतय हई ही न हो

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      १७ ससार-परवश

      मरी समरय ि को लकर ज ति क झगड मौजद ही थ उसम दो िड पड गयी थी एक पकष न

      मझ िरनदि ज ति म ल ततलय दसर पकष न लन पर डट रह

      ज ति की जजस िड स म बतहषकि रह उसम परवश करन क परयतन मन कभी नही तकय

      न मन ज ति क तकसी मखखय क परति मन म कोई रोष रख उनक स थ म नमरि क बरि व

      करि थ ज ति क बतहषक र-समबनदधी क़ नन क म समपणय आदर करि थ अपन स स-ससर

      क घर अथव अपनी बहन क घर म प नी िक न पीि थ व मछप िौर पर तपल न को िय र भी

      होि पर जो क म खल िौर स न तकय ज सक उस मछपकर करन क ततलए मर मन ही िय र न

      होि थ

      मर इस वयवह र क पररण म यह हआ तक ज ति की ओर स मझ कभी कोई कषट नही

      ददय गय यही नही बचलक आज िक म ज ति क एक तवभ ग म तवमधवि बतहषकि म न ज ि

      हा उसक ततलए परवश क मन कभी परय स नही तकय िथ ज ति क तकसी भी शठ क तवरदध मन

      अपन मन म भी रोष की भ वन न रखी मर परति तिरसक र स दखन व ल भी सम ज म थ उनक

      परति म आदर क स थ पश आि थ मझस यह आश िक नही रखी तक ज ति क ततलए म कछ-

      न-कछ करा म ऐस म नि हा तक यह मधर फल मर अपरतिक र क ही पररण म ह यदद मन

      ज ति म ससतममततलि होन की खटपट की होिी अमधक िड पद करन क परयतन तकय होि ज ति

      व लो को छड -मचढ य होि िो व अवकय मर तवरोध करि और म तवल यि स लौटि ही

      उद सीन और अततलपि रहन क सथ न पर खटपट क फनदद म फा स ज ि और कवल ममरथय तव क

      पोषण करन व ल बन ज ि

      र जकोट म िरनदि धनदध शर करि हा िो हासी होिी ह मर प स जञ न िो इिन भी न थ

      तक र जकोट म प स हए वकील क मक बल म खड हो सका तिस पर फीस उसस दस गनी लन

      क द व कौन मखय मवचककल मझ क म दि अथव कोई ऐस मखय ममल भी ज य िो कय म

      अपन जञ न म धषटि और तवशव सघ ि की वजदध करक अपन ऊपर सास र क ऋण और बढ ला

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      ममिो की सल ह यह रही तक मझ कछ समय क ततलए बमबई ज कर ह ईकोटय की वक लि

      क अनभव पर पि करन और तहनदसि न क क़ नन क अधययन करन च तहए और कोई मक़ददम

      ममल सक िो उसक ततलए कोततशश करनी च तहए म बमबई क ततलए रव न हआ

      लतकन म च र-प ाच महीन स अमधक बमबई म रह ही न सकि थ कयोतक खचय बढि

      ज ि थ और आमदनी कछ भी न थी

      इिन म मझ ममीब ई क मक़ददम ममल समोल कोज कोटय (छोटी अद लि) म ज न थ

      मझस कह गय ldquoदल ल को कमीशन दन पडग rdquo मन स र इनक र कर ददय

      म टस-स-मस न हआ कमीशन मन नही ही ददय तफर भी ममीब ई क मक़ददम िो मझ

      ममल मक़ददम आस न थ मझ बरीफ क (महनि न क) र ३० ममल मक़ददम एक ददन स

      जय द चलन व ल न थ

      मन पहली ब र समोल कोज कोटय म परवश तकय म परतिव दी की िरफ स थ इसततलए

      मझ जजरह करनी थी म खड िो हआ पर पर क ापन लग ततसर चकर न लग मझ ऐस लग

      म नो अद लि घम रही ह सव ल कछ सझि ही न थ जज हास होग वकीलो को िो मज

      आय ही होग पर मरी आाखो क स मन िो अाधर थ ndash म दखि कय

      म बठ गय दल ल स कह ldquoमझस यह मक़ददम नही चल सकग आप पटल को

      सौतपय मझ दी हई फीस व पस ल लीजजएrdquo

      पटल को उसी ददन क ५१ रपय दकर वकील तकय गय उनक ततलए िो वह एक बछचो

      क खल थ

      म भ ग मझ य द नही तक मवचककल जीि य ह र म शरम य मन तनिय तकय तक

      जब िक परी तहममि न आ ज य कोई मक़ददम न लाग

      मन सोच तक म ततशकषक क क म िो अवकय ही कर सकि हा मन अागरजी क अभय स

      क री तकय थ अिएव मन सोच तक यदद तकसी ह ईसकल म मदरक की ककष म अागरजी ततसख न

      क क म ममल ज य िो कर ला खचय क गडढ कछ िो भर

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      मन अखब रो म तवजञ पन पढ ldquoआवकयकि ह अागरजी ततशकषक की परतिददन एक घाट

      क ततलए विन र० ७५rdquo यह एक परततसदध ह ईसकल क तवजञ पन थ मन पर थयन -पि भज मझ

      परतयकष ममलन की आजञ हई म बडी उमागो क स थ ममलन गय पर जब आच यय को पि चल

      तक म बी० ए० नही हा िो उनदहोन मझ खदपवयक तबद कर ददय

      ldquoपर मन लनददन की मदरकयलशन परीकष प स की ह लदटन मरी दसरी भ ष थीrdquo मन

      कह

      ldquoसो ठीक ह पर हम िो गरजयएट की ही आवकयकि हrdquo

      म ल च र हो गय मरी तहममि छट गयी बड भ ई भी मचननदिि हए हम दोनो न सोच

      तक बमबई म अमधक समय तबि न तनरथयक ह मझ र जकोट म ही जमन च तहए

      बमबई स तनर श होकर म र जकोट पहाच वह ा अलग दफिर खोल ग डी कछ चली

      अरजिय ा ततलखन क क म ममलन लग और हर महीन औसि र ३०० की आमद नी होन लगी

      अजी-द व ततलखन क यह क म मझ मरी होततशय री क क रण नही ममलन लग थ क रण थ

      वसील बड भ ई क स थ क म करन व ल वकील की वक लि जमी हई थी उनक प स जो

      बहि महततव क अजी-द व आि अथव जजनदह व महततव क म नि उनक क म िो बड ब ररसटर

      क प स ही ज ि थ उनक ग़रीब मवचककलो क अजी-द व ततलखन क क म मझ ममलि थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      १८ पहला आघात

      पोरबदर क भिपवय र ण स हब को गददी ममलन स पहल मर भ ई उनक मािी और सल हक र थ

      उन पर इस आशय क आरोप लग य गय थ तक उन ददनो उनदहोन र ण स हब को ग़लि सल ह

      दी थी उस समय क पोततलदटकल एजणट क प स यह ततशक यि पहाची थी और मर भ ई क ब रम

      उनक खय ल खर ब हो गय थ इस अमधक री स म तवल यि म ममल थ कह सकि हा तक

      वह ा उनदहोन मझस अछछी दोसिी कर ली थी भ ई न सोच तक इस पररचय क ल भ उठ कर मझ

      पोततलदटकल एजणट स दो शबद कहन च तहए और उन पर जो खर ब असर पड ह उस ममट न

      की कोततशश करनी च तहए मझ ब ि तबलकल अछछी न लगी मन सोच मझको तवल यि क

      न-कछ-स पररचय क ल भ नही उठ न च तहए अगर मर भ ई न कोई बर क म तकय ह िो

      ततसर ररश स कय होग अगर नही तकय ह िो व तवमधवि पर थयन -पि भज अथव अपनी

      तनदोषि पर तवशव स रखकर तनभयय रह यह दलील भ ई क गल न उिरी उनदहोन कह ldquoिम

      क दठय व ड को नही ज नि तनय द री अभी िमह सीखनी ह यह ा िो वसील स स र क म

      चलि ह िमह र सम न भ ई अपन पररमचि अमधक री स ततसर ररश क दो शबद कहन क मौक़

      आन पर दर हट ज य िो यह उमचि नही कह ज एग rdquo

      म भ ई की इछछ को ट ल नही सक अपनी मजी क खखल र म गय अरसर क प स

      ज न क मझ कोई अमधक र न थ मझ इसक खय ल थ तक ज न म मर सव कषभम न नषट होग

      तफर भी मन उसस ममलन क समय म ाग मझ समय ममल और म ममलन गय पर न पररचय

      क समरण कर य पर मन िरनदि ही दख तक तवल यि और क दठय व ड म रक़य ह अपनी कसी

      पर बठ हए अरसर और छटटी पर गय हए अरसर म भी रक़य होि ह अमधक री न पररचय की

      ब ि म न ली पर इसक स थ ही वह अमधक अकड गय मन उसकी अकड म दख और आाखो

      म पढ म नो व कह रही हो तक उस पररचय क ल भ उठ न क ततलए िो िम नही आय हो न

      यह समझि हए भी मन अपनी ब ि शर की स हब अधीर हो गय बोल ldquoिमह र भ ई परपाची

      ह म िमस जय द ब ि सनन नही च हि मझ समय नही ह िमह र भ ई को कछ कहन हो

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      िो व तवमधवि पर थयन -पि दrdquo यह उिर पय यपि थ यथ थय थ पर ग़रज िो ब वली होिी ह न

      म अपनी ब ि कह ज रह थ स हब उठ ldquoअब िमह ज न च तहएrdquo

      मन कह ldquoपर मरी ब ि िो परी सन लीजजएrdquo

      स हब खब मचढ गय ldquoचपर सी इस दरव ज ददख ओrdquo

      चपर सी न मझ ह थ स धकक दकर दरव ज क ब हर कर ददय

      स हब गय चपर सी गय म चल अकल य खीझ मन िरनदि एक पि घसीट

      ldquoआपन मर अपम न तकय ह चपर सी क जररय मझ पर हमल तकय ह आप म री नही

      म गग िो म आप पर म नह तन क तवमधवि द व करा ग rdquo थोडी ही दर म स हब क सव र

      जव ब द गय उसक स र यह थ

      ldquoिमन मर स थ असभयि क वयवह र तकय ज न क ततलए कहन पर भी िम नही गय

      इसस मन जरर अपन चपर सी को िमह दरव ज ददख न क ततलए कह चपर सी क कहन पर

      भी िम दफिर स ब हर नही गय िब उसन िमह दफिर स ब हर कर दन क ततलए आवकयक बल

      क उपयोग तकय िमह जो करन हो सो करन क ततलए िम सविनदि होrdquo

      यह जब ब जब म ड लकर म माह लटक य घर लौट भ ई को स र ह ल सन य व ःखी

      हए पर व मझ कय िसलली दि उनदहोन वकील ममिो स चच य की म कौन द व द यर करन

      ज नि थ उन ददनो सर फीरोजश ह महि अपन तकसी मक़ददम क ततसलततसल म बमबई स

      र जकोट आय हए थ मर जस नय ब ररसटर उनस कस ममल सकि थ पर उनदह बल न व ल

      वकील क दव र पि भजकर मन उनकी सल ह पछव यी उनक उिर थ ldquoग ाधी स कतहय ऐस

      अनभव िो सब वकील-ब ररसटरो को हए होग िम अभी नय ही हो तवल यि की खम री अभी

      िम पर सव र ह िम अागरज अमधक ररयो को पहच नि नही हो अगर िमह सख स रहन हो और

      दो पस कम न हो िो ममली हई मचटठी फ ड ड लो और जो अपम न हआ ह उस पी ज ओ म मल

      चल न स िमह एक प ई क भी ल भ न होग उलट िम बरब द हो ज ओग िमह अभी जीवन

      क अनभव पर पि करन हrdquo

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      मझ यह ततसख वन जहर की िरह कडवी लगी पर उस कडवी घाट को पी ज न क ततसव

      और कोई उप य न थ म अपम न को भल िो न सक पर मन उसक सपयोग तकय मन

      तनयम बन ततलय ldquoम तफर कभी अपन को ऐसी चसथति म नही पडन दाग इस िरह तकसी की

      ततसर ररश न करा ग rdquo इस तनयम क मन कभी उललाघन नही तकय इस आघ ि न मर जीवन

      की ददश बदल दी

      मर उि अमधक री क यह ा ज न अवकय दोषयि थ पर अमधक री की अधीरि उसक

      रोष और उदधिि क स मन मर दोष छोट हो गय दोष क दणड चपर सी क धकक न थ

      मर जय द िर क म िो उसी की अद लि म रहि थ खश मद म कर ही नही सकि

      थ म इस अमधक री को अनमचि रीि स ररझ न नही च हि थ उस न ततलश की धमकी दकर

      म न ततलश न करा और उस कछ भी न ततलखा यह भी मझ अछछ न लग

      इस बीच मझ क दठय व ड क ररय सिी षडयािो क भी कछ अनभव हआ क दठय व ड

      अनक छोट-छोट र जयो क परदश ह यह ा मतसदददयो क बड सम ज होन सव भ तवक ही थ

      र जयो क बीच सकषम षडयाि चलि पदो की पर नपि क ततलए स जजश होिी र ज कछच क न क

      और परवश रहि स हबो क अदयततलयो िक की खश मद की ज िी सररकिद र िो स हब स भी

      सव य होि सररकिद र की इछछ ही क़ नन थी सररकिद र की आमदनी स हब की आमदनी

      स जय द म नी ज िी थी साभव ह इसम अतिशयोतति हो पर सररकिद र क अलप विन की

      िलन म उसक खचय अवकय ही अमधक होि थ

      यह व ि वरण मझ तवष-स परिीि हआ म अपनी सविािि की रकष कस कर सका ग

      इसकी मचनदि बर बर बनी रहिी म उद सीन हो गय भ ई न मरी उद सीनि दखी एक तवच र

      यह आय तक कही नौकरी कर ला िो म इन खटपटो स मि रह सकि हा पर तबन खटपट क

      दीव न क य नदय य धीश क पद कस ममल सकि थ

      वक लि करन म स हब क स थ क झगड ब धक बनि थ

      म अकल य

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      इसी बीच भ ई क प स पोरबादर की एक ममन फमय क सादश आय ldquoदकषकषण अफ़रीक

      म हम र वय प र ह हम री फमय बडी ह वह ा हम र एक बड मक़ददम चल रह ह च लीस हज र

      पौड क द व ह म मल बहि लमब समय स चल रह ह हम र प स अछछ-स-अछछ वकील-

      ब ररसटर ह अगर आप अपन भ ई को भज िो व हम री मदद कर और उनदह भी कछ मदद ममल

      ज एा व हम र म मल हम र वकील को अछछी िरह समझ सक ग इसक ततसव व नय दश

      दखग और कई नय लोगो स उनकी ज न-पहच न होगीrdquo

      मन पछ ldquoआप मरी सव य तकिन समय क ततलए च हि ह आप मझ विन कय दगrdquo

      ldquoहम एक स ल स अमधक आपकी जररि नही रहगी आपको पहल दज क म गयवयय

      दग और तनव स िथ भोजन-खचय क अल व १०५ पौड दगrdquo

      इस वक लि नही कह सकि यह नौकरी थी पर मझ िो जस भी बन तहनदसि न छोडन

      थ नय दश दखन को ममलग और अनभव पर पि होग सो अलग भ ई को १०५ पौड भजाग

      िो घर क खचय चल न म कछ मदद होगी यह सोचकर मन विन क ब र म तबन कछ जझक-

      जझक तकय ही सठ अबल करीम क परसि व सवीक र कर ततलय और म दकषकषण अफ़रीक ज न क

      ततलए िय र हो गय

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      भाग-४ दकषिि अफ़रीका म

      १९ दकषिि अफ़रीका पहाचा

      नाताल क बनददरग ह को डरबन कहि ह और वह न ि ल बनददर क न म स भी पहच न ज ि ह

      मझ लन क ततलए अबलल सठ आय थ सटीमर क घ ट (डक) पर पहाचन पर जब न ि ल क

      लोग अपन ममिो को लन सटीमर पर आय िभी म समझ गय तक यह ा तहनदसि तनयो की अमधक

      इजजि नही ह अबलल सठ को पहच नन व ल उनक स थ जस बरि व करि थ उसम भी

      मझ एक परक र की असभयि ददख यी पडी थी जो मझ वयततथि करिी थी अबलल सठ इस

      असभयि को सह लि थ व उसक आदी बन गय थ मझ जो दखि व कछ किहल की दतषट स

      दखि थ अपनी पोश क क क रण म दसर तहनदसि तनयो स कछ अलग पड ज ि थ मन उस

      समय फरोक कोटrsquo बगर पहन थ और ततसर पर बाग ली ढाग की पगडी पहनी थी

      अबलल सठ मझ घर ल गय उनक कमर की बगल म एक कमर थ वह उनदहोन मझ

      ददय न व मझ समझि और न म उनदह समझि उनदहोन अपन भ ई क ददय हए पि पढ और व

      जय द घबर य उनदह ज न पड तक भ ई न िो उनक घर एक सफद ह थी ही ब ाध ददय ह मरी

      स हबी रहन-सहन उनदह खचीली म लम हई उस समय मर ततलए कोई ख स क म न थ उनक

      मक़ददम िो र नदसव ल म चल रह थ मझ िरनदि वह ा भजकर कय करि इसक अल व मरी

      होततशय री य ईम नद री क तवशव स भी तकस हद िक तकय ज एा तपरटोररय म व मर स थ रह

      नही सकि थ परतिव दी तपरटोररय म रहि थ मझ पर उसक अनमचि परभ व पड ज य िो कय

      हो यदद व मझ इस मक़ददम क क म न सौप िो दसर क म िो उनक क रकन मझस बहि

      अछछ कर सकि थ क रकनो स गलिी हो िो उनदह उल हन ददय ज सकि थ पर म ग़लिी

      करा िो अिएव यदद मक़ददम क क म न सौप ज ि िो मझ घर बठ खखल न की नौबि आिी

      अबलल सठ बहि कम पढ-ततलख थ पर उनक प स अनभव क जञ न बहि थ उनकी

      बजदध िीवर थी और सवया उनदह इसक भ न थ ब िचीि करन ल यक अागरजी क जञ न पर पि कर

      ततलय थ पर अपनी इस अागरजी क दव र व अपन सब क म तनक ल लि थ व बक क मनजरो

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      स ब िचीि करि थ यरोतपयन वय प ररयो क स थ सौद कर लि थ और वकीलो को अपन म मल

      समझ सकि थ तहनदसि नी उनकी बहि इजजि करि थ उन ददनो उनकी फमय तहनदसि तनयो

      की फमो म सबस बडी अथव बडी फमो म एक िो थी ही

      व दसर य िीसर ददन मझ डरबन की अद लि ददख न ल गय वह ा कछ ज न-पहच न

      कर यी अद लि म मझ अपन वकील क प स बठ य मजजसरट मझ ब र-ब र दखि रह उसन

      मझ पगडी उि रन क ततलए कह मन इनक र तकय और अद लि छोड दी

      मर भ गय म यह ा भी लड ई ही बदी थी

      मन पगडी क तकसस को लकर अपन और पगडी क बच व म सम च रपिो क न म एक

      पि ततलख अखब रो म मरी पगडी की खब चच य हई अनवलकम तवजजटर ndash अव ामछि अतिततथ

      ndash शीषयक स अखब रो म मरी चच य हई और िीन- च र ददन क अादर ही म अन य स दकषकषण

      अफ़रीक म परततसजदध प गय तकसीन मर पकष ततलय और तकसीन मरी धषटि की खब तननद द की

      मरी पगडी िो लगभग दकषकषण अफ़रीक म अनदि िक बनी रही

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      २० नपरटोररया जात हए

      इतन म फमय क वकील की िरफ स पि ममल तक मक़ददम की िय री की ज नी च तहए और खद

      अबलल सठ को तपरटोररय ज न च तहए अथव तकसीको वह ा भजन च तहए

      अबलल सठ न वह पि मझ पढन को ददय और पछ ldquoआप तपरटोररय ज एागrdquo मन

      कह ldquoमझ म मल समझ इय िभी कछ कह सका ग अभी िो म नही ज नि तक मझ वह ा कय

      करन होग rdquo उनदहोन अपन मनीमो स कह तक व मझ म मल समझ द

      म स िव य आठव ददन डरबन स रव न हआ मर ततलए पहल दज क दटकट कट य

      गय वह ा रल म सोन की सतवध क ततलए प ाच ततशसलिग की अलग दटकट कट न होि थ

      अबलल सठ न उस कट न क आगरह तकय पर मन हठवश अकषभम नवश और प ाच ततशसलिग

      बच न क तवच र स तबसिर क दटकट कट न स इनक र कर ददय

      अबलल सठ न मझ चि य ldquoदखखय यह दश दसर ह तहनदसि न नही ह खद की

      महरब नी ह आप पस की का जसी न कीजजए आवकयक सतवध पर पि कर लीजजएrdquo

      मन उनदह धनदयव द ददय और तनकषिनदि रहन को कह

      रन लगभग नौ बज न ि ल की र जध नी मररतसबगय पहाची यह ा तबसिर ददय ज ि थ

      रलव क तकसी नौकर न आकर पछ ldquoआपको तबसिर की जररि हrdquo

      मन कह ldquoमर प स अपन तबसिर हrdquo

      वह चल गय इस बीच एक य िी आय उसन मरी िरफ दख मझ कषभनदन वणय क

      प कर वह परश न हआ ब हर तनकल और एक-दो अरसरो को लकर आय तकसीन मझ कछ

      न कह आखखर एक अरसर आय उसन कह ldquoइधर आओ िमह आखखरी मडब म ज न हrdquo

      मन कह ldquoमर प स पहल दज क दटकट हrdquo

      उसन जव ब ददय ldquoइसकी कोई ब ि नही म िमस कहि हा तक िमह आखखरी मडब म

      ज न ह

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      म कहि हा तक मझ इस मडब म डरबन स बठ य गय ह और म इसीम ज न क इर द

      रखि हा rdquo

      अफसर न कह ldquoयह नही हो सकि िमह उिरन पडग और न उिर िो ततसप ही

      उि रग rdquo

      मन कह ldquoिो तफर ततसप ही भल उि र म खद िो नही उिरा ग rdquo

      ततसप ही आय उसन मर ह थ पकड और मझ धकक दकर नीच उि र मर स म न

      उि र ततलय मन दसर मडब म ज न स इनक र कर ददय रन चल दी म वोटटिग रम म बठ गय

      अपन ldquoहणड-बगrdquo स थ म रख ब की स म न को ह थ न लग य रलव व लो न उस कही

      रख ददय सरदी क मौसम थ दकषकषण अफ़रीक की सरदी ऊा च ई व ल परदशो म बहि िज

      होिी ह मररतसबगय इसी परदश म थ इसस ठणड खब लगी मर ओवर-कोट मर स म न म थ

      पर स म न म ागन की तहममि न हई तफर अपम न हो िो ठणड स म क ापि रह कमर म

      दीय न थ आधी र ि क करीब एक य िी आय ज न पड तक वह कछ ब ि करन च हि ह

      पर म ब ि करन की मनःचसथति म न थ

      मन अपन धमय क तवच र तकय य िो मझ अपन अमधक रो क ततलए लडन च तहए य

      लौट ज न च तहए नही िो जो अपम न हो उनदह सहकर तपरटोररय पहाचन च तहए और मक़ददम

      खिम करक दश लौट ज न च तहए मक़ददम अधर छोडकर भ गन िो न मदी होगी मझ जो

      कषट सहन पड ह सो िो ऊपरी कषट ह वह गहर ई िक पठ हए मह रोग क लकषण ह यह

      मह रोग ह राग-दवष यदद मझम इस गहर रोग को ममट न की शतति हो िो उस शतति क उपयोग

      मझ करन च तहए ऐस करि हए सवया जो कषट सहन पड सो सब सहन च तहए और उनक

      तवरोध राग-रष को ममट न की दतषट स ही करन च तहए

      यह तनिय करक मन दसरी रन म जस भी हो आग ही ज न क रसल तकय

      सबर ही सबर मन जनरल मनजर को ततशक यि क लमब ि र भज द द अबलल को

      भी खबर भजी अबलल सठ िरनदि जनरल मनजर स ममल जनरल मनजर न अपन आदममयो

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      क वयवह र क बच व तकय पर बिल य तक मझ तबन तकसी रक वट क मर सथ न िक पहाच न

      क ततलए सटशन-म सटर को कह ददय गय ह अबलल सठ न मररतसबगय क तहनदद वय प ररयो को

      भी मझस ममलन और मरी सख-सतवध क खय ल रखन क ि र भज और दसर सटशनो पर भी

      इसी आशय क ि र रव न तकय इसस वय प री मझ ममलन सटशन पर आय उनदहोन अपन ऊपर

      पडन व ल कषटो की कह नी मझ सन यी और मझस कह तक आप पर जो बीिी ह उसम आियय

      की कोई ब ि नही ह जब तहनदसि नी लोग पहल य दसर दज म सरर करि ह िो अमधक ररयो

      और य तियो की िरफ स रक वट खडी होिी ही ह ददन ऐसी ही ब ि सनन म बीि र ि पडी

      रन आयी मर ततलए जगह िय र ही थी तबसिर क जो दटकट मन डरबन म कट न स इनक र

      तकय थ वह मररतसबगय म कट य रन मझ च लसयट उन की ओर ल चली

      रन सबह च लसयट उन पहाचिी थी उन ददनो च लसयट उन स जोह तनसबगय पहाचन क ततलए

      रन नही थी घोडो की ततसकरम थी और बीच म एक र ि सटणडरटन म रकन पडि थ मर प स

      ततसकरम क दटकट थ मर एक ददन दर स पहाचन क क रण वह दटकट रद नही होि थ इसक

      ततसव अबलल सठ न ततसकरम व ल क न म च लसयट उन क पि पर ि र भी कर ददय थ पर

      एजनदट को िो बह न ही खोजन थ इसततलए मझ तनर अजनबी समझकर उसन कह ldquoआपक

      दटकट िो रद हो चक हrdquo मन उमचि उिर ददय पर दटकट रद होन की ब ि िो मझ दसर ही

      क रण स कही गयी थी य िी सब ततसकरम क अनददर ही बठि थ लतकन म िो कली की तगनिी

      म थ अजनबी ददख ई पडि थ इसततलए ततसकरम व ल की नीयि यह थी तक मझ गोर य तियो

      क प स न बठ न पड िो अछछ हो ततसकरम क ब हर अथ यि कोचव न की बगल म द य-ब य

      दो बठक थी उनम स एक पर ततसकरम-कमपनी क एक गोर मखखय बठि थ वह अनददर बठ

      और मझ कोचव न की बगल म बठ य म समझ गय तक यह तनर अनदय य ह ndash अपम न ह पर

      मन इस अपम न को पी ज न उमचि समझ म जोर-जबरदसिी स अनददर बठ सका ऐसी चसथति

      थी ही नही अगर िकर र म पड ा िो ततसकरम चली ज य और मर एक ददन और टट ज य और

      तफर दसर ददन कय हो सो िो दव ही ज न इसततलए म समझद री स क म लकर ब हर बठ गय

      पर मन म िो बहि झाझल य

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      लगभग िीन बज ततसकरम प रडीकोप पहाची अब उस गोर मखखय न च ह तक जह ा म

      बठ थ वह ा वह बठ उस ततसगरट पीनी थी थोडी हव भी ख नी होगी इसततलए उसन एक मल -

      स बोर जो वही कोचव न क प स पड थ उठ ततलय और पर रखन क पदटय पर तबछ कर

      मझस कह ldquoस मी ि यह ा बठ मझ कोचव न क प स बठन हrdquo म इस अपम न को सहन म

      असमथय थ इसततलए मन डरि-डरि उसस कह ldquoिमन मझ यह ा बठ य और मन वह अपम न

      सह ततलय मरी जगह िो अनददर थी पर िम अनददर बठ गय और मझ यह ा बठ य अब िमह ब हर

      बठन की इछछ हई ह और ततसगरट पीनी ह इसततलए िम मझ अपन परो क प स बठ न च हि

      हो म अनददर ज न को िय र हा पर िमह र परो क प स बठन को िय र नहीrdquo

      म मतककल स इिन कह प य थ तक मझ पर िम चो की वष य होन लगी और वह गोर

      मरी ब ाह पकडकर मझ नीच खीचन लग बठक क प स ही पीिल क सीखच थ मन भि की

      िरह उनदह पकड ततलय और तनिय तकय तक कल ई च ह उखड ज य पर सीखच न छोड ाग मझ

      पर जो बीि रही थी उस अनददर बठ हए य िी दख रह थ वह गोर मझ ग ततलय ा द रह थ खीच

      रह थ म र भी रह थ पर म चप थ वह बलव न थ और म बलहीन य तियो म स कइयो

      को दय आयी और उनम स कछ बोल उठः ldquoअर भ ई उस बच र को वह ा बठ रहन दो उस

      न हक म रो मि उसकी ब ि सच ह वह ा नही िो उस हम र प स अनददर बठन दोrdquo गोर न कह

      ldquoहरतगज नही पर थोड शरममनदद वह जरर हआ अिएव उसन मझ म रन बनदद कर ददय

      और मरी ब ाह छोड दी दो-च र ग ततलय ा िो जय द दी पर एक होटणट ट नौकर दसरी िरफ बठ

      थ उस अपन परो क स मन बठ कर खद ब हर बठ य िी अनददर बठ गय सीटी बजी ततसकरम

      चली मरी छ िी िो धडक ही रही थी मझ शक हो रह थ तक म जजनदद मक म पर पहाच सका ग

      य नही वह गोर मरी ओर बर बर घरि ही रह अागली ददख कर बडबड ि रह ldquoय द रख

      सटणडरटन पहाचन द तफर िझ मज चख ऊा ग rdquo म िो गाग ही बठ रह और भगव न स अपनी

      रकष क ततलए पर थयन करि रह

      र ि हई सटणडरटन पहाच कई तहनदसि नी चहर ददख ई ददय मझ कछ िसलली हई

      नीच उिरि ही तहनदसि नी भ इयो न कह ldquoहम आपको ईस सठ की क न पर ल ज न क ततलए

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ही खड ह हम द द अबलल क ि र ममल हrdquo म बहि खश हआ उनक स थ सठ ईस ह जी

      सम र की क न पर पहाच सठ और उनक मनीम-गम किो न मझ च रो ओर स घर ततलय मन

      अपनी बीिी उनदह सन यी व बहि ःखी हए और अपन कडव अनभवो क वणयन करक उनदहोन

      मझ आशवसि तकय म ततसकरम-कमपनी क एजणट को अपन स थ हए वयवह र की ज नक री

      दन च हि थ मन एजणट क न म मचटठी ततलखी उस गोर न जो धमकी दी थी उसकी चच य की

      और यह आशव सन च ह तक सबह आग की य ि शर होन पर मझ दसर य तियो क प स अनददर

      ही जगह दी ज ए मचटठी एजणट को भज दी एजणट न मझ सादश भज ldquoसटणडरटन स बडी

      ततसकरम ज िी ह और कोचव न बगर बदल ज ि ह जजस आदमी क खखल र आपन ततशक यि

      की ह वह कल नही रहग आपको दसर य तियो क प स ही जगह ममलगीrdquo इस सादश स मझ

      थोडी बतरकरी हई मझ म रन व ल उस गोर पर तकसी िरह क कोई मक़ददम चल न क िो मन

      तवच र ही नही तकय थ इसततलए म र क यह परकरण यही सम पि हो गय सबर ईस सठ क

      लोग मझ ततसकरम पर ल गय मझ मन ततसब जगह ममली और तबन तकसी हर नी क म उस र ि

      जोह तनसबगय पहाच गय

      सटणडरटन छोट -स ग ाव ह जोह तनसबगय तवश ल नगर ह अबलल सठ न ि र िो वह ा

      भी द ही ददय थ मझ महममद क ततसम कमरददीन की क न क न म-पि भी ददय थ उनक

      आदमी ततसकरम क पड व पर पहाच थ पर न मन उस दख और न वह मझ पहच न सक मन

      होटल म ज न क तवच र तकय दो-च र होटलो क न म ज न ततलए थ ग डी की ग डी व ल स

      कह तक गर णड नशनल होटल म ल चलो वह ा पहाचन पर मनजर क प स गय जगह म ागी

      मनजर न कषणभर मझ तनह र तफर ततशषट च र की भ ष म कह ldquoमझ खद ह सब कमर भर पड

      हrdquo और मझ तबद तकय इसततलए मन ग डी व ल स महममद क ततसम कमरददीन की क न पर

      ल चलन को कह वह ा अबलगनी सठ मरी र ह दख रह थ उनदहोन मर सव गि तकय मन

      होटल की अपनी बीिी उनदह सन यी व खखलखखल कर हास पड बोल ldquoव हम होटल म कस

      उिरन दगrdquo

      मन पछ ldquoकयो नहीrdquo

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      ldquoसो िो आप कछ ददन रहन क ब द ज न ज एाग इस दश म िो हमी रह सकि ह कयोतक

      हम पस कम न ह इसीततलए न न परक र क अपम न सहन करि ह और पड हए हrdquo यो कहकर

      उनदहोन र नदसव ल म तहनदसि तनयो पर गजरन व ल कषटो क इतिह स कह सन य

      इन अबलगनी सठ क पररचय हम आग और भी करन होग उनदहोन कह ldquoयह दश

      आपक सम न लोगो क ततलए नही ह दखखय कल आपको तपरटोररय ज न ह वह ा आपको िीसर

      दज म ही जगह ममलगी र नदसव ल म न ि ल स अमधक कषट ह यह ा हम र लोगो को पहल य

      दसर दज क दटकट ददय ही नही ज ि rdquo

      मन कह ldquoआपन इसक ततलए परी कोततशश नही की होगीrdquo

      ldquoहमन पि-वयवह र िो तकय ह पर हम र अमधकिर लोग पहल-दसर दज म बठन भी

      कह ा च हि हrdquo

      मन रलव क तनयम म ाग उनदह पढ उनम इस ब ि की गाज इश थी र नदसव ल क मल

      क़ नन सकषमि पवयक नही बन य ज ि थ रलव क तनयमो क िो पछन ही कय थ मन सठ स

      कह ldquoम िो फसटय कल स म ही ज ऊा ग और वस न ज सक िो तपरटोररय यह ा स ३७ मील ही

      िो ह म वह ा घोड ग डी करक चल ज ऊा ग rdquo

      अबलगनी सठ न उसस लगन व ल खचय और समय की िरफ मर धय न खीच पर मर

      तवच र स व सहमि हए मन सटशन-म सटर को पि भज उसम मन अपन ब ररसटर होन की ब ि

      ततलखी यह भी समचि तकय तक म हमश पहल दज म ही सरर करि हा तपरटोररय िरनदि पहाचन

      की आवकयकि की िरफ भी उनक धय न खीच और उनदह ततलख तक उनक उिर की परिीकष

      करन जजिन समय मर प स नही रहग अिएव पि क जव ब प न क ततलए म खद ही सटशन

      पर पहाचाग और पहल दज क दटकट प न की आश रखाग

      इसम मर मन म थोड पच थ मर यह खय ल थ तक सटशन-म सटर ततलखखि उिर िो

      न rsquo क ही दग तफर कली ब ररसटर कस रहि होग इसकी भी वह कोई कलपन न कर

      सकग इसततलए अगर म पर स हबी ठ ठ म उसक स मन ज कर खड रहाग और उसस ब द

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      करा ग िो वह समझ ज यग और श यद मझ दटकट द दग अिएव म फरोक कोट नकट ई

      बगर ड लकर सटशन पहाच सटशन-म सटर क स मन मन तगनद नी तनक लकर रखी और पहल दज

      क दटकट म ाग

      उसन कह ldquoआपन ही मझ मचठटी ततलखी हrdquo

      मन कह ldquoजी ह ा यदद आप मझ दटकट दग िो म आपक एहस न म रनाग मझ आज

      तपरटोररय पहाचन ही च तहएrdquo

      सटशन-म सटर हास उस दय आयी वह बोल ldquoम र नदसव लर नही हा म होलनदडर हा

      आप की भ वन को म समझ सकि हा आपक परति मरी सह नभति ह म आपको दटकट दन

      च हि हा पर एक शिय ह - अगर र सि म ग डय आपको उि र द और िीसर दज म बठ य िो आप

      मझ फ ाततसय नही य नी आप रलव का पनी पर द व न कीजजए म च हि हा तक आपकी य ि

      तनरविधन परी हो आप सजजन ह यह िो म दख ही सकि हाrdquo यो कहकर उसन दटकट क ट

      ददय मन उसक उपक र म न और उस तनशििि तकय अबलगनी सठ मझ तबद करन आय

      थ यह कौिक दखकर व परसनदन हए उनदह आियय हआ पर मझ चि य ldquoआप भलीभ ाति

      तपरटोररय पहाच ज एा िो समझाग तक बड प र हआ मझ डर ह तक ग डय आपको पहल दज म

      आर म स बठन नही दग और ग डय न बठन भी ददय िो य िी नही बठन दगrdquo

      म िो पहल दज क मडब म बठ रन चली जरमिसटन पहाचन पर ग डय दटकट ज ाचन आय

      मझ दखि ही खीझ उठ अागली स इश र करक मझस कह ldquoिीसर दज म ज ओrdquo मन पहल

      दज क अपन दटकट ददख य उसन कह ldquoकोई ब ि नही ज ओ िीसर दज मrdquo

      इस मडब म एक ही अागरज य िी थ उसन ग डय को आड ह थो ततलय ldquoिम इन भल

      आदमी को क यो परश न करि हो दखि नही हो इनक प स पहल दज क दटकट ह मझ इनक

      बठन स ितनक भी कषट नही हrdquo

      यो कहकर उसन मरी िरफ दख और कह ldquoआप इिमीन न स बठ रतहएrdquo

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      ग डय बडबड य ldquoआपको कली क स थ बठन ह िो मर कय तबगडि

      हrdquo और चल ददय

      र ि क़रीब आठ बज रन तपरटोररय पहाची

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      २१ नपरटोररया म पहला टरदन

      सन १८९३ क तपरटोररय सटशन सन १९१४ क तपरटोररय सटशन स तबलकल कषभनदन थ धीमी

      रोशनी व ली बततिय ा जल रही थी य िी भी अमधक नही थ मन सब य तियो को ज न ददय और

      सोच तक दटकट कलकटर को थोडी फरसि होन पर अपन दटकट दाग और यदद वह मझ तकसी

      छोट-स होटल क य ऐस मक न क पि दग िो वह ा चल ज ऊा ग य तफर र ि सटशन पर ही

      पड रहाग इिन पछन क ततलए भी मन बढि न थ कयोतक अपम न होन क डर थ

      सटशन ख ली हआ मन दटकट-कलकटर को दटकट दकर पछि छ शर की उसन सभयि

      स उिर ददय पर मन दख तक वह मरी अमधक मदद नही कर सकि थ उसकी बगल म एक

      अमररकन हबशी सजजन खड थ उनदहोन मझस ब िचीि शर की

      ldquoम दख रह हा तक आप तबलकल अजनबी ह और यह ा आपक कोई ममि नही ह अगर

      आप मर स थ चल िो म आपको एक छोट-स होटल म ल चलाग उसक म ततलक अमररकन ह

      और म उस अछछी िरह ज नि हा मर खय ल ह तक वह आपको दटक लग rdquo

      मझ थोड शक िो हआ पर मन इन सजजन क उपक र म न और उनक स थ ज न

      सवीक र तकय व मझ जोनदसटन क फममली होटल म ल गय पहल उनदहोन मम जोनदसटन को एक

      ओर ल ज कर थोडी ब ि की मम जोनदसटन न मझ एक र ि क ततलए दटक न क़बल तकय और

      वह भी इस शिय पर तक भोजन मर कमर म पहाच दग

      मम जोनदसटन न कह ldquoम आपको तवशव स ददल ि हा तक मर मन म िो क ल-गोर क कोई

      भद नही ह पर मर गर हक सब गोर ही ह यदद म आपको भोजन-गह म भोजन कर ऊा िो मर

      गर हक बर म नग और श यद व चल ज एागrdquo

      मन जव ब ददय ldquoआप मझ एक र ि क ततलए रहन द रह ह इस भी म आपक उपक र

      म नि हा इस दश की चसथति स म कछ-कछ पररमचि हो चक हा म आपकी कदठन ई को समझ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      सकि हा मझ आप खशी स मर कमर म ख न दीजजए कल िक म दसर परबाध कर लन की

      आश रखि हा

      मझ कमर ददय गय मन उसम परवश तकय एक नदि ममलन पर भोजन की र ह दखि

      हआ म तवच रो म डब गय इस होटल म अमधक य िी नही रहि थ कछ दर ब द भोजन क

      स थ वटर को आि दखन क बदल मन मम जोनदसटन को दख उनदहोन कह ldquoमन आपको कमर

      म ख न दन की ब ि कही थी पर मन उसम शरम महसस की इसततलए अपन गर हको स आपक

      तवषय म ब िचीि करक उनकी र य ज नी आप भोजनगह म बठकर भोजन कर िो उनदह कोई

      आपतति नही ह इसक अल व आप यह ा जजिन ददन भी रहन च ह रह उनकी ओर स कोई

      रक वट नही होगी इसततलए अब आप च ह िो भोजन-गह म आइय और जब िक जी च ह यह ा

      रतहएrdquo

      मन तफर उनक उपक र म न और म भोजन-गह म गय तनकषिनदि होकर भोजन तकय

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      २२ खखसती सबधी (ईसाइयो स सपकम )

      दसर ददन सबर म वकील क घर गय उनक न म थ ए० डलय० बकर उनस ममल अबलल

      सठ न मझ उनक ब र म कछ बि ददय थ इसततलए हम री पहली मल क ि स मझ कोई आियय

      न हआ व मझस परमपवयक ममल और मर ब र म कछ ब ि पछी जो मन उनदह बिल दी उनदहोन

      कह ldquoब ररसटर क न ि िो आपक यह ा कोई उपयोग हो ही न सकग इस मक़ददम क ततलए हमन

      अछछ-स-अछछ ब ररसटर कर रख ह मक़ददम लमब ह और गचतथयो स भर हआ ह इसततलए

      आपस म आवकयक िरथय आदद पर पि करन क ही क म ल सका ग पर इिन फ यद अवकय

      होग तक अपन मवचककल क स थ पि-वयवह र करन म मझ अब आस नी हो ज एगी और

      िरथय दद की जो ज नक री मझ पर पि करनी होगी वह म आपक दव र मागव सका ग यह फ यद

      ह जरर आपक ततलए अभी िक मन कोई मक न िो िल श नही तकय ह सोच थ तक आपको

      दखन क ब द खोज लाग यह ा रागभद बहि ह इसततलए घर ममलन आस न नही ह पर म एक

      बहन को ज नि हा वह ग़रीब ह भदटय र की सिी ह मर खय ल ह तक वह आपको दटक लगी

      उस भी कछ मदद हो ज एागी चततलए हम उसक यह ा चल

      यो कहकर व मझ वह ा ल गय मम बकर न उस बहन को एक ओर ल ज कर उसस कछ

      ब ि की और उसन मझ दटक न सवीक र तकय हफि क पिीस ततशसलिग दन क तनिय हआ

      मम बकर वकील थ और कटटर प दरी भी थ व अभी जीतवि ह और आजकल कवल

      प दरी क ही क म करि ह वक लि उनदहोन छोड दी ह रपय-पस स सखी ह उनदहोन मर स थ

      अब िक पि-वयवह र ज री रख ह पिो क तवषय एक ही होि ह व अपन पिो म अलग-

      अलग ढाग स ईस ई धमय की उिमि की चच य करि ह और इस ब ि क परतिप दन करि ह तक

      ईस को ईशवर क एकम ि पि और ि रनह र म न तबन परम श ाति नही ममल सकिी

      हम री पहली ही मल क ि म मम बकर न धमय-साबाधी मरी मनःचसथति ज न ली मन उनदह

      बि ददय ldquoम जनदम स तहनदद हा इस धमय क भी मझ अमधक जञ न नही ह दसर धमो क जञ न

      भी कम ही ह म कह ा हा कय म नि हा मझ कय म नन च तहए यह सब म नही ज नि अपन

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      धमय क अधययन म गाभीरि स करन च हि हा दसर धमो क अधययन भी यथ शतति करन क

      मर इर द ह

      यह सब सनकर मम बकर खश हए और बोल ldquoम सवया स उथ अफ़रीक जनरल ममशन

      क एक ड यरकटर हा मन अपन खचय स एक तगरज घर बनव य ह उसम समय-समय पर धमय-

      साबाधी वय खय न ददय करि हा म रागभद को नही म नि मर स थ क म करन व ल कछ स थी

      भी ह हम परतिददन एक बज कछ ममनट क ततलए ममलि ह और आतम की श ाति िथ परक श

      (जञ न क उदय) क ततलए पर थयन करि ह उसम आप आयग िो मझ खशी होगी वह ा म अपन

      स ततथयो स भी आपकी पहच न कर दाग व सब आपस ममलकर परसनद न होग और मझ तवशव स

      ह तक उनक सम गम आपको भी अछछ लगग

      मन मम बकर को धनदयव द ददय और अपन बसभर रोज एक बज उनक माडल म पर थयन

      क ततलए पहाचन सवीक र तकय

      दसर ददन एक बज म मम बकर क पर थयन -सम ज म गय वह ा ममस हररस ममस गब

      मम कोटस आदद स पररचय हआ

      ममस हररस और ममस गब दोनो परौढ अवसथ की कम ररक य थी मम कोटस कवकर थ

      य दोनो कम ररक य स थ रहिी थी उनदहोन मझ हर रतवव र को च र बज की च य क ततलए अपन

      घर आन क तनमािण ददय मम कोटस जब ममलि िो मझ हर रतवव र को उनदह हफिभर की

      अपनी ध रमिक ड यरी सन नी पडिी कौन-कौनसी पसिक मन पढी मर मन पर उनक क य

      परभ व पड इसकी चच य होिी

      मम कोटस एक स र ददल व ल चसि नवजव न कवकर थ उनक स थ मर ग ढ साबाध हो

      गय थ हम बहि ब र एकस थ घमन भी ज य करि थ व मझ दसर ईस इयो क घर भी ल

      ज ि थ

      मम कोटसन मझ पसिको स ल द ददय जस-जस व मझ पहच नि ज ि वस-वस उनदह

      अछछी लगन व ली पसिक व मझ पढन को दि रहि मन भी कवल शरदध वश ही उन पसिको को

      पढन सवीक र तकय

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      सन १८९३ क वषय म मन ऐसी पसिक बहि पढी

      पर मम कोटस ह रन व ल आदमी नही थ उनक परम क प र न थ उनदहोन मर गल म

      वषणणी कणठी दखी िलसी क मन क की म ल उनदह यह वहम ज न पड और व ःखी हए

      बोल ldquoयह वहम िम जसो को शोभ नही दि ल ओ इस िोड दाrdquo

      ldquoयह कणठी नही टट सकिी म ि जी की परस दी हrdquo

      ldquoपर क य िम इसम तवशव स करि होrdquo

      ldquoम इसक गढ थय नही ज नि इस न पहनन स मर अकलय ण होग ऐस मझ परिीि

      नही होि पर म ि जी न जो म ल मझ परमपवयक पहन यी ह जजस पहन न म उनदहोन मर

      कलय ण म न ह उसक तय ग म तबन क रण नही करा ग समय प कर यह जीणय हो ज एागी

      और टट ज एागी िो दसरी पर पि करक पहनन क लोभ मझ नही रहग पर यह कणठी टट नही

      सकिीrdquo

      मम कोटस मरी इस दलील की कर नही कर सक कयोतक उनदह िो मर धमय क परति ही

      अन सथ थी व मझ अजञ न-कप म स उब र लन की आश रखि थ व मझ यह बि न च हि थ

      तक दसर धमो म भल ही कछ सतय हो पर पणय सतयरप ईस ई धमय को सवीक र तकय तबन मोकष

      ममल ही नही सकि ईस की मधयसथि क तबन प प धल ही नही सकि और स र पणयकमय

      तनरथयक हो ज ि ह

      मर भतवषय क ब र म मम बकर की मचनदि बढिी ज रही थी व मझ बसलिगटन कनदवनदशन

      म ल गय

      सममलन िीन ददन चल म सममलन म आन व लो की ध रमिकि को समझ सक उसकी

      सर हन कर सक पर मझ अपन तवशव स म ndash अपन धमय म ndash पररवियन करन क क रण न

      ममल मझ यह परिीति न हई तक ईस ई बनकर ही म सवगय ज सकि हा अथव मोकष प सकि

      हा जब यह ब ि मन अपन भल ईस ई ममिो स कही िो उनको चोट िो पहाची पर म ल च र थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ईस की मतय स और उनक रि स सास र क प प धलि ह इस अकषरश सच म नन क

      ततलए बजदध िय र नही होिी थी रपक क रप म उसम सतय च ह हो इसक अतिररि ईस इयो

      क यह तवशव स ह तक मनषय क ही आतम ह दसर जीवो क नही और दह क न श क स थ उनक

      सापणय न श हो ज ि ह जब तक मर तवशव स इसक तवरदध थ म ईस को एक तय गी मह तम

      दवी ततशकषक क रप म सवीक र कर सकि थ पर उनदह अतदविीय परष क रप म सवीक र करन

      मर ततलए शक य न थ ईस इयो क पतवि जीवन म मझ ऐसी कोई चीज नही ममली जो अनदय

      धम यवलसतमबयो क जीवन म न ममली हो उनम होन व ल पररवियनो जस ही पररवियन मन दसरो क

      जीवन म भी होि दख थ ततसदध नदि की दतषट स ईस ई ततसदध नदिो म मझ कोई अलौतककि नही

      ददख ई पडी तय ग की दतषट स तहनदद धम यवलसतमबयो क तय ग मझ ऊा च म लम हआ म ईस ई

      धमय को समपणय अथव सवोपरी धमय क रप म सवीक र न कर सक

      पर जजस िरह म ईस ई धमय को सवीक र न कर सक उसी िरह तहनदद धमय की समपणयि

      क तवषय म अथव उसकी सवोपररि क तवषय म भी म उस समय तनिय न कर सक तहनदद धमय

      की िदटय ा मरी आाखो क स मन िर करिी थी यदद असपकयि तहनदद धमय क अाग ह िो वह

      सड हआ और ब द म जड हआ अाग ज न पड अनक समपरद यो की अनक ज ि-प ािो की

      हसिी को म समझ न सक अकल वदो क ईशवर-परणीि होन क अथय कय ह यदद वद ईशवर-

      परणीि ह िो ब इबल और कर न कयो नही

      मन अपनी कदठन इय ा र यचादभ ई क स मन रखी तहनदसि न क दसर धमयश सतसियो क

      स थ भी पि-वयवह र शर तकय उनकी ओर स उिर भी ममल र यचादभ ई क पि स मझ बडी

      श ाति ममली उनदहोन मझ धीरज रखन और तहनदद धमय क गहर अधययन करन की सल ह दी

      उनक एक व कय क भ व थय यह थ ldquoतनषपकष भ व स तवच र करि हए मझ यह परिीति हई ह

      तक तहनदद धमय म जो सकषम और गढ तवच र ह आतम क तनरीकषण ह दय ह वह दसर धमो म

      नही हrdquo

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      जजस िरह स खखसिी ममिो क मझ पर असर ड लन क परय स थ उसी िरह मसलम न

      ममिो न भी परय स तकय अबलल सठ मझ इसल म क अधययन करन क ततलए ल ल तयि कर

      रह थ

      मन सल क कर न खरीद और पढन शर तकय कछ दसरी इसल मी पसिक भी पर पि

      की तवल यि म ईस ई ममिो स पि-वयवह र शर तकय उनम स एक न एडवडय मटलणड स मर

      पररचय कर य उनक स थ मर पि-वयवह र चलि रह उनदहोन एन हकिगसफडय क स थ ममलकर

      परफकट व (उिम म गय) न मक पसिक ततलखी थी वह मझ पढन क ततलए भजी उसम परचततलि

      ईस ई धमय क खणडन थ उनदहोन मर न म बाइबरल का िया अथड न मक पसिक भी भजी य

      पसिक मझ पसनदद आयी इनस तहनदद मि की पतषट हई टोलसटोय की वकणठ िर हदय म ह

      न मक पसिक न मझ अकषभभि कर ततलय मझ पर उसकी बहि गहरी छ प पडी

      इस परक र मर अधययन मझ ऐसी ददश म ल गय जो ईस ई ममिो की इछछ क तवपरीि

      थी

      इस परक र यदयतप मन ईस ई ममिो की ध रण स कषभनद न म गय पकड ततलय थ तफर भी

      उनक सम गम न मझम जो धमय-जजजञ स ज गरि की उसक ततलए िो म उनक सद क ततलए ॠणी

      बन गय अपन यह साबाध मझ हमश य द रहग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      २३ नहनदसताननयो की परशानी का अधययन

      नाताल म जो सथ न द द अबलल क थ तपरटोररय म वही सथ न सठ ियब ह जी ख नमहममद

      क थ उनक तबन एक भी स वयजतनक क म चल नही सकि थ उनस मन पहल ही हफि म

      ज न-पहच न कर ली मन उनदह बि य तक म तपरटोररय क परतयक तहनदसि नी क समपकय म आन

      च हि हा मन तहनदसि तनयो की चसथति क अधययन करन की अपनी इछछ परकट की और इन

      स र क मो म उनकी मदद च ही उनदहोन खशी स मदद दन क़बल तकय

      मर पहल क़दम िो सब तहनदसि तनयो की एक सभ करक उनक स मन स री चसथति क

      मचि खड कर दन थ

      अनदि म मन यह सझ य तक एक मणडल की सथ पन करक तहनदसि तनयो क कषटो और

      कदठन इयो क इल ज अमधक ररयो स ममलकर और अरजिय ा भजकर करन च तहए और यह

      समचि तकय तक मझ जजिन समय ममलग उिन इस क म क ततलए म तबन विन क दाग

      तनिय हआ तक ऐसी सभ हर महीन य हर हपि की ज य यह सभ नदयन मधक तनयममि

      रप स होिी थी और उसम तवच रो क आद न-परद न होि रहि थ निीज यह हआ तक

      तपरटोररय म श यद ही कोई ऐस तहनदसि नी रह होग जजस म पहच नन न लग होऊा अथव

      जजसकी चसथति स म पररमचि न हो गय होऊा तहनदसि तनयो की चसथति क ऐस जञ न पर पि करन

      क पररण म यह आय तक मझ तपरटोररय म रहन व ल तबरदटश एजणट स पररचय करन की इछछ

      हई म मम जकोबस मड-वट स ममल उनकी सह नभति तहनदसि तनयो क स थ थी उनक परभ व

      कम थ पर उनदहोन यथ समभव मदद करन और ममलन हो िब आकर ममल ज न क ततलए कह

      रलव क अमधक ररयो स मन पि-वयवह र शर तकय और बिल य तक उनदही की क यदो क

      अनस र तहनदसि तनयो को ऊा च दज म य ि करन स रोक नही ज सकि इसक पररण म-

      सवरप यह पि ममल तक अछछ कपड पहन हए तहनदसि तनयो को ऊा च दज क दटकट ददय ज एाग

      इसस परी सतवध नही ममली कयोतक अछछ कपड तकसन पहन ह इसक तनणयय िो सटशन-

      म सटर को ही करन थ न

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      तबरदटश एजणट न मझ तहनदसि तनयो क ब र म हए पि-वयवह र-साबाधी कई क ग़ज पढन

      को ददय ियब सठ न भी ददय थ उनस मझ पि चल तक ओरनदज फरी सटट स तहनदसि तनयो को

      तकस तनदययि क स थ तनक ल ब हर तकय गय थ स र ाश यह तक र नदसव ल और ओरनदज फरी

      सटट क तहनदसि तनयो की आरथिक स म जजक और र जनीतिक चसथति क गहर अधययन म

      तपरटोररय म कर सक इस अधययन क आग चलकर मर ततलए पर उपयोग होन व ल ह इसकी

      मझ जर भी कलपन नही थी मझ िो एक स ल क अनदि म अथव मक़ददम पहल सम पि हो

      ज ए िो उसस पहल ही सवदश लौट ज न थ

      पर ईशवर न कछ और ही सोच रख थ

      र नदसव ल और ओरनदज फरी सटट क तहनदसि तनयो की चसथति क पर मचि दन क यह

      सथ न नही ह उसकी ज नक री च हन व ल को दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास पढन

      च तहए

      र नदसव ल म एक कड क़ नन बन उसक फलसवरप यह िय हआ तक हरएक

      तहनदसि नी को परवश-फीस क रप म िीन पौड जम कर न च तहए उनक ततलए अलग छोडी गयी

      जगह म ही व जमीन-म ततलक हो सकि थ पर वह ा भी उनदह वयवह र म जमीन क सव ममतव नही

      ममल उनदह मि मधक र भी नही ददय गय थ य िो ख स एततशय व ततसयो क ततलए बन क़ नन थ

      इसक अल व जो क़ नन क ल राग क लोगो को ल ग होि थ व भी एततशय व ततसयो पर ल ग होि

      थ उनक अनस र तहनदसि नी लोग पटरी (फटप थ) ) पर अमधक र-पवयक चल नही सकि थ

      और र ि नौ बज क ब द परव न क तबन ब हर नही तनकल सकि थ

      म अकसर मम कोटस क स थ र ि को घमन ज य करि थ कभी-कभी घर पहाचन म

      दस भी बज ज ि थ अिएव पततलस मझ पकड िो यह डर जजिन सवया मझ थ उसस अमधक

      मम कोटस को थ अपन हचबशयो को िो व ही परव न दि थ लतकन मझ परव न कस द सकि

      थ म ततलक अपन नौकर को ही परव न दन क अमधक री थ म लन च हा और मम कोटस दन

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      को िय र हो ज एा िो भी वह नही ददय ज सकि थ कयोतक वस करन तवशव सघ ि म न

      ज ि

      इसततलए मम कोटस य उनक कोई ममि मझ वह ा क सरक री वकील डो कर उज क प स

      ल गय हम दोनो एक ही इन क ब ररसटर तनकल उनदह यह ब ि असहय ज न पडी तक र ि नौ

      बज क ब द ब हर तनकलन क ततलए मझ परव न लन च तहए उनदहोन मर परति सह नभति परकट

      की मझ परव न दन क बदल उनदहोन अपनी िरफ स एक पि ददय उसक आशय यह थ तक

      म च ह जजस समय च ह जह ा ज ऊा पततलस को उसम दखल नही दन च तहए म इस पि को

      हमश अपन स थ रखकर घमन तनकलि थ कभी उसक उपयोग नही करन पड लतकन इस

      िो कवल सायोग ही समझन च तहए

      पटरी पर चलन क परशन मर ततलए कछ गाभीर पररण म व ल ततसदध हआ म हमश

      परततसडणड सरीट क र सि एक खल मद न म घमन ज य करि थ इस महलल म परततसडणड करगर

      क घर थ यह घर सब िरह क आडाबरो स रतहि थ इसक च रो ओर कोई अह ि भी नही

      थ आसप स क दसर घरो म और इसम कोई फरक नही म लम होि थ घर क स मन पहर

      दन व ल सािरी को दखकर ही पि चलि थ तक यह तकसी अमधक री क घर ह म पर यः हमश

      ही इस ततसप ही क तबलकल प स स होकर तनकलि थ पर वह मझ कछ नही कहि थ ततसप ही

      समय-समय पर बदल करि थ एक ब र एक ततसप ही न तबन चि य तबन पटरी पर स उिर

      ज न को कह मझ धकक म र ल ि म री और नीच उि र ददय म िो गहर सोच म पड गय

      ल ि म रन क क रण पछन स पहल ही मम कोटस न जो उसी समय घोड पर सव र होकर उधर

      स गजर रह थ मझ पक र और कह

      ldquoग ाधी मन सब दख ह आप मक़ददम चल न च ह िो म गव ही दाग मझ इस ब ि क

      बहि खद ह तक आप पर इस िरह हमल तकय गय rdquo

      मन कह ldquoइसम खद क कोई क रण नही ततसप ही बच र कय ज न उसक ततलए िो

      क ल-क ल सब एक स ही ह वह हचबशयो को इसी िरह पटरी पर स उि रि होग इसततलए

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      उसन मझ भी धकक म र मन िो तनयम ही बन ततलय ह तक मझ पर जो बीिगी उसक ततलए म

      कभी अद लि म नही ज ऊा ग इसततलए मझ मक़ददम नही चल न हrdquo

      ldquoयह िो आपन अपन सवभ व क अनरप ही ब ि कही ह पर आप इस पर तफर स

      सोमचय ऐस आदमी को कछ सबक िो दन ही च तहएrdquo

      इिन कहकर उनदहोन उस ततसप ही स ब ि की और उस उल हन ददय म स री ब ि िो

      समझ नही सक ततसप ही डच थ और उसक स थ उनकी ब ि डच भ ष म हई ततसप ही न

      मझस म फी म ागी म िो उस पहल ही म र कर चक थ

      लतकन उस ददन स मन वह र सि छोड ददय दसर ततसप तहयो को इस घटन क क य

      पि होग म खद होकर तफर ल ि तकसततलए ख ऊा इसततलए मन घमन ज न क ततलए दसर

      र सि पसनदद कर ततलय

      मन दख तक सव कषभम न की रकष च हन ldquoव ल तहनदसि तनयो क ततलए दकषकषण अफ़रीक

      उपयि दश नही ह यह चसथति तकस िरह बदली ज सकिी ह इसक तवच र म मर मन

      अमधक मधक वयसि रहन लग तकनदि अभी मर मखय धमय िो द द अबलल क मक़ददम को ही

      समभ लन क थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      २४ मक़ददम की तयारी

      अनत म मन द द अबलल क कस म यह दख ततलय तक उनक पकष मजबि ह क़ नन को उनकी

      मदद करनी ही च तहए

      पर मन दख तक मक़ददम लडन म दोनो पकष जो आपस म ररकिद र ह और एक ही नगर

      क तनव सी ह बरब द हो ज एाग कोई कह नही सकि थ तक मक़ददम क अनदि कब होग

      अद लि म चलि रह िो उस जजिन च हो उिन लमब तकय ज सकि थ मक़ददम को लमब

      करन म दो म स तकसी एक पकष क भी ल भ न होि इसततलए साभव हो िो दोनो पकष मक़ददम

      क शीघर अनदि च हि थ

      मन ियब सठ स तबनिी की झगड को आपस म ही तनबट लन की सल ह दी उनदह अपन

      वकील स ममलन को कह यदद दोनो पकष अपन तवशव स क तकसी वयतति को पाच चन ल िो

      म मल झटपट तनबट ज ए वकीलो क खचय इिन अमधक बढि ज रह थ तक उसम उनक

      जस बड वय प री भी बरब द हो ज ि दोनो इिनी मचनदि क स थ मक़ददम लड रह थ तक एक

      भी तनकषिनदि होकर दसर कोई क म नही कर सकि थ इस बीच आपस म बर भी बढि ही ज

      रह थ मझ वकील क धाध स घण हो गयी वकील क न ि िो दोनो क वकीलो को अपन-अपन

      मवचककल को जीिन क ततलए क़ नन की ग ततलय ा ही खोज कर दनी थी इस मक़ददम म पहल-

      पहल मन यह ज न तक जीिन व ल को पर खचय कभी ममल ही नही सकि दसर पकष स तकिन

      खचय वसल तकय ज सकि ह इसकी एक मय यद होिी ह जब तक मवचककल क खचय उसस

      कही अमधक होि ह मझ यह सब असहय म लम हआ मन िो अनभव तकय तक मर धमय दोनो

      की ममिि स धन और दोनो ररकिद रो म मल कर दन ह मन समझौि क ततलए जी-िोड महनि

      की ियब सठ म न गय आखखर पाच तनयि हए उनक स मन मक़ददम चल मक़ददम म द द

      अबलल जीि

      पर इिन स मझ सािोष नही हआ यदद पाच क फसल पर अमल होि िो ियब ह जी

      ख नमहममद इिन रपय एकस थ द ही नही सकि थ दकषकषण अफ़रीक म बस हए पोरबादर क

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ममनो म आपस क ऐस एक अततलखखि तनयम थ तक खद च ह मर ज एा पर ददव ल न तनक ल

      ियब सठ सिीस हज र पौणड और मक़ददम क खचय एक मकि द ही नही सकि थ उनदह न िो

      एक दमडी कम दनी थी और न ददव ल ही तनक लन थ र सि एक ही थ तक द द अबलल

      उनदह क री लमबी मोहलि द द द अबलल न उद रि स क म ततलय और खब लमबी मोहलि

      द दी पाच तनयि कर न म मझ जजिनी महनि पडी उसस अमधक महनि यह लमबी अवमध

      तनकषिि कर न म पडी दोनो पकषो को परसनदनि हई दोनो की परतिषठ बढी मर सािोष की सीम

      न रही म सछची वक लि सीख मनषय क अछछ पहल को खोजन सीख और मनषय-हदय म

      परवश करन सीख मन दख तक वकील क कियवय दोनो पकषो क बीच खदी हई ख ई को प टन

      ह इस ततशकष न मर मन म ऐसी जड जम यी तक बीस स ल की अपनी वक लि क मर अमधक ाश

      समय अपन दफिर म बठकर सकडो अमलो को आपस म सलझ न म ही बीि उसम मन कछ

      खोय नही यह भी नही कह ज सकि तक मन पस खोय आतम िो खोयी ही नही

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      २५ को जान कल की

      मक़ददम क खिम होन पर मर ततलए तपरटोररय म रहन क कोई क रण न रह म डरबन गय

      वह ा पहाचकर मन तहनदसि न लौटन की िय री की अबलल सठ मझ तबन म न-समम न क ज न

      द यह साभव न थ उनदहोन मर तनममि स ततसडनहम म एक स मतहक भोज क आयोजन तकय

      पर ददन वही तबि न थ

      मर प स कछ अखब र पड थ म उनदह पढ रह थ एक अखब र क एक कोन म मन एक

      छोट -स साव द दख उसक शीषयक थ lsquoइचणडयन फर च इज य नी तहनदसि नी मि मधक र

      इस साव द क आशय यह थ तक तहनदसि तनयो को न ि ल की ध र सभ क ततलए सदसय चनन

      क जो अमधक र ह वह छीन ततलय ज एा ध र सभ म इसस समबनदध रखन व ल क़ नन पर बहस

      चल रही थी म इस क़ नन स अपररमचि थ भोज म ससतममततलि सदसयो म स तकसीको भी

      तहनदसि तनयो क अमधक र छीनन व ल इस तबल की कोई खबर न थी

      मन अबलल सठ स पछ उनदहोन कह ldquoइन ब िो को हम कय ज न वय प र पर कोई

      साकट आव िो हम उसक पि चलि हrdquo

      तकनदि मझ िो व पस सवदश ज न थ इसततलए मन उपययि तवच रो को परकट नही तकय

      मन अबलल सठ स कह लतकन अगर यह क़ नन इसी िरह प स हो गय िो आप सबको

      बडी मतककल म ड ल दग यह िो तहनदसि तनयो की आब दी को ममट न क पहल क़दम ह

      इसम हम र सव कषभम न की ह तन हrdquo

      दसर महम न इस चच य को धय नपवयक सन रह थ उनम स एकन कह ldquoम आपस सच

      ब ि कहा अगर आप इस सटीमर स न ज एा और एक ध महीन रक ज एा िो आप जजस िरह

      कहग हम लडगrdquo

      दसर सब एकस थ बोल उठ

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      मन मन म लड ई की रपरख िय र कर ली मि मधक र तकिनो को पर पि ह सो ज न

      ततलय और मन एक महीन रक ज न क तनिय तकय

      इस परक र ईशवर न दकषकषण अफ़रीक म मर सथ यी तनव स की नीव ड ली और सव कषभम न

      की लड ई क बीज रोप गय

      पहल क म िो यह सोच गय तक ध र सभ क अधयकष को ऐस ि र भज ज य तक व

      तबल पर अमधक तवच र करन मलिवी कर द इसी आशय क ि र मखयमािी (सर जोन रोतबनदसन)

      को भी भज

      सब ज नि थ तक यही निीज तनकलग पर कौम म नवजीवन क साच र हआ सब कोई

      यह समझ तक हम एक कौम ह कवल वय प र समबनदधी अमधक रो क ततलए ही नही बचलक कौम

      क अमधक रो क ततलए भी लडन हम सबक धमय ह

      ध र सभ म भजन की अजी िय र की गई और भज दी गई तबल िो प स हो गय

      उन ददनो लोडय ररपन उपतनवश-मािी थ उनदह एक बहि बडी अजी भजन क तनिय तकय

      गय

      अजी ततलखन म मन बहि महनि की जो स तहतय मझ ममल सो सब म

      पढ गय

      अजी पर दस हज र सतहय ा हई एक पखव ड म अजी भजन ल यक सतहय ा पर पि हो

      गयी इिन समय म न ि ल म दस हज र सतहय ा पर पि की गयी इस प ठक छोटी-मोटी ब ि न

      समझ सतहय ा समच न ि ल स पर पि करनी थी लोग ऐस क म स अपररमचि थ तनिय यह थ

      तक सही करन व ल तकस ब ि पर सही कर रह ह इस जब िक वह समझ न ल िब िक सही

      न ली ज य इसततलए ख स िौर पर सवयासवको को भजकर ही सतहय ा पर पि की ज सकिी थी

      ग ाव दर-दर थ इसततलए अमधकिर क म करन व ल लगन स क म कर िभी ऐस क म शीघरि -

      पवयक हो सकि थ ऐस ही हआ

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      अजी गयी उसकी एक हज र परतिय ा छपव यी थी उस अजी क क रण तहनदसि न क

      आम लोगो को न ि ल क पहली ब र पररचय हआ म जजिन अखब रो और स वयजतनक नि ओ

      क न म ज नि थ उिनो को अजी की परतिय ा भजी

      टाइमस ओफ इकषडया न उस पर अगरलख ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग क अछछ

      समथयन तकय तवल यि म भी अजी की परतिय ा सब पकषो क नि ओ को भजी गयी थी वह ा

      लनददन क टाइमस क समथयन पर पि हआ इसस आश बाधी तक तबल माजर न हो सकग

      अब म न ि ल छोड सका ऐसी मरी चसथति नही रही लोगो न मझ च रो जरर स घर ततलय

      और न ि ल म ही सथ यी रप स रहन क अतयनदि आगरह तकय और म न ि ल म ठहर गय

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      २६ नाताल इननडयन काागरस

      भारतीय मि मधक र परतिबाधक क़ नन क तवरदध कवल पर थयन -पि भजकर ही बठ नही ज

      सकि थ उसक ब र म आनददोलन चलि रहन स ही उपतनवश-मािी पर उसक असर पड सकि

      थ इसक ततलए एक सासथ की सथ पन करन आवकयक म लम हआ इस समबनदध म मन

      अबलल सठ स सल ह की दसर स ततथयो स ममल और हमन एक स वयजतनक सासथ खडी करन

      क तनिय तकय

      सन १८९४ क मई म स की २२ ि रीख को न ि ल इतनदडयन क ागरस क जनदम हआ

      न ि ल इचणडयन क ागरस म उपतनवशो म पद हए तहनदसि तनयो न परवश तकय थ और

      महररिरो क सम ज उसम द खखल हआ थ तफर भी मजदरो न तगरममदटय सम ज क लोगो न

      उसम परवश नही तकय थ क ागरस उनकी नही हई थी व उसम चनदद दकर और द खखल होकर

      उस अपन नही सक थ उनक मन म क ागरस क परति परम िो िभी पद हो सकि थ जब क ागरस

      उनकी सव कर ऐस परसाग अपन-आप आ गय और वह भी ऐस समय जब तक म सवया अथव

      क ागरस उसक ततलए श यद ही िय र थी मझ वक लि शर तकय अभी मतककल स दो-च र महीन

      हऐ थ क ागरस क भी बचपन थ इिन म एक ददन ब ल सनददरम न म क एक मर सी तहनदसि नी

      ह थ म स फ ततलए रोि -रोि मर स मन आकर खड हो गय उसक कपड फट हए थ वह थर-

      थर क ाप रह थ उसक माह स खन बह रह थ और उसक दो द ाि टट हए थ उसक म ततलक न

      उस बरी िरह म र थ ि ममल समझन व ल अपन महररिर क दव र मन उसकी चसथति ज न ली

      ब ल सनददरम एक परतिमषठि गोर क यह ा मजदरी करि थ म ततलक तकसी वजह स गसस हआ

      होग उस होश न रह और उसन ब ल सनददरम की खब जमकर तपट ई की पररण म-सवरप

      ब ल सनददरम क दो द ाि टट गय

      मन उस डोकटर क यह ा भज उन ददनो गोर डोकटर ही ममलि थ मझ चोट-समबनदधी

      परम ण-पि की आवकयकि थी उस पर पि करक म ब ल सनददरम को मजजसरट क प स ल गय

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      वह ा ब ल सनददरम क शपथ-पि परसिि तकय उस पढकर मजजसरट म ततलक पर गसस हआ

      उसन म ततलक क न म समन ज री करन क हकम ददय

      मरी नीयि म ततलक को सज कर न की नही थी मझ िो ब ल सनददरम को उसक पाज स

      छड न थ मन तगरममदटयो स साबाध रखन व ल क़ नन की छ नबीन कर ली यदद स ध रण

      नौकर नौकरी छोडि िो म ततलक उसक खखल र दीव नी द व द यर कर सकि थ पर उस

      रौजद री म नही ल ज सकि थ तगरममट म और स ध रण नौकरी म बहि फरक थ पर ख स

      फरक यह थ तक अगर तगरममदटय म ततलक को छोड िो वह फौजद री गन ह म न ज ि थ

      और उसक ततलए उस क़द भगिनी होिी थी इसीततलए सर तवततलयम तवलसन हणटर न इस चसथति

      को लगभग गल मीकी-सी चसथति म न थ गल म की िरह तगरममदटय म ततलक की ममचलकयि

      म न ज ि थ ब ल सनददरम को छड न क कवल दो उप य थ य िो तगरममदटयो क ततलए तनयि

      अमधक री जो क़ नन की दतषट स उनक रकषक कह ज ि थ उसक तगरममट रद कर य दसर

      क न म ततलखव द अथव म ततलक सवया उस छोडन को िय र हो ज य म म ततलक स ममल

      उसस मन कह ldquoम आपको सज नही कर न च हि इस आदमी को सखि म र पडी ह सो िो

      आप ज नि ही ह आप इसक तगरममट दसर क न म ततलख न को र जी हो ज एा िो मझ सनद िोष

      होग rdquo म ततलक िो यही च हि थ तफर म रकषक स ममल उसन भी सहमि होन सवीक र

      तकय पर शिय यह रखी तक म ब ल सनददरम क ततलए नय म ततलक खोज दा

      मझ नय म ततलक की खोज करनी थी तहनदसि तनयो को तगरममदटय मजदर रखन की

      इज जि नही थी म अभी कछ ही अागरजो को पहच नि थ उनम स एक को ममल उनदहोन

      मझ पर महरब नी करक ब ल सनददरम को रखन माजर कर ततलय मन उनकी कप को स भ र

      सवीक र तकय मजजसरट न म ततलक को अपर धी ठहर कर यह ततलख ददय तक उसन ब ल सनददरम

      क तगरममट दसर क न म ततलख न सवीक र तकय ह

      ब ल सनददरम क म मल की ब ि तगरममदटयो म च रो िरफ फल गयी और म उनक बनदध

      म न ततलय गय मझ यह ब ि अछछी लगी मर दफिर म तगरममदटयो क ि ाि -स लग गय और

      मझ उनक सख-ःख ज नन की बडी सतवध हो गयी

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      ब ल सनददरम क म मल की भनक ठठ मर स पर नदि िक पहाची उस पर नदि क जजन-जजन

      तहससो स लोग न ि ल क तगरममट म ज ि उनदह तगरममदटय ही इस म मल की ज नक री दि थ

      वस यह म मल महततव क नही थ पर लोगो को यह ज नकर आननदद और आियय हआ तक उनक

      ततलए परकट रप स क म करनव ल कोई आदमी तनकल आय ह इस ब ि स उनदह आशव सन

      ममल

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      २७ तीन पौणड का कर

      लगभग १८६० म जब न ि ल म बस हए गोरो न दख तक वह ा ईख की फसल अछछी हो सकिी

      ह िो उनदहोन मजदरो की खोज शर की मजदर न ममल िो न ईख पद हो सकिी थी और न

      चीनी ही बन सकिी थी न ि ल क हबशी यह मजदरी नही कर सकि थ इसततलए न ि ल-तनव सी

      गोरो न भ रि-सरक र क स थ तवच र-तवमशय करक तहनदसि नी मजदरो को न ि ल ज न दन की

      अनमति पर पि की उनदह यह ल लच ददय गय तक प ाच स ल िक मजदरी करन क बाधन रहग

      और प ाच स ल क ब द उनदह सविाि रीति स न ि ल म बसन की छट रहगी उनको जमीन क

      म ततलक बनन क पर अमधक र भी ददय गय थ

      तहनदसि नी मजदरो न यह ल भ आश स अमधक ददय स ग-सबजी खब बोयी तहनदसि न

      की अनक उिम िरक ररय ा पद की जो स ग-सचबजय ा वह ा पहल स पद होिी थी उनक द म

      ससि कर ददय तहनदसि न स आम ल कर लग य उसक उदयम ततसरय खिी ही नही रह गय पर

      इसक स थ ही उनदहोन वय प र भी शर कर ददय घर बन न क ततलए जमीन खरीद ली और बहिर

      लोग मजदर न रहकर अछछ जमीद र और मक न-म ततलक बन गय इस िरह मजदरो म स मक न-

      म ततलक बन ज न व लो क पीछ-पीछ वह ा सविाि वय प री भी पहाच सव० सठ अबबकर आमद

      उनम सबस पहल पहाचन व ल थ उनदहोन वह ा अपन क रोब र खब जम य

      गोर वय प री चौक जब पहल-पहल उनदहोन तहनदसि नी मजदरो क सव गि तकय थ िब

      उनदह उनकी वय प र करन की शतति क कोई अनदद ज न थ व तकस न क न ि सविाि रह इस

      हद िक िो गोरो को उस समय कोई आपतति न थी पर वय प र म उनकी परतिदवजनददवि उनदह असहय

      ज न पडी

      तहनदसि तनयो क स थ उनक तवरोध क मल म यह चीज थी

      उसम दसरी चीज और ममल गयी-य स री ब ि तवरोध को भडक न व ली ततसदध हई

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      यह तवरोध पर पि मि मधक र को छीन लन क रप म और तगरममदटयो पर कर लग न क

      क़ नन क रप म परकट हआ क़ नन क ब हर िो अनक परक र स उनदह परश न करन शर हो ही

      चक थ

      पहल सझ व िो यह थ तक तगरममट पर होन क कछ ददन पहल ही तहनदसि तनयो को

      जबरदसिी व पस भज ददय ज ए ि तक उनक इकर रन म की मददि तहनद सि न म परी हो पर

      इस सझ व को भ रि-सरक र म नन व ली नही थी इसततलए यह सझ व ददय गय तक

      १ मजदरी क इकर र पर हो ज न पर तगरममदटय व पस तहनदसि न चल ज य अथव

      २ हर दसर स ल नय तगरममट ततलखव य और उस ह लि म हर ब र उसक विन म कछ बढोिरी की ज य

      ३ अगर वह व पस न ज य और मजदरी क नय इकर रन म भी न ततलख िो हर स ल २५ पौणड क कर द

      इन सझ वो क सवीक र कर न क ततलए सर हनरी बीनद स और मम मसन क डपयटशन

      तहनदसि न भज गय िब लोडय एलतवन व इसरोय थ उनदहोन २५ पौणड क कर िो न माजर कर

      ददय पर वस हरएक तहनदसि नी स ३ पौणड क कर लन की सवीकति द दी मझ उस समय ऐस

      लग थ और अब िक लगि ह तक व इसरोय की यह गाभीर भल थी इस परक र पति-पतनी और

      दो बछचोव ल कटगब स जजसम पति को अमधक स अमधक १४ ततशसलिग परतिम स ममलि हो १२

      पौणड अथ यि १८० रपय क कर लन भ री जलम म न ज एग तनय म कही भी इस चसथति

      क ग़रीब लोगो स ऐस भ री कर नही ततलय ज ि थ

      इस करक तवरदध जोरो की लड ई मछडी कोई आव ज ही न उठ ई ज िी िो श यद

      व इसरोय २५ पौणड भी माजर कर लि २५ पौणड क बदल ३ पौणड होन भी क ागरस क आनददोलन

      क ही परि प हो यह परी िरह साभव ह पर इस कलपन म मरी भल हो सकिी ह समभव ह तक

      भ रि-सरक र न २५ पौणड क परसि व को शर स ही असवीक र कर ददय हो और हो सकि ह

      तक क ागरस क तवरोध न करन पर भी वह ३ पौणड क कर ही सवीक र करिी िो भी उसम

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      तहनदसि न क तहि की ह तन िो थी ही तहनदसि न क तहि-रकषक क न ि ब इसरोय को ऐस

      अम नषी कर कभी सवीक र नही करन च तहए थ

      २५ स ३ पौणड (३७५ रपय स ४५ रपय) होन म क ागरस क य यश लिी उस िो यही

      अखर तक वह तगरममदटयो क तहि की परी रकष न कर सकी और ३ पौणड क कर तकसी-न-

      तकसी ददन हटन ही च तहए

      अगर कौम ह र म नकर चप हो ज िी क ागरस लड ई को भल ज िी िथ कर को अतनव यय

      म नकर शरण सवीक र कर लिी िो यह कर आज िक तगरममदटय हहिदी क प स स ततलय ज ि

      होि इिन ही नही मगर इसकी न लशी सथ तनक हहिदीओ को िो होिी ही मगर मसि तहनदसि न

      को भी इसक शमयन क असर होि

      अब मर तनव स दकषकषण अफ़रीक क िीन स ल क िो हो चक थ लोगो को म भलीभ ाति

      पहच नन लग थ िथ व भी मझ पहच न लि थ िथ १८९६ क स ल म छह म स क ततलए दश

      ज न की इज जि च ही मन यह भी महसस तकय तक मझ दकषकषण अफ़रीक म रहन च तहए मरी

      वक ल ि भी अछछी चल रही थी ऐस म न ज सकि ह स वयजतनक क यय म म उपचसथि रहा

      ऐस लोग च हि थ इसी क रण स मन िय तकय तक पररव र क स थ म दकषकषण अफ़रीक म बस

      ज ऊा इसी क रण म दश ज कर व पस ज न रसि म न दश म ज न स कछ स वयजतनक क यय

      हो प यग ऐस मन म न दश म लोकमि बन कर उस समसय म उसक उपयोग करक इस ब ि

      को जय द असरक रक बन ऊा ऐस महसस तकय

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      भाग-५ हहिद की मलाकात

      २८ नहनदसतान म

      बमबई म रक तबन म सीध र जकोट गय और वह ा एक पतसिक ततलखन की िय री म लग

      पतसिक ततलखन और छप न म लगभग एक महीन बीि गय उसक आवरण हर थ इसततलए

      ब द म वह हरी पकषसिका क न म स परततसदध हई उसम दकषकषण अफ़रीक क तहनदसि तनयो की

      चसथति क मचिण मन ज न-बझकर नरम भ ष म तकय थ

      हरी पकषसिका की दस हज र परतिय ा छप यी थी और उनदह स र तहनदसि न क अखब रो

      और सब पकषो क परततसदध लोगो को भज थ पायोकषियर म उस पर सबस पहल लख तनकल

      उसक स र ाश तवल यि गय और उस स र ाश क स र ाश तफर र यटर क दव र न ि ल पहाच वह

      ि र िो िीन पाततियो क थ न ि ल म तहनदसि तनयो क स थ होन व ल वयवह र क जो मचि मन

      खीच थ उसक वह लघ सासकरण थ वह मर शबदो म नही थ उसक जो असर हआ उस

      हम आग दखग धीर-धीर सब परमख पिो म इस परशन की तवसिि चच य हई

      इस पतसिक को ड क स भजन क ततलए इसक पकट िय र कर न क क म मतककल थ

      और पस दकर कर न खचील थ मन सरल यतति खोज ली महलल क सब लडको को मन

      इकठठ तकय और उसन सबर क दो-िीन घणटो म स जजिन समय व द सक उिन दन क ततलए

      कह लडको न इिनी सव करन खशी स सवीक र तकय अपनी िरफ स मन उनदह अपन प स

      जम होन व ल क म म आय हए ड क क दटकट और आशीव यद दन क़बल तकय लडको न

      हासि-खलि मर क म पर कर ददय इस परक र छोट बछचो को सवयासवक बन न क यह मर

      पहल परयोग थ इन ब लको म स दो आज मर स थी ह

      र जकोट म मर दकषकषण अफ़रीक क क म चल रह थ इसी बीच म बमबई हो आय

      ख स-ख स शहरो म सभ य करक तवशष रप स लोकमि िय र करन क मर इर द थ इसी

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      खय ल स म वह ा गय थ पहल म नदय यमरिि र नड स ममल उनदहोन मरी ब ि धय न स सनी और

      मझ सर फीरोजश ह महि स ममलन की सल ह दी

      म सर फीरोजश ह स ममल उनक िज स चक चौध हो ज न को िो म िय र थ ही उनक

      ततलए परयि होन व ल तवशषणो को म सन चक थ मझ बमबई क शर और बमबई क बि ज

      क ब दश ह स ममलन थ पर ब दश ह न मझ डर य नही तपि जजस परम स अपन नौजव न

      बट स ममलि ह उसी िरह व मझस ममल

      इस स री ब िचीि म मतककल स दो ममनट लग होग सर फीरोजश ह न मरी ब ि सन ली

      नदय यमरिि र नड और ियबजी स ममल चकन की ब ि भी मन उनदह बिल दी उनदहोन कह

      ldquoग ाधी िमह र ततलए मझ आम सभ करनी होगी मझ िमह री मदद करनी च तहएrdquo तफर अपन

      माशी की ओर मड और उस सभ क ददन तनकषिि करन को कह ददन तनकषिि करक मझ तबद

      तकय

      फर मजी क वसजी इचनदसटटयट क हॉल म सभ थी मन सन रख थ तक जजस सभ म

      सर फीरोजश ह बोलन व ल हो उस सभ म खड रहन को जगह नही ममलिी ऐसी सभ ओ म

      तवदय थी-सम ज ख स रस लि थ

      ऐसी सभ क मर यह पहल अनभव थ

      सर फीरोजश ह को मर भ षण अछछ लग मझ गाग नह न-क -स सनदिोष हआ

      सर फीरोजश ह महि न मर म गय सरल कर ददय थ बमबई स म पन गय मझ म लम

      थ तक पन म दो दल थ मझ िो सबकी मदद की जररि थी म लोकम नदय तिलक स ममल

      उनदहोन कह

      ldquoसब पकषो की मदद लन क आपक तवच र तबलकल ठीक ह आपक म मल म कोई

      मिभद हो ही नही सकि लतकन आपक ततलए िटसथ सभ पति च तहए आप परो भ णड रकर

      स ममततलए व आजकल तकसी आनददोलन म ससतममततलि नही होि पर समभव ह तक इस क म क

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      ततलए आग आ ज एा उनस ममलन क ब द मझ पररण म स समचि कीजजए म आपकी परी मदद

      करन च हि हा आप परो गोखल स िो ममलग ही मर प स आप जब आन च ह तनःसाकोच

      आइएrdquo

      लोकम नदय क यह मर परथम दशयन थ म उनकी लोकतपरयि क क रण िरनदि समझ

      गय

      यह ा स म गोखल क प स गय फगययसन कोलज म थ मझस बड परम स ममल और मझ

      अपन बन ततलय उनस भी मर यह पहल ही पररचय थ पर ऐस ज न पड म नो हम पहल

      ममल चक हो सर फीरोजश ह मझ तहम लय-जस लोकम नदय समर-जस और गोखल गाग -जस

      लग गाग म म नह सकि थ तहम लय पर चढ नही ज सकि थ समर म डबन क डर थ

      गाग की गोद म िो खल ज सकि थ उसम डोतगय ा लकर सर की ज सकिी थी गोखल न

      ब रीकी स मरी ज ाच की ndash उसी िरह जजस िरह सकल म भरिी होि समय तकसी तवदय थी की

      की ज िी ह उनदहोन मझ बि य तक म तकस-तकस स और कस ममला और मर भ षण दखन को

      म ाग मझ कोलज की वयवसथ ददख यी जब जररि हो िब तफर ममलन को कह डॉ०

      भ णड रकर क जव ब की खबर दन को कह और मझ तबद तकय मरी खशी क कोई दठक न

      नही रह

      र मकषण भ णड रकर न मर वस ही सव गि तकय जस कोई ब प बट क करि ह

      उनक यह ा गय िब पहरी क समय थ ऐस समय म भी म अपन क म कर रह थ वह चीज

      ही उस उदयमी श सिजञ को पय री लगी और िटसथ सभ पति क ततलए मर आगरह की ब ि सनकर

      lsquoदटस इट दटस इट (यह ठीक ह यह ठीक ह) क उद ग र उनक माह स सहज ही तनकल पड

      तबन तकसी हो-हलल और आडमबर क एक स द मक न म पन की इस तवदव न और तय गी

      मणडली न सभ की और मझ समपणय परोतस हन क स थ तबद तकय

      वह ा स म मर स गय मर स िो प गल हो उठ ब ल सनददरम क तकसस क सभ पर

      गहर असर पड मर ततलए मर भ षण अपकष कि लमब थ पर छप हआ थ पर सभ न

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      उसक एक-एक शबद धय नपवयक सन सभ क अाि म उस हरी पकषसिका पर लोग टट पड

      मर स म साशोधन और पररवधयन क स थ उसकी दसरी आवतति दस हज र की छप यी थी उसक

      अमधक ाश तनकल गय

      इिन म डरबन स ि र ममल ldquoप रलिय मणट जनवरी म बठगी जलदी लौदटय

      द द अबलल न सवया करलणड न म क सटीमर खरीद ततलय थ उनदहोन उसम मझ

      और मर पररव र को मफि ल ज न क आगरह तकय मन उस धनदयव द-सतहि सवीक र कर

      ततलय और ददसमबर क आराभ म करलणड सटीमर स अपनी धमयपतनी दो लडको और अपन

      सव० बहनोई क एकम ि लडक को लकर दसरी ब र दकषकषण अफ़रीक क ततलए रव न हआ इस

      सटीमर क स थ ही दसर न दरी सटीमर भी डरबन क ततलए रव न हआ द द अबलल उसक

      एजनदट थ दोनो सटीमरो म कल ममल कर क़रीब ८०० तहनदसि नी य िी रह होग उनम आध स

      अमधक लोग र नदसव ल ज न व ल थ

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      भाग-६ वापस दकषिि अफ़रीका

      २९ दकषिि अफ़रीका म आगमन और तफ़ान

      अठारह ददसमबर क आसप स दोनो सटीमरो न लागर ड ल दकषकषण अफ़रीक क बनददरग हो म

      य तियो क सव सरथय की परी ज ाच की ज िी ह यदद र सि म तकसीको कोई छिव ली बीम री हई

      हो िो सटीमर को सिक म ndash कव रणटीन म ndash रख ज ि ह हम र बमबई छोडि समय वह ा पलग

      की ततशक यि थी इसततलए हम इस ब ि क डर जरर थ तक सिक की कछ ब ध होगी

      डोकटर आय ज ाच करक उनदहोन प ाच ददन क सिक घोतषि तकय कयोतक उनकी यह

      ध रण थी तक पलग क कीट ण िईस ददन िक जजनदद रह सकि ह इसततलए उनदहोन ऐस आदश

      ददय तक बमबई छोडन क ब द िईस ददन की अवमध परी होन िक सटीमरो को सिक म रख

      ज ए

      पर इस सिक की आजञ क हि कवल सव सरथय-रकष न थ डरबन क गोर न गररक हम

      उलट परो लौट दन क जो आनददोलन कर रह थ वह भी इस आजञ क मल म एक क रण थ

      द द अबलल की िरफ स हम शहर म चल रह इस आनददोलन की खबर ममलिी रहिी

      थी गोर लोग एक क ब द दसरी तवर ट सभ य कर रह थ द द अबलल क न म धमतकय ा भजि

      थ उनदह ल लच भी दि थ अगर द द अबलल दोनो सटीमरो को व पस ल ज एा िो गोर नक़स न

      को भरप ई करन को िय र थ द द अबलल तकसी की धमकी स डरन व ल न थ इस समय

      वह ा सठ अबल करीम ह जी आदम क न पर थ उनदहोन परतिजञ की थी तक तकिन ही नक़स न

      कयो न उठ न पड व सटीमरो को बनददर पर ल एाग और य तियो को उि रग मर न म उनक तवसिि

      पि बर बर आि रहि थ सौभ गय स इस समय सव० मनसखल ल हीर ल ल न जर मझस ममलन

      क ततलए डरबन आ पहाच थ व होततशय र और बह र आदमी थ उनदहोन तहनदसि नी कौम को

      नक सल ह दी मम ल टन वकील थ व भी वस ही बह र थ उनदहोन गोरो की करििो की तननदद

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      की और इस अवसर पर कौम को जो सल ह दी वह ततसरय वकील क न ि पस लकर नही बचलक

      एक सछच ममि क न ि दी

      इस परक र डरबन म दवादव-यदध मछड गय एक ओर मटठीभर ग़रीब तहनदसि नी और उनक

      इन-तगन अागरज ममि थ दसरी ओर धनबल परतिपकषकषयो को र जय क बल भी पर पि हो गय थ

      कयोतक न ि ल की सरक र न खललमखलल उनकी मदद की थी मम हरी एसकमब न जो माति-

      माडल म थ और उसक कि यधि य थ इन गोरो की सभ ओ म परकट रप स तहसस ततलय

      य तियो क मनोराजन क ततलए सटीमर पर खलो क परबाध तकय गय थ म आनाद म

      ससतममततलि हआ थ पर मर ददल िो डरबन म चल रही लड ई म ही लग हआ थ कयोतक इस

      हमल म मधयतबनद म थ मझ पर दो आरोप थ

      १ मन तहनदसि न म न ि ल-व सी गोरो की अनमचि तननद द की थी

      २ म न ि ल को तहनदसि तनयो स भर दन च हि थ और इसततलए ख सकर न ि ल म

      बस न क ततलए तहनदसि तनयो को करलणड और न दरी म भर ल य थ

      मझ अपनी जजममद री क खय ल थ मर क रण द द अबलल भ री नक़स न म पड

      गय थ य तियो क पर ण साकट म थ और अपन पररव र को स थ ल कर मन उस भी ःख म

      ड ल ददय थ

      पर म सवया तबलकल तनदोष थ मन तकसीको न ि ल आन क ततलए ललच य नही थ

      न दरी क य तियो को म पहच नि भी न थ करलणड म अपन दो-िीन ररकिद रो को छोडकर

      ब की क सकडो य तियो क न मध म िक म ज नि न थ मन तहनदसि न म न ि ल क अागरजो

      क तवषय म ऐस एक भी शबद नही कह जो म न ि ल म कह न चक थ और जो कछ मन

      कह थ उसक ततलए मर प स क री परम ण थ

      अाि म िईस ददन क ब द सटीमरो को मतति ममली और य तिको को उिरन क आदश

      ममल

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      जह ज धकक पर लग य िी उिर पर मर ब र म मम एसकमब न कपि न स कहल य थ

      ldquoग ाधी को और उनक पररव र को श म क समय उि ररयग उनक तवरदध गोर बहि उिजजि

      हो गय ह और उनक पर ण साकट म ह पोटय सपररणटणडणट मम टटम उनदह श म को अपन स थ ल

      ज एागrdquo

      कपि न न मझ इस सनददश की खबर दी मन िदनस र चलन सवीक र तकय लतकन इस

      सनददश को ममल आध घाट भी न हआ थ तक इिन म मम ल टन आय और कपि न स ममलकर

      बोल ldquoयदद मम ग ाधी मर स थ चल िो म उनदह अपनी जजममद री पर ल ज न च हि हा सटीमर

      क एजणट क वकील क न ि म आपस कहि हा तक मम ग ाधी क ब र म जो सनददश आपको ममल

      ह उसक बनदधन स आप मि हrdquo इस परक र कपि न स ब िचीि करक व मर प स आय और

      मझस कछ इस मिलब की ब ि कही ldquoआपको जीवन क डर न हो िो म च हि हा तक शरीमिी

      ग ाधी और बछच ग डी म रसिमजी सठ क घर ज एा और आप िथ म आम र सि स पदल चल

      मझ यह तबलकल अछछ नही लगि तक आप अाधर होन पर चपच प शहर म द खखल हो मर

      खय ल ह तक आपक ब ल भी ब ाक न होग अब िो सब कछ श नदि ह गोर सब तििर-तबिर

      हो गय ह पर कछ भी कयो न हो मरी र य ह तक आपको मछप िौर पर शहर म कभी न ज न

      च तहएrdquo

      म सहमि हो गय मरी धमयपतनी और बछच ग डी म बठकर रसिमजी सठ क घर सही-

      सल मि पहाच गय कपि न की अनमति लकर म मम ल टन क स थ उिर रसिमजी सठ क

      घर वह ा स लगअग दो मील दर थ

      जस ही हम जह ज स उिर कछ लडको न मझ पहच न ततलय और व lsquoग ाधी ग ाधी

      मचलल न लग िरनदि ही कछ लोग इकटठ हो गय और मचलल हट बढ गयी मम ल टन न दख तक

      भीड बढ ज एगी इसततलए उनदहोन ररकश मागव य मझ उसम बठन कभी अछछ न लगि थ

      उस पर सव र होन क मझ यह पहल ही अनभव होन ज रह थ पर लडक कयो बठन दि

      उनदहोन ररकश व ल को धमक य और वह भ ग खड हआ

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      हम आग बढ भीड भी बढिी गयी ख सी भीड जम हो गयी सबस पहल िो भीड व लो

      न मझ मम ल टन स अलग कर ददय तफर मझ पर का करो और सड अणडो की वष य शर हई

      तकसीन मरी पगडी उछ ल कर फ क दी तफर ल ि शर हई

      मझ गश आ गय मन प स क घर की ज ली पकड ली और दम ततलय वह ा खड रहन

      िो साभव ही न थ िम च पडन लग

      इिन म पततलस अमधक री की सिी जो मझ पहच निी थी उस र सि स गजरी मझ दखि

      ही वह मरी बगल म आकर खडी हो गयी और धप क न रहि भी उसन अपनी छिी खोल ली

      इसस भीड कछ नरम पडी अब मझ पर परह र करन हो िो ममसज एलकजणडर को बच कर ही

      तकय ज सकि थ

      इस बीच मझ पर म र पडि दखकर कोई तहनदसि नी नौजव न पततलस थ न पर दौड गय

      सपररणटणडणट एलकजणडर न एक टकडी मझ घर कर बच लन क ततलए भजी वह समय पर

      पहाची मर र सि पततलस थ न क प स ही होकर ज ि थ सपररणटणडनदट न मझ थ न म आशरय

      लन की सल ह दी मन इनक र तकय और कह ldquoजब लोगो को अपनी भल म लम हो ज एगी

      िो व श नदि हो ज एाग मझ उनकी नदय यबजदध पर तवशव स हrdquo

      पततलस क दसि क स थ म सही-सल मि प रसी रसिमजी क घर पहाच मरी पीठ पर

      मछपी म र पडी थी एक जगह थोड खन तनकल आय थ सटीमर क डोकटर द द बरजोर वही

      मौजद थ उनदहोन मरी अछछी सव -शशरष की

      यो भीिर श ननदि थी पर ब हर गोरो न घर को घर ततलय थ श म हो चकी थी अाधर हो

      चल थ ब हर हज रो लोग िीखी आव ज म शोर कर रह थ और ldquoग ाधी को हम सौप दोrdquo की

      पक र मच रह थ पररचसथति क खय ल करक सपररणटणडणट एलकजणडर वह ा पहाच गय थ

      और भीड को धमकी स नही बचलक उसक मन बहल कर वश म रख रह थ

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      तफर भी व तनकषिनदि िो नही थ उनदहोन मझ इस आशय क सादश भज यदद आप अपन

      ममि क मक न म ल-असब ब और अपन ब ल-बछचो को बच न च हि हो िो जजस िरह म कहा

      उस िरह आपको इस घर स मछप िौर पर तनकल ज न च तहएrdquo

      मन तहनदसि नी ततसप ही की वदी पहनी कभी ततसर पर म र पड िो उसस बचन क ततलए

      म थ पर पीिल की एक िकिरी रखी और ऊपर स मर सी िजय क बड स फ ब ाध स थ म

      खरीय पततलस क दो जव न थ उनम स एक न तहनदसि नी वय प री की पोश क पहनी और

      अपन चहर तहनदसि नी की िरह राग ततलय दसर न कय पहन सो म भल गय हा हम बगल

      की गली म होकर पडोस की एक क न म पहाच और गोद म म लगी हई बोरो की थनपपयो को

      अाधर म ल ागि हए क न क दरव ज स भीड म घस कर आग तनकल गय गली क नककड पर

      ग डी खडी थी उसम बठ कर मझ अब उसी थ न म ल गय जजसम आशरय लन की सल ह

      सपररणटणडणट एलकजणडर न पहल दी थी मन सपररणटणडणट एलकजणडर को और खरीय

      पततलस क अमधक ररयो को धनदयव द ददय

      इस परक र जब एक िरफ स मझ ल ज य ज रह थ िब दसरी िरफ सपररणटणडणट

      एलकजणडर भीड स ग न गव रह थ उस गीि क अनव द यह ह

      चलो हम ग ाधी को फ ासी लटक द

      इमली क उस पड पर फ ासी लटक द

      जब सपररणटणडणट एलकजणडर को मर सही-सल मि थ न पर पहाच ज न की खबर ममली

      िो उनदहोन भीड स कह ldquoआपक ततशक र िो इस क न म स सही-सल मि तनकल भ ग हrdquo

      भीड म तकसीको गसस आय कोई हास बहिो न इस ब ि को म नन स इनक र तकय

      इस पर सपररणटणडणट एलकजणडर न कह ldquoिो आप लोग अपन म स जजस तनयि कर

      द उस म अनददर ल ज ऊा और वह िल श करक दख ल अगर आप ग ाधी को ढाढ तनक ल िो म

      उस आपक हव ल कर दाग न ढाढ सक िो आपको तबखर ज न होग मझ यह तवशव स िो ह

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      ही तक आप प रसी रसिमजी क मक न हरतगज नही जल यग और न ग ाधी क सिी-बछचो को

      कषट पहाच यगrdquo

      भीड न परतितनमध तनयि तकय उनदहोन िल श क ब द उस तनर श जनक सम च र सन य

      सब सपररणटणडणट एलकजणडर की सझ-बझ और चिर ई की परशास करि हए पर मन-ही-मन

      कछ गसस होि हए तबखर गय

      उस समय क उपतनवश-मािी सव० मम चमबरलन न जो उस समय सासथ नो क परतितनमध

      थ ि र दव र समचि तकय तक मझ पर हमल करन व लो पर मक़ददम चल य ज एा और मझ

      नदय य ददल य ज ए मम एसकमब न मझ अपन प स बल य मझ पहाची हई चोट क ततलए खद

      परकट करि हए उनदहोन कह ldquoआप यह िो म नग ही तक आपक ब ल भी ब ाक हो िो मझ उसस

      कभी खशी नही हो सकिी आपन मम ल टन की सल ह म नकर िरनदि उिर ज न क स हस

      तकय आपको ऐस करन क हक थ पर आपन मर सनददश को म न ततलय होि िो यह ःखद

      घटन न घटिी अब अगर आप हमल करन व लो को पहच न सक िो म उनदह तगरफि र करव न

      और उन पर मक़ददम चल न को िय र हा मम चमबरलन भी यही च हि हrdquo

      मन जव ब ददय ldquoमझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह समभव ह हमल करन व लो

      म स एक-दो को म पहच न ला पर उनदह सज ददल न स मझ कय ल भ होग तफर म हमल करन

      व लो को दोषी भी नही म नि उनदह िो यह कह गय ह तक मन तहनदसि न म अतिशयोततिपणय

      ब ि कहकर न ि ल क गोरो को बदन म तकय ह व इस ब ि को म नकर गसस हो िो इसम

      आियय कय ह दोष िो बडो क और मझ कहन की इज जि द िो आपक म न ज न च तहए

      आप लोगो को सही र सि ददख सकि थ पर आपन भी र यटर क ि र को ठीक म न और यह

      कलपन कर ली तक मन अतिशयोतति की होगी मझ तकसी पर मक़ददम नही चल न ह जब

      वसिचसथति परकट होगी और लोगो को पि चलग िो व खद पछि यगrdquo

      ldquoिो आप मझ यह ब ि ततलखकर द दग मझ मम चमबरलन को इस आशय क ि र

      भजन पडग म नही च हि तक आप जलदी म कछ ततलखकर द-द मरी इछछ य ह तक आप

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      मम ल टन स और अपन दसर ममिो स सल ह करक जो उमचि ज न पड सो कर ह ा म यह

      सवीक र करि हा तक यदद आप हमल करन व लो पर मक़ददम नही चल यग िो सब ओर श ाति

      सथ तपि करन म मझ बहि मदद ममलगी और आपकी परतिषठ िो तनिय ही बढगीrdquo

      मन जव ब ददय ldquoइस तवषय म मर तवच र पकक हो चक ह यह तनिय समजझय तक मझ

      तकसी पर मक़ददम नही चल न ह इसततलए म आपको यही ततलखकर द दन च हि हाrdquo

      यह कहकर मन आवकयक पि ततलखकर द ददय

      जजस ददन म जह ज स उिर उसी ददन न ि ल एडवरट इजर न मक पि क परतितनमध

      मझस ममल गय थ उसन मझ कई परशन पछ थ और उनक उिर म म परतयक आरोप क पर -

      पर जव ब द सक थ सर फीरोजश ह महि क परि प स उस समय मन तहनदसि न म एक भी

      भ षण तबन ततलख नही तकय थ अपन उन सब भ षणो और लखो क सागरह िो मर प स थ

      ही मन वह सब उस ददय और ततसदध कर ददख य तक मन तहनदसि न म ऐसी एक भी ब ि नही

      कही जो अमधक िीवर शबदो म दकषकषण अफ़रीक म न कही हो मन यह भी बि ददय तक करलषड

      और न दरी क य तियो को ल न म मर ह थ तबलकल न थ उनम अमधकिर िो पर न ही थ

      और बहिर न ि ल म रहन व ल नही थ बचलक र नदसव ल ज न व ल थ उन ददनो न ि ल म मनददी

      थी र नदसव ल म बहि अमधक कम ई होिी थी इस क रण अमधकिर तहनदसि नी वही ज न

      पसनदद करि थ

      इस खल स क और हमल वरो पर मक़ददम द यर करन स मर इनक र करन क इिन

      जय द असर पड तक गोर शरममनदद हए सम च रपिो न मझ तनदोष ततसदध तकय और हललड

      करन व लो की तननद द की इस परक र पररण म म िो मझ ल भ ही हआ और मर ल भ मर क यय

      क ही ल भ थ इसस भ रिीय सम ज की परतिषठ बढी और मर म गय अमधक सरल हो गय

      िीन य च र ददन ब द म अपन घर गय और कछ ही ददनो म वयवचसथि रीति स अपन

      क मक ज करन लग

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      ३० बचचो की शशिा और सवावशतत

      सन १८९७ की जनवरी म म डरबन उिर िब मर स थ िीन ब लक थ मर भ नज लगभग

      दस वषय की उमर क मर बड लडक नौ वषय क और दसर लडक प ाच वषय क इन सबको

      कह ा पढ य ज एा

      म अपन लडको को गोरो क ततलए चलन व ल सकलो म भज सकि थ पर वह कवल

      महरब नी और अपव द-रप होि दसर सब तहनदसि नी ब लक वह ा पढ नही सकि थ

      तहनदसि नी ब लको को पढ न क ततलए ईस ई ममशन क सकल थ पर उनम म अपन ब लको को

      भजन क ततलए िय र न थ वह ा दी ज न व ली ततशकष मझ पसनदद न थी स री ततशकष अागरजी म

      ही दी ज िी थी अथव बहि परयतन तकय ज ि िो अशदध ि ममल य तहनददी म दी ज सकिी

      थी पर इन और ऐसी अनदय िदटयो को सहन करन मर ततलए समभव न थ

      म सवया ब लको को पढ न क थोड परयतन करि थ

      म उनदह दश भजन क ततलए िय र न थ उस समय भी मर यह खय ल थ तक छोट बछचो

      को म ि -तपि स अलग नही रहन च तहए सवयवचसथि घर म ब लको को जो ततशकष सहज ही

      ममल ज िी ह वह छ ि लयो म नही ममल सकिी अिएव अमधकिर व मर स थ ही रह

      लडको को म सवया जजिन समय दन च हि थ उिन द नही सक इस क रण और

      दसरी अतनव यय पररचसथतियो क क रण म अपनी इछछ क अनस र उनदह अकषर-जञ न नही द सक

      इस तवषय म मर सब लडको को नदयन मधक म ि म मझस ततशक यि भी रही ह कयोतक जब-जब

      व बी एrsquo एम ए और ldquoमदरकयलट क भी समपकय म आि िब सवया तकसी सकल म न पढ

      सकन की कमी क अनभव करि थ

      तिस पर भी मरी अपनी र य यह ह तक जो अनभव-जञ न उनदह ममल ह म ि -तपि क जो

      सहव स व पर पि कर सक ह सविािि क जो पद थयप ठ नह सीखन को ममल ह वह सब उनदह

      न ममलि यदद मन उनको च ह जजस िरह सकल भजन क आगरह रख होि

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      व ब लक और मर लडक आज सम न अवसथ क ह म नही म नि तक मनषयि म मर

      लडको स आग बढ हए ह अथव उनस मर लडक कछ अमधक सीख सकि ह

      तफर भी मर परयोग क अननदिम पररण म िो भतवषय ही बि सकि ह यह ा इस तवषय

      की चच य करन क हि िो यह ह तक मनषय-ज ति की उतकर ाति अधययन करन व ल लोग गह-

      ततशकष और सकली ततशकष क भद क और म ि -तपि दव र अपन जीवन म तकय हए पररवियनो क

      उनक ब लको पर जो परभ व पडि ह उसक कछ अाद ज लग सक

      मन सव कषभम न क तय ग तकय होि दसर भ रिीय ब लक जजस न प सक उसकी अपन

      ब लको क ततलए इछछ न रखन क तवच र क पोषण न तकय होि िो म अपन ब लको को अकषर-

      जञ न अवकय द सकि थ तकनदि उस दश म सविािि और सव कषभम न क जो पद थय-प ठ व

      सीख वह न सीख प ि और जह ा सविािि िथ अकषर-जञ न क बीच ही चन व करन हो वह ा

      कौन कहग तक सविािि अकषर-जञ न स हज र गनी अमधक अछछी नही ह

      सन १९२० म जजन नौजव नो को मन सविािि -घ िक सकलो और कोलजो को छोडन क

      ततलए आमातिि तकय थ और जजनस मन कह थ तक सविािि क ततलए तनरकषर रहकर आम र सि

      पर तगटटी फोडन गल मी म रहकर अकषर-जञ न पर पि करन स कही अछछ ह व अब मर कथन क

      ममय को कद मचि समझ सक ग

      मन म हमश यह तवच र बन रहि तक सव -शशरष क ऐस कछ क म म हमश करि

      रहा िो तकिन अछछ हो डोकटर बथ सणट एडमस ममशन क मखखय थ व हमश अपन प स

      आन व लो को मफि दव ददय करि थ बहि भल और दय ल आदमी थ प रसी रसिमजी की

      द नशीलि क क रण डो बथ की दखरख म एक बहि छोट असपि ल खल मरी परबल इछछ

      हई तक म इस असपि ल म नसय क क म करा

      इस क म स म खी-ददी तहनदसि तनयो क तनकट समपकय म आय उनम स अमधक ाश

      ि ममल िलग अथव उिर तहनदसि न क तगरममदटय होि थ

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      यह अनभव मर ततलए भतवषय म बहि उपयोगी ततसदध हआ बौअर यदध क समय घ यलो

      की सव -शशरष क क म म और दसर बीम रो की पररचय य म मझ इसस बडी मदद ममली

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      ३१ सादगी

      धोबी क खचय भी जय द म लम हआ इसक अल व धोबी तनकषिि समय पर कपड नही लौट ि

      थ इसततलए दो-िीन दजयन क़मीजो और उिन ही क लरो स भी मर क म चल नही प ि थ

      क लर म रोज बदलि थ क़मीज रोज नही िो एक ददन क अनदिर स बदलि थ इसस दोहर

      खचय होि थ मझ यह वयथय परिीि हआ अिएव मन धल ई क स म न जट य धल ई-कल

      पर पसिक पढी और धोन सीख पतनी को भी ततसख य क म क कछ बोझ ि बढ ही पर

      नय क म होन स उस करन म आननदद आि थ

      पहली ब र अपन ह थो धोय हए क लर को िो म कभी भल नही सकि उसम कलफ

      अमधक लग गय थ और इसिरी परी गरम नही थी तिस पर क लर क जल ज न क डर स इसिरी

      को मन अछछी िरह दब य भी नही थ इसस क लर म कड पन िो आ गय पर उसम स कलफ

      झडि रहि थ ऐसी ह लि म म कोटय गय और वह ा ब ररसटरो क ततलए मज क क स धन बन

      गय पर इस िरह क मज क सह लन की शतति उस समय भी मझ म क री थी

      मन सर ई दि हए कह ldquoअपन ह थो क लर धोन क मर यह पहल परयोग ह इस

      क रण इसम स कलफ झडि ह मझ इसस कोई अडचन नही होिी तिस पर आप सब लोगो

      क ततलए तवनोद की इिनी स मगरी जट रह हा सो घ ि म

      एक ममि न पछ ldquoपर कय धोतबयो क अक ल पड गय हrdquo

      ldquoयह ा धोबी क खचय मझ िो असहय म लम होि ह क लर की कीमि क बर बर धल ई

      हो ज िी ह और इिनी धल ई दन क ब द भी धोबी की गल गी करनी पडिी ह इसकी अपकष

      अपन ह थ स धोन म जय द पसनदद करि हा

      जजस िरह म धोबी की गल मी स छट उसी िरह न ई की गल मी स भी छटन क अवसर

      आ गय हज मि िो तवल यि ज न व ल सब कोई ह थ स बन न सीख ही लि ह पर कोई ब ल

      छ ाटन भी सीखि होग इसक मझ खय ल नही ह एक ब र तपरटोररय म म एक अागरज हजज म

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      की क न पर पहाच उसन मरी हज मि बन न स स र इनक र कर ददय और इनक र करि हए

      जो तिरसक र परकट तकय सो घ ि म रह मझ ःख हआ म ब ज र पहाच मन ब ल क टन

      की मशीन खरीदी और आईन क स मन खड रहकर ब ल क ट ब ल जस-िस कट िो गय पर

      पीछ क ब ल क टन म बडी कदठन ई हई सीध िो व कट ही न प य कोटय म खब कहकह लग

      िमह र ब ल ऐस कयो हो गय ह ततसर पर चह िो नही चढ गय थrdquo

      मन कह ldquoजी नही मर क ल ततसर को गोर हजज म कस छ सकि ह इसततलए कस भी

      कयो न हो अपन ह थ स क ट हए ब ल मझ अमधक तपरय हrdquo

      इस उिर स ममिो को आियय नही हआ असल म उस हजज म क कोई दोष न थ अगर

      वह क ली चमडी व लो क ब ल क टन लगि िो उसकी रोजी म री ज िी हम भी अपन अछिो

      क ब ल ऊा ची ज ति क तहनदओ क हजज मो को कह ा क टन दि ह दकषकषण अफ़रीक म मझ

      इसक बदल एक नही अनको ब र ममल ह और चातक म यह म नि थ तक यह हम र दोष क

      पररण म ह इसततलए मझ इस ब ि स कभी गसस नही आय

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      ३२ एक पणयसमरि और परायकषितत

      मर जीवन म ऐसी घटन य घटिी ही रही ह जजनक क रण म अनक धम यवलसतमबयो क और अनक

      ज तियो क ग ढ पररचय म आ सक हा इन सबक अनभवो क आध र पर यह कह ज सकि

      ह तक मन अपन और पर य दशी और तवदशी गोर और क ल तहनद और मसलम न अथव ईस ई

      प रसी य यहदी क बीच कोई भद नही तकय म कह सकि हा तक मर हदय ऐस भद को पहच न

      ही न सक अपन साबाध म म इस चीज को गण नही म नि कयोतक यह मर सवभ व म ही ह

      जब म डरबन म वक लि करि थ िब अकसर मर महररिर मर स थ रहि थ उनम तहनदद

      और ईस ई थ अथव पर नदि की दतषट स कहा िो गजर िी और मर सी थ मझ समरण नही ह तक

      उनक ब र म मर मन म कभी भदभ व पद हआ हो म उनदह अपन कटमबी म नि थ और यदद

      पतनी की ओर स इसम कोई ब ध आिी िो म उसस लडि थ एक महररिर ईस ई थ उसक

      म ि -तपि पाचम ज ति क थ हम र घर की बन वट पकषिमी ढब की थी उसम कमरो क अनददर

      मोररय ा नही होिी ndash म म नि हा तक होनी भी नही च तहए ndash इसस हरएक कमर म मोरी की

      जगह पश ब क ततलए ख स बरिन रख ज ि ह उस उठ न क क म नौकर क न थ बचलक हम

      पति-पतनी क थ जो महररिर अपन को घरक -स म नन लगि व िो अपन बरिन खद उठ ि

      भी थ यह पाचम क ल म उतपनदन महररिर नय थ उसक बरिन हम ही उठ न च तहए थ

      कसिरब ई दसर बरिन िो उठ िी थी पर इस बरिन को उठ न उस असहय लग इसस हम र

      बीच कलह हआ मर उठ न उसस सह न ज ि थ और खद उठ न उस भ री हो गय थ

      आाखो स मोिी की बाद टपक िी ह थ म बरिन उठ िी और अपनी ल ल आाखो स मझ उल हन

      दकर सीदढय ा उिरिी हई कसिरब ई क मचि म आज भी खीच सकि हा

      पर म िो जजिन परमी उिन ही करर पति थ म अपन को उसक ततशकषक भी म नि थ

      इस क रण अपन अाध परम क वश होकर उस खब सि ि थ

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      यो उसक ततसरय बरिन उठ कर ल ज न स मझ सािोष न हआ मझ सािोष िभी होि जब

      वह उस हासि माह ल ज िी इसततलए मन दो ब ि ऊा ची आव ज म कही म बडबड उठ ldquoयह

      कलह मर घर म नही चलग rdquo

      यह वचन कसिरब ई को िीर की िरह चभ गय

      वह भडक उठी ldquoिो अपन घर अपन प स रखो म यह चलीrdquo

      म उस समय भगव न को भल बठ थ मझम दय क लश भी नही रह गय थ मन

      उसक ह थ पकड सीदढयो क स मन ही ब हर तनकलन क दरव ज थ म उस असह य अबल

      को पकडकर दरव ज िक खीच ल गय दरव ज आध खोल

      कसिरब ई की आाखो स गाग -यमन बह रही थी वह बोली

      ldquoिमह िो शरम नही ह लतकन मझ ह जर िो शरम ओ म ब हर तनकलकर कह ा ज

      सकिी हा यह ा मर म ा-ब प नही ह तक उनक घर चली ज ऊा म िमह री पतनी हा इसततलए मझ

      िमह री ड ाट-फटक र सहनी ही होगी अब शरम ओ और दरव ज बनदद करो कोई दखग िो दो

      म स एक की भी शोभ नही रहगीrdquo

      मन माह िो ल ल रख पर शरममनदद जरर हआ दरव ज बनदद कर ददय यदद पतनी मझ

      छोड नही सकिी थी िो म भी उस छोडकर कह ा ज सकि थ हम र बीच झगड िो बहि हए

      ह पर पररण म सद शभ ही रह ह पतनी न अपनी अदभि सहनशतति दव र तवजय पर पि की ह

      म यह वणयन आज िटसथ भ व स कर सकि हा कयोतक यह घटन हम र बीि यग की ह

      आज म मोह नदध पति नही हा ततशकषक नही हा कसिरब ई च ह िो मझ आज धमक सकिी ह

      आज हम परख हए ममि ह एक-दसर क परति तनरविक र बनकर रहि ह

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      ३३ बोअर-यदध

      सन १८९७ स १८९९ क बीच क अपन जीवन क दसर अनक अनभवो को छोडकर अब म

      बोअर-यदध पर आि हा जब यह यदध हआ िब मरी अपनी सह नभति कवल बोअरो की िरफ

      ही थी पर म म नि थ तक ऐस म मलो म वयततिगि तवच रो क अनस र क म करन क अमधक र

      मझ अभी पर पि नही हआ ह इस साबाध क मनदथन-मचनदिन क सकषम तनरीकषण मन दकषिण अफ़रीका

      क सतयागरह क इतिह स म तकय ह इसततलए यह ा नही करन च हि जजजञ सओ को मरी सल ह

      ह तक व उस इतिह स को पढ ज एा यह ा िो इिन ही कहन क री होग तक तबरदटश र जय क

      परति मरी वर द री मझ उस यदध म ससतममततलि होन क ततलए जबरदसिी घसीट ल गयी मन अनभव

      तकय तक जब म तबरदटश परज जन क न ि अमधक र म ाग रह हा िो उसी न ि तबरदटश र जय की

      रकष म ह थ बाट न भी मर धमय ह उस समय मरी यह र य थी तक तहनदसि न की समपणय उनदनति

      तबरदटश स मर जय क अनददर रहकर हो सकिी ह

      अिएव जजिन स थी ममल उिनो को लकर और अनक कदठन इय ा सहकर हमन घ यलो

      की सव -शशरष करन व ली एक टकडी खडी की अब िक स ध रणिय यह ा क अागरजो की

      यही ध रण थी तक तहनदसि नी साकट क क मो म नही पडि उनदह सव थय क अतिररि और कछ

      नही सझि इसततलए कई अागरज ममिो न मझ तनर श करन व ल उिर ददय थ अकल डोकटर

      बथ न मझ बहि परोतस तहि तकय उनदहोन हम घ यल योदध ओ की स र-साभ ल करन ततसख य

      अपनी योगयि क तवषय म हमन डोकटरी परम णपि पर पि तकय मम ल टन और सव० मम एसकमब

      न भी हम र इस क यय को पसनदद तकय अनदि म लड ई क समय सव करन दन क ततलए हमन

      सरक र स तबनिी की

      हम री इस टकडी म लगभग गय रह सौ आदमी थ उनम क़रीब च लीस मखखय थ दसर

      कोई िीन सौ सविाि तहनदसि नी भी रागरटो म भरिी हए थ ब की क तगरममदटय थ डो बथ

      भी हम र स थ थ उस टकडी न अछछ क म तकय यदयतप उस गोल -ब रद की हद क ब हर

      ही क म करन होि थ और lsquoरड करोसrsquo१० क सारकषण पर पि थ तफर भी साकट क समय गोल -

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      ब रद की सीम क अनददर क म करन क अवसर भी हम ममल ऐस साकट म न पडन क इकर र

      सरक र न अपनी इछछ स हम र स थ तकय थ पर तसपय ाकोप की ह र क ब द ह लि बदल

      गयी इसततलए जनरल बलर न यह सादश भज तक यदयतप आप लोग जोखखम उठ न क ततलए

      वचन-बदध नही ह िो भी यदद आप जोखखम उठ कर घ यल ततसप तहयो और अरसरो को रणकषि

      स उठ कर और डोततलयो म ड लकर ल ज न को िय र हो ज एाग िो सरक र आपक उपक र

      म नगी हम िो जोखखम उठ न को िय र ही थ अिएव तसपय ाकोप की लड ई क ब द हम गोल -

      ब रद की सीम क अनददर क म करन लग

      इन ददनो सबको कई ब र ददन म बीस-पचीस मील की माजजल िय करनी पडिी थी और

      एक ब र िो घ यलो को डोली म ड लकर इिन मील चलन पड थ जजन घ यल योदध ओ को

      हम इस परक र उठ कर ल ज न पड उनम जनरल वडगट बगर भी थ

      छह हफिो क ब द हम री टकडी को तबद दी गयी

      हम र छोट-स क म की उस समय िो बडी सिति हई इसस तहनदसि तनयो की परतिषठ

      बढी वह ा क सम च रपिो म सिति क वय ततलख गय उसकी धरव पातति यह थी ldquoआखखरक र िो

      हम सभी एक ही र जय क ब लबछच हrdquo आखखर तहनदसि नी स मर जय क ब ररस िो ह हीrsquo

      जनरल बलर न अपन खरीि म हम री टकडी क क म की ि रीर की मखखयो को यदध क पदक

      भी ममल

      इसस तहनदसि नी कौम अमधक सागदठि हो गयी म तगरममदटय तहनद सि तनयो क बहि

      अमधक समपकय म आ सक उनम अमधक ज गति आयी और तहनदद मसलम न ईस ई मर सी

      गजर िी ततसनद धी सब तहनदसि नी ह यह भ वन अमधक दढ हई सबन म न तक अब तहनदसि तनयो

      क ःख दर होन ही च तहए उस समय िो गोरो क वयवह र म भी सपषट पररवियन ददख यी ददय

      लड ई म गोरो क स थ जो समपकय हआ वह मधर थ हम हज रो टोममयोrsquo क स थ रहन

      क मौक़ ममल व हम र स थ ममिि क वयवह र करि थ और यह ज नकर तक हम उनकी

      सव क ततलए आय ह हम र उपक र म नि थ

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      ःख क समय मनषय क सवभ व तकस िरह तपघलि ह इसक एक मधर सासमरण यह ा

      ददए तबन म रह नही सकि हम चीवली छ वनी की िरफ ज रह थ यह वही कषि थ जह ा

      लोडय रोबटयस क पि लचटटनणट रोबटयस को पर णघ िक चोट लगी थी लचटटनणट रोबटयस क शब

      को ल ज न क समम न हम री टकडी को ममल थ अगल ददन धप िज थी हम कच कर रह

      थ सब पय स थ प नी पीन क ततलए र सि म एक छोट -स झरन पड पहल प नी कौन पीय

      मन सोच तक पहल टोगी प नी पी ल ब द म हम तपयग पर टोममयो न हम दखकर िरनदि हमस

      प नी पी लन क आगरह शर तकय और इस िरह बडी दर िक हम र बीच आप पहल हम

      पीछ क मीठ झगड चलि रह

      __________________________

      १० lsquoरड करोस क अथय ह ल ल सवतसिक यदध म शशरष क क म करन व लो क ब य ह थ पर इस मचहनव ली

      पटटी ब ाधी ज िी ह तनयम यह ह तक शि भी उनदह चोट नही पहाच सकि अमधक तववरण क ततलए दखखय

      दकषिण अफ़रीका क सतयागरह का इकषिहास ndash भ ग ndash १ परकरण ९

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      ३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन

      समाज क एक भी अाग क तनरपयोगी रहन मझ हमश अखर ह जनि क दोष मछप कर

      उसक बच व करन अथव दोष दर तकय तबन अमधक र पर पि करन मझ हमश अरमचकर लग

      ह इसततलए दकषकषण अफ़रीक म रहन व ल तहनदसि तनयो पर लग य ज न व ल एक आरोप क

      जजसम कछ िरथय थ इल ज करन क क म मन वह ा क अपन तनव सक ल म ही सोच ततलय थ

      तहनदसि तनयो पर जब-िब यह आरोप लग य ज ि थ तक व अपन घर-ब र स र नही रखि

      और बहि गनदद रहि ह इस आरोप को तनःशष करन क ततलए आरमभ म तहनदसि तनयो क मखखय

      म न ज न व ल लोगो क घरो म िो सध र आरमभ हो ही चक थ पर घर-घर घमन क ततसलततसल

      िब शर हआ जब डरबन म पलग क परकोप क डर पद हआ इसम मयतनततसपततलटी क

      अमधक ररयो क भी सहयोग और सममति थी हम री सह यि ममलन स उनक क म हलक हो

      गय और तहनदसि तनयो को कम कषट उठ न पड

      मझ कछ कडव अनभव भी हए मन दख तक सथ नीय सरक र स अमधक रो की म ाग

      करन म जजिनी सरलि स म अपन सम ज की सह यि प सकि थ उिनी सरलि स लोगो

      स उनक कियवय क प लन कर न क क म म सह यि पर पि न कर सक कछ जगहो पर मर

      अपम न तकय ज ि कछ जगहो पर तवनय-पवयक उपकष क पररचय ददय ज ि गनददगी स र

      करन क ततलए कषट उठ न उनदह बहि अखरि थ िब जस खचय करन की िो ब ि ही कय

      लोगो स कछ भी क म कर न हो िो धीरज रखन च तहए यह प ठ मन अछछी िरह सीख ततलय

      सध र की ग़रज िो सध रक की अपनी होिी ह जजस सम ज म वह सध र कर न च हि ह

      उसस िो उस तवरोध तिरसक र और पर णो क साकट की भी आश रखनी च तहए सध रक जजस

      सध र म नि ह सम ज उस तबग ड क यो न म न

      इस आनददोलन क पररण म यह हआ तक भ रिीय सम ज म घर-ब र स र रखन क महततव

      को नदयन मधक म ि म सवीक र कर ततलय गय अमधक ररयो की दतषट म मरी स ख बढी व समझ

      गय तक मर धनद ध कवल ततशक यि करन य अमधक र म ागन क ही नही ह बचलक ततशक यि

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      करन य अमधक र म ागन म म जजिन ितपर हा उिन ही उतस ह और दढि भीिरी सध र क

      ततलए भी मझ म ह

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      ३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद

      लडाई क क म स मि होन क ब द मन अनभव तकय तक अब मर क म दकषकषण अफ़रीक म

      नही बचलक तहनदसि न म ह मन दख तक दकषकषण अफ़रीक म बठ -बठ म कछ सव िो अवकय

      कर सका ग

      मझ भी लग तक दश ज न स मर उपयोग अमधक हो सकग

      मन स ततथयो क स मन मि होन की इछछ परकट की बडी कदठन ई स एक शिय क स थ

      वह सवीकि हई शिय यह थी तक यदद एक वषय क अनददर कौम को मरी आवकयकि म लम हई

      िो मझ व पस दकषकषण अफ़रीक पहाचन होग मझ यह शिय कडी लगी पर म परमप श म बाध

      हआ थ

      जगह-जगह म नपि समपयण की सभ य हई और हर जगह स कीमिी भट ममली

      भटो म सोनच ादी की चीज िो थी ही पर हीर की चीज भी थी

      इन सब चीजो को सवीक र करन क मझ कय अमधक र थ यदद म उनदह सवीक र करि

      िो अपन मन को यह कस समझ ि तक कौम की सव म पस लकर नही करि इन भटो म स

      मवचककलो की दी हई थोडी चीजो को छोड द िो ब की सब मरी स वयजतनक सव क तनममि स

      ही ममली थी तफर मर मन िो मवचककलो और दसर स ततथयो क बीच कोई भद नही थ ख स-

      ख स सभी मवचककल स वयजतनक क मो म भी मदद दन व ल थ

      स थ ही इन भटो म पच स तगसतनदनयो क एक ह र कसिरब ई क ततलए थ पर वह वसि

      भी मरी सव क क रण ही ममली थी इसततलए वह दसरी भटो स अलग नही की ज सकिी थी

      जजस श म को इनम स मखय भट ममली थी वह र ि मन प गल की िरह ज गकर तबि यी

      म अपन कमर म चककर क टि रह पर उलझन तकसी िरह सलझिी न थी सकडो की कीमि

      क उपह रो को छोडन कदठन म लम होि थ रखन उसस भी अमधक कदठन लगि थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मन परशन करि म श यद भटो को पच प ऊा पर मर बछचो क कय होग सिी क कय

      होग उनदह ततशकष िो सव की ममलिी थी उनदह हमश समझ य ज ि थ तक सव क द म नही

      ततलए ज सकि म घर म कीमिी गहन बगर रखि नही थ स दगी बढिी ज रही थी ऐसी

      चसथति म सोन की घमडयो क उपयोग कौन करि सोन की जाजीर और हीर की अागदठय ा कौन

      पहनि म उस समय भी गहनो-ग ाठो क मोह छोडन क उपदश औरो को ददय करि थ अब

      इन गहनो और जव हर ि क म कय करि

      म इस तनणयय पर पहाच तक मझ य चीज रखनी ही नही च तहए प रसी रसिमजी आदद

      को इन गहनो क रसटी तनयि करक उनक न म ततलख ज न व ल पि क मसतवद मन िय र

      तकय और सबर सिी-पि दद स सल ह करक अपन बोझ हलक करन क तनिय तकय

      म यह ज नि थ तक धमयपतनी को समझ न कदठन होग बछचो को समझ न म जर भी

      कदठन ई नही होगी इसक मझ तवशव स थ अिः उनदह इस म मल म वकील बन न क मन तनिय

      तकय

      लडक िो िरनदि समझ गय उनदहोन कह ldquoहम इन गहनो की आवकयकि नही ह हम य

      सब लौट ही दन च तहए और जीवन म कभी हम इन वसिओ की आवकयकि हई िो कय हम

      सवया न खरीद सक गrdquo ऐस उनक कहन थ

      म खश हआ मन पछ ldquoिो िम अपनी म ा को समझ ओग नrdquo

      ldquoजरर जरर यह क म हम र समजझय उस कौन य गहन पहनन ह वह िो हम र ततलए

      ही रखन च हिी ह हम उनकी जररि नही ह तफर वह हठ कयो करगीrdquo

      पर क म जजिन सोच थ उसस अमधक कदठन ततसदध हआ

      ldquoभल आपको जररि न हो और आपक लडको को भी न हो बछचो को िो जजस र सि

      लग दो उसी र सि व लग ज ि ह भल मझ न पहनन द पर मरी बहओ क कय होग उनक

      िो य चीज क म आयगी न और कौन ज नि ह कल कय होग इिन परम स दी गयी चीज

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      व पस नही की ज सकिीrdquo पतनी की व गध र चली और उसक स थ अशरध र ममल गयी बछच

      दढ रह मझ िो मडगन थ ही नही

      मन धीर स कह ldquoलडको क बय ह िो होन दो हम कौन उनदह बचपन म बय हन ह

      बड होन पर िो य सवया ही जो करन च हग करग और हम कह ा गहनो की शौकीन बहएा खोजनी

      ह इिन पर भी कछ कर न ही पड िो म कह ा चल ज ऊा ग rdquo

      ldquoज निी हा आपको मर गहन भी िो आपन ही ल ततलए न जजनदहोन मझ सख स न पहनन

      ददय वह मरी बहओ क ततलए कय ल यग लडको को आप अभी स बर गी बन रह ह य गहन

      व पस नही ददय ज सकि और मर ह र पर आपक कय अमधक र हrdquo

      मन पछ ldquoपर यह ह र िमह री सव क बदल म ममल ह य मरी सव कrdquo

      ldquoकछ भी हो आपकी सव मरी भी सव हई मझस आपन र ि-ददन जो मजदरी करव यी

      वह कय सव म शम र न होगी मझ रल कर भी आपन हर तकसीको घर म ठहर य और उसकी

      च करी करव यी उस कय कहगrdquo

      य स र ब ण नकील थ इनम स कछ चभि थ पर गहन िो मझ व पस करन ही थ बहि-

      सी ब िो म म जस-िस कसिरब की सहमति पर पि कर सक १८९६ म और १९०१ म ममली हई

      भट मन लौट दी उनक रसट बन और स वयजतनक क म क ततलए उनक उपयोग मरी अथव

      रनसटयो की इछछ क अनस र तकय ज एा इस शिय क स थ व बक म रख दी गयी इन गहनो को

      बचन क तनममि स म कई ब र पस इकटठ कर सक हा आज भी आपतति-कोष क रप म यह

      धन मौजद ह और उसम वजदध होिी रहिी ह

      अपन इस क यय पर मझ कभी पि ि प नही हआ ददन बीिन पर कसिरब को भी इसक

      औमचतय की परिीति हो गयी इसस हम बहि स ल लचो स बच गय ह

      मर यह मि बन ह तक स वयजतनक सवक क ततलए तनजी भट नही हो सकिी

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      भाग-७ दश म

      ३६ महासभा (काागरस) परथम बार

      नहनदसतान पहाचन पर थोड समय मन घमन-तफरन म तबि य यह सन १९०१ क जम न थ

      उस स ल की क ागरस कलकि म होन व ली थी दीनश एदलजी व छछ उसक अधयकष थ मझ

      क ागरस म िो ज न थ ही क ागरस क यह मर पहल अनभव थ

      हम कलकि पहाच अधयकष आदद नि ओ को न गररक धमध म स ल गय मन तकसी

      सवयासवक स पछ ldquoमझ कह ा ज न च तहएrdquo

      वह मझ ररपन कोलज ल गय वह ा बहि स परतितनमध ठहर य गय थ

      सवयासवक एक-दसर स टकर ि रहि थ जो क म जजस सौप ज ि वह सवया उस नही

      करि थ वह िरनदि दसर को पक रि थ दसर िीसर को बच र परतितनमध िो न िीन म

      होि न िरह म नही छपपन क मल म

      गादगी की हद नही थी च रो िरफ प नी ही प नी फल रह थ प ख न कम थ उनकी

      गयनद ध की य द आज भी मझ हर न करिी ह मन एक सवयासवक को यह सब ददख य उसन

      स र इनक र करि हए कह ldquoयह िो भागी क क म हrdquo मन झ ड म ाग वह मर माह ि कि

      रह मन झ ड खोज तनक ल प ख न स र तकय पर यह िो मरी अपनी सतवध क ततलए

      हआ भीड इिनी जय द थी और प ख न इिन कम थ तक हर ब र क उपयोग क ब द उनकी

      सर ई होनी जररी थी यह मरी शतति क ब हर की ब ि थी

      क ागरस क अमधवशन को एक-दो ददन की दर थी मन तनिय तकय थ तक क ागरस क

      क य यलय म मरी सव सवीक र की ज य िो सव करा और अनभव ला

      शरी भपनदरन थ बस और शरी घोष ल मािी थ म भपनदरब ब क प स पहाच और सव की

      म ाग की उनदहोन मरी ओर दख और बोल

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मर प स िो कोई क म नही ह पर श यद मम घोष ल आपको कछ क म द सक ग उनक

      प स ज इयrdquo

      म घोष लब ब क प स गय उनदहोन मझ धय न स दख और जर हासकर मझस पछ

      ldquoमर प स िो कलकय क क म ह आप करगrdquo

      मन उिर ददय ldquoअवकय करा ग मरी शतति स ब हर न हो ऐस हर क म करन क ततलए

      म आपक प स आय हाrdquo

      ldquoनौजव न यही सछची भ वन ह rdquo

      और बगल म खड सवयासवको की ओर दखकर बोल

      ldquoसनि हो यह यवक कय कह रह हrdquo

      तफर मरी ओर मडकर बोल

      ldquoिो दखखय यह िो ह पिो क ढर और यह मर स मन कसी ह इस पर आप बदठय

      आप दखि ह तक मर प स सकडो आदमी आि रहि ह म उनस ममला य इन बक र पि ततलखन

      व लो को उनक पिो क जव ब ततलखा मर प स ऐस कलकय नही ह जजनस यह क म ल सका

      इन सब पिो म स बहिो म क म की एक भी ब ि नही होगी पर आप सबको दख ज इय

      जजसकी पहाच भजन उमचि समझ उसकी पहाच भज दीजजए जजसक जव ब क ब र म मझस

      पछन जररी समझ मझ पछ लीजजएrdquo म िो इस तवशव स स मगध हो गय

      शरी घोष ल मझ पहच नि न थ न म-ध म ज नन क क म िो उनदहोन ब द म तकय मर

      इतिह स ज नन क ब द िो मझ कलकय क क म सौपन क ततलए व कछ लचजजि हए पर मन उनदह

      तनकषिनदि कर ददय

      ldquoकह ा आप और कह ा म आप क ागरस क पर न सवक ह मर गरजन ह म एक

      अनभवहीन नवयवक हा यह क म सौपकर आपन मझ पर उपक र ही तकय ह कयोतक मझ

      क ागरस म क म करन ह उसक क मक ज को समझन क आपन मझ अलभय अवसर ददय हrdquo

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      हम र बीच अछछी ममिि हो गयी घोष लब ब क बटन भी बर लग ि थ यह दखकर

      lsquoबरrsquo क क म मन ही ल ततलय मझ वह पसनदद थ बडो क परति मर मन म बहि आदर थ जब

      व मरी वतति समझ गय िो अपनी तनजी सव क स र क म मझस लन लग

      पर ऐसी सव क परति मन म थोडी भी अरमच उतपनदन न हई मझ जो ल भ हआ उसकी

      िो कीमि आाकी ही नही ज सकिी

      कछ ही ददनो म मझ क ागरस की वयवसथ क जञ न हो गय कई नि ओ स भट हई

      गोखल सरनदरन थ आदद योदध आि-ज ि रहि थ म उनकी रीति-नीति दख सक वह ा समय

      की जो बरब दी होिी थी उस भी मन अनभव तकय अागरजी भ ष क पर बलय भी दख इसस

      उस समय भी मझ ःख हआ थ शतति क बच व की कोई तगनिी ही नही थी मन दख तक एक

      आदमी स हो सकन व ल क म म अनक आदमी लग ज ि थ और यह भी दख तक तकिन ही

      महततवपणय क म कोई करि ही न थ

      मर मन इस स री चसथति की टीक तकय करि थ पर मचि उद र थ इसततलए वह म न

      लि थ तक जो हो रह ह उसम अमधक सध र करन साभव न होग फलिः मन म तकसी क

      परति अरमच पद न होिी थी

      सर फीरोजश ह न दकषकषण अफ़रीक क ब र म मर परसि व लन की सवीकति िो दी थी पर

      उस क ागरस की तवषय-तनव यमचनी सममति म कौन परसिि करग कब करग यह सोचि हआ म

      सममति म बठ रह हरएक परसि व पर लमब-लगब भ षण होि थ सब अागरजी म हरएक क स थ

      परततसदध वयततियो क न म जड होि थ इस नकक रख न म मरी ििी की आव ज कौन सनग

      जयो-जयो र ि बीििी ज िी थी तयो-तयो मर ददल धडकि ज ि थ सब कोई भ गन की िय री

      म थ र ि क गय रह बज गय थ मझम बोलन की तहममि न थी म गोखल स ममल चक थ और

      उनदहोन मर परसि व दख ततलय थ

      उनकी कसी क प स ज कर मन धीर स कह

      ldquoमर ततलए कछ कीजजएग rdquo

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      सर फीरोजश ह बोल ldquoकतहय सब क म तनबट गय नrdquo

      गोखल बोल उठ दकषकषण अफ़रीक क परसि व िो ब की ही ह मम ग ाधी कबस बठ र ह

      दख रह हrdquo

      सर फीरोजश ह न पछ ldquoआप उस परसि व को दख चक हrdquo

      ldquoह ा ldquo

      ldquoआपको वह पसनदद आय rdquo

      ldquoक री अछछ हrdquo

      ldquoिो ग ाधी पढोrdquo

      मन क ापि हए परसि व पढ सन य

      गोखल न उसक समथयन तकय

      सब बोल उठ ldquoसवय-सममति स प सrdquo

      व छछ बोल ldquoग ाधी िम प ाच ममनट लन rdquo

      इस दकय स मझ परसनद नि न हई तकसीन भी परसि व को समझन क कषट नही उठ य

      सब जलदी म थ गोखल न परसि व दख ततलय थ इसततलए दसरो को दखन-सनन की आवकयकि

      परिीि न हई

      सवर हआ

      मझ िो अपन भ षण की तरकर थी प ाच ममनट म कय बोलाग मन िय री िो अछछी

      कर ली थी पर उपयि शबद सझि न थ जस िस परसि व पढ गय

      तकसी कतव न अपनी कतवि छप कर सब परतितनमधयो म ब ाटी थी उसम परदश ज न

      की और समर-य ि की सिति थी वह मन पढ सन यी और दकषकषण अफ़रीक क ःखो की थोडी

      चच य की इिन म सर मम व छछ दीनश की घाटी बजी मझ तवशव स थ तक मन अभी प ाच ममनट

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      पर नही तकय ह मझ पि न थ तक यह घाटी मझ चि न क ततलए दो ममनट पहल ही बज दी गयी

      थी मन बहिो को आध-आध पौन-पौन घाट बोलि दख थ और घाटी नही बजी थी मझ ःख

      िो हआ घाटी बजि ही म बठ गय

      परसि व प स होन क ब र म िो पछन ही कय थ उन ददनो दशयक और परतितनमध क भद

      कवमचि ही तकय ज ि थ परसि वो क तवरोध करन क कोई परशन ही नही थ सब ह थ उठ ि

      ही थ स र परसि व सवय-सममति स प स होि थ मर परसि व भी इसी िरह प स हआ इसततलए

      मझ परसि व क महततव नही ज न पड तफर भी क ागरस म मर परसि व प स हआ यह ब ि ही

      मर आननदद क ततलए पय यपि थी जजस पर क ागरस की महर लग गयी उस पर स र भ रि की महर

      ह यह जञ न तकसक ततलए पय यपि न होग

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      ३७ लाडम क़ज़मन का दरबार

      काागरस-अधधवशन सम पि हआ पर मझ िो दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए कलकि म

      रहकर चमबर ओफ कोमसय इतय दद मणडलो स ममलन थ इसततलए म कलकि म एक महीन

      ठहर इस ब र मन होटल म ठहरन क बदल पररचय पर पि करक इचणडय कलब म ठहरन की

      वयवसथ की इस कलब म अगरगणय भ रिीय उिर करि थ इसस मर मन म यह लोभ थ तक

      उनस मल-जोल बढ कर म उनम दकषकषण अफ़रीक क क म क ततलए ददलचसपी पद कर सका ग

      उनदही ददनो ल डय क़जयन क दरब र हआ उसम ज न व ल कोई र ज -मह र ज इस कलब

      म ठहर हए थ कलब म िो म उनको हमश सनददर बाग ली धोिी कि य और च दर की पोश क म

      दखि थ आज उनदहोन पिलन चोग ख नस मोकी-सी पगडी और चमकील बट पहन थ यह

      दखकर मझ ःख हआ और मन इस पररवियन क क रण पछ

      जव ब ममल ldquoहम र ःख हम ही ज नि ह अपनी समपतति और अपनी उप मधयो को

      सरकषकषि रखन क ततलए हम जो अपम न सहन पडि ह उनदह आप कस ज न सकि हrdquo

      ldquoपर यह ख नस म-जसी पगडी और य बट तकसततलएrdquo

      ldquoहम म और ख नस मो म आपन कय रकय दख व हम र ख नस म ह िो हम ल डय

      क़जयन क ख नस म ह यदद म दरब र म अनपचसथि रहा िो मझको उसक दणड भगिन पड

      अपनी स ध रण पोश क पहनकर ज ऊा िो वह अपर ध म न ज एग और वह ा ज कर भी कय

      मझ ल डय क़जयन स ब ि करन क अवसर ममलग कद तप नहीrdquo

      मझ इस सपषटवि भ ई पर दय आई

      ऐस ही परसाग व ल एक और दरब र मझ य द आ रह ह जब क शी क तहनदद तवशवतवदय लय

      की नीव ल डय ह रडिग क ह थो रखी गयी िब उनक दरब र हआ थ उसम र ज -मह र ज िो

      आय ही थ भ रिभषण म लवीयजी न मझस भी उसम उपचसथि रहन क तवशष आगरह तकय

      थ म वह ा गय थ कवल सतसियो को ही शोभ दन व ली र ज -मह र ज ओ की पोश क दखकर

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मझ ःख हआ थ रशमी प ज म रशमी अागरख और गल म हीर-मोिी की म ल य ह थ पर

      ब जबनदद और पगडी पर हीर-मोिी की झ लर इन सबक स थ कमर म सोन की मठव ली िलव र

      लटकिी थी य चीज उनक र जय मधक र की नही बचलक उनकी गल मी की तनश तनय ा थी म

      म नि थ तक ऐस न मदी-सचक आभषण व सवछछ स पहनि होग पर मझ पि चल तक ऐस

      सममलनो म अपन सब मलयव न आभषण पहनकर ज न र ज ओ क ततलए अतनव यय थ मझ

      यह भी म लम हआ तक कइयो को ऐस आभषण पहनन स घण थी धन सि और म न मनषय

      स तकिन प प और अनथय कर ि ह

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ३८ बमबई म

      गोखल की बडी इछछ थी तक म बमबई म बस ज ऊा वह ा ब ररसटर क धनदध करा और उनक

      स थ स वयजतनक सव म ह थ बाट ऊा उस समय स वयजतनक सव क मिलब थ क ागरस की

      सव

      मरी भी यही इछछ थी पर क म ममलन क ब र म मझ आतम-तवशव स न थ तपछल

      अनभवो की य द भली नही थी

      इस क रण पहल िो म र जकोट म ही रह वह ा क म शर तकय

      एक ददन कवलर म मर प स आय और बोल ldquoग ाधी िमको यह ा नही रहन ददय ज एग

      िमह िो बमबई ही ज न होग rdquo

      ldquoिम स वयजतनक क म क ततलए ततसरज गय हो िमह हम क दठय व ड म दफन न होन दग

      कहो कब रव न होि होrdquo

      ldquoन ि ल स मर कछ पस आन ब की ह उनक आन पर चल ज ऊा ग rdquo

      पस एक-दो हफिो म आ गय और म बमबई पहाच

      मन दख तक मर धाध आरथिक दतषट स मरी अपकष स अमधक अछछ चल तनकल दकषकषण

      अफ़रीक क मवचककल मझ कछ-न-कछ क म दि रहि थ मझ लग तक उसस मर खचय सरलि -

      पवयक चल ज एग

      मन सचसथर होन क तनिय तकय और थोडी चसथरि अनभव की तक अच नक दकषकषण

      अफ़रीक क ि र ममल ldquoचमबरलन यह ा आ रह ह आपको आन च तहएrdquo मझ अपन वचन

      क समरण िो थ ही मन ि र ददय ldquoमर खचय भजजय म आन को िय र हाrdquo उनदहोन िरनदि

      रपय भज ददय और म दफिर समट कर रव न हो गय

      मन सोच थ तक मझ एक वषय िो सहज ही लग ज एाग इसततलए बागल रहन ददय और

      ब ल-बछचो को वही रखन उमचि समझ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      उस समय म म नि थ तक जो नौजव न दश म कोई कम ई न करि हो और स हसी हो

      उनक ततलए परदश चल ज न अछछ ह इसततलए म अपन स थ च र-प ाच नौजव नो को लि

      गय उनम मगनल ल ग ाधी भी थ

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      भाग-८ दकषिि अफ़रीका म

      ३९ पनः दकषिि अफ़रीका म

      यह नही कह ज सकि तक म डरबन एक ददन भी पहल पहाच मर ततलए वह ा क म िय र ही

      थ मम चमबरलन क प स डपयटशन क ज न की ि रीख तनकषिि हो चकी थी मझ उनक स मन

      पढ ज न व ल पर थयन -पि िय र करन थ और डपयटशन क स थ ज न थ

      मम चमबरलन दकषकषण अफ़रीक स स ढ िीन करोड पौणड लन आय थ िथ अागरजो क

      और हो सक िो बोअरो क मन जीिन आय थ इसततलए भ रिीय परतितनमधयो को नीच ततलख

      ठाड जव ब ममल

      ldquoआप िो ज नि ह तक उिरद यी उपतनवशो पर स मर जय-सरक र क अाकश न मम ि

      क ही ह आपकी ततशक यि िो सछची ज न पडिी ह मझस जो हो सकग म करा ग पर

      आपको जजस िरह भी बन यह ा क गोरो को ररझ कर रहन हrdquo

      जव ब सनकर परतितनमध ठा ड हो गय म तनश श हो गय जब ज ग िभी सबर म नकर

      तफर स शरीगणश करन होग यह ब ि मर धय न म आ गयी और स ततथयो को मन समझ दी

      मम चमबरलन की िफ नी दौर करन थ व र नदसव ल क ततलए रव न हए मझ वह ा क

      भ रिीयो क कस िय र करक उनक स मन पश करन थ तपरटोररय तकस िरह पहाच ज एा

      वह ा म समय पर पहाच सका इसक ततलए अनमति पर पि करन क क म हम र लोगो स हो सकन

      जस न थ

      यदध क ब द र नदसव ल उज ड जस हो गय थ वह ा न ख न को अनदन थ न पहनन-

      ओढन को कपड ममलि थ ख ली और बनदद पडी हई क नो को म ल स भरन और खलव न

      थ जस-जस म ल इकटठ होि ज एा वस-वस ही घरब र छोडकर भ ग हए लोगो को व पस

      आन ददय ज सकि थ इस क रण परतयक र नद सव लव सी को परव न लन पडि थ गोरो

      को िो परव न म ागि ही ममल ज ि थ मसीबि तहनदसि तनयो की थी

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      हचबशयो स समबनदध रखन व ल एक अलग तवभ ग पहल स ही थ ऐसी दश म

      एततशय व ततसयो क ततलए भी एक तवभ ग कयो न हो तहनदसि तनयो को इस तवभ ग म अजी दनी

      पडिी थी

      मझस कह गय थ तक तबन वसील क परव न ममलि ही नही और कई ब र िो वसील

      य जररय क होि हए भी परति वयतति सौ-सौ पौणड िक खचय हो ज ि ह इसम मर दठक न कह ा

      लगि

      म अपन पर न ममि डरबन क पततलस सपररणटणडणट क प स पहाच और उनस कह

      ldquoआप मर पररचय परव न दन व ल अमधक री स कर दीजजए और मझ परव न ददल दीजजए

      आप यह िो ज नि ह तक म र नदसव ल म रह हाrdquo व िरनदि ततसर पर टोप रखकर मर स थ आय

      और मझ परव न ददल ददय सपररणटणडणट एलकजणडर क आभ र म नकर म तपरटोररय क

      ततलए रव न हो गय

      म तपरटोररय पहाच पर थयन -पि िय र तकय डरबन म परतितनमधयो क न म तकसीस पछ

      गय हो सो मझ य द नही लतकन यह ा नय तवभ ग क म कर रह थ इसततलए परतितनमधयो क

      न म पहल स पछ ततलए गय थ हमन न म ददय मजकर अमधक री क हसि कषर व ल पि आय

      उसम यह ततलख गय थ तक मम चमबरलन डरबन म ग ाधी स ममल ह अिः अब उनक न म

      परतितनमधयो म स तनक ल दन की जररि ह

      स ततथयो को यह पि असहय परिीि हआ ldquoआपक कहन स सम ज न लड ई म तहसस

      ततलय पर पररण म िो यही तनकल नrdquo इस िरह ि न म रन व ल भी सम ज म तनकल आय

      पर मझ पर इन ि नो क कोई असर नही हआ मन कह ldquoमझ इस सल ह क पछि व नही ह

      म अब भी यह म नि हा तक हमन लड ई म भ ग लकर ठीक ही तकय ह वस करक हमन

      अपन कियवय क प लन तकय ह हम उसक फल च ह दखन को न ममल पर मर यह दढ तवशव स

      ह तक शभ क यय क फल शभ ही होि ह बीिी ब िो क तवच र करन की अपकष अब हम र ततलए

      अपन वियम न कियवय क तवच र करन अमधक अछछ होग अिएव हम उसक ब र म सोचrdquo

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      दसरो न भी इस ब ि क समथयन तकय

      मन कह ldquoसच िो यह ह तक जजस क म क ततलए मझ बल य गय थ वह अब पर हआ

      म न ज एाग पर म म नि हा तक आपक मझ छटटी द दन पर भी अपन बसभर मझ र नदसव ल

      स हटन नही च तहए मर क म अब न ि ल स नही बचलक यह ा स चलन च तहए एक स ल क

      अनददर व पस ज न क तवच र मझ छोड दन च तहए और यह ा की वक ल ि की सनद ह ततसल

      करनी च तहए इस नय तवभ ग स तनबट लन की तहममि मझम ह यदद हमन मक बल न तकय

      िो सम ज लट ज एग और श यद यह ा स उसक पर भी उखड ज एाग

      उस परक र मन चच य चल यी तपरटोररय और जोह तनसबगय म रहन व ल भ रिीय नि ओ

      स तवच र तवमशय करक अनदि म जोह तनसबगय म दफिर रखन क तनिय हआ

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      ४० गीता का अभयास

      शथयोसोनफसट ममि मझ अपन मणडल म ससतममततलि करन की इछछ अवकय रखि थ पर उनक

      हि तहनदद क न ि मझस कछ पर पि करन थ ततथयोसोफी की पसिको म तहनदद धमय की छ य और

      उसक परभ व िो क री ह ही अिएव इन भ इयो न म न ततलय तक म उनकी सह यि कर सका ग

      जजजञ स-मणडल क न म स एक छोट -स मणडल भी सथ तपि तकय और तनयममि अभय स होन

      लग गीि जी पर मझ परम और शरदध िो थी ही अब उसकी गहर ई म उिरन की आवकयकि

      परिीि हई मर प स एक-दो अनव द थ उनकी सह यि स मन मल सासकि समझ लन क परयतन

      तकय और तनतय एक-दो शलोक कणठ करन क तनिय तकय

      पर ि द िन और सन न क समय क उपयोग गीि क शलोक कणठ करन म तकय द िन

      म पनदरह और सन न म बीस ममनट लगि थ खड-खड करि थ स मन की दीव र पर गीि क

      शलोक ततलखकर मचपक दि थ और आवकयकि नस र उनदह दखि िथ घोखि ज ि थ य

      घोख हए शलोक सन न करन िक पकक हो ज ि थ इस बीच तपछल कणठ तकय हए शलोको को

      भी म एक ब र दोहर ज ि थ इस परक र िरह अधय य िक कणठ करन की ब ि मझ य द ह

      इस गीि प ठ क परभ व मर सह धय तययो पर क य पड उस व ज न परनदि मर ततलए िो

      वह पसिक आच र की एक परौढ म गयदरशिक बन गयी वह मर ततलए ध रमिक कोश क क म दन

      लगी उसक अपररगरह समभ व आदद शबदो न मझ पकड ततलय समभ व क तवक स कस हो

      उसकी रकष तकस परक र की ज ए घर जल कर िीथय करन ज ऊा िरनदि ही उिर ममल तक घर

      जल य तबन िीथय तकय ही नही ज सकि यह ा अागरजी क़ नन न मरी मदद की रसटीrsquo शबद

      क अथय तवशष रप स समझ म आय रसटी क प स करोडो रपयो क रहि हए भी उनम की

      एक भी प ई उसकी नही होिी ममकष को ऐस ही वरि व करन च तहए यह ब ि मन गीि जी

      स समझी मझ यह दीपक की िरह सपषट ददख यी ददय तक अपररगरही बनन म समभ वी होन म

      हि क हदय क पररवियन आवकयक ह मन रव शाकरभ ई को इन आशय क पि ततलख भज

      तक बीम की पोततलसी बनदद कर द कछ रकम व पस ममल िो ल ल न ममल िो भर हए पसो को

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      गय समझ ल बछचो की और सिी की रकष उनदह और हम पद करन व ल ईशवर करग तपििलय

      भ ई को ततलख ldquoआज िक िो मर प स जो बच वह मन आपको अपयण तकय अब मरी आश

      आप छोड दीजजए अब जो बचग सो यही तहनदसि नी सम ज क तहि म खचय होग rdquo

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      ४१ इणणडयन ओपीननयन

      इसी अरस म शरी मदनजीि न इकषणडयि ओपीकषियि अखब र तनक लन क तवच र तकय उनदहोन

      मरी सल ह और सह यि म ागी छ प ख न िो व चल ही रह थ अखब र तनक लन क तवच र

      स म सहमि हआ सन १९०४ म इस अखब र क जनदम हआ मनसखल ल न जर इसक साप दक

      बन पर साप दन क सछच बोझ िो मझ पर ही पड मर भ गय म पर यः हमश दर स ही अखब र

      की वयवसथ साभ लन क योग रह ह

      मनसखल ल न जर साप दक क क म न कर सक ऐसी कोई ब ि नही थी उनदहोन दश म

      कई अखब रो क ततलए लख ततलख थ पर दकषकषण अफ़रीक क अटपट परशनो पर मर रहि उनदहोन

      सविाि लख ततलखन की तहममि नही की उनदह मरी तववक-शतति पर अतयमधक तवशव स थ अिएव

      जजन-जजन तवषयो पर कछ ततलखन जररी होि उन पर ततलखकर भजन क बोझ व मझ पर

      ड ल दि थ

      यह अखब र स पि तहक थ जस तक आज भी ह

      मन यह कलपन नही की थी तक इस अखब र म मझ कछ अपन पस लग न पडग लतकन

      कछ ही समय म मन दख तक अगर म पस न दा िो अखब र चल ही नही सकि म अखब र

      क साप दक नही थ तफर भी तहनदसि नी और गोर दोनो यह ज नन लग गय थ तक उसक लखो

      क ततलए म ही जजममद र थ अखब र न तनकलि िो भी कोई ह तन न होिी पर तनक लन क ब द

      उसक बनदद होन स तहनदसि तनयो की बदन मी होगी और सम ज को ह तन पहाचगी ऐस मझ

      परिीि हआ

      म उसम पस उाडलि गय और कह ज सकि ह तक आखखर ऐस भी समय आय जब

      मरी परी बचि उसी पर खचय हो ज िी थी मझ ऐस समय की य द ह जब मझ हर महीन ७५

      पौणड भजन पडि थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      तकनदि इिन वषो क ब द मझ लगि ह तक इस अखब र न तहनदसि नी सम ज की अछछी

      सव की ह इसस धन कम न क तवच र िो शर स ही तकसी क नही थ

      जब िक वह मर अधीन थ उसम तकय गय पररवियन मर जीवन म हए पररवियनो क

      दयोिक थ जजस िरह आज यग इकषडया और िवजीवि मर जीवन क कछ अाशो क तनचोड-

      रप ह उसी िरह इकषणडयि ओपीकषियि थ उसम म परति सपि ह अपनी आतम उाडलि थ और

      जजस म सतय गरह क रप म पहच नि थ उस समझ न क परयतन करि थ जल क समयो को

      छोडकर दस वषो क अथ यि सन १९१४ िक क इकषणडयि ओपीकषियि क श यद ही कोई अाक

      ऐस होग जजनम मन कछ ततलख न हो

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव

      म भोजन क ततलए एक तनर ममष भोजनगह म ज ि थ वह ा मझ आलबटय वसट की पहच न

      हई हमलोग परतिददन श म को इस गह म ममलि और भोजन करक घमन क ततलए चल ज ि थ

      वसट एक छोट छ पख न म तहससद र थ उनदहो न सह यि करन क व द तकय और मन

      इकषनडयि ओपीकषियि परस क क रोब र ह थ म लन क ततलए अनरोध तकय वसट को छ पख न

      की आरथिक पररचसथति क साबाध म पर थममक ररपोटय मझ डर न व ल थ अिः म न ि ल ज न क

      ततलए रव न हआ पोल क तनर ममष ह री भोजनगह म ममल थ और ममि बन गय थ

      व मझ छोडन सटशन िक आय और यह कहकर तक ldquoयह पसिक र सि म पढन योगय ह

      आप इस पढ ज इय आपको पसाद आएगीrdquo

      उनदहोन रसतसकन की अनट कषधस रलासट पसिक मर ह थ म रख दी

      इस पसिक को ह थ म लन क ब द म छोड ही न सक इसन मझ पकड ततलय

      जोह तनसबगय स न ि ल क र सि लगभग चौबीस घाटो क थ रन श म को डरबन पहाचिी थी

      पहाचन क ब द मझ स री र ि नीद न आयी मन पसिक म समचि तवच रो को अमल म ल न क

      इर द तकय

      मर यह तवशव स ह तक जो चीज मर अनददर गहर ई म मछपी पडी थी रसतसकन क गराथरतन म

      मन उसक सपषट परतितबमब दख और इस क रण उसन मझ पर अपन स मर जय जम य और

      मझस उसम ददय गय तवच रो पर अमल करव य जो मनषय हम म सोयी हई उिम भ वन ओ

      को ज गरि करन की शतति रखि ह वह कतव ह सब कतवयो क सब लोगो पर सम न परभ व

      नही पडि कयोतक सबक अनददर स री सदभ वन य सम न म ि म नही होिी

      म सवोदय क ततसदध नदिो को इस परक र समझ हा

      १ सबकी भल ई म हम री भल ई तनतहि ह

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      २ वकील और न ई दोनो क क म की कीमि एकसी होनी च तहए कयोतक आजीतवक

      क अमधक र सबको एक सम न ह

      ३ स द महनि-मजदरी क तकस न क जीवन ही सछच जीवन ह

      पहली चीज म ज नि थ दसरी को म धाधल रप म दखि थ िीसरी क मन कभी

      तवच र ही नही तकय थ सवोदय न मझ दीय की िरह ददख ददय तक पहली चीज म दसरी

      दोनो चीज सम यी हई ह सवर हआ और म इन ततसदध नदिो पर अमल करन क परयतन म लग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ४३ फ़ीननकस की सथापना

      सवर सबस पहल िो मन वसट स ब ि की मझ पर सवोदय क जो परभ व पड थ वह मन

      उनदह सन य और सझ य तक इकषणडयि ओपीकषियि को एक खि पर ल ज न च तहए वह ा सब

      अपन ख न-प न क ततलए आवकयक खचय सम न रप स ल सब अपन-अपन तहसस की खिी कर

      और ब की क समय म इकषणडयि ओपीकषियि क क म कर वसट न इस सझ व को सवीक र

      तकय हरएक क भोजन आदद क खचय कम स कम िीन पौणड हो ऐस तहस ब बठ य इसम

      गोर-क ल क भद नही रख गय थ

      िरनदि ही मन सम च रपिो म एक तवजञ पन छपव य तक डरबन क प स तकसी भी सटशन

      स लगी हई जमीन क एक टकड की जररि ह जव ब म रीतनकस की जमीन क सादश ममल

      स ि ददन क अादर २० एकड जमीन ली उसम एक छोट -स प नी क न ल थ न रागी और

      आम क कछ पड थ प स ही ८० एकड क दसर एक टकड थ उसम तवशष रप स फलो

      व ल पड और एक झोपड थ थोड ददनो ब द उस भी खरीद ततलय दोनो क ममल कर १०००

      पौणड ददय

      कछ तहनदसि नी बढई और ततसल वट जो मर स थ (बोअर) लड ई म ससतममततलि हए थ

      उनकी मदद स क रख न बन न शर तकय एक महीन म मक न िय र हो गय वह ७५ फट

      लाब और ५० फट चौड थ वसट आदद शरीर को साकट म ड लकर र ज और बढई क स थ रहन

      लग

      रीतनकस म घ स खब थी बसिी तबलकल न थी इसस स ापो क खिर थ आराभ म

      िो िमब ग डकर सब उनदही म रह थ

      एक हफि क अनददर अमधक ाश स म न बलग मडयो की मदद स रीतनकस ल य गय

      डरबन और रीतनकस क बीच िरह मील क फ सल थ रीतनकस सटशन स ढ ई मील दर थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      मगनल ल ग ाधी अपन पश समटकर मर स थ आय थ िबस व रह ही ह अपन बजदधशतति

      स तय गशतति स िथ अननदय भतति भ व स मर आािररक परयोगो क मर असली स ततथयो म आज

      परध नपद पर ह

      इस परक र सन १९०४ म रीतनकस की सथ पन हई अनक तवडमबन ओ क बीच भी

      रीतनकस सासथ िथ इकषनडयि ओपीकषियि दोनो अब िक दटक हए ह

      हम सब अपनी महनि स अपन तनव यह करग इस खय ल स मरण लय क आसप स

      परतयक तनव सी क ततलए जमीन क िीन-िीन एकड क टकड कर ततलए गय थ इनम एक टकड

      मर ततलए भी म प गय थ इन सब टकडो पर हम म स हरएक की इछछ क तवरदध हमन टीन

      की चददरो क घर बन य इछछ िो तकस न को शोभ दन व ल घ सफस और ममटटी क अथव ईट

      क घर ब ाधन की थी पर वह परी न हो सकी उसम पस अमधक खचय होि थ और समय अमधक

      लगि थ सब जलदी स घरब र व ल बनन और क म म जट ज न क ततलए उि वल हो गय थ

      अभी यह क म वयवचसथि नही हो प य थ मक न भी िय र न हए थ इिन म अपन इस

      नवरमचि पररव र को छोडकर म जोह तनसबगय भ ग गय मरी चसथति ऐसी न थी तक म वह ा क

      क म को लमब समय िक छोड सका

      जोह तनसबगय पहाचकर मन पोल क स इस महततवपणय पररवियन की ब ि कही अपनी दी

      हई पसिक क यह पररण म दखकर उनक आननदद क प र न रह उनदहोन उमाग क स थ पछ

      ldquoिो कय म भी इसम तकसी िरह ह थ नही बाट सकि rdquo

      ldquoआप अवकय ह थ बाट सकि हrdquo

      पोल क न तकरदटक स मतति प न क ततलए अपन म ततलक को एक महीन की नोदटस दी

      और अवमध सम पि होन पर व रीतनकस पहाच गय वह ा अपन ममलनस र सवभ व स उनदहोन

      सबक ददल जीि ततलए और घर क ही एक आदमी की िरह रहन लग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      पर म ही उनदह लगब समय िक वह ा रख नही सक मर ततलए अकल ह थो समच दफिर

      क बोझ उठ न साभव न थ अिएव मन पोल क को आतफस म रहन और वकील बनन की

      सल ह दी

      पोल क न मझ ततलख ldquoमझ िो यह जीवन ही अछछ लगि ह म यह ा सखी हा यह ा

      हम इस सासथ क तवक स कर सक ग तकनदि यदद आप यह म नि हो तक मर वह ा पहाचन स हम र

      आदशय शीघर सफल होग िो म आन को िय र हाrdquo

      मन उनक इस पि क सव गि तकय पोल क रीतनकस छोडकर जोह तनसबगय आय और

      मर दफिर म वकील क माशी की िरह क म करन लग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ४४ घरो म पररवतमन तथा बालशशिा

      अब जलदी ही तहनदसि न ज न की अथव वह ा ज कर चसथर होन की आश मन छोड दी थी म

      िो पतनी को एक स ल क आशव सन दकर व पस दकषकषण अफ़रीक आय थ स ल िो बीि गय

      पर मर व पस लौटन की साभ वन दर चली गई अिएव मन बछचो को बल लन क तनिय तकय

      डरबन म मन जो घर बस य थ उसम पररवियन िो तकय ही थ खचय अमधक रख थ

      तफर भी झक व स दगी की ओर ही थ तकनदि जोह तनसबगय म lsquoसवोदय क तवच रो न अमधक

      पररवियन करव य

      ब ररसटर क घर म जजिनी स दगी रखी ज सकिी थी उिनी िो रखनी शर कर ही दी

      तफर भी कछ स ज-स म न क तबन क म चल न मतककल थ सछची स दगी िो मन की बढी

      हरएक क म अपन ह थो करन क शौक बढ और ब लको को भी उसम शरीक करक कशल

      बन न शर तकय

      ब ज र की रोटी खरीद न क बदल कन की सझ ई हई तबन खमीर की रोटी ह थ स बन नी

      शर की इसम ममल क आट क म नही दि थ ह थ स तपस आट क उपयोग करन म स दगी

      आरोगय और पस िीनो की अमधक रकष होिी ह अिएव स ि पौणड खचय करक ह थ स चल न

      की एक चककी खरीद ली उसक प ट वजनद र थ दो आदमी उस सरलि स चल सकि थ

      इस चककी को चल न म पोल क म और ब लक मखय भ ग लि थ कभी-कभी कसिरब ई भी

      आ ज िी थी यदयतप उस समय वह रसोई बन न म लगी रहिी थी ममसज पोल क क आन पर व

      भी इसम ससतममततलि हो गयी ब लको क ततलए यह कसरि बहि अछछी ततसदध हई उनस मन

      चककी चल न क य दसर कोई क म कभी जबरदसिी नही करव य व सहज ही खल समझकर

      चककी चल न आि थ थकन पर छोड दन की उनदह सविािि थी

      घर स र रखन क ततलए एक नौकर थ वह घर क आदमी की िरह रहि थ और उसक

      क म म ब लक पर ह थ बाट ि थ प ख न स र करन क ततलए मयतनततसपततलटी क नौकर आि

      थ पर प ख न क कमर को स र करन और बठक आदद धोन क क म नौकर को नही सौप

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      ज ि थ उसस वसी आश भी नही रखी ज िी थी यह क म हम सवया करि थ और इसस भी

      ब लको को ि लीम ममली

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      ४५ जल-नवदरोह

      जोहाननसबगम म म कछ चसथर-स होन लग थ तक इसी बीच एक अनसोची घटन घटी अखब रो

      म यह खबर पढन को ममली तक न ि ल म जल lsquoतवरोह हआ ह जल लोगो स मरी कोई कमनी

      न थी उनदहोन एक भी तहनदसि नी क नक़स न नही तकय थ lsquoतवरोह शबद क औमचतय क

      तवषय म भी मझ शाक थी तकनदि उन ददनो म अागरजी सलिनि को सास र क कलय ण करन व ली

      सलिनि म नि थ मरी वर द री ह रदिक थी म उस सलिनि क कषय नही च हि थ अिएव

      बल-परयोग-समबनदधी नीति-अनीति क तवच र मझ इस क यय को करन स रोक नही सकि थ

      न ि ल पर साकट आन पर उसक प स रकष क ततलए सवयासवको की सन थी और साकट क समय

      उसम क म क ल यक सतनक भरिी भी हो ज ि थ मन पढ तक सवयासवको की सन इस तवरोह

      को दब न क ततलए रव न हो चकी ह

      म अपन को न ि लव सी म नि थ और न ि ल क स थ मर तनकट समबनदध िो थ ही

      अिएव मन गवनयर को पि ततलख तक यदद आवकयकि हो िो घ यलो की सव -शशरष करन व ल

      तहनदसि तनयो की एक टकडी लकर म सव क ततलए ज न को िय र हा िरनदि ही गवनयर क

      सवीकति-सचक उिर ममल मन अनकल उिर की अथव इिनी जलदी उिर प न की आश

      नही रखी थी तफर भी उि पि ततलखन क पहल मन अपन परबनदध िो कर ही ततलय थ तक यदद

      मरी पर थयन सवीकि हो ज य िो जोह तनसबगय क घर उठ दग मम पोल क अलग घर लकर

      रहग और कसिरब ई रीतनकस ज कर रहगी इस योजन को कसिरब ई की पणय सममति पर पि

      हई

      डरबन पहाचन पर मन आदममयो की म ाग की

      सव कषभम न की रकष क ततलए और अमधक सतवध क स थ क म कर सकन क ततलए िथ

      वसी परथ होन क क रण मचतकतस -तवभ ग क मखय पद मधक री न मझ स जयनदट मजर क

      मददिी पद ददय और मरी पसनदद क अनदय िीन स ततथयो को स जयनदट क और एक को कोपररल

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      क पद ददय वरदी भी सरक र की ओर स ही ममली म यह कह सकि हा तक इस टकडी न छह

      सपि ह िक सिि सव की

      lsquoतवरोहrsquo क सथ न पर पहाचकर मन दख तक वह ा तवरोह-जसी कोई चीज नही थी कोई

      तवरोध करि हआ भी नजर नही आि थ तवरोह म नन क क रण यह थ तक एक जल सरद र

      न जल लोगो पर लग य गय नय कर न दन की उनदह सल ह दी थी और कर की वसली क ततलए

      गय हए एक स जयनदट को उसन कतल कर ड ल थ सो जो भी हो मर हदय िो जल लोगो की

      िरफ थ और कनदर पर पहाचन क ब द जब हम र तहसस मखयिः जल घ यलो की शशरष करन

      क क म आय िो म बहि खश हआ वह ा क डोकटर अमधक री न हम र सव गि तकय उसन

      कह ldquoगोरो म स कोई इन घ यलो की सव -शशरष करन क ततलए िय र नही होि म अकल

      तकस-तकस की सव करा इनक घ व सड रह ह अब आप आय ह इस म इन तनदोष लोगो पर

      ईशवर की कप ही समझि हाrdquo यो कहकर उसन मझ पदटटय ा जाि-न शक प नी आदद स म न

      ददय और उन बीम रो क प स ल गय बीम र हम दखकर खश हो गय गोर ततसप ही ज ततलयो म

      स झ ाक-झ ाककर हम घ व स र करन स रोकन क परयतन करि हम र न म नन पर खीझि और

      जलओ क ब र म जजन गनदद शबदो क उपयोग करि उनस िो क न क कीड झड ज ि थ

      धीर-धीर गोर ततसप तहयो क स थ भी मर पररचय हो गय और उनदहोन मझ रोकन बनदद

      कर ददय

      कोई यह न म न तक जजन बीम रो की सव -शशरष क क म हम सौप गय थ व तकसी

      लड ई म घ यल हए थ उनम स एक तहसस उन कददयो क थ जो शक म पकड गय थ जनरल

      न उनदह कोडो की सज दी थी इन कोडो की म र स जो घ व पद हए थ व स र-साभ ल क अभ व

      म पक गय थ दसर तहसस उन जलओ क थ जी ममि म न ज ि थ इन ममिो को ततसप तहयो

      न घ यल तकय थ यदयतप उनदहोन ममिि सचक मचहन ध रण कर रख थ

      हम लोगो को अलग-अलग सथ न पर िजी स पहाचिी हई ततसप तहय ा की डकडी क स थ

      जोड ददय ज ि थ

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      जह ा स साकट क सम च र आि वही दौड ज िी थी उसम बहि स िो घडसव र ही थ

      कनदरसथ न स हम री छ वनी उठिी तक हम उसक पीछ-पीछ अपनी डोततलय ा कनदध पर उठ कर

      चलन पडि थ दो-िीन मौकौ पर िो एक ही ददन म च लीस मील की माजजल िय करनी पडी

      यह ा भी हम िो कवल परभ क ही क म ममल जो जल ममि भल स घ यल हए थ उनदह डोततलयो

      म उठ कर छ वनी िक पहाच न थ और वह ा उनकी सव -शशरष करनी थी

      जल-तवरोह म मझ बहि स अनभव हए और बहि-कछ सोचन को ममल बोअर-यदध

      म मझ लड ई की भयाकरि उिनी परिीि नही हई थी जजिनी यह ा हई यह ा लड ई नही बचलक

      मनषय क ततशक र हो रह थ यह कवल मर ही नही बचलक उन कई अागरजो क भी अनभव थ

      जजनक स थ मरी चच य होिी रहिी थी सबर-सबर सन ग ाव म ज कर म नो पट ख छोडिी हो

      इस परक र उसकी बनददको की आव ज दर रहन व ल हम लोगो क क नो पर पडिी थी इन

      आव जो को सनन और इस व ि वरण म रहन मझ बहि मतककल म लम पड लतकन म सब-

      कछ कडव घाट की िरह पी गय और मर तहसस जो क म आय सो िो कवल जल लोगो की सव

      क ही आय म य समझ गय तक अगर हम सवयासवक-दल म ससतममततलि न हए होि िो दसर

      कोई यह सव न करि इस तवच र स मन अपनी अनदिर तम को श नदि तकय

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      ४६ बरहमचयम

      मीलो िक तबन आब दी व ल भवय परदश म हम लोग तकसी घ यल को लकर य ऐस ही चल

      ज ि थ िब म सोच म डब ज ि थ

      यह ा बरहमचयय क ब र म मर तवच र पररपकव हए मन अपन स ततथयो स भी इसकी थोडी

      चच य की मझ अभी इस ब ि क स कष तक र िो नही हआ थ तक ईशवर-दशयन क ततलए बरहमचयय

      अतनव यय वसि ह तकनदि म यह सपषट दख सक थ तक सव क ततलए बरहमचयय आवकयक ह मझ

      लग तक इस परक र की सव को मर तहसस अमधक मधक आिी ही रहगी और यदद म भोग-तवल स

      म साि नोतपतति म और सािति क प लन-पोषण म लग रह िो मझस समपणय सव नही हो

      सकगी म दो घोडो पर सव री नही कर सकि यदद पतनी सगभ य हो िो म तनशििि भ व स इस

      सव म परवि हो ही नही सकि बरहमचयय क प लन तकय तबन पररव र की वजदध करि रहन

      सम ज क अभयदय क ततलए तकय ज न व ल मनषय क परयतन क तवरोध करन व ली वसि बन

      ज िी ह

      म मन-ही-मन इस तवच रो को पकक कर रह थ और शरीर को कस रह थ तक इिन म

      कोई यह अरव ह ल य तक तवरोह श नदि होन ज रह ह और अब हम छटटी ममल ज एगी दसर

      ददन हम घर ज न की इज जि ममली और ब द म कछ ही ददनो क अादर सब अपन-अपन घर

      पहाच गय इसक कछ ही ददनो ब द गवनयर न उि सव क ततलए मर न म आभ र-परदशयन क एक

      तवशष पि भज

      रीतनकस पहाचकर मन वरि ल ततलय तक अबस आग जीवन-भर बरहमचयय क प लन

      करा ग उस समय म इस वरि क महततव और इसकी कदठन इयो को परी िरह समझ न सक थ

      इसकी कदठन इयो क अनभव िो म आज भी करि रहि हा इसक महततव को म ददन-ददन

      अमधक मधक समझि ज ि हा बरहमचयय-रतहि जीवन मझ शषक और पशओ-जस परिीि होि

      ह पश सवभ व स तनराकश ह मनषय क मनषयतव सवछछ स अाकश म रहन म ह धमयगराथो म

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      प यी ज नव ली बरहमचयय की परशास म पहल मझ अतिशयोतति म लम होिी थी उसक बदल अब

      ददन-ददन यह अमधक सपषट होि ज ि ह तक वह उमचि ह और अनभव-पवयक ततलखी गयी ह

      जजस बरहमचयय क ऐस पररण म आ सकि ह वह सरल नही हो सकि वह कवल श रीररक

      भी नही हो सकि श रीररक अाकश स बरहमचयय क आराभ होि ह परनदि शदध बरहमचयय म तवच र

      की मततलनि भी न होनी च तहए सापणय बरहमच री को िो सवपन म भी तवक री तवच र नही आि

      और जब िक तवक र-यि सवपन आि रहि ह िब िक यह समझन च तहए तक बरहमचयय बहि

      अपणय ह

      इस परक र जजस बरहमचयय क प लन म इछछ य अतनछछ स सन १९०० स करि ज रह

      थ वरि क रप म उसक आराभ १९०६ क मधय स हआ

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      ४७ पतनी की दढता

      कसतरबाई पर रोग क िीन घ िक हमल हए और िीनो म वह कवल घरल उपच रो स बच गई

      उनम पहली घटन उस समय घटी जब सतय गरह क यदध चल रह थ उस ब र-ब र रिसर व

      हआ करि थ एक डोकटर ममि न शसितकरय कर लन की सल ह दी थी उसक शरीर बहि

      ही कषीण हो गय थ डोकटर न तबन कलोरोफ मय क शसितकरय की शसितकरय क समय पीड

      बहि हो रही थी पर जजस धीरज स कसिरब ई न उस सहन तकय उसस म आिययचतकि हो

      गय शसितकरय तनरविधन परी हो गयी डोकटर न और उनकी पतनी न कसिरब ई की अछछी स र-

      साभ ल की

      यह घटन डरबन म हई थी दो य िीन ददन क ब द डोकटर न मझ तनकषिनदि होकर

      जोह तनसबगय ज न की अनमति द दी कछ ही ददन ब द खबर ममली तक कसिरब ई क शरीर

      तबलकल सधर नही रह ह और वह तबछौन छोडकर उठ-बठ भी नही सकिी एक ब र बहोश

      भी हो चकी थी डोकटर ज नि थ तक मझस पछ तबन औषमध य अनदन क रप म कसिरब ई को

      शर ब अथव म ास नही ददय ज सकि डोकटर न मझ जोह तनसबगय म टलीफोन तकय ldquoम

      आपकी पतनी को बीफ-टी दन की जररि समझि हा मझ इज जि ममलनी च तहएrdquo

      मन उिर ददय ldquoम यह इज जि नही द सकि तकनदि कसिरब ई सविाि ह उसस पछन-

      जसी चसथति हो िो पमछय और वह लन च ह िो जरर दीजजए rdquo

      ldquoऐस म मलो म म बीम र स कछ पछन पसाद नही करि सवया आपक यह ा आन

      जररी ह यदद आप म जो च हा सो खखल न की छट मझ न द िो म आपकी सिी क ततलए जजममद र

      नहीrdquo

      मन उसी ददन डरबन की रन पकडी डरबन पहाच डोकटर न मझस कह ldquoमन िो

      शोरव तपल न क ब द ही आपको टलीफोन तकय थ rdquo

      मन कह ldquoडोकटर म इस दग समझि हाrdquo

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      डोकटर न दढि -पवयक उिर ददय ldquoदव करि समय म दग -वग नही समझि हम

      डोकटर लोग ऐस समय रोगी को अथव उसक साबामधयो को धोख दन म पणय समझि ह हम र

      धमय िो तकसी भी िरह रोगी को बच न हrdquo

      मझ बहि ःख हआ पर म श नदि रह डोकटर ममि थ सजजन थ उनदहोन और उनकी

      पतनी न मझ पर उपक र तकय थ पर म उि वयवह र सहन करन क ततलए िय र न थ

      ldquoडोकटर स हब अब चसथति सपषट कर लीजजए कतहए आप कय करन च हि ह म

      अपनी पतनी को उसकी इछछ क तबन म ास नही खखल न दाग म ास न लन क क रण उनकी मतय

      हो ज य िो म उस सहन क ततलए िय र हाrdquo

      डोकटर बोल ldquoआपकी तफल सफी मर घर म िो हरतगज नही चलगी म आपस कहि हा

      तक जब िक अपनी पतनी को आप मर घर म रहन दग िब िक म उस अवकय ही म ास अथव

      जो कछ भी दन उमचि होग दाग यदद यह सवीक र न हो िो आप अपनी पतनी को ल ज इए

      म अपन ही घर म ज न-बझकर उसकी मतय नही होन दाग rdquo

      ldquoिो कय आप यह कहि ह तक म अपनी पतनी को इसी समय ल ज ऊा rdquo

      ldquoम कब कहि हा तक ल ज इय म िो यह कहि हा तक मझ पर तकसी परक र क अाकश

      न रखखय उस दश म हम दोनो उसकी जजिनी हो सकगी उिनी स र-साभ ल करग और आप

      तनकषिनदि होकर ज सक ग यदद यह सीधी-सी ब ि आप न समझ सक िो मझ तववश होकर

      कहन होग तक आप अपनी पतनी को मर घर स ल ज इएrdquo

      मर खय ल ह तक उस समय मर एक लडक मर स थ थ मन उसस पछ उसन कह

      ldquoआपकी ब ि मझ माजर ह ब को म ास िो ददय ही नही ज सकि rdquo

      तफर म कसिरब ई क प स गय वह बहि अशि थी उसस कछ भी पछन मर ततलए

      ःखद यी थ तकनदि धमय समझकर मन उस थोड म उपर की ब ि कह सन ई उसन दढि -पवयक

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      उिर ददय ldquoम म ास क शोरव नही लागी मनषय की दह ब र-ब र नही ममलिी च ह आपकी

      गोद म म मर ज ऊा पर अपनी इस दह को भरषट िो नही होन दागीrdquo

      जजिन म समझ सकि थ मन समझ य और कह ldquoिम मर तवच रो क अनसरण

      करन क ततलए बाधी हई नही होrdquo

      हम री ज न-पहच न क कई तहनदद दव क ततलए म ास और मदय लि थ इसकी भी मन ब ि

      की पर वह टस-स-मस न हई और बोली ldquoमझ यह ा स ल चततलएrdquo

      म बहि परसनद न हआ ल ज न क तवच र स घबर गय पर मन तनिय कर ततलय डोकटर

      को पतनी क तनिय सन ददय डोकटर गसस हए और बोल

      ldquoआप िो बड तनदयय पति म लम पडि ह ऐसी बीम री म उस बच री स इस िरह की ब ि

      करन म आपको शरम भी नही आयी म आपस कहि हा तक आपकी सिी यह ा स ल ज न ल यक

      नही ह उसक शरीर इस योगय नही ह तक वह थोड भी धकक सहन कर र सि म ही उसकी

      ज न तनकल ज ए िो मझ आियय न होग तफर भी आप अपन हठ क क रण तबलकल न म न

      िो आप ल ज न क ततलए सविाि ह यदद म उस शोरव न द सका िो अपन घर म एक र ि रखन

      क भी खिर म नही उठ सकि rdquo अिः वह ा स तनकल ज न क तनणयय कर ततलय

      ररमजझम-ररमजझम मह बरस रह थ सटशन दर थ डरबन स रीतनकस िक रल क और

      रीतनकस स लगभग ढ ई मील क पदल र सि थ खिर क री थ पर मन म न तक भगव न

      मदद करग एक आदमी को पहल स रीतनकस भज ददय रीतनकस म हम र प स हमक थ

      ज लीद र कपड की झोली य प लन को हमक कहि ह मन वसट को खबर भजी थी तक व हमक

      एक बोिल गरम दध एक बोिल गरम प नी और छह आदममयो क स थ लकर सटशन पर आ

      ज एा

      दसरी रन क छटन क समय होन पर मन ररकश मागव य और उसम इस खिरन क

      ह लि म पतनी को बठ कर म रव न हो गय

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      मझ पतनी को तहममि नही बाध नी पडी उलट उसीन मझ तहममि बाध ि हए कह ldquoमझ

      कछ नही होग आप मचनदि न कीजजएrdquo

      हमियो क इस ढ ाच म वजन िो कछ रह ही नही गय थ ख य तबलकल नही ज ि थ

      रन क मडब िक पहाचन म सटशन क लाब-चौड पलटफ मय पर दर िक चलकर ज न पडि थ

      वह ा िक ररकश नही ज सकि थ म उस उठ कर मडब िक ल गय रीतनकस पहाचन पर िो

      वह झोली आ गयी थी उसम बीम र को आर म स ल गय वह ा कवल प नी क उपच र स धीर-

      धीर कसिरब ई क शरीर पषट होन लग

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      ४८ घर म सतयागरह

      मझ जल क पहल अनभव सन १९०८ म हआ उस समय मन दख तक जल म क़दी स जो

      कछ तनयम पलव य ज ि ह सायमी अथव बरहमच री को उनक प लन सवछछ पवयक करन च तहए

      जस क़दी को सय यसि स पहल प ाच बज िक ख लन होि ह उनदह ndash तहनदसि नी और हबशी

      क़दी को ndash च य य कोफी नही दी ज िी नमक ख न हो िो अलग स लन होि ह सव द क

      ततलए िो कछ ख य ही नही ज सकि

      जब मन जल क डोकटर स तहनदसि तनयो क ततलए करी प उडर म ाग और नमक बनिी

      हई रसोई म ही ड लन की ब ि कही िो व बोल ldquoयह ा आप लोग सव द क आननदद लटन क

      ततलए नही आय ह आरोगय की दतषट स करी प उडरrdquo की कोई आवकयकि नही ह आरोगय क

      तवच र स नमक ऊपर स ल य पक ि समय रसोई म ड ल दोनो एक ही ब ि हrdquo

      वह ा िो बडी महनि क ब द हम आखखर जररी पररवियन कर सक थ पर कवल सायम

      की दतषट स दख िो दोनो परतिबाध अछछ ही थ ऐस परतिबनदध जब जबरदसिी लग य ज ि ह

      िो वह सफल नही होि पर सवछछ स प लन करन पर ऐस परतिबनदध बहि उपयोगी ततसदध होि

      ह अिएव जल स छटन क ब द मन य पररवियन भोजन म िरनदि तकय भरसक च य पीन बनदद

      तकय और श म को जलदी ख न की आदि ड ली जो आज सव भ तवक हो गयी ह

      तकनदि एक ऐसी घटन घटी जजसक क रण मन नमक क तय ग-तकय जो लगभग दस

      वषय िक अखाड रप स क यम रह अनदन ह र-साबाधी कछ पसिको म मन पढ थ तक मनषय क

      ततलए नमक ख न आवकयक नही ह और न ख न व ल को आरोगय की दतषट स ल भ ही होि ह

      यह िो मझ सझ ही थ तक नमक न ख न स बरहमच री को ल भ होि ह मन यह भी पढ और

      अनभव तकय थ तक कमजोर शरीर व ल को द ल न ख नी च तहए तकनदि म उनदह िरनदि छोड न

      सक थ दोनो चीज मझ तपरय थी

      यदयतप उि शसितकरय क ब द कसिरब ई क रिसर व थोड समय क ततलए बनदद हो गय

      थ पर अब वह तफर शर हो गय और तकसी परक र बनदद ही न होि थ अकल प नी क उपच र

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      वयथय ततसदध हए यदयतप पतनी को मर उपच रो पर तवशष ldquoशरदध नही थी िथ तप उनक ततलए

      तिरसक र भी नही थ दसरी दव करन क आगरह न थ मन उस नमक और द ल छोडन क ततलए

      मन न शर तकय बहि मन न पर भी अपन कथन क समथयन म कछ-न-कछ पढकर सन न

      पर भी वह म नी नही आखखर उसन कह ldquoद ल और नमक छोडन को िो कोई आपस कह

      िो आप भी न छोडगrdquo मझ ःख हआ और हषय भी हआ मझ अपन परम उाडलन क अवसर

      ममल उसक हषय म मन िरनदि ही कह ldquoिमह र यह खय ल ग़लि ह मझ बीम री हो और वदय

      इस चीज को य दसरी तकसी चीज को छोडन क ततलए कह िो म अवकय छोड दा लतकन ज ओ

      मन िो एक स ल क ततलए द ल और नमक दोनो छोड िम छोडो य न छोडो यह अलग ब ि

      हrdquo

      पतनी को बहि पि ि प हआ वह कह उठी ldquoमझ म र कीजजए आपक सवभ व ज नि

      हए भी म कहि कह गयी अब म द ल और नमक नही ख ऊा गी लतकन आप अपनी ब ि लौट

      ल यह िो मर ततलए बहि बडी सज हो ज एागीrdquo

      मन कह ldquoअगर िम द ल और नमक छोडोगी िो अछछ ही होग मझ तवशव स ह तक

      उसस िमह ल भ होग पर म ली हई परतिजञ व पस नही ल सका ग मझ िो इसस ल भ ही ह

      मनषय तकसी भी तनममि स सायम क यो न प ल उसम उस ल भ ही ह अिएव िम मझस आगरह

      न करो तफर मर ततलए भी यह एक परीकष हो ज एगी और इन दो पद थो को छोडन क जो तनिय

      िमन तकय ह उस पर दढ रहन म िमह मदद ममलगीrdquo इसक ब द मझ उस मन न की जररि

      िो रही ही नही ldquoआप बहि हठील ह तकसी की ब ि म नि ही नहीrdquo कहकर और अाजततल-भर

      आास बह कर वह श नदि हो गयी

      म इस सतय गरह क न म दन च हि हा और इसको अपन जीवन की मधर समतियो म स

      एक म नि हा

      इसक ब द कसिरब ई की िबीयि खब साभली

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      नमक और द ल छड न क परयोग मन दसर स ततथयो पर भी क री तकय ह और दकषकषण

      अफ़रीक म िो उनक पररण म अछछ ही आय ह वदयक दतषट स दोनो चीजो क तय ग क तवषय म

      दो मि हो सकि ह पर इसम मझ कोई शाक ही नही तक सायम की दतषट स िो इन दोनो चीजो क

      तय ग म ल भ ही ह भोगी और सायमी क आह र कषभनद न होन च तहए उनक म गय कषभनद न होन च तहए

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      ४९ सयम की ओर

      आग चलकर बरहमचयय की दतषट स आह र म पररवियन होन लग

      टोलसटोय फ मय पर दध क तय ग तकय यह घटन सन १९१२ म घटी

      इिन तय ग स मझ श ननदि न हई दध छोडन क कछ ही समय ब द कवल फल ह र क

      परयोग क भी हमन तनिय तकय फल ह र म भी जो ससि स ससि फल ममल उनस ही अपन

      तनव यह करन क हम र तनिय थ

      जजन ददनो मन दध और अन ज छोडकर फल ह र क परयोग शर तकय उनदही ददनो सायम

      क हि स उपव स भी शर तकय

      दसर उपव सो और एक शनो म भी आशरमव सी ससतममततलि होन लग और म म नि हा

      तक इसक पररण म शभ तनकल सबक हदयो पर सायम क तकिन परभ व पड सबक तवषयो

      को सायि करन म उपव स आददन तकिन ह थ बाट य यह म तनिय-पवयक नही कह सकि पर

      मर अनभव यह ह तक उपव स आदद स मझ पर िो आरोगय और तवषय-तनयमन की दतषट स बहि

      अछछ परभ व पड इजनदरयदमन क हि स तकय गय उपव स स ही तवषयो को सायि करन क

      पररण म तनकल सकि ह कछ ममिो क यह अनभव भी ह तक उपव स की सम नपि पर

      तवषयछछ और सव द िीवर हो ज ि ह मिलब यह तक उपव स क ददनो म तवषय को सायि करन

      और सव द को जीिन की सिि भ वन बनी रहन पर ही उसक शभ पररण म तनकल सकि ह

      गीि जी क दसर अधय य क यह शलोक यह ा बहि तवच रणीय ह

      तवषय तवतनवियनदि तनर ह रसय दतहनः

      रसवज रसोऽपयसय परा दषटव तनवियि

      उपव सी क तवषय (उपव स क ददनो म) श नदि होि ह पर उसक रस नही ज ि रस िो

      ईशवर-दशयन स ही ndash ईशवर-परस द स ही श नदि होि ह

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      ि तपयय यह तक सायमी क म गय म उपव स आदद एक स धन क रप म ह तकनदि य ही सब

      कछ नही ह और यदद शरीर क उपव स क स थ मन क उपव स न हो िो उसकी पररणति दाभ

      म होिी ह और वह ह तनक रक ततसदध होि ह

      आतम की ततशकष एक तबलकल कषभनद न तवभ ग ह इस म टोलसटोय आशरम क ब लको को

      ततसख न लग उसक पहल ही ज न चक थ आतम क तवक स करन क अथय ह चररि क

      तनम यण करन ईशवर क जञ न प न आतमजञ न पर पि करन इस जञ न को पर पि करन म ब लको

      को बहि जय द मदद की जररि होिी ह और इसक तबन दसर जञ न वयथय ह ह तनक रक भी

      हो सकि ह ऐस मर तवशव स थ

      आततमक ततशकष तकस परक र दी ज ए म ब लको स भजन गव ि उनदह नीति की पसिक

      पढकर सन ि तकनदि इसस मझ सािोष न होि थ जस-जस म उनक सापकय म आि गय मन

      यह अनभव तकय तक यह जञ न पसिको दव र िो ददय ही नही ज सकि शरीर की ततशकष जजस

      परक र श रीररक कसरि दव र दी ज िी ह और बजदध की बौजदधक कसरि दव र उसी परक र आतम

      की ततशकष आततमक कसरि दव र ही दी ज सकिी ह आतम की कसरि ततशकषक क आचरण

      दव र ही पर पि की ज सकिी ह अिएव यवक ह जजर हो च ह न हो ततशकषक को स वध न रहन

      च तहए लाक म बठ हआ ततशकषक भी अपन आचरण दव र अपन ततशषयो की आतम को तहल

      सकि ह म सवया झठ बोला और अपन ततशषयो को सछच बन न क परयतन करा िो वह वयथय ही

      होग डरपोक ततशकषक ततशषयो को वीरि नही सीख सकि वयकषभच री ततशकषक ततशषयो को सायम

      तकस परक र ततसख यग मन दख तक मझ अपन प स रहन व ल यवको और यवतियो क सममख

      पद थयप ठ-स बनकर रहन च तहए इस क रण मर ततशषय मर ततशकषक बन म यह समझ तक मझ

      अपन ततलए नही बचलक उनक ततलए अछछ बनन और रहन च तहए अिएव कह ज सकि ह

      तक टोलसटोय आशरम क मर अमधकिर सायम इन यवको और यवतियो की बदौलि थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ५० वकालत क कछ ससमरि

      वकालत क धाध झठ बोल तबन चल ही नही सकि ऐस म जब तवदय थी थ िब स सनि

      आय हाजठ बोलकर म न िो कोई पद लन च हि थ और न पस कम न च हि थ इसततलए

      इन ब िो क मझ पर कोई परभ व नही पडि थ

      मवचककल को म शर स ही कह दि थ ldquoम मल झठ हो िो मर प स मि आन स कषी

      को ततसख न-पढ न क क म करन की मझस कोई आश न रखन rdquo आखखर मरी स ख िो यही

      क यम हई थी तक झठ मक़ददम मर प स आि ही नही

      एक अवसर ऐस भी आय

      जब चलि मक़ददम क दौर न म मन दख तक मर मवचककल न मझ ठग ततलय ह मक़ददम

      जोह तनसबगय की मजजसरट की कोटय म चलि थ उसक मक़ददम झठ थ वह कठहर म खड

      इस िरह क ाप रह थ म नो अभी तगर पडग अिएव मन मजजसरट को मवचककल क तवरदध

      फसल दन को कह और मवचककल बठ गय परतिपकषी क वकील आिययचतकि हो गय

      मजजसरट खश हआ मवचककल को मन उल हन ददय वह ज नि थ तक म झठ मक़ददम नही

      लि थ उसन यह ब ि सवीक र की और म म नि हा तक मन उसक खखल र रसल म ाग

      इसक ततलए वह गसस न हआ जो भी हो पर मर इस बरि व क कोई बर परभ व मर धाध पर

      नही पड और अद लि म मर क म सरल हो गय मन यह भी दख तक सतय की मरी इस पज

      स वकील-बाधओ म भी मरी परतिषठ बढ गयी थी और तवमचि पररचसथतियो क रहि हए भी उनम

      स कछ की परीति म पर पि कर सक थ

      वक लि करि हए मन एक ऐसी आदि भी ड ली थी तक अपन अजञ न न म मवचककलो

      स मछप ि थ और न वकीलो स जह ा-जह ा मझ कछ सझ न पडि वह ा-वह ा म मवचककल स

      दसर वकील क प स ज न को कहि अथव मझ वकील करि िो म उसस कहि तक अपन स

      अमधक अनभवी वकील की सल ह लकर म उसक क म करा ग अपन इस शदध वयवह र क

      क रण म मवचककलो क अटट परम और तवशव स साप दन कर सक थ

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      मर मवचककल स थी िथ ममि प रसी रसिमजी एक ब र बडी मतककल म फा स गय

      अपन वय प र की भी बहि सी ब ि व मझस तकय करि थ लतकन एक ब ि उनदहोन मझस मछप

      रखी थी प रसी रसिमजी चागी की चोरी तकय करि थ व बमबई-कलकि स जो म ल माग ि

      थ सब अमधक ररयो स उनक अछछ मलजोल थ इस क रण कोई उन पर शक करि ही न थ

      व जो बीजक पश करि उसी पर चागी ल ली ज िी थी ऐस भी अमधक री रह होग जो उनकी

      चोरी की ओर स आाख माद लि होग

      व दौड-दौड मर प स आय आाखो स आास बह रह थ और व कह रह थ ldquoभ ई मन

      आपस कपट तकय ह मर प प आज परकट हो गय ह मन चागी की चोरी की ह अब मर भ गय

      म िो जल ही हो सकिी ह म बरब द होन व ल हा इस आरि स आप ही मझ बच सकि ह

      मन धीरज दकर कह ldquoमरी रीति स िो आप पररमचि ही ह छड न न छड न खद क

      ह थ ह अपर ध सवीक र करक छड य ज सक िो ही म छड सकि हाrdquo

      इन भल प रसी क चहर उिर गय

      रसिमजी सठ बोल ldquoलतकन आपक स मन मर अपर ध सवीक र कर लन कय क री

      नही हrdquo

      मन धीर स जव ब ददय ldquoआपन अपर ध िो सरक र क तकय ह और सवीक र मर स मन

      करि ह इसस क य होि हrdquo

      मन उनदह समझ य ldquoम इस म मल को अद लि म ज न ल यक नही म नि मक़ददम

      चल न न चल न चागी-अमधक री क ह थ म ह उस भी सरक र क मखय वकील की सल ह क

      अनस र चलन पडग म दोनो स ममलन को िय र हा म सोचि हा तक जो दणड व ठहर य उस

      सवीक र कर लन च तहए बहि करक िो व म न ज एाग पर कद मचि न म न िो आपको जल

      क ततलए िय र रहन होग मर िो यह मि ह तक लजज जल ज न म नही बचलक चोरी करन म

      ह लजज क क म िो हो चक ह जल ज न पड िो उस पर यकषिि समजझय सछच पर यकषिि

      िो भतवषय म तफर कभी चागी की चोरी न करन की परतिजञ म हrdquo

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      म नही कह सकि तक रसिमजी सठ इन स री ब िो को भलीभ ािी समझ गय थ व

      बह र आदमी थ पर इस ब र तहममि ह र गय थ उनकी परतिषठ नषट होन क समय आ गय

      थ और परशन यह थ तक कही उनकी अपनी महनि स बन यी हई इम रि ढह न ज य

      मन इस म मल म तवनय की अपनी स री शतति लग दी म अमधक री स ममल और स री

      चोरी की ब ि उसस तनभययि -पवयक कह दी सब बहीख ि ददख दन को कह और प रसी

      रसिमजी क पि ि प की ब ि भी कही

      मन कह ldquoप रसी रसिमजी को अद लि म घसीटन पर जोर न ददय ज ए िो मझ

      सािोष हो ज एाग rdquo

      इस अमधक री स अभय-द न पर पि करक मन सरक री वकील स पिवयवह र शर तकय

      उनस ममल मझ कहन च तहए तक मरी सतयतपरयि उनक धय न म आ गयी म उनक स मन यह

      ततसदध कर सक तक म उनस कछ मछप नही रह हा

      रसिमजी पर मक़ददम नही चल उनक दव र कबल की गयी चागी की चोरी क दन रपय

      लकर मक़ददम उठ लन क हकम ज री हआ

      रसिमजी न अपनी चागी चोरी की कह नी ततलखकर शीश म मढव ली और उस अपन

      दफिर म ट ागकर अपन व ररसो और स थी वय प रयो को चि वनी दी

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      ५१ सतयागरह का जनम

      झल बाड की नौकरी पणय करक म ममिो क ममलन रीतनकस पहाच रीतनकस क सब ममिो स

      ममल कर म िरनदि जोह तनसबगय पहाच गय वह ा ओतफस म मन ऊपर बि य एततशय दटक तबल

      क मसौद पढ २२ अगसि १९०६ को परक ततशि हआ र नदसव ल सरक र क वह अस ध रण

      गजट जजसम तबल क मसौद छप थ

      इस तबल क आध र पर र नदसव ल म रहन क अमधक र रखन व ल परतयक तहनदसि नी

      परष सिी और आठ वषय क अथव आठ वषय स ऊपर क ब लक-ब ततलक ओ को एततशय दटक

      तवभ ग क दफिर म न म ततलख कर परव न ल लन च तहए य परव न लि समय अपन पर न

      परव न वह ा क अमधक ररयो को सोप दन च तहए अरजी म हर तहनदसि नी को अपन न म पि

      ज ति उमर बगर ततलखन च तहए न म दजय करन व ल अमधक री (रजजसर र) को अजयद र क

      शरीर पर कोई ख स तनश तनय ा हो िो उनदह ततलख लन च तहए और अजयद र की सब अागततलयो

      और अागठ की छ प लनी च तहए तनकषिि की हई अवमध क भीिर जो तहनदसि नी सिी-परष इस

      िरह अरजी न कर उनक र नदसव ल म रहन क अमधक र रद हो ज एाग अरजी न करन क़ नन

      क अनस र अपर ध म न ज एग इस अपर ध क ततलए जम यन तकय ज सकि ह जल की

      सज हो सकिी ह और कोई उमचि समझ िो अपर धी को दशतनक ल की सज भी द सकिी ह

      इस परव न की म ाग र सि चलि य िी स भी की ज सकिी ह परव नो की ज ाच करन क ततलए

      पततलस अमधक री लोगो क घरो म भी परवश कर सकि ह

      जह ा िक म ज नि हा इस परक र क क़ नन तनय क तकसी भी तहसस म सविाि म नवो

      क ततलए नही बन य गय होग

      दसर ददन अगरगणय तहनदसि तनयो को एकि करक मन उनदह यह तबल अकषरशः समझ य

      इसक फलसवरप उन लोगो पर तबल क वही असर हआ जो मझ पर हआ थ सब कोई तबल

      की गाभीरि को समझ गय यह तनणयय तकय गय एक स वयजतनक सभ की ज एा

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      ११ ततसिमबर १९०६ को तहनदसि तनयो की सभ हई सभ म जजिन परसि व प स हए थ

      उसम चौथ परसि व बहि ही महततवपणय थ

      lsquoइस तबल क तवरोध म स र उप य तकय ज न क ब वजद यदद वह ध र सभ म प स हो ही

      ज एा िो तहनदसि नी उसक स मन ह र न म न और ह र न म नन क फलसवरप जो जो ःख

      भोगन पड उन सबको बह री स सहन कर

      हम म स कोई यह ज नि नही थ तक इस तनिय को अथव आादोलन को कय न म ददय

      ज सकि ह

      शरी मगनल ल ग ाधी न सद गरहrsquo न म भज क रण बि ि हए उनदहोन ततलख तक

      तहनदसि तनयो क यह आनददोलन एक मह न lsquoआगरहrsquo ह और यह आगरह lsquoसदrsquo अथ यि शभ ह

      इसीततलए उनदहोन यह न म चन ह परनदि जजस वसि क सम वश म सझ य हए न म म करन

      च हि थ वह इसम नही आिी थी इसीततलए मन lsquoदrsquo क ि करक उसम य जोड ददय और

      सतय गरहrsquo न म बन ददय सतय क भीिर श ाति क सम वश म नकर और तकसी भी वसि क

      आगरह करन स उसम बल उतपनदन होि ह इसततलए आगरह म बल क सम वश करक मन भ रिीयो

      क इस आनददोलन को सतय गरहrsquo अथ यि सतय और श ाति स उतपनदन होनव ल बल ndash क न म ददय

      और उसी न म स इसक पररचय कर य और िबस पततसव रजजसटनदस शबद क उपयोग इस

      आनददोलन क ततलए बनदद कर ददय

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      ५२ क़द

      १९०७ की पहली जल ई आई परव न दन व ल सरक री दफिर खल कौम क आदश थ तक

      हरएक दफिर क स मन खल आम तपकटटिग तकय ज य ndash अथ यि दफिर ज न क म गो पर

      सवयासवक रख ज एा और व दफिर म ज न व ल लोगो को वह ा तबछ य गय ज ल स स वध न

      कर

      अथक पररशरम करन क ब द भी जब एततशय दटक ओतफस को ५०० स अमधक न म नही

      ममल सक िो एततशय दटक तवभ ग क अमधक री इस तनणयय पर आय तक तकसी न तकसी तहनदसि नी

      को तगरफि र करन च तहए जरमिसट म बहि स तहनदसि नी रहि थ उनम स एक र मसनददर

      पामडि तहनदसि नी भी थ उसन जगह-जगह भ षण ददय अपन भ षणो को वह खब जोशील

      बन सकि थ जरमिसटन क कछ तवधन-सािोषी तहनदसि तनयो न एततशय दटक ओतफस स कह

      तक यदद र मसनददर पामडि को तगरफि र कर ततलय ज य िो जरमिसटन क बहि स तहनदसि नी

      एततशय दटक ओतफस स परव न ल लग उस ओतफस क अमधक री र मसनददर पामडि को पकडन

      क परलोभन स अपन को रोक नही सक र मसनददर पामडि तगरफि र कर ततलय गय इस िरह

      क यह पहल ही मक़ददम होन स सरक र और तहनद सि नी कौम म बडी खलबली मच गई

      जजस ददन उस जल की सज ममली वह ददन कौम न बडी धमध म स मन य कौम क

      एक भी आदमी उसक जल ज न स तनर श नही हआ बचलक स री कौम क उतस ह और जोश

      बढ गय सकडो तहनदसि नी जल ज न को िय र हो गय एततशय दटक ओतफस की आश परी

      नही हई जरमिसटन क तहनदसि नी भी परव न लन नही गय कौम को ही ल भ हआ

      लतकन र मसनददर पामडि खोट ततसकक तनकल तफर भी सवछछनदद घमन व ल और स थ

      ही वयसनी आदमी जल क एक ािव स को िथ अनक परक र क भोजन ममलन पर भी जल क

      सायम को सहन नही कर सकि यही चसथति र मसनददर पामडि की हई कौम क लोगो क और

      जल क अमधक ररयो क इिन समम न ममलन पर भी जल उस कडव लग और वह र नदसव ल

      िथ सतय गरह की लड ई को अातिम नमसक र करक र िोर ि भ ग खड हआ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      परनदि र मसनददर क पर इतिह स मन उसक दोष ददख न क ततलए यह ा नही ददय ह यह

      इतिह स मन इस घटन क भीिर मछप गढ अथय को परकट करन क ततलए ही ददय ह परतयक शदध

      आनददोलन क नि ओ क यह कियवय ह तक व शदध आनददोलन म शदध आदममयो को ही भरिी कर

      एततशय दटक ओतफस क अमधक ररयो न सोच तक कौम क अमक नि ओ को तगरफि र

      नही तकय ज यग िब िक लड ई क बल कभी टट नही सकग इसक फलसवरप ददसमबर

      १९०७ क अातिम सपि ह म कछ नि ओ को अद लि म ह जजर होन की नोदटस ममली

      तनकषिि तकय हए ददन ndash शतनव र

      ि ० २८-१२-१९०७ को ndash अद लि म जो नि ह जजर रह थ उनदह इस िरह की नोदटस क

      उिर दन थ क़ नन क अनस र आप लोगो को परव न पर पि कर लन च तहए थ तफर भी आपन

      पर पि नही तकय इसततलए आपको ऐस हकम कयो न ददय ज य तक अमक समय क भीिर आप

      र नदसव ल की सीम छोड दrsquo

      लतकन सबक कस अलग-अलग चल य गय थ मजजसरट न कछ लोगो को ४८ घाटो क

      भीिर और ब की को ७ य १४ ददन म र नदसव ल छोड दन क आदश ददय इस आदश की अवमध

      १० जनवरी १९०८ को परी होिी थी उसी ददन हम सज सनन क ततलए अद लि म उपचसथि

      होन क आदश ममल थ

      हम म स तकसीको अपन बच व िो करन ही नही थ क़ नन क अनस र परव न न लन

      क क रण तनकषिि अवमध म र नदसव ल की सीम छोड दन क मजजसरट न जो आदश ददय थ

      उसक सतवनय अन दर करन क अपर ध हम सबको सवीक र करन थ

      मन अद लि स एक छोट स विवय दन की इज जि म ागी वह इज जि मझ ममली मन

      इस आशय क विवय ददय मर मक़ददम म और मर ब द आन व ल लोगो क मक़ददम म भद

      तकय ज न च तहए मझ अभी-अभी तपरटोररय स य सम च र ममल ह तक वह ा मर दशबनदधओ

      को िीन म स की कडी क़द की सज और भ री जम यन हआ ह और जम यन न दन पर िीन म स

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      की कडी क़द की सज दी गई ह अगर उन लोगो न अपर ध तकय ह िो मन उनस कही बड

      अपर ध तकय ह इसततलए मजजसरट स मरी पर थयन ह तक व मझ कडी स कडी सज द

      दसर अथव िीसर ददन स सतय गरही क़दी बडी साखय म आन लग थ व ज न-बझकर

      तगरफि र होि थ उनम स अमधकिर लोग फरी लग न व ल ही थ फरीव ल लोग इसम सबस

      आग रह उनक ततलए तगरफि र होन आस न भी थ उनदह कवल परव न बि न स इनक र करन

      होि थ उसक ब द उनक तगरफि र होन तनकषिि थ एक हफि म इस िरह तगरफि र होन

      व ल सतय गरही क़दी की साखय १०० स अमधक हो गई और थोड-बहि क़दी िो रोज ही आि

      थ इसततलए हम बगर अखब र क ही स र सम च र ममल ज ि थ जब बडी साखय म सतय गरही

      तगरफि र तकय ज न लग िब सरक र की ओर स मजजसरटो को सचन की गई तक कडी क़द की

      सज ही दी ज य

      जोहतनसबगय की जल म स दी क़द की सज व ल क़दी को भोजन म सबर मकक क आट

      की लपसी य क ाजी ममलिी थी उसम नमक ड ल नही ज ि थ परनदि हर क़दी को अलग स

      थोड नमक ददय ज ि थ दोपहर ब रह बज च र औस भ ि ऊपर स नमक और एक औस घी

      और च र औस ड ल-रोटी दी ज िी थी श म को मकक क आट की क ाजी और उसक स थ थोड

      स ग स ग म भी मखयिः आल ददय ज ि थ आल छोट होि िो दो ददय ज ि और बड होि िो

      एक ददय ज ि थ इिन भोजन स तकसीक भी पट नही भरि थ च वल मचकन और गील

      पक य ज ि थ हमन जल क डोकटर स थोड मस ल की म ाग की और कह तक तहनदसि न की

      जलो म क़ददयो को मस ल ममलि ह डोकटर न कड उिर ददय ldquoयह तहनदसि न नही ह क़दी

      क ततलए सव द नही होि इसततलए मस ल भी नही हो सकि rdquo हमन द ल की म ाग की और

      क रण म यह बि य तक जल क भोजन म सन यओ को पषट करन व ल कोई िततव नही ह इस

      पर डोकटर न कह ldquoक़ददयो को डोकटरी दलील नही करनी च तहए आपको सन य-पोषक

      भोजन ददय ज ि ह कयोतक सपि ह म दो ब र आपको मकक क बदल म श म क भोजन म

      उबली हई मटर दी ज िी हrdquo यदद मनषय क पट एक हफि य पखब र म अलग-अलग समय

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      पर ममलन व ल अलग-अलग िततवो स यि भोजन म स शरीर क ततलए आवकयक िततव खीच लन

      की शतति रखन हो िब िो डोकटर क यह िकय सही थ

      इस िरह जल म हम लगभग १५ ददन रह होग तक ब हर स आन व ल नय लोग यह

      सम च र ल न लग तक सरक र क स थ समझौि करन की कोई ब िचीि चल रही ह

      उस मसौद क आशय इस परक र थ तहनदसि तनयो को सवछछ स अपन परव न बदल

      लन च तहए और यदद तहनदसि नी कौम क मखय भ ग सवछछ स परव न ल लग िो सरक र

      खनी क़ नन रद कर दगी और सवछछ स ततलए गय परव नो को क़ ननी म नदयि दन क ततलए नय

      क़ नन प स करगी समझौि क इस मसौद म खनी क़ नन रद करन की ब ि सपषट नही थी अपनी

      दतषट स यह ब ि सपषट करन जजिन पररवियन मन मसौद म सझ य

      जनरल समटस को ममलन क ततलए मझ तपरटोररय ल ज य गय ब िचीि क उपर नदि म

      जो पररवियन सझ य थ इसक साबाध म जररी समझौि क मसौदी को उनदहोन सवीक र ततलय

      क़ददयो को छोड ददय गय मन अपन दशव ततसयो को मसौद को समझ न शर तकय

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      ५३ हमला

      मन िो दस अागततलयो की छ प दन की सवीकति दी इसस कछक पठ नभ ई मझ पर खर हए

      ि ० १०-२-१९०८ क सबर हम म स कछ लोग परव न लन क ततलए एततशय दटक ओतफस

      म ज न को िय र हो गय कौम क लोगो को अछछी िरह समझ ददय गय थ तक परव न लन

      क क म यथ साभव जलदी स जलदी पर कर दन च तहए और सल ह-मशतवर क ब द यह ब ि

      भी िय हो गई थी तक पहल ददन कौम क नि ही सबस पहल परव न लन ज एाग इसक पीछ

      उददकय लोगो क साकोच दर करन एततशय दटक तवभ ग क अमधक री अपन क म ततशषटि स करि

      ह य नही यह ज नन और अनदय परक र स उस क म की स री वयवसथ पर दखरख रखन थ

      मर ओतफस सतय गरह-माडल क भी ओतफस थ वह ा पहाचि ही मन ओतफस की दीव ल क

      ब हर मीर आलम और उसक स ततथयो को खड दख

      मीर आलम मर पर न मवचककल थ अपन हर क म म वह मरी सल ह लि थ उसकी

      ऊा च ई ६ फट स अमधक थी वह क़दद वर और दोहर शरीर क आदमी थ आज पहली ही ब र

      मन मीर आलम को ओतफस क अनददर न दखकर ब हर खड दख और हम दोनो की आाख ममलन

      पर भी उसन पहली ही ब र मझ सल म नही तकय लतकन मन उस सल म तकय इसततलए उसन

      भी मझ सल म तकय अपनी आदि क अनस र मन उसस पछ ldquoकस होrdquo मर ऐस खय ल

      ह तक उसन जव ब म कह थ ldquoअछछ हाrdquo परनदि आज उसक चहर पर हमश की मसक न

      नही थी मन दख तक उसकी आाखो म गसस भर ह यह ब ि मन मन म ततलख ली मझ यह भी

      लग तक आज कछ न कछ होन व ल ह मन ओतफस म परवश तकय अधयकष ईसप ममय ा और

      दसर ममि भी आ पहाच और हम एततशय दटक ओतफस की ओर चल पड मीर आलम और उसक

      स थी भी हम र पीछ-पीछ आय

      एततशय दटक ओतफस की इम रि वोन बरतनदडस सकवअर म थी वोन बरतनदडस सरीट म चलि-

      चलि हमन मससय आरनोट और तगबसन की सीम छोडी वह ा स एततशय दटक ओतफस िीनक

      ममनट क र सल पर रह होग तक मीर आलम मरी बगल म आ गय उसन मझस पछ ldquoकह ा

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      ज ि होrdquo मन उिर ददय ldquoम दस अागततलयो की छ प दकर रजजसटर (परव न ) तनकलव न

      च हि हा अगर िम भी चलोग िो िमह दस अागततलयो की छ प दन की जररि नही ह िमह र

      परव न (ततसरय दो अागठो की छ प क स थ) पहल तनकलव न क ब द म अागततलयो की छ प दकर

      अपन तनकलव ऊा ग rdquo

      अातिम व कय मन मतककल स पर तकय होग तक मरी खोपडी पर पीछ स ल ठी क एक

      व र हआ म ह र म बोलि-बोलि बहोश होकर जमीन पर लढक गय ब द म कय हआ इसक

      मझ कोई भ न नही थ लतकन मीर आलम न और उसक स ततथयो न मझ पर ल दठयो क अमधक

      व र तकय और ल ि भी म री उनम स कछ ईसप ममय ा और थाबी न यड न झली इस क रण स

      ईसप ममय ा और थाबी न यड पर भी थोडी म र पडी इिन म शोरगल मच आन-ज न व ल गोर

      इकटठ हो गय मीर आलम और उसक स थी भ ग लतकन गोरोन उनदह पकड ततलय इस बीच

      पततलस भी आ पहाची उसन पठ नो को तहर सि म ल ततलय

      प स ही शरी ज० सी० तगबसन क ओतफस थ मझ उठ कर वह ा ल ज य गय कछ दर

      ब द मझ होश आय िब मन रवरड डोक को अपन चहर पर झक हए दख उनदहोन मझस पछ

      ldquoआपको कस लगि हrdquo

      मन हासकर जव ब ददय ldquoअब ठीक हा लतकन मर द ािो म और पसततलयो म ददय होि

      हrdquo तफर मन पछ ldquoमीर आलम कह ा हrdquo

      डोक बोल ldquoउस और उसक स ततथयो को तगरफि र कर ततलय गय ह

      मन कह ldquoव छटन च तहएrdquo

      डोक ldquoवह सब िो होि रहग लतकन आप यह ा एक अपररमचि क ओतफस म पड ह

      आपक होठ फट गय ह पततलस आपको असपि ल ल ज न को िय र ह लतकन अगर आप मर

      यह ा चल िो म और शरीमिी डोक आपकी यथ शतति स र-साभ ल करगrdquo

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      मन कह ldquoमझ आपक ही घर ल चततलए पततलस क परसि व क ततलए उस धनदयव द दीजजए

      लतकन उसस कतहए तक मझ आपक यह ा ज न जय द पसाद हrdquo

      इिन म एततशय दटक तवभ ग क अमधक री शरी चमनी भी आ पहाच मझ एक ग डी म ततलट

      कर भल प दरी शरी डोक क तसमट सरीट चसथि तनव स-सथ न पर ल ज य गय मरी ज ाच क ततलए

      एक डोकटर को बल य गय इस बीच मन शरी चमनी स कह ldquoमरी आश िो यह थी तक आपक

      ओतफस म आकर और दस अागततलयो की छ प दकर पहल परव न म लाग लतकन ईशवर को

      यह सवीक र नही थ अब मरी आपस पर थयन ह तक आप इसी समय ज कर जररी क़ गज ि ल

      आइय और पहल परव न मझ दीजजए म आश रखि हा तक मर पहल आप दसर तकसीको

      परव न नही दग rdquo

      उनदहोन कह ldquoऐसी कय जलदी ह अभी डोकटर आयग आप आर म कर ब द म सब

      कछ हो ज एाग दसरो को परव न दाग िो भी आपक न म सबस पहल रखाग rdquo

      म बोल ldquoऐस नही मरी यह परतिजञ ह तक यदद म जजनदद रहा और ईशवर को माजर हो

      िो सबस पहल म ही परव न लाग इसततलए मर आगरह ह तक आप क़ गज ि ल आइयrdquo

      इस पर शरी चमनी क़ गज ि ल न क ततलए ओतफस गय

      मर दसर क म एटनी-जनरल अथ यि सरक री वकील को यह ि र करन थ तक मीर

      आलम और उसक स ततथयो न मझ पर जो हमल तकय उसक ततलए म उन लोगो को दोषी म नि

      ही नही जो भी हो लतकन म नही च हि तक उन पर रौजद री मक़ददम चल म आश करि हा

      तक मर ख तिर आप उनदह छोड दग rdquo

      लतकन जोह तनसबगय क गोरो न एटनी-जनरल को इस आशय क एक कड पि ततलख

      ldquoअपर धी को सज दन क ब र म ग ाधी क च ह जो तवच र हो लतकन इस दश म उन पर अमल

      नही तकय ज सकि ग ाधी को जो म र पडी ह उसक ब र म व भल ही कछ न कर लतकन

      हमल करन व ल लोगो न यह म र उनदह तकसी तनजी मक न म नही म री ह यह अपर ध पठ नो

      न आम र सि पर तकय ह इसततलए यह एक स वयजतनक अपर ध म न ज एग कछ अागरज भी

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      इस अपर ध की गव ही दन की चसथति म ह अपर मधयो को पकडन ही च तहएrdquo इस आनददोलन

      क क रण एटनी-जनरल न तफर मीर आलम और उसक एक स थी को तगरफि र कर ततलय और

      उनदह िीन-िीन महीन की कडी क़द की सज दी कवल मझ गव ह क रप म नही बल य गय

      कौम क परति परमख क दव र मन एक साकषकषपि गजर िी म पि ततलख और परक ततशि करन

      हि भज ददय

      ldquoमरी िबीयि अछछी ह शरी डोक और शरीमिी डोक हदय क स र परम उाडल कर मरी

      सव -शशरष कर रह ह म कछ ही ददनो म अपन क म साभ ल लाग जजन लोगो न मझ म र ह

      उन पर मर मन म जर भी गसस नही ह उनदहोन बसमझी स यह क म तकय ह उन पर मक़ददम

      चल न की कोई जररि नही अगर दसर लोग श ाि रहग िो इस घटन स भी हम ल भ ही होग

      ldquoतहनदओ को च तहए तक व मन म जर भी रोष न रख म च हि हा तक इस घटन स

      तहनदओ और मसलम नो क बीच खट स पद होन क बदल ममठ स पद हो खद स ndash ईशवर स

      म यही य चन करि हा

      ldquoम ईशवर स पर थयन करि हा तक वह कौम क भल कर उस सतय क म गय पर लग य और

      तहनदओ िथ मसलम नो क ददलो को मर खन की पटटी स जोड दrdquo

      शरी चमनी क़ गज ि लकर आय बडी कदठन ई स और जस-िस मन अपनी दस अागततलयो

      की छ प उनदह दी उस समय मन उनकी आाखो म आास दख उनक खखल फ मझ अकसर कडी

      ब ि ततलखनी पडिी थी लतकन इस घटन स मर स मन इस ब ि क परतयकष मचि खड हआ तक

      मौक़ आन पर म नव क हदय तकिन कोमल बन सकि ह

      यह तवमध परी करन म कछ ममनट स जय द समय नही लग होग शरी डोक और उनकी

      भली पतनी मझ पणय श ाि और सवसथ दखन क ततलए अतयनदि उतसक थ हमल स घ यल होन क

      ब द मर म नततसक क यय को दखकर दोनो को ःख होि थ उनदह भय थ तक इसक बर असर

      कही मरी िबीयि पर न पड इसततलए साकि दकर और दसरी िरकीब क म म लकर व सब लोगो

      को मर पलाग स दर हट ल गय और मझ ततलखन की य और कछ करन की मन ही कर दी मन

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      उनस तवनिी की (और ततलख कर की) तक म तबलकल श ाति स सो ज ऊा इसस पहल और इसक

      ततलए उनकी लडकी ओततलव ndash जो उस समय छोटी ब ततलक ही थी ndashमझ अपन तपरय अागरजी

      भजन लोडय क इाडली ल इट (परमल जयोति ि रो द खवी मझ जीवनपाथ उज ढ) ग कर सन य

      शरी डोक को मरी यह तवनिी बहि पसाद आई वह ब ि अपन मधर ह सय दव र उनदहोन मझ समझ

      दी और ओततलव को इश र स बल कर दरव ज क ब हर खड-खड धीम सवर म वह भजन ग न क

      ततलए कह यह ततलख ि समय वह सापणय दकय मरी आाखो क स मन िर रह ह और ओततलव क

      ददवय सवर की गाज अभी भी मर क नो म गाज रही ह

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      ५४ लडाई की पनरावशतत

      नहनदसतानीओन सवचछछक परव न तनकलव ततलए अब सरक र को खनी क़ नन हट दन

      च तहए लतकन खनी क़ नन रद करन क बज य जनरल समटस न नय ही क़दम उठ य उनदहोन

      तवध नसभ म जो नय तबल पश तकय उसक दव र खनी क़ नन को बह ल रख और सवछछ स

      ततलए गय परव नो को क़ ननी कर र ददय स थ ही उस तबल म यह ध र भी जोडी तक जजन

      तहनदसि तनयो न सवछछ स परव न ल ततलए ह उन पर खनी क़ नन ल ग नही तकय ज सकि

      इस नय तबल को पढकर म िो हकक -बकक हो गय

      सरक र को सतय गरतहयो क असतलटमटम अथव तनिय-पि की भजन की अवमध परी

      होिी थी अवमध बीिन क दो-एक घाट ब द परव न जल न की स वयजतनक तवमध परी करन क

      ततलए एक सभ बल ई गई थी सतय गरह-सममति न यह म न थ तक आश क तवपरीि कही सरक र

      क अनकल उिर ममल ज ए िो भी सभ बल न वयथय नही होग कयोतक उस चसथति म सभ क

      उपयोग सरक र क अनकल तनणयय कौम को सन न म कर ततलय ज एग

      सभ शर होन ही व ली थी तक एक सवयासवक स इकल पर आ पहाच उसक ह थ म

      ि र थ उसम सरक र क उिर थ उिर म तहनदसि नी कौम क तनिय क ततलए खद परकट तकय

      गय थ और यह भी कह गय थ तक सरक र अपन तनिय बदलन म असमथय ह ि र पढकर

      सभ म सबको सन ददय गय सभ न उसक सव गि तकय म नो सभ क लोगो को इस ब ि

      क हषय हआ तक सरक र दव र तनिय-पि की म ाग सवीक र कर ततलए ज न स परव नो की होली

      जल न क जो शभ अवसर उनक ह थ स चल ज ि वह चल नही गय

      इस सभ म मीर आलम भी ह जजर थ उसन सभ म यह घोषण की तक मझ पर हमल

      करन म उसस भल हई थी और अपन असल परव न भी उसन मझ जल न क ततलए द ददय

      नय परव न िो उसन सवछछ स ततलय ही नही थ मन मीर आलम क ह थ पकड और हषय स

      उस दब य मन ब र मीर आलम स कह तक मर मन म िो उसक परति कभी रोष थ ही नही

      इसस सभ की खशी क प र न रह

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      कमटी क प स जल न क ततलए २००० स ऊपर परव न आ चक थ परव नो क ढर कड ही

      म ड ल गय ऊपर स घ सलट ऊा डल गय और मन उस ददय सल ई ददख ई स री सभ खडी

      हो गई और जब िक परव न जलि रह िब िक उसकी ि ततलयो स मद न गाजि रह जजन कछ

      लोगो न अभी िक परव न अपन प स रख छोड थ उनक परव नो की भी अब माच पर वष य होन

      लगी व परव न भी कड ही म ड ल ददय गय

      इस सभ म अागरजी अखब रो क साव दद ि आय थ उन पर भी सभ क सापणय दकय क

      बड गहर असर पड उनदहोन अपन अखब रो म सभ क हबह वणयन तकय

      र नद सव ल तवध न-सभ की जजस बठक म एततशय दटक क़ नन (दसर ) प स हआ थ उसी

      बठक म जनरल समटस न एक दसर तबल भी पश तकय थ उसक न म थ इममगरनदटस

      रनसरकशन एकट (१९०७ क पनदरहव ा एकट) ndash परोकष रप म ऐसी यतति तनतहि थी जजसस एक

      भी नय तहनदसि नी र नदसव ल म द खखल न हो सक इसक तवरोध करन कौम क ततलए तनि नदि

      आवकयक थ अि कछक सतय गरहीओ न ज न बझकर र नदसव ल म परवश तकय उनको

      तगरफि र कर ततलए गय मझ भी दसरी ब र तगरफि र तकय गय थ एक ब र वोकसरसट की जल

      म हम लगभग ७५ सतय गरही क़दी इकठठ हो गय थ सरक र सोच म पड गई आखखर जल म

      तकिन तहनदसि तनयो को क़द म रख ज सकि ह खचय बढग अब कय तकय ज य सरक र न

      पररचसथति को हल करन क ततलए एक नई परयतति खोज ड ली पकड गय हहिदीओ को सरहद प र

      करक तहनदसि न भज दन शर कर ददय

      मगर हआ ऐस तक बहि स तहनदसि नी िो अटल रह और मककमि पवयक अपनी लडि

      ज री रखी थी थोड बहि ढील पड गय थ

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      ५५ टोलससटोय फामम

      आज िक (१९१०) िक जल ज नव ल सतय गरतहयो क पररव रो क भरण-पोषण उनदह हर महीन

      पस दकर होि थ सबको उनकी आवकयकि क अनस र पस ददय ज ि थ चीटी को कन

      और ह थी को मन लतकन यह वयवसथ सािोष परद नही थी कोश पर भ री बोझ आन शर हो

      गय थ यह कदठन ई एक ही िरह स हल हो सकिी थी ndash स र पररव रो को एक सथ न पर रख

      ज य और वह ा सब स थ ममलकर क म कर

      मर ममि शरी कलनबक क पररचय म पहल कर चक हा उनदहोन ११०० एकड जमीन

      खरीदी और कोई पस ततलए तबन सतय गरतहयो क उपयोग क ततलए तबन तकर य द दी (३० मई

      १९१०) उस जमीन पर करीब १००० फल क झ ड थ जमीन की ऊा च ई पर एक छोटी स टील

      थ और एक छोट स मक न थ जजसम प ाच स ि आदमी रह सकि थ प नी क ततलए दो कएा

      और एक झरन थ तनकटिम रलव सटशन लोल वह ा स एक मील दर थ जोह तनसबगय वह ा स

      २३ मील पर थ इसी जमीन पर मक न बनव न और सतय गरतहयो क पररव रो को बस न क

      हमन तनिय तकय

      इस सथ न म हमन यह आगरह रख थ तक नौकरो स कोई भी घरल क म न कर य ज य

      इसततलए प ख न -सर ई स लकर रसोई बन न िक क स र क म हम अपन ही ह थो स करन

      हमन पहल स ही यह तनिय कर ततलय थ तक सतसियो और परषो को अलग अलग रख

      ज य इसततलए दोनो क मक न अलग और एक-दसर स थोडी दरी पर बन न की ब ि िय हई

      दस सतसिय ा और स ठ परष रह सक इिन मक न िरनदि बन न क तनणयय हआ शरी कलनबक क

      रहन क भी एक मक न बनव य थ और उसक प स श ल क एक मक न खड करन थ

      इसक ततसव एक क रख न भी बढई-क म और मोची-क म क ततलए बनव न थ

      जो लोग इस सथ न पर रहन आनव ल थ व गजर ि क मर स क आाधर दश क और उिर

      भ रि क थ धमय स व तहनदद मसलम न प रसी और ईस ई थ उनम लगभग च लीस नौजव न

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      थ दो-िीन वयोवदध थ प ाच सतसिय ा थी और बीस स िीस की साखय म ब लक थ इन ब लको म

      च र-प ाच लडतकय ा थी

      टोलसटोय फ मय म आकर तनबयल लोग बलव न बन गय और पररशरम सबक ततलए शततिद यी

      ततसदध हआ

      फ मय क हर तनव सी को तकसी न तकसी क म स जोह तनसबगय ज न पडि थ ब लक

      वह ा सर क ततलए ज न च हि थ मझ भी क मक ज क ततसलततसल म जोह तनसबगय ज न पडि

      थ तनणयय यह तकय गय थ तक जो फ मय क स म जजक क म स ज य उसीको रल स मस तफरी

      करन की इज जि दी ज ए और रल की मस तफरी भी िीसर दज म ही की ज ए और जजस सर

      क ततलए ज न हो वह चलकर ज ए उसक स थ ख न क ततलए न कि द ददय ज ए शहर ज कर

      कोई ख न-पीन म एक पस भी खचय न कर ऐस कड तनयम न बन य गय होि िो जो पस बच न

      क ततलए हमन जागल म रहन पसाद तकय थ वह पस रल-तकर य म और शहर क ब ज र म तकय

      ज न व ल न कि म उड ज ि घर क बन हआ न कि भी स द ही होि थ न कि म घर क

      पीस और तबन छन मोट आट की ड ल-रोटी उस पर मागफली क घर म बन य हआ मकखन

      और घर म ही बन हआ न रागी क मछलको क मरबब होि थ आट पीसन क ततलए ह थ स

      चलन व ली लोह की चककी खरीदी गई थी मागफली को भन कर पीसन स उसक मकखन बन

      ज ि थ उसकी कीमि दध क मकखन स चौगनी ससिी पडिी थी न रागी िो फ मय म ही खब

      होिी

      थी फ मय म हम ग य क दध श यद ही कभी लि थ स म नदयिः मडब क दध क ही उपयोग

      करि थ

      लतकन हम तफर मस तफरी की ब ि पर आय जजन लोगो को जोह तनसबगय ज न क शौक

      होि व सपि ह म एक य दो ब र चलकर ज ि थ और उसी ददन लोट आि थ म पहल कह

      चक हा तक यह र सि २१ मील क थ पदल ज न क इस एक तनयम स हम र सकडो रपय बच

      गय और चलकर ज न व लो को बड ल भ ल भ हआ कछ लोगो को चलन की नई आदि पडी

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      स म नदय तनयम यह थ तक इस िरह जोह तनसबगय ज न व ल र ि म दो बज उठ ज एा और ढ ई

      बज तनकल पड सब कोई छह स स ि घाटो क भीिर जोह तनसबगय पहाच सकि थ हम स कम

      समय लन व ल लोग ४ घाट और १८ ममनट म पहाच ज ि थ

      हम र क म सतय गरही पररव रो को उदयमशील रखन पस बच न और अाि म सव वलमबी

      बनन थ यह धयय ततसदध कर लन क ब द िो हम च ह जजिनी अवमध िक र नदसव ल सरक र स

      लड सकि थ जिो पर हम पस खचय करन पडि थ क ाटो पतथरो बगर स परो को बच न क

      ततलए तकसी रकषण की आवकयकि को हमन सवीक र तकय थ इसततलए हमन चपपल य सडल

      बन न क धनदध सीखन क तनिय तकय

      इस िरह अनक नौजव न चपपल बन न सीख गय और हम अपन ममिो को आशरम म बन

      हए चपपल बचन भी लग यह कहन िो मर ततलए जररी नही होन च तहए तक मर अनक ततशषय

      इस कल म मझस आस नी स आग बढ गय दसर उदयोग हमन सि री क शर तकय एक ग ाव

      जस बस कर हम वह ा रह इसततलए प ट स लकर पटी िक की स री छोटी-मोटी चीजो की हम

      जररि पडिी थी हम अपन ह थ स ही बन ि थ

      उपययि यवको ब लको और ब ततलक ओ क ततलए एक श ल क होन अतनव यय थ यह

      क म हम सबस कदठन लग और इसम पणयि िो हम अाि िक भी पर पि नही कर सक पढ न

      क ख स बोज शरी कलनबक और मझ पर थ श ल दोपहर को ही चल ई ज सकिी थी हम

      दोनो सबर क श रीररक शरम स खब थक ज ि थ तवदय थी भी सब थक हए ही रहि थ इसततलए

      अकसर तवदय थी भी ऊा घन लगि थ और हम ततशकषक भी ऊा घन लगि थ हम अपनी आाखो पर

      प नी मछडकि थ ब लको क स थ खल खलि थ और उनक िथ अपन आलसय दर करन क

      परयतन करि थ पराि कभी-कभी हम र परयतन वयथय ज ि थ जजिन आर म शरीर क ततलए

      जररी होि थ उिन िो वह लकर ही रहि थ यह िो मन एक और छोट स छोट तवधन की

      ब ि कही कयोतक ऊा घि ऊा घि भी हम र वगय िो चलि ही थ परनदि समसय यह थी तक ि ममल

      िलग और गजर िी िीन भ ष एा बोलन व ल तवदय रथियो को कय और कस ततसख य ज य

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      म िभ ष दव र ब लको को पढ न क लोभ िो मर मन म थ ही ि ममल म थोडी-बहि ज नि

      थ परनदि िलग क िो एक अकषर भी नही ज नि थ ऐसी चसथति म एक ततशकषक भल कय कर

      सकि थ

      परनदि आशरम म तकय हआ ततशकष क यह परयोग वयथय नही गय इसक फलसवरप

      ब लको म कभी असतहषणि की भ वन पद नही हई व एक-दसर क धमय क परति और एक-

      दसर क रीि-ररव जो क परति उद रि रखन सीख सब कोई सग भ इयो की िरह रहन सीख

      एक-दसर की सव करन सीख सभयि सीख उदयमी बन और आज भी उन ब लको म स

      जजन-जजन क क यो की थोडी भी ज नक री मझ ह उनक ब र म म यह कह सकि हा तक

      टोलसटोय फ मय म उनदहोन जो कछ प य वह बक र नही गय भल ही वह परयोग अधर थ तफर

      भी वह एक तवच रपणय और ध रमिक परयोग थ और टोलसटोय फ मय क जो अतयनदि मीठ सासमरण

      ह उनम ततशकषण क परयोग क सासमरण कम मीठ नही ह

      फ मय पर आह र िथ दरद की शशरष साबाध म बहि स परयोग तकय गय

      श क ह ररयो क न ि हम दध लन क अमधक र ह य नही इस परशन पर मन बहि सोच

      थ और उसक ब र म खब पढ भी थ लतकन फ मय म रहि रहि मर ह थ म कोइ पसिक य

      अखब र आय थ उसम मन पढ थ तक कलकि म ग यो और भसो क स थ करर वयवह र करक

      दध की एक एक बाद उनक थनो स तनक ल ली ज िी ह उसम मन फा क की तनदयय और भयाकर

      तकरय क भी वणयन पढ थ उसी ददन मन दध छोड ददय

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      ५६ णसतरयाा लडत म शाधमत

      गौखल २२ अिबर १९१२ को दकषकषण आतफरक पध र सतय गरतहय ा िथ सरक र क तबच

      समझौि कर न क आशय थ गोखल को तवशव स हआ थ तक जनरल बोथ अपन वचन क

      मि तबक एक स ल म ही क ल क़ नन रद कर दग िथ िीन प उनदड क कर भी हट यग लतकन

      जनरल बोथ न वचनभाग तकय

      सरक र क वचन भाग की ब ि मन गोखल को ततलखी उनदह अतिशय ःख हआ मन उनदह

      ततलख तक आप सवयथ तनभयय रह हम मरण-पयि लडग और िीन प उाड क कर रद करव यग

      र नदसव ल की सरक र की न मरजी होि हए भी कर रद करव यग जल लाबी अवमध िक

      चलगी ऐस हमलोग म नि थ अिः टोलसटोय फ मय बाद करन क तनणयय तकय गय िथ कनदर

      रीतनकस तकय ज ए ऐस तनणयय भी तकय गय

      लड ई छडन की हम री िय ररय ा अभी चल ही रही थी तक इिन म एक नय तवघन खड

      हो गय जजसकी वजह स सतसियो को भी लड ई म भ ग लन क अवसर ममल गय पराि उस

      समय तवदश म सतसियो को जल भजन हम सबको अनमचि लग

      पराि इस समय अद लि म एक मक़ददम ऐस आय तक जजस म सतपरम कोटय क नदय य धीश

      न तनणयय ददय तक दकषकषण अफ़रीक क क़ नन म ईस ई धमय क अनस र हए तवव ह क ततसव ndash

      तवव ह-अमधक री क ओतफस म रजजसटर कर य हए तवव ह क ततसव ndash दसर तकसी तवव ह क ततलए

      सथ न नही ह इसक अथय यह हआ तक तहनदद मचसलम प रसी आदद धमो की तवमध क अनस र

      हए तवव ह नदय य धीश क उपययि भयाकर तनणयय स दकषकषण अफ़रीक म रद म न गय और इसततलए

      उस क़ नन क अनस र दकषकषण अफ़रीक म असाखय तवव तहि तहनदसि नी सतसियो क दरज अपन

      पतियो की धमयपतनी क न रहकर उपपसततनयो क हो गय िथ उन सतसियो की सनद ि न को अपन

      तपि की तवर सि प न क भी अमधक र नही रह गय इस चसथति को न िो सतसिय ा सहन कर

      सकिी थी न परष सहन कर सकि थ

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      सतसिय ा क अपम न होन क ब द धयय कस रख ज ि कम य अमधक जजिन भी सतय गरही

      ममल उनदही क स थ हमन िीवर सतय गरह करन क तनिय तकय अब सतसिय ा को लड ई म भ ग

      लन स रोक नही ज सकि थ यही नही हमन सतसिय ा को लड ई म भरिी होन क तनमािण दन

      क तनिय तकय सबस पहल उन बहनो को तनमािण ददय जो टोलसटोय फ मय म रह चकी थी

      व िो लड ई म शरीक होन क ततलए अतयनदि उतसक थी मन उनदह सतय गरह की लड ई म भ ग लन

      क स र खिरो स पररमचि कर य मन उनदह समझ य तक लड ई म ससतममततलि होन क ब द उनक

      ख न-पीन पोश क सोन-बठन सब पर तनयािण लग ज एाग मन उनदह यह चि वनी भी दी तक

      जल म उनदह कडी महनि क क म सौप ज सकि ह उनस कपड धलव य ज सकि ह जल-

      अमधक री उनक अपम न भी कर सकि ह लतकन व सब बहन बह र थी व मरी बि ई एक

      भी ब ि स भयभीि नही हई एक िो गभयविी थी छह बहनो की गोद म छोट बछच थ ऐसी

      बहनो न भी लड ई म भ ग लन क आगरह तकय इनम स तकसी भी बहन को रोकन की शतति

      मझम नही थी इनम छह बहन दध पीि छोट बछचो व ली थी

      इन बहनो क परथम परयतन तनषफल गय उनदहोन र नदसव ल क वरीतनजजिग न मक सथ न

      म तबन परव न क परवश करक फरी लग ई लतकन पततलस न उनदह पकडन स इनक र कर ददय

      जब रीतनकस क दल र नदसव ल म परवश कर उसी समय व १६ बहन ndash जजनदहोन र नदसव ल

      म तगरफि र होन क तवफल परयतन तकय थ ndash न ि ल म परवश करन व ली थी जजस परक र

      न ि ल स र नदसव ल म तबन परव न क परवश करन अपर ध थ उसी परक र र नदसव ल स न ि ल

      म तबन परव न क परवश करन भी अपर ध थ इस िरह यदद पततलस तगरफि र कर िो इन बहनो

      को न ि ल म तगरफि र होन थ और यदद न कर िो उनदह न ि ल की कोयल की खद नो क कनदर

      नदयकसल िक ज कर उनम क म करन व ल तगरममदटय मजदरो को खद न छोडकर ब हर तनकल

      ज न की ब ि समझ नी थी यदद मजदर इन बहनो की ब ि म नकर अपन क म छोड दि िो

      मजदरो क स थ उनद ह भी सरक र अवकय ही तगरफि र करिी और बहनो की तगरफि री स इन

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      मजदरो क उतस ह अमधक बढन की परी साभ वन थी इस िरह की वयह-रचन मन म िय र

      करक मन र नदसव ल की बहनो को अछछी िरह समझ दी

      इसक ब द म रीतनकस गय वह ा रहन व ली बहनो को िथ अनदयो को उठ य गय क़दमो

      क ब र म होन व ली भयाकरि िथ जो कषट उठ न पडग इसक ब र म ब ि बि ई उनदहोन

      र नदसव ल की बहनो की िरह बीड उठ ततलय उसम कसिरब ई भी थी और व जलय ि करन

      क ततलए िय र हो गई उनदहोन मझ तवशव स ददल य तक हर िरह क ःख सहन करक भी व जल

      की सज परी करगी

      सतय गरतहयो क यह दल सीम ल ाग कर बगर परव न क र नदसव ल म परवश हई इस दल

      को तगरफि र कर ततलय उस पर अद लि म मक़ददम चल हर सतय गरही को िीन-िीन महीन

      की सखि क़द की सज ममली

      जो बहन र नदसव ल म तगरफि र होन क परयतन म तनर श हई थी उनदहोन अब न ि ल म

      परवश तकय उनदह बगर परव न क न ि ल म परवश करन क अपर ध म पततलस न तगरफि र नही

      तकय यह तनिय तकय गय थ तक पततलस यदद उनदह तगरफि र न कर िो नदयकसल म छ वनी

      ड ल कर बहनो न अपन क म आराभ कर ददय उनक परभ व तबजली की िरह फल गय िीन

      पौड क कर की करण कह नी न मजदरो क हदय को तपघल ददय उनदहोन अपन क म छोड

      ददय

      अब सरक र इन बह र बहनो को कस छोडिी उनदह तगरफि र कर ततलय गय परतयक

      को िीन महीन की क़द की सज ममली

      सतसिय ा की वीरि क वणयन भल तकन शबदो म तकय ज एा सभी को न ि ल की र जध नी

      मररतसबगय क जल म रख गय थ वह ा उनदह क री कषट ददय गय उनक भोजन क ब र म जर

      भी धय न नही रख गय महनि म उनद ह धोबी क क म सोप गय सरक र न लगभग सज

      खिम होन िक ब हर स भोजन पहाच न पर कड परतिबनदध लग रख थ एक बहन क एक

      तवशष परक र क भोजन करन क वरि थ बडी कदठन ई क ब द जल-अमधक ररयो न उस तवशष

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      भोजन की इज जि दी लतकन जो भोजन ददय ज ि थ वह इिन खर ब होि थ तक ख य

      नही ज ि थ जिन क िल की उस बहन को बडी जररि थी पहल िो वह नही ददय गय

      कछ ददन ब द ददय गय लतकन वह पर न थ और उिर हआ थ जब उस बहन न अपन पस

      स यह िल माग न की पर थयन की िो उिर म कह गय ldquoयह कोई होटल नही ह जो भोजन

      ददय ज ए वही िमह ख न होग rdquo वह बहन जब जल स ब हर तनकली िब ह ड-हपिजर म ि रह

      गई थी बड परयतन स ही वह बची

      दसरी एक बहन ज नलव बख र लकर जल स ररह हई उसक इस बख र न उस जल म

      ररह होन क कछ ही ददन ब द भगव न क प स पहाच ददय (२२ फरवरी १९१४) उस म कस

      भल सकि हा उसक न म व ततलय मम आर मनसव मी मदततलय र वह १८ वषय की ब ल थी म

      उस ममलन गय िब वह रोग-शयय पर पडी थी वह कद म ऊा ची थी इसीततलए उसक लकडी

      जस कश शरीर भयाकर ददख ई दि थ

      मन पछ ldquoव ततलय मम जल ज न क िमह पि ि प िो नही हrdquo

      ldquoपि ि प कयो होग मझ तफर स पकड ज ए िो म तफर जल ज न को िय र हाrdquo

      ldquoलतकन इसक पररण म िमह री मौि म आय िोrdquo मन पछ

      ldquoभल आय दश क ख तिर मरन कौन पसाद न करग rdquo

      हम री इस ब िचीि क ब द कछ ही ददनो म व ततलय मम मर गई परनदि वह ब ल अपन

      न म अमर कर गई इन बहनो क बततलद न तवशदध थ शदध हि स ददय गय बततलद न सफल

      होि ह ईशवर भ वन क भख ह भतति स अथ यि तनःसव थय बजदध स अपयण तकय गय पि पषप

      य जल भी ईशवर परम स सवीक र करि ह और उसक करोड गन फल दि ह सतय गरहीओ क

      इिन समझ लन ही ह तक उसम स एक भी शदध ह िो उसक यजञ फल दन क ततलए पय यपि ह

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      परथवी सतय क बल पर दटकी हई ह - असि - असतय - क अथय ह lsquoनहीrsquo सि -सतय-क

      अथय ह lsquoहrsquo असि क जब कोई अतसितव ही नही ह िो उसकी सफलि कस हो सकिी ह

      और जो lsquoहrsquo उसक न श कौन कर सकि ह इिन म सतय गरह क सापणयश सि सम ज ि ह

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      ५७ मज़दरो का परवाह

      नयकसल क प स की कोयल की खद नो क तहनदसि नी मजदरो पर बहनो क इस तय ग क अदभि

      असर पड उनदहोन अपन औज र छोड ददय और उनक परव ह शहर की ओर बहन लग इसक

      पि चलि ही मन रीतनकस छोड और म नदयकसल ज पहाच

      ऐस मजदरो क अपन मक न नही होि खद नो क म ततलक ही उनक ततलए घर बन ि ह

      और म ततलक ही उनक र सिो पर बततिय ा लग ि ह म ततलक ही उनदह प नी भी दि ह इसततलए

      मजदर हर िरह स म ततलको क अधीन रहि ह

      य हडि ली मर प स िरह-िरह की ततशक यि ल न लग कोई कहि तक म ततलक र सिो की

      बततिय ा बाद कर दि ह कोई कहि तक म ततलक हम र प नी बाद कर दि ह िीसर कहि तक

      म ततलक हडि ततलयो को गहसथी क स म न कोठररयो स ब हर फ क दि ह मन सझ व ददय एक

      म ि म गय यही रह ज ि थ तक मजदर म ततलको की कोठररय ा छोड द ndash अथ यि व तहजरि कर

      मजदर कोई प ाच-पचीस नही थ बचलक सकडो थ और उनक हज रो होन म भी कोई दर

      नही लगिी उन सबक ततलए मक न म कह ा स ल ऊा ख न कह ा स ल ऊा लोगो की भ री भीड

      जम गई इिन अमधक और तनरनदिर बढि रहन व ल मजदरो को एक ही सथ न पर बगर क म-

      धनदध क रखन यदद असाभव नही िो भयाकर क म अवकय थ मझ अपनी समसय क हल ममल

      गय इस समह को मझ र नदसव ल ल ल न च तहए और जजस परक र रीतनकस क १६ सतय गरही

      तगरफि र हो गय उसी परक र इस समह को भी जल म बठ दन च तहए

      मर प स लगभग प ाच हज र आदमी एकि हो गय थ इिन लोगो को रन स ल ज न

      साभव नही थ इिन पस म कह ा स ल ि और रन स ल ज न म उन सबकी परीकष नही हो

      सकिी थी नदयकसल स र नद सव ल की सीम ३६ मील दर थी न ि ल क सरहदी ग ाव च लसयट उन

      और र नद सव ल क वोकसरसट थ अाि म मन पदल य ि करन क तनिय तकय मजदरो क

      स थ मन चच य की उनक स थ उनकी पसततनय ा और ब लक भी थ कछ लोगो न आन क नी की

      लतकन हदय को कड बन न क ततसव मर प स दसर इल ज ही नही थ मन उनस कह ददय तक

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      जजनदह व पस खद नो पर ज न हो व ज सकि ह लतकन कोई व पस ज न को िय र नही थ

      जो लोग अपाग थ उनदह रन स भजन क हमन तनणयय तकय ब की सब लोगो न पदल च लसयट उन

      ज न की िय री बि ई यह माजजल दो ददन म िय करनी थी

      एक ददन श म को मन उन लोगो स कह ददय तक कल पर िःक ल हम अपन कच आरमभ

      करन ह र सि पर चलन क तनयम मन उनक स मन पढ सन य प ाच-छह हज र आदममयो क

      समद य को सभ लन कोई खल नही थ उनकी तनकषिि साखय िो मर प स थी ही नही न मर

      प स उनक न म और पि ही थ जजिन आदमी मर स थ रहन च हि थ उिनो ही स मझ सािोष

      थ परतयक हडि ली को डढ पौड ड ल-रोटी और ढ ई िोल शककर क ततसव अनदय कोई भोजन

      दन की शतति मझम नही थी मन उनस कह थ तक र सि म अगर कोई तहनदसि नी वय प री कछ

      दग िो उस हम सवीक र करग लतकन कछ नही ममल िो सबको ड ल-रोटी और शककर स ही

      सािोष करन होग बोअर-यदध और जल-तवरोह क समय जो अनभव मझ पर पि हए थ व इस

      समय मर ततलए बड उपयोगी ततसदध हए एक शिय यह भी थी तक स थ म कोई जररि स जय द

      कपड न रख र सि म तकसी की कोई चीज नही ली ज सकिी अमधक री य कोई अागरज र सि

      म ममल और व ग ली द अथव म र म र िो वह भी सहन कर ततलय ज य पततलस तगरफि र कर

      िो तगरफि र हो ज न च तहए म तगरफि र हो ज ऊा िो भी कच उनदह ज री रखन च तहए ndash आदद-

      आदद ब ि मन हडि ततलयो को समझ ई मरी तगरफि री क ब द एक क ब द एक कौन वयतति

      नि क रप म तनयि होग उनक न म भी मन सबको बि ददय

      सब लोग मरी सचन ओ को समझ गय हम र क तरल सहीसल मि च लसयट उन पहाच

      गय च लसयट उन म तहनदसि नी वय प ररयो न खब मदद दी उनदहोन अपन मक नो क उपयोग

      हम करन ददय मचसजद क मद न म ख न बन न की इज जि दी कच क समय जो ख न ददय

      ज ि थ वह सथ यी छ वनी म नही रहि थ इसततलए वह ा रसोई बन न क ततलए बरिनो की

      जररि पडिी थी य बरिन भी वय प री हम खशी स दि थ च वल बगर िो मर प स बडी म ि

      म जम हो गय थ उसम भी वय प ररयो न अपन तहसस ददय थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      च लसयट उन एक छोट स ग ाव थ उसकी आब दी उस समय मतककल स च र-प ाच हज र

      आदममयो की थी उनम इन कई हज र हडि ततलयो क सम वश करन कदठन थ ततसरय सतसिय ा

      और बछचो को ही हमन मक नो म ठहर य ब की क सब लोगो न मद न म ही पड व ड ल

      मर स थी और म झ ड लग न मल उठ न और ऐस ही दसर क मो म जर भी नही

      तहचतकच ि थ इसततलए दसर लोग भी बड उतस ह स य क म करि थ यदद हम य क म न करि

      िो तकस हकम दि यदद सब कोई सरद र बनकर दसरो को हकम द िो अाि म कोई क म पर

      ही न हो परनदि जह ा सरद र खद सवक बन ज ि ह वह ा दसर लोग सरद री क द व कर ही

      कस सकि ह

      रसोई बन न व लो म गखय म ही थ कभी द ल म प नी जय द पड ज ि थ िो कभी

      कछची रह ज िी थी कभी ऐस भी होि थ तक सबजी कछची रह ज िी थी िो कभी च वल

      कछच रह ज ि थ ऐस भोजन हासि-हासि ल लन व ल म न सास र म तवरल ही प य ह

      ख न बन न क बज य ख न परोसन क क म अमधक कदठन थ और यह क म कवल

      मर ही ह थ म रहि थ कछच-पकक ख न क तहस ब िो मझ ही लोगो को दन होि थ ख न

      कम हो और ख न व ल बढ ज एा िब सबको कम ख न दकर सनदिषट करन क क म भी मझ ही

      करन होि थ जब म बहनो को कम ख न दि िो व एक कषण क ततलए मर स मन उल हन की

      नजर स दखिी और तफर मरी चसथति को समझ कर हासिी-हासिी चल दिी थी उन दकयो को म

      जीवन म कभी भल नही सका ग म उनस कहि ldquoकय करा म ल च र हो गय हा मर प स

      बन हआ ख न कम ह और ख न व ल लोग जय द ह इसततलए मझ सबक तहसस म जजिन आ

      सकि ह उिन ही दन होग rdquo इिन स व चसथति को समझ लिी थी और सािोषम कहकर

      हासिी हई चली ज िी थी

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      ५८ ऐ भवय कच

      मन र नदसव ल सरक र को पि ततलख थ तक हम र नदसव ल म बसन क उददकय स परवश नही करन

      च हि हम र यह परवश सरक र क वचनभाग क तवरदध उठ ई ज न व ली हम री परभ वश ली

      आव ज ह और हम र सव कषभम न क भाग स हम जो ःख हो रह ह उसकी शदध तनश नी ह यदद

      आप हम यही ndash च लसयट उन म ही ndash पकड लग िो हम सब तनकषिनदि हो ज एाग यदद आप ऐस

      न कर और हम र दल म स कोई मछप िौर पर र नदसव ल म द खखल हो ज ए िो उसक ततलए हम

      जजममद र नही रहग हम री इस लड ई म गपि कछ ह ही नही तकसीको अपन वयततिगि सव थय

      नही स धन ह हम म स कोई आदमी मछप िौर पर र नदसव ल म परवश कर यह हम पसाद नही

      ह लतकन जह ा हज रो अपररमचि और अनज न लोगो स क म लन ह और जह ा परम क ततसव

      दसर कोई बाधन नही ह वह ा तकसी क क म क ततलए हम जजममद र नही हो सकि इसक ततसव

      आप यह भी ज न ल की अगर आप िीन पौड क कर रद कर दग िो तगरममदटय मजदर तफर स

      क म पर लग ज एाग और हडि ल बाद हो ज एगी हम र दसर ःखो को दर कर न क ततलए हम

      इन मजदरो को सतय गरह म शरीक नही करग

      लतकन ऐसी चसथति म सरक र क उिर की परिीकष अमधक ददन िक नही की ज सकिी

      थी अगर पकड नही ज एाग िो हमन तनिय तकय तक सरक र तगरफि र न कर िो िरनदि

      च लसयट उन छोडकर र नदसव ल म परवश करन च तहए अगर सरक र र सि म तगरफि र न कर

      िो क तरल को परतिददन २० स २४ मील की य ि आठ ददन िक करनी थी आठ ददन म हम र

      इर द टोलसटॉय फ मय पहाचन क थ हमन सोच थ तक लड ई परी होन िक सब सतय गरही वही

      रहग और फ मय पर क म करक अपनी जीतवक उतपनदन करग

      क तरल क कच की दसरी िय ररय ा भी हमन की च लसयट उन क भल अागरज डोकटर

      तबरसको न हम र ततलए दव इयो की एक छोटीसी पटी िय र कर दी और अपन कछ ऐस औज र भी

      द ददय जजनक उपयोग मर जस स म नदय आदमी कर सक

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      खर क म ड ल-रोटी और शककर क ततसव दसर कछ नही थ परनदि ड ल-रोटी आठ

      ददन क कच म महय कस की ज ए तफर रोटी रोज क तरल क लोगो म ब ाटन जररी थ

      इसक एकम ि उप य यह थ तक हर माजजल पर हम ड ल-रोटी पहाच न की जजममद री कोई ल

      लतकन यह क म कौन कर वोकसरसट (च लसयट उन क नजदीक र नदसव ल क सरहदी कनदर)

      च लसयट उन स लगभग गन बड थ वह ा गोर भदठय र की एक बडी क न थी उसन परतयक

      सथ न पर ड ल-रोटी पहाच न क कर र हम र स थ तकय उसन समय स रल पर ड ल-रोटी भजी

      और रल-कमयच ररयो न (य भी गोर ही थ) ईम नद री स ड ल-रोटी हम िक पहाच ई यही नही

      उन लोगो न ड ल-रोटी हम िक पहाच न म परी स वध नी बरिी और हम र ततलए कछ ख स

      सतवध या कर दी व ज नि थ तक हम री तकसीस कमनी नही थी

      जब हम र कच की स री िय ररय ा हो गई िब मन तफर एक ब र सरक र क स थ समझौि

      क परयतन तकय पि और ि र िो मन भज ही थ अब मन यह तनणयय तकय तक सरक र को

      टततलफोन भी तकय ज ए भल वह मर अपम न ही क यो न कर

      आध ममनट म मझ इसक उिर ममल गय ldquoजनरल समटस आपक स थ कोई साबाध नही

      रखन च हि आप जो च ह सो करrdquo और टततलफोन बनदद हो गय

      मन इसी उिर की आश र खी थी कवल अततशषटि की आश नही रखी थी

      मझ अपन स मन सपषट ददख ई दि थ दसर ददन (६ नवमबर १९१३) तनकषिि समय पर

      (पर िः स ढ छह बज) हमन पर थयन को और ईशवर क न म पर अपन कच आराभ तकय हम र

      इस क तरल म २०३७ परष १२७ सतसिय ा और ५७ ब लक थ

      च लसयट उन स एक मील दर वोकसरसट क छोट स न ल पडि थ उस न ल को प र

      तकय तक वोक सरसट म य कतहय र नदसव ल म परवश तकय ऐस म न ज ि थ उस न ल क

      छोर पर घडसव र पततलस पहर पर खडी थी सबस पहल म उसक प स गय ज ि समय क तरल

      क लोगो स कह गय थ तक म आन क साकि करा िब व सीम म परवश कर लतकन म पततलस

      स ब ि कर ही रह थ तक लोग िजी स आग बढ और उनदहोन न ल प र कर ददय व र नदसव ल

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      की सीम म पहाच गय घडसव रो न उनदह घर ततलय परनदि यह क तरल इस िरह पततलस क रोक

      रकन व ल नही थ पततलस क इर द हम पकडन क िो थ ही नही मन सब लोगो को श ाि

      तकय और कि रो म वयवचसथि होकर चलन की ब ि समझ ई प ाच-स ि ममनट म ही िब कछ

      ठीक हो गय और हम र कच र नदसव ल म आराभ हआ

      वोकसरसट क लोगो न दो ददन पहल ही एक सभ की थी और उसम अनक िरह की

      धमतकय ा हम दी थी कछ लोगो न कह थ तक यदद तहनदसि नी र नदसव ल म परवश करग िो हम

      उन पर गोततलय ा बरस यग उस सभ म शरी कलनबक गोरो को समझ न गय थ लतकन कोई

      उनकी ब ि सनन को िय र नही थ

      हम र जलस िो श ाति स आग बढ गय मझ य द नही आि तक तकसी गोर न मझ हम र

      स थ जर भी शर रि की हो व सब यह अनोख दकय दखन क ततलए ब हर तनकल आय उनम

      स कछ लोगो की आाखो म ममिि क भ व भी ददख ई दि थ

      पहल ददन हम र पड व वोकसरसट स क़रीब आठ मील दर क एक सटशन प सफोडय पर

      थ वह ा हम श म क कोई ५-६ बज पहाच होग लोगो न ड ल-रोटी और शककर ख ई और सब

      खली हव म मद न म लट गय कोई भजन ग ि थ िो कोई ब ि करि थ र सि म कछ सतसिय ा

      थक गई अपन बछचो को गोद म लकर चलन की तहममि िो उनदहोन की थी लतकन आग चलन

      उनकी शतति स ब हर थ इसततलए मरी चि वनी क अनस र मन उनदह एक भल तहनदसि नी की

      क न म छोड ददय और उसस कह तक हम टोलसटोय फ मय पर पहाच ज य िो इन बहनो को वह ा

      पहाच दन और यदद तगरफि र हो ज ए िो इनदह इनक घर भज दन तहनदसि नी वय प री न मरी

      यह पर थयन सवीक र कर ली

      र ि बढिी गई तयो-तयो शोरगल श ाि होि गय म भी सोन की वय री म ही थ तक मझ

      तकसी क जिो की खट-खट सन ई दी मन एक गोर को ह थ म ल लटन ततलए आि दख मझ

      िय री िो कछ करनी ही नही थी पततलस-अमधक री न मझस कह

      ldquoआपक ततलए मर प स व राट ह मझ आपको तगरफि र करन हrdquo

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      ldquoकब मन पछ

      ldquoइसी समयrdquo उिर ममल

      ldquoआप मझ कह ा ल ज एागrdquo

      ldquoइस समय िो प स क रलव सटशन पर और जब ग डी आएगी िब उस पर बठ कर

      वॉक सरसटrdquo

      म बोल ldquoिो म तकसीको जग य तबन आपक स थ आि हा लतकन मर एक स थी को

      थोडी सचन य द दा rdquo

      ldquoजरर द दrdquo

      प स ही सोय हए पी० क० न यड को मन जग य उनदह अपनी तगरफि री की ब ि बि ई

      और कह तक सबह होन स पहल व लोगो को न जग य सबर होन पर तनयम नस र कच करन

      की सचन उनदह कर दी स थ ही यह भी कह तक कच सयोदय स पहल आराभ हो जह ा तवशर म

      करन और खर क ब ाटन क समय हो ज य वह ा लोगो स मरी तगरफि री की ब ि कही ज ए इस

      बीच जो कोई पछ उस यह ब ि कहि ज एा क तरल को पततलस पकड िो वह तगरफि र हो ज य

      और न पकड िो तनकषिि क ययकरम क अनस र अपन कच ज री रख न यड को कोई डर िो थ

      ही नही व तगरफि र कर ततलए ज एा िो कय तकय ज य यह भी मन उनस कह ददय

      शरी कलनबक िो वोकसरसट म मौजद थ ही

      म पततलस अमधक री क स थ गय सबर हआ हम दोनो वोकसरसट की रन म बठ

      वोकसरसट की अद लि म मझ पर मक़ददम चल पचबलक परोततसकयटर न सवया म ाग की तक कस

      मलिवी रख ज य कयोतक उसक प स सबि िय र नही थ कस मलिवी रह मन जम नि पर

      छटन की अरजी दी और क रण म बि य तक मर स थ १२२ सतसियो ५० ब लको िथ २०००

      परषो स अमधक लोग ह मक़ददम की ि रीख लगन िक म उनदह तनकषिि सथ न पर रखकर व तपस

      आ सकि हा और मक़ददम क समय ह जजर हो सकि हा सरक री वकील न जम नि की मरी

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      अरजी क तवरोध तकय लतकन मजजसरट ल च र थ मझ पर जो आरोप लग य गय थ वह

      ऐस नही थ जजसम जम नि पर छटक र प न की ब ि भी मजजसरट की सि पर तनभयर हो

      इसततलए मजजसरट न मझ ५० पौड की जम नि पर छोड ददय शरी कलनबक न मर ततलए मोटर

      िय र ही रखी थी उसम बठ कर उनदहोन मझ अपन क तरल क प स पहाच ददय दद टरानसवारल

      रलीडर क तवशष साव दद ि हम र स थ आन च हि थ हमन उस क र म बठन की इज जि

      द दी उसन क र की इस य ि क मर मक़ददम क और क तरल क स थ हए मर ममल प क

      सनददर मचिण अपन अखब र म उस समय तकय थ लोगो न मर ह रदिक सव गि तकय उनक

      उतस ह और जोश क कोई प र न रह इसक ब द कलनबक िराि वोकसरसट लौट गय उनक

      जजमम च लसय-ट उन म रक हए और नय आन व ल तहनदसि तनयो की दखभ ल करन क क म

      हमन अपन कच ज री रख परनदि मझ सविाि रखन सरक र को अनकल नही लग

      इसततलए उसन दसर ददन ८वी को सटनदडरटन म दसरी ब र मझ तगरफि र कर ततलय सटनदडरटन

      िलन म बड ग ाव थ वह ा मझ तवमचि िरीक स पकड गय म क तरल क लोगो को ड ल-

      रोटी ब ाट रह थ वह ा क तहनदसि नी वय प ररयो न मरबब क मडब भट तकय थ इसततलए बाटव र

      क क म म जय द दर लगिी थी मजजसरट मर प स आकर खड हो गय उनदहोन खर क ब ाटन क

      क म मझ पर कर लन ददय उसक ब द उनदहोन मझ एक ओर बल य म उनदह पहच नि थ

      इसततलए म समझ तक व मझस कोई ब ि करन च हि होग लतकन उनदहोन हास कर मझस कह

      ldquoआप मर क़दी हrdquo

      मन कह ldquoमर दरज बढ गय ह पततलस क बदल मजजसरट सवया पकडन आय ह

      लतकन आप मझ पर इसी समय मक़ददम चल यग नrdquo

      व बोल ldquoमर स थ ही आप चततलए कोटय बठी ही हrdquo

      क तरल क लोगो को कच ज री रखन की सल ह दकर म उनस अलग हआ कोटय म

      पहाचि ही मन दख तक मर कछ स थी भी तगरफि र कर ततलए गय ह व प ाच थ

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      मझ िरनदि कोटय क स मन खड तकय गय मन वोकसरसट म जम नि पर छटन क जो

      क रण बि य थ व ही क रण यह ा भी बि ि हए जम नि पर छटन की अरजी दी यह ा भी सरक री

      वकील न मरी अरजी क तवरोध तकय लतकन यह ा भी मजजसरट न २१ नवमबर १९१३ िक

      मक़ददम मलिवी कर ददय तहनदसि नी वय प ररयो न मर ततलए इकक िय र ही रख थ उसम

      बठ कर मझ क तरल क प स पहाच ददय जो अभी िीन मील क फ सल भी िय नही कर प य

      थ अब क तरल क लोगो न और मन भी सोच तक श यद टोलसटोय फ मय िक सब पहाच ज एाग

      परनदि हम री यह ध रण ग़लि तनकली तफर भी क तरल क लोग मरी तगरफि री क आदी हो

      गय यह कोई म मली पररण म नही थ मर स थी िो जल म ही रह

      हम कच करि-करि अब जोह तनसबगय क तनकट आ पहाच थ सापणय य ि को हमन आठ

      ददन की आठ माजजलो म ब ाट ददय थ अभी िक हम तनकषिि की हई माजजल परी करि चल आ

      रह थ इसततलए अब हम र स मन कल च र माजजल िय करन ब की थ परनदि जयो-जयो हम र

      उतस ह बढि ज रह थ तयो-तयो सरक र की ज गति भी बढिी ज रही थी सरक र हम अपनी

      माजजल परी कर लन दिी और उसक ब द हम पकडिी िब िो वह उसकी कमजोरी और

      अकशलि म नी ज िी इसततलए यदद उस हम पकडन हो िो माजजल परी होन क पहल ही

      पकडन च तहए

      गोखल न समरी ि र दव र यह इछछ परकट की थी तक शरी पोल क तहनदसि न आकर

      उनकी सह यि कर इसततलए उनदह तहनदसि न भजन की िय री चल रही थी मन उनदह ततलख

      भज थ तक व तहनदसि न ज सकि ह लतकन मझस ममल तबन और परी तहद यि ततलए तबन

      ज न की उनकी इछछ नही थी इसततलए हम र कच क दौर न ही मझस ममल ज न की उनदहोन म ाग

      की मन ि र तकय तक तगरफि री क खिर उठ कर आप आन च ह िो आ सकि ह शरी पोल क

      न तगरफि री क खिर उठ कर भी मर प स आन पसाद तकय

      ९वी क रोज सटनदडरटन िथ गर सलिगसटड क तबच टीकवथय सथ न पर आकर हमस ममल

      हम री ब ि चल रही थी लगभग परी होन को आई थी उस समय दोपहर क क़रीब ३ बज होग

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      हम दोनो क तरल क आग चल रह थ दसर स थी भी हम री ब ि सन रह थ श म को शरी पोल क

      को डरबन ज न व ली ग डी पकडनी थी परनदि जब र मचनदरजी जस को भी र ज-तिलक क ही

      समय वनव स ममल िो पोल क भल तकस तगनिी म थ हम ब ि कर रह थ इिन म एक

      घोड ग डी हम र स मन आकर खडी हो गई उसम एततशय ई तवभ ग क अमधक री शरी चमनी और

      पततलस क एक अमधक री थ दोनो नीच उिर मझ जर दर ल ज कर उनम स एक न कह

      ldquoम आपको तगरफि र करि हाrdquo इस परक र म च र ददनम िीन ब र तगरफि र तकय गय

      मन पछ ldquoक तरल क क य होग rdquo

      ldquoसब हो ज यग rdquo

      म कछ न बोल पततलस अमधक री न मझ कवल अपनी तगरफि री की ही खबर लोगो को

      सन न दी मन पोल क स कह ददय तक व क तरल क स थ ज एा जब म लोगो को श ाति रखन

      आदद की ब ि समझ न लग िो अमधक री महोदय न कह

      ldquoअब आप क़दी ह आप कोई भ षण नही द सकिrdquo

      मझ गरीसलिग सटनदड और वह ा स बलफ र होकर हडलबगय क थ न म ल गय र ि मरी वही

      बीिी

      क तरल को लकर पोल क आग बढ सब हडलबगय पहाच मर स थ आय हए पर क तरल

      को भी तगरफि र करन की वयवसथ हो चकी थी

      वह ा दो सपततशयल रन सटशन पर क तरल क लोगो को क़द करक न ि ल पहाच दन क

      ततलए खडी थी लतकन लोगो न कछ जजद पकड ली व बोल ldquoग ाधी को बल इय व कहग िो

      हम तगरफि र हो ज एाग और रन म बठ ज एागrdquo शरी पोल क और क छततलय सठ की मदद ली

      दोनो बडी कदठन ई स क तरल को समझ सक अाि म सब लोग समझ गय और श ाति स रन म

      बठ गय

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ५९ सतयागरह की नवजय

      दसरी ओर मझ तफर कोटय म मजजसरट क स मन खड तकय गय इस ब र डाडी स तगरफि री

      क वोराट तनकल थ तगरममदटय ओ को न ि ल छोडन क ततलए ल लच दन क आरोप मझ पर

      रख गय

      उसी ददन मझ रन स डाडी ल ज य गय

      इधर शरी पोल क को हडलबगय म तगरफि र नही तकय गय बचलक अमधक ररयो न उनकी

      मदद क ततलए उनक आभ र भी म न लतकन जब व च लसयट उन म रन क इनदिज र म खड थ

      िब पकड ततलए गय शरी कलनबक भी तगरफि र कर ततलए गय दोनो को वोकसरसट की जल म

      रख गय

      मझ पर ११ नवमबर १९१३ को डाडी म मक़ददम चल और ९ महीन सखि क़द की सज

      ममली अभी तनतषदध लोगो को र नदसव ल क भीिर परवश करन म मदद दन क अकषभयोग म मझ

      पर वोकसरसट म मक़ददम चलन ब की थ इसततलए डाडी स मझ १३ नवमबर को वोकसरसट ल

      ज य गय वह ा मन शरी कलनबक और शरी पोल क को दख इसस हम अप र आनाद हआ हम

      लोग कछक ददन सखपवयक वोकसरसट की जल म रह पराि सरक र न हम िीनो को अलग-अलग

      जलो म भज ददय

      क तरल क य तियो को सरक र तवशष रनो म बठ कर न ि ल ल गय सरक र न कोयल

      की खद नो क च रो िरफ ि र की ज ली ब ाध दी और डाडी िथ नदय कसल की सीम म ब हरी

      जल बन ली और खद नो क यरोतपयन नौकरो को उन जलो क व डयर तनयि कर ददय ऐस

      करक मजदरो न जजस क म को सवछछ स छोड थ वह क म सरक र न उनस जबरदसिी करव य

      अि अब मजदर सापणय रप म गल म बनकर रह गय

      उनदहोन खद नो म क म करन स स र इनक र कर ददय इसक फलसवरप उनदह कोडो

      की म र सहनी पडी उनदहोन इन मजदरो को ल ि म री ग ततलय ा दी और दसर भी अनक अतय च र

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      सहन तकय ऐस अतय च र क ि र तहनदसि न आय उसक पररण म यह हआ तक समच

      तहनदसि न भडक उठ और दकषकषण अफ़रीक क परशन तहनदसि न क परमख परशन बन गय

      यही वह अवसर थ जब (ददसाबर १९१३) व इसरोय लोडय ह रडिग न अपन मर स क

      परततसदध भ षण तकय थ जजसन दकषकषण अफ़रीक म और इागलणड म खलबली मच दी थी

      व इसरोय दसर उपतनवशो की अथव तबरदटश स मर जय क अागभि दशो की स वयजतनक रप म

      टीक नही कर सकि थ परनदि लोडय ह रडिग न न कवल यतनयन सरक र की कडी टीक की

      बचलक दकषकषण अफ़रीक क सतय गरतहयो क पर बच व भी तकय और उनक दव र तकय ज न व ल

      सतवनय क़ नन भाग क समथयन तकय लोडय ह रडिग की इस दढि क बड अछछ असर हआ

      हज रो तनदोष मनषयो की जल म बाद रखन की शतति दकषकषण अफ़रीक की सरक र म नही

      थी भ रि क व इसरोय भी इस ब ि को सहन करन व ल नही थ स री तनय दख रही थी तक

      जनरल समटस अब कय करि ह दकषकषण अफ़रीक की सरक र न वही तकय जो ऐस समय

      स म नदयिः दसरी सरक र करिी ह

      परज मि स डर कर चलन व ल र जय एक कमीशन तनयि करक ऐसी तवषम चसथति स

      ब हर तनकल ज ि ह यह कमीशन न म की ज ाच करि ह कयोतक ऐस कमीशन की ज ाच क

      पररण म पहल स ही ज न हआ रहि ह और कमीशन जो ततसफ ररश करि ह उन पर अतनव यय

      रप म अमल करन की स म नदय परथ होिी ह इसततलए ऐस ततसर ररशो क आशरय लकर र जय

      वही नदय य करि ह जजनक ततलए व पहल इनक र कर चक होि ह जनरल समटस क इस कमीशन

      म िीन सदसय तनयि तकय गय थ सवया कमीशन न सरक र स ततसर ररश की थी तक उसक क म

      सरल बन न क ततलए शरी कलनबक को शरी पोल क को और मझ तबन शिय क छोड ददय ज य

      सरक र न उसकी यह सल ह म न ली और हम िीनो को एकस थ (१८ ददसाबर १९९३) छोड

      ददय हमन मतककल स दो म स की क़द भोगी होगी

      कमीशन म तहनददीओ की ओर स कोई भी एक परतितनमधरप आदमी हो यह जररी म लम

      पड मन जनरल समटस क पि इस साबाध म ततलख

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      जनरल समटस न कमीशन क सदसय बढ न स इनक र कर ददय हमन जल ज न की

      िय री करक यह घोषण कर दी तक १ जनवरी १९१४ क ददन डरबन स जल ज न व ल

      तहनदसि तनयो क एक कच आराभ होग

      इसी समय यतनयन रलव म गोर कमयच ररयो की बहि बडी हडि ल हई उस हडि ल

      यतनयन सरक र की चसथति न जक हो गई मझस कह गय तक ऐस समय म तहनदसि तनयो क

      कच आराभ कर दा पर मन घोतषि तकय तक म हडि ली गोरो की इस िरह मदद नही कर सकि

      हम र उददकय सरक र को परश न करन नही ह हम री लड ई गोरो की लड ई स अलग ह और

      कषभनद न परक र की ह हम कच करन भी होग िो हम दसर समय करग जब रलव क उपरव श ाि

      हो ज एग हम र इस तनिय क गहर परभ व हआ इसकी सचन र यटर न ि र स इागलणड

      भजी लोडय एमपटतहल न हम इागलणड स धनदयव द क ि र भज दकषकषण अफ़रीक क अागरज ममिो

      न भी हम धनदयव द ददय जनरल समटस क एक समचव न मझस तवनोद म कह ldquoमझ आपक

      लोग तबलकल अछछ नही लगि म उनकी जर भी मदद नही करन च हि लतकन हम उनक

      कय कर आप लोग साकट की चसथति म हम री सह यि करि ह आपको कस म र ज ए म

      िो बहि ब र च हि हा तक आप भी इन अागरज हडि ततलयो की िरह हललड कर वसी चसथति म

      िो हम िरनदि आप लोगो को सीध कर सकि ह लतकन आप िो कमनो को भी ःखी नही करन

      च हि आप सवया ही ःख सहन करक जीिन च हि ह आप ततशषटि की मय यद कभी छोडि

      नही इसस हम आपक स मन ल च र हो ज ि ह rdquo

      इसी परक र क उदग र जनरल समटस न भी परकट तकय थ

      तहनदसि तनयो क सौजनदय क ऐस अनक उद हरणो क जो अदकय परभ व च रो ओर पडि

      ही रहि थ उस म दख सकि थ इस परभ व क फलसवरप तहनदसि तनयो की परतिषठ म वजदध

      होिी रहिी थी और समझौि क ततलए अनकल हव बनिी रहिी थी

      कमीशन क क म क साबाध म जनरल समटस क स थ मन पिवयवह र तकय पर थममक

      समझौि हआ कमीशन न ररपोटय म कौम की जो-जो म ाग थी उन सबको पर करन की

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ततसर ररश की िथ िराि ब द सरक र न यतनयन गजट म तहनददी को र हि दन व ल क़ नन घोतषि

      कर ददय जजसक अािगयि िीन पौड क कर अवकय ही रद कर ददय ज न जो तवव ह तहनदसि न

      म क़ नन म न ज ि य स र तवव ह दकषकषण अफ़रीक म भी क़ ननन समझ गय जजन लोगो को

      दकषकषण अफ़रीक म रहन क ततलए परम णपि ममलि थ उन परम णपिो स दकषकषण अफ़रीक म तनव स

      क अमधक र पर पि हो गय

      इस परक र आठ वषय क अाि म सतय गरह की यह मह न लड ई परी हई और यह म न गय

      तक सापणय दकषकषण अफ़रीक म बस हए तहनदसि तनयो को श ननदि ममली १८ जल ई १९१४ को

      ःख और हषय क स थ म इगलणड म गोखल स ममलकर वह ा स तहनदसि न ज न क ततलए दकषकषण

      अफ़रीक स रव न हो गय जजस दकषकषण अफ़रीक म मन २१ वषय तनव स तकय और असाखय

      कडव और मीठ अनभव पर पि तकय िथ जह ा म अपन जीवन क लकषय को समझ सक उस दश

      को छोडन मझ बहि कदठन म लम हआ

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      भाग-९ नवलायत तथा लडाई

      ६० लडाई म नहससा

      १९१४ की ४ अगसि को यदध घोतषि तकय गय ६ अगसि को हम तवल यि पहाच

      मझ लग तक तवल यि म रहन व ल तहनदसि तनयो को लड ई म अपन तहसस अद करन

      च तहए अागरज तवदय रथियो न लड ई म सव करन क अपन तनिय घोतषि तकय थ तहनदसि नी

      इसस कम नही कर सकि थ इन दलीलो क तवरोध म इस सभ म बहि दलील दी गयी

      जब जनि की म ाग को दढि -पवयक परकट करन च तहए और श सन-पदधति म सध र

      कर लन क आगरह रखन च तहए मन अागरजो की इस आपतति क समय अपनी म ाग पश करन

      ठीक न समझ और लड ई क समय अमधक रो की म ाग को मलिवी रखन क सायम म सभयि

      और दरदतषट क दशयन तकय इसततलए म अपनी सल ह पर दढ रह और मन लोगो स कह तक

      जजनदह सवयासवको की भरिी म न म ततलख न हो व ततलख व क री साखय म न म ततलख य गय

      उनम लगभग सभी पर नदिो और सभी धमो क लोगो क न म थ

      मन इस तवषय म ल डय कर को पि ततलख और तहनदसि तनयो की म ाग को सवीक र करन क

      ततलए घ यल सतनको की सव की ि लीम लन आवकयक म न ज य िो वसी ि लीम लन की

      इछछ और िय री परकट की थोड तवच र-तवमशय क ब द ल डय कर न तहनदसि तनयो की म ाग सवीक र

      कर ली और साकट क समय म स मर जय की सह यि करन की िय री ददख न क ततलए आभ र

      परदरशिि तकय

      यदध म ससतममततलि होन क अहहिस क स थ कोई मल नही बठ सकि तकनदि कियवय क

      बोध हम दीपक की भ ाति सपषट नही होि

      मझ अागरजी र जय क दव र अपनी अथ यि अपन र षटर की चसथति सध रनी थी म तवल यि

      म बठ हआ अागरजो क जागी बड स सरकषकषि थ उस बल क इस परक र उपयोग करक म उसम

      तवदयम न हहिस म सीधी िरह स झद र बनि थ अिएव यदद आखखरक र मझ उस र जय क

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      स थ वयवह र बन य रखन हो उस र जय क झाड क नीच रहन हो िो य िो मझ परकट रप स

      यदध क तवरोध करक उसक सतय गरह क श सि क अनस र उस समय िक बतहषक र करन

      च तहए जब िक उस र जय की यदधनीति म पररवियन न हो अथव उसक जो क़ नन भाग करन

      योगय हो उनक सतवनय भाग करक जल की र ह पकडनी च तहए अथव उसक यदधक यय म

      ससतममततलि होकर उसक मक बल करन की शतति और अमधक र पर पि करन च तहए मझम ऐसी

      शतति नही थी इसततलए मन म न तक मर प स यदध म ससतममततलि होन क ही म गय बच थ

      मन बनददकध री म और उसकी मदद करन व ल म अहहिस की दतषट स कोई भद नही म न

      जो मनषय लटरो की टोली म उनकी आवकयक सव करन उनक बोझ ढोन लट क समय पहर

      दन िथ घ यल होन पर उनकी सव करन म ससतममततलि होि ह वह लट क साबाध म लटरो जजिन

      ही जजममद र ह इस िरह सोचन पर रौज म कवल घ यलो की ही स र-साभ ल करन क क म म

      लग हआ वयतति भी यदध क दोषो स मि नही हो सकि

      पोल क क ि र ममलन स पहल ही मन यह सब सोच ततलय थ उनक ि र ममलन पर

      मन कछ ममिो स उसकी चच य की यदध म ससतममततलि होन म मन धमय म न और आज भी इस

      परशन पर सोचि हा िो मझ उपययि तवच रध र म कोई दोष नजर नही आि तबरदटश स मर जय

      क तवषय म उस समय मर जो तवच र थ उनक अनस र मन यदध-क यय म तहसस ततलय थ अिएव

      मझ उसक पि ि प भी नही ह

      तवल यि म इस दरममय न मझ पसली की वरम की ततशक यि हई मझ सल ह ममली तक

      म झ ड क ददनो स पहल ही दश म पहाच ज ऊा मन इस सल ह क सवीक र तकय अनक वषो

      क तनव स क उपर नदि सवदश गमन स मझ अतयाि खशी हई

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना

      ६१ पि म

      म बमबई क बनददरग ह पर उिर िभी मझ पि चल तक उस समय यह पररव र श ननदितनकिन म

      थ इसततलए गोखल स ममलन क ब द म वह ा ज न को अधीर हो गय

      गोखल न और सोस यटी (भ रि-सवक-सम ज) क सदसयो न मझ अपन परम स नहल

      ददय जह ा िक मझ य द ह उनदहोन सब सदसयो को पन बल य थ सबक स थ कई तवषयो पर

      मन ददल खोलकर ब िचीि की गोखल की िीवर इछछ थी तक म भी सोस यटी म ससतममततलि हो

      ज ऊा मरी इछछ िो थी ही तकनदि सोस यटी क सदसयो को ऐस लग तक सोस यटी क आदशय

      और क म करन की रीति मझस कषभनद न ह इसततलए मझ सदसय बनन च तहए य नही इस ब र म

      उनक मन म शाक थी

      मन अपन तवच र गोखल को बि ददय थ ldquoम सोस यटी क सदसय बना च ह न बना िो

      भी मझ एक आशरम खोलकर उसम रीतनकस क स ततथयो को रखन और खद वह ा बठ ज न ह

      इस तवशव स क क रण तक गजर िी होन स मर प स गजर ि की सव क जररय दश की सव करन

      की पाजी अमधक होनी च तहए म गजर ि म ही कही चसथर होन च हि हाrdquo गोखल को य तवच र

      पसनदद पड थ इसततलए उनदहोन कह ldquoआप अवकय ऐस कर सदसयो क स थ की ब िचीि क

      जो भी पररण म आय पर यह तनकषिि ह तक आपको आशरम क ततलए पस मझीस लन ह उस म

      अपन ही आशरम समझाग rdquo

      मर हदय फल उठ म यह सोचकर बहि खश हआ तक मझ पस उग हन क धनदध स

      मतति ममल गयी और यह तक अब मझ अपनी जव बद री पर नही चलन पडग बचलक हर परश नी

      क समय मझ र सि ददख न व ल कोई होग इस तवशव स क क रण मझ ऐस लग म नो मर

      ततसर क बड बोझ उिर गय हो

      गोखल न मझस परतिजञ करव यी ह तक मझ एक वषय िक दश म भरमण करन ह तकसी

      स वयजतनक परशन पर अपन तवच र न िो बन न ह न परकट करन ह

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      ६२ तीसर दज की नवडमबना

      दकषिि अफ़रीक म सतय गरह की लड ई क ततसलततसल म मन अपनी पोश क जजस हद िक

      तगरममदटय मजदरो स ममलिी-जलिी की ज सकिी थी कर ली थी तवल यि म भी घर म म

      यही पोश क पहनि थ तहनदसि न आकर मझ क दठय व डी पोश क पहननी थी दकषकषण

      अफ़रीक म मन उस अपन स थ रख थ अिएव बमबई म म उसी पोश क म उिर सक थ इस

      पोश क म कि य अागरख धोिी और सफद स फ क सम वश होि थ य सब दशी ममल क ही

      कपड क बन हए थ बमबई स क दटय व ड मझ िीसर दज म ही ज न थ उसम स फ और

      अागरख मझ झाझट म लम हए अिएव मन कवल कि य धोििी और आठ-दस आन की

      क कमीरी टोपी क उपयोग तकय ऐसी पोश क पहनन व ल की तगनिी ग़रीब आदमी म होिी

      थी

      श ातितनकिन स व पस लौटि समय हम िीसर दज क दटकट लन थ उस लन म

      परश नी हई जव ब ममल ldquoिीसर दज क य िी को दटकट पहल स नही ददय ज ि rdquo म सटशन-

      म सटर स ममलन गय उनक प स मझ कौन ज न दि तकसीन दय करक सटशन-म सटर को

      ददख ददय म वह ा पहाच उनस भी उपययि उिर ही ममल खखडकी खलन पर दटकट लन

      गय पर दटकट आस नी स ममलन व ल न थ बलव न य िी एक क ब द एक घसि ज ि और

      मझ-जसो को पीछ हट ि ज ि आखखर दटकट ममल

      ग डी आयी उसम भी जो बलव न थ व घस गय बठ हओ और चढन व लो की बीच

      ग ली-गलौज और धकक -मककी शर हई इसम तहसस लन मर ततलए साभव न थ हम िीनो

      इधर स उधर चककर क टि रह सब ओर स एक ही जव ब ममलि थ ldquoयह ा जगह नही हrdquo

      म ग डय क प स गय उसन कह ldquoजगह ममल िो बठो नही िो दसरी रन म ज न rdquo

      मन नमरि -पवयक कह ldquoलतकन मझ जररी क म ह rdquo यह सनन क ततलए ग डय क प स

      समय नही थ म ह र मगनल ल स कह ldquoजह ा जगह ममल बठ ज ओrdquo पतनी को लकर म

      िीसर दज क दटकट स डयोढ दज म घस ग डय न मझ उसम ज ि दख ततलय थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      आसनसोल सटशन पर ग डय जय द तकर य क पस लन आय मन कह ldquoमझ जगह

      बि न आपक धमय थ जगह न ममलन क क रण म इसम बठ हा आप मझ िीसर दज म जगह

      ददल इय म उसम ज न को िय र हाrdquo

      ग डय स हब बोल ldquoमझस बहस मि कीजजए मर प स जगह नही ह पस न दन हो िो

      ग डी स उिरन पडग rdquo

      मझ िो तकसी भी िरह पन पहाचन थ ग डय स लडन की मरी तहममि नही थी मन पस

      चक ददय उसन ठठ पन िक क डयोढ भ ड ततलय यह अनदय य मझ अखर गय

      सबर मगलसर य सटशन आय मगनल ल न िीसर दज म जगह कर ली थी मगलसर य

      म म िीसर दज म गय दटकट कलकटर को मन वसिचसथति की ज नक री दी और उसस इस ब ि

      क परम ण-पि म ाग तक म िीसर दज म चल आय हा उसन दन स इनक र तकय मन अमधक

      तकर य व पस पर पि करन क ततलए रलव क उछच अमधक री को पि ततलख

      उनकी ओर स इस आशय क उिर ममल ldquoपरम ण-पि क तबन अति तकर य लौट न

      क हम र यह ा ररव ज नही ह पर आपक म मल म हम लौट य द रह ह बदयव न स मगलसर य

      िक क डयोढ तकर य व पस नही तकय ज सकि rdquo

      िीसर दज की य ि म अमधक ररयो की मनम नी स उतपनदन होन व ली तवडमबन िो रहिी

      ही ह पर िीसर दज म बठन व ल कई य तियो क उजिपन उनकी गादगी उनकी सव थयबजदध

      और उनक अजञ न भी कछ कम नही होि ःख िो यह ह तक अकसर य िी यह ज नि ही नही

      ह तक व अततशषटि कर रह ह व जो करि ह वह उनदह सव भ तवक म लम होि ह हम सभय और

      पढ-ततलख लोगो न उनकी कभी मचनदि ही नही की

      पर रल की भीड की िक़लीफ क मझ ल हौर स ददलली क बीच कडव स कडव अनभव

      हआ कर ची स कलकि मझ ल हौर क र सि ज न थ ल हौर म रन बदलनी थी वह ा की रन

      म मरी कही द ल ग़लिी नही थी य िी जबरदसिी अपन र सि बन लि थ दरव ज बनदद होि

      िो खखडकी म स अादर घस ज ि थ मझ कलकि तनकषिि ि रीख पर पहाचन थ यह रन खो

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      दि िो म कलकि पहाच न प ि म जगह ममलन की आश छोड बठ थ कोई मझ अपन मडब

      म आन न दि थ आखखर एक मजदर न मझ जगह ढाढि दखकर कह ldquoमझ ब रह आन दो

      िो जगह ददल दाrdquo मन कह मझ जगह ददल दो िो जरर ब रह आन दाग rdquo बच र मजदर

      य तियो स तगडतगड कर कह रह थ पर कोई मझ लन को िय र न होि थ रन छटन ही व ली

      थी तक एक मडब क कछ य तियो न कह ldquoयह ा जगह नही ह लतकन इसक भीिर घस सकि

      हो िो घस दो खड रहन होग rdquo मजदर मरी ओर दखकर बोल ldquoकयो जीrdquo मन ह ा कह

      और उसन मझ उठ कर खखडकी म स अनददर ड ल ददय म अनददर घस और उस मजदर न ब रह

      आन कम ततलए

      मरी यह र ि मतककल स बीिी दसर य िी जयो-तयो करक बठ गय म ऊपरव ली बठक

      की जाजीर पकडकर दो घाट खड ही रह इस बीच कछ य िी मझ धमक ि ही रहि थ ldquoअजी

      अब िक कयो नही बठि हो मन बहिर समझ य तक कही जगह नही ह पर उनदह िो मर खड

      रहन भी सहन नही हो रह थ यदयतप व ऊपर की बठको पर आर म स लाब होकर पड थ ब र-

      ब र मझ परश न करि थ व जजिन मझ परश न करि थ उिनी ही श ाति स म उनदह जव ब दि

      थ इसस व कछ श ाि हए मर न म-ध म पछ जब मझ न म बिल न पड िब व शरम य

      मझस म री म ागी और मर ततलए अपनी बगल म जगह कर दी सबर क फल मीठ होि हrsquo

      कह वि मझ य द आयी म बहि थक गय थ मर ततसर घम रह थ बठन क ततलए जगह की

      जब सचमच जररि थी िब ईशवर न ददल दी

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      ६३ आशरम की सथापना

      सन १९१५ क मई महीन की २५ ि रीख क ददन सतय गरह-आशरम की सथ पन हई

      अहमद ब द पर मरी नजर दटकी थी गजर िी होन क क रण म म नि थ तक गजर िी

      भ ष दव र म दश की अमधक-स-अमधक सव कर सका ग यह भी ध रण थी तक चातक

      अहमद ब द पहल ह थ की बन ई क कनदर थ इसततलए चरख क क म यही अमधक अछछी िरह

      हो सकग स थ ही यह आश भी थी तक गजर ि क मखय नगर होन क क रण यह ा क धनी

      लोग धन की अमधक मदद कर सक ग

      मक नो की िल श करि हए कोचरब म शरी जीवणल ल ब ररसटर क मक न तकर य पर

      लन क तनिय हआ शरी जीवणल ल मझ अहमद ब द म बस न व लो म अगरगणय थ

      िरनदि ही परशन उठ तक आशरम क न म क य रख ज य हम िो सतय की पज सतय की

      शोध करनी थी उसी क आगरह रखन थ और दकषकषण अफ़रीक म मन जजस पदधति क उपयोग

      तकय थ उसक पररचय भ रिवषय को कर न थ िथ यह दखन थ तक उसकी शतति कह ा िक

      वय पक हो सकिी ह इसततलए मन और स ततथयो न सतय गरह-आशरम न म पसनदद तकय इस न म

      स सव क और सव की पदधति क भ व सहज ही परकट होि थ

      आशरम चल न क ततलए तनयम वततल की आवकयकि थी अिएव मन तनयम वततल क

      मसतवद िय र करक उस पर ममिो की र य म ागी

      लगभग पचीस सिी-परषो स आशरम क आराभ हआ थ सब एक रसोई म भोजन करि

      थ और इस िरह रहन की कोततशश करि थ म नो एक ही कटमब क हो

      आशरम को क यम हए अभी कछ ही महीन बीि थ तक इिन म जसी कसौटी की मझ

      आश नही थी वसी कसौटी हम री हई भ ई अमिल ल ठक कर क पि ममल ldquoएक ग़रीब और

      पर म कषणक अनदतयज पररव र ह वह आपक आशरम म रहन च हि ह क य उस भरिी करगrdquo

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      उनदहोन उसक सव गि तकय भ ई अमिल ल ठककर को ततलख गय तक यदद वह पररव र

      आशरम क तनयमो क प लन करन को िय र हो िो हम उस भरिी करन क ततलए िय र ह

      दद भ ई उनकी पतनी द नीबहन और दध-पीिी िथ घटनो चलिी बछची लकषमी िीनो

      आय दद भ ई बाबई म ततशकषक क क म करि थ तनयमो क प लन करन को व िय र थ उनदह

      आशरम म रख ततलय

      सह यक ममि-माडल म खलबली मच गयी जजस कएा म बागल क म ततलक क तहसस थ

      उस कएा स प नी भरन म हम अडचन होन लगी चरस व ल पर हम र प नी क छीट पड ज ि

      िो वह भरषट हो ज ि उसन ग ततलय ा दन और दद भ ई को सि न शर तकय मन सबस कह

      ददय तक ग ततलय ा सहि ज ओ और दढि -पवयक प नी भरि रहो हम चपच प ग ततलय ा सनि

      दखकर चरस व ल शरममनदद हआ और उसन ग ततलय ा दन बनदद कर ददय पर पस की मदद बनदद

      हो गयी पस की मदद बनदद होन क स थ बतहषक र की अरव ह मर क नो िक आन लगी मन

      स ततथयो स चच य करक िय कर रख थ ः ldquoयदद हम र बतहषक र तकय ज य और हम कही स

      कोई मदद न ममल िो भी अब हम अहमद ब द नही छोडग अनदतयजो की बसिी म ज कर उनक

      स थ रहग और जो कछ ममलग उसस अथव मजदरी करक अपन तनव यह करग rdquo

      आखखर मगनल ल न मझ नोदटस दी ldquoअगल महीन आशरम क खचय चल न क ततलए हम र

      प स पस नही हrdquo मन धीरज स जव ब ददय ldquoिो हम अनदतयजो की बसिी म रहन ज एागrdquo

      मझ पर ऐस साकट पहली ही ब र नही आय थ हर ब र अातिम घडी म परभ न मदद

      भजी ह

      मगनल ल क नोदटस दन क ब द िरनदि ही एक ददन सबर तकसी लडक न आकर खबर दी

      ldquoब हर मोटर खडी ह और एक सठ आपको बल रह हrdquo म मोटर क प स गय सठ न मझस

      पछ ldquoमरी इछछ आशरम को कछ मदद दन की ह आप लगrdquo

      मन जव ब ददय ldquoअगर आप कछ दग िो म जरर लाग मझ क़बल करन च तहए तक

      इस समय म आरथिक साकट म भी हाrdquo

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      ldquoम कल इसी समय आऊा ग िब आप आशरम म होगrdquo

      मन ह ा कह और सठ चल गय दसर ददन तनयि समय पर मोटर क भोप बोल लडको

      न खबर दी सठ अनददर नही आय म उनस ममलन गय व मर ह थ पर िरह हज र क नोट

      रखकर तबद हो गय

      मन इस मदद की कभी आश नही रखी थी मदद दन की यह रीति भी नई दखी उनदहोन

      आशरम म पहल कभी क़दम नही रख थ मझ य द आि ह तक म उनस एक ही ब र ममल थ

      न आशरम म आन न कछ पछन ब हर ही ब हर पस दकर लौट ज न ऐस यह मर पहल ही

      अनभव थ इस सह यि क क रण अनदतयजो की बसिी म ज न रक गय मझ लगभग एक

      स ल क खचय ममल गय

      पर जजस िरह ब हर खलबली मची उसी िरह आशरम म भी मची यदयतप दकषकषण अफ़रीक

      म मर यह ा अनदतयज आदद आि रहि और भोजन करि थ िथ तप यह नही कह ज सकि तक

      यह ा अनदतयज कटमब क आन मरी पतनी को और आशरम की दसरी सतसिय ा को पसनदद आय

      द नीबहन क परति घण नही िो उनकी उद सीनि ऐसी थी जजस मरी अतयनदि सकषम आाख दख

      लिी थी और िज क न सन लि थ आरथिक सह यि क अभ व क डरन मझ जर भी मचननदिि

      नही तकय थ पर यह आनदिररक कषोभ कदठन ततसदध हआ द नीबहन स ध रण सिी थी दद भ ई

      की ततशकष भी स ध रण थी पर उनकी बजदध अछछी थी उनक धीरज मझ पसनदद आय थ उनदह

      कभी-कभी गसस आि थ पर कल ममल कर उनकी सहन-शतति की मझ पर अछछी छ प पडी

      थी म दद भ ई को समझ ि थ तक व छोट-मोट अपम न पी ततलय कर व समझ ज ि थ और

      द नीबहन स भी सहन करव ि थ

      इस पररव र को आशरम म रखकर आशरम न बहिर प ठ सीख ह और पर राकषभक क ल म

      ही इस ब ि क तबलकल सपषट हो ज न स तक आशरम म असपकयि क ततलए कोई सथ न नही ह

      आशरम की मय यद तनकषिि हो गयी और इस ददश म उसक क म बहि सरल हो गय इसक

      ब वजद आशरम क खचय बर बर बढि रहन पर भी मखयिः कटटर म न ज न व ल तहनदओ की

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      िरफ स ही ममलि रह ह कद मचि यह इस ब ि क सपषट सचक ह तक असपकयि की जड

      अछछी िरह तहल गयी ह इसक दसर परम ण िो अनको ह परनदि जह ा अनदतयज क स थ रोटी

      िक क वयवह र रख ज ि हो वह ा भी अपन को सन िनी म नन व ल तहनदद मदद द यह कोई

      नगणय परम ण नही म न ज एग

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      भाग-११ चपारन

      ६४ नील का दाग़

      चपारन जनक र ज की भमम ह जजस िरह चाप रन म आम क वन ह उसी िरह सन १९१७ म

      वह ा नील क खि थ चाप रन क तकस न अपनी ही जमीन क ३२० भ ग म नील की खिी उसक

      असल म ततलको क ततलए करन को क़ नन स बाध हए थ इस वह ा िीन कदठय कह ज ि थ

      बीस कटठ क वह ा एक एकड थ और उसम स िीन कटठ जमीन म नील बोन की परथ को lsquoिीन

      कदठय कहि थ

      र जकम र शकल न मक चाप रन क एक तकस न थ उन पर ःख पड थ यह ःख उनदह

      अखरि थ लतकन अपन इस ःख क क रण उनम नील क इस द ग़ को सबक ततलए धो ड लन

      की िीवर लगन पद हो गयी थी

      व िो खद मझ चाप रन क तकस नो क ःख बि न च हि थ मन कह ldquoअपन भरमण म

      म चाप रन को भी ससतममततलि कर लाग और एक-दो ददन वह ा ही ठहरा ग rdquo

      उनदहोन कह ldquoएक ददन क री होग नजरो स दखखय िो सहीrdquo

      सन १९१७ क आराभ म कलकि स हम दो वयतति रव न हए दोनो की एकसी जोडी थी

      दोनो तकस न-जस ही लगि थ कौनसी ग डी लनी थी यह भी मझ िो पि नही थ र जकम र

      शकल जजस ग डी म ल गय उस पर हम दोनो सव र हए सबर पटन उिर

      मझ व र जनदरब ब क घर ल गय र जनदरब ब परी अथव और कही गय थ बागल पर

      एक-दो नौकर थ मर स थ ख न की कछ स मगरी थी मझ थोडी खजर की जररि थी बच र

      र जकम र शकल ब ज र स ल आय

      पर तबह र म िो छआछि क बहि कड ररव ज थ मरी ब लटी क प नी क छीट नौकर

      को भरषट करि थ नौकर को कय पि तक म तकस ज ति क हा र जकम र शकल न अनददर क

      प ख न क उपयोग करन को कह नौकर न ब हर क प ख न की ओर इश र तकय मर ततलए

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      इसम परश न य गसस होन क कोई क रण न थ इस परक र क अनभव कर-कर क म बहि

      पकक

      गय थ नौकर िो अपन धमय क प लन कर रह थ और र जनदरब ब क परति अपन कियवय पर

      कर रह थ

      मझ पहली ब र मजटफरपर ज न क िय हआ आच यय कप ल नी व मजटफरपर

      कोततलज म परोफसर थ इस समय परोफसरी छोड चक थ मन उनदह ि र तकय रन आधी र ि को

      मजटफरपर पहाचिी थी व अपन ततशषय-माडल क स थ सटशन पर आय थ

      कप ल नी जी न तबह र की और उसम भी तिरहि तवभ ग की दीन दश की ब ि की और

      मर क म की कदठन ई की कलपन दी कप ल नी जी न तबह र व लो क स थ घतनषठ साबाध जोड

      ततलय थ उनदहोन उन लोगो स मर क म क जजकर कर रख थ सबर वकीलो क -एक छोट -स

      दल मर प स आय

      बरजतकशोरब ब दरभाग स आय रोजनदरब ब परी स आय

      इस मणडल क और मर बीच जीवनभर की ग ाठ बाध गयी

      बरजतकशोरब ब न मझ स री हकीक़िो की ज नक री दी व ग़रीब तकस नो क ततलए मक़ददम

      लडि थ ऐस दो मक़ददम चल रह थ इस िरह क मक़ददमो की परवी करक व थोड वयततिगि

      आशव सन पर पि कर ततलय करि थ

      मन कह ldquoइन मक़ददमो को पढ ज न क ब द मरी र य िो यह बनी ह तक अब हम य

      मक़ददम लडन ही बनदद कर दन च तहए ऐस मक़ददमो स ल भ बहि कम होि ह जह ा रयि

      इिनी कचली गई ह जह ा सब इिन भयभीि रहि ह वह ा कचहररयो की म ररि थोड ही इल ज

      हो सकि ह लोगो क ततलए सछची दव िो उनक डर को भग न ह जब िक यह िीन कदठय

      परथ रद न हो िब िक हम चन स बठ ही नही सकि म िो दो ददन म जजिन दख ज सक

      उिन दखन आय हा लतकन अब दख रह हा तक यह क म िो दो वषय भी ल सकि ह इिन

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      समय भी लग िो म दन को िय र हा मझ यह िो सझ रह ह तक इस क म क ततलए कय करन

      च तहए लतकन इसम आपकी मदद जररी हrdquo

      बरजतकशोरब ब को मन बहि ठा ड ददम ग क प य उनदहोन श ाति स उिर ददय ldquoहमस

      जो मदद बनगी हम दग लतकन हम समझ इय तक आप तकस परक र की मदद च हि हldquo

      इस बीिचीि म हमन स री र ि तबि दी मन कह ldquoमझ आपकी वक लि की शतति क

      कम ही उपयोग होग आपक सम न लोगो स िो म लखक और भ तषय क क म लन च हाग

      म दखि हा तक इसम जल भी ज न पड सकि ह म इस पसनदद करा ग तक आप यह जोखखम

      उठ य पर आप उस उठ न न च ह िो भल न उठ य वक लि छोडकर लखक बनन और अपन

      धाध को अतनकषिि अवमध क ततलए बाद करन की म ाग करक म आप लोगो स कछ कम नही म ाग

      रह हा यह ा की तहनददी बोली समझन म मझ कदठन ई होिी ह क गज-पि सब कथी म य उदय म

      ततलख होि ह जजनदह म पढ नही सकि इनक िरजम की म आप स आश रखि हा यह क म

      पस दकर कर न हम र बस क नही ह यह सब सव भ व स और तबन पस क होन च तहएrdquo

      बरजतकशोरब ब समझ गय तकनदि उनदहोन मझस और अपन स ततथयो स जजरह शर की

      अनदि म उनदहोन अपन यह तनिय परकट तकय ldquoहम इिन लोग आप जो क म हम सौपग

      वह कर दन क ततलए िय र रहग इनम स जजिनो को आप जजस समय च हग उिन आपक प स

      रहग जल ज न की ब ि नई ह उसक ततलए हम शतति-साचय करन की कोततशश करगrdquo

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      ६५ अहहिसा दवी का सािातकार

      मझ िो तकस नो की ह लि की ज ाच करनी थी नील क म ततलको क तवरदध जो ततशक यि थी

      उनम तकिनी सच ई ह यह दखन थ इस क म क ततलए हज रो तकस नो स ममलन की जररि

      थी तकनदि उनक सापकय म आन स पहल मझ यह आवकयक म लम हआ तक म नील क म ततलको

      की ब ि सन ला और कमीशनर स ममल ला मन दोनो को मचटठी ततलखी

      म ततलको क मािी क स थ मरी जो मल क ि हई उसम उसन स र कह ददय तक आपकी

      तगनिी परदशी म होिी ह आपको हम र और तकस नो क बीच दखल नही दन च तहए तफर भी

      अगर आपको कछ कहन हो िो मझ ततलखकर समचि कीजजए मन मािी स नमरि पवयक कह

      तक म अपन को परदशी नही म नि और तकस न च ह िो उनकी चसथति की ज ाच करन क मझ

      पर अमधक र ह म कमीशनर स हब स ममल उनदहोन िो धमक न ही शर कर ददय और मझ

      सल ह दी तक म आग बढ तबन तिरहि छोड दा

      मन स री ब ि स ततथयो को सन कर कह तक साभव ह सरक र मझ ज ाच करन स रोक

      और जल ज न क समय मरी अपकष स भी पहल आ ज एा अगर तगरफि री होनी ही ह िो मझ

      मोिोह री म और साभव हो िो बतिय म तगरफि र होन च तहए और इसक ततलए वह ा जलदी स

      जलदी पहाच ज न च तहए

      चाप रन तिरहि तवभ ग क एक जजल ह और मोिीह री उसक मखय शहर बतिय क

      आसप स र जकम र शकल क घर थ और उसक आसप स की कोदटयो क तकस न जय द -स-

      जय द का ग ल थ र जकम र शकल को उनकी दश ददख न क लोभ थ और मझ अब उस दखन

      की इछछ थी

      अिएव म उसी ददन स ततथयो को लकर मोिीह री क ततलए रव न हो गय मोिीह री म

      गोरखब ब न आशरय ददय और उनक घर धमयश ल बन गय हम सब मतककल स उसम सम

      सकि थ जजस ददन हम पहाच उसी ददन सन तक मोिीह री स कोई प ाच मील दर रहन व ल एक

      तकस न पर अतय च र तकय गय ह मन तनिय तकय तक धरणीधरपरस द वकील को स थ लकर

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      म दसर ददन सवर उस दखन ज ऊा ग सवर ह थी पर सव र होकर हम चल पड चाप रन म ह थी

      क उपयोग लगभग उसी िरह होि ह जजस िरह गजर ि म बलग मडयो क आध र सि पहाच

      होग तक इिन म पततलस सपररणटणडणट क आदमी आ पहाच और मझस बोल ldquoसपररणटणडणट

      स हब न आपको सल म भज हrdquo म समझ गय धरणीधरब ब स मन आग ज न को कह म

      उस ज सस क स थ उसकी भ ड की ग डी म सव र हआ उसन मझ चाप रन छोडकर चल ज न

      की नोदटस दी वह मझ घर ल गय और मरी सही म ागी मन जव ब ददय तक म चाप रन छोडन

      नही च हि मझ िो आग बढन ह और ज ाच करनी ह तनव यसन की आजञ क अन दर करन क

      ततलए मझ दसर ही ददन कोटय म ह जजर रहन क समन ममल

      मन स री र ि ज गकर जो पि मझ ततलखन थ ततलख और बरजतकशोरब ब को सब परक र

      की आवकयक सचन य दी

      समन की ब ि एकदम च रो ओर फल गयी लोग कहि थ तक उस ददन मोिीह री म जस

      दकय दख गय वस पहल कभी न दख गय थ गोरखब ब क घर और दफिर पर लोगो की

      भीड उमड पडी सौभ गय स मन अपन स र क म र ि को तनबट ततलय थ इसततलए म इस

      भीड को साभ ल सक स ततथयो क मलय मझ पर -पर म लम हआ व लोगो को सायि रखन म

      जट गय कचहरी म जह ा ज ि वह ा दल क दल लोग मर पीछ आि कलकटर मजजसरट

      सपररणटणडणट आदद क स थ भी मर एक परक र क साबाध सथ तपि हो गय सरक री नोदटसो

      बगर क खखल र क़ ननी तवरोध करन च हि िो म कर सकि थ इसक बदल मन उनकी

      सब नोदटसो को सवीक र कर ततलय और अमधक ररयो क स थ तनजी वयवह र म ममठ स स क म

      ततलय इसस व समझ गय तक मझ उनक तवरोध नही करन ह बचलक उनकी आजञ क तवनय-

      पवयक तवरोध करन ह इसस उनम एक परक र की तनभयगि आ गयी मझ िाग करन क बदल

      उनदहोन लोगो को क ब म रखन म मरी और मर स ततथयो की सह यि क परसनद नि -पवयक उपयोग

      तकय तकनदि स थ ही व समझ गय तक उनकी सि आज स लपि हई लोग कषणभर को दणड

      क भय छोडकर अपन नय ममि क परम की सि क अधीन हो गय

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      य द रह तक चाप रन म मझ कोई पहच नि न थ तकस न-वगय तबलकल अनपढ थ

      चाप रन गाग क उस प र ठठ तहम लय की िर ई म नप ल क समीपविी परदश ह अथ यि नई

      तनय ह वह ा न कही क ागरस क न म सन यी दि थ न क ागरस क कोई सदसय ददख यी पडि

      थ जजनदहोन न म सन थ व क ागरस क न म लन म अथव उसम ससतममततलि होन म डरि थ

      अिएव क ागरस की ओर स तकनदही गपि य परकट दिो दव र कोई भममक िय र नही कर यी

      गयी थी र जकम र शकल म हज रो लोगो म परवश करन की शतति नही थी उनक बीच तकसीन

      आज िक र जनीति क क म तकय ही नही थ चाप रन क ब हर की तनय को व ज नि नही

      थ तफर भी उनक और मर ममल प पर न ममिो-जस लग अिएव यह कहन म अतिशयोतति

      नही बचलक अकषरशः सतय ह तक इस क रण मन वह ा ईशवर क अहहिस क और सतय क

      स कष तक र तकय जब म इस स कष तक र क अपन अमधक र की ज ाच करि हा िो मझ लोगो क

      परति अपन परम क ततसव और कछ भी नही ममलि इस परम क अथय ह परम अथव अहहिस क

      परति मरी अतवचल शरदध

      चाप रन क यह ददन मर जीवन म कभी न भलन-जस थ मर ततलए और तकस नो क ततलए

      यह एक उतसव क ददन थ सरक री क़ नन क अनस र मझ पर मक़ददम चल य ज न व ल थ

      पर सच पछ ज य िो मक़ददम सरक र क तवरदध थ कमीशनर न मर तवरदध जो ज ल तबछ य

      थ उसम उसन सरक र को ही फा स ददय

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      ६६ मक़ददमा वापस शलया गया

      मक़ददमा चल सरक री वकील मजजसरट आदद घबर य हए थ उनदह सझ नही पड रह थ तक

      तकय क य ज य सरक री वकील सनव ई मलिवी रखन की म ाग कर रह थ म बीच म पड

      और तबनिी की तक सनव ई मलिवी रखन की कोई जररि नही ह कयोतक मझ चाप रन छोडन

      की नोदटस क अन दर करन क अपर ध सवीक र करन ह

      अब मक़ददम की सनव ई को मलिवी रख की जररि न रही थी तकनदि चातक मजजसरट

      और वकील न इस पररण म की आश नही की थी इसततलए सज सन न क ततलए अद लि न कस

      मलिवी रख मन व इसरोय को स री चसथति ि र दव र समचि कर दी थी पटन भी ि र भज

      थ भ रिभषण पामडि म लवीयजी आदद को भी वसिचसथति की ज नक री ि र स भज दी थी

      सज सनन क ततलए कोटय म ज न क समय हआ उसस कछ पहल मर न म मजजसरट क हकम

      आय तक गवनयर स हब की आजञ स मक़ददम व पस ल ततलय गय ह स थ ही कलकटर क पि

      ममल तक मझ जो ज ाच करनी हो म करा और उसम अमधक ररयो की ओर स जो मदद आवकयक

      हो सो म ाग ला ऐस ि तक ततलक और शभ पररण म की आश हम म स तकसीन नही रखी थी

      म कलकटर मम हक ाक स ममल मझ वह सवया भल और नदय य करन म ितपर ज न पड

      उसन कह तक आपको जो क़ गज-पि य कछ और दखन हो सो आप म ाग ल और मझस जब

      भी ममलन च ह ममल ततलय कर

      दसरी ओर स र तहनदसि न को सतय गरह क क़ नन क सतवनय भाग क पहल सथ नीय

      पद थय-प ठ ममल अखब रो म इसकी खब चच य हई और चाप रन को िथ मरी ज ाच को

      अनपकषकषि रीति स परततसजदध ममल गयी

      चसथति ऐसी नही थी तक हम तबलकल तबन पस क अपन क म चल सक आज िक की

      परथ स वयजतनक क म क ततलए जनि स धन पर पि करन की नही थी बरजतकशोरब ब क मणडल

      मखयिः वकीलो क मणडल थ अिएव व जररि पडन पर अपनी जब स खचय कर लि थ और

      कछ ममिो स भी म ाग लि थ उनकी भ वन यह थी तक जो लोग सवया पस-टक स सखी हो व

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      लोगो स रवय की कषभकष कयो म ाग मर यह दढ तनिय थ तक चाप रन की रयि स एक कौडी भी

      न ली ज य यदद ली ज िी िो उसक ग़लि अथय लग य ज ि यह भी तनिय थ तक इस ज ाच क

      ततलए तहनदसि न म स वयजतनक चनदद न तकय ज य वस करन पर यह ज ाच र षटरीय और

      र जनीतिक रप ध रण कर लिी गरीबी-स कम-स-कम खचय करि हए लड ई चल नी थी

      अिएव अमधक रवय की आवकयकि पडन की साभ वन न थी असल म पडी भी नही मर

      खय ल ह तक कल ममल कर दो य िीन हज र स अमधक खचय नही हआ थ जो रवय इकठठ

      तकय गय थ उसम प ाच सौ य एक हज र रपय बच गय थ ऐस मझ य द ह

      तकस नो क दल-क-दल अपनी कह नी ततलख न क ततलए आन लग थ कह नी ततलख न

      व लो क स थ सन भी िो रहिी ही थी इसस मक न क अह ि और बगीच सहज ही भर ज ि

      कह नी ततलखन व लो को कछ तनयमो क प लन करन पडि थ जस हरएक तकस न

      स जजरह की ज य जजरह म जो उखड ज य उसक बय न न ततलय ज य जजसकी ब ि मल म

      ही बबतनय द म लम हो उसक बय न न ततलख ज एा इस िरह तनयमो क प लन स यदयतप थोड

      अमधक समय खचय होि थ तफर भी बय न बहि सछच और स तबि हो सकन व ल ममलि थ

      इन बय नो क लि समय खतरय पततलस क कोई-न-कोई अमधक री ह जजर रहि ही थ

      इन अमधक ररयो को आन स रोक ज सकि थ पर हमन शर स ही तनिय कर ततलय थ

      तक उनदह ततसरय हम आन स नही रोक ग बचलक उनक परति तवनय क बरि व करग और द सकन

      योगय खबर भी उनदह दि रहग

      म तनलहो को खखझ न नही च हि थ बचलक मझ िो उनदह तवनय दव र जीिन क परयतन

      करन थ इसततलए जजसक तवरदध तवशष ततशक यि आिी उस म पि ततलखि और उसस ममलन

      क परयतन भी करि थ तनलहो क मणडल स भी म ममल थ और रयि की ततशक यि उनक

      स मन रखकर मन उनकी ब ि भी सन ली थी उनम स कछ मर तिरसक र करि थ कछ उद सीन

      रहि थ और कोई कोई मर स थ सभयि ओर नमरि क वयवह र करि थ

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      ६७ गरामपरवश

      जस-जस मझ अनभव पर पि होि गय वस-वस दख तक चाप रन म ठीक स क म करन हो िो

      ग ावो म ततशकष क परवश होन च तहए लोगो क अजञ न दयनीय थ ग ावो क बछच म र-म र तफरि

      थ अथव म ि -तपि दो य िीन पस की आमदनी क ततलए उनस स र ददन नील क खिो म मजदरी

      करव ि थ उन ददनो वह ा परषो की मजदरी दस पस स अमधक नही थी सतसिय ा की छह पस

      और ब लको की िीन पस थी च र आन की मजदरी प न व ल तकस न भ गयश ली समझ ज ि

      स ततथयो स सल ह करक पहल िो छह ग ावो म ब लको क ततलए प ठश ल एा खोलन क

      तनिय तकय शिय यह थी तक उन ग ावो क मखखय मक न और ततशकषक क भोजन वयय द उसक

      दसर खचय की वयवसथ हम कर यह ा क ग ावो म पस की तवपलि नही थी यह अन ज बगर दन

      की शतति लोगो म थी उसततलए लोग कछच अन ज दन को िय र हो गय थ

      पर यः परतयक प ठश ल म एक परष और एक सिी की वयवसथ की गयी थी उनदही क

      दव र दव और सर ई क क म करन थ सतसिय ा की म ररि सिी- सम ज म परवश करन थ दव

      क क म बहि सरल बन ततलय थ अाडी क िल कनन और एक मरहम mdash इिनी ही चीज

      परतयक प ठश ल म रखी ज िी थी ज ाचन पर चीज मली ददख ई द और कबज की ततशक यि हो

      िो अाडी क िल तपल दन बख र की ततशक यि हो िो अाडी क िल दन क ब द आन व ल को

      कनन तपल दन और अगर फोड हो िो उनदह धौकर उन पर मरहम लग दन ख न की दव

      अथव मरहम स थ ल ज न क ततलए श यद ही ददय ज ि थ कही कोई खिरन क य समझ म

      न आन व ली बीम री होिी िो वह डो दव को ददख न क ततलए छोड दी ज िी डो दव अलग-

      अलग जगहो म तनयि समय पर हो आि थ ऐसी स दी सतवध क ल भ लोग ठीक म ि म

      उठ न लग थ आम िौर स होन व ली बीम ररय ा थोडी ही ह और उनक ततलए बड-बड तवश रदो

      की आवकयकि नही होिी इस धय न म रख ज य िो उपययि रीति स की गयी वयवसथ तकसीको

      ह सयजनक परिीि नही होगी लोगो को िो नही ही हई

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      सर ई क क म कदठन थ लोग गादगी दर करन को िय र नही थ जो लोग रोज खिो

      की मजदरी करि थ व भी अपन ह थ स मल स र करन क ततलए िय र न थ डो दव झट ह र

      म न लन व ल आदमी न थ उनदहोन और सवयासवको न अपन ह थ स एक ग ाव क र सिो की

      सर ई की लोगो क आागनो स कचर स र तकय कओ क आसप स क गडढ भर कीचड

      तनक ल और ग ाव व लो को सवयासवक दन की ब ि परमपवयक समझ ि रह कछ सथ नो म लोगो

      न शरम म पडकर क म करन शर तकय और कही-कही िो लोगो न मरी मोटर क आन-ज न

      क ततलए अपनी महनि स सडक भी िय र कर दी ऐस मीठ अनभवो क स थ ही लोगो की

      ल परव ही क कडव अनभव भी होि रहि थ मझ य द ह तक सर ई की ब ि सनकर कछ जगहो

      म लोगो न अपनी न र जी भी परकट की थी

      इन अनभवो म स एक जजसक वणयन मन सतसिय ा की कई सभ ओ म तकय ह यह ा दन

      अनमचि न होग भीतिहरव एक छोट -स ग ाव थ उसक प स उसस भी छोट एक ग ाव थ

      वह ा कछ बहनो क कपड बहि मल ददख यी ददय इन बहनो को कपड धोन बदलन क ब र म

      समझ न क ततलए मन कसिरब ई स कह उसन उन बहनो स ब ि की उनम स एक बहन

      कसिरब ई को अपनी झोपडी म ल गयी और बोली ldquoआप दखखय यह ा कोई पटी य अलम री

      नही ह तक जजसम कपड बनदद हो मर प स यही एक स डी ह जो मन पहन रखी ह इस म कस

      धो सकिी हा मह तम जी स कतहय तक व कपड ददलव य उस दश म म रोज नह न और कपड

      बदलन को िय र रहागीrdquo तहनदसि न म ऐस झोपड अपव दरप नही ह असाखय झोपडो म स ज-

      स म न सादक-पटी कपड-लि कछ नही होि और असाखय लोग कवल पहन हए कपडो पर ही

      अपन तनव यह करि ह

      एक दसर अनभव भी बि न-जस ह चाप रन म ब ास य घ स की कमी नही रहिी लोगो

      न भीतिहरव म प ठश ल क जो छपपर बन य थ वह ब ास और घ स क थ तकसीन उस

      र ि को जल ददय सनददह िो आसप स क तनलहो क आदममयो पर हआ थ तफर स ब ास और

      घ स क मक न बन न मन ततसब म लम नही हआ यह प ठश ल शरी सोमण और कसिरब ई क

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      जजमम थी शरी सोमण न ईटो क पकक मक न बन न क तनिय तकय और उनक सवपररशरम की

      छि दसरो को लगी जजसस दखि-दखि ईटो क मक न बन कर िय र हो गय और तफर स

      मक न क जल ज न क डर न रह

      इस परक र प ठश ल सर ई और औषधोपच र क क मो स लोगो म सवयासवको क परति

      तवशव स और आदर की वजदध हई और उन पर अछछ परभ व पड

      पर मझ खद क स थ कहन पडि ह तक इस क म को सथ यी रप दन क मर मनोरथ

      सरल न हो सक जो सवयासवक ममल थ व एक तनकषिि अवमध क ततलए ही ममल थ दसर नय

      सवयासवको क ममलन म कदठन ई हई और तबह र स इस क म क ततलए योगय सथ यी सवक न ममल

      सक मझ भी चाप रन क क म पर होि-होि एक दसर क म जो िय र हो रह थ घसीट ल

      गय इिन पर भी छह महीनो िक हए इस क मन इिनी जड पकड ली तक एक नही िो दसर

      सवरप म उसक परभ व आज िक बन हआ ह

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      ६८ नील का दाग़ धल गया

      जस जस मर पड व पर लोगो की आमद-रफि बढिी गयी वस-वस तनलहो क करोध बढि गय

      उनकी ओर स मरी ज ाच को बनदद कर न क परयतन बढि गय

      एक ददन मझ तबह र-सरक र क पि ममल उसक आशय इस परक र थ ldquoआपकी

      ज ाच क री लाब समय िक चल चकी ह और अब आपको उस बनदद करक तबह र छोड दन

      च तहएrdquo पि तवनय-पवयक ततलख गय थ पर उसक अथय सपषट थ मन ततलख तक ज ाच क

      क म िो अभी दर िक चलग और सम पि होन पर भी जब िक लोगो क ःख दर न होग मर

      इर द तबह र छोडकर ज न क नही ह

      मरी ज ाच बनदद कर न क ततलए सरक र क प स एक सममचि उप य यही थ तक वह लोगो

      की ततशक यि को सच म नकर उनदह दर कर अथव ततशक यिो को धय न म लकर अपनी ज ाच-

      सममति तनयि कर गवनयर सर एडवडय गट न मझ बल य और कह तक व सवया एक ज ाच-सममति

      तनयि करन च हि ह उनदहोन मझ उसक सदसय बनन क ततलए आमातिि तकय सममति क

      दसर न म दखन क ब द मन स ततथयो स सल ह की और इस शिय क स थ सदसय बनन क़बल

      तकय तक मझ अपन स ततथयो स सल ह-मशतवर करन की सविािि रहनी च तहए और सरक र

      को यह समझ लन च तहए तक सदसय बन ज न स म तकस नो की तहम यि करन छोड न दाग

      िथ ज ाच परी-परी हो ज न पर यदद मझ सािोष न हआ िो तकस नो क म गयदशयन करन की

      अपनी सविािि को म ह थ स ज न न दाग

      सर एडवडय गट न इन शिो को उमचि म नकर उनदह माजर तकय सव सर फर क स ल ई

      सममति क अधयकष तनयि तकय गय थ ज ाच-सममति न तकस नो की स री ततशक यिो को सही

      ठहर य और तनलह गोरो न उनस जो रकम अनमचि रीति स वसल की थी उसक कछ अाश

      लौट न और िीन कदठय क क़ नन को रद करन की ततसर ररश की

      इस ररपोटय क स ागोप ाग िय र होन और अनदि म क़ नन क प स होन म सर एडवडय गट

      क बहि बड ह थ थ यदद व दढ न रह होि अथव उनदहोन अपनी कशलि क पर उपयोग न

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      तकय होि िो जो सवयसममि ररपोटय िय र हो सकी वह न हो प िी और आखखर म जो क़ नन

      प स हआ वह भी न हो प ि तनलहो की सि बहि परबल थी ररपोटय क पश हो ज न पर भी

      उनम स कछन तबल क कड तवरोध तकय थ पर सर एडवडय गट अनदि िक दढ रह और उनदहोन

      सममति की ततसर ररशो पर पर -पर अमल तकय

      इस परक र सौ स ल स चल आन व ल िीन कदठय क क़ नन क रद होि ही तनलह गोरो

      क र जय क असि हआ जनि क जो समद य बर बर दब ही रहि थ उस अपनी शतति क

      कछ भ न हआ और लोगो क यह वहम दर हआ तक नील क द ग़ धोय धल ही नही सकि

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      भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर

      ६९ मज़दरो क समपकम म

      दसरी ओर स शरी अनसय ब ई क पि उनक मजदर-साघ क ब र म आय थ मजदरो की

      िनखव ह कम थी िनखव ह बढ न की उनकी म ाग बहि पर नी थी इस म मल म उनकी रहनम ई

      करन क उतस ह मझम थ लतकन मझम यह कषमि न थी तक इस अपकष कि छोट परिीि होन

      व ल क म को भी म दर बठकर कर सका इसततलए मौक ममलि ही म पहल अहमद व द पहाच

      मरी चसथति बहि ही न जक थी मजदरो क म मल मझ मजबि म लम हआ शरी

      अनसय ब ई को अपन सग भ ई क स थ लडन थ मजदरो और म ततलको क बीच क इस द रण

      यदध म शरी अाब ल ल स र भ ई न मखय रप स तहसस ततलय थ ममल-म ततलको क स थ मर

      मीठ साबाध थ उनक तवरदध लडन क क म तवकट थ उनस चच यय करक मन पर थयन की तक

      व मजदरो की म ाग क साबाध म पाच तनयि कर तकनदि म ततलको न अपन और मजदरो क बीच

      पाच क हसिकषप की आवकयकि को सवीक र न तकय

      मन मजदरो को हडि ल करन की सल ह दी यह सल ह दन स पहल म मजदरो क और

      मजदर-नि ओ क समपकय म अछछी िरह आय उनदह हडि ल की शि समझ यी

      १ तकसी भी दश म श ाति भाग न होन दी ज य

      २ जो मजदर क म पर ज न च ह उसक स थ जोर-जबरदसिी न की ज य

      ३ मजदर कषभकष क अनदन न ख य

      ४ हडि ल तकिनी ही लमबी क यो न चल व दढ रह और अपन प स पस न रह िो दसरी

      मजदरी करक ख न योगय कम ल

      मजदर-नि ओ न य शि समझ ली और सवीक र कर ली मजदरो की आम सभ हई और

      उसम उनदहोन तनिय तकय तक जब िक उनकी म ाग माजर न की ज य अथव उसकी योगयि -

      अयोगयि की ज ाच क ततलए पाच की तनयतति न हो िब िक व क म पर नही ज एाग

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      यह हडि ल इककीस ददन िक चली इस बीच समय-समय पर म म ततलको स ब िचीि

      तकय करि थ और उनदह इनदस र करन क ततलए मन ि थ मझ यह जव ब ममलि ldquoहम री

      भी िो टक ह न हम म और हम र मजदरो म ब प-बट क समबनदध ह उसक बीच म कोई दखल

      द िो हम कस सहन कर हम र बीच पाच कसrdquo यह परतयिर मझ ममलि थ

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      ७० उपवास

      मज़दरो न शर क दो हफिो म खब तहममि ददख यी श ाति भी खब रखी परतिददन की सभ ओ

      म व बडी साखय म ह जजर भी रह परतिजञ क समरण म रोज उनदह कर ि ही थ व रोज पक र-

      पक र कर कहि थ ldquoहम मर ममटग पर अपनी टक कभी न छोडगrdquo

      लतकन आखखर व कमजोर पडि ज न पड और जजस परक र कमजोर आदमी हहिसक

      होि ह उसी परक र उनम जो कमजोर पड व ममल म ज न व लो क दवष करन लग और मझ डर

      म लम हआ तक कही व तकसी क स थ जबरदसिी न कर बठ रोज की सभ म लोगो की उपचसथति

      कम पडन लगी आन व लो क चहरो पर उद सीनि छ यी रहिी थी मझ खबर ममली तक मजदर

      डगमग न लग ह म परश न हआ यह सोचन लग तक ऐस समय म मर धमय कय हो सकि ह

      सबर क समय थ म सभ म बठ थ मरी समझ म नही आ रह थ तक मझ कय करन

      च तहए तकनदि सभ म ही मर माह स तनकल गय ldquoयदद मजदर तफर स दढ न बन और रसल

      होन िक हडि ल को चल न सक िो म िब िक क ततलए उपव स करा ग rdquo

      जो मजदर ह जजर थ व सब हकक-बकक रह गय अनसय बहन की आाखो स आास की

      ध र बह चली मजदर बोल उठ ldquoआप नही हम उपव स करग आपको उपव स नही करन

      च तहए हम म र कीजजए हम अपनी परतिजञ क प लन करगrdquo

      मन कह ldquoआपको उपव स करन की जररि नही ह आपक ततलए िो यही बस ह तक

      आप अपनी परतिजञ क प लन कर हम र प स पस नही ह हम मजदरो को भीख क अनदन

      खखल कर हडि ल चल न नही च हि आप कछ मजदरी कीजजए और उसस अपनी रोज की

      रोटी क ल यक पस कम लीजजए ऐस करग िो तफर हडि ल तकिन ही ददन कयो न चल आप

      तनकषिनदि रह सक ग मर उपव स िो अब फसल स पहल न छटग rdquo

      वललभभ ई पटल मजदरो क ततलए मयतनततसपततलटी म क म खोज रह थ पर वह ा कछ क म

      ममलन की साभ वन न थी आशरम की बन ई-श ल म रि क भर व करन की जररि थी

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      मगनल ल ग ाधी न सझ य तक इस क म म बहि स मजदर लग य ज सकि ह मजदर इस करन

      को िय र हो गय अनसय बहन न पहली टोकरी उठ यी और नदी म स रि की टोकररय ा ढोन

      व ल मजदरो की एक कि र खडी हो गयी मजदरो म नय बल आ गय उनदह पस चक न व ल

      चक ि-चक ि थक गय

      इस उपव स म एक दोष थ म ऊपर ततलख चक हा तक म ततलको क स थ मर मीठ

      समबनदध थ इसततलए उन पर उपव स क परभ व पड तबन रह ही नही सकि थ म िो ज नि

      थ तक सतय गरही क न ि म उनक तवरदध उपव स कर ही नही सकि उन पर कोई परभ व पड

      िो वह मजदरो की हडि ल क ही पडन च तहए मर पर यकषिि उनक दोषो क ततलए नही थ

      मजदरो क दोष क तनममि स थ म मजदरो क परतितनमध थ इसततलए उनक दोष स म दोतषि

      होि थ म ततलको स िो म कवल तबनिी ही कर सकि थ उनक तवरदध उपव स करन उन पर

      जय दिी करन क सम न थ तफर भी म ज नि थ तक मर उपव स क परभ व उन पर पड तबन

      रहग ही नही परभ व पड भी तकनदि म अपन उपव स को रोक नही सकि थ मन सपषट दख

      तक ऐस दोषमय उपव स करन मर धमय ह

      मन म ततलको को समझ य ldquoमर उपव स क क रण आपको अपन म गय छोडन की

      ितनक भी जररि नहीrdquo उनदहोन मझ कडव-मीठ ि न भी ददय उनदह वस करन क अमधक र

      सठ अाब ल ल इस हडि ल क तवरदध दढ रहन व लो म अगरगणय थ उनकी दढि

      आिययजनक थी उनकी तनषकपटि भी मझ उिनी ही पसनदद आयी उनस लडन मझ तपरय

      लग उनक जस अगव जजस तवरोधी दल म थ उस पर उपव स क पडन व ल अपरतयकष परभ व

      मझ अखर तफर उनकी धमयपतनी शरीमिी सरल दवी क मर परति सगी बहन जस परम थ मर

      उपव स स उनदह जो घबर हट होिी थी वह मझस दखी नही ज िी थी

      मर पहल उपव स म अनसय बहन दसर कई ममि और मजदर स थी बन उनदह अमधक

      उपव स न करन क ततलए म मतककल स समझ सक इस परक र च रो ओर परममय व ि वरण बन

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      गय म ततलक कवल दय वश होकर समझौि क र सि खोजन लग अनसय बहन क यह ा उनकी

      चच यय चलन लगी शरी आननददशाकर धरव भी बीच म पड आखखर व पाच तनयि हए और हडि ल

      टटी मझ कवल िीन उपव स करन पड म ततलको न मजदरो को ममठ ई ब ाटी इककीसव ददन

      समझौि हआ

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      भाग-१३ खडा सतयागरह

      ७१ खडा म सतयागरह

      मज़दरो की हडि ल सम पि होन क ब द दम लन को भी समय न ममल और मझ खड जजल क

      सतय गरह क क म ह थ म लन पड खड जजल म अक ल की-सी चसथति होन क क रण खड

      क प टीद र लोग लग न म र कर न की कोततशश कर रह थ

      लोगो की म ाग इिनी स र और इिनी स ध रण थी तक उसक ततलए लड ई लडन की

      जररि ही न होनी च तहए थी क़ नन यह थ तक अगर रसल च र ही आन य उसस कम आव

      िो उस स ल क लग न म र तकय ज न च तहए पर सरक री अमधक ररयो क अाद ज च र आन

      स अमधक थ लोगो दव र यह ततसदध तकय ज रह थ तक उपज च र आन स कम किी ज नी

      च तहए पर सरक र कयो म नन लगी लोगो की ओर स पाच बठ न की म ाग की गयी सरक र को

      वह असहय म लम हई जजिन अननय-तवनय हो सकि थ सो सब कर चकन क ब द और

      स ततथयो स पर मशय करन क पि ि मन सतय गरह करन की सल ह दी

      स ततथयो म खड जजल क सवको क अतिररि मखयिः शरी वललभभ ई पटल शरी

      शाकरल ल बकर शरी अनसय बहन शरी इनदल ल कनदहय ल ल य ततजञक शरी मह दव दस ई आदद

      थ शरी वललभभ ई अपनी बडी और बढिी हई वक लि की बततल दकर आय थ ऐस कह ज

      सकि ह तक इसक ब द व तनकषिनदि होकर वक लि कर ही न सक

      हम नमडय द क अन थ शरम म ठहर थ अन थ शरम म ठहरन को कोई तवशषि न समझ

      नमडय द म उसक जस कोई सविाि मक न नही थ जजसम इिन स र लोग सम सक अनदि म

      नीच ततलखी परतिजञ पर हसि कषर ततलए गय

      ldquoहम ज नि ह तक हम र ग ावो की रसल च र आन स कम हई ह इस क रण हमन सरक र

      स पर थयन की तक वह लग न-वसली क क म अगल वषय िक मलिवी रख तफर भी वह मलिवी

      नही तकय गय अिएव हम नीच सही करन व ल लोग यह परतिजञ करि ह तक हम इस स ल क

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      पर य ब की रह सरक री लग न नही दग पर उस वसल करन क ततलए सरक र जो भी क़ ननी

      क रयव ई करन च हगी हम करन दग और उसस होन व ल ःख सहन करग यदद हम री जमीन

      ख लस की गयी िो हम उस ख लस भी होन दग पर अपन ह थो पस जम करक हम झठ नही

      ठहरग और सव कषभम न नही खोएाग अगर सरक र ब की बची हई सब जगहो म दसरी तकसि की

      वसली मलिवी रख िो हम म स जो लोग जम कर सकि ह व पर अथव ब की रह हआ

      लग न जम कर न को िय र ह हम म स जो जम कर सकि ह उनक लग न जम न कर न क

      क रण यह ह तक अगर समथय लोग जम कर द िो असमथय लोग घबर हट म पडकर अपनी कोई

      भी चीज बचकर य कजय करक लग न जम कर दग और ःख उठ एाग हम री यह म नदयि ह

      तक ऐसी चसथति म ग़रीबो की रकष करन समथय लोगो क कियवय हrdquo

      इस लड ई क ततलए म अमधक परकरण नही द सकि अिएव अनक मीठ समरण छोड दन

      पडग जो इस महततवपणय लड ई क गहर अधययन करन च ह उनदह शरी शाकलल ल परीख दव र

      ततलखखि खड की लड ई क तवसिि पर म कषणक इतिह स पढ ज न की म ततसर ररश करि हा

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ७२ पयाज़चोर

      गजरानतयो को इस नई वसि म तवशष रस आन लग थ व पस लट न को जय र थ सतय गरह

      की लड ई पस स नही चल सकिी उस पस की कम-स-कम आवकयकि रहिी ह यह ब ि

      जलदी उनकी समझ म नही आ रही थी मन करन पर भी बमबई क सठो न आवकयकि स

      अमधक पस ददय थ और लड ई क अनदि म उसम स कछ रकम बच गयी थी

      सरक री अमधक री जनि क म ततलक नही बचलक नौकर ह जनि क पस स उनदह

      िनखव ह ममलिी ह ndash यह सब समझ कर उनक भय दर करन क क म मखय थ और तनभयय

      होन पर भी तवनय क प लन क उप य बि न और उस गल उि रन लगभग असाभव-स परिीि

      होि थ अमधक ररयो क डर छोडन क ब द उनक दव र तकय गय अपम नो क बदल चक न

      की इछछ तकस नही होिी तफर भी यदद सतय गरही अतवनयी बनि ह िो वह दध म जहर ममलन

      क सम न ह प टीद र तवनय क प ठ परी िरह पढ नही प य इस म ब द म अमधक समझ सक

      अनभव स म इस पररण म पर पहाच हा तक तवनय सतय गरह क कदठन-स-कदठन अाश ह यह ा

      तवनय क अथय कवल समम न-पवयक वचन कहन ही नही ह तवनय स ि तपयय ह तवरोधी क परति

      भी मन म आदर सरल भ व उसक तहि की इछछ और िदनस र वयवह र

      शर क ददनो म लोगो म खब तहममि ददख यी दिी थी शर शर म सरक री क रयव ई भी

      कछ ढीली ही थी लतकन जस-जस लोगो की दढि बढिी म लम हई वस-वस सरक र को भी

      अमधक उगर क रयव ई करन की इछछ हई ककी करन व लो न लोगो क पश बच ड ल घर म स

      जो च ह सो म ल उठ कर ल गय चौथ ई जम यन की नोदटस तनकली तकसी-तकसी ग ाव की स री

      रसल जबि कर ली गयी लोगो म घबर हट फली कछन लग न जम कर ददय दसर मन-ही-

      मन यह च हन लग तक सरक री अमधक री उनक स म न जबि करक लग न वसल कर ल िो भर

      प य कछ लोग मर-ममटन व ल भी तनकल

      इसी बीच शाकरल ल परीख की जमीन क लग न उनकी जमीन पर रहन व ल आदमी न

      जम कर ददय इसस ह ह क र मच गय शाकरल ल परीख न वह जमीन जनि को दकर अपन

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      आदमी स हई भल क पर यकषिि तकय इसस उनकी परतिषठ की रकष हई और दसरो क ततलए एक

      उद हरण परसिि हो गय

      भयभीि लोगो को परोतस तहि करन क ततलए मोहनल ल पाडय क नितव म मन एक ऐस

      खि म खडी पय ज की िय र रसल को उि र लन की सल ह दी जो अनमचि रीति स जबि तकय

      गय थ मरी दतषट म इसस क़ नन क भाग नही होि थ लतकन अगर क़ नन टटि हो िो भी

      मन यह सझ य तक म मली-स लग न क ततलए समची िय र रसल को जबि करन क़ ननन ठीक

      होि हए भी नीति क तवरदध ह और सपषट लट ह अिएव इस परक र की जबिी क अन दर करन

      हम र धमय ह लोगो को सपषट रप स समझ ददय थ तक ऐस करन म जल ज न और जम यन

      होन क खिर ह मोहनल ल पाडय िो यही च हि थ सतय गरह क अनरप तकसी रीति स तकसी

      सतय गरही क जल गय तबन खड की लड ई सम पि हो ज य यह चीज उनदह अछछी नही लग रही

      थी उनदहोन इस खि क पय ज खदव न क बीड उठ य स ि-आठ आदममयो न उनक स थ

      ददय

      सरक र उनदह पकड तबन भल कस रहिी मोहनल ल और उनक स थी पकड गय इसस

      लोगो क उतस ह बढ गय जह ा लोग जल इतय दद क तवषय म तनभयय बन ज ि ह वह ा र जदणड

      लोगो को दब न क बदल उनम शरवीरि उतपनदन करि ह अद लि म लोगो क दल-क-दल

      मक़ददम दखन को उमड पड मोहनल ल पाडय को और उनक स ततथयो को थोड-थोड ददनो की

      क़द की सज दी गयी म म नि हा तक अद लि क रसल ग़लि थ पय ज उख डन क क म

      चोरी की क़ ननी वय खय की सीम म नही आि थ पर अपील करन की तकसी की वतति ही न

      थी

      जल ज न व लो को पहाच न क ततलए एक जलस उनक स थ हो गय और उस ददन स

      मोहनल ल पाडय को लोगो की ओर स पय जचोर की समम तनि पदवी पर पि हई जजसक

      उपभोग व आज िक कर रह ह

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ७३ खडा की लडाई का अनत

      यह िो स र थ तक लोग थक चक थ जो दढ रह थ उनदह परी िरह बरब द होन दन म साकोच

      हो रह थ मर झक व इस ओर थ तक सतय गरही क अनरप इसकी सम नपि क कोई शोभ सपद

      म गय तनकल आय िो उस अपन न ठीक होग ऐस एक अनसोच उप य स मन आ गय

      नमडय द ि लक क िहसीलद र न सादश भज तक अगर अछछी चसथति व ल प टीद र लग न

      अद कर द िो ग़रीबो क लग न मलिवी रहग इस तवषय म मन ततलखखि सवीकति म ागी और

      वह ममल गयी िहसीलद र अपनी िहसील की ही जजममद री ल सकि थ स र जजल की

      जजममद री िो कलकटर ही ल सकि थ इसततलए मन कलकटर स पछ उनक जव ब ममल तक

      िहसीलद र न जो कह ह उसक अनस र िो हकम तनकल ही चक ह मझ इसक पि नही थ

      लतकन यदद ऐस हकम तनकल चक हो िो म न ज सकि ह तक लोगो की परतिजञ क प लन

      हआ परतिजञ म यही वसि थी अिएव इस हकम स हमन सािोष म न

      तफर भी इस परक र की सम नपि स हम परसनद न न हो सक सतय गरह की लड ई क पीछ जो

      एक ममठ स होिी ह वह इसम नही थी कलकटर म नि थ तक उसन कछ तकय ही नही

      ग़रीब लोगो को छोडन की ब ि कही ज िी थी तकनदि व श यद ही छट प य जनि यह कहन

      क अमधक र आजम न सकी तक ग़रीब म तकसकी तगनिी की ज य मझ इस ब ि क ःख थ

      तक जनि म इस परक र की शतति रह नही गयी थी अिएव लड ई की सम नपि क उतसव िो

      मन य गय पर इस दतषट स मझ वह तनसिज लग

      तफर भी यह लड ई क जो अददकय पररण म आय उसक फ यद आज भी दख ज सकि

      ह और उठ य भी ज रह ह खड सतय गरह स

      इसस गजर ि क लोक-जीवन म नय िज आय नय उतस ह उतपनदन हआ प टीद रो को

      अपनी शतति क जो जञ न हआ उस व कभी न भल सब कोई समझ गय तक जनि की मतति

      क आध र सवया जनि पर उसकी तय गशतति पर ह सतय गरह न खड क दव र गजर ि म अपनी

      जड जम ली

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      भाग-१४ रगरटो की भरती

      ७४ रगरटो की भरती

      जजन ददनो खड क आनददोलन चल रह थ उन ददनो यरोप क मह यदध भी ज री ही थ

      व इसरोय न उसक ततसलततसल म नि ओ को ददलली बल य थ मझस आगरह तकय गय थ तक

      म भी उसम ह जजर होऊा

      मन तनमािण सवीक र तकय और म ददल ली गय तकनदि इस सभ म ससतममततलि होि समय

      मर मन म एक साकोच थ मखय क रण िो यह थ तक इस सभ म अलीभ इयो को लोकम नदय

      को और दसर नि ओ को तनमातिि नही तकय गय थ

      इस ब ि को िो म दकषकषण अफ़रीक म ही समझ चक थ तक तहनदद-मसलम नो क बीच

      सछच ममिभ व नही ह म वह ा ऐस एक भी उप य को ह थ स ज न न दि थ जजसस दोनो क

      बीच की अनबन दर हो झठी खश मद करक अथव सव कषभम न खोकर उनको अथव तकसी और

      को ररझ न मर सवभ व म न थ लतकन वही स मर ददल म यह ब ि जमी हई थी तक मरी अहहिस

      की कसौटी और उसक तवश ल परयोग इस एकि क ततसलततसल म ही होग

      इस परक र क तवच र लकर म बमबई बनददर पर उिर थ इसततलए मझ इन दोनो

      अलीभ इयो स ममलकर परसनदनि हई हम र सनह बढि गय हम री ज न-पहच न होन क ब द

      िरनदि ही अलीभ इयो को सरक र न जीि-जी दरन ददय मौल न महममदअली को जब

      इज जि ममलिी िब व बिल य मछिदव ड जल स मझ लमब-लमब पि ततलख करि थ मन उनस

      ममलन की इज जि सरक र स म ागी थी पर वह ममल न सकी

      चातक मन खखल रि क म मल म मसलम नो क स थ ददय थ इसततलए इस समबनदध म

      ममिो और आलोचको न मरी क री आलोचन की ह उन सब पर तवच र करन क ब द जो र य

      मन बन यी और जो मदद दी य ददल यी उसक ब र म मझ कोई पि ि प नही ह न उसम मझ

      कोई सध र ही करन ह मझ लगि ह तक आज भी ऐस सव ल उठ िो मर वयवह र पहल की

      िरह ही होग

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      इस परक र क तवच र लकर म ददल ली गय मसलम नो क ःख की चच य मझ व इसरोय

      स करनी थी खखल रि क परशन न अभी पणय सवरप ध रण नही तकय थ

      ददलली पहाचि ही दीनबनदध एणडज न एक नतिक परशन खड कर ददय उनदही ददनो इटली

      और इागलणड क बीच गपि सामध होन की जो चच य अागरजी अखब रो म मछडी थी उसकी ब ि

      कहकर दीनबनदध न मझस कह ldquoयदद इागलणड न इस परक र की गपि सामध तकसी र षटर क स थ

      की हो िो आप इस सभ म सह यक की िरह कस भ ग ल सकि हrdquo म इस सामधयो क तवषय

      म कछ ज नि नही थ दीनबनदध क शबद मर ततलए पय यपि थ इस क रण को तनममि बन कर

      मन ल डय चमसफडय को पि ततलख तक सभ म ससतममततलि होि हए मझ साकोच हो रह ह उनदहोन

      मझ चच य क ततलए बल य उनक स थ और ब द म मम मफी क स थ मरी लमबी चच य हई उसक

      पररण म यह हआ तक मन सभ म ससतममततलि होन सवीक र तकय थोड म व इसरोय की दलील

      यह थी ldquoआप यह िो नही म नि तक तबरदटश मािी-माडल जो कछ कर उसकी ज नक री

      व इसरोय को होनी ही च तहए म यह द व नही करि तक तबरदटश सरक र कभी भल करिी ही

      नही कोई भी ऐस द व नही करि तकनदि यदद आप यह सवीक र करि ह तक उसक अतसितव

      सास र क ततलए कलय णक री ह यदद आप यह म नि ह तक उसक क यो स इस दश को कल

      ममल कर कछ ल भ हआ ह िो कय आप यह सवीक र नही करग तक उसकी तवपतति क समय

      उस मदद पहाच न परतयक न गररक क धमय ह गपि सामध क तवषय म आपन सम च रपिो म जो

      दख ह वही मन भी दख ह इसस अमधक म कछ नही ज नि यह म आपस तवशव स-पवयक कह

      सकि हा अखब रो म कसी-कसी गपप आिी ह यह िो आप ज नि ही ह कय अखब रो म

      आयी हई एक तननद द सचक ब ि पर आप ऐस समय र जय क तय ग कर सकि ह लड ई सम पि

      होन पर आपको जजिन नतिक परशन उठ न हो उिन उठ सकि ह और जजिनी िकर र करनी हो

      उिनी कर सकि हrdquo

      यह दलील नई नही थी लतकन जजस अवसर पर और जजस रीति स यह पश की गयी

      उसस मझ नई-जसी लगी और मन सभ म ज न सवीक र कर ततलय खखल रि क ब र म यह

      तनिय हआ तक म व इसरोय को पि ततलखकर भजा

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      म सभ म ह जजर हआ व इसरोय की िीवर इछछ थी तक म ततसप तहयो की मदद व ल

      परसि व क समथयन करा मन तहनददी-तहनदसि नी म बोलन की इज जि च ही व इसरोय न

      इज जि िो दी तकनदि स थ ही अागरजी म भी बोलन को कह मझ भ षण िो करन ही नही थ

      मन वह ा जो कह सो इिन ही थ ldquoमझ अपनी जजममद री क पर खय ल ह और उस जजममद री

      को समझि हए म इस परसि व क समथयन करि हाrdquo

      मरी दसरी जजममद री रागरट भरिी करन की थी इसकी य चन म खड म न करि िो

      और कह ा करि पहल अपन स ततथयो को न नद योिि िो तकस नदयोिि खड पहाचि ही

      वललभभ ई इतय दद क स थ मन सल ह की उनम स कछ क गल ब ि िरनदि उिरी नही जजनक

      गल उिरी उनदहोन क यय की सफलि क तवषय म शाक परकट की जजन लोगो म स रागरटो की

      भरिी करनी थी उन लोगो म सरक र क परति तकसी परक र क अनर ग न थ सरक री अरसरो

      क उनदह जो कडव अनभव हआ थ वह भी ि ज ही थ

      तफर भी सब इस पकष म हो गय तक क म शर कर ददय ज य शर करि ही मरी आाख

      खली मर आश व द भी कछ ततशततथल पड खड की लड ई म लोग अपनी बलग डी मफि म

      दि थ जह ा एक सवयासवक की ह जजरी की जररि थी वह ा िीन-च र ममल ज ि थ अब पस

      दन पर भी ग डी लयभ हो गयी लतकन हम यो तनर श होन व ल नही थ ग डी क बदल हमन

      पदल य ि करन क तनिय तकय रोज बीस मील की माजजल िय करनी थी जह ा ग डी न

      ममलिी वह ा ख न िो ममलि ही कस म ागन भी उमचि नही ज न पड अिएव यह तनिय

      तकय तक परतयक सवयासवक अपन ख न क ततलए पय यपि स मगरी अपनी थली म लकर तनकल

      गमी क ददन थ इसततलए स थ म ओढन क ततलए िो कछ रखन की आवकयकि न थी

      हम जजस ग ाव म ज ि उस ग ाव म सभ करि लोग आि लतकन भरिी क ततलए न म िो

      मतककल स एक य दो ही ममलि आप अहहिस व दी होकर हम हततथय र उठ न क ततलए कयो कहि

      हrsquo सरक र न तहनद सि न क कय भल तकय ह तक आप हम उसकी मदद करन को कहि हrsquo

      ऐस अनक परक र क परशन मर स मन रख ज ि थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      यह सब होि हए भी धीर-धीर हम र सिि क यय क परभ व लोगो पर पडन लग थ न म

      भी क री साखय म दजय होन लग थ और हम यह म नन लग थ तक अगर पहली टकडी तनकल

      पड िो दसरो क ततलए र सि खल ज एग यदद रागरट तनकल िो उनदह कह ा रख ज य इतय दद

      परशनो की चच य म कमीशनर स करन लग थ कमीशनर ददलली क ढाग पर जगह-जगह सभ य

      करन लग थ गजर ि म भी वसी सभ हई उसम मझ और स ततथयो को तनमातिि तकय गय थ

      म उसम भी ससतममततलि हआ थ पर यदद ददलली की सभ म मर ततलए कम सथ न थ िो यह ा की

      सभ म िो उसस भी कम सथ न मझ अपन ततलए म लम हआ जी-हजरीrsquo क व ि वरण म मझ

      चन न पडि थ यह ा म कछ अमधक बोल थ मरी ब ि म खश मद-जसी िो कोई चीज थी ही

      नही बचलक दो कडव शबद भी थ

      रागरटो की भरिी क ततसलततसल म मन जो पहििक परक ततशि की थी उसम भरिी क ततलए

      लोगो को तनमातिि करि हए जो एक दलील दी गयी थी वह कमीशनर को बरी लगी थी उसक

      आशय यह थ ldquoतबरदटश र जय क अनक नक षकतयो म समची परज को तनःशसि बन न व ल

      क़ नन को इतिह स उसक क ल स क ल क म म नग इस क़ नन को रद कर न हो और शसिो

      क उपयोग सीखन हो िो उसक ततलए यह एक सवणय अवसर ह साकट क समय म मधयमशरणी

      क लोग सवछछ स श सन की सह यि करग िो अतवशव स दर होग और जो वयतति शसि ध रण

      करन च हग वह आस नी स वस कर सकग rdquo इसको लकषय म रखकर कमीशनर को कहन

      पड थ तक उनक और मर बीच मिभद क रहि हए भी सभ म मरी उपचसथति उनदह तपरय थी

      मझ भी अपन मि क समथयन यथ साभव मीठ शबदो म करन पड थ

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      ७५ मतय-शयया पर

      रगरटो की भरिी क क म म मर शरीर क री कषीण हो गय उन ददनो मर आह र म मखयिः

      ततसकी हई और कटी हई मागफली दो-िीन नीब क प नी इिनी चीज रह करिी थी म ज नि

      थ तक अमधक म ि म ख न स मागफली नक़स न करिी ह तफर भी वह अमधक ख ली गयी

      उसक क रण पट म कछ पमचश रहन लगी म समय-समय पर आशरम म िो आि ही थ मझ

      यह पमचश बहि धय न दन योगय परिीि न हई र ि आशरम पहाच उन ददनो म दव कवमचि ही

      लि थ तवशव स यह थ तक एक ब र क ख न छोड दन स ददय ममट ज एग दसर ददन सबर

      कछ भी न ख य थ इसस ददय लगभग बाद हो चक थ पर म ज नि थ तक मझ उपव स च ल

      रखन च तहए अथव ख न ही हो िो फल क रस जसी कोई चीज लनी च तहए

      उस ददन कोई तयौह र थ मझ य द पडि ह तक मन कसिरब ई स कह ददय थ तक म

      दोपहर को भी नही ख ऊा ग लतकन उसन मझ ललच य और म ल लच म फा स गय उन ददनो

      म तकसी पश क दध नही लि थ इसस घी-छ छ क भी मन तय ग कर ददय थ इसततलए उसन

      मझस कह तक आपक ततलए दल हए गहा को िल म भनकर लपसी बन यी गयी ह और ख स िौर

      पर आपक ततलए ही पर माग भी बन य गय ह म सव द क वश होकर तपघल तपघलि हए भी

      इछछ िो यह रखी थी तक कसिरब ई को खश रखन क ततलए थोड ख लाग सव द भी ल लाग

      और शरीर की रकष भी कर लाग पर शि न अपन तनश न ि क कर ही बठ थ ख न बठ िो

      थोड ख न क बदल पट भर कर ख गय इस परक र सव द िो मन पर ततलय पर स थ ही यमर ज

      को नदयोि भी भज ददय ख न क ब द एक घाट भी न बीि थ तक जोर की पमचश शर हो गयी

      मचनदि िर होकर स ततथयो न मझ च रो ओर स घर ततलय उनदहोन मझ अपन परम स नहल

      ददय पर व बच र मर ःख म तकस परक र ह थ बाट सकि थ मर हठ क प र न थ मन डोकटर

      को बल न स इनक र कर ददय दव िो लनी ही न थी सोच तकय हए प प की सज भोगाग

      स ततथयो न यह सब माह लटक कर सहन तकय चौबीस घाटो म िीस-च लीस ब र प ख न की

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ह जि हइ होगी ख न म बनदद कर ही चक थ और शर क ददनो म िो मन फल क रस भी

      नही ततलय थ लन की तबलकल रमच न थी

      आज िक जजस शरीर को म पतथर क सम न म नि थ वह अब गीली ममटटी-जस बन

      गय शतति कषीण हो गयी डोकटर क नग आय दव लन क ततलए समझ य मन इनक र तकय

      उनदहोन तपचक री लगव न की सल ह दी मन उसक ततलए भी इनक र कर ददय उस समय क

      तपचक री-तवषयक मर अजञ न ह सय सपद थ म यह म नि थ तक तपचक री म तकसी-न-तकसी

      परक र की लसी होगी ब द म मझ म लम हआ तक वह िो तनदोष वनसपति स बनी औषमध की

      तपचक री थी पर जब समझ आयी िब अवसर बीि चक थ ह जि िो ज री ही थी अतिशय

      पररशरम क क रण बख र आ गय और बहोशी भी आ गयी ममि अमधक घबर य दसर डोकटर

      भी आय पर जो रोगी उनकी ब ि म न नही उसक ततलए व कय कर सकि थ

      वदय ममि और डोकटर ममि अनक परक र की सल ह दि थ पर म तकसी िरह दव पीन

      को िय र नही हआ दो-िीन ममिो न सल ह दी तक दध लन म आपतति हो िो म ास क शोरव

      लन च तहए और औषमध क रप म म ास दद च ह जो वसि ली ज सकिी ह इसक समथयन म

      उनदहोन आयवद क परम ण ददय एक न अणड लन की ततसर ररश की लतकन म इनम स तकसी

      भी सल ह को सवीक र न कर सक मर उिर एक ही थ ndash नही

      ख दय ख दय क तनणयय मर ततलए कवल श सिो क शलोको पर अवलातबि नही थ बचलक

      मर जीवन क स थ वह सविाि रीति स जड हआ थ च ह जो चीज ख कर और च ह जस

      उपच र करक जीन क मझ ितनक भी लोभ न थ जजस धमय क आचरण मन अपन पिो क

      ततलए तकय सिी क ततलए तकय सनतहयो क ततलए तकय उस धमय क तय ग म अपन ततलए कस

      करि

      इस परक र मझ अपनी इस बहि लमबी और जीवन की सबस पहली इिनी बडी बीम री म

      धमय क तनरीकषण करन और उस कसौटी पर चढ न क अलभय ल भ ममल एक र ि िो मन

      तबलकल ही आश छोड दी थी मझ ऐस भ स हआ तक अब मतय समीप ही ह

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      यो म मौि की र ह दखि बठ थ इिन म डो िलवलकर एक तवमचि पर णी को लकर

      आय व मह र षटरी ह तहनद सि न उनदह पहच नि नही म उनदह दखकर समझ सक थ तक व मरी

      ही िरह चकरम ह व अपन उपच र क परयोग मझ पर करन क ततलए आय थ

      सो भी बरफ क अथ यि प नी क अिएव उनदहोन मर स र शरीर पर बरर मघसनी शर

      की इस इल ज स जजिन पररण म की आश व लग य हए थ उिन पररण म िो मर समबनदध म

      नही तनकल तफर भी म जो रोज मौि की र ह दख करि थ अब मरन क बदल कछ जीन

      की आश रखन लग मझम कछ उतस ह पद हआ मन क उतस ह क स थ मन शरीर म भी

      उतस ह क अनभव तकय म कछ अमधक ख न लग और म आसप स क क मो म थोड -थोड

      रस लन लग

      मरी िबीयि की तहर जि क जजमम शाकरल ल बकर न अपन ह थ म ततलय थ उनदहोन

      डो दल ल स सल ह लन क आगरह तकय डो दल ल आय उनकी ितक ल तनणयय करन की

      शतति न मझ मगध कर ततलय व बोल

      ldquoजब िक आप दध न लग म आपक शरीर को तफर स हषट-पषट न बन सका ग उस पषट

      बन न क ततलए आपको दध लन च तहए और लोह िथ आसतनक की तपचक ररय ा लनी च तहए

      यदद आप इिन कर िो आपक शरीर को पनः पषट करन की ग रणटी म दि हाrdquo

      मन जव ब ददय ldquoतपचक री लग इय लतकन दध म न लाग rdquo

      डोकटर न पछ ldquoदध क समबनदध म आपकी परतिजञ कय हrdquo

      ldquoयह ज नकर तक ग य-भस पर फा क की तकरय की ज िी ह मझ दध स नररि हो गयी

      ह और यह िो म सद स म नि रह हा तक दध मनषय क आह र नही ह इसततलए मन दध छोड

      ददय हrdquo

      यह सनकर कसिरब ई जो मरी खदटय क प स ही खडी थी बोल उठी ldquoिब िो बकरी

      क दध आप ल सकि हrdquo

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      डोकटर बीच म बोल ldquoआप बकरी क दध ल िो मर क म बन ज यrdquo

      म तगर सतय गरह की लड ई क मोह न मर अनददर जीन क लोभ पद कर ददय और मन

      परतिजञ क अकषर थय क प लन स सािोष म नकर उसकी आतम क हनन तकय यदयतप दध की

      परतिजञ लि समय मर स मन ग य- भस ही थी तफर भी मरी परतिजञ दधम ि की म नी ज नी

      च तहए और जब िक म पश क दधम ि को मनषय क आह र क रप म तनतषदध म नि हा िब

      िक मझ उस लन क अमधक र नही इस ब ि को ज नि हए भी म बकरी क दध लन को िय र

      हो गय सतय क पज रीन सतय गरह की लड ई क ततलए जीन की इछछ रखकर अपन सतय को

      ल ामछि तकय

      मर इस क यय क डाक अभी िक ममट नही ह और बकरी क दध छोडन क तवषय म मर

      मचनदिन िो चल ही रह ह तकनदि सव करन क मह सकषम मोह जो मर पीछ पड ह मझ छोडि

      नही

      बकरी क दध शर करन क कछ ददन ब द डो दल ल न गद दव र की दर रो क आपरशन

      तकय और वह बहि सफल हआ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      भाग-१५ रोलट एकट और राजनीनत म परवश

      ७६ रोलट एकट

      शरीर बन और जीन की आश बनन लगी ईशवर न मर ततलए क म िय र ही रख थ

      तबछौन छोडकर उठन की कछ आश बाध रही थी और अखब र बगर पढन लग ही थ

      तक इिन म रौलट कमटी की ररपोटय मर ह थ म आयी उसकी ततसर ररश पढकर म चौक भ ई

      उमर सोब नी और शाकरल ल बकर न च ह तक कोई तनकषिि क़दम उठ न च तहए एक ध महीन

      म म अहमद ब द गय वललभभ ई पर यः परतिददन मझ दखन आि थ मन उनस ब ि की और

      सझ य तक इस तवषय म हम कछ करन च तहए ldquoकय तकय ज सकि हrdquo इसक उिर म मन

      कह ldquoयदद थोड लोग भी इस समबनदध म परतिजञ करन व ल ममल ज एा िो और कमटी की

      ततसर ररश क अनस र क़ नन बन िो हम सतय गरह शर करन च तहए यदद म तबछौन पर पड

      न होि िो अकल भी इसम जझि और यह आश रखि तक दसर लोग ब द म आ ममलग

      तकनदि अपनी ल च र चसथति म अकल जझन की मझम तबलकल शतति नही हrdquo

      इस ब िचीि क पररण म-सवरप ऐस कछ लोगो की एक छोटी सभ बल न क तनिय

      हआ

      कोई भी चलिी हई सासथ सतय गरह-जस नय शसि को सवया उठ ल इस मन असमभव

      म न इस क रण सतय गरह-सभ की सथ पन हई

      लतकन मन शर म ही दख ततलय तक यह सभ लमब समय िक दटक नही सकगी इसक

      अल व सतय और अहहिस पर जो जोर म दि थ वह कछ लोगो को अतपरय म लम हआ तफर

      भी शर क ददनो म यह नय क म धडलल क स थ आग बढ

      अभी तबल गजट म नही छप थ मर शरीर कमजोर थ तकनदि मर स स आय हए

      तनमािण को सवीक र करन च तहए ऐस मझ लग तफर भी मन लमबी य ि क खिर उठ य

      र जगोप ल च यय सलम छोडकर अभी-अभी ही मर स म वक लि करन क ततलए आय थ

      सभ ओ क ततसव मझ और कछ सझि ही न थ यदद रौलट तबल क़ नन बन ज ए िो उसकी

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      सतवनय अवजञ तकस परक र की ज एा उसकी सतवनय अवजञ करन क अवसर िो सरक र द

      िभी ममल सकि ह दसर क ननो की सतवनय अवजञ की ज सकिी ह उसकी मय यद कय हो

      आदद परशनो की चच य होिी थी

      इस परक र मनदथन-मचनदिन चल रह थ तक इिन म सम च र ममल तक तबल क़ नन क रप

      म गजट म छप गय ह इस खबर क ब द की र ि को म तवच र करि-करि सो गय सवर जलदी

      ज ग उठ अधयतनर की दश रही होगी ऐस म मझ सपन म एक तवच र सझ मन सवर ही सवर

      र जगोप ल च यय को बल य और कह

      ldquoमझ र ि सवपन वसथ म यह तवच र सझ तक इस क़ नन क जव ब म हम स र दश को

      हडि ल करन की सचन द सतय गरह आतमशजदध की लड ई ह वह ध रमिक यदध ह धमयक यय क

      आराभ शजदध स करन ठीक म लम होि ह उस ददन सब उपव स कर और क म-धाध बनदद रख

      मसलम न भ ई रोज स अमधक उपव स न करग इसततलए चौबीस घाटो क उपव स करन की

      ततसर ररश की ज ए इसम सब पर नदि ससतममततलि होग य नही यह िो कह नही ज सकि पर

      बमबई मर स तबह र और ततसनदध की आश िो मझ ह ही यदद इिन सथ नो पर भी ठीक स

      हडि ल रह िो हम सािोष म नन च तहएrdquo

      र जगोप ल च यय को यह सचन बहि अछछी लगी ब द म दसर ममिो को िरनदि इसकी

      ज नक री दी गयी सबन इसक सव गि तकय मन एक छोटी-सी तवजञनपि िय र कर ली पहल

      १९१९ क म चय की ३० वी ि रीख रखी गयी थी ब द म ६ अपरल रखी गयी लोगो को बहि ही

      थोड ददन की मददि दी गयी थी चाकी क म िरनदि करन जररी समझ गय थ अिएव िय री

      क ततलए लाबी मददि दन क समय ही न थ

      लतकन न ज न कस स री वयवसथ हो गयी समच तहनदसि न म ndash शहरो म और ग ावो म

      ndash हडि ल हई वह दकय भवय थ

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ७७ वह सपताह

      दकषिि म थोडी य ि करक म बमबई पहाच बमबई की हडि ल सापणय थी

      यह ा क़ नन की सतवनय अवजञ की िय री कर रखी थी जजनकी अवजञ की ज सक ऐसी

      दो-िीन चीज थी जो क़ नन रद तकय ज न ल यक थ और जजनकी अवजञ सब सरलि स कर

      सकि थ उनम स एक क ही उपयोग करन क तनिय थ नमक-कर क क़ नन सबको अतपरय

      थ उस कर को रद कर न क ततलए बहि कोततशश हो रही थी अिएव मन एक सझ व यह रख

      थ तक सब लोग तबन परव न क अपन घर म नमक बन य दसर सझ व सरक र दव र जबि की

      हई पसिक छप न और बचन क थ ऐसी दो पसिक मरी ही थी कषहनद सवराजय और सवोदय

      इन पसिको क छप न और बचन सबस सरल सतवनय अवजञ म लम हई इसततलए य पसिक

      छप यी गयी और श म को उपव स छटन क ब द और चौप टी की तवर ट सभ क तवसरजिि होन

      क ब द इनदह बचन क परबाध तकय गय

      ददन ाक ६ क श म को कई सवयासवक य पसिक बचन तनकल पड इनकी जो कीमि

      वसल होिी वह लड ई क क म म ही खचय की ज न व ली थी एक परति क मलय च र आन रख

      गय थ पर मर ह थ पर श यद ही तकसीन च र आन रख होग अपनी जब म जो थ सो सब

      दकर तकि ब खरीदन व ल बहिर तनकल आय कोई-कोई दस और प ाच क नोट भी दि थ मझ

      समरण ह तक एक परति क ततलए ५० रपय क नोट भी ममल थ लोगो को समझ ददय गय थ तक

      खरीदन व ल क ततलए भी जल क खिर ह लतकन कषणभर क ततलए लोगो न जल क भय छोड

      ददय थ

      ७ ि रीख को पि चल तक जजन तकि बो क बचन पर सरक र न रोक लग यी थी सरक र

      की दतषट स व बची नही गयी ह जो पसिक तबकी ह व िो उनकी दसरी आवतति म नी ज एागी

      जबि की हई पसिको म उनकी तगनिी नही हो सकिी सरक र की ओर स यह कह गय थ तक

      नई आवतति छप न बचन और खरीदन म कोई गन ह नही ह यह खबर सनकर लोग तनर श हए

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      ७ अपरल की र ि को म ददल ली-अमिसर ज न क ततलए रव न हआ ८ को मथर पहाचन

      पर कछ ऐसी भनक क न िक आई तक श यद मझ तगरफि र करग मथर क ब द एक सटशन

      पर ग डी रकिी थी वह ा आच यय तगडव नी ममल उनदहोन मर पकड ज न क ब र म पककी खबर

      दी और जररि हो िो अपनी सव अपयण करन क ततलए कह

      पलवल सटशन आन क पहल ही पततलस अमधक री न मर ह थ पर आदश-पि रख आदश

      इस परक र क थ ldquoआपक पाज ब म परवश करन स अश ाति बढन क डर ह अिएव आप पाज ब

      की सीम म परवश न करrdquo आदश-पि दकर पततलस न मझ उिर ज न को कह मन उिरन स

      इनक र तकय और कह ldquoम अश ाति बढ न नही बचलक तनमािण प कर अश ाति घट न क ततलए

      ज न च हि हा इसततलए खद ह तक मझस इस आदश क प लन नही हो सकग rdquo

      मझ पलवल सटशन पर उि र ततलय गय और पततलस क हव ल तकय गय तफर ददलली

      स आन व ली तकसी रन क िीसर दज क मडब म मझ बठ य गय और स थ म पततलस क दल

      भी बठ मथर पहाचन पर मझ पततलस की ब रक म ल गय मर कय होग और मझ कह ा ल

      ज न ह सो कोई पततलस अमधक री मझ बि न सक सबह ४ बज मझ जग य गय और बमबई

      की ओर ज न व ली म लग डी म बठ ददय गय

      सरि पहाचन पर तकसी दसर अमधक री न मझ अपन क़बज म ततलय उसन मझ र सि म

      कह ldquoआप ररह कर ददय गय ह लतकन आपक ततलए म रन को मरीन ल इनदस सटशन क प स

      रकव ऊा ग आप वह ा उिर ज एाग िो जय द अछछ होग कोल ब सटशन पर बडी भीड होन

      की साभ वन हrdquo मन उसस कह तक आपक कह करन म मझ परसनद नि होगी वह खश हआ

      और उसन मझ धनदयव द ददय म मरीन ल इनदस पर उिर वह ा तकसी पररमचि की घोड ग डी

      ददख यी दी व मझ रव शाकर झवरी क घर छोड गय उनदहोन मझ खबर दी ldquoआपक पकड ज न

      की खबर प कर लोग करदध हो गय ह और प गल-स बन गय ह प यधनी क प स दाग क खिर

      ह मजजसरट और पततलस वह ा पहाच गयी हrdquo

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      म घर पहाच ही थ तक इिन म उमर सोब नी और अनसय बहन मोटर म आय और उनदहोन

      मझ प यधनी चलन को कह उनदहोन बि य ldquoलोग अधीर हो गय ह और बड उिजजि ह हम

      म स तकसी क तकय श ाि नही हो सकि आपको दखग िभी श ाि होगrdquo

      म मोटर म बठ गय प यधनी पहाचि ही र सि म भ री भीड ददख यी दी लोग मझ

      दखकर हषोनदमि हो उठ अब जलस बन वनदद म िरम और अलल हो अकबर क न रो स

      आक श गाज उठ प यधनी पर घडसव र ददख यी ददय ऊपर स ईटो की वष य हो रही थी म

      ह थ जोडकर लोगो स पर थयन कर रह थ तक व श ाि रह पर ज न पड तक हम भी ईटो की इस

      बौछ र स बच नही प यग

      अबरयहम न गली म स कर फडय म रकट की ओर ज ि हए जलस को रोकन क ततलए

      घडसव रो की एक टकडी स मन स आ पहाची व जलस को तकल की ओर ज न स रोकन की

      कोततशश कर रह थ लोग वह ा सम नही रह थ लोगो न पततलस की प ाि को चीरकर आग बढन

      क ततलए जोर लग य वह ा ह लि ऐसी नही थी तक मरी आव ज सन यी पड सक यह दखकर

      घडसव रो की टकडी क अरसर न भीड को तििर-तबिर करन क हकम ददय और अपन भ लो

      को घम ि हए इस टकडी न एकदम घोड दौड न क शर कर ददय मझ डर लग तक उनक भ ल

      हम र क म िम म कर द िो आियय नही पर मर वह डर तनर ध र थ बगल स होकर स र भ ल

      रलग डी की गति स सनसन ि हए दर तनकल ज ि थ लोगो की भीड म दर र पडी भगदड मच

      गई कोई कचल गय कोई घ यल हए घडसव रो को तनकलन क ततलए र सि नही थ लोगो क

      ततलए आसप स तबखरन क र सि नही थ व पीछ लौट िो उधर भी हज रो लोग ठस ठस भर

      हए थ स र दकय भयाकर परिीि हआ घडसव र और जनि दोनो प गल-जस म लम हए

      घडसव र कछ दखि ही नही थ अथव दख नही सकि थ व िो टढ होकर घोडो को दौड न म

      लग थ मन दख तक जजिन समय इन हज रो क दल को चीरन म लग उिन समय िक व कछ

      दख ही नही सकि थ

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      इस िरह लोगो को तििर-तबिर तकय गय और आग बढन स रोक गय हम री मोटर

      को आग ज न ददय गय मन कमीशनर क क य यलय क स मन मोटर रकव ई और म उसस

      पततलस क वयवह र की ततशक यि करन क ततलए उिर

      इस िरह हम री दलील होिी रही हम र मि क मल ममलन व ल न थ म यह कहकर

      तबद हआ तक चौप टी पर सभ करन और लोगो को श ाति रखन क ततलए समझ न क मर इर द

      चौप टी पर सभ हई मन लोगो को श ाति और सतय गरह की मय यद क तवषय म समझ य

      और बिल य ldquoसतय गरह सछच क हततथय र ह यदद लोग श ाति न रखग िो म सतय गरह की

      लड ई कभी लड न सका ग rdquo

      अहमद ब द स शरी अनसय बहन को भी खबर ममल चकी थी तक वह ा उपरव हआ ह

      तकसीन अरव ह फल दी थी तक व भी पकडी गयी ह इसस मजदर प गल हो उठ थ उनदहोन

      हडि ल कर दी थी उपरव भी मच य थ और एक ततसप ही क खन भी हो गय थ

      म अहमद ब द गय मझ पि चल तक नमडय द क प स रल की पटरी उख डन की

      कोततशश भी हई थी वीरमग म म एक सरक री कमयच री क खन हो गय थ अहमद ब द पहाच

      िब वह ा म शयल लो ज री थ लोगो म आिाक फल हआ थ लोगो न जस तकय वस प य

      और उसक बय ज भी प य

      मझ कमीशनर मम परट क प स ल ज न क ततलए एक आदमी सटशन पर ह जजर थ म

      उनक प स गय व बहि गसस म थ मन उनदह श ननदि स उिर ददय जो हतय हई थी उसक ततलए

      मन खद परकट तकय यह भी सझ य तक म शयल लो की आवकयकि नही ह और पनः श ननदि

      सथ तपि करन क ततलए जो उप य करन जररी हो सो करन की अपनी िय री बि यी मन आम

      सभ बल न की म ाग की यह सभ आशरम की भमम पर करन की अपनी इछछ परकट की उनदह

      यह ब ि अछछी लगी जह ा िक मझ य द ह मन रतवव र ि १३ अपरल को सभ की थी म शयल

      लो भी उसी ददन अथव दसर ददन रदद हआ थ इस सभ म मन लोगो को उनक अपन दोष

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ददख न क परयतन तकय मन पर यकषिि क रप म िीन ददन क उपव स तकय और लोगो को एक

      ददन क उपव स करन की सल ह दी जजनदहोन हतय बगर म तहसस ततलय हो उनदह मन सझ य

      तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल

      मन अपन धमय सपषट दख जजन मजदरो आदद क बीच मन इिन समय तबि य थ

      जजनकी मन सव की थी और जजनक तवषय म म अछछ वयवह र की आश रखि थ उनदहोन

      उपरव म तहसस ततलय यह मझ असहय म लम हआ और मन अपन को उनक दोष म तहससद र

      म न

      जजस िरह मन लोगो को समझ य तक व अपन अपर ध सवीक र कर ल उसी िरह

      सरक र को भी गन ह म र करन की सल ह दी दोनो म स तकसी एकन भी मरी ब ि नही सनी

      सव० रमणभ ई आदद न गररक मर प स आय और मझ सतय गरह मलिवी करन क ततलए

      मन न लग पर मझ मन न की आवकयकि ही नही रही थी मन सवया तनिय कर ततलय थ तक

      जब िक लोग श ाति क प ठ न सीख ल िब िक सतय गरह मलिवी रख ज य इसस व परसनद न

      हए

      कछ ममि न र ज भी हए उनक खय ल यह थ तक अगर म सब कही श ाति की आश

      रखा और सतय गरह की यही शिय रह िो बड पम न पर सतय गरह कभी चल ही नही सकि मन

      अपन मिभद परकट तकय जजन लोगो म क म तकय गय ह जजनक दव र सतय गरह करन की

      आश रखी ज िी ह व यदद श ननदि क प लन न कर िो अवकय ही सतय गरह कभी चल नही

      सकि मरी दलील यह थी तक सतय गरही नि ओ को इस परक र की मय यददि श ननदि बन य रखन

      की शतति पर पि करनी च तहए अपन इन तवच रो को म आज भी बदल नही सक हा

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ७८ पहाड-जसी भल

      अहमदाबाद की सभ क ब द म िरनदि ही नमडय द गय पह ड-जसी भलrsquo न मक जो शबद-

      परयोग परततसदध हआ ह उसक उपयोग मन पहली ब र नमडय द म तकय अहमद ब द म ही मझ

      अपनी भल म लम पडन लगी थी पर नमडय द म वह ा की चसथति क तवच र करक और यह

      सनकर तक खड जजल क बहि स लोग पकड गय ह जजस सभ म म घदटि घटन ओ पर भ षण

      कर रह थ उसम मझ अच नक यह खय ल आय तक खड जजल क और ऐस दसर लोगो को

      क़ नन क सतवनय भाग करन क ततलए तनमातिि करन म मन जलदब जी की भल की और वह भल

      मझ पह ड-जसी म लम हई

      इस परक र अपनी भल क़बल करन क ततलए मरी खब हासी उड ई गयी तफर भी अपनी

      इस सवीकति क ततलए मझ कभी पि ि प नही हआ मन हमश यह म न ह तक जब हम दसरो

      क गज-जस दोषो को रजवि म नकर दखि ह और अपन रजवि परिीि होन व ल दोषो को

      पह ड-जस दखन सीखि ह िभी हम अपन और पर य दोषो क ठीक-ठीक अाद ज हो प ि

      ह मन यह भी म न ह तक सतय गरही बनन की इछछ रखन व ल को िो इस स ध रण तनयम क

      प लन बहि अमधक सकषमि क स थ करन च तहए

      अब हम यह दख क पह ड-जसी परिीि होन व ली वह भल कय थी क़ नन क सतवनय

      भाग उनदही लोगो दव र तकय ज सकि ह जजनदहोन तवनयपवयक और सवछछ स क़ नन क समम न

      तकय हो

      जजसन इस परक र सम ज क तनयमो क तवच र-पवयक प लन तकय ह उसीको सम ज क

      तनयमो म नीति-अनीति क भद करन की शतति पर पि होिी ह और उसीको मय यददि पररचसथतियो

      म अमक तनयमो को िोडन क अमधक र पर पि होि ह लोगो क इस िरह क अमधक र पर पि

      करन स पहल मन उनदह सतवनय क़ ननभाग क ततलए तनमातिि तकय अपनी यह भल मझ पह ड-

      जसी लगी और खड जजल म परवश करन पर मझ खड की लड ई क समरण हआ और लग

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      तक म तबलकल ग़लि र सि पर चल पड हा मझ लग तक लोग सतवनय क़ नन-भाग करन योगय

      बन इसस पहल उनदह उसक गाभीर रहसय क जञ न होन च तहए

      तकनदि यदद ब ि ऐसी ह िो सतवनय क़ नन-भाग कर न स पहल शदध सवयासवको क एक

      ऐस दल खड होन च तहए जो लोगो को य स री ब ि समझ य और परतिकषण उनक म गयदशयन

      कर और ऐस दल को सतवनय क़ नन-भाग क िथ उसकी मय यद क पर -पर जञ न होन च तहए

      इन तवच रो स भर हआ म बमबई पहाच और सतय गरह-सभ क दव र सतय गरही सवयासवको

      क एक दल खड तकय लोगो को सतवनय क़ नन-भाग क ममय समझ न क ततलए जजस ि लीम

      की जररि थी वह इस दल क जररय दनी शर की और इस चीज को समझ न व ली पतिक य

      तनक ली

      यह क म चल िो सही लतकन मन दख तक म इसम जय द ददलचसपी पद नही कर

      सक सवयासवको की ब ढ नही आयी यह नही कह ज सकि तक जो लोग भरिी हए उन

      सबन तनयममि ि लीम ली भरिी म न म ततलख न व ल भी जस-जस ददन बीिि गय वस-वस

      दढ बनन क बदल खखसकन लग म समझ गय तक सतवनय क़ नन-भाग की ग डी मन सोच थ

      उसस धीमी चलगी

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ७९ नवजीवन और यग ईननडया

      इन पिो क दव र मन जनि को यथ शतति सतय गरह की ततशकष दन शर तकय पहल दोनो पिो

      की थोडी ही परतिय ा खपिी थी लतकन बढि-बढि व च लीस हज र क आसप स पहाच गयी

      िवजीवि क गर हक एकदम बढ जब तक यग इकषनडया क धीर-धीर बढ मर जल ज न क ब द

      इसम कमी हई और आज दोनो की गर हक-साखय ८००० स नीच चली गयी ह

      इन पिो म तवजञ पन न लन क मर आगरह शर स ही थ म म नि हा तक इसस कोई

      ह तन नही हई और इस परथ क क रण पिो क तवच र-सव िािय की रकष करन म बहि मदद ममली

      इन पिो दव र म अपनी श ननदि पर पि कर सक कयोतक यदयतप म सतवनय क़ नन-भाग

      िरनदि ही शर नही कर सक तफर भी म अपन तवच र सविािि पवयक परकट कर सक जो लोग

      सल ह और सझ व क ततलए मरी ओर दख रह थ उनदह म आशव सन द सक

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      ८० अमतसर की महासभा (काागरस)

      नय सध रो क समबनदध म समर ट की घोषण परकट हो चकी थी वह मझ पणय सािोष दन व ली

      नही थी और तकसीको िो वह तबलकल पसनदद ही नही थी लतकन उस समय मन यह म न थ

      तक उि घोषण म समचि सध र िदटपणय होि हए भी सवीक र तकय ज सकि ह

      मचिराजन द स क दढ मि थ तक सध रो को तबलकल असािोषजनक और अधर म नकर

      उनकी उपकष करनी च तहए लोकम नदय कछ िटसथ थ तकनदि दशबाध जजस परसि व को पसनदद

      कर उसक पकष म अपन वजन ड लन क उनदहोन तनिय कर ततलय थ

      ऐस पर न अनभवी और कस हअ सवयम नदय लोकन यको क स थ अपन मिभद मझ सवया

      असहय म लम हआ दसरी ओर मर अनदिन यद सपषट थ मन क ागरस की बठक म स भ गन क

      परयतन तकय पा मोिील ल नहर और म लवीयजी को मन यह सझ य तक मझ अनपचसथि रहन

      दन स सब क म बन ज एाग और म मह न नि ओ क स थ मिभद परकट करन क साकट स बच

      ज ऊा ग

      यह सझ व इन दोनो बजगो क गल न उिर

      मन अपन परसि व िय र तकय बड साकोच स मन उस पश करन क़बल तकय मम

      जजनद न और म लवीयजी उसक समथयन करन व ल थ भ षण हए म दख रह थ तक यदयतप

      हम र मिभद म कही कटि नही थी भ षणो म भी दलीलो क ततसव और कछ नही थ तफर भी

      सभ जर -स भी मिभद सहन नही कर सकिी थी और नि ओ क मिभद स उस ःख हो रह

      थ सभ को िो एकमि च तहए थ

      जब भ षण हो रह थ उस समय भी माच पर मिभद ममट न की कोततशश चल रही थी एक-

      दसर क बीच मचदठय ा आ-ज रही थी म लवीयजी जस भी बन समझौि कर न क परयतन कर

      रह थ इिन म जयर मद स न मर ह थ पर अपन सझ व रख और सदसयो को मि दन क साकट

      स उब र लन क ततलए बहि मीठ शबदो म मझस पर थयन की मझ उनक सझ व पसनदद आय

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      म लवीयजी की दतषट िो च रो ओर आश की खोज म घम ही रही थी मन कह ldquoयह सझ व

      दोनो पकषो को पसनदद आन ल यक म लम होि हrdquo मन उस लोकम नदय को ददख य उनदहोन

      कह ldquoद स को पसनदद आ ज य िो मझ कोई आपतति नहीrdquo दशबाध तपघल उनदहोन तवतपनचार

      प ल की िरफ दख म लवीयजी को परी आश बाध गयी उनदहोन परची ह थ स छीन ली अभी

      दशबाध क माह स ह ा क शबद पर तनकल भी नही प य थ तक व बोल उठ ldquoसजजनो आपको

      यह ज नकर खशी होगी तक समझौि हो गय हrdquo तफर कय थ ि ततलयो की गडगड हट स

      माडप गाज उठ और लोगो क चहरो पर जो गाभीरि थी उसक बदल खशी चमक उठी

      मझ क ागरस क क मक ज म तहसस लन पड इस म क ागरस म अपन परवश नही म नि

      अमिसर क अनभव न बिल य तक मरी एक-दो शततिय ा क ागरस क ततलए उपयोगी ह

      अगल स ल करन योगय क मो म स दो क मो म मझ ददलचसपी थी कयोतक उनम म कछ

      दखल रखि थ

      एक थ जततलय ाव ल ब ग क हतय क ाड क सम रक इसक ब र म क ागरस न बडी श न क

      स थ परसि व प स तकय थ सम रक क ततलए करीब प ाच ल ख रपय की रकम इकटठी करनी थी

      उसक रकषको (रनसटयो) म मर न म थ दश म जनि क क म क ततलए कषभकष म ागन की जबरदसि

      शतति रखन व लो म पहल पद म लवीयजी क थ और ह म ज नि थ तक मर दज य उनस

      बहि दर नही रहग अपनी यह शतति मन दकषकषण अफ़रीक म दख ली थी

      मरी दसरी शतति लखक और माशी क क म करन की थी जजसक उपयोग क ागरस कर

      सकिी थी नि गण यह समझ चक थ तक लमब समय क अभय स क क रण कह ा कय और

      तकिन कम शबदो म व अतवनय-रतहि भ ष म ततलखन च तहए सो म ज नि हा उस समय क ागरस

      क जो तवध न थ वह गोखल की छोडी हई पाजी थी उनदहोन कछ तनयम बन ददय थ उनक

      सह र क ागरस क क म चलि थ व तनयम कस बन य गय इसक मधर इतिह स मन उनदही क

      माह स सन थ पर अब सब कोई यह अनभव कर रह थ तक क ागरस क क म उिन ही तनयमो स

      नही चल सकध उसक तवध न बन न की चच यय हर स ल उठिी थी तवध न िय र करन क

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      भ र उठ न की जजममद री मन अपन ततसर ली मरी एक शिय थी जनि पर दो नि ओ क परभतव

      म दख रह थ इसस मन च ह तक उनक परतितनमध मर स थ रह म समझि थ तक व सवया

      श ाति स बठकर तवध न बन न क क म नही कर सकि इसततलए लोकम नदय और दशबाध स उनक

      तवशव स क दो न म मन म ाग मन यह सझ व रख तक इनक ततसव तवध न-सममति म और कोई न

      होन च तहए वह सझ व म न ततलय गय लोकम नदय न शरी कलकर क और दशबाध न शरी आई०

      बी० सन क न म ददय यह तवध न-सममति एक ददन भी कही ममलकर नही बठी तफर भी हमन

      अपन क म एकमि स पर तकय पि-वयवह र दव र अपन क म चल ततलय इस तवध न क

      ततलए मझ थोड अकषभम न ह म म नि हा तक इसक अनसरण करक क म तकय ज य िो हम र

      बड प र हो सकि ह यह िो जब होग िब होग परनदि मरी यह म नदयि ह तक इस जजममद री

      को लकर मन क ागरस म सछच परवश तकय

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      भाग-१६ खादी का जनम

      ८१ खादी का जनम

      मझ य द नही पडि तक सन १९०८ िक मन चरख य करघ कही दख हो तफर भी मन तहनदद

      सवर जय म यह म न थ तक चरख क जररय तहनदसि न की का ग ततलयि ममट सकिी ह और यह

      िो सबक समझ सकन जसी ब ि ह तक जजस र सि भखमरी ममटगी उसी र सि सवर जय ममलग

      सन १९१५ म म दकषकषण अफ़रीक स तहनदसि न व पस आय िब भी मन चरख क दशयन नही तकय

      थ आशरम क खलि ही उसम करघ शर तकय थ करघ शर करन म भी मझ बडी मतककल

      क स मन करन पड हम सब अनज न थ अिएव करघ क ममल ज न भर स िो करघ चल

      नही सकि थ आशरम म हम सब कलम चल न व ल य वय प र करन ज नन व ल लोग इकटठ

      हए थ हम म कोई क रीगर नही थ इसततलए करघ पर पि करन क ब द बनन ततसख न व ल की

      आवकयकि पडी प लनपर स एक ततसख न व ल आय उसन अपन पर हनर नही बि य

      परनदि मगनल ल ग ाधी शर तकय हए क म को जलदी छोडन व ल न थ उनक ह थ म क रीगरी

      िो थी ही इसततलए उनदहोन बनन की कल परी िरह समझ ली और तफर आशरम म एक क ब द

      एक नय-नय बनन व ल िय र हए

      हम िो अब अपन कपड िय र करक पहनन थ इसततलए आशरमव ततसयो न ममल क कपड

      पहनन बाद तकय और यह तनिय तकय तक व ह थ-करघ पर दशी ममल क सि क बन हआ

      कपड पहनग ऐस करन स हम बहि कछ सीखन को ममल तहनदसि न क बनकरो क जीवन

      की उनकी आमदनी की सि पर पि करन म होन व ली उनकी कदठन ई की इसम व तकस परक र

      ठग ज ि थ और आखखर तकस परक र ददन-ददन क़जयद र होि ज ि थ इस सबकी ज नक री हम

      ममली हम सवया अपन सब कपड िरनदि बन सक ऐसी चसथति िो थी ही नही इस क रण स

      ब हर क बनकरो स हम अपनी आवकयकि क कपड बनव लन पडि थ दशी ममल क सि

      क ह थ स बन कपड झट ममलि नही थ बनकर स र अछछ कपड तवल यिी सि क ही

      बनि थ कयोतक हम री ममल सि क ििी नही थी आज भी व महीन सि अपकष कि कम ही

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      क ििी ह बहि महीन िो क ि ही नही सकिी बड परयतन क ब द कछ बनकर ह थ लग जजनदहोन

      दशी सि क कपड बन दन की महरब नी की इन बनकरो को आशरम की िरफ स यह ग रणटी

      दनी पडी थी तक दशी सि क बन हआ कपड खरीद ततलय ज एग इस परक र तवशष रप स

      िय र कर य हआ कपड बनव कर हमन पहन और ममिो म उसक परच र तकय यो हम क िन

      व ली ममलो क अवितनक एजणट बन ममलो क समपकय म आन पर उनकी वयवसथ की और

      उनकी ल च री की ज नक री हम ममली हमन दख तक ममलो क धयय खद क िकर खद ही

      बनन थ व ह थ-करघो की सह यि सवछछ स नही बचलक अतनछछ स करिी थी

      यह सब दखकर हम ह थ स क िन क ततलए अधीर हो उठ हमन दख तक जब िक ह थ

      स क िग नही िब िक हम री पर धीनि बनी रहगी ममलो क एजणट बनकर हम दशसव करि

      ह ऐस हम परिीि नही हआ

      हम री मतककलो क कोई अाि नही थ लतकन न िो कही चरख ममलि थ और न कोई

      चरख क चल न व ल ममलि थ ककमडय ा आदद भरन क चरख िो हम र प स थ पर उन पर

      क ि ज सकि ह इसक िो हम खय ल ही नही थ एक ब र क लीद स वकील एक बहन को

      खोजकर ल य उनदहोन कह तक यह बहन सि क िकर ददख यगी उसक प स एक आशरमव सी

      को भज जो नय क म सीख लन म बड होततशय र थ पर हनर उनक ह थ न लग

      ददन िो बीि ज रह थ म अधीर हो उठ थ आशरम म आन व ल हर ऐस आदमी स जो

      इस तवषय म कछ बि सकि थ म पछि छ तकय करि थ पर क िन क इज र िो सिी क

      ही थ अिएव ओन-कोन म पडी हई क िन ज नन व ली सिी िो तकसी सिी को ही ममल सकिी

      थी

      सन १९१७ म मर गजर िी ममि मझ भडौच ततशकष -पररषद म घसीट ल गय थ वह ा

      मह स हसी तवधव बहन गाग ब ई मझ ममली व पढी-ततलखी अमधक नही थी पर उनम तहममि

      और समझद री स ध रणिय जजिनी ततशकषकषि बहनो म होिी ह उसस अमधक थी उनदहोन अपन

      जीवन म असपकयि की जड क ट ड ली थी व बधडक अातयजो म ममलिी और उनकी सव

      सकषिपत आतमकथा | wwwmkgandhiorg

      करिी थी उनक प स पस थ पर उनकी अपनी आवकयकि य बहि कम थी उनक शरीर

      कस हआ थ और च ह जह ा अकल ज न म उनदह जर भी जझझक नही होिी थी व घोड की

      सव री क ततलए भी िय र रहिी थी इन बहन क तवशष पररचय गोधर की पररषद म पर पि हआ

      अपन ःख मन उनक स मन रख और दमयािी जजस परक र नल की खोज म भटकी थी उसी

      परक र चरख की खोज म भटकन की परतिजञ करक उनदहोन मर बोझ हलक कर ददय

      गजर ि म अछछी िरह भटक चकन क ब द ग यकव ड क वीज पर ग ाव म गाग बहन को

      चरख ममल वह ा बहि स कटमबो क प स चरख थ जजस उठ कर उनदहोन छि पर चढ ददय

      थ पर यदद कोई उनक सि खरीद ल और उनदह पनी महय कर द िो व क िन को िय र थ

      गाग बहन न मझ खबर भजी मर हषय क कोई प र न रह पनी महय करन क क म मतककल

      म लम हआ सव० भ ई उमर सोब नी स चच य करन पर उनदहोन अपनी ममल स पनी की गछततलय ा

      भजन क जजमम ततलय मन व गछततलय ा गाग बहन क प स भजी और सि इिनी िजी स किन

      लग तक म ह र गय

      भ ई उमर सोब नी की उद रि तवश ल थी तफर भी उसकी हद थी द म दकर पतनय ा लन

      क तनिय करन म मझ साकोच हआ इसक ततसव ममल की पतनयो स सि किव न मझ बहि

      दोषपणय म लम हआ अगर ममल की पतनय ा हम लि ह िो तफर ममल क सि लन म कय दोष

      ह हम र पवयजो क प स ममल की पतनय ा कह ा थी व तकस िरह पतनय ा िय र करि होग मन

      गाग बहन को ततलख और एक हपिज र को खोज तनक ल उस ३५ रपय य इसस अमधक विन

      पर रख गय मझ अमधक विन दन क कोई साकोच नही हआ ब लको को पनी बन न ततसख य

      गय मन रई की कषभकष म ागी भ ई यशवािपरस द दस ई न रई की ग ाठ दन क जजमम ततलय

      गाग बहन न क म एकदम बढ ददय बनकरो को ल कर बस य और कि हआ सि बनव न

      शर तकय वीज पर की ख दी मशहर हो गयी

      दसरी िरफ आशरम म अब चरख क परवश होन म दर न लगी मगनल ल ग ाधी की शोधक

      शतति न चरख म सध र तकय और चरख िथ िकए आशरम म बन आशरम की ख दी क पहल

      थ न की ल गि फी गज सिरह आन आई

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      मन ममिो स मोटी और कछच सि की ख दी क द म सिरह आन फी गज क तहस ब स ततलए जो

      उनदहोन खशी-खशी ददय

      म बमबई म रोगशयय पर पड हआ थ पर सबस पछि रहि थ म ख दीश सि म अभी

      तनपट अन डी थ मझ ह थकि सि की जररि थी कततिनो की जररि थी गाग बहन जो भ व

      दिी थी उसस िलन करन पर म लम हआ तक म ठग रह हा लतकन व बहन कम लन को िय र

      न थी अिएव उनदह छोड दन पड पर उनदहोन अपन क म तकय उनदहोन शरी अवननदिक ब ई शरी

      रमीब ई क मद र शरी शाकरल ल बकर की म ि जी और शरी वसमिीबहन को क िन ततसख ददय

      और मर कमर म चरख गाजन लग यह कहन म अतिशयोतति न होगी तक इस यािन मझ बीम र

      को चाग करन म मदद की बशक यह एक म नततसक असर थ पर मनषय को सवसथ य असवसथ

      करन म मन क तहसस कौन कम होि ह चरख पर मन भी ह थ आजम य तकनदि इसस आग

      म इस समय ज नही सक

      बमबई म ह थ की पतनय ा कस परौपि की ज एा शरी रव शाकर झवरी क बागल क प स स

      रोज एक धतनय ि ाि बज ि हआ तनकल करि थ मन उस बल य वह गददो क ततलए रई

      धन करि थ उसन पतनय ा िय र करक दन सवीक र तकय भ व ऊा च म ाग जो मन ददय

      इस िरह िय र हआ सि मन वषणवो क ह थ ठ करजी की म ल क ततलए द म लकर बच भ ई

      ततशवजी न बमबई म चरख ततसख न क वगय शर तकय इन परयोगो म पस क री खचय हआ

      शरदध ळ दशभिो न पस ददय और मन खचय तकय मर नमर तवच र म यह खचय वयथय नही गय

      उसस बहि-कछ सीखन को ममल चरख की मय यद क म प ममल गय

      अब म कवल ख दीमय बनन क ततलए अधीर हो उठ मरी धोिी दशी ममल क कपड की

      थी वीज पर म और आशरम म जो ख दी बनिी थी वह बहि मोटी और ३० इाच अजय की होिी

      थी मन गाग बहन को चि वनी दी तक अगर व एक महीन क अनददर ४४ इाच अजयव ली ख दी की

      धोिी िय र करक न दगी िो मझ मोटी ख दी की घटनो िक की धोिी पहनकर अपन क म

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      चल न पडग गाग बहन अकल यी मददि कम म लम हई पर व ह री नही उनदहोन एक महीन

      क अनददर मर ततलए ५० इाच अजय क धोिीजोड महय कर ददय और मर द रररय ममट य

      इसी बीच भ ई लकषमीद स ल ठी ग ाव स एक अनदतयज भ ई र मजी और उनकी पतनी

      गाग बहन को आशरम म ल य और उनक दव र बड अजय की ख दी बनव ई ख दी-परच र म इस

      दमपिी क तहसस ऐस -वस नही कह ज सकि उनदहोन गजर ि म और गजर ि क ब हर ह थ

      क सि बनन की कल दसरो को ततसख यी ह

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      ८२ पिामहनत

      अब इन परकरणो को सम पि करन क समय आ पहाच ह

      इसस आग क मर जीवन इिन अमधक स वयजतनक हो गय ह तक श यद ही कोई चीज

      ऐसी हो जजस जनि ज निी न हो

      यह कहन ग़लि नही होग तक इसक आग मरी कलम ही चलन स इनक र करिी ह

      प ठको स तबद लि हए मझ ःख होि ह मर तनकट अपन इन परयोगो की बडी कीमि

      ह म नही ज नि तक म उनक यथ थय वणयन कर सक हा य नही यथ थय वणयन करन म मन कोई

      कसर नही रखी ह सतय को मन जजस रप म दख ह जजस म गय स दख ह उस उसी िरह परकट

      करन क मन सिि परयतन तकय ह और प ठको क ततलए उसक वणयन करक मचि म श ाति क

      अनभव तकय ह कयोतक मन आश यह रखी ह तक इसस प ठको म सतय और अहहिस क परति

      अमधक आसथ उतपनदन होगी

      सतय स कषभनद न कोई परमशवर ह ऐस मन कभी अनभव नही तकय यदद इन परकरणो क

      पनद न-पनद न स यह परिीति न हई हो तक सतयमय बनन क एकम ि म गय अहहिस ही ह िो म इस

      परयतन को वयथय समझि हा परयतन च ह वयथय हो तकनदि वचन वयथय नही ह मरी अहहिस सछची

      होन पर भी कछची ह अपणय ह अिएव हज रो सयो को इकटठ करन स भी जजस सतयरपी सयय

      क िज क पर म प नही तनकल सकि सतय की मरी झ ाकी ऐस सयय की कवल एक तकरण क

      दशयन क सम न ही ह आज िक क अपन परयोगो क अनदि म म इिन िो अवकय कह सकि हा

      तक सतय क सापणय दशयन सापणय अहहिस क तबन असाभव ह

      ऐस वय पक सतय-न र यण क परतयकष दशयन क ततलए जीवम ि क परति आतमवि परम की

      परम आवकयकि ह और जो मनषय ऐस करन च हि ह वह जीवन क तकसी भी कषि स ब हर

      नही रह सकि यही क रण ह तक सतय की मरी पज मझ र जनीति म खीच ल यी ह धमय क

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      र जनीति क स थ कोई साबाध नही ह वह धमय को नही ज नि ऐस कहन म मझ साकोच नही

      होि और न ऐस कहन म म अतवनय करि हा

      तबन आतमशजदध क जीवम ि क स थ ऐकय सध ही नही सकि आतमशजदध क तबन

      अहहिस -धमय क प लन सवयथ असाभव ह अशदध आतम परम तम क दशयन करन म असमथय ह

      अिएव जीवन-म गय क सभी कषिो म शजदध की आवकयकि ह यह शजदध स धय ह कयोतक वयतषट

      और समतषट क बीच ऐस तनकट क साबाध ह तक एक की शजदध अनको की शजदध क बर बर हो

      ज िी ह

      लतकन म परतिकषण यह अनभव करि हा तक शजदध क यह म गय तवकट ह शदध बनन क

      अथय ह मन स बचन स और क य स तनरविक र बनन र ग-दवष दद स रतहि होन इस तनरविक रि

      िक पहाचन क परतिकषण परयतन करि हए भी म पहाच नही प य हा इसततलए लोगो की सिति मझ

      भल व म नही ड ल सकिी उलट यह सिति पर यः िीवर वदन पहाच िी ह मन क तवक रो को

      जीिन सास र को शसि-यदध स जीिन की अपकष मझ अमधक कदठन म लम होि ह तहनदसि न

      आन क ब द भी म अपन भीिर मछप हए तवक रो को दख सक हा शरममनदद हआ हा तकनदि ह र

      नही हा सतय क परयोग करि हए मन आननदद लट ह और आज भी लट रह हा लतकन म ज नि

      हा तक अभी मझ तवकट म गय िय करन ह इसक ततलए मझ शनदयवि बनन ह मनषय जब िक

      सवछछ स अपन को सबस नीच नही रखि िब िक उस मतति नही ममलिी अहहिस नमरि की

      पर क षठ ह ऐसी नमरि क ततलए पर थयन करि हए और उसक ततलए सास र की सह यि की य चन

      करि हए इस समय िो म इन परकरणो को बनदद करि हा

      • Cover Page13
      • सकषिपत आतमकथा
        • ततरीनोध
        • परकाशक का निवदन
        • परसतावना
        • अनकरमाणिका
        • भाग-१ बचपन और यवावसथा
          • १ जनम तथा माता-पिता
          • २ पाठशाला म
          • ३ बाल-विवाह
          • ४ दःखद परसग-मतरी
          • ५ चोरी और परायकषितत
          • ६ पिताजी की बीमारी मतय और शरम
          • ७ धरम की झाकी
          • ८ विलायत की तयारी
          • ९ सटीमर म
            • भाग-२ लडन म विदयारथी क रप म
              • १० लडन म
              • ११ सभय पोशाक म
              • १२ फरफार
              • १३ लजजाशीलता - मरी ढाल
              • १४ असतयरपी विष
              • १५ धरमो का परिचय
                • भाग-३ भारत म बारिसटर क रप म
                  • १६ वापस हिदसतान म
                  • १७ ससार-परवश
                  • १८ पहला आघात
                    • भाग-४ दकषिण अफ़रीका म
                      • १९ दकषिण अफ़रीका पहचा
                      • २० परिटोरिया जात हए
                      • २१ परिटोरिया म पहला दिन
                      • २२ खरिसती सबधी (ईसाइयो स सपरक)
                      • २३ हिनदसतानियो की परशानी का अधययन
                      • २४ मक़ददम की तयारी
                      • २५ को जान कल की
                      • २६ नाताल इनडियन कागरस
                      • २७ तीन पौणड का कर
                        • भाग-५ हिद की मलाकात
                          • २८ हिनदसतान म
                            • भाग-६ वापस दकषिण अफ़रीका
                              • २९ दकषिण अफ़रीका म आगमन और तफ़ान
                              • ३० बचचो की शिकषा और सवावतति
                              • ३१ सादगी
                              • ३२ एक पणयसमरण और परायशचितत
                              • ३३ बोअर-यदध
                              • ३४ नगर सफ़ाई-आनदोलन
                              • ३५ दश-गमन और कीमती भटसौगाद
                                • भाग-७ दश म
                                  • ३६ महासभा (कागरस) परथम बार
                                  • ३७ लारड करजन का दरबार
                                  • ३८ बमबई म
                                    • भाग-८ दकषिण अफ़रीका म
                                      • ३९ पनः दकषिण अफ़रीका म
                                      • ४० गीता का अभयास
                                      • ४१ इणडियन ओपिनियन
                                      • ४२ एक पसतक का चमतकारी परभाव
                                      • ४३ फ़ीनिकस की सथापना
                                      • ४४ घरो म परिवरतन तथा बालशिकषा
                                      • ४५ जल-विदरोह
                                      • ४६ बरहमचरय
                                      • ४७ पतनी की दढता
                                      • ४८ घर म सतयागरह
                                      • ४९ सयम की ओर
                                      • ५० वकालत क कछ ससमरण
                                      • ५१ सतयागरह का जनम
                                      • ५२ क़द
                                      • ५३ हमला
                                      • ५४ लडाई की पनरावतति
                                      • ५५ टोलससटोय फारम
                                      • ५६ सतरिया लड़त म शामिल
                                      • ५७ मज़दरो का परवाह
                                      • ५८ ए भवय कच
                                      • ५९ सतयागरह की विजय
                                        • भाग-९ विलायत तथा लडाई
                                          • ६० लडाई म हिससा
                                            • भाग-१० दश म और साबरमती आशरम की सथापना
                                              • ६१ पन म
                                              • ६२ तीसर दज की विडमबना
                                              • ६३ आशरम की सथापना
                                                • भाग-११ चपारन
                                                  • ६४ नील का दाग़
                                                  • ६५ अहिसा दवी का साकषातकार
                                                  • ६६ मक़ददमा वापस लिया गया
                                                  • ६७ गरामपरवश
                                                  • ६८ नील का दाग़ धल गया
                                                    • भाग-१२ अहमदाबाद का मज़दर
                                                      • ६९ मज़दरो क समपरक म
                                                      • ७० उपवास
                                                        • भाग-१३ खडा सतयागरह
                                                          • ७१ खडा म सतयागरह
                                                          • ७२ पयाज़चोर
                                                          • ७३ खडा की लडाई का अनत
                                                            • भाग-१४ रगरटो की भरती
                                                              • ७४ रगरटो की भरती
                                                              • ७५ मतय-शयया पर
                                                                • भाग-१५ रोलट एकट और राजनीति म परवश
                                                                  • ७६ रोलट एकट
                                                                  • ७७ वह सपताह
                                                                  • ७८ पहाड-जसी भल
                                                                  • ७९ नवजीवन और यग इनडिया
                                                                  • ८० अमतसर की महासभा (कागरस)
                                                                    • भाग-१६ खादी का जनम
                                                                      • ८१ खादी का जनम
                                                                      • ८२ परणाहति

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